• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
नीलम रसोई के फर्श पर ही दीवार का सहारा लेकर बैठ गयी… वो अपने ससुर के सामने नहीं जाना चाहती थी, बेचारी थक चुकी थी, कब उसकी आँख लग गयी, उसे पता ही चला।

वो लगभग एक घण्टे तक सोती रही और ऑफिस बॉय ने जब डोरबेल बजाई तो उसकी आँख खुली। नीलम बड़ी मुश्किल से दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो सकी किसी तरह उसने टिफिन उठाया और दरवाजा खोल के उसको टिफिन दे दिया और दरवाजा बंद कर दरवाजे के सहारा लेकर ही खड़ी हो गयी क्योंकि चल पाने की शक्ति अब उसमें नही थी।

“नहीं…” अचानक अपने सामने महेश को देखकर वो चिल्लाई… और जैसे हिरण शिकार होने से पहले पूरी ताकत लगा कर शेर से दूर भागता है वो भी भागने लगी।
महेश उसके पीछे भागा… वो लॉबी में सोफ़े के दाईं तरफ होती महेश बायीं तरफ से उसका रास्ता रोक लेता.
“बहू क्यों डर रही है… चल आ मेरे पास!” महेश उसे बहलाने के लिए कहता।

वो बाईं तरफ होती तो दिनेश दाईं तरफ से सामने आ जाता…नीलम छत की सीढ़ियों की तरफ भागी, वो लॉबी के उत्तरी कोने से ऊपर जाती थीं… महेश उसके पीछे भागा… उसने अपने शिकार को पकड़ने के हाथ आगे किया. नीलम तो बच गई पर उसकी मैक्सी महेश के हाथ में आ गयी और फट गयी. वो नंगी ही सीढ़ियों की और भागी और सीढ़ियों पे चढ़ने में कामयाब हो गयी।
महेश सीढ़ियों के नीचे आते हुए- बहू नंगी ही छत पे जाओगी क्या?
नीलम अपने नंगे बदन को देखते हुए- पिताजी, प्लीज आज और मत करो, मैं और सहन नहीं कर पाऊँगी।

महेश- पहले तो शायद तुझे छोड़ देता पर अब जितना भगाया है तूने उसका हर्जाना तो भरना ही होगा न? अब तू नीचे आएगी या मैं ऊपर आऊँ पर अगर मैं ऊपर आया तो…
नीलम(नीचे उतरते हुए वो जानती थी इनके इलावा उसके पास कोई चारा नहीं है)- सॉरी पिताजी आपका लन्ड देख कर डर गई थी मैं प्लीज जाने दो न मुझे।
महेश(नीलम को पकड़ते हुए)- तुझे मजा नहीं आया क्या बेटी। बोल?
नीलम- नहीं पिताजी, आपने आज मेरे साथ जोर आजमाइश की है.

महेश नीलम की चूत में उंगली घुसाते हुए बोला- तू भी तो लन्ड लेना चाहती थी मेरा।
नीलम को उंगली का अंदर बाहर होना अच्छा लग रहा था पर वो खुद को रोक रही थी वह बोली- यह झूठ है।
महेश ने उसे सीढ़ियों की ग्रिल के सहारे झुका लिया और अपना लन्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा- अगर झूठ है तो तू मेरे लन्ड को देख कर उंगली क्यों कर रही थी?
नीलम- नही… आह… आह… ओह… माँ… प्लीज पिताजी रुक जाओ।मेरी चूत में दर्द हो रहा है।
महेश- झूठ मत बोल बेटी… तेरी आवाज़ बता रही है कि तुझे अभी भी लन्ड चाहिए… तू चाहे न कहे पर तेरी ये चाहत मैं पूरी करूँगा।
उसने नीलम की चूत पर लन्ड रगड़ते हुए कहा और एक जोरदार झटके से अपना लन्ड बहु की चूत में पेल दिया।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
आई माँ मर गई…” नीलम जल बिन मछली की भांति कराह उठी। महेश ने उसकी चूचियों को ज़ोर से भीच लिया और हल्के हल्के झटके देने शुरू किए। महेश उसकी चुचियों को दबा रहा था, उसे चूम रहा था और लगातार हल्के हल्के झटके लगाए जा रहा था.
नीलम की चूत लन्ड की गर्मी से पिघलती जा रही थी, उसके बदन फिर गर्म हो रहा था, दर्द और शर्म की जगह काम सुख ने ली- आह… पिताजी बड़ा… मजा आ रहा है… ऐसे ही… आह… मुझे आपका लन्ड चाहिए… आह…
महेश- देख आया न मजा साली रंडी… ऐसे ही नाटक कर रही थी.

