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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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महेश अपने कमरे से निकलकर अपनी बहु के कमरे में जाने लगा । उसने दरवाज़े के पास पुहंचकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया वह अपने आप खुल गया । महेश अंदर दाखिल हो गया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया, नीलम बेड पर लेटी हुयी थी और उसकी आँखें बंद थी वह नाइटी पहने हुयी थी।

महेश आगे बढ़कर बेड पर जाकर बैठ गया और अपने हाथों से अपनी बहु की खुली हुई ज़ुल्फ़ों से खेलने लगा। महेश को अपनी बहु की लम्बी काली ज़ुल्फ़ें बुहत खूबसूरत लग रही थी।
"बेटी नींद आ गयी क्या तुम्हें?" महेश ने अपनी बहु की ज़ुल्फ़ों से खेलते हुए ही कहा । नीलम जाग रही थी बस उसकी आँखें बंद थी मगर वह अपने ससुर को तडपाने के लिए कुछ भी नहीं बोली।
"बेटी उठो ना" महेश ने एक बार अपनी बहु को पुकारते हुए कहा मगर नीलम ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया।

महेश समझ गया की उसकी बहु उसे तंग करने के लिए ऐसा कर रही है इसीलिए उसने अपने हाथ को उसकी ज़ुल्फ़ों से हटाकर उसके गालों से ले जाते हुए उसके गुलाबी होंठो पर रख लिया और अपनी एक ऊँगली को अपनी बहु के होंठो पर फिराने लगा । नीलम अपने ससुर का हाथ अपने होंठो पर लगते ही थोडा सा कांप उठी मगर उसने फिर से अपने आप सँभाल लिया और चुप होकर लेटी रही, अपने ससुर की ऊँगली अपने होंठो पर लगते ही नीलम की साँसें तेज़ हो गई थी और उसका जिस्म गरम होने लगा था।

महेश कुछ देर तक अपनी ऊँगली को नीलम के होंठो पर फिराने के बाद अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए उसकी नाइटी को आगे से खोल दिया और अपनी बहु की ब्रा को भी उसकी चुचियों से नीचे सरका दिया । नीलम की चुचियां अब बिलकुल नंगी होकर उसके ससुर के सामने आ गयी थी और वह बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकी उत्तेजना के मारे नीलम की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी, महेश ने एक नज़र अपनी बहु की नंगी चुचियों पर डाली और अगले ही पल उसके दोनों हाथ नीलम की चुचियों को मसलने लगे।

महेश अपनी बहु की चुचियों को बुहत ज़ोर से दबा रहा था जिस वजह से नीलम का अब चुप रहना मुश्किल हो गया था । अचानक महेश ने अपनी बहु की चूचि के एक दाने को अपनी उँगलियों के बीच डालकर ज़ोर से मसाल दिया।
"उईईईई आअह्ह्ह्हह्ह्" नीलम के मुँह से एक ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने अपनी आँखें खोल दी।
"सॉरी बहु मैंने तुम्हारी नींद खराब कर दी" महेश ने मुस्कराते हुए कहा।
"पिता जी आप क्या कर रहे हैं आपको शर्म नहीं आती अपनी बहु को नींद में पाकर उसका फ़ायदा उठाते हुये" नीलम ने अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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अरे बेटी इसमें मेरा कोई क़सूर नहीं है अब अगर बहु इतनी सूंदर होगी जिसे देखकर ही कुछ होने लगे तो फ़ायदा तो उठाना ही पड़ेगा ना" महेश ने इस बार बेड से उठकर अपनी धोती को अपने जिस्म से अलग करते हुए कहा।
"ओहहहहह पिता जी आप तो सच में बड़े बेशरम हो गये हैं । अपनी बहु के सामने नंगे हो गये आप छी छी" नीलम ने नाटक जारी रखते हुए कहा।
"बेटी देखो न यह हरामी मुझे नींद ही नहीं आने देता। कहता है मुझे अपनी बहु की गरम छोटी सी बिल में रहना है" महेश ने अपनी बहु के पास बैठकर उसके एक हाथ को अपने लंड के ऊपर रखते हुए कहा।

"पिता जी आप अपने इसको समझा दो की तुम्हरी बहु की बिल बुहत छोटी है और यह बुहत बड़ा और मोटा है। इसीलिए मुझे इसे नहीं घुसवाना अपनी बिल में कहीं इसने मेरी बिल को फाड दिया तो" नीलम ने अपने नरम हाथों से अपने ससुर के मुसल लंड को सहलाते हुए कहा। वह बड़े गौर से अपने ससुर के लंड को घूर रही थी उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था की इतना मोटा और लम्बा लंड वह अपनी छोटी सी चूत में पूरा घुसवा चुकी है।

"आहहह बेटी मैंने तो इस गधे को बुहत समझया मगर मेरी बात तो यह मानता ही नहीं तुम ही इसे समझा दो ना" महेश ने अपनी बहु के नरम हाथ अपने लंड पर पडते ही सिसकते हुए कहा।
"चलो पिता जी मैं ही इसे समझकर देखती हूँ आप सीधे होकर लेट जाएँ!" नीलम ने अपने ससुर के लंड से अपना हाथ हटाते हुए कहा।
"हाँ बेटी यह तेरा दीवाना है हो सकता है तुम्हारी बात मान ले" महेश बेड पर सीधा लेटते हुए बोला।

"तुम मेरे पिता जी को क्यों तंग करते हो तुम्हें शर्म नहीं आती । इनकी उम्र का तो कुछ ख़याल करो" महेश के सीधे लेटते ही नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने एक हाथ में पकडते हुए कहा । नीलम का नरम चूडियों वाला हाथ पडते ही महेश का लंड ज़ोर से झटके खाने की कोशिश करने लगा। मगर नीलम ने उसे अपनी मुठी में पकड रखा था इसीलिए वह ज्यादा उछल न पाया।
"अरे वाह तुम तो नाराज़ हो गये अच्छा अब में तुम्हें प्यार से समझाती हू" नीलम ने अपने ससुर के लंड को घूरते हुए कहा और नीचे झुककर उसके गुलाबी सुपाडे को चूम लिया।

"आहहह बेटी क्या कर रही हो?" अपनी बहु के होंठ अपने लंड पर पडने से महेश ने सिसकते हुए कहा।
"पिता जी प्लीज आप चुप होजाओ आज मैं इसे मनाकर रहुँगी" नीलम ने अपने पिता को डाँटते हुए कहा अपनी बहु की बात सुनकर महेश चुप हो गया।
"अब बताओ कैसा लगा मेरा चूम्मा?" नीलम ने नीचे झुके हुए ही अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा वह पागलों की तरह अपने ससुर के लंड से बाते कर रही थी।
 

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एक और चूम्मा चाहिए। छी तुम तो बुहत गंदे हो अच्छा ठीक है अभी देती हू" नीलम ने इतना कहा और नीचे झुककर अपने ससुर के पूरे लंड को जगह जगह चूमने लगी। ऐसा करते हुए नीलम बुहत ज़ोर से हांफ रही थी वह पूरी तरह गरम हो चुकी थी, नीलम ने अपने ससुर के लंड को पूरी तरह चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाडे को चाटा और फिर से वहां से थोडा ऊपर हो गयी।

नीलम के ऐसा करने से महेश के मुँह से बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी।
"कैसा लगा अब तो तुम खुश हो गये ना" नीलम ने फिर से अपने ससुर के लंड को घूरते हुए कहा।
"अरे तुम तो सच में बुहत बदमाश हो नहीं ऐसे नहीं चलेगा बस आखरी बार ही मैं कर रही हूँ ठीक है ना" नीलम ने अपनी थूक से चमकते हुए अपने ससुर के लंड के सुपाडे को देखा और अपना पूरा मुँह खोलकर उसे अपने मुँह में ले लिया, नीलम अपने ससुर के लंड के मोटे सुपाडे को बड़े प्यार से अपनी जीभ और होंठो के बीच लेकर चूसने लगी । महेश की हालत उस वक्त देखने लायक थी उसका पूरा शरीर झटके खा रहा था और उसके मूह से ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी।

नीलम कुछ देर तक अपने ससुर के लंड के टोपे को चाटने के बाद उसे अपने मुँह से निकाल दिया और बुहत ज़ोर से हाँफने लगी।
"पिता जी ने सच कहा था तुम बुहत बदमाश हो मुझे थका ही दिया चलो अब बुहत हो गया अब मैं कुछ नहीं करूंग़ी" नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने मुँह से निकालकर उसे घूरते हुए कहा।
"क्या कहा बदमाश नहीं देखो यह अच्छी बात नहीं है। मैं यह सब नहीं कर सकती" नीलम ने फिर से अपने ससुर के लंड से बात करते हुए कहा।
"हाहहह बेटी क्या कह रहा है यह नालायक ज़रा मुझे भी तो बताओ" महेश जो इतनी देर से अपनी बहु का नाटक देख रहा था उसने नीलम को देखते हुए कहा।

"पिता जी आपने सही कहा था यह बुहत बदमाश है मैंने इसकी सारी फ़रमाइशें पूरी कर दी। फिर भी यह नहीं मान रहा और यह फिर से वही बात कर रहा है" नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"कौन सी बात बेटी?" महेश ने भी इस बार अपनी बहु को छेडते हुए कहा।
"पिता जी आप भी न वही जो आपसे कह रहा था" नीलम अपने ससुर की बात सुनकर शरमाते हुए बोली।
"ओह बिल में घूसने वाली बात" महेश ने हँसते हुए कहा।

"हाँ पिता जी" नीलम ने शर्म से अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा।
"बेटी बेचारे को एक बार अपनी बिल में ले ही लो कुछ नहीं होगा तुम्हें" महेष ने अपनी बहु को देखते हुए कहा।
"नही पिता जी फिर यह हर रोज़ ऐसा करने को कहेंगा" नीलम ने अपनी नज़रें नीची किये हुए ही कहा।
 

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अरे बेटी देखो तो बेचारा कैसे तुम्हें देखकर झटके खा रहा है ज़रा रहम करो इस पर" महेश ने नीलम से कहा।
"पिता जी ठीक है आप कहते हैं तो आपकी खातिर मैं इसे एक बार अपनी बिल में घूसने की इजाज़त दे देती हू" नीलम ने अपनी आँखों से अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा।

"देखो पिता जी आपकी खातिर मैं तुम्हें एक बार अपनी बिल में घूसने की इजाज़त दे रही हूँ मगर इसके बाद तुम सुधर जाना" नीलम ने अपने एक हाथ से महेश के लंड को पकडते हुए कहा और खुद बेड से उठकर अपनी नाइटी को अपने जिस्म से अलग कर दिया ।नीलम ने अपनी नाइटी को उतारने के बाद अपनी पेंटी को भी अपने जिस्म से अलग किया और खुद बेड पर चढ़ गई, नीलम बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी जिस वजह से उसकी चूत से बुहत ज्यादा पानी बह रह था।

नीलम ने बेड पर चढने के बाद अपने ससुर के लंड को अपने हाथ में लिया और नीचे झुककर अपनी जीभ से उसके सुपाडे को चाटने लगी।
"आआह्ह्ह्ह बेटी ऐसे ही इसे अपनी थूक से गीला कर दो ताकी तुम्हें कोई तकलीफ न हो" अपनी बहु की जीभ अपने लंड पर लगते ही महेश बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए बोला । नीलम ने अपने ससुर के लंड के सुपाडे को पूरी तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद अपना मुँह वहां से हटा दिया और खुद अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपनी चूत को अपने ससुर के लंड पर रख दिया।


आह्ह्ह्ह पिता जी" नीलम अपने ससुर के लंड को अपने एक हाथ से पकडकर अपनी चूत के छेद पर घीसने लगी ऐसा करते हुए उसके मुँह से बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी । नीलम कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने ससुर के लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और खुद अपने वजन के साथ उस पर बैठने लगी।
"ओहहहहह इसशहहहह पिता जी" नीलम के थोडा वजन ड़ालने पर उसके ससुर के लंड का मोटा सुपाडा उसकी चूत में घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की सिसकि निकल गई।

"आह्ह्ह्ह बेटी कितनी टाइट है तुम्हारी चूत" महेश ने भी अपने लंड को अपनी बहु की गरम टाइट चूत में घूसने से सिसकते हुए कहा । नीलम ने अपने हाथों को अपने ससुर के सीने पर रखा और वह फिर से अपने दबाव के साथ नीचे बैठने लगी।
"ओहहहहहह पिता जी आपका बुहत लम्बा और मोटा है" नीलम ने नीचे झुकते हुए अपनी चूत में अपने ससुर का लंड आधे से ज्यादा घुसा दिया था मगर अब उसे तकलीफ हो रही थी।
 

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"आजहहह बेटी बस बाकी थोडा ही बचा है तुम अपने पूरे वजन के साथ बैठ जाओ" महेश ने अपनी बहू को समझाते हुए कहा । नीलम भी अपने ससुर की बात सुनकर एकदम से अपने पूरे वजन के साथ अपने ससुर के लंड पर बैठ गयी।
"उईईए आहहह पिता जीईई बुहत दर्द हो रहा है" महेश का लंड पूरा नीलम के चूत में घुस चूका था जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकल रही थी।

महेश ने अपनी बहु को कमर से पकडकर अपने ऊपर झुका लिया और वह अपने हाथों से उसकी दोनों चुचियों को मसलते हुए नीलम के होंठो को चूसने लगा ।थोड़ी ही देर में नीलम का सारा दर्द ख़तम हो गया और वह अपने चूतडों को अपने ससुर के लंड पर उछालने लगी।
"आआह्ह्ह्ह पिता जी आपका कितना लम्बा और मोटा है। यह मुझे अपने पेट तक जाता हुआ महसूस हो रहा है" नीलम ने अब सीधे होकर अपने ससुर के लंड पर ज़ोर से उछलते हुए कहा । वह बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी इसीलिए वह बुहत ज़ोर से हाँफते हुए अपने ससुर के लंड पर उछल रही थी।

कुछ ही देर में नीलम का बदन अकडने लगा और वह बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने ससुर के लंड पर उछलते हुए झडने लगी। नीलम पूरी तरह झडने के बाद निढाल होकर अपने ससुर के ऊपर गिर गयी और बुहत ज़ोर से साँसें लेने लगी । महेश ने अपनी बहु को अपने ऊपर से उठाकर उलटा लिटाया और अपना मुसल लंड पीछे से उसकी चूत में घुसाने लगा, नीलम को पहले तो बुहत ज्यादा तकलीफ हुई मगर कुछ ही देर में उसे फिर से बुहत ज्यादा मज़ा आने लगा और वह अपने ससुर के लंड पर अपने चूतडो को ज़ोर से दबाते हुए चुदवाने लगी।

"आजहहह बेटी तुमने कभी अपने पति का लंड अपनी गांड में लिया है?" अचानक महेश की नज़र अपनी बहु की गांड के भूरे छेद पर पडी जिसे देखते ही महेश का लंड जयादा तनकर झटके खाने लगा और उसने सिसकते हुए अपनी बहु की चूत में अपना लंड ज़ोर से अंदर बाहर करते हुए कहा।
"छी छी पिता जी उस गन्दी जगह में भी यह घुसाया जाता है भला" नीलम ने वैसे ही मस्ती में चुदवाते हुए जवाब दिया।

"हम्म्म्म बेटी इसका मतलब तुमने वहां कभी नहीं लिया" महेश ने अपनी एक ऊँगली से अपनी बहु की गांड को कुरेदते हुए कहा।
"ओहहहहह पिता जी छोड़िये न क्या कर रहे हैं आप वहां मैंने कभी नहीं लिया" नीलम ने अपनी गांड पर अपने ससुर की ऊँगली के लगते ही ज़ोर से उछलते हुए कहा।
"बेटी जैसे चूत में लंड घुसता है वैसे ही वह गांड में ड़ाला जाता है" महेश ने अपनी ऊँगली को थोडा दबाव देकर अपनी बहु की गांड में ड़ालते हुए कहा।
"उईई निकालिये पिता जी मुझे नहीं पता कुछ। मुझे वहां नहीं करवाना" नीलम ने अपने ससुर की थोड़ी सी ऊँगली को ही अपनी गांड में घुसने से ज़ोर से चीखते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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महेश अपनी ऊँगली को अपनी बहु की गांड से निकाले बिना ही उसकी चूत में धक्के लगाने लगा । थोड़ी ही देर में नीलम को जन्नत का मजा आने लगा और वह बुहत ज़ोर से अपने चूतडों को उछालते हुए अपने ससुर से चुदवाने लगी । महेश ने मौका देखकर अपनी ऊँगली को पूरा अपनी बहु की गांड में पेल दिया और उसे बुहत ज़ोर से चोदने लगा।नीलम भी अब चुदाई में उसका पूरा सहयोग कर रही थी।महेश जब भी पेलता नीलम अपनी गांड से धक्का मार देती।महेश को अपनी बहु को चोदने में में इतना मज़ा आ रहा था की वह अपनी बहु की गांड में अब दो दो ऊँगली पेल रहा था और नीलम की चूत को पूरी बेरहमी से चोद रहा था।

आह साली रांड कितनी टाइट और गरम चूत हैं तेरी साली मेरे लंड को पूरा निचोड़ लेगी क्या।आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह



"उईईए इसशहहहह पिता जी ज़ोर से ओह्ह्ह्हह मै आई" कुछ ही धक्कों के बाद नीलम ज़ोर से चिललाते हुए झडने लगी।

नीलम की चूत ने झडते हुए अपने ससुर के लंड को ज़ोर से जकड लिया जिस वजह से महेश भी अपने आप को रोक नहीं पाया और वह भी ज़ोर से सिसकते हुए झडने लगा । महेश का लंड पूरी तरह झडने के बाद नीलम की चूत से सिकुड़ कर निकल गया और उसकी चूत से ढेर सारा वीर्य नीचे गिरने लगा, महेश और नीलम दोनों निढाल होकर बेड पर सीधा होकर लेट गए। दोनों सीधे लेटे हुए बुहत ज़ोर से हांफ रहे थे।
 

Rakesh1999

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दोस्तों आज फिर से रेखा के घर की तरफ चलते हैं वहां पर अब सब कुछ नार्मल हो चुका था । विजय अब डेली अपनी दोनों बहनों के साथ कॉलेज जाने लगा था और आज भी विजय कॉलेज से लौटने के बाद खाना खाकर अपने कमरे में सो रहा था । कंचन को जाने क्यों आज नींद नहीं आ रही थी तो उसने सोचा वह अपनी बहन के कमरे में जाकर उससे बाते करे, इधर कोमल अपने बेड पर सिर्फ पेंटी और ब्रा में लेटी हुयी थी और उसका हाथ अपनी पेंटी में घुसा हुआ था वह बुहत तेज़ी के साथ अपने हाथ को हिला रही थी।

कंचन अपने कमरे से निकलकर अपनी बहन के कमरे के बाहर पुहंच गयी। कंचन ने अपने हाथ से दरवाज़े को धक्का दिया तो वह अपने आप खुल गया शायद कोमल आज दरवाज़े को लॉक करना भी भूल गयी थी। कंचन दरवाज़ा खोलने के बाद जैसे ही अंदर दाखिल हुई वहां का नज़ारा देखकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया क्योंकी उसकी छोटी बहन अपना हाथ अपनी पेंटी में डाले हुए ज़ोर से हिला रही थी और उसका पूरा जिस्म अकडकर झटके खा रहा था। शायद वह उस वक्त झड़ रही थी।

कंचन ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और आगे बढ़कर अपनी बहन के सामने जाकर खड़ी हो गई । कोमल की आँखें बंद होने के कारण उसे कुछ भी पता नहीं था थोड़ी देर बाद जब कोमल नार्मल हुयी और उसने अपनी आँखें खोली तो अचानक अपने सामने अपनी बड़ी बहन को देखकर वह हैंरान होते हुए उठकर सीढ़ी बैठ गई।
"हम्म्म्म क्या कर रही थी छोटी?" कंचन ने मुसकुराकर अपनी छोटी बहन के साथ बैठते हुए कहा।
"कुछ नहीं दीदी" कोमल ने शर्म से अपना मुँह नीचे करते हुए कहा।

"च कुछ नहीं पगली मुझसे मत शर्मा वरना सारी ज़िंदगी ऐसे ही अपने हाथ का इस्तेमाल करती रहेगी" कंचन ने शरारती हंसी के साथ अपनी छोटी बहन के गाल को अपनी दोनों उँगलियों के बीच लेकर मसलते हुए कहा।
"दीदी" कोमल ने सिर्फ इतना कहा।
"तुम कब से यह सब कर रही हो?" कंचन ने एक और सवाल किया।
"दीदी १-२ महीना हो गया है" कोमल ने वैसे ही शर्म के मारे अपना मुँह झुकाये हुए कहा।
"ह्म्मम्म सिर्फ यही करती है या कोई बॉयफ्रेंड भी बनाया है?" कंचन ने फिर से कोमल से पूछा।
"नही दीदी मैं आपके जीतनी खुशनसीब नही" कोमल ने अपनी बहन को टोकते हुए कहा।

"मेरा कौन सा बॉयफ्रेंड देख लिया तुमने?" कंचन ने हैंरानी से पूछा।
"दीदी बाहर नहीं है तो क्या हुआ यहाँ तो है न भइया" कोमल ने अपनी बड़ी बहन से कहा।
"ह्म्म्म वह तो है इसका मतलब तुम्हें सब पता है तुम्हें भी बनाना है उसे बॉयफ्रेंड?" कंचन ने अपनी छोटी बहन से चिपकते हुए कहा।
"हाँ बनाना है मगर मुझे डर लगता है" कोमल ने अपनी बहन को देखते हुए कहा।
"क्यों इसमें डरने की क्या बात है?" कंचन ने हैंरानी से अपनी बहन को देखते हुए कहा।
"वो दीदी मैंने सुना है जब किसी लड़के के साथ प्यार करते हैं तो वह अपना मोटा डंडा लड़की की चूत में घुसाता है जिससे लड़की को बुहत तकलीफ होती है" कोमल ने बड़ी सादगी के साथ अपनी बहन को देखते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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"पगली कहीं की । मरद का वही मोटा डंडा जिसे लंड कहते हैं हमें ज़िंदगी का सब से ज्यादा हसीन मजा देता है बस पहली बार में कुछ तकलीफ होती है मगर वह उस मज़े के सामने कुछ भी नही" कंचन ने अपनी बहन को समझाते हुए कहा।
"आप सच कह रही हैं दीदी?" कोमल ने हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ पगली मैं सच कह रही हूँ अब तुम देखती जाओ । मैं तुम्हें वह अनोखा मजा दिलाकर रहुँगी" कंचन ने अपने दोनों हाथों से अपनी छोटी बहन की दोनों छोटी सी चुचियों को पकडकर दबाते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह दीदी" अपनी बहन का हाथ अपनी चुचियों पर पडते ही कोमल के मुँह से सिसकी निकल गयी,
"देखा पगली मेरे हाथ लगने से जब तुम्हारा यह हाल है तो जब तुम्हारी इन दोनों छोटी सी चुचियों को भइया अपने मूह में लेकर चूसेंगे तो तुम्हारी क्या हालत होगी" कंचन ने अपनी बहन को देखते हुए कहा।

"दीदी आपने तो मुझे फिर से गरम कर दिया" कोमल ने अपनी बहन की बात सुनकर उसे गले लगाते हुए कहा।
"बुहत गरम हो तुम। तुम्हारे लिए जल्दी कुछ करना होगा" कंचन ने भी अपनी छोटी बहन को ज़ोर से अपने गले से लगाते हुए कहा।
"हाहहह दीदी आपकी चुचियाँ कितनी बड़ी है" कोमल अपनी चुचियों से अपनी बहन की चुचियों के टकराने से सिसकते हुए कहा।
"बुहत जल्द तुम्हारी चुचियां भी बड़ी होने लगेंगी क्योंकी जब मरद इन्हें अपने हाथों से मसलता है तो इनका साइज बढ़ने लगता है" कंचन ने अपनी बहन की आँखों में देखते हुए कहा और अपने होंठो को अपनी छोटी बहन के गुलाबी होंठो पर रख दिया । दोनों बहनें कुछ देर तक एक दुसरे के होठो और जीभों को चूसने के बाद एक दुसरे से अलग हो गयी।

"छोटी तुम रात को मेरा इंतज़ार करना आज तुम्हारी चूत का उदघाटन होने वाला है" कंचन ने बेड से उठते हुए कहा और उस कमरे से निकलकर बाहर आ गयी । कंचन अपने कमरे की तरफ ही जा रहि थी की अचानक उसे किसी की सिसकियों की आवाज़ सुनायी दी कंचन के पाँव वहीँ ठहर गए और वह बड़े गौर से उन सिसकियों को सुनने की कोशिश करने लगी की आखिर वह कहाँ से आ रही है, कुछ ही देर में कंचन को पता चल गया की सिस्कियाँ कहाँ से आ रही है मगर उसे बहूत हैंरानी हुई की इस वक्त उसके दादा के कमरे में कौन है। अगले ही पल उसकी धडक़नें तेज़ होने लगी क्योंकी उसे पता चल गया की वह उसकी माँ ही होगी क्योंकी उस घर में दूसरी तो कोई औरत नही।
 

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कंचन के पाँव अपने आप उसके दादा के कमरे की तरफ बढ़ने लगे। दरवाज़े के पास पुहंचकर वह रुक गयी और अपना कान दरवाज़े पर लगाकर अंदर से आने वाली आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगी।
"आह्ह्ह्ह बहु अगर तुम नहीं होती तो मैं तो मर ही जाता कितना ख्याल रखती हो तुम मेरा और तेरा बदन भी कितना ख़ूबसूरत है। मैं शायद दुनिया का सब से ख़ुशनसीब ससुर हूँ जो मुझे तुम्हारी जैसी ख़ूबसूरत बहु मिली" अनिल अपनी बहु की तारीफ करते हुए बोल रहा था।
"बापु जी मुझे तो आपने हर तरीके से भोग लिया है क्या आपका मन अब किसी और को चोदने का नहीं होता?" रेखा जो अपने ससुर के लंड पर उछल रही थी उसकी तेज़ साँसों के साथ आवाज़ आई।

"बेटी करता तो है मगर मैं घर से बाहर कुछ करना नहीं चाहता" अनिल ने अपनी बहु को जवाब देते हुए कहा।
"बापु जी अगर घर में कोई मिल जाए तो" रेखा ने अपने ससुर को देखते हुए कहा।
"घर में मगर कौन?" अनिल ने उत्तेजित होकर अपनी बहु की दोनों बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों से मसलते हुए कहा । कंचन बड़े गौर से अंदर से आने वाली आवाज़ सुन रही थी। उसका दिल बुहत ज़ोर से धड़क रहा था आखिर उसकी माँ किसकी बात कर रही थी ।
"मेरी बड़ी बेटी कंचन तुम्हें कैसी लगती है" रेखा ने अपने ससुर से कहा।

"बेटी तुम क्या कह रही हो" अनिल ने उत्तेजना के मारे रेखा को नीचे सीधा लिटाते हुए उसके ऊपर आकर उसकी चूत में अपना लंड बुहत तेज़ी के साथ अंदर बाहर करते हुए कहा।
"हाँ कंचन कैसी लगती है तुम्हें कच्ची कली है" रेखा ने भी अपने चूतड़ों को उछालते हुए अपने ससुर का साथ देते हुए कहा।
"बेटी मुझे तो वह बुहत अच्छी लगती है मगर वह भला क्यों मानेगी?" अनिल अपनी बहु की बातों से बुहत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था । इसीलिए वह अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर अपनी बहु की चूत में पेल रहा था।
"आजहहहह बापू जी मानेगी क्यों नहीं मैं हूँ न। आप तो उसकी बात सुनकर ही पागल हो गये हैं जब आप उसकी कमसीन जवानी को देखेंगे तो आपका क्या हाल होगा" रेखा अपने ससुर के ज़ोरदार धक्कों से ज़ोर से सिसकते हुए बोली।

"आह्ह्ह्ह बहु ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह" अनिल रेखा की बात सुनकर बुहत जोर से चिल्लाते हुए उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा । अनिल ने झडते हुए अपने लंड को जड़ तक अपनी बहु की चूत में घुसा दिया था जिस वजह से उसका वीर्य सीधा रेखा की चूत की गहराईयों में गिरने लगा।
"आह्ह्ह्हह्ह पिता जीईईईई आह्ह्हह्हह्ह्" रेखा भी अपने ससुर के गरम वीर्य को अपनी चूत में गिरने से चिल्लाते हुए झडने लगी रेखा ने झडते हुए अपने दोनों हाथों के नाखुनों को ज़ोर से अपने ससुर की गांड पर गडा दिया।
 

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कंचन अपनी माँ और दादा की बाते सुनकर बुहत गरम हो चुकी थी । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अपने दादा के साथ सेक्स करने के ख़याल से ही उसका पूरा जिस्म तपकर आग बन चूका था । कंचन अब वहां से जाते हुए अपने कमरे में जाने लगी क्योंकी उसे पता था की उसकी माँ अब किसी भी वक्त कमरे से बाहर निकल सकती है, कंचन ने अपने कमरे में आकर दरवाज़ा अंदर से बंद किया और खुद अपने पूरे कपडे उतारकर बाथरूम में घुस गयी।

कंचन ने शावर ऑन किया और शावर के ठन्डे पानी से अपने तपते बदन को ठण्डा करने की कोशिश करने लगी। मगर ठन्डे पानी के लगने से उसके बदन की आग शांत होने की बजाये ज्यादा भडकने लगी । कंचन ने अपनी एक हाथ को अपनी चूत पर रखा और उससे अपनी चूत को सहलाने लगी, कंचन के ऐसा करने से उसे कुछ सुकून मिलने लगा। इसीलिए उसने अपनी एक ऊँगली को अपनी चूत में घुसा दिया और उसे बुहत ज़ोर से आगे पीछे करने लगी, कुछ देर की मेंहनत के बाद ही कंचन का बदन अकडकर झटके खाने लगा और वह झडने लगी।

कंचन ने झडने के बाद अपने पूरे बदन को ठन्डे पानी से फ्रेश किया और बाथरूम से निकलकर अपने कमरे में आ गयी। कंचन ने कपडे पहने और अपने बेड पर लेटकर अपने दादा के बारे में सोचने लगी, कंचन ने पहले कभी अपने दादा को उस नज़र से नहीं देखा था मगर आज अपनी माँ की बात सुनने के बाद कंचन को अपने दादा का गठीला बदन याद आ रहा था । वह सोच रही थी की क्या उसके दादा का लंड भी उसके पिता की तरह छोटा ही होगा या उसके भाई के लंड की तरह लम्बा और मोटा। यही सब सोचते सोचते उसे कब नींद आ गयी उसे पता ही नहीं चला।
 
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