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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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मानिषा की चूत बुहत ज़्यादा गरम होकर पानी टपकाने लगी थी, उसने अपने बेटे के होंठो को छोडते हुए नीचे झुकते हुए उसकी पेण्ट में हाथ डालकर उसे नीचे सरका दिया ।
नरेश ने जल्दी से अपनी शर्ट को भी उतार दिया । मनीषा अपने बेटे की गाठीली बॉडी को देखकर पागल हो गई और सीधा होते हुए अपने होंठो से अपने बेटे के बालों वाले चोडे सीने को चूमने लगी, अपनी माँ के होंठ अपने सीने पर पड़ते ही उत्तेजना के मारे नरेश का लंड तनकर उसके अंडरवियर को फाडने लगा ।

नरेश अपनी माँ की साड़ी को पकडते हुए उतारने लगा, मनीषा भी अपने बेटे की मदद करते हुए गोल घुमते हुए अपनी साड़ी उतारने में अपने बेटे की मदद की । मनीषा साड़ी उतरने के बाद अपने बेटे के सामने सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्लाउज में खड़ी थी ।
मानिषा की साँसें उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर से चल रही थी । नरेश अपनी माँ का का गोरा चिकना बदन सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्लाउज में देखकर अपने होंठो पर जीभ फिराने लाग, मनीषा का भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था।

नरेश अपनी माँ के आधे नंगे जिस्म को देखते हुए उसकी तरफ बढने लगा, अपने बेटे को अपनी तरफ आता हुआ देखकर मनीषा की साँसें और तेज़ चलने लगी । नरेश अपनी माँ के पास आते हुए उसकी पीठ की तरफ चला गया ।
नरेश ने अपनी माँ के नंगे गोरे पीठ को देखते हुए अपनी बाहें आगे बढाकर अपने हाथ अपनी माँ के नंगे पेट पर रखते हुए उसके चूतड़ो को अपने अंडरवियर में खड़े लंड पर दबा दिया ।
"आहहह शह" अपने बेटे का खडा लंड अपने चूतडों पर लगते ही मनिषा सिसक उठी।

नरेश अपने लंड को यों ही अपनी माँ के चूतडों पर चिपकाये हुए अपने हाथ से उसके गोर पेट को सहलाने लगा । मनीषा की चूत से उत्तेजना के मारे पानी की नदियाँ बह रही थी और वह मज़े से अपनी आँखें बंद किये सिसक रही थी ।
नरेश ने कुछ देर तक अपने माँ के नंगे पेट को सहलाने के बाद अपना हाथ वहां से हटाते हुए अपनी माँ के ब्लाउज को उतार दिया । नरेश अपनी माँ के ब्लाउज को उतारने के बाद अपने होठ उसके नंगी गोरी पीठ पर रखकर उसे चूमते हुए अपने हाथों से उसकी ब्रा को भी खोल दिया।

मानिषा का पूरा जिस्म अपने बेटे के होंठ अपनी नंगी पीठ पर लगने से सिहर उठा । नरेश ने अपनी माँ की ब्रा को खोलने के बाद उसकी पीठ से अपने होंठो को हटाते हुए उसे सीधा कर दिया ।
 

Rakesh1999

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नरेश ने अपनी माँ के सीधा होते ही अपना हाथ आगे बढाकर उसकी चुचियों से ब्रा को खींचकर अलग कर दिया।
"वाह माँ आपकी तो सच में आपकी चूचियां दुनिया की सब से अच्छी चुचियां है" अपनी माँ ब्रा के हटते ही उसकी चुचियों को पूरा नंगा देखते ही नरेश के मूह से निकल गया ।

मानिषा ने शर्म के मारे अपना सर झुका रखा था । अपने बेटे की बात सुनते ही उसने नरेश को अपनी बाहों में भर लिया।
"आह्ह्ह्ह इसस" एक दुसरे से गले लगते ही दोनों माँ बेटे के नंगे सीने एक दुसरे में दबने से दोनों के मूह से एक साथ सिस्कियान निकल गयी ।
नरेश का लंड लोहे की तरह सख्त होकर अपनी माँ की गीली पेंटी पर ठोकरें मारने लगा । नरेश ने अपनी माँ को ज़ोर से अपनी बाँहों में दबाते हुए उसके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ रख दिये और अपनी सगी माँ के होंठ बुहत ज़ोर से चूसने लगा।

नरेश को अपनी माँ की नरम चुचियां अपने सीने में दबती हुयी इतना मजा दे रही थी की उसने अपनी माँ के मूह को खोलते हुए अपनी जीभ उसमें घुसा दी । मनीषा कोई बच्ची तो थी नहीं अपने बेटे की जीभ अपने मूह में आते ही वह उसे अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगी ।

मानिषा ने कुछ देर तक अपने बेटे की जीभ को चाटने के बाद अपने बेटे की जीभ को अपने मूह से निकालते हुए अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया।नरेश अपनी माँ की जीभ अपने मूह में आते ही उसे बड़े प्यार से चाटने लगा ।

नरेश को अपनी माँ की जीभ बुहत ज़्यादा टेस्टी लग रही थी । नरेश ने अब अपनी माँ की जीभ को अपने मूह से निकाल दिया और उसके काँधे को चूमते हुए नीचे होता हुआ अपनी माँ की चुचियों तक आ गया।
नरेश ने अपनी माँ की एक चूचि को अपने हाथ से पकडते हुए उसके तने हुए दाने को अपने मूह में भर लिया और उसे बुहत ज़ोर से चूसने लगा ।
"आजहहह बेटे ऐसी ही अपनी माँ की चुचियों को ज़ोर से चूस बुहत मजा आ रहा है" मनीषा अपनी चूचि को अपने बेटे के चूसने से गरम होकर सिसकते हुए बोली।

"हाँ माँ आज मुझे आपकी चुचियों का सारा रस पीना है" नरेश ने अपनी माँ की बात सुनकर उत्तेजित होते हुए उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी चुसते हुए कहा ।
अपने बेटे से अपनी चुचियां चुसवाते हुए मनीषा को अपने पूरे शरीर में अजीब किसम की सनसनाहट महसूस हो रही थी । मनीषा ने अपना हाथ आगे बढाकर अपने बेटे के तने हुए लंड को उसके अंडरबियर के ऊपर से ही पकड़ लिया।
 

Rakesh1999

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"आह्ह्ह्ह माँ" अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर लगते ही नरेश के मूह से सिसकी निकल गयी और वह अपनी माँ की चूचि को जितना अपने मूह में हो सकता था उतना अंदर लेकर चूसने लगा ।

मानिषा ने कुछ देर तक अपने बेटे के लंड को यों ही अंडरवियर के ऊपर सहलाने के बाद अपनी चुचियों को उसके मूह से अलग करते हुए घुटनों के बल नीचे बैठ गयी और अपने बेटे के अंडरवियर में बने लंड के उभार को अपने होंठो से चूमते हुए उसके अंडरवियर में हाथ डालकर उसे उतार दिया ।

नरेश का लंड अंडरवियर के उतारते ही अपनी माँ के मूह के सामने ज़ोर से उछलता हुआ सलामी देने लगा। मनीषा की चूत अपने बेटे का गुलाबी मोटा और लम्बा लंड अपनी आँखों के इतना क़रीब देखकर और ज़्यादा उत्तेजित होकर पानी बहाने लगी ।
मानिषा ने अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से पकड लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
"आह्ह्ह्ह" अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर पड़ते ही नरेश के मूह से सिसकी निकल गयी । नरेश का लंड उत्तेजना के मारे तन कर बुहत गरम हो चुका था और उसके लंड से वीर्य की कुछ बूँदे निकलने लगी।

मानिषा ने अपने बेटे के लंड से वीर्य की बूँदों को निकलता हुआ देखकर अपनी जीभ निकलकर अपने बेटे के लंड के छेद से निकलती हुए वीर्य की बूँदों को चाट लिया।
"आहहहहह आअह्ह्ह माँआ" अपनी माँ की जीभ अपने लंड पर लगते ही नरेश का पूरा जिस्म काम्पने लगा ।
मनीषा को अपने बेटे के लंड का गुलाबी सुपाडा बुहत प्यारा लग रहा था । उसने अपना मूह खोला और अपने बेटे के लंड का गुलाबी सुपाडा अपने मूह में भर लिया। मनीषा अपने बेटे के लंड के सुपाडे को बड़े प्यार से किसी कुल्फ़ी की तरह अपने होंठो के बीच लेकर चाटने लगी।

