- 3,092
- 12,408
- 159
अपडेट 19
तुम्हारी कसम दीदी मुझे तुमसे प्यार होने लगा है" विजय ने अपना हाथ उसके हाथ से हटाते हुए अपनी बहन का सर अपने हाथों से ऊपर करते हुए कहा । कंचन का चेहरा अब अपने छोटे भाई के चेहरे के बिलकुल सामने था ।
विजय को अपनी बड़ी बहन की साँसें अपने मूह के बिलकुल पास महसूस हो रही थी । अपनी बड़ी बहन के प्यासे गुलाबी होंठ इतने क़रीब देखकर विजय अपने आपको रोक नहीं पाया और अपने होंठ अपनी बड़ी बहन के प्यासे रसीले होंठो पर रख दिये, कंचन की आँखें अपने भाई के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही मज़े से बंद हो गयी।
विजय अपनी बहन के लरज़ते गुलाबी होंठो का रस पीने लगा । विजय को उस वक्त अपनी बड़ी बहन के होंठ शहद से ज़्यादा मीठे लग रहे थे, कंचन भी अपने भाई से अपने होंठ चुसवाते हुए जन्नत की सैर कर रही थी ।
विजय के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही उसका सारा जिस्म मज़े से टूट रहा था । कंचन को अपने भाई का चुम्बन इतना मजा दे रहा था की वह अपने दोनों हाथों को विजय बालों में डालकर उसे सहला रही थी ।
विजय अपनी बहन का साथ पाकर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा और दूसरा हाथ अपनी बहन की एक चूचि पर रख दिया । विजय अपनी बड़ी बहन के फडकते होंठो को ज़ोर से चूसते हुए कंचन की चूचि को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा ।
कंचन और विजय दो मिनट तक लगातार एक दुसरे के होंठो को चूसते रहने के बाद एक दुसरे से अलग होकर ज़ोर से साँसें लेने लगे । लगातार चुम्बन की वजह से दोनों की साँसें उखडने लगी थी, कंचन ने देखा की उसके भाई का लंड उसको चूमने के बाद तनकर ज़ोर से ऊपर नीचे उछल रहा है।
विजय ने अपनी बहन की नज़र अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर आगे बढ़ते हुए उसकी साड़ी का पल्लु पकड लिया और उसे खीचने लगा, विजय के साड़ी खीचने से कंचन गोल घूम गयी और उसकी साड़ी उसके बदन से अलग होकर विजय के हाथों में आ गयी ।
कंचन अब विजय के सामने सिर्फ एक ब्लाउज और पेंटी में खडी थी और वह दिन के उजाले में शर्म के मारे अपनी आँखें बंद करके तेज़ साँसें ले रही थी ।
विजय अपनी बहन के क़रीब जाते हुए उसके माथे पर एक चुम्बन देते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया । विजय ने अपनी बड़ी बहन को अपने बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आते हुए उसके गोरे गालों को चूमने लगा।
तुम्हारी कसम दीदी मुझे तुमसे प्यार होने लगा है" विजय ने अपना हाथ उसके हाथ से हटाते हुए अपनी बहन का सर अपने हाथों से ऊपर करते हुए कहा । कंचन का चेहरा अब अपने छोटे भाई के चेहरे के बिलकुल सामने था ।
विजय को अपनी बड़ी बहन की साँसें अपने मूह के बिलकुल पास महसूस हो रही थी । अपनी बड़ी बहन के प्यासे गुलाबी होंठ इतने क़रीब देखकर विजय अपने आपको रोक नहीं पाया और अपने होंठ अपनी बड़ी बहन के प्यासे रसीले होंठो पर रख दिये, कंचन की आँखें अपने भाई के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही मज़े से बंद हो गयी।
विजय अपनी बहन के लरज़ते गुलाबी होंठो का रस पीने लगा । विजय को उस वक्त अपनी बड़ी बहन के होंठ शहद से ज़्यादा मीठे लग रहे थे, कंचन भी अपने भाई से अपने होंठ चुसवाते हुए जन्नत की सैर कर रही थी ।
विजय के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही उसका सारा जिस्म मज़े से टूट रहा था । कंचन को अपने भाई का चुम्बन इतना मजा दे रहा था की वह अपने दोनों हाथों को विजय बालों में डालकर उसे सहला रही थी ।
विजय अपनी बहन का साथ पाकर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा और दूसरा हाथ अपनी बहन की एक चूचि पर रख दिया । विजय अपनी बड़ी बहन के फडकते होंठो को ज़ोर से चूसते हुए कंचन की चूचि को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा ।
कंचन और विजय दो मिनट तक लगातार एक दुसरे के होंठो को चूसते रहने के बाद एक दुसरे से अलग होकर ज़ोर से साँसें लेने लगे । लगातार चुम्बन की वजह से दोनों की साँसें उखडने लगी थी, कंचन ने देखा की उसके भाई का लंड उसको चूमने के बाद तनकर ज़ोर से ऊपर नीचे उछल रहा है।
विजय ने अपनी बहन की नज़र अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर आगे बढ़ते हुए उसकी साड़ी का पल्लु पकड लिया और उसे खीचने लगा, विजय के साड़ी खीचने से कंचन गोल घूम गयी और उसकी साड़ी उसके बदन से अलग होकर विजय के हाथों में आ गयी ।
कंचन अब विजय के सामने सिर्फ एक ब्लाउज और पेंटी में खडी थी और वह दिन के उजाले में शर्म के मारे अपनी आँखें बंद करके तेज़ साँसें ले रही थी ।
विजय अपनी बहन के क़रीब जाते हुए उसके माथे पर एक चुम्बन देते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया । विजय ने अपनी बड़ी बहन को अपने बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आते हुए उसके गोरे गालों को चूमने लगा।