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Erotica नेताजी और गायिका

gaawti

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Chapter 5: बेक स्टोरी

शास्त्रीय संगीत की गायिका का व्यक्तित्व एक बॉलीवुड की गायिका से बिल्कुल अलग होता है, या दूसरे शब्दों में कहें तो अलग दिखना पड़ता है, श्रेया की शालीन वेषभूषा, विशुद्ध हिन्दी, मुस्कराता हुआ मासूम चेहरा, कहाँ खो गए नेताजी, वीरेंद्र ने कोहनी मारते हुए पूछा. नेताजी, शास्त्रीय संगीत की स्पर्धा के जज बने बैठे थे और सुरों से ज्यादा उनका ध्यान, श्रेया के कमसिन निम्बुओ पर थी, वीरेंद्र नेताजी का पुराना सिपाही था और वो जानता था नेताजी का कमसिन कलियों को मसलने का शौक़, हर साल दो साल में उनके माल रोड वाले बंगले में एक नया माल होता था जिसे, पहले नेताजी रगड़ते थे फिर उनके चेले चपाटे.

मैं करता हु कोशिश पर अभी सिर्फ उन्नीस की ही है, दाने भी नहीं निकले होंगे, कुछ दिन रुक जाते है, वीरेंद्र कान में फूस फुसाया, तुझे कब मेरा टैस्ट समझ आएगा रे वीरू, नेताजी अपने सामने रखी रिजल्ट पुस्तिका में श्रेया को बिना सुने ही विजेता घोषित कर देते है, वीरेंद्र समझ जाता है उसे क्या करना है.

अगले कुछ महीने श्रेया के लिए बिल्कुल सपने के समान होते है, उसकी माँ देविका जो सपना की मैनेजर भी थी श्रेया की बढ़ती लोकप्रियता देख कर सातवें आसमान में होती है. इंडियन आइडल जिताने के बाद, नेताजी ने प्रोड्यूसर्स की लाइन लगा दी थी श्रेया के लिए, सरकारी प्रोग्राम्स, संगीत नाटक अकैडमी, हर तरफ़ से उसे मशहूरी भरपूर मिल रही थी, काम की वजह से राजधानी में रुकना ज्यादा होता था, सो नेताजी की ऐशगाह उसे आवंटित हो गई थी, सरकारी लाल बत्ती मिली वो अलग.

नेताजी की एक खासियत थी वो जबरदस्ती बहुत ही कम परस्थितियों में करते थे, वो अपने शिकार का बहुत धीरे धीरे मज़ा लेते थे. देविका को संदेश मिल चुका था नेताजी के कार्यक्रम का, और उसे पता था जो प्रसिद्धि और पैसा श्रेया को मिल रहा है उसके सामने यह बलिदान कुछ भी नहीं है. श्रेया भी धीरे धीरे अंकल की नजदीकियां समझ रही थी, एक्डेंसीटल टचेज अब धीरे धीरे नॉर्मल होते जा रहे थे, नेताजी का व्यक्तित्व बड़ा विशालकाय सा था, श्रेया को शुरू में थोड़ा अजीब लगता था पर एक बात थी नेताजी बाहरी दुनिया में श्रेया से पूरी सादगी और सम्मान से पेश आते थे पर कार की पिछली सीट पर या शाम को बंगले पर जब नेताजी अपना रेगुलर वाला ड्रिंक लेने आते थे, उनकी बाते और हरक़ते धीरे धीरे श्रेया को नॉर्मल कर रही थी.

संगीत के लिए एक बडे सरकारी ट्रस्ट की स्थापना और एक बड़ी जमीन का आवंटन अब प्लानिंग में था और साथ ही साथ श्रेया के उद्घघाटन का भी. नेताजी की गाड़ी आ के रुकी, श्रेया ने खिड़की से देखा, साथ में अनिरुद्ध रॉय भी थे, बहुत बड़े पत्रकार है. श्रेया ने नमस्ते किया, दोनों ड्राइंग रूम में बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहे थे, श्रेया बेटा अंकल के लिए कुछ ड्रिंक बना लाओ, नेताजी ने आवाज लगाई. श्रेया ने दो ड्रिंक बनाए कुछ नमकीन लिया और ड्राइंग रूम में आ कर दोनों को थमाया, नेताजी ने उसे अपने पास बैठने को कहा. नेताजी कान में फूस फूसाए, ब्रा काहे पहनी फिर से कितनी बार कहा है, श्रेया थोड़ी शर्मा गई और बोली, जी आती हू उतार कर, श्रेया रूम में आती है, वैसे उसके बुब्स कुछ खास बड़े नहीं है, ब्रा नहीं पहने तो भी चलता है पर पिछले कई महीनों से जवानी कहीं भी अंगड़ाई ले लेती है और निप्पलस कड़क हो जाते है और दिखने शुरू हो जाते है सो ब्रा पहनना जरूरी हो गया था.

वापस रूम में आती है, दोनों जने कुछ डिस्कस कर रहे होते है, इसबार अनिरुद्ध रॉय उसे अपने पास बैठने को बोलता है, आप बहुत सुन्दर गाती है, और श्रेया के कानो के साथ खेलता है, अपने पेग से एक सिप ऑफर करता है, श्रेया अनमने मन से एक घूंट ले लेती है. नेताजी इस बार चैनल के एक प्रोग्राम में श्रेया का एक कार्यक्रम रखते है, कहते हुए अनिरुद्ध श्रेया की कमर में हाथ डाल कर अपने पास खींचता है, और एक हाथ से श्रेया के एक निम्बु को बराबर से निचोड़ देता है. नेताजी जोर से हंसते हुए बोलते है धीरे अनिरुद्ध बच्ची है अभी. श्रेया को इशारे से अपने पास बुलाते है और एक सिप अपने ग्लास से पिलाते है. थोड़ा खिल जाने दो फिर खेलना ही है, नेताजी हंसते हुए श्रेया की निप्पलस पर हाथ फिराते हुए उसके नाजुक गुलाबी होंठो पर एक लंबा किस लेते है, अनिरुद्ध राय के लंड में एक अजीब सी हलचल होती है, नेताजी चुंबन तोड़ते है और आखों ही आखों में श्रेया को रूम से जाने को कहते है.
 
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Avinashraj

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Chapter 5: बेक स्टोरी

शास्त्रीय संगीत की गायिका का व्यक्तित्व एक बॉलीवुड की गायिका से बिल्कुल अलग होता है, या दूसरे शब्दों में कहें तो अलग दिखना पड़ता है, श्रेया की शालीन वेषभूषा, विशुद्ध हिन्दी, मुस्कराता हुआ मासूम चेहरा, कहाँ खो गए नेताजी, वीरेंद्र ने कोहनी मारते हुए पूछा. नेताजी, शास्त्रीय संगीत की स्पर्धा के जज बने बैठे थे और सुरों से ज्यादा उनका ध्यान, श्रेया के कमसिन निम्बुओ पर थी, वीरेंद्र नेताजी का पुराना सिपाही था और वो जानता था नेताजी का कमसिन कलियों को मसलने का शौक़, हर साल दो साल में उनके माल रोड वाले बंगले में एक नया माल होता था जिसे, पहले नेताजी रगड़ते थे फिर उनके चेले चपाटे.

मैं करता हु कोशिश पर अभी सिर्फ उन्नीस की ही है, दाने भी नहीं निकले होंगे, कुछ दिन रुक जाते है, वीरेंद्र कान में फूस फुसाया, तुझे कब मेरा टैस्ट समझ आएगा रे वीरू, नेताजी अपने सामने रखी रिजल्ट पुस्तिका में श्रेया को बिना सुने ही विजेता घोषित कर देते है, वीरेंद्र समझ जाता है उसे क्या करना है.

अगले कुछ महीने श्रेया के लिए बिल्कुल सपने के समान होते है, उसकी माँ देविका जो सपना की मैनेजर भी थी श्रेया की बढ़ती लोकप्रियता देख कर सातवें आसमान में होती है. इंडियन आइडल जिताने के बाद, नेताजी ने प्रोड्यूसर्स की लाइन लगा दी थी श्रेया के लिए, सरकारी प्रोग्राम्स, संगीत नाटक अकैडमी, हर तरफ़ से उसे मशहूरी भरपूर मिल रही थी, काम की वजह से राजधानी में रुकना ज्यादा होता था, सो नेताजी की ऐशगाह उसे आवंटित हो गई थी, सरकारी लाल बत्ती मिली वो अलग.

