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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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शीला की पेंटी तो उसके चूत के पानी से पहले ही गीली हो चुकी थी। मगर अब उस शख्स का हाथ अपनी चूत पर लगते ही शीला का पेटिकोट भी उसके चूत के पानी से गीला होने लगा और उस आदमी का हाथ भी उसकी चूत के पानी से गीला होने लगा ।


चशमु का लंड अपने हाथ पर शीला की चूत का पानी महसूस करके और ज्यादा मोटा और गरम होकर झटके खाने लगा । शीला का हाथ उसके लंड को पकडे हुए आगे पीछे कर रहा था, शीला उस लंड को बिना देखे ही अपने हाथ में लेकर यह जान चुकी थी की उस शख्स का लंड बुहत मोटा और लम्बा है ।


विजय भी सब कुछ देख रहा था जब से उस शख्स का हाथ शीला की चूत की तरफ गया था तब से शीला के हाथ की पकड उसके लंड पर मज़बूत हो गई थी और वह उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर से विजय और उस चश्मू के लन्डों को आगे पीछे कर रही थी ।


विजय भी झरने के क़रीब आ चुका था इसीलिए उसने अपने एक हाथ से शीला की चूचि को पकड लिया । और साड़ी के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा । शीला का भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था।उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी वह किसी भी वक्त झड़ सकती थी इसीलिए उसका हाथ दोनों लन्डों पर बुहत ज़ोर से चल रहा था ।


अचानक उस शख्स के हाथ की रगड शीला की चूत पर तेज़ हो गई और उसका लंड भी ज्यादा कड़क हो गया । शीला समझ गयी की वह झरने वाला है इसीलिए वह जीतनी तेज़ी के साथ उसके लंड को सहला सकती थी सहलाने लगी, विजय का हाथ भी अब शीला की चूचि पर ज़ोर से चलने लगा क्योंकी वह भी झडने वाला था।


शीला ने भी अब मज़े से अपनी आँखें बंद कर ली थी क्योंकी उसके पेटिकोट और पेंटी के गीले होने की वजह से उस चश्मू का हाथ उसे अब सीधा अपनी चूत पर लगता हुआ महसूस हो रहा था।

"आआह्ह्ह मैडम" अचानक पीछे खडे शख्स ने अपना मुँह शीला के कान से सटाकर हलकी आह्ह्ह भरते हुए कहा और उसका हाथ शीला की चूत पर बुहत तेज़ी के साथ चलने लगा । शीला ने महसूस किया की उसके हाथ में कोई गरम चीज़ गिर रही है वह समझ गयी की वह शख्स झड़ चूका है ।
 
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Rakesh1999

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"आह्ह्ह्ह दीदी" दुसरे ही पल विजय ने भी हलकी सिसकि ली और उसके हाथ की पकड भी शीला की चूचि पर ज्यादा मज़बूत हो गई । शीला को अपने दुसरे हाथ में भी किसी गरम गरम चीज़ के गिरने का अहसास हुआ । शीला का पूरा जिस्म भी अकडकर काम्पने लगा और उसकी चूत भी झटके खाते हुए झडने लगी ।


शीला ने झरते हुए मज़े से अपने होंठो को अपने दांतों के बीच दबा लिया था क्योंकी वह कोई आवाज़ नहीं करना चाहती थी । जीतनी देर तक उसकी चूत से पानी निकलता रहा वह अपने दोनों हाथों से विजय और उस चश्मू के लंड को सहलाती रही, थोडी देर बाद जब उसने पूरी तरह झडने के बाद अपनी आँखें खोली तो उसको अहसास हुआ की उसके दोनों हाथों में उनदोनों के लंड झडकर मुरझा चुके हैं ।


शीला ने जल्दी से अपने दोनों हाथों को उन दोनों के लन्डों से अलग कर दिया । अपने लंड से शीला का हाथ हटते ही उस चश्मू ने अपना हाथ भी उसकी साड़ी के अंदर से निकाल दिया और अपने गीले हाथ को सूँघते हुए चाटने लगा, शीला ने अपने दोनों हाथों को अपनी पर्स में से रुमाल निकालकर साफ़ कर दिया ।


