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Incest पहाडी मौसम

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Sanju@

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सूरज इस जगह की भयानकता को अच्छी तरह से जानता था वैसे तो यह जगह बिल्कुल शांत और सुरक्षित थी लेकिन जंगली जानवरों का कोई भरोसा नहीं था इसलिए तो उसे अपनी बहन की चिंता हो रही थी वह इधर-उधर देख रहा था लेकिन कहीं भी उसे रानी नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह धीरे-धीरे पीछे की तरफ आने लगा था जहां से वह आगे बढ़ रहा था,,,,,,, तभी वह एक बड़े से पत्थर के पास पहुंचा तो उसे पत्थर के पीछे से कुछ आवाज आने लगी जैसे पानी गिरने की और उसे आवाज को सुनकर पहले तो एकदम से सूरज चौक गया क्योंकि उसे अंदेशा होने लगा कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन को घसीट तो नहीं ले गया है,,,, और इसी डर की वजह से वहां बड़े से पत्थर के पीछे छुपते हुए पत्थर के पीछे की तरफ देखने की कोशिश करने लगा,,,,।

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जैसे-जैसे सूरज बड़े से पत्थर के पीछे नजर ले जा रहा था वैसे-वैसे उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बड़े से पत्थर के पीछे से आ रही आवाज किस तरह की है और जैसे ही पत्थर के पीछे का चित्र स्पष्ट हुआ उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई उसकी आंखें फटी के फटी रह गई आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था और पल भर में ही उसके पेजामे में तंबू बन गया,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी दिल की धड़कन तेज होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या देख रहा है,,,,। लेकिन फिर भी जोड़ने जा रहा उसकी आंखों के सामने था वह कोई कल्पना या सपना नहीं था बल्कि हकीकत था जिसे बिल्कुल भी झूठ लाया नहीं जा सकता था इस बात को सूरज भी अच्छी तरह से जानता था,,,।






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क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था कि अगर सूरज की जगह कोई और होता तो उसकी भी सूरज की तरह ही हालत होती,,,,,,, जिस आवाज को वह किसी जानवर की आवाज समझ रहा था वह आवाज दूसरे कोई नहीं बल्कि उसकी बहन के द्वारा पेशाब करने की आवाज थी बड़े से पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी उसकी सलवार घुटनों तक खींची हुई थी और वह बैठकर पेशाब कर रही थी उसके पीछे गाना जरा पूरी तरह से नंगा था,,,, और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड थी,,, जोकि धूप की की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रही थी,,,,। सूरज देखा तो देखा ही रह गया अपनी बहन की मदद कर देने वाली जवानी को इतने करीब से पहली बार देख रहा था,,,, अभी भी उसकी बहन की बुर से पेशाब की धार बाहर निकल रही थी जिसमें से अभी भी सिटी की तरह आवाज आ रही थी और अब जाकर उसके दिमाग की घंटी बजने लगी,,,,।



Suraj apni bahan k sath

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क्योंकि वह बहुत पर औरतों को पेशाब करते हुए देख चुका था और उनकी बुर में से निकलती हुई सिटी की आवाज को भी सुन चुका था यह सिटी की आवाज जो पेशाब करने से निकलती है यह आवाज उसके लिए कोई अंजानी आवाज नहीं थी लेकिन इस समय इस जगह के डर की वजह से वह समझ नहीं पा रहा था कि यह आवाज किस तरह की है लेकिन अपनी ही गलती पर उसे हंसी आ गई थी लेकिन जो नजर उसकी आंखों के सामने था उसके तन बदन में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से हो रहा था खास करके उसकी जांघों के ईर्द गिर्द ऐसा लग रहा था कि बाढ़ सा आ गया है उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,, उसकी बहन रानी को बिल्कुल भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि ठीक उसके पीछे उसका भाई छुपकर उसे ,, पैसाब, करता हुआ देख रहा है उसकी नंगी गांड को देख रहा है,,,, वरना वह शर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन यह कब तक अंजान रहती,,,, ठीक उसकी आंखों के सामने परछाई बढ़ती हुई नजर आ रही थी और वह चौक के पीछे नजर घुमा कर देखी तो पत्थर के पीछे उसका भाई खड़ा था और यह देखकर उसके होश उड़ गए,,,,।





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वह डर के मारे एकदम से उठकर खड़ी हो गई और इस डर की वजह से वह अपनी स्थिति को भी भूल गई थी,,,, क्योंकि वह जिस तरह से खड़ी थी उसकी सलवार अभी भी घुटनो तक थी और उसकी कुर्ती उसके हाथों में थी और वह भी कमर के ऊपर जिसे कमर और घुटने के बीच का काम उत्तेजक अंग पूरी तरह से अभी भी उजागर था जिसे देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज की नजर अपनी बहन की नंगी गांड पर ही टिकी हुई थी,,, उस दिन तो वह अपनी बहन की नंगी गांड को ठीक तरह से देखा नहीं पाया था क्योंकि दोनों के बीच की दूरी कुछ ज्यादा ही थी बस उसे इतना पता चल रहा था कि उसकी बहन पेशाब करने के लिए बैठी है और उसका पिछवाड़ा एकदम साफ दिख रहा था लेकिन इतने करीब से उसने देखा नहीं था लेकिन उसकी इच्छा आज पूरी हो रही थी,,,, आज दोनों के बीच ज्यादा दूरी नहीं थी दोनों के बीच केवल एक बड़ा सा पत्थर था,,,,,, आज सूरज को अपनी बहन की नंगी गांड जी भर कर देखने को मिली थी और वह जिस स्थिति में खड़ी थी अभी भी उसकी नंगी गांड उजागर थी वह अपने कपड़े को डर के मारे नीचे नहीं कर पाई थी,,,,।





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और क्या उसकी तरफ से कोई जानबूझकर हरकत नहीं थी सूरज जानता था कि वह डर के मारे कपड़े नीचे गिरना भूल गई थी क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छी तरह से जानता था बस उसका ही चरित्र डामाडोल हो रहा था और इसी स्थिति में अपनी बहन के भी चरित्र को वह ढालना चाहता था,,,, रानी की तो हालत खराब हो रही थी उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसका भाई इतनी करीब से पेशाब करता हुआ देखी उसकी नंगी गांड को अपनी आंखों से देखेगा उसके नंगे बदन को इस तरह से देखेगा इसलिए उसे डर का भी एहसास हो रहा था,,,, और वह उसी स्थिति में घबराते हुए बोली,,,।


भैया तुम,,,,, यहां क्या कर रहे हो,,,,?





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पागल जैसी बात मत कर तुझे ढूंढता हुआ मैं पागल हो गया हूं पल भर में न जाने कैसे-कैसे ख्याल मेरे मन में आने लगे मुझे बोल कर तो जा सकती थी पता है मैं कितना घबरा गया था मुझे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर घसीट के ते नहीं ले गया,,, और मैं रानी रानी आवाज भी दे रहा हूं तुझे बोलना तो चाहिए था और मैं अनजाने में यहां आ गया,,,,।
(अपनी बहन को ही स्थिति में देखने की हीचकचाहट सूरज के चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं थी,, वह बड़े मजे लेकर अपनी बहन की स्थिति का जायजा ले रहा था लेकिन उसकी बहन की हालत खराब थी वह अपने मन में सोच रही थी कि इस स्थिति में देखने के बावजूद भी उसका भाई हट क्यों नहीं रहा है,,, और अपने भाई को हटने के लिए बोलने में भी उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, सूरज अपनी तरफ से ही पूरी तरह से सफाई देते हुए एक ही सांस में बहुत कुछ बोल गया था जिससे रानी कोई एहसास होने लगा था कि इसमें उसकी ही गलती है उसके भाई को बता देना चाहिए था वाकई में इस जगह पर जंगली जानवरों का डर तो बना ही रहता है इसलिए वह अपने भाई की बात सुनकर बोली,,,,)

मैं शर्म के मारे कुछ भूल नहीं पाई भैया,,,,।





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चल कोई बात नहीं सलवार ठीक से कर ले,,,, और अभी पेशाब करना बाकी रह गया हो तो कर ले मैं यही खड़ा हूं,,,,।
(सूरज जानबूझकर पेशाब करने वाली और सलवार ऊपर करने वाली बात कर रहा था क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह की बातों का उपयोग कर रहा था जो कि आज तक उसने अपनी बहन के साथ इस तरह की बात नहीं किया था इसलिए तो उसकी बहन भी अपने भाई के मुंह से इस तरह की बात सुनकर सनसना गई उसके बदन में भी शर्म का एहसास एकदम से बढ़ने लगा क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी सलवार घुटनों में फंसी हुई थी और कुर्ती उसके हाथ में थी और ऐसे हालात में उसकी नंगी गाना भी भी पूरी तरह से नंगी होकर उसके भाई के सामने अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी अपने भाई की बात सुनते ही वह तुरंत कुर्ती को नीचे कर दीजिए जिससे उसकी नंगी गांड आधी ढंक गई लेकिन अभी भी आधी गांड नंगी ही थी,,,, सूरज समझ गया था कि अब उसका वहां खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह धीरे से वहां से चलता बना और डर के मारा उसकी बुर में पेशाब अटक सी गई थी इसलिए वह एक बार फिर से नीचे बैठ गई और अधूरी पेशाब की क्रिया को पूर्ण करने लगी और थोड़ी देर में कपड़े को व्यवस्थित करके बड़ी से पत्थर के पीछे से कच्ची सड़क पर आ गई और अच्छी तो उसका भाई उस 5 मीटर की दूरी पर आगे खड़ा था तो वह खुद ही बोली,,,।




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अब चलो,,,,।

देखना बचा कर चलना और ऐसी कोई हालात हो तो मुझे बता दिया कर खामखा डरा दी थी,,,‌।
(और इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और शर्म के मारे रानी कुछ बोल ही नहीं पाई लेकिन उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी गलती थी उसके भाई को उसकी कितनी फिक्र है,,,, और इस बात का अहसास होते ही रानी के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि पहली बार वह देख रही थी कि उसका भाई उसकी कितनी फिक्र करता है और वह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने लगी,,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों अांवले के बगीचे में पहुंच चुके थे,,, चारों तरफ अांवले के पेड़ ही पेड़ थे जिनमे बड़े-बड़े अांवले लगे हुए थे,,, रानी देखी तो देखती ही रह गई और हैरान होते हुए बोली,,,।




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यह किसका बगीचा है भैया यहां तो चारों तरफ आंवला ही आंवला है,,,।


अरे जिसका भी हो उससे हमें क्या हमें तो बस तोड़ने से मतलब है और जल्दी से शुरू हो जा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों भाई बहन जल्दी-जल्दी आंवला तोड़ना शुरू कर दिए,,, थोड़ी ही देर में घर से लाया हुआ थैला पूरी तरह से भर गया,,, उम्मीद से भी ज्यादा आंवला मिला था,,,, यह देखकर रानी बोली,,,)

इससे तो 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।

इतना काफी है ना,,,।


बहुत है भैया इतना तो,,,,।

तो बस हो गया,,,, चल अब थोड़ा सा खाना खा लेते हैं,,,, मुझे बहुत भूख लगी है उसके बाद झरने पर चलते हैं,,,,।





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झरना कहां है,,,,?(चारों तरफ देखते हुए) मुझे तो कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,,।

अरे पगली,,,, आंवले के बगीचे के बाहर ही है आवाज नहीं सुनाई दे रही है तुझे पानी गिरने की,,,।

हां हां,,, आवाज तो आ रही है,,,।

तो बस अब जल्दी से खाना खाना शुरू कर दे,,,, नहाने के बाद हमें घर के लिए निकलना है और शाम से पहले पहुंचना है क्योंकि शाम ढलते ही यह जगह और भी डरावनी लगने लगती है,,,।

क्या भैया तुम तो मुझे डरा रहे हो,,,,,(भोजन की थैली को खोलते हुए रानी बोली तो उसकी बात सुनकर सूरज को शत सोचने लगी और वह खुले शब्दों में बोला,,,)


मैं डरा रहा हूं डरा तो तूने मुझे दिया था,,,, अगर तुझे पेशाब करने जाना था तो मुझे बोल दी होती मैं क्या तुझे मुतने से रोक देता,,,, लेकिन इस तरह से बिना बताए चली गई मेरे तो पसीने छूट गए थे और अगर सच में जंगली जानवर उठा ले गया होता तब क्याहोता,,,।



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(अपने भाई के मुंह से पेशाब करने वाली बात और मुतने वाली बात सुनकर,,, रानी के चेहरे पर शर्म की लालिमा साफ दिखाई देने लगी,,, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाई शर्म तुम्हारे उसकी हालत खराब हो रही थी और खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी और इस हल चल को पहली बार महसूस कर रही थी,,,, वह जैसे तैसे करके अपने लिए और अपने भाई के लिए रोटी सब्जी और आचार निकाल कर अपने भाई की तरफ आगे बढ़ा दी और खुद भी लेकर खाने लगी,,,।

सूरज भी रोटी तोड़कर सब्जी और आचार से खाने लगा और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा,,, वह जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था लेकिन उसकी बात सुनकर भी उसकी बहन कुछ बोल नहीं रही थी बस शर्मा रही थी और यह देखकर सूरज की भी हालत खराब हो रही थी उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी,,, वह खाते-खाते आगे की जुगाड़ के बारे में सोचने लगा,,, रानी भी खा रही थी लेकिन अपने भाई की बातें उसके कानों में गूंज रही थी पेशाब करने वाली बात सलवार उठा लेने वाली बात मुतने वाली बात पेशाब करने वाली बात इन सब बातों को याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, और उसे अपनी बुर से कुछ गीला गीला सा निकलता हुआ महसूस हो रहा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था,,। दोनों थोड़ी ही देर में अपने साथ लाया हुआ खाना खा चुके थे और सूरज अपने मन में ही आगे क्या करना है ऐसी युक्ति बना रहा था और थैले को बांध रहा था,,,।




सुरज‌और रानी
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थेले को बांध लेने के बाद,, वह थेले को आंवले के पेड़ के नीचे रखते हुए बोला,,,।

अब हमें चलना चाहिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी लौटते समय,,,,।

लेकिन यह थैला तो ले लो,,,,।

अरे इस बोझे को लेकर कहां-कहां ढोएंगे,,,ईसे यही रहने दो,,,और वैसे भी हमे यही से वापस आना है तो ईसे ले जाकर के कोई फायदा नहीं है,,,,।


लेकिन अगर कोई उठाले गया तो,,,।

पागल हो गई है यहां कोई दिखाई दे रहा है जो ईसे उठा कर ले जाएगा,,,, अब चल यहां कोई नहीं आने वाला,,,,,।

(ऐसा कहते हुए सूरज आगे आगे चलने लगा और उसकी बहन रानी पीछे पीछे चलने लगी रानी का दिल जोरो से धड़क रहा था एक तरफ झरना देखने की खुशी थी तो दूसरी तरफ न जाने क्यों उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आ रहा था जब वह सर में से पानी पानी हो गई थी जब उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा था वह पल उसके लिए बेहद शर्मिंदगी भरा था लेकिन न जाने क्यों उसे पाल को याद करके उसके बदन का हर एक अंग चिकोटि काटने लग जा रहा था और ईन सब का असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था जिससे उसके बदन की हलचल और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।




चोरी छिपे सउरज‌ और मुखिया की बीवी
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एक तरफ रानी का यह हाल था तो दूसरी तरफ उसका भाई अपने मन में यही सोच रहा था कि अब क्या किया जाए कैसे रानी को नीलू की तरह लाइन पर लाया जाए वह जानता था या काम करने में वक्त तो लगेगा ही लेकिन मजा बहुत आएगा लेकिन इस बात का डर भी था की कही नादानी दिखाते हुए उसकी बहन मां से कुछ ना बता दे,,,। लेकिन उसके मन में यह भी विश्वास था कि अगर एक बार उसकी बहन जवानी का मजा लेने लगेगी तो वहां किसी से कुछ भी नहीं रहेगी अगर उसे भी नीलू जैसा महसूस होने लगा तो वह भी तड़प उठेगी मजा लेने के लिए और यही तो वह चाहता था,,,,। इसलिए देखते ही देखते वह झरने के पास पहुंच गया और झरना को देखते ही रानी एकदम से खुश हो गई उसकी खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था वह पहली बार झरना देख रही थी उसमें से गिरता हुआ तेज रफ्तार से कल कल करता पानी शोर मचा रहा था और झरने का पानी आगे तालाब के रूप में उसमें उसका ठंडा पानी इकट्ठा हो रहा था,,,।




खेतों में मुखिया की बीवी की चुदाई

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कैसा लगा रानी,,,,।

मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा भी नजार होता है,,,,।


तूने अभी देखा ही क्या है बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखेगी तो मस्त हो जाएगी,,,,,,।
(अपने भाई की बात में रानी को कुछ अजीब नहीं लगा था लेकिन सूरज के कहने का मतलब कुछ और था जिसे वह समझ नहीं पा रही थी रानी एक तरफ झरने को देखने में मस्त थी और तभी तालाब में कुछ गिरने की आवाज आई और वह नजर तालाब की तरफ घूम कर देखी तो तालाब के अंदर उसका भाई तैर रहा था और वह बोली)

भैया तू,,,, तू तो नहाने लगा,,,,।




रानी और सुरज
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तो क्या नहाने के लिए तो आया हूं इधर और तू भी तो नहाने के लिए आई है आजा तू भी नहाने,,,,।


लेकिन कपड़े,,,,,,(रानी देख रही थी कि उसका भाई बिना कपड़ों के तालाब में नहाने के लिए कूद गया था इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा था वह हैरानी सेअपने भाई से पूछ रही थी और सूरज बोला,,,)


कपड़े पहन कर रहा होगा तो कपड़े भीग जाएंगे और सूखेंगे नहीं,,,।

तो,,,,,!


तो क्या कपड़े उतार कर कूद गया तालाब में मजा का मजा भी आ जाएगा और कपड़े भी नहीं गीले होंगे,,,(तालाब के ऊपरी सतह पर हल्के-हल्के तैरते हुए सूरज बोला,,, वह जानबूझकर इस तरह से तैर रहा था कि उसके नितंबों की झलक तालाब के ऊपरी सतह पर आराम से दिखाई दे रही थी और ना चाहते हुए भी रानी की नजर अपने भाई के नितंबों पर जा रही थी जो की धूप में और पानी के मिलावट में चमक रही थी,,,, यह देखकर एक तरफ रानी शर्मा रही थी तो दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,)


लेकिन,,,,!



