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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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अचानक दरवाज़ा खुला और रेखा अंदर दाखिल हो गई कंचन अपनी माँ को देखकर बेड से उठकर खड़ी हो गई।

"अरे वाह यहाँ तो बहन भाई का प्यार चल रहा है" रेखा ने अंदर दाखिल होते ही कंचन को घूरते हुए कहा।

"आप कहो तो यहाँ पर माँ बेटे का प्यार शुरू कर दूं" विजय ने बेड से उठकर अपनी माँ को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए कहा ।


"छोड़ो नालायक मुझे। कुछ तो शर्म करो" रेखा ने अचानक अपने बेटे की इस हरकत से परेशान होकर उसे अपने आप से दूर धकेलते हुए कहा।

"क्यों माँ क्या हुआ अपनी बेटी के सामने शर्म आ रही है" विजय ने अपनी माँ से दूर होते ही हँसकर कहा।

"हँस ले बेटे तेरी हंसी को अभी बंद करती हूँ" रेखा ने विजय को हँसता हुए देखकर गुस्से से कहा ।


"क्यों माँ क्या बात है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर परेशान होते हुए कहा।

"अरे बेटे तुम परेशान क्यों होते हो। वह तुम्हारे पिता आज मुझे तुमसे चुदता हुआ देखना चाहते हैं और कंचन को तेरे सामने चोदना चाहते है" रेखा ने विजय के पास जाकर हँसते हुए कहा ।


"क्या?" कंचन और विजय के मुँह से हैंरानी के मारे एक साथ निकला।

"क्यों बेटे क्या हुआ?" रेखा ने वैसे ही मुस्कराते हुए कहा।

"माँ पिता जी के सामने । कहीं आप मज़ाक तो नहीं कर रही है?" विजय ने हैंरानी से अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।

"बेटे तुम्हें यह मज़ाक लग रहा है?" रेखा ने विजय की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।


"मगर माँ हम यह नहीं कर सकते" इस बार कंचन ने बोलते हुए कहा।

"नही दीदी हम करेंगे जैसे पिताजी कहेंगे वैसे ही" अचानक विजय ने बीच में बोलते हुए कहा।

"बुहत खूब यह हुई न मरदों वाली बात" रेखा ने खुश होते हुए कहा । कंचन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है । इसीलिए वह चुपचाप खड़ी थी ।


"आओ दोनों मेरे साथ" रेखा ने विजय और कंचन को देखते हुए कहा।

"माँ मगर नरेश हमें यहाँ न देखकर क्या सोचेगा वह तो आपका बेसबरी से इंतज़ार कर रहा था" विजय ने अपनी माँ को देखते हुए कहा।

"तुम उसकी फिकर मत करो उसे बाद में समझ लेंगे" रेखा ने विजय की बात का जवाब देते हुए कहा और वहां से बाहर जाने लगी । विजय भी कंचन का हाथ पकडकर अपनी माँ के साथ उसके कमरे की तरफ बढ़ने लगा ।
 

Rakesh1999

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अपडेट 94 A





विजय अपनी बहन के साथ अपनी माँ के पीछे उसके कमरे में पुहंच चूका था । रेखा ने सभी के अंदर दाखिल होने के बाद दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और खुद कंचन को पकड़कर अपने पति के पास ले जाने लगी।

"डालिंग तुम बच्चों को ले आई। अरे बेटे तुम इतनी दूर क्यों खड़े हो इधर आकर हमारे साथ बैठो" मुकेश ने विजय को दूर खड़ा देखकर कहा ।


"तुम अपनी बेटी को संभालो बुहत शर्मा रही है अपने बेटे को मैं खुद संभाल लूंग़ी" रेखा ने कंचन को अपने पति के पास बेड पर बिठाते हुए कहा।

"हाँ मैं अपनी प्यारी बच्ची को अपने साथ बिठाता हूँ और हम दोनों पहले माँ बेटे का प्यार देंखेंगे ताकी हमारी बेटी की सारी झिझक और शर्म ख़तम हो सके" मुकेश ने बेड से उठकर अपनी बेटी का हाथ पकडते हुए कहा और उसके साथ सामने पड़े सोफ़े पर जाकर बैठ गया ।


