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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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विजय ने ज़िंदगी में आज दूसरी चूत देखी थी । पहली उसकी बहन की गुलाबी चूत जो बुहत छोटी सी थी । और दूसरी उसकी माँ की जो वह अभी देख रहा था। मगर उसकी माँ की चूत उसकी दीदी की चूत से बुहत ज़्यादा बड़ी और फूली हुयी थी और विजय को अपनी माँ की चूत अपनी बहन की चूत से बुहत ज़्यादा अच्छी लग रही थी ।
विजय की साँसें अपनी माँ की फूली हुयी चूत को देखकर बुहत ज़ोर से चल रही थी।
"बेटा अब अपनी आँखें खोलों मैंने अपने कपडे निकाल दिए है" रेखा ने वैसे ही उलटे खडे हुए कहा । उसे क्या पता उसका बेटा उसे कब से देख रहा है।

"माँ सीधी हो जाओ ना" विजय ने अपने मुँह से जाने कैसे यह लफ़्ज़ निकाले। वह उत्तेजना के मारे मरा जा रहा था । रेखा अपने बेटे की बात सुनकर सीधी हो गई मगर उसने अपना एक हाथ अपनी दोनों चुचियों के ऊपर और दूसरा अपनी चूत के आगे रखे हुए सीधा हो गयी, रेखा ने अपनी आँखें बंद किये हुयी थी ।
"माँ यह क्या है प्लीज अपने हाथ हटाओ ना" विजय ने अपनी माँ को अपने सामने ऐसे देखकर अपने गले से थूक को गटकते हुए कहा।
"विजय मुझे शर्म आ रही है" रेखा ने वैसे ही अपनी आँखें बंद किये हुए कहा। उसे पता नहीं था की उसका बेटा भी उसकी सामने बिलकुल नंगा बैठा हुआ है।

"माँ अगर आप ने अपने हाथ नहीं हटाए तो मैं आपके पास आकर आपके हाथ हटा देता हू" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उत्तेजना के मारे अपने लंड को सहलाते हुए कहा।
"नही बेटा प्लीज ऐसा गज़ब मत करना" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर जल्दी से कहा ।
"माँ फिर आप खुद ही अपने हाथ हटा दो । अब मुझसे सबर नहीं हो रहा है" विजय ने वैसे ही बेचैनी से कहा।
"हाँ बेटा मैं हटाती हू" रेखा ने यह कहते हुए अपना एक हाथ अपनी चुचियों से अलग कर दिया।

"वाह माँ आपकी चुचियां कितनी बड़ी हैं और कितनी सूंदर ओहहहह माँ आपके चुचियों के दाने कितने कठोर दिख रहे हैं" विजय ने अपनी माँ की बड़ी बड़ी गोरी चुचियों को देखकर उत्तेजना के मारे ज़ोर से सिसककर उसकी तारीफ करते हुए कहा।
"माँ नीचे से हाथ हटाओ ना" विजय ने अपनी माँ की चुचियों को जी भरकर देखने के बाद अपने होंठो पर अपनी जीभ को फिराते हुए कहा।
रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर अपना हाथ अपनी चूत से हटा दिया।
"आआह्ह्ह्ह माँ क्या गज़ब है आपकी चूत कितनी बड़ी और फूली हुयी है और बेचारी काले बाल इसे और ज़्यादा सूंदर बना रहे है" विजय ने अपनी माँ की चूत को देखकर अपने लंड को ज़ोर से हिलाते हुए उसकी तारीफ करते हुए कहा।
 
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Rakesh1999

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बेटे अब मैं कपडे पहन लुँ" रेखा अपने बेटे के मुँह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर बुहत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। जिस वजह से उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी चूत के बालों पर गिरने लगा और रेखा ने ज़ोर से साँसें लेते हुए अपने बेटे से कहा।
"माँ इतनी जल्दी क्या है ज़रा आपकी चूत को गौर से देखने तो दो, हमें भी तो पता चले जिस चूत से हम निकले हैं वह कितनी सूंदर है ओह्ह्ह्ह माँ आपकी चूत से तो रस टपक रहा है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत से निकलता हुआ पानी देखकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।

