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Funlover

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अब आगे......


सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।

उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।

“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।

विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"

“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”

यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”

विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।

"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.

तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”

“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”

“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”

विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,

"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"

सुंदरी को मजा आ रहा था।

"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"

“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”

“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”

विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।

"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,

“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”

यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,

“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।

लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।

विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।

सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है


******


क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?

क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?


अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................
 

Ek number

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“अच्छा! मतलब क्या हमारे माल में कुछ कमी है राजाभैया!” विनोद की बहन ने अपनी आँखे नचाते हुए कहा।


अरे ऐसा कुछ नहीं डार्लिंग, वैसे कल ही तो तुम दोनों को चोद के गया। अभी ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ, और तुम माँ बेटी भूखी भी हो गई!”

तेरे लंड और मुह के लिए यह माँ-बेटी भूखी ही रहेगी हमेशा के लिए। दीदी ने परम के लोडे पर हाथ रखते हुए कहा।

आंटी: “हां बेटा, वह सही कह रही है। चलो अब जल्दी से अपना काम चालू करो और हम दोनों की चूत और पिछवाड़े को अपने लोडे से बंध कर दो!”

तीनो बेडरूम में आ गये और परम ने दीदी को नंगा किया और दीदी ने उसकी माँ को नंगी कर दिया। परम ने देखा की दोनों की चूत काफी गीली हो गई थी।

“डार्लिंग दीदी, अभी तो मैंने तुम्हे छुआ तक नहीं और तुम्हारी चूत अपना रस देने लग गई?” परम ने दीदी की चूत के होठो को थोडा फैलाते हुए कहा।

आंटी: “अरे बेटा, होगी कैसे नहीं? तुम्हारा चेहरा देख के ही हमारी चूत अपना रस छोड़ के हमारी गांड के छेदों को अपना पानी पिलाके उसे भी गिला करने में लग जाती है।“ आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपना हाथ में परम के लोडे को थाम लिया।

“मम्मी,यह मेरा बोनर है मुझे इस लोडे को अपने हाथ में लेने दो।“ दीदी ने मम्मी के हाथ को झटकाते हुए कहा और परम का लोडा अब दीदी के हाथ में आ गया था।

दोनों माँ-बेटी एक लोडे के लिए लड़ रही थी मगर प्यार से।

और परम ने उन दोनों को बिस्तर पर धक्का लगाया और दोनों बिस्तर पर गिरी और साथ ही दोनों ने अपने पैरो को फैला कर अपनी चूत परम के आगे धर दी।

“अब देरी मत करो बेटा, आ के हमारी चूत पर अपने निशान की महोर लगा दो। कब से वेइट कर रही है, अब तुम ही तो हो इस काने के मालिक चलो आके अब इस चूत और गांड को शांत कर दो। आंटी ने अपने पैर कुछ ज्यादा फैला के परम को अपनी चूत पर आक्रमण करने का न्योता दे दिया।

अगले पल परम उन दोनों की चूतो पर अपना झंडा गाड ने में बिजी हो गया। कभी दीदी की चूत पर तो कभी आंटी की चूत पर, कभी कभी अपने दांतों के निशान भी उनके चूत के फांके पर जमा दिए।

थोड़े समय के बाद सिन यह था की दीदी परम के लोडे को मुह में समा लिया था और आंटी दीदी के चूत पर अपना अड्डा बना लिया था। दोनों उछल-उछल कर अपना चरमोत्कर्ष पर पहोचना चाहती थी। और हुआ भी दोनों लगभग एक मिनट के अन्दर ही अपनी चूतरस का स्त्राव कर रही थी। परम के मुह पर दीदी अपना चुतरस छोड़ रही थी और आंटी दीदी के मुह में अपना चुतरस का त्याग कर रही थी। यह नजारा परम के लिए उत्तेजित होने के लिए काफी था। उसने दोनों को सीधा लिटाके अपने लंड को भोजन देने के काम में लग गया और अब दोनों चूत एक ही लंड से चुद रही थी। और परम की उंगलिया भी उन दोनों की गांड को चोद रही थी।

परम ने दोनो माँ बेटी को खूब चूमा और दम भर कर चोदा। दोनों के बोबले को आटा की तरह मसल-मसल के ढीला कर दिया। माँ के चूत से लंड निकाल कर बेटी को रस पिलाया और बाद में बेटी की चूत से लंड निकाल कर माँ को चूसवाया। दोनो माँ-बेटी को चुदाई से ज्यादा चूत और गांड चटवाने में मजा मिला। वैसे तो उन दोनो ने विनोद के अलावा कई और लोगो से कलकत्ता में अपनी जवानी लुटवाई थी लेकिन परम के सिवा किसी ओर ने उनकी चूत को नहीं कुटा चाटा था। परम जब चूत में जीभ घुसा कर हिलाता था और चूत को दांतों से मसलता था तो मां-बेटी दोनों को चुदाई से ज्यादा मजा आता था। चुदाई ख़तम करने के बाद परम नंगा ही लेटा रहा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

