• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
मुकेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को गौर से देखने के बाद अपने होंठो को अपनी बेटी की चूत के छोटे लबों पर रख दिया।

"ईसस्स्स्शह्ह्ह्ह पिता जी" अपने पिता के होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही कंचन का सारा जिस्म मज़े से कांप उठा । मुकेश अपनी बेटी की चूत के छोटे लबों को अपने होंठो से चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उनके बीच डालकर अंदर बाहर करने लगा।


"आह्ह्ह्हह पिताजी" अपने पिता की जीभ के लगते ही कंचन बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को उछालकर अपने पिता के मुँह पर अपनी चूत दबाने लगी । मुकेश को भी अपनी बेटी की चूत से उत्तेजना के मारे निकलना वाला पानी बुहत ज्यादा मज़ा देने लगा। इसीलिए वह अपनी बेटी की चूत को बुहत ज़ोर से अपनी जीभ से चोदने लगा ।


विजय का लंड अपने पिता और कंचन को देखकर फिर से खड़ा होने लगा । वह उन्हें बड़े गौर से देख रहा था । कंचन की हालत बुहत खराब हो चुकी थी । वह इतनी देर से अपनी माँ और भाई का खेल देखकर बुहत गरम हो चुकी थी और अब वह झरने के बिलकुल क़रीब थी उसका पूरा जिस्म अकडकर झटके खा रहा था ।


मुकेश भी कंचन की हालत देखकर यह समझ गया की वह झडने वाली है इसीलिए उसने अपना पूरा मुँह खोलकर कंचन की चूत को अपने मुँह में भर लिया । और उसे बुरी तरह चाटने लगा।

"उईई पिताजी इसशहहहह मैं आई आह्ह्ह्हह" कंचन अपने बाप की यह हरकत सह न पाई और वह बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए झडने लगी । कंचन ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और अपने पिता के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया ।


कंचन जब तक पूरी तरह झडकर शांत नहीं हुयी तब तक उसका बाप उसकी चूत को अपने मुँह में भरे हुए उसका वीर्य चाटता रहा । कंचन के पूरी तरह झडने के बाद मुकेश ने अपना मूह अपनी बेटी की चूत से हटाया और उसकी टांगों को उठाकर उसके पेट पर रख दिया ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
कंचन ने अपनी आँखें खोल दी थी और वह नशीली आँखों से अपने पिता को देख रही थी।

"बेटी पेल दूं अंदर" मुकेश ने अपने खडे लंड को अपनी बेटी की चूत के छेद पर रखकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।

"हाहहह पिताजी आपने तो मुझे पागल कर दिया है पेल दो अपना लंड अपनी बेटी की चूत में और अपनी बेटी की सारी खुजली मिटा दो" कंचन ने गरम होते हुए कहा।


"ओहहहह बेटी लो अपने पिता के लंड को अपनी चूत में महसूस करो" मुकेश ने कंचन की चूत में अपना लंड एक ही झटके में पूरा घुसाते हुए कहा और कंचन की चूत को बुहत ज़ोर से चोदने लगा और अपनी बेटी के गोरे गोरे गालो को काटने लगा।

रेखा बाथरूम से निकलकर वापस बेड पर आ गयी थी। वह अपनी बेटी को यो अपने पिता से अपने चूतडों को उछाल उछालकर चुदवाता हुआ देखकर हैंरान रह गयी, कंचन अपने पिता से चुदवाते हुए बुहत ज़ोर से सिसक रही थी और अपने पिता के हर धक्के का जवाब अपने चूतडों को उछालकर दे रही थी ।


आह्ह्ह्ह बेटी कितनी गरम और टाइट चूत है तुम्हारी ओह्ह्ह्हह" मुकेश भी सिसकता हुआ बुहत ज़ोर से अपनी बेटी को चोद रहा था । विजय का लंड अब पूरी तरह से तन चूका था उसने अपनी माँ को पकडकर उलटा कर दिया और खुद उसके पीछे आकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद में रखकर धक्का मार दिया।

"उई हारामखोर आराम से नहीं डाल सकता क्या। आज मेरी चूत फाड ही डालोगे" रेखा ने एक ही झटके में अपने बेटे का मुसल लंड पीछे से अपनी चूत में पूरा घूसने से ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा ।


"साली रंडी चिल्ला तो ऐसे रही है जैसे हम तुम्हारी चूत से नहीं गांड से निकले हैं। तीन बच्चों की माँ होकर भी लंड घूसने से चिल्लाती है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर गुस्से से उसकी गांड पर थप्पड मारते हुए कहा।

"ओहहहह साले मादरचोद अपना लंड देखा है किसी मरद का लंड हो तो झेल लूँ। मगर यहाँ तो गधे के लंड से चुदवाना पड़ता है" रेखा ने भी अपने बेटे की गाली का जवाब उसी अन्दाज़ में देते हुए कहा ।


मुकेश अपनी पत्नी और बेटे की बाते सुनकर हैंरान रह गया।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
अपडेट 94C





"आप को क्या हुआ पिताजी आप भी तो बहनचोद और बेटीचोद बन चुके हो फिर इनकी गाली सुनकर क्यों रुक गए । छोड़ो इन्हें और अपनी बेटी की जवान चूत का मजा लो" कंचन ने अपने पिता के रुक जाने से उसे जोश दिलाते हुए कहा ।


"ओहहहह बेटी मेरी जान तुम भी तो अपने भाइयों से चुदवाने के बाद मुझसे भी चुदवा रही हो फिर तुम क्या हुई" मुकेश ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए कहा।

"हाहहहहह भाईचोद और बापचोद हूँ मैं अपने पिता और भाई का लंड मेरी चूत में घुसते ही इतना मजा आता है की मैं बयान नहीं कर सकती" कंचन ने सिसकते हुए कहा ।


विजय भी अपनी माँ को दूसरी बार जम कर चोदने लगा । वह बुहत तेज़ी के साथ अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था । इधर मुकेश इतनी देर से अपनी बेटी को चोदते हुए थक चूका था और वह झडने के बिलकुल क़रीब था इसीलिए वह कंचन को चोदते हुए बुरी तरह से हांफ रहा था।

"क्या हुआ पिताजी थक गए क्या इतनी जल्दी" कंचन ने अपने पिता को हाँफता हुआ देखकर अपने चूतडों को ज़ोर से उछालते हुए कहा ।


"हाँ बेटी मैं झडने वाला हूँ" मुकेश ने अपनी बेटी को ज़ोर से पेलते हुए कहा।

"आआह्ह्ह पिता जी बस 2 मिनट मैं भी झरने के क़रीब हूँ" कंचन ने अपनी टांगों को अपने पिता की कमर में फँसाकर अपने चूतडों को ज़ोर से उछालते हुए बोली।

"आह्ह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह्हह मैं गया" कुछ ही धक्को के बाद मुकेश ने ज़ोर से हाँफते हुए अपनी बेटी की चूत में अपना वीर्य भरना शुरू कर दिया ।


"ओह्ह्ह्ह्ह पिताजी आअह्ह्ह्ह कितना गरम है ओह्ह्ह्हह मैं भी आईईई" कंचन भी अपनी टांगों को अपने पिता की कमर पर कसकर ज़ोर से चिल्लाते हुए झडने लगी । कंचन ने झडते हुए अपनी आँखों को बंद कर लिया, मुकेश जब तक कंचन की चूत में पानी निकालता रहा वह भी उसकी चूत में अपना लंड लंड अंदर बाहर करते हुए झडता रहा और दोनों बाप बेटी पूरी तरह से झडने के बाद एक दुसरे की बाहों में निढाल होकर हाँफने लगे ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
रेखा भी अपने बेटे से चुदवाते हुए एक दफ़ा झड चुकी थी और अब वह सीधा होकर विजय से चुदवा रही थी 10 मिनट की चुदाई के बाद विजय का बदन अकडने लगा और वह अपनी माँ की टांगों को पकड़कर उसकी चूत में बुहत भयानक धक्के मारने लगा।

"हाय्य्य्य्य बेटे ओह्ह्ह्हह क्या हुआ अचानक" रेखा ने अचानक विजय के लंड को ज्यादा फूलकर अपनी चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए पाकर चिल्लाते हुए कहा।


