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Incest दीवाना चुत का

जय100

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ज्योति जब देखती है कि दी उसके ऊपर गुस्सा कर रही है तो वह निकल जाने में ही अपनी भलाई समझती है ।उसके जाने के बाद मैं भी कविता दी को लेकर बैंक की तरफ चल देता हूं।वही मेरे घर से निकलने के बाद सरिता और जुही दोनों एक दूसरे को शांति से देख रही थी तब जुही बोलती है कि
जुही :तब तो फिर मेरे पास बस एक ही रास्ता बचता है कि मैं यंहा से अपने मायके चली जाऊ क्यूंकि आज नही तो कल यह घर और गांव वाले इनको तो कुछ बोलेंगे नही सब कमी मुझमे ही लोग कहेंगे।
सरिता : नही भाभी एक बार और मेरे कहने से रुक जाओ अगर जरूरत पड़ी तो मैं वह सब कुछ करूँगी लेकिन उसे फिर से उस कलमुँही के कब्जे में नही जाने दूँगी।
तब कुछ देर बाद मा भी घर आ जाती है ।इधर मैं भी बैंक पहुच कर पैसे निकालने के बाद कविता दी के पास आ जाता हूं वह बाहर ही एक शॉप पर मेरा इन्तजार कर रही थी ।मैं उनके पास गया तो देखा कि वह बैंक के गेट की तरफ ही देख रही थी तो मैं उनके पास गया और बोला
मैं :दी मुझे माफ़ कर दो मेरी वजह से आपको इतना इन्तजार करना पड़ा ।
कविता दी :कोई बात नही काम है तो लेट तो होगा ही अभी और भी कुछ काम है या सब हो गया।
मैं : नही दी मेरा काम तो हो गया है ।अब आप बताये आप को क्या काम है।
कविता दी : वैसे काम तो कुछ भी नही है पर तेरे साथ आई हूं घर से यह बोल कर मुझे कुछ खरीदारी करनी है तो चल कुछ खरीद लेते है।
मैं :हा दी चलो आज मैं आपको खरीदारी करवाता हु।
कविता दी : नही जिस दिन तू कमाने लगेगा उस दिन से मेरा सारा खर्चा तू उठाना लेकिन अभी नही।
मैं :दी यह क्या बात हुई।
कविता दी :जितना बोल दी ना बस उतना कर समझा कि नही।
मैं :ठीक है दी आज मैं मान जाता हूं लेकिन अगली बार नही मानूँगा।
कविता दी :चल ठीक है पागल लेकिन अभी तो चल।
इसके बाद हम लोग एक मॉल में चले गए जो कि हमारे यंहा का बेस्ट मॉल था।वंहा पर दी ने अपने और ज्योति के लिए कुछ खरीदा और मेरे लाख मना करने के बाद मुझे भी 1 सेट कपड़ा दिलवाया ।उसके बाद हम लोगो ने एक होटल में खाना खाया दी के पसन्द का फिर मैं बोला कि
मैं :अब तो घर से आये हुए काफी समय हो गया है अब हमें घर चलना चाहिए।
कविता दी :तू चिंता मत कर घर पर मैं देख लुंगी अभी तू किसी पार्क में चल तुझसे कुछ बात करनी है।
उनकी बात को सुनकर मैं समझ गया था कि वह क्या बात करना चाहती है लेकिन फिर भी नही चाहते हुए भी मुझे लेकर जाना पड़ा क्यूंकि मैं उनको नाराज नही करना चाहता था।इसके बाद हम लोग एक पार्क में आ गए ।वँहा पर सभी लवर ही थे ऐसे माहौल में ले जाने में मुझे शर्म लग रही थी लेकिन मजबूरी यह थी कि यही पार्क बेस्ट था तो ना चाहते हुए भी हम आ गए और दी एक जगह पेड़ के नीचे बैठ गए ।कुछ देर बाद दी बोली कि
कविता दी : तब और बता कब छोड़ेगा तू यह सब ।
मैं उनकी बात का जवाब नही दिया बस मुंडी नीचे किये हुए देख रहा था जमीन को मुझे कुछ नही बोलते हुए देखकर दी फिर से बोली
कविता दी :तू ऐसी हरकतें करता ही क्यों है जो तुझे शर्माना पड़े किसी के सामने।
मैं : दीदी इसका मैं क्या उत्तर दु आपको बस अब आप इतना समझ लो कि मैं अब चाह कर भी वापस नही लौट सकता।
कविता दी :क्या तू कभी नही सुधर सकता है ।