दीदी कपड़े बदल कर हिसाब किताब देखने के लिए बाहर ऑफिस जाकर बैठ गईं। माँ ने अर्धनग्न होकर खाना बनाया और जब विनोद वापस आया तो सबने मिलकर खाना खाया। दीदी ने विनोद से कहा कि उसका दोस्त (परम) बहुत मजा देकर चुदाई करता है और आराम से चोदता है। दोनो ने परम को कहा कि कभी रात भर रुक कर उन लोगो के साथ मस्ती करे। दीदी ने ये भी कहा कि उसने परम के लिए एक कड़क माल देख रखी है। परम प्रोग्राम बता कर आएगा तो उसे बुला कर रखेगी।


परम ने विनोद के सामने एक बार फिर उसकी माँ को चोदा। विनोद को लेकर जब घर पहुंचें तो ठीक दो बजे थे।
आशा है की आप को यह अपडेट पसंद आया होगा ................आपका कीमती विचार जरुर शेर करे..............
मिलते है एक नए अपडेट में ..........
Nice update
 

Ek number

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उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।

“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।

विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"

“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”

यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”

विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।

"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.

तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”

“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”

“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”

विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,

"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"

सुंदरी को मजा आ रहा था।

"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"

“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”

“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”

विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।

"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,

“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”

यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,

“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।

लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।

विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।

सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है


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क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?

क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?


अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................
Nice update
 

Ajju Landwalia

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परम ने यह नज़ारा देखा और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने सुंदरी को थोड़ा सा खींचा और बिस्तर के कोने पर खड़ा हो गया। उसने अपनी माँ की जांघों को अलग किया और अपना लंड सुंदरी की चूत में गहराई तक ठूँस दिया। महक ने नीचे से माँ की चूत और भाई का लंड चाटा और सुंदरी की चूत में लंड की हरकतें देखने लगी। जब लंड अन्दर जाता तब महक लंड को चाट लेती और जब बहार आता तो परम अपना लंड पूरा बहार निकाल के महक के मुह में ठूस देता। उसे इस से बहोत आनंद मिल रहा था की माँ की चूत और बहन का मुह चोदे जा रहा था एक साथ।

कुछ देर बाद परम चरम पर पहुँच गया और उसका वीर्य निकलने लगा। उसने लंड को चूत से थोड़ा सा बाहर निकाला और वीर्य चूत के अंदर से बह कर महक के मुँह में गिरने लगा। उसने सारा वीर्य चाट लिया जैसा उसने पहले किया था। उन्होंने चुदाई पूरी की और तीनों साथ में टॉयलेट गए।

परम दोनो मांदाओ के सामने खड़ा हो गया और उसने पेशाब की धार माँ की चूत पर और फिर बहन की चूत पर गिरा दी। उसने माँ से कहा कि वह उसका पेशाब पी ले, लेकिन माँ ने मुस्कुराते हुए मना कर दिया। महक ने भी मन करते हुए कहा “अभी बहोत टाइम है मेरे राजा, मुतने और मुताने में, समय आने पर यही दोनों मुह तुम्हारे लंड का यूरिनल बन जायेंगे।“ पेशाब करने के बाद सुंदरी अपने पति के पास वापस चली गई और महक और परम अपने कमरे में सो गए।

*******



अगली सुबह कॉलेज जाते समय परम ने सुंदरी से कहा कि आज 2 बजे दोपहर में तेरे लिए एक नया लंड का बंदोबस्त करूंगा, विनोद को लेकर आएगा उसे चोदने के लिए। तैयार हो कर रहे। झांट भी साफ कर ले और बगल को भी एकदम चिकना कर ले। पूरा माल को एकदम मस्त और चकाचक कर दे। ताकि उसके पैसे वसूल होने चाहिए, “मुझे तुम और तुम्हारे इस माल से बहोत पैसा पैदा करना है समजी?”
मैत्री और फनलव के द्वारा अनुवादित रचना

“मैं तैयार रहूंगी लेकिन साले को बोलना कि अगर मुझे खुश नहीं कर पाएगा तो तुमसे उसकी गांड मारवाऊंगी।” सुंदरी ने उत्तर दिया, और थोडा सा मुस्कुराई और अपनी भोस पे हाथ रख कर बोली: “ बेटे चिंता ना कर बस आराम से कोलेज जा मेरा माल सब लंड को शांत करने के लिए काबिल है। बरसों की भूख जो है!”