नेताजी की एक खासियत थी वो जबरदस्ती बहुत ही कम परस्थितियों में करते थे, वो अपने शिकार का बहुत धीरे धीरे मज़ा लेते थे. देविका को संदेश मिल चुका था नेताजी के कार्यक्रम का, और उसे पता था जो प्रसिद्धि और पैसा श्रेया को मिल रहा है उसके सामने यह बलिदान कुछ भी नहीं है. श्रेया भी धीरे धीरे अंकल की नजदीकियां समझ रही थी, एक्डेंसीटल टचेज अब धीरे धीरे नॉर्मल होते जा रहे थे, नेताजी का व्यक्तित्व बड़ा विशालकाय सा था, श्रेया को शुरू में थोड़ा अजीब लगता था पर एक बात थी नेताजी बाहरी दुनिया में श्रेया से पूरी सादगी और सम्मान से पेश आते थे पर कार की पिछली सीट पर या शाम को बंगले पर जब नेताजी अपना रेगुलर वाला ड्रिंक लेने आते थे, उनकी बाते और हरक़ते धीरे धीरे श्रेया को नॉर्मल कर रही थी.

संगीत के लिए एक बडे सरकारी ट्रस्ट की स्थापना और एक बड़ी जमीन का आवंटन अब प्लानिंग में था और साथ ही साथ श्रेया के उद्घघाटन का भी.
Nyc update bhai
 

kamdev99008

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Chapter 5: बेक स्टोरी

शास्त्रीय संगीत की गायिका का व्यक्तित्व एक बॉलीवुड की गायिका से बिल्कुल अलग होता है, या दूसरे शब्दों में कहें तो अलग दिखना पड़ता है, श्रेया की शालीन वेषभूषा, विशुद्ध हिन्दी, मुस्कराता हुआ मासूम चेहरा, कहाँ खो गए नेताजी, वीरेंद्र ने कोहनी मारते हुए पूछा. नेताजी, शास्त्रीय संगीत की स्पर्धा के जज बने बैठे थे और सुरों से ज्यादा उनका ध्यान, श्रेया के कमसिन निम्बुओ पर थी, वीरेंद्र नेताजी का पुराना सिपाही था और वो जानता था नेताजी का कमसिन कलियों को मसलने का शौक़, हर साल दो साल में उनके माल रोड वाले बंगले में एक नया माल होता था जिसे, पहले नेताजी रगड़ते थे फिर उनके चेले चपाटे.

मैं करता हु कोशिश पर अभी सिर्फ उन्नीस की ही है, दाने भी नहीं निकले होंगे, कुछ दिन रुक जाते है, वीरेंद्र कान में फूस फुसाया, तुझे कब मेरा टैस्ट समझ आएगा रे वीरू, नेताजी अपने सामने रखी रिजल्ट पुस्तिका में श्रेया को बिना सुने ही विजेता घोषित कर देते है, वीरेंद्र समझ जाता है उसे क्या करना है.

अगले कुछ महीने श्रेया के लिए बिल्कुल सपने के समान होते है, उसकी माँ देविका जो सपना की मैनेजर भी थी श्रेया की बढ़ती लोकप्रियता देख कर सातवें आसमान में होती है. इंडियन आइडल जिताने के बाद, नेताजी ने प्रोड्यूसर्स की लाइन लगा दी थी श्रेया के लिए, सरकारी प्रोग्राम्स, संगीत नाटक अकैडमी, हर तरफ़ से उसे मशहूरी भरपूर मिल रही थी, काम की वजह से राजधानी में रुकना ज्यादा होता था, सो नेताजी की ऐशगाह उसे आवंटित हो गई थी, सरकारी लाल बत्ती मिली वो अलग.

