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इस बार जब विजय ने ज़्यादा और ज़्यादा ज़ोर लगाने लगा और उसकी माँ की गान्ड खुलने लगी तो माँ उन्ह...उन्ह करने लगी. वो कराह रही थी मगर एक बार तो उसे झेलना ही था. तेल से सने लंड का चमकता सुपाडा गान्ड को धीरे धीरे खोलता गया और फिर 'गप्प' की आवाज़ हुई और लंड का सुपाडा उसकी माँ की टाइट गान्ड में गायब हो गया. इधर विजय का लंड उसकी माँ की गान्ड मे घुसा उधर उसकी माँ ने अपने हाथ कुल्हों से हटा चादर अपनी मुत्ठियों में भींच ली. उसे दर्द हो रहा था मगर उसने अभी तक अपने बेटे को रुकने के लिए नही कहा था. विजय ने ज़ोर लगाना चालू रखा. बिल्कुल आहिस्ता आहिस्ता धीरे धीरे ज़ोर लगाता वह लंड को आगे और आगे ठेलने लगा. उसकी माँ के मुख से हाए...हाइ......उफफफफ्फ़....आआहज.....हे भगवान..... करके कराहें फूट रही थीं।
जिस तरह उसका बदन पसीने से भर उठा था और जिस तरह वो बदन मरोड़ रही थी उससे विजय जान गया था कि उसकी माँ को बहुत तकलीफ़ हो रही थी. मगर हैरानी थी की रेखा ने विजय को एक बार भी रुकने के लिए नही कहा..... और जब उसने अपने बेटे को रोका तब तक लगभग दो तिहाई लंड उसकी गान्ड में घुस चुका था।
विजय ने आगे घुसाना बंद किया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. गान्ड इतनी टाइट थी कि खुद विजय को बहुत तकलीफ़ हो रही थी. गान्ड लंड को बुरी तरह से निचोड़ रही थी. इसलिए पीछे लाकर वापस अंदर डालने में बहुत परेशानी हो रही थी और उपर से उसकी माँ भी बुरी तरह सिसक रही थी और बार बार दर्द से बदन सिकोड अपनी गान्ड टाइट कर रही थी. मगर तेल की चिकनाई की वजह से विजय को लंड आगे पीछे करने मे मदद मिली. धीरे धीरे लंड रेखा की गान्ड में थोड़ा आसानी से आगे पीछे होने लगा. हर घस्से से कुछ जगह बनती जा रही थी. विजय ने मौका देख हर धक्के के साथ लंड थोड़ा....थोड़ा आगे और आगे पेलने लगा।
आख़िर कार कोई बीस मिनिट बाद विजय का पूरा लंड उसकी माँ की गान्ड में था. उसकी माँ को भी इसका जल्द ही अहसास हो गया जब विजय के टटटे उसकी चूत से टकराने लगे.
"उफफफफ्फ़.बेटे......पूरा घुसा दिया........इतना मोटा लौडा पूरा तूने मेरी गान्ड में डाल दिया" रेखा कराहते हुए बोली।
"हां माँ......पूरा ले लिया है तूने........तू ऐसे ही बेकार में डर रही थी"विजय अपनी माँ की गांड मारते हुए बोला।
जिस तरह उसका बदन पसीने से भर उठा था और जिस तरह वो बदन मरोड़ रही थी उससे विजय जान गया था कि उसकी माँ को बहुत तकलीफ़ हो रही थी. मगर हैरानी थी की रेखा ने विजय को एक बार भी रुकने के लिए नही कहा..... और जब उसने अपने बेटे को रोका तब तक लगभग दो तिहाई लंड उसकी गान्ड में घुस चुका था।
विजय ने आगे घुसाना बंद किया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. गान्ड इतनी टाइट थी कि खुद विजय को बहुत तकलीफ़ हो रही थी. गान्ड लंड को बुरी तरह से निचोड़ रही थी. इसलिए पीछे लाकर वापस अंदर डालने में बहुत परेशानी हो रही थी और उपर से उसकी माँ भी बुरी तरह सिसक रही थी और बार बार दर्द से बदन सिकोड अपनी गान्ड टाइट कर रही थी. मगर तेल की चिकनाई की वजह से विजय को लंड आगे पीछे करने मे मदद मिली. धीरे धीरे लंड रेखा की गान्ड में थोड़ा आसानी से आगे पीछे होने लगा. हर घस्से से कुछ जगह बनती जा रही थी. विजय ने मौका देख हर धक्के के साथ लंड थोड़ा....थोड़ा आगे और आगे पेलने लगा।
आख़िर कार कोई बीस मिनिट बाद विजय का पूरा लंड उसकी माँ की गान्ड में था. उसकी माँ को भी इसका जल्द ही अहसास हो गया जब विजय के टटटे उसकी चूत से टकराने लगे.
"उफफफफ्फ़.बेटे......पूरा घुसा दिया........इतना मोटा लौडा पूरा तूने मेरी गान्ड में डाल दिया" रेखा कराहते हुए बोली।
"हां माँ......पूरा ले लिया है तूने........तू ऐसे ही बेकार में डर रही थी"विजय अपनी माँ की गांड मारते हुए बोला।