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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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रेखा अपने ससुर के लंड को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी सुपाडे को चाटने लगी । रेखा कुछ देर तक अपने ससुर के लंड के सुपाडे को चाटने के बाद अपनी जीभ से अपने ससुर के पूरे लंड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
"आह्ह्ह्ह कौन । अरे बेटी तुम कब आयी?" अनिल अपने लंड में हरकत होने पर अपनी आँखें मलकर उठते हुए बोला।
"बाबुजी में अभी आई हूँ अब आपकी तबीयत कैसी है" रेखा ने अपनी जीभ को अपने ससुर के लंड से हटाकर सीधा होते हुए कहा ।
रेखा की जीभ के चाटने से अनिल का लंड बिलकुल साफ़ होकर चमका रहा था।
"बेटी अब कुछ बेहतर महसूस कर रहा हू" अनिल ने रेखा को बाज़ू से खीचते हुए अपने ऊपर गिराते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह क्या हुआ बापु" रेखा सीधा अपने ससुर के ऊपर गिर गयी और उसकी चुचियां सीधा अनिल के सीने में दब गयी जिस वजह से उसने सिसकते हुए कहा।

"बेटी मुझे तेरा दूध पिए हुए बुहत दिन हो गये हैं। देखो कितना कमज़ोर हो गया हू" अनिल ने अपनी बहु की साड़ी का पल्लु हटाते हुए कहा और उसके ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी बहु की चुचियों के उभारों को चाटने लगा।
"आह्ह्ह्ह बापु आप इनका दूध पिएँ और जल्दी से ठीक हो जायें" रेखा ने अपने ब्लाउज को खोलकर ब्रा को अपनी चुचियों से नीचे करते हुए कहा ।
"बेटी तुम मेरा कितना ख्याल करती हो" अनिल ने यह कहते हुए अपनी बहु की एक चूचि को पकडकर अपने मूह में डाल दिया और उसे बुहत ज़ोर से चूसने लगा। रेखा का पूरा जिस्म अपने ससुर के मूह में अपनी चूचि के जाने से सिहरने लगा और उत्तेजना के मारे रेखा ने गरम होते हुए अपने हाथों से अपने पेटिकोट को अपने जिस्म से हटाकर अपनी पेंटी को भी नीचे सरका दिया।

रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था।
"आहहहह बापु एक मींनट" रेखा ने अपनी चूचि को अपने ससुर के मूह से निकालकर अपनी टांगों को फ़ैलाकर अपने ससुर के खडे लंड पर बैठ गयी । अनिल का लंड उसकी बहु की चूत में सरकता हुआ पूरा घुस गया ।
"आह्ह्ह्ह बाबू जी" रेखा अपने ससुर का पूरा लंड घुसते ही ज़ोर से सिसकते हुए उसके ऊपर झुक गयी। अनिल अपनी बहु की चूत में अपना लंड घुसते ही उत्तेजित होते हुए रेखा के चुचियों को एक एक करके बुहत ज़ोर से चूसने लगा और अपने चूतडो को उछालकर अपनी बहु को चोदने लगा।
 

Rakesh1999

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"ओहहहह बापु आज आपका लंड इतना गरम क्यों है" रेखा ने अपनी चुचियों को चुसवाते हुए अपनी चूत में अनिल का लंड अंदर बाहर होने से उत्तेजना के मारे अपने चूतडो को उछालते हुए अपने ससुर का लंड अपनी चूत में लेते हुए सिसकार कर कहा।
"बेटी इसमें दो दिन की बीमारी की वजह से बुहत ज्यादा आग भर गयी है। इसीलिए यह बुहत गरम है" अनिल ने अपनी बहु की बात सुनकर अपने चूतडों को ज़ोर से उछालते हुए अपना लंड अपनी बहु की चूत में जड़ तक अंदर बाहर करते हुए कहा ।

