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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 10


हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर।

दिन भर सोने के बाद सरबी अन्ग्ड़ाई लेती हुई और फ्रेश होने चली गयी। फ्रेश होने के बैड सर्बी ने चाय बनायी और आपमे सास ससुर को दी ओर खुद भी अपने बैड रुम मे आकर चाय पीने लगी। सरबी ने अभी चाय की चुस्की ही ली थी की उसका फोन बज पढ़ा, सरबी ने नम्बर देखा तो नया नम्बर था। ” हेल्लो ” सरबी ने फ़ोन उठकर बोला।

” केसी है जट्टी, लाला बोल रहा हू ” बनवारी लाला ने सरबी की सुनकर कहा।

लाला की अवाज सुनकर सर्बी शर्मा सी गयी, ” अची हू लाला जी अप केसे है “।

” मे भी बस ठीक हू जान तेरे बिना केसा हो सक्ता हू ” लाला ने जवाब दिया।

” क़्यो लाला जी मेरे बिना मतलब, मे समझी नही ” सरबी ने मुस्कुरते हुए कहा।

” मतलब तेरी याद आ रही थी जट्टी, कल रात तक तो तू मेरे साथ थी ” लाला ने लंड म्सल्ते हुए कहा।


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रात का जिकर आते ही सरबी शर्मा गयी, ” लाला जी आप भी “।

” लय मे भी जान, तेरी याद मे ये छोटा लाला खडा है अज फिर ” लाला बोला।

” तो उसे बिथा दिजीये ना लाला जी, खडा खडा थक जायेगा बेचारा ” सरबी ने भी अब बेशरमी से जवाब दिया।

” केसे बिठा दु जान, बोल रहा है के जट्टी आयेगी तो उसके हाथो मे ही बेठना है। ” लाला ने लंड को मसला।

” हाये जट्टी तो फिर कछ दिन रुक कर आयेगी ” सरबी ने कहा।

” कित्ने दिन जान ” लाला ने पुछा।

” कुछ दिन तो रुकिये लाला जी, अच्छा रख्ती मे फोन ” इत्ना कहते हुए सरबी ने फोन काट दिया।

फोन काटते वक़्त जेसे ही सरबी ने टाईम देखा तो वो हेरान हो गयी।

” हे भगवान 4 बज ग्ये ओर अबी तो मुझे बाज़ार से सब्जी भी लानी है ” सरबी सोच्ने लगी और उसने जल्दी जल्दी चाय खतम की और तैयार होकर बाज़ार की और चल दी। बाज़ार जाते वक़्त जेसे ही सरबी भूरा के घर के पास से गुजरी तो भूरा ने उसे देख लिया। भूरा ने जल्दी जल्दी अप्ने कपडे पहने और मोटरसाइकिल पर सरबी के पीछे पीछे चल दिया।

बाज़ार मे पहुंच भूरा ने बाइक पार्किंग मे लगा दी और पैदल ही सरबी का पीछा करने लगा। सरबी को भूरा का पता नही था के वह उसका पीछा कर रहा है, इस्लिये वो अपने ही ध्यान मे बाज़ार मे सब्जी वाली दुकाने देखती जा रही थी और एक दुकान पर रुकी, ” टिंड़े का क्या भाव है ” सरबी ने पुछा। ” 30रुपय किलो ” दुकानदार बोला। ” 30रुपए इतना महँगा कौन लेगा ” कहती हुई सरबी आगे बढ गयी। भूरा भी सरबी के पीछे ही था।


आगे एक दुकान पर जाके सरबी फिर से रुकी, ” लोकी किस रेट पे दे रहे हो “।

” 15 रुपए बहन जी ” औरत ने जवाब दिया।

” 1 किलो कर दो ” सरबी ने कहा।

वही पर भूरा भी आ गया, ” खीरा क्या भाव दिया रानी “।

” अरे भूरा तू, इत्ने दिन बाद केसे आ गया आज, 10रुपए किलो है ” औरत ने जवाब दिया। सब्जी वाली का नाम रानी था, उमर 34, फिगर 36-34-38और भूरा उसे जानता था। रानी अक्सर रितु के द्वारा कोठो पर जाती थी, और भूरा भी कई बार उसकी जवानी का मजा चख चुका था।

” बस यही होता हू रानी कभी टाईम ही नही लगा, अरे भाभी जी आप ” भूरा सरबी को देखकर बोला, ” नमस्ते भाभी जी “।

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” नमस्ते ” सरबी मे भी भूरा को बुलाया।

” सब्जी लेने आयी है भाभी जी ” भूरा ने पुछा।

” हा भूरा जी, वो काम पर थे तो मे खुद आ गयी ” सरबी ने उत्तर दिया।

” ए रानी हमारी भाभी जी है, जायज रेट लगाना जो भी ले, ” भूर रानी को देख कर बोला।

” अरे हा भूरा तुमने बोल दिया समझो हो गया ” रानी ने भी हस्ते हुए जवाब दिया।

सरबी ने कुछ सबजी ली और जाने लगी तो भूरा ने फिर सरबी को बुलाया ” अरे भाभी जी हम छोड़ देते है आपको कहा पैदल जायेगी या रिक्सा करेगी “।

” अरे नही देवर जी मे चली जाओगी ” सरबी ने कहा।

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” अरे कया भाभी जी देवर भी कहती हो और मना भी करती हो, आईये आप मे छोड़ देता हू आपकों ” भूरा ने जोर दिया तो सरबी साथ चल पड़ी।

पार्किंग से भूरा ने अपना मोटरसाइकिल निकाला और स्टार्ट किया, ” बेठीये भाभी जी “। सरबी पीछे बेठ गयी तो भूरा ने मोटरसाइकिल गियर मे डाला और चल दिया। भूरा मोटरसाइकिल धीरे चला रहा था और बीच बीच मे ब्रेक लगा रहा था जिस से सरबी के मम्मे भूरा की पीठ से चिपक जाते। मोटरसाइकिल भूरा ने अपने घर के साम्ने रोक ली, ” आईए भाभी जी चाय पिलता हू आपको “। ” अरे नही देवर जी हम पहले ही बहुत लेट है अभी सब्जी भी बनानी है ” सरबी बोली।

” अरे तो कया हुआ भाभी जी एक कप चाय पी लिजिये ना 5मिंट लगेगे बस, आईए आप ” भूरा सरबी को बोला। ” अरे देवर जी, अच्छा ठीक है चलिये ” सरबी भी अब भूरा के साथ घर मे चली गयी।

भूरा जल्दी जल्दी चाय बना के ले आया ओर बिस्किट भी। ” लिजिये भाभी जी, बताईये केसी बनी है ” भूरा चाय रखते हुए बोला। सरबी ने चाय उठाई और एक चुस्की ली, ” केसी बनी है भाभी जी चाय ” भूरा बोला।

” अच्छी है ” सरबी बोली। ” अरे भाभी जी आप तो शर्मा रही है, शर्माइये मत अप्ना ही घर समझिये ” भूरा बोला। सरबी चाय पी रही थी और भूरा सरबी के जिस्म को निहार रहा था।

” भाभी जी एक बात बोले अगर बुरा ना माने तो ” भूरा ने कहा।

” कया देवर जी ” सरबी भूरा को देख बोली।

” आप हो एक दम मस्त कली ” भूरा सरबी को देख्ते हुए बोला।


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भूरा की बात सुन सरबी शरम से लाल हो गयी।

” अरे मजाक कर रहा हू भाभी जी अप तो शर्मा गयी ” भूरा हस्ते हुए बोला।

” आप भी बहुत शरारती हो देवर जी ” सरबी भी मुस्कुराती हुई बोली।

” अच्छा देवर जी मे चलती हू ” सरबी चाय का कप रखती हुई बोली।

” फिर कभी बाज़ार जाना हो तो बता देना भाभी जी ” भूरा सरबी को बोला।

” हा देवर जी जरुर ” कहती हुई सरबी बाहर निकली और अपने घर को चल दी।

पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी

 

aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–11

खेत में पडोसी की कुंवारी बेटी और मैं


हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। बनवारी लाल मेरे चाचा हैं और मेरे मामी पापा की पहले एक एक्सीडेंट में डेथ हो चुकी है, पापा की डेथ के बाद सब मेरा था, पर चाचा मुझे बहुत प्यार करते थे और मेरा बहुत ख़्याल रखते थे और अब चाचा हमारी जमींदारी, खेत व्यापार, आढ़त, पैसे, हिसाब, सब संभालते हैं, यहाँ तक की उन्होंने शादी भी नहीं की थी पर थे रंगीन मिज़ाज और शौक़ीन ।

जब चाचा और सरबी का ये किस्सा चल रहा था, मुझे चाचा की ये सब कारनामो के बारे में पता था क्योंकि हमारे घर का पुराना नौकर सुच्चा मेरे भरोसे का आदमी था और मुझे घर की सब ख़बर देता रहता था, उन दिनों मैं छुट्टियों ने घर आया हुआ था तब मुझे चाचा ने खेती देखने के लिए बहाने से गाँव भेज दिया, शहर से हमारा गाँव कुछ ही दूर है वापिस आना जाना किया अजा सकता है पर चाचा ने गाँव में दो दिन रुकने के लिए कहा था क्योंकि अब फ़सल की बिजाई चल रही थी और ऐसे में खेत पर नज़र रखनी पड़ती है।

मैंने अपनी सारी पढ़ाई चंडीगढ़ में ही की थी।। कभी-कभी पढ़ाई के दौरान मैं अपने पिताजी के साथ भी काम करवा देता था। जब भी मुझे समय मिलता था मैं अपने पिता के साथ भी हाथ बंटा दिया करता था। अब अपने चाचा की भी समय-समय पर मदद कर देता हूँ और अभी मैं फाइनल ईयर में हूँ ।

अब मैं पिंड (गाँव) में आपको उस पडोसी जट्ट जमींदार के परिवार के बारे में बता देता हूँ । उनके परिवार में चार लोग थे।

एक मालिक था राजविंदर, उसकी बीवी सोनी और उसके दो बच्चे। बच्चों में एक लड़का था और एक लड़की थी। उनका लड़का बिट्टू तो कनाडा में पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था जबकि लड़की दीपिंदर यहीं पर रह रही थी।

उस जमींदार के पास हमारी ज़मीन से लगती हुई 20 एकड़ ज़मीन थी। उनके यहाँ पर 10 के करीब भैंस भी थी। मालिक का स्वभाव काफ़ी सहज और सरल था। जबकि उसकी जमींदारनी बीवी के स्वभाव में बहुत अकड़ थी। उसके साथ मेरी कई बार बहस भी हो चुकी थी। उसने मुझे कई बार बुरा भला बोला हुआ था।

