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कंचन अचानक अपने एक हाथ को कोमल की चूचि से हटाते हुए नीचे ले जाने लगी वह अपने हाथ को कोमल के पेट से ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और अपने हाथ से कोमल की छोटी से कुँवारी चूत को सहलाने लगी।
"आह्ह्ह्हह्ह ओहहहह दीदी" कोमल अपनी बड़ी बहन का हाथ अपनी चूत पर लगते ही ज़ोर से सिसक उठी और उसका पूरा जिस्म काम्पने लगा । कंचन कोमल की कोई बात न सुनते हुए अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाते हुए अपने मुँह को उसकी चूचि पर रख दिया और उसकी एक छोटी सी चूचि को अपने मूह में लेकर चूसने लगी।
"ओहहहहहह दीदी" अपनी चूचि कंचन के मुँह में जाते ही कोमल जा पूरा जिस्म सिहर उठा और उसके मूह से ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी । कंचन बारी बारी कोमल की दोनों चुचियों को चूस रही थी और कोमल मज़े से अपनी आँखें बंद करते हुए मज़े से सिसक रही थी, कंचन कुछ देर तक ऐसे ही अपनी छोटी बहन की चुचियों को चूसने के बाद अपना मुँह वहां से हटाकर नीचे ले जाने लगी । कंचन ने अपना मुँह नीचे ले जाते हुए कोमल की चूत पर रख दिया और कोमल की छोटी सी चूत को बड़े गौर से देखने लगी।
कोमल की चूत पर हलके भूरे बाल थे और उसकी चूत बिलकुल गुलाबी थी । कंचन ने कुछ देर तक ऐसे ही कोमल की चूत को घूरने के बाद अपना मुँह उसके दाने पर रख दिया और कोमल की चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगी।
"ओहहहह दीदी" कोमल का मज़े के मारे बुरा हाल था। उसके मूह से बड़ी कामुक सिसकियाँ निकल रही थी । कंचन ने कुछ देर तक अपनी जीभ को कोमल की चूत के दाने पर फिराने के बाद उसे नीचे ले जाते हुए उसकी चूत के दोनों बंद होंठो पर रख दिया।
कंचन ने अपनी जीभ से कोमल की चूत से उत्तेजना के मारे निकलने वाले रस को चाटा और अपने हाथ से उसकी चूत के दोनों बंद होंठो को आपस में से अलग करते हुए पानी जीभ को उसकी चूत के छेद में फिराने लगी।
"आह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह दीदी उफ्फ्फ्फ्फ़" कंचन की इस हरकत से कोमल का पूरा बदन अकडकर झटके खाने लगा और कोमल बुहत ज़ोर से सिसकते हुए झडने लगी । कोमल ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और अपने दोनों हाथों से कंचन के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया।
"आह्ह्ह्हह्ह ओहहहह दीदी" कोमल अपनी बड़ी बहन का हाथ अपनी चूत पर लगते ही ज़ोर से सिसक उठी और उसका पूरा जिस्म काम्पने लगा । कंचन कोमल की कोई बात न सुनते हुए अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाते हुए अपने मुँह को उसकी चूचि पर रख दिया और उसकी एक छोटी सी चूचि को अपने मूह में लेकर चूसने लगी।
"ओहहहहहह दीदी" अपनी चूचि कंचन के मुँह में जाते ही कोमल जा पूरा जिस्म सिहर उठा और उसके मूह से ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी । कंचन बारी बारी कोमल की दोनों चुचियों को चूस रही थी और कोमल मज़े से अपनी आँखें बंद करते हुए मज़े से सिसक रही थी, कंचन कुछ देर तक ऐसे ही अपनी छोटी बहन की चुचियों को चूसने के बाद अपना मुँह वहां से हटाकर नीचे ले जाने लगी । कंचन ने अपना मुँह नीचे ले जाते हुए कोमल की चूत पर रख दिया और कोमल की छोटी सी चूत को बड़े गौर से देखने लगी।
कोमल की चूत पर हलके भूरे बाल थे और उसकी चूत बिलकुल गुलाबी थी । कंचन ने कुछ देर तक ऐसे ही कोमल की चूत को घूरने के बाद अपना मुँह उसके दाने पर रख दिया और कोमल की चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगी।
"ओहहहह दीदी" कोमल का मज़े के मारे बुरा हाल था। उसके मूह से बड़ी कामुक सिसकियाँ निकल रही थी । कंचन ने कुछ देर तक अपनी जीभ को कोमल की चूत के दाने पर फिराने के बाद उसे नीचे ले जाते हुए उसकी चूत के दोनों बंद होंठो पर रख दिया।
कंचन ने अपनी जीभ से कोमल की चूत से उत्तेजना के मारे निकलने वाले रस को चाटा और अपने हाथ से उसकी चूत के दोनों बंद होंठो को आपस में से अलग करते हुए पानी जीभ को उसकी चूत के छेद में फिराने लगी।
"आह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह दीदी उफ्फ्फ्फ्फ़" कंचन की इस हरकत से कोमल का पूरा बदन अकडकर झटके खाने लगा और कोमल बुहत ज़ोर से सिसकते हुए झडने लगी । कोमल ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और अपने दोनों हाथों से कंचन के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया।