• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest नई जिन्दगी nai zindagi (INCEST)

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-1

सुनिल २८ साल का नौजवान था , सुनिल का बापू की सुनिल कक्षा ७वी मे था तभी मौत हो गई सुनिल के बापू एक फौजी थे

अब सुनिल की मां ही

उसका सबकुछ थी । सुनिल की मां सरला सुंदर गदराई औरत थी पर उसके नसिब मे पति सुख था ही नही । सरला बडी शरमीली

औरत थी वो सुनिल

से भी सहमी-सहमी रहती थी । सुनिल एक कंपनी में काम करता था। सुनिल का कॉलेज से सरीता से अफेयर चल रहा था और

उसका परीमान

जायज था शादी सुनिल ने सरीता से जॉब लगते ही शादी करली दोनो एक दुसरे से बेतहा प्यार करते थे पर ईनके आगे की

जिन्दगी के बारे मे जो

हुआ वो कीसी ने सोचा न था । सरीता और सुनिल की जिन्दगी बडी शादी के बडी अच्छी गुजर रही थी । सरीता सुंदर लडकी थी

और सुंदर औरत

पर पराये मर्द हमेशा नजरे टीकाये रहते है। सुनिल सरीता को काम की वजह से वक्त नही दे पाता था । शादी के १ साल बाद

सरीता पेट से हुई उसने

एक लडके को जन्म दीया उसका नाम रवी रखा गया रवी लगभग एक साल का होने तक सब ठीक चलता रहा । सरीता को रोज

फोन आते थे और

घंटो बाते चलती सरला के पुछ ने पर वो कॉलेज के दोस्त का कहके टाल देती। सुनिल को भी शक होने लगा और जीस दीन

सुनिल को सरीता के

मजनू के बारे मे पता चला तो घर मे झगडे होने लगे ।

अचानक एक दीन शाम को जब सुनिल देर रात घर आया

सरला- आ गया बेटा

सुनिल- हां मां, सरीता कहा है दीखाई नही देती

सरला- दोपहर कहके गई मायके जा रही है।

सुनिल- क्या कह रही हो मां मुझे बताये बगैर वो भी रवी को यही छोड कर।

सरला- आ जाएगी बेटा तू चिंता मत कर

सुनिल ने भी चिंता छोडी और कुछ देर आराम कर लिया उसने सरीता को फोन लगाना शुरू कीया पर वो स्वीचऑफ आने लगा

तभी सुनिल को अलमारी के पास एक चिठ्ठी मीली उसे पढ कर सुनिल कुछ देर खामोश रहा कुछ देर बाद वहा सरला आई

सरला- बेटा सरीता को फोन लगा

सरला अनपढ थी इसलिए सरला ने सुनिल को हाथ मे थामी चीठ्ठी के बारे मे पुछा

तो सुनिल गालीया देने लगा।

सुनिल- साली कुतिया, चिनाल मुझे पता था वो यही करेगी

सरला डर गई उसे पता नही चला सुनिल क्यू गालीयां दे रहा है ।

सरला- ककक क्या हुआ बेटा

सुनिल- मां वो चिनाल मुझे छोड कर चली गई

सरला- क्या मतलब

सुनिल- उस रंडी का लफडा चल रहा था एक के था उसी के साथ वो भाग गई

सुनिल की आंखे लाल और नम हो गई थी

सरला सुनिल के पास बैठ गई

सरला- हाय राम क्या जमाना आगया है ये आजकल की लडकीया ऐसा कर भी कैसे लेती है

रातभर दोनो सदमे मे हे रहे तकरीबन दो हफ्ते बीत गये सरीता के सुनिल को छोड जाने की खबर मोहल्ले मे हवा की तरह फैल

गई सब तरह की

बाते फैलने लगी कुछ लोग दुख जाहीर करने लगे तो कुछ सुनिल एक औरत को तक संभाल नही सकता तो कुछ सुनिल के

नामर्दी की खबरे जो

जीसके मुंह मे आये सुनिल के बारे मे बक देता । ईस सब से सुनिल बडा उब चुका था वो बडी निराशा मे आ चुका था । ईसी के

चलते वो दुसरे शहर

रहने लगा और वही काम करने लगा ।

नया शहर नये लोग सुनिल के लिए नये थे ही पर बेचारी सीधी साधी सरला के लिए तो नई दुनिया थी ।

सुनिल की सक्त हीदायत थी सरला को की वो कीसी से दोस्ती ना करे और कीसी को सुनिल की बीवी के बारे मे ना बताये ।

(Note- age edited due to underage complain)
बडा ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-2

सरला रवी का सगी मां की तरह खयाल रखती थी । यह देखकर सुनिल को बडा अच्छा लग रहा था पर दुसरी तरफ उसकी रात

की तनहाई शराब ने

लेली वो रातभर शराब के नशे मे डुबा रहता ये हालत सरला को असहनिय थी ।

सरला के लाख समजाने से भी सुनिल शराब ना छोडता

एक दीन सरला घर अकेली थी दोपहर का समय था रवी निंद से जागा जोर जोर से रोने लगा ये देख पडोस की औरत दरवाजे के

पास आई

कवीता- अरे काय झाल कीती रडतय पोर (अरे क्या हुआ कीतना रो रहा है बच्चा)

सरला चुप रही और रवी को लेकर थपथपाने लगी

कवीता- अय्या कीती गोड आहे हा (कीतना सुंदर है बच्चा) ,मै कवीता आपके बाजू ही रहती हूं आपका नाम क्या है ।

सरला- सरला, सरला है मेरा नाम

कवीता- क्या हुआ बच्चा बडा रो रहा है

सरला- हा वो उसे दुध चाहीये ना

कवीता- आपका बच्चा है ना ये

सरला बडी दुवीधा मे फस गई और सरला के मुह से निकल पडा

सरला- अ हां

कवीता- बडी देर से बच्चा हुआ क्या आपको

सरला- अ हां...

कवीता- अरे कोई बात नही भगवान की मर्जी से ही होता है ये सब

सरला- हुम

कविता- आप बडी चुप चुप हो क्या हुआ, समझ गई दूध नही आया अभी तक अरे एक औरत ही औरत की तकलिफ समझ

सकती है । लाईये मुझे

दीजीये मेरी बच्ची अब दूध नही पीती मै आपके बेटे को दूध पीला देती हूं ।

सरला- बडी मेहरबानी होगी

कविता- अरे मेहरबानी की क्या बात है, कुछ बच्चे तो तीन साल के होने तक दूध पीते है, वैसे भी दूध पीलाना ही चाहीये बच्चे

तंदूरूस्त रहते है ।

कविता ने अपनी चोली के हुक खोलके दूध पीलाने लगी

बेचारी सरला की ईस सब से उदासी बढ गई । कुछ देर बाद सरला कविता से कुछ-कुछ बातचीत करने लगी ।

कविता कुछ देर बाद वहां से चली गई ।

शाम हुई सुनिल थका हारा घर आया सरला कोने मे बैठी खिडकी की ओर कुछ घंटो पहले हुई घटना को याद कर रही थी । उसकी

आंख से आंसू

बहने लगे । सुनिल ने ये देख लिया और वो खटीये पर सरला के पास आके बैठ गया । उसने सरला का हाथ पकड लिया

सुनिल- क्या हुआ मां तेरे आंखो मे आंसू

सरला आंसू पोछती हुये

सरला- हमम क क्या आंसू कहा, कुछ भी तो नही, आ गया तू रूक में तेरे लिये कुछ खाने को लाती हूं ।

सरला रसोई जाती हैं । वक्त बीतता जाता है । रात हो जाती है ।

सरला रवी को गोद मे लिए सुलाती है । रवी सरला के चोली पे मुह लगाए चुसते सो जाता है ।

सुनिल ये सब देख रहा था । सुनिल सरला के पास आता है ।

सुनिल- माफ कर दे मां मुझे, मेरी वजह से तुझे तकलिफ हो रही है ।

सरला के आंसूओ का बांध तूटा
बडा ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-3

सरला- नही बेटा, मेरा फर्ज है ये तो, हमारा नसिब ही खराब है बेटा सरीता जैसी डायन से तुने शादी कर ली कमीनी ने तो छोटे

रवी की तक परवाह

नही की, कैसे कलेजे की औरत है वो, बेचारे रवी की बुरी हालत हो रही है । और आज तो......

सुनिल- आज, आज क्या मां....

सरला- कुछ नही बेटा...

सुनिल- मां सच सच बता क्या हुआ कीसी ने कुछ कहा तुझे

सरला- बेटा वो पडोस की एक औरत घर आई थी

सुनिल- क्या कह रही है, उसे कुछ पता तो नही चला ना

सरला- बेटा पता तो नही चला पर बडी गडबड हो गई है

सुनिल- वो क्या मां

सरला- बेटा व व वो औरत मुझे रवी की मां समझ ने लगी है

सरला अपने पल्लू को मुह पे रखे रोती है । सुनिल सब सुनकर हैरानी से अपने माथे पर हाथ रखता है और माथे पर हाथ पटकने

लगता है । और

सुनिल के आंखे नम हो जाती है ।

सुनिल- हे भगवान ये क्या हो गया, कैसी कीस्मत है मेरी, त त त तू चिंता मत कर मां अगर यहां हमारी यही पहचान हुई है तो

ठीक है । लोग जो

समझ ते है वो समझे, हमारा असल रीश्ता तो हम जानते है । थोडा दीन सह ले मां । कुछ पैसे जुटाने दे मुझे । कुछ साल बाद

हम यहां से दूर चले

जाएगें । मेरा वादा है तुझ से । फीर रवी भी बडा हो जाएगा तो कोई ऐसी परेशानी नही होगी ।

सरला- नही बेटा वो बात नही है । मै तो सह लूंगी बेटा । पर रवी की भी तो सोच, बेचारा कबतक बीना मां के रह पाएगा । तू

जल्द से जल्द कोई

लडकी देख के शादी कर ले ।

सुनिल- मां मेरा अब प्यार-वार से विश्वास उड चुका है । मुझे कोई शादी वादी नही करनी है ।

सरला- अरे बेटा सारी औरते सरीता की जैसी नही होती सुन मेरी बात....