"क्यों बेटे आज इतना क्यों शर्मा रहे हो आओ मेरे पास और अपने पिता के सामने मेरे सारे बदन की आग बुझा दो" मुकेश के उठते ही रेखा ने अपनी नाईट ड्रेस को उतार दिया और बेड पर बैठते हुए अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा । रेखा के बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी थी जिस में उसकी बड़ी बड़ी गोरी चुचियों आधी से ज्यादा ब्रा के बाहर नंगी नज़र आ रही थी और उसकी छोटी सी पेंटी रेखा के बड़े मांसल चूतडों के बीच में ही फंसकर रह गयी थी। जिस वजह से उसके मोटे मोटे चूतड़ बिलकुल नंगे ही नज़र आ रहे थे ।


विजय अपनी माँ की बात सुनकर बेड की तरफ बढ़ने लगा । विजय का लंड अपनी माँ की गोरी चिकनी टांगों और भरे हुए भूरे जिस्म को नंगा देखकर पेण्ट में ही झटके खा रहा था, विजय जैसे ही बेड के क़रीब पुहंचा रेखा बेड से उठकर उससे लिपट गयी और अपने बेटे के सर को पकड़कर उसके पूरे चेहरे को जगह जगह चूमने लगी ।


विजय अपनी माँ के इस रूप को देखकर ज्यादा गरम हो गया और अपनी माँ के नंगे चूतडों में हाथ डालकर उसके बदन को अपने बदन से सटा दिया । विजय अपनी माँ के नंगे चूतडों को ज़ोर से मसलते हुए उसकी चूत को अपनी पेण्ट पर दबाने लगा, रेखा भी अपने बेटे को गले लगाकर मज़े से उसके सीने से अपनी चुचियों को दबाते हुए उसके काँधे को चूमने लगी ।
 

Rakesh1999

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मुकेश अपनी पत्नी और बेटे को इस हालत में देखकर गरम होने लगा और उसने कंचन को कमर से पकड़कर अपनी गोद पर बिठा दिया । कंचन पहले तो अपने पिता से छूटने की कोशिश करने लगी पर जब उसने देखा की उसके पिता उसे नहीं छोड़ने वाले तो वह चुप होकर अपने पिता की गोद में बैठ गयी और अपनी माँ और भाई की तरफ देखने लगी ।


विजय कुछ देर तक अपनी माँ के मोटे चूतड़ों को मसलने के बाद अपना हाथ वहां से हटाकर अपनी माँ के बालों में डाल दिया और उसके सर को पकड़कर अपने होंठो को अपनी माँ के गुलाबी होंठो पर रख दिया । रेखा अपने बेटे के होंठो को अपने होंठो पर महसूस करते ही मज़े के मारे पागल हो गई और वह अपने बेटे के होंठो को बुहत ज़ोर से चूसने लगी, रेखा और विजय कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठो को बुहत ज़ोर से चूसते रहे और कुछ देर बाद वह दोनों अपनी साँसें अटकने की वजह से एक दुसरे के होंठो से जुदा होकर हाँफने लगे ।


रेखा ने कुछ देर तक तेज़ साँसें लेने के बाद अपने हाथ से विजय की शर्ट को उसके जिस्म से अलग कर दिया और खुद अपने होंठो से विजय के पूरे सीने को चूमने लगी । रेखा ने अपने बेटे को सीने को चूमते हुए अपनी जीभ निकल ली और अपने बेटे के सीने पर फिराते हुए नीचे जाने लगी, विजय का मज़े के मारे बुरा हाल था। वह अपनी आँखें बंद किये हुए ज़ोर से सिसक रहा था।


