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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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अपडेट 55




"उईईईई शह्ह्ह्हह्ह बेटे आह्ह्ह्हह" रेखा ज़ोर से सिसकती रही मगर फिर भी अपने मूह से कुछ नहीं बोली।
"माँ बता न क्या मैं आपको चोद सकता हू" विजय ने फिर से अपनी माँ की चूत का दाना अपने मूह से निकालकर कहा और फिर से उसे अपने मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा।
"ओहहहहह बेटे नहीं मैं अपने मुँह से नहीं बोल सकती मगर मैं तुम्हें इस वक्त रोक भी नहीं सकती" रेखा ने अपने बेटे के मुँह पर अपने चूतडों को उछालते हुए बोली।

विजय अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत के दाने को अपने मूह से निकालते हुए थोडा और नीचे हो गया और अपनी माँ की चूत के छेद को गौर से देखने लगा।
"माँ आपकी चूत कितनी सूंदर है और यह क्या इसमें से तो रस निकल रहा है। इसका मतलब आपको भी मज़ा आ रहा है" विजय ने अपनी माँ की रस बहाती चूत की तरफ देखते हुए कहा ।
"ओहहहहह माँ आपकी चूत की खुसबू कितनी शानदार है" विजय ने अचानक अपना नाक अपनी माँ की चूत के छेद के बिलकुल पास करते हुए अपनी साँसें ज़ोर से पीछे की तरफ लेते हुए बोला।
"आआह्ह्ह्ह बेटे क्या कर रहा है तुम्हारी गरम साँसें मुझे अपनी चूत के पास महसूस हो रही है" रेखा ने अपने बेटे की साँसों को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके कहा।

"आआह्ह्ह्हह माँ क्या मैं आपकी प्यारी चूत को चूम सकता हू" विजय ने यह कहते हुए अचानक अपने होंठो को अपनी माँ की चूत के लबों पर रखते हुए चूम लिया,
"आह्ह्ह्ह बेशर्म मेरे जवाब से पहले ही चूम लिया" रेखा ने अपने बेटे को डाँटते हुए कहा ।
"माँ क्या करुं आपकी चूत इतनी सूंदर है की मैं रुक नहीं पाया । आपको अगर बुरा लगा है तो मैं अब इसे नहीं चूमूंगा" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा।
"नही बेटे मैं तुम्हें किसी चीज़ से नहीं रोक सकती" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर चिल्लाते हुए कहा।

रेखा को अपनी चूत में आग लगी हुयी महसूस हो रही थी । वह चाहती थी की उसका बेटा जल्दी से उसकी चूत को अपनी जीभ से शांत कर दे । विजय अपनी माँ की बात सुनकर अपनी जीभ निकालते हुए अपनी माँ की चूत के दोनों होंठो पर फिराने लगा ।
"आह्ह्ह्ह बेटे क्या कर रहे हो अपनी जीभ को अंदर घुसाओ ना" रेखा की बर्दाशत जवाब देती जा रही थी इसीलिए उसने सिसकते हुए कहा।
विजय अपनी माँ की बात को सुनकर अपने मुँह को खोलते हुए उसकी चूत के दोनों होंठो को अपने मूह में भरते हुए चूसने लगा।
 
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Rakesh1999

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"ओहहहहहहहह बेटे ऐसे ही बुहत मज़ा आ रहा है" रेखा बुहत ज्यादा गरम होकर सिसकते हुए बोली, रेखा ने अपनी टांगों को जितना हो सकता खोल दिया और अपने चूतड़ो को भी ऊपर उछालते हुए अपने बेटे के मूह पर दबाने लगी । विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चूत के दोनों होंठो को चूसने के बाद अपना मुँह वहां से हटा दिया और अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी माँ की चूत के छेद में डालकर अंदर बाहर करने लगा ।

विजय की इस हरकत से रेखा का पूरा जिस्म अकड़कर काम्पने लगा । वह किसी भी वक्त झर सकती थी । विजय ने अपनी माँ के जिस्म को अकडता हुआ देखकर अपनी जीभ को उसकी चूत से निकाल दिया।
"आआह्ह्ह्हह क्या हुआ बेटे अंदर डाल न ओह्ह्ह्हह जल्दी कर बुहत मज़ा आ रहा था" रेखा ने अपने बेटे की इस हरकत से हैंरान होते हुए कहा ।
"माँ अब जीभ नहीं आपकी चूत की प्यास मेरा लंड बुझायेगा। बताओ क्या तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी टांगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और अपने खडे लंड को पकडकर उसकी चूत पर घिसते हुए कहा।

रेखा अपने बेटे की चालाकी को देखकर दंग रह गयी। मगर उसके पास उस वक्त कोई चारा नहीं था उसकी चूत में आग लगी हुयी थी । बस अगर उसका बेटा 1 मिनट और उसकी चूत को चाटता तो वह झर जाती शायद यह बात विजय भी जानता था तभी तो वह अपनी माँ के गरम होने का पूरा फ़ायदा उठा रहा था।
"बेटा तुम बुहत चालाक हो अपनी माँ के साथ तुम ऐसा नहीं कर सकते" रेखा ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।
"ठीक है माँ जैसे आप का हुक्म आज के बाद में आपको कभी तंग नहीं करुंगा" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर घिसते हुए उससे अलग होने लगा।

"नही बेटा तुम मुझे ऐसे आधे में नहीं छोड सकते" रेखा ने अपने बेटे के हाथ को पकडकर अपने ऊपर गिराते हुए कहा । विजय लडख़ड़ाकर अपनी माँ के ऊपर गिर गया जिस वजह से उसका लंड सीधा उसकी माँ की चूत पर आकर टक्कर मारने लगा।
"माँ तो फिर बोलो न क्या मैं आपको चोद सकता हू" विजय ने अपनी माँ के ऊपर गिरते ही उसकी आँखों में देखते हुए कहा।
"हाँ बेटे तुम अपनी माँ की चूत में अपने मुसल घुसा सकते हो" रेखा ने अपना हाथ नीचे करते हुए अपने बेटे के लंड को पकडकर अपनी चूत के छेद पर टिकाते हुए बोली।
 
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Rakesh1999

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आह्ह्ह्ह माँ मैं बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी हो रही है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
"ओहहहह बेटे अपनी ख़ुशी को अपनी माँ की चूत को ज़ोर से चोदकर पूरा करो" रेखा अपने बेटे की बात को सुनकर अपने चूतडों को उछालते हुए बोली ।
रेखा ने जैसे ही अपने चूतड़ को अपने बेटे के लंड पर उछाला । उसके बेटे के लंड का मोटा सुपाडा उसकी चूत के होंठो को फ़ैलाते हुए रेखा की चूत में फँस गया ।विजय भी अपने लंड के सुपाडे को अपनी माँ की चूत में फँसा हुआ पाकर उसके ऊपर से उठकर सीधा होते हुए अपनी माँ की टांगों को पकड लिया।

विजय ने अपनी माँ की टांगों को पकडकर अपने लंड को थोडा बाहर खींचकर एक जोर का धक्का मार दिया । विजय के इस धक्के से उसका आधे से ज्यादा लंड उसकी माँ की गीली चूत में घुस गया।
"आह्ह्ह्हह्ह बेटा कितना मोटा है तुम्हारा ओह्ह्ह्हह मेरी चूत को तो पूरा भर दिया है" रेखा अपनी चूत में अपने बेटे के तगडे लंड के जाते ही ज़ोर से सिसकते हुए बोली ।
"माँ यह अब सारी ज़िंदगी आपकी चूत में ही रहना चाहता है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर अपने लंड को बाहर खीचते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मार दिया । इस बार विजय का लंड उसकी माँ की चूत में पूरा घुसते हुए उसकी बच्चेदानी में जाकर टक्कर मार दिया।