"हाहहह बाबू जी तो आज अपनी सारी आग हमारी चूत में भर दो" रेखा अपने ससुर की बात सुनकर अपनी चूचि को उसके मूह से निकालते हुए सिसककर बुहत ज़ोर से अपने ससुर के लंड पर उछलते हुए बोली। अनिल अपनी बहु की बड़ी बड़ी चुचियों को जो उसके लंड पर उछलते हुए ज़ोर से हिल रही थी। उन्हें अपने हाथों में लेकर मसलने लगा ।
"हाहहह बेटी माफ़ करना मगर मैं झरने वाला हू" अनिल ने कुछ ही देर में सिसकते हुए अपनी बहु की चुचियों को ज़ोर से दबाते हुए कहा।
"बापु बस एक मिनट मैं भी झरने के क़रीब हू" रेखा अपने ससुर की बात सुनकर उसके लंड पर बुहत ज़ोर से उछलते हुए सिसकने लगी।

"ओहहहह बेटी आआह मैं झर रहा हू" अचानक अनिल अपने चूतडो को ज़ोर से उछलते हुए अपनी बहु की चूत में पानी छोड़ने लगा।
"आआह्ह्ह्ह बाबू जी आपका वीर्य ओह्ह्ह्हह कितना गरम है आहह मैं भी झर रही हुँ" रेखा भी अपने ससुर के लंड से निकला हुआ गरम वीर्य अपनी चूत में गिरने से सिसक कर झरने लगी । रेखा झरते हुए अपने ससुर के लंड पर पागलो की तरह उछालने लगी और पूरी तरह झरने के बाद अपने ससुर के ऊपर ही गिरकर हाँफने लगी ।

रेखा कुछ देर तक अपने ससुर के ऊपर ही पडे रहने के बाद उसके होंठो पर एक चुम्बन लेते हुए उसके ऊपर से उठ गयी।
"बाबू जी आप नहा कर फ्रेश हो जाओ । मैं आपके लिए नाशते का इन्तज़ाम करती हू" रेखा अपने कपडे पहनने के बाद वहां से जाते हुए कहा ।
रेखा अपने ससुर के कमरे से निकलने के बाद अपने कमरे में घुस गयी और नहाने के बाद नाश्ता बनाकर अपने ससुर के कमरे में चलि गई।
"बेटी मुझे बुहत ख़ुशी हो रही है की मुझे तुम जैसी बहु मिली जो मेरा इतना ख्याल रखती है" अनिल ने अपनी बहु को नाश्ता रखते हुए देखकर कहा।
 

Rakesh1999

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बाबू जी आप नाश्ता कर लो मुझे काम है" रेखा नाश्ता रखने के बाद वहां से चलि गयी । रेखा ने अपने ससुर के कमरे से निकलते ही सभी को उठा दिया और खुद उनके लिए नाश्ता तैयार करने लगी, नाश्ता तैयार करने के बाद रेखा टेबल पर लगाने लगी। सभी नाश्ते की टेबल पर आ चुके थे ।
नाश्ता ख़तम करने के बाद सभी उठकर अपने कमरों में चले गए । विजय अपनी माँ को बर्तन उठाने में मदद करने लगा और सारे बर्तन किचन में रखने के बाद खुद एक कुर्सी ले कर किचेन में अपनी माँ के पास बैठ गया ।विजय वहां पर बैठे हुए अपनी माँ से बाते करने लाग।

"बेटा खाना खाने के बाद मुझे डॉक्टर के पास जाना है तुम भी साथ चलना" रेखा ने बर्तन धोते हुए अपने बेटे से कहा।
"क्यों माँ आपको क्या हुआ है" विजय अपनी माँ की बात सुनकर हैंरान होते हुए बोला।
"कुछ नहीं बेटा मुझे बच्चा रोकने वाला इंजेक्शन लगवाना है जो मैं हर ३ महीने बाद लगवाती हूँ । कहीं बच्चा हो गया तो फिर उसे गिराने में बुहत तकलीफ़ होगी" रेखा ने अपने बेटे को जवाब देते हुए कहा ।
"माँ इंजेक्शन मत लगवाओ। मैं आपसे एक बच्चा चाहता हू" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"अरे बेटे कहीं पागल तो नहीं हो गये हो। यह कोई उम्र है मेरी बच्चा जनने की। इतना ही शौक़ है तो खुद शादी कर लो" रेखा ने अपने बेटे की तरफ देखकर हैंरान होते हुए कहा