रेखा अपनी जीभ को नीचे ले जाते हुए अपने बेटे की पेण्ट तक आ गयी और अपने हाथ से विजय के लंड को पेण्ट के ऊपर से ही सहलाने लगी । रेखा ने कुछ देर तक अपने बेटे के लंड को पेण्ट के ऊपर से ही सहलाने के बाद अपने हाथ से विजय की पेण्ट को खोलकर उसके जिस्म से अलग कर दिया, पेण्ट के हटते ही अंडरवियर में इतना मोटा और लम्बा उभार देखकर मुकेश की आँखें फटी की फटी रह गयी ।


मुकेश ने खवाब में भी नहीं सोचा था की उसके बेटे का लंड इतना बड़ा होगा। विजय के लंड को देखते ही मुकेश का लंड भी उसकी पेण्ट में झटके खाने लगा ।मुकेश ने अपने बेटे और बीबी को देखते हुए अपने हाथों से कंचन की नाइटी को आगे से खोल दिया और अपने दोनों हाथों से अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी चुचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही पकडकर सहलाने लगा ।
 

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कंचन भी अपनी माँ और भाई को देखकर गरम हो गई थी । इसीलिए उसने भी अपने पिता से कोई विरोध नहीं किया और चुप चाप अपनी चुचियों को अपने बाप के हाथों से मसलवाने लगी । रेखा ने अपने बेटे की पेण्ट को उतारने के बाद सीधा होते हुए अपने बेटे को हाथ से पकड़कर बेड पर सीधा लिटा दिया, रेखा अपने बेटे को बेड पर लिटाने के बाद खुद भी बेड पर चढते हुए विजय की टांगों के पास बैठ गई ।


रेखा ने एक नज़र अपने बेटे के झटके खाते हुए लंड को उसके अंडरवियर के ऊपर से देखा और नीचे झुककर उसे अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी । रेखा ने अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए अपनी जीभ निकाली और अंडरवियर के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड पर अपनी जीभ फिराने लगी।

"आजहहह माँ" विजय ने ज़ोर से सिसकते हुए अपना हाथ रेखा के बालो में डाल दिया ।



रेखा ने अपने बेटे के लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही जीभ से चाटते हुए अपना मुँह खोला और विजय के लंड का सुपाडा अपने मुँह में भर लिया । रेखा अपने बेटे के लंड के सुपाडे को अंडरवियर के ऊपर से ही अपने मुँह में लेकर अपने दांतों से हल्का हल्का सा काटने लगी।

"उईई माँ क्या कर रही हो" विजय अपने लंड पर अपनी माँ के दांतों को महसूस करते ही उछलते हुए बोला ।


रेखा ने अपने बेटे के लंड को अपने मुँह से निकाला और अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर उसके लंड के ऊपर बैठ गई । रेखा अपने बेटे के लंड पर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत पर पेंटी के ऊपर से ही घीसने लगी। रेखा बुहत गरम हो चुकी थी इसीलिए उसकी चूत से बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था और रेखा के मुँह से उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकल रही थी।


विजय की हालत भी बुहत खराब हो चुकी थी इसीलिए उसने अपनी माँ को कमर से पकडकर नीचे झुका दिया और उसकी बड़ी बड़ी चुचियों के उभारों को अपने होंठो से चूमने लगा । विजय ने अपनी माँ की चुचियों को चूमते हुए उसकी ब्रा को पीछे से खोल दिया और उसे अपनी माँ के जिस्म से अलग करते हुए बेड पर फ़ेंक दिया ।
 

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ब्रा के हटते ही रेखा की बड़ी बड़ी चुचियाँ उछलते हुए विजय के सामने आ गयी । विजय ने अपने दोनों हाथों से अपनी माँ की दोनों चुचियों को पकडा और उन्हें ज़ोर से मसलते हुए एक एक करके अपने मूह में लेकर चूसने और चाटने लगा।

"ओहहहह बेटे चूसो अपनी माँ की चुचियों का पूरा रस चूस लो" रेखा ने अपनी चुचियों को विजय के मुँह में महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।


