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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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159
शीला ने झरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली थी और वह अपने चूतडों को मज़े के मारे अपने भाई के मूह पर ज़ोर से उछाल रही थी । नरेश का पूरा मूह अपनी बहन की चूत के पानी से भीग चूका था, वह जितना हो सकता था अपनी बहन की चूत का पानी चाट रहा था। मगर उसकी बहन की चूत से बुहत ज्यादा पानी निकला था जिसकी वजह से उसका मूह भीग गया था ।
शीला कुछ देर तक झरने के बाद शांत होकर अपनी आँखें खोल दी। नरेश अपनी बहन के शांत होते ही उसकी चूत से अपना मूह हटा दिया।
"भइया आपका मूह तो मेरी चूत के पानी से गन्दा हो गया" शीला ने अपने भाई के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
"दीदी कोई बात नहीं मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद बुहत अच्छा लगा । अब ज़रा तुम अपने भाई के लंड का स्वाद भी चख लो" नरेश ने अपनी बहन की पूरी नाइटी को उठाकर अपना मूह पोछकर सीधा लेटते हुए कहा।

"क्यों नहीं भैया मगर पहले मुझे आपके छोटे बच्चे को देखने तो दो" शीला ने यह कहते हुए अपने भाई के अंडरवियर में हाथ डालकर उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया । नरेश ने अपने चूतड़ उठाकर अपने अंडरवियर को उतारने में अपनी दीदी की मदद किया।
"वो भैया आपका लंड तो बुहत गोरा है इसका सुपाडा तो देखो कितना गुलाबी है । मै तो इसे अपने मूह में लेकर चूसूँगी" शीला ने अपने भाई के लंड के नंगा होते ही उसको अपनी मुठी में भरकर उसकी तारीफ करते हुए कहा ।
"हाहहह दीदी इसे प्यार करो ना" नरेश ने अपनी बहन का नरम हाथ अपने लंड पर पड़ते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"हा भैया अभी करती हू" शीला ने यह कहते हुए अपने भाई के लंड के सुपाडे को अपने होंठो से चूम लिया।

"ओहहहह दीदी" अपनी बहन के होंठ अपने लंड पर पड़ते ही नरेश बुहत ज़ोर से सिसक उठा । नरेश का पूरा जिस्म अपनी बहन के होंठ अपने लंड पर पड़ते ही काम्पने लगा, शीला ने अपनी जीभ निकाली और अपने भाई के लंड के गुलाबी सुपाडे पर फिराने लगी ।
"आह्ह्ह्ह इसशहहहह दीदी ऐसे ही चाटो। बुहत मजा आ रहा है" नरेश अपनी बहन की जीभ को अपने लंड के सुपाडे पर पड़ते ही काँपते हुए सिसककर बोला। शीला ने अपनी भाई के लंड के सुपाडे को ऐसे ही चाटते हुए अपना मूह खोलकर उसके गुलाबी सुपाडे को अपने मूह में भर लिया और अपने भैया के लंड के गुलाबी सुपाडे को अपने होंठो के बीच लेकर ज़ोर से चूसने लगी।

"ओहहहह दीदी आह्ह" नरेश अपनी बहन के नरम होंठो के बीच अपने लंड के मोटे सुपाडे को आगे पीछे होते हुए महसूस करके ज़ोर से सिसकने लगा । शीला को अपने भाई का लंड चूसते हुए बुहत मज़ा आ रहा था। इसीलिए वह अपने भाई के लंड के सुपाडे को बुहत ज़ोर से चूसने लगी ।
"हाहहह दीदी बस छोड़ो" नरेश ने बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपनी बहन को बालों से पकडते हुए अपने लंड को उसके मूह से निकाल दिया और उसे सीधा बेड पर लिटा दिया।
"क्या हुआ भाई। क्यों निकाला बुहत मज़ा आ रहा था।" शीला ने बेड पर लेटते ही हैंरान होते हुए कहा।

"दीदी इस बार मैं यों ही नहीं झरना चाहता। मेरे लंड को आपकी चूत की सैर करने है" नरेश ने यह कहते हुए अपनी दीदी के चूतडों के नीचे एक तकिया रख दिया और खुद अपनी बहन की टांगों के बीच आते हुए उसके चूतडों को घुटनों तक मोड़ दिया ।
 