"उईई आहहहह बेटे तुम्हारा तो बुहत लम्बा भी है यह तो मेरी बच्चेदानी को टक्कर मार रहा है" रेखा अपने बेटे का पूरा लंड घुसते ही दर्द के मारे हल्का चीखते हुए बोली।
"हाँ माँ मेरा लंड अपनी माँ की चूत को देखकर ज्यादा लम्बा और मोटा हो गया है" विजय ने अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर अपनी माँ की चूत में फिर से जड़ तक पेलते हुए कहा ।
"ओहहहहह बेटे आराम से क्या मेंरी छुइ को फाड़कर ही छोड़ोगे क्या" रेखा ने अपने बेटे के लंड को इतनी ज़ोर से पूरा अपनी चूत में घूसने से फिर से चीखते हुए कहा।
"क्यों माँ पहली बार चुदवा रही हो क्या जो ऐसे चिल्ला रही हो" रेखा ने अपनी माँ की चूत में अपने लंड को वैसे ही अंदर बाहर करते हुए बोला।

"आह्ह्ह्ह बेटा मैं इंसान के लंड से तो चुदवा चुकी हूँ मगर गधे के लंड से पहली बार चुदवा रही हू" रेखा ने अपने बेटे की बात को सुनकर कहा।
"माँ मेरा इतना बड़ा भी नहीं की आप मुझे गधा कहे" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटे तुम्हारा इतना छोटा भी नहीं की मैं इसे इंसान का लंड कहूँ" रेखा ने अपने चूतडों को उछालते हुए कहा रेखा को अब बुहत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अपने बेटे के मोटे और लम्बे लंड से चुदवाते हुए । इसीलिए वह अपने चुतडो को बुहत ज़ोर से उछालते हुए अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में पूरा लेने की कोशिश कर रही थी।
 
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Rakesh1999

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विजय अपनी माँ के चूतडो को उछालता हुआ देखकर अपने लंड को बुहत ज़ोर से अपनी माँ की चूत में अंदर बाहर करने लगा और रेखा भी बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडो को उछाल उछाल कर अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में लेते हुए चुदवाने लगी । रेखा का पूरा जिस्म अपने बेटे से चुदवाते हुए पसीना पसीना हो गया था और उसका बदन अब अकडने लगा था। वह झरने के बिलकुल क़रीब थी ।

रेखा का बदन अचानक झटके खाने लगा और उसके मूह से ज़ोर की सिसकियां निकलने लगी । रेखा ने अपने दोनों हाथों को अपने बेटे के चूतडों में डालकर उसे अपनी चूत पर दबाने लगी, विजय भी अपनी माँ को इतना उत्तेजित देखकर पूरी ताक़त के साथ उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा ।
"आआह्ह्ह्ह शहहहहह बेटे ओह्ह्ह्हह्ह्" रेखा के मुँह से बस इतना निकला और उसके नाख़ून उसके बेटे के चूतडों में घुस गये।
"उईई माँ" विजय भी अपनी माँ के नाखुनों को अपने चूतड़ों में घूसने से बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए पूरी ताक़त से अपने लंड को अपनी माँ की चूत में पेलने लगा । रेखा झरते हुए हवा में उड़ रही थी । उसे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था, अपने ससुर से चुदवाते हुए भी उसे इतना मज़ा नही आया था। क्योंकी उसके बेटे का जवान लंड उसकी चूत के हर हिस्से को बुहत ज़ोर और तेज़ी से रगड दे रहा था।

रेखा ने कुछ देर तक झरने के बाद अपने हाथ को अपने बेटे के चूतडो से हटाकर अपनी टांगों को उसकी कमर में फँसा दिया और अपने बेटे को अपनी टांगों से अपनी चूत पर दबाव देते हुए अपने चूतड़ उछालकर चुदवाने लगी । रेखा की आग एक बार झरने के बाद शांत होने की बजाये ज्यादा भडक गयी थी। इसीलिए वह चुदवाते हुए बुहत ज़ोर से सिसक भी रही थी ।
अचानक रेखा ने अपने बेटे को खींचकर अपने ऊपर गिरा दिया और उसे अपने नीचे करते हुए खुद उसके ऊपर आ गयी । रेखा ने यह सब इतनी चालाकी से किया था की उसके बेटे का लंड उसकी चूत में ही पडा रह गया।
 
