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मुकेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को गौर से देखने के बाद अपने होंठो को अपनी बेटी की चूत के छोटे लबों पर रख दिया।
"ईसस्स्स्शह्ह्ह्ह पिता जी" अपने पिता के होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही कंचन का सारा जिस्म मज़े से कांप उठा । मुकेश अपनी बेटी की चूत के छोटे लबों को अपने होंठो से चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उनके बीच डालकर अंदर बाहर करने लगा।
"आह्ह्ह्हह पिताजी" अपने पिता की जीभ के लगते ही कंचन बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को उछालकर अपने पिता के मुँह पर अपनी चूत दबाने लगी । मुकेश को भी अपनी बेटी की चूत से उत्तेजना के मारे निकलना वाला पानी बुहत ज्यादा मज़ा देने लगा। इसीलिए वह अपनी बेटी की चूत को बुहत ज़ोर से अपनी जीभ से चोदने लगा ।
विजय का लंड अपने पिता और कंचन को देखकर फिर से खड़ा होने लगा । वह उन्हें बड़े गौर से देख रहा था । कंचन की हालत बुहत खराब हो चुकी थी । वह इतनी देर से अपनी माँ और भाई का खेल देखकर बुहत गरम हो चुकी थी और अब वह झरने के बिलकुल क़रीब थी उसका पूरा जिस्म अकडकर झटके खा रहा था ।
मुकेश भी कंचन की हालत देखकर यह समझ गया की वह झडने वाली है इसीलिए उसने अपना पूरा मुँह खोलकर कंचन की चूत को अपने मुँह में भर लिया । और उसे बुरी तरह चाटने लगा।
"उईई पिताजी इसशहहहह मैं आई आह्ह्ह्हह" कंचन अपने बाप की यह हरकत सह न पाई और वह बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए झडने लगी । कंचन ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और अपने पिता के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया ।
कंचन जब तक पूरी तरह झडकर शांत नहीं हुयी तब तक उसका बाप उसकी चूत को अपने मुँह में भरे हुए उसका वीर्य चाटता रहा । कंचन के पूरी तरह झडने के बाद मुकेश ने अपना मूह अपनी बेटी की चूत से हटाया और उसकी टांगों को उठाकर उसके पेट पर रख दिया ।
"ईसस्स्स्शह्ह्ह्ह पिता जी" अपने पिता के होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही कंचन का सारा जिस्म मज़े से कांप उठा । मुकेश अपनी बेटी की चूत के छोटे लबों को अपने होंठो से चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उनके बीच डालकर अंदर बाहर करने लगा।
"आह्ह्ह्हह पिताजी" अपने पिता की जीभ के लगते ही कंचन बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को उछालकर अपने पिता के मुँह पर अपनी चूत दबाने लगी । मुकेश को भी अपनी बेटी की चूत से उत्तेजना के मारे निकलना वाला पानी बुहत ज्यादा मज़ा देने लगा। इसीलिए वह अपनी बेटी की चूत को बुहत ज़ोर से अपनी जीभ से चोदने लगा ।
विजय का लंड अपने पिता और कंचन को देखकर फिर से खड़ा होने लगा । वह उन्हें बड़े गौर से देख रहा था । कंचन की हालत बुहत खराब हो चुकी थी । वह इतनी देर से अपनी माँ और भाई का खेल देखकर बुहत गरम हो चुकी थी और अब वह झरने के बिलकुल क़रीब थी उसका पूरा जिस्म अकडकर झटके खा रहा था ।
मुकेश भी कंचन की हालत देखकर यह समझ गया की वह झडने वाली है इसीलिए उसने अपना पूरा मुँह खोलकर कंचन की चूत को अपने मुँह में भर लिया । और उसे बुरी तरह चाटने लगा।
"उईई पिताजी इसशहहहह मैं आई आह्ह्ह्हह" कंचन अपने बाप की यह हरकत सह न पाई और वह बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए झडने लगी । कंचन ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और अपने पिता के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया ।
कंचन जब तक पूरी तरह झडकर शांत नहीं हुयी तब तक उसका बाप उसकी चूत को अपने मुँह में भरे हुए उसका वीर्य चाटता रहा । कंचन के पूरी तरह झडने के बाद मुकेश ने अपना मूह अपनी बेटी की चूत से हटाया और उसकी टांगों को उठाकर उसके पेट पर रख दिया ।