मैं :दी अगर यह कहु की मैं सुधर जाऊंगा तो यह गलत होगा क्यूंकि मैं जानता हूं नही सुधर सकता मैं ।
कविता दी : आखिर क्यों
मैं : दी यह दुनिया बड़ी जालिम है यह सीधे साधे लोग को जीने नही देती है ।
कविता दी : ऐसा क्यों बोल रहा है तू
मैं :अगर आप वचन दे की जो बात मैं आपको बताउ वह किसी को नही बोलेंगी तो मैं कुछ बताऊ
कविता दी : मैं तेरी कसम खाती हु की मैं मर जाऊंगी लेकिन किसी को बताउंगी नही
दी के इतना बोलने के बाद मैंने अपने पर्स से एक फोटो निकाल कर उन्हें दिया और बोला कि
मैं :आप जानती है यह लड़की कौन है।
कविता :हा यह तो काव्या है जो पिछले साल आत्महत्या कर ली थी क्यूंकि उसके कई लोगो से नाजायज सम्बन्ध थे और वह शादी से पहले माँ बनने वाली थी।
मैं चिल्लाते हुए :नही दी यह सब झूठ है ऐसा कुछ भी नही था वह साला ठाकुर का लड़का और गांव के कुछ लड़कों ने उसे बदनाम किये थे।
दीदी मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी कि मुझे क्या हुआ है जो इतनी तेज आवाज में उनसे बात किया क्यूंकि आज से पहले मैंने कभी भी उनके सामने इतनी तेज आवाज में नही बोला था।
कविता दी : ऐसी कौन सी बात है जो तुझे इतना परेशान की है आज अपना सारा दुख बोल दे बेटू।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर रोने लगा और बोला कि
मैं :दी मैं उससे दिलो जान से प्यार करता था और वह मुझसे करती थी लेकिन ठाकुर के लड़का भी उसे पसन्द करने लगा पर उसने मना कर दिया तो उन कमीनो ने मुझे जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ रेप किया और गांव के कई लड़के भी कई महीनों तक उसके साथ वह सब करते रहे और वह पागल मेरी जान बचाने के लिए उसने अपनी इज्जत की भी परवाह नही की और अंत मे अपनी जान दे दी और उसने मेरी इज्जत बचाने के लिए मुझसे बेवफाई की नाटक किया पर मरने से पहले उसने एक चिट्ठी में सब दुख लिख कर मुझे भिजवा दिया और उसके बाद फिर जब तक मैं उसे बचाने के लिए जाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
इतना बोलकर मैं काफी देर तक रोता रहा दी ने भी मुझे शांत नही कराया रोने दिया आखिर बहुत दिनों बाद जो मेरा दुख बाहर आया था काफी देर तक रोने के बाद जब मैं शांत हुआ तब फिर बोलना सुरु किया
मैं : जब उसने मुझे धोखा देने का नाटक किया तो उसके बाद मेरा प्यार के ऊपर से भरोशा हट गया था तो मैं सभी लड़कियों को भोग की वस्तु समझने लगा और मैं बहुत आगे निकल आया पर जब सच्चाई मालूम चली तो मैं उन सबको जान से मारने के बजाय उन सबको रंडी बनाने लगा।मुझे तो सिर्फ ठाकुर का नाम पता है और किसी भी गांव के लड़के का नाम का जिक्र उसने नही किया था तो मैं पूरे गांव को ही अपना दुश्मन मान लिया और वह सब करने लगा बस इसमे एक गलती हुई कि मैं आपसे दूर हो गया। अब आप ही बताये दी कि मैं क्या गलत कर रहा हु ।
कविता दी : नही गलत तो नही है पर इसमे तेरी कितनी बदनामी हो रही है जानता है।
मैं :मैं सब जानता हूं दी लेकिन अब मैं पीछे नही हट सकता।
कविता :ठीक है अगर तू पीछे नही हटेगा तो मैं भी तेरे साथ रहूँगी हरदम अब तुझे नही छोड़ सकती।
मैं :दी मैं वह कालिख बन चुका हूं कि अगर आप मेरे साथ रहोगी तो आपका दामन भी काला हो जाएगा।

कविता दी :अब चाहे जो हो मैं तुम्हारे साथ हु।
मैं :क्या आप वह सब सह पाओगी या देख पाओगी।इससे अच्छा तो यही होगा कि आप मुझसे दूर ही रहे।
 

Killerpanditji(pandit)

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ज्योति जब देखती है कि दी उसके ऊपर गुस्सा कर रही है तो वह निकल जाने में ही अपनी भलाई समझती है ।उसके जाने के बाद मैं भी कविता दी को लेकर बैंक की तरफ चल देता हूं।वही मेरे घर से निकलने के बाद सरिता और जुही दोनों एक दूसरे को शांति से देख रही थी तब जुही बोलती है कि
जुही :तब तो फिर मेरे पास बस एक ही रास्ता बचता है कि मैं यंहा से अपने मायके चली जाऊ क्यूंकि आज नही तो कल यह घर और गांव वाले इनको तो कुछ बोलेंगे नही सब कमी मुझमे ही लोग कहेंगे।
सरिता : नही भाभी एक बार और मेरे कहने से रुक जाओ अगर जरूरत पड़ी तो मैं वह सब कुछ करूँगी लेकिन उसे फिर से उस कलमुँही के कब्जे में नही जाने दूँगी।
तब कुछ देर बाद मा भी घर आ जाती है ।इधर मैं भी बैंक पहुच कर पैसे निकालने के बाद कविता दी के पास आ जाता हूं वह बाहर ही एक शॉप पर मेरा इन्तजार कर रही थी ।मैं उनके पास गया तो देखा कि वह बैंक के गेट की तरफ ही देख रही थी तो मैं उनके पास गया और बोला
मैं :दी मुझे माफ़ कर दो मेरी वजह से आपको इतना इन्तजार करना पड़ा ।
कविता दी :कोई बात नही काम है तो लेट तो होगा ही अभी और भी कुछ काम है या सब हो गया।
मैं : नही दी मेरा काम तो हो गया है ।अब आप बताये आप को क्या काम है।
कविता दी : वैसे काम तो कुछ भी नही है पर तेरे साथ आई हूं घर से यह बोल कर मुझे कुछ खरीदारी करनी है तो चल कुछ खरीद लेते है।
मैं :हा दी चलो आज मैं आपको खरीदारी करवाता हु।
कविता दी : नही जिस दिन तू कमाने लगेगा उस दिन से मेरा सारा खर्चा तू उठाना लेकिन अभी नही।
मैं :दी यह क्या बात हुई।
कविता दी :जितना बोल दी ना बस उतना कर समझा कि नही।
मैं :ठीक है दी आज मैं मान जाता हूं लेकिन अगली बार नही मानूँगा।
कविता दी :चल ठीक है पागल लेकिन अभी तो चल।
इसके बाद हम लोग एक मॉल में चले गए जो कि हमारे यंहा का बेस्ट मॉल था।वंहा पर दी ने अपने और ज्योति के लिए कुछ खरीदा और मेरे लाख मना करने के बाद मुझे भी 1 सेट कपड़ा दिलवाया ।उसके बाद हम लोगो ने एक होटल में खाना खाया दी के पसन्द का फिर मैं बोला कि
मैं :अब तो घर से आये हुए काफी समय हो गया है अब हमें घर चलना चाहिए।
कविता दी :तू चिंता मत कर घर पर मैं देख लुंगी अभी तू किसी पार्क में चल तुझसे कुछ बात करनी है।
उनकी बात को सुनकर मैं समझ गया था कि वह क्या बात करना चाहती है लेकिन फिर भी नही चाहते हुए भी मुझे लेकर जाना पड़ा क्यूंकि मैं उनको नाराज नही करना चाहता था।इसके बाद हम लोग एक पार्क में आ गए ।वँहा पर सभी लवर ही थे ऐसे माहौल में ले जाने में मुझे शर्म लग रही थी लेकिन मजबूरी यह थी कि यही पार्क बेस्ट था तो ना चाहते हुए भी हम आ गए और दी एक जगह पेड़ के नीचे बैठ गए ।कुछ देर बाद दी बोली कि
कविता दी : तब और बता कब छोड़ेगा तू यह सब ।
मैं उनकी बात का जवाब नही दिया बस मुंडी नीचे किये हुए देख रहा था जमीन को मुझे कुछ नही बोलते हुए देखकर दी फिर से बोली
कविता दी :तू ऐसी हरकतें करता ही क्यों है जो तुझे शर्माना पड़े किसी के सामने।
मैं : दीदी इसका मैं क्या उत्तर दु आपको बस अब आप इतना समझ लो कि मैं अब चाह कर भी वापस नही लौट सकता।
कविता दी :क्या तू कभी नही सुधर सकता है ।