रानी की चुदाई

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लेकिन वेकीन छोड़ तुझे भी तो नहाना था ना झरना में,,,,।


नहाना तो है लेकिन कपड़े नहीं है मेरे पास,,,।


तो मेरे पास ही कहां कपड़े हैं देख नहीं रही है मैं सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर नहा रहा हूं,,,।

तू नहा सकता है भाई लेकिन मैं,,,, मैं तो लड़की हूं मैं अपने सारे कपड़े उतार कर थोड़ी नहा सकती हूं,,,।

अरे पगली,,,(तालाब में डुबकी लगाकर बाहर निकलते हुए) यहां पर मेरे और तेरे सिवा है कौन कोई और होता तो बात कुछ और होती लेकिन हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ना आएगी भी तो कहां फर्क पड़ने वाला है कोई देखने वाला थोड़ी ना है,,,,.(सूरज जानबूझकर अपनी बहन के लिए नंगी शब्द का प्रयोग करके बोल रहा था और यह शब्द रानी के भी दिलों दिमाग पर बुरा असर कर रहा था इस शब्द को सुनकर उसकी टांगों के बीच बार-बार हलचल हो जा रही थी,,,, फिर भी अपने भाई की बात का जवाब देते हुए वह बोली,,,)




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नहीं मुझे शर्म आती है मुझसे यह नहीं हो पाएगा,,,।

तू सच में पागल है ऐसा मौका फिर तुझे कभी नहीं मिलेगा झरना में नहाने का मौका बहुत कम लोगों को मिलता है मुझे तो लगता है पूरे गांव में एक तू ही लड़की मुझे यहां तक पहुंची है इसलिए यहां आने का मजा लेने शर्माने की जरूरत नहीं है मैं कहां मां से बताने वाला हूं कि तू नंगी होकर नहा रही थी,,,।

(सूरज का बार-बार नंगी शब्द का प्रयोग करना रानी के होश उड़ा रहा था पल भर के लिए रानी को भी लगने लगा कि वाकई में यहां पर देखने वाला कौन है वैसे भी झरने में नहाने का बहुत मन कर रहा था वह भी अपने कपड़े उतार कर अंदर को जाना चाहते थे लेकिन फिर भी अपने भाई के सामने उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,,)

लेकिन फिर भी भैया तुम्हारे सामने में कैसे कपड़े उतार कर नहा सकती हुं,,,,,।


जैसे अभी कुछ देर पहले मेरे सामने सलवार खोलकर पेशाब कर रही थी,,,,,।(ऐसा बोलते हुए खुद सूरज का लंड पानी के अंदर रहने के बावजूद भी अकड़ रहा था,, वह जानबूझकर अपनी बहन रानी से ईस तरह की बातें कर रहा था,,, और पेशाब वाली बात सुनकर रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसकी बुर से उसका मदन बुंद बनकर टपकने लगा ,,, एक तरफ जहां अपने भाई की बातें सुनकर उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसे अपने भाई की बात मस्त कर देने वाली लग रही थी आज पहली बार उसे अपने बदन में जवानी का एहसास हो रहा था अपने भाई की बात सुनकर वह अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोली,,,)


वह तो अनजाने में मुझे क्या मालूम था कि तुम देख रहे हो,,,,।



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तो अभी भी अनजाने में कपड़े उतार कर कूद जा नहाने का मजा ले ले कितना ठंडा पानी है मुझे तो बहुत मजा आ रहा है,,,,(ऐसा कहते हुए अपनी बहन को उकसाने के लिए वह फिर से नाक बंद करके पानी में डुबकी लगाकर फिर बाहर निकल गया अब तो रानी से भी रहा नहीं जा रहा था वह भी आप कपड़े उतार कर तालाब में कूद जाना चाहती थी झरने से गिर रहा पानी बहुत शोर मचा रहा था और उसे इस बात के एहसास भी हो रहा था कि वाकई में यहां पर कोई देखने वाला भी तो नहीं है,,, और उसका भाई तो किसी से भी यह बात कहेगा भी नहीं ,,,।,,,

सूरज की हालत खराब हो रही थी वह पानी के अंदर ही अपना हाथ डालकर अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, और अपनी बहन को पानी में बिना कपड़ों के उतरने के लिए उकसा रहा था,,,,, सूरज की बातें सुनकर रानी भी अपने मन में सोचने लगी कि वाकई में नहाने का मजा ले लेना चाहिए फिर ना जाने ऐसा मौका मिले या ना मिले,,,, अपने मन को मजबूत करके वह अपने मन में ठान ली की वह भी नहाएगी,,, और तुरंत एक बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दी सूरज इधर-उधर देखता रहा क्योंकि जब वह अपनी जगह से हटी थी तब वह नहीं देखा था कि वह कहां गई इसलिए वह थोड़ा हिरण हो गया और इधर-उधर देखने लगा उसे क्या मालूम था की बड़ी से पत्थर के पीछे उसकी बहन अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही है वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी और अपने कपड़ों को बड़े से पत्थर के पास सुरक्षित रख दी थी ताकि वापस उसे अच्छी तरह से पहन सके लेकिन फिर भी पत्थर से बाहर निकलने पर सूरज की नजर रानी पर पड़ ही जाने वाली थी इसलिए वह बड़े से पत्थर के पीछे से ही बोली,,,,)


भैया मैं भी नहाने के लिए तैयार हूं और अपने सारे कपड़े उतार दि हुं,,,,(बड़े से पत्थर के पीछे से ही वह बोली और उसकी बात सुनकर तो सूरज के तन बदन में आग लगने लगी और वह एक हाथ पानी में डालकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला )

क्या सच में तू नंगी हो गई है,,,,।

हां भैया मैं अपने सारे कपड़े उतार चुकी हूं,,,,।
(रानी इस बात से और ज्यादा हैरान थी कि उसका भाई एकदम खुलकर उसके लिए नंगी शब्द का प्रयोग करता था और इसे पहली बार हो रहा था लेकिन ऐसा नहीं था की रानी को अच्छा नहीं लग रहा था अपने भाई की बात सुनकर उसे भी मदहोशी छाने लग जा रही थी उसे भी अपने भाई कि ईस तरह की बातें अच्छी लग रही थी,,, अपनी बहन की बात सुनकर सूरज की तन-बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगा,,,, और उत्तेजित स्वर में बोला,,,)

तो देर किस बात की है आज कूद जा तालाब में देख कितना मजा आ रहा है,,,,।


लेकिन भैया मुझे शर्म आ रही है,,,,।


अरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है तो शर्माने की जरूरत क्या है अाजा कुद जा,,,,।(सूरज एकदम उत्साहित होता हुआ बोल रहा था क्योंकि उसने कोशिश करके अपनी बहन को कपड़े उतारने के लिए मना लिया था और उसकी बहन कपड़े उतार कर नंगी भी हो चुकी थी बस उसका पानी में कूदने की देरी थी इसलिए सूरज बहुत खुश था अपने भाई की बात सुनकर रानी बोली)


लेकिन मुझे शर्म आती है भैया तुम अपना मुंह दूसरी तरफ घुमाओ तब मैं कूदती हूं ,,,।


अच्छा ठीक है मैं दूसरी तरफ मुंह घुमा लेता हूं तु पानी में कूद जा,,,(सूरज मैन ही मन मुस्कुराते हुए बोला)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सूरज ने पहले अपनी बहन को पेशाब करते हुए देख लिया और अब वह उसे नंगी देखना चाहता है इसलिए सूरज ने रानी को नंगी होकर नहाने के लिए मना लिया है अब तो पानी में आग लगने वाली है
 

Sanju@

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सूरज अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में अपनी बहन रानी को झरने के पानी में कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाने के लिए मना लिया था और मन ही मन खुश हो रहा था,,,, रानी भी झरने के पानी में नहाने का सुख प्राप्त करना चाहती थी इस अनुभव को महसूस करना चाहती थी इसलिए उसके पास भी कपड़े उतार कर नंगी होकर नहाने के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं था और वैसे भी जब-जब उसका भाई उसके लिए नंगी शब्द का प्रयोग करता था तब तक न जाने उसके बदन में किस तरह की हलचल महसूस होने लगती थी जिसे महसूस करके वह खुद मदहोश होने लग जा रही थी जिंदगी में पहली बार वह अपने भाई के साथ जंगल में झरने के पानी में नहाने के लिए आई थी और यहां पर बिना नहाए चली जाए ऐसा वह नहीं चाहती थी इस अनुभव सेवा गुजारना चाहती थी भले इसके लिए उसे अपने कपड़े उतार कर नंगी क्यों ना होना पड़े,,,।



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रानी अपने आप को तैयार कर चुकी थी और पड़े से पत्थर के पीछे जाकर अपने सारे कपड़े उतार चुकी थी वही समय एकदम नग्न अवस्था में थी लेकिन बड़े से पत्थर के पीछे थी उसका भाई झरने के पानी से बने तालाब में छाती तक पानी में बिना कपड़ों के डूबा हुआ था नहाने का सुख भोग रहा था वह बार-बार अपनी बहन की तरफ देख रहा था जो की पत्थर के पीछे अपने आप को छुपाई हुई थी, रानी का दिल जोरो से धड़क रहा था और उसके भाई सूरज का भी दिन बड़े जोरों से धड़क रहा था दोनों की हालत खराब थी और वैसे भी इस जंगल के विराने में उन दोनों के।
सिवा यहां कोई नहीं था और किसी तीसरे के न होने की वजह से रानी भी अपने भाई की बात मान ली थी लेकिन अभी भी उसके मन में शर्म की चादर पड़ी हुई थी इसलिए वह अपने भाई से बोली,,,।


मुझे अभी भी शर्म आ रही है,,,।




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शर्माने की कोई जरूरत नहीं है हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है,,, तो बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तालाब में कूद जा,,,।

मैं कुद तो जाऊं लेकिन पहले दूसरी तरफ घूम जाओ मुझे शर्म आती है,,,।

कोई बात नहीं मैं दूसरी तरफ नजर घुमा लेता हूं तो पानी में उतर जा,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी वह पागल हुआ जा रहा था उसे अपने विजयी होने पर गर्व जो महसूस हो रहा था क्योंकि उसने अपनी बहन को पानी में बिना कपड़ों के उतरने के लिए मना जो लिया था,,,, गहरी सांस लेते हुए सूरज छाती भर पानी में दूसरी तरफ नजर घुमा लिया था लेकिन उसकी दोनों टांगों के बीच की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी पहली बार अपनी बहन के साथ इस तरह की हरकत कर रहा था उसे उकसा रहा था लेकिन ऐसा करने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,। इस समय वासना की परत उसकी आंखों पर चढ़ चुकी थी जिसकी वजह से उसे कुछ भी सुझ नहीं रहा था इसीलिए भाई बहन के पवित्र रिश्ते की मर्यादा को वह है इस समय बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहा था उसे अपनी बहन रानी में भी मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की और सोनू की चाची नजर आ रही थी,,,,।




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सूरज दूसरी तरफ नजर करके खड़ा था और अपनी बहन का पानी में उतारने का इंतजार कर रहा था बड़े से पत्थर के पीछे छुपकर लग्न अवस्था में खड़ी रानी अपने भाई की तरफ देख रही थी और जैसे ही उसने अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमाया वह बड़े से पत्थर से बाहर निकल कर धीरे-धीरे पानी में उतरने लगी वह पूरी तरह से नंगी थी पूरी तरह से नंगी होकर वह पहली बार किसी तालाब के पानी में उतर रही थी झरना अपनी गति से नीचे गिर रहा था और उसकी बौछारें हवा के साथ उसके बदन को ठंडक प्रदान कर रही थी जिससे उसके बदन में अजीब सी हलचल मच जा रही थी,,, रानी धीरे-धीरे तालाब के पानी में उतर रही थी और देखते ही देखते वह कमर तक तालाब के पानी में अपने आप को उतार चुकी थी जिस अंग को वह अपने भाई की नजरों से छुपाना चाहती थी वह अंग तो पानी के नीचे छप चुका था उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार और उसके नितंबों का घेराव के भाई की नजर से बच चुका था वह तालाब के पानी में अपने देश कीमती खजाने को अपने भाई की नजर से छुपा चुकी थी और पानी में चलने की हलचल को सूरज भी अच्छी तरह से महसूस कर रहा था वह जान रहा था कि उसकी बहन पानी में उतर रही है उसे रहा नहीं जा रहा था वह अपनी बहन को नग्नवस्था में देखना चाहता था उसके नंगे बदन को देखना चाहता था,,,,।





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सूरज की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वाकई में अगर किसी जवान लड़के के आंखों के सामने कोई जवान से भरी हुई लड़की अपने सारे वस्त्र उतार कर इस तरह से पानी में उतरे तो वाकई में उसे लड़के की क्या हालत होगी यह सूरज से बेहतर इस समय कोई नहीं जान सकता था सूरज अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था वह जल्द से जल्द अपनी बहन के नंगे बदन को देखना चाहता था उसकी नंगी जवान को देखना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों को देखना चाहता था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी नंगी लड़की को देखने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था इससे पहले भी वह नंगी औरत और नंगी लड़कियों को देख चुका था मुखिया की बीवी के साथ संभोग सुख प्राप्त भी कर चुका था और मुखिया की लड़की के साथ भी वह संभोग की असीम सुख को भोग चुका था लेकिन फिर भी एक खूबसूरत लड़की को नग्न अवस्था में देखने की उसकी चाहत बिल्कुल भी काम नहीं हो रही थी इसीलिए वह तुरंत अपनी नजरों को घुमा दिया और अपनी बहन को जो की तालाब के पानी में उतर चुकी थी और कमर के नीचे का भाग उसकी पूरी तरह से पानी में डूब चुका था ऐसे हालात में सूरज की नजर सीधे अपनी बहन के दोनों संतरों पर चली गई जो की बेहद खूबसूरत जाकर लिए हुए ऐसा लग रहा था कि उसे आमंत्रण दे रहे हो और जैसे ही सूरज अपनी बहन की तरफ देखा रानी की तो हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि उसकी नंगी चूचियां अभी भी पानी से बाहर थी इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढकने का प्रयास करने लगे और तुरंत दूसरी तरफ नजर घुमाने लगी तो मौके की नजाकत को समझते हुए सूरज बोला,,,।




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अरे अरे अभी तक नहीं उतर पाई थी मुझे तो लगा पूरी तरह से पानी में उतर चुकी है,,,, चल कोई बात नहीं शर्माने की जरूरत नहीं है नहाने का मजा ले मेरे और तेरे सिवा कोई है भी नहीं इसलिए बेफिक्र होकर नहा,,,।
(अपने भाई कि ईस तरह की बातें सुनकर रानी को शर्म तो आ रही थी लेकिन अपने भाई की बातों से उसे हिम्मत भी मिल रही थी,,,, और उसे एक अजीब तरह की हलचल भी महसूस हो रही थी खास करके अपनी दोनों टांगों के बीच अभी भी वह अपने दोनों चूचियों पर हाथ रखकर दूसरी तरफ मुंह घूमाकर पानी में खड़ी थी इसलिए सूरज बोला,,,)

ठीक है थोड़ा सा और अंदर आज ताकि तेरी चूचियां पानी में डूब जाए,,,(सूरज जानबूझकर अपनी बहन के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा था चुचीया शब्द कहते ही जिस तरह की हलचल सूरज अपने बदन में महसूस किया था उसी तरह की हलचल रानी अपने तन बदन में महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई इस तरह के शब्दों का प्रयोग उसके सामने क्यों कर रहा है जो कि यह सब पहली बार हो रहा था लेकिन अपने भाई के मुंह से चुची शब्द सुनकर उसकी भी हालत खराब हो रही थी,,,। और अपने भाई की बात मानते हुए रानी धीरे-धीरे तालाब के पानी में नीचे उतरने लगी,,, और देखते देखते उसके दोनों संतरे पानी में डूब गए,,,, उसके दोनों संतरों को डूबने के बाद सूरज मुस्कुराते हुए बोला,,,)

बता अब कैसा लग रहा है तुझे अच्छा लग रहा है ना,,,,।



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अच्छा लग रहा है भैया,,,(शरमाते हुए रानी बोली)

अरे शर्मा क्यों रही है शर्माने की जरूरत नहीं है पहली बार झरने के पानी में नहा रही है देख कितना अच्छा लग रहा है और यहां पर कोई है भी नहीं इसलिए और ज्यादा मजा आ रहा है,,,, तू ही बता अगर यहां कोई और होता तो तू अपने कपड़े उतार कर नंगी होती,,,(सूरज जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके अपनी बहन को उलझाने की कोशिश कर रहा था उसकी बहन को भी मजा आ रहा था इसलिए वह बोली)

बिल्कुलभी नहीं,,,।

वही तो तभी तो तुझे यहां लेकर आया हूं,,,, जी भरकर नहा ले यहां नहाने से पूरे बदन में ताजगी आ जाती है,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने कदमों को धीरे-धीरे अपनी बहन की तरफ आगे बढ़ने लगा यह देखकर रानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई उसकी तरफ क्यों आ रहा है और सूरज मुस्कुराते हुए दोनों हाथों से पानी के छींटें अपनी बहन के बदन पर मारने लगा,,, उसकी बहन पानी के छींटों से बचने की कोशिश कर रही थी, ऐसा करते हो अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर अपने चेहरे को छुपा रही थी लेकिन उसका ऐसे करने पर तालाब के पानी में उसका बदन गोते खा रहा था जिसकी वजह से उसकी दोनों चुचीया पानी के ऊपरी सत तक ऊपर उड़ जा रही थी जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था,,, सूरज जानबूझकर लगातार इस तरह की हरकत कर रहा था और देखते-देखते अपनी बहन के पास पहुंच चुका था,,,, क्योंकि उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,।




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चारों तरफ एकदम सन्नाटा छाया हुआ था बस इस सन्नाटे को झरने का पानी का शोर चीर रहा था और साथ ही भाई बहन दोनों की अठखेलियों की आवाज पूरे वातावरण में गूंज रही थी,,,,।

रहने दो भाई,,,, मैं गिर जाऊंगी,,,।

अरे तू चिंता मत कर मैं तुझे गिरने नहीं दूंगा,,,(ऐसा कहते हुए लगातार अपनी हथेली में पानी ले लेकर अपनी बहन के चेहरे पर मार रहा था और वह उससे बचने की कोशिश कर रही थी देखते-देखते सूरज अपनी बहन के बेहद करीब पहुंच चुका था तालाब के पानी में अपनी बहन की नंगी जवान को करीब पाकर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था झरने के पानी का ठंडक भी लंड की गर्मी को बिल्कुल भी काबू में नहीं कर पा रहा था,,,, तभी अपने भाई के द्वारा पानी का खेल खेलने की वजह से अपने आप को बचाने की कोशिश करने के बावजूद भी रानी का पर हल्का सा फैसला और वह जैसे ही गिरने को हुई सूरज तुरंत अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर अपनी बहन के बदन को थाम लिया जिसका वह बड़ी बेसब्री से इंतजार भी कर रहा था रानी अपने आप को गिरने से बचाती इससे पहले ही वह अपने भाई की बाहों में आ चुकी थी लेकिन वह कुछ समझ पाती ईससे पहले ही उसे संभालने की कोशिश का बहाना करते हुए सूरज उसे अपने बदन से एकदम से सटा लिया था,,, और ऐसा करने की वजह से उसका खड़ा लंड एकदम सीधे उसकी बहन की दोनों टांगों के बीच उसके गुलाबी छेद पर दस्तक देने लगा उस पर रगड़ खाने लगा पानी की गहराई में पहले तो रानी कुछ समझ नहीं पाई,,,,।