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Rakesh1999

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रेखा अब अपने बेटे के लंड पर ज़ोर से उछलने लगी। विजय आराम से लेटे हुए अपनी माँ को अपने लंड पर उछलता हुआ देख रहा था, रेखा की बड़ी बड़ी चुचीयाँ अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए बुहत ज़ोर से हिलते हुए इधर उधर झूम रही थी ।
विजय ने अपनी माँ की हिलती हुयी चुचियों को अपने हाथों से दबाने लगा । विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चुचियों को दबाने के बाद उसकी कमर में हाथ डालकर नीचे झुकाते हुए अपनी माँ की चुचियों को एक एक करके चाटते हुए अपने चूतडों को बुहत ज़ोर से उछलते हुए अपनी माँ को चोदने लगा।

रेखा का जिस्म फिर से अकडने लगा और उसने अपने बेटे के मूह से चुचियों को निकालते हुए बुहत ज़ोर से उसके लंड पर उछलने लगी । रेखा का जिस्म कुछ देर में ही झटके खाने लगा और वह ज़ोर से हाँफते हुए दूसरी बार झरने लगी, रेखा दूसरी बार झरते हुए बुहत ज़ोर से अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए सिसक रही थी ।
रेखा झरने के बाद अपने बेटे के ऊपर ढेर हो गयी, विजय भी अब झरने के क़रीब था वह अपनी माँ को अपने ऊपर से उठाकर सीधा लिटाते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और 5 मिनट तक बुहत तेज़ी के साथ बिना रुके हुए उसे चोदता रहा।

"माँ मैं झरने वाला हूँ। माँ कहा झडूं" विजय ने अचानक ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"अपनी माँ की चूत में झरना बेटे । मैं तुम्हारा गरम वीर्य अपनी छुइ में महसूस करना चाहती हू" रेखा ने चिल्लाते हुए कहा।
"ओहहहहहहह माँ आअह्ह्ह्हह" विजय कुछ ही देर में ज़ोर से हाँफते हुए अपनी माँ की चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा, विजय ने झरते हुए अपना लंड पूरी ताक़त के साथ अपनी माँ की चूत में घुसा दिया जिस वजह से उसका वीर्य सीधा उसकी माँ की बच्चेदानी में गिरने लगा।
"आआह्ह्ह्हह बेटे ओह्ह्ह्हह्हह तुम्हारा वीर्य कितना गरम है ओहहह यह तो मेरी बच्चेदानी में गिर रहा है" रेखा भी अपने बेटे का वीर्य अपनी चूत में गिरने से तीसरी बार झरने लगी । दोनों माँ बेटे कुछ देर तक झरने का मज़ा लेने के बाद एक दुसरे की बाहों में ढेर हो गए ।
 
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Rakesh1999

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आप सभी को कमेंट के लिए थैंक्स।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी के बारें में अपनी राय अवश्य दें।thanks
 

Rakesh1999

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अपडेट 56





बेटे मैं तो शर्त हार गई" रेखा ने कुछ देर बाद होश में आते हुए कहा।
"तो क्या हुआ माँ। मैं सारी ज़िंदगी आपकी पूजा करता रहूँगा" विजय ने अपनी माँ से कहा और उसके होंठो को चूमने लगा।
"बेटे मुझे एक बात तुम्हें बतानी है मगर तुम यह बात किसी से नहीं कहोगे" रेखा ने अपने बेटे के होंठो से अपने होंठो को हटाते हुए कहा।
"माँ आप मुझ पर भरोसा कर सकती हो" विजय अपनी माँ की बात सुनकर सीरियस होते हुए कहा।
"बेटे तुम्हें पता है की तुम्हारे बापु मुझे खुश नहीं कर पाते । इसीलिए मैंने अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए किसी से सम्बन्ध रखे थे जो हमारा अपना है" रेखा ने अपने बेटे की आँखों में देखते हुए कहा।
"कौन है वह माँ" विजय ने हैंरानी से कहा।
"तुम्हारे दादा" रेखा यह कहकर रुक गई।