अपनी बीबी और बेटे को देखते हुए मुकेश की हालत भी बिगडती जा रही थी इसीलिए उसने कंचन को अपनी गोद से उठाते हुए सोफ़े पर बिठा दिया और खुद की शर्ट और पेण्ट को अपने जिस्म से अलग कर दिया। मुकेश ने अपने कपडे उतारने के बाद कंचन की नाइटी को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया और खुद सोफ़े पर सीधा होकर लेट गया, मुकेश ने सोफ़े पर लेटने के बाद अपनी बेटी को भी हाथ से पकडते हुए अपने ऊपर लिटा दिया ।


अपने पिता के ऊपर लेटते ही कंचन के मुँह से एक कामुक सिसकी निकल गयी क्योंकी उसकी पेंटी पर उसके पिता का लंड चूभ गया था, कंचन भी बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूत से बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था । मुकेश का लंड भी अपनी बेटी की नरम चुचियों को अपने सीने पर लगते ही ज़ोर से झटके खाते हुए कंचन की चूत पर टक्कर मारने लगा ।


मुकेश ने अपनी बेटी के बालों में हाथ डालकर उसके लबों को अपने होंठो से सटा दिया और अपनी बेटी के रसीले होंठो को चूमने लगा । कंचन भी अपने पिता के होठो को अपने लबों पर महसूस करके मज़े से अपने पिता के साथ खोती चली गई, वह दोनों अब एक दुसरे के होंठो को बुरी तरह से चूस और चाट रहे थे ।


इधर विजय ने अपनी माँ की चुचियों को कुछ देर चूसने और चाटने और काटने के बाद अपने ऊपर से हटाते हुए सीधा लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आकर अपनी माँ के पूरे जिस्म को चूमता हुआ नीचे उसकी पेंटी तक आ गया । विजय ने अपना मुँह अपनी माँ की पेंटी पर रख दिया और बुहत ज़ोर से साँसें लेते हुए उसकी चूत के रस की गंध को महसूस करने लगा ।
 
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Rakesh1999

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आहहह बेटे क्या कर रहे हो?" रेखा ने सिसकते हुए कहा।

"ओहहह माँ क्या गंध है आपके चूत की" विजय ने अपने मूह को अपनी माँ की चूत से हटाते हुए कहा और अपने हाथों को अपनी माँ की पेंटी में डालकर उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया, पेंटी के हटते ही रेखा की गोरी रस टपकाती फूली हुई चूत विजय की ऑंखों के सामने आ गयी ।


कंचन और मुकेश कुछ देर तक एक दुसरे के होंठो से खेलने के बाद शांत होकर विजय और रेखा की तरफ देख रहे थे । मुकेश ने अचानक कंचन को अपने ऊपर से उठाते हुए उसे अपने साथ बेड की तरफ ले जाने लगा, मुकेश अपनी बेटी कंचन के साथ बेड के दुसरे कोने में जा बैठा और नज़दीक से अपनी पत्नी और बेटे को देखने लगा ।


विजय ने अपनी माँ की दोनों टांगों को पकड़कर पूरी तरह से खोल दिया और खुद उसकी फूली हुयी चूत को गौर से देखते हुए अपने अंडरवियर को उतारने लगा।

"कंचन दीदी इधर आओ और अपनी माँ की चूत को चाट कर मेरे लिए तैयार करो" विजय ने अपना अंडरवियर उतारने के बाद अपनी बहन को कलाई से पकडकर अपने पास खींचते हुए कहा ।



नहीं भैया मुझे छोड़ो। मैं यह सब नहीं कर सकती" कंचन ने अचानक अपने भाई की इस हरकत से झटपटाते हुए कहा । मुकेश का लंड भी अपने बेटे की इस हरकत से उत्तेजना में आकर झटके खाने लगा।

"बेटी क्यों शरमा रही वह तेरी माँ ही तो है" मुकेश ने भी उत्तेजना में डूबकर अपने लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए कंचन से कहा ।