"आआह्ह्ह्ह माँ मैं झरने वाला हुँ" विजय ने वैसे ही तेज़ धक्कों के साथ अपनी माँ को चोदते हुए कहा।

"ओहहहह बेटे झडते वक्त तो तुम्हारा लंड और ज्यादा मोटा और टाइट हो जाता है आह्ह्ह्हह" रेखा ने भी अपने बेटे के धक्को का जवाब अपने चूतडों को उछालकर देते हुए कहा ।


"ओहहहहह माँ मैं आया" विजय ने अचानक ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा और बुहत तेज़ अपनी माँ की चूत में तेज़ धक्के मारते हुए झडने लगा।

"आहहह बेटे आईई मैं भी आई । तुम्हारा वीर्य तो मेरी बच्चेदानी में गिर रहा है ओह्ह्ह्हह्ह" रेखा भी अपने बेटे के लंड से निकालते हुए वीर्य को अपनी चूत की गहराईयों में महसूस करके ज़ोर से चिल्लाकर झडते हुए कहा ।


विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चूत को अपने वीर्य से भरने के बाद उससे अलग होकर साइड में लेट गया । रेखा की चूत से विजय का लंड निकलते ही दोनों का मिला जुला वीर्य निकलकर बेड पर गिरने लगा, सभी लोग कुछ देर तक वैसे ही शांत पडे रहे और कुछ देर बाद विजय और कंचन बाथरूम से फ्रेश हुए और अपने अपने कमरों में जाने लगे ।

नरेश अपनी बहन को चोदने के बाद जब अपने कमरे में पुहंचा तो वहां पर विजय और कंचन को न पाकर वह समझ गया की ज़रूर उसके साथ आज दगाबाजी हो गई है और रेखा उन दोनों को अपने कमरे में ले गयी है। नरेश गुस्से से रेखा को गाली देते हुए अपने कमरे में बेड पर लेट गया मगर उसे नींद नहीं आ रही थी वह करवटे लेते हुए विजय के आने का इंतज़ार करने लगा ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
डालिंग कैसा लगा मज़ा आया की नही" सब के जाते ही रेखा ने वैसे ही नंगी अपने पति के पास जाकर उसे गले लगाते हुए कहा।

"ओहहहह डार्लिंग मैं लफ़्ज़ों में बयान नहीं कर सकता की मुझे कितना मज़ा आया और तुम्हें अपने बेटे के बड़े लंड से चुदवाते हुए देखकर तो कुछ ज्यादा ही मज़ा आया" मुकेश ने रेखा को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।।


दोनों पति पत्नी वैसे ही नंगे एक दुसरे की बाहों में बातें करते हुए नींद की आग़ोश में चले गए । मनीषा मौका देखते ही अपने बापू के कमरे में आ गयी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।

"बेटी तुम आ गयी तबीयत कैसी है?" अनिल ने मनीषा के अंदर दाखिल होते ही उसे देखते हुए कहा ।


"बापु जी तबीयत को ठीक करने ही तो यहाँ आई हूँ" मनीषा ने अपनी नाइटी को उतारकर नीचे फेंकते हुए कहा । नाइटी के उतरते ही मनीषा का गोरा जिस्म बल्ब की रोशिनी में चमकने लगा।

"ओहहहह बेटी आओ आज मैं तुम्हारी तबीयत को अच्छे तरीके से ठीक कर देता हूँ" मनीषा की बात सुनकर अनिल ने बेड से उठकर अपनी धोती को उतारकर दूर फेंकते हुए कहा ।


अनिल की धोती के हटते ही उसका मुसल लंड ज़ोर के झटके खाता हुआ मनीषा को सलामी देने लगा।

"बापु जी" मनीषा अपने पिता के खडे लंड को देखकर भागते हुए जाकर उससे लिपट गयी और दोनों बाप बेटी एक दुसरे को ज़ोर से अपनी बाहों में भरते हुए एक दुसरे के सारे चेहरे को चूमने और चाटने लगे ।


अनिल और मनीषा दोनों के जिस्म आग की तरह गरम हो गये थे । अनिल ने मनीषा को अपनी बाहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और उसको चेहरे से लेकर पाँव तक चूमने और चाटने लगा, अनिल ने अपनी बेटी को चूमते हुए उसके सारे कपडे उतार दिये और फिर दोनों के बीच होने वाले सेक्स का खेल फिर से शुरू हो गया ।