नीलम- उम्म… आह… अब से आप मेरे पति हो… आह… तेज़ करो फाड़ दो फिर से मेरी आह…
महेश- हम्म आज से पत्नी हुई तू मेरी… क्या चूत है तेरी… आह… और नहीं सहन होता!
नीलम- तो कौन रोक रहा है… बन जाओ घोड़े और मसल दो मुझे… आह…

महेश ने अपने झटकों की रफ्तार एक का एक तेज़ कर दी ‘फच… फच…’ की आवाज से एक बार फिर सारा घर गूँजने लगा… दोनों ससुर बहू की एक लम्बी आह के साथ एक साथ झड़ गए।

महेश का लन्ड सिकुड़ के अपने आप बाहर आ गया।
नीलम- पापा, मजा आ गया, मैं तो फैन हो गयी आपके इस मूसल लन्ड की।
महेश- बहू अभी तो पूरा जलवा कहाँ देखा है तूने असली फैन तो तू रात खत्म होने पर बनेगी… अभी सारी रात बाकी है और चुदाई के कई दौर भी।
नीलम- अभी और चुदाई करोगे क्या ?

महेश- बस तू देखती जा बहू, सब ठीक कर दूँगा मैं। तू सोफ़े पर बैठ और टीवी देख मैं तेरे लिये कॉफी बना के लाता हूँ।
नीलम- नहीं पापा आप क्यों? मैं बनाकर लाती हूँ।
महेश- अरे अब क्या औपचारिकता निभानी? तू आराम कर अभी बड़ी मेहनत करनी है तुझे। यह देख मेरा लन्ड फिर खड़ा हो गया है।
नीलम- हाय राम, कितना बड़ा लग रहा है यह तो।

बेचारी अपने ससुर के मूसल लन्ड को देख कर घबरा गई थी… अब उसके ससुर ने लन्ड तेल भी लगा रखी थी, लन्ड खम्बे जैसा लग रहा था।
महेश- बहू मेरी प्यारी रांड, तू लन्ड से मत घबरा यह तो तुम्हारे मज़े की चाबी है। तूम बैठो मैं आता हूँ।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
महेश रसोई में गया,नीलम ने टीवी ऑन कर लिया और “सीरियल” देखने लगी।

नीलम-कितनी जल्दी कॉफी बना लाये पिताजी ।आप कितने बेकरार है।
महेश कॉफी के दो कप लेकर आया था और नीलम को कप देते हुए बोला- बेकरार तो हम हैं ही, देखो तो बेचारा अभी तक अकड़ा हुआ है.
नीलम- इसमें मेरा क्या कसूर है?
महेश- तेरा नहीं पर तेरे इस हुस्न का कसूर है।
नीलम- तो आओ इसका इलाज कर देती हूँ।

महेश उसके पास ही सोफ़े पर बैठ गया। नीलम ने अपने ससुर के लन्ड को एक हाथ से पकड़ लिया और कॉफी पीते हुए मुठियाने लगी।
महेश- बहू बड़ा मस्त माल है तू कॉफी पीते हुए लन्ड का मजा लेगी?
नीलम- पर मुझे तो सीरियल देखना है।
महेश- वो तो मैं भी देखूँगा, तू आ जा मेरी गोद में और चढ़ जा इस लंड पे, फिर देख तीनों चीजों का मजा आएगा।

महेश सोफ़े पर पीठ लगा के आराम से बैठ गया, नीलम उठी मुँह टीवी और पीठ महेश की तरफ करके महेश के गोद में बैठने लगी.महेश ने अपने लन्ड को पकड़ के नीलम की चूत के नीचे सेट किया।
नीलम- ऊई माँ… आपका लंड चुभता है पिताजी।
वो लन्ड पर बैठते हुए बोली। वो जैसे अपना वजन लन्ड पर डालती जा रही थी वैसे वैसे लन्ड उसकी फुद्दी में घुसता जा रहा था।
“उफ्फ… आह कितना मोटा है दर्द हो रहा है.” नीलम सिसक उठी।
महेश- तुझे पसंद आया मेरा लन्ड बहु?

नीलम ने अपना पूरा वजन लन्ड पर डाल दिया और लन्ड सरकता हुआ जड़ तक नीलम की गीली चूत में समा गया.
“अहह… बहुत पसंद है पिताजी आह… ओह माँ!”

महेश ने हल्के हल्के झटके देने शुरू किए, उसका अजगर जैसा लन्ड नीलम कि चूत के दाने से रगड़ खाता हुआ अंदर बाहर होने लगा। नीलम की आह… आह… पूरे घर में गूँजने लगी।
महेश- बहू, तू कॉफी नहीं पी रही बता तो कैसी बनी है?
नीलम- आह… अहह…पिताजी आप इतना उछाल रहे हो कैसे पीऊँ?
महेश- चल ऐसा करते हैं, मैं एक झटका दूँगा और तू एक घूँट पीना फिर मैं एक झटका दूँगा तो दूसरा घूँट पीना इतना कह कर महेश ने एक भारी झटका मारा उसका लन्ड जोर से नीलम की बच्चेदानी से जा टकराया. उसने लन्ड पीछे नहीं खींचा अंदर ही रहने दिया। नीलम की चूत की कसावट और गर्मी से महेश को असीम मजा आ रहा था।
नीलम कॉफी पीते हुए- मस्त है पिताजी।
महेश- क्या मस्त है मेरी रांड?
नीलम- कॉफी और क्या?
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
महेश- तो मेरा धक्का मस्त नहीं था क्या? अब यह अगला वाला तुझे ज़रूर पसंद आएगा।
उसने अपने लन्ड टोपे तक बाहर खींच लिया और फिर एक ज़ोरदार शॉट मारा, वैसा ही शॉट जैसा क्रिसगेल या बिराट कोहली क्रिकेट में मारता है।

नीलम चिल्ला पड़ी- आई माँ मर गयी… बुड्ढे फाड़ेगा क्या? आराम से कर!
यह सुन कर महेश की वासना चर्म पर पहुँच गयी और उसने बिना रुके 8-10 शॉट मार दिए और फिर अपनी बहु के मम्में दबाता हुआ बोला- साली मेरी रंडी बहू तू किस काम की जवान है जो बूढ़े से तेरी फट रही है।

ससुर की गन्दी बातों ने नीलम की काम इच्छा को बढ़ा दिया, वो नीलम को चुदाई और गलियों की काफी ट्रेनिग दे चुका था पर अब उसकी बारी थी, इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता, नीलम लन्ड को चूत में लिए लिए ही 180 डिग्री घूम गयी, उसने अपनी गोरी बाहें अपने ससुर के गले में डाल दीं और फुल स्पीड लन्ड पर उठक बैठक करने लगी।

“आह… आह… साली रंडी लन्ड को छीलेगी क्या… आह… कुतिया साली आराम से कर…” महेश बेबस होता हुआ बोला।
“साले बेटी चोद बूढ़े अब बोल… तेरे इस अजगर को चूहा न बनाया तो मेरा नाम नीलम नहीं!” नीलम मशीन की तरह उछलते हुए बोली, वो अपनी सारी ताकत लगा कर उछल रही थी उसके ससुर का लन्ड उसकी कसी हुई चूत में खूंटे की तरह फंसा हुआ था. वो कुछ देर और मुकाबला कर लेती तो जंग जीत जाती पर वो थक गई और कुछ धीरे हो गयी।