सुनिल- नही मां मैने जो कहां वो मेरा आखरी जवाब है, और हां आज के बाद ईस घर मे सरीता की बात नही निकलेगी । मर

चुकी है वो हम सब के

लिए अब ।

सुनिल ने जेब से शराब की बोतल निकाली और मुह से लगाके गटकने लगा

सरला- शराब, ये क्या कर रहा है बेटा तू मै कहती हूं फेंक ईसे मत पी बेटा

सुनिल- पीने दे मां, यही है जो मुझे समझती है ,मेरा अतीत भुलाने मे मदत करती है । तुझे मेरी कसम आज रात पीने दे मुझे

नही तो निंद नही

आएगी रातभर मुझे

सरला तो बेचारी ना चाहते हुए भी चुप हो गई ,सरीता के बारे मे बोलने से सुनिल कीतना दुखी हो जाता है ये सरला ने देख लिया

। वो अपने बेटे की

ये हालत होते नही देख सकती थी पर कर भी कुछ नही पा रही थी।

दो दीन बाद एक शाम पडोसी कवीता घर आई

सुनिल खटीये पे बैठे चाय पी रहा था ।

कविता- अरे सरला दीदी क्या चल रहा है

सरला रसोई से बाहर आती है ।

कविता सुनिल को खटीये पे देख कर

कविता- नमस्ते भाईसाब

सरला- अ..हा ब..बोल कविता क्या हुआ

कविता- अरे दीदी वो आज आपने सब्जी बनाई है क्या, मुझे थोडी चाहीये

सरला- हां है ना पालक की बनाई है, अभी लाती हूं

सरला ने कटोरी मे पालक की सब्जी भर के ले आई

कविता- अरे रवी बेटा खेल रहा है ओ ले ले ले, भाईसाब रवी पुरा आप पे गया है हां ।

सुनिल ने हल्की सी मुस्कुराहट दीखाई

सरला- ये लो कविता
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-4

कविता- चलती हूं दीदी बडे काम पडे है घर पे

रात को रवी सरला की गोद मे लेटा था सरला की एक चुची रवी मुंह मे लीए चुस रहा था दुध तो नही था पर नन्हे बच्चे को

कौन समझाये सरला

रवी को साडी के पल्लू से ढक कर बैठी थी सामने सुनिल का

ध्यान फोन पे था पर औरत की नजर सब समझ लेती है। नायलोन की साडी के जालीदार पल्लू से सरला की मोटी- मोटी गोरी

चमकती अधनंगी

चुचीं पे ना जाने क्यू सुनिल की नजरे मिनट दो मिनट बाद घूर रही थी ईसका अंदाजा नजरे झुकाई बैठी सरला को हो चुका था।

उस रात सुनिल बडे आनंद से बुरी यादें भुलकर सरला के साथ हसी मजाक कीये सो गया ।

कुछ दीन बाद एक सुबह सरला नहा रही थी उस समय भी सुनिल की नजरे बाथरूम के हवा से थोडे हीलते हुए परदे के अंदर

झाकने की कोशीश कर

रही थी । और जब सरला बाथरूम से पेटीकोट और चोली मे बाहर आई तो, फीर एकबार वही कोशिश नाजाने ये कैसी चाहत थी

की सुनिल की आंखे

सरला के गोल-गोल चुत्तरो मे फसा पेटीकोट और मोटी-मोटी चुचींयो जो सरला बाल पोछते समय हील रही थी उसका रसपान

कर रही थी ।

ये सब नजरे सरला पहचान ती थी पर समझती थी । पर ना रोक सकती थी ना कुछ कर सकती थी । वो अच्छी तरह जानती

थी । उसके जवान बेटे

को औरत के जीस्म की जरूरत थी पर वो कर भी क्या सकती थी । दुसरी शादी की बात से सुनिल की सरता के बारे मे यादें

ताजा हो उठती और वो

दुखी हो जाता । सरला ने ठान ली वो सुनिल की अतित की बुरी यादे मिटायेगी । और शायद वो शुरूवात कहां से करनी है वो

समझ चुकी थी ।
बडा ही जानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-5

दोपहर कविता घर पे गप्पे लडाने आ गई बोलते बोलते वो कह गई

कविता- दीदी बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं

सरला- कौनसी बात

कविता- दीदी शायद आप भैया से उमर मे बडी हो है ना

सरला ने नजर झुकाई

कविता- अरे देखो आप नाराज हो गई आपकी लव मैरेज है ना

सरला ने मजबूरी मे हां मे सीर हीलाया

कविता- अरे दीदी प्यार मे उमर थोडी देखी जाती है, आप दोनो का जोडा ना बहोत सुंदर है । पर बहोत दीनों से देख रही हूं

भाईसाब उदास-उदास

रहते है । कीसी गहरी सोच मे डुबे हुए लगते है । माफ कीजीएगा पर मुझे लगता है । शायद आप उनको खुष नही रख पाती