मैं उस जमींदारनी की बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता था। बस अपने काम से काम रखता था। उसकी बेटी दीपिंदर का स्वभाव अच्छा था। उसके साथ मेरी सही बनती थी। वही इस कहानी की नायिका भी है।

दीपिंदर को सब लोग प्यार से दीपू कह कर बुलाया करते थे। हम दोनों की दोस्ती काफ़ी अच्छी थी। जैसा उसका स्वभाव उससे कहीं ज़्यादा वह देखने में सुंदर और सुशील थी। दीपू की हाइट 5.5 फीट की थी। उसकी उम्र 20 साल थी और कालज नहीं गयी थी पर पढ़ाई काफ़ी कर चुकी थी, दिखने में 18 की ही लगती थी ।

उसकी माँ उसको बहुत ही ज़्यादा अनुशासन में रखा करती थी। वह कई बार अपनी आज़ादी के बारे में मुझसे शिकायत किया करती थी। मैं उसको समझा देता था। फिर उसके घरवालों ने उसकी शादी के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी।

दीपू के घरवाले उसकी शादी किसी कनाडा के लड़के से ही करवाना चाहते थे। उसका रूप देख कर न चाहते हुए भी मेरी नज़र उसके बदन पर चली जाती थी। जब भी मैं छुटी में घर आता था और वह घर में होती थी तो मैं उसको ही देखता रहता था।

बनाने वाले उसको बहुत ही कोमल और प्यारा रूप दिया था। वह घर में सूट भी पहनती थी और पजामे के साथ टी-शर्ट भी पहन लेती थी। उसके गोल-गोल मम्मे काफ़ी बड़े थे। उसकी गांड भी गोल थी।

अब तक उसका जिस्म बिल्कुल ही अनछुआ था। किसी कुंवारी जमींदारनी को देख कर तो अच्छे खासे साधुओं का मन डोल जाता है। मैं तो एक गर्म खुन का पंजाबी ही था।

जब भी वह मेरे करीब होती थी तो मेरे लंड में हलचल होना शुरू हो जाती थी। मेरा इस पर कोई वश नहीं चलता था। दीपू मेरे साथ एक दोस्त की तरह बात कर लेती थी। हमारी दोस्ती वाला यह रिश्ता उसकी माँ को बिलकुल भी पसंद नहीं था। अपने बाप चाचा की तरह भगवान ने मुझे लंड बहुत मोटा और लम्बा दिया था। । मैं दीपू को देखकर बस मुठ मारकर काम चला लेता था।

शहर में हमारे घर के पास ही हमारे गाँव में बिहार से आये लोग काफ़ी संख्या में रहते थे। वह सब वहाँ पर मजदूरी का काम किया करते थे। दीपू शाम को अपने चाचा की लड़कियों के साथ सैर करने के लिए जाती थी।

जिस रास्ते से वह जाया करती थी उस पर मेरे दो बिहारी दोस्त भी रहा करते थे। हम तीनों गाँव की जमींदारनियों को गांड मटकाते हुए देखा करते थे। पजामे में मटकती उनकी गांड को देख कर लंड बेकाबू हो जाते थे।

मेरे दोस्तों ने कई बार मुझे बोला कि तुम्हारे पास में इतना पटाखा माल रहती है, तुमने आज तक कुछ करने की कोशिश क्यों नहीं की?

मैं उनको कह देता था कि मुझे आज तक कभी कुछ करने का मौका ही नहीं मिला। वैसे मेरी हिम्मत भी कम ही होती थी।

कई बार ऐसा होता था कि उसके घरवाले रिश्तेदारों के यहाँ गये हुए होते थे तो दीपू घर पर अकेली ही होती थी। हम दोनों एक ही कमरे में बैठ कर टीवी देख लिया करते थे। कई बार तो वह मेरे सामने ही बेड पर लेटी होती थी। उसकी गोल-गोल गांड को देख कर मेरा बदन पसीने-पसीने हो जाता था।

एक दिन की बात है कि ऐसे ही हम लोग टीवी देख रहे थे। कूलर की हवा से उसका टीशर्ट उड़कर ऊपर हो गया। मुझे उसके चूतड़ों पर चढ़ी हुई लाल रंग की चड्डी हल्की-सी दिख गयी। उसकी गोरी-सी गांड पर वह लाल चड्डी देख कर मैं तो अपने आपे में नहीं रहा। मन कर रहा था उसकी गांड को चाट लूं और उसमें लंड दे दूं।

मेरा लंड बेकाबू हो गया था। मगर हैरानी की बात ये थी कि उसने भी अपनी टीशर्ट को सही नहीं किया। मैं सोच रहा था कि शायद ये भी कहीं चुदने के लिए तैयार तो नहीं है? फिर मैंने सोचा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता है। इतनी पटाखा माल भला मुझसे क्यों चुदेगी?

दीपू को स्कूटी चलानी नहीं आती थी। कई बार जब उसको गाँव से बाहर शहर आना जाना होता था तो वह मुझे ही लेकर जाती थी। एक दिन की बात है कि दीपू के पिताजी कहीं गये हुए थे। उनके रिश्तेदार बहुत थे। आये दिन वह किसी न किसी के यहाँ गये हुए होते थे।

उस एक दिन की बात है मुझसे दीपू की माँ ने कहा कि दीपू को शहर लेकर चला जाऊँ। उसको कुछ ज़रूरी काम था शहर में। मैं तो वैसे भी ऐसे मौके के लिए तैयार ही रहता था। जब हम घर से निकले तो हवा काफ़ी तेज चल रही थी। स्कूटी के ब्रेक लगाते ही दीपू की चूची मेरी पीठ से सट जाती थी।

रास्ते में जाते हुए दीपू ने बताया कि वह वैक्सिंग करवाने के लिए जा रही है। जब हम लोग शहर से वापस गाँव की ओर आ रहे थे तो बीच रास्ते में ही बारिश शुरू हो गयी। बारिश में स्कूटी नहीं चलाई जा सकती थी। मुझे आसपास कोई रुकने की जगह भी नहीं दिख रही थी।

दीपू मुझे कहीं रुकने के लिए कह रही थी। अचानक से मुझे जमींदार के खेत की मोटर का ध्यान आया। वहाँ पर काफ़ी ऊंची चारदीवारी थी और एक कमरा भी बना हुआ था। हमने वहीं पर जाने के लिए सोचा और दीपू भी मान गयी।

खेत पर जाकर मैंने स्कूटी को पास में ही पार्क किया और हम लोग जल्दी से कमरे में जाकर घुस गये। हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे।

मुझे बारिश में नहाने का बहुत शौक था। इसलिए मैं ख़ुद को रोक नहीं पाया। मैंने दीपू से अंदर रुकने के लिए कहा।

मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और सिर्फ़ चड्डी में ही बाहर जाकर बारिश में नहाने लगा। फिर मैं मोटर के पास बने उस तालाब में नहाने लगा। मैं पानी में तैर रहा था। दीपू मुझे देख रही थी।

उसने अंदर से आवाज़ देकर पूछा-तुम्हें तैरना आता है?

मैंने कहा-हाँ, देखो, तुम्हारे सामने ही तैर रहा हूँ।

वो बोली-मेरा मन भी पानी में तैरने को कर रहा है लेकिन डरती हूँ।

मैंने कहा-इसमें डरने की क्या बात है? मैं हूँ ना तुम्हारे लिये!

पता नहीं जोश-जोश में मेरे मुंह से ये बात कैसे निकल गयी। मगर दीपू ने भी इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। अगर मैंने ये बात नहीं कही होती तो शायद ये कहानी भी नहीं होती।

वो बोली-अच्छा ठीक है, लेकिन मैं तुम्हारे सामने कपड़े नहीं उतार सकती, तुम दूसरी ओर मुंह करो।

मैंने उसके कहने पर मुंह घुमा लिया। दो मिनट के बाद वह उस तालाब के अंदर थी। पानी उसकी गर्दन तक आ रहा था। मगर साफ़ पानी होने की वज़ह से मुझे दीपू की सफेद ब्रा और नीचे लाल चड्डी साफ़ दिख रही थी।

दोस्तो, मैंने उसको पहली बार इस रूप में देखा था। मेरा मन ऐसा कर रहा था कि उसको काट कर खा ही लूं। बारिश में भीगता उसका गोरा जिस्म और उसके उभार देख कर मेरा लंड पानी के अंदर ही तंबू बना रहा था।

मेरे लंड में झटके लगना शुरू हो गये थे। उसकी ब्रा के अंदर क़ैद उसके उभारों की मस्त-सी शेप देख कर कोई भी पागल हो सकता था। सच में जमींदारनी बहुत सेक्सी होती हैं। मेरे दोस्तों ने सच ही कहा था कि जमींदारनी को चोदने का मज़ा ही कुछ और है।

अभी भी मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं आ रही थी कि मैं उसके साथ कुछ छेड़खानी कर सकूं। वह धीरे-धीरे गहरे पानी की ओर आ रही थी। तभी उसका पैर फिसल गया और वह पानी में नीचे जाने लगी। मैंने उसको पकड़ा और थोड़े उथले पानी में लेकर आया।

मैंने कहा-तुम्हें तैरना नहीं आता है।

वो बोली-हाँ मुझे पता है। तुम ही सिखाओगे मुझे तैरना। इसीलिए तो मैं इस हालत में तुम्हारे साथ हूँ।

मैंने कहा-ठीक है। पहले मैं तुम्हारी मदद करता हूँ और उसके बाद तुम ख़ुद कोशिश करना।

दीपू के जिस्म को अपने हाथों में थाम कर मैं उसको तैरना सिखाने लगा जिसके दौरान मेरा लंड बार-बार उसके बदन को छू रहा था। उसके कोमल जिस्म को छूकर मेरे लंड में तूफान-सा उठ रहा था। मन कर रहा था कि उसकी चड्डी को उतार कर उसकी चूत में लंड को घुसा दूं लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था।

उसको मैंने पेट के करीब से पकड़ा हुआ था और वह पानी में हाथ पैर मार रही थी। एक दो बार ट्राइ करने के बाद वह थोड़ा तैरने लगी और काफ़ी खुश हुई.

मैंने कहा-अभी तुम्हें थोड़े अभ्यास की ज़रूरत है।

वो बोली-हाँ ठीक है मैं कोशिश करती हूँ।

वो कम गहरे पानी में तैरने की कोशिश करने लगी। तालाब के पानी में उसका गोरा जिस्म चमक रहा था। मेरा ध्यान बार-बार उसकी गांड और उसके बूब्स की ओर जा रहा था। मेरे अंडरवियर में तंबू बना हुआ था जिसे दीपू ने भी नोटिस कर लिया था।

अब मैं बाहर आकर पानी में ऊंचाई से छलांग लगाने लगा। दीपू मेरे लंड के उठाव को देख रही थी। मैं भी थोड़ा शरमा रहा था लेकिन मेरे वश में कुछ नहीं था। मैं अपनी उत्तेजना को रोक नहीं पा रहा था।

मुझे पानी में मजे से छलांग लगाते देख दीपू का मन भी रोमांचित हो उठा।

वो बोली-मुझे भी ऐसे ही करना है।

मैंने कहा-ठीक है लेकिन पहले छोटी छलांग लगाना। अभी तुम्हें ठीक से तैरना नहीं आता है।

वो बोली-ठीक है, मैं कोशिश करती हूँ।

दीपू भी ऊपर आकर पानी में छलांग लगाने की कोशिश करने लगी। जब वह पानी से बाहर आई तो उसकी लाल चड्डी उसकी गांड में चिपकी हुई थी। उसकी गांड के अंदर घुसी हुई उसकी चड्डी की शेप देख कर मेरा मुंह खुला-खुला रह गया। मैं अपने लंड को हाथ से सहलाने पर मजबूर हो गया।

मैंने नज़र बचाकर उसकी गोरी और गोल गांड देखने लगा। उसकी ब्रा में क़ैद उसकी चूचियों के निप्पल भी एकदम से जैसे तन गये थे। उसके निप्पल की शेप अलग से उभरी हुई मालूम पड़ रही थी।

जैसे ही उसने छलांग लगाई वह पानी में नीचे डूबने लगी और मैंने उसको संभाला। अब वह मेरी बांहों में थी। मैं उसको देख रहा था। उसकी चूचियाँ एकदम से तनी हुई थीं उसकी ब्रा में। मेरा लंड पूरे जोश में आकर एकदम से सख्त हो गया था।

वो भी शायद उत्तेजित हो रही थी।

मैंने कहा-मैंने तुम्हें तैरना सिखाया है, मुझे कुछ गिफ्ट नहीं दोगी क्या?

वो बोली-क्या चाहिए तुम्हें?

मैंने कहा-मैं बस एक बार तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ।

पहले तो वह मना करने लगी लेकिन फिर बोली-ठीक है, मैं केवल एक बार के लिए ब्रा उतारूंगी।

मैंने कहा-ठीक है।

ब्रा उतारने के नाम से ही मेरा लंड टनटना गया था।

मैंने कहा-चलो अंदर कमरे में चलते हैं। मैं नहीं चाहता कि कोई यहाँ तुम्हें इस हालत में देख ले।

वो बोली-ठीक है।

हम दोनों पानी से बाहर निकल आये. उसकी लाल चड्डी से पानी की धार टपक रही थी. उस पानी को पीने के लिए मेरे मुंह में भी पानी आ गया था. वो मेरे आगे चल रही थी और उसकी मटकती गांड को देख कर मेरा लंड फनफना रहा था.

हम दोनों अंदर चले गये. मगर उसको अभी शर्म आ रही थी.

मैंने कहा- यहां पर मेरे और तुम्हारे अलावा कोई नहीं है.

वो बोली- नहीं, तुम उस तरफ मुंह करो.

मैंने उसके कहने पर मुंह घुमा लिया.

कुछ सेकेण्ड्स के बाद उसने मुझे वापस पलटने के लिए कहा.

जैसे ही मैंने पलट कर उसकी छाती की ओर देखा तो मैं उसके सफेद और गोल चूचे देख कर खुद को रोक ही नहीं पाया. मैंने उसकी चूची को पकड़ लिया.

वो बोली- गौरव क्या कर रहे हो, ये गलत है.

मैंने कहा- एक बार छूने दो. बहुत मन कर रहा है.

मैंने उसके हामी भरने से पहले ही उसकी चूची को पकड़ लिया और दबा दिया. जब तक वो कुछ बोलती मेरे होंठ उसकी चूची पर गड़ गये थे.

वो पीछे हटी और बोली- नहीं गौरव, ये गलत है.

मैंने कहा- बस एक बार करने दो दीपू, तुम्हें भी बहुत मजा आयेगा.

तुरंत मैंने उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो जैसे मेरे काबू में होने लगी. एक दो बार रोकने के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया और मेरे दोनों हाथ उसकी दोनों चूचियों को दबा दबा कर मसल रहे थे.

मैं जोर जोर से उसकी चूचियों को मुंह में बारी बारी से लेकर पी रहा था और मेरे हाथ उसकी चूचियों को लगातार दबा रहे थे. वो इतनी सेक्सी होगी मैंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी. अब मुझे पता चला कि मेरे बिहारी दोस्त उसको ऐसी भूखी नजर से क्यों ताड़ा करते थे.

दीपू की कड़क गीली चूचियों को जोर जोर से चूसते हुए मैं उसके निप्पलों को काट रहा था. दीपू के मुंह से अब सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो सिसकारते हुए मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी- आह्ह …गौरव … नहीं … आह्ह … आराम से … ओह्ह … जोर से … उसकी ये कामुक आवाजें मेरे जोश को बढ़ा रही थीं.

जारी रहेगी
 

aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–12

बरसात में खेत में पडोसी की कुंवारी बेटी और मैं-2

हेल्लो दोस्तो में गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले भाग में आपने पढ़ा की एक दिन जब मैं अपनी पड़ोस की कुंवारी जट्टी दीपू को शहर में किसी काम से लेकर गया और वापस लौटते समय रास्ते में हुई बारिश ने हम दोनों को भिगो दिया।

दीपू के भीगे जिस्म को देख कर मेरा लंड तन गया था। फिर मैं बारिश में नहाने लगा और दीपू भी मेरे साथ नहाने की ज़िद करने लगी। मैंने उसको तैरना सिखाया और इसी बीच मेरा लंड बार-बार उसकी गांड से टकरा रहा था।

उसको तैराकी सिखाने के बदले में मैंने उससे कहा कि मैं उसको नंगी देखना चाहता हूँ। उसने एक दो बार मना करने के बाद हाँ कर दी। उसके बाद हम दोनों अंदर कमरे में गये। वहाँ पर मैंने उसकी नंगी चूची पहली बार देखी जिसको देख कर मुझसे रुका न गया।

तभी वहा एक बकरियों का झुंड आया और उस झुण्ड में एक बकरा एक बकरी पर चढ़ा हुआ था। वह बकरी को चोद रहा था। दीपू उनकी चुदाई को ध्यान से देख रही थी। उसकी नज़र बकरे के लंड पर टिकी हुई लग रही थी। शायद वह चुदाई देख कर कामुक हो रही थी।

ये देख और सोच कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया। मैंने देखा कि दीपू मेरी अंडरवेअर में उठे हुए मेरे लंड को घूर रही थी। मैं समझ गया कि इसका मन सेक्स करने के लिए कर रहा है।

मेरा लंड मेरे कच्छे में एकदम से सख्त हो गया। वह भी मेरे लंड को देख रही थी। मगर एक बार देख कर फिर नीचे देखने लगती थी। मैं जान गया था कि इसका मन भी चुदाई के लिए कर रहा है लेकिन शरमा रही है।

मैं उसके पास में जाकर बैठ गया। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखवा लिया। उसने तुरंत हाथ हटा लिया मगर कुछ बोली नहीं।

उसके बाद मैंने अपनी कच्छा खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया और उसके हाथ में लंड दे दिया।

उसने मेरे लंड को पकड़ लिया। मगर वह ऊपर नहीं देख रही थी।

मैंने सिसकारते हुए कहा-एक बार इसको अच्छे से सहला तो दो।

वो ना में गर्दन हिलाने लगी। मैंने सोचा कि इसको और ज़्यादा गर्म करना पड़ेगा।

मैंने उसकी नंगी चूची को मुंह में भर लिया और ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया। उसने एक दो बार विरोध किया लेकिन बात अब उसके काबू से भी बाहर होती जा रही थी।

दो मिनट बाद ही हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। उसकी चूचियाँ मेरी छाती से सटी हुई थीं। मेरे हाथ उसके कोमल जिस्म पर ऐसे रेंग रहे थे जैसे रेत पर सांप रेंगता हो।

जल्दी ही मेरे हाथ उसकी पीठ से होकर उसकी चड्डी में पहुँच गये थे। उसने एक दो बार हटाया लेकिन फिर उसको मज़ा आने लगा। उसकी नर्म कोमल गांड को हाथ में भींच कर मैं अपने आपे से बाहर होता जा रहा था।

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। जैसे ही मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया तो देखा कि उसकी चूत तो पहले से ही काफ़ी गर्म हो चुकी थी।

अब वह भी मेरे लंड को सहलाने लगी जिससे मेरा लंड फुल मूड में आ गया। अब वह मेरे लंड को देख भी रही थी। अंदर ले जाकर मैंने उसके फ्रॉक को उठा दिया। उसकी पैंटी को खींच दिया और उसकी चूत को देखने लगा।

उसकी चूत पर बाल नहीं थे। सिर्फ़ हल्के से रोएंदार से हल्के बाल थे। मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी तो उसको दर्द होने लगा और वह एकदम से उचकने लगी। मगर मैंने उसकी चूत में उंगली चलाना शुरू कर दिया।

थोड़ी ही देर के बाद उसको भी मज़ा आने लगा। मैंने उसके सीने पर हाथ फिराया तो चूचियाँ एकदम ताज़ा थीं।

वो बोली-मेरी अभी छोटी हैं लेकिन मेरी मम्मी की बहुत बड़ी हैं।

मैंने कहा-तुम्हारी भी अच्छी हैं।

मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया। वह मस्त होने लगी। उंगली करने से उसकी चूत में बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा-इसको अपनी बुर में लेना चाहोगी?

वो बोली-ये तो बहुत बड़ा है। इतना बड़ा तो मम्मी ही ले सकती है। वह पापा का लंड रोज़ अपनी बुर में लेती है। मैं रात को रोज़ देखा करती हूँ।

मुझे उसकी बातों से लगा कि वह काफ़ी भोली है।

मैंने कहा-कोई बात नहीं, अगर तुम्हारी मम्मी ले सकती है तो तुम भी ले सकती हो।

इतना बोल कर मैंने उसकी टांगों को फैला दिया।

जब मुझसे रुका न गया तो मैंने हाथ को आगे की ओर लाकर उसकी चूत को छूने की कोशिश की। अब वह भी मेरे होंठों को मन लगाकर चूस रही थी। दोनों की सांसें तेज हो गयी थीं। मैंने हाथ को उसकी चड्डी में अंदर डाल दिया।

जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर लगा तो वह एकदम से कांप गयी। उसकी चूत चिपचिपी हो गयी थी। मेरे दोस्त ने बताया था कि नंगी पंजाबन को गर्म करना बहुत आसान होता है। एक बार वह नंगी हो गयी तो चूत भी बहुत जल्दी मिल जाती है।

मैंने उसकी चिपचिपी चूत को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया। वह सिसकारते हुए बोली-आह्ह ... ऐसा मत करो विजय। मुझे कुछ हो रहा है।

तभी उसने ख़ुद ही अपनी चड्डी को निकाल दिया । मैं जान गया कि अब ये चुदने के लिए तैयार हो गयी है।

मैंने दीपू को ज़ोर से पकड़ कर अपनी छाती से सटा लिया। दीपू भी मुझसे चिपक गयी। मैंने उसकी आँखों में देख कर कहा-मेरा मन तुम्हारी चूत में लंड डालने के लिए कर रहा है।

मेरी बात पर वह थोड़ा शरमा गयी। तभी मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। फिर उसको पास ही पड़ी चारपाई पर लिटा लिया। एक दो मिनट तक उसके पूरे बदन को चाटा।

फिर मैंने उसको चारपाई पर घोड़ी बना लिया। उसके गोरी गांड के बीच में उसकी गुलाबी चूत उभर कर आ गयी। उसकी चूत के दर्शन करके मैं तो धन्य हो गया। ऐसी चूत मैंने कभी पोर्न फ़िल्मों में भी नहीं देखी थी।

उसकी चूत को मैंने छेड़ते हुए उंगलियों से खोल कर देखा। अंदर से लाल थी बिल्कुल। मैंने उसकी चूत में जीभ डाल कर चूसना शुरू कर दिया। पंजाबन की कुंवारी चूत चूसते हुए मुझे जो मज़ा उस वक़्त मिल रहा था वह मैं यहाँ शब्दों में नहीं बता सकता।

दीपू का हाल भी बुरा हो चला था। वह बस सी... सी... आह्ह ...आई ... जैसी आवाजें कर रही थी। मैंने अपनी चड्डी भी उतारी और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।

तभी उसकी माँ का फ़ोन बजने लगा। उसकी माँ उसको घर आने के लिए कह रही थी। दीपू ने कह दिया कि हम लोग रास्ते में बारिश के कारण रुक गये और अब चल पड़े हैं।

इसी वक़्त मैंने उसकी चूत में लंड का धक्का लगा दिया। उसकी चीख को उसने हाथ से दबा लिया और फिर फ़ोन काट कर बोली-तुम थोड़ा सब्र नहीं कर सकते थे? तुमने मुझे यहाँ पर नंगी कर रखा है। मैं घर की इज़्ज़त हूँ। अगर माँ को पता चल गया तो?

मैंने कहा-अब तुम्हें अपने घर की इज़्ज़त की फ़िक्र हो रही है?

वो बोली-लेकिन मैं लड़की हूँ। थोड़ा पर्दा तो रखना होता है। मैं जानती हूँ कि शाम को जब मैं सैर के लिए जाती हूँ तो तुम्हारे बिहारी दोस्त मुझे ऐसे घूरते हैं जैसे अभी कच्चा खा जायेंगे।

दीपू से मैंने कहा-क्या तुम जानती हो कि तुम्हारे चाचा की दोनों लड़कियों की चुदाई बिहारियों ने ख़ूब की हुई है!

वो बोली-अच्छा, तभी तो वह दोनों उनकी ओर मुस्कराकर देखती हुई जाती हैं।

मैंने कहा-हाँ, वह इलाक़ा पंजाबनों की चुदाई के लिए बदनाम है। वहाँ पर हर कोई पंजाबन की चुदाई करने के लिए मरा जाता है। मेरा एक दोस्त कॉलेज में पढ़ता है जो बताता है कि पंजाबनें बहुत चुदक्कड़ होती हैं और उसके कॉलेज की हर पंजाबन चुदी हुई है।

दीपू बोली-जब हमको घर से आज़ादी मिलती है तो हम चुदाई करवा लेती हैं। मगर हमें सब कुछ छिप कर करना होता है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हमें किसी के साथ चुदना पसंद है। तुम क़िस्मत वाले हो कि तुमने मुझे आज नंगी कर लिया। मैंने सोचा कि एक जमींदार का बड़ा लंड भी लेकर देख लेती हूँ। वरना सारी उम्र पता नहीं किस के लंड से चुदना है शादी के बाद।

वो बोली-मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी पहली चुदाई तु करेगा।

मैंने कहा-मैं तो कब से तुम्हें चोदना चाहता था। बस मौका ही आज मिला है।

वो बोली-तो फिर जल्दी करो अब, बातों का टाइम नहीं है। घर भी जाना है। बारिश रुक गयी है।

मैंने उसकी चूत के मुंह में लंड को रख कर धक्का दिया लेकिन उसकी बुर टाइट थी इसलिए मेरा मोटा सुपारा अंदर नहीं जा रहा था। फिर मैंने एक ज़ोर का झटका दिया तो सुपारा थोड़ा-सा अंदर चला गया।

मगर उसकी एकदम से चीख निकल गयी और मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। वह मुझे पीछे धकेलने लगी। मैंने लंड को बाहर निकाल लिया लेकिन उसकी चूत का दर्द कम नहीं हो रहा था। वह रोने लगी।

मैंने उसकी चूत पर अपनी गर्म जीभ से सहलाना शुरू कर दिया। इससे उसको कुछ राहत मिली। फिर मैंने उसकी चूत में जीभ को अंदर डाल दिया और उसकी चूत में फिर मज़ा आने लगा। कुछ ही देर में उसको मस्ती चढ़ने लगी।

दस मिनट तक मैंने उसकी चूत को चूसा और उसको ख़ूब मज़ा दिया। वह भी अपनी चूत को मस्ती में चुसवा रही थी। फिर वह शांत हो गयी।

मैंने पूछा-चूत को चुसवाना पसंद है तुमको?

वो बोली-हाँ इसमें बहुत मज़ा आता है।

मैंने कहा-ये सब कहाँ से सीखा तुमने?

वो बोली-मेरी सहेली पड़ोस के लड़के से रोज़ चुसवाती है। मैं उनको छुपकर देखा करती हूँ।

मैंने कहा-अगर तुम्हें भी सहेली की तरह मज़ा लेना है तो इस बारे में किसी को कुछ मत बताना। हाँ अगर तुम्हारी सहेली भी बुर में बड़ा लंड लेना चाहे तो मैं उसको भी मज़ा दे सकता हूँ।

तभी मैंने दीपू की चूत में लंड को धकेला तो उसकी चीख निकल गयी।

वो बोली-तुम्हारा लंड बहुत मोटा है।

मैंने कहा-बस तुम गांड को थाम कर रखो।

मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा मोटा लंड दीपू की चूत में घुस गया।

वो चीखने लगी और उसकी चूत से खून निकलने लगा। मगर मैंने बेरहमी दिखाते हुए उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। उसी वक़्त बारिश फिर से शुरू हो गयी।

मैंने कहा-देखो, आज भगवान भी तुम्हारी चुदाई के इशारे दे रहा है।

अब मैंने दीपू को तेज़ी से पेलना शुरू कर दिया था। उसकी आवाज़ें आह... आह... आयी... आयी... शी... शी पूरे कमरे में गूँज रही थी। थोड़ी देर बाद मेरा पूरा लंड उसकी कोमल चूत को फाड़ता हुआ अंदर तक जा रहा था। पचक-पचक की आवाज़ें आ रही थी।

हम दोनों किसी अलग ही दुनिया में थे। फिर मैंने दीपू की टांगो को उठा कर उसकी चुदाई शुरू कर दी। अब मैं उसके मम्मों को भी मसल रहा था। कभी मैं उसके होंठों को चूसता और कभी उसके गोरे चिकने गालों को चूस रहा था। दीपू ने अपनी आंखें बंद की हुई थीं। वह अपनी पहली चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी।

चुदाई के नशे में वह बड़बड़ाई-आह्ह ... ज़ोर से ... आज मैंने सब कुछ तुम्हें सौंप दिया है। मेरी चूत को फाड़ दो... अब मैंने दीपू को घोड़ी बना कर ज़ोर जोर से चोदना शुरू कर दिया। मेरा वीर्य भी बाहर आने वाला था।

मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और अपना वीर्य उसकी चूत के ऊपर डाल दिया। मैंने पंजाबन के नंगे जिस्म को वीर्य से भिगो दिया। कुछ देर तक दीपू और मैं एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे।

मैंने पूछा-पहली चुदाई के बाद कैसा लग रहा है?

वो बोली-तुम ने तो मुझे निचोड़ दिया। लेकिन मज़ा भी बहुत आया।

हमने कुछ देर आराम किया। उसके बाद दीपू ने अपनी चड्डी पहन ली।

दीपू बोली-अब मुझे दर्द हो रहा है चलते हुए.

मैंने कहा-कोई बात नहीं, पहली चुदाई का दर्द है। ये ठीक हो जायेगा।

उसके बाद हम लोगों ने अपने कपड़े पहन लिये। बारिश रुक गयी थी और हम लोग घर की ओर चल पड़े। घर पहुँच कर दीपू अंदर चली गयी और मैं अपने घर।

अगले दिन जब मैं दीपू से मिला तो वह मुझे देख कर मुस्करा रही थी। उसके मम्मे तने हुए थे। उसकी चाल भी बदली बदली-सी लग रही थी। शाम में दीपू अपनी सहेली को मुझसे मिलवाने ले आयी । फिर मैं कुछ दिन गाँव में ही रुक कर दीपू की चुदाई हर रोज करने लगा और कुछ दिनों के बाद मैंने देखा कि उसकी चूचियों का आकार बढ़ने लगा था।

पंजाबन की गांड अब पहले से ज़्यादा सेक्सी होती जा रही थी। वह चुदी हुई पंजाबन अब पहले ज़्यादा मस्त माल लग रही थी। फिर मैं अपने कालज लौट गया, वहाँ जाने के बाद भी उसकी और मेरी बातचीत होती रही। बाद में पता चला की दीपू कनाड़ा चली गयी।

फिर उसने बताया कि कनाडा में उसका एक बॉयफ्रेंड है। उसका बॉयफ्रेंड उसकी खूब चुदाई करता है, ये उसने खुद मुझे बताया। अब वो अपनी जिन्दगी में खुश थी। मुझे भी पंजाबन की कुंवारी चूत चोदने का सुनहरा मौका मिल चुका था जिसको मैंने खूब इंजॉय किया।



जारी रहेगी
 
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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 13

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसी गाँव में मैंने अपनी कुंवारी पड़ोसन की बारिश में चुदाई की. अब आगे