माँ किस डॉक्टर के पास चलना है?" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उससे पूछा।
"हमारे फैमिली डॉक्टर रवि मल्होत्रा" रेखा ने अपने बेटे से कहा।
"माँ मैंने सुना है वह बुहत ठरकी किस्म का डॉक्टर है। कहीं वह आपको इंजेक्शन की जगह कोई दूसरी चीज़ न लगा दे" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।
"बेशर्म वह हमारे फैमिली डॉक्टर है और अपनी माँ से ऐसी बाते करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसको डाँटते हुए कहा।
"माँ मुझे क्या पता मैंने भी लोगों से ही सुना है की वह लेडी पेशेंटस का इलाज बड़े अच्छे तरीके से करते है" विजय ने वैसे ही मुस्कराते हुए कहा।

"चल बदमाश जा सब्ज़ि लेकर आ। मुझे अभी बुहत काम है" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसे डाँटते हुए कहा । विजय अपनी माँ की बात सुनकर वहां से उठते हुए सब्ज़ि लेने बाहर चला गया, रेखा जानती थी की उसका बेटा सही कह रहा है । वह अपने बेटे की बात को याद करते हुए ख्यालों में चली गयी ।
 
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रेखा उस दिन हमेशा की तरह रवि की क्लिनिक में इंजेक्शन लगवाने के लिए गयी थी । रेखा ने आज लाल रंग की नयी साड़ी पहनी हुयी थी और बुहत सजी संवरी हुयी थी । वह उस ड्रेस में किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी, रेखा जैसे ही क्लिनिक में दाखिल हुयी उसने देखा आज वहां पर कोई ज्यादा भीड़ नहीं थी और डॉ रवि आज बिलकुल अकेले बैठे थे।
डॉ रवि की उम्र कुछ ज्यादा नहीं थी। वह ३० साल का एक नौजवान हॅडसम डॉ था । रवि की हाइट ५।६ इंच रंग बिलकुल गोरा और दिखने में बिलकुल किसी एक्टर की तरह हॅंडसम था।

"हल्लो भाभी जी आइये क्या हाल है" रेखा को देखते ही रवि ने कुर्सी से उठते हुए अपने दाँत निकालते हुए कहा।
"जी मैं बिलकुल ठीक हू" रेखा ने रवि को देखकर मुस्कराते हुए जवाब दिया और वहां पर पडी एक कुर्सी पर बैठ गई।
"भाभी आपकी तबीयत कैसी है और आप क्या लेंगी ठण्डा या गरम?" रवि ने घण्टी बजाकर अपने पिओन को बुलाते हुए रेखा से पूछा।

"जी शुक्रिया बस मैं वह इंजेक्शन लगवाने आई थी" रेखा ने अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे को पोछते हुए कहा । गर्मी की वजह से रेखा के मूह से पसीना बह रहा था।
"दो कोक ले आओ बुहत गर्मी है" रवि ने रेखा का पल्लू उसकी चुचियों से हटने की वजह से उसकी चुचियों के उभारों को जो उसके ब्लाउज से थोडे बाहर निकले हुए थे । उन्हें घूरकर अंदर आये हुए पिओन को मुस्कराते हुए आर्डर दिया ।
"भाभी आप यह इंजेक्शन क्यों लगवाती हैं । अभी आपकी उम्र क्या है" रवि ने रेखा को घूरते हुए कहा।
"डॉ जी 3 बच्चे काफी हैं मेरे लिए और उनकी परवरिश पे भी धयान देना है" रेखा ने रवि की बात सुनकर उसे जवाब देते हुए कहा।

"अरे वाह भाभी जी क्या बात कही है। अगर यह सोच इंडिया की सारी औरतों में आ जाये तो हमारी आबादी जो इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कुछ कम हो जाए" रवि ने रेखा की बात सुनते ही उसकी तारीफ करते हुए कहा। तभी वह पिओन दो कोक लेकर आ गया और वहां टेबल पर रखते हुए वापस बाहर चला गया ।
"भाभी आप भी लिजीये बुहत गर्मी है" रवि ने एक कोक उठाते हुए रेखा से कहा । रेखा ने भी एक कोक उठाया और आराम से पीने लगी।
"डॉ साहब अब जल्दी से इंजेक्शन लगा दो हमें देर हो रही है" रेखा ने कोक को ख़तम करते ही वापस टेबल पर रखते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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हाँ भाभी जी अभी लगा देते हैं आप वहां जाकर आराम से लेट जाए" रवि ने रेखा को बिस्तर की तरफ लेटने का इशारा करते हुए कहा । जहाँ पर वह अपने पेशेंटस का चेकअप करते थे । रेखा रवि की बात सुनकर जाकर सीधा वहां पर लेट गयी ।
रवि ने वहां पर लगाये हुआ पर्दा नीचे कर दिया और रेखा का ब्लड प्रेशर चेक करने लगा।
"भाभी आपका ब्लड प्रेशर तो बिलकुल ठीक है" रवि रेखा का ब्लड प्रेशर चेक करने के बाद अपने स्टेथोप को रेखा की चुचियों पर उसकी साड़ी के ऊपर से ही रखते हुए हुए उसका चेकअप करने लगा।

