Mother_Worshipper
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क्यों पिताजी भी तो मारते होंगे ना तेरी गान्ड. जब उनसे मरवा सकती है तो फिर मुझसे क्यों नही"
"तुझे क्या पता वो मारते हैं कि नही?"
"इतनी प्यारी टाइट गान्ड तो कोई नामर्द ही बिना चोदे छोड़ेगा.......बोल मारते हैं ना?" विजय अपनी माँ के निप्पलो को कस कर मसला तो वो कराह उठी.
"इतना ज़ोर से क्यों मसलता है........नहीं मारते है वो मेरी गान्ड....बस बोल दिया" रेखा ने अपनी कमर घुमाना बंद कर दिया था. विजय उसकी कमर पर हाथ रख उसे अपने लंड पर उपर नीचे करने लगा तो वो फिर से शूरू हो गई.
"और तू मज़े ले लेकर उनसे चूत मरवाती थी....अब यह ना कहना कि नही मरवाती थी" विजय अपनी कमर उछाल लंड अपनी माँ की चूत में पेलते बोला. उसकी माँ अब फिर से सिसकने लगी थी.
"हाए चूत तो मरवाती हूँ बेटा ........मज़े से मरवाती हूँ बेटा.......मगर मज़ा उतना नही आता "
"क्यूँ माँ....क्यूँ मेरी माँ को मज़ा नही आता ?" विजय अपनी माँ को पेलते हुए बोला।
"हाए वो कभी कभी चूत मारते हैं....रोज नही.......इसलिए मेरी टाइट ही रहती हैं........शुरू शुरू में जब शादी हुई थी तो तेरे पिता अपना लंड मेरी टाइट गान्ड में थोड़ी सी घुसाते तो सुरू में बहुत तकलीफ़ होती.......हाए जब......उफफफफ्फ़........जब थोडा सा लंड घुसता उनका.....उनका माल छूट जाता"
"मतलब मेरी ......मेरी कुतिया की जम कर गान्ड चुदाई नही होती थी......यही कहना चाहती है ना तू?"विजय बोला।
"हां.....उन्न्नन्ग्घह......हाए......उफफफफफफफफ्फ़.......हााआआं.........नही होती थी जम कर चुदाई......." विजय ने नीचे से कमर उछालना बंद कर दिया और अपनी माँ की कमर थामे उठ कर बैठ गया लेकिन उसकी चूत से लंड नही निकलने दिया.
"और तुझे जम कर गान्ड मरवानी है?.......जैसे आज तूने अपनी चूत मरवाई है?"विजय ने अपनी माँ की चूत में लंड अंदर बाहर करते हुए कहा।
"हां मरवानी है"रेखा अपने बेटे के आँखो में आँखे डालते होंठ काटते बोली.
"उह बाबूजी दर्द कहाँ बुहत मजा आ रहा है" रेखा उत्तेजना के मारे सिसकती हुयी बोली । अनिल ने अपनी बहु को गरम देखकर अपने होंठ उसकी चूत से हटाते हुए अपनी जीभ को निकाल कर उसकी चूत के छेद पर फेरने लगा ।
"आह्हः बाबूजी बुहत मजा आ रहा है", अपने ससुर की जीभ अपनी चूत पर पड़ते ही रेखा अपने चुतडों को उछालते हुए बोली । अनिल अपनी जीभ से अपनी बहु की चूत से निकलते हुए पानी को चाटने लगा ।
अनिल अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी बहु की चूत में घुसा दिया और उसे अंदर बाहर करने लगा। "आह्ह्ह्ह श बाबूजी बुहत मजा आ रहा है", जीभ के घुसते ही रेखा अपना हाथ अपने ससुर के बालों में ड़ालते हुए उसे अपनी चूत पर दबाने लगी ।
अनिल अपनी बहु की चूत में जीभ को बुहत ज़ोर से अंदर बाहर करते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के झाँटों को सहलाते हुए रेखा की चूत के दाने पर रख दिया और उसे अपने हाथों से मसलने लगा।
रेखा का पूरा जिस्म अकड़ कर झटके खाने लगा।