मैं :दी अगर यह कहु की मैं सुधर जाऊंगा तो यह गलत होगा क्यूंकि मैं जानता हूं नही सुधर सकता मैं ।
कविता दी : आखिर क्यों
मैं : दी यह दुनिया बड़ी जालिम है यह सीधे साधे लोग को जीने नही देती है ।
कविता दी : ऐसा क्यों बोल रहा है तू
मैं :अगर आप वचन दे की जो बात मैं आपको बताउ वह किसी को नही बोलेंगी तो मैं कुछ बताऊ
कविता दी : मैं तेरी कसम खाती हु की मैं मर जाऊंगी लेकिन किसी को बताउंगी नही
दी के इतना बोलने के बाद मैंने अपने पर्स से एक फोटो निकाल कर उन्हें दिया और बोला कि
मैं :आप जानती है यह लड़की कौन है।
कविता :हा यह तो काव्या है जो पिछले साल आत्महत्या कर ली थी क्यूंकि उसके कई लोगो से नाजायज सम्बन्ध थे और वह शादी से पहले माँ बनने वाली थी।
मैं चिल्लाते हुए :नही दी यह सब झूठ है ऐसा कुछ भी नही था वह साला ठाकुर का लड़का और गांव के कुछ लड़कों ने उसे बदनाम किये थे।
दीदी मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी कि मुझे क्या हुआ है जो इतनी तेज आवाज में उनसे बात किया क्यूंकि आज से पहले मैंने कभी भी उनके सामने इतनी तेज आवाज में नही बोला था।
कविता दी : ऐसी कौन सी बात है जो तुझे इतना परेशान की है आज अपना सारा दुख बोल दे बेटू।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर रोने लगा और बोला कि
मैं :दी मैं उससे दिलो जान से प्यार करता था और वह मुझसे करती थी लेकिन ठाकुर के लड़का भी उसे पसन्द करने लगा पर उसने मना कर दिया तो उन कमीनो ने मुझे जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ रेप किया और गांव के कई लड़के भी कई महीनों तक उसके साथ वह सब करते रहे और वह पागल मेरी जान बचाने के लिए उसने अपनी इज्जत की भी परवाह नही की और अंत मे अपनी जान दे दी और उसने मेरी इज्जत बचाने के लिए मुझसे बेवफाई की नाटक किया पर मरने से पहले उसने एक चिट्ठी में सब दुख लिख कर मुझे भिजवा दिया और उसके बाद फिर जब तक मैं उसे बचाने के लिए जाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
इतना बोलकर मैं काफी देर तक रोता रहा दी ने भी मुझे शांत नही कराया रोने दिया आखिर बहुत दिनों बाद जो मेरा दुख बाहर आया था काफी देर तक रोने के बाद जब मैं शांत हुआ तब फिर बोलना सुरु किया
मैं : जब उसने मुझे धोखा देने का नाटक किया तो उसके बाद मेरा प्यार के ऊपर से भरोशा हट गया था तो मैं सभी लड़कियों को भोग की वस्तु समझने लगा और मैं बहुत आगे निकल आया पर जब सच्चाई मालूम चली तो मैं उन सबको जान से मारने के बजाय उन सबको रंडी बनाने लगा।मुझे तो सिर्फ ठाकुर का नाम पता है और किसी भी गांव के लड़के का नाम का जिक्र उसने नही किया था तो मैं पूरे गांव को ही अपना दुश्मन मान लिया और वह सब करने लगा बस इसमे एक गलती हुई कि मैं आपसे दूर हो गया। अब आप ही बताये दी कि मैं क्या गलत कर रहा हु ।
कविता दी : नही गलत तो नही है पर इसमे तेरी कितनी बदनामी हो रही है जानता है।
मैं :मैं सब जानता हूं दी लेकिन अब मैं पीछे नही हट सकता।
कविता :ठीक है अगर तू पीछे नही हटेगा तो मैं भी तेरे साथ रहूँगी हरदम अब तुझे नही छोड़ सकती।
मैं :दी मैं वह कालिख बन चुका हूं कि अगर आप मेरे साथ रहोगी तो आपका दामन भी काला हो जाएगा।

कविता दी :अब चाहे जो हो मैं तुम्हारे साथ हु।