"आह्ह्ह्ह शहहहहह माँ ओह्ह्ह्हह्ह्" नरेश के मूह से बुहत ज़ोर की सिसकिया निकलने लगी। उसका उत्तेजना के मारे बुरा हाल था । नरेश ने अपनी माँ के सर को पकडते हुए उसका मूह अपने लंड से निकाल दिया। क्योंकी वह जानता था की अगर उसका लंड कुछ देर और उसकी माँ के गरम मुँह में रहा तो वह झर जाएगा जो वह नहीं चाहता था ।
नरेश ने अपनी माँ को सीधा खडा कर दिया और उसे बड़े गौर से एक बार देखने के बाद अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया । नरेश अपनी माँ के टांगों के बीच आ गया और उसकी छोटी सी पेंटी को अपने हाथों से खीच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।
 

Rakesh1999

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मानिषा की पेंटी के उतरते ही उसकी हलकी झाँटों वाली गोरी चूत उसके बेटे के सामने आ गयी । नरेश अपनी माँ की चूत को बड़े गौर से देखने लगा। मनीषा ने अपने बेटे को अपनी चूत की तरफ यो घूरता हुआ देखकर शर्म से अपनी टांगों को आपस में मिला दिया।
"माँ हमें देखने दो हम देखना चाहते हैं की हम जिस चूत से पैदा हुए हैं वह कितनी ख़ूबसूरत है" नरेश ने अपनी माँ की टांगों को पकडते हुए पूरा फैलाकर कहा ।
नरेश फिर से अपनी माँ की चूत को गौर से देखने लगा। मनीषा की छूट से उत्तेजना के मारे रस तपक रहा था।

नरेश अपना मूह अपनी माँ की चूत के तरफ ले जाने लगा।
"आह्ह्ह्ह माँ क्या खुशबु है तुम्हारी चूत की हमें तो पागल बना रही है" नरेश ने अपनी माँ की चूत के क़रीब पुहंचते ही ज़ोर से अपनी साँसें लेते हुए अपनी माँ की चूत की गंध को सूँघते हुए कहा।
मानिषा की चूत अपने बेटे की बात सुनकर और ज्यादा उत्तेजित होकर पानी बहाने लगी । नरेश ने अपनी जीभ निकाली और अपनी माँ की चूत से निकलते हुए पानी को चाटने लगा।
"आजहहह हहहह बेटे ओह्ह्ह्ह तुम बुहत अच्छे हो" अपने बेटे की जीभ अपनी चूत पर लगते ही मनीषा के मूह से बुहत ज़ोर की सिसकिया निकलने लगी।

नरेश ने अपनी माँ की चूत को बाहर से ही चाटते हुए अपने हाथ से अपनी माँ की चूत के मोटे दाने को सहलाने लगा । नरेश कुछ देर तक अपनी माँ की चूत को ऐसे ही चाटने के बाद अपने दोनों हाथों से अपनी माँ की चूत के झाँटों को हटाते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के लबों को खोलते हुए अपनी जीभ को कडा कर के अपनी माँ की चूत में घुसा दिया ।

"आआह्ह्ह्ह इसशहहहह बेटे ओह्ह्ह्हह्हह क्या कर दिया ओईए हाँ और अंदर तक मेरी चूत को चाट बुहत मज़ा आ रहा है" अपने बेटे की जीभ अपनी चूत में जाते ही मनीषा बुहत ज़ोर से सिसककर अपनी चूत को अपने बेटे की जीभ पर उछालते हुए बोली ।

नरेश अपनी माँ की चूत में बुहत ज़ोर से अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा । मनीषा का पूरा जिस्म अपने बेटे की जीभ के अपनी चूत में अंदर बाहर होने से काँपते हुए अकडने लगा, मनीषा किसी भी वक्त झर सकती थी। उसके मूह से बुहत ज़ोर की सिसक़िया निकल रही थी।
 

Rakesh1999

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"ओहहहहह आआह्ह्ह्ह बेटे में आईईसश्ह ओफ्फफ्फ्फ्फफ्फ" मनीषा की चूत झटके खाते हुए अपने बेटे के मूह पर पानी की नदियाँ छोड़ने लगी । झरते वक़त मनीषा ने मज़े से अपनी आँखें बंद कर ली और बुहत ज़ोर से सिसकते हुए झरने लगी ।
नरेश अपनी माँ की चूत का नमकीन पानी बड़े प्यार से चाटने लगा । मगर मनीषा की चूत से बुहत ज़्यादा पानी निकल रहा था जिस वजह से उसका पूरा मूह गीला हो गया । नरेश जब तक उसकी माँ की चूत से पानी निकलता रहा उसे अपनी जीभ से चाटता रहा और फिर अपनी जीभ को अपनी माँ की चूत से निकालकर उसकी साड़ी उठाकर अपना मूह साफ़ कर दिया।