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क्योंकि वह तो गिरने से बचना चाहती थी जो कि उसके भाई ने उसे संभाल भी लिया था वह कुछ समझ पाती से पहले ही सूरज अपना काम कर चुका था और साथ ही उसका लंड भी अपने योग्य स्थान पर एकदम से जाकर रगड़ खाने लगा था ऐसा लग रहा था कि सूरज के साथ-साथ उसका लंड भी इसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा हो,,,, गिरने से बचने की वजह से डर के मारे रानी की सांस ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह एक पल के लिए तालाब के पानी में अपने पूरे बदन को डूबा भी दी थी उसका कर भी पानी में डूब चुका था इसलिए पानी थोड़ा सा उसके नाक में चला गया था जिससे वह गहरी गहरी सांस लेकर अपने आप को व्यवस्थित कर रही थी लेकिन जैसे ही वह अपने आप को आरामदायक स्थिति में महसूस की वैसे ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ राहत हुआ महसूस हुआ रगड़ खाता हुआ महसूस हुआ,,,, पल भर में उसकी सांसे और भी गहरी चलने लगी पल भर के लिए तो उसे ऐसा लगा कि शायद जैसे कोई जानवर उसकी दोनों टांगों के बीच रेंग रहा हो,,, जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बावजूद भी वह समझ नहीं पा रहे थे किसके दोनों टांगों के बीच जो चीज रेंग रहा है वह है क्या क्योंकि उसने मर्दों के खड़े लंड को आज तक नहीं देख पाई थी और उसके बारे में कुछ जानती भी नहीं थी इसलिए वह थोड़ा घबरा गई थी उसका चेहरा एकदम घबराया हुआ था सूरज सब कुछ जानता था लेकिन फिर भी अनजान बनता हुआ बोला,,,)

क्या हुआ घबराई हुई क्यों हो,,,।





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मेरी टांगोंके बीच,,,कककककक,, कुछ रेंग रहा है,,,।

क्या रेंग रहा है,,,?(सूरज जानबूझकर अनजान बनता हुआ बोला वह देखना चाहता था कि उसकी बहन क्या बोलती है,,,)

कुछ तो है भाई बड़ा सा है कहीं काट न ले,,,,।


अरे कुछ भी नहीं है तुझे वहम हो रहा है,,,।

नहीं नहीं भाई कुछ तो है बार-बार रगड़ खा रहा है ऐसा लग रहा है जैसे टांगों के बीच ही घूम रहा है कहीं सांप तो नहीं है पानी वाला,,,।


अरे यहां कहां सांप है मैंने तो आज तक नहीं देखा,,,।

तो कोई मछली होगी,,,,।

तो काटने वाली नहीं होगी वरना अभी तक तो काट ली होगी,,,, एक काम कर मैं तो नहीं पड़ सकता क्योंकि मैं तुझे छोड़ूंगा तो तेरा पैर फिसल जाएगा तू ही नीचे हांथ करके पकड़ ले अगर मछली हुई तो तब तो और मजा आ जाएगा खाने में,,,,।

मुझे डर लगता है,,,,।

डरने की कोई जरूरत नहीं है काटेगी नहीं इस तालाब में बिना काटने वाली ही मछली घूमती है,,,।
(ऐसा कहते हुए सूरज जानबूझकर अपने लंड को अपनी कमर के साथ आगे पीछे करके अपनी बहन की गुलाबी छेद के साथ-साथ उसकी जांघों पर रगड़ खिलवा रहा था,,, और इस बार तो अपने लंड के सुपाड़े को सीधे-सीधे उसकी गुलाबी छेद पर धक्का दे मारा तो एकदम से रानी चिल्ला उठी,,,)





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हाय दइया कहीं घूस न जाए, ,,,(ऐसा कहते हुए डरी हुई रानी तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ डाली और अपनी बुर पर रगड़ खा रही उस चीज को एकदम से हाथ में पकड़ ली उसके पकडते ही सूरज की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि वह बड़े कस के पड़ी थी और उसकी हथेली में अपने लंड को महसूस करके सूरज की तो हालत खराब होने लगी पल भर के लिए उसे ऐसा लगा कि कहीं उसके लंड से पानी न निकल जाए और पहले तो रानी को भी अजीब लगा उसे लगाकर शायद उसने मछली पकड़ ली है लेकिन जैसे ही उसने अपने हाथ आगे की तरफ हल्के से बधाई तो तुरंत उसकी हथेली एकदम से उसके भाई की जांघों के बीच रुक गई और उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसने अनजाने में क्या पकड़ ली है वह एकदम से शर्म से पानी पानी होने लगी और अपनी नजरों को एकदम से नीचे झुकाली क्योंकि वह समझ चुकी थी जाने अनजाने में उसके हाथ में उसके भाई का लंड आ गया है जो कि एकदम गरम मोटा एकदम पानी में भी लोहे के रोड की तरह महसूस हो रहा था,,, सूरज जानता था कि उसकी बहन ने क्या पकड़ ली है और इसका एहसास रानी को भी हो चुका था क्योंकि उसकी नज़रें नीचे झुक चुकी थी लेकिन अभी भी वह न जाने की उसके लंड को अपनी हथेली में कस के दबोचे हुए थी जो कि उसकी बुर से एकदम से सटा हुआ भी था,,,, इसलिए सूरज बिना कोई बहाना बनाए हुए एकदम से बोला,,,)




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हाय रानी तू तो मेरा लंड पकड़ ली,,,,, कहीं यही तो नहीं तेरी जांघों के आजू-बाजू घूम रहा था,,,।

मुझे भी ऐसा ही लग रहा था भैया,,,,( ऐसा कहने के बावजूद भी वह शर्म के मेरी अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए अपने भाई के लंड को बड़े जोरों से पकड़ी हुई थी सूरज मदहोश हुआ जा रहा था क्योंकि वह जितना सोचा था उससे ज्यादा हो चुका था वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह चाहता था कि कुछ देर तक इसी तरह से उसकी बहन अपने हथेली में उसके लंड को दबोचे रहे लेकिन फिर भी वह अपनी बहन को ऐसा दिलाना चाहता था कि वह क्या पकड़ी हुई है इसलिए फिर से बोला,,,)


रानी तुबहुत जोर से मेरे लंड को पड़ी हुई है अब छोड़ दे नहीं तो कहीं ऐसा ना हो जाए कि उसका पानी निकल जाए,,,,।

ओहहहह,,,(इतना कहने के साथ ही वह झट से अपनी हथेली को अपने भाई के लंड पर से ढीली कर दी और शर्म के मारे अपनी नजर को दूसरी तरफ घूमा ली,,, सूरज समझ गया था किसकी बहन एकदम से शर्मा गई है इससे हालात में वह तालाब से बाहर की जा सकती थी और सूरज यह नहीं चाहता था इसलिए तुरंत अपनी बहन का ध्यान भटकाने के लिए वापस दोनों हथेलियां में पानी लेकर अपनी बहन के ऊपर मारने लगा और बोला,,,)

तू खामखा डर रही थी,,, सांप है मछली है देख ली ना क्या है,,,।





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मुझे क्या मालूम इतना बड़ा था तो मुझे ऐसे ही लगा कि सांप और मछली ही होगी,, (शर्म के मारे नजर को दूसरी तरफ घुमाए हुए ही वह बोली और उसकी बात सुनकर सूरज मन ही मन मुस्कुरा रहा था और बोला,,)

ज्यादा बड़ा था क्या ऐसा ही तो होता है,,,।

मुझे क्या मालूम कैसा होता है मैं तो पहली बार पकड़ी हूं,,,,।


कैसा लगा तुझे,,,!


कैसा क्या लगा पहले तो लगा कि वाकई में मेरे हाथ में सांप आ गया है लेकिन फिर मुझे लगा कि शायद मछली होगी इतनी मोटी लंबी ताजी,,,,।


और फिर,,,,!


और फिर क्या,,,, मेरी तो हालत ही खराब हो गई,,,,।





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चल जाने दे नहाने का मजा ले मजा आ रहा है ना,,,। इससे पहले तू तालाब में भी बिना कपड़ों के नहीं नहाई होगी,,,।


अपने गांव में तालाब कहां है नदी है,,,।(इस बार अपने भाई की तरफ नजर करके वह बोली)

अरे हां अपने गांव में तो तालाब भी नहीं है नदी हो लेकिन नदी में भी तू कभी इस तरह से नहाई होगी,,,।

धत् मुझे तो शर्म आती है,,,,।

और यहां तालाब में,,,।

इधर भी आ रही है लेकिन कोई और नहीं है इसके लिए,,,,।



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(पल भर के लिए नदी का जिक्र आते ही सूरज के मन में हुआ कि वह अपनी बहन से बता दे कि उसकी मां भी नदी के पानी में बिना कपड़ों के नंगी होकर नहाती है लेकिन ऐसा हुआ कहीं नहीं पाया क्योंकि ऐसा कहने पर उसकी बहन को ऐसा ही लगता कि वह चोरी छिपे अपनी मां को नहाते हुए देखता है तो उसे भी नहाते हुए देखता ही होगा,,,, इसलिए वह कुछ बोला नहीं लेकिन वह लगाकर फिर से अपनी बहन पर पानी की बौछार कर रहा था और वह फिर से बचने की कोशिश कर रही थी,,, और इस बार फिर से उसका पैर हल्का सा फैसला और सूरज फिर से उसे अपनी बाहों में थाम लिया और एकदम से उसे अपनी बदन से सटा लिया और इस बार फिर से उसका लंड सीधे उसकी बहन की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर दस्तक तक देने लगा इस बार रानी पूरी तरह से मदहोश हो गई क्योंकि वह समझ गई थी कि उसकी बुर के ऊपर क्या चीज रगड़ खा रही है लेकिन इस बार सूरज उसे इतना अपने बदन से सता लिया था कि उसकी दोनों चुटिया भी उसकी छाती से चिपक गई थी और पानी में अद्भुत आकार बना रही थी। एक बार फिर से रानी शर्म से पानी पानी होने लगी लेकिन इस बार बिना कुछ बोले सूरज कुछ भी देर में उसे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और एकदम से पानी में डुबकी लगा दिया वह एकदम से पानी में कहीं खो गया रानी उसे इधर-उधर देखते ही रह गई उसे थोड़ा डर लगने लगा लेकिन वह जानती थी कि उसके भाई को तैरना आता है लेकिन फिर भी वह थोड़ा घबरा रही थी वह इधर-उधर पागलों की तरफ से ढूंढ रही थी चारों तरफ नजर घूमाकर उसे लगा कि कहीं उसका भाई तालाब से बाहर तो नहीं निकल गया है इसलिए वह बड़ी से पत्थर की तरफ देखने लगी तो तभी उसे पीछे से आवाज आई,,,,।)




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रानी यह देख,,,,(इतना सुनते ही रानी नजर घुमा कर देखने लगी तो उसका भाई झरने के पानी के नीचे नहा रहा था एकदम नंगा खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से टन टना कर खड़ा था,झरने का पानी उसके सिर पर गिर रहा था और वह झरने के पानी में नहा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, रानी से देख रही थी उसे हैरानी हो रही थी उसे इस बात की हैरानी नहीं थी कि वह झरने के पानी के नीचे खड़ा होकर नहा रहा था उसे इस बात की रानी थी कि उसका भाई उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा खड़े होकर ना रहा था,,, रानी बस हैरान होते हुए अपने भाई को ही देख रही थी अपने भाई को नहीं बल्कि उसके दोनों टांगों के बीच खड़े मोटे तगड़े लंड को देख रही थी और उसे देखकर एकदम आश्चर्यचकित हुए जा रही थी क्योंकि भाई जान रही थी कि कुछ देर पहले यही लेकिन उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी जांघों पर उसकी बुर पर रगड़ खा रहा था कितना मोटा और लंबा है उसके भाई का लंड।




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आश्चर्य से रानी की आंखें फटी जा रही थी क्योंकि वह जिंदगी में पहली बार किसी मोटे तगड़े लंड को देख रही थी इसलिए तो वह हैरान हुए जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई इतना बेशर्म कैसे होते जा रहा है उसकी आंखों के सामने लेकिन इस बेशर्मी में उसे भी तो मजा आ रहा था वह पागलों की तरह प्यासी आंखों से अपने भाई के लंड को देख रही थी और सूरज भी अपनी बहन की नजरों को पहचान रहा था और मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि उसकी युक्ति कम कर रही थी और जबरदस्त तरीके से काम कर रही थी,,, सूरज वहीं खड़ा-खड़ा अपनी बहन को इशारा करके अपने पास बुलाने लगा और जोर से बोला,,,)




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आजा यहां बहुत मजा आ रहा है नहाने में,,,, वहां से ज्यादा मजा इधर आ रहा है जल्दी आजा ,,,।(झरने में नहाते हुए सूरज बोला,,, अपने भाई को नहाता हुआ देख कर रानी का भी मन कर रहा था झरने के पानी में खड़े होकर नहाने के लिए लेकिन अपने भाई के साथ झरने के पानी में खड़े होकर आने का मतलब था कि उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ा होना लेकिन उसका भाई भी तो खड़ा था नंगा होकर उसे शर्म नहीं आ रही थी वह तो मजा ले रहा था झरने के पानी में नहाने का,,, और यही सोच कर रानी का भी मन कर रहा था अपने भाई की तरह झरने के पानी में खड़े होकर नहाने का लेकिन उसे थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर वह अपने मन में सोची की शर्म कैसा अपने भाई के सामने नंगी होकर से नहा रही है भले ही वह पानी में डूबी हुई है लेकिन बिना कपड़ों की तरह और उसके साथ नहाने में कैसी शर्म उसका भाई ही तो है कहां किसी को बताने वाला है वह अपने मन में यही सोच रही थी कि तभी फिर से उसका भाई सारा करके उसे अपने पास बुलाने लगा और अपने भाई को इस तरह से अपने पास बुलाता हुआ देख कर उसकी भी हिम्मत बढ़ने लगी और वह भी तैयार कर सीधा अपने भाई के पास पहुंच गई लेकिन वहां भी पानी में थी और उसका भाई थोड़ी सी ऊपरी जगह पर था जहां पर पानी गिर रहा था,,,,, यह देखकर खुश होता हुआ सूरज एकदम से अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ा दिया,,,,।




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और उसकी बहन अपने भाई के हाथ का सहारा लेकर बड़े से पत्थर के ऊपर चढ़ गई जहां पर चढ़ने का पानी बड़ी तेजी से गिर रहा था वह जानते थे कि अगर उसके भाई का हाथ जरा सा छूटेगा तो वह फिर से पानी में जा गिरेगी इसलिए वहां पड़े हुए थे और उसका भाई भी पूरी मजबूती के साथ उसे अपनी तरफ खींचकर झरने के पानी के नीचे खड़ी करते और वह दोनों नहाने लगे लेकिन ईस बीच जहां पर रानी झरने के पानी में खड़े होकर नहाने का मजा ले रही थी वहीं दूसरी तरफ सूरज अपनी बहन की नंगी जवान को देख रहा था पूरी तरह से नंगी उसके पास में खड़ी होकर नहा रही थी उसकी चूची देख रही थी उसकी बुर दिख रही थी उसकी ऊभरी हुई गांड देख रही थी सब कुछ देखकर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,,। सूरज जल्दी से आगे नहीं बढ़ना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि ऐसा करना उचित नहीं है लेकिन उसे पूरा विश्वास था कि जब इतना कुछ हो गया तो आगे भी सब कुछ अच्छा ही होगा बस सब्र करने की देर है।


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देखते देखते वह तुरंत अपनी बहन का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखकर उसके लाल-लाल होठों का रस पीने के साथ ही अपने लंड को उसकी दोनों टांगों के बीच मदहोश करके छोड़ दिया और उसका लंड सीधा उसकी बहन की गुलाबी बुर पर रगड़ खाने लगा,,, रानी को समझ पाती ईससे पहले वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी उसके जीवन का यह पहला चुंबन था जो कि उसके भाई के द्वारा हो रहा था एक तरफ से चुंबन हर दूसरी तरफ से उसके लंड की रगड़े से पूरी तरह से मदहोश कर रही थी अब उसे समझते देर नहीं लगी थी कि उसकी बुर पर उसके भाई के कौन सा चीज रगड़ खा रहा है,,,, रानी की भी मदहोशी बढ़ते जा रही थी सूरज लगातार अपनी बहन के होठों का रस पीता हुआ अपने लंड का करता दिख रहा था वह अपनी बहन को मदहोश कर रहा था,,,।


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कुछ देर तक यह चुम्बन ऐसै ही चलता रहा और अपनी बहन को कुछ ना बोलना देखकर कुछ भी हरकत करता ना देख कर सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी और वह धीरे से अपने हाथ को अपनी बहन की चूची पर रहती है और उसे हल करके दबाने लगा ऐसा करने पर रानी की हालत और ज्यादा खराब होने लगी लेकिन उसे एहसास होने लगा कि जो कुछ भी हो रहा है गलत हो रहा है इसलिए वह धीरे से अपने आप को अपने भाई की बाहों से अलग करने लगी तो उसका भाई भी अपनी बाहों में से उसे अलग करने लगा क्योंकि वह जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था और शर्मा कर रानी तुरंत तालाब में कूद गई और कूदते समय उसके नितंबों का आकार और भी ज्यादा जान लेवा नजर आ रहा था,,,, रानी तालाब में तैरते हुए बड़े से पत्थर के पास पहुंच गई और धीरे से तालाब में से बाहर निकल कर बड़े से पत्थर के पीछे चली गई उसका भाई समझ गया कि उसकी बहन अब कपड़े पहनने जा रही है इसलिए वह भी तालाब में कूद पड़ा,,,।


जब तक वह तरकर किनारे आता है उसकी बहन अपने कपड़े पहन चुकी थी और वह भी अपने कपड़े पहन कर तैयार हो चुका था और दोनों बिना कुछ बोले वही बड़े से पेड़ के नीचे आ चुके थे जहां पर आंवला पड़ा हुआ था और सूरज अांवले से भरे थेले को उठाते हुए बोला,,,।