नेताजी की एक खासियत थी वो जबरदस्ती बहुत ही कम परस्थितियों में करते थे, वो अपने शिकार का बहुत धीरे धीरे मज़ा लेते थे. देविका को संदेश मिल चुका था नेताजी के कार्यक्रम का, और उसे पता था जो प्रसिद्धि और पैसा श्रेया को मिल रहा है उसके सामने यह बलिदान कुछ भी नहीं है. श्रेया भी धीरे धीरे अंकल की नजदीकियां समझ रही थी, एक्डेंसीटल टचेज अब धीरे धीरे नॉर्मल होते जा रहे थे, नेताजी का व्यक्तित्व बड़ा विशालकाय सा था, श्रेया को शुरू में थोड़ा अजीब लगता था पर एक बात थी नेताजी बाहरी दुनिया में श्रेया से पूरी सादगी और सम्मान से पेश आते थे पर कार की पिछली सीट पर या शाम को बंगले पर जब नेताजी अपना रेगुलर वाला ड्रिंक लेने आते थे, उनकी बाते और हरक़ते धीरे धीरे श्रेया को नॉर्मल कर रही थी.

संगीत के लिए एक बडे सरकारी ट्रस्ट की स्थापना और एक बड़ी जमीन का आवंटन अब प्लानिंग में था और साथ ही साथ श्रेया के उद्घघाटन का भी.
:बहुत बढ़िया .................
ये भी सत्य ही है..................
राजनीति के शारीरिक शोषण की शिकार होने के दावा करनेवाली...... सिर्फ वो लड़कियां/औरतें ही नहीं.....
उनके पूरे के पूरे परिवार की सहमति होती है इन अनैतिक सम्बन्धों के लिए............
क्योंकि इन्हीं सीढ़ियों से तो उन्हें नाम, पैसा और रुतबा मिलता है....................

और जब इन सीढ़ियों पर ये पुरानी होने की वजह से हटाकर नयी लड़कियां/औरतें चढ़ने लगती हैं.............
तब इन्हें बलात्कार, शारीरिक शोषण और नारी अस्मिता जैसे भारी-भारी शब्द और दलाल आंदोलनकारी याद आते हैं....
जबकि ये एक high profile prostitution है............ जिस्म के बदले एक पूरा उपलब्धियों का भंडार हासिल कर लेना.....
 
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rajeev13

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:बहुत बढ़िया .................
ये भी सत्य ही है..................
राजनीति के शारीरिक शोषण की शिकार होने के दावा करनेवाली...... सिर्फ वो लड़कियां/औरतें ही नहीं.....
उनके पूरे के पूरे परिवार की सहमति होती है इन अनैतिक सम्बन्धों के लिए............
क्योंकि इन्हीं सीढ़ियों से तो उन्हें नाम, पैसा और रुतबा मिलता है....................

और जब इन सीढ़ियों पर ये पुरानी होने की वजह से हटाकर नयी लड़कियां/औरतें चढ़ने लगती हैं.............
तब इन्हें बलात्कार, शारीरिक शोषण और नारी अस्मिता जैसे भारी-भारी शब्द और दलाल आंदोलनकारी याद आते हैं....
जबकि ये एक high profile prostitution है............ जिस्म के बदले एक पूरा उपलब्धियों का भंडार हासिल कर लेना.....
इसी कारणवश #मीटू जैसे आंदोलन भी व्यर्थ हो जाते है।
क्योंकि निर्दोषों को भी अपराधी बनाकर इस पाप के कुए में धकेल दिया जाता है और समाज से बदनामी का कलंक जो फ्री स्कीम के साथ मिलता है वो अलग। :sanskar:
 

rajeev13

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अगली कड़ी की कब तक प्रकाशित होगी मित्र ?
कृपया थोड़ा लम्बा अपडेट देने का प्रयास करें, आगे की कहानी जानने के लिए उत्सुक रहूँगा।
 
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gaawti

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आप लोग क्या मोड़ चाहते है, और क्या मसाला add ho सकता है कृपया गाइड करे मैं कोई भी कहानी 8-10 पार्ट में खत्म करूंगा.
 
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gaawti

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रात तक एक आखिरी अपडेट दूँगा, फिर सीधा अगले हफ्ते, और तब समाप्ति भी होगी कहानी की.
 