"बेटे अब मैं तुम्हारे सामने नंगी नहीं खडी हो सकती। तुम बुहत बदमाश हो तुम मेरी ऐसी तारीफ कर रहे हो की मेरी चूत से उत्तेजना के मारे रस टपक रहा है" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर अपना मुँह दूसरी तरफ घुमाते हुए कहा।
"माँ तुम हो भी इतनी सूंदर। तारीफ नहीं करुं तो फिर क्या करूं" विजय ने अपनी माँ का मूह दूसरी तरफ होते ही उससे कहा ।
विजय कुर्सी से उठ गया और अपने पाँव से पेण्ट और अंडरवियर को निकाल दिया । विजय ने अपनी शर्ट को भी उतार दिया और आगे बढते हुए अपनी माँ के पास जाने लगा।
"माँ आप जेसी ख़ूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखी" विजय सीधा अपनी माँ के पीछे से सटकर खडा होते हुए बोला।

"बेटा तुम यहाँ कैसे। जाओ मुझसे दूर हटो" रेखा अपने नंगे चूतडों पर अपने बेटे का नंगा लंड महसूस करके पूरी तरह से काँपते हुए सिहर उठी और अपने बेटे के लंड से अपने चूतडों को आगे करते हुए खडी हो गई ।
 
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Rakesh1999

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माँ हमसे दूर क्यों हो रही हो" विजय आगे बढ़कर अपने खडे लंड को फिर से अपनी माँ के चूतडों में दबाते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह बेटे तुम्हें शर्म नहीं आती तुम नंगे क्यों हो गये । तुमने सिर्फ मुझे देखने को बोला था" रेखा ने अपने चूतडों के बीच फिर से अपने बेटे के लंड को महसूस करके सिसकते हुए बोली।
"माँ आपने भी तो मुझे अपने आप को सही तरीके से कुछ नहीं दिखाया" विजय ने अपने लंड को ज़ोर से अपनी माँ के चूतडों में दबाते हुए अपने हाथ आगे बढक़र अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियों पर रख दिया,
"ओहहहहह बदमाश क्या कर रहे हो । हटो दूर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारी चुचियों को छुने की" रेखा ने अपने बेटे के हाथों को अपनी चुचियों पर पड़ते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा और अपने बेटे के दोनों हाथों को पकडकर दूर झटकते हुए उससे दूर खडी हो गयी।

"माँ थोडी देर छूने दो ना" विजय ने आगे बढते हुए कहा।
"बेटा यह सब ठीक नहीं मेरे क़रीब मत आओ" विजय जैसे जैसे अपनी माँ की तरफ बढता रेखा वैसे वेसे आगे बढते हुए बोली।
"माँ अपने बेटे की बात नहीं मानोगी। सिर्फ एक बार हमें इन्हें छूने दो" विजय वैसे ही आगे बढता हुआ बोला।
"बेटे अब रुक जाओ वरना आज के बाद मैं तुम से कभी बात नहीं करूंग़ी" रेखा आगे बढते हुए दीवार के बिलकुल क़रीब पुहंच चुकी थी। अब उसके पास आगे जाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा था ।
"माँ ऐसा मत करो। कम से कम मुझे एक बार इन्हें जी भरकर देखने तो दो" विजय अपनी माँ की बात सुनकर वहीँ पर रुक गया।
"बेटे मुझे शर्म आती है मैं तुम्हारे सामने सीधी नहीं हो सकती" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसका जवाब देते हुए कहा।
"माँ आपको मेरी कसम एक बार सीधी हो जाओ और अपनी बाहों को ऊपर कर लो" विजय अपनी माँ की बात सुनकर आखरी कोशिश करते हुए बोला।