सही समय पर हम दोनों तालाब से बाहर आ गए शाम ढलने से पहले हम दोनों पहुंच जाएंगे और ऐसा बोलते ही दोनों चल पड़े और वाकई में शाम ढलने से पहले ही दोनों पहुंच चुके थे लेकिन इस बीच दोनों एक दूसरे से बात करने से कतरा रहे थे,,,, सूरज को इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी की रानी क्या कहेगी,,, कहीं वह मां से बता दी तो,,,, क्योंकि वह जानता था कि ऐसा कुछ भी रानी कहने वाली नहीं है अगर उसे चेहरा भी ऐतराज होता तो वहां अपने सारे कपड़े उतार कर तालाब में ना कुदती और ऐसा ही हुआ घर पर पहुंच कर रानी कुछ भी नहीं कहीं और सुनैना आंवला देखकर खुश हो गई थी क्योंकि बहुत ज्यादा वाला उन दोनों ने तोड़कर लाए थे,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सूरज और रानी पानी में मस्ती करते हुए एक दूसरे के इतने नजदीक आ गए कि सूरज ने अपने लण्ङ के दर्शन रानी को करा दिए हैं जल्दी ही दोनों के बीच कुछ होने वाला है
 

Sanju@

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रानी और सूरज दोनों की हालत एकदम खराब हो चुकी थी सूरज तो फिर भी किसी तरह से अपनी जवानी की आग को बुझाने में सक्षम था लेकिन रानी इस ज्ञान से पूरी तरह से अनजान थी इस खेल में वह पूरी तरह से अज्ञानी थी उसे नहीं मालूम था कि बदन की आग को कैसे बुझाया जाता है इसीलिए तो बार-बार उसके तन बदन में मदहोशी हिलोरें ले रही थी,, जंगल में झरने में जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ रानी के लिए बेहद अद्भुत और एक सपना की तरह ही था जिसे बार-बार याद करने में उसे मजा भी आ रहा था और बदन की तरफ भी बढ़ती जा रही थी,,,।





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घर पर पहुंच कर जैसी उम्मीद थी सूरज को वैसा ही हुआ,,, सूरज को पूरा यकीन था कि उसकी बहन रानी मां से कुछ भी नहीं काहे की और ऐसा ही हुआ रानी ने नहाते समय जो कुछ भी हुआ था ऐसा कुछ भी अपनी मां से नहीं बताई थी बल्कि खाना खाते समय वह बाकी सभी बातों को बता दी थी केवल पेशाब करने वाली बात और झरने में नहाने वाली बात वह अपनी भाषा छुपा ले गई थी क्योंकि पेशाब करने वाली बात भी एक तरह से छुपाने लायक ही बात थी जो कि अपनी मां से किसी भी सूरत में कहना उचित नहीं था इतना तो रानी समझती ही थी,,,,,, खाना खाते समय सुनैना रानी और सूरज तीनों साथ में बैठकर खाना खा रहे थे और सूरज के साथ-साथ रानी भी जंगल की बातों को बता रही थी,,,।




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सच में मां वहां इतनी हरियाली है कि पूछो मत लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया रहता है जंगली जानवरों का डर भी लगा रहता है लेकिन इतना आंवला है कि पूछो मत,,, और हां मां इस बारे में किसी और को मत बता देना वरना धीरे-धीरे सब लोग वहीं पहुंचने लगेंगे तो फिर अपने को कुछ हाथ नहीं लगेगा,,, वैसे भी वहां जाने में बहुत मजा आता है चीकू अनार अमरूद से लेकर तरह-तरह के फल उगे हुए थे लेकिन आंवला लाने के चक्कर में मैं फल नहीं ला पाई,,,।

तू जिस तरह से बता रही है सच में मेरा भी मन कर रहा है वहां जाने को,,,।

नहीं मां वहां जाने जैसा नहीं है,,,।

अभी तो तू कह रही थी वहां बहुत अच्छा लगता है,,,।

ऐसा नहीं है अच्छा तो लगता है लेकिन चलना बहुत पड़ता है और तुम चल नहीं पाओगी इतना,,,,।





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और हा मां वहां नहाने में भी बहुत मजा आता है,,,(रानी की तरफ देखते हुए सूरज बोल तो रानी शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ली और यह सुनकर सुनैना बोली,,,)

नहाने में मैं कुछ समझी नहीं,,,!


मन वहां पर झरना बहता है और उसका पानी एक तालाब जैसी जगह पर इकट्ठा होता है इतना ठंडा पानी की गर्मी में एकदम ठंडक दे दे,,,।

तू नहाई थी क्या,,?


नननन,, में भला कैसे नहा सकती थी कपड़े तो ले ही नहीं गईथी,,,।


और सूरज तू,,,( मुंह में निवाला डालते हुए सूरज से बोली,,,)






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में भी नहीं नहाया,,, मैंने भी कहा कपड़े लेकर गया था,,,(सूरज भी एकदम साफ झूठ बोलते हुए बोला)


चलो जाने दो फिर कभी नहा लेना और अगर मौका मिला तो मैं भी जाकर नहा लूंगी मैं भी तो देखूंगा वह जगह कैसी है और वैसे भी तुम दोनों ने इतना ढेर सारा हमला लाए हो की 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।


मतलब अब 2 साल जाना नहीं पड़ेगा,,,(रानी सूरज की तरफ देखते हुए बोली)


नहीं ऐसा नहीं है वहां और भी तो चीज है फल है उसे भी लेने जा सकते हैं,,,,।


हां भाई सही कह रहे हो,,,(एकदम उत्साहित होते हुए रानी बोली उसके कहने से ऐसा लग रहा था कि वह फिर से वहां जाना चाहती है और उसकी बात सुनकर सूरज भी मुस्कुराते हुए बोला)

अब तो कपड़े भी लेकर चलेंगे नहाने में भी मजा आएगा,,,,।






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इसके बाद भी तीनों के बीच ढेर सारी बातें हुई लेकिन रानी और सूरज उन बातों को छुपा ले गए थे जिन बातों से दोनों के बीच आकर्षण और उत्तेजना बढ़ने लगा था,,,,। खाना खाने के बाद तीनों अपने-अपने कमरे में चले गए थे सोने के लिए लेकिन तीनों अपने अपने खयालों में खो से गए थे,,,।

सुनैना पति की याद में तड़प रही थी रात भर बिस्तर पर करवट बदल बदल कर अपने दिन गुजर रही थी आखिरकार वह भी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी उसे भी पुरुष संसर्ग की इच्छा प्रज्वलित कर रही थी,,,। उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह धीरे से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी उंगलियों को ही पटवार बनाकर वासना के समंदर से गुजरने का फैसला कर ली और फिर उसने अपनी दोनों उंगलियों को एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगी और गहरी गहरी सांस लेते हुए ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूचियों को मसलते हुए मदहोशी भरे ख्यालों में खो गई,,, वैसे तो सुनैना इस तरह से अपनी प्यास बुझाने के लिए हरकत करती नहीं थे लेकिन अपने पति की बेरुखी देखकर उसे इस तरह का रास्ता इख्तियार करना पड़ा,,, वह पूरी तरह से मजबूर हो चुकी थी,,,।






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और दूसरी तरफ सूरज की हालत खराब थी वैसे तो संभोग सुख सेवा पूरी तरह से वाकिफ था एक औरत किस तरह का सुख मर्द को देती है इस बारे में वह पूरी तरह से जानता था और धीरे-धीरे इस खेल में पूरी तरह से माहिर भी हो चुका था क्योंकि मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की उसे सुख से वाकिफ करा चुकी थी एक तरह से मुखिया की बीवी इस खेल में उसकी गुरु थी जिसकी दोनों टांगों के बीच हुआ इस कला को सीख चुका था और वही कल उसने मुखिया की लड़की पर भी आजमा चुका था और उसकी लड़की भी उसकी मर्दानगी की दीवानगी हो चुकी थी इसलिए तो वह समय से पहुंच जाती थी बगीचे में सूरज से चुदवानेके लिए और सुरज भी उसे पूरी तरह से तीर्थ करने के बाद ही उसे घर जाने देता था इस तरह से सूरज का काम बड़े अच्छे से चल रहा था,,,।





Sonu ki chachi ek din suraj k sath
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लेकिन आज उसके ख्यालों में मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की और सोनू की चाची नहीं बल्कि आज उसकी खुद की सगी बहन थी रानी जिसकी जवानी की आग में वह पूरी तरह से तड़प रहा था,,, वह किसी भी कीमत पर अपनी बहन की जवानी का स्वाद रखना चाहता था उसे पाना चाहता था क्योंकि आज झरने में उसने अपनी बहन की जवानी को पूरी तरह से नग्नअवस्था में देख चुका था इससे पहले वह अपनी बहन के नितंबों के दर्शन करके मचल उठा था,,, उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसे चोदने की कल्पना करने लगा था,,, और जिस तरह से कहा मुखिया के लड़की को अपने काबू में कर लिया था उसी तरह से अपनी बहन को भी अपनी जवानी से भरे हुए मर्दाना अंग का स्वाद चखाना चाहता था,,,।

औरतों की संगत में परिपक्व हो चुका सूरज इस बात को भी भली भांति जानता था कि उसकी बहन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान है इस खेल को खेलने उसे नहीं आता वह नहीं जानती कि मर्दों के साथ कैसे रहा जाता है मर्द औरत के साथ कैसा व्यवहार करते हैं इसलिए वह अपने हर एक कदम को बड़े संभाल कर रख रहा था वरना रानी की जगह कोई और लड़की होती तो झरने में ही उसकी चुदाई कर दिया होता,,,, लेकिन वह रानी के साथ ऐसा करने से झिझक रहा था,,, क्योंकि वह रानी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से बाकी था वह जानता था कि अगर कुछ भी गड़बड़ हो गई तो रानी मां से सब कुछ बता देगी और वह नहीं चाहता था कि इस बारे में उसकी मां को बिल्कुल भी भनक तक लगे,,,,।



Sunaina

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अपने मर्दाना आगे की लंबाई और मोटाई से अच्छी तरह से वाकिफ था और यह भी अच्छी तरह से जानता था कि अनछुई रानी के साथ जोर जबरदस्ती करने में बिल्कुल भी भलाई नहीं है क्योंकि पहली बार में ही इतना मोटा लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश करना मुश्किल हो जाएगा,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि अगर मुखिया की लड़की की तरह ही अगर उसकी बहन की चुदाई करना चाहता है तो वह धीरे-धीरे इस खेल में आगे बढ़ेगा ताकि रानी खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर रख ले और उसे चोदने के लिए बोले तब जाकर उसका काम बन पाएगा वरना इतनी मेहनत करने का कोई भी परिणाम नहीं निकल पाएगा और वह हाथ मलता रह जाएगा इसीलिए वह बहुत सोच समझकर इस खेल में आगे बढ़ रहा था।


अपनी बहन की नंगी जवान को याद करके सूरज का लैंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था और वह अपने पजामा को उतार कर कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो चुका था और अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर हौले हौले से हिला रहा था और अपनी बहन के बारे में सोच रहा था उसके छोटे-छोटे नंगी जैसी चूचियों के बारे में सोचकर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था झरने में खड़े होकर नहाते समय सूरज अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को भी नजर भर कर देख चुका था उसके आकार से परिचित हो चुका था वह जानता था की पहली बार में लंड का उसकी बुर में पूरी तरह से प्रवेश कर पाना मुश्किल हो जाएगा इसलिए उसे बड़ी चालाकी से काम लेना है,,,।


Sonu ki chachi

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औरतों के व्यक्तित्व से वाकिफ हो चुका सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन भी धीरे-धीरे उसके काबू में आ जाएगी जिसकी शुरुआत हो चुकी थी अगर रानी को उसकी बातों से उसकी हरकतों से जरा भी आपत्ति होती तो वहां तालाब में नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी ही ना होती,,,, लेकिन उसके मन में भी कुछ-कुछ हो रहा था उसकी बातें सुनकर इसलिए तो वह भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी अपने भाई के सामने नहाने के लिए और इसी बात से तो सूरज मैन ही मन बहुत खुश हो रहा था,,,,, अपनी बहन के बारे में सोते हुए सूरज को तालाब के अंदर वाली बात याद आ गई जब वह अपनी बहन को संभालने के लिए उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपने लंड को सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा था लेकिन मर्दाना अंग से अनजान रानी समझ नहीं पाई थी कि उसकी बुर पर उसके भाई का लंड ठोकर मार रहा है वह सोच रही थी कि कोई मछली या कोई सांप उसकी दोनों जांघों के बीच रेंग रहा है,,,।

और इसी के चलते वह अपना हाथ तालाब में डालकर उसके लंड को पकड़ ली थी पहले तो वह समझ नहीं पाई थी लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ था वह पूरी तरह से तड़प उठी थी पानी में होने के बावजूद भी उसके माथे से पसीना टपकने लगा था वह कस के सूरज के लंड को पकड़ी हुई थी,, क्योंकि वह समझ नहीं पा रही थी कि यह वाकई में उसके भाई का लैंड है क्योंकि वह कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा था उसने तो कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि लंड इस तरह का होता है इसीलिए तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और जब उसे पता चला था कि यह कोई मछली या सांप नही उसके भाई का लंड है तो वह शर्मा कर उसके भाई के कहने के बाद ही छोड़ी थी। सब कुछ सूरज के सोच के अनुसार ही चल रहा था,,,सुरज अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था उसे पूरा यकीन हो गया था की मुखिया की लड़की की तरह ही उसकी बहन उससे चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी वह अपनी बहन के बदन में इतनी उत्तेजना और मदहोशी भर देगा कि वह खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर लगा देगी और चोदने के लिए बोलेगी,,।



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यही सब सोता हुआ सूरज धीरे-धीरे अपने लंड को मुठिया रहा था,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, उसके मुट्ठी का कसाव उसके लंड के इर्द गिर्द बढ़ता जा रहा था और इसके ख्यालों में उसकी बहन की नंगी जवानी पूरी तरह से छाने लगी थी वह अपने मन में कल्पना करने लगा था कि वह तालाब में ही अपनी बहन से प्रेम क्रीडा कर रहा है,,,, उसके लाल-लाल होठों का रसपान करता हुआ,,,, उसके नारंगी को दबा रहा है और ऐसा हुआ झरने में खड़े होकर नहाते समय कर भी दिया था इसीलिए वह ख्याल उसके बदन में उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ने लगा वह अपने मन में कल्पनाओं के घोड़े को बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था वह देखते ही देखते कल्पना में अपनी हथेली को अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी छेद पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और वह खुद अपने भाई के होठों को अपने होठों के बीच रखकर चाटना शुरू कर दी थी चुसना शुरू कर दी थी,,, खटिया पर सूरज की हालत खराब हो जा रही थी देखते ही देखते वह बड़े जोरों से अपना हाथ हिलाना शुरू कर दिया था,,,।

हकीकत की तरह उसकी कल्पना भी पूरी तरह से साफ थी कल्पना में भी उसकी बहन सिर्फ उत्तेजित हो रही थी इसका विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी इसलिए तो देखते ही देखते सूरज कल्पना में अपने मोटे तगड़े लंड को थूक लगाकर अपनी बहन रानी की गुलाबी बुर में डालना शुरू कर दिया और कल्पना में बड़े आराम से धीरे-धीरे करके उसका पूरा लंड उसकी बहन की बुर में समा गया,,,। और वह झरने के नीचे खड़ा होकर अपनी बहन की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया उसकी बहन भी मदहोश हुए जा रही थी पागल हुए जा रही थी कल्पना में वह पूरी तरह से उसके काबू में थी और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,, और हकीकत में सूरज के लंड से तेज कुंवारा निकला जो वापस उसकी छाती तक उसे भीगो गया और वह इसके बाद गहरी नींद में कब सो गया उसे भी पता नहीं चला,,,।




Suraj or mukhiya ki bibi

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दूसरी तरफ रानी उसकी आंखों से नींद गायब थी उसके साथ तो यह सब पहली बार हुआ था इसलिए उम्र का तकाजा उसे और बेचैन कर रहा था,,, यह अनुभव उसके लिए पहली बार कथा इससे पहले उसने इस तरह के अनुभव से कभी गुजरी नहीं थी और ना ही कभी सोची थी यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था इसलिए उसके दिलों दिमाग पर यह पूरी तरह से गहरी छाप छोड़ रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके भाई का नंगा बदन और उसका मोटा तगड़ा लंड लहराता हुआ नजर आ रहा था जिसके चलते उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, वह अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे दिन भर के बारे में ही सोच रही थी,,,, जंगल में अपने भाई से बिना बताएं बड़े से पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करना और उसके भाई का वहां आकर देख लेना यह सब उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से गहरा प्रभाव छोड़ रहा था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका भाई उसकी नंगी गांड को उसे पेशाब करता हुआ देख चुका है वह क्या सोचता होगा,,,।

उसे यह भी महसूस हुआ था कि उसके भाई में काफी बदलाव आ गया था इससे पहले वह उसके सामने इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था लेकिन पहली बार वह उसके सामने पेशाब करने वाली बात नंगी शब्द का प्रयोग बार-बार कर रहा था,,,। यह सब रानी को बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि इससे पहले उसके भाई ने इस तरह के शब्दों का ना तो प्रयोग किया था नहीं इस तरह की कभी हरकत किया था उसे अच्छी तरह से याद था कि कैसे हैं अपना तालाब में कूद जाने के बाद उसे भी कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए विवश किया था यह सब रानी समझ नहीं पा रही थी यह सब उसका भाई किस लिए कर रहा था जबकि उसका भाई उसकी बहुत इज्जत भी करता था और उसका ख्याल भी रखता था,,,,,, और उसे इस बात को सोचकर अपने आप पर ही शर्मा रही थी कि अपने भाई की बात मानकर वह कैसे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गई थी और अपने भाई की आंखों के सामने धीरे-धीरे तालाब में उतर गई थी उसे समय तो उसका भाई उसकी नजरों को दूसरी तरफ घुमा रखा था लेकिन वह कमर तक ही तालाब में प्रवेश कर पाई थी कि तभी उसका भाई जानबूझकर अपनी आंखों को घुमा दिया था और उसकी नंगी चूचियों को देख लिया था यह सब सोचकर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,।



Mukhiya ki bibi or suraj

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रानी खटिया पर लेटे-लेटे अपने भाई के बारे में ही सोच रही थी कि कैसा उसका भाई बेशर्मों की तरह उसकी नंगी चूचियों को निहार रहा था और जी भर कर देख लेने के बाद ही अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमाया था और जब वह तालाब में पैर फिसलने की वजह से गिरने वाली थी तो वह कैसे उसे थाम लिया था अपनी बाहों में भर लिया था यह जानते हुए कि वह पूरी तरह से नंगी है और वह भी पूरी तरह से नंगा है यह सोचकर रात को अपनी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होती है महसूस हो रही थी वह यह सब तो जान रही थी कि जो कुछ भी हो रहा था गलत हो रहा था लेकिन न जाने क्यों उसे यह सब अच्छा भी लग रहा था इस बात से हुआ इनकार भी नहीं कर सकती थी क्योंकि इस समय भी उसके बदन में आनंद की फुहार उठ रही थी जिसे वह समझ नहीं पा रही थी,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि तालाब के अंदर का एक-एक पल एक-एक दृश्य उसकी आंखों के सामने किसी सपने की तरह नाच रहा था जिसे वह सपने में नहीं बल्कि हकीकत में जी ली थी,,,।


