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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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नरेश को अचानक अपनी माँ की गांड का भूरा छेद नज़र आ गया और उसने अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए अपने हाथ को अपनी माँ की गांड पर रख दिया । नरेश अपनी माँ की गांड को अपने हाथ से मसलते हुए अपनी एक ऊँगली को उसकी गांड के छेद में रखकर टटोलने लगा।
"ओहहहह बेटे क्या कर रहे हो वहां" मनीषा अपने बेटे की ऊँगली को अपनी गांड के छेद पर महसूस करके चौकते हुए बोली । मनीषा का पूरा जिस्म अपने बेटे की ऊँगली को अपनी गांड के छेद पर महसूस करके सिहर उठा था ।

नरेश अपनी माँ की बात पर कोई ध्यान दिए बगेर अपनी ऊँगली से अपनी माँ की गांड के छेद को कुरेदने लगा । मनीषा को अपने बेटे की ऊँगली अपनी गांड के छेद में कुरेदते हुए बुहत ज्यादा मज़ा दे रही थी। इसीलिए वह ज़ोर से सिसकते हुए अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होता हुआ महसूस कर रही थी ।
नरेश ने अचानक अपनी माँ की गांड के छेद को कुरेदते हुए अपनी ऊँगली को अपनी माँ की गांड में घुसा दिया,
"उईई बेटे यह क्या कर दिया तुमने" अपने बेटे की ऊँगली के अपनी गांड में जाते ही मनीषा ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा

नरेश अपनी ऊँगली को यों ही अपनी माँ की गांड में घुसाये हुए अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
"ओहहहहह आह्ह्ह्ह बेटे अब तो बुहत मज़ा आ रहा है" मनीषा अपने बेटे के लंड को अपनी चूत और उसकी ऊँगली अपनी गांड में डाले हुए मज़े के मारे सिसकते हुए बोली ।
नरेश कुछ देर तक यों ही अपनी माँ की चूत को चोदने के बाद अब अपनी ऊँगली को अपनी माँ की गांड में हिलाते हुए अंदर बाहर करते हुए उसकी चूत को चोदने लगा । नरेश का पूरा जिस्म ऐसा करते हुए बुहत ज़ोर से कांप रहा था।

"आजहहह बेटे मैं झरने वाली हूँ ओहहहह मुझे बुहत मज़ा आ रहा है। मेरे दोनों छेदों में हरकत होने से मुझे बुहत ज्यादा मज़ा आ रहा है" मनीषा ने अपने बेटे की ऊँगली को अपनी गांड और उसके लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होने से बुहत ज्यादा एक्साइटेडट होते हुए कहा ।
"माँ मैं भी आने वाला हूँ। ओहहहह माँ आपने आज मुझे जन्नत का मज़ा दिया है" नरेश भी अपनी माँ की बात सुनकर बुहत ज़ोर से सिसकते हुए बोला । नरेश अपनी माँ की चूत में बुहत तेज़ी के साथ अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था और साथ में अपनी ऊँगली को भी तेज़ी के साथ अपनी माँ की गांड में अंदर बाहर कर रहा था।
 

Rakesh1999

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मानिषा अपने बेटे से चुदवाते हुए मज़े से हवा में उड़ रही थी, मनीषा को जो मज़ा अपना बेटा दे रहा था वह उसे आज तक किसी से नहीं मिला था । मनीषा का पूरा जिस्म उत्तेजना के मारे अकडने लगा था और वह मज़े के मारे अपने चूतडों को बुहत ज़ोर के साथ अपने बेटे के लंड पर पीछे धकेलने लगी ।
"ओहहहह माँ में आ रहा हूँ कहाँ झडुँ" नरेश ने अचानक चिल्लाते हुए कहा।
"बेटा मेरी चूत में झरो अपनी माँ की प्यासी चूत को अपने वीर्य से भर दो" मनीषा ने अपने बेटे की बात सुनकर जल्दी से कहा । नरेश अपनी माँ की बात सुनकर उसकी गांड से अपनी ऊँगली को निकालते हुए उसके चूतडों को पकडकर बुहत ज़ोर से उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए हाँफते हुए झरने लगा।