नरेश की हालत बुहत बिगड चुकी थी। उसने जल्दी से अपनी माँ की टांगों को उठा कर घुटनों तक मोड़ दिया और अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखकर रगडने लगा, मनीषा ने जैसे ही अपनी आँखें खोली अपने बेटे का लंड अपनी चूत से रगडता हुआ देखकर फिर से गरम होते हुए सिसकने लगी ।
"आआह्ह्ह बेटे अब और मत ताडपा घुसा दे अपनी माँ की चूत में अपना मोटा लंड। दिखा दे अपनी माँ को की उसकी चूत से निकला हुआ ही अपने मोटे और लम्बे लंड से कैसे उसकी चूत को शांत करता है" मनीषा ने उत्तेजना में बोलते हुए कहा ।

नरेश अपनी माँ की बात सुनकर बुहत ज्यादा एक्साइटेड हो गया और अपना लंड अपनी माँ की चूत के छेद पे टीका कर धक्का मारने ही वाला था की बाहर से दरवाज़ा खटखटाने की आवज़ आई ।
"भाभी खाना बन चूका है बाहर आ जाओ। मैं खाना लगा रही हूँ" बाहर से रेखा की आवाज़ आ रही थी।
"दीदी आप खाना लगाओ में 5 मिनट में आती हूँ" मनीषा ने अपने गुस्से को काबू में रखते हुए कहा।
"भाभी वह नरेश को जल्दी से भेजो खाना लगाने में मदद करेंगा" रेखा की फिर से आवाज़ आई ।

नरेश को अपनी मामी पर इतना गुस्सा आ रहा था की उसका दिल कर रहा था की अभी जाकर अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़े । मनीषा ने लाचारी में अपने बेटे की तरफ देखा, नरेश समझ गया की उसकी माँ उसे बाहर जाने के लिए कह रही है । नरेश ने गुस्से से अपनी माँ को छोडते हुए अपने कपडे पहनने लगा और कपडे पहनकर वहां से बाहर आ गया ।
 

Rakesh1999

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कमेंट के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks
 

Rakesh1999

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अपडेट 31




मानिषा अपने बेटे के जाने के बाद उठकर कपडे पहनने लगी, उसे भी बुहत गुस्सा आ रहा था उसके बेटे का लंड उसकी चूत को छु चूका था। बस अंदर घूसने ही वाला था की रेखा ने उसे आवाज़ देकर बुला लिया । मनीषा बेड से उठकर बाथरूम में घुस गयी और पेशाब करने के बाद कमरे से बाहर निकल आई ।
मानिषा बाहर निकल कर खाने की टेबल पर जाकर बैठ गई, रेखा खाना लगा रही थी और नरेश भी उसकी मदद कर रहा था, अनिल और मनीषा की दोनों बेटियाँ भी वहां पर बैठी हुयी थी।

"भाभी शीला से कह देती मदद के लिए। नरेश तो लड़का है उसे क्यों यह काम करा रही हो" मनीषा ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ माँ मेने भी यही कहा था मामी से की मैं कर देती हूँ मगर मामी ने मना कर दिया" शीला ने रेखा के जवाब से पहले ही बोल दिया।
"हाँ हाँ मुझे सब पता है मगर नरेश खुद मेरे साथ यह सब करने की ज़िद करता है, कहता है की बैठे बैठे बोर हो जाता है तो अपनी मामी का थोडा सा हाथ बंटा देता है क्यों नरेश" रेखा ने नरेश की तरफ देखते हुए झूठ बोलते हुए कहा ।
"हाँ माँ मैंने ही मामी से कहा था मुझे मामी के साथ काम करने में मजा आता है" नरेश ने दिल में रेखा को गाली देते हुए कहा।
"जाब मामी भांजा राज़ी तो क्या करेगा काज़ी" यह कहते हुए मनीषा के साथ सब हंसने लगे।

