- 19,117
- 46,255
- 259
Nice update rohnny bhai.next plzरात पूरी तरह से गहरा चुकी थी चारों तरफ अंधेरा अंधेरा नजर आ रहा था,,, आपके बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से यह अंधेरा कुछ ज्यादा ही डरावना लग रहा था लेकिन इस समय ना तो मुखिया की बीवी के मन में किसी प्रकार का डर था और ना ही सूरज के मन में क्योंकि दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था और मुखिया की बीवी तो अपने मां के इरादों को पूरा करने के लिए सूरज को साथ में लेकर आई थी,,,, और जिस तरह का नजारा उसने कुछ देर पहले सूरज को दिखाई थी उसे देखने के बाद तो सूरज चारों खाने चित हो गया था वह पूरी तरह से मुखिया की बीवी की जवानी का गुलाम हो चुका था,,, इतने करीब से,,,, जिंदगी में पहली मर्तबा हुआ किसी औरत को पेशाब करते हुए देख रहा था जिसकी नंगी चिकनी गांड उसके इरादों को फिसलने पर मजबूर कर रही थी पहली बार वह औरत की बुर में से निकल रही सिटी की आवाज को एकदम साफ-साफ सुना था जिसे सुनने के बाद दुनिया का हर मधुर संगीत उसके लिए फीका नजर आ रहा था,,,,, वैसे तो सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि औरत से पेशाब करती है तो उनके बुर से सिटी की आवाज निकलती है लेकिन यह उसके लिए पहली बार था जब वह उस आवाज को सुना था,,, इसीलिए तो अभी भी उसके पजामे में उसका लंड तना हुआ था,,,।
मुखिया की बीवी के लिए खाई औरत थी इसीलिए जबरदस्ती उसे वहीं पर पेशाब करवाने के बहाने उसके लंड के दर्शन कर ली थी और आंखों ही आंखों में उसकी लंबाई और मोटी को नाप चुकी थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि जिस तरह का हथियार सूरज के पास है उसकी जवानी का रस पूरी तरह से निचोड़ देगा,,,,, सूरज के मुसल को वह अपनी ओखली में लेने के लिए तड़प रही थी,,,। दोनों छोटी सी घास फूस की झोपड़ी के पास पहुंच चुके थे,,,, लकड़ी के दरवाजे को खोलकर सबसे पहले मुखिया की बीवी उसे झोपड़ी में प्रवेश की ओर पीछे-पीछे सूरज,,,, सूरज का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह पहली बार रात के एकांत में किसी खूबसूरत जवान औरत के साथ रात गुजारने वाला था उसे नहीं मालूम था कि आज की रात उसके साथ क्या होने वाला है,,, लेकिन मुखिया की बीवी की हरकत को देखकर इतना तो वह समझ ही गया था कि मजा बहुत आने वाला है,,,,,,।
थोड़ी ही देर में पुरी झोपड़ी में लालटेन के पीली रोशनी फैल गई झोपड़ी के अंदर सब कुछ साफ-साफ नजर आने लगा,,,, झोपड़ी के अंदर एक टेबल रखा हुआ था जिस पर गिलास और थाली रखी हुई थी पास में चारपाई बिछी हुई थी लेकिन बिस्तर मोड कर रखा गया था क्योंकि जब झोपड़ी के अंदर रुकना होता था तभी बिस्तर को चारपाई पर बिछाया जाता था,,,,, सूरज झोपड़ी के अंदर खड़ा होकर पुरी झोपड़ी में नजर घुमा कर देख रहा था घास फूस की झोपड़ी में भी छोटी सी खिड़की बनी हुई थी जिसमें से ठंडी हवा अंदर आती थी ताकि गर्मी ना लगे और इस समय भी ठंडी हवा खिड़की से झोपड़ी के अंदर बड़े आराम से आ रही थी और बदन में ठंडक का एहसास दिला रही थी,,,,। मुखिया की बीवी भी मुस्कुरा कर कभी सूरज की तरफ तो कभी अपनी झोपड़ी की तरफ देख रही थी ईस झोपड़ी में उसके जीवन के बहुत ही रंगीन रातें बीती थी यह वही चारपाई थी जिस पर उसने अपनी जवानी लुटाई थी,,, और आज अपनी ही चारपाई पर वहां सूरज का बिस्तर गर्म करने के इरादे से उसे लेकर आई थी,,,,।
अरे सूरज दरवाजा तो बंद कर दे नहीं तो जंगली जानवर अंदर घुस जाएंगे,,,,।
