Premkumar65
Don't Miss the Opportunity
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Uffff hot hot update.शालू अनजाने में ही अपनी उंगली से नीलू को झाड दी थी,,, नीलू को समझ में नहीं आ रहा था उसके बदन में यह सब क्या हो रहा है लेकिन उसे इतना आनंद आया था कि पूछो मत जिंदगी में ऐसा सुख उसने पहली बार प्राप्त की थी,, और इस पल का उसने पूरी तरह से फायदा उठाई थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,, जवानी से भरी हुई नीलु का यह पहला स्खलन था,,, जिसमें वह पूरी तरह से डूब चुकी थी,,,।
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झड़ने के बाद उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी जिसके चलते दोनों बहने अपने कमरे में से निकल कर बाहर आ गई थी,,, वैसे तो दोनों बहनें इस तरह से रात के समय अपने कमरे से बाहर निकलते नहीं थी लेकिन कभी-कभार इसी तरह से तेज पेशाब लगने की वजह से दोनों साथ में ही निकलती थी और अकेले निकलने में उन दोनों को डर लगता था,,, अपने कमरे में से बाहर निकालने के बाद दोनों बहने धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ रही थी,,, क्योंकि वह दोनों नहीं चाहती थी कि उनकी वजह से उनके मां और बाबूजी की नींद खराब हो,,,।
धीरे-धीरे कदम बढ़ाना बिल्कुल भी शोर मत मचाना वरना मा जाग जाएगी,,,(शालू दबे श्वर में नीलू को समझाते हुए बोली,,,)
ठीक है मुझे मत समझा लेकिन तेरी पायल शोर मचा रही है उसका क्या,,,,
हां तु सच कह रही है,,,(अपने पैरों की तरफ देखते हुए शालु बोली और धीरे से नीचे छप गई और अपने पैरों में से पायल को निकलने लगी,,,)
अरे तू यह क्या कर रही है,,,?
रुक तो सही,,,(और इतना कहने के साथ ही चालू अपने दोनों पैरों में से घुंघरू वाले पायल को निकाल कर अपने हाथ में ले ली और मुस्कुराते हुए बोली,,)
ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी,,, अब चल,,,
अरे अरे क्या कर रही है,,,(नीलू उसे रोकते हुए बोली,,)
क्यों क्या हुआ,,,?
अभी तो कुछ नहीं हुआ लेकिन अगर अंधेरे में या पायल कहीं खो गई तो बहुत कुछ हो जाएगा मां तुझे मार डालेगी,,,
हां यह तो तु ठीक कह रही है,,,
जा उधर रख दे,,,(नीलू उसे छोटे से रोशनदान की तरफ हाथ दिखाते हुए पूरी और चालू भी उसकी बात बातें भी तुरंत दोनों पायल को उसी में रख दी और फिर दोनों आगे बढ़ने लगे,,, दो कमरे को छोड़कर तीसरा कैमरा मुखिया और मुखिया की बीवी का था,,, वहां पर पहुंचते ही दोनों लड़कियों के कानों में अपनी मां के कमरे से खूसर फुसर और हंसने की आवाज आने लगी,,, जिसे सुनकर नीलू बोली,,,)
मां बाबु जी अभी भी जाग रहे हैं,,,
हा रे दोनो तो इतनी रात को भी जाग रहे हैं,,, पता नहीं दोनों क्या बातें कर रहे हैं और इतनी रात को हंस भी रहे हैं,,,,(इतना कहते हुए शालू दरवाजे और खिड़की की तरफ देखने लगी कहीं से भी अंदर देखने की जगह बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन अंदर लालटेन जल रही थी इसका पूरा आभास हो रहा था,,,,, शालू को इस तरह से टुकुर-टुकुर दरवाजे और खिड़कियों की तरफ देखते हुए पाकर नीलू बोली,,)
क्या देख रही है,,,?
अरे मैं देख रही हूं कि अंदर देखने की कहीं जगह दिख रही है मैं भी तो देखूं अंदर क्या हो रहा है,,,
पागल हो गई है क्या इस तरह से आधी रात को किसी के कमरे में झांका नहीं जाता,,,(नीलु उसे समझाते हुए बोली,,,)
अरे दूसरे के कमरे में कहां देखने की कोशिश कर रही हूं मैं तो मा बाबुजी के कमरे में देखने की कोशिश कर रही हूं,,,
चल रहने दे जल्दी से मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है कहीं ऐसा ना हो कि यही छूट जाए,,,,
नाना ऐसा गजब मत करना,,, वरना सबको पता चल जाएगा कि नीतू आधी रात को कमरे के बाहर ही मुत देती है,,,,।
आहहहहह,,,,,(उन दोनों बातें कर रही थी कि तभी उसकी मां के हल्की सी चीख की आवाज सुनाई दी लेकिन साथ में हंसने की भी आवाज थी उन दोनों को ठीक से सुनाई नहीं दे रहा था कि वह क्या बोल रही थी लेकिन अभी तक केवल उसकी मां की ही आवाज आ रही थी उसके बाबूजी की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी,,,, उस आवाज को सुनकर शालू बोली,,,)
मुखिया की बीवी की चुचिया पिता हुआ
पता नहीं अंदर क्या हो रहा है,,,!(शालू को इस बात का आभास था कि उसकी मां कमरे के अंदर चुदाई का खेल खेल रही है चुदवा रही है लेकिन वह खुले शब्दों में बोल नहीं पा रही थी इसीलिए वह देखने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसने भी आज तक चुदाई होते हुए अपनी आंख से कभी नहीं देखी थी लेकिन उसे देखने की उसके मन में जिज्ञासा बराबर बनी हुई थी लेकिन इस समय अपनी मां के कमरे में देख पाना उसके लिए नामुमकिन सा था क्योंकि ना तो दरवाजे में और ना ही खिड़की में कहीं भी थोड़ी सी जगह नजर नहीं आ रही थी जिससे वह कमरे के अंदर की दृश्य को देख सके उसे इस तरह से कड़ी देखकर नीलु फिर से बोली,,,)
तू चाल चालू वरना कहीं मां को पता चल गया कि हम दोनों कमरे के बाहर खड़े हैं तो गजब हो जाएगा,,,
चल अच्छा मुझे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,(अपना मन मसोस कर शालू बोली फिर दोनों पेशाब करने के लिए आगे बढ़ गए,,,,।
दूसरी तरफ मुखिया के कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था क्योंकि मुखिया की बीवी अपने बिस्तर पर नरम नरम गद्दे पर संपूर्ण नग्न अवस्था में अंगड़ाई ले रही थी और उसके साथ उसका पति नहीं बल्कि भोला था जो कि उसकी बड़ी-बड़ी चूची को पपाया की तरह दोनों हाथों से पकड़कर मुंह में डालकर पी रहा था और मुखिया की बीवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,)
सहहहहह आहहहहहह मेरे राजा तू कितना अच्छा प्यार करता है रे,,,,।
ओहहहह मालकिन तुम्हारी चूचियां है बेइंतहा प्यार करने के लायक तभी तो मैं तुम्हारी चूचियों पर मर मिटा हूं। ,,(भोला तकरीबन 1 घंटे से मुखिया की बीवी के कमरे में उसके बिस्तर पर उसकी बीवी के साथ था लेकिन एक घंटे में यह पहला शब्द उसके मुंह से निकला था जिसे सुनकर मदहोश होते हुए मुखिया की बीवी बोली,,,)
ओहहहह भोले तुझे कितनी बार समझाऊं कि मैं दुनिया के सामने तेरे लिए मालकिन होने की अकेले में तो मुझे मेरा नाम लेकर ही बोल कर शोभा,,,
ओहहहह शोभा रानी,,,, तुम बहुत अच्छी हो तुमने तो मुझे पागल कर दिया है तुम्हारी चूचियां पीने में मुझे बहुत मजा आता है बस इसी तरह से तुम मुझे अपना दूध पिलाया करो,,,
तेरे लिए ही तो है रै,,,,सहहहह आहहहहह आहहहहह बहुत मजा आ रहा है भोला जोर जोर से दबा आहहहहहह,,,(मुखिया की बीवी की बात सुनते ही भोला और जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,,,,, तकरीबन 10 मिनट तक शालू और नीलू अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ी थी लेकिन इस बीच उसे केवल अपनी मां की ही आवाज सुनाई दे रही थी अगर अंदर से आ रही मर्द की आवाज भी उन दोनों के कान में पड़ जाती तो शायद आज उन दोनों के हाथों अपनी ही मा का भांडा फूट जाता,,, इसीलिए तो मुखिया की बीवी किस्मत की भी बड़ी तेज थी,,,,।
भोला भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटा हुआ था और मुखिया की बीवी के हाथ में भोला का मोटा तगड़ा काला लंड था जिसे वह जोर-जोर से हिला रही थी,,, और भोला पर प्यार बरसाते हुए बोली,,,।
मुखिया की बीवी और भोला
शालू के पिताजी के आंख में धूल झोंक कर तु कैसे आ गया रे मुझे तो लग रहा था कि तू आज नहीं आ पाएगा,,,
तुम बुलाओ और मैं ना आऊं मेरी रानी कभी ऐसा हो सकता है क्या,,,,
लेकिन तू आया कैसे वह तो खाना खाकर कमरे में ही आ रहे थे,,,
बात तो सही है शोभा लेकिन तुम्हारा पति खाना खाने के बाद थोड़ा पीने का भी शौकीन हो गया है जो कि मेरी ही बदलती और इसीलिए तुम्हें तुम्हारे पति को पिलाने के लिए मेहमान घर में ले गया और वहां पर कुछ ज्यादा ही शराब पिला कर सुला दिया और उसके बाद में तुम्हारे कमरे में आ गया,,,।
ओहहहह मेरे राजा बहुत चालाक हो गया है तु,,,(भोला के खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में जोर से भींचते हुए वह बोली। ,)
यह सब तुमसे ही सीखा हूं मेरी,,, अब जल्दी करो मुझे रहा नहीं जा रहा है अपनी बुर की मलाई मुझे खिला दो,,,,।
ओहह राजा इतना कहके तूने तो मुझे पागल कर दिया है,,, रुक अभी तुझे मलाई खिलाती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी जगह से उठकर बिस्तर पर बैठ गई और फिर एक टक भोला के मोटे तगड़े लंड की तरफ देखते हुए उसे एक हाथ से पकड़े हुए ही अपने लिए जगह बनाने लगी और थोड़ी देर में वह भोला के ऊपर चढ़ गई वह अपनी गोल-गोल भारी पर काम गांड को भोले के चेहरे पर रख दी और खुद आगे की तरफ झुक गई देखते ही देखते भोला मुखिया की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से पड़कर उसे लगभग फैलाते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और फिर अपनी जीभ को मुखिया की बीवी की बुर में डाल दिया और से चाटना शुरू कर दिया और मुखिया की बीवी एकदम मस्त होकर अपनी भारी भरकम गांड को गोल-गोल भोला के चेहरे पर घूमाते हुए खुद उसके मोटे तगड़े लंड को मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,, अपनी मालकिन की कामुक हरकत को देखकर भोला एकदम से मदहोश हो गया और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दिया यह उसकी उत्तेजना की निशानी थी कि वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था दूसरी तरफ वह अपनी मालकिन की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हथेली में दबोच कर लप लप करके उसकी बुर का रस चाटना शुरू कर दिया देखते ही देखते दोनों पूरी तरह से मदहोश होने लगे,,,,,।
मुखिया की बीवी तो जैसे एकदम से पागल हो गई वह अपनी गोल गोल भारी भरकम गांड को बड़ी तेजी से भोला के चेहरे पर पटकने शुरू कर दी भोला को भी अपनी मालकिन का यह अंदाज बहुत अच्छा लगता था भोला भी अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपनी दो उंगली को एक साथ उसकी गुलाबी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करके उसे और मजा देता था,,,। भोला को अच्छी तरह से मालूम था कि मुखिया की बीवी कब चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है,,, लोहा गरम होने के बाद ही भोला हथोड़ा मारता था,, और मुखिया के बीवी का इस तरह से मदहोश होकर भोला के चेहरे पर अपनी गांड पटकन इस बात का इशारा करता था कि लोहा गरम हो चुका है,,, और इसी मौके की ताक में,,, जल्दबाजी दिखाते हुए भोला,,, तुरंत मुखिया की बीवी की मांसल कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसे पलट दिया और खूब जग बदलते हुए उसके ऊपर आ गया उसकी दोनों टांगों को खोलकर उसकी कमर को पड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी भारी भरकम गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया और फिर अपने आलू बुखारा जैसे मोटे सुपाड़े को मुखिया की बीवी की गुलाबी बुर पर रखकर जोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड मुखिया की बीवी की बुर में समा गया,,,, और एक जोरदार चीख मुखिया की बीवी के मुंह से निकली और फिर भोला चुदाई शुरू कर दिया,,,।
दूसरी तरफ दोनों बहने धीरे-धीरे घर के पीछे पहुंच चुकी थी और उन दोनों की सोच के मुताबिक बाहर अंधेरा नहीं बल्कि चांदनी रात थी जिसकी वजह से चांदनी पूरे वातावरण में छींटकी हुई थी और सब कुछ एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, वह दोनों घर के पीछे घनी झाड़ियां के पास पहुंच चुकी थी यहां पर किसी के द्वारा देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि घर के पीछे चारों तरफ दूर-दूर तक खेती ही खेत थे घर एक भी नहीं थे इसलिए दोनों निश्चिंत थे नीलू को तो बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह तुरंत अपने फ्रॉक को उठाकर वहीं पर बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी चांदनी रात में उसकी गोरी गोरी गांड एकदम चमक रही थी जिसे देख कर खुद शालू के मुंह में पानी आ रहा था उसकी गोल-गोल गांड को देखकर शालू बोली,,,।)
चांदनी रात में तो तेरी गांड कितनी चमक रही है रे,,,
तेरी भी तो चमकती है जरा अपनी सलवार उतार तो सही,,,
लेकिन तेरी कुछ ज्यादा ही चमकता है और तेरी बुर में से देख कितनी सीट की आवाज आ रही है चारों तरफ गूंज रही है,,,।
धत् कैसी बातें करती है तू,,,(शालू की बात सुनकर नीलू शर्मा गई थी और उसकी तरह शालु भी अपनी सलवार की डोरी खोल कर पेशाब करने के लिए बैठ गई थी दोनों बहने एकदम पास में बैठी हुई थी सालों से रहने गया तो अपना हाथ नीलू की गांड पर रख दी और बोली,,,)
आहहहहह,,,, कितनी मुलायम है रे तेरी गांड एकदम मखमल का कपड़ा,,,,
हाए दीदी हाथ हटाओ ना गुदगुदी हो रही है,,,,
उंगली डाली थी तब गुदगुदी नहीं हो रही थी,,,
बहुत जरूरी हो रही थी तभी तो जोरों की पेशाब लग गई,,,।
(दोनों बहने अपनी गांड खोलकर पेशाब करने बैठी हुई थी और इस खूबसूरत मादकता भरे नजारे को देखने वाला इस समय वहां पर मर्द जात का नामोनिशान नहीं था उसकी खूबसूरत गांड को केवल प्रकृति देख रही थी पेड़ पौधे देख रहे थे आसमान में निकला हुआ चांद सितारे देख रहे थे अगर ऐसी हालत में किसी मर्द की नजर दोनों बहनों पर पड़ जाती तो बे कहें दोनों की बुर में उस मर्द का लंड घुसा हुआ होता,,, थोड़ी ही देर में पेशाब करने के बाद दोनों बहने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर के आगे वाले भाग में आ गए और दोनों बड़ी-बड़ी से हेड पंप चला कर अपना हाथ मुंह धो कर वापस अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगे,,, अपनी मां के कमरे के पास से गुजरते हुए दोनों को किसी भी तरह की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो वह दोनों समझ गए की उसकी मां और बाबूजी सो गए हैं लेकिन उन दोनों को कहां मालूम था कि अंदर चुदाई का खेल चालू था और इस समय उसकी मां की बुर में उसके बाबूजी का नहीं बल्कि उनके नौकर भोला का लंड घुसा हुआ था,,, दोनों बहने अपने कमरे में जा चुकी थी,,,, और इस समय उन दोनों की मां भोला के ऊपर चढ़ी हुई थी और भोले का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में अंदर तक घुसा हुआ था और वह खुद अपनी गांड को उसके लंड पर पटक रही थी,,,।
जवानी की आग में तड़पती हुई सुनैना
एक तरफ भोला मुखिया की बीवी की जवानी में पूरी तरह से डूबा हुआ था और दूसरी तरफ उसकी जवानी से लदी हुई बीवी बिस्तर पर करवटें बदल रही थी,,, सुनैना वैसे तो बेहद संस्कारी औरत थी और मर्यादा में रहने वाली औरत थी लेकिन जिस तरह से सभी औरतों को पेट की भूख के साथ-साथ बदन की भी भूख सताती है इस तरह से सुनैना की भी हालत थी सुनैना को भी अपने मर्द की जरूरत थी उसके मोटे तगड़े लंड को सुनना भी अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी चुदवाना चाहती थी,,,,, लेकिन वह मजबूर हो चुकी थी अपने पति की आदत से खाना खाने के बाद से ही वह मुखिया के खेत पर काम करने का बहाना बनाकर घर से निकल गया था सुनैना को तो ऐसा ही लग रहा था कि उसका पति वाकई में मुखिया के खेत में काम कर रहा होगा लेकिन उसे क्या मालूम था कि इस समय उसका पति किसी और के खेत को जोत रहा था जो कि उसके खुद का खेत सूख रहा था,,,।
अपने पति की राह देखती हुई सुनैना