महेश बस झड़ने ही वाला था, मौका देख कर वो नीलम पर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा, उसने नीलम को सोफ़े पर फेंक दिया और उस पर घोड़े की तरह चढ़ गया; उसने नीलम के गले को पकड़ लिया और ऐ. के47 की तरह ताबड़तोड़ शॉट लगाने शुरू कर दिए।
“साली बड़ी चुदक्कड़ बन रही थी न… तेरी इस फूल सी चूत का भोसड़ा न बना दिया तो मैं अपने बाप की औलाद नहीं!” वो नीलम को बेहरहमी से पेलते हुए बके जा रहा था।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
नीलम की सांसें चढ़ रही थी… वो भी कभी भी झड़ सकती थी, वो पागलों की तरह अपने चुचियों को मसल रही थी… चूत पे होते हमले उसे पागल कर रहे थे। महेश उसे घचाघच पेल रहा था अचानक महेश का बदन अकड़ने लगा, उसके झटके स्लो पर भारी हो गए, नीलम का बदन भी चरम पर था और ऐंठ रहा था। एक लंबी चीत्कार के साथ दोनों झड़ गए और थकावट से निढाल गए महेश उसपर गिर गया और प्यार से चूमने लगा। दोनों काफी देर वहीं पड़े रहे।


जब ज्योति घर पर नहीं रहती है तब महेश नीलम को दिनभर नंगा ही रखता है और दिन भर अपनी बहू से अपना लंड चुसवाता है और उस की जबरदस्त चुदाई करता है जब महेश को मालूम चलता है कि नीलम को पीरियड्स बंद हो गए हैं तब वह नीलम को सलाह देता है कि वह वह अपने पति के साथ भी सेक्स कर ले किसी तरह से नीलम अपने पति को सेक्स करने देती है ताकि बाद में कोई प्रॉब्लम ना हो और बाद में उसका पति उसके बच्चे को अपना नाम देने से इंकार ना कर दे और समीर और ज्योति अभी भी हर रात को पति पत्नी की तरह चुदाई करते हैं और नीलम भी अपने ससुर के साथ बहुत खुश है।महेश अपनी बहु और बेटी दोनों अपनी पर्सनल रंडी बना चूका है।नीलम तो अपने ससुर की इतनी दीवानी हो चुकी है की अगर उसका ससुर महेश बोल दे तो वह बीच चौराहे पर भी अपनी चूत और गांड अपने ससुर से चुदवा लेगी।


महेश अपनी बहु को कही भी कुतिया बना के चोदने लगता है।वह अपनी बहु को रंडियो की तरह गाली दे देकर उसकी चूत और गांड मारता है।उसकी बहु तो लंड की इतनी प्यासी हो चुकी है की एक इशारे पर अपने ससुर के आगे घुटनों के बल बैठकर उसका लंड चूसने लगती है।सेक्स का ऐसा कोई आसन नहीं जो महेश ने अपने बहु पर नहीं आजमाया हो।महेश अपनी बहु को घर में हर जगह चोद चूका है।वह अपनी बहु से अपनी हर फैन्टेसी पूरी करा चूका है।

अब ससुर बहु खुश है साथ में ज्योति और समीर भी।अब समीर और नीलम भी समझौता कर चुके है।और नीलम अब माँ बननेवाली है।बच्चा भले ही महेश का है लेकिन नाम तो समीर का ही चलेगा।


अब चलते है आखिरी परिवार की तरफ

अगले अपडेट में-
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
अपडेट 134



अब चलते है रेखा के घर जहाँ रेखा रात को अपने पति के सोने के बाद अपने ससुर अनिल के रूम में जाकर चुदवा रही है।

दूसरी तरफ विजय कोमल को चोद रहा था तभी उसने कोमल से कहा । मैं चाहता हूं की मैं तुमको और कंचन दीदी को एक साथ चुदाई करुं ताकि फिर हमें भविष्य में चुदाई करने में कोई दिक्कत ना हो । उसके बाद हम लोग या तो तुम्हारे रूम में या फिर कंचन दीदी के रूम में या फिर मेरे रूम में कहीं भी खुल के चुदाई का मजा ले सकते हैं। और किसी को घर में खबर भी नहीं होगा बहुत कुछ समझा कर विजय ने कोमल को थ्रीसम के लिए तैयार कर लिया।


विजय ने प्लान के अनुसार कोमल को बता दिया था कि कल दिन में जब मैं कंचन दीदी की चुदाई करूं तब तुम उनके रूम के अंदर आ जाना और फिर जब हम दोनों चुदाई करने लगे तो तुम सामने आ जाना और चुदाई में शामिल हो जाना।


अपने प्लान के अनुसार दिन में जब विजय कंचन के रूम में आया तब उसने धीरे से कोमल को भी बुला लिया जब विजय कंचन के कमरे में अंदर आकर कंचन दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और कंचन के रसीले होंठो को चूसने लगा तभी कंचन बोली।


कंचन- क्या कर रहे हो भाई। जाओ पहले दरवाजा बंद करके आओ.. ताकि कोई आए तो पता चल जाएगा।
विजय- ओके.. मैं आता हूँ..
विजय दरवाजा बंद करके बाहर निकला तो पीछे के दरवाजे से कोमल अन्दर आकर छुप चुकी थी.. तो विजय ने दरवाजा बंद कर दिया।
कंचन- ठीक से बंद कर दिया ना?
विजय- हाँ मेरी जान.. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।
कंचन- तो करने को कौन बोल रहा है.. मेरी जान.. आ जाओ मैं भी तड़फ रही हूँ।
विजय- तो आ जा.. अभी तड़फ मिटा देता हूँ।
विजय अपनी दीदी से लिपट गया और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे और विजय सीधा कंचन के रसीले होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसे किस करना शुरू कर दिया।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
कुछ देर वैसा करने के बाद विजय थोड़ा नीचे आया और उसकी गर्दन को चूमने लगा।

कंचन विजय के लंड पर हाथ फेरने लगी और विजय उसकी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही चूमने-चाटने लगा। वो अपने भाई के लंड को दबाने लगी.. तो विजय भी उसकी चूचियों को मुँह से और चूतड़ों को हाथ से ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद विजय उसकी चूचियों को टॉप से निकालने लगा.. तो उसने खुद हाथ ऊपर कर दिए तो विजय ने पूरा टॉप ही बाहर निकाल दिया।

अब कंचन के दोनों रसीले संतरे बाहर आ गए और विजय की आँखों के सामने नग्न हो चुके थे.. तो विजय बेसब्री से उनको चूसने लगा।

अब तक कंचन विजय के लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी थी.. तो विजय ने खुद अपना पैंट खोल दिया और उसका लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल आया.. जिसको पकड़ कर कंचन बोली- अरे वाह.. ये तो पहले से काफ़ी बड़ा और मोटा हो गया है.. लगता है इसका बहुत इस्तेमाल हुआ है।
विजय ने हँसते हुए कहा- नहीं दीदी वैसी बात नहीं है.. ये तो तुम्हारे हाथों का कमाल है।
कंचन- देख कर तो नहीं लग रहा है.. मुझे तो ऐसा लग रहा है कि इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा हुआ है।

विजय- दीदी अगर आपके सवाल-जवाब ख़तम हो गए हों तो अब हम अपना काम करें.. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो पा रहा है।
कंचन ने अपने भाई के लंड को पकड़ते हुए कहा- हाँ यार.. सच बोलूँ.. तो मुझे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.. जी कर रहा है खा जाऊँ इसे..
विजय- तो खा जाओ.. रोका किसने है.. लेकिन पूरा मत खाना.. नहीं तो तुम्हारी चूत को कौन शान्त करेगा..
कंचन- हाँ ये भी सही बोल रहे हो भाई..

विजय अपनी दीदी की चूचियों को पीने लगा और मसलने लगा। तभी उसकी नज़र कोमल पर पड़ी.. तो वो इशारा कर रही थी कि ठीक से दिख नहीं रहा है।
तो विजय ने अपनी दीदी को गोद में उठाया और दूसरे साइड में बिस्तर पर लिटा दिया।
पीछे से कोमल की सहमति मिली कि हाँ.. अब सब कुछ दिख रहा है.. तो विजय फिर से अपने काम में लग गया और अपनी दीदी की बड़ी बड़ी चूचियों को पीने लगा।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
विजय अपनी बड़ी बहन की बड़ी बड़ी चूचियों को पीते-पीते नीचे बढ़ने लगा और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा.. तो कंचन मुँह से सीत्कार निकलने लगी।

अंततः विजय उसकी चूत के पास पहुँच गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसे चूमने लगा। कुछ देर चूमा.. कि तभी कोमल ने इशारा किया कि दीदी को पूरा नंगा करो। तो विजय कंचन को बिस्तर पर खड़ा किया और उसकी स्कर्ट को नीचे कर दिया। अब उसकी दीदी की चूतड़ कपड़ों से पूरी तरह से आज़ाद हो गए थे और विजय ने देखा कि पीछे कोमल की चुदासी सूरत देखने लायक थी। वो अपनी दीदी को पहली बार नंगा देख रही थी।

विजय अपनी दीदी के मुलायम चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.. उसे बहुत अच्छा लग रहा था.. वह बता नहीं सकता कि कितना अच्छा लग रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी ने विजय के लंड को पकड़ लिया और चूसने लगीं..

तभी विजय ने कोमल को आने का इशारा कर दिया और वो पीछे आ कर खड़ी हो गई.. लेकिन कंचन को पता नहीं चला… वो तो विजय का लंड चूसने में मस्त थी।

तभी कोमल आगे आ गई और तभी कंचन दीदी की नज़र उस पर पड़ी तो उन्हें झटका लगा और वो लंड छोड़ कर सीधे एक चादर से अपने आपको ढकने की कोशिश करने लगी, कंचन के चेहरे पर शर्मिन्दगी साफ़ झलक रही थी।

विजय उसी तरह नंगा ही खड़ा हो गया.. विजय का लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. वह बिस्तर के एक तरफ बैठ गया। अब विजय ने अपनी छोटी बहन कोमल को अपने तरफ़ खींच लिया और उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके हाथ में अपना लंड दे कर उसको चुम्बन करने लगा।

कंचन- ये क्या कर रहे हो तुम दोनों मेरे सामने ? तुम दोनों को शर्म नहीं आती अपनी बड़ी बहन के सामने ये सब करते हुए।

कोमल- अभी तुम क्या कर रही थी दीदी।अब शर्म छोड़ दीजिए दीदी.. और चादर हटा लीजिये।
विजय- हाँ हटा दो दीदी..

कंचन हँसते हुए- हटाती हूँ.. लेकिन तुम कहाँ से आ गई छोटी।

तो विजय और कोमल ने मिल कर अपनी दीदी को सारी बातें बता दीं।
कंचन- मतलब ये तुम दोनों का प्लान था।
कोमल और विजय- हाँ..दीदी।
कंचन- तुम दोनों को देख कर मुझे लगा तो था..
कोमल और विजय- क्या लगा था?

कंचन- यही की दोनों जल्दी ही मेरे सामने चुदाई करोगे और अपनी चुदाई में मुझे भी शामिल करोगे।
कोमल और विजय- हाहहह..दीदी।
कंचन-अब तो तुम पक्के बहनचोद बन गए हो भाई।अब दोनों बहनों को एक साथ चोदने वाले हो।
विजय- वो तो हूँ ही.. लेकिन चोदने वाली क्या बात है.. घर का माल अगर घर में ही रह जाए.. तो बुरा ही क्या है.. मैं नहीं चोदता.. तो तुम जैसी जबरदस्त माल को कोई और तो पक्का ही चोद देता . तो मैं ही क्यों नहीं चोद लूँ।
कंचन & कोमल- ओह ऊओ.. तो हम दोनों माल हैं..
विजय- अरे नहीं दीदी.. मेरा मतलब वो नहीं था..
कंचन और कोमल- तो क्या मतलब था?
विजय- अरे कुछ नहीं दीदी।छोड़ो इन बातों को.. आओ मजे करते हैं।
कंचन और कोमल- हाँ आओ भाई..
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
विजय- हम दोनों तो नंगे हैं ही.. कोमल सिर्फ़ कपड़ों में है.. तुम भी अपने कपड़े उतारो न..
कंचन- हाँ छोटी उतार दे और आज तक इसने हम दोनों को चोदा है.. आज हम दोनों मिल कर इसको चोदेंगे।
कोमल- हाँ ये सही रहेगा दीदी.. मैं जल्दी से कपड़े उतार देती हूँ।


कोमल एक-एक करके अपने कपड़े उतारने लगी और विजय मन ही मन ये सोच कर रोमांचित हो रहा था कि आज फिर से दो मस्त रसीली चूतों को एक साथ चोदने का मौका मिलेगा। पिछली बार कंचन और शीला को एक साथ चोदा था।
कंचन और शीला के बारे में जानने के लिए कहानी शुरु से जरूर पढ़ें।
लेकिन उसके बाद फिर से विजय ने किसी दो लड़कियों को एक साथ में नहीं चोदा था। अब मौका मिल गया है.. दो लड़कियों को एक साथ चोदने का..वो भी अपनी सगी बहनों को।