जी मालकिन,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ बढ़ गया,,, दरवाजे पर खड़े होकर वहां बाहर की तरफ नजर घुमाई तो बाहर का अंधेरा देखकर उसे थोड़ी बहुत घबराहट महसूस हो रही थी क्योंकि चारों तरफ उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था बस केवल चारों ओर से झींगुर की आवाज आ रही थी जिससे वातावरण और भी भयानक नजर आ रहा था,,, वह तो उसके साथ मुखिया की बीवी थी जिसकी जवानी के दर्शन वह कर चुका था और इसी लालच में हो उसके साथ इस आम के बगीचे की रखवाली करने के लिए इतनी रात को आया था वह जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया छोटी सी झोपड़ी को भी मुखिया की बीवी ने बहुत अच्छे तरीके से बनवा कर एक छोटा सा घर की तरह उसे सकल दे दी थी और इस झोपड़ी में रात रुकने लायक सभी साधन मौजूद थे,,,, दरवाजा बंद करने के बाद जैसे ही हो मुखिया की बीवी की तरफ घुमा मुखिया की बीवी उसे फिर से बोली,,,,।
लालटेन को टेबल पर रख दे,,,, ताकि पूरे झोपड़ी में रोशनी बनी रहे,,,, तुझे रोशनी में नींद तो आती है ना,,,
की मालकिन कोई दिक्कत नहीं होती,,,,,(सूरज सो रहा था की मुखिया की बीवी सहज रूप से यह सवाल पूछ रही थी,,, लेकिन हकीकत यही था कि वह लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ-साफ देखना चाहती थी वरना उसे भी रोशनी में नींद नहीं आती थी,,,,)
ठीक है मुझे भी रोशनी पसंद है,,,
अब तुम्हारी कमर का दर्द कैसा है,,,(लालटेन को टेबल पर रखते हुए सूरज बोला)
कैसा क्या है इसका इलाज ही कहां हुआ है जो आराम मिल जाएगा,,,, हाय दइया बहुत दर्द कर रही है,,,(मुखिया की बीवी को जैसे एकदम से याद आ गया हो कि उसकी कमर में तो दर्द हो रहा था और तुरंत अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली,,,)
लगता है मालिस से ही इसका दर्द ठीक होगा,,,,
मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,,
लेकिन मालकिन यहां तेल मिलेगा कहां,,,(सूरज थोड़ा निराश होते हुए बोला)
अरे बुद्धू सब कुछ मिल जाएगा वह टेबल पर जो संदूक रखी है ना उसके अंदर देख सरसों के तेल की सीसी रखी होगी,,, मुखिया की बीवी के कहते हैं सूरज टेबल पर रखे हुए संदूक को खोलकर अंदर देखा तो अंदर वाकई में सरसों के तेल की शीशी दिया सलाई और थोड़ी बहुत काम के साधन पड़े हुए थे सरसों के तेल की शीशी को देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि वह जानता था की मालिश के बहाने वह आज औरत के अंगों को स्पर्श कर पाएगा,,, वह जल्दी से सब दुख में से सरसों के तेल की शीशी को निकाल लिया और संदूक को बंद कर दिया,,,, मुखिया की बीवी सूरज की तरफ देख रही थी सूरज के चेहरे पर उत्सुकता और प्रसन्नता के भाव साफ नजर आ रहे थे और मुखिया की बीवी सूरज को देखकर प्रसन्न हो रही थी उसके अरमान मचल रहे थे क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि बस थोड़ी देर की बात है उसके बाद तो सूरज उसकी पूरी तरह से गुलाम हो जाएगा और वह जो कहेगी वही करेगा ,,,,, क्योंकि मुखिया की बीवी को पूरा अनुभव था कि मर्द किस तरीके से औरत के काबू में आते हैं पहली मर्तबा तो वह सूरज को नहाने के बहाने अपनी खूबसूरत अंग के दर्शन करा कर उसे ऐसा मोह जाल में फंसा ही थी कि आज वह खुद आम के घने बगीचे में रात रुकने के लिए तैयार हो गया था,,,
सूरज तू मालिश कर तो लेगा ना,,,,,,,(मुखिया की बीवी जानबूझकर आश्चर्य से सूरज की तरफ देखते हुए बोली,,,, लेकिन औरतों से हमेशा कन्नी काटने वाला सूरज कुछ भी दिनों में औरतों के बेहद करीब रहने का शौकीन बन चुका था इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ वह बोला,,,,)