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kamdev99008

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आप लोग क्या मोड़ चाहते है, और क्या मसाला add ho सकता है कृपया गाइड करे मैं कोई भी कहानी 8-10 पार्ट में खत्म करूंगा.
ap kahani ko apne tareeke se likhe.................natural way me.............
masala to sabko chahiye hi hota hai.......bina masale ke maja kaise ayega
fir to ye akhbar ki news ki tarah ho jayega
 
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Kabir

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bhai bahut hi lajavab kahani


aise hi regular update dete raho..............
 
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gaawti

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Chapter 6: गले का टानीक

राजधानी का स्वच्छंद वातावरण, भरपूर प्रसिद्धि और पैसा, स्वतंत्र बंगला और लाल बत्ती की गाड़ी, किसी भी नाजुक कली के बहकने के लिए काफी होती है, उसपर नेताजी का सॉफ्टकोर प्यार, श्रेया को नेताजी बड़ी शांति से उद्घघाटन के लिए तैयार कर रहे थे, बंगले पर नेताजी की एक बहुत अच्छी पोर्न लाइब्रेरी थी, रोज रात को अलग अलग जोनर की ब्लू फ़िल्म नेताजी श्रेया को अपनी गोदी में बिठा कर उसके मासूम शरीर से हल्के हल्के खेलते हुए शराब के कुछ सिप शेयर करते हुए श्रेया को रियाज करवाते थे, जीम, स्विमिंग पूल, सबकुछ था. नेताजी अपनी राजनीति अपने इसी बंगले से खेलते थे, श्रेया अब सब धीरे धीरे सीख समझ रही थी. देविका को जरूरत के हिसाब से ही आने दिया जाता था.

जी वीरेंद्र अंकल मैं तैयार ही हूँ आप आ जाइए, श्रेया ने फोन पर जवाब दिया, आज अनिरुद्ध अंकल के चैनल पर एक प्रोग्राम था, नेताजी के साथ जाना था, ट्रेडिशनल कुर्ते में श्रेया बहुत की सुन्दर दिख रही थी जैसे ही हॉर्न बजा, श्रेया भाग कर दरवाजे पर पहुंच गई, वीरेंद्र अंकल ड्राइव कर रहे थे, नेताजी पीछे बैठे थे, श्रेया उनके पास जा कर बैठ गई. नेताजी फोन पर बात कर रहे थे, बात करते करते ही उन्होंने श्रेया के निम्बुओ को टटोला, तड़ाक एक जोर का चांटा श्रेया के मेकअप किए चेहरे पर नेताजी ने जड़ा, मादरचोद कितनी बार बोलना पड़ेगा कि ब्रा नहीं पहननी है भेण की लोडी, नेताजी शायद आज किसी बात पर गुस्से थे, वीरेंद्र के लिए यह सब नोर्मल था वो अपनी मस्ती में गाड़ी चलाए जा रहा था, नेताजी ने कुर्ते के अंदर हाथ डाला और नन्ही सी ब्रा को खिंच कर फाड़ते हुए बाहर निकाला, श्रेया डर गई थी, आज पहली बार नेताजी का भारी हाथ उसपर पड़ा था, अंकल आगे से नहीं होगा प्लीज़ मारिये मत, श्रेया गिड़गिड़ाते हुए बोली, फटी हुई ब्रा उसके पैरों में पडी थी और वो डर के मारे थर थर कांप रही थी. नेताजी फिर से फोन पर बिजी हो गए, अचानक उन्होंने अपना लंड धोती से बाहर निकाला, चल चूस मादरचोद, श्रेया के लिए यह पहला मोका था जब वो नेताजी का यह रूप और लंड देख रही थी, और यह पहला लंड भी था जो वो चूसने जा रही थी.