आप समझ गई ना मै

कौनसी खुषी की बात कर रही हूं ।

सरला गालो ही गालों मे हस पडी

कविता की नजर सरला की पहनी हुई चोली पर थी, कवीता ने सरला की चोली के ओर देखे बोला

कविता- क्या दीदी आप भी ना ये कौन से जमाने के ब्लाउज पहनती हो पुरे ढके-ढके । भला भैया आप पे लट्टू कैसे होंगे आज

कल खुले और बडे गले

के ब्लाउज पहनने का फैशन है । कल हम मेरे वाले टेलर के पास चलेंगे ।

सरला को तो ये सब सुन कर बडा बुरा लग रहा था, ये क्या दीन उस पे आन पडे है वो अपने बदन की नुमाईश अपने ही बेटे को

करने वाली थी ।

पर कविता और बस्ती के लोगों को शक ना हो इसीलीए अच्छा यही था की ईस नाटक को आगे बढाया जाए सरला ने भी नाटक

करने की सोच ली

कविता- दीदी आप भी ना, भाईसाब का नाम लेते ही नई दुल्हन की तरह शरमाती हो, ये शहर है आपका गाव नही ये शरमाना

छोडीये कुछ तो बोलो

दीदी कबसे मैं ही बकबक कीये जा रही हूं ।

सरला- कविता म म मेरे पती और मै , हम दोनो तुम्हे बराबर तो लगते है ना

कविता- बराबर मतलब

सरला- वो मुझसे १० साल उमर मे कम है ना

कविता- क्या दीदी आप कहा बडी लगती हो भाईसाब से, दोनो सुंदर जोडा लगते हो बिल्कूल एक-दुसरे के लिए बने हो आप दोनो



सरला- स...स सच मे

कविता- क्या दीदी आप भी कीतना डरती हो जैसे कोई पाप कर रही हो । अरे दीदी दोनो खुलके प्यार करो बाकी दुनिया गई तेल

लेने, पर हां रात मे

प्यार जरा धीरे से करो हां नही तो छोटू की निंद तुट जाएगी ।

और फीर कविता जोर-जोर से हसने लगी

सरला बेचारी मां बेटे के रीश्ते की धज्जीया उडते सह रही थी पर आखिर वो मां थी बेटे के लिए कुछ भी सहने को तैयार थी ।

सरला- कविता तेरे भाईसाब को पुराने लोगों की बडी याद सताती है और वो दुखी हो जाते है तू बता ना क्या करू

कविता- ईतनी सी बात, दीदी एसे वक्त बीवी ही पती का सहारा होती है । एक काम करो आप रोज उनका खयाल रखा करो काम

पे जाने पर उनकी

हर कुछ घंटो बाद फोन करके हालचाल पुछा करा, बाकी उन्हे कैसे खुष रखना है ये तो आपको अच्छी तरह पता होगा । मेरे पती

भी उनके बापू

गुजरने के बाद बडे सदमे मे रहते थे मैने ही उन्हे जल्द उससे बाहर निकाला ।

सरला बडी गौर से कविता की सलाह सुन रही थी ।

सुनिल अब धीरे-धीरे अपने बुरे अतित से बाहर आ रहा था पर जब कभी सरीता के यादों से जुडी कोई चीज देख लेता तो फीर

दुखी हो जाता था ।

इसलिए सरला ने सरीता की यादों से जुडी हर चिज को घर से दुर कर दीया ।

कुछ दीन गुजर गये सरला ने एक दीन कविता की साडी और खुले गले की चोली पहन ली शाम को सुनिल थका हारा घर लौटा

सरला ने दरवाजा

खोला सरला को देख कर सुनिल की आंखे फटी की फटी रह गई ।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-6

सरला एकदम अप्सरा लग रही थी तंग चोली मे उसकी भरी हुई छाती फुल कर दोनो मादक चुचियां शिफोन की साडी मे उभार बनाये सरला की सालों से छुपी जवानी

सुनिल को दीखा रहे थे और उसके गदराये उठे हुये पेट पे गहरी नाभी कहर ढा रही थी जब सरला पलटी तो उसके गोल मटोल मटकते गदराये चुत्तर देख के तो सुनिल

पागल हो गया सुनिल सरला को हवस से भरी निगाहों से घुरे जा रहा था उसका मुह खुला का खुला ही रह गया लग रहा था मानो कुछ देर मे सुनिल लार टपकाने लगेगा

और सरला को गोद मे खिंच लेगा ।

सुनिल- म म मां आज कोई त्योहार है क्या

सरला- नही तो बेटा पर क्यू पुछ रहा है

सुनिल- आज तुने नई साडी पहनी है ना इसलिए मुझे लगा

सरला- वैसी बात नही है बेटा, वो कविता जीद करने लगी दीदी कबतक पुराने गांव के कपडे पहनोगी ये नये जमाने की साडी पहनो इस लिए पहन ली, बेटा मुझ पर ये

