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Romance निर्मोही

Boobsingh

Prime
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Aapki unexpected rishta story main 65% padh chuka hoon Boobsingh Bhai. Bahot hi unique aur ekdum bihari feel wala story hai, humko bahut maja aaya padhne me❤️❤️Baaki ka 35% bhi padhke complete kar lenge jab bhi ftee time milega😊😊 Aisne likhat raha bhai😍😍

बहुत बहुत धन्यवाद भाई....जल्दी से पढ़ के एक बढ़िया सा रिव्यू दीजिएगा🙏🏻❣️
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Moderator
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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Boobsingh

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उस शाम घर से दुकान जाते वक्त प्रमोद ने सोचा की आखिर क्यू चन्दा उसके पास आने से हिचकती है और इस बात को गुस्से से ना सोच कर ठीक इसके उलट उसने शांत मन से सोच और एक फैसला लिया की वो चन्दा के मन मे अपनी जगह बना कर ही रहेगा भले ही उन दोनों की उम्र मे बहुत बड़ा फासला था पर जब किसी रिश्ते को पूरे मन से निभाओ तो प्यार के फूल खुद ब खुद खिल जाते है........
समय अपनी रफ्तार से चलता रहा और चंदा ने भी अपने बेचैन मन को संतावना देते हुए प्रमोद के घर गृहस्थी में रमने लगी थी.....हालांकि एक आम पति पत्नी के तरह दोनो में नजदीकिया नही आई थी........पर प्रमोद इन नजदीकियों को अपने और चन्दा के बीच पनपाने के लिए रोज दोपहर मे घर आता और जिद कर के चन्दा के साथ ही खाना खाता और इसी बहाने वो चन्दा को अपने करीब लाने की कोशिश करता पर उसने अभी भी चंदा को अपने हाथों से खाना खिलाने और उसका हाथ पकड़ने से आगे नहीं बढ़ा था क्युकी ताली एक हाथ से तो बजती नही है और चन्दा प्रमोद से वैसे ही छिटकी छिटकी रहती थी........जब कभी प्रमोद को मौका हाथ लगता वो चन्दा को छेड़ने के बजाय उससे बातें करता और बातों बातों मे ही उसको छेड़ देता था जिसका मतलब चन्दा बखूबी समझती थी पर उसे अब इन सब बातों की आदत हो चुकी थी........
उनकी शादी हुए ग्यारह महीने हो चुके थे और घर में सब की जिंदगी अपने अपने तरीके से चल रही थी सिवाय चंदा के क्युकी उसकी जिंदगी एक दायरे में सिमट कर रह गई थी पर उसको इसका कोई दुख नही था क्युकी इन सब में एक अच्छी बात थी जो उसको सुकून देती थी वो थी उसके बाबा की मुस्कान उसके बाबा का चिंता मुक्त चेहरा......
दयानंद ने जब चंदा की शादी प्रमोद से करवाई थी तो उसके जेहन में एक डर था कि कही उसका ये फैसला उसकी बेटी का जीवन ना बर्बाद कर दे पर आज वो चंदा को अपने घर गृहस्थी में व्यस्त देख के सारी चिंताओं से मुक्त हो कर अपने जीवन के बचे समय को अच्छे से जी रहा था पर उसे नही मालूम था कि हो न हो उसके इस कदम ने चंदा के जीवन को एकदम सलीके से बर्बाद किया था.....
पर कहते है ना की बुरे के बाद अच्छा होता है......काली अंधेरी रात के बाद एक सवेरा होता है जिसके उजाले से काली रात का साया ऐसे भागता है जैसे उसका अस्तित्व ही नहीं था.....और जब चंदा ने अपने आराध्य भोले बाबा से मुंह फेरा था तो भगवान ने भी उसके लिए कुछ अच्छा सोच रखा था........
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इधर प्रमोद के अथक प्रयासों के बाद भी चंदा से जिस चीज की जिस प्यार की जिस सम्बन्ध की अपेक्षा रख रहा था वो नहीं मिलने की स्तिथि में एक बार फिर से नशे की तरफ बढ़ रहा था वो अब रोज रात को थोड़ी थोड़ी के नाम पर शराब पिने लगा था हालाँकि पहले के मुकाबले वो पिने के बाद किसी से झगडा लड़ाई नहीं करता था घर आने के बाद चंदा उसके सामने जो भी परोसती वो खा कर सोने चला जाता........नौरंगी भी सारी स्तिथि जान रहा था इसलिए उसने प्रमोद के इस व्यवहार पे कोई आपति नहीं जातई वही दयानंद को भी उसने इस मामले को ले कर कुछ ना बोलने को कहा......