Rakesh1999

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मानिषा की आँखों से नींद कोशों दूर थी। वह बस सब के सोने का इंतज़ार कर रही थी और अब वह अपने कमरे से निकलकर अपने बापू के कमरे की तरफ जाने लगी । मनीषा अपने बाप के कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए उसके कमरे में दाखिल हो गयी।

मानिषा की चूत अपने बाप के कमरे में दाखिल होते ही उत्तेजना के मारे गीली हो चुकी थी, मनीषा ने देखा के उसका बाप बेड पर लेटा हुआ था । मनीषा तेज़ धडकनों के साथ जाते हुए अपने पिता के बेड पर जाकर बैठ गयी।
"बापु " मनीषा ने अपने बाप के पास बैठते हुए उसे पुकारते हुए कहा ।
"हूँ अरे बेटी तुम। मुझे बुहत तेज़ बुखार हो गया है" अनिल ने अपनी आँखें खोलते हुए मनीषा को देखकर कहा।
"अरे बापू कोई गोली खाई है आपने" मनीषा ने अपने बापू की बात सुनकर उसके माथे पर हाथ रखते हुए कहा।

"हा बेटी गोली खा ली है" अनिल ने वैसे ही सोये हुए जवाब दिया।
"बापु आपको तो बुहत तेज़ बुखार है । आप आराम करो में जा रही हूँ" मनीषा अपन बाप के माथे पर हाथ रखकर ही समझ गयी थी की उसे बुहत तेज़ बुखार है। मनीषा वहाँ से उठते हुए अपने बापू के कमरे से निकल गई। वह अपने नसीब को दिल ही दिल में कोस रही थी।



नरेश ने अपनी बहन की चूत पर अपना खडा लंड रगडने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया क्या कर रहे हो मुझे बुहत गुदगुदी हो रही है" शीला की चूत से अपने भाई के लंड को घिसता हुआ पाकर पानी निकलने लगा । नरेश ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत से निकलते हुए पानी से भिगो दिया और अपनी बहन की चूत के छेद पर टीका दिया।

मानिषा को अपने कमरे में जाते हुए अचानक अपने बेटे का ख़याल आया और वह नरेश के कमरे के दरवाज़े के पास आकर उसे खोलने लगी, दरवाज़ा अंदर से बंद होने की वजह से मनीषा से नहीं खुला तो उसने दरवाज़े को खटकाना शुरू कर दिया ।
"कौन है । क्या काम है" दरवाज़े के खटकते ही नरेश ने गुस्से से वहीँ पर बैठे ही कहा।
"बेटा मुझे सर में दर्द है ज़रा मेरे कमरे में आ जाओ और मेरे सर को दबाओ" मनीषा ने अपने बेटे की आवाज़ के सुनते ही कहा।
 

Rakesh1999

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माँ आप जाओ मैं आ रहा हू" नरेश ने अपनी मम्मी को वहीँ से जवाब दिया । मनीषा पहले तो जाने का फैसला कर लिया। मगर जाने क्या सोचकर वह वहीँ पर ठहर गई, नरेश ने अपनी बहन की चूत पर फिर से अपना लंड घीसने लगा।
"आआह्ह्ह्ह भैया ओह्ह्ह्हह्हह डाल भी दो ना" शीला ने फिर से सिसकते हुए कहा । नरेश ने अपनी बहन की बात सुनते ही अपना पूरा वजन अपनी बहन पर ड़ालते हुए अपने लंड को अपनी बहन की कुँवारी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।
"उईईईई भैया निकालो बुहत दर्द हो रहा है" शीला अपने भाई के लंड का अपनी चूत पर दबाब पडते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली।

मानिषा ने वह चीख़ सुन ली उसका दिल यह सोचते हुए ज़ोर से धडकने लगा की नरेश के साथ अंदर कौन है। कहीं कंचन तो नहीं ओह भगवान् कहीं उसकी बहन शीला तो अंदर नहीं ।
"बेटा दरवाज़ा खोलों में इंतज़ार कर रही हूँ" मनीषा ने फिर से दरवाज़े को खटकाते हुए कहा ।
"माँ अभी खोलता हूँ" नरेश समझ गया की उसकी माँ ऐसे वहां से नहीं जाने वाली वह जल्दी से शीला के ऊपर से उतरते हुए अपने कपडे पहनते हुए बोला।

"भइया मैं क्या करुं" शीला ने परेशान होते हुए कहा।
"तुम अपने कपडे लेकर बाथरूम में घुस जाओ" नरेश ने अपना अंडरवियर पहनने के बाद कहा।