"बेटे यह तुम ने क्या किया अपनी कसम क्यों दी" रेखा अपने बेटे की कसम को सुनकर चीखते हुए बोली,
"माँ सिर्फ एक बार" विजय अपनी माँ से मिन्नत करते हुए बोला।
"ठीक है बेटा मगर इसके बाद मैं तुम्हारी कोई बात नहीं मानूँगी" रेखा ने आख़िरकार अपने बेटे के सामने हार मानते हुए कहा ।
"माँ मैं आपका सारी ज़िंदगी गुलाम बन कर रहूँगा" विजय ने अपनी माँ को राज़ी होता हुआ देखकर खुश होते हुए कहा । विजय का लंड उसकी माँ को सीधा नंगा देखने की कल्पना से ही ज़ोर के झटके खाने लगा। रेखा सीधे होते हुए दीवार से सटकर खडी हो गई और अपनी बाहों को ऊपर करते हुए दीवार पर लटका दिया जैसे उसकी दोनों बाहें किसी रस्सी से बाँधी गयी हो।
 
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Rakesh1999

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"बेटे लो देखो अपनी माँ को नंगा आअह्ह्ह्ह बेटे तुम भी बिलकुल नंगे खडे हो" रेखा ने अपने बेटे को नंगा देखकर सिसकते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह माँ आपकी चुचियां ओह्ह्ह्हह कितनी बड़ी और ख़ूबसूरत हैं माँ आपकी चूत भी इन काली झाँटों में कितनी ख़ूबसूरत लग रही है, माँ मैंने आज तक आपसे ज्यादा सेक्सी और ख़ूबसूरत औरत कभी नहीं देखी" विजय अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियों और उसकी काली झाँटों वाली बूर को देखकर अपने लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए बोला ।

"बेटे अब देख लिया बस ना" रेखा अपने बेटे के मुँह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी और वह सीधा खडी होकर बुहत ज़ोर से साँसें ले रही थी।
"माँ कहाँ देखा अभी तो मुझे आपके पूरे जिस्म को अपनी आँखों में क़ैद करना है आअह्ह्ह्ह माँ आपकी बाहों के नीचे के बाल कितने सेक्सी हैं" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर फिर से उसकी तारीफ करते हुए कहा ।

"बेटे मुझे बुहत शर्म आ रही है । मैं अपनी आँखें बंद कर देती हू" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर कहा।
"हाँ माँ आप अपनी आँखें बंद कर लो मुझे आपके पूरे जिस्म को नज़दीक से देखना है" विजय अपनी माँ की बात सुनकर बोला । रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर अपनी आँखों को बंद कर दिया ।
विजय अपनी माँ की आँखों के बंद होते ही उसके नज़दीक चला गया और अपनी माँ की सामने नीचे घुटनों के बल बैठते हुए उसकी चूत के बालों को अपने हाथों से इधर उधर करते हुए अपनी माँ की चूत को गौर से देखने लगा।

"आआह्ह्ह्ह बेटे तुम यहाँ क्यों आ गये। तुमने सिर्फ देखने को कहा था" रेखा ने अचानक अपनी चूत पर अपने बेटे के हाथों का स्पर्श पड़ते ही ज़ोर से सिसकते हुए अपनी आँखें खोलकर कहा।
"माँ मेरा कोई क़सूर नहीं है आपकी झांटें इतनी बड़ी हैं की मैं आपकी प्यारी चूत को ठीक से देख ही नहीं पा रहा था। इसीलिए इन्हें अपने हाथों से इधर उधर करके देख रहा हू" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसका जवाब देते हुए कहा ।
विजय ने कुछ देर तक अपनी माँ की चूत को गौर से देखने के बाद अपने होंठो को आगे करते हुए अपनी माँ की चूत का एक चुम्मा ले लिया और उठकर सीधा खडा हो गया।
"ओहहहहह विजय क्या कर दिया तुमने" रेखा ने अपने बेटे के होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से चीखते हुए अपने बेटे को अपने गले से लगाते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया।
 
