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रेखा अपने कमरे में आकर उंगली से अपनी चूत का पानी निकाल दिया और बेड पर लेट गयी ।।।। रेखा को अचानक नरेश की याद आ गयी जब वह उसके गले लगी थी तो उसका लंड उसको अपनी चूत पर महसूस हुआ था।
रेखा जान चुकी थी की उसके भांजे का लंड तगड़ा है और वह उसकी फिगर को देखकर गरम भी हो गया था तभी तो उसे गले लगते वक्त उसका लंड खडा था, रेखा ने सोच लिया की नरेश से चुदवायेगी ज़रूर मगर पहले उसको थोडा तडपायेगी और वह यह सोचते हुए सो गयी।
सूबह हर रोज़ की तरह रेखा ने सब से पहले उठकर अपने पति और बच्चों को उठा दिया । नरेश रात को पेशाब करने के लिए उठा था तो उसने अंडरवियर पहन लिया था और विजय को भी उठाकर अंडरवियर पहनने के लिए कह दिया था ।
मुकेश तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया ।।।। और विजय और उसकी दोनों बहनें कॉलेज के लिए निकल गए । रेखा ने मनीषा और उसके बच्चों को नहीं उठाया था, रेखा कुछ देर तक अपने घर का काम करती रही जब वह फ़ारिग हुयी तो सुबह के ९:३० हो चुके थे।
रेखा सीधे अपने बेटे के कमरे में चली गयी जहाँ नरेश सोया हुआ था, रेखा जैसे ही कमरे में आई तो देखा नरेश सिर्फ अंडरवियर में सीधा लेटा हुआ था और नींद में ही उसका लंड खडा होकर अंडरवियर में बुहत बड़ा उभार बनाये हुए था ।
रेखा अंदर आकर नरेश के अंडरवियर पर हाथ फेरने लगी, नरेश के अंडरवियर पर हाथ रखते ही रेखा के पूरे जिस्म में करंट जैसे झटका लगा । रेखा ने अपना हाथ वहां से हटा लिया। वह जान चुकी थी की नरेश का लंड लम्बा होने के साथ बुहत मोटा भी है।
रेखा ने खडे होते हुए अपनी साड़ी का पल्लु नीचे गिरा दिया और थोडा झुकते हुए अपनी चुचियां जो उसके ब्लाउज में से आधी बाहर थी नरेश के मूह के पास कर दी और नरेश को झंझोरते हुए उठाने लगी ।
नरेश ने जैसे ही अपनी ऑंखें खोलि उसकी आँखों के सामने दो बड़ी बड़ी चुचियों के उभार थे । नरेश की ऑंखें वहीँ अटक गई।
"सुबह सुबह किसी गर्लफ्रेंड का सपना देख रहे थे भांजे" तभी रेखा ने सीधे होते हुए अपनी चुचियों पर पल्लु रखते हुए कहा ।
"किसी का नहीं मामी" नरेश ने अपने सामने सुबह सुबह जन्नत जैसे मजा देने वाली चुचियों के हटते ही निराश होते हुए कहा।
"फिर यह जनाब किसको याद करके सुबह सुबह उछल रहा है" रेखा ने मुसकुराकर नरेश के अंडरवियर पर हलकी चपत लगाते हुए कहा ।
रेखा की इस हरकत नरेश हडबडाकर उठ गया और चादर को उठाकर अपने ऊपर कार दिया।
"अरे भांजे इतना शर्मा क्यों रहे हो, मैं जा रही हूँ फ्रेश हो जाओ " रेखा हँसते हुए यह कहकर वहां से जाने लगी।
रेखा जान चुकी थी की उसके भांजे का लंड तगड़ा है और वह उसकी फिगर को देखकर गरम भी हो गया था तभी तो उसे गले लगते वक्त उसका लंड खडा था, रेखा ने सोच लिया की नरेश से चुदवायेगी ज़रूर मगर पहले उसको थोडा तडपायेगी और वह यह सोचते हुए सो गयी।
सूबह हर रोज़ की तरह रेखा ने सब से पहले उठकर अपने पति और बच्चों को उठा दिया । नरेश रात को पेशाब करने के लिए उठा था तो उसने अंडरवियर पहन लिया था और विजय को भी उठाकर अंडरवियर पहनने के लिए कह दिया था ।
मुकेश तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया ।।।। और विजय और उसकी दोनों बहनें कॉलेज के लिए निकल गए । रेखा ने मनीषा और उसके बच्चों को नहीं उठाया था, रेखा कुछ देर तक अपने घर का काम करती रही जब वह फ़ारिग हुयी तो सुबह के ९:३० हो चुके थे।
रेखा सीधे अपने बेटे के कमरे में चली गयी जहाँ नरेश सोया हुआ था, रेखा जैसे ही कमरे में आई तो देखा नरेश सिर्फ अंडरवियर में सीधा लेटा हुआ था और नींद में ही उसका लंड खडा होकर अंडरवियर में बुहत बड़ा उभार बनाये हुए था ।
रेखा अंदर आकर नरेश के अंडरवियर पर हाथ फेरने लगी, नरेश के अंडरवियर पर हाथ रखते ही रेखा के पूरे जिस्म में करंट जैसे झटका लगा । रेखा ने अपना हाथ वहां से हटा लिया। वह जान चुकी थी की नरेश का लंड लम्बा होने के साथ बुहत मोटा भी है।
रेखा ने खडे होते हुए अपनी साड़ी का पल्लु नीचे गिरा दिया और थोडा झुकते हुए अपनी चुचियां जो उसके ब्लाउज में से आधी बाहर थी नरेश के मूह के पास कर दी और नरेश को झंझोरते हुए उठाने लगी ।
नरेश ने जैसे ही अपनी ऑंखें खोलि उसकी आँखों के सामने दो बड़ी बड़ी चुचियों के उभार थे । नरेश की ऑंखें वहीँ अटक गई।
"सुबह सुबह किसी गर्लफ्रेंड का सपना देख रहे थे भांजे" तभी रेखा ने सीधे होते हुए अपनी चुचियों पर पल्लु रखते हुए कहा ।
"किसी का नहीं मामी" नरेश ने अपने सामने सुबह सुबह जन्नत जैसे मजा देने वाली चुचियों के हटते ही निराश होते हुए कहा।
"फिर यह जनाब किसको याद करके सुबह सुबह उछल रहा है" रेखा ने मुसकुराकर नरेश के अंडरवियर पर हलकी चपत लगाते हुए कहा ।
रेखा की इस हरकत नरेश हडबडाकर उठ गया और चादर को उठाकर अपने ऊपर कार दिया।
"अरे भांजे इतना शर्मा क्यों रहे हो, मैं जा रही हूँ फ्रेश हो जाओ " रेखा हँसते हुए यह कहकर वहां से जाने लगी।