अनिल ने आज अपनी बेटी को दो बार जम कर चोदा। उस चुदाई में मनीषा 4 बार झडी और अब दोनों बाप बेटी एक दुसरे की बाहों में पड़े हुए हांफ रहे थे।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
"वाहहहह पिता जी आज तो आपने मेरी जान ही निकाल दी" मनीषा ने अपने पिता के सीने में अपनी चुचियों को दबाते हुए कहा।

"हाहहह बेटी। मेरी जान तो तुम हो मैं तुम्हारी जान कैसे ले सकता हूँ" अनिल ने मनीषा को देखते हुए कहा और उसके होंठो को चूम लिया ।


मानिषा कुछ देर तक अपने पिता से बातें करने के बाद उनके कमरे से निकलकर अपने कमरे में आ गयी । विजय अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया उसने देखा नरेश बेड पर लेटा हुआ है।

"साले आ गया कहाँ गए थे और मामी कहाँ है आज। उसने अपनी गांड देने का वादा किया था" नरेश ने विजय को देखते ही बेड से उठकर सीधा होते हुए कहा।।


"साले मजा । आज कुछ नहीं मिलेंगा" विजय ने नरेश को देखते हुए कहा।

"क्या मतलब है तुम्हारा?" नरेश ने विजय को गुस्से से देखते हुए कहा । विजय नरेश को गुस्से में देखकर उसके साथ जाकर बेड पर बैठ गया और सारी बात उसे बता दिया।

"साले तू कंचन को अकेले वहां भेज देते और हम दोनों मामी का मजा लेते" नरेश ने विजय को देखते हुए कहा।

"मेरे हाथ में कुछ थोडे ही था । तुम चिंता मत करो कल माँ की गांड को भी देख लेंगे" विजय ने नरेश को तसल्ली देते हुए कहा ।


विजय बेड से उठकर बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया और इधर नरेश बड़बड़ाते हुए बेड पर लेट गया । कंचन ने भी अपने कमरे में आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और खुद अपनी नाइटी को वहीँ छोडकर बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई, कंचन नहाने के बाद बाहर निकलकर बेड पर जाकर लेट गयी ।


कंचन को यह देखकर जान में जान आई की शीला सो चुकी थी और वह बगैर किसी सवाल का जवाब दिए आराम से सो सकती थी । कंचन बुहत थक चुकी थी इसीलिए बेड पर लेटते ही वह नींद के आग़ोश में चली गयी ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
अपडेट 95




रेखा ने हर रोज़ की तरह सुबह उठकर अपने पति को नाश्ता बनाकर दिया और वह नाश्ता करने के बाद ऑफिस के लिए निकल गए । रेखा अपने पति के जाने के बाद घर के काम में मसरुफ हो गयी, घर का सारा काम ख़तम करने के बाद उसने सभी को उठा दिया और उनके लिए नाश्ता बनाने लगी ।


रेखा ने नाश्ता बनाने के बाद टेबल पर लगा दिया । जहाँ पर सभी लोग बैठकर नाश्ता करने लगे।

"भाभी अभी मेरे पति का फ़ोन आया था उनका काम ख़तम हो गया है और वह आज ही लौट रहे हैं। इसीलिए हमें भी शाम को वापस जाना होगा" सभी लोगों ने जैसे ही नाश्ता ख़तम किया मनीषा ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।

"मानिषा अचानक यह सब? चलो कोई बात नहीं जैसे आप ठीक समझो" रेखा ने मनीषा की बात सुनने के बाद हैंरान होते हुए कहा ।


अपनी माँ की बात सुनकर सबसे ज़्यादा बड़ा झटका नरेश को लगा था उसको अपने सारे सपने अधूरे दिखाई देने लगे। वह अपनी मामी की गांड मारने के खवाब देख रहा था जो अब उसे एक खवाब ही लग रहा था। मनीषा ने नाश्ते की टेबल से उठते हुए वापस जाने की तैयारियाँ करने लगी । उसने अपने बेटे और दोनों बेटियों से भी अपना सामान पैक करने के लिए कह दिया ।