इधर प्रेम अपने दूकान को पुरे तरह से अपने नियंत्रण में ले कर चला रहा था जबकि प्रमोद को केवल अपने खर्चे भर के पैसो से मतलब होता था और कुछ नहीं और प्रेम ने भी अब उसको टोकना बोलना छोड़ दिया था क्युकी उसका बाप कुत्ते की वो दूम था जो कभी सीधा नहीं हो सकती........उसे शुरू से बस अपनी खुशी और अय्याशी से मतलब था और आज भी वही है पर नौरंगी के दिए हुए धमकी के कारण वो पहले की तरह तमाशा नहीं करता था........
..
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एक दिन नौरंगी और दयानंद सुबह अपने काम पर निकलने को थे तभी दयानंद ने चन्दा से कहा की वो उन दोनों का एक कुरता और पायजामा थैली में डाल कर दे दे क्युकी शाम में उन्हें और नौरंगी को एक परिचित के बेटे के विवाह के कार्यक्रम में जाना है और लौटने में देर होगी......ये बात सुनते ही प्रमोद के मन में महीनो से सोये हुए अरमान जाग गए इसलिए तुरंत उसने अपना दाव खेला और बोला की जब लौटने में देर होगी तो प्रेम को भी आप उस जगह का पता दे दीजिये दुकान बंद करने के बाद ये भी आपलोगों के साथ हो आएगा......प्रेम बोला कोई जरूरत नहीं है तो नौरंगी बोला की अरे कोई बात नही तू पीछे से आ जाना सिर्फ खाना ही तो खा कर लौटना है और बाकी लोगों से मिलने मिलाने के लिए हम लोग पहले से वहा रहेंगे ही तो प्रेम बोल चलिए ठीक है पर मेरा कुछ पक्का नहीं है और ऐसा कह कर वो प्रमोद के साथ निकल गया जबकि दोनों बूढ़े भी अपने काम के लिए निकल गए और इधर चन्दा का मन अभी से ही व्याकुल हो चला था रात का समय और नशे मे चूर प्रमोद उसके साथ कुछ न कुछ हरकत जरूर करेगा........लेकिन बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी.......
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दुकान जाने के दौरान प्रमोद ने सोचा आज मौका अच्छा है और इतने दिनों तक मैंने अपनी रानी के साथ कोई भी ओछी हरकत नहीं की है तो हो सकता है आज मेरी रानी मुझपे अपने प्यार की बारिश कर ही दे और आज घर लौटते समय पउआ को हाथ भी नहीं लगाऊँगा.......
आज दोपहर मे प्रमोद दुकान से घर ना जा कर सैलून चला गया जहा उसने अच्छे से अपनी दाढ़ी और बाल बनाए क्युकी उसके मुताबिक आज उसकी दूसरी सुहागरात हो सकती थी........
प्रमोद जब वापिस दुकान पर आया तो प्रेम उसके बदले और संवरे हुए मिजाज और ढंग को देख कर बोल शादी मे आपका जाने का मन है क्या????
तो प्रमोद बोला नहीं नहीं वो तो दाढ़ी बनाने गया था तो लगे हाथ बाल भी बना लिया क्यू अच्छा नहीं लग रहा क्या........तो प्रेम हस कर बोल अरे नहीं हम ऐसा थोड़े ही बोले........उम्ममम हम भी सोच रहे है की रात के प्रोग्राम मे दादा जी के साथ हो आता हु पर आज आप पी के घर मत चले आना रोज की तरह........तो प्रमोद चिढ़ कर बोला अरे तू घूम फिर कर मेरे खाने पीने की बातों को ले कर ही क्यू बैठ जाता है........तो प्रेम बस मुह बनाते हुए अपने काम मे लग गया........वही प्रमोद ने भी बात आगे बढ़ाना सही नहीं समझा और वो भी चुप कर के एक तरफ बैठ गया........
दूसरी तरफ चन्दा ने जब ये देखा की प्रमोद रोज की तरह दोपहर मे नहीं आया तो एक अजीब सा खलीपान उसको महसूस होने लगा क्युकी हर दोपहर मे प्रमोद का आना एक आदत बन चुका था जिसका एहसास चंदा को आज हो रहा था......चंदा खुद से ही मन ही मन सवाल करने लगी की प्रमोद के आने ना आने से उसको फर्क क्यों पड़ रहा है....खैर प्रमोद के जगह दोपहर बाद आज प्रेम घर आया और खाना खाने के बाद शादी में जाने के लिए तैयार हो कर निकल गया......देर शाम प्रेम प्रमोद को दुकान समय से बंद कर घर जाने को बोल कर शादी में जाने को निकल गया....
 