"आह्ह श ओह्ह्ह बाबूजी रेखा उत्तेजना को सहन न करते हुए अपनी ऑंखों बंद करके झरने लगी", रेखा की चूत से पानी की नदिया बहने लगी और उसका ससुर उसकी चूत से पानी को चाटने लगा, अनिल का चेहरा अपनी बहु की चूत को चाटते हुए पूरा भीग गया ।
रेखा ने कुछ देर झरने के बाद अपनी ऑंखें खोली तो उसे हंसी आ गयी, क्योंकी उसकी चूत से निकलते हुए पानी से उसके ससुर का पूरा चेहरा भीगा हुआ था । और वह सीधा बैठकर अपनी बहु की चुचियो को देख रहा था, अनिल ने अपनी बहु को हँसता हुआ देखकर टॉवल उठा कर अपना मूह साफ़ कर दिया और अपनी बहु को धक्का देते हुए सीधा लेटा दिया ।
अचानक रेखा की नज़र घडी पर गई, वह घबराकर उठ बैठी और बेड से उठते हुए कपड़े पहनने लगी "क्या हुआ बेटी तुम इतनी घबरायी हुयी क्यों हो ?"अनिल ने अपनी बहु से पुछा । "बाबूजी ४ बज गए हैं बच्चे उठ गये होंगे । आपका बेटा भी आता ही होगा" यह कहते हुए रेखा ने कपड़े पहन लिए और वहां से जाने लगी ।
भाई कहां कहां से सोचकर लिखते हो ऐसी मस्त कहानियां सच में यार दिल बेचैन हो जाता है चूदाई के लिए हम अपनेआप की कल्पना करने लगते हैं कहानी में।यार नीलम भाभी की क्या प्रॉब्लम है" ज्योति अपने सोफ़े से उठते हुए अपने भाई के पास आकर बैठते हुए कहा । ज्योति समीर की विधवा बहन थी जो अपने पति के मरने के बाद ८ साल से अपने माँ बाप के घर में रह रही थी ।
ज्योति का पति उससे शादी के दो साल बाद ही मर गया था, उसे कोई बच्चा नहीं था और वह समीर के साथ बुहत फ्री थी । ज्योति कई दफ़ा अपने भाई के साथ उसकी पत्नी के बारे में बात कर चुकी थी, उसे पता था की नीलम ज़्यादा चुदाई से नफरत करती है।
"यार पता नहीं किस दोष की सजा मिल रही है, दूसरी औरतें बड़े और तगडे लंड से चुदने के लिए तरसती है और यह है की भागती रहती है" समीर ने उदास होते हुए कहा।
"उदास मत हो" ज्योति ने अपने भाई के सर को पकड़ कर अपनी गोद में रखते हुए कहा ।
समीर अपना सर अपनी छोटी बहन की गोद में रखते हुए उसे देखने लगा, ज्योति आज एक नाइटी पहने हुए थी और बेहद सूंदर लग रही थी । समीर की नज़र आज पहली बार अपनी छोटी बहन को एक औरत की नज़र से देख रहा था ।
समीर को इतने नजदिक से अपनी छोटी बहन की पतली नाइटी के अंदर से उसकी ब्रा में क़ैद आधी नंगी चुचियों का दीदार होने लगा । ज्योति का फिगर बुहत ज़बर्दस्त था। उसका क़द ५।६ इंच था उसकी चुचियां ३६ साइज की थी और उसके चूतड़ बहुत मोटे थे ।ज्योति अपने बड़े भाई के सर में हाथ डाल कर उसके बाल सहला रही थी, अचानक ज्योति की नज़र अपने बड़े भाई के अंडरवियर पर पडी । ज्योति अपने भाई के अंडरवियर को देखकर हैंरान रह गयी क्योंकी समीर के अंडरवियर में बुहत बड़ा तम्बू बना हुआ था।
ज्योति अपने बड़े भाई के अंडरवियर में खडे लंड को देखकर 8 सालों बाद आज पहली बार गरम होने लगी, ज्योति ने जैसे ही अपने भाई के चेहरे की तरफ देखा उसे एक झटका लगा क्योंकी उसका सगा बड़ा भाई नाइटी के ऊपर से ही उसकी चुचियों को घूर रहा था ।
ज्योति सोचने लगी बेचारा कितना बदनसीब है बीवी होते हुए भी अपनी दीदी की गोद में पडा है, फिर उसके दिमाग में ख़याल आया की अगर वह अपने भाई को चोदने दे तो उसका भाई भी खुश हो जायेगा और उसे भी मुफ़्त का लंड मिल जायेगा ।
क्या मस्त कहानी है यार लण्ड झटके मार रहा है।"वाह दीदी आपकी चूत की ख़ुश्बू तो बुहत अच्छी है ज़रा इसका ज़ायक़ा भी चखा कर देखों । यह कहते हुए विजय ने अपनी जीभ निकालकर अपनी बहन की चूत के छेद पर रख दी और उसकी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा।
"आह्ह्ह्हह ह्ह्ह्हह्ह भैया हाँ अपनी बहन की चूत का सारा रस चाट लो। ओह्ह्ह्ह हमारी चूत को ज़ोर से चाटो। हमें बुहत मज़ा आ रहा है" कंचन जो इतनी देर से उत्तेजना के मारे तडप रही थी। अपने भाई की जीभ अपनी चूत पर लगते ही बुहत ज़ोर से सिसकते हुए बोली ।
विजय अपनी बहन की बात सुनकर अपनी बहन की चूत को अपनी जीभ से चाटते हुए उसकी चूत के होंटों को अपना मूह खोलकर पूरा अपने मूह में लेकर चाटने लगा।
"आह्ह्ह्हह्ह ओहहहहहह भैया" विजय की इस हरकत से कंचन का पूरा जिस्म काम्पने लगा।
कंचन झरने के बिलकुल क़रीब आ चुकी थी,विजय ने वैसे ही अपनी बहन की चूत को चूसते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा।
"आह्ह्ह्ह शह्ह्ह्हह्ह भैया ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह में झर रही हूँ" कंचन अपने भाई का हाथ अपनी चूत के दाने पर लगते ही अपना कण्ट्रोल खो बैठी और बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी आँखें बंद करके झरने लगी ।
कंचन ने झरते वक्त अपने दोनों हाथों से अपने भाई के बालों को पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया । कंचन की चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा। विजय जितना हो सकता था । अपनी कुंवारी सगी बहन का पानी चाट लिया और बाकी का उसके मुँह पर लग गया।
कंचन का झरना जब ख़तम हुआ तो उसने अपने भाई के बालों को छोड दिया । विजय हाँफता हुआ अपनी बहन की चूत से अलग हुआ । उसका पूरा मुँह अपनी बहन की चूत के पानी से गीला हो चुका था।
"भइया आपका मुँह तो हम ने गन्दा कर दिया" कंचन ने जब झरने के बाद अपनी आँखें खोली तो अपने भाई की तरफ देखकर हँसते हुए कहा ।
"दीदी कोई बात नहीं बस आप अपनी जीभ से इसे साफ़ कर दो" विजय ने अपनी बहन की साइड में सोते हुए कहा । कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर अपनी जीभ निकाल कर अपने भाई के पूरे चेहरे पर लगे हुए अपनी चूत के पानी को चाटकर साफ़ कर दिया।
आआआह मस्त बहनचोद ।कंचन की आँखों से आंसू निकल रहे थे, विजय ने अपने लंड की आखरी बूँद निकलने के बाद अपना लंड अपनी बहन के मुँह से निकाल दिया । कंचन अपने भाई का लंड निकालते ही बुहत ज़ोर से खाँसने लगी।
"क्या हुआ दीदी" विजय ने अपना लंड निकालते ही अपनी बहन को खाँसता हुआ देखकर कहा।
"कुछ नहीं भैया बस आपका वीर्य इतना था की वह मेरे गले में चला गया। इसीलिए खांसी आ रही थी" कंचन ने अपने हाथों से अपनी आँखों को पोछते हुए कहा ।
"दीदी कैसा लगा मेरे लंड के वीर्य का स्वाद" विजय ने हँसते हुए अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।
"भाई मुझे तो बुहत अच्छा लगा। मगर आपको भी अपने वीर्य का स्वाद चखना चाहिये"
यह कहते हुए कंचन अपने भाई को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढते हुए अपने होठ अपने भाई के होंठो पर रखते हुए अपनी जीभ जो उसके भाई के वीर्य से गीली थी अपने भाई के मूह में डाल दी । कंचन कुछ देर तक अपने भाई को उसके ही लंड के वीर्य का स्वाद चखाने लगी और फिर अपने भाई के होंठो से अपने होंठ अलग कर दिए।
आआह काश हमें भी ऐसी कोई बहन मिलती तो मजा आ जाता।विजय की नींद अपने लंड को अपनी बहन के गरम मुँह में महसूस करके टूटने लगी, उसने अपनी आखों को खोलते ही देखा की उसकी बहन उसका लंड चाट रही है । कंचन ने अब अपने भाई के लंड को अपने मूह से निकालते हुए अपनी टांगों को फ़ैलाकर उसके लंड को अपनी छूट के छेद पर टीका दिया और अपने वजन के साथ नीचे बेठते हुए अपने भाई के लंड को अपनी चूत में घुसाने लगी ।
कंचन के नीचे बैठते ही उसके भाई का लंड उसकी चूत में घूसने लगा ।अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेते हुए कंचन को थोडा दर्द हो रहा था मगर जो मजा उसे महसूस हो रहा था उसके सामने वह दर्द कुछ भी नहीं था, कंचन अपने भाई का आधा लंड अपनी चूत में घुसाने के बाद उसपर अपने चूतड़ो को उछालते हुए अंदर बाहर करने लगी।
कंचन अपने भाई के लंड पर उछलते हुए बुहत ज़ोर से साँसें लेते हुए सिसक रही थी । कंचन की चूत भी गरम होकर गीली होने लगी और वह अपने भाई के लंड पर उत्तेजना के मारे बुहत तेज़ी और ताक़त के साथ उछलने लगी जिस वजह से विजय का लंड पूरा उसकी बहन की चूत में घुसकर अंदर बाहर होने लगा ।
कंचन अपनी चूत में अपने भाई का पूरा लंड घूसने की वजह से मज़े के मारे हवा में उड़ रही थी और बुहत तेज़ी के साथ अपने भाई के लंड पर उछल रही थी। विजय की नींद टूट चुकी थी वह बस चुप चाप पडे हुए अपनी बहन को अपने लंड पर उछलते हुए देख रहा था । कंचन का जिस्म अचानक अकडने लगा और वह पागलोँ की तरह अपने भाई के लंड पर कूदने लगी।
"आह्ह्ह्ह भैया ओहहहहहहः" कंचन अपने भाई को जागता हुआ देख चुकी थी इसीलिए वह काँपते हुए अपने भाई को देखते हुए ज़ोर से सिसक कर झरने लगी । विजय अपनी बहन को झरते हुए देखकर अपने हाथों से अपनी बहन के चूतड़ो को पकडकर अपने लंड पर दबाने लगा ।
कंचन की चूत से जाने कितना पानी बहकर विजय के लंड को गीला करने लगा । कंचन पूरी तरह झरने के बाद अपने भाई के ऊपर ढेर हो गयी।
"दीदी लगता है आपकी तबीयत बिलकुल अच्छी हो गई है" विजय ने अपनी बहन की चुचियों को दबाते हुए कहा।
"चल बदमाश" कंचन इतना कहकर अपना मुँह अपने भाई के मूह पर रख दिया और दोनों भाई बहन एक दुसरे के होंठो और जीभों से खेलने लगे।
ओह बहनचोद काश हमारी भी कोई ऐसी बहन होती तो रोज चुत मिलती चोदने को।विजय की आँखें वासना से चमक रही थी और वो देखा कि नरेश अपने पैंट की ज़िप खोल रहा है और उसने अपनी पैंट खोली और चड्डी में से अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा। उसका सुपाड़ा पूरा गुलाबी हो रखा था। वह बीयर पिए जा रहा था और लंड हिलाए जा रहा था। उसकी आँखें कंचन के बदन से चिपकी हुई थीं। अब विजय को भी जैसे रास्ता मिला और वह भी अपनी पैंट खोला और चड्डी में से अपना 9 इंच लंबा लंड बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा दोनों बहनो की कमसिन जवानी को घूरते हुए।
तभी गाना ख़त्म हुआ और शीला और कंचन पीछे देखी तो दोनों के खड़े लंड देखकर वो मस्त हो गयीं। तभी विजय बोला: शीला दीदी और बीयर लाओ ना। और कंचन दीदी दूसरा मस्त गाना लगाओ।
शीला अपनी गाँड़ मटकाते हुए टेबल से दो बीयर खोली और लेकर आयी। शीला ने अगला गाना लगाया: लैला मैं लैला।
अब वह दोनों नाचने लगीं । उफ़्फ़्फ क्या बदन हिला हिला के और झुक कर अपनी आधी नंगी चूचियाँ हिलाकर नाच रहीं थीं।
नरेश अपना लंड सहलाता हुआ बोला: मादरचोद क्या लौंडिया हैं साऽऽली । बार गर्ल भी इनके सामने पानी भरेंगी । मस्त चुदक्कड माल है दोनों। फिर अचानक उसे होश आया कि विजय भी कमरे में है। सो वो झेंप कर बोला: सॉरी यार मैं भूल गया था कि मैं अकेला नहीं हूँ।
विजय मुस्कुरा कर: अरे कुछ नहीं यार। सच में बहनचोद रंडियां भी इनके सामने फीकी पड़ जाएँगी। उफ़ गाँड़ देखो इनकी। कैसी मटका रही हैं और चूचियाँ उफ़्फ़्फ क्या हिला हिला कर पागल कर रहीं हैं हमें। यार मान गए तुमको । क्या आयडिया निकाला है सिर्फ ब्रा और पेंटी में डान्स करने का। साला इतना गरम मैं कभी नहीं हुआ। साली कुतिया की तरह गरम लौंडियाँ हैं दोनो। बहुत मज़ा आएगा इनको चोदने में। देखो कैसे बीयर पिए जा रहीं है। कंचन का तो दूसरा गिलास भी ख़ाली होने वाला है। अरे लो आपकी शीला ने एक घूँट में ही दूसरा गिलास भी ख़ाली कर दिया।
अभी आगे देख चल दोनों की ब्रा भी निकाल देते है इन रंडियो के बिना ब्रा के नंगी चूचियों के साथ डॉन्स में और भी मज़ा आएगा।साथ में हम दोनों भी डांस करते है सिर्फ अंडरवियर में।
नरेश:थोडा सबर कर यार।
ओह बहनचोद काश हमारी भी कौई ऐसी बहन होती तो रोज चुत मिलविजय की आँखें वासना से चमक रही थी और वो देखा कि नरेश अपने पैंट की ज़िप खोल रहा है और उसने अपनी पैंट खोली और चड्डी में से अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा। उसका सुपाड़ा पूरा गुलाबी हो रखा था। वह बीयर पिए जा रहा था और लंड हिलाए जा रहा था। उसकी आँखें कंचन के बदन से चिपकी हुई थीं। अब विजय को भी जैसे रास्ता मिला और वह भी अपनी पैंट खोला और चड्डी में से अपना 9 इंच लंबा लंड बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा दोनों बहनो की कमसिन जवानी को घूरते हुए।
तभी गाना ख़त्म हुआ और शीला और कंचन पीछे देखी तो दोनों के खड़े लंड देखकर वो मस्त हो गयीं। तभी विजय बोला: शीला दीदी और बीयर लाओ ना। और कंचन दीदी दूसरा मस्त गाना लगाओ।
शीला अपनी गाँड़ मटकाते हुए टेबल से दो बीयर खोली और लेकर आयी। शीला ने अगला गाना लगाया: लैला मैं लैला।
अब वह दोनों नाचने लगीं । उफ़्फ़्फ क्या बदन हिला हिला के और झुक कर अपनी आधी नंगी चूचियाँ हिलाकर नाच रहीं थीं।
नरेश अपना लंड सहलाता हुआ बोला: मादरचोद क्या लौंडिया हैं साऽऽली । बार गर्ल भी इनके सामने पानी भरेंगी । मस्त चुदक्कड माल है दोनों। फिर अचानक उसे होश आया कि विजय भी कमरे में है। सो वो झेंप कर बोला: सॉरी यार मैं भूल गया था कि मैं अकेला नहीं हूँ।
विजय मुस्कुरा कर: अरे कुछ नहीं यार। सच में बहनचोद रंडियां भी इनके सामने फीकी पड़ जाएँगी। उफ़ गाँड़ देखो इनकी। कैसी मटका रही हैं और चूचियाँ उफ़्फ़्फ क्या हिला हिला कर पागल कर रहीं हैं हमें। यार मान गए तुमको । क्या आयडिया निकाला है सिर्फ ब्रा और पेंटी में डान्स करने का। साला इतना गरम मैं कभी नहीं हुआ। साली कुतिया की तरह गरम लौंडियाँ हैं दोनो। बहुत मज़ा आएगा इनको चोदने में। देखो कैसे बीयर पिए जा रहीं है। कंचन का तो दूसरा गिलास भी ख़ाली होने वाला है। अरे लो आपकी शीला ने एक घूँट में ही दूसरा गिलास भी ख़ाली कर दिया।
अभी आगे देख चल दोनों की ब्रा भी निकाल देते है इन रंडियो के बिना ब्रा के नंगी चूचियों के साथ डॉन्स में और भी मज़ा आएगा।साथ में हम दोनों भी डांस करते है सिर्फ अंडरवियर में।
नरेश:थोडा सबर कर यार।
आआआआह बहनचोदनरेश का पूरा जिस्म अपनी बहन का नरम हाथ अपने लंड पर पडते ही कांप उठा और वह अपनी बहन के होंठो को चूमते हुए उसकी ब्रा को उतारने लगा। ब्रा के उतरते ही नरेश ने अपनी बहन को अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर जाकर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों के बीच आकर अपनी बहन की गोरी गोरी चुचियों से खेलने लगा ।
नरेश का नंगा लंड सीधा शीला की पेंटी पे टक्कर मार रहा था। जिस वजह से उत्तेजिन के मारे शीला के मूह से ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी और उसकी चूत से बुह ज़्यादा पानी निकल रहा था।
"आहहह भैया कुछ करो न क्यों तडपा रहे हो" शीला ने उत्तेजना में आकर अपने भाई को बालों से पकडकर अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा ।
नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसकी चुचियों को छोडकर नीचे होने लगा । नरेश ने अपने मूह को शीला की पेंटी तक लाकर रोक दिया और अपनी दीदी की गीली पेंटी को अपने नाक से तेज़ साँसें लेते हुए सूँघने लगा, नरेश कुछ देर तक अपनी बहन की पेंटी को सूँघने के बाद अपना मुँह उसके ऊपर रख दिया ।
"आहहह भैया" नरेश का मुँह अपनी पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत पर लगने से शीला ने सिसकते हुए कहा। नरेश ने कुछ देर तक अपनी बहन की पेंटी को चूमने के बाद उसकी पेंटी में हाथ डालकर उसे अपनी बहन के जिस्म से अलग कर दिया। पेंटी के हटते ही शीला की रस टपकाती चूत नरेश के सामने आ गयी ।
नरेश ने अपनी बहन की गीली चूत को एक बार देखा और नीचे झुककर अपने होंठो को अपनी बहन की चूत के पतले होंठो पर रख दिया।
"आहहह भैया ओह्ह" नरेश के होंठ अपनी चूत पर पडते ही शीला के मुँह से ज़ोर की सिसकी निकल गयी और वह अपने हाथ से अपने भाई के बालों को सहलाते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी ।
नरेश कुछ देर तक अपनी बहन की चूत को अपनी जीभ से चाटने के बाद सीधा होते हुए अपना फनफनाता हुआ लंड अपनी बहन की चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह ओह भैया डाल दो ना" शीला ने अपने भाई के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा और अपने चूतडों को उठाकर अपने भाई के लंड पर दबाने लगी ।