"आह्ह्ह्ह बेटे तुम्हारा वीर्य बुहत गरम है ओहहहह। मैं भी आ रही हूँ इशहहहहह बेटे" मनीषा अपने बेटे का गरम वीर्य अपनी चूत में पड़ते ही उत्तेजना के मारे ज़ोर से हाँफते हुए वह भी झरने लगी । मनीषा ने झरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और अपने चूतडों को ज़ोर से पीछे धकलते हुए अपने बेटे का लंड अपनी चूत में लेने लगी।

नरेश का लंड पूरी तरह झरने के बाद अपनी माँ की चूत से सिकुड़ कर निकल आया और वह निढाल होकर बेड पर लेट गया । मनीषा भी अपने बेटे का लंड अपनी चूत से निकलने के बाद निढाल होकर वही ढेर हो गयी ।
 

Rakesh1999

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कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks
 

Rakesh1999

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अपडेट 41




विजय कुछ देर तक आराम से लेटे रहने के बाद अपनी बहन के होंठो पे अपने होंठो को रखकर चाटने लगा।
कंचन ने अपने भाई के चुम्बनों का जवाब देते हुए अपना हाथ नीचे करते हुए अपने भाई के सिकुड़े हुए लंड को पकड ली, कंचन ने अपने भाई से अपने होंठ चुसवाते हुए अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया और अपने हाथ से अपने भाई के सिकुड़े हुए लंड को सहलाने लगी ।
विजय अपनी बहन की लज़ीज जीभ को अपने होंठो से चूसते हुए अपने हाथों से उसकी चुचियों को सहलाने लगा । विजय का लंड अपनी बहन के नरम हाथों में आते ही उठते हुए तनने लगा, विजय कुछ देर तक अपनी बहन की जीभ को चाटने के बाद उसकी जीभ को अपने मूह से निकालते हुए अपनी जीभ को अपनी बड़ी बहन के मुँह में घुसा दिया।

कंचन अपने भाई के जीभ को अपने मूह में घुसते ही उसे अपने होंठो से चूसते हुए अपने नरम हाथों से विजय का लंड भी सहलाने लगी । विजय का लंड अब उठकर बिलकुल खडा हो चुका था, विजय ने कुछ देर तक अपनी बहन के होंठो से अपनी जीभ को चुसवाने के बाद अपने मूह को अपनी बहन के मूह से दूर करते हुए उसकी एक चूचि को अपने मुँह के पास लाते हुए चूसने लगा ।
"आआह्ह्ह्ह भैया" अपनी चूचि को अपने भाई के मुँह में महसूस करके कंचन ज़ोर से सिसक उठी।
"क्या हुआ दीदी मज़ा आ रहा है?" विजय ने अपनी बहन की चूचि को अपने मुँह से निकालते हुए कहा और फिर से अपनी बहन की दूसरी चूचि को अपने मूह के पास लाते हुए उसके गुलाबी दाने पर अपनी जीभ को घुमाते हुए अपने मूह में भर लिया।

"ओहहहह भैया बुहत मज़ा आ रहा है" कंचन ने अपने भाई के बालों में हाथ ड़ालते हुए अपनी चूचि पर दबाते हुए कहा । विजय अपनी बहन की बात सुनकर अपनी बहन की चूचि को ज़ोर से अपने मुँह में पूरा भरते हुए बुहत ज़ोर से चूसने लगा ।
"उईई भैया ओहहहह आराम से दर्द होता है" कंचन अपने भाई के मूह में अपनी चूचि को बुहत ज़ोर से चूसने से चिल्लाते हुए बोली । कंचन ने हाथ से अपने भाई के लंड को अपनी चूचि को ज़ोर से चूस्ते हुए महसूस करके ज़ोर से दबा दिया।

"ओहहहह दीदी अब बर्दाशत नहीं होता तुम तैयार हो जाओ। मैं तुम्हें लड़की से औरत बनाने वाला हू" विजय ने अपनी बहन की चूचि को अपने मूह से निकालते हुए उसके हाथों से अपने लंड को ज़ोर से दबने से सिसकते हुए कहा।
"ओहहहह भैया मैं तो कब से तरस रही हूँ की कब मेरा प्यारा भाई अपनी बहन को एक औरत और अपने आप को एक मरद बनाता है" कंचन ने अपने भाई की बात को सुनते हुए सिसककर कहा । विजय अपनी बहन की बात सुनकर जल्दी से अपनी बहन की टांगों के बीच आते हुए उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया और उसकी दोनों टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया ।
 