विजय और चश्मू ने अपने लन्डों को अंदर डालकर अपनी पेन्टस की जीपों को बंद कर दिया था और अब तीनों बिलकुल शांत होकर बस में खडे थे।

"मैंडम आपकी चूत के पानी की महक लाजवाब और उसका ज़ायक़ा बुहत शानदार और टेस्टी था। मैं तो आपके हुस्न का दीवाना हो गया हूँ" अचानक उस चश्मू ने अपना मूह शीला के कान के क़रीब लाते हुए कहा ।


"जो हुआ सो हुआ अब सब कुछ भूल जाओ" शीला ने भी धीरे से उसे समझाते हुए कहा।

"मैंडम अब ऐसे कैसे भूल सकता हूँ मैं आपको जो चाहिए दे सकता हूँ मगर एक बार मैं आपके जिस्म को जी भरकर भोगना चाहता हूँ" उस शख्स ने फिर से शीला के कान में कहा ।


"अपना मूह बंद करो वरना अभी शोर मचा कर तुम्हारी पिटायी करा दूंगी" शीला ने उस शख्स को धमकी देते हुए कहा । वह शख्स शीला की धमकी से डर गया और चुपचाप दूर होकर खडा हो गया, थोड़ी ही देर में बस का स्टोप आ गया और सब लोग बस में से उतरने लगे। शीला और विजय भी बस में से उतर गए ।
 
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Rakesh1999

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शीला दीदी बेचारा चश्मू तो तेरा दीवाना हो गया" विजय ने घर की तरफ बढ़ते हुए शीला को चिढाते हुए कहा।

"तुम चुप करो तुम्हारी वजह से ही मुझे वह सब करना पडा" शीला ने गुस्से में विजय की तरफ देखते हुए कहा।

"वाह उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। उस वक्त तुम तो साले चश्मू के हाथ से अपनी चूत को मज़े से मसलवा रही थी" विजय ने शीला की बात सुनकर कहा ।


"ठीक है। मैं अब उस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती" शीला ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।

"ठीक है दीदी जैसे आपकी मर्ज़ी मगर मुझे तो उस चश्मू बेचारे पर रहम आ रहा है" विजय ने फिर से मुस्कराते हुए कहा।

"तो ले जाओ न तुम्हारी बहन कंचन को उसके पास। मेरे पीछे क्यों पड़े हो" शीला ने गुस्से से विजय से कहा।


"ओहहहह शीला दीदी तुम नहीं जानती अगर तुम्हारी जगह कंचन भी होती तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होता बल्कि मैं तो खुद उसे चश्मू से चुदवाता" विजय ने हँसते हुए कहा।

"तुम तो बड़े बेशरम हो गये हो। जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती" शीला ने गुस्से से विजय से कहा और घर की तरफ बढ़ने लगी ।


विजय और शीला घर पुहंचकर अपने अपने कमरों में चले गए । रेखा कुछ देर तक शीला से बाते करने के बाद उसके कमरे से निकलकर अपने कमरे में जाने लगी, रेखा ने अपने कमरे के क़रीब पुहंचकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया तो वह खुल गया वह समझ गयी की उसकी बेटी वहां से चलि गयी है ।
 
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Rakesh1999

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रेखा ने दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हो गई वह अपने पति मुकेश के पास बेड पर जाकर बैठ गयी जो सामने बेड पर लेटा हुआ था।

"डालिंग क्या हुआ कैसी लगी अपनी बेटी की जवानी?" रेखा ने बेड पर बैठते ही मुकेश से पुछा।

"ओहहहहह डार्लिंग जब माँ ही इतनी हॉट और सेक्सी है तो उसकी बेटी तो एटम बम ही होगी ना" मुकेश ने रेखा का जवाब देते हुए कहा ।


"ह्म्म्म तो आपने अपनी बेटी का पूरा रस चख ही लिया" रेखा ने खुश होते हुए कहा।

"हाँ डार्लिंग मैंने अपनी प्यारी बेटी को पूरी तरह से भोग लिया" मुकेश ने अपनी पत्नी से कहा और उसे सारी बात डिटेल में बता दिया की कैसे उसने और उसकी बेटी ने आपस में मज़े किये ।


"डालिंग यह तो बुहत अच्छा हुआ की कंचन और तुम्हारे बीच की सारी झिझक ख़तम हो गई मगर अभी मुझे तुम्हारे सामने विजय से चुदवाना है और तुम्हें उसके सामने कंचन को चोदना है" रेखा ने अपने पति के तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा।

"डालिंग यह तुम क्या कह रही हो और तुम ऐसा क्यों करना चाहती हो?" मुकेश ने हैंरान होते हुए कहा।


"मेरे प्यारे पतिदेव क्या हम सारी ज़िंदगी छुपकर एक दुसरे से चुदवाते रहेंगे जबकी हम सब एक दुसरे के बारे में अच्छी तरह से जानते है" रेखा ने मुकेश को समझाते हुए कहा।

"मगर यह सब हम दीदी के जाने के बाद कर सकते है" मुकेश ने रेखा को सलाह देते हुए कहा।

"उसके जाने के बाद हमें बाबू जी को भी अपने साथ शामिल करना है इसीलिए हमें अभी से एक दुसरे के सामने खुलकर मजा लेना चाहिये" रेखा ने मुकेश की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा ।


"ठीक है डार्लिंग जैसे तुम्हारी मर्ज़ी मुझे तो इस बारे में सोचते ही अभी से कुछ हो रहा है" मुकेश ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा और दोनों पति पत्नी आपस में बाते करने लगे । शीला जैसे ही अपने कमरे में दाखिल हुई वह यह देखकर हैंरान रहगयी की कंचन बेड पर लेती हुई थी और उसके बाल भीगे हुए थे जिसका मतलब वह कुछ देर पहले ही नहायी थी ।
 
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शीला ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और कंचन से कुछ पूछने से पहले खुद बाथरूम में घुसकर फ्रेश होने लगी ।शीला फ्रेश होने के कंचन के पास बेड पर बैठ गयी और अपने हाथों से कंचन के बालों को सहलाने लगी।

"हम्म्म कौन है?" कंचन को सोये हुए अभी इतनी देर नहीं हुई थी इसीलिए वह अपने बालों पर हाथ लगते ही कच्ची नींद से जागते हुए बोली ।


"दीदी जिसका सपना देख रही थी वह तो मैं नहीं हू" शीला ने कंचन को चिढाते हुए कहा।

"अरे दीदी तुम आ गयी और आते ही फिर से शुरू भी हो गयी" कंचन ने शीला को देखते ही बेड से उठकर बैठते हुए कहा।

"मैं तो आ गयी मगर तुम्हें क्या हुआ है?" शीला ने कंचन की आँखों में देखते हुए कहा।

"क्यों क्या हुया" कंचन ने शीला की बात सुनकर घबराकर अपनी आँखों को झुकाते हुए कहा वह समझ रही थी की शीला को किसी ने उसके और उसके पिता के बारे में बता दिया है ।


क्यों दीदी नज़रें क्यों झुका दिया ऐसा क्या कर दिया आपने जो मुझसे नज़रें भी नहीं मिला पा रही हो" शीला ने कंचन के सर को पकडकर ऊपर करते हुए कहा।

"कुछ नहीं दीदी कुछ नहीं हुआ है" शीला की बात सुनकर कंचन समझ गयी की उसे कुछ पता नहीं है इसीलिए उसने अपने आपको संभालते हुए कहा।

"तो दीदी यह क्या है आपने आज तीसरी बार नहाया है सच बताओ कहीं मेरे जाने के बाद भैया तो नहीं आये थे?" शीला ने कंचन की आँखों में देखते हुए कहा ।


"दीदी ऐसी कोई बात नहीं है यहाँ पर कोई नहीं आया था" कंचन ने शीला को जवाब देते हुए कहा।

"देखो दीदी आप मुझे जानती हैं । मैं तुम्हारा पीछा तब तक नहीं छोड़ने वाली जब तक तुम मुझे सच नहीं बता देती" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"शीला दीदी आप बताओ कहीं रास्ते में भैया ने तो कोई गड़बड़ नहीं की जो आते ही आपने नहाया" कंचन ने बात को बदलते हुए कहा ।
 
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Rakesh1999

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"दीदी चलो पहले मैं ही बताती हूँ मगर फिर आपको भी सब सच बताना होगा" शीला ने कंचन की बात सुनते हुए कहा और अपने साथ बस में होने वाली हर बात को डिटेल में कंचन को बता दिया।