जी मालकिन चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है ऐसी मालिश करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,,(हाथ में सीसी लिए हुए वह हल्की मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए बोला,,,,,,, सूरज को मुस्कुराता हुआ देखकर मुखिया की बीवी के मन में भी संतुष्टि हो रही थी वह भी मुस्कुरा कर सूरज की तरफ अच्छी और हल्के से लंगड़ा कर चलने का बहाना करते हुए वहां बिस्तर के करीब जाने लगी और बोली,,,)
रुक पहले में बिस्तर लगा लूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह चारपाई पर रखे हुए बिस्तर को खोलने लगी बिस्तर लगाने से सूरज मुखिया की बीवी को इनकार करना चाहता था लेकिन जिस तरह से वह बिस्तर लगाने के लिए झुकी हुई थी उसकी भारी भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी साड़ी में कई होने के बावजूद भी उसकी रूपरेखा लालटेन की पीली रोशनी में एकदम साफ नजर आ रही थी सूरज तो एकदम मतवाला हो चुका था उसका मन कर रहा था कि पीछे से जाकर मुखिया की बीवी को पकड़ ले और उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर अपना लंड रगड़ रगड़ कर अपने तन की गर्मी को शांत करें,,, सूरज ठीक उसके पीछे खड़ा होकर मुखिया की बीवी को देख रहा था वह झुक कर बिस्तर लगा रही थी उसके इस तरह से झुकने में भी बड़ा आनंद था सूरज नजर भरकर उसके पिछवाड़े को देख रहा था,,,, की तभी उसे याद आया की झोपड़ी में तो एक ही कर पाई है वह कहां सोएगा क्योंकि यह तो निश्चित ही था कि मुखिया की बीवी चारपाई पर ही लेटने वाली है लेकिन उसके लेटने की कोई व्यवस्था नहीं थी और ना ही कोई चादर थी जिसे वह जमीन पर बिछाकर सो सके या चटाई पर आराम कर सके,,, इसलिए अपने मन में उमड़ रहे इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वह मुखिया की बीवी से बोला,,,)
मालकिन यहां तो सिर्फ एक ही कर पाई है और कोई चटाई भी नहीं है मैं कहां सोऊंगा,,,,।
(उसके इस मासूमियत भरे सवाल पर मुखिया की बीवी मन ही मन प्रसन्न होने लगी और उसकी प्रसन्नता के भाव उसके होठों पर आ गए और मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
अरे बुद्धू एक ही चारपाई का मतलब है कि हम दोनों इसी पर सोएंगे तुझे कोई दिक्कत है क्या मेरे साथ सोने में,,,,।
(मुखिया की बीवी के मुंह से इतना सुनते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसके मन की तरंगे उछाल मारने लगी,,,,,, वह एकदम से मदहोश हो गया और मुखिया की बीवी की तरफ आश्चर्य से देखने लगा,,, क्योंकि एक औरत के मुंह से इस तरह के जवाब कि उसे उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी वह सच में पड़ गया था कि यह खूबसूरत जवान औरत एक जवान लड़के के साथ एक ही चारपाई पर कैसे सो सकती है लेकिन यहां पर वही हो रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,, मुखिया की बीवी भी सूरज के चेहरे पर उठ रहे भाव को देख रही थी और समझ रही थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी वह समझ गई थी कि एक ही चारपाई पर सोने के नाम पर सूरज की हालत खराब हो गई थी और वह चोर नजरों से उसके पजामे की तरफ भी देखी तो उसके होश उड़ गए,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और उसके तंबू की शक्ल देखकर,,,, उसकी बुर पानी छोड़ने लगी और वह अपने मन में ही अपने आप से ही बोली,,,, बाप रे ये तो तेरी बुर का भोसड़ा बना देगा,,,,। सूरज के चेहरे पर अभी भी आश्चर्य के भाव साफ नजर आ रहे थे उसके मन में यही चल रहा था कि वह एक खूबसूरत जवान औरत के साथ एक ही बिस्तर पर कैसे सोएगा यह सोचकर वह हैरान भी था और उसे उत्सुकता भी हो रही थी क्योंकि वह इस अनुभव को पूरी तरह से जी लेना चाहता था,,,।