Rakesh1999

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विजय अपनी बहन की चूत पर अपना लंड रगडने लगा।
"ओहहहह भैया करो ना" कंचन अपने भाई के लंड को अपनी चूत पर घीसने से बुहत ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने चूतडों को उछालकर अपने भैया के लंड को अपनी चूत में घुसाने की नाक़ाम कोशिश करते हुए कहा।
"क्या करुं प्यारी बहना" विजय ने अपनी बहन को इतना ज्यादा गरम देखकर उसे तडपाते हुए कहा और उत्तेजना के मारे अपनी बहन की चूत से निकलते हुए पानी से अपने लंड को गीला करते हुए अपना लंड वैसे ही उसकी चूत पर घीसने लगा ।

"हाहहह भैया वह डालो न क्यों तंग कर रहे हो" कंचन ने फिर से अपने चूतडों को उछलकर अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए ज़ोर से सिसककर नशीली आँखों से अपने भाई की तरफ देखते हुए कहा । कंचन का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था और उसकी आँखें उत्तेजना के मारे ऐसे दिख रही थी जैसे उसने शराब पी रखी हो ।
"दीदी वही तो पूछ रहा हूँ क्या डालुँ" विजय को अपनी बहन को सताते हुए बुहत मज़ा आ रहा था । इसीलिए वह अपने लंड को अपनी बहन की चूत पर नीचे से लेकर ऊपर तक घिसते हुए बोला।
"ओहहहह भैया आप बड़े वह हो । ऐसे नहीं मानोगे अपना लंड हमारी इस में घुसाओ न । मुझे कुछ हो रहा है" कंचन ने आखिर हार मानकर ज़ोर से सिसककर कहा।

"दीदी हम अपना लंड किस में घुसाऊँं" विजय ने फिर से उसी अन्दाज़ में अपना लंड अपनी बहन की चूत पर घिसते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह भैया अपना लंड हमारी चूत अपनी बड़ी दीदी की चूत में घुसाओ ना" कंचन ने जल्दी से अपने भाई से कहा । वह जान चुकी थी की विजय ऐसे नहीं मानेगा ।
"ओहहहह दीदी हमारी प्यारी दीदी हमारे होते हुए ऐसे कैसे तडप सकती है" विजय ने यह कहते हुए अपना लंड अपनी बहन की कुँवारी चूत के छेद पर टीका दिया और अपनी बड़ी बहन की टांगों को पकडते हुए अपने लंड पर दबाब डालकर अपनी बहन की चूत में घुसाने की कोशीश करने लगा।

विजय के ज़ोर लगाने पर उसके लंड का मोटा टोपा उसकी बहन की चूत में थोडा सा अंदर जाकर फँस गया,
"उईई भैया आपका तो बुहत मोटा है" कंचन ने अपने भाई के लंड के मोटे सुपाडे को अपनी चूत के दीवारों को फ़ैलाने से ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली ।
"दीदी बस थोडा सा दर्द बर्दाशत कर लो। फिर मजा ही मजा आयेगा" विजय ने अपनी बहन की चीख़ को सुनकर उसको तसली देते हुए कहा।
"ओहहहह हाँ भैया आप अपना काम करो । मैं अब और बर्दाशत नहीं कर सकती । जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे लड़की से औरत बनाओ" कंचन ने अपने भाई की बात सुनने के बाद ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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दीदी आप ऐसा करो एक तकिया उठाकर अपने मुँह पर रख लो । ऐसा न हो की आपकी चीख़ सुनकर कोई आ जाए" विजय ने अपनी बड़ी बहन को सलाह देते हुए कहा । कंचन ने अपने भाई की बात को मानते हुए एक तकिया उठाकर अपने मूह पर रख दिया, विजय ने अपनी बड़ी बहन की टांगों को पकडते हुए अपने चूतड़ो को थोडा पीछे करते हुए एक ज़ोर का धक्का अपनी बहन की चूत में लगा दिया ।
"उईईईई मायआ ओहहहहहह फट गयीईइई" विजय का लंड उसकी बहन की सील को तोड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया । कंचन के मूह से ज़ोर की चीख़ें निकलने लगी । जो उसका मुँह तकिए में होने की वजह से एक घुटी सी आवज़ के रूप में विजय को सुनायी देने लगी।

विजय कुछ देर तक अपने लंड को बिना हरकत दिए अपनी बहन की चूत में घुसाए रखा । कंचन की कुँवारी चूत की झीली फ़टने से उसकी चूत से खून की कुछ बूँदे निकल बेड पर गिर रही थी।
"ओहहहहह भैया बुहत दर्द हो रहा है । आपका तो बुहत मोटा है" कुछ देर बाद कंचन ने अपने मूह से तकिए को दूर करते हुए ज़ोर से सिसककर कहा ।
"दीदी बस आपकी झीली फट चुकी है और आप एक औरत बन चुकी हैं यह दर्द कुछ ही देर में चला जाएगा" विजय ने अपनी बहन के ऊपर झुकते हुए कहा और उसकी एक चूचि को पकडते हुए अपने मूह में डाल दिया । कंचन के आँखों से दर्द के मारे आंसू निकल रहे थे। अपनी चूचि को अपने भाई के मूह में महसूस करके वह कुछ सुकून महसूस करने लगी।

कंचन की चूत का दर्द कुछ ही देर में कम होकर न के बराबर रह गया और वह अपने भाई के मूह में अपनी चूचि को महसूस करके फिर से गरम होते हुए अपने चूतडों को अपने भाई के लंड पर हिलाने लगी । विजय अपनी बहन के चूतडों को हिलता हुआ महसूस करके समझ गया की उसकी चूत का दर्द ख़तम हो गया है।
विजय अपनी बहन की चूचि को छोड़ता हुए सीधा होगया और अपनी बड़ी बहन की टांगों को पकडते हुए अपने लंड को धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
"ओहहहहह हहह भैया" अपने भाई के लंड की रगड से कंचन ने बुहत ज्यादा मज़े और हलके मीठे दर्द के अहसास से ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

विजय अपनी बहन की चूत में अपना लंड कुछ देर तक यों ही धीरे से अंदर बाहर करता रहा । कंचन को अब अपनी चूत में दर्द बिलकुल महसूस नहीं हो रहा था। जिस वजह से अब वह अपने चूतडों को अपने भाई के लंड पर ज़ोर से उछालते हुए उसका लंड अपनी चूत के अंदर ले रही थी, विजय भी अपनी बहन के चूतडों को ज़ोर से हिलता हुआ देखकर अपना लंड तेज़ी के साथ अपनी बड़ी बहन की चूत में अंदर बाहर करने लगा।
 

Rakesh1999

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आह्ह्ह्ह भैया ओहहहह मुझे बुहत मज़ा आ रहा है आपका लंड मेरी चूत के दीवारों से बुरी तरह से रगड खा रहा है" कंचन ने अपने चूतडों को वेसे ही अपने भाई के लंड पर उछालते हुए उत्तेजना के मारे सिसककर बोली।
"आहहह दीदी आपकी चूत तो बुहत ज्यादा टाइट और गरम है । मुझे आपकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए जितना मज़ा आ रहा है । वह सिर्फ मैं ही जानता हू" विजय अपनी बहन की बात सुनकर ज़ोर से उसकी चूतमें अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए बोला।
"ओहहहह भैया आपका लंड तो मेरी चूत में और अंदर तक घुस रहा है । अभी कितना बाहर है" कंचन अपने भाई के लंड के ज़ोर के झटको से सिसकते हुए बोली।
"दीदी बस थोडा सा है आप कहे तो पूरा अंदर कर दूं" विजय ने अपनी दीदी की चूत में अपना लंड पूरा सुपाडे तक निकालकर उसकी चूत में ज़ोर का धक्का मार कर अंदर घूसा रहा था । जिस वजह से उसका पूरा जिस्म अपने भाई के हर धक्के के साथ कांप रहा था।

"ओहहहह भैया घुसेडो पूरा मुझे चोद चोद कर अपनी गुलाम बना लो" कंचन ने अपने भाई के ज़ोर के धक्कों से बुरी तरह हाँफते हुए कहा।
"तो दीदी सम्भालो अपने आपको" यह कहते हुए विजय ने अपनी बहन की टांगों को पकड अपना लंड आधा बाहर करते हुए बुहत ज़ोर के २-३ धक्के मारकर उसे अपनी बड़ी बहन की चूत में पूरा पेल दिया ।
"उईई मायआ ओह्ह्ह्हह भैया मर गयी । दर्द हो रहा है" कंचन अपने भाई का पूरा लंड घुसते ही फिर से दर्द के मारे झटपटाने लगी । विजय ने इस बार अपनी बहन की कोई परवाह न करते हुए अपने लंड को उसकी चूत में बुरी तरह अंदर बाहर करने लगा।

"आह्ह्ह्ह इसशहहहह भैया आपका लंड तो मुझे अपने पेट के क़रीब महसूस हो रहा है ओह्ह्ह्ह बुहत मज़ा आ रहा है। मैंने खवाब में भी नहीं सोचा था की चुदाई में इतना मज़ा आता है" कुछ ही देर में कंचन की चूत में विजय के लंड ने अपनी जगह बना ली और वह ज़ोर से अपने चूतडों को उछालते हुए अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेकर ज़ोर से सिसकते हुए बोली ।
विजय ने अपनी बहन के चूतडों से तक़िए को खींचकर निकाल दिया और अपनी बहन की चूत में अपने लंड को पूरी तेज़ी और ताक़त के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
 

Rakesh1999

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"ओहहहह भैया आअह्ह्ह्हह मुझे कुछ हो रहा है तेज़ी के साथ करो" कंचन अपने भाई के लंड को अपनी चूत की गहराईयों में ज़ोर की रगड खाते हुए महसूस करके उत्तेजना के मारे ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली।

विजय समझ गया की उसकी बहन झरने वाली है। इसीलिए वह अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर अपनी बहन की चूत में पेलने लगा । कंचन का भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था। उसका पूरा जिस्म काँपते हुए अकड़ रहा था, कंचन ने अपनी टांगों को अपने भाई की कमर में डाल दिया और अपने दोनों हाथों को अपने भाई की गांड को पकडकर अपनी चूत में उसके लंड को ज़ोर से घुसाने लगी ।
विजय अपनी बहन की चूत में अपना लंड इतनी ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था की उसके हर धक्के के साथ उसकी बहन के मूह से एक सिसकी निकल रही थी। कंचन का पूरा जिस्म अकडने लगा। वह झरने के बिलकुल क़रीब थी।

"आह्ह्ह्हह इसशहहहहह मैं झड रही हूँ ओहहहह भैया" कंचन ने अचानक अपने नाखुनों को अपने भाई की गांड में घुसा दिया और झडते हुए बुहत ज़ोर से चिल्लाने लगी।
"आआह्ह्ह्ह दीदी मेरा भी निकल रहा है ओह्ह्ह्हह्ह्" कंचन की चूत झडते हुए सिकुड़ने लगी। जिस वजह से विजय भी अपने आप को रोक नहीं पाया और अपनी बहन की चूत में ज़ोर से चिल्लाते हुए वीर्य भरने लगा।
"आआह्ह्ह्ह भैया ओह्ह्ह्हह आपके लंड से कितना वीर्य निकल रहा है" कंचन अपनी चूत में अपने भाई के लंड से निकलते हुए वीर्य को महसूस करके सिसकते हुए बोली।

"आआह्ह्ह्ह दीदी आपकी चूत ने झरते हुए मेरे लंड को इतनी ज़ोर से पकड लिया की मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। यह चुदाई मुझे सारी ज़िंदगी याद रहेगी" विजय ने झडते हुए बुहत ज़ोर से हांफकर अपनी बहन की चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए कहा ।
"आआह्ह्ह्ह भैया मुझे भी अपने प्यारे भैया की चुदाई सारी ज़िंदगी याद रहेगी" कंचन ने भी सिसकते हुए कहा। । विजय पूरी तरह झडने के बाद अपनी बहन के ऊपर ढेर हो गया ।
 
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