उसे अपनी हरकत पर भी एकदम शर्म महसूस होने लगी कि वह कैसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने ही भाई के लंड की रगड़ को नहीं पहचान पाई उसे मछलियां सांप बता रही थी और अनजाने में उसे अपने हाथ में पकड़ भी लेते बाप रे कितना मोटा और लंबा लंड है भाई का यह सोचकर ही उसकी बुर से पानी का रिसाव होने लगा था,,, जिसे वह पेशाब की बहुत समझ रही थी ,,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,, उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में झनझनाहट महसूस हो रही थी उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी,,, तभी उसे उसके भाई की वह हरकत याद आई जो एकदम शर्मसार कर देने वाली थी लेकिन उसे समय शर्म के मारे पानी पानी होने के बावजूद भी अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना और अपने भाई के प्रति आकर्षण का अनुभव कर रही थी,,,।




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वह एक पल का दृश्य उसे अच्छी तरह से आता जब उसका भाई एकदम से चलने के नीचे एकदम नंगा ही खड़ा हो गया था उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी छोटी बहन उसकी आंखों के सामने है और वह उसे देखेगी तो क्या समझेगी लेकिन वह बेशर्मों की तरह झरने के नीचे नहाता रहा और रानी अपने आप पर भी साथ में महसूस कर रही थी लेकिन उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने भाई को नंगा देख रही थी और खास करके उसके लंड को जो कि एकदम मोटा तगड़ा खड़ा था,,,, और वह उसे बुला भी रहा था रानी को समझ में नहीं आया था कि वह कैसे उसकी बात मान गई और उसके साथ जाकर खड़ी हो गई और वह एकदम नंगी सारे देसी की वजह से उसका भाई उसे पर काबू नहीं कर पाया और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल हो तो परेशान करने लगा उसे चुंबन करने लगा यह उसके जीवन का पहला चुंबन था इसलिए रानी भी पूरी तरह से गदगद हो गई थी वह कुछ समझ पाती से पहले ही अपनी चूची पर अपने भाई के हाथ को महसूस करके वह और ज्यादा रोमांचित हो गई,,,, लेकिन वह कुछ कर पाता इससे पहले ही वह अपने आप को अलग कर ली थी,,,,।

रानी इस बात से इनकार नहीं कर पा रही थी कि जो कुछ भी हुआ था उसमें उसको भी मजा आ रहा था इसलिए इसमें पूरा दोष वह अपने भाई को नहीं दे रही थी,,,, लेकिन उसे पाल को याद करके उसे और वह जल्दी से अपने बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और धीरे से दरवाजा खोल के धीरे-धीरे बाहर पेशाब करने के लिए चली गई यह उत्तेजना की लहर थी लेकिन उसे लग रहा था कि उसे पढ़ो जरूर की पेशाब लगी है और वह बाहर पेशाब करके वापस अपने कमरे में आ गई और एक गिलास ठंडा पानी पीकर अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगे और थोड़ी देर में उसे भी नींद आ गई, ,।


दो-चार दिन ऐसे ही गुजर गए सूरज और रानी दोनों आपस में सहज बने रहे लेकिन फिर भी एक दूसरे से नजर मिलाने से कतरा रहे थे,,,, सूरज इधर-उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था तभी उसके दोस्त ने उसे बताया कि उसने उसके पिताजी को कल्लु के साथ शराब पीते हुए देखा है,,,, इतना सुनकर वह है थोड़ा परेशान हो गया क्योंकि वह मन ही मन चाहता था कि उसके पिताजी वापस ना आए तो उसका भी कोई जुगाड़ बन जाए अपनी मां के साथ लेकिन उसके वापस आने की वजह से और थोड़ा चिंतित हो गया लेकिन फिर भी वह सोचा कि चलो कोई बात नहीं आ गए तो आ गए,, अच्छा ही हुआ लेकिन कल्लु के साथ कल्लु तो ठीक आदमी नहीं है इसके बारे में उसने भी सुन रखा था इसलिए थोड़ा उसे चिंता हो रही थी,,, अपने पिताजी की चिंता में वह देर रात घर पर पहुंचा लेकिन घर पहुंच कर उसे पता चला कि वहां तो कोई है ही नहीं और इस बारे में उसने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं बताया कि उसके पिताजी गांव में ही है ऐसे ही 10 दिन जैसे गुजर गया लेकिन उसके पिताजी घर दिखाई नहीं दिए तो वह इस बारे में खुद ही पता लगाने की सोचा,,,।

MUkhiya ki bibi ki chudai

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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है आग दोनों तरफ लग चुकी हैं सूरज और रानी के बीच जो कुछ भी हुआ रानी को अच्छा लगा लगता है सूरज का सपना जल्दी ही सच होने वाला है
 
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Sanju@

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सूरज इस बात से मन ही मन बेहद खुश था कि सप्ताह भर बीत गए थे इस बात को जाने की उसके पिताजी गांव में नहीं लेकिन अभी तक घर पर नहीं आए थे सूरज अपने मन में यही सोचता था कि उनके घर पर आने का मतलब था कि उसके खुद के सपनों का चूर-चूर हो जाना क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जब एक औरत मर्द से अलग रहती है और महीनों गुजर जाते हैं तो उसे मर्द की जरूरत पड़ती है अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए और ऐसे में जब उसके पिताजी उसके घर पर नहीं होंगे तो उसकी मां के पास केवल एक ही विकल्प बचता है और वह भी खुद का बेटा ऐसे में वह खुद अपनी मां को रिझाने की कोशिश में लगा हुआ है और ऐसे में कामयाबी मिलना तय है लेकिन पैसे हालत में उसके पिताजी का घर वापस आ जाना उसके किए कराए पर पानी फिर देने जैसा था इसीलिए वह मन ही मन खुश था लेकिन यह जानना भी चाहता था कि उसके पिताजी अगर गांव में दिखाई दिए हैं तो है कहां,,,!




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उसे इस बात को जानने में भी दिलचस्पी थी कि महीनों गुजर गए थे ऐसे में उसके पिताजी करते क्या है क्योंकि इतने दिनों से तो उसने मुखिया के घर पर भी या उनके खेतों में काम करते हुए भी अपने पिताजी को नहीं देखा था उसके मन इस बात को लेकर शंका भी होती थी कि कहीं उसके पिताजी किसी दूसरी औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गए हैं यह जानते हुए भी की उसकी मां गांव की सबसे खूबसूरत गदराई जवानी की मालकिन है लेकिन फिर भी अपने हालात को देखते हुए वहां मर्दों की मनसा को अच्छी तरह से समझ गया था क्योंकि उसे भी तो मुखिया की बीवी चोदने को मिली थी और मुखिया की बीवी का खूबसूरत बदन प्राप्त हो जाने के बाद भी उसकी लालसा मुखिया की लड़की में बढ़ने लगी थी जिसे आखिरकार प्राप्त कर ही लिया उसे भी भोग लिया लेकिन फिर भी उसकी मनसा अब बढ़ती जा रही थी सोनू की चाची के बाद उसकी नजर खुद की छोटी बहन रानी पर भी बिगड़ चुकी थी अपनी मां की जवानी का रस चखने के लिए तो वह पहले से ही पागल था यह सब देखते हुए वह समझ सकते आपकी एक मर्द की प्यास एक ही औरत से कभी नहीं बुझता इसलिए उसके मन में शंका होती थी कि हो ना हो उसके पिताजी का चक्कर किसी और औरत से भी हो गया है,,, और यही पता लगाने की जुगाड़ में वह लगा हुआ था लेकिन तीन-चार दिन गुजर गए थे ना तो गांव में उसे उसके पिताजी दिखाई दिया और ना ही कोई ऐसी बात जो उसे उसके पिताजी तक ले जा सके,,,,।




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ऐसे ही खेतों में इधर-उधर घूमते हुए वह सोनू के खेतों में पहुंच गया था जहां पर सोनू की चाची पहले से ही खेतों में काम कर रही थी सोनू की चाची को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी क्योंकि वह सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन कर चुका था उसे पेशाब करते हुए देख चुका था और उसकी बड़ी-बड़ी गांड की गोलाई उसे अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर चुकी थी,,। इसीलिए तो सोनू की चाची की मौजूदगी सूरज के चन बदन में आग लगा देती थी सोनू की चाची को खेतों में देखते ही सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, वह सूरज की तरफ पीठ करके पीठ क्या अपनी बड़ी-बड़ी गांड करके कुदाल चला रही थी वह मिट्टी को समतल कर रही थी जिस तरह से छुपाकर वह कुदाल चलाते हुए मिट्टी को समतल कर रही थी इसकी भारी भरकम गांड कसी हुई साड़ी में और भी ज्यादा बड़ी लग रही थी,,,। मन तो कर रहा था कि पीछे से जाकर सोनू की चाची को पकड़ ले और उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर अपने लंड को रगड़ दे लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,। फिर भी वह पीछे से आवाज लगाता हुआ बोला,,,।


और चाची क्या हो रहा है,,,?





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(इतना सुनते ही सोनू की चाची चकर पकर नजर घूमाकर देखने लगी,,,, एकाएक आवाज आई थी इसलिए वह थोड़ा सक पका गई थी। )

अरे मैं यहां हूं तुम्हारे पीछे,,,
(इतना सुनते ही सोनू की चाची इस अवस्था में झुकी हुई ही अपनी नजर पीछे घूम कर देखी तो पीछे सूरज खड़ा था सूरज को देखते ही जिस तरह से सूरज को सोनू की चाची को देखते ही प्रसन्नता के भाव उसके चेहरे पर नजर आने लगी थी उसी तरह से सोनू की चाची भी एकदम प्रसन्न हो गई थी और एकदम से खड़े होते हुए उसकी तरफ घूम कर बोली,,,)

तु यहां क्या कर रहा है,,,?(अपने बालों की लत को जो कि उनके चेहरे पर हवा के झोंके साथ उड़ रही थी उसे कान के पीछे ले जाते हुए बोली)

कुछ नहीं तुम्हें देखा तो चला आया,,,,।

क्यों मुझे देख कर चला आया,,,(ऐसा कहते हुए फिर से कुदाल चलाने लगी,,,)




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क्यों आ नहीं सकता क्या मुझे लगा कि तुम्हें मेरी जरूरत पड़ जाएगी,,,,।
(सूरज कि ईस बात को सुनते ही सोनू की चाची एक बार फिर से सीधी खड़ी हो गई और मुस्कुराते हुए सूरज की तरफ देखते हुए कुछ देर सोचती रही और बोली,,,)

तेरी जरूरत तो है मुझे खेतों की जुताई,, जो करनी है,,,।
(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची अपने मन में कह रही थी कि कल उसके मुंह से निकल जाती की बुर की चुदाई जो करवानी है लेकिन शर्म के मारे उसके मुंह से मन की बात नहीं निकली थी बार-बार सोनू की चाची के कानों में उसे ज्योतिष की कही गई बातें ही गुंजती रहती थी जो कि उसके लिए उम्मीद की किरण की तरह थी,,, सोनू की चाची की बात सुनकर सूरज एकदम उत्साहित होता हुआ बोला ,,)








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कोई बात नहीं चाची में हमेशा तैयार हूं,,,,।
(सूरज बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि खेत में उसे लग रहा था कि उसके और सोनू की चाची के सिवा कोई नहीं है और जिस तरह से उसने उसे दिन घर के पीछे उसे पेशाब करते हुए देखा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी नंगी गांड नाच रही थी और वह अपने कानों से औरतों की बातों को भी सुन लिया था जिसमें उसकी मां खुद शामिल थी जिसमें सोनू की चाची को किसी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था और उसने सबसे पहला नाम सूरज का ही था इसलिए सूरज को भी लगता था कि अगर वह जरा सा मेहनत करेगा तो सोनू की चाची की बुर जरूर उसे प्राप्त हो जाएगी,,,, लेकिन तभी उसके कानों में खांसने की आवाज आई और वहां नजर घूमा कर देखा तो,,, झाड़ियां के पीछे उसकी छांव में बैठकर सोनू के चाचा बीड़ी फूंक रहे थे उन्हें देखते ही सूरज के चेहरे की प्रसन्नता एकदम से खो गई और वह निराश होता हुआ बोला,,,)





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अरे चाचा जी तुम भी यही हो मैं तो समझा की चाची अकेली काम कर रही है,,,।


चाचा जी भले साथ में है लेकिन काम तो मुझे अकेले ही करना है,,,, वैसे तू हमेशा मुझे अकेले मे हीं क्यों ढूंढता रहता है,,,, कुछ करने का इरादा है क्या,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सोनू की चाची बोली,,, सोनू की चाची की बात सुनकर कुछ पल के लिए सूरज के मन में आया कि वह अपने मन की बात बोलने की हां तुम्हारे साथ बहुत कुछ करना चाहता हूं लेकिन ऐसा कहने की उसकी हिम्मत नहीं हुई इसलिए बात को घुमाते हुए बोला,,,)

नहीं यह तो ऐसे ही मुझे लगा अकेले हो तो मदद की जरूरत पड़ेगी क्योंकि सोनू भी नहीं दिख रहा है ना इसके लिए चलो कोई बात नहीं जब चाचा जी हैं तो मेरा क्या काम,,,,।(इतना कहकर वह चल नहीं वाला था कि एकदम से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए सोनू की चाची बोली)





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हरि जाता कहां है अगर वह काम के लायक होते तो तेरी जरूरत पड़ती क्या,,,।

क्या मतलब,,,!(आश्चर्य से सोनू की चाची की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)


मेरा मतलब है कि पूछ अपने चाचा जी से पानी की मशीन चालू कर पाएंगे क्या,,,,(अपने पति की तरफ देखते हुए सोनू की चाची बोली और सूरज कुछ पूछ पाता इससे पहले ही सोनू के चाचा बोल पड़े)

अरे बेटा तेरी चाची सही कह रही है मेरे से मशीन नहीं चालू हो पाएगी तू ही जाकर चालू कर दे खेतों में थोड़ा पानी देना है,,,(इतना कहकर फिर से अलसाए हुए बीड़ी फुंकने लगे और उनकी बात सुनकर सोनू की चाची अपनी आंख को गोल-गोल नचाते हुए बोली,,,)




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सुन लिया मेरे लाल,,,, अगर यह कोई काम के होते तो यह दिन ना देखना पड़ता,,,,।


कोई बात नहीं चाची मैं हूं ना,,,,( ईन दो शब्दों में सूरज बहुत कुछ बोल गया था वह सोनू की चाची के दर्द को समझता था वह जानता था कि सोनू की चाची को क्या चाहिए लेकिन खुले शब्दों में कुछ बोल नहीं पा रहा था वैसे तो जिस तरह से सूरज उसकी मदद कर रहा था वह भी इशारों ही इशारों में बहुत कुछ समझ रही थी लेकिन वह भी खुलकर नहीं बोल पा रही थी क्योंकि उसे भी याद था कि घर के पीछे जिस तरह से वहां साड़ी उठाकर अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थी उसे नहीं मालूम था की चोरी छुपे सूरज उसे प्यासी नजरों से देख रहा होगा और जब उसे बात का एहसास हुआ था तब उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि सूरज उसकी नंगी गोरी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था,,,।)




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अरे तेरा ही तो सहारा है तुझसे ही उम्मीद बंधी हुई है वरना सोनू भी एकदम नकारा है,,,(ऐसा कहते हुए वह फिर से कुदाल चलाने लगी तो सूरज एकदम से आगे बढ़कर सोनू की चाची के हाथों से कुदाल देने लगा वह थोड़ी सी झुकी हुई थी और झुकाने की वजह से ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ था जिसमें से इसकी भारी भरकम खरबूजे जैसी गोल गोल चूचियां एकदम से लटकती हुई नजर आ रही थी और सोनू की चाची के हाथ से कुदाल लेते हुए अचानक ही सूरज की नजर उसकी दोनों चूचियों पर पड़ी तो उसकी नजर एकदम से जम सी गई सूरज आंख फाडे सोनू की चाची के ब्लाउज में ही देखने लगा,,, और जैसे ही सोनू की चाची कोई एहसास हुआ उसके पत्नी में सुरसुराहट होने लगी और वह गहरी सांस लेते हुए सूरज की तरफ देखने लगी और सूरज के मासूम चेहरे को उसकी आंखों में दिख रही प्यास को देख रही थी और सूरज सोनू की चाची की चूचियों को देख रहा था जिसे पकड़ कर दबाना चाहता था मुंह में लेकर पीना चाहता था उसे इस तरह से देखता हुआ पाकर सोनू की चाची मुस्कुराते हुए बोली,,,,)





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ऐसे क्या देख रहा है कभी किसी औरत की चूची नहीं देखा क्या,,,,(सोनू की चाची एकदम से बेशर्मी भरी निगाहों से देखती हूं अपने मन की बात बोल दी सूरज को यकीन नहीं था कि सोनू की चाची इस तरह के शब्दों का प्रयोग करेंगी लेकिन यह सब तो सूरज के मन के मुताबिक ही हो रहा था इसलिए वह गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)

सच कहूं तो चाची मैने कभी नहीं देखा,,,,(और ऐसा कहते हुए सोनू की चाची के हाथों से कुदाल ले लिया,,, और खेतों को समतल करने लगा सोनू की चाची से देखकर मुस्कुराने लगी,,,, सूरज को देखकर सोनू की चाची के मन में बहुत सी बातें अपने आप ही घूमने लगती थी ,,, सूरज के साथ वह हमबिस्तर होना चाहती थी ,उससे चुदवाना चाहती थी और उससे चुदवाकर मां बनना चाहती थी,,, एक सूरज ही था पूरे गांव भर में जिस पर उसे पूरा भरोसा था वह जानते थे कि उसके साथ संबंध बनाने के बाद भी सूरज इस बात को किसी से नहीं कहेगा,,,,।




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सूरज अपनी मस्ती में काम करता चला जा रहा था उसकी बाजूओ में बहुत दम था इतना काम सोनू की चाची शाम तक करती वह 1 घंटे में ही सूरज ने पूरा खेत समतल कर दिया था इतना काम वह अपने खेतों में भी कभी नहीं करता था लेकिन सोनू की चाची के साथ उसका मतलब निकल रहा था जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था इसीलिए तो अपने खेतों में बिल्कुल भी कामना करने वाला सूरज सोनू की चाची के खेतों को जोत रहा था उसमें काम कर रहा था,,,, सूरज को काम करता हुआ देखकर सोनू की चाची एक तरफ खेत के किनारे बैठकर सोनू को ही देख रही थी सोनू जैसे कुदाल चल रहा था उसकी भुजाओं को देख रही थी इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी और सोच रही थी कि उसका भारी भरकम शरीर उसकी बाहों में आराम से आ जाएगा,,,,।





