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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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इस बार जब विजय ने ज़्यादा और ज़्यादा ज़ोर लगाने लगा और उसकी माँ की गान्ड खुलने लगी तो माँ उन्ह...उन्ह करने लगी. वो कराह रही थी मगर एक बार तो उसे झेलना ही था. तेल से सने लंड का चमकता सुपाडा गान्ड को धीरे धीरे खोलता गया और फिर 'गप्प' की आवाज़ हुई और लंड का सुपाडा उसकी माँ की टाइट गान्ड में गायब हो गया. इधर विजय का लंड उसकी माँ की गान्ड मे घुसा उधर उसकी माँ ने अपने हाथ कुल्हों से हटा चादर अपनी मुत्ठियों में भींच ली. उसे दर्द हो रहा था मगर उसने अभी तक अपने बेटे को रुकने के लिए नही कहा था. विजय ने ज़ोर लगाना चालू रखा. बिल्कुल आहिस्ता आहिस्ता धीरे धीरे ज़ोर लगाता वह लंड को आगे और आगे ठेलने लगा. उसकी माँ के मुख से हाए...हाइ......उफफफफ्फ़....आआहज.....हे भगवान..... करके कराहें फूट रही थीं।

जिस तरह उसका बदन पसीने से भर उठा था और जिस तरह वो बदन मरोड़ रही थी उससे विजय जान गया था कि उसकी माँ को बहुत तकलीफ़ हो रही थी. मगर हैरानी थी की रेखा ने विजय को एक बार भी रुकने के लिए नही कहा..... और जब उसने अपने बेटे को रोका तब तक लगभग दो तिहाई लंड उसकी गान्ड में घुस चुका था।

विजय ने आगे घुसाना बंद किया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. गान्ड इतनी टाइट थी कि खुद विजय को बहुत तकलीफ़ हो रही थी. गान्ड लंड को बुरी तरह से निचोड़ रही थी. इसलिए पीछे लाकर वापस अंदर डालने में बहुत परेशानी हो रही थी और उपर से उसकी माँ भी बुरी तरह सिसक रही थी और बार बार दर्द से बदन सिकोड अपनी गान्ड टाइट कर रही थी. मगर तेल की चिकनाई की वजह से विजय को लंड आगे पीछे करने मे मदद मिली. धीरे धीरे लंड रेखा की गान्ड में थोड़ा आसानी से आगे पीछे होने लगा. हर घस्से से कुछ जगह बनती जा रही थी. विजय ने मौका देख हर धक्के के साथ लंड थोड़ा....थोड़ा आगे और आगे पेलने लगा।


आख़िर कार कोई बीस मिनिट बाद विजय का पूरा लंड उसकी माँ की गान्ड में था. उसकी माँ को भी इसका जल्द ही अहसास हो गया जब विजय के टटटे उसकी चूत से टकराने लगे.

"उफफफफ्फ़.बेटे......पूरा घुसा दिया........इतना मोटा लौडा पूरा तूने मेरी गान्ड में डाल दिया" रेखा कराहते हुए बोली।

"हां माँ......पूरा ले लिया है तूने........तू ऐसे ही बेकार में डर रही थी"विजय अपनी माँ की गांड मारते हुए बोला।
 

Rakesh1999

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बेकार में......उूउउफफफफ्फ़.........मेरी जगह तू होता तो तुझे मालूम चलता.....अभी भी कितना दुख रहा है....,धीरे कर" रेखा बोली।

"माँ अब तो चला गया है ना पूरा अंदर.......बस कुछ पलों की देर है देखना तू खुद अपनी गान्ड मेरे लौडे पर मारेगी" विजय अपनी की माँ की पीठ चूमता बोला.

"धीरे पेल बेटा.......हाए बहुत दुख रही है मेरी गान्ड......." रेखा सिसिया रही थी.उसकी माँ का तेल वाला सुझाव वाकई मे बड़ा समझदारी वाला था. तेल से लंड आराम से अंदर बाहर फिसलने लगा था. जहाँ पहले इतना ज़ोर लगाना पड़ रहा था लंड को थोड़ी सी भी गति देने के लिए अब वो उतनी ही आसानी से अंदर बाहर होने लगा था. हालाँकि माँ ने विजय को धीरे धीरे धक्के लगाने के लिए कहा था मगर पिछले आधे घंटे से किए सबर का बाँध टूट गया और विजय ना चाहता हुआ भी माँ की गान्ड को कस कस कर चोदने लगा.