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ज्योति जब देखती है कि दी उसके ऊपर गुस्सा कर रही है तो वह निकल जाने में ही अपनी भलाई समझती है ।उसके जाने के बाद मैं भी कविता दी को लेकर बैंक की तरफ चल देता हूं।वही मेरे घर से निकलने के बाद सरिता और जुही दोनों एक दूसरे को शांति से देख रही थी तब जुही बोलती है कि
जुही :तब तो फिर मेरे पास बस एक ही रास्ता बचता है कि मैं यंहा से अपने मायके चली जाऊ क्यूंकि आज नही तो कल यह घर और गांव वाले इनको तो कुछ बोलेंगे नही सब कमी मुझमे ही लोग कहेंगे।
सरिता : नही भाभी एक बार और मेरे कहने से रुक जाओ अगर जरूरत पड़ी तो मैं वह सब कुछ करूँगी लेकिन उसे फिर से उस कलमुँही के कब्जे में नही जाने दूँगी।
तब कुछ देर बाद मा भी घर आ जाती है ।इधर मैं भी बैंक पहुच कर पैसे निकालने के बाद कविता दी के पास आ जाता हूं वह बाहर ही एक शॉप पर मेरा इन्तजार कर रही थी ।मैं उनके पास गया तो देखा कि वह बैंक के गेट की तरफ ही देख रही थी तो मैं उनके पास गया और बोला
मैं :दी मुझे माफ़ कर दो मेरी वजह से आपको इतना इन्तजार करना पड़ा ।
कविता दी :कोई बात नही काम है तो लेट तो होगा ही अभी और भी कुछ काम है या सब हो गया।
मैं : नही दी मेरा काम तो हो गया है ।अब आप बताये आप को क्या काम है।
कविता दी : वैसे काम तो कुछ भी नही है पर तेरे साथ आई हूं घर से यह बोल कर मुझे कुछ खरीदारी करनी है तो चल कुछ खरीद लेते है।
मैं :हा दी चलो आज मैं आपको खरीदारी करवाता हु।
कविता दी : नही जिस दिन तू कमाने लगेगा उस दिन से मेरा सारा खर्चा तू उठाना लेकिन अभी नही।
मैं :दी यह क्या बात हुई।
कविता दी :जितना बोल दी ना बस उतना कर समझा कि नही।
मैं :ठीक है दी आज मैं मान जाता हूं लेकिन अगली बार नही मानूँगा।
कविता दी :चल ठीक है पागल लेकिन अभी तो चल।
इसके बाद हम लोग एक मॉल में चले गए जो कि हमारे यंहा का बेस्ट मॉल था।वंहा पर दी ने अपने और ज्योति के लिए कुछ खरीदा और मेरे लाख मना करने के बाद मुझे भी 1 सेट कपड़ा दिलवाया ।उसके बाद हम लोगो ने एक होटल में खाना खाया दी के पसन्द का फिर मैं बोला कि
मैं :अब तो घर से आये हुए काफी समय हो गया है अब हमें घर चलना चाहिए।
कविता दी :तू चिंता मत कर घर पर मैं देख लुंगी अभी तू किसी पार्क में चल तुझसे कुछ बात करनी है।
उनकी बात को सुनकर मैं समझ गया था कि वह क्या बात करना चाहती है लेकिन फिर भी नही चाहते हुए भी मुझे लेकर जाना पड़ा क्यूंकि मैं उनको नाराज नही करना चाहता था।इसके बाद हम लोग एक पार्क में आ गए ।वँहा पर सभी लवर ही थे ऐसे माहौल में ले जाने में मुझे शर्म लग रही थी लेकिन मजबूरी यह थी कि यही पार्क बेस्ट था तो ना चाहते हुए भी हम आ गए और दी एक जगह पेड़ के नीचे बैठ गए ।कुछ देर बाद दी बोली कि
कविता दी : तब और बता कब छोड़ेगा तू यह सब ।
मैं उनकी बात का जवाब नही दिया बस मुंडी नीचे किये हुए देख रहा था जमीन को मुझे कुछ नही बोलते हुए देखकर दी फिर से बोली
कविता दी :तू ऐसी हरकतें करता ही क्यों है जो तुझे शर्माना पड़े किसी के सामने।
मैं : दीदी इसका मैं क्या उत्तर दु आपको बस अब आप इतना समझ लो कि मैं अब चाह कर भी वापस नही लौट सकता।
कविता दी :क्या तू कभी नही सुधर सकता है ।
मैं :दी अगर यह कहु की मैं सुधर जाऊंगा तो यह गलत होगा क्यूंकि मैं जानता हूं नही सुधर सकता मैं ।
कविता दी : आखिर क्यों
मैं : दी यह दुनिया बड़ी जालिम है यह सीधे साधे लोग को जीने नही देती है ।