रवि जान बूझकर अपने स्टेथोप को रेखा की चुचियों पर ज़ोर से दबा रहा था । रेखा अपनी चुचियों पर स्टेथोप को ज़ोर से दबने से बुहत ज़ोर की साँसें ले रही थी। क्योंकी स्टेथोप के दबाब से रेखा भी गरम हो रही थी।
"भाभी सब कुछ ठीक है आप उल्टा लेट जाएँ । मैं इंजेक्शन लगा देता हू" रवि ने कुछ देर तक रेखा के चुचियो को अपने स्टेथोप से दबाने के बाद वहां से उठकर अपने माथे से पसीने को पोछते हुए कहा ।
"डॉ जी आज वह लड़की नहीं है क्या" रेखा को हर बार यहाँ पर एक लड़की नर्स इंजेक्शन लगाती थी। आज रवि से इंजेक्शन लगाते हुए उसे कुछ अजीब लग रहा था इसीलिए उसने रवि से पूछा।
"भाभी वह आज छुट्टी पर है आपको कोई प्रॉब्लम है?" रवि ने इंजेक्शन अपने हाथ में उठाते हुए कहा।

"नही डॉ साहब ऐसे ही पूछ रही थी" रेखा रवि की बात सुनकर शर्म के मारे उल्टा सोते हुए बोली। रवि ने रेखा के उल्टा होते ही उसकी साड़ी को पकडकर ऊपर खीँच दिया और इंजेक्शन को रेखा के पेटिकोट के ऊपर से ही उसके चूतड़ में घुसा दिया ।
"ओहहहहः" रेखा के मुँह से न चाहते हुए भी एक हलकी चीख़ निकल गई।
"बस भाभी हो गया आपकी स्किन बुहत नरम है। इसी लिए आपको ज्यादा दर्द हो रहा है" रवि ने इंजेक्शन को रेखा के चूतड़ो से निकालते हुए उसकी चिकनी गोरी जांघों को घूरते हुए कहा।

रेखा रवि को अपनी नंगी जांघों की तरफ देखते हुए पाकर जल्दी से उठते हुए अपनी साड़ी को सीधा कर दिया । रेखा रवि की पेण्ट की तरफ देखकर हैंरान रह गयी क्योंकी वहां पर बुहत बड़ा तम्बू बना हुआ था। रेखा समझ गयी थी की वह रवि का लंड है मगर इतना बड़ा तम्बू लगता था उसका लंड बुहत बड़ा है ।
 

Rakesh1999

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माँ मैं सब्ज़ि ले आया" विजय की आवाज़ से रेखा अपने ख्यालों से निकली।
"क्या हुआ माँ आप चोंक क्यों गई" विजय ने अपनी माँ के चौकने से हैंरान होते हुए कहा।
"कुछ नहीं मैं तेरे अचानक आने से चोंक गई" रेखा ने रवि के हाथ से सब्ज़ि लेते हुए कहा।