उधर जिस दिन मुझे शहर से चाचा ने गाँव भेजा था उस दिन सरबी जल्दी मे घर पहुंची और उसने सब्जी काट कर चूल्हे पर बननी रख दी। इतनी देर सुखा भी घर आ गया।

सुखा- ” सरबी कहा हो “।

सरबी- ” हा जी बोलो यहा रसोई मे हू, ” सरबी ने रसोई मे सुखे की बात का जवाब दिया।

सुखा – ” एक गिलास पानी देना और थोडी सी चाय भी बना दो “।

सरबी सुखा के लिये पानी ले आयी, ” चाय बना देती हू मे थोडी देर मे ” केह्ते हुए जेसे ही सरबी पल्टी

सुखा ने उसकी बाजू पकड ली, ” कहा जाना है “।

” अरे छोडिए ना कोई देख लेगा ” सरबी ने बाजू छुड़वने की कोसिस की। ” कौन देख लेगा, और वेसे भी अपनी बीवी की बाजू पकड़ी है किसी गैर की नही जो किसी के देखने से डर जाओ ” सुखा बोला।

” अछा, क्या बात है आज मूड मे लग रहे हो ” सरबी भी गरम होते हुए बोली।

” क़्यो सरबी मे मूड मे नही हो सक्ता क्या ” सुखा ने सरबी को खीच कर बैड पर गिर दिया और खुद उपर आ गया। ” आह्ह हयेए रुको भी पूरी रात बाकी है इस काम के लिये ” सरबी ने सुखा जिस्म को सहलाते हुए कहा। सरबी भी अब गरम हो चुकी थी।

” रात को भी कर लेगे पहले अबी तो कर लेन्व दे जान ” सुखा ने अपने पजामे का नाला खोला और फिर सरबी की सलवार को खोल मुलायम जांगौ तक उतर दी। सरबी तेज तेज सांसे ले रही थी, वो लंड लेने के लिये तडप रही थी। सुखा ने भी इन देर किये अपने लंड को हाथ मे पकडा और सरबी की चुत मे डाला लेकिन लाला का 12 इंची लंड ले चुकी सरबी के लिये सुखा का लंड बच्चे की लुल्ली जेसा था। सुखा ने जल्दी जल्दी घस्से मारने शुरु कर दिये और 2-3 मिंट मे ही पानी छोड़ दिया लेकिन सरबी की चुत हवस की आग मे जल उठी थी और सुखा के जल्दी पानी छोड़ देने की वजह से उसे गुस्सा आ गया। उसने सुखा को अप्ने उपर से उतर और सलवार बांधती हुई रसोई मे चली गयी। सरबी अपनी किस्मत को कोस रही थी और मन ही मन मे सुखा पर गुस्सा उतार रही थी। सरबी ने जेसे तेसे जल्दी जल्दी मे सब्जी और रोटी बनायी और नहा कर कपडे पहन रितु के घर जाने लगी .

तो सुखा बोला, ” कहा जा रही हो सरबी “।

” रितु के घर जा रही हू, रोज बताती हू लेकिन पता नही दिमाग है के गोबर जो भुल जाते हो, खाना बना पड़ा है भूख लगी तो खा लेना ” गुसे मे आगबबूला होती सरबी रितु के गहर मे चली गयी।

” रितु, घर पर ही हो ” कहती हुई सरबी रितु के घर मे दाखिल हुई। ” आजा सरबी अन्दर आजा ” रितु ने अन्दर से आवाज लगायी। सरबी अन्दर गयी तो वहा रितु के पास भूरा बेठा था।

” नमसते भाभी जी ” भूरा ने सरबी को देख दोनो हाथ जोडते हुए बोला।

” नमस्ते भूरा जी ” सरबी ने भूरा को जवाब दिया।

” तुम जानते हो एक दुसरे को ” रितु ने भूरा की तरफ देख अनजान सी बन्ते हुए पूछा।

” हा रितु भाभी, अज बाज़ार मे ही जान पहचान हुई है सरबी भाभी के साथ ” भूरा धान्के ने जवाब दिया।

” ये तो अछी बात है फिर तुम दोनो बाते करो मे चाय बना के लाती हू ” रितु इत्ना कहते हुए रसोई की तरफ चली गयी।

” क्या इत्तेफाक है भाभी जी एक ही दिन मे हम दुसरी बार मिल रहे है ” भूरा ने सरबी को देख कर कहा।

” हा भूरा, बाकी किस्मत होती है मिल्वने वाली ” सरबी ने भी जवाब दिया। भूरा सरबी की जवानी को निहार रहा था, सरबी कभी भूरा को देखती तो कभी शर्मा कर दिवारो की तरफ। लेकिन जब भी सरबी भूरा को देखती तो भूरा अपना लंड मस्ल्ता हुआ हस देता और सरबी भी स्माइल पास कर देती।

” वेसे बुरा ना मानो तो एक बात बोलू भाभी जी ” भूरा ने कहा।

” बोलो भूरा जी नही मानूगी बुरा ” सरबी ने बोला।

” भाभी जी आप जट्टी हो ना ” भूरा बोला।

” हा भूरा, जट्टी हू, क्यो ” सरबी ने भूरा की तरफ देख पूछा।

” भाभी जी, आप जट्टीयां ना उउफ्फ्फ रब दी कसम बहुत सोहनी होती हो ” भूरा सरबी को बोला।

” धन्यवाद भूरा जी तारिफ के लिये ” सरबी शर्मती हुई बोली।

” आपका पती तो किस्मत वाला है भाभी जी, आपका तो बहुत खयाल रखता होगा वो ” भूरा ने कहा।

” हा भूरा जी, ये तो है, लेकिन उन्हे काम से फुर्सत ही नही मिलती ” सरबी ने जवाब दिया।

” अरे कितना गधा है फिर तो वो, इत्नी हसींन जट्टी बीवी हो और काम से फुर्सत ना ले बंदा, माफ करना भाभी जी वो मुंह से गधा निकाल गया, ” भूरा चालाकी से बोला।

” कोई बात नही भूरा जी अब जो गधा है उसे तो गधा ही कहेगे ” सरबी ने जवाब दिया।

भूरा का हौंसला बढ गया, ” भाभी जी कही आपके जेसी जट्टी मेरि बीवी होती तो मैं तो काम ही छोड़ देता ” भूरा अपनी जगह से उठ कर सरबी के पास आ गया और सरबी का हाथ अप्ने हाथ मे पकड लिया।

सरबी थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन उसकी चुत सुखा की गलती की वजह से अब भी भट्ठी की तरह जल रही और लंड मांग रही थी।

” हटो ना भूरा जी रितु घर मे ही है ” सरबी थोड़ा डरते हुए बोली।

” वो कुछ नही कहेगी भाभी जी ” भूरा ने अप्ने हाथ से सरबी का मुंह अपनी तरफ किया और उसकी आंखो मे देखता हुआ बोला, ” मुझे भी तुम जेसी जट्टी चाहिये अप्ने लिये “।

” जट्टी मांगने से नही किस्मत से मिलती है भूरा ” सरबी ने भूरा को जवाब दिया और अप्ना हाथ छुड़वाने कज कोसिस करने लगी।

” बुरा मत मानना सरबी जट्टी लेकिन मे तो तुमसे अब प्यार कर्ना चाहता हू, जिन्दगी भर के लिये तुम्हे अपनी बनाना चाहता हू ” भूरा ने अब अपना हाथ सरबी के मम्मे पर रख दिया।

जेसे ही भोर का हाथ सरबी के मम्मे पर गया सरबी की सिसकी निकाल गयी, ” आह्ह्ह भूरा छोडो भी मुझे “।

” पहले मेरि बात का जवाब तो दे दो जान, बनोगी इस धान्के की जट्टी ” भूरा बोला। इस से पहले सरबी कुच कहती रितु चाय ले के अन्दर आ गयी और दोनो को देख वापिस मुड़ने लगी, ” अरे, लगता है मे गलत टाईम पर आ गयी “।

” अरे नही रितु भाभी आ जाओ हम तो बस उही बेथे थे ” भूरा ने रितु को बोला और उठ कर दुसरी तरफ आ गया। सरबी भी रितु से शर्मा सी गयी। रितु ने टेबल पर चाय रखी और खुद बेठ्ते हुए बोली, ” लो भूरा चाय पीयो, तुम भी लो सरबी। ”

” नही मे चलता हू भाभी, मुझे काम है ” भूरा एसा कहता हुआ घर से चला गया।

पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी

 

aamirhydkhan

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 14

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे भूरा सरबी पर डोरे दाल उसे पटाने की कोशिश कर रहा था . अब आगे .

भूरा के जाते ही रितु सरबी के पास आ बेठी, “अए हाये अब रो तू भी मर्दो से खेलना सीख गयी” रितु ने सरबी को कन्धा मारते हुए कहा।

“आह्ह क्या लेर्ती हो रितु वो तो बस हम यूही बाते कर रहे थे” सरबी ने बात टालने के लिये कहा।

“”अछा जी, बाते कर रहे थे, वो भी हाथो मे हाथ डाल के, इत्नी भोली नही हू मे मेरि जट्टी” रितू ने सरबी को देखते हुए कहा, “बता ना क्या कह रहा था धानका तुम्हे”।

“कुच नही बस कह रहा था की मे बहुत सुन्दर हू और उसे भी एसी ही सुन्दर बीवी चाहिये” सरबी ने कहा।

“हम्म्म सुन्दर बीवी चाहिये यां फिर यह जट्टी चाहिये” रितु ने सरबी को देख कहा।

” अब तुमने भी तो फिर सुना ही ना के वो क्या बोला तो क्यू पुछ रही है फिर” सरबी ने रितु से कहा।

“ऊहो अब मे पूछू भी ना, वेसे एक बात बोलू, फंसा ले इस धान्के को, बहुत मालदार है साला” रितु ने सरबी से कहा।

“मालदार मतलब ” सरबी ने रितु से पुछा।

“अरे मतलब पेसा बहुत है इसके पास, अए दिन कोई ना कोई काण्ड करता रहता है, तेरी तो पंचो उंगलिया घी मे होगी, ” रितु ने सरबी को देखते हुए कहा, “घर मे बेठी को पेसा खिलाएगा तुम्हे”।

“लेकिन ये तो बदमाश है ना, मोहल्ले वाले तो सब इस से डरते है” सरबी बोली।

“तो उसमे तेरा ही फायदा है, देख अगर तू भूरा के साथ सेट हो जाती है तो कोई भी तुझे आंख उठा के नही देखेगा, और फिर तेरा खर्च भी तो दिया करेगा, ” रितु सरबी को बोल रही थी।

“बात तू सही कर रही है रितु, और वसे भी मेरा जाना ही क्या है”सरबी ने कहा।

“हा तेरा क्या जाना है, तुमे तो बस टाँगे ही फैलानी हिया उसके आगे” रितु बोली और दोनो हंस पड़ी।
रात बहुत हो गयी थी तो दोनो सो गयी। सुबह उठते ही चाय पीकर सरबी घर चली गयी और नाश्ता तैयार किया और खुद दोपहर की रोटी लेकर अपने काम पर चली गयी।

उधर रितु भी लाला के पास पहुंच गयी उसे उसका वादा याद दिलाने। रितु जब दुकान पर पहुंची तो लाला बेठा था।

“राम राम लाला जी” रितु ने दुकान मे जाकर कहा।

बनवारी लाला ने उपर देखा, “अरे राम राम रितु, आओ बेठो” रितू को बेठने के लिये कहा।

“बेठने नही आयी हू लाला जी, काम पर जाना है मुझे अभी, मे तो अपको अपका वादा याद दिलने आयी हू” रितु लाला को बोली।

“अरे रितु रानी याद है तेरा वादा मुझे, भूला थोड़े हू मे” लाला हस्ता हुआ रितु से बोला।

“तो फिर मारो ना लकीर हमारे कर्ज पर, अब तो जट्टी आपकी सेज पर सो भी चुकी है” रितु लाला से बोली।

“हाये रितु, बहुत पुणय किया है तुने जट्टी को लाला के बिस्तर पर लाके” लाला हंसता हुआ बोला।

“तो थोड़ा सा पुण्य आप भी करदो ना लाला जी अब हम पर” रितु बोली

“अरे ये ले रानी तू भी क्या याद रखेगी” लाला ने रितु को उसका हिसाब दिखाते हुए उस पर लकीर मार दी, “अब तो खुश हो ना”।

रितु अप्ना कर्ज माफ हुआ देख खुश हो गयी, “जीते रहो लाला जी, बडे दिल्वले हो आप”।

“वो तो हू जान, अब कर्ज तो माफ हो गया तेरा, लाला को भी खुश कर्दे फिर अब” लाला रितु को देख कर बोला।

“आज नही लाला जी जरूरी काम है मुझे फिर आओगी कभी” रितु बोली।

“फिर कब जान” लाला ने रितु से पुछा।

“एक दो दिन मे आती हू लाला जी, कोई और काम हो तो बता देना” रितु लाला से कहती चली गयी।
लाला को चुत लिये बहुत दिन हो चुके थे और उसका लंड अब चुत मे जाने के लिये मचल रहा था। उसने जल्दी से फोन निकाला और सरबी का नंबर मिलाया।

सरबी ने फोन उठाया, “हेल्लो”।

“केसी है मेरि जट्टी” लाला ने जवाब दिया।

“आपके बिना केसी हो सकती हू लाला जी” सरबी ने सेक्सी आवाज मे जवाब दिया।

“हयेए जट्टी, आज बहुत मन कर रहा तुमे मिलने का” लाला ने लंड मस्ल्ते हुए कहा।

“हयेए लाला जी मैन तो मेरा भी कर रहा है, लेकिन कया करु फुर्सत ही नही मिलती” सरबी ने कहा।

“आज रात को आजा जट्टी लाला से मिलने, कहे तो मे आ जाता हू” लाला बोला।

“आजागी लाला जी” सरबी लाला के लंड को करती हुई बोली।

“ठीक है जान, इंतज़ार करुगा तेरा, टाईम पर आ जाना” लाला ने कहा।

“हाये लाला बुलाए और जट्टी ना आये, अप बेफिक्र रहिये लाला जी मे आ जाओगी, अछा रखती हू फ़ोन” सरबी ने फोन रखते हुए बोला और लाला के लंड के सपने लेने लगी।


पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
 
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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 15

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मेरा चाचा और सरबी फिर मिलने का कार्यक्रम बनाते हैं . अब आगे .

शाम हो चुकी थी और सरबी भी आज जल्दी काम से घर आ गयी। सरबी आज खुशी मे झूम सी रही थी क्योकी आज फिर से जट्टी की चुत मे बनवारी लाल का लंड जाने वाला था। सरबी ने घर का सारा काम कर दिया था, सब्जी और रोटिया बना के रख दी और खुद वह नहा धो के नयी नवेली दुल्हन की तरह सज गयी और रितु के घर चली गयी।

रितु ने जेसे ही सरबी को देखा तो बोली, ” अज कहा चली जट्टी इतना तैयार हो के “।

सरबी – ” सुन ना रितु, मेरे साथ चल ना लाला जी के यहा “।

रितु – ” ओहो इसिलिए चेहरे पर इत्नी रोनक है, लेकिन आज मे नही जा पाओगी सरबी “। रितु ने कहा।

सरबी – ” क़्यो अज कया है, प्लीज आज की रात चल मेरे साथ फिर नही कहुगी “।

रितु – ” मेरे रिश्तेदार आ रहे है सरबी वर्ना मुझे कोई दिक्कत नही थी आने मे, समझा कर।

सरबी – ” अछा ठीक है, मे चलती हू फिर सुखा को मे तेरे घर का बोल के आयी हू, संभाल लेना अगर पुछे तो “।

रितु – ” हा उसकी फ़िकर मत कर तू, जा मजे ले जवानी के ” रितु ने सरबी को मुस्कुरते हुए कहा।

सरबी अकेली ही लाला की दुकान की तरफ चल दी, शाम के करीब 8 बज रहे थे और सरबी भीड भरे बजार मे से होती हुई लाला की दुकान की तरफ कदम बढ़ा रही थी। लाला बनवारी लाल भी जट्टी के आने का इंतज़ार कर रहा था। लाला ने अफीम की एक तकडी गोली मुह मे डाली और उपर से अंग्रेजी शराब का पेग लगा लिया। लाला आज पूरे मूड मे हुआ बेठा था और 5वा पेग रहा था के इतने मे उसे पायल की आवाज सुनाई दी, सरबी दुकान के पास पहुंची तो अन्दर से लाला बोला, ” आओ सरबी जट्टी आ गयी जान “।

सरबी दुकान् मे आ गयी, ” अपको केसे पाता चला लाला जी के मे ही हू “।

लाला- ” हाये जट्टी की इस खनकती पायल ने बता दिया था जान “। लाला उठा और उसने दुकान का दरवाजा लगा दिया और लाईट ऑन कर दी। सरबी पास ही कुर्सी पर बेठ गयी उसने काले रंग का सूट पहना था जो उसके गोरे रंग को और भी चमका रहा था।

लाला ने बोतल और गिलास उठाते हुए सरबी के पास ही कुरसी पर आ बेठा, ” एक पेग लगओगी जान ” लाला ने सरबी से पूछा।

” नही लाला जी मे नही पिती ” सरबी ने ना मे सर हिला दिया,

” अरे तो पीती नही तो फिर अपने लाला के लिये अपने हाथो से पेग बना दे ” लाला ने सरबी बोतल और गिलास थमाते हुए कहा।

सरबी ने भी अपने गोरे हाथो से दर गिलॉस मे डाली, ” ये लिजिये लाला जी “।

” एसे नही जट्टी, अपने लाला की गोद मे बेठ अपने हाथो से पिलाओ ” लाला ने सरबी की तरफ देखकर कहा “।

सरबी भी अपनी कुर्सी से उठी ही थी के लाला ने कमर से पकड उसे गोद मे बिठा लिया ओर सरबी के हाथो से बना हुआ पेग पी लिया,

” आये हाये जट्टी के हाथो मे आने शराब का नशा ही दुग्ना हो गया “। लाला सरबी के जिस्म को मस्ल्ता हुआ बोला।

” बता ना फिर सरबी किसकी जट्टी है तू ” लाला सरबी को अपनी तरफ घुमाते हुए बोला।

सरबी ने अपनी बाहे लाला के गले मे डाल ली, ” आपकी जट्टी हू लाला जी “।

” हाये जट्टीये ” लाला ने सरबी का मम्मा दबाया और उसका होंठो को चूम लिया। ” भगवान का लाख लाख शुकर है जो मुझे ४५ की उमर मे ये नर्म नर्म जट्टी मिलवा दी ” लाला बोला।

” हाये लाला जी धीरे बोलो कोई सून लेगा ” सरबी ने लाला के मुह पर हाथ रखते हुए कहा।

लाला ने चूम्ते हुए सरबी हाथ मुह से हटाया, ” लोगो को छोड़ जट्टीये, हमे तो हमारा काम करना है, तू चल आगे रुम मे, मे आता हू “, लाला सरबी को चूम कर बोला।

सरबी लाला की गोद से उठी और पीछे के उसी रूम मे चली गयी। सरबी अन्दर आकर बेड़ पर बेठ गयी।

लाला ने भी दुकान के दरवाजे को ताला लगाया और फिर लाईट ऑफ़ कर बोतल साथ लेके अन्दर चला गया। लाला अन्दर आ बैड पा लेट गया और उसने अपना सर सरबी की गोद मे रख दिया। सरबी और लाला एक दुसरे को देख रहे थे, लाला ने सरबी को झुकाते हुए उसके होंठ चूमने शुरु कर दिये और बोतल निचे रख एक हाथ से उस्के मम्मे मस्ल्ने लगा। सरबी भी लाला के सर को सहलाते हुए लाला को चूमे जा रही थी।

5 मिंट तक दोनो एसे ही एक दुसरे के होंठो को चूम्ते रहे, फिर लाला बैड पर बैड गया और उसने सरबी को सामने ले आया। लाला नए सरबी की कुर्ती उतार दी और ब्रा के उपर से उसके मम्मे चुस्स्ता हुआ पीछे हाथ डाल ब्रा की हुक खोल दी जिस से सरबी के मुम्मे लाला के सामने थे

। लाला ने सरबी को अपने पास खीच तो सरबी ” आह्ह्ह लाला जी ” कहती हुई लाला के करीब आ गयी। लाला ने अपनी बोतल उठायी और सरबी के मुम्मे पर शराब डालते ह्हे चूसने लगा, म्मुआह्ह उउम्माआ, सरबी भी लाला के जिस्म को सहलाते हुए मजा ले रही थी उउउह्ह्ह आह्ह्ह्ह की आवाजे निकाल रही थी। लाला काफी देर तक एसे ही सरबी के मुम्मो पर थोडी थोडी शराब डाल कर चुस्स्ता रहा और फिर एक दम से सरबी की सलवार का नल खोल दिया जिस से सलवार ढीली होकर सरबी के मे गिर गयी और सरबी पूरी नंगी लाला के सामने खडी थी।

” जट्टीये ” लाला सरबी को देखते हुए बोला। सरबी ने भी लाला की तरफ देखा, ” जी लाला जी “। ” इसका स्वाद तो चख्वा दे जान ” लाला सरबी की चुत को उंगलियो से छूकर बोला।

” आह्ह्ह लाला जी, चख लिजिये ना, आपके लिये ही तो है ” सरबी ने लाला को देख कर कहा। लाला ने सर्बी बैड पर लेटा लिया और टाँगे खोल कर बीच मे आ गया। लाला ने उंगलियो से सरबी की चुत को खोला और जीभ डाल कर चाटने लगा, सरबी भी आअह्ह्ह लाला जी चट्टीये उउउह्ह्ह कहती हुई स्वाद से चुत चटवा रही थी, लाला ने अपनी बोतल उठायी और शराब सरबी की चुत पर डालते हुए पीने लगा चुत चाटने लगा, सरबी भी लाला की इस हरकत से गरम हो गयी और उसकी चुत पानी छोड़ने लगी, लाला शराब चुत के उपर डालकर कित्नी ही देर तक सरबी की चुत को चाटता रहा।

फिर एकाएक लाला खडा होकर निचे आ गया और उसने जट्टी को भी निचे आने को कहा। सरबी बैड से उठ कर लाला के पास आ गयी, लाला ने सरबी निचे बेठते हुए अपने लंड की तरफ इशारा किया। सरबी भी समझ गयी और उसने लाला की धोती उतरनी शुरु करदी। जेसे ही सरबी ने लाला की धोती उतारि अन्दर से लाला का मूसल सरबी के आंखो के सामने आ गया।

सरबी ने प्यार से लंड को अपने हाथ मे लेते हुए सहलाने लगी और फिर लाला की तरफ देखते हुए उसे मुह मे डाल लिया, उम्म्ंंं उउउम्माआ लाला जी कहती हुई सरबी लाला का लंड चूस रही थी और लंड के निचे लटकते गोटे सहला रही थी। लाला ने सरबी के मुंह के धक्के मार जट्टी का मुंह छोड़ना शुरु कर दिया। ” आअह्ह्ह्ह चुस्स जट्टी, चुस लाला के लंड को ” लाला सरबी के मुंह मे धक्के मार रहा था।

सरबी भी लाला के लंड मजे से चूसे जा रही थी, ” उउउम्माआ लाला जी बहुत टेस्टी है अपका लंड “।

” चुस ले जट्टी लाला का टेस्टी लंड ” लाला सर्बी के मुह मे धक्के मारता हुआ बोला।

सरबी भी घुटनो के बल बेठ कर लाला का मूसल जेसा लंड चूसे जा रही थी। सर्बी लाला के लंड को चुस रही थी के अचानक उसे अपने मुह मे कुछ गर्म पानी मेहसूस हुआ, जेसे ही उसने लंड मुह् से निकाला लाला के लंड से विराज की पिचकारी निकल सरबी के मुह पर पड़ी।

सरबी ने लाला की तरफ देखा तो लाला हस्ता हुआ बोला, ” क्या हुआ जट्टी “। सरबी कुछ बोलती इत्ने मे एक और पिचकारी उसके मुह पर पड़ी और निचे मम्मो पर गिर पड़ी।

पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
 

aamirhydkhan

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 16

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे सरबी फिर लाला से मिलने गयी और लाला ने दारु के साथ सरबी की चुदाई शुरू करि . अब आगे .

सरबी लाला के लंड को सहल्ने लगी जो अभी अभी सरबी के मुह और मम्मो पर झड़ चुका था, सरबी ने लाला की तरफ देखते हुए पुछा, “ये सब आपके लिए क्या है लाला जी”। फिर सरबी ने अपने मम्मो पर गिरे लंड के पानी की तरफ इशारा किया।

“अरे लाला का बीज है जट्टी, इसी बीज से तो तेरी कोन्ख हरी करुगा मे” लाला ने कहा और मुस्कुरा पड़ा
सरबी भी लाला की बात सुन मुस्कुरा दी, और फिर उठ कर एक कपडे से अपने मुह और मम्मो को साफ़ किया। लाला भी सरबी के पीछे ही आ गया और उसने अपने आधा खडा लंड सरबी के चुतडौ की दरार मे फसा कर सरबी की गर्दन को किस्स करते हुए उसके मुम्मे पकड कर मसल दिये। “स्सीईई हयेए लाला जी” सरबी की सिसकी निकल गयी और लाला धीरे धीरे वसे ही अपना लंड सरबी के चुतडो मे मसल कर खडा करने लगा।

सरबी कहने लगी . "लाला जी आपसे कुछ अर्ज करनी थी"

लालजी उसे चुम कर कहने लगे- बोल सरबी क्या चाहती है तू ?

" अरे लालजी ज्यादा नही लाला जी बस अपना खाता साफ चाहिये”। सरबी ने भी तीर चला दिया और थोड़ा दूर खिसक गयी

लाला . समझ गया की जट्टी अब अपनी बात मनवा कर ही मानेगी - "ठीक है कर दूंगा पर अपने तरीके से किसी को शक नहीं होना चाहिए . सगली फसल आने पर हिसाब साफ़ कर दूंगा . अभी दुनिया के लिए सब ऐसे ही चढ़े रहन दे मेरी जट्टिए अब आजा मेरे पास " और जट्टी महरबानी लाला जी कह लाला से चिपक गयी और लाले को चूमने लगी

थोड़े समय मे ही लाला का लंड फिर से सर उठा कर तैयार खडा था, लाला ने वही पर सरबी को आगे को किया और सरबी दीवार के सहारे आगे की तरफ झुक कर घोड़ी बन गयी। लाला ने अपना लंड सरबी की चुत पर मस्ल्ने लगा और उसे चुत के छेद पर दबाने लगा। लाला ने हल्का सा जोर दिया तो लंड का टोपा चुत को चीर अन्दर चला गया। “तैयार हो ना जट्टी ” लाला ने सरबी को पुछा।

“स्सीई हा लाला जी तैयार हू” सरबी मे कहा। लाला ने सरबी की हा सुन्ते ही एक धक्का मारा और लंड चुत को चीरता हुआ आधा अन्दर जा घुसा।

“हयेई मर् गयी, लाला जी धीरे उउउफ्फ्फ” सरबी ने सिसकी ली। “तेरे जेसे जट्टी लंड के आगे हो तो अप्ने आप जोर लग जता है जान” लाला ने कहा और एक धक्का और दे मारा जिस से लंड चुत को चीर जड़ तक अन्दर चला गया, ” आअह्ह्ह्ह्ह लाला जी स्स्सीईईई” लाला के धक्के से सरबी आगे को हो चली और दीवार से टकराते बच गयी, सरबी को लाला का लंड अपने अन्दर गहरायी तक मेहसूस हो रहा था, लाला ने अब हल्के हल्के धक्के लगाने स्टार्ट किये वो लंड को थोड़ा सा बाहर निकलता और फिर अन्दर डाल देता, सरबी भी अब सहज होती हुई लाला के लंड का मजा लेने लगी, आअह्ह्ह्ह उउउफ्फ्फ्फ्फ की आवाजे निकालने लगी। लाला ने अब धीरे धीरे धक्के तेज कर दिये थे और औरे जोश मे छोड़ने लगा, जब लाला का का लंड अन्दर जाता और लाला के पट्ट सरबी के चुतडौ से टकराते तो थपथप की आवाज आ रही थी।

सरबी भी आआह्ह्ह्ह उउउउफ्फ लाला जी स्स्सीईई हयेए तेज चोदो अपनी जट्टी को स्सीई करती हुई सिसकिया लेते लाला से चुदवाए जा रही थी।

” स्स्स्सीईई हयेई लाला जी चोदो अपनी जट्टी की उउउउफ्फ्फ” सर्बी पीछे मुड़कर लाला को देखती हुई बोली।

लाला भी सरबी की बात सुन जोश मे आ गया और उसने और तेज तेज धक्के लगाने चालू कर दिये, “चोद रहा हू जान, तुझेचोदने के लिये तो लाला कबसे बेताब था”।


लाला सरबी की कमर को पकड कर अपना लंड उसकी चुत की गहराईयो मे उतर रहा था। एक दम से लाला लंड बाहर खीचता और फर से एक ही झटके मे अन्दर डाल देता, कमरे सरबी की सिसकिया और उसके पैरो की पायल की खन खन सुनाई दे रही थी जो इस बात की गवाही भर रही थी के अज फिर जट्टी लाला के लंड से चुद रही है। लाला भी धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था और सरबी जो कल तक पराये मर्द को देखती तक ना थी अज लाला के लंड के आगे घोड़ी बनी हुई थी। सरबी लाला की ताकत के आगे दो बार झड़ चुकी थी और अब लाला भी अपनी मंजिल के करीब था।

उसने सर्बी को बाजुओ के कोहनी से पकडा और तेज तेज घस्से मारने लगा, “आह्ह्ह सरबी मेरि जट्टी तेरे लाला का बीज निकलने वाला है, सम्भाल लेगी ना इसे अपनी कोन्ख मे”, लाला बोला।

“हायेए लाला जी आह्ह्ह्ह हा सम्भाल लगी उउउफ्फ्फ्फ अप डाल दो अन्दर ही”, सरबी ने भी सिसकिया लेती हुई ने जवाब दिया। लाला ने सरबी की बात सुन एक और का धक्का मारा और लंड को सरबी की चुत मे पुरा डाल कर रुक गया, लाला के लंड से वीज की धार सरबी की चुत मे पड़ रही थी, सरबी के चेहरे पर एक सुकून भरी खुशी और तस्सल्ली थी जो उसे लाला के लंड ने दी। पुरा वी्ज सरबी की चुत मे छोड़ लाला ने लंड बाहर निकाला और सरबी अब सीधी खडी हुई तो लाला ने उसे सीने से सटा लिया

“मजा आया जान अपने लाला के साथ”, लाला ने सरबी की तरफ देखते हुए पुछा, सरबी ने मुस्करा कर लाला की तरफ देखा, “हा लाला जी बहुत मजा आया”, सरबी ने कहा और लाला ने उसके होंठ चूम्ने सुरु कर दीये, “उउउफ्फ्फ छोडिए लाला जी अब कपडे पहनने दिजीये”, लाला ने सरबी से खुद को छुड़ा कपडे पहनने लगी, लाला सम्ने बैड पर बेठ कर सर्बी को देखने लगा और अप्ना लंड सहलाने लगा, सरबी कपडे पहनती हुई लाला को देख रही थी, “अब इसे क्यो सहला रहे हो लाला जी”सरबी लाला को देखकर बोली, “हाये जान ये तुमरे अन्दर जाना चाहता है और मे इसे समझा रहा हू”लाला ने सरबी को कहा, “अच्छा अभी तो निकला है अन्दर से ये” सरबी मुस्कुरते हुए बोली, “हा लेकिन क्या करे जट्टी है ही इत्नी सुन्दर के इसे बाहर आने का मन ही नही करता”, लाला ने कहा, सरबी ने कपडे पहन लिये थे

“अच्छा लाला जी अब मे चलती हू, इसे कहिये कुच दिन बाद आओगी तब अन्दर जायेगा ये”, इत्ना कहती हुई सरबी लाला की दुकान से बाहर निक्ली और ढलती रात के अन्धेरे मे रितू के घर आ गयी।

उसी दिन मैं गाँव से लौटा और ढलती रात के अन्धेरे मे मैंने सरबी को छिपते छिपाते अपने घर से निकलते हुए देख लिया


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Neerav

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 15

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मेरा चाचा और सरबी फिर मिलने का कार्यक्रम बनाते हैं . अब आगे .

शाम हो चुकी थी और सरबी भी आज जल्दी काम से घर आ गयी। सरबी आज खुशी मे झूम सी रही थी क्योकी आज फिर से जट्टी की चुत मे बनवारी लाल का लंड जाने वाला था। सरबी ने घर का सारा काम कर दिया था, सब्जी और रोटिया बना के रख दी और खुद वह नहा धो के नयी नवेली दुल्हन की तरह सज गयी और रितु के घर चली गयी।

रितु ने जेसे ही सरबी को देखा तो बोली, ” अज कहा चली जट्टी इतना तैयार हो के “।

सरबी – ” सुन ना रितु, मेरे साथ चल ना लाला जी के यहा “।

रितु – ” ओहो इसिलिए चेहरे पर इत्नी रोनक है, लेकिन आज मे नही जा पाओगी सरबी “। रितु ने कहा।

सरबी – ” क़्यो अज कया है, प्लीज आज की रात चल मेरे साथ फिर नही कहुगी “।

रितु – ” मेरे रिश्तेदार आ रहे है सरबी वर्ना मुझे कोई दिक्कत नही थी आने मे, समझा कर।

सरबी – ” अछा ठीक है, मे चलती हू फिर सुखा को मे तेरे घर का बोल के आयी हू, संभाल लेना अगर पुछे तो “।

रितु – ” हा उसकी फ़िकर मत कर तू, जा मजे ले जवानी के ” रितु ने सरबी को मुस्कुरते हुए कहा।

सरबी अकेली ही लाला की दुकान की तरफ चल दी, शाम के करीब 8 बज रहे थे और सरबी भीड भरे बजार मे से होती हुई लाला की दुकान की तरफ कदम बढ़ा रही थी। लाला बनवारी लाल भी जट्टी के आने का इंतज़ार कर रहा था। लाला ने अफीम की एक तकडी गोली मुह मे डाली और उपर से अंग्रेजी शराब का पेग लगा लिया। लाला आज पूरे मूड मे हुआ बेठा था और 5वा पेग रहा था के इतने मे उसे पायल की आवाज सुनाई दी, सरबी दुकान के पास पहुंची तो अन्दर से लाला बोला, ” आओ सरबी जट्टी आ गयी जान “।

सरबी दुकान् मे आ गयी, ” अपको केसे पाता चला लाला जी के मे ही हू “।

लाला- ” हाये जट्टी की इस खनकती पायल ने बता दिया था जान “। लाला उठा और उसने दुकान का दरवाजा लगा दिया और लाईट ऑन कर दी। सरबी पास ही कुर्सी पर बेठ गयी उसने काले रंग का सूट पहना था जो उसके गोरे रंग को और भी चमका रहा था।

लाला ने बोतल और गिलास उठाते हुए सरबी के पास ही कुरसी पर आ बेठा, ” एक पेग लगओगी जान ” लाला ने सरबी से पूछा।

” नही लाला जी मे नही पिती ” सरबी ने ना मे सर हिला दिया,

” अरे तो पीती नही तो फिर अपने लाला के लिये अपने हाथो से पेग बना दे ” लाला ने सरबी बोतल और गिलास थमाते हुए कहा।

सरबी ने भी अपने गोरे हाथो से दर गिलॉस मे डाली, ” ये लिजिये लाला जी “।

” एसे नही जट्टी, अपने लाला की गोद मे बेठ अपने हाथो से पिलाओ ” लाला ने सरबी की तरफ देखकर कहा “।

सरबी भी अपनी कुर्सी से उठी ही थी के लाला ने कमर से पकड उसे गोद मे बिठा लिया ओर सरबी के हाथो से बना हुआ पेग पी लिया,

” आये हाये जट्टी के हाथो मे आने शराब का नशा ही दुग्ना हो गया “। लाला सरबी के जिस्म को मस्ल्ता हुआ बोला।

” बता ना फिर सरबी किसकी जट्टी है तू ” लाला सरबी को अपनी तरफ घुमाते हुए बोला।

सरबी ने अपनी बाहे लाला के गले मे डाल ली, ” आपकी जट्टी हू लाला जी “।

” हाये जट्टीये ” लाला ने सरबी का मम्मा दबाया और उसका होंठो को चूम लिया। ” भगवान का लाख लाख शुकर है जो मुझे ४५ की उमर मे ये नर्म नर्म जट्टी मिलवा दी ” लाला बोला।

” हाये लाला जी धीरे बोलो कोई सून लेगा ” सरबी ने लाला के मुह पर हाथ रखते हुए कहा।

लाला ने चूम्ते हुए सरबी हाथ मुह से हटाया, ” लोगो को छोड़ जट्टीये, हमे तो हमारा काम करना है, तू चल आगे रुम मे, मे आता हू “, लाला सरबी को चूम कर बोला।

सरबी लाला की गोद से उठी और पीछे के उसी रूम मे चली गयी। सरबी अन्दर आकर बेड़ पर बेठ गयी।

लाला ने भी दुकान के दरवाजे को ताला लगाया और फिर लाईट ऑफ़ कर बोतल साथ लेके अन्दर चला गया। लाला अन्दर आ बैड पा लेट गया और उसने अपना सर सरबी की गोद मे रख दिया। सरबी और लाला एक दुसरे को देख रहे थे, लाला ने सरबी को झुकाते हुए उसके होंठ चूमने शुरु कर दिये और बोतल निचे रख एक हाथ से उस्के मम्मे मस्ल्ने लगा। सरबी भी लाला के सर को सहलाते हुए लाला को चूमे जा रही थी।

5 मिंट तक दोनो एसे ही एक दुसरे के होंठो को चूम्ते रहे, फिर लाला बैड पर बैड गया और उसने सरबी को सामने ले आया। लाला नए सरबी की कुर्ती उतार दी और ब्रा के उपर से उसके मम्मे चुस्स्ता हुआ पीछे हाथ डाल ब्रा की हुक खोल दी जिस से सरबी के मुम्मे लाला के सामने थे

। लाला ने सरबी को अपने पास खीच तो सरबी ” आह्ह्ह लाला जी ” कहती हुई लाला के करीब आ गयी। लाला ने अपनी बोतल उठायी और सरबी के मुम्मे पर शराब डालते ह्हे चूसने लगा, म्मुआह्ह उउम्माआ, सरबी भी लाला के जिस्म को सहलाते हुए मजा ले रही थी उउउह्ह्ह आह्ह्ह्ह की आवाजे निकाल रही थी। लाला काफी देर तक एसे ही सरबी के मुम्मो पर थोडी थोडी शराब डाल कर चुस्स्ता रहा और फिर एक दम से सरबी की सलवार का नल खोल दिया जिस से सलवार ढीली होकर सरबी के मे गिर गयी और सरबी पूरी नंगी लाला के सामने खडी थी।

” जट्टीये ” लाला सरबी को देखते हुए बोला। सरबी ने भी लाला की तरफ देखा, ” जी लाला जी “। ” इसका स्वाद तो चख्वा दे जान ” लाला सरबी की चुत को उंगलियो से छूकर बोला।

” आह्ह्ह लाला जी, चख लिजिये ना, आपके लिये ही तो है ” सरबी ने लाला को देख कर कहा। लाला ने सर्बी बैड पर लेटा लिया और टाँगे खोल कर बीच मे आ गया। लाला ने उंगलियो से सरबी की चुत को खोला और जीभ डाल कर चाटने लगा, सरबी भी आअह्ह्ह लाला जी चट्टीये उउउह्ह्ह कहती हुई स्वाद से चुत चटवा रही थी, लाला ने अपनी बोतल उठायी और शराब सरबी की चुत पर डालते हुए पीने लगा चुत चाटने लगा, सरबी भी लाला की इस हरकत से गरम हो गयी और उसकी चुत पानी छोड़ने लगी, लाला शराब चुत के उपर डालकर कित्नी ही देर तक सरबी की चुत को चाटता रहा।

फिर एकाएक लाला खडा होकर निचे आ गया और उसने जट्टी को भी निचे आने को कहा। सरबी बैड से उठ कर लाला के पास आ गयी, लाला ने सरबी निचे बेठते हुए अपने लंड की तरफ इशारा किया। सरबी भी समझ गयी और उसने लाला की धोती उतरनी शुरु करदी। जेसे ही सरबी ने लाला की धोती उतारि अन्दर से लाला का मूसल सरबी के आंखो के सामने आ गया।

सरबी ने प्यार से लंड को अपने हाथ मे लेते हुए सहलाने लगी और फिर लाला की तरफ देखते हुए उसे मुह मे डाल लिया, उम्म्ंंं उउउम्माआ लाला जी कहती हुई सरबी लाला का लंड चूस रही थी और लंड के निचे लटकते गोटे सहला रही थी। लाला ने सरबी के मुंह के धक्के मार जट्टी का मुंह छोड़ना शुरु कर दिया। ” आअह्ह्ह्ह चुस्स जट्टी, चुस लाला के लंड को ” लाला सरबी के मुंह मे धक्के मार रहा था।

सरबी भी लाला के लंड मजे से चूसे जा रही थी, ” उउउम्माआ लाला जी बहुत टेस्टी है अपका लंड “।

” चुस ले जट्टी लाला का टेस्टी लंड ” लाला सर्बी के मुह मे धक्के मारता हुआ बोला।

सरबी भी घुटनो के बल बेठ कर लाला का मूसल जेसा लंड चूसे जा रही थी। सर्बी लाला के लंड को चुस रही थी के अचानक उसे अपने मुह मे कुछ गर्म पानी मेहसूस हुआ, जेसे ही उसने लंड मुह् से निकाला लाला के लंड से विराज की पिचकारी निकल सरबी के मुह पर पड़ी।

सरबी ने लाला की तरफ देखा तो लाला हस्ता हुआ बोला, ” क्या हुआ जट्टी “। सरबी कुछ बोलती इत्ने मे एक और पिचकारी उसके मुह पर पड़ी और निचे मम्मो पर गिर पड़ी।


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