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सूरज को देखकर एक तरह से सोनू की चाची काम ज्वर में तड़प रही थी,, वह जल्द से जल्द सूरज के साथ संबंध बनाना चाहती थी अपनी बरसों की प्यास को बुझाना चाहती थी और इस प्यास के चलते वह मां बनना चाहती थी,,, क्योंकि गांव में आते जाते कई बुजुर्ग औरतों उसे इस बारे में टोक चुकी थी और वह थक चुकी थी सबको जवाब दे देकर,,, क्योंकि वह जानती थी कि गांव वालों को तो ऐसा ही लगता था की कमी उसमें ही है क्योंकि गांव वाले नहीं जानते थे कि उसका उसके पति के साथ कैसा संबंध है उसका पति उसे खुश कर पाता भी है या नहीं,,,।


थोड़ी ही देर में सूरज काम पूरा कर चुका था बस दूसरे खेतों में पानी देने के लिए पानी की मशीन चलाना बाकी था और वह पानी की मशीन खेत के किनारे थोड़ी ही दूरी पर एक टूटी-फूटी मडई में बनी हुई थी,, हाथ में कुदाल लिया हुआ वह कंधे पर कुदाल रखकर मुस्कुराता होगा सोनू की चाची के करीब पहुंच गया जो कि वह भी खेत के बगल में घनी झाड़ियां की छांव में बैठकर आराम कर रही थी इस दौरान खेत में काम करते हुए सूरज सोनू की चाची के बारे में सोच रहा था और उसके बारे में सोचते हुए उत्तेजित अवस्था में उसके पजामे में तंबू बन चुका था जो कि अच्छा खासा फुला हुआ था और सूरज उसे तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह तो जानबूझकर सोनू की चाची को दिखाना भी चाहता था इसलिए बेझिझक वह उसके करीब पहुंच गया था,,, और वहां पहुंचते ही वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)




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हो गया चाची अब बस मशीन चालू करना है,,,।

(जिस तरह से वह खड़ा था कंधे पर कुदाल लिए हुए उसकी यह आज सोनू की चाची को एकदम भा गई थी,,, लेकिन जैसे ही उसकी नजर सोनू की दोनों टांगों के बीच उठे हुए भाग पर पड़ी उसके एकदम से होश उड़ गए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में तो हलचल मछली लगी वह कुछ देर तक सोनू के पजामे की तरफ ही देखती रही पजामे में बने तंबू को देखकर ही सोनू की चाची समझ गई थी की पजामी के अंदर कितना खतरनाक हथियार छुपा रखा है सूरज ने इस तरह का तंबू तो देखें जमाना हो गया था और अपने पति के पजामे में तो उसने जरा सी भी हलचल नहीं देख पाई थी,,,।




सूरज भी समझ गया था कि सोनू की चाची उसके पजामे में बने तंबू को ही देख रही है और वह यही चाहता भी था जाने अनजाने में वह सोनु की चाची को अपना तंबू ही दिखाना चाहता था उसका बस चलता तो इसी समय पैजामा नीचे करके अपने खड़े लंड को दिखा देता लेकिन अभी इतनी हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि वह सोनू की चाची से इतना खुला नहीं था,,, सोनू की चाची एक तरह से उसके पजामे में बने तंबू के आकर्षण में कोसी गई थी इसलिए आंख फाडू सही देख रही थी तो सूरज ही उसे होश मे लाते हुए दोबारा बोला,,,)




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क्या हुआ चाची मशीन चालू करने चलना है कि नहीं,,,,,।

हां,,,, हां,,,,, चलना है ना,,,(सूरज की बात सुनकर एकदम से हड बढ़ाते हुए सोनू की चाची बड़ी जैसी कोई उसे नींद से जगाया हो,,, और इतना कहकर वह अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई,,, और आगे आगे चलने लगी और आगे आगे चलते हुए सोनू की चाची सूरज के पजामे के अंदर के हथियार के बारे में सोचने लगी बस समझ गई थी कि सूरज का लंड काफी मोटा और लंबा है इसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं थी ना ही कभी देखी थी उसे पूरा विश्वास था कि अगर सूरज अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा तो वह पूरी तरह से तृप्त हो जाएगी लेकिन इस बात का उसे डर भी था कि कहीं मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में घुसते ही कहीं उसकी बुर फट न जाए,,, यही सब सोचते हुए उसकी बुर गीली हो रही थी,,, उसकी सांसे भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,,।





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सूरज तो साड़ी में कसी हुई सोनू की चाची की भारी भरकम गांड को हि देख रहा था क्योंकि उंची नीची पगडंडियों पर चलते हुए इसकी भारी भरकम गांड ऊपर नीचे हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े दो तरबूज बांध दिए गए हो और वो आपस में रगड़ खा रहे हो,,, कुल मिलाकर दोनों पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहे थे और मदहोशी में डूबने के लिए पूरी तरह से तैयार थे,,, देखते ही देखते दोनों उसे टूटी-फूटी मड़ई में आ गए थे जिसके अंदर पानी की मशीन रखी हुई थी जिसे चालू करना था,,,।

सोनू की चाची मड़ई में प्रवेश करते हुए मुस्कुरा कर पीछे घूम कर सूरज की तरह अच्छी और एक तिरछी नजर उसके पहन पजामे में बने तंबू पर डाल दी जो की उसका उभार थोड़ा सा और बढ़ गया था,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,।

यह रही मशीन तुमसे चालू तो हो जाएगी ना,,,।

क्यों नहीं चाची कोई भी मशीन मैं चालू कर सकता हूं,,,,।
(इतना कहकर वह आगे बढ़ा ही था कि उसे रोकते हुए सोनू की चाची बोली,,,)





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पहले रुको,,, मुझे बताओ मेरे ब्लाउज के अंदर क्या देख रहे थे,,,,।(वह अपनी नजरों को घुमाते हुए बोली और उसकी बात सुनते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह समझ गया कि जरूर कुछ ना कुछ होने वाला है वह भी खुश होने लगा,,, सोनू की चाची की बात सुनकर वह एक टक सोनू की चाची की तरफ भी देख रहा था और बार-बार नजरों को नीचे करके उसके ब्लाउज के घेराव की तरफ देख रहा था जो की काफी जानलेवा नजर आ रही थी सोनू की चाची की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कुदाल को नीचे रख दिया और इधर-उधर देखने का नाटक करते हुए वह धीरे से बोला,,,)


सच कहूं तो चाची,,,, मैं तुम्हारी चूची देख रहा था,,,,(बड़ी हिम्मत करके सूरज चुची शब्द का प्रयोग कर दिया था और उसके मुंह से इतना सुनकर सोनू की चाची गनगना गई थी,,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अभी देखा नहीं है क्या,,,?

बिल्कुल भी नहीं आज पहली बार देख रहा हूं एकदम गोरी बड़ी-बड़ी,,,,(गहरी सांस लेते हुए सोनू की चाची की चूचियों की तरफ ही देखते हुए सूरज बोला)


ठीक से देख लिया,,,!




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कहां चाची ब्लाउज के अंदर ठीक से कहां दिखता है,,,,(गहरी सांस लेते हुए सूरज बोला,,)


देखना चाहेगा ठीक तरह से,,,


क्या सच में चाची,,,,


हां बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,, लेकिन किसी से बताना नहीं,,,


कसम से चाची किसी से नहीं कहुंगा,,, मैं कभी देखा नहीं हूं इसलिए कह रहा हूं,,,,,,(सूरज जानबूझकर झूठ बोल रहा था सूरज यह जताना चाहता था कि औरत के खूबसूरत अंगों का भूगोल उसके लिए बिल्कुल नया है इससे पहले उसने किसी औरत को नग्न अवस्था में या उनके अंगों को कभी नहीं देखा और सोनू की चाची को भी यही लग रहा था इसलिए वह अंदर से और ज्यादा उत्साहित थी अपनी चूची दिखाने के लिए इसलिए सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची बोली,,,)







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ठीक है तेरी इच्छा में पूरी कर दूंगी लेकिन देखना किसी से बताना नहीं,,,(टूटी हुई मलाई में से बाहर झांकते हुए सोनू की चाची बोली वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कहीं कोई है कि नहीं,,, और जब पसंद ही कर ली तो अपने ब्लाउज के बटन पर हाथ रखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) तुझ पर विश्वास करके मैं तुझे दिखा रही हूं किसी से बताना बिल्कुल भी नहीं अगर मुझे पता चला कि तूने किसी को बताया है तो यह खेल नहीं रुक जाएगा याद रखना अगर नहीं बताया तो यह खेल आगे बढ़ता रहेगा,,,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची मैं किसी से नहीं कहूंगा,,,(ऐसा कहते हुए सुरज एक नजर मड़ई के बाहर डालकर देखने लगा कि कहीं सोनू के चाचा तो नहीं आ रहे हैं और तुरंत ही अपने पजामे में बने हुए तंबू को अपने हाथ से दबा दिया जो कि उसकी उत्तेजना को दर्शा रहा था,,,,,, और यह देखकर सोनू की चाची की बुर से उसकी अमृत रूपी बूंद टपक पड़ी जिसे वह साड़ी के ऊपर से ही टटोलकर देख रही थी,,,, सूरज की बात सुन लेने के बाद वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)






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चल ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी उसे ब्लाउज का बटन खोलता हुआ देख कर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह मदहोश हुआ जा रहा था जिस तरह से सोनू की चाची उसे अपनी चूची दिखाने के लिए तैयार हो गई थी सूरज समझ गया था कि वह चुदवाने के लिए भी तैयार हो जाएगी,,, सूरज के मन में तो हो रहा था किसी समय वहां घोड़ी बनाकर उसकी चुदाई करते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सोनू की चाची खुद ही तैयार है चुदवाने के लिए तो इस तरह की हरकत करके कोई फायदा नहीं है और वैसे भी वही जताना चाहता था कि यह सब उसके लिए बिल्कुल नया है,,,,)

देखते ही देखते सोनू की चाची के करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी नीचे से बटन खोलने शुरू हुई थी और ऊपर के बटन खोल रहे थे लेकिन तब तक ब्लाउज के दोनों परत कुछ ज्यादा ही खुल गए थे जिससे उसकी गोलाई एकदम साफ नजर आ रही थी जिसे देख कर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था,,, सूरज के चेहरे को देखकर उसकी उत्सुकता को देखकर सोनू की चाची मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और देखते-देखते वह अपने ब्लाउज का आखिरी बटन भी खोल चुकी थी और ब्लाउज के बटन के खोलते हैं ब्लाउज के दोनों परत को पड़कर एकदम से खोल दे जिससे उसकी खरबुजे जैसी गोल-गोल चुचीया एकदम से सूरज की आंखों के सामने लहराने लगी सूरज यह देखा तो आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वाकई में सोनू की चाची की चूची का आकार कुछ ज्यादा ही पड़ा था जिसे देखते ही सूरज के पजामे का तंबू एकदम से ऊंचा हो गया,,, और सूरज से अपने हाथ से नीचे दबने की कोशिश करने लगा सोनू की चाची अपना ब्लाउज खोलें सूरज की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,।


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देख जी भर कर देख ले,,,,(अपनी भारी भरकम मदहोश कर देने वाली छाती को दाएं बाएं करके हिलाते हुए बोली सूरज तो पागलों की तरह आंख फाड़े सोनु की चाची की चूची को देख रहा था,,, और सोनू की चाची सूरज को देखकर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

कैसी है,,,?


बाप रे मैं तो पागल हो जाऊंगा मैं तो पहली बार देख रहा हूं मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि औरत के ब्लाउज के अंदर इतना खूबसूरत सामान होता है,,,ऊफफ,,,,,(ऐसा कहते हुए जोर से पजामे के ऊपर से ही अपने तंबू को दबा दिया यह देखकर सोनू की चाची अच्छी तरह से समझ रही थी कि सूरज कितना उत्तेजित हो रहा है उसकी चूचियों को देखकर,,, सूरज की बातें सुनकर उसे मजा आ रहा था इसलिए वह बोली,,,)

तेरी मां के पास भी तो ऐसा ही है कभी भी नहीं देखा नहाते हुए कपड़े बदलते हुए,,,।


नहीं चाची कसम खा कर बोलता हूं मैं कभी नहीं देखा जिंदगी में पहली बार तुम्हारी ही चूची देख रहा हूं एकदम नंगी,,,,।





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छूकर देखेगा,,,,,(सोनू की चाची की भी मदहोशी बढ़ती जा रही थी और उसके पास सुनकर सूरज को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल रही थी वह आश्चर्य से सोनू की चाची की तरफ देखते हुए बोला)


क्या,,,,, तुम सच कह रही हो चाची ,,क्या मै ईसे छू सकता हूं,,,,(उत्तेजना के मारे गहरी सांस लेते हुए सूरज बोला,,)


बिल्कुल छू भी सकते हो दबा भी सकते हो,,,,


बहुत कड़क होगी ना,,,,


खुद ही देख लो,,,,।



Nadi k Pani me sunaina nahati huyi

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(भला इस निमंत्रण को सूरज कैसे इंकार कर सकता था,,,, खेत के पास टूटी हुई मडई में जवानी से भरी हुई औरत अपनी चूचियों से खेलने के लिए बोल रही थी सूरज तो पागल हुआ जा रहा था उसके मुंह में पानी आ रहा था साथ में उसका लंड भी पानी से सरोबोर हो चुका था,,,, वह धीरे से आगे बढ़ा पर अपने दोनों हाथों को ऊपर उठकर सोनू की चाची की छाती पर रख दिया दोनों हथेलियों में एक एक चूची उसे छुते ही मानो जैसे उसके बदन में सुरसुराहट सी दौड़ने लगी वह पागल होने लगा और दोनों हथेलियों को खोलकर एकदम से उसकी चूची पर रख दिया,,, जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव सूरज अपने बदन में कर रहा था उसी तरह का उत्तेजना सोनू की चाची अपने बदन में कर रही थी और सूरज की हथेलियां को अपनी चूची पर महसूस करते ही उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,सहहहहहह,,,,, जिसे सुनकर सूरज समझ गया था कि वह मस्त हो रही है,,,,, और उसकी चूची पर हथेली रखे हुए सूरज बोला,,,,।



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बाप रे कितनी मस्त है चाची मैं तो बोल भी नहीं सकता इस अनुभव के लिए तो कोई शब्द नहीं है मेरे पास,,,,सहहहहहह,,,आहहहहहह ,,(अपनी दोनों हथेलियां से ही सोनू की चाची की चूची को सहलाते हुए बोला तो सोनू की चाची भी मस्त होते हुए बोली,,,,)

दबा कर देख कठोर है की नरम है,,,,।

(सोनू की चाची की बात सुनते हैं सूरज अपने मन में बोला कि चाची भी अंदर से पूरी छिनार है बस बाहर नहीं निकल पा रही है अपने छीनरपन को आज धीरे-धीरे इसका छीनरपन बाहर आ रहा है,,,,, ऐसा सोचते हुए भला सोनू की चाची की चूची को दबाने से कैसे इंकार कर सकता था आखिरकार वह भी तो यही चाहता था उसकी आंखों के सामने बड़ी-बड़ी खरबूजा जैसी चूचियां थी जो कि एकदम कड़क थी सोनू तो उसे दबाना ही नहीं बल्कि मुंह में लेकर चूसना चाहता था इसलिए,,, सोनू की चाची की बात मानते हुए हल्के हल्के वह दोनों हाथों से सोनू की चाची की दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया सोनू को पहले ही मालूम था कि कठोर दीखने वाली चुची दबाने पर नरम नरम होती है लेकिन फिर भी वह अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए बोला,,,,)




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ओहहह चाचा यह तो कितनी नरम नरम है एकदम हुई की तरह मैं तो एकदम पागल हुआ जा रहा हूं,,,,ओहहहहहह। कितना मजा आ रहा है इसे दबाने में,,,,(हल्के हल्के से दबाते हुए सूरज बोला,,, बरसों बात किसी दमखम वाले मर्द का हाथ सोनू की चाची की चूचियों पर पड़ा था वह पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी उसे मजा आ रहा है लेकिन वह चाहती थी कि सूरज जोर-जोर से उसकी चूची को दबाकर मसल डालें इसलिए उत्तेजना से सरोबोर होकर वह शिसकारी लेते हुए बोली,,,)

सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,, सूरज धीरे-धीरे नहीं जोर-जोर से दबा मसल डाल मेरी चुची को,,,,आहहहहहहहह,,, ,,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी आंखों को मस्ती में बंद कर दी सूरज समझ गया था कि सोनू की चाची चुदवासी हुए जा रही है,,, सूरज भी तो यही चाहता था वह आज्ञा पाते ही जोर-जोर से सोनू की चाची की चाची को मसलना शुरू कर दिया दबाना शुरू कर दिया वैसे भी उसे इस खेल में ज्यादा मजा आता था लेकिन वह सोनु की चाची की कड़क हो चली चुची की निप्पल को मुंह में लेकर पीना चाहता था लेकिन अभी इसकी इजाजत सोनू की चाची की तरफ से नहीं मिली थी और सूरज किसी भी प्रकार की जल्दबाजी दिखाने नहीं चाहता था उसे इतना तो समझ में आ गया था की चिड़िया पूरी तरह से उसके काबू में आ गई है आज नहीं तो कल चिड़िया का घोंसला भी उसे मिल जाएगा,,,,, सोनू की चाची की आग्या मिलते ही सूरज उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया मसलना शुरू कर दिया सूरज की हरकत से सोने की चाची के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगी वह चुदवासी होने लगी,,,, सूरज को अच्छी तरह से मालूम था कि जिस तरह की हालत सोनू की चाची की हो रही है जरूर उसकी बर पानी छोड़ रही होगी और वह साड़ी उठाकर उसकी बुर को देखना चाहता था लेकिन अपने आप पर बहुत पूरी तरह से काबू किए हुए था,,, सूरज की हरकत से सोनू की चाची केतन बदन में आग लग गई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,)

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सहहहहहह आहहहहहहहह,,,,,ऊममममम बहुत मजा आ रहा है रे सूरज तुझे कैसा लग रहा है,,,।

पूछो मत चाची मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मेरे हाथों में दो-दो चांद आ गए हो,,, कसम से इस समय मुझे ऐसा एहसास हो रहा है कि मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब लड़का हूं जो तुम्हारी चूची दबाने को मिल रही है,,,,।


ओहहहह सूरज जोर-जोर से दबा,,,,,(सोनू की चाची एकदम मदहोश होते हुए बोली उसकी मदहोशी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी इससे भी आगे का खेल हुआ खेलना चाहते थे लेकिन इससे पहले की सूरज और वह दोनों और आगे बढ़ते हैं बाहर कदमों की आवाज आने लगी और एकदम से आवाज आई,,,)