जचती नही है ना

सुनिल- ननन....नही मां क्या बोल रही हो तुम बडी सुंदर लग रही हो

सरला मंद-मंद मुस्कुराई

सरला- चल कुछ भी, बडा अच्छा मजाक कर लेता है । मै ठहरी में ठहरी गांव की सीधी साधी औरत ये शहर की चीजे मुझे क्या जचेंगी और मेरी उमर भी हो चली

सुनिल- तेरी कसम मां झुट नही बोल रहा हूं

सरला- अच्छा बाबा मान लिया बस, वैसे तेरे लिए ही पहनी थी मैने, एक बात पुछू क्या मै एक ऐसी साडी ले लूं

सुनिल- अरे क्यू नही एक क्यू दो ले ले

सरला ने सुनिल को चाय ला कर दी और निचे झुकते समय गलती से या पता नही कैसे उसका पल्लू गीर गया जीसे सरला ने तुरंत संभाल लिया । पर सुनिल के लिए

सरला की कुछ पल के लिये ही सही नजरों के सामने तंग चोली मे बेरहमी से कसी हुई लटकती मोटी चुचिया जो सुनिल के सामने आझाद होने के लिए मानो तडप रही थी

ऊन गोरी-गोरी टरबूज सी चुचिंयो के दर्शन ने उसके दीनभर की थकान मीटा दी पर उसे बडा अजीब लगने लगा । सुनिल बडा खुष था सरला के साथ बडे गप्पे लडा रहा

था । सरला तो सुनिल की एक मुस्कान देखने के लिए कुछ भी कर सकती थी । कविता ने बताया हुआ उपाय सरला को कामयाब होता दीख रहा था । दोनो मां बेटा

हकीकत से अंजान थे, जो वो दोनो कर रहे है वो क्या है उसका अंजाम क्या होगा ईसबात से बेखौफ थे दोनो । सुनिल तो अपनी ही मां के प्यार मे मदहोश हुए जा रहा था ।
और ईस को बढावा दे रही सरला को तो सुनिल को सरीता की बुरी यादों से बाहर निकालना था बस यही उसका मकसद था ।


सरला तो अब आंख मुंद के कविता ने बताई हुई बातों पे अमल करने लगी वो अब सुंदर साडी और बडे खुले गले की ब्लाउज पहनने लगी । कभी कभी तो फेर एन लवली

या लीपस्टीक और आंखो मे काजल भी भरने लगी । हर रोज वो एकदम नई नवेली दुल्हन की तरह वो सुनिल के लिए सजने सरवने लगी ।

रोज सरला को देखने सुनिल दौडा-दौडा काम से आता था । अब घर मे उदासी नही उमंग भर गई थी । सरला सुनिल को खुष देख कर बडा अच्छा महसूस करती । सुनिल

सरला के पास आने लगा दोनो लाड प्यार मे एक दुसरे को बाहों मे लेने लगे। पर इस प्यार का अंजाम कुछ और ही लिखा था उनके नसिब मे । ये नजदीकी सिर्फ मां बेटे

की नही रही बल्की औरत- मर्द की होने लगी हालांकी सरला तो सुनिल को एक लाडले बेटे के हीसाब से प्यार कर रही थी ।

उस दीन सुनिल काम पे कुछ सोच ही ना पाया उसे बस सरला का प्यार जीतना था । सुनिल जरा देर से घर पहूंचा । सरला बडी देर से दरवाजे पे टकटकी लगाए सुनिल की

राह देख रही थी एसी बेचैनी उसे पहली बार हो रही थी वो सुनिल से दूर रहना ज्यादा देर बरदाश्त नही कर पा रही थी । सुनिल ने दरवाजा खटखटाया सरला दौडी-दौडी गई

और दरवाजा खोला

सरला- बडी देर लगा दी बेटा आने मे

सुनिल कुछ ना बोला सरला रसोई की ओर पलटी सुनिल सरला के पिछे गया और उसने सरला की आंखे हाथों से बंद कर दी ।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update- 7

सुनिल- सुनिल बेटा क्या है आंखे खोल ना मेरी

सुनिल- रुक तो सही

सुनिल ने जेब से एक डीबीया निकाली और सरला की नरम हाथेली पे रख दी और हाथ हटाया

सरला- हमम डीबीया क्या है इसमे

सुनिल- अरे खोलके देख तो सही, खोल ना

सरला ने बडी उत्सुकता से डीबीया खोली

बीजली सी चमक सरला की आखों मे दौड गई और चेहरे पर खुशी की लहर आ गई ।

सरला- हाय पायल, कीतनी सुंदर है रे

सुनिल- तो, मेरी सुंदर मां के लिए सुंदर पायल अब छन-छन करते बजेगी तेरे पैरो मे दीनभर

सरला- इसकी क्या जरूरत थी बेटा

सुनिल- नही चाहीये ला मै वापस कर देता हूं , क्या मां तू भी बापू के जाने के बाद एक नया गहना नही पहनी है तू । मेरी भी तो कुछ जीम्मेदारी बनती है तुझे खुश रखने की ।

सुनिल के मुह से इतनी प्यारभरी बाते सुन कर सरला की आंखे नम हो गई

सरला- कीतना प्यार करता है तू मुझे

सुनिल- अरे मां तेरे और रवी के सिवाय और कौन है मेरा ईस दुनिया मे अब, इसके बदले मे तु भी मुझे प्यार कीया कर मेरे लिए यही काफी है ।

सरला का सुनिल के लिए प्यार बहने लगा था मर्यादा तोडने लगा था ।

सरला ने सुनिल को गले लगाया सुनिल ने भी सरला को भींच लिया उसके छाती पे सरला की नरम चुचिंया दब ने लगी इतने दीनों बाद औरत के बदन के अहसास से

सुनिल पागल होने लगा । उसके हाथ सरला के चुत्तरों को छुने लगे सुनिल के पंजे सरला को अपने चुत्तरों पे महसूस होने लगे सरला तुरंत हरकत मे आ गई । सरला

तुरंत पीछे हट गई और शरमाती रसोई भाग गई ।

रात को सुनिल हीम्मत कीये सरला के पास सो गया ।

सुनिल- मां निंद नही आ रही है

सरला- अच्छा मेरा प्यारे बेटे को निंद नही आ रही है

सुनिल- मां मुझे एक बार प्यार से गले लगा ना

सरला- इतनी सी बात आ गले मिलले

सुनिल ने फीर एक बार सरला को कस के अपने आपसे सटा लिया इसबार बडी मजबूती से उसने सरला को भींच लिया, सरला चुचिंया दब ने लगी वो उसके चुत्तर मसलने

लगा सरला कुछ विरोध नही कर पा रही थी ।

सरला- आहहहह बब...बस बेटा अब सो जा

सुनिल ने उसे छोड दीया

सुनिय- मां एक चुम्मा देना गाल पे बचपन जैसा

सरला ने हल्के अपने होंट सुनिल के गाल पर टीकाए और सुनिल सरला को बाहो मे भरे सो गया ।

दुसरे दीन कविता रोज की तरह गप्पे मारने आ गई उसकी नजर सरला के पायल पे गीरी

कविता- हाय हाय दीदी कीतनी सुंदर पायल है कब खरीदी

सरला बडी दुविधा मे पड गई अब क्या जवाब दे कविता को सरला ने नाटक जारी रखा

सरला- व वो.. कल वो लाए मेरे लिए

कविता- हाये दीदी क्या कह रही हो सच मे कीतना प्यार करते है वो आपको

प्यार सुनते ही सरला रात का कीस्सा याद कीये मुस्कुराई

कविता- आ आ आ बडी शरमा रही हो आप लगता है कल रात बडा प्यार कीया है आप दोनो ने सही है ना , लगता है जल्द छोटू को नई बहन या भाई मिलने वाला है

सरला की तो बोलती ही बंद हो गई चेहरे पर कोई भाव नही थे

कविता- अरे दीदी पता है वो पिछले गली वाले समिर ने उसकी मौसी से शादी करली
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-8

सरला- हाय क्या कह रही है

कविता- अरे दीदी उसके पती की मौत हो गई थी ना और दोनो का प्यार था

सरला- पर कविता ये तो गलत है ना

कविता- अरे दीदी सही और गलत का जमाना कहा रहा है ।

सरला- तेरी बात सही है

कविता- दीदी आप ना बडी चुप चुप रहती हो गांव की आदत गई नही आपकी लगता है , अरे ये शहर है यहां आपका कोई पहचान वाला तो है नही तो बिनदास रहो और

भाईसाब के साथ मौज मजे करो ।

शाम को सरला को भी कविता के बताई सलाह सही लगी वो दोनो तो सब छोड के शहर मे नई जिन्दगी ही तो शुरू करने आये थे , यहा शहर मे कोई नही था उनके पहचान

वाला वो, दोनो आझाद पंछी की जिन्दगी गुजार सकते थे ।

दो दीन गुजर गये शाम को दरवाजे पर दस्तक हुई । सरलाने छोटे रवी को गोद से उठाकर निचे रख दीया ।

सरला ने दरवाजा खोला और सुनिल अंदर आया सुनिल ने सरला के हथेली पर सोने के झुमके रख दीये

सरला- ये क्या है सुनिल उस दीन पायल और आज झुमके इतना खर्चा क्यू कर रहा है बेटा मै ठहरी विधवा मुझे ये सब की क्या जरूरत पहले इसे लौटा दे ।

तभी सुनिल के मुह से निकल पडा

सुनिल- पर यहां तो तू मेरी बी.....

सुनिल के मुह से यह बात सुनते ही सरला पथ्थर की तरह जम गई , उसे जिस बात का डर था वही बात सुनिल के मुह से निकल गई उसे पता चल गया सुनिल उसके बारे

मे क्या सोचता है वो गुस्से मे लाल होकर झुमके खटीये पर रखे रसोई गई ।

सुनिल उसके पीछे-पीछे गया और सरला के पीछे खडा हुआ



सरला की आंखे लाल थी । सरलाने पीछे मुडकर तक नही देखा बडे कडे शब्दों मे सरला गुस्से मे बोल पडी ।

सरला- सुनिल तुझे जैसा लग रहा है वैसा कुछ भी नही है हमारे बीच दुनिया नही जानती हो पर हमे सच्चाई पता है के हम एक दुसरे के रीश्ते मे क्या लगते है ।

सुनिल- मां मां मां अरे मै मेरी प्यारी मां के लिए लाया हूं मुझे पता है मुझसे गलती हो गई बस, तेरे प्यार मे मै भुल गया था मेरे साथ जो हुआ है तुझे ही मै अपना सबकुछ

मानने लगा था माफ कर दे आगे से एसा नही होगा ।

और सुनिल वहां से रोते हुऐ निकल पडता है और घर से निकल जाता है ।

सुनिल को रोते देख सरला तुट जाती है । उसका गुस्सा पलभर मे पिघल जाता है । अपने माथे पर हाथ लगाए सदमे मे बैठ गई जीस अतित को भुलाने सरला ने इतने दीन

मेहनत की उसकी एक गलती ने सब बीगाड दीया ।

सरला फूट-फूट के रोने लगी खुद को कोसने लगी। रोते हुए बडबडाने लगी ।

सरला- अरी करम जली क्या जरूरत थी उसे दुखाने की इतना अच्छा वो सब भुल चुका था तुने वापस उसके जख्मो पे नमक रगड दीया । क्या बीगडता उसके मन जैसा

करने मे तू कहा नई नवेली दुल्हन है । कीसको पता चलने वाला था यहा अंजाने शहर मे की हम दोनो क्या लगते है । नही नही अब मै उसे नही रोकूंगी माफ करदे बेटा मुझे।
बडा ही शानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-9

सरला नम आंखे पोछती झुमके पहनने लगी, २ घंटे हो गये सरला की नजरे खोली के दरवाजे पे टीकी थी पर सुनिल घर नही लौटा था देर रात दरवाजा खुला, नशे मे धुत

सुनिल लडखडाते अंदर आया और खटीये पे पैर पसारे लेट गया ।

सरला की जान मे जान आई , सरला तुरंत उठकर दरवाजा बंद करती है । और खटीये पे लेटे सुनिल की बगल मे सरला बैठ ती है । सुनिल से शराब की तेज गंध आने पर

सरला फीर रोने लगती है।

सरला- बेटा ये क्या हालत कर दी है तुने, तु फीर शराब पीने लगा, माफ कर दे बेटा मुझे मैने जो कुछ तुझे कहा उसके लिये ।

सुनिल को सरला की हालत की कहा खबर थी, नशे मे चुर सुधबुध खोये सुनिल लेटा रहता है । सरला आंसू पोछते हुये उसका चेहरा अपनी ओर घुमाती है ।

सरला- देख बेटा मैने तेरे लाये हुये झुमके पहने है देखेगा नही

सुनिल अपनी आंखे हल्के हल्के खोलता है

सुनिल- हुममम हुमम अअअअअच्छे दीख रहे है

सरला- बेटा तुने शराब को हाथ क्यू लगाया, तत तूने मेरी कसम खाई थी ना तू शराब नही पीयेगा

सुनिल शराब की बोतल जेब से निकालता है ।

सरला वो बोतल छीन लेती है ।

सरला- ये क्या कर रहा है तू बेटा फीर पी रहा है

सुनिल- पपपीपीपीने देना ममममां, पीने दे बसससस यही तो है जजजजो हर पल बस मेरी ररररहती है, मेरी जरूरररररत समझती है, मेरी पपपप्यास मिटाती है ।

सरला- बेटा मुझे बता ना तुझे क्या चाहीये, तेरी कसम आज से मै तुझे कुछ भी मना नही करूंगी

सुनिल- छोडडडडड ना मममममां दो घुट लगाने दे बडडडडी निंद आ रही है ।

सरला- मर जाउंगी पर तुझे आज के बाद ईस तेजाब को हाथ नही लगाने दुंगी

सुनिल- मममममां जीद मत कर दे बोतल मुझे

सरला- तु कीतनी भी जीद कर पर मै नही दुंगी , तु दुसरा कुछ भी मांग पर आज के बाद तुने शराब की बोतल को हाथ भी लगाया तो मै अपनी जान दे दूंगी ।

सरला शराब की बोतल फेंक देती है ।

सुनिल- फफोडडडड दी ततुने बोततततलल ससससाली अबबबब मुझे निंद ककैसे आयययेगी

सरला अपनी जांघ पे सुनिल का सीर रखती है । सरला की नरम-मुलायम जांघ पे सीर रखते ही सुनिल का गुस्सा फीका पड जाता है ।

सरला- मै हूं ना तेरे पास तुझे अच्छी निंद आयेगी मेरे बेटे

सुनिल- बडडडडी निंद आ रही है मां,बोतल तुने फोड डाली ठीक है तो फीर उसससस दीन जैसा एक चु चु चु चुमम्मा दे बडी ममममस्त निंद आती है।

सरलाने बीना सोचे समझे सुनिल के गरम होटों पे अपने थरथराते होंट भीडाये और चुमने लगी