नरेश दरवाज़ा की तरफ जाने लगा, शीला नरेश की बात सुनकर जल्दी से अपने कपड़ों को उठाते हुए बाथरूम में घुस गई।
"बेटा इतनी देर क्या कर रहे थे?" मनीषा ने दरवाज़ा खुलते ही जल्दी से अंदर आते हुए कहा।
"कुछ नहीं माँ" नरेश ने अपनी माँ को जवाब दिया ।
"चलें मा" नरेश ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटा विजय नज़र नहीं आ रहा है?" मनीषा ने अपने बेटे से सवाल किया।
"वोह माँ कंचन की तबीयत खराब थी तो विजय उसके पास सो गया और शीला दीदी बाथरूम में है" नरेश ने अपनी माँ का जवाब देते हुए कहा । ओह भगवान तो नरेश अपनी बहन को चोदने वाला था। मनीषा मन ही मन में सोचने लगी और कमरे से निकल कर अपने बेटे के साथ अपने कमरे में जाने लगी ।
 

Rakesh1999

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अपडेट 39





मानिषा अपने बेटे के साथ कमरे के अंदर दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया । मनीषा दरवाज़ा बंद करने के बाद बेड पर जाकर सीधा लेट गई।
"बेटे जाने क्यों सर और पूरे शरीर में बुहत दर्द है" मनिषा ने बेड पर सीधा लेटते हुए कहा।
"माँ मैं आपके सर को दबाता हू" नरेश ने अपनी माँ के साथ बेड पर बैठते हुए उसके सर को दबाते हुए कहा।
"हा बेटे अब कुछ अच्छा लग रहा है" अपने बेटे का हाथ अपने सर पर पड़ते ही मनीषा ने कहा।
"बेटा ऐसा करो मेरे सारे जिस्म की तेल के साथ मालिश करो। मुझे सारे जिस्म में बुहत दर्द महसूस हो रहा है" कुछ देर तक अपने बेटे से अपना सर दबवाने के बाद मनीषा ने कहा।
"माँ तेल कहाँ है?" नरेश ने अपनी माँ से पूछा।

"बेटा वह अलमारी में एक बोतल पडी है उसे ले आओ" मनीषा ने अपने बेटे को बताते हुए कहा । नरेश अपनी माँ की बात सुनकर बेड से उठते हुए वहां से तेल की बोतल उठा लाया और अपनी माँ की टांगों के पास बैठकर उसकी नाइटी को घुटनों तक ऊपर कर दिया।
नरेश ने तेल की बोतल से तेल निकालते हुए अपनी माँ की गोरी चिकनी टांग पर मलने लगा।
"आह्ह्ह्ह बेटा तुम बुहत अच्छे हो। हाँ ऐसे ही मालिश करते रहो बुहत मजा आ रहा है" अपने बेटे के हाथ को अपनी नंगी टाँग पर फिसलता हुआ महसूस करके मनीषा ने सिसकते हुए कहा।

नरेश अपनी माँ की दोनों टांगों की कुछ देर तक ऐसे ही मालिश करता रहा । नरेश का लंड जो ढीला पड चूका था । अपनी माँ की गोरी चिकनी टांगों की मालिश करते हुए फिर से तनने लगा।
"बेटा अब ऊपर भी कुछ मालिश करो न वहां पर भी दर्द है" मनीषा ने कुछ देर तक अपनी टांगों को अपने बेटे के हाथों से मालिश कराने के बाद कहा ।
"माँ आपकी नाइटी खराब हो जाएगी" नरेश ने अपनी माँ की नाइटी को देखते हुए कहा।
"बेटा तुम सही कह रहे हो। मैं अपनी नाइटी को उतार देती हूँ फिर तुम आराम से मेरी मालिश करो" अपने बेटे की बात सुनकर मनीषा ने उठकर अपनी नाइटी को अपने जिस्म से अलग कर दिया।

नरेश के सामने अब उसकी माँ सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्रा में थी। उसका गोरा जिस्म बल्ब की रौशनी में दूध की तरह सफ़ेद दिख रहा था । नरेश की हालत अपनी माँ के जिस्म को देखते हुए खराब होने लगी,
"क्या देख रहे हो बेटा मालिश करो ना" मनीषा ने अपने बेटे को अपने जिस्म की तरफ घूरता हुआ देखकर कहा ।नरेश अपनी मम्मी की बात सुनकर जल्दी से बोतल में से तेल निकालकर अपनी माँ की नंगी जांघों पर लगाकर मालिश करने लगा।
"आह्ह्ह्ह बेटा ओह तुम्हारे हाथों से तो 'बहुत बुहत मजा आ रहा है अपने हाथों से ऊपर तक मालिश करो" मनिषा ने अपने बेटे के हाथों को अपनी जांघों पर महसूस करके मज़े के मारे ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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अपनी माँ की जांघों की मालिश करते हुए नरेश का लंड उसके अंडरवियर में पूरी तरह तनकर झटके मारना शुरू कर दिया था । नरेश ने अपने हाथ को अपनी माँ की जाँघ के ऊपर तक रगडते हुए उसकी मालिश करने लगा, अपनी माँ के जांघों की मालिश करते हुए नरेश का हाथ बार बार अपनी माँ की पेंटी को छु रहा था ।
मानिषा की हालत भी खराब होने लगी। अपने बेटे के हाथ को अपनी पेंटी पर महसूस करके उसकी चूत पानी टपकाने लगी । नरेश का लंड उसके अंडरवियर में आन्दोलन मचाने लगा था।
"ओहहहहह बेटा यह तुम्हारा अंडरवियर इतना फूला हुआ क्यों है" मनीषा ने अपनी जांघों को मज़े से अपने बेटे से मालिश कराते हुए कहा।

"वो माँ पता नहीं क्यों मेरा लंड आपके जिस्म को छूते ही उठकर खडा हो गया है" नरेश ने बड़ी बेशरमी से अपनी माँ को जवाब देते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह हाँ बेटे तुम्हारा क़सूर नहीं है तुम अब जवान हो चुके हो। अपनी माँ की नंगी जाँघ की मालिश करते हुए तो तुम्हारा लंड उठेगा ही" मनीषा ने अपने बेटे की बात सुनने के बाद सिसकते हुए कहा ।
"माँ प्लीज एक बार मेरे लंड की भी मालिश कर दो जैसे मैं आपके जिस्म की कर रहा हूँ" नरेश ने अपनी माँ की बात सुनने के बाद कहा।
"क्या कहा बेटे अपनी माँ से अपने लंड की मालिश कराना चाहते हो" मनीषा ने हैंरान होते हुए कहा।
"हा माँ मैं आपके नरम हाथों से अपने लंड की मालिश कराना चाह्ता हू" नरेश ने इस बार अपनी माँ की पेंटी के ऊपर अपने हाथ को रखते हुए कहा।

"आआह्ह्ह्हह हहहहह बेटे पहले तुम अपनी जादुई हाथों से हमारे पूरे शरीर का दर्द तो मिटाओ" मनीषा ने अपने बेटे का हाथ अपनी पेंटी के ऊपर चूत पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा।
"हा माँ मैं आपके सारे जिस्म की मालिश करता हूँ फिर आप मेरे लंड की मालिश करना" नरेश ने अपनी माँ की बात सुनकर खुश होते हुए कहा ।
"बेटे मै उलटी होकर लेट जाती हूँ। तुम मेरी पीठ की मालिश करो" मनीषा ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा और खुद उल्टा होकर लेट गई।
"माँ पीछे तो आपकी ब्रा के हुक हैं। मैं मालिश कैसे करूँ " नरेश ने अपनी माँ के गोरे पीठ की तरफ गौर से देखते हुए कहा।
"बेटा तो उन्हें खोल दो और सुकून के साथ मेरी पीठ की मालिश करो बुहत दर्द हो रहा है" मनीषा ने वैसे ही उल्टा लेटे हुए कहा।

नरेश की दिल की धडकनें अपनी माँ की बात सुनकर ज़ोर से चलने लगी । नरेश ने अपनी तेज़ धडक़नों के साथ अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए अपनी माँ की ब्रा के हुक खोल दिए, नरेश के सामने उसकी माँ की पीठ अब बिलकुल नंगी थी । उसने बोतल में से तेल निकालकर अपनी माँ के चिकने पीठ की मालिश करनी शुरू कर दिया।
 

Rakesh1999

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ओहहह बेटा हाँ ऐसे ही ज़ोर लगा कर मालिश करो। बुहत मजा आ रहा है" मनीषा अपनी पीठ पर अपने बेटे का मर्दाना हाथ लगते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली। नरेश अपनी माँ की बात सुनकर उसकी पीठ की मालिश बुहत ज़ोर लगा कर करने लगा, नरेश का हाथ अपनी माँ की पीठ की मालिश करते हुए बुहत गरम हो चुका था।

नरेश का लंड भी पूरी तरह अकड कर झटके मार रहा था।
"बेटे अब थोडा नीचे भी मालिश करो" मनीषा कुछ देर तक अपने बेटे के हाथों से अपनी पीठ की मालिश कराने के बाद बोली, नरेश ने अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी माँ की पेंटी के पास उसके चुतदो के थोडा ऊपर मालिश करने लगा । नरेश का हाथ बार बार वहां पर मालिश करते हुए उसकी माँ की पेंटी से टकरा रहा था।
"आआह्ह्ह्ह बेटे थोडा और नीचे करो ना" मनीषा अपने बेटे के हाथ को अपने चूतडों के इतना क़रीब महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"माँ आपकी पेंटी खराब हो जाएगी" नरेश ने वैसे ही अपनी माँ के चूतडो के ऊपर मालिश करते हुए कहा।

"ओहहहह बेटे तो उतार दो न उसे। वैसे भी तुम ही तो हो यहां" मनीषा ने वेसे ही सिसकते हुए अपने बेटे से कहा।
नरेश ने अपनी माँ की बात सुनकर बिना देर किये उसकी पेंटी को खींचकर उसके चूतडों से अलग कर दिया । मनीषा ने भी अपने चूतडों को उठाकर अपने पेंटी उतारने में अपने बेटे की मदद की ।
नरेश ने अपनी माँ की पेंटी को उसके पैरों से निकालकर बेड पर रख दिया और गौर से अपनी माँ की तरफ देखने लगा । नरेश कि साँसें अपनी माँ को घूरते हुए बुहत ज़ोर से चल रही थी, नरेश को अपनी माँ के चूतड़ के बीच गांड का भूरा छेद बुहत अच्छा लग रहा था और नरेश को अपनी माँ की चूत की झांटें भी पीछे से नज़र आ रही थी।

"बेटे मालिश करो न क्या देख रहे हो" मनीषा ने कुछ देर तक चुप होकर बैठने के बाद कहा । नरेश ने अपनी माँ की बात सुनते ही अपने हाथ में तेल को लगाकर अपनी माँ के मोटे मोटे चूतडों की मालिश करने लगा, नरेश अपनी माँ के चूतडों की मालिश करते हुए जानबूझकर उसकी गांड के छेद को अपनी उँगलियों से टटोल रहा था ।
"ओहहहहह बेटे बुहत मजा आ रहा है ऐसे ही करते रहो" मनीषा अपने बेटे की उँगलियों को अपनी गांड के छेद पर लगते ही गरम होकर ज़ोर से सिसककर बोली। नरेश कुछ देर तक यों ही अपनी माँ के चूतडों की मालिश करते हुए अब अपने हाथ को पीछे से उसकी चूत तक मालिश करने लगा।
"ओहहहह इसशहहह बेटा बुहत अच्छे से कर रहे हो ऐसे ही हा" मनीषा अपने बेटे के हाथ को अपनी चूत पर महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
 

Rakesh1999

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नरेश अब अपना हाथ पूरी तरह अपनी माँ की चूत और उसकी गांड पर फिराने लगा । नरेश के ऐसा करने से उसकी माँ ज़ोर से सिसक रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था। नरेश को अपने हाथ पर अपनी माँ का रस भी लगता हुआ महसूस हो रहा था।
"बेटे बस अब ज़रा मेरे पेट की मालिश करो" मनीषा को अचानक क्या सूझा जो उसने अपने बेटे को रोकते हुए कहा ।

नरेश अपनी माँ की बात सुनकर अपने हाथ को अपनी माँ के चूतडो से हटा लिया । मनीषा अपने बेटे के हाथों के रुकते ही फ़ौरन सीधा हो गयी, नरेश का लंड अपनी माँ के सीधा होते ही उसकी गोरी नंगी चुचियों को देखकर उत्तेजना के मारे उसके अंडरवियर को फाडने लगा ।
"बेटे तुम तो मेरी चुचियों को ऐसे घूर रहे हो जैसे कभी किसी की चुचियां देखी ही न हो । तुमको 2 साल तक इनका दूध पिलाकर बड़ा किया है । अब देखना छोड़ो और मालिश करो" मनीषा ने अपने बेटे को अपनी चुचियों की तरफ घूरता हुआ देखकर कहा।

माँ आपकी चुचियों को देखकर तो लगता है इनमें अब भी बुहत सारा दूध है" नरेश ने अपनी माँ के गोरे चिकने पेट पर तेल की मालिश करते हुए कहा।
"बेटे इन में दूध तब होता है जब किसी औरत को ताज़ा बच्चा हुआ हो और मेरे तो सारे बच्चे बड़े है" मनीषा ने अपने बेटे की बात का जवाब देते हुए कहा ।
"माँ मगर हम नहीं मानते हमें तो इनमें अब भी दूध भरा हुआ महसूस हो रहा है" इस बार नरेश ने जानबूझकर अपने हाथों से अपनी माँ की दोनों चुचियों की भी मालिश करते हुए कहा।
"ओहहहह बदमाश तुम ऐसे नहीं मानोगे। अगर तुम्हें इतबार नहीं आता तो तुम इन्हें दबा कर देखो दूध होगा तो निकल आयेगा" मनीषा ने अपने बेटे का हाथ अपनी चुचियों पर पडते ही सिसकते हुए कहा।

नरेश अपनी माँ की बात सुनकर जल्दी से अपनी दोनों हाथों से अपनी माँ की चुचियों को पकड़ लिया और बुहत ज़ोर से उन्हें दबाने लगा।
"ओहहहहह नहीं है दूध हमें तकलीफ हो रही है" मनीषा ने अपने बेटे के हाथों से अपनी दोनों चुचियों पर दबाब पडते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली ।
"माँ नहीं हम पहले इन्हें चूसकर देखेंगे अगर फिर भी दूध नहीं निकला तो फिर हम हार मान जाएंगे" नरेश ने अपनी माँ की दोनों चुचियों को छोड़ते हुए कहा।
"बेते तुम तो बुहत ज़िद्दी हो आ जाओ मेरी चुचियों को चूसकर तसल्ली करके देखो" मनीषा ने अपने बेटे के सामने हार मानते हुए कहा।

नरेश अपनी माँ की बात सुनकर जल्दी से नीचे झुककर अपनी माँ की एक चूचि को अपने मूह में ले लिया और उसे बुहत ज़ोर से चूसने लगा।
 

Rakesh1999

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"आजहहह बेटे आराम से दर्द हो रहा है" मनीषा अपने बेटे के मुँह में अपनी चूचि के जाते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली, नरेश अपनी माँ की बात की तरफ कोई धयान दिए बगैर उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी पूरा अपने मुँह में भरकर चूसने लगा ।
"ओहहहह आआह्ह्ह बेटे नहीं है दूध क्यों जिद कर रहे हो" मनीषा ने फिर से ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"हाँ माँ आप सच कह रही थी इन में दूध नहीं है। मगर माँ आपकी चुचियों का स्वाद तो दूध से ज्यादा मीठा है" नरेश ने अपनी माँ की चुचियों को छोडकर उसकी तारीफ करते हुए कहा।

"बेटे अब हमारी तारीफ छोड़ो और खुद सीधे होकर लेट जाओ तुम भी क्या याद करोगे। अभी मैं तुम्हारे लंड की मालिश कर देती हू" मनीषा ने बेड से उठते हुए कहा। नरेश अपनी माँ की बात सुनकर सीधा लेट गया।
"ओहहह बेटे तुम्हारा लंड भी बुहत सूंदर और तगडा है" मनीषा ने अपने बेटे के लेटते ही उसके अंडरवियर को अपने हाथों से उसके जिस्म से अलग कर दिया ।
मानिषा ने अपने हाथ में तेल लगाते हुए अपने बेटे के लंड को पकड लिया और उसे अपने नरम नरम हाथों से तेल की मालिश करने लगी।
"आजहहह माँ बुहत मज़ा आ रहा है। आपके हाथ बुहत नरम है" नरेश ने अपनी माँ के हाथों को अपने लंड पर जाते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