सुनैना सोने से पहले अपनी साड़ी को उतार कर रख दी थी और इस समय केवल पेटिकोट और ब्लाउज में ही थी और इस अवस्था में वह पूरी तरह से जवानी से गदराई हुई दिखाई दे रही थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका खूबसूरत गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था उसके छाती की शोभा बढ़ा रहे हैं उसके दोनों चूचियां दशहरे आम की तरह एकदम खेल रहे थे मांसल चिकनी कमर और पेट के बीच में उसकी नाभि एकदम गहरी थी जो कि उसकी छोटी सी बुर की तरह नजर आती थी,,,, सुनैना से रहा नहीं जा रहा था बार-बार वह अपने पति का रास्ता देखते हुए वह कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर उसकी राह देखती रहती थी लेकिन अफसोस दूर-दूर तक उसका पति कहीं नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था और कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी वह कुछ देर तक दरवाजे पर इस तरह से बैठकर अपने पति का इंतजार करती रही लेकिन तक हर करूंगा वापस अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर करवट बदलते हुए कब उसे नींद आ गई उसे भी पता नहीं चला,,,।
Wowww what a sexy update.एक तरफ जहां जवान हो चुके सूरज की हालत पहली बार नीलू की या युं कहलो की पहली बार किसी औरत की नंगी बुर के दर्शन करके उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वहीं दूसरी तरफ यह जानकर कि सूरज नीलू की बुर को नजर भर कर देख रहा था इस बात को जानते ही नीलू पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठी थी,,, उसकी जानकारी में पहली बार किसी जवान लड़के ने उसकी बुर के दर्शन किए थे इस बात को जानते ही नीलू पूरी तरह से मचल उठी थी और इसका पूरा फायदा उठाते हुए पूरी तरह से जवान हो उठी शालू अपनी बहन नीलू की बुर को अपनी मुट्ठी में पूरी तरह से भींच ली थी,,, और फिर अपनी एक उंगली को उसकी बुर में डालकर उसे झड़ने पर मजबूर कर दी थी,,, और फिर दोनों बहने पेशाब करने के लिए घर के पीछे की तरफ निकल गई थी घर से निकलते समय उन्हें अपनी मां के कमरे में से खुसर फुसर की आवाज सुनाई दे रही थी उन दोनों को ऐसा ही लग रहा था कि उनकी मां और बाबूजी होंगे लेकिन उन्हें कहा मालूम था कि उनके पीठ पीछे उनकी मां कितना रंगरेलियां मनाती है और वह भी अपने ही नौकर भोले के साथ जो की इत्तेफाक से सूरज का ही बाप था ,, इस बात से अनजान दोनों बहने पेशाब करके अपने कमरे में वापस लौट आई थी लेकिन भोला रात भर नीलू और शालू दोनों की मां की जमकर चुदाई करता रहा,,,।
दूसरी तरफ सूरज की भी हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि मर्दों की उत्तेजना बढ़ाने वाली औरतों की उत्तेजना के केंद्र बिंदु को जो उसने अपनी आंखों से देख लिया था,,। और उसी को देखने के बाद में पूरी तरह से पागल हो चुका था मदहोश हो चुका था सोते जागते उठते बैठते उसकी आंखों के सामने केवल नीलू की कचोरी जैसी फुली हुई कोरी बुर दिखाई देती थी,,, जिसे याद करते ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो जाता था उसे हमेशा लगने लगा था कि जैसे वह पहले वाला सूरज नहीं रह गया था क्योंकि उसके दिलों दिमाग पर अब हमेशा औरतों की ही यादें उनके अंग उनका चलना उनका बोलना उनका हंसना उनके अंगों का मरोड़ उठाव बस यही घूमता रहता था,,,। और वैसे भी इसमें उसका कोई दोष नहीं था क्योंकि वह उम्र के ऐसे दौर से गुजर रहा था जहां पर औरतों के प्रति जवान खूबसूरत लड़कियों के प्रति आकर्षण होना लाजिमी था और इससे दुनिया का कोई भी मर्द नहीं बच पाया था और उसे अच्छा भी लग रहा था,,,।
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एक तरफ भोला जहां मुखिया की बीवी के साथ अपनी जवानी की प्यास बुझा रहा था वहीं दूसरी तरफ अपनी बीवी के साथ नाइंसाफी कर रहा था,, जहां बोला कि हर एक रात मुखिया की बीवी के बिस्तर पर गुजरती थी वहीं दूसरी तरफ उसकी बीवी बिस्तर पर केवल करवट बदलकर अंगड़ाई लेकर अपनी रात गुजार रही थी,, कभी-कभी तो उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा आता था क्योंकि वह रात भर प्यासी रह जाती थी,,, इसलिए एक दिन जब दोपहर में भोला खाना खा रहा था,,, उसकी बीवी सुनैना उसे गुस्से में खाना परोस रही थी,,, यह देख कर भोला बोला,,।
यह तुझे हो क्या गया है रे सुनैना इस तरह से कोई खाना परोसता है क्या और वह भी अपने ही पति को,,,
कोई परोसता हो कि ना परोसता हो लेकिन मैं तो तुम्हें इसी तरह से खाना परोसूंगी,,,
अरे वह क्यों भला,,,,(खाने की थाली को अपने हाथों से अपनी तरफ खींचते हुए)
मैं कौन हूं तुम्हारी,,,, क्या लगती हूं तुम्हारी,,,(गुस्से से थाली में रोटी रखते हुए)
अरे आज तुझे हो क्या गया है,,,
मुझे पूछने की जगह अपने आप से पूछो जो दिन रात मुखिया के खेत में रहते हो मुखिया की बीवी जो कहती है वह करते हो,,,(मुखिया की बीवी का जिक्र आते ही भोले के माथे पर पसीना उपसने लगा,,,)
यह क्या कह रही है तू,,,, वह लोग तो हमारे मालिक है उनका काम करते हैं तभी तो पैसा मिलता है,,,
अरे और भी तो मजदूर है जो शाम होते ही अपने घर चले आते हैं लेकिन तुम क्यों नहीं आते मुझे तो लगता है की मुखिया की बीवी के साथ जरूर तुम्हारा कुछ चल रहा है,,,(गुस्से में अपनी जगह से उठकर लोटा में पानी भरने लगी और भोले अपनी बीवी के मुंह से मुखिया की बीवी के साथ चक्कर वाली बात को सुनकर एकदम हैरान हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी बीवी को पता तो नहीं चल गया है लेकिन फिर भी बात को बदलते हुए वह बोला,,,)
अरे भाग्यवान जरा अकल से काम ले कहां मैं और कहां वह जमीदार की बीवी वह तो अपने पास भटकने भी ना दे,,,,
तो रात को वहां क्या करते रहते हो,,,?
खेतों में पानी देते रहता हूं और क्या करते रहता हूं,,,, आखिरकार में मजदूर हूं मजदूरी करने पर ही पैसे मिलेंगे ना कि बेवजह कोई पैसे दे देगा वह तो अच्छे हैं,,, मुखिया की मुझे ही सबसे पहले बुलाते हैं वरना तू जो कह रही है वह सच है कि और भी मजदूर हैं गांव में लेकिन मेरा काम मलिक को पसंद है और इसी से अपना घर भी चलता है,,,,(भोला बड़े चालाकी से अपनी मजबूरी की दुहाई देकर सफाई दे रहा था जिसका प्रभाव सुनैना पर भी पड़ रहा था लेकिन फिर भी वह गुस्से में बोली,,,)
पति का फर्ज होता है घर चलाना लेकिन पति का और भी कोई फर्ज होता है कि नहीं अपनी बीवी के साथ रात को मैं हमेशा करवट बदलते हुए तुम्हारा इंतजार में कब सो जाती हो मुझे पता ही नहीं चलता जब तक जागती हूं तब तक रास्ता देखती रहती हूं कि अब आओगे अब आओगे,,,, लेकिन नतीजा कोई नहीं निकलता मुझे तो शक होता है कि कहीं दूसरी औरतों के साथ चक्कर तो नहीं है तुम्हारा,,,।
फिर वही बकवास करने लगी,,,,(निवाला मुंह में डालते हुए बोला लेकिन केला खाया भोला पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था औरतों के मामले में वह सब कुछ जानता था और उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी बीवी किस लिए इतनी गुस्से में है क्योंकि वाकई में बहुत दिन हो गए थे वह अपनी बीवी को शरीर सुख नहीं दिया था उसकी जमकर चुदाई नहीं किया था और इसी का दुख उसकी बीवी के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था,,,, उसे इस बात का भी एहसास हो रहा था की मुखिया की बीवी के मुंह में वह अपनी बीवी को सुख देना भूल गया था जो की जरूरी भी था अगर उसे अपने मुखिया की बीवी के चक्कर को एक राज की तरह रखना है तो उसे अपनी बीवी के साथ भी संबंध पहले की तरह रखना होगा ताकि उसकी बीवी को किसी भी प्रकार का शक ना हो वर्ना सारा मामला बिगड सकता था,,,। इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
मैं जानता हूं तू किस लिए नाराज है चुदवाने के लिए,,,
(भोला एकदम खुले शब्दों में बोला तो सुनैना एकदम से शर्मा गई,,, और गुस्से में बोली,,,)
पागल हो गए हो क्या मैं ऐसा कब कही,,,,(सुनैना जानबूझकर अपना बचाव करते हुए बोल रही थी क्योंकि भले ही वह अपने पति से चुदवाने के लिए नाराज थी लेकिन सुनैना भी एकदम संस्कारी औरत थी और इस तरह के खुले शब्दों उसे सिर्फ रात को हम बिस्तर होते समय ही अच्छे लगते थे ईस तरह दोपहर में नहीं,,,)
अरे तुम्हारे कहने का मतलब तो यही था,,,
मेरे कहने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं था मैं यह चाहती हु कि तुम रात को मेरे साथ रहो बस,,,
अरे मेरी रानी ऐसा ही होगा बस कुछ दिन की बात और है लेकिन मैं सारी कसर दिन में ही निकाल दूंगा,,,
रहने दो कोई जरूरत नहीं है,,,,(झूठ-मूठ का मुंह बनाते हुए सुनैना बोली,,,)
नहीं नहीं मैं सच कह रहा हूं मैं जानता हूं कि मैं तुम्हारा कसूरवार हूं लेकिन क्या कर सकता हूं,,, घर चलाने के लिए घर से बाहर निकलना ही पड़ता है,,,,।
(भोला अपनी चालकी भरी बातों में अपनी बीवी को पूरी तरह से बहला लिया था,,, और उसकी बीवी को पूरा विश्वास भी हो गया था कि उसका पति झूठ नहीं बोल रहा था कामकाज में ही उलझने के कारण वह उसके साथ समय नहीं बिता पा रहा था इसलिए उसके मन से गिला शिकवा दूर हो चुका था भोला खाना भी खा चुका था और इस समय वह अपनी बीवी की प्यास बुझाने के बारे में सोच रहा था क्योंकि रात को उसका रुकना संभव नहीं था क्योंकि रात को उसे फिर से मुखिया की बीवी के पास जाना था,,,, सुनैना झूठे बर्तन लेकर घर के कोने में धोने के लिए रखने लगी और उसके झुकने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम से उभर आई जो कि कई हुई साड़ी में और ज्यादा बड़ी लग रही थी जिस पर नजर पडते ही भोला की धोती में हलचल होने लगी और यही मौका उसे ठीक भी लग रहा था वह तुरंत अपनी बीवी के पास पहुंचकर उसे पीछे से अपनी बाहों में जाकर उसे उठा दिया,,,)
अरे अरे छोड़ो यह क्या कर रहे हो,,,, कोई देख लेगा,,,(वह समझ गई थी कि उसका पति चुदवासा हो गया है)
कोई नहीं देखेगा मेरी रानी बच्चे तो बाहर है,,,
(इतना कहते हुए वह अपनी बीवी को गोद में उठाए हुए ही अपने कमरे में नहीं बल्कि जहां आलू प्याज राशन रखा रहता है उसे कमरे में ले जाने लगा,,, यह देखकर वह बोली)
अरे यहां कहां ले जा रहे हो,,,?