अरे तुम दोनों से अभी तक मशीन चालू नहीं हुई,,,।

(इतना सुनते ही सूरज और सोनू की चाची एकदम से अलग हो गए और सोनू की चाची जल्दी अपने ब्लाउज के बटन बंद करने लगी सोनू की चाची को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले लेकिन सूरज इस तरह के हालात से निपटना अच्छी तरह से जान गया था इसलिए बेझ६ होता हुआ जोर से बोला,,,)


अरे चाचा मशीन चालू करने वाला हत्था नहीं मिल रहा है,,,,,।


अरे वही तो रखा हुआ था मशीन के ऊपर ही,,,,,(इतना कहते हुए सोनू के चाचा उस मड़ई में प्रवेश किए लेकिन उनकी नजर मशीन पर रखे हुए हत्थे पर पड़ती इससे पहले ही सूरज चालाकी दिखाता हुआ उस हत्थे को जल्दी से उठाकर कोने में फेंक दिया और सोनू के चाचा से बोला,,,)

कहां है देखो कब से तो हम दोनों ढूंढ रहे हैं,,,।

अरे यही तो रखा हुआ था पिछली बार,,,(इधर-उधर देखते हुए सोनू के चाचा बोले और उनके साथ सूरज पीठ उड़ने लगा उसे मालूम था कि उसने कहां फेंका है इसलिए इधर-उधर ढूंढने के बाद वह खुद कोने में से उसे उठाकर लाया और बोला,,,।)

यह देखो यह रखा हुआ है और तुम कह रहे हो की मशीन के ऊपर पड़ा है खामखा परेशान करके रख दिए,,,,।

(सोनू की चाची तो एकदम से सकपका रही थी वह जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज के बटन को बंद कर चुके थे लेकिन घबराई हुई थी लेकिन सूरज की चालाकी को देखकर उसकी जान में जान आई थी,,, क्योंकि आज वह रंगे हाथों पकड़े जाने से बच गई थी और फिर वह भी थोड़ा सा चिल्लाते हुए बोली,,,)

इनको खुद समझ में नहीं आता कि कहां रखे हैं मैं भी कब से परेशान हो गई थी मुझे तो लगा कि कहीं कोई उठा तो नहीं ले गया है,,,।


कोई बात नहीं चाचा मिल गया है अब देखो मैं कैसे चालू करता हूं,,,(और इतना कहते हुए सूरज उस हत्थे के सहारे से मशीन को चालू कर दिया और पानी निकलना शुरू हो गया,,,, मशीन के चालू होते ही तीनों मड़ई से बाहर आ गए,,, वैसे तो सूरज और सोनू की चाची बाहर नहीं निकालना चाहते थे लेकिन सोनू के चाचा की मौजूदगी में कुछ भी कर सकना संभव नहीं था इसलिए दोनों को भी बाहर निकलना पड़ा सूरज जब तक खेतों में पानी पहुंच नहीं गया तब तक साथ में ही रहा उसे ऐसा लग रहा था कि फिर से मौका मिलेगा तो वह फिर से सोनु की चाची के साथ मजा ले पाएगा,,, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और फिर वह तीनोंअपने-अपने घर लौट गए,,,।
Suraj ku h is tarah se Sonu ki chachi ki chuchiyo se khelta hua

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शाम ढलने लगी थी ना चाहते हुए भी सूरज को अपने पिताजी की चिंता हो रही थी क्योंकि उसे भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी आखिरकार रहते कहां है करते क्या है खाता कहां है आखिरकार चक्कर क्या है उन्हें इतना तो पता था कि उसके पिताजी शराब पीते हैं इसलिए गांव के नुक्कड़ पर जहां शराब मिलती थी वहां पहुंच गया लेकिन वहां पर भी उसके पिताजी नहीं थे लेकिन गांव के बाहर एक जगह वह जानता था जहां पर दूसरे गांव की शुरुआत होती थी और वहां पर भी शराब मिलता था और उसके दोस्त नहीं बताया था कि उसने उसके पिताजी को कल्लु के साथ देखा है तो न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि हो ना हो शायद दूसरे शराब की दुकान पर उसके पिताजी जरूर उस कल्लू के साथ शराब पी रहे होंगे पर यही सोच कर वह दूसरे गांव की नुक्कड़ की तरफ निकल गया,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सूरज को बिन मांगे मोती मिल गया है सोनू की चाची ज्योतिषी की बातों के कारण सूरज की ओर बंधती जा रही हैं आज तो सूरज को सोनू की चाची के चूचे देखने ओर छूने को मिले आगे भी बहुत कुछ हो जाता लेकिन सोनू के चाचा के आने से सारा मामला बिगड़ गया
 

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सूरज के तन-बदन में आग लग रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से उसे अपने ही बाप की तहकीकात करनी पड़ेगी लेकिन अब तक उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था वह बिल्कुल अलग था धीरे-धीरे करके उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी की सच्चाई उजागर होती चली जा रही थी वरना वह अपने मन में अपने पिताजी के प्रति कभी गलत भावना नहीं लाया था वह यही जानता था कि उसके पिताजी एक अच्छे इंसान है संस्कारी और परिवार की देखरेख करने वाले लेकिन धीरे-धीरे उसकी यह सोच उसकी यह धारणा बदलती जा रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि यह सब कल्लू की संगत का ही नतीजा है,,, वरना उसके पिताजी ऐसे कभी नहीं थे। सूरज भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी और वह कल्लू किसी औरत के इंतजार में शराब गट गटा रहे थे,,,,।




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अब तो सूरज भी देखना चाहता था उसे औरत को जिसके लिए उसके पिताजी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर महीनो से मुंह मार रहे थे,,, रात पूरी तरह से छा चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था और वैसे भी यह जगह बस्ती से काफी दूरी पर थी,, इसलिए किसी भी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बस रह रहकर कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी,, गोदाम का दरवाजा खुला हुआ था,, जितनी बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार उसके पिताजी और वह कल्लू कर रहे थे,, सबसे ज्यादा बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार सूरज कर रहा था सूरज देखना चाहता था कि आखिरकार वह औरत देखने में है कैसी जिसके चलते एक हंसता खेलता घर बिखरने के कगार पर आ गया है,,,।




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कुछ ही देर में तीनों की बेसब्री खत्म होने को आ गई थी क्योंकि दूर से ही पायल की आवाज आ रही थी जो की धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थी पायल की आवाज को सुनकर सूरज पूरी तरह से अपनी नजरों को गोदाम के दरवाजे पर टिकाए बैठा था,,,, सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पायल की आवाज एकदम करीब आते जा रही थी और देखते ही देखते,, कमला एकदम गोदाम के दरवाजे पर पहुंच गई,, उसे पर नजर पड़ते ही सूरज उसे देखता ही रह गया,,, उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, और वह मुस्कुराते हुए गोदाम के अंदर प्रवेश कर गई,,, गोदाम के दरवाजे पर जैसे ही सूरज की नजर उसे पर पड़ी थी,,, सूरज पल भर के लिए सब कुछ भूल गया था,,, पल भर के लिए उसकी नजर उसके खूबसूरत चेहरे से हट ही नहीं रही थी,,।




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सूरज की नजर उसके खूबसूरत चेहरे से होते हुए उसकी दोनों चूचियों पर गई जो की ब्लाउज में कसी होने के कारण उसका आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल-गोल नजर आ रहा था,,, दरवाजे पर लालटेन की रोशनी पहुंच रही थी इसलिए सूरज सब कुछ साफ-साफ देख लिया था उसकी मदहोश कर देने वाली चूचियों को देखकर खूबसूरत के मुंह में पानी आने लगा था और वह जैसे-जैसे आगे बढ़कर उन दोनों के सामने जाकर खड़ी हुई तो ऐसे में सूरज की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी जो कि कई हुई साड़ी में गजब का कहर ढा रही थी,,,, कुछ पल के लिए सूरज अपने जीवन में आने वाली सारी औरतों को भूल चुका था इस समय उसकी आंखों के सामने केवल सबसे खूबसूरत और जवानी से भरी हुई कमला ही थी,,,, उसके हाथ में एक छोटी सी पोटली थी और उसे पोटली को देख कर सूरज समझ गया था कि उसमें बनी हुई मछली है,,,।




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कमला को देखते ही सूरज के पिताजी बोले,,।

कहां रह गई थी कमल तेरे इंतजार में कितनी बार लंड खड़ा होकर के ढीला पड़ गया,,,(शराब की बोतल को मुंह से लगाए हुए सूरज के पिताजी बोले और उसकी बात सुनकर कल्लू बोला,,)

बात तो तू सही कह रहा है यार लेकिन अब आ तो गई है ना,,,, अब इसका नाश करेंगे,,,(हाथ मिली हुई बोतल को नीचे रखते हुए कल्लू बोला,,)

आप क्या करूं दो बच्चों को खाना बना कर खिला कर सुलाना पड़ता है अब उन्हें इस तरह से छोड़कर तो नहीं आ सकती ना,,,,(नीचे जमीन पर बैठते हुए कमला बोली)



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चल कोई बात नहीं रानी तू आ गई यही बहुत है एक तो पेट में चूहा भी दौड़ रहे थे और टांगों के बीच का मुन्ना भी भूख से चिल्ला रहा था,,,(कमल के गलो पर हथेली से सहलाते हुए सूरज के पिताजी बोले,,,)

अब मैं आ गई हूं ना दोनों की भूख मिटा दूंगी,,,(कपड़े की पोटली को खोलते हुए कमला बोली,,, और कल पीछे दीवाल का सहारा लेकर एकदम आराम से बैठते हुए बोला,,,)

कमला मेरी जान बगल के गांव में तू रहती है चाहते तो तेरे गांव में आकर तेरे घर में घुसकर तेरी चुदाई करते,,, लेकिन मैं अच्छी तरह से जानता हूं इसमें तेरी बदनामी है गांव में तो बदनाम हो जाएगी गांव वालों को क्या फर्क पड़ता है और वैसे भी मेरे होते हुए तुझे,, तेरे पति की कमी कभी भी महसूस नहीं होने दिया हूं तेरा खर्चा मैं ही उठाता हूं,,, और जब से भोला मिला है तब से यह भी तेरा खर्चा उठाता है,, मुझे मालूम है कि बिना पति के जीवन गुजारना कितना मुश्किल हो जाता है,,,। भला हो राजा साहब का क्यों उनके चलते हम तीनों का काम चल रहा है,,, वैसे एक बात बता,,, राजा साहब के वहां जाती है कि नहीं,,,।




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राजा साहब लगता है कि तुम्हें एक दिन की भी छुट्टी देंगे रोज बुलाते हैं रोज लेते हैं,,,।
(कमल की बात सुनकर एकदम से हंसते हुए भोला बोला,,,,)

तुम्हारा राजा साहब एकदम रंगीन मिजाज का है वैसे तो मेरी मुलाकात अभी तक हुई नहीं है लेकिन राजा साहब से मिलने का मेरा भी मन करता है मैं भी तो देखूं राजा साहब दिखने में कैसा है,,, जो इतने रंगीन मिजाज का है कि,, अययास करने के लिए,, मेरे दोस्त को इतना बड़ा गोदाम भेंट में दे दिया है,,,।

सच कह रहा है भोला तू,,,, यह गोदान राजा साहब के ऐश के लिए ही है,,, लेकिन कुछ दिनों से यहां पर उनका आना हो नहीं रहा है लगता है की मालकिन मायके गई है और वह अपने कोठी पर ही बुलाकर चुदाई का कार्यक्रम निपटा रहे हैं क्यों कमला सहीकह रहा हूं ना,,,।




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बिल्कुल सही कह रहे हो,,,, रोज जाना पड़ता है सुबह को शाम को राजा साहब के लिए तो अब मैं किसी दवा की तरह हो गई हूं जो दोनों समय लेना जरूरी होता है,,,(अपने हाथों से मछली और रोटी परोसते हुए कमला बोली,,,

उन लोगों की बातचीत सुनकर सूरज इतना तो समझ ही गया था कि कमला का पति नहीं था और उसे गुजर बसर करने के लिए इस तरह का काम करना पड़ रहा है मजबूरी में ही सही वह किसी भी तरह से अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है और यह देखकर पल भर के लिए उसे अपनी मां का ख्याल आ गया सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर वाकई में उसके पिताजी घर पर कभी ना आए तो कहीं उसकी मां का भी हाल ऐसा ना हो जाए वह भी मजबूरी में किसी दूसरे के आगे अपनी टांगें ना खोल दे,,, अपने मन में ऐसा ख्याल आते ही अपने मन में उठ रही शंका को खुद ही दूर करते हुए अपने आप से ही बोला,,,।




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नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता उसके होते हुए तो ऐसा कभी नहीं हो सकता घर को चलाने के लिए उसकी मां को कभी भी ऐसा काम नहीं करना पड़ेगा,,,, और अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह फिर से अपनी आंखों को कमला और कमला के इर्द गिर्द टिका दिया,,,, तीनों बातें करते हुए मछली और रोटी का आनंद ले रहे थे यह नजारा देखकर के सूरज को भी भूख का एहसास होने लगा क्योंकि वह बिना कुछ खाए अपने पिताजी के पीछे-पीछे यहां तक आ गया था इसलिए उन तीनों को खाना खाते देखकर उसे भी भूख लगने लगी थी तीनों खाना खा रहे थे और एक दूसरे से मजाक मस्ती भी कर रहे थे सूरज अपने पिताजी की हरकत को देख रहा था जो की निवाला मुंह में डालकर बार-बार अपने हाथ से कमल की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही दबा दे रहा था,,,, और यही हरकत कल्लू भी कर रहा था,,, वह दोनों इतने जोर से चूची दबाते की कमला के मुंह से रह रहकर दर्द भरी शिसकारी फूट पड़ती,,,,।




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अपने पिताजी और कल्लू की हरकत को देखकर सूरज का लंड खड़ा होने लगा था,,, उसके पिताजी अपने हरकत को जारी रखते हुए मछली और रोटी का आनंद लेते हुए उसके कंधे से साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिए थे और उसकी छाती एकदम से उजागर हो गई थी वह जिस तरह से बैठी हुई थी सूरज को उसके एक तरफ का भाग दिख रहा था और साड़ी का पल्लू हटते हैं लालटेन की पीली रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूची एकदम से पके हुए पपाया की तरह ब्लाउज में कसी हुई नजर आने लगी जो कि एकदम नुकीली लग रही थी,,,। और वह बेझिझक खाने का आनंद ले रही थी उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई मर्द उसके साथ क्या कर रहा है,,, और ऐसा तभी हो सकता है जब एक औरत किसी मर्द को बड़ी अच्छी तरह से जानती हो और उसके साथ इस तरह की हरकत बार-बार कर चुकी हो इसीलिए तो उसकी आंखों में शर्म नजर नहीं आ रही थी वह एकदम बेशरम बनी हुई थी,,,।




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भोला की हरकत को देखकर कल्लू बोला,,,।

तुझसे बिल्कुल भी सबर नहींहोता,,,अरे पहले आराम से खाना तो खा ले उसके बाद जी भर कर कमला की चुदाई करेंगे,,, क्यों कमला रानी सही कह रहा हूं ना,,,।

बिल्कुल सही कह रहे हो,,, भोला तो राजा साहब से भी एक कदम आगे है,,, राजा साहब तुम एकदम आराम से आनंद लेते हुए चुदाई का मजा लेते हैं,, लेकिन तुम्हारे मित्र हैं कि इधसे तो बर्दाश्त ही नहीं होता,,, इनका बस चले तो खाते-खाते चुदाई करें,,,,(निवाला मुंह में डालते हुए कमला बोली)

सही कह रही हो कमला रानी मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता,,, तुम क्या जानो कितनी बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं,,, देखो तो सही मेरी हालत,,( बैठे-बैठे ही अपने पजामे में से अपने खड़े लंड को बाहर निकालते हुए,,,) इस पर तो तरस खाओ मेरा बस चले तो तुम्हें इस पर बिठाकर तुम्हें अपने हाथों से खाना खिलाउं,,,,।
(हाथ में निवाला लिए हुए कमला सूरज के पिताजी के लंड की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली ,)




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हाय दइया तुम्हारे में तो सच में सबर नाम की कोई चीज नहीं है,,,, तुम कहते हो तो,,,(इतना कहने के साथ ही मुस्कुरा कर अपनी जगह से हल्के से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उठाई और सीधा जाकर बिना साड़ी उठाए हुए अपनी भारी भरकम गांड को सूरज के पिताजी के लंड पर रख दी और बैठ गई,,, यह देखकर कल्लू मुस्कुराते हुए बोला,,)

यह हुई ना बात,,, सच में जब से भोला मेरा मित्र बना है तब से हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करते हैं,,, अब तो आदत सी बन गई है अकेले तुझे चोदने में मजा ही नहीं आता,,,,।





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अब मुझे भी अकेले मजा नहीं आता जब तक तुम दोनों साथ में नहीं होते हो तब तक मेरी बुर की खुजली मिटती नहीं है,,,(इतना सुनकर भोला अपने हाथ से निवाला बनाया और कमला को खिलाने लगा और कमल भी अपना मुंह खोलकर उसके हाथ से खाना खाने लगी,,, सूरज यह सब अपनी आंखों से देख रहा था उस कमला की बेशर्मी देख कर तो उसके भी पसीने छूट गए थे,,, वह कमला की बेशर्मी को देखता ही रह गया था,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और जिस तरह से कमला ने हरकत की थी उसे बारे में तो उसने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी सोच के विपरीत कमला ने पूरी तरह से बेशर्मी भरी हरकत की थी जिसे साफ तरह से जाहिर हो रहा था कि वह कितनी बड़ी बेशर्म औरत थी एकदम रंडी,,,।




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लेकिन उसकी हरकत को देखकर सूरज का लंड भी एकदम ताव में आ गया था,,, सूरज समझ गया था कि यह कितनी बेशर्म औरत है और ऐसे माहौल में चुदवाते समय वह एकदम रंडी बन जाती है तभी तो मर्द पूरी तरह से उसे पाने के लिए पागल हो जाता है जैसा कि उसके पिताजी,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर सूरज को मन ही मां अपने पिताजी से नफरत हो रही थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी उसकी मां के साथ कभी भी इस तरह का बर्ताव नहीं किए होंगे भले ही चार दिवारी के अंदर लेकिन इस तरह की हरकत कभी भी उसकी मां नहीं कर सकती,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां इतनी बेशर्म नहीं बन सकती तभी तो उसके पिताजी इस तरह का सुख ढूंढने के लिए बाहर घूम रहे हैं,,,।