"नही मैं यह नहीं करूंग़ी" कंचन ने इन्कार करते हुए कहा।

"साली तुम बुहत नखरे करने लगी हो लो अब चाट" विजय ने गुस्से में आकर अपनी बहन को बालों से पकड़कर अपनी माँ की चूत पर झुकाते हुए कहा। विजय के ऐसा करने से कंचन के होंठ सीधा उसकी माँ की चूत पर जा टकराए, कंचन ने अपना मुँह वहां से हटाने की बुहत कोशिश की मगर विजय ने उसे बुहत ज़ोर से अपनी माँ की चूत पर दबा रखा था जिस वजह से उसका मुँह वहां से हटने की बताये रेखा की चूत पर ही रगडने लगा ।
 
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"आह्ह्ह्ह बेटी क्या कर रही हो अपनी माँ की चूत को जीभ से चाट" रेखा ने अपनी चूत पर अपनी बेटी के होंठ महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुय कहा । कंचन के पास अब कोई रास्ता नहीं था । इसीलिए वह अपनी जीभ निकालकर अपनी माँ की चूत पर फेरने लगी, पहले तो कंचन को अपनी माँ की चूत का स्वाद कुछ अजीब लगा मगर थोड़ी देर बाद ही उसे अपनी माँ की चूत को चाटते हुए मजा आने लगा ।


"ओहहहह बेटी हाँ ऐसे ही" रेखा ने अपनी बेटी की जीभ अपनी चूत पर लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

"शाबास दीदी अब आओ मेरे लंड को भी चाट कर गीला कर दो " विजय ने अपनी बहन को वैसे ही बालों से पकड़कर अपनी माँ की चूत से अलग करते हुए कहा।

"ओहहहह भैया मेरे बालों को तो छोड़ो" कंचन ने इस बार चीखते हुए कहा ।


"ओहहहह सॉरी दीदी" विजय ने कंचन की बात सुनकर उसके बालों से अपने हाथ को हटाते हुए कहा । कंचन अब अपने भाई के फनफनाते हुए लंड को अपने हाथ में पकडकर अपनी जीभ से चाटने लगी।

"आजहहह दीदी इसका सुपाडा मुँह में लो ना" विजय ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । कंचन अपने भैया की बात सुनकर उसके लंड के सुपाडे को मुँह में ले लिया और अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगी ।


"आहहह बस साली यहीं पर झड़ा देगी क्या?" विजय ने अपनी बहन के सर को पकड़कर अपने लंड से हटाते हुए कहा और खुद अपनी माँ की टांगों के बीच आ गया।।

"इधर आओ और मेरे लंड को पकड़कर अपनी माँ की चूत में डालो दीदी" विजय ने कंचन को देखते हुए कहा । कंचन की हालत भी बुहत खराब हो चुकी थी वह बुरी तरह से हवस की आग में जल रही थी ।


कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर नशीले अन्दाज़ में ऊपर होते हुए अपने भाई के लंड को पकड़कर अपनी माँ की छूट के छेद पर रख दिया । विजय ने अपने लंड को एक हल्का धक्का मारा उसका मुसल लंड रेखा की गीली चूत में आधा ग़ायब हो गया।

"आह्ह्ह्ह बेटा" अपने बेटे का आधा लंड घुसते ही रेखा के मुँह से ज़ोर की सिसकी निकल गयी ।
 
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विजय ने अपने लंड को थोडा बाहर खींचकर एक करारा धक्का मार दिया । इस बार विजय का पूरा लंड रेखा की चूत में सरकता हुआ अंदर घुस गया।

"आह्ह्ह्ह बेटा कितना तगड़ा लंड है तेरा" रेखा ने इस बार भी ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।


मुकेश आँखें फाड़े हुए अपने पत्नी को अपने बेटे से चुदवाते हुए देख रहा था । उसे अब भी यकीन नहीं आ रहा था की उसकी पत्नी की चूत में उसके बेटे का इतना बड़ा लंड घुस गया है और वह उत्तेजना में आकर अपने लंड को अपने अंडरवियर के ऊपर से सहला रहा था । विजय अब अपनी माँ की चूत में अपने लंड को बुहत ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा ।