कविता दी : ऐसा क्यों बोल रहा है तू
मैं :अगर आप वचन दे की जो बात मैं आपको बताउ वह किसी को नही बोलेंगी तो मैं कुछ बताऊ
कविता दी : मैं तेरी कसम खाती हु की मैं मर जाऊंगी लेकिन किसी को बताउंगी नही
दी के इतना बोलने के बाद मैंने अपने पर्स से एक फोटो निकाल कर उन्हें दिया और बोला कि
मैं :आप जानती है यह लड़की कौन है।
कविता :हा यह तो काव्या है जो पिछले साल आत्महत्या कर ली थी क्यूंकि उसके कई लोगो से नाजायज सम्बन्ध थे और वह शादी से पहले माँ बनने वाली थी।
मैं चिल्लाते हुए :नही दी यह सब झूठ है ऐसा कुछ भी नही था वह साला ठाकुर का लड़का और गांव के कुछ लड़कों ने उसे बदनाम किये थे।
दीदी मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी कि मुझे क्या हुआ है जो इतनी तेज आवाज में उनसे बात किया क्यूंकि आज से पहले मैंने कभी भी उनके सामने इतनी तेज आवाज में नही बोला था।
कविता दी : ऐसी कौन सी बात है जो तुझे इतना परेशान की है आज अपना सारा दुख बोल दे बेटू।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर रोने लगा और बोला कि
मैं :दी मैं उससे दिलो जान से प्यार करता था और वह मुझसे करती थी लेकिन ठाकुर के लड़का भी उसे पसन्द करने लगा पर उसने मना कर दिया तो उन कमीनो ने मुझे जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ रेप किया और गांव के कई लड़के भी कई महीनों तक उसके साथ वह सब करते रहे और वह पागल मेरी जान बचाने के लिए उसने अपनी इज्जत की भी परवाह नही की और अंत मे अपनी जान दे दी और उसने मेरी इज्जत बचाने के लिए मुझसे बेवफाई की नाटक किया पर मरने से पहले उसने एक चिट्ठी में सब दुख लिख कर मुझे भिजवा दिया और उसके बाद फिर जब तक मैं उसे बचाने के लिए जाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
इतना बोलकर मैं काफी देर तक रोता रहा दी ने भी मुझे शांत नही कराया रोने दिया आखिर बहुत दिनों बाद जो मेरा दुख बाहर आया था काफी देर तक रोने के बाद जब मैं शांत हुआ तब फिर बोलना सुरु किया
मैं : जब उसने मुझे धोखा देने का नाटक किया तो उसके बाद मेरा प्यार के ऊपर से भरोशा हट गया था तो मैं सभी लड़कियों को भोग की वस्तु समझने लगा और मैं बहुत आगे निकल आया पर जब सच्चाई मालूम चली तो मैं उन सबको जान से मारने के बजाय उन सबको रंडी बनाने लगा।मुझे तो सिर्फ ठाकुर का नाम पता है और किसी भी गांव के लड़के का नाम का जिक्र उसने नही किया था तो मैं पूरे गांव को ही अपना दुश्मन मान लिया और वह सब करने लगा बस इसमे एक गलती हुई कि मैं आपसे दूर हो गया। अब आप ही बताये दी कि मैं क्या गलत कर रहा हु ।
कविता दी : नही गलत तो नही है पर इसमे तेरी कितनी बदनामी हो रही है जानता है।
मैं :मैं सब जानता हूं दी लेकिन अब मैं पीछे नही हट सकता।
कविता :ठीक है अगर तू पीछे नही हटेगा तो मैं भी तेरे साथ रहूँगी हरदम अब तुझे नही छोड़ सकती।
मैं :दी मैं वह कालिख बन चुका हूं कि अगर आप मेरे साथ रहोगी तो आपका दामन भी काला हो जाएगा।

कविता दी :अब चाहे जो हो मैं तुम्हारे साथ हु।
मैं :क्या आप वह सब सह पाओगी या देख पाओगी।इससे अच्छा तो यही होगा कि आप मुझसे दूर ही रहे।
Awesome update
 

Desi Man

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बहुत बढ़िया अपडेट है दोस्त
 
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