जहां पर ठीक रहेगा अपने कमरे में ले जाऊंगा तो अगर कोई आ गया तो सिद्ध कमरे की तरफ ही आएगा और यहां पर किसी को शक भी नहीं होगा,,,
हाय दैया तुम तो एकदम उतावले हो गए हो,,,,
क्या करूं मेरी रानी,, तूने मेरी धोती में सोए हुए शेर को जगा दी है,,, उसका भुगतान तो तुझे करना ही होगा,,,(और ऐसा कहते हुए अपनी बीवी को उठाए हुए ही वह दरवाजे के पास पहुंच गया और खुद अपनी बीवी से दरवाजा खोलने के लिए बोला जो की सुनैना भी अपने पति की हालत को देखकर चुदवासी हो चुकी थी उसकी भी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, वह भी जल्दबाजी दिखाते हुए खुद अपने हाथों से दरवाजा खोल दी,,,, और भोला अपनी बीवी को अनाज वाले कमरे में लेकर घुस गया यहां पर वह अपनी बीवी को जमीन पर लेट नहीं सकता था क्योंकि चारों तरफ आलू प्याज और सब्जियां रखी हुई थी गेहूं रखे हुए थे चावल रखे हुए थे,,,, सरसों रखा हुआ था नीचे बिल्कुल भी जगह नहीं थी,,,, इसलिए वह अपनी बीवी को गोद में से नीचे उतरते ही तुरंत उसे अपनी बाहों में भरकर उसके गर्दन पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,,)
सहहहहह आहहहहहह,,,(जो भी करना मेरे राजा जल्दी करना,,, अपने पति की हरकत से उत्तेजित स्वर में सुनैना बोली)
मैं बिल्कुल भी देर नहीं करूंगा मेरी रानी,,,(और इतना कहने के साथ ही अपनी बीवी की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबोचते हुए वह जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, भोला का हाथ खेतों में काम कर करके बहुत ज्यादा मजबूत हो गया था इसलिए उसका इस तरह से ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबाना सुनैना के लिए असहनीय तो था ही लेकिन उसे मजा भी बहुत आ रहा था,,,, और पल भर में उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकालना शुरू हो गई थी,,,, बिल्कुल भी देर ना करते हुए भोला अपनी औरत के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया और देखते-देखते वह एक झटके में ही अपने बीवी के ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर उसकी खरबूजे जैसी चूचियों को बाहर निकाल दिया और उसे जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,)
ओहहहह ऐसा लग रहा है कि जैसे बहुत दिनों बाद मैं तुम्हारी चूचियों को देख रहा हूं,,,,
काम के ही चक्कर में पड़े रहोगे तो ऐसा ही लगेगा,,,
अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मेरी रानी अगर मुझे रात को खेतों में जाना पड़ा तो दिन में ही तुम्हारी चुदाई कर दूंगा,,, ताकि रात को बिस्तर पर तुम्हें करवट ना बदलना पड़े,,,
ओहहहह मेरे राजा,,,,आहहहह,,,(एकदम से सुनैना के मुंह से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी जब भोला उसकी चूची को मुंह में भरकर पीना शुरू कर दिया,,,, दोनों को बहुत मजा आ रहा था वैसे तो बोला अक्सर इस तरह का आनंद मुखिया की बीवी से लेट ही रहता था लेकिन सुनैना के लिए तो बहुत दिन गुजर गए थे इस तरह के सुख की कल्पना किए हुए इसलिए वह मदहोश हुए जा रही थी मस्त हुए जा रही थी,,,, जहां एक तरफ भोला,,, अपनी बीवी की चूची को मुंह में लेकर जी भर कर पी रहा था वहीं दूसरी तरफ दूसरे हाथ से उसकी साड़ी को खोल रहा था दोपहर में ही भला उसे नंगी करके चोदने का मन बना दिया था वैसे भी औरतों को छोड़ने का मजा तभी आता है जब उनके बदन पर एक भी वस्त्र नहीं होता और इस बात को भोला भली भांति जानता था,,,।
सुनैना भी अपने पति को कपड़े उतारने से मन नहीं कर रही थी क्योंकि उसे भी मालूम था कपड़े उतारने के बाद ही जीवन का असली सुख प्राप्त होता है और देखते-देखते भोला उसकी साड़ी को उतार कर वही नीचे रख दिया और फिर उसकी पेटिकोट की डोरी को एक झटके से खींचकर पेटिकोट को भी ढीली कर दिया लेकिन अभी तक पेटिकोट उसकी कमर में फंसी हुई थी क्योंकि वह कमर पर पूरी तरह से कसी थी जिसे भोला अपनी उंगली के सहारे से कमर पर कई हुई पेटीकोट को ढीली कर दिया और उसे उसी अवस्था में छोड़ दिया और किसी नाटक के परदे की तरह सुनैना का पेटीकोट उसके कदमों में जा गिरा और वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,।
भोला भी अपने कपड़े उतारने में बिल्कुल भी देरी नहीं किया और अगले ही पल वह भी पूरी तरह से नंगा हो गया उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, नीचे जमीन पर लेटना मुनासिब नहीं था इसलिए सुनैना बोली,,,।
यहां कैसे करोगे नीचे तो सब सब्जियां रखी हुई है,,,
चिंता मत करो मेरी रानी आज तुम्हारी खड़े-खड़े लूंगा,,, बस मेरी तरफ गांड करके झुक जाओ,,,,।
(अपने पति की बात सुनकर सुनैना के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, वह भी बहुत उतावली थी इसलिए अपने पति की बात मानते हुए तुरंत सामने की दीवार पर हाथ रखकर झुक गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में लहराने लगी,,,, अनाज के कमरे में पति-पत्नी दोनों लगे हुए थे और ऐसे में सूरज आज जल्दी घर पर आ गया था,,,, और देखते ही देखते वह रसोई घर की तरफ आ चुका था,,, वह खाना निकालने के लिए अपनी मां को ढूंढ रहा था लेकिन उसे उसकी मां कहीं नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह इधर-उधर सब जगह ढूंढ रहा था थक हार कर वह वहीं पर बैठ गया उसे लगा कि उसकी मां कहीं पड़ोस में गई होगी वह अपने लिए खुद खाना निकालने के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसे आवाज सुनाई दी जो की सुनैना की थी और वह भी थोड़ा दर्द भरा हुआ था उसकी आवाज में,,,,।
आहहहहह,,,,,
(इस तरह की आवाज को सुनकर सूरज एकदम से चौंक गया और आवाज वाली दिशा में देखने लगा वह आवाज अनाज वाले कमरे से आ रही थी इतना तो उसे समझ में आ गया था लेकिन किसकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि वह इस तरह की आवाज पहली बार सुन रहा था वह कुछ देर तक उसे कमरे की तरफ देखता रहा,,,, वहां से इसी तरह की आवाज आ रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और देखते ही देखे उसे कमरे के दरवाजे तक पहुंच गया दरवाजा लकड़ी का बना हुआ था इसलिए जगह-जगह छेद था और वहां से अंदर देखना कोई बड़ी बात नहीं थी सब कुछ साफ दिखाई देता अगर सूरज दरवाजे के छेद से अंदर देखने की कोशिश करता तो लेकिन वह कुछ देर तक खड़ा रहा तभी उसके कानों में जो आवाज आई उसे सुनकर एकदम से चौंक गया,,, क्योंकि वह आवाज उसकी मां की थी और वह अपनी मां की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था,,,।
आहहह क्या कर रहे हैं थोड़ा सा थूक लगाकर डालो ना,,,,
(इतना सुनते ही उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि उसे समझ में आ गया कि अंदर क्या हो रहा है यह उसके जीवन का पहला मौका था जब वह अपनी मां और अपने बाबूजी को इस तरह का गंदा खेल खेलता हुआ देखने जा रहा था हालांकि अभी तक उसके पिताजी की आवाज उसे सुनाई नहीं दी थी लेकिन यह भी कसर पूरी हो गई थी उसके कानों में दूसरी आवाज उसके पिताजी की थी)
तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे पहली बार चुदवाने जा रही हो दो बच्चों की मन हो गई हो लेकिन फिर भी ऐसा नखरा करती हो जैसे आज ही सुहागरात हो,,,
क्या करूं दर्द करता है जब सुखा सुखा डालते हो तो,,,
(दोनों की बातचीत सुनकर सूरज की तो हालात पूरी तरह से खराब हो गई उसकी आंखों के सामने अंधेरा जाने लगा वह कभी सोच नहीं सकता था कि वह अपने मां और पिताजी के बीच के संवाद को इस तरह से सुन पाएगा,,, उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ चुकी थी अब उसकी उत्सुकता अपनी मां और बाबूजी को चुदाई करते हुए देखने के लिए बढ़ती जा रही थी और वह अपने मन को बिल्कुल भी समझ नहीं सकता था कि ऐसा करना उचित नहीं है,,, दरवाजे की तरफ वह नजर गड़ाए हुए था लेकिन दरवाजे के पीछे दरवाजे के अंदर उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और उसे देखने के लिए उसे थोड़ी हिम्मत जुटाना जरूरी था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, लेकिन तभी उसके कानों में उसकी मां की शिसकारी की आवाज सुनाई देने लगी,,,)
सहहहहह आहहहहलआहहहहह ऊममममम थोड़ा धीरे करो मेरे राजा,,,आहहहहह आहहहहहह,,,।
(इस आवाज को सुनकर तो उसके होश उड़ गए उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और वह अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक सकता था इस तरह के दृश्य को देखने के लिए इसलिए वह धीरे से अपनी कम को आगे बढ़ाया और बड़े संभाल के दरवाजे की दरार में अपनी आंख लगा दिया और अंदर की तरफ देखने लगा अंदर का दृश्य थोड़ी मस्सकत करने के बाद एकदम साफ होने लगा उसे साफ दिखाई देने लगा,,,, और अंदर का जो नजर उसकी आंखों ने देखा उसे देखकर उसकी आंखें एकदम से चौंधिया गई उसने इस तरह की दृश्य की कभी कल्पना नहीं किया था,,,।
लेकिन उसे अपनी मां और बाबूजी का पूरा शरीर नहीं दिखाई दे रहा था उसकी मां झुकी हुई थी और उसके पिताजी खड़े थे उनका दोनों हाथ उसकी मां की चिकनी कमर पर था उसकी गोल-गोल गांड सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रही थी उसे इस बात का एहसास तो हो गया था उसके मन और बाबूजी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था वह दोनों पूरी तरह से मतलब अवस्था में थे,,,, सूरज को सिर्फ इतना दिखाई दे रहा था उसकी मां का झुका हुआ शरीर और वह भी चूचियां उसे नहीं दिख रही थी क्योंकि वह जिस तरह से झुकी हुई थी उसका आधा शरीर पूरी तरह से दरवाजे की दीवार की ओट में छीप गया था लेकिन जितना भी दिख रहा था,,, वह किसी भी स्वर्ग के नजारे से सूरज के लिए काम नहीं था सूरज को उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड और वह भी एक तरफ से दिख रही थी उसके पिताजी के कमर के नीचे वाला भाग दिख रहा था लेकिन इतने से ही सूरज की आंखों में वासना के तूफान नजर आ रहे थे वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था क्योंकि सूरज अपनी मां की बुर में घुसते हुए अपने पिताजी के लंड को एकदम साफ देख रहा था वह देख पा रहा था कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की दोनों टांगों के बीच से होता हुआ उसकी बुर की गहराई नाप रहा था,,, और वह भी बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था,,,।
पल भर में ही सूरज पसीने से तार बात हो चुका था इस तरह के नजारे की कभी उसने कल्पना भी नहीं किया था और देखा भी तो पहली बार में ही अपनी मां और बाबूजी की चुदाई देख लिया जो की पूरी तरह से उसे मस्त कर गई थी बीच-बीच में उसकी मां की मादक सिसकारियां सूरज को पूरी तरह से वासना के समंदर में डुबा ले जा रहे थे सूरज कभी सोचा नहीं था कि इस तरह का दृश्य वह कभी सपने में भी देख पाएगा पहली बार में चुदाई देख रहा था उसकी मां की दोनों टांगों के बीच से होता हुआ उसके बाबूजी का लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर की गहराई का सफर पूरा कर रहा था,,,।
ओहहहह मेरी रानी आज तो पूरी कसर पूरी कर दूंगा ताकि तुम मुझसे नाराज ना हो मैं जानता हूं बहुत दिनों से तुम्हारी चुदाई नहीं हुई है इसलिए तुम मुझसे नाराज थी लेकिन आज तुम्हारी बुर पाकर में भी मस्त हो गया हूं एकदम कसी हुई लग रही है,,,,आहहहह मेरी रानी बहुत मजा आ रहा है,,,।
ओहहहह मेरे राजा मैं भी एकदम मस्त हो गई हूं बहुत दिनों बाद तुम्हारा लंड मेरी बुर में घुसा है ऐसा लग रहा है कि जैसे आज ही सुहागरात हो,,, आआहहह मेरे राजा और जोर-जोर से चोदो,,,।
सूरज तो एकदम हैरान था अपनी मां और बाबूजी के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुनकर वह अपनी मां के बारे में कभी इस तरह की कल्पना भी नहीं किया था कि वह इस तरह की गंदी बातें करती होगी लेकिन आज पहली बार अपने कानों से सुनकर तो उसके होश उड़ गए थे लेकिन न जाने क्यों सूरज को अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातों को सुनकर बहुत अच्छा लग रहा,,, था,,, सूरज को समझते देर नहीं लगा था कि भले उसकी मां इतनी संस्कारी ऊपर से दिखती थी लेकिन वह भी लंड के लिए तड़प रही थी,,,, ना चाहते हुए भी सूरज कहां तक अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया था और वह अपने खड़े लंड को जोर-जोर से दबा रहा था ऐसा करने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,।
अंदर का गरमा गरम दृश्य सूरज के कोमल मां पर शोले बरसा रहा था उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी अपनी मां और बाबूजी की चुदाई को देखकर अपने लंड को बड़े जोर-जोर से दबा रहा था वैसे करने में उसे भी बहुत ज्यादा उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,, एकाएक उसकी मां की शिसकारी की आवाज एकदम से बढ़ने लगी,,,।
आहहहह मेरे राजा और जोर-जोर से करो मेरा निकलने वाला है मेरा होने वाला है मेरे राजा,,,
चिंता मत करो मेरी रानी मैं भी आ रहा हूं मेरा भी निकलने वाला,,,
(सूरज को नहीं समझ में आ रहा था कि उसकी मां का क्या होने वाला है और उसके बाबूजी का क्या निकलने वाला है लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था जिस तरह से वह अपना लंड दबा रहा था एक उसकी आंखों के सामने एकदम से अंधेरा जाने लगा और पल भर में वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और उसके लंड से पहली बार वीर्य की पिचकारी फूट पड़ी जो कि उसके ही पजामे में गिरने लगी और वह पूरी तरह से गिला होने लगा लेकिन उसके निकलने से उसे ऐसा सुख महसूस हो रहा था कि जैसा आज तक उसने अनुभव नहीं किया था,,,, वह अपनी उखड़ती सांसों के साथ कमरे के अंदर देखा तो धीरे से उसके पिताजी ने अपने लंड को,,, उसकी मां की बुर में से बाहर निकाला और उसके लंड में से कुछ धीरे-धीरे टपक रहा था कुछ मलाईदार चु रहा था,,,, यह सब देखकर सूरज पूरी तरह से हैरान था लेकिन अब उसका वहां ज्यादा देर तक खड़े रहना उचित नहीं था इसलिए वह धीरे से अपनी जगह से अपने कदमों को पीछे लिया और धीरे से घर के बाहर निकल गया ताकि उसके मां-बाबुजी को बिल्कुल भी शक ना हो कि यहां कोई आया था,,,।