जो हाल इस समय सूरज का था वही हाल मुखिया की बीवी का भी था,,, ऐसा नहीं था कि यह मुखिया की बीवी के लिए पहली बार था जिंदगी में न जाने वह कितनी बार अनजान जवान मर्दों के सामने अपने कपड़ों को उतार कर नंगी हो चुकी थी और उनके साथ जवानी का मजा लूट चुकी थी लेकिन फिर भी सूरज के सामने न जाने क्यों उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पहली बार यह सब करने जा रही थी और सूरज के लिए तो यह सब बिल्कुल नया सा था एक नई दुनिया नया सुख नहीं अनुभूति इसलिए उसके मन में उत्सुकता बहुत ज्यादा थी,,,,।
मुखिया की बीवी बिस्तर लगा चुकी थी सिरहाने दो तकिया भी था दो तकिया को देखकर सूरज मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह खूबसूरत औरत के पास सोने जा रहा था और वह भी एक ही चारपाई पर,,, सूरज के हाथ में सरसों के तेल की सीसी थी सीसी की तरफ देखते हुए मुखिया की बीवी बोली,,,,।
तू तैयार है ना मालिश करने के लिए,,,,।
जी मालकिन,, ,,
(सूरज के इतना कहते ही मुखिया की बीवी मुस्कुराते हुए,,,, अपनी साड़ी का पल्लू कंधे पर से पकड़ कर नीचे गिरा दी और उसकी छातिया एकदम से उजागर हो गई ब्लाउज में कैद उसकी दोनों चूचियां जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह पंख फड़फड़ा रहे थे सूरज तो मुखिया की बीवी का यह रूप देखता ही रह गया उसकी भरी फूली छाती देखकर उसके होश उड़ गए,,।)
Bohot hi kamuk or man bhavan update diya hai tony bhaiya. Mukhiya ki joru ki pilaai to pakki haiरात पूरी तरह से गहरा चुकी थी चारों तरफ अंधेरा अंधेरा नजर आ रहा था,,, आपके बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से यह अंधेरा कुछ ज्यादा ही डरावना लग रहा था लेकिन इस समय ना तो मुखिया की बीवी के मन में किसी प्रकार का डर था और ना ही सूरज के मन में क्योंकि दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था और मुखिया की बीवी तो अपने मां के इरादों को पूरा करने के लिए सूरज को साथ में लेकर आई थी,,,, और जिस तरह का नजारा उसने कुछ देर पहले सूरज को दिखाई थी उसे देखने के बाद तो सूरज चारों खाने चित हो गया था वह पूरी तरह से मुखिया की बीवी की जवानी का गुलाम हो चुका था,,, इतने करीब से,,,, जिंदगी में पहली मर्तबा हुआ किसी औरत को पेशाब करते हुए देख रहा था जिसकी नंगी चिकनी गांड उसके इरादों को फिसलने पर मजबूर कर रही थी पहली बार वह औरत की बुर में से निकल रही सिटी की आवाज को एकदम साफ-साफ सुना था जिसे सुनने के बाद दुनिया का हर मधुर संगीत उसके लिए फीका नजर आ रहा था,,,,, वैसे तो सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि औरत से पेशाब करती है तो उनके बुर से सिटी की आवाज निकलती है लेकिन यह उसके लिए पहली बार था जब वह उस आवाज को सुना था,,, इसीलिए तो अभी भी उसके पजामे में उसका लंड तना हुआ था,,,।
मुखिया की बीवी के लिए खाई औरत थी इसीलिए जबरदस्ती उसे वहीं पर पेशाब करवाने के बहाने उसके लंड के दर्शन कर ली थी और आंखों ही आंखों में उसकी लंबाई और मोटी को नाप चुकी थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि जिस तरह का हथियार सूरज के पास है उसकी जवानी का रस पूरी तरह से निचोड़ देगा,,,,, सूरज के मुसल को वह अपनी ओखली में लेने के लिए तड़प रही थी,,,। दोनों छोटी सी घास फूस की झोपड़ी के पास पहुंच चुके थे,,,, लकड़ी के दरवाजे को खोलकर सबसे पहले मुखिया की बीवी उसे झोपड़ी में प्रवेश की ओर पीछे-पीछे सूरज,,,, सूरज का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह पहली बार रात के एकांत में किसी खूबसूरत जवान औरत के साथ रात गुजारने वाला था उसे नहीं मालूम था कि आज की रात उसके साथ क्या होने वाला है,,, लेकिन मुखिया की बीवी की हरकत को देखकर इतना तो वह समझ ही गया था कि मजा बहुत आने वाला है,,,,,,।
थोड़ी ही देर में पुरी झोपड़ी में लालटेन के पीली रोशनी फैल गई झोपड़ी के अंदर सब कुछ साफ-साफ नजर आने लगा,,,, झोपड़ी के अंदर एक टेबल रखा हुआ था जिस पर गिलास और थाली रखी हुई थी पास में चारपाई बिछी हुई थी लेकिन बिस्तर मोड कर रखा गया था क्योंकि जब झोपड़ी के अंदर रुकना होता था तभी बिस्तर को चारपाई पर बिछाया जाता था,,,,, सूरज झोपड़ी के अंदर खड़ा होकर पुरी झोपड़ी में नजर घुमा कर देख रहा था घास फूस की झोपड़ी में भी छोटी सी खिड़की बनी हुई थी जिसमें से ठंडी हवा अंदर आती थी ताकि गर्मी ना लगे और इस समय भी ठंडी हवा खिड़की से झोपड़ी के अंदर बड़े आराम से आ रही थी और बदन में ठंडक का एहसास दिला रही थी,,,,। मुखिया की बीवी भी मुस्कुरा कर कभी सूरज की तरफ तो कभी अपनी झोपड़ी की तरफ देख रही थी ईस झोपड़ी में उसके जीवन के बहुत ही रंगीन रातें बीती थी यह वही चारपाई थी जिस पर उसने अपनी जवानी लुटाई थी,,, और आज अपनी ही चारपाई पर वहां सूरज का बिस्तर गर्म करने के इरादे से उसे लेकर आई थी,,,,।
अरे सूरज दरवाजा तो बंद कर दे नहीं तो जंगली जानवर अंदर घुस जाएंगे,,,,।
जी मालकिन,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ बढ़ गया,,, दरवाजे पर खड़े होकर वहां बाहर की तरफ नजर घुमाई तो बाहर का अंधेरा देखकर उसे थोड़ी बहुत घबराहट महसूस हो रही थी क्योंकि चारों तरफ उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था बस केवल चारों ओर से झींगुर की आवाज आ रही थी जिससे वातावरण और भी भयानक नजर आ रहा था,,, वह तो उसके साथ मुखिया की बीवी थी जिसकी जवानी के दर्शन वह कर चुका था और इसी लालच में हो उसके साथ इस आम के बगीचे की रखवाली करने के लिए इतनी रात को आया था वह जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया छोटी सी झोपड़ी को भी मुखिया की बीवी ने बहुत अच्छे तरीके से बनवा कर एक छोटा सा घर की तरह उसे सकल दे दी थी और इस झोपड़ी में रात रुकने लायक सभी साधन मौजूद थे,,,, दरवाजा बंद करने के बाद जैसे ही हो मुखिया की बीवी की तरफ घुमा मुखिया की बीवी उसे फिर से बोली,,,,।
लालटेन को टेबल पर रख दे,,,, ताकि पूरे झोपड़ी में रोशनी बनी रहे,,,, तुझे रोशनी में नींद तो आती है ना,,,
की मालकिन कोई दिक्कत नहीं होती,,,,,(सूरज सो रहा था की मुखिया की बीवी सहज रूप से यह सवाल पूछ रही थी,,, लेकिन हकीकत यही था कि वह लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ-साफ देखना चाहती थी वरना उसे भी रोशनी में नींद नहीं आती थी,,,,)
ठीक है मुझे भी रोशनी पसंद है,,,
अब तुम्हारी कमर का दर्द कैसा है,,,(लालटेन को टेबल पर रखते हुए सूरज बोला)
कैसा क्या है इसका इलाज ही कहां हुआ है जो आराम मिल जाएगा,,,, हाय दइया बहुत दर्द कर रही है,,,(मुखिया की बीवी को जैसे एकदम से याद आ गया हो कि उसकी कमर में तो दर्द हो रहा था और तुरंत अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली,,,)
लगता है मालिस से ही इसका दर्द ठीक होगा,,,,
मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,,
लेकिन मालकिन यहां तेल मिलेगा कहां,,,(सूरज थोड़ा निराश होते हुए बोला)
अरे बुद्धू सब कुछ मिल जाएगा वह टेबल पर जो संदूक रखी है ना उसके अंदर देख सरसों के तेल की सीसी रखी होगी,,, मुखिया की बीवी के कहते हैं सूरज टेबल पर रखे हुए संदूक को खोलकर अंदर देखा तो अंदर वाकई में सरसों के तेल की शीशी दिया सलाई और थोड़ी बहुत काम के साधन पड़े हुए थे सरसों के तेल की शीशी को देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि वह जानता था की मालिश के बहाने वह आज औरत के अंगों को स्पर्श कर पाएगा,,, वह जल्दी से सब दुख में से सरसों के तेल की शीशी को निकाल लिया और संदूक को बंद कर दिया,,,, मुखिया की बीवी सूरज की तरफ देख रही थी सूरज के चेहरे पर उत्सुकता और प्रसन्नता के भाव साफ नजर आ रहे थे और मुखिया की बीवी सूरज को देखकर प्रसन्न हो रही थी उसके अरमान मचल रहे थे क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि बस थोड़ी देर की बात है उसके बाद तो सूरज उसकी पूरी तरह से गुलाम हो जाएगा और वह जो कहेगी वही करेगा ,,,,, क्योंकि मुखिया की बीवी को पूरा अनुभव था कि मर्द किस तरीके से औरत के काबू में आते हैं पहली मर्तबा तो वह सूरज को नहाने के बहाने अपनी खूबसूरत अंग के दर्शन करा कर उसे ऐसा मोह जाल में फंसा ही थी कि आज वह खुद आम के घने बगीचे में रात रुकने के लिए तैयार हो गया था,,,
सूरज तू मालिश कर तो लेगा ना,,,,,,,(मुखिया की बीवी जानबूझकर आश्चर्य से सूरज की तरफ देखते हुए बोली,,,, लेकिन औरतों से हमेशा कन्नी काटने वाला सूरज कुछ भी दिनों में औरतों के बेहद करीब रहने का शौकीन बन चुका था इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ वह बोला,,,,)
जी मालकिन चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है ऐसी मालिश करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,,(हाथ में सीसी लिए हुए वह हल्की मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए बोला,,,,,,, सूरज को मुस्कुराता हुआ देखकर मुखिया की बीवी के मन में भी संतुष्टि हो रही थी वह भी मुस्कुरा कर सूरज की तरफ अच्छी और हल्के से लंगड़ा कर चलने का बहाना करते हुए वहां बिस्तर के करीब जाने लगी और बोली,,,)
रुक पहले में बिस्तर लगा लूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह चारपाई पर रखे हुए बिस्तर को खोलने लगी बिस्तर लगाने से सूरज मुखिया की बीवी को इनकार करना चाहता था लेकिन जिस तरह से वह बिस्तर लगाने के लिए झुकी हुई थी उसकी भारी भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी साड़ी में कई होने के बावजूद भी उसकी रूपरेखा लालटेन की पीली रोशनी में एकदम साफ नजर आ रही थी सूरज तो एकदम मतवाला हो चुका था उसका मन कर रहा था कि पीछे से जाकर मुखिया की बीवी को पकड़ ले और उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर अपना लंड रगड़ रगड़ कर अपने तन की गर्मी को शांत करें,,, सूरज ठीक उसके पीछे खड़ा होकर मुखिया की बीवी को देख रहा था वह झुक कर बिस्तर लगा रही थी उसके इस तरह से झुकने में भी बड़ा आनंद था सूरज नजर भरकर उसके पिछवाड़े को देख रहा था,,,, की तभी उसे याद आया की झोपड़ी में तो एक ही कर पाई है वह कहां सोएगा क्योंकि यह तो निश्चित ही था कि मुखिया की बीवी चारपाई पर ही लेटने वाली है लेकिन उसके लेटने की कोई व्यवस्था नहीं थी और ना ही कोई चादर थी जिसे वह जमीन पर बिछाकर सो सके या चटाई पर आराम कर सके,,, इसलिए अपने मन में उमड़ रहे इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वह मुखिया की बीवी से बोला,,,)
मालकिन यहां तो सिर्फ एक ही कर पाई है और कोई चटाई भी नहीं है मैं कहां सोऊंगा,,,,।
(उसके इस मासूमियत भरे सवाल पर मुखिया की बीवी मन ही मन प्रसन्न होने लगी और उसकी प्रसन्नता के भाव उसके होठों पर आ गए और मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
अरे बुद्धू एक ही चारपाई का मतलब है कि हम दोनों इसी पर सोएंगे तुझे कोई दिक्कत है क्या मेरे साथ सोने में,,,,।
(मुखिया की बीवी के मुंह से इतना सुनते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसके मन की तरंगे उछाल मारने लगी,,,,,, वह एकदम से मदहोश हो गया और मुखिया की बीवी की तरफ आश्चर्य से देखने लगा,,, क्योंकि एक औरत के मुंह से इस तरह के जवाब कि उसे उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी वह सच में पड़ गया था कि यह खूबसूरत जवान औरत एक जवान लड़के के साथ एक ही चारपाई पर कैसे सो सकती है लेकिन यहां पर वही हो रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,, मुखिया की बीवी भी सूरज के चेहरे पर उठ रहे भाव को देख रही थी और समझ रही थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी वह समझ गई थी कि एक ही चारपाई पर सोने के नाम पर सूरज की हालत खराब हो गई थी और वह चोर नजरों से उसके पजामे की तरफ भी देखी तो उसके होश उड़ गए,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और उसके तंबू की शक्ल देखकर,,,, उसकी बुर पानी छोड़ने लगी और वह अपने मन में ही अपने आप से ही बोली,,,, बाप रे ये तो तेरी बुर का भोसड़ा बना देगा,,,,। सूरज के चेहरे पर अभी भी आश्चर्य के भाव साफ नजर आ रहे थे उसके मन में यही चल रहा था कि वह एक खूबसूरत जवान औरत के साथ एक ही बिस्तर पर कैसे सोएगा यह सोचकर वह हैरान भी था और उसे उत्सुकता भी हो रही थी क्योंकि वह इस अनुभव को पूरी तरह से जी लेना चाहता था,,,।
जो हाल इस समय सूरज का था वही हाल मुखिया की बीवी का भी था,,, ऐसा नहीं था कि यह मुखिया की बीवी के लिए पहली बार था जिंदगी में न जाने वह कितनी बार अनजान जवान मर्दों के सामने अपने कपड़ों को उतार कर नंगी हो चुकी थी और उनके साथ जवानी का मजा लूट चुकी थी लेकिन फिर भी सूरज के सामने न जाने क्यों उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पहली बार यह सब करने जा रही थी और सूरज के लिए तो यह सब बिल्कुल नया सा था एक नई दुनिया नया सुख नहीं अनुभूति इसलिए उसके मन में उत्सुकता बहुत ज्यादा थी,,,,।
मुखिया की बीवी बिस्तर लगा चुकी थी सिरहाने दो तकिया भी था दो तकिया को देखकर सूरज मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह खूबसूरत औरत के पास सोने जा रहा था और वह भी एक ही चारपाई पर,,, सूरज के हाथ में सरसों के तेल की सीसी थी सीसी की तरफ देखते हुए मुखिया की बीवी बोली,,,,।
तू तैयार है ना मालिश करने के लिए,,,,।
जी मालकिन,, ,,
(सूरज के इतना कहते ही मुखिया की बीवी मुस्कुराते हुए,,,, अपनी साड़ी का पल्लू कंधे पर से पकड़ कर नीचे गिरा दी और उसकी छातिया एकदम से उजागर हो गई ब्लाउज में कैद उसकी दोनों चूचियां जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह पंख फड़फड़ा रहे थे सूरज तो मुखिया की बीवी का यह रूप देखता ही रह गया उसकी भरी फूली छाती देखकर उसके होश उड़ गए,,।)