Abhi32

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उस शाम घर से दुकान जाते वक्त प्रमोद ने सोचा की आखिर क्यू चन्दा उसके पास आने से हिचकती है और इस बात को गुस्से से ना सोच कर ठीक इसके उलट उसने शांत मन से सोच और एक फैसला लिया की वो चन्दा के मन मे अपनी जगह बना कर ही रहेगा भले ही उन दोनों की उम्र मे बहुत बड़ा फासला था पर जब किसी रिश्ते को पूरे मन से निभाओ तो प्यार के फूल खुद ब खुद खिल जाते है........
समय अपनी रफ्तार से चलता रहा और चंदा ने भी अपने बेचैन मन को संतावना देते हुए प्रमोद के घर गृहस्थी में रमने लगी थी.....हालांकि एक आम पति पत्नी के तरह दोनो में नजदीकिया नही आई थी........पर प्रमोद इन नजदीकियों को अपने और चन्दा के बीच पनपाने के लिए रोज दोपहर मे घर आता और जिद कर के चन्दा के साथ ही खाना खाता और इसी बहाने वो चन्दा को अपने करीब लाने की कोशिश करता पर उसने अभी भी चंदा को अपने हाथों से खाना खिलाने और उसका हाथ पकड़ने से आगे नहीं बढ़ा था क्युकी ताली एक हाथ से तो बजती नही है और चन्दा प्रमोद से वैसे ही छिटकी छिटकी रहती थी........जब कभी प्रमोद को मौका हाथ लगता वो चन्दा को छेड़ने के बजाय उससे बातें करता और बातों बातों मे ही उसको छेड़ देता था जिसका मतलब चन्दा बखूबी समझती थी पर उसे अब इन सब बातों की आदत हो चुकी थी........
उनकी शादी हुए ग्यारह महीने हो चुके थे और घर में सब की जिंदगी अपने अपने तरीके से चल रही थी सिवाय चंदा के क्युकी उसकी जिंदगी एक दायरे में सिमट कर रह गई थी पर उसको इसका कोई दुख नही था क्युकी इन सब में एक अच्छी बात थी जो उसको सुकून देती थी वो थी उसके बाबा की मुस्कान उसके बाबा का चिंता मुक्त चेहरा......
दयानंद ने जब चंदा की शादी प्रमोद से करवाई थी तो उसके जेहन में एक डर था कि कही उसका ये फैसला उसकी बेटी का जीवन ना बर्बाद कर दे पर आज वो चंदा को अपने घर गृहस्थी में व्यस्त देख के सारी चिंताओं से मुक्त हो कर अपने जीवन के बचे समय को अच्छे से जी रहा था पर उसे नही मालूम था कि हो न हो उसके इस कदम ने चंदा के जीवन को एकदम सलीके से बर्बाद किया था.....
पर कहते है ना की बुरे के बाद अच्छा होता है......काली अंधेरी रात के बाद एक सवेरा होता है जिसके उजाले से काली रात का साया ऐसे भागता है जैसे उसका अस्तित्व ही नहीं था.....और जब चंदा ने अपने आराध्य भोले बाबा से मुंह फेरा था तो भगवान ने भी उसके लिए कुछ अच्छा सोच रखा था........
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इधर प्रमोद के अथक प्रयासों के बाद भी चंदा से जिस चीज की जिस प्यार की जिस सम्बन्ध की अपेक्षा रख रहा था वो नहीं मिलने की स्तिथि में एक बार फिर से नशे की तरफ बढ़ रहा था वो अब रोज रात को थोड़ी थोड़ी के नाम पर शराब पिने लगा था हालाँकि पहले के मुकाबले वो पिने के बाद किसी से झगडा लड़ाई नहीं करता था घर आने के बाद चंदा उसके सामने जो भी परोसती वो खा कर सोने चला जाता........नौरंगी भी सारी स्तिथि जान रहा था इसलिए उसने प्रमोद के इस व्यवहार पे कोई आपति नहीं जातई वही दयानंद को भी उसने इस मामले को ले कर कुछ ना बोलने को कहा......
इधर प्रेम अपने दूकान को पुरे तरह से अपने नियंत्रण में ले कर चला रहा था जबकि प्रमोद को केवल अपने खर्चे भर के पैसो से मतलब होता था और कुछ नहीं और प्रेम ने भी अब उसको टोकना बोलना छोड़ दिया था क्युकी उसका बाप कुत्ते की वो दूम था जो कभी सीधा नहीं हो सकती........उसे शुरू से बस अपनी खुशी और अय्याशी से मतलब था और आज भी वही है पर नौरंगी के दिए हुए धमकी के कारण वो पहले की तरह तमाशा नहीं करता था........