"शीला दीदी तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आई। बस में यह सब करते हुये" कंचन ने शीला की पूरी बात सुनने के बाद हैंरान होते हुए कहा ।


"कंचन दीदी जो भी मेरे साथ हुआ मैंने तुम्हें सच बता दिया । अब जल्दी से तुम भी सच सच बताओ" शीला ने उत्तेजना में कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"शीला दीदी मुझे पता है आप ऐसे नहीं मानेंगी मगर तुम्हें मुझसे एक वादा करना होगा की यह बात तुम किसी और को नहीं बताओगी" कंचन ने शीला की बात सुनकर अपने सर को झुकाते हुए कहा ।


"ठीक है दीदी मैं वादा करती हूँ अब जल्दी से बताओ" शीला ने उत्तेजना में बोलते हुए कहा । कंचन ने शीला को अपने और उसके पिता के साथ हुए सेक्स के बारे में सब कुछ बता दिया की कैसे उसने अपने पिता के साथ सेक्स करके मज़ा लूटा।

"कंचन दीदी मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है" कंचन की बात सुनकर शीला ने उत्तेजना में आकर कंचन को अपनी बाहों में भरते हुए कहा ।


"शीला दीदी मैं यह सब कर चुकी हूँ मगर फिर भी मुझे अपने आप पर यकीन नहीं हो रहा है की मैं यह सब की तो आपको कैसे यकीन होगा" कंचन ने शीला को उत्तेजित देखकर कहा और वह दोनों आपस में बैठकर बाते करने लगीं ।


विजय जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ उसने देखा नरेश बेड पर लेटा हुआ है वह नरेश से बात किये बिना बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर बाहर निकल आया।

"साले रास्ते में भी मेरी बहन को नहीं छोड़ा क्या?" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।

"क्यों बे मूह क्यों लटका हुआ है दीदी ने कुछ करने नहीं दिया क्या?" विजय ने नरेश की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा ।
 
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Rakesh1999

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"साले तुम्हें कुछ पता भी है यहाँ क्या हो रहा है" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।

"क्या हुआ है?" विजय ने नरेश के पास बैठते हुए कहा। नरेश ने विजय को रेखा की सुनाई हुई सारी बात बता दी।

"नरेश तुम क्या कह रहे हो । मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है" नरेश की बात सुनकर विजय ने हैंरान होते हुए कहा ।


"साले मुझे भी मामी ने यह सब बताया है मुझे भी तुम्हारी तरह शॉक लगा था जब मामी ने मुझे यह सब बताय था" नरेश ने विजय की बात सुनकर कहा।

"नरेश मगर पिता जी तो बुहत शरीफ दीखते हैं वह ऐसा कैसे कर सकते है" विजय ने नरेश की बात सुनकर कहा।

"हाँ साले मैं भी पहले ऐसे ही समझता था की मामा बुहत शरीफ हैं मगर वह भी तुम्हारा बाप है तो तुमसे तो दो कदम आगे ही होगा साले वह मेरी माँ को भी चोद चूका है" नरेश ने गुस्से से विजय की तरफ देखते हुए कहा ।


"साले तो गुस्सा क्यों होते हो तुमने भी तो उसकी पत्नी और बेटी की ले ली है" विजय ने नरेश की बात सुनकर हँसते हुए कहा।

"हँस साले हँस मगर मैं आज मामी की गांड ऐसे मारूँगा के साले तुम भी सारी ज़िंदगी याद रखोगे" नरेश ने विजय को हँसता हुआ देखकर कहा।

"साले मार लेना मुझे कुछ फर्क नहीं पडता" विजय ने नरेश को देखते हुए कहा ।


"तुम बताओ साले रास्ते में क्या किया तुमने दीदी के साथ" नरेश ने कुछ देर बाद शांत होते हुए कहा।

"कुछ ख़ास नहीं यार" विजय ने नरेश की बात सुनकर कहा और उसने बस वाली सारी बात नरेश को बता दिया।

"साले बुहत कमीने हो। तुम ने मेरी दीदी से किसी अन्जान मरद के लंड को सहलवाया" नरेश ने विजय की बात को सुनकर कहा।