मानिषा अपने हाथों से वैसे ही कुछ देर तक अपने बेटे के लंड की मालिश करने के बाद अपना हाथ वहाँ से हटा ली।
"वाह बेटे अब तो तुम्हारा लंड बिलकुल तनकर चमक रहा है" मनीषा ने अपने बेटे के लंड की तरफ देखते हुए कहा।
"माँ मुझसे बर्दाशत नहीं होता क्या मैं इसे आपकी चूत में डाल सकता हूँ" नरेश ने अपनी माँ की आँखों में देखते हुए कहा ।
"बेटे मैं भी कब से जल रही हूँ । तुम वैसे ही सोये रहो । मैं खुद तुम्हारे लंड को अपनी चूत में डालती हूँ" मनीषा ने अपने बेटे की बात सुनने के बाद उससे कहा और अपने होंठ नीचे झुकाते हुए अपने बेटे के लंड को चूम लिया।

"आजहहह माँ ऐसा मत करो। मैं ऐसे ही झरना नहीं चाहता" अपनी माँ के नरम होंठ अपने लंड पर पड़ते ही नरेश से ज़ोर से सिसकते हुए कहा । मनीषा ने अपने बेटे की बात को सुनते ही अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और अपने बेटे के साथ कुछ देर तक फ्रेंच किस में खो गयी। मनीषा ने वैसे ही अपने बेटे को चूमते हुए अपनी टांगों को फ़ैलाकर अपने बेटे के पेट पर बैठ गयी ।
नरेश का लंड अपनी माँ की गांड को टक्कर मार रहा था, मनीषा ने कुछ देर तक अपने बेटे के साथ चूमा चाटी करने के बाद उसके होंठो से अपने होंठो को अलग करते हुए नीचे होकर अपने बेटे का लंड पकड लिया और अपने चूतडो को ऊपर उठाकर अपने बेटे के लंड को अपनी चूत पर रगडने लगी।

"आह्ह्ह्ह माँ डाल दो ना स्स्स्सह्ह्ह्ह" नरेश अपने लंड को अपनी माँ की गीली छूट पर रगडते हुआ देखकर ज़ोर से सिसकता हुआ बोला । मनीषा ने अपने बेटे की हालत देखकर अपने बेटे के लंड को सीधा अपनी चूत के छेद पर टीका दिया और अपने बेटे के आँखों में देखने लगी ।
 

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मानिषा अपने बेटे की बात सुनकर उसके लंड पर अपना वजन रखते हुए बैठने लगी, मनीषा के वजन के साथ नीचे ज़ोर लगाने से उसके बेटे का लंड सरकता हुआ उसकी चूत में घूसने लगा । मनीषा जैसे जैसे नीचे वजन डालकर बैठ रही थी वैसे वैसे उसके बेटे का लंड उसकी चूत में घुस रहा था, मनीषा को अपने बेटे का लंड अपनी गीली चूत में घुसते हुए बुहत मज़ा दे रहा था।
"आह्ह्ह्ह माँ तुम्हारी चूत तो बुहत गरम और टाइट है ओह्ह्ह्ह बुहत मज़ा आ रहा है" नरेश भी अपने लंड को अपनी माँ की चूत में घुसते हुए देखकर सिसककर बोला।
"आआह्ह्ह्हह बेटे तुम्हारा लंड भी कुछ कम नहीं मेरी चूत से तीन बच्चे निकल चुके हैं फिर भी तुम्हारे लंड ने इसको बुरी तरह से फ़ैला रखा है" मनीषा ने भी उत्तेजना के मारे अपने बेटे से कहा और इस बार बुहत ज़ोर के साथ अपने बेटे के लंड पर बैठ गई।

"आह्ह्ह्ह बेटे तुम्हारा लंड तो बुहत लम्बा और मोटा है मुझे तुमहारा लंड तो मेरी चूत के आखरी हिस्से तक महसूस हो रहा है" मनीषा ने अपने बेटे का लंड अपनी चूत में पूरा घूसने के बाद सिसकते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह माँ मुझे भी तो अपना लंड किसी गरम भट्टी में घुसा हुआ महसूस हो रहा है" नरेश ने अपनी माँ की चुचियों को पकडकर सहलाते हुए कहा ।
"हाँ बेटा शायद तुम सच कह रहे हो। मेंरी चूत कुछ दिनों से चुदाई न होने के सबब बुहत गरम रहने लगी है" मनीषा ने अब अपनी चूत को थोडा ऊपर करते हुए अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए कहा । नरेश ने भी उत्तेजना में अपनी माँ को नीचे से अपने लंड से धक्के देना शुरू कर दिये, मनीषा को अपने बेटे के लंड से चुदते हुए इतना मज़ा आ रहा था की वह अब बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को पूरी तेज़ी के साथ ऊपर नीचे करते हुए अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में ले रही थी।