"माँ दादा जी लेकिन वह तो बुहत बड़े हैं क्या वह आपको खुश कर पाते हे" विजय ने बड़ी हैंरानी से अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटा उनकी पत्नी को मरे हुए बुहत टाइम हो चुका है। इसीलिए वह भी मेरी तरह प्यासे थे और वह हमें तुम्हारे पिता से कहीं ज्यादा खुश करते है" रेखा ने अपने बेटे को बताते हुए कहा ।
"माँ क्या वह हमसे भी ज्यादा आपको खुश करते है" विजय ने अपनी माँ की आँखों में देखते हुए कहा।
"नही बेटा तुम्हारा जवान गरम खून उससे कहीं ज्यादा बेहतर है मगर हम तुम्हारे दादा से अपना रिश्ता ख़तम नहीं कर सकते क्योंकी उन्होंने मुझे बुहत खुश रखा है और अब मेरा फर्ज है की मैं भी उनका वैसे ही ख़याल रखूं" रेखा ने अपने बेटे को अपने ऊपर से उठाकर साइड में लिटाते हुए कहा।

"माँ मैं भी आपको कुछ बताना चाहता हू" विजय ने अपनी माँ की एक चूचि को पकडकर सहलाते हुए कहा।
"बताओ बेटे क्या बात है" रेखा ने भी अपने बेटे के ढीले लंड को अपनी मुठी में लेते हुए कहा।
"हाहहह माँ हम भी एक लड़की को चोद चुके हैं जो हमारी अपनी है" विजय अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा ।
"क्या कहा बेटे तुम किसी को चोद चुके हो और वह भी कोई अपनी । कौन है मेरे लाडले वह?" रेखा ने एक्साइटेडट होकर अपने बेटे के लंड को ज़ोर से अपनी मुठी में दबाते हुए कहा।
"ओहहहह माँ वह वह मैं बड़ी दीदी कंचन को चोद चूका हू" विजय ने भी अपने लंड को इतना ज़ोर से दबने से ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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क्या। ओह मेरे भगवान मुझे यकीन नहीं हो रहा है, बेटे सिर्फ तुमने उसे चोदा है या वह पहले भी किसी से चुदवा चुकी है" अपने बेटे की बात सुनकर रेखा एक्साइटेडट होकर विजय के लंड को ज़ोर से दबाते हुए सहलाने लगी।
"उईए माँ नहीं उसने सिर्फ मुझसे चुदवाया है उनकी कुँवारी चूत की सील मैंने ही तोड़ी है माँ" विजय ने अपनी माँ के हाथ को ज़ोर से अपने लंड पर हिलता हुआ देखकर ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा ।
"बेते तुम्हें कैसे पता चला की वह पहले नहीं चुदवा चुकी है" रेखा ने वेसे ही अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए कहा । विजय का लंड अपनी माँ की हरक़तों से अब उठकर बड़ा और मोटा होने लगा था।
"माँ जब मैंने उसकी चूत में अपना लंड ड़ाला था तो वह बुहत चिल्लायी थी और उसकी चूत से बुहत खून भी बहा था" विजय ने अपनी माँ की चूचि को ज़ोर से दबाते हुए कहा।

"हाहहह बेटे शुकर है उसने सिर्फ तुमसे चुदवाया है घर की बात घर में ही है । वरना बदनामी का डर रहता, बेटे तुम उसे समझा देना की वह जब चाहे तुमसे चुदवाये मगर अपने घर से बाहर कभी चुदवाने की न सोचे" रेखा ने अपने बेटे के हाथों से अपनी चूचि को ज़ोर से दबाने से सिसकते हुए कहा।
"माँ उसने इसीलिए तो मुझसे चुदवाया क्योंकी वह डरती थी अपनी बदनामी से" विजय ने अपनी माँ की चुचियों को दबाते हुए कहा और अपनी माँ को खींचकर अपने ऊपर लिटा दिया, रेखा ने अपने बेटे के ऊपर आते ही उसके लंड को पकडते हुए अपनी गीली चूत पर रखा और अपने पूरे वजन के साथ नीचे बैठ गई ।

विजय का तना हुआ लंड उसकी माँ की चूत में सरकाता हुआ जड़ तक घुस गया और दोनों माँ बेटे के मूह से मज़े के मारे साथ में सिसकी निकल गई,
"बेटे मुझे तुम्हें कुछ और भी बताना है" रेखा ने अपने बेटे के लंड पर मस्ती से उछलते हुए कहा।
"हाँ बताओ न माँ" विजय ने अपनी माँ की चुचियों को ज़ोर से अपने हाथों में दबाते हुए कहा ।

"ओहहहह बेटा आराम से दबाओ । अब तो सारी ज़िंदगी यह तुम्हारे ही हाथों से मसलती रहेंगी" रेखा ने मस्ती में आकर ज़ोर से सिसकते हुए तेज़ी के साथ अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए बोली । रेखा की चूत गीली होने के सबब उसके उचलने से थप थप की आवाज़ें पूरे कमरे में गूँजने लगी।
"माँ यह आवज़ कहाँ से आ रही है" विजय ने अपनी माँ की चूत में अपना लंड आने जाने की वजह से होने वाली आवाज़ सुनकर अपनी माँ से कहा ।
 

Rakesh1999

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ओहहहह बदमाश यह तुम्हारे मोटे लंड पर उछलने से मेरी गीली चूत से आवाज़ें आ रही है। बेटे में तो तुम्हारे लंड की दासी बन गई एक बार झरने के बाद भी कितना कड़क और मोटा है कितना मज़ा आ रहा है" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उत्तेजना में आकर और तेज़ी के साथ उसके लंड पर ऊपर नीचे होते हुए बोली।
विजय जानता था की उसकी माँ झरने के क़रीब है इसीलिए वह भी अपनी माँ के चूतड़ो में हाथ डालकर उसे अपने लंड पर तेज़ी के साथ उछालने में मदद करने लगा।
"आआह्ह्ह्ह बेटे मैं झर रही हू" अचानक रेखा का पूरा बदन अकडते हुए झटके खाने लगा और रेखा मस्ती में अपनी आँखें बंद करके अपने बेटे के लंड पर बुहत तेज़ी और ज़ोर के साथ ऊपर नीचे होते हुए झरने लगी।

रेखा की चूत ने झरते हुए अपने बेटे के लंड को दोनों तरफ से कस लिया जिस वजह से ऊपर नीचे होते हुए विजय का लंड रेखा को अपनी चूत में बुहत ज़ोर की रगड देने लगा । रेखा की चूत से जाने कितनी देर तक पानी बहता रहा और झरने के बाद वह अपने बेटे के ऊपर ढेर हो गई ।

"माँ आप कुछ बता रही थी" विजय ने अपनी माँ को कमर से पकडते हुए अपने चूतडो को हिलाकर चोदने लगा । इस पोजीशन में उसकी माँ की दोनों चुचियां बिलकुल उसके बेटे के मूह के ऊपर आ गयी। विजय अपनी माँ को चोदते हुए अपना मूह खोलकर अपनी माँ की चुचियों के दानों को बारी बारी चूसने लगा ।
"बेटे मै थक गयी हूँ में नीचे लेट जाती हूँ तुम ऊपर आ जाओ" रेखा ने अपने बेटे के हाथों को अपनी कमर से हटाकर उसके ऊपर से उठते हुए कहा । रेखा के नीचे उतरते ही विजय का लंड उसकी पानी से गीला होकर चमकता हुआ झटके खाने लाग, रेखा अपनी टांगों को फ़ैलाकर सीधी लेट गयी।

विजय अपनी माँ की टांगों के बीच आ गया । विजय ने देखा की उसकी माँ की बड़ी चूत बिलकुल फूलकर बाहर निकली हुयी थी और उसमें से बुहत पानी टपक रहा था।
"माँ आपकी चूत कितनी फूल गयी है। मुझे तो इसे चूमने का मन हो रहा है" विजय अपनी माँ की डबल रोटी की तरह सुजी हुयी चूत को देखकर अपना मूह अपनी माँ की चूत के क़रीब करते हुए कहा ।
"ओहहहह बेटा चूम लो तुम्हें किसने रोका है और यह तुम्हारे मोटे लंड का ही कमाल है जो यह इतना ज्यादा फूल गयी है" रेखा ने अपने बेटे की साँसों को अपनी चूत के क़रीब महसूस करके सिसकते हुए कहा।
 
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माँ इस में से तो मदहोश करने वाली गंध आ रही है" विजय अपनी माँ की चूत से अपने और उसके मिले जुले वीर्य से आती हुयी गंध को सूँघते हुए बोला और अपना मूह अपनी माँ की फूली हुयी चूत पर रख दिया,
"ओहहहहहह बेटे अपनी माँ की चूत को पूरा मूह में लेकर चूसो" रेखा अपने बेटे का मूह अपनी चूत पर महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोली ।
विजय अपनी माँ की चूत को अपने होंठो से चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा । विजय को अपनी माँ की चूत को चाटते हुए अजीब किस्म का स्वाद लगा महसूस हो रहा था, कुछ देर तक अपनी माँ की चूत को चाटने के बाद विजय अपना मूह खोलकर रेखा की चूत को पूरा अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चाटते हुए अपने दांतों से हल्का हल्का काटने लगा।

"उई बदमाश खा जाओगे क्या अपनी माँ की चूत को" रेखा अपने बेटे के काटने से उछलते हुए बोली । विजय ने अपनी माँ की चूत से अपना मुँह हटा दिया और उसके ऊपर आते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसाकर चोदने लगा।
"बेटे मैं नरेश से भी एक बार चुदवा चुकी हूँ" रेखा ने अपने बेटे की पीठ में अपने हाथों को डालकर कहा।
"क्या कहा माँ नरेश से" विजय का लंड अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत में इतनी तेज़ी से झटके खाते हुए फूलने लगा की रेखा के मूह से ज़ोर की सिसकियाँ निकलने लगी और वह अपने चूतडो को उछालकर अपने बेटे के लंड पर दबाने लगी ।

"हाँ बेटे तुम्हारी माँ की चूत में नरेश का लंड भी जा चूका है" रेखा ने अपने बेटे को जोश दिलाते हुए कहा।
"माँ बस करो मैं जान चूका हूँ तुम बड़ी छिनाल हो" विजय अपनी माँ की बात सुनकर पूरे जोश में आते हुए अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा ।
"आह्ह्ह्ह्ह् बेटे आराम से" रेखा अपने बेटे के इतने तेज धक्कों से काँपते हुए बोली । विजय अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर पूरी ताक़त के साथ अपनी माँ की चूत में पेल रहा था। जिस वजह से उसका पूरा जिस्म कांप रहा था और वह बुहत ज़ोर से सिसक रही थी ।

"क्यों छिनाल नरेश से चुदवाते हुए मज़ा नहीं आया जो अपने बेटे से ही चूत मरवा रही हो" विजय ने गुस्से में आकर अपनी माँ को चोदते हुए कहा।
"ओहहहह बेटे जो मज़ा तुम दे रहे हो वह कहाँ दिया उसने" रेखा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । विजय ने अचानक अपनी माँ की चूत से अपना लंड निकाल दिया और उसे पकडते हुए उल्टा लिटा दिया ।
 
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