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Rakesh1999

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"आह्ह्ह्ह माँ" विजय अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियों को अपने सीने में दबने और अपने खडे लंड को उसके पेट में दबने से ज़ोर से सिसक उठा।
"ओहहहह बेटे अब तो बस करो" रेखा भी अपनी चुचियों को अपने बेटे के ठोस सीने में दबते ही ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"माँ इतनी जल्दी क्या है। कुछ देर तक तो अपने हुस्न को निहारने दो" विजय ने अपनी माँ की दोनों बाहों को पकडते हुए उसे वैसे ही ऊपर करते हुए खडा कर दिया जैसे वह पहले खडी थी । फर्क बस यह था की अब उसकी माँ की बाहें उसके बेटे की बाहों में क़ैद थी ।
विजय ने अपनी माँ को कुछ देर तक यों ही देखने के बाद अपने होंठो को अपनी माँ के होंठो पर रख दिया। रेखा पहले अपने होंठो को विजय के होंठो से अलग करने की कोशिश करने लगी। मगर जैसे ही विजय ने अपनी माँ के होंठो को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू किया रेखा ने विरोध करना छोड दिया और अपने होंठ चुसवाते हुए अपने बेटे का साथ देने लगी।

रेखा अपने बेटे के साथ यह सब करते हुए बुहत गरम हो चुकी थी, विजय ने अचानक अपने होंठो को अपनी माँ के होंठो से अलग कर दिया । रेखा अपने बेटे के होंठो के अलग होते ही जोर से साँसें लेते हुए उसे हैंरान होते हुए निहारने लगी ।
विजय ने अपनी माँ को यों अपनी तरफ निहारता हुआ देखकर अपने होंठो को थोडा नीचे करते हुए अपनी माँ के क़रीब कर लिया । रेखा ने जैसे ही देखा उसका बेटा उसे चूमने के लिए आ रहा है उसने फ़ौरन अपने मूह को आगे करते हुए अपने बेटे के होंठो को चूमना चाहा। मगर विजय ने जल्दी से अपने होंठो को ऊपर कर दिया, रेखा अपने बेटे की इस हरकत से हक्का बक्का रह गयी और अपने बेटे को निहारकर बुहत ज़ोर से हाँफते हुए साँसें लेने लगी।

विजय समझ गया की उसकी माँ अब बुहत गरम हो चुकी है। इसीलिए उसने अपनी जीभ को निकालकर अपनी माँ के होंठो के क़रीब कर दिया । रेखा ने अपने बेटे की जीभ को जल्दी से अपने मुँह में भरते हुए ज़ोर से चूसने लगी । विजय का लंड अब हलकी हलकी वीर्य की बूँदे टपका रहा था जो उसकी माँ के पेट पर गिरकर उसकी चूत की तरफ जा रहा था ।

विजय कुछ देर तक अपनी माँ से अपनी जीभ को चुसवाने के बाद खुद उसकी जीभ को पकडकर चाटने लगा, विजय अपनी माँ की जीभ को जी भरकर चाटने के बाद उसे अपने मूह से निकालते हुए अपने होंठो को अपनी माँ की बाहों के नीचे बने बालों पर रख दिया ।
 

Rakesh1999

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उईई बेटे यहाँ क्यों चूम रहे हो" रेखा का पूरा जिस्म अपने बेटे के होंठो को अपनी बाहों के नीचे बने बालों पर पड़ने से काँपते हुए झटके खाने लगा । विजय अपनी माँ की किसी बात का जवाब दिए बगैर उसके बाहों के नीचे दोनों तरफ ऐसे ही चूमता रहा, विजय कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपना मूह सीधा अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच डाल दिया।

विजय ने अपनी माँ की दोनों चूचियों के बीच अपना मुँह डालकर उसे अपने होंठो से चूमने लगा। ऐसा करते हुए विजय ने अपनी माँ की बाहों को आज़ाद कर दिया ।रेखा अपनी बाहों के आज़ाद होते ही अपना एक हाथ अपने बेटे के बालों में डाल दिया, विजय अपनी माँ की दोनों चुचियों के ऊपर बारी बारी अपने होंठो से चूमते हुए उसे अपने दांतों से काटने लगा ।

"उईए बदमाश काट क्यों रहे हो इन्हें अपने मूह में लेकर चूसो ना" रेखा ने अपने बेटे के दांतों से अपनी चुचियों को काटने से ज़ोर से उछलकर चीखते हुए कहा । विजय अपनी माँ की बात सुनकर उसकी एक चूचि के दाने को अपने मूह में भर लिया और बड़े ज़ोर से चूसने लगा ।
विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चूचि के दाने को चूसने के बाद उसकी चूचि को पूरा अपने मुँह में भरने की कोशिश करने लगा। मगर उसकी माँ की चुचियां इतनी बड़ी थी की उसके मूह में न समा पाई। इसीलिए वह अपनी माँ की चुचियों को बारी बारी वैसे ही चूसने लगा।