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सूरज अभी तक तीन औरतों के संपर्क में आ चुका था मुखिया की बीवी उसकी लड़की और सोनू की चाची और सोनू की चाची के साथ अभी तक उसका शारीरिक मिलन नहीं हुआ था लेकिन दो औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था मुखिया की बीवी भी पूरी तरह से बेशर्म थी लेकिन कमल की बेशर्मी को देखकर मुखिया की बीवी की बेशर्मी फीकी लगने लगी थी वह तो चार दिवारी के अंदर किसी गैर मर्द की आंखों के सामने इस तरह की हरकत करने को कभी भी तैयार नहीं होती भले ही मुखिया की बीवी चुडक्कड़ थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं की थी,,,, और मुखिया की लड़की के साथ भी उसका दैहीक संबंध बन चुका था लेकिन उसकी शुरुआत का दौर था इसलिए उसकी बेशर्मी इस कदर अभी बड़ी नहीं थी जो कुछ भी करना होता था सूरज को ही करना पड़ता था,,।





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लेकिन अभी का नजारा देखकर सूरज समझ गया था कि मर्द को तभी मजा आता है जब एक औरत पूरी तरह से रंडी बनकर मजा देती है। वह भी तो अपनी संपर्क में आई औरतों के साथ यही चाहता था और उन्हें खुलकर मजा भी देता था इसीलिए उसके पिताजी एक रंडी का सुख भोगने के लिए ही अपना घर परिवार छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़े हैं और वह औरत भी तो उन्हें वही सुख दे रही थी जैसा कि उन्हें चाहिए था वैसे हालत में एक मर्द घर छोड़कर बाहर सुखना ढूंढे तो और क्या करें,,, सूरज अपने मन इस तरह का ख्याल आ रहा था और इस बारे में बड़ा गौर भी कर रहा था इसलिए कुछ पल के लिए उसे अपने पिताजी की हरकत नाजायज नहीं लग रही थी क्योंकि जिस तरह से कमला बेशरम बनकर उसके खड़े लंड पर बैठकर खाना खा रही थी वाकई में यह है बेशर्मी की सारी हदों को पार कर चुकी थी और इस नजारे को देखकर किसी का भी लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो जाए,,,।

इस नजारे को देख कर देखने वाले की हालत तो खराब हो ही जाएगी लेकिन जो यह पल महसूस कर रहा होगा जो यह सुख भोग रहा होगा उसकी क्या दशा होती होगी यह सोचकर ही सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज बड़ी गौर से उसे नजारे को देख रहा था कमला उसके पिताजी की गोद में बैठी हुई थी और खड़े लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसके पिताजी बड़ी-भारी से निवाला अपने मुंह में डालते थे और फिर निवाला उसके मुंह में डालते थे,,, इस समय वह मादकता भरा सुख भोग रहे थे,,, पेट की भूख के साथ-साथ अपने तन की भी भूख मिटाने में लगे हुए थे जिसमें पूरा सहयोग कमला दे रही थी,,,। पल भर के लिए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता अब तक तो उसका लंड साड़ी फाड़ कर उसकी बुर में घुस गया होता,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,,।


बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा मैं इस तरह से कभी भी मछली रोटी खाने का सुख नहीं प्राप्त की थी जिस तरह का सुखी समय मुझे मिल रहा है,,, तुम्हारा लंड बहुत चुभ रहा है,,, मेरे राजा,,,( भोला के लंड पर बैठकर कसमसाते हुए कमला बोली,,,,,, सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था की कमला उसके पिताजी के लंड की चुभन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी,,,। लेकिन फिर भी उसका पूरा आनंद ले रही थी,,, और कमला की हरकत को देखकर उसकी कसमसाहट को देखकर सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर ऐसी औरत बिस्तर पर हो तो सच में मजा आ जाए,,, कमला को आनंदित होता हुआ देखकर सूरज के पिताजी,, ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोले,,,,)

तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है,,,।

यह सब तुम्हारी हाथों का करामात है तुमने ही दबा दबा कर इसे ज्यादा बड़ा कर दिया है,,,,(कमला मुस्कुराते हुए बोली और उसे मुस्कुराता हुआ देख कर कल्लू बोला,,,)

सही कह रही हो कमला रानी यह मेरे दोस्त के हाथों का जादू है उसकी करामात है जो तुम्हारी चूची को सही आकार दिया है तुमसे प्यार करने लगा है मेरा दोस्त वरना इतनी बड़ी चूची तो इसकी बीवी की भी नहीं है,,, हमारी भाभी के भी तुमसे छोटी ही चूची होगी तो अंदाजा लगा लो कि मेरा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है क्योंकि यह प्यार का ही नतीजा है जो इतना आकार उसका बढ़ चुका है,,,,(कल्लू भोले के नशे और उसकी मदहोशी का पूरा फायदा उठाते हुए बीच में उसकी बीवी का जिक्र कर रहा था वह देखना चाहता था कि इस हालत में वह अपनी बीवी के बारे में इस तरह की बातों को सुन सकता है कि नहीं और यह सुनकर सूरज को भी गुस्सा आ रहा था कि एक बदमाश उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें कर रहा है,,, उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए भोला बोला,,,)

तू सही कह रहा है कल्लू ,, मेरी कमला रानी से मेरी बीवी की तुलना हुई नहीं सकती मेरी बीवी तो इसके पैर के बराबर भी नहीं है,,, तभी तो मैं पूरा सुख मेरी कमला रानी को देताहूं,,, क्यों मेरी जान मेरे साथ मजा तो आता है ना,,,(उसके गालों पर चुंबन करते हुए भोला बोला,,, तो मुस्कुराते हुए कमला बोली,,)

तुम दोनों के साथ मजा नहीं आता तो मैं यहां पर नहीं आती,,,, पति के जाने के बाद कल्लू और फिर तुम ही तो हो जिसके सहारे में,, जी रही हूं पेट की आज के साथ-साथ तन की भी आग को बुझाना बहुत जरूरी होता है,,, तुम दोनों का लंड से मेरी बुर में जाता है तो मैं सब कुछ भूल जाती हूं,,,,।

चिंता मत करो रानी आज सुबह तक तुम्हारी ऐसी चुदाई करेंगे कि लंगड़ा कर अपने घर जाओगी,,,(भोला फिर से जोर से उसकी चूची दबाते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर कमला बोली,,)

नहीं नहीं मेरे राजा इतनी बेरहमी से मेरी चुदाई मत करना कि सुबह सबको पता चल जाए की रात भर चुदवा कर आई है।(सूरज के पिताजी के हाथ से निवाला अपने मुंह में लेकर खाते हुए बोली).

सूरज सब बातों को सुन रहा था उसकी भी हालत खराब हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसके पिताजी ने कमला की चूचियों की तारीफ किए थे उस तारीफ को सुनकर सूरज को गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत पूरे गांव में कोई नहीं थी और उसके जैसे बदन की बनावट भी किसी दूसरी औरत की नहीं थी भले ही कुछ पल के लिए सूरज कमल को देखकर मंत्र मुग्ध हो गया था,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास था कि उसकी मां की जवानी के आगे कमल की जवानी पूरी तरह से फीकी थी भले ही कमला पूरी तरह से मजा देती हो लेकिन उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत नहीं थी,,,, इसलिए अपने पिताजी के मुंह से किसी और औरत की खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था,,,,।

इस बात को वह अच्छी तरह से मानता था की जिस तरह से बिस्तर पर खुलकर कमला मजा देती है,, लेकिन उसकी मां शर्म के मारे और अपने संस्कारों के वजह से खुलकर एक रंडी की तरह अपने पति को सुख ना देती हो लेकिन खूबसूरती के मामले में वह कमला से एक कदम आगे ही थी,,,,,,,, सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था देखते ही देखते तीनों खाना खा चुके थे और अब चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला था,,,,, इससे पहले वह केवल अपनी मां की ही चुदाई देखा था अपने घर में,, वह उसके जीवन की पहली चुदाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देखा था और वह भी अपनी मां की,, जोकि उसके पिताजी से ही चुदवा रही थी,,,, आज भी उसके पिताजी ही थे लेकिन उसके साथ उसकी मां नहीं थी बल्कि एक दूसरी औरत थी कमला,,,।
बहुत ही खुबसुरत लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
कमला के आने के बाद भोला ने जो उतावला पण दिखाकर कमला की चुचीयों से खेलकर और अपनी पत्नी से भी बढकर हैं कमला ये सुन कर सुरज भी कमला और अपनी माँ की तुलना करने लगा भलेही कमला बिस्तर पर खुबसुरत थी लेकीन सुनैना की खुबसुरती के आगे फिकी थी
अब भोला और कल्लु का कमला के साथ चुदाई का दौर चलने वाला हैं वो जबरदस्त तो रहेगा ही पर सुरज की प्रतिक्रिया क्या होगी ये देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Sanju@

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सूरज के लिए अपने पिताजी का पता लगाना बेहद जरूरी हो चुका था क्योंकि महीनों गुजर गए थे और उसके पिताजी घर पर नहीं आए थे,,, वैसे तो सूरज के लिए उसके पिताजी का घर पर नहाना उसके लिए ही सुनहरा मौका की तरह था लेकिन फिर भी अपने पिता का पता लगाना भी बेहद जरूरी हो चुका था,,, वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं कहां रहते हैं किसके साथ रहते हैं और यह सब सो कर उसके मन में एक शंका और थी कि कहीं उसके पिताजी किसी और औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गए इस बात की जहां उसके मन में चिंता होती थी वहीं इस बात से उसके मन में प्रसन्नता के भाव भी उसके चेहरे पर नजर आने लगते थे क्योंकि वह यही तो चाहता था कि उसके पिताजी दूसरी औरत के चक्कर में पड़ जाए तो उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए,,,,।




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कुछ दिन पहले ही उसे उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव में देखा था,,, और इस खबर को सुनकर उसके चेहरे पर उदासी के भाव नजर आने लगे थे लेकिन इसके बावजूद भी उसके पिताजी अब तक घर पर नहीं आए थे इसीलिए वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी है कहां पर इसीलिए आज वह अपने पिताजी को ढूंढने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल चुका था,,, इस बारे में उसने किसी को भी नहीं बताया था ना ही इस बारे में वह अपनी मां से बताया था नहीं अपनी बहन से वह अकेला ही अपने पिताजी का पता लगाना चाहता था,,, आखिरकार था तो वह एक बेटा ही भले ही अपने पिताजी के घर पर नहाने पर उसके मन में खुशी महसूस होती हो लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में अपने पिता के लिए उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी,,,।





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शाम ढल चुकी थी और धीरे-धीरे रोशनी को अपनी आगोश में लेता हुआ अंधेरा आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, और अंधेरे में वह अपने पिताजी की तलाश में दूसरे गांव की तरफ बढ़ता चला जा रहा था वह जानता था कि दूसरे गांव के नौकर पर शराब की दुकान है वहां पर गांव के मर्द जिन्हें शराब की लत लग गई है वह अपनी थकान मिटाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं और जिस तरह से उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव के कल्लु के साथ देखा था तो उसे पूरा यकीन हो चला था कि उसके पिताजी भी कल के साथ शराब पीने के आदी हो गए होंगे,, इसलिए तो वह ऐसी जगह पर अपने पिताजी को तलाश करने जा रहा था जहां पर शराबी लोग इकट्ठा होते हैं और वैसे भी रात के अंधेरे में शराबी का ठिकाना शराब खाना ही होता है घर नहीं,,,।






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अंधेरा बढ़ता जा रहा था और अंधेरे के साथ सूरज भी आगे बढ़ता चला जा रहा था सूरज अब अंदर ही अंदर मजबूत हो चुका था पहले जहां वह घर से बाहर निकलने से डरता था रात के अंधेरे से डरता था अब उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता औरतों की संगत में जिस तरह का सुख उसे प्राप्त होता था उसके चलते वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और चालाकी भी उसके अंदर आ चुकी थी,,, और इसी चालाकी के बदौलत वह धीरे-धीरे सोनू की चाची के करीब बढ़ता चला जा रहा था दोपहर का किस्सा उसे पूरी तरह से याद था इसके बारे में सोच कर उसके तन बदन में हलचल सी मच जाती थी। उसे अच्छी तरह से समझ में आने लगा था कि सोनू की चाची उससे क्या चाहती है वैसे भी वह चोरी छुपे मैदान में जब उसकी मां के साथ-साथ सोनू की चाची और उसके पड़ोस की औरत सौच करने गए थे तब वह उन तीनों की बात अच्छी तरह से सुना था और समझ गया था कि सोनू की चाची क्या चाहती है,,,।




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और कानों सुनी आंखों देखी बात पर उसे पूरी तरह से विश्वास था कि एक न एक दिन सोनू की चाची के साथ विवाह चुदाई का सुख भोग पाएगा इसलिए तो दिन रात वह सोनू की चाची के करीब चक्कर लगाने लगा था और जिसका फायदा उसे आज प्राप्त हुआ था,,, मड़ई के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सूरज को पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबकी लगाने पर मजबूर कर दिया था सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी छाती पूरी तरह से उसके होश उड़ा दी थी सोनू की चाची का अपने आप ही अपने ब्लाउज का बटन खोलने उसके लिए,, सादर आमंत्रण था जिसे वह सहर्ष स्वीकार कर चुका था सोनू की चाची की चूचियों को दबाकर उसे जिस तरह का आनंद प्राप्त हुआ था वह बेहद अद्भुत था,,, सूरज को सोनू की चाची का इरादा देख कर ऐसा ही लग रहा था कि आज ही वह सोनू की चाची की दोनों टांगों के बीच पहुंच जाएगा और ऐसा हो भी जाता अगर एन मौके पर सोनू के चाचा वहां ना आ जाते,,,,।




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सोनू के चाचा का वहां पर आना सूरज को तो खटका ही था लेकिन सूरज सोनू की चाची के चेहरे पर उदासी को पढ़ लिया था वह समझ गया था कि उन्हें भी अपने पति का वहां पर आना अच्छा नहीं लगा था खैर जितना भी उसे समय सोनू की चाची उसे मजा दे पाई थी उतना ही उसे पूरी तरह से मस्त कर गया था और उसे पूरा यकीन था कि एक ना एक दिन वह सोनू की चाची की चुदाई कर पाएगा,,, यही सब सोता हुआ वहां धीरे-धीरे दूसरे गांव के बेहद करीब आ चुका था जहां पर दूर-दूर तक उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था बस चारों तरफ अंधेरा अंधेरा था क्योंकि जिस रास्ते से वह जा रहा था उसके दोनों तरफ खेत ही खेत थे बस्ती दूर थी इसलिए चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,, पहले वाला सूरज होता तो शायद यहां तक आने की कभी हिम्मत ही नहीं जुटा पाता लेकिन सूरज बदल चुका था उसके हालात बदल चुके थे इसलिए उसके मन से डर एकदम निकल गया था,,,।


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गर्मी का महीना था लेकिन शीतल हवा का झोंका उसके बदन में सुरसुरी पैदा कर रहा था,,, मौसम बड़ा ही सुहावना लग रहा था दिन में तो गर्मी लगती ही थी लेकिन शाम ढलते ही मौसम में ठंडक महसूस होने लगती थी,,, सूरज चलते समय इधर-उधर भी नजर घुमा कर देख ले रहा था क्योंकि उसे पूरी तरह से विश्वास नहीं था कि उसके पिताजी शराब के ठेके पर ही मिलेंगे हो सकता है कि वहां पर ना भी मिले,,, इसलिए अपनी तसल्ली कर लेने के लिए वह चारों तरफ देखा हुआ वहां पर जा रहा था थोड़ी ही देर बाद उसे गांव के नुक्कड़ पर लालटेन जलते हुए नजर आ रही थी और कुछ लोगों की आवाज भी आ रही थी सूरज समझ गया था कि शराब का ठेका आ चुका है,,,।




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सूरज वहां पर चोरी छुपे जाना चाहता था,, क्योंकि अगर उसके पिताजी वहां पर मौजूद होंगे तो वह नहीं चाहता था कि उसके पिताजी को उसके बारे में जरा भी भनक लगे इसलिए यह जानकारी वह चोरी छुपे हासिल करना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं किसके साथ घूम रहे हैं रात को रुकते कहां है,,? काम क्या करते हैं ....?यही सब जानकारी उसे प्राप्त करना था,,, धीरे-धीरे वह शराब के ठेके के करीब पहुंच चुका था लेकिन अपने आप को वह झाड़ियां के पीछे छुप कर आगे बढ़ रहा था ताकि किसी की नजर उसे पर ना पड़े तकरीबन 8-10 मीटर की दूरी पर वह रुक गया और वहां से शराब के ठेके पर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कौन-कौन वहां पर मौजूद है और उन्हें लोगों में उसके पिताजी हैं भी या नहीं,,,,,, कुछ देर खड़ा होकर झाड़ियां के पीछे छिपकर सूरज शराब के ठेके पर मौजूद लोगों को देखता रहा लोग अपने में ही मस्त थे कहीं दो लोग बैठे थे की कहानी तीन लोग बैठे थे तो कोई अकेला ही बैठकर सर आपका मजा लूट रहा था पास में ही समोसे और जलेबी का ठेला लगा हुआ था और लोग खरीद खरीद कर शराब के साथ समोसे का मजा लूट रहे थे,,,।




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कुछ देर तक वहां खड़े रहने के बाद सूरज को ना तो कहीं कल दिखाई दिया और ना ही उसके पिताजी दिखाई दिए वह निराश हो गया क्योंकि यही एक ऐसी जगह थी जहां पर वह अपने पिता जी के होने की आशंका मन में बने हुए इतनी दूर आया था लेकिन यहां भी उसे नाकामयाबी हाथ लगी थी वह निराश हो चुका था और वहां से वह जाने वाला था कि तभी शराब के ठेके की दुकान से अंदर से हाथ में शराब की सीसी लिए हुए कल्लू बाहर निकलता हुआ नजर आया,, उसे देखते ही सूरज के पर फिर से वही जम गए उसे यकीन था कि अगर कल्लु है तो उसके पिताजी वहीं पर होंगे,,, और उसका सोचना बिल्कुल सही निकला जब कल के पीछे-पीछे उसके पिताजी भी हाथ में दो शराब की सीसी लेकर बाहर निकलते हुए नजर आए,,, अपने पिताजी को देखकर सूरज एकदम से हैरान हो गया क्योंकि आज तक उसने अपने पिताजी को इस रूप में नहीं देखा था भले ही कुछ दिन के लिए वह घर से गायब रहते थे लेकिन काम के सिलसिले से गायब रहते थे लेकिन आज उसके पिताजी महीनो से घर से बाहर थे तो सिर्फ शराब की वजह से क्योंकि इससे पहले वह शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे,,,।





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अपने पिताजी की हालत देखकर सूरज को बड़ी हैरानी हो रही थी वह काफी परेशान नजर आ रहा था मन तो उसका कर रहा था किसी समय वहां अपने पिताजी के पास चला जाए और उनका हाथ पकड़ कर घर की और उन्हें लेकर जाए क्योंकि वह जानता था कि कल अच्छा आदमी नहीं था वह बदमाