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अपडेट 55
"उईईईई शह्ह्ह्हह्ह बेटे आह्ह्ह्हह" रेखा ज़ोर से सिसकती रही मगर फिर भी अपने मूह से कुछ नहीं बोली।
"माँ बता न क्या मैं आपको चोद सकता हू" विजय ने फिर से अपनी माँ की चूत का दाना अपने मूह से निकालकर कहा और फिर से उसे अपने मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा।
"ओहहहहह बेटे नहीं मैं अपने मुँह से नहीं बोल सकती मगर मैं तुम्हें इस वक्त रोक भी नहीं सकती" रेखा ने अपने बेटे के मुँह पर अपने चूतडों को उछालते हुए बोली।
विजय अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत के दाने को अपने मूह से निकालते हुए थोडा और नीचे हो गया और अपनी माँ की चूत के छेद को गौर से देखने लगा।
"माँ आपकी चूत कितनी सूंदर है और यह क्या इसमें से तो रस निकल रहा है। इसका मतलब आपको भी मज़ा आ रहा है" विजय ने अपनी माँ की रस बहाती चूत की तरफ देखते हुए कहा ।
"ओहहहहह माँ आपकी चूत की खुसबू कितनी शानदार है" विजय ने अचानक अपना नाक अपनी माँ की चूत के छेद के बिलकुल पास करते हुए अपनी साँसें ज़ोर से पीछे की तरफ लेते हुए बोला।
"आआह्ह्ह्ह बेटे क्या कर रहा है तुम्हारी गरम साँसें मुझे अपनी चूत के पास महसूस हो रही है" रेखा ने अपने बेटे की साँसों को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके कहा।
"आआह्ह्ह्हह माँ क्या मैं आपकी प्यारी चूत को चूम सकता हू" विजय ने यह कहते हुए अचानक अपने होंठो को अपनी माँ की चूत के लबों पर रखते हुए चूम लिया,
"आह्ह्ह्ह बेशर्म मेरे जवाब से पहले ही चूम लिया" रेखा ने अपने बेटे को डाँटते हुए कहा ।
"माँ क्या करुं आपकी चूत इतनी सूंदर है की मैं रुक नहीं पाया । आपको अगर बुरा लगा है तो मैं अब इसे नहीं चूमूंगा" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा।
"नही बेटे मैं तुम्हें किसी चीज़ से नहीं रोक सकती" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर चिल्लाते हुए कहा।
रेखा को अपनी चूत में आग लगी हुयी महसूस हो रही थी । वह चाहती थी की उसका बेटा जल्दी से उसकी चूत को अपनी जीभ से शांत कर दे । विजय अपनी माँ की बात सुनकर अपनी जीभ निकालते हुए अपनी माँ की चूत के दोनों होंठो पर फिराने लगा ।
"आह्ह्ह्ह बेटे क्या कर रहे हो अपनी जीभ को अंदर घुसाओ ना" रेखा की बर्दाशत जवाब देती जा रही थी इसीलिए उसने सिसकते हुए कहा।
विजय अपनी माँ की बात को सुनकर अपने मुँह को खोलते हुए उसकी चूत के दोनों होंठो को अपने मूह में भरते हुए चूसने लगा।
"उईईईई शह्ह्ह्हह्ह बेटे आह्ह्ह्हह" रेखा ज़ोर से सिसकती रही मगर फिर भी अपने मूह से कुछ नहीं बोली।
"माँ बता न क्या मैं आपको चोद सकता हू" विजय ने फिर से अपनी माँ की चूत का दाना अपने मूह से निकालकर कहा और फिर से उसे अपने मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा।
"ओहहहहह बेटे नहीं मैं अपने मुँह से नहीं बोल सकती मगर मैं तुम्हें इस वक्त रोक भी नहीं सकती" रेखा ने अपने बेटे के मुँह पर अपने चूतडों को उछालते हुए बोली।
विजय अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत के दाने को अपने मूह से निकालते हुए थोडा और नीचे हो गया और अपनी माँ की चूत के छेद को गौर से देखने लगा।
"माँ आपकी चूत कितनी सूंदर है और यह क्या इसमें से तो रस निकल रहा है। इसका मतलब आपको भी मज़ा आ रहा है" विजय ने अपनी माँ की रस बहाती चूत की तरफ देखते हुए कहा ।
"ओहहहहह माँ आपकी चूत की खुसबू कितनी शानदार है" विजय ने अचानक अपना नाक अपनी माँ की चूत के छेद के बिलकुल पास करते हुए अपनी साँसें ज़ोर से पीछे की तरफ लेते हुए बोला।
"आआह्ह्ह्ह बेटे क्या कर रहा है तुम्हारी गरम साँसें मुझे अपनी चूत के पास महसूस हो रही है" रेखा ने अपने बेटे की साँसों को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके कहा।
"आआह्ह्ह्हह माँ क्या मैं आपकी प्यारी चूत को चूम सकता हू" विजय ने यह कहते हुए अचानक अपने होंठो को अपनी माँ की चूत के लबों पर रखते हुए चूम लिया,
"आह्ह्ह्ह बेशर्म मेरे जवाब से पहले ही चूम लिया" रेखा ने अपने बेटे को डाँटते हुए कहा ।
"माँ क्या करुं आपकी चूत इतनी सूंदर है की मैं रुक नहीं पाया । आपको अगर बुरा लगा है तो मैं अब इसे नहीं चूमूंगा" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा।
"नही बेटे मैं तुम्हें किसी चीज़ से नहीं रोक सकती" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर चिल्लाते हुए कहा।
रेखा को अपनी चूत में आग लगी हुयी महसूस हो रही थी । वह चाहती थी की उसका बेटा जल्दी से उसकी चूत को अपनी जीभ से शांत कर दे । विजय अपनी माँ की बात सुनकर अपनी जीभ निकालते हुए अपनी माँ की चूत के दोनों होंठो पर फिराने लगा ।
"आह्ह्ह्ह बेटे क्या कर रहे हो अपनी जीभ को अंदर घुसाओ ना" रेखा की बर्दाशत जवाब देती जा रही थी इसीलिए उसने सिसकते हुए कहा।
विजय अपनी माँ की बात को सुनकर अपने मुँह को खोलते हुए उसकी चूत के दोनों होंठो को अपने मूह में भरते हुए चूसने लगा।