"ओहहहह बेटे अब बस करो न कोई आ जायेगा" रेखा ने अपनी चुचियों को अपने बेटे से चुसवाते हुए ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"माँ इसका कुछ करो ना" विजय ने अपनी माँ की चुचियों से अपने मूह को हटाते हुए उसका हाथ पकडकर अपने खडे लंड पर रखते हुए कहा ।
 
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Rakesh1999

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"बेटे तुम बुहत बदमाश हो सिर्फ देखने का कहकर हमारी हर चीज़ को छु लिया" रेखा ने अपने बेटे के ऊपर से उठकर अपने कपडे उठाते हुए कहा।
"माँ आपने भी तो हमारा साथ दिया" विजय ने भी सीधा होते हुए कहा और अपनी माँ को खींचकर अपने गले से लगाते हुए उसके होंठो को चूसने लगा ।
"छोड़ो बदमाश तुम जानबूझकर ऐसी हरकतें करते हो की हम सबकुछ भूलकर तुम्हारा साथ देने लगते हैं" रेखा ने अपने बेटे को खुद से अलग करते हुए कहा।
"माँ तो फिर बुरा क्या है। हम भी तो यही चाहते हैं की आप हमारा साथ दे" विजय ने अपनी माँ के पास जाते हुए कहा।

"बुहत हो चूका बेटे क्या तुम अपनी माँ को चोदकर ही छोड़ोगे क्या" रेखा ने गुस्सा करते हुए कहा।
"माँ आप ने हमारे मुँह की बात छीन ली। मगर जब तक आप खुद हमारा साथ नहीं देगी हम आपको हाथ नहीं लगाएँगे" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
"बेटा क्या तुम ने मुझे इतना पागल समझा है की मैं अपने बेटे से खुद चुद्वावाऊँगी" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर अपनी पेंटी को पहनते हुए कहा ।

"माँ मुझे इतना तो यकीन है की अगर मैं आपको प्यार करुं तो आप अपने मूह से कहेंगी की बेटे अपना लंड हमारी चूत में डाल" विजय ने भी अपने अंडरवियर को पहनते हुए कहा।
"बेटा खवाब देखना बुरी बात नहीं हमने भी सारी उम्र ऐसे नहीं बितायी" रेखा ने अपनी ब्रा को पहनते हुए कहा।
"माँ यह तो बुहत अच्छी बात है। अगर आपको अपने ऊपर इतना यकीन है तो एक काम करते हैं । रात को हम कहीं मिलते हैं और एक दूसरे का इम्तहान लेते है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।

"ठीक है बेटा मैं तुम्हें एक चांस देने को तैयार हूँ मगर तुम मुझसे यह कहलवाने में कामयाब नहीं हुए तो फिर ज़िंदगी भर तुम मुझे छुने की हिम्मत नहीं करोगे" रेखा ने अपने पेटिकोट को पहनते हुए कहा।
"मनज़ूर है माँ मगर आप हार गयी ती सारी ज़िंदगी मैं जब चाहुँ जहाँ चाहुँ आपको चोद सकता हू" विजय ने अपनी माँ की बात मानते हुए कहा ।
"ठीक है बेटे रात को तैयार रहना" रेखा ने हँसते हुए अपने ब्लाउज को पहन लिया । विजय भी अपने कपडे पहनकर किचन से निकल गया और रेखा अपनी साड़ी को पहन कर बचे हुए बर्तनों को साफ़ करने लगी।
 
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Rakesh1999

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"आहहह दीदी" मुकेश अपनी बहन का हाथ अपनी पेण्ट पर पड़ते ही सिसक उठा । मुकेश ने सीधा होते हुए अपनी पेण्ट को अपने जिस्म से नीचे सरकाते हुए अपने अंडरवियर को भी नीचे कर दिया।
"भइया आपका लंड कितना प्यारा है" मनीषा ने अपने भाई के भूरे रंग के 6 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को निहारते हुए कहा ।
"दीदी इसे अपने हाथ में लेकर देखो ना" मुकेश ने अपनी बहन का हाथ पकडते हुए अपने नंगे लंड पर रख दिया।
"ओहहहह भैया यह तो बुहत गरम है" मनीषा ने अपना हाथ अपने भाई के लंड पर फिराते हुए कहा।

"दीदी जल्दी से कुछ करो अगर कोई आ गया तो मैं प्यासा ही रह जाऊँगा" मुकेश ने अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।
"भइया अब तो मैं भी गरम हो चुकी हूँ । आप ऐसा करो मेरी चूत को चाटकर शांत करो।मैं आपके लंड को जल्दी से अपने होंठो से चूसकर झाड़ देती हू" मनीषा ने अपने भाई की बात सुनकर अपनी सलवार को अपनी टांगों से अलग करते हुए कहा। मुकेश अपनी बहन की नंगी गोरी चिकनी टांगों को देखकर जल्दी से उसकी पेंटी में हाथ ड़ालते हुए उसे उसकी चूत से नीचे सरका दिया ।

"दीदी आपकी चूत कितनी गोरी और फूली हुयी है और इसमें से तो रस भी निकल रहा है" मुकेश ने अपनी बहन की हलके काले बालों वाली गोरी चूत को देखते हुए कहा । मनीषा ने अब देर करना सही नहीं समझा और अपने भाई को सीधा लिटाते हुए अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर उसके मूह के पास लेट गयी ।
मानिषा ने नीचे झुकते हुए अपने भाई का लंड पकड लिया और अपनी जीभ निकालकर उसके लंड पर फिराने लगी । मुकेष अपनी बहन की जीभ को अपने लंड पर लगने से काँपते हुए अपनी बहन की चूत को चूमने लगा, मनीषा अपनी चूत पर अपने भाई के होंठो के लगते ही अपना मूह खोलते हुए अपने भाई के लंड को अपने मूह में ले लिया।

मानिषा अपने भाई के लंड को अपने होंठो के बीच लेकर ज़ोर से चूसने लगी । मुकेश का तो मज़े के मारे बुरा हाल था। अपना लंड अपनी बहन के गरम मुँह में उसके नरम होंठो के बीच दबने से उसे जन्नत का मज़ा मिल रहा था। जिस वजह से वह अब अपनी बहन की चूत को अपने मूह में भरकर चूस रहा था ।
मानिषा का भी वही हाल था। उसकी चूत से ढेर सारा रस निकल कर उसके भाई के मूह में जा रहा था जिसे वह बड़े प्यार से चाट रहा था । मुकेश ने अचानक अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी बहन की चूत में घुसा दिया। मनीषा अपनी चूत में अपने भाई की जीभ के घूसने से एकदम काँपते हुए अपने भाई के लंड को ज़ोर से चूसने लगी।
 
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Rakesh1999

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मुकेश भी अपनी बहन की चूत में अपनी जीभ को ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा, कुछ ही देर में दोनों भाई बहनों का बदन काम्पने लगा और दोनों के जिस्म काँपते हुए झरने लगे । मनीषा खुद झरते हुए अपने भाई के लंड से निकलता हुआ वीर्य चाटने लगी और मुकेश खुद झरते हुए अपनी बहन की चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा ।

दोनों कुछ देर तक एक दुसरे का जूस पीने के बाद शांत होकर एक दुसरे से अलग हो गये । मनीषा ने उठते हुए अपने कपडे पहन लिए और वहां से उठकर जाने लगी,
"दीदी फिर कब मिलोगी" मुकेष ने अपनी बहन को जाता हुआ देखकर पूछा।
"भइया रात को मेरे कमरे में आ जाना" मनीषा ने मुस्कराते हुए कहा और अपनी गांड को मटकाती हुयी वहां से चलि गयी ।
मुकेश अपनी बहन के जाने के बाद अपने कपड़ों को ठीक करता हुआ बाथरूम में चला गया और फ्रेश होने लगा, मनीषा अपने कमरे में आकर लेट गयी और कुछ देर बाद वह भी बाथरूम में जाकर नहाने लगी।



शीला कुछ देर तक कंचन को छेड़ने और उससे बातें करने के बाद वहां से उठते हुए अपने भाई नरेश के कमरे में जाने लगी, शीला जैसे ही अपने भाई के कमरे में पुहंची उसने देखा उसका भाई बेड पर आराम से लेटा हुआ था । शीला ने अंदर दाखिल होते हुए कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया ।
नरेश जो यों ही आँखें बंद किये हुए लेटा हुआ था। दरवाज़े की आवाज़ सुनकर अपनी आँखें खोल दी । नरेश ने देखा उसकी बहन दरवाज़ा बंद कर रही है वह जल्दी से बेड से उठकर बैठ गया।
"दीदी आपने दरवाज़ा क्यों बंद किया" नरेश ने अपनी बहन को दरवाज़ा बंद करने के बाद अंदर आता हुआ देखकर कहा।

"भइया आपसे कुछ बात करनी है" शीला अपने भाई की बात सुनकर एक अदा से अपनी गांड को मटकाते हुए बेड की तरफ बढ्ते हुए कहा।
"दीदी पर दरवाज़ा बंद करने की क्या ज़रुरत थी" नरेश डर रहा था की अगर कोई आ गया तो क्या सोचेगा । इसीलिए वह अपनी बहन से ऐसा कह रहा था ।
"भइया मैं आपकी बहन हूँ क्या आप मुझसे भी ड़रते हो जो दरवाज़ा बंद करने से रोक रहे हो" शीला ने अपने भाई की तरफ देखते हुए मुसकुराकर कहा।
"नही दीदी ऐसी कोई बात नही" नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपने माथे से पसीना पोछते हुए कहा।
 
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"ओहहहहह भैया मुझे यहाँ पर दर्द हो रहा है" शीला ने अचानक चलते हुए वहीँ पर बैठकर अपने घुटनों को दबाते हुए चिल्लाकर कहा।
"दीदी क्या हुया" नरेश अचानक अपनी बहन की चीख़ सुनकर बेड से उठकर अपनी बहन के पास जाते हुए कहा।
"भइया मुझे यहां बुहत दर्द हो रहा है" शीला ने वैसे ही चीख़ने का नाटक करते हुए अपनी जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा ।
"दीदी थोडा साड़ी को ऊपर करके दिखाओ कहाँ पर है दरद" नरेश ने अपनी बहन की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"हाहहह भैया आप ही कर दो ना" शीला ने अपने भाई की बात सुनकर झूठ के दर्द का बहाना करते हुए चीख़कर कहा।
"दीदी यहाँ पर है दरद" नरेश ने अपनी बहन की साड़ी को उसके घुटनों तक ऊपर करते हुए उसके घुटनों के ऊपर उसकी गोरी चिकनी जाँघ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।

"हाहहह भैया थोडा और उपर" शीला ने अपने भाई के हाथ को अपनी जाँघ पर महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपने हाथों से उसकी साड़ी को पूरा ऊपर कर दिया । नरेश को अब अपनी बहन की साड़ी के अंदर पहना हुआ पेटिकोट नज़र आ रहा था ।
"दीदी यहाँ पर है दरद" नरेश ने अपने काँपते हुए हाथों से अपनी बहन की जाँघ के थोडा ऊपर रखते हुए कहा।
"ओहहहहह भैया थोडा और ऊपर" शीला ने अपने भाई का हाथ अब अपने पेटिकोट के इतना नज़दीक महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए कहा । नरेश की हालत बिगडती जा रही थी । उसका लंड उसकी पेण्ट में आंदोलन मचाने लगा था।

"दीदी यहाँ है दरद" नरेश ने अपना हाथ अब और ऊपर करते हुए अपनी बहन के पेटिकोट पर रखते हुए कहा । नरेश का गला बिलकुल सुख चूका था।
"आह्ह्ह्हह भैया यहाँ है पर थोडा इधर" शीला ने अपने भाई का हाथ पकडते हुए अपनी टांगों के बीच अपने पेटिकोट के ऊपर ही सीधा अपनी चूत पर रख दिया ।
 
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