जन आवाज चैनल के बाहर बहुत भीड़ लगी हुई थी, जैसे ही नेताजी की गाड़ी आ कर रुकी पत्रकारों की भीड़ उनकी तरफ दौड़ गई, श्रेया का मुँह अभी भी थोड़ा चिपचिपा था, एक गाल पर उँगलियों के निशान छपे हुए थे और बाल थोड़े अस्त व्यस्त थे. फोटोग्राफर खटाखट फोटो खिंचे जा रहे थे, कई लोग सेल्फी और ओटोग्राफ के लिए होड़ लगा रहे थे, श्रेया मुस्कराते हुए सबका ध्यान रख रही थी, जन आवाज चैनल की सालगिरह पर श्रेया ने मंच पर सारे भाषण ख़त्म होने के बाद शास्त्रीय संगीत का खूबसूरत समा बांध दिया, अनिरुद्ध नेताजी के कान में फूस फूसाया, बिस्तर में आलाप कब छेडेगी, सबर रखो पत्रकार बाबु थोड़ा नेताजी हंसते हुए बोले. श्रेया के महीन कुर्ते से कड़क निप्पलस साफ़ दिख रहे थे, कई लोग संगीत का आनंद ले रहे थे और कई उसके हिलते हुए छोटे छोटे निम्बुओ का. दोनों की खुसफुसाहट अभी चालू थी, कोई बड़ी डील थी जो अनिरुद्ध करवाने में नेताजी की हेल्प कर रहा था.

प्रोग्राम के बाद नेताजी अनिरुद्ध और कुछ बड़े इंडस्ट्रीयलीस्ट मीटिंग्स में थे, श्रेया को गाड़ी में इंतजार करने को बोला गया था सो वो वहां बैठे बैठे उनके आने का वेट कर रही थी. गाड़ी के कांच पर नोक हुई देखा तो वीरेंद्र अंकल थे, श्रेया ने दरवाजा खोल दिया, अंकल अंदर आ कर बैठ गए, श्रेया के गाल को सहलाते हुए बोले ज्यादा जोर से तो नहीं मारा ना, श्रेया ने आखें झुकाते हुए नहीं में सर हिलाया. क्यु बात नहीं मानती, सर की, और वो श्रेया के बालो पर हाथ फेरने लगा. थोड़ा कम्फरटेबल होते हुए वीरेंद्र के हाथ श्रेया के निम्बुओ पर आ गए, और धीरे धीरे वो उन्हें मसलने लगा, श्रेया डरी सहमी सी थी पर उसे थोड़ा थोड़ा मज़ा भी आ रहा था, लंड चूसेंगी, वीरेंद्र ने बड़े प्यार से पूछा और जवाब का इंतजार किए बिना अपना लंड श्रेया के खूबसूरत हाथो में दे दिया, गाड़ी में चूसने की आवाज गूंजने लगी, श्रेया ने जो भी पोर्न मूवीज में देखा था बिल्कुल उसी अंदाज में वीरेंद्र अंकल का लंड चूसने लगी, अंकल के हाथ उसके छोटे छोटे निम्बुओ को मस्ती के साथ निचोड़ रहे थे, थोड़ी देर में अंकल ने रस श्रेया के मुँह में छोड़ दिया, नहीं नहीं थुकते नहीं, यह तो प्रोटीन है और तुम्हारे गले के लिए अच्छा है, पी जाओ.

कुछ देर में नेताजी का फोन आया और वीरेंद्र ने गाड़ी स्टार्ट कर ऑफिस के सामने आया, अनिरुद्ध रॉय नेताजी के साथ था, और वो भी अंदर आ के बैठ गया, श्रेया दोनों के बीच में थी, नेताजी मूड में थे, अनिरुद्ध को थैंक्स बोल रहे थे, बहुत अच्छा गाई आज तुम श्रेया बेटी, अनिरुद्ध ने श्रेया के बालो में हाथ फेरते बोला, गायेगी ही ना अच्छा, आज टानिक जो पिया था, और जोर से हंस दिए, वीरेंद्र भी साथ में हंसता हुआ बोला डबल टानिक पिया है आज तो बिटिया ने, तो फिर आज तो अनिरुद्ध अंकल का लवडा भी चूस लो, नेताजी ने श्रेया के कुर्ते में हाथ डालते हुए दोनों बूब्स को बड़ी बेदर्दी से रगड़ने लगे, अनिरुद्ध ने अपना तना हुआ लंड बाहर निकाल लिया. राजधानी की सड़कों पर उस रात नेताजी की गाड़ी बड़ी देर तक घूमती रही, तीनों ने बारी बारी से मशहूर शास्त्रीय संगीत गायिका श्रेया ठाकुर से मुख मैथुन किया और नींबुओ की तो बात मत पूछो, अगले कई दिन तक निप्पल ऐसे सुजे हुए रहे कि जरा सा भी टच करने पर सुर और आलाप सब निकलने लगते थे.
 
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