"यार एक तो तुम आज मुझसे जुदा हो रहे हो और ऊपर से तुम अपना मुँह भी लटकाये हुए हो" विजय ने नरेश से शिकायत करते हुए कहा।

"साले तुम्हारी वजह से आज मुझे अपनी मामी की गांड का मजा लिए बिना वापस जाना पड़ रहा है" नरेश ने वैसे ही गुस्से से अपना मुँह लटकाये हुए कहा और अपने कपडे बैग में ड़ालने लगा ।


"साले हरामी तुम्हे अपने यार से बिछड़ने का कोई गम नहीं है अब भी तुझे गांड की पड़ी है" विजय ने गुस्से से आगबबूला होकर कहा । विजय की आँखों से आंसू निकल रहे थे।

"सॉरी यार मुझे माफ़ कर दो । मैं हवस में अँधा हो गया था" विजय को रोता हुआ देखकर नरेश ने उसके पास जाते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
"जा मुझे तुमसे बात नहीं करनी" विजय ने नखरा करते हुए कहा।

"सोच ले यार मैं अगर चला गया तो फिर मत कहना की मैंने तुमसे बात नहीं की" नरेश ने विजय के काँधे पर हाथ रखते हुए कहा।

"हाँ सोच लिया जाओ मैं तुमसे बात नहीं करता" विजय ने नरेश का हाथ अपने काँधे से हटाते हुए कहा ।


"देख यार अब तो माफ़ कर दे । मैं हर चीज़ बर्दाशत कर सकता हूँ मगर अपने यार का गुस्सा नही" नरेश ने अपने कान पकड़कर उठक बैठक करते हुए कहा।

"नरेश यह तुम क्या कर रहे हो मुझे माफ़ कर दो मेरे यार" विजय ने भाग कर नरेश को अपने गले से लगाते हुए कहा और दोनों दोस्त एक दुसरे को गले लगाते हुए रोने लगे ।


"साले अब तो बस कर न और एक बार हँस दे" नरेश ने विजय को रोता हुआ देखकर कहा।

"तुम जा रहे हो यार फिर मैं कैसे हँस सकता हूँ" विजय ने नरेश को जवाब देते हुए कहा।

"तो क्या तुम मुझे रोते हुए विदा करोगे । साले मैं तेरा यार हूँ कोई बहन नहीं जो तुम रो रहे हो" नरेश ने विजय को चिढाते हुए कहा ।


"साले तुम सुधरोगे नही" नरेश की बात सुनकर विजय ने हँसते हुए कहा और दोनों आपस में बाते करने लगे।

"शीला दीदी क्या तुम सच में जा रही हो" कंचन ने शीला को अपना सामान पैक करते हुए देखकर कहा।

"हाँ कंचन दीदी हम आज शाम को ही चले जाएंगे" शीला ने भी बुझे मन से कंचन की तरफ देखते हुए कहा।


"शीला दीदी वापस जाकर हमें भूल तो नहीं जाओगी?" कंचन ने शीला को देखते हुए कहा।

"कंचन दीदी आप नहीं जानती की हमें यहं से जाते हुए कितना बुरा लग रहा है" शीला ने कंचन की बात सुनकर कपड़ों को छोडकर उसे गले लगाते हुए कहा। शीला की आँखों से आंसू निकल रहे थे।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
"दीदी हम कितने बूरे हैं हमने तुम्हें रुला दिया" कंचन भी शीला को रोता हुआ देखकर खुद को रोक न सकी और उसे कसकर अपने गले से लगाते हुए रोने लगी ।


"कंचन दीदी आपके साथ रहते हुए हम यह भूल गए थे की हमें जाना भी होगा" शीला ने सुबकते हुए कहा।

"सही कहा शीला दीदी हमें भी बुहत बुरा लग रहा है मगर कर भी क्या सकते हैं" कंचन ने शीला के आंसू को अपने हाथ से साफ़ करते हुए कहा।

"दीदी मुझसे एक वादा करो" शीला ने कंचन का हाथ पकडते हुए कहा ।


"हाँ दीदी बताओ न हम तुमसे वादा करते है" कंचन ने शीला को देखते हुए कहा।

"कंचन दीदी तुम डेली फ़ोन पर मुझसे बात करोगी" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"पगली वह तो मैं वैसे ही करूंगी मैं तुम्हें भुला नहीं सकती" कंचन ने शीला को हँसते हुए कहा और दोनों आपस में बाते करने लगी ।


इधर पिंकी का भी वही हाल था। वह कोमल के साथ इतने दिनों तक रहने के बाद वहां से जाते हुए बुहत बुरा फील कर रही थी और वह भी आज कोमल के साथ बैठकर जी भरकर बाते करने लगी । मनीषा अपना सामन पैक करने से पहले अपने बापू के कमरे में चली गई।

"बेटी तुम्हें यह क्या हो गया अचानक तुम क्यों जा रही हो?" मनीषा को अपने सामने देखकर अनिल ने सवालों की बौछार कर दी।


"बापु मुझे कुछ नहीं हुआ है वह आपके दामाद अचानक वापस लौट रहे हैं तो मुझे भी वापस जाना होगा" मनीषा ने अनिल को समझाते हुए कहा।

"ठीक है बेटी जैसे तुम्हारी मर्जी" अनिल ने मायूस होते हुए कहा।

"अरे पिता जी आप क्यों मायूस हो रहे हैं रेखा भाभी है न आपका ख़याल रखने के लिये" मनीषा ने मुस्कराते हुए कहा।

"बेटी तुम भी न आओ आखरी बार तुम्हें मैं अपने गले लगा लुँ" अनिल ने मनीषा को देखते हुए कहा ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,424
159
मानिषा अपने पिता की बात सुनकर उनके क़रीब जाकर खड़ी हो गई । अनिल ने मनीषा के क़रीब आते ही उसे अपने बाहों में भर लिया।

"बेटी एक आखरी चुम्मा तो देती जाओ फिर ज़िंदगी में मुलाक़ात हो न हो" अनिल ने अपनी बेटी के होंठो की तरफ देखते हुए कहा।

"पिताजी आप कैसी बाते कर रहे हैं हम मिलते रहेंगे" मनीषा ने गुस्से से अपने पिता को देखा और अपने होंठो को उनके गाल पर रखकर एक किस दे दिया ।


"वाह बेटी यह कोई किस हुई अच्छी तरह से दो ना" अनिल ने मनीषा के किस करने के बाद उसकी तरफ देखते हुए कहा।

"दिया तो अब कैसे दूं आप ही बताओ" मनीषा ने नखरा करते हुए कहा।

"सोच लो बेटी अगर खुद ही दे दिया तो फायदे में रहोगी" अनिल ने अपनी जीभ को निकालकर अपने होंठो पर फेरते हुए कहा।

"इस वक्त फायदे नुकसान की किसे चिंता है" मनीषा ने भी थोडा रोमांटिक होते हुए कहा ।


अपनी बेटी की बात सुनकर अनिल ने उसे सर से पकडते हुए अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और उसके दोनों होंठो को पूरी तरह अपने मुँह में लेकर बुरी तरह से चूसने लगा । मनीषा ने भी मज़े से अपने हाथों को अपने पिता के सर में डाल दिया, दोनों बाप बेटी कुछ मिनटों तक एक दुसरे में खोये रहे और उसके बाद हाँफते हुए एक दुसरे से अलग हो गये ।


"पिता जी मुझे अपना सामन पैक करना है मैं चलती हू" अपने पिता से अलग होते ही कुछ देर तक तेज़ साँसें लेते हुए अपनी उखड़ी साँसों को सीधा करने के बाद मनीषा ने अनिल से कहा और वहां से निकलकर अपने कमरे में आ गयी । ऐसे ही टाइम गुज़रता गया दोपहर का लंच सब ने साथ में किया और फिर अपने अपने कमरों में चले गए ।


शाम हो चुकी थी और मुकेश भी घर आ चुका था
उसे सब कुछ बता दिया गया था । मनीषा अपने तीनों बच्चों के साथ वहां से जाने के लिए तैयार हो चुकी थी। मनीषा और उसके तीनों बच्चों ने आखरी बार सब से गले मिलकर अलविदा किया और वहां से जाते हुए अपने घर के सफ़र के लिए निकल पड़े ।
 
Top