"हाए उउउफफफफफफफ्फ़.........आआआहज्ज्ज्ज मार...डााअल्ल्लीीगगगघाा क्या आआअ......हीईीईईईई.....ओह माआआअ.......,,हे भगवान......मेरी गान्ड....,उफफफफफफफ़फ्ग"

रेखा चीख रही थी, चिल्ला रही थी मगर अपने बेटे को रुकने के लिए नही कह रही थी. सॉफ था उसे इस बेदर्दी में भी मज़ा आ रहा था. अगर रूम साउंड प्रूफ नहीं होता तो पड़ोसी ज़रूर उसकी चिल्लाते हुए सुन लेते.वैसे भी माँ रोकती तो भी विजय रुकने वाला नही था. दाँत भींचे विजय माँ की गान्ड में पेलता जा रहा था और वो पेलवाती जा रही थी.

"हाए अब बोल साली कुतिया......मज़ा आ रहा है ना गान्ड मरवाने में....."विजय अपनी माँ की गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला।

"आ रहा है....हाए बहुत मज़ा आ रहा है....ऐसे ही ज़ोर लगा कर चोदता रह.......हाए मार अपनी माँ की गान्ड"
फाड़ डाल मेरे बेटे।रेखा बोली।

"ले साली कुतिया .....ले....यह ले.........मेरा लॉडा अपनी गान्ड में" विजय पूरी रफ़्तार पकड़ते हुए अपनी माँ के चुतड़ों पर तड़ तड़ चान्टे मारने शुरू कर दिए.

"हाई....उूुुउउफफफ्फ़...,मार ..,हरामी....मार अपनी माँ की गान्ड....मार अपनी माँ की गान्ड.......,हाए मार मार कर फाड़ डाल इसे...,उफफ़गगगगगग...हे भगवान..........ले ले मेरी गान्ड.......ले ले मेरे लाल...," रेखा अब पूरी गरम हो चुकी थी।
 

Rakesh1999

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विजय कइ थप्पड़ों से उसकी माँ के चुतड लाल सुर्ख होने लगे. उधर फटक फटक विजय का लौडा भी अपनी माँ कई गान्ड फाड़ने पर तुला हुआ था. उसकी माँ तो लगता था जैसे ऐसी चुदाई की भूखी थी, यह उसका विजय ने नया रूप देखा था. उसकी इच्छाएँ इतने समय तक दबी रहने के कारण हिंसक रूप धारण कर चुकी थी. उसे चुदाई में गालियाँ अच्छी लग रही थी।

आह साली तू तो रंडियो की तरह चिल्ला रही है । साली कुतिया की तरह गांड मरवा रही है।कैसा लग रहा है तुझे अपने बेटे का लंड।कितनी गरम और टाइट गांड है तेरी माँ।विजय बोला।

बहुत मज़ा आ रहा बेटे और जोर जोर से पेल मेरी गांड में। तेरा लंड कितना मज़ा दे रहा है।जी चाहता है तेरे लंड को चूम लूँ। रेखा नशीले अंदाज़ में बोली।

ये सुनकर विजय ने अपना लंड कुतिया बनी अपनी की गांड से निकाल लिया।विजय के लंड पर उसकी माँ के गांड का पीला रस लगा हुआ था। विजय ने जल्दी से अपनी माँ के मुँह में अपना गन्दा लंड पेल दिया।जिसे उसकी माँ चाट चाट के साफ करने लगी।वासना के नशे में विजय की माँ सच में एक कुतिया बन गई थी।

जब विजय का लंड पूरा साफ हो गया तो उसने फिर से कुतिया बनी अपनी माँ के गांड में एक झटके में ही पूरा 9 इंच का लंड पेल दिया।उसकी माँ दर्द से चिल्लाने लगी।

आह बेटे तुझे जरा भी सबर नहीं है आराम से नहीं पेल सकता क्या। आखिर मैं तेरी माँ हूँ मेरे लाल।

विजय ने अपनी माँ के गांड पर जोर से थप्पड़ मारकर बोला। चुप साली रंडी तू मेरी कुतिया है तुझे तो मैं किसी कुत्ते से चुदवाऊँगा।तब तू असली कुतिया बनेगी साली रंडी ।

विजय ने 1 घंटे तक अपनी माँ को किसी कुतिया की तरह चोदा। रेखा 4 बार झड़ चुकी थी।फिर जब विजय
झड़ने को हुआ तो उसने अपना लंड अपनी माँ की गांड से निकाला और अपना सारा वीर्य अपनी माँ के मुँह पर गिराने लगा।जिसे उसकी माँ उंगलियो में लेकर चाटने लगी।उसकी माँ वीर्य में भीगी हुई पोर्नस्टार के जैसी दिख रही थी।

उसकी माँ की गाँड फट गई थी।चूत भी सूज गई थी।मुँह का तो बुरा हाल था। चूतड़ों पर थप्पड़ों के निशान पड़ चुके थे।विजय ने अपनी माँ के निप्पल और चूचियों पर भी दांत के निशान बना दिए थे।


अब उसे विजय की मार भी अच्छी लग रही थी, विजय का उससे जानवरों की तरह पेश आना अच्छा लगता था. बल्कि जितना विजय बेदरद हो जाता उतना ही उसका आनंद बढ़ जाता, इस बात को जान कर विजय उसके साथ कोई नर्मी नहीं बरत रहा था, तब भी जब विजय उसकी गान्ड मार रहा था या तब जब रात के आख़िरी पहर के समय में विजय उसे छत पर रेलिंग के साथ घोड़ी बनाकर चोद रहा था । ना आने वाले दिनो में जब कभी विजय उसे किचन में, तो कभी घर में अपने पिता के बेड पर अपनी माँ को अलग अलग आसनो मे चोदता. वो हर वार विजय का पूरा साथ देती और चुदाई के समय विजय की किसी बात पर एतराज ना करती।


चुदाई के बाद दोनों फिर से अपने पुराने रूप मे आ जाते जिसमे वो विजय की माँ होती और वह उसका बेटा. हालाँकि उन दोनो को चुदाई में बेहद आनंद आता था मगर फिर भी उनके बीच रोजाना चुदाई नही होती थी. सप्ताह में एक दो बार, ज़्यादा से ज़्यादा. विजय ने अपना ध्यान कभी भी पढाई से भटकने नही दिया था और उसकी माँ भी इस बात का पूरा ख़याल रखती थी।समय मिलने पर वह कोमल की भी चुदाई कर लेता था ।इधर कंचन अपने पिता और दादा के साथ बीजी थी।
 

Rakesh1999

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अपडेट 132



कुछ दिन बाद की बात है आज संडे था तो सभी की छुटी थी।सभी ने नाश्ता किया और अपने अपने रूम में चले गए।रेखा को कल से ही मासिक शुरू हो गया था इसलिए मुकेश को चुदाई करने को नहीं मिला था।उसने अपनी बीबी से कंचन को चोदने की परमिसन ले लिया था।

जब सभी सोने चले गए तो मुकेश भी धीरे से कंचन के रूम में घुस गया।कंचन लेटी हुई थी।अपने पिताजी को अपने रूम में घुसकर दरवाजा बंद करते देखकर वह समझ गई की उसके पिताजी उसे चोदने के लिए ही आये है।

मुकेश धीरे से बेड पर अपनी बेटी कंचन के पास लेट गया और अपनी बेटी को बाहों में भरने लगा।
जब मुकेश ने कंचन के रसीले होंठो को चूसना शुरू किया तो कंचन भी अपने पिताजी का साथ देने लगी क्योंकि वह भी कई दिनों से प्यासी थी।क्योंकि विजय अब ज्यादा ध्यान कोमल पर ही दे रहा था।

मुकेश ने जल्दी जल्दी अपनी बेटी के सभी कपडे निकाल दिए और अपने कपडे भी निकाल दिए।अब कंचन पूरी नंगी थी।

मुकेश-आह मेरी गुड़िया।कितनी सुन्दर है तू।तेरे होंठ कितने रसीले है।जी चाहता है इनका सारा रस चूस लूँ और दिन रात तेरी चूत चोदता रहूँ।

फिर कंचन ने अपने पिताजी से कहा– पिताजी, अपनी मासूम बच्ची को चोद दो, फक मी प्लीज! आज बना लो अपनी बेटी को अपनी रखैल!
उसके पिता यह सुन कर पागल हो गए और कंचन को पकड़ लिया और उसके होंठों पर चुम्बन करने लगे।
किस करते करते वो कंचन के बूब्स दबा रहे थे।
काफ़ी देर तक दोनों की किसिंग चलती रही तब उसके पिता ने बोला– चल अब मेरा लंड चूस बेटी।

बाप बेटी दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे को चूसने लगे। चूसते चूसते काफी टाइम हो गया तो कंचन ने अपने पापा से बोला– पिताजी, अपनी बेटी को चोदो अब… प्लीज फक मी, अब और कण्ट्रोल नहीं हो रहा है मुझसे!

उसके पिता भी कम चालाक नहीं थे, वो कंचन को खूब तड़पा रहे थे और उसकी चिकनी गीली चूत में उंगली पेल रहे थे। कंचन से तो रहा ही नहीं जा रहा था, वह जोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी और बोल रही थी- आहाहह अहह अहहः अहहाह उऔ औऔऔअ उईईईइ फक मी प्लीज अहहहः अहहाह प्लीज अब तो लंड डाल दो… प्लीज… फक मी हार्ड… मेरी चूत बहुत प्यासी है पिताजी… प्लीज … और मत तड़पाओ…
 

Rakesh1999

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‘पिताजी चोदो मुझे… जैसे मेरी मम्मी को रंडी की तरह चोदते हो!’ कंचन कुछ भी बक रही थी, उसकी चूत में आग सी लगी हुई थी।
पिताजी ने अपना 7 इंच का लंड का टोपा कंचन की चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा और उनका टोपा अन्दर चला गया।
‘ले मादरचोद रंडी की औलाद… ले मेरे लंड को अन्दर तक ले!’ कहते हुए मुकेश ने एक और जोरदार झटका मारा और इस बार उसका आधा लंड कंचन की चूत के अन्दर घुस गया।

कंचन की तो मज़े से हालत ख़राब हो गई थी… उसे बहुत जबरदस्त मज़ा आ रहा था, कंचन ने अपने पिता से कहा– पापा, प्लीज इसी तरह पेलो… मैं जल्दी ही झड़ जाऊँगी… बहुत मज़ा आ रहा है मुझे!
कंचन को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
उसके पापा अब किस करने लगे और कुछ देर रुक गए, उनका आधा लंड ही कंचन की चूत में था।

कुछ देर बाद कंचन को और मज़ा आने लगा और कंचन का शरीर शांत सा हुआ, मुकेश ने फिर से एक और जोर का झटका मार दिया और उनका पूरा लंड कंचन की चूत में घुसता चला गया… इस बार कंचन के मुख से हल्की सी चीख निकली और उसे थोडा दर्द होने लगा लेकिन इस बार उसके पापा नहीं सुन रहे थे, वो अपने लंड को दनादन अपनी बेटी की चूत में पेले जा रहे थे।

कुछ देर बाद कंचन को भी मज़ा आने लगा और वह भी गांड उठाकर अपने पिता का साथ देने लगी थी, पूरे कमरे में दोनों की चुदाई की खच खच फच फच की आवाज़ें आ रही थी।
करीब पंद्रह मिनट के बाद, मुकेश झड़ने जा रहा था और कंचन तब तक दो बार झड़ चुकी थी।

फिर कंचन ने अपने पिता से कहा– बाहर ही झड़ना पिताजी नहीं तो मैं प्रेग्नेंट हो जाऊँगी।
लेकिन मुकेश ने अपने लंड का माल कंचन के मुँह में डाल दिया जिसे कंचन धीरे धीरे चाट गई और बाप बेटी दोनों वहीं बिस्तर पर लेट गए।
आधे घंटे बाद दोनों फिर से तैयार हो गए थे।


कंचन के पापा के हाथ फिर से उसके चिकने गोरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगे।
 

Rakesh1999

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उसके पिताजी धीरे से कंचन की पीठ से चिपक कर लेट गये… उनका लंड खड़ा था… उसका स्पर्श कंचन की चूतड़ों की दरार पर हो रहा था, उसके सुपारे का चिकनापन कंचन को बड़ा प्यारा लग रहा था।
मुकेश कंचन की चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे। वह कंचन की चूचियों को मसलते हुए बोले- बेबी, कोल्ड क्रीम और टॉवल तो लेकर आ!

‘पिताजी, क्रीम क्यों?’
‘अरे लेकर आ… तब बताऊँगा!’
कंचन क्रीम और टॉवल ले बैडरूम में पहुंची, कंचन बहुत खुश थी, जानती थी कि उसके पिता ने क्रीम क्यों मंगाई है।
कमरे में पहुंची तो पिताजी बोले- आओ बेटी।

कंचन गुदगुदाते मन से अपने पिता के पास बैठ गई, पिताजी कंचन के पीछे आये और अपने दोनों हाथ उसकी कड़ी चूचियों पर लाये और दोनों को प्यार से
दबाने लगे। अपने पिताजी के हाथ से चूचियों को दबवाने में कंचन को बड़ा मजा आ रहा था।

मुकेश अपनी बेटी कंचन की कड़ी चूचियों को मुट्ठी में भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनों घुंडियों को भी मसल रहे थे, कंचन मस्ती से भरी मजा ले रही थी।
तभी उसके पिताजी ने पूछा- बेटी, तुमको अच्छा लग रहा है?
‘हाय पिताजी, बहुत मजा आ रहा है।’

मुकेश ने कंचन की चूचियाँ मसलते हुए उसे कुतिया की अवस्था में आने को कहा तो कंचन को यकीन हो गया कि आज पिताजी अब लंड उसकी गांड में घुसाएँगे।
कंचन कुतिया बन गई, पीछे से आकर उसके पिता ने कंचन के संतरे जोर से पकड़ लिए और लंड उसकी गांड की दरार पर दबा दिया।
कंचन ने लंड को गांड ढीली कर के रास्ता दे दिया और उसके पिता के लंड का सुपारा एक झटके में छेद के अन्दर था।
‘पिताजी… हाय रे… मेरी गांड मार दी… फ़ाड़ दिया मेरी पिछाड़ी को…’ कंचन के मुख से सिसकारी निकल पड़ी।

उसी समय अनिल अपने रूम से कंचन के रूम की तरफ जा रहा था।उसका मन भी कंचन को चोदने का था क्योंकि उसकी बहु को मासिक शुरू हो गया था। तभी उसे कंचन की चीख सुनाई दी।वह खिड़की दी दरार से अंदर देखने लगा।जहाँ मुकेश अपनी बेटी कंचन की गांड मार रहा था।कंचन की गांड चुदाई देखकर अनिल बहुत गरम हो गया और अपना लंड सहलाते हुए कंचन की लाइव चुदाई देखने लगा।
 

Rakesh1999

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मुकेश का लंड अब कंचन की गांड की गहराइयों में उसकी सिसकारियों के साथ उतरता ही जा रहा था।
‘कंचन बेटी जो बात तुझमें है, तेरी मम्मी में नहीं है!’ पिताजी ने आह भरते हुए कहा।
लंड एक बार बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुसा जा रहा था, हल्का सा दर्द हो रहा था। पर पहले भी कंचन गांड चुदवा चुकी थी।


अब मुकेश ने अपनी उंगली कंचन की चूत में घुसा दी थी और दाने के साथ उसकी चूत को भी मसल रहे थे। कंचन आनन्द से सराबोर हो गई, उसकी मन की इच्छा पूरी हो रही थी…।

‘कुछ मत बोलो पिताजी, बस चोदे जाओ… हाय कितना मज़ा आ रहा है… चोद दो अपनी बच्ची की गांड को…’ कंचन बेशर्मी पर उतर आई थी।
मुकेश का मोटा लंड तेजी से कंचन की गाँड में उतरता जा रहा था… अब मुकेश ने बिना लंड बाहर निकाले कंचन को उल्टी लेटा कर उसके भारी चूतड़ों पर सवार हो गये और हाथों के बल पर शरीर को ऊँचा उठा लिया और अपना लंड कंचन की मतवाली गाँड में पेलने लगे… उनका ये फ्री स्टाईल चोदना कंचन को बहुत भाया।


‘पिताजी, मेरी चूत का भी तो ख्याल करो या बस मेरी गांड ही मारोगे?’ कंचन ने अपने बाप से कहा।
‘मेरी मासूम बच्ची, मेरी तो शुरू से ही तुम्हारी गांड पर नजर थी… इतनी प्यारी सी गांड… उभरी हुई और इतनी गहरी… हाय मेरी जान… मेरा असल मकसद तेरी मासूम गुलाबी चूत और गांड चोदना ही था।’मुकेश ने अपनी बेटी की गांड मारते हुए कहा।

मुकेश ने लंड बाहर निकाल लिया और कंचन की चूत को अपना निशाना बनाया- जान… चूत तैयार है ना, ले ये गया मेरा लंड तेरी चूत में… हाय इतनी चिकनी और गीली…’ और उसका लंड पीछे से ही कंचन की चूत में घुस पड़ा।
एक तेज मीठी सी टीस चूत में उठी, चूत की दीवारों पर रगड़ से मेरे मुख से आनन्द की सीत्कार निकल गई।
‘हाय रे… पिताजी मर गई… मज़ा आ गया… और करो….’ उसके पिताजी का लंड गाँड मारने से बहुत ही कड़ा हो रहा था… उसके पिताजी अपने चूतड़ खूब उछाल उछाल कर कंचन की चूत चोद रहे थे।

कंचन की चूचियाँ भी बहुत कठोर हो गईं थीं, उसने पिताजी से कहा- पिताजी, मेरी चूचियाँ जोर से मसलो ना… खींच डालो!’
उसके पिताजी तो चूचियाँ पहले से ही पकड़े हुए थे पर हौले-हौले से दबा रहे थे। कंचन के कहते ही उन्हें तो मज़ा आ गया, उसके पिता ने कंचन की दोनों चूचियाँ मसल के रगड़ के चोदना शुरू कर दिया।
 

Rakesh1999

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कंचन के दोनों चूतड़ों की गोलाईयाँ उसके पापा के पेड़ू से टकरा रहीं थीं… लंड चूत में गहराई तक जा रहा था… कंचन घोड़ी बनी हुई थी । उसके पिता घोड़े की तरह धक्के मार मार कर अपनी बेटी को चोद रहे थे।
कंचन के पूरे बदन में मीठी-मीठी लहरें उठ रहीं थीं,वह अपनी आँखों को बन्द करके चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।


मुकेश के भी चोदने से लग रहा था कि मंज़िल अब दूर नहीं है, उनकी तेजी और आहें तेज होती जा रही थी… मुकेश ने अब अपनी बेटी के चूचुक जोर से खींचने चालू कर दिये थे। चूचक खिंचने और मसलने के साथ साथ मुकेश जोर जोर से अपनी बेटी को पेल रहा था।अब कंचन की चूत और गांड दोनों का छेद पूरा खुल गया था। मुकेश अब पूरा लंड बाहर निकाल लेता और कभी अपनी बेटी की गांड में तो कभी चूत में एक ही झटके में पूरा जड़ तक पेल देता। फिर कस कस के पेलने लगता।
आधे घंटे तक मुकेश अपनी बेटी को कुतिया बनाकर उसकी चूत और गांड मारता रहा।कंचन भी अपनी गांड पीछे धकेल के चुदवा रही थी।

कंचन भी अब चरम सीमा पर पहुँच रही थी, उसकी चूत ने जवाब देना शुरू कर दिया था, उसके शरीर में रह रह कर झड़ने जैसी मिठास आने लगी थी।
अब कंचन अपने आप को रोक ना सकी और अपनी चूत और ऊपर दी, बस उसके पिता के दो भरपूर लंड के झटके पड़े कि चूत बोल उठी कि बस बस… हो गया- पिताजी ऽऽऽऽऽ बस… बस… मेरा माल निकला… मैं गई… आऽऽई ऽऽऽअऽ अऽऽऽआ…
कंचन ज़ोर लगा कर अपनी चूचियाँ उनसे छुड़ा ली, बिस्तर पर अपना सर रख लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी।

उसके पिता का लंड भी आखिरी झटके लगा रहा था।
फिर आह… उनका कसाव कंचन के शरीर पर बढ़ता गया और उन्होंने अपना लंड बाहर खींच लिया।
झड़ने के बाद कंचन को थोड़ी तकलीफ़ होने लगी थी… थोड़ी राहत मिली… अचानक उसके चूतड़ और उसकी पीठ उसके पिताजी के लंड की फ़ुहारों से भीग उठी… उसके पिताजी झड़ रहे थे, रह रह कर कभी पीठ पर वीर्य की पिचकारी पड़ रही थी और अब कंचन के चूतड़ों पर पड़ रही थी।
उसके पिताजी लंड को मसल मसल कर अपना पूरा वीर्य निकाल रहे थे।

जब पूरा वीर्य निकल गया तो मुकेश ने पास पड़ा तौलिया उठाया और कंचन की पीठ को पौंछने लगे- कंचन बेटी, तुमने तो आज मुझे मस्त कर दिया!
पिताजी ने अपनी बेटी के चेहरे को किस करते हुए कहा।
कंचन चुदने की खुशी में कुछ नहीं बोली पर धन्यवाद के रूप में उन्हें फिर से बिस्तर पर खींच लिया और अपने पिताजी के लंड को अपने होठो में लेकर चाट चाटकर साफ करने लगी और फिर अपने पिता के होंठो को चूसने लगी।


कुछ देर सुस्ताने के बाद मुकेश कंचन के रूम से निकल कर अपने रूम में चला गया।
 

Rakesh1999

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अनिल ने जब अपने बेटे को कंचन के रूम से बाहर जाते देखा तो वह धीरे से अपनी पोती के रूम में घुस गया और दरवाजा बंद करने लगा।

कंचन अपने दादाजी को अपने रूम में देखकर चौंक गईं और बोली।अरे दादाजी आप इस समय।

मुकेश कंचन की तरफ बढ़ा और उसने कंचन को अपनी मजबूत बाँहों में भर कर चूमने लगा।

कंचन अपने दादाजी की बाँहों में कसमसा रही थी और छुटने की कोशिश कर रही थी।छोड़िये न दादाजी कंचन बोल रही थी।

कुछ देर अपनी पोती को चूमने के बाद मुकेश ने अपने कपडे उतार दिए उसका 9 इंच का लंड तम्बू बना हुआ था।

कंचन ने देखा कि उसके दादा ने अपने कपडे उतार दिए थे. उनका मोटा लंड पूरा खड़ा था.

‘बेटी आज तेरी चुदाई देख के मैं पागल हो गया हूँ, तुझे चोदे बिना मैं कैसे छोड दूँ ?’

‘प्लीज़ दादा जी मैं बहुत थक गयी हूँ’कंचन बोली।

‘तुझे वैसे भी कुछ करना नही हैं मेरी जान. बस नीचे लेटी रह और मुझे तेरी मस्तानी गांड मारने दे’ दादाजी बोले।

गांड मारने की बात सुनकर कंचन डर गयी.

दादाजी कंचन के रूम के अंदर आने लगे. कंचन को अभी भी याद था कि 8 इंच के लंड से गांड चुदवा कर कितना बुरा हाल हुआ हैं. दादाजी के 9 इंच का लंड तो उसे मार ही डालेगा. वह बहुत ही डर रही थी।


‘तेरी चिकनी गांड को आज अच्छी तरह से चोदुन्गा, कितने दिनो से तेरी छोटी सी गांड में अपना लंड डालने का जी कर रहा था, लेकिन तेरे पिता को तेरी गांड मारते हुए देखकर मैं बहुत गरम हो गया हूँ बेटी।आज इस मौके को नहीं जाने दूँगा’ दादाजी बोले।

‘प्लीज़ मुझे आज छोड दीजिये दादाजी। आज मैं बहुत थक गई हूँ मेरी गांड में थोड़ी दर्द भी है आप किसी दूसरे दिन कर लेना’ कंचन बोली।
 

Rakesh1999

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पर दादाजी को सिर्फ़ कंचन की गांड दिख रही थी । मुकेश के द्वारा कंचन की गांड चुदाई देखकर वह बहुत गरम हो गए थे।वो कुछ सुन नही रहे थे और जल्दी जल्दी कंचन को नंगा कर रहे थे.जब कंचन पूरी नंगी हो गई तो उन्होंने कही से एक क्रीम की बॉटल निकाल ली और दोनो हाथों में क्रीम डाल के अपने लंड पे लगा लिया. फिर वो थोड़ी और क्रीम हाथों में ले कर कंचन की गांड पे मसलने लगे. एक मिनिट में कंचन की गांड क्रीम से चमकने लगी.

‘हाई क्या मस्त गांड हैं तेरी बिटिया। इसमें लंड घुसाने में बहुत मज़ा आएगा।’दादाजी ने यह कहकर कंचन को कुतिया बना दिया। और उसकी गांड की भूरी छेद को मसलने लगे।

कुछ देर ऐसे गांड मसलने के बाद उन्होंने थोड़ी क्रीम अपनी दो उंगलियों में लेकर अचानक कंचन की गांड में घुसेड दी.

अचानक उनकी मोटी उंगलियाँ गांड में जाने से कंचन चीख पड़ी ‘आऐईयईई…’ ठंडा ठंडा क्रीम कंचन की गांड में बहुत महसूस हो रहा था. दादाजी ने दो मिनिट तक ऐसे ही अपनी उंगलिया कंचन की गांड में अंदर बाहर की. फिर उन्होंने अपनी उंगलियाँ निकाल दी.

‘बहुत क्रीम हो गया बेटी. अब मेरे लंड की बारी है’ ये कह के दादाजी ने अपना मोटा लौडा कंचन की गांड के छेद पे रख दिया…..




कुछ देर तक वो अपना लंड कंचन की गांड पर रगड़ते रहे। जब उन्होंने देखा की लौंडिया थोड़ा नॉर्मल हो गई हैं तो दादाजी ने एक करारा झटका लगाया उसका 3 इंच तक लंड कंचन की गान्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया । कंचन के मुँह से चीख निकल गई क्योंकि उसके दादाजी का लंड उसके पिता से ज्यादा मोटा था।

मररर्र्ररर गैईईइ हाइईईईईईईईईई मेरिइईईईईई फाद्द्दद्ड दीईईईई बचाऊऊऊओ।

दादाजी ने फिर दूसरा झटका मारा अब 5 इंच लंड कंचन की गांड के अंदर था । पर दादाजी का लंड इतना मोटा था कि क्रीम लगाने के बावजूद पूरा अंदर जा नहीं रहा था.
‘लगता हैं थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ेगा’ कह के दादाजी ने अपना लंड गान्ड के छेद से 3-4 इंच पीछे ले कर ज़ोर से आगे धकेला. उनका मोटा लंड कंचन के गान्ड के छोटे से छेद को चीरता हुआ 7 इंच तक अंदर घुस गया.
‘आआआआऐययईईईईईईईईईईई’ कंचन ज़ोर से चिल्ला बैठी. कंचन को ऐसा लगा कि किसी ने उसके गांड के अंदर चाकू घुसेड दिया हो।


‘आआआहह…. कितनी टाइट हैं और गरम गांड है तेरी आआआआहह….’ करके दादाजी मज़ा ले रहे थे।
दादाजी अपने पूरे शरीर का वज़न नीचे की ओर धकेल रहे थे और अपने लंड को पूरे ज़ोर से कंचन की गान्ड में और ज़्यादा घुसेडने की कोशिश कर रहे थे. उनका लंड बहुत ही धीरे धीरे कंचन की गान्ड को फैला के आगे जा रहा था. कंचन दर्द के मारे छटपटा रही थी, उसकी आँखों से दर्द झलक रहा था।
 
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