रेखा भी अपने चूतडो को उठाकर उठाकर अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में ले रही थी और बुहत ज़ोर से सिसक भी रही थी । मुकेश अपनी पत्नी के क़रीब आ गया और विजय के हर धक्के के साथ अपनी पत्नी की हिलती हुयी बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा।

"आह्ह्ह्ह डार्लिंग देखो तुम्हारा बेटा कितना बड़ा हो गया है वह अपनी माँ को की खुश कर रहा है" रेखा ने मुकेश को अपने क़रीब देखते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।


"डालिंग मैं भी अपने बेटे को ही देख रहा हूँ और मुझे अपने आप पर गर्व हो रहा है की मेरा बेटा कितना बड़ा और ताक़तवर हो गया है की वह अपने सारे घर की इज्ज़त को खुद ही सँभाल रहा है" मुकेश ने अपनी बीवी की चुचियों को ज़ोर से मीसते हुए कहा और अपनी पत्नी की चूत की तरफ देखने लगा जहाँ विजय का लंड बुहत तेज़ी के साथ अंदर बाहर हो रहा था ।


"आह्ह्ह्ह बेटे ज़ोर से मैं झरने वाली हूँ" अचानक रेखा ने ज़ोर से चीखते हुए कहा । विजय अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत में तूफ़ान की तेज़ी के साथ अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और रेखा भी बुहत ज़ोर से अपने चूतड़ों को उछाल उछालकर अपने बेटे से चुदवाने लगी ।


"ओहहहहह बेटे मैं आई शहहहः" रेखा का बदन अचानक अकडने लगा और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोडने लगी। झडते हुए रेखा ने ज़ोर से सिसकते हुए अपनी आँखों को बंद कर दिया । विजय अपनी माँ की चूत में वैसे ही तेज़ी के साथ धक्के मारते रहा, रेखा की चूत के झड जाने के सबब अब विजय का लंड जैसे ही उसकी माँ की चूत में अंदर बाहर होता फच फच की आवाज़ें गूँजने लगती ।
 

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"डालिंग तुम नहीं जानते तुम्हारे बेटे से चुदवाते हुए मुझे कितना ज्यादा मजा आता है" रेखा ने भी झडने के बाद अपनी आँखें खोल दी और अपने पति को हाथों से पकडकर अपने ऊपर गिरा दिया । रेखा अपने पति के होंठो को चूमने लगी और मुकेश भी अपनी पत्नी को चूमने लगा ।


विजय के लंड से अभी तक पानी नहीं निकला था इसीलिए वह बिना रुके अपनी माँ को चोदे जा रहा था ।कंचन की हालत भी बुहत ख़राब हो चुकी थी। वह अपनी माँ को अपने भाई से चुदता हुआ देखकर अपनी पेंटी के ऊपर से अपनी चूत को सहला रही थी, कंचन अचानक उठते हुए अपने भाई के पीछे आ गयी और विजय को पीछे से पकडकर उसकी पीठ पर अपनी चुचियों को मसलने लगी ।


विजय का लंड पहले से ही पत्थर जैसे सख्त होकर उसकी माँ की चूत में अंदर बाहर हो रहा था । ऊपर से अपनी बहन की इस हरकत से उसका लंड और ज्यादा मोटा होकर रेखा की चूत में झटके खाते हुए अंदर बाहर होने लगा।

"आजहहह बेटे अचानक क्या हो गया तुम्हें उइइइइ तुम्हारा इतना मोटा कैसे हो गया" रेखा को भी अब अचानक महसूस हुआ की विजय का लंड बुहत ज्यादा फूल गया है जिस वजह से उसने अपने पति के होंठो को छोडते हुए ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा ।


विजय अपनी माँ को बिना कोई जवाब दिए उसकी चूत में अपना लंड बुहत तेज़ी और ताक़त के साथ अंदर बाहर करने लगा । रेखा भी कुछ ही देर में फिर से गरम होकर सिसकने लगी और वह अपने बेटे के हर धक्के का जवाब अपने चूतडों को उछालकर देने लगी।

"आह्ह्ह्ह माँ मैं झडने वाला हूँ" विजय ने अचानक सिसकते हुए कहा ।


"ओहहहहह बेटे अपनी माँ की चूत में ही झडना" रेखा ने अपने चूतडों को ज़ोर से उछालते हुए कहा।

"आआह्ह्ह्ह ले महसूस कर अपने बेटे के वीर्य को ओह्ह्ह्हह" विजय कुछ ही धक्के मारने के बाद ज़ोर से अपना लंड रेखा की चूत में पूरा घुसाकर ज़ोर से सिसकने लगा।

"वह बेटे तुम्हारा वीर्य तो सीधा मेरी बच्चेदानी में गिर रहा है कितना गरम है।आह मैं भी आ रही हू" रेखा अपने बेटे के लंड से निकलता हुआ गरम वीर्य अपनी चूत के इतने अंदर महसूस करके खुद को न रोका सकी और अपनी आँखें बंद करते हुए झडने लगी ।

विजय अपनी माँ को दूसरी बार झडता हुआ देखकर अपना लंड उसकी चूत में फिर से तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगा और पूरी तरह झडने के बाद वहीँ पर अपनी माँ के ऊपर ढेर हो गया । विजय का लंड अब सिकूड़कर उसकी माँ की चूत से निकल चूका था और रेखा की चूत से उसका और विजय का मिला जुला वीर्य निकलकर बेड पर गिरने लगा ।
 

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रेखा ने कुछ देर तक यों ही पडे रहने के अपने बेटे को अपने ऊपर से हटाते हुए साइड में कर दिया और खुद उठकर बाथरूम में चलि गयी । विजय बेड पर लेटे हुए अपनी बहन और पिता को देखने लगा, कंचन ने मुकेश के अंडरवियर को उतार दिया था और खुद नीचे झुककर अपने बाप के लंड को चूम रही थी ।


मुकेश का लंड अपनी बेटी के होंठो के छूते ही ज़ोर के झटके खाने लगा जिसे कंचन ने अपने हाथ से पकड लिया और अपनी जीभ निकालकर बड़े प्यार से उसके सुपाडे पर फिराने लगी।

"ओहहहह बेटी" कंचन की जीभ अपने लंड के सुपाडे पर पडते ही मुकेश सिसक उठा और उसके लंड से प्रिकम की बूँदे निकलने लगी जिसे कंचन ने अपनी जीभ से चाट लिया ।


"आहहह बेटी बस अब बर्दाशत नहीं होता" मुकेश ने यह कहते हुए अपनी बेटी के सर को पकड़कर उसे सीधा बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया ।मुकेश अपनी बेटी के सारे चेहरे को चूमते हुए उसकी चुचियों तक आ गया, मुकेश अपनी बेटी के ब्रा को उसकी चुचियों से हटाते हुए उन्हें बारी बारी अपने मुँह में लेकर चूसने और चाटने लगा ।


"आहहह पिता जी आज क्या मेरी चुचियों को चूसते रहोगे" कंचन ने ज़ोर से सिसककर अपने चूतडों को उछालते हुए कहा।

"नही बेटी आज तो मैं तुम्हारे सारे जिस्म को चूम चाटकर मजा लूँगा" मुकेश ने कंचन की तड़प को देखकर उसकी चूचि को अपने मुँह से निकालते हुए कहा ।


"तो चाटिये ना" कंचन ने अपने पिता को सर से पकड़कर अपनी चूत के पास दबाते हुए कहा । मुकेश समझ गया की कंचन बुहत ज्यादा गरम हो चुकी है इसीलिए उसने अपने हाथों से कंचन की पेंटी को उसके जिस्म से अलग कर दिया और खुद उसकी टांगों के बीच बैठकर अपनी बेटी की कमसीन गुलाबी चूत को निहारने लगा ।
 
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