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नरेश अपना हाथ अपनी बहन की चूत पर उसके पेटिकोट के ऊपर से सहलाने लगा।
"ओहहहहह भैया हाँ यहीं पर दर्द है" शीला ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"दीदी चलो बेड पर चलकर देखते है" नरेश ने अपने सूखे लबों पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा ।
"भइया मैं चल नहीं पाऊँगी । आप मुझे उठाकर बेड पर लिटा दे" शीला ने मन ही मन में खुश होते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसे अपनी बाहों में उठा लिया और बेड की तरफ ले जाने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया अगर आप नहीं होते तो मेरा क्या होता" शीला ने अपने भाई की पीठ में अपनी बाहों को डालकर अपनी चुचियां उसके सीने में दबाते हुए कहा।
नरेश का लंड अपनी बहन की चुचियों को अपने सीने में दबने उसकी पेण्ट में ज़ोर से झटके मारने लगा । नरेश ने अपनी बहन को बेड पर ले जाकर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों के पास बैठ गया।
"अअअअअहःहः भैया कुछ करो न बुहत दर्द हो रहा है" शीला ने अपने भाई को ऐसे ही बैठा हुआ देखकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
"हाँ दीदी अभी कुछ करता हू" नरेश यह कहकर अपनी बहन की साड़ी को बिलकुल ऊपर कर दिया और उसके पेटिकोट की तरफ देखने लगा।
"ओहहहह भैया ऐसे क्या देख रहे हो । जल्दी यहाँ कुछ करो ना" शीला ने अपने भाई को अपने पेटिकोट की तरफ निहारता हुआ देखकर बेसब्री से उसका हाथ पकडकर अपनी चूत पर पेटिकोट के ऊपर से ही रखकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
नरेश की हालत बुहत खराब होती जा रही थी। वह अब अपनी बहन की चूत को उसके पेटिकोट के ऊपर से ही ज़ोर से सहला रहा था । शीला भी अपने भाई के हाथ की रगड अपनी चूत पर पड़ने से बुहत ज़ोर से सिसक रही थी।
"आह्ह्ह्ह शहहहह भैया एक काम करो आप मेरी साड़ी और पेटिकोट को उतार दो ताकी आपके हाथ की रगड जल्दी से मेरे दर्द को मिटा सके" शीला ने अचानक ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई से कहा ।
अपनी बहन की बात सुनकर नरेश के माथे से पसीना निकलना लगा और उसका गला बिलकुल सुख गया । वह बस चुपचाप अपनी बहन की तरफ देख रहा था।
"भइया क्या कहते हो" शीला ने फिर से अपने भाई से कहा।
"ओहहहहह भैया हाँ यहीं पर दर्द है" शीला ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"दीदी चलो बेड पर चलकर देखते है" नरेश ने अपने सूखे लबों पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा ।
"भइया मैं चल नहीं पाऊँगी । आप मुझे उठाकर बेड पर लिटा दे" शीला ने मन ही मन में खुश होते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसे अपनी बाहों में उठा लिया और बेड की तरफ ले जाने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया अगर आप नहीं होते तो मेरा क्या होता" शीला ने अपने भाई की पीठ में अपनी बाहों को डालकर अपनी चुचियां उसके सीने में दबाते हुए कहा।
नरेश का लंड अपनी बहन की चुचियों को अपने सीने में दबने उसकी पेण्ट में ज़ोर से झटके मारने लगा । नरेश ने अपनी बहन को बेड पर ले जाकर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों के पास बैठ गया।
"अअअअअहःहः भैया कुछ करो न बुहत दर्द हो रहा है" शीला ने अपने भाई को ऐसे ही बैठा हुआ देखकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
"हाँ दीदी अभी कुछ करता हू" नरेश यह कहकर अपनी बहन की साड़ी को बिलकुल ऊपर कर दिया और उसके पेटिकोट की तरफ देखने लगा।
"ओहहहह भैया ऐसे क्या देख रहे हो । जल्दी यहाँ कुछ करो ना" शीला ने अपने भाई को अपने पेटिकोट की तरफ निहारता हुआ देखकर बेसब्री से उसका हाथ पकडकर अपनी चूत पर पेटिकोट के ऊपर से ही रखकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
नरेश की हालत बुहत खराब होती जा रही थी। वह अब अपनी बहन की चूत को उसके पेटिकोट के ऊपर से ही ज़ोर से सहला रहा था । शीला भी अपने भाई के हाथ की रगड अपनी चूत पर पड़ने से बुहत ज़ोर से सिसक रही थी।
"आह्ह्ह्ह शहहहह भैया एक काम करो आप मेरी साड़ी और पेटिकोट को उतार दो ताकी आपके हाथ की रगड जल्दी से मेरे दर्द को मिटा सके" शीला ने अचानक ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई से कहा ।
अपनी बहन की बात सुनकर नरेश के माथे से पसीना निकलना लगा और उसका गला बिलकुल सुख गया । वह बस चुपचाप अपनी बहन की तरफ देख रहा था।
"भइया क्या कहते हो" शीला ने फिर से अपने भाई से कहा।