"माँ मैंने सुना है यह बच्चा रोकने वाला इंजेक्शन औरत के चूतडो में लगता है" विजय ने अपनी माँ की तरफ शरारती मुसकान के साथ देखते हुए कहा।
"हाँ लगता है तो फिर" रेखा ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।
"माँ फिर तो डॉ रवि इंजेक्शन लगाते हुए आपके गोरे और मांसल चूतडो को जी भरकर देखता होगा । बेचारे की हालत ही ख़राब हो जाती होगी" विजय ने अपनी माँ को देखकर मुस्कराते हुए कहा ।
"बदमाश वह मुझे नंगा करके इंजेक्शन नहीं लगाता पेटिकोट के ऊपर से लगाता है और आज तुम घुमा फिरा कर डॉ की बात क्यों कर रहे हो" रेखा ने अपने बेटे को गुस्से से देखते हुए कहा।
"माँ ऐसे ही मैंने डॉ रवि की इतनी तारीफ सुनी थी। इसीलिए मुझे शक हो रहा था की कहीं आप का उस से" विजय यह कह कर चुप हो गया।

"कमीने क्या तुमने अपनी माँ को रंडी समझ रखा है जो वह हर किसी से चुदवाती रहेगी" रेखा अपने बेटे की इस बात से बुहत ज्यादा गुस्सा करते हुए बोली।
"नही माँ मैंने आपको रंडी कब कहा। मैं बस आपसे पूछ्ना चाहता था। अगर आपको दुःख पुहंचा हो तो सॉरी" विजय ने अपनी माँ से माफ़ी माँगते हुए कहा।
"बेटा मैंने तुमसे कोई बात नहीं छुपायी है । फिर तुम मुझ पर शक कैसे कर सकते हो" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसे समझाते हुए कहा।
"माँ ठीक है। मैं आज के बाद आप पर शक नहीं करुंगा" विजय अपनी माँ की बात सुनते हुए बोला।

"माँ आप खाना बनाओ मैं अपने कमरे में जा रहा हू" अचानक विजय ने कुर्सी से उठते हुए कहा।
"क्यों बेटा अपनी बड़ी बहन की याद आ गयी क्या?" रेखा ने विजय को उठते हुए देखकर उसे टोकते हुए कहा।
"माँ आप भी इस वक्त भला मैं कुछ कर सकता हू" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।।
"बेटा क्या पता आजकल के लड़के और लड़कियाँ बुहत फास्ट है" रेखा ने वेसे ही मुस्कराते हुए कहा।
"माँ अब बस करो । मैं जा रहा हू" विजय अपनी माँ की बात सुनकर मुस्कराते हुए बोला।
"बेटा कंचन को इधर भेज देना। खाना बनाने में मेरी मदद करेगी" रेखा ने विजय को जाता हुआ देखकर कहा।
 

Rakesh1999

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ठीक है माँ" विजय इतना कहता हुआ वहां से चला गया । विजय ने अपनी बहन को किचन में भेज दिया और खुद अपने कमरे में आकर लेट गया।
"कंचन बेटी क्या हुआ टांगों में दर्द है क्या" रेखा ने कंचन को धीरे धीरे आता हुआ देखकर मुस्कराते हुए कहा ।
"हाँ माँ में बाथरूम में गिर गयी थी" कंचन ने झूठ बोलते हुए कहा।
"अरे बेटी अगर दर्द था तो फिर क्यों आई। जाओ जाकर आराम कर लो रात को भी फिर से तुम्हें" रेखा इतना कहकर चुप हो गयी।
"नही माँ मैं आपकी मदद करती हूँ और रात को क्या?" कंचन अपनी माँ की बात सुनकर चौकते हुए बोली।
"बेटी रात को काम करने की बात कर रही थी" रेखा ने बात को बदलते हुए कहा।

"बेटी मैंने सुना है कॉलेज में आजकल बुहत गन्दा माहॉल चल रहा है। यह छोड़े लड़कियों के पीछे ही पड़ जाते हैं ज़रा ख्याल रखना" रेखा ने काम करते हुए अपनी बेटी से कहा।
"माँ मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ और भैया भी तो मेरे साथ है" कंचन ने अपनी माँ की बात सुनकर उसे समझाते हुए कहा ।
"बेटी अगर तुम बच्ची होती तो चिंता नहीं होती। यही तो चिंता है की तुम बड़ी हो गई हो और अगर तुम बहक गयी तो हमारी सारी इज्ज़त मिटटी में मिल जाएगी। विजय अगर तुम्हारे साथ न होता फिर तो और ज्यादा चिंता होती" रेखा ने अपनी बेटी की बात सुनते ही कहा।

माँ मैं जानती हूँ आप मुझ पर भरोसा रखो" कंचन ने अपनी माँ को तसल्ली देते हुए कहा।
"ठीक है बेटी। बस अपना ख्याल रखना" रेखा ने अपनी बेटी को देखते हुए कहा और फिर दोनों माँ बेटी मिलकर खाना तैयार करने लगी ।
 
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Rakesh1999

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विजय जैसे ही अपने कमरे में पुहंचा वहां पर कोई नहीं था । उसने सोचा जब तक उसकी माँ नाश्ता बना ले तब तक वह फ्रेश हो जाये । वैसे भी उसे अपनी माँ के साथ डॉ के पास जाना था । विजय अपने सारे कपड़े उतारकर बाथरूम में घुस गया और शावर ऑन करके नहाने लगा, इधर शीला अकेले बैठे हुए बोर हो रही थी नरेश भी उसे बताकर बाहर गया हुआ था ।
शीला अचनाक वहां से उठते हुए बाहर आ गयी और अपनी माँ के कमरे में जाने लगी । शीला की नज़र जैसे ही विजय के कमरे पर गयी वह हैंरान रह गयी क्योंकी दरवाज़ा खुला हुआ था, शीला ने सोचा जाकर देख ले कहीं नरेश वापस तो नहीं आ गया और यह सोचते हुए शीला विजय के कमरे की तरफ जाने लागी।

शीला जैसे ही कमरे में अंदर दाखिल हुयी उसे वहां पर कोई दिखाई नहीं दिया वह वापस मुड़ने वाली ही थी के उसकी नज़र विजय पर पडी जो सिर्फ अंडरवियर में था और टॉवल से अपना बदन पोछते हुए बाथरूम से निकल रहा था । शीला विजय के गठीले गोरे बदन को देखकर हैंरान रह गयी।
"शीला दीदी आप कब आई" विजय की नज़र जैसे ही शीला पर पडी। उसने टॉवल को लुंगी की तरह बाँधते हुए हडबडाकर कहा ।

"भइया आप तो लड़कियों की तरह शर्मा रहे हो" शीला विजय को हड़बड़ाता हुआ देखकर उसके क़रीब जाते हुए बोली।
"वो दीदी में नहा रहा था" विजय शीला के क़रीब आने से वैसे से हडबडाते हुए बोला।
"भइया आपकी बॉडी तो बुहत बढिया है" शीला ने अपना हाथ उठाते हुए विजय के सीने पर रख दिया और उसके सीने के बालों को सहलाने लगी ।
"हाहहह दीदी क्या कर रही हो मुझे कपडे पहनने दो" विजय शीला का नरम हाथ अपने सीने के बालों पर पड़ते ही सिसककर काँपते हुए कहा।
"भइया आप ऐसे ही बुहत अच्छे लगते हो । कपडे पहनने की क्या ज़रुरत है" शीला ने अपने हाथ को विजय के सीने से नीचे लाते हुए उसके हाथ पर रख दिया जिससे वह टॉवल पकडे हुए था।

शीला का हाथ अपने हाथ पर पड़ते ही विजय के हाथ से उसका टॉवल छूट कर नीचे गिर गया और विजय का लंड जो उसके अंडरवियर में अब तक तम्बू बना चूका था । शीला की आँखों के सामने आ गया।
"ओहहहह भैया यह अंडरवियर में इतना बड़ा क्या छुपा रखा है" शीला की आँखें विजय के बड़े और मोटे लंड को अंडरवियर में तम्बू बनाये हुए देखकर चमक उठी और वह अपना हाथ विजय के अंडरवियर की तरफ ले जाते हुए बोली ।
 

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दीदी कुछ नहीं है" विजय को जाने क्या हो गया था । वह शीला के हाथ को अपने लंड की तरफ आता हुआ देखकर पीछे हटने लगा।
"भइया आप झूठ बोल रहे हैं । आपने वहां पर ज़रूर कुछ छुपाये है" शीला भी विजय के के पीछे होने से आगे बढते हुए बोली।
"दीदी वहां पर कुछ नहीं है यह मेरा वह है" विजय ने पीछे हटते हुए अपना हाथ अपने अंडरवियर के आगे लाते हुए कहा।
"वो क्या भैया ज़रा हमें भी तो देखने दो" शीला ने अपने भाई के हाथों को पकडकर उसके अंडरवियर के आगे से हटाते हुए कहा।
"दीदी यह हमारा लंड है" अचानक विजय के मूह से निकल गया।
"भइया इतना बड़ा और मोटा। आप झूठ बोल रहे हो मैंने भैया का देखा है वह तुम्हारे जितना लम्बा और मोटा नहीं है" शीला ने विजय की बात सुनकर अपना हाथ आगे बढ़कर विजय के लंड को उसके अंडरवियर के ऊपर से ही पकडते हुए कहा।

"आआह्ह्ह्ह दीदी" शीला का नरम हाथ अपने लंड पर पड़ते ही विजय के मूह से ज़ोर की सिसकी निकल गई,
"आह्ह्ह्ह भैया यह तो सच में आपका लंड है। हमें माफ़ कर दो" शीला का पूरा जिस्म विजय के लंड को पकडने से कांप उठा और उसने विजय के लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए कहा ।
"दीदी आप थोडी देर इसे सहलाओ ना" विजय ने सिसकते हुए कहा।
"भइया नहीं यह ठीक नहीं है" शीला ने अचानक विजय के लंड को छोड दिया और वापस जाने लगी।
"साली रंडी जब कह रहा था की इसे मत पकडो तो भागते हुए इसे पकड लिया और अब गलत होने का नाटक कर रही है" विजय ने शीला को वापस जाते हुए देखकर उसे पीछे से पकडकर अपने आप से सटाते हुए कहा।

"भइया आप क्या कह रहे हो । छोड़ो मुझे आपका मेरे चूतडों में चुभ रहा है" शीला ने अपने आपको विजय से छुड़ाने का नाटक करते हुए कहा । विजय से सटकर खडा होने की वजह से उसका अंडरवियर में बना तम्बू शीला के चूतडों में चुभ रहा था ।
"साली चुभ रहा है तो क्या हुआ तेरी गांड में तो नहीं घुस रहा है" विजय ने अपने हाथ को शीला के नंगे चिकने पेट पर फिराते हुए कहा।
"भइया आप बुहत गंदे हो मुझे छोड़ो" शीला को भी अब मज़ा आने लगा था और वेसे भी वह सिर्फ अपने मूह से यह सब कह रही थी ताकी विजय यह न समझे की वह बेचारी इसके लिए पहले से राज़ी है। वैसे तो वह भी यही चाहती थी।
 

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विजय ने अपने एक हाथ को शीला के पेट पर रखे ही उसे थोडा नीचे झुका दिया और अपने दुसरे हाथ से उसकी साड़ी को थोडा ऊपर कर दिया । शीला का पूरा वजन विजय के हाथ पर था और साड़ी के ऊपर होने से शीला के बड़े बड़े चूतड़ सिर्फ पेटिकोट में विजय की आँखों के सामने आ गये थे, विजय ने अब अपने अंडरवियर को अपने हाथ से नीचे सरका दिया और अपने नंगे फनफनाते हुए लंड को शीला के चूतडों में डालकर धक्के लगाने लगा ।

"आआह्ह्ह्हह भइया क्या कर रहे हो । छोड़ो न मुझे" शीला अपने भाई के नंगे लंड को अपने चूतडो पर धक्के लगाने से सिसकते हुए बोली।
"क्यों रंडी मज़ा नहीं आ रहा क्या" विजय ने अब अपने लंड से ज़ोर से शीला के चूतडो पर धक्के मारते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह भैया आप गाली क्यों दे रहे हो छोड़ो मुझे" शीला को भी अब बुहत मजा आ रहा था। मगर वह नाटक करते हुए विजय से छोड़ने को कह रही थी ।
अचानक बाहर से किसी के क़दमों की आवाज़ आई।
"भइया कोई आ रहा है प्लीज मुझे छोड़ो" शीला ने क़दमों की आवाज़ सुनकर सीधा होकर विजय को मिन्नत करते हुए कहा । विजय को भी पता था की अगर ऐसी हालत में उन्हें किसी ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा। इसीलिए उसने शीला के पेट से अपना हाथ हटा लिया।

शीला विजय का हाथ हटते ही उस कमरे से निकल गयी । दरवाज़े से बाहर आते ही उसने देखा की कंचन आ रही थी।
 
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