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अपडेट 34
मानिषा अपने बापू के कमरे में आ गयी । अनिल धोती में बेड पर लेटे हुए था, मनीषा सीधा अपने बापू के बेड पर उसके पास जाकर बैठ गयी ।
"अरे बेटी तुम कब आई" अनिल ने अपनी बेटी को देखकर बेड से उठकर बैठते हुए कहा।
"हाँ बापू आपको अपनी बहु की सेवा से फुर्सत मिले तभी तो अपनी बेटी के बारे में सोचेंगे" मनीषा ने अपने बापू पर बनावटी गुस्सा करते हुए कहा ।
"नही बेटी ऐसी कोई बात नहीं । तुम मुझे अपनी बहु से ज्यादा अच्छी लगती हो" अनिल ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा।
"छोड़ो बापू सारा दिन अपनी बहु के पल्लु के पीछे छुपे रहते हो और हमारी झूठ मूठ की तारीफ कर रहे हो" मनीषा ने अपने बापू से कहा।
"अरे बेटी तुम तो सब जानती हो हम अपनी बहु को अपने इसके लिए प्यार करते हैं अब इस उम्र में भी यह हमें चैन से रहने नहीं देता" अनिल ने अपनी धोती के ऊपर अपने लंड पर हाथ रखते हुए कहा।
"हाँ लगता है इसे अपनी बहु का माल बुहत पसंद आ गया है। तभी तो हर वक्त आपको तंग करता रहता है" मनीषा ने हँसते हुए अपने बाप से कहा ।
"बेटी यह हमारी बहु ही नहीं बल्कि हर ख़ूबसूरत चीज़ को देखकर उसका स्वाद लेने के लिए उतावला हो जाता है" अनिल ने अपने लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा।
"फिर तो बापू आपके पास बैठने में भी खतरा है कहीं यह आपको अपनी बेटी का स्वाद लेने के लिए न भडका दे" मनीषा ने वेसे ही हँसते हुए कहा।
"बेटी मेरा ऐसा नसीब कहाँ की तुम्हारे जैसी ख़ूबसूरत लड़की का रस चख सकूँ, भगवान ने अगर तुम्हें हमारी बेटी न बनाया होता तो मैं एक बार ज़रूर तुम्हारा रस इसे पिलाता" अनिल ने मायूस होते हुए कहा ।
"बापु क्या सच में मैं आपको इतनी सूंदर लगती हूँ।" मनीषा ने हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ बेटी तुम मुझे बुहत अच्छी लगती हो" अनिल ने अपनी बेटी को जवाब दिया।
"फिर आपके लिए हम कुछ भी कर सकते हैं हम आपकी बेटी हुई तो क्या हुआ । हम आपके इसकी ही पैदाइश हैं आपका हम पर पूरा हक़ है" मनीषा ने जज़्बाती होते हुए अपने बापू को गले लगाते हुए कहा।
"बेटी सच में तुम बुहत महान हो" अनिल ने अपनी बेटी के माथे पर चुम्बन देते हुए कहा । मनीषा को अपने बापू के बालों वाले सीने में अपनी चुचियों के दबने से बुहत सुकून मिल रहा था । इसीलिए वह अपने बापू को कस कर अपने सीने से लगा रही थी ।
"बेटी इस वक्त यह सब करना खतरनाक होगा हमें रात का इंतज़ार करना होगा, मगर बेटी यह सिर्फ मैं जानता हूँ की मुझसे यह दिन कैसे गुज़रेंगा" अनिल ने अपनी बेटी के पीठ को सहलाते हुए कहा।
मानिषा अपने बापू के कमरे में आ गयी । अनिल धोती में बेड पर लेटे हुए था, मनीषा सीधा अपने बापू के बेड पर उसके पास जाकर बैठ गयी ।
"अरे बेटी तुम कब आई" अनिल ने अपनी बेटी को देखकर बेड से उठकर बैठते हुए कहा।
"हाँ बापू आपको अपनी बहु की सेवा से फुर्सत मिले तभी तो अपनी बेटी के बारे में सोचेंगे" मनीषा ने अपने बापू पर बनावटी गुस्सा करते हुए कहा ।
"नही बेटी ऐसी कोई बात नहीं । तुम मुझे अपनी बहु से ज्यादा अच्छी लगती हो" अनिल ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा।
"छोड़ो बापू सारा दिन अपनी बहु के पल्लु के पीछे छुपे रहते हो और हमारी झूठ मूठ की तारीफ कर रहे हो" मनीषा ने अपने बापू से कहा।
"अरे बेटी तुम तो सब जानती हो हम अपनी बहु को अपने इसके लिए प्यार करते हैं अब इस उम्र में भी यह हमें चैन से रहने नहीं देता" अनिल ने अपनी धोती के ऊपर अपने लंड पर हाथ रखते हुए कहा।
"हाँ लगता है इसे अपनी बहु का माल बुहत पसंद आ गया है। तभी तो हर वक्त आपको तंग करता रहता है" मनीषा ने हँसते हुए अपने बाप से कहा ।
"बेटी यह हमारी बहु ही नहीं बल्कि हर ख़ूबसूरत चीज़ को देखकर उसका स्वाद लेने के लिए उतावला हो जाता है" अनिल ने अपने लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा।
"फिर तो बापू आपके पास बैठने में भी खतरा है कहीं यह आपको अपनी बेटी का स्वाद लेने के लिए न भडका दे" मनीषा ने वेसे ही हँसते हुए कहा।
"बेटी मेरा ऐसा नसीब कहाँ की तुम्हारे जैसी ख़ूबसूरत लड़की का रस चख सकूँ, भगवान ने अगर तुम्हें हमारी बेटी न बनाया होता तो मैं एक बार ज़रूर तुम्हारा रस इसे पिलाता" अनिल ने मायूस होते हुए कहा ।
"बापु क्या सच में मैं आपको इतनी सूंदर लगती हूँ।" मनीषा ने हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ बेटी तुम मुझे बुहत अच्छी लगती हो" अनिल ने अपनी बेटी को जवाब दिया।
"फिर आपके लिए हम कुछ भी कर सकते हैं हम आपकी बेटी हुई तो क्या हुआ । हम आपके इसकी ही पैदाइश हैं आपका हम पर पूरा हक़ है" मनीषा ने जज़्बाती होते हुए अपने बापू को गले लगाते हुए कहा।
"बेटी सच में तुम बुहत महान हो" अनिल ने अपनी बेटी के माथे पर चुम्बन देते हुए कहा । मनीषा को अपने बापू के बालों वाले सीने में अपनी चुचियों के दबने से बुहत सुकून मिल रहा था । इसीलिए वह अपने बापू को कस कर अपने सीने से लगा रही थी ।
"बेटी इस वक्त यह सब करना खतरनाक होगा हमें रात का इंतज़ार करना होगा, मगर बेटी यह सिर्फ मैं जानता हूँ की मुझसे यह दिन कैसे गुज़रेंगा" अनिल ने अपनी बेटी के पीठ को सहलाते हुए कहा।