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अपडेट 110
रेखा ने अपने ससुर को समझा दिया की उसे कंचन को कैसे पटाना है क्योंकी वह जानती थी की जब उसकी बेटी अपने पिता से चुदवा चुकी है तो वह अपने दादा को इन्कार नहीं करेगी क्योंकी उसके दादा का लंड उसके पिता के लंड से ज्यादा मज़बूत और लम्बा था। रेखा ने एक प्लान बनाकर अपने ससुर को समझा दिया था की कैसे उसे अपनी पोती को सेडयुस करके अपने क़रीब लाना है और उस प्लान की शुरुआत आज से ही करनी थी।
"उठो बेटी शाम होगई है मैं चाय बना रही हू" रेखा ने अपनी बेटी को उठाते हुए कहा । कंचन करवटे लेते हुए उठ गयी और बाथरूम में फ्रेश होने चलि गयी । कंचन फ्रेश होने के बाद अपने कमरे से निकलकर किचन की तरफ जाने लगी।
"बेटी तुम आ गयी न अच्छा हुआ मुझे देर हो रही है । मैं तुम्हारे भाई के साथ बाजार जा रही हूँ कुछ सामान खरीद करने तुम्हारे पिता भी अपने दोस्त के पास चले गए हैं तुम अपने दादा को उठाकर चाय दे देना" रेखा ने कंचन के अंदर दाखिल होते ही कहा और किचन से निकलकर अपने बेटे के कमरे में घुस गयी वह विजय के साथ घर से निकल गयी । अपनी माँ के जाते ही कंचन किचन से निकलकर अपने दादा को उठाने के लिए उसके कमरे में जाने लगी।
कंचन ने कमरे के दरवाज़ा को धक्का दिया तो वह खुल गया। अनिल धोती पहने बेड पर लेटा हुआ था। कंचन अंदर दाखिल होकर अपने दादा को उठाने के लिए बेड की तरफ बढ़ने लगी । कंचन जैसे ही बेड के क़रीब पुहंची उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी, अनिल सीधा लेटा हुआ था और उसकी धोती आगे से थोडा हट गयी थी जिस वजह से अनिल का लम्बा और मोटा लंड जो बिलकुल तना हुआ था कंचन की आँखों के सामने आ गया।
कंचन की आँखें वहीँ ठहर गयी थी वह बड़े गौर से अपने दादा का मोटा और लम्बा लंड देख रही थी और बुहत ज़ोर से साँसें भी ले रही थी। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था की उसके दादा का लंड भी इतना बड़ा और मोटा होगा । कंचन सब कुछ भूलकर सिर्फ अपने दादा के लंड को घूर रही थी। उसे कुछ भी याद नहीं था की वह यहाँ क्यों आई है, अचानक कंचन के कदम अपने आप आगे बढ़ने लगे और वह अपने दादा की टांगों के पास बेड पर जाकर बैठ गयी।
अनिल का लंड अब कंचन के बिलकुल पास था इतना पास की वह उसे अपने हाथ से पकड़ सकती थी मगर उसे बुहत डर लग रहा था । कंचन की चूत अपने दादा के लंड को देखते हुए उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा पानी बहा रही थी । अनिल जो सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था वह अपनी पोती को ऐसे अपने लंड की तरफ घूरता देखकर मन ही मन में खुश हो रहा था उसे अब पूरा यकीन हो गया था की उसकी पोती कंचन बुहत जल्द उसकी बाहों में होगी।
"दादा जी" कंचन ने अचानक अपने दादा को आवाज़ देते हुए कहा। वह देखना चाहती थी की उसके दादा पक्की नींद में है या नही।
रेखा ने अपने ससुर को समझा दिया की उसे कंचन को कैसे पटाना है क्योंकी वह जानती थी की जब उसकी बेटी अपने पिता से चुदवा चुकी है तो वह अपने दादा को इन्कार नहीं करेगी क्योंकी उसके दादा का लंड उसके पिता के लंड से ज्यादा मज़बूत और लम्बा था। रेखा ने एक प्लान बनाकर अपने ससुर को समझा दिया था की कैसे उसे अपनी पोती को सेडयुस करके अपने क़रीब लाना है और उस प्लान की शुरुआत आज से ही करनी थी।
"उठो बेटी शाम होगई है मैं चाय बना रही हू" रेखा ने अपनी बेटी को उठाते हुए कहा । कंचन करवटे लेते हुए उठ गयी और बाथरूम में फ्रेश होने चलि गयी । कंचन फ्रेश होने के बाद अपने कमरे से निकलकर किचन की तरफ जाने लगी।
"बेटी तुम आ गयी न अच्छा हुआ मुझे देर हो रही है । मैं तुम्हारे भाई के साथ बाजार जा रही हूँ कुछ सामान खरीद करने तुम्हारे पिता भी अपने दोस्त के पास चले गए हैं तुम अपने दादा को उठाकर चाय दे देना" रेखा ने कंचन के अंदर दाखिल होते ही कहा और किचन से निकलकर अपने बेटे के कमरे में घुस गयी वह विजय के साथ घर से निकल गयी । अपनी माँ के जाते ही कंचन किचन से निकलकर अपने दादा को उठाने के लिए उसके कमरे में जाने लगी।
कंचन ने कमरे के दरवाज़ा को धक्का दिया तो वह खुल गया। अनिल धोती पहने बेड पर लेटा हुआ था। कंचन अंदर दाखिल होकर अपने दादा को उठाने के लिए बेड की तरफ बढ़ने लगी । कंचन जैसे ही बेड के क़रीब पुहंची उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी, अनिल सीधा लेटा हुआ था और उसकी धोती आगे से थोडा हट गयी थी जिस वजह से अनिल का लम्बा और मोटा लंड जो बिलकुल तना हुआ था कंचन की आँखों के सामने आ गया।
कंचन की आँखें वहीँ ठहर गयी थी वह बड़े गौर से अपने दादा का मोटा और लम्बा लंड देख रही थी और बुहत ज़ोर से साँसें भी ले रही थी। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था की उसके दादा का लंड भी इतना बड़ा और मोटा होगा । कंचन सब कुछ भूलकर सिर्फ अपने दादा के लंड को घूर रही थी। उसे कुछ भी याद नहीं था की वह यहाँ क्यों आई है, अचानक कंचन के कदम अपने आप आगे बढ़ने लगे और वह अपने दादा की टांगों के पास बेड पर जाकर बैठ गयी।
अनिल का लंड अब कंचन के बिलकुल पास था इतना पास की वह उसे अपने हाथ से पकड़ सकती थी मगर उसे बुहत डर लग रहा था । कंचन की चूत अपने दादा के लंड को देखते हुए उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा पानी बहा रही थी । अनिल जो सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था वह अपनी पोती को ऐसे अपने लंड की तरफ घूरता देखकर मन ही मन में खुश हो रहा था उसे अब पूरा यकीन हो गया था की उसकी पोती कंचन बुहत जल्द उसकी बाहों में होगी।
"दादा जी" कंचन ने अचानक अपने दादा को आवाज़ देते हुए कहा। वह देखना चाहती थी की उसके दादा पक्की नींद में है या नही।