सरला- उउउउउउमममममम उममम

सुनिल- उउउउउउमममममम ममममम चचचच हहहहह

और फीर कुछ मिनट बाद रवी के जोर-जोर से रोने की वजह से सरला सुनिल के उपर से हट जाती है ।

सुनिल- हुमममम हहह आजजजजजज ततततततो औररररर अच्छी निंद आयेगी

सुनिल आंखे बंद कीये सो जाता है ।

सुबह सुनिल काम पे चला जाता है । वो कल रात की हरकत से सरला से नजर नही मीला पाता है।

पर सरला ने उनका नया रीश्ता अपना लिया था ।

दोपहर को कविता घर आती है

कविता- क्या दीदी सब काम हो गये

सरला- अरे कविता आ बैठ

कविता- अरे दीदी कल रात भाईसाब को क्या हुआ था , क्या कल कुछ झगडा हुआ था
बहुत ही मस्त लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,271
16,455
188
Update-10

सरला- अरे क क कविता कल ना मुझसे गलती से मुह से गलत निकल गया और वो चिड गये और वो पी के आए मैने बडी मुश्कील से उनकी पीने की आदत छुडाई थी

और वो कल फीर से पीने लगे अब तुही बता मै क्या करु ।

सरला आंसु बहाने लगी

कविता- रो मत दीदी मै समझती हूं आपका दुख, दीदी आप ना भाईसाब को अपने काबू मे नही रख पाती हो ।

सरला- मतलब कविता

कविता- अरे दीदी उन्हे आप अपने प्यार मे कैद रखा करो हरबार आप उन्हे गरम कीया करो, ईन मर्दो को यही तो चाहीये होता है हमसे, औरत का यही तो काम होता है,

आपकी सुंदरता का दीवाना बनाये रखो और क्या करना है आपको पता ही होगा

सरला कविता का ईशारा हरबार की तरह समज चुकी थी ।

दो दीन बाद शाम को सुनिल काम से लौटा घर आता है। नजरे झुकाये सुनिल कहता है ।

सुनिल- मां उस रात के लिए मुझे माफ करदे, मैने तुझे दीया हुआ वादा तोडा है, तू जो सजा मुझे देना चाहे दे ।

सरला- वादा तो तोडा है तुने पर अगली बार तुने शराब की बोतल को छुआ भी तो मै अपनी जान दे दूंगी , तुझे जो चाहीये मुझसे मांग ले पर शराब को हाथ तक नही

लगाना वाद करता है ।

सुनिल- वादा करता हूं मां फीर एसा कभी नही होगा , पर तू सचमे मुझे कुछ भी देगी देख तुने भी वादा कीया है हां।

सरला शरमाई सुनिल ने सरला को बाहों मे भर लिया

सुनिल- मां झुमके बडे जच रहे है तेरे पे ईन छुमको मे तू हीरोईन लगती है । मां मैने तुझे ईतने मस्त पायल और झुमके दीये अब तुझे भी मुझे कुछ देना पडेगा, कल रात

वाला चुम्मा एकदम बेस्ट था और एक मिल सकता है क्या।

सरला लाज से पानी-पानी हो गई ।

सरला- चल हट बेसरम अपनी मां से गंदी-गंदी हरकते करवाता है शरम नही आती तुझे

सुनिल- अरे अपने बेटे से प्यार करने मे काहे की शरम अब तेरे सिवाय है कौन औरत मेरे जिंदगी मे जीससे मै ये सब मांग सकता हूं देख देना है तो दे नही तो रहने दे ।

सरला आंखे बंद कर लेती है और होट सुनिल के पास कर देती है ।

सुनिल- उममममम हहहह च उहहहहहह

सरला- उममममम हहहहह आहहहह उममममम

सुनिल सरला के होट चुसने लगता है । चुसते चुसते सरला की जीभ भी मुंह मे कीसी आईसक्रीम की तरह चाटने लगता है सरला हांफने लगती है ।

सुनिल सरला को कसके उसके गठीले बदन को दबाने लगता है । तभी सरला सुनिल को धक्का दीये अलग होती है ।

सरला- बस ना, और कीतना चुसेगा तेरे तोहफे तो बडे महंगे पड रहे है मुझे कीतना वसूल करेगा मुझसे

सरला शरमाती रसोई दौड पडती है ।

सुनिल मन ही मन मे......अभी तो शुरूवात हुई है मां अभी तो बहोत कुछ लूंगा तब तक तुझे आदत पड जाएगी ।

उस रात दोनों दीलो मे प्यार की चिंगारी जल चुकी थी । पुराने नाते सब कुछ भुल चुके थे दोनो । अब बस वक्त अपना असर दीखाने वाला था ।

रात हो जाती है रवी बडा रो रहा था सरला उसे सुलाने मे लगी थी । कुछ देर बाद रवी सो जाता है । पर अचानक रात १.३० बजे सुनिल की निंद तुटती है ।

आहहहह उईईईईईई

उसे कीसी औरत के सिस्कारीया भरने की आवाजे आने लगती है वो सरला की ओर देखता है । सरला निंद मे थी पर आंवाजे बाहर से आ रही थी । सुनिल उठ के सरला के

बगल मे सो जाता है ।
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
Top