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एक दिन नौरंगी और दयानंद सुबह अपने काम पर निकलने को थे तभी दयानंद ने चन्दा से कहा की वो उन दोनों का एक कुरता और पायजामा थैली में डाल कर दे दे क्युकी शाम में उन्हें और नौरंगी को एक परिचित के बेटे के विवाह के कार्यक्रम में जाना है और लौटने में देर होगी......ये बात सुनते ही प्रमोद के मन में महीनो से सोये हुए अरमान जाग गए इसलिए तुरंत उसने अपना दाव खेला और बोला की जब लौटने में देर होगी तो प्रेम को भी आप उस जगह का पता दे दीजिये दुकान बंद करने के बाद ये भी आपलोगों के साथ हो आएगा......प्रेम बोला कोई जरूरत नहीं है तो नौरंगी बोला की अरे कोई बात नही तू पीछे से आ जाना सिर्फ खाना ही तो खा कर लौटना है और बाकी लोगों से मिलने मिलाने के लिए हम लोग पहले से वहा रहेंगे ही तो प्रेम बोल चलिए ठीक है पर मेरा कुछ पक्का नहीं है और ऐसा कह कर वो प्रमोद के साथ निकल गया जबकि दोनों बूढ़े भी अपने काम के लिए निकल गए और इधर चन्दा का मन अभी से ही व्याकुल हो चला था रात का समय और नशे मे चूर प्रमोद उसके साथ कुछ न कुछ हरकत जरूर करेगा........लेकिन बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी.......
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दुकान जाने के दौरान प्रमोद ने सोचा आज मौका अच्छा है और इतने दिनों तक मैंने अपनी रानी के साथ कोई भी ओछी हरकत नहीं की है तो हो सकता है आज मेरी रानी मुझपे अपने प्यार की बारिश कर ही दे और आज घर लौटते समय पउआ को हाथ भी नहीं लगाऊँगा.......
आज दोपहर मे प्रमोद दुकान से घर ना जा कर सैलून चला गया जहा उसने अच्छे से अपनी दाढ़ी और बाल बनाए क्युकी उसके मुताबिक आज उसकी दूसरी सुहागरात हो सकती थी........
प्रमोद जब वापिस दुकान पर आया तो प्रेम उसके बदले और संवरे हुए मिजाज और ढंग को देख कर बोल शादी मे आपका जाने का मन है क्या????
तो प्रमोद बोला नहीं नहीं वो तो दाढ़ी बनाने गया था तो लगे हाथ बाल भी बना लिया क्यू अच्छा नहीं लग रहा क्या........तो प्रेम हस कर बोल अरे नहीं हम ऐसा थोड़े ही बोले........उम्ममम हम भी सोच रहे है की रात के प्रोग्राम मे दादा जी के साथ हो आता हु पर आज आप पी के घर मत चले आना रोज की तरह........तो प्रमोद चिढ़ कर बोला अरे तू घूम फिर कर मेरे खाने पीने की बातों को ले कर ही क्यू बैठ जाता है........तो प्रेम बस मुह बनाते हुए अपने काम मे लग गया........वही प्रमोद ने भी बात आगे बढ़ाना सही नहीं समझा और वो भी चुप कर के एक तरफ बैठ गया........
दूसरी तरफ चन्दा ने जब ये देखा की प्रमोद रोज की तरह दोपहर मे नहीं आया तो एक अजीब सा खलीपान उसको महसूस होने लगा क्युकी हर दोपहर मे प्रमोद का आना एक आदत बन चुका था जिसका एहसास चंदा को आज हो रहा था......चंदा खुद से ही मन ही मन सवाल करने लगी की प्रमोद के आने ना आने से उसको फर्क क्यों पड़ रहा है....खैर प्रमोद के जगह दोपहर बाद आज प्रेम घर आया और खाना खाने के बाद शादी में जाने के लिए तैयार हो कर निकल गया......देर शाम प्रेम प्रमोद को दुकान समय से बंद कर घर जाने को बोल कर शादी में जाने को निकल गया....
Welcome back bro .Achha laga apko dhekakar .
Superb update bhai,maja agya .Bas ab aise mast aur pyara sa update dete rahiye .Thankyu
 

Boobsingh

Prime
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Welcome back bro .Achha laga apko dhekakar .
Superb update bhai,maja agya .Bas ab aise mast aur pyara sa update dete rahiye .Thankyu
Thanks bro
 

sunoanuj

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Bhaut jabardast updates der aaye par durust aaye ..
 
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