कॉलेज पहुंचने के बाद परम की मुलाकात विनोद से हुई, उसने उससे कहा कि अब वह (परम) विनोद की माँ और दीदी को चोदने जा रहा है और यह भी कहा कि वह रिसेश में घर आए और वहाँ से वह उसे सुंदरी के साथ चुदाई करने के लिए ले जाएगा। यह सुनकर विनोद बहुत खुश हुआ और उसने परम को अपनी माँ और दीदी को चोदने की इजाजत दे दी। परम विनोद के घर पहुंचा। परम को देखकर दोनों महिलाएं खुश हो गईं।

"तू तो हम लोगों को भूल गया! लगता है कोई दूसरी चूत और गांड मिल गई है।" दीदी ने कहा।

“अरे यार, घर में तो आने दे!” परम ने दीदी और उसकी मम्मी के बोब्लो पर एक साथ हाथ रखते हुए कहा।

“आज तो तुम दोनों माँ-बेटी को एक साथ चोदने का मुड लेके आया हु, क्या तुम माँ-बेटी के माल तैयार है?”

आंटी ने कहा: “अरे, आ जा ओ परम बेटा, यह घर तुम्हारा तो है और जितना हक विनोद क्या है उतना तुम्हारा भी है। हम दोनों माँ-बेटी के माल कब से तुम्हारी राह देख रहे है! और एक तुम हो की आंटी की याद आती ही नहीं!”


“अरे यार, ऐसा कुछ नहीं है डार्लिंग, मैं एक चोदु हु, यह तो तुमको विनोद ने बताया ही होगा तो हर दिन नए-नए माल की खोज में रहता हु, विनोद भी तो नए माल की तलाश में रहता है, बस उसी से सिखा।“ दोनों माँ-बेटी के कमर पर हाथ रख के वह सीधा बेडरूम की तरफ उन दोनों को ले गया।
बाकी कल.............

Bahut hi majedar updates he Funlover Ji,

Param ke jivan me naa jane aur kitni aurate aayengi..........

Mauj le raha he launda............

Keep rocking
 

Ajju Landwalia

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“अच्छा! मतलब क्या हमारे माल में कुछ कमी है राजाभैया!” विनोद की बहन ने अपनी आँखे नचाते हुए कहा।


अरे ऐसा कुछ नहीं डार्लिंग, वैसे कल ही तो तुम दोनों को चोद के गया। अभी ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ, और तुम माँ बेटी भूखी भी हो गई!”

तेरे लंड और मुह के लिए यह माँ-बेटी भूखी ही रहेगी हमेशा के लिए। दीदी ने परम के लोडे पर हाथ रखते हुए कहा।

आंटी: “हां बेटा, वह सही कह रही है। चलो अब जल्दी से अपना काम चालू करो और हम दोनों की चूत और पिछवाड़े को अपने लोडे से बंध कर दो!”

तीनो बेडरूम में आ गये और परम ने दीदी को नंगा किया और दीदी ने उसकी माँ को नंगी कर दिया। परम ने देखा की दोनों की चूत काफी गीली हो गई थी।

“डार्लिंग दीदी, अभी तो मैंने तुम्हे छुआ तक नहीं और तुम्हारी चूत अपना रस देने लग गई?” परम ने दीदी की चूत के होठो को थोडा फैलाते हुए कहा।

आंटी: “अरे बेटा, होगी कैसे नहीं? तुम्हारा चेहरा देख के ही हमारी चूत अपना रस छोड़ के हमारी गांड के छेदों को अपना पानी पिलाके उसे भी गिला करने में लग जाती है।“ आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपना हाथ में परम के लोडे को थाम लिया।

“मम्मी,यह मेरा बोनर है मुझे इस लोडे को अपने हाथ में लेने दो।“ दीदी ने मम्मी के हाथ को झटकाते हुए कहा और परम का लोडा अब दीदी के हाथ में आ गया था।

दोनों माँ-बेटी एक लोडे के लिए लड़ रही थी मगर प्यार से।

और परम ने उन दोनों को बिस्तर पर धक्का लगाया और दोनों बिस्तर पर गिरी और साथ ही दोनों ने अपने पैरो को फैला कर अपनी चूत परम के आगे धर दी।

“अब देरी मत करो बेटा, आ के हमारी चूत पर अपने निशान की महोर लगा दो। कब से वेइट कर रही है, अब तुम ही तो हो इस काने के मालिक चलो आके अब इस चूत और गांड को शांत कर दो। आंटी ने अपने पैर कुछ ज्यादा फैला के परम को अपनी चूत पर आक्रमण करने का न्योता दे दिया।

अगले पल परम उन दोनों की चूतो पर अपना झंडा गाड ने में बिजी हो गया। कभी दीदी की चूत पर तो कभी आंटी की चूत पर, कभी कभी अपने दांतों के निशान भी उनके चूत के फांके पर जमा दिए।

थोड़े समय के बाद सिन यह था की दीदी परम के लोडे को मुह में समा लिया था और आंटी दीदी के चूत पर अपना अड्डा बना लिया था। दोनों उछल-उछल कर अपना चरमोत्कर्ष पर पहोचना चाहती थी। और हुआ भी दोनों लगभग एक मिनट के अन्दर ही अपनी चूतरस का स्त्राव कर रही थी। परम के मुह पर दीदी अपना चुतरस छोड़ रही थी और आंटी दीदी के मुह में अपना चुतरस का त्याग कर रही थी। यह नजारा परम के लिए उत्तेजित होने के लिए काफी था। उसने दोनों को सीधा लिटाके अपने लंड को भोजन देने के काम में लग गया और अब दोनों चूत एक ही लंड से चुद रही थी। और परम की उंगलिया भी उन दोनों की गांड को चोद रही थी।

परम ने दोनो माँ बेटी को खूब चूमा और दम भर कर चोदा। दोनों के बोबले को आटा की तरह मसल-मसल के ढीला कर दिया। माँ के चूत से लंड निकाल कर बेटी को रस पिलाया और बाद में बेटी की चूत से लंड निकाल कर माँ को चूसवाया। दोनो माँ-बेटी को चुदाई से ज्यादा चूत और गांड चटवाने में मजा मिला। वैसे तो उन दोनो ने विनोद के अलावा कई और लोगो से कलकत्ता में अपनी जवानी लुटवाई थी लेकिन परम के सिवा किसी ओर ने उनकी चूत को नहीं कुटा चाटा था। परम जब चूत में जीभ घुसा कर हिलाता था और चूत को दांतों से मसलता था तो मां-बेटी दोनों को चुदाई से ज्यादा मजा आता था। चुदाई ख़तम करने के बाद परम नंगा ही लेटा रहा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

दीदी कपड़े बदल कर हिसाब किताब देखने के लिए बाहर ऑफिस जाकर बैठ गईं। माँ ने अर्धनग्न होकर खाना बनाया और जब विनोद वापस आया तो सबने मिलकर खाना खाया। दीदी ने विनोद से कहा कि उसका दोस्त (परम) बहुत मजा देकर चुदाई करता है और आराम से चोदता है। दोनो ने परम को कहा कि कभी रात भर रुक कर उन लोगो के साथ मस्ती करे। दीदी ने ये भी कहा कि उसने परम के लिए एक कड़क माल देख रखी है। परम प्रोग्राम बता कर आएगा तो उसे बुला कर रखेगी।


परम ने विनोद के सामने एक बार फिर उसकी माँ को चोदा। विनोद को लेकर जब घर पहुंचें तो ठीक दो बजे थे।
आशा है की आप को यह अपडेट पसंद आया होगा ................आपका कीमती विचार जरुर शेर करे..............
मिलते है एक नए अपडेट में ..........

Bahut hi majedar update he Funlover Ji

Vinod ki maa bahan to bilkul randi ki tarah behave karti he param ke sath

Keep rocking dear
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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अब आगे......


सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।

उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।

“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।

विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"

“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”

यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”

विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।

"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.

तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”

“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”

“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”

विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,

"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"

सुंदरी को मजा आ रहा था।

"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"

“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”

“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”

विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।

"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,

“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”

यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,

“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।

लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।

विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।

सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है


******


क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?

क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?


अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................

Bahut hi gazab ki update he Funlover Ji,

Vinod ne pure 50k diye he sundri ke liye.....

Ab dekhna ye he ki vo in paiso ko vasool kar bhi payega ya beech me hi dher ho jayega........

Keep rocking dear
 

sunoanuj

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सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।

उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।

“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।

विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"

“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”

यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”

विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।

"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.

तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”

“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”

“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”

विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,

"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"

सुंदरी को मजा आ रहा था।

"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"

“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”

“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”

विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।

"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,

“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”

यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,

“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।

लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।

विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।

सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है


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क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?

क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?


अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................
Bahut hee shandaar aur mazedaar update …
Ab vinod kya karta hai yeh dekhna hai 👏🏻👏🏻😇
 
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