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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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कंचन ने भी अब कोई विरोध नहीं किया और शावर के पानी से अपने पिता के साथ नहाने लगी । मुकेश ने नहाते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ पर मलने लगा, मुकेश साबुन को कंचन के चिकने पीठ पर मलते हुए नीचे होते हुए उसके दोनों चूतडों तक आ गया और अपनी बेटी के दोनों नर्म चूतडों पर साबुन को मलते हुए उन्हें अपने दुसरे हाथ से दबाने लगा ।

"आआह्ह्ह पिता जी क्या कर रहे हो । बस साबुन लगा लिया ना" कंचन ने सिसकते हुए कहा।
"बेटी थोडा झुक जाओ तुम्हारा हाथ इधर नहीं पुहंच पाता। इसीलिए यहाँ पर थोड़ी गंदगी है मैं इसे साफ़ कर देता हुँ" मुकेश ने अपनी ऊँगली को कंचन के गांड के बीच फिराते हुए कहा ।

"ओहहहहह पिता जी" कंचन ने थोडा झुकते हुए सिसककर कहा । मुकेश अब साबुन को अपनी बेटी के गांड के छेद से नीचे ले जाकर उसकी चूत तक मलने लगा। मुकेश के ऐसा करने से कंचन के मुँह से ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी । मुकेश थोडी देर तक अपनी बेटी के चूतडों को सही तरीके से साफ़ करने के बाद उठकर खडा हो गया ।

मुकेश अब साबुन को अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी चुचियों पर मलने लगा । मुकेश साबुन को अपनी बेटी की चुचियों पर मलते हुए उन्हें अपने हाथ से भी दबा रहा था।
"आजहहहह पिता जी क्या कर रहें हैं आप" मुकेश के ऐसा करने से कंचन के मुँह से बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकल रही थी, मुकेश अब साबुन को कंचन के चिकने गोरे पेट पर मलते हुए नीचे ले जाने लगा ।

मुकेश का हाथ अब उसकी बेटी की चूत की हलकी झाँटों तक आ गया था । कंचन ने मज़े के मारे अपनी आँखें बंद कर दी थी । वह अपने पिता की हरक़तों से बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी, मुकेश अब साबुन को अपनी बेटी की चूत पर मल रहा था और कंचन मज़े से सिसक रही थी ।

मुकेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को साबुन से साफ़ करने के बाद साबुन को नीचे रख दिया और कंचन की चूत को गौर से देखते हुए अपने होंठो को उसकी चूत पर रख दिया।
"ओहहहहहह पिताजी क्या कर दिया आपने" अपने पिता के होंठो को अचानक अपनी चूत पर महसूस करते ही कंचन ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

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मुकेश अपनी बेटी को कोई जवाब दिए बगैर उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी भी चाटने लगा । कंचन की हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी । उसका पूरा बदन तपकर आग बन चूका था, मुकेश ने अचानक अपनी एक ऊँगली को अपनी बेटी की चूत के छेद में ड़ालते हुए उसकी चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और उसे बुहत ज़ोर से चूसने लगा ।

कंचन अपने पिता की यह हरकत बर्दाशत न कर सकी और उसका पूरा जिस्म काँपने लगा।
"आह्ह्ह्ह ओहहह पिता जी ओह्ह्ह्हह्ह्" कंचन ने ज़ोर से सिसकते हुए अपने पिता को बालों से पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोड लगी, मुकेश अपनी बेटी की चूत का रस शावर के गिरते हुए पानी के साथ चाटने लगा ।

कंचन कुछ देर तक यों ही अपनी आँखें बंद करके झरने लगी।
"बेटी क्या हुआ मजा आया?" कुछ देर बाद जब कंचन ने अपनी आँखें खोली तो मुकेश ने उठकर उसके सामने खडा होते हुए पूछा।
"पिताजी" कंचन ने अपने पिता को अपनी बाहों में भर लिया और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठो को चूमने लगे ।
मुकेश का लंड बहुत ही कड़क हो चूका था।जिसे कंचन अपने कोमल हाथो से सहला रही थी।मुकेश ने कंचन को धीरे से घुटनो पर बिठा दिया और अपना लंड अपनी बेटी के होंठो पर रगड़ने लगा।कंचन अपने पिता के लंड को उछलता हुआ देखकर उसको अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।मुकेश अपनी बेटी की गरम मुँह में अपना लंड जोर जोर से पेलने लगा।कंचन अपने बाप के लंड को तेजी से चूसने लगी। 5 मिनट अपनी बेटी के मुँह को चोदने के बाद मुकेश ने अपनी बेटी के मुँह अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया जिसे कंचन पूरा चाट गई।

फिर बाप बेटी नंगे ही एक दूसरे को चूमने लगे।
कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठो से खेलने के बाद दोनों फ्रेश होकर बाथरूम से निकल गए ।

कंचन ने बाहर आते ही अपने कपडे पहने और अपने पिता के कमरे से निकलकर अपने कमरे की तरफ जाने लगी ।


विजय और शीला भी घर लौटने के लिए एक बस में चढ़ गए मगर बस में बुहत ज्यादा भीड़ थी । जिस वजह से दोनों को खडे होकर ही सफ़र करना पड़ा। शीला को खडे हुए अभी ज्यादा देर भी नहीं हुई थी की उसे पीछे से किसी ने धक्का मार दिया ।

शीला ने गुस्से में अपने पीछे की तरफ देखा।
"मैडम मैंने धक्का नहीं मारा । वह पीछे से किसी ने मारा था" शीला के पीछे एक बूढा खडा था । जिसने शीला को गुस्से में अपनी तरफ देखकर कहा तभी पीछे से किसी ने दूसरा धक्का मार दिया और वह बूढा सीधा शीला के ऊपर आ गिरा।
"सॉरी मैडम फिर से किसी ने धक्का दिया" उस बूढ़े ने अपने हाथों से शीला के दोनों कांधों को पकडे हुए उसके चुचियों के नंगे उभारों को घूरते हुए कहा ।

शीला ने गुस्से में उस बूढ़े को पकडकर अपने आप से दूर झटक दिया और विजय को उस तरफ करके खुद विजय की जगह ख़ड़ी हो गयी । शीला को अब कुछ सुकून महसूस हो रहा था क्योंकी उसे अब पीछे से कोई धक्का नहीं मार रहा था और उसके पीछे भी एक लड़का चश्मा पहने हुए खडा था जो सुरत से बुहत शरीफ दिख रहा था ।
 

Rakesh1999

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कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी कैसी लग रही है अपने विचार अवश्य दे।
 

ShivaRam

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Super duper hot update bro
 

Rakesh1999

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Super duper hot update bro


Thanks bro......
 

Rakesh1999

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Thanks.agla update kal sham ko.
 

Rakesh1999

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अपडेट 91





शीला को सुकून से खडे हुए अभी कुछ ही देर हुई होगी की उसे अपने चूतडों पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ । शीला ने जैसे ही पीछे की तरफ मुड़कर देखा उसके चूतडों से हाथ हट गया मगर उसके पीछे खडा हुआ वह चश्मू शीला को देखकर मुस्कुरा रहा था। शीला समझ गयी की यह उसी की हरकत थी जिसे वह शरीफ समझ रही थी वह भी हरामी निकला ।


शीला बस में कोई हंगामा खडा करना नहीं चाहती थी इसीलिए उसने चश्मू को देखकर गुस्से से अपना चेहरा फिर से दूसरी तरफ कर लिया । कुछ देर तक तो शीला को कुछ महसूस नहीं हुआ मगर थोडी देर बाद फिर से वही हाथ का स्पर्श उसे अपने चूतडों पर महसूस हुआ। शीला को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे ।


शीला ने एक बार फिर अपना मुँह घुमाते हुए उस चश्मू को देखा मगर इस बार उस हरामी ने शीला के देखने की भी कोई परवाह नहीं की और मुस्कराते हुए शीला के चुतड़ो को सहलाने लगा, शीला ने गुस्से से उस चश्मू का हाथ पकडकर अपने चूतडों से दूर झटक दिया ।


शीला ने उस चश्मू का हाथ अपने चुतडो से हटाने के बाद फिर से अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया । कुछ देर तक शीला को फिर से उस चश्मू ने हाथ लगाने की हिमत नहीं की। शीला ने भी मन ही मन में शुकर अदा किया की चलो अब बाकी का सफ़र उसे कोई तंग नहीं करेगा ।


कुछ देर सुकून से रहने के बाद उसने महसूस किया की उसके पीछे कोई चिपककर खडा है । शीला ने जैसे ही पीछे मुड़ने की कोशिश की तो उसके चूतड़ उसके पीछे खड़े आदमी की पेण्ट से जा टकराये और वह पीछे न मुड सकी।

"मैंडम बुहत ज्यादा भीड़ है पीछे मत मुडो" शीला के पीछे से किसी ने उसे समझाते हुए कहा ।


शीला चुपचाप सीधी होकर खड़ी हो गई । कुछ देर बाद ही उसने महसूस किया की उसके चूतडो पे कोई चीज़ चूभ रही है । शीला को यह समझने में देर न लगी की वह क्या है । इसीलिए वह थोडा आगे सरक गयी मगर दुसरे ही पल उसके चूतड़ों पर फिर से वही स्पर्श होने लगा, शीला के पास अब आगे सरकने की जगह भी नहीं थी। वह विजय से बिलकुल सटकर खड़ी थी जिस वजह से उसकी चुचियां विजय के सीने से टकरा रही थी।
 
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Rakesh1999

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"तुम्हारे पीछे वही चश्मू है अब तुम कुछ नहीं कर सकती। इसीलिए चुपचाप खड़ी होकर मज़े लो देखो की वह क्या करता है" विजय भी जो इतनी देर से सारा तमाशा देखकर मज़े ले रहा था उसने शीला के कान में कहा । शीला विजय की बता सुनकर हैंरान रह गयी मगर उसके पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था इसीलिए वह चुपचाप होकर खड़ी हो गई ।


वह चश्मू लड़का शीला का कोई विरोध न पाकर बुहत खुश हो गया और उसने अपने लंड को शीला के चूतडों पर ज़ोर से दबाते हुए अपना हाथ से शीला के एक हाथ को पकड़ लिया । शीला ने भी अपना हाथ उससे छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की, विजय का लंड भी यह सब देखकर उसकी पेण्ट में उठ चूका था ।


विजय ने भीड़ का फ़ायदा उठाते हुए अपनी पेण्ट की ज़िप को खोल दिया और शीला का दूसरा हाथ पकड़कर अपने खडे लंड पर रख दिया । शीला अचानक अपने हाथ को विजय के गरम नंगे लंड पर महसूस करके कांप उठी। उसने खवाब में भी नहीं सोचा था की बस में भी विजय ऐसा करने की हिम्मत करेगा ।


"विजय तुम क्या कर रहे हो किसी ने देख लिया तो" शीला ने अपने हाथ को विजय के लंड से हटाकर उसके कान में बड़बड़ाते हुए कहा।

"दीदी तुम डरो मत इतनी भीड़ में हमें कोई नहीं देख सकता। वैसे भी तुम मेरे और उसके बीच में फँसी हुई हो" विजय ने शीला के हाथ को फिर से अपने लंड पर रखते हुए कहा ।


शीला समझ गयी की विजय ऐसे नहीं मानेगा। इसीलिए वह अपने हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी । बस में इतनी ज्यादा भीड़ थी के किसी का धयान भी उसकी तरफ नहीं जा रहा था और वह खडी भी इस पोजीशन में थे की उन्हें कोई नहीं देख सकता था । मगर वह चश्मू जो शीला के पीछे खडा था सब कुछ देख रहा था।


शीला का हाथ विजय के लंड पर देखकर चश्मू का लंड भी झटके खाने लगा और उसने भी अपना हाथ शीला के हाथ से हटाते हुए अपनी पेण्ट की ज़िप खोल दी । शीला अचानक अपने हाथ से उस लड़के के हाथ के हटते ही सोचने लगी की अचानक उसे क्या हो गया कहीं वह खलास तो नहीं हो गया मगर अगले ही पल उसके पूरे जिस्म को चीटींया काटने लगी और उसका अंग अंग गरम होने लगा ।
 

Rakesh1999

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चश्मु ने अपनी पेण्ट की ज़िप खोलने के बाद शीला के हाथ को पकडकर अपने नंगे लंड पर रख दिया था। शीला को अपने हाथ में बुहत गरम और सख्त चीज़ महसूस हो रही थी वह समझ गयी थी की वह क्या है इसीलिए उसका पूरा जिस्म गरम हो गया था, वह चाह कर भी अपने हाथ को वहां से हटा नहीं पा रही थी क्योंकी उसे उस चश्मू का लंड पर अपना हाथ रखे हुए एक अन्जाना मजा आ रहा था ।


शीला की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा था । विजय भी यह सब देख रहा था जिस वजह से उसका लंड भी बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था, शीला के दोनों हाथों में लंड थे वह भी एक बस में मगर उसे डर से ज्यादा एक्साईटमेंट फील हो रही थी ।


शीला ने अपने दोनों हाथों से अब उन दोनों के लन्डों को सहलाना शुरू कर दिया था । उस चश्मू का तो मज़े के मारे बुरा हाल था वह अपने लंड पर शीला के नरम हाथ को आगे पीछे होता हुआ महसूस करके मज़े से हवा में उड़ रहा था, अचानक शीला ने महसूस किया की एक हाथ उसकी नंगी कमर से होता हुआ उसकी साड़ी के अंदर जाकर उसके नंगे चिकने पेट को सहला रहा है।


शीला ने जैसे ही नीचे देखा वह हाथ पीछे से आ रहा था जो उसके पेट को सहला रहा था । इसका मतलब वह हाथ उसके पीछे खड़े हुए आदमी का था । शीला भी बुहत गरम हो चुकी थी इसीलिए वह चुपचाप अपने दोनों हाथों से दोनों लन्डों को सहलाते हुए पीछे खड़े हुए आदमी के हाथ को अपने नंगे पेट पर महसूस करके मज़ा लेने लगी ।


वह हाथ कुछ देर तक शीला के पेट को ऊपर से नीचे तक सहलाने के बाद नीचे होता हुआ उसकी साड़ी के अंदर घुस गया और शीला के पेटिकोट के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा । शीला जो पहले से ही बुहत ज्यादा गरम थी अचानक पीछे खडे हुए आदमी की इस हरकत से सिहर उठी और उसकी चूत से मज़े के मारे ज्यादा पानी टपकने लगा ।
 
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