"भाभी अपने बच्चों के आने का इंतज़ार कर लेती। मनिषा ने रेखा से कहा।
"नही दीदी फिर तो देर हो जाती उन्हें मैं गरम करके दे दूंगी । आप बेफिक्र होकर खाओ" रेखा ने सारा खाना टेबल पर रखने के बाद खुद भी बैठते हुए कहा ।
सब मिलकर खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद अपने अपने कमरों में जाने लगे, नरेश उठकर अपनी माँ के कमरे में जाने लगा।
"भान्जे कहाँ माँ के पीछे पीछे लटू हो रहे हो इधर आओ। यह बर्तन उठाने में हमारी मदद करो" रेखा ने नरेश को आवज़ देते हुए कहा।

"लगता है साला आज नसीब ही खराब है" नरेश दिल ही दिल में बड़बड़ाते हुए अपनी मामी की तरफ लोटने लगा।
"क्या बात है नरेश बुहत अपसेट लग रहे हो" रेखा ने बर्तन उठाते हुए अपने भांजे से कहा।
"कुछ नहीं मामी" नरेश ने भी बर्तन उठाते हुए कहा।
"नही नरेश कोई बात तो ज़रूर है, ज़रूर हम से कुछ छुपा रहे हो" रेखा ने बर्तन उठाकर कीचन की तरफ जाते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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"वो मामी सुबह से हमें यह बुहत तँग कर रहा है इसीलिए परेशान था" नरेश भी बर्तन उठाकर अपनी मामी के पीछे कीचन में दाखिल होते हुए कहा।
"च हमारा भंजा अपने साँप को काबू में नहीं रख सकता इसीलिए परेशान है" रेखा ने बर्तन नीचे रखते हुए नरेश की तरफ देखते हुए कहा।

नरेश ने अपनी मामी की बात सुनकर अपना कन्धा नीचे कर दिया।
"अरे पागल फ़िलहाल अपने हाथ से इसे शांत कर दे। जब तक शादी नहीं हो जाती तुम्हारी" रेखा ने नीचे बैठकर बर्तन धोते हुए कहा।
नरेश बाहर जाकर जल्दी से एक कुर्सी ले आया और अंदर आते हुए किचन का दरवाज़ा बंद करते हुए कुर्सी पर बैठ गया।
"भान्जे यह दरवाज़ा क्यों बंद किया" रेखा ने हैंरान होते हुए नरेश से पुछा ।
"मामी अगर कोई अचानक आ गया तो हमारी बातें सुन लेगा इसीलिए बंद किया" नरेश ने अपने हाथ से अपने लंड को पेण्ट के ऊपर से ही खुजलाते हुए कहा।
"लगता है तुम्हारा साँप बुहत बेसब्र है उसे बस कोई भी बिल चाहिए घूसने के लिये" रेखा ने अपने भांजे को लंड खुजाते हुए देखकर कहा।

"मामी मुझे तो इसे शांत करना भी नहीं आता । आप ही कुछ तरीका बताओ न हाथ से इसे की शांत कैसे किया जाता है" नरेश ने भोला बनते हुए कहा।
"भान्जे इतने भोले दीखते तो नहीं क्यों अपनी मामी से गन्दी बातें सुनकर मजा आता है। जो ऐसी बातें कर रहे हो" रेखा ने अपने हाथ से अपनी चुचियों के ऊपर खुजाते हुए कहा ।ऐसा करने से उसकी साड़ी का पल्लु भी उसकी चुचियों से हटकर नीचे गिर गया। जिसे उसने ऊपर नहीं किया और ऐसे ही बर्तन धोने लगी ।

"नाही मामी हम सच कह रहे हैं हमें कुछ नहीं पता। प्लीज हमें बताओ ना" नरेश ने अपनी मामी की चुचियों के नंगा होते ही उसे गौर से देखते हुए कहा।
"अपनी मामी की चुचियों को देखना आता है पर अपने साँप का इलाज नहीं पता" रेखा ने अपने भांजे को अपनी चुचियों की तरफ घूरते हुए देखकर कहा।
"मामी आप की चुचियां है ही इतनी सूंदर की हर वक्त उन्हें देखने का मन करता है" नरेश ने भी इस बार अपनी मामी को सीधे कह दिया।
"हाय हाय क्या कलयूग का दौर आ गया है भान्जा अपनी मामी की चुचियों को देखना चाहता है" रेखा ने अपने भांजे की बात सुनकर बिना अपना पल्लु चुचियों पर रखे बर्तनों को धोने का नाटक करते हुए कहा।
 
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