तब तक कोमल कपड़े उतार चुकी थी और वो इतराती हुई विजय और कंचन की तरफ़ बढ़ने लगी और उसकी तनी हुई चूचियों को ऊपर-नीचे होते देख कर विजय का लंड.. जो पहले से ही खड़ा था.. उसको इस तरह देख कर पूरे उफान पर पहुँच गया था।

विजय उसे पकड़ने के लिए उठने ही वाला था कि तभी कंचन दीदी ने उसे खींच लिया और विजय बैठ गया। कंचन विजय की एक जाँघ के पास बैठ गई.. तब तक कोमल भी विजय के दूसरी जाँघ के पास बैठ गई।
विजय के लंड की कुछ ऐसी हालत थी कि दो-दो चूतें उसके दोनों बगलों में थीं.. लेकिन किस में पहले जाया जाए.. वह यही सोच रहा था..


लेकिन विजय का हाथ कौन सा रुकने वाला था एक हाथ से अपनी बड़ी बहन कंचन की और दूसरी हाथ से अपनी छोटी बहन कोमल की चूचियों को दबाने लगा और दोनों विजय को लिप किस करने लगीं।

कुछ देर ऐसा करने के बाद विजय अलग हुआ और तो कंचन ने उसे बिस्तर पर गिरा दिया। विजय पीठ के बल लेट गया और दोनों बहने उसे किस करने लगीं। पूरे बदन पर कुछ देर किस करने के बाद उसकी दीदी लंड को चुम्बन करने लगीं और कोमल विजय को अपनी चूचियों का रस पिला रही थी।
 

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
कुछ देर बाद कोमल भी अपनी चूत को विजय के मुँह के पास करके लंड को चाटने लगी। ऐसा लग रहा था कि एक आइसक्रीम को दोनों बहन शेयर करके चूस रही हों। दोनों विजय के लंड को चाट रही थीं और उसका लंड गरम होता जा रहा था। तो विजय भी इधर कोमल की चूत को चाटने लगा।


उधर उसकी दीदी ने विजय के लंड को चूसने के बाद मुँह से लंड को बाहर निकाला.. तो कोमल ने लंड को मुँह में ले लिया।

अब कंचन विजय के दोनों गोलों को चूसने लगीं.. कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों अपनी गाण्ड विजय के तरफ़ करके उसके लंड को चूसने लगीं.. तो विजय भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वह अपनी दोनों बहनो की चूत में उंगली करने लगा।

खैर.. दोनों की चूत इतनी ज्यादा फ़ैल चुकी थी कि उनमें एक उंगली से कुछ होने वाला नहीं था तो विजय ने दूसरी ऊँगली भी डाल दी.. कुछ देर बाद तीसरी और फिर चौथी भी घुसेड़ दी.. तो उसकी दोनों बहनों के मुँह से सीत्कार निकलने लगी।
कुछ देर ऐसा करने के बाद सब झड़ गए और दोनों मिल कर विजय के लंड के पानी को पी गईं।


अब तीनों एक साथ बिस्तर पर लेट गए, विजय बीच में और दोनों बहने दोनों बगल में थीं।
कुछ देर लेटे रहने के बाद दोनों बहने एक साथ विजय के बदन पर उंगली फेरने लगीं.. विजय समझ गया कि अब दोनों को चुदने का मन हो रहा है और उसके लंड महाराज भी खड़े होकर अपनी मर्ज़ी बता चुके थे।

विजय ने कंचन को उठा कर अपने ऊपर खींच लिया और वो विजय के लंड कर बैठ गईं। विजय का लंड थोड़ी सी मेहनत से ही सही लेकिन अन्दर जड़ तक घुसता चला गया और वो भी लण्ड को लीलने के बाद झटके मारने लगी।
इधर कोमल अपनी गाण्ड विजय के मुँह के सामने हिलाने लगी। कुछ देर उछल कुद करने के बाद कंचन लंड पर से हटी.. और कोमल जा कर अपने भाई के लौड़े पर बैठ गई।
 
Top