मानिषा की साँसें अपने बेटे के लंड पर कूदते हुए बुहत ज़ोर से चल रही थी उसकी चूत से उत्तेजना के मारे जाने कितना पानी निकल रहा था। जिस वजह से अब उसके बेटे का लंड उसकी चूत में बुहत आसानी और तेज़ी के साथ अंदर बाहर हो रहा था । मनीषा भी अपने बेटे के लंड को अपनी चूत से उसके टोपे तक निकालकर फिर धम के साथ नीचे बैठ रही थी। ऐसा करते हुए मनीषा का अंग अंग काँप रहा था और वह उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर की सिसकियाँ लेकर अपने बेटे के लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी ।

"आह्ह्ह्ह बेटे मैं झरने वाली हूँ ओहहहह तुम्हारे लंड तो मेरी चूत को जवान बना चूका है" मनीषा यह कहते हुए अपने बेटे के लंड पर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगी, उसका पूरा जिस्म उत्तेजना के मारे कांप रहा था । मनीषा जैसे ही अपने बेटे के लंड से अपनी चूत को ऊपर करके फिर नीचे होने लगती। नरेश भी अपने चूतडों को उठाकर उसकी चूत में ज़ोर से अपना लंड डाल देता। जिस वजह से मनीषा के मुँह से ज़ोर की सिसकी निकल जाती
 

Rakesh1999

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"आआह्ह्ह्ह बेटे में आई ओह्ह्ह्हह इसशहहह" मनीषा का जिस्म अचानक अकडने लगा और वह बुहत ज़ोर से अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए झरने लगी । मनीषा ने झरते वक्त अपनी आँखें बंद कर ली और निढाल होकर अपने बेटे के ऊपर लेटकर झरने का मज़ा लेने लगी, नरेश ने अपनी माँ की कमर में हाथ ड़ालते हुए नीचे से अपने चूतडों को उछालते हुए अपनी माँ की चूत में धक्के लगाने लगा ।

"हाहहह बेटे सच में तुम ने आज अपनी माँ को पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया है, तुम्हारा लंड जिस औरत की चूत में घुसेगा वह तुम्हारी गुलाम बन जाएगी" मनीषा ने कुछ देर तक निढाल रहने के बाद अपने आँखें खोलकर अपने बेटे से कहा और अपने बेटे के होंठो पर अपने होंठ रखते हुए उसके होंठो को चूमने लगी ।
मानिषा ने अपने बेटे के होंठो को चूमते हुए अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया । नरेश अपनी माँ की जीभ को अपने मुँह में महसूस करके उत्तेजना के मारे अपनी माँ की जीभ को अपने होंठ के बीच लेकर ज़ोर से चूसते हुए उसकी चूत में अपने लंड को बुहत ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।

मानिषा की चूत एक बार झरने के बाद फिर से गरम होने लगी थी। मनीषा ने अपने बेटे के मुँह से अपनी जीभ को निकालकर अपनी चुचियों को अपने बेटे के मुँह के पास लहराने लगी । नरेश ने अपनी माँ की गोरी गोरी चुचियों को अपने मूह के सामने देखकर उन्हें अपने हाथों से पकडते हुए एक एक करके अपने मुँह में भरकर चूसने लगा ।
"ओहहहह बेटे बुहत मज़ा आ रहा है। ऐसे ही अपनी माँ की चुचियों का रस पीकर अपने लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर करो" मनीषा अपनी चुचियों के अपने बेटे के मुँह में चूसते हुआ महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोलने लगी।

नरेश कुछ देर तक अपनी माँ की चुचियों को चूसने के बाद उसे अपने ऊपर से उठाते हुए उलटा लिटा दिया और अपनी माँ के पीछे आते हुए अपना लंड उसकी चूत में पीछे से पेल दिया।
"आहहह सशःह्ह्ह बेटे "मानिषा अपने बेटे का लंड पीछे से अपनी चूत में एक बार में ही पूरा अंदर घूसने से ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली ।
नरेश अपनी माँ के दोनों चूतडों में हाथ डालकर अपनी माँ की चूत में अपना लंड बुहत ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।
"आहहह बेटे हाँ ऐसे ही ओहहहह बुहत मज़ा आ रहा है" मनीषा भी अपने बेटे के लंड पर अपने चूतडों को पीछे धकेलते हुए उसका लंड अपनी चूत में लेते हुए सिसक कर कहने लगी।
 
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