"साले वह भी बुहत गरम हो गई थी तो मैंने उसे शांत करवा दिया" विजय ने हँसते हुए कहा और दोनों आपस में बैठकर बाते करने लगे ।


ऐसे ही दिन बीत गया और रात का खाना खाने के बाद सब लोग सोने की तैयारी करने लगे । मनीषा अपने कमरे में करवटें लेते हुए सब लोगों के सोने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकी उसका दर्द अब ख़तम हो चुका था और आज उसकी चूत में भी बुहत खुजली हो रही थी इसीलिए उसने आज फिरसे अपने पिता के साथ सोकर अपनी प्यास बुझाने का प्लान किया था ।
 
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Rakesh1999

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"साले मेरा लंड दोपहर से मुझे तंग कर रहा है। तेरी माँ कब आएगी और मेरे लंड की प्यास ख़तम होगी" नरेश ने विजय की तरफ देखकर अपने लंड को सहलाते हुए कहा।

"जा बे जब तक माँ आये तुम एक बार शीला दीदी को जाकर चोद ले। साली वह भी दोपहर से गरम है" विजय ने नरेश को सलाह देते हुए कहा।

"साले अगर शीला को चुदता देखकर तेरी बहन गरम हो गई तो फिर उसे कौन शांत करेंगा" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा ।


"तु उसे इधर भेज दो तब तक मैं उससे बातें करता हुँ।" विजय ने नरेश को सलाह देते हुए कहा।

"हाँ यह ठीक है" नरेश ने खुश होते हुए कहा और वहां से निकलकर अपनी बहन के कमरे में आ गया।

"भइया तुम अकेले क्या बात है" शीला ने अचानक नरेश को कमरे में देखकर हैरान होते हुए कहा ।


"कंचन दीदी वह विजय भैया आपको बुला रहे है" नरेश ने कंचन को देखते हुए कहा । कंचन ने उस वक्त एक नाईट ड्रेस पहन रखी थी । नरेश की बात सुनकर वह वहां से निकलकर विजय के कमरे में चलि गई, कंचन के जाते ही नरेश ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और अपने कपड़ों को अपने जिस्म से अलग करने लगा ।


"क्या बात है भैया आज मेरी याद की आ गई" नरेश को कपडे उतारता देखकर शीला ने कहा।

"बाते बाद में कर लेंगे पहले काम ख़तम कर लुँ" नरेश ने पूरी तरह नंगा होने के बाद कहा और शीला के क़रीब जाकर उसको अपनी बाहों में भरकर चूमने लाग, नरेश ने अपनी बहन के होंठो को चूमते हुए उसके नाईट ड्रेस को खोल दिया और उसे शीला के जिस्म से अलग कर दिया ।


नाईट ड्रेस के हटते ही शीला का गोरा जिस्म सिर्फ ब्रा और पेंटी में नरेश के सामने चमकने लगा । नरेश का लंड शीला के जिस्म को देखकर उत्तेजना के मारे झटके खाने लगा, शीला भी दोपहर से अपने जिस्म की आग से जल रही थी वह अपने सामने अपने जवान भाई का कड़क लंड देखकर अपने आपको रोक न सकी और अपने भाई के लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी ।
 
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नरेश का पूरा जिस्म अपनी बहन का नरम हाथ अपने लंड पर पडते ही कांप उठा और वह अपनी बहन के होंठो को चूमते हुए उसकी ब्रा को उतारने लगा। ब्रा के उतरते ही नरेश ने अपनी बहन को अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर जाकर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों के बीच आकर अपनी बहन की गोरी गोरी चुचियों से खेलने लगा ।


नरेश का नंगा लंड सीधा शीला की पेंटी पे टक्कर मार रहा था। जिस वजह से उत्तेजिन के मारे शीला के मूह से ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी और उसकी चूत से बुह ज़्यादा पानी निकल रहा था।

"आहहह भैया कुछ करो न क्यों तडपा रहे हो" शीला ने उत्तेजना में आकर अपने भाई को बालों से पकडकर अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा ।


नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसकी चुचियों को छोडकर नीचे होने लगा । नरेश ने अपने मूह को शीला की पेंटी तक लाकर रोक दिया और अपनी दीदी की गीली पेंटी को अपने नाक से तेज़ साँसें लेते हुए सूँघने लगा, नरेश कुछ देर तक अपनी बहन की पेंटी को सूँघने के बाद अपना मुँह उसके ऊपर रख दिया ।


"आहहह भैया" नरेश का मुँह अपनी पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत पर लगने से शीला ने सिसकते हुए कहा। नरेश ने कुछ देर तक अपनी बहन की पेंटी को चूमने के बाद उसकी पेंटी में हाथ डालकर उसे अपनी बहन के जिस्म से अलग कर दिया। पेंटी के हटते ही शीला की रस टपकाती चूत नरेश के सामने आ गयी ।


नरेश ने अपनी बहन की गीली चूत को एक बार देखा और नीचे झुककर अपने होंठो को अपनी बहन की चूत के पतले होंठो पर रख दिया।

"आहहह भैया ओह्ह" नरेश के होंठ अपनी चूत पर पडते ही शीला के मुँह से ज़ोर की सिसकी निकल गयी और वह अपने हाथ से अपने भाई के बालों को सहलाते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी ।


नरेश कुछ देर तक अपनी बहन की चूत को अपनी जीभ से चाटने के बाद सीधा होते हुए अपना फनफनाता हुआ लंड अपनी बहन की चूत पर घीसने लगा।

"आह्ह्ह्ह ओह भैया डाल दो ना" शीला ने अपने भाई के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा और अपने चूतडों को उठाकर अपने भाई के लंड पर दबाने लगी ।
 

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नरेश ने अपना लंड शीला की चूत पर रखा और एक ज़ोरदार झटके के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।

"उईई भैया ओह्ह्ह्ह" एक ही धक्के में अपने भाई का पूरा लंड अपनी चूत में घूसने से शीला के मुँह से ज़ोर की चीख़ निकल गयी । नरेश ने अब अपने लंड को शीला की चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था ।


शीला भी अब मज़े से अपनी टांगों को नरेश की कमर में डालकर उसके लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होता हुआ महसूस कर रही थी । नरेश जैसे ही अपने लंड को शीला की चूत से बाहर खींचकर वापस धक्का मारता तो वह अपने चूतडों को भी उछालकर नरेश के लंड पर दबा देती जिस वजह से पूरे कमरे में धप धप की आवाज़ें गूँजने लगी ।


यह खेल दोनों भाई बहन के बाच 30 मिनट तक चलते रहा उन 30 मिनटों में नरेश ने अपनी बहन को हर तरीके से चोदा। इस बीच शीला भी दो बार झडी एक बार बीच में और दूसरी बार अपने भाई का गरम वीर्य अपनी चूत में गिरने से । वह दोनों निढाल होकर बेड पर पड़े हुए थे दोनों के जिस्म पसीने से भरे हुए थे ।


कंचन कमरे से निकलकर अपने भाई के कमरे में आ गयी विजय अपनी बहन को देखकर उठते हुए बेड पर बैठ गया।

"भइया आपने मुझे बुलाया?" कंचन ने खडे हुए ही विजय से पूछा।

"हाँ दीदी आओ बैठो वह साले नरेश को आग लगी हुयी थी इसीलिए उसने आपको यहाँ भेज दिया" विजय ने कंचन को देखते हुए कहा ।


विजय की बात सुनकर कंचन विजय के साथ बेड पर जाकर बैठ गई।

"दीदी क्या बात है आज बुहत भाव खा रही हो । कहीं पिताजी के साथ ज्यादा मज़ा तो नहीं आ गया तुम्हें" कंचन के बैठते ही विजय ने उसे टोकते हुए कहा।

"भइया आपसे किसने कहा?" कंचन ने हैंरान होते हुए विजय से पुछा। वह जिस बात से डर रही थी वही हुआ । विजय को उसके बारे में पता लग चूका था ।


"दीदी मुझसे भला कोई बात चुप सकती है" विजय ने कंचन को देखते हुए कहा।

"भइया वह माँ ने कहा" कंचन ने शर्म से अपना कन्धा झुकाकर सिर्फ इतना कहा।

"अरे शर्माओ मत मुझे कोई ऐतेराज़ नहीं है" विजय ने कंचन को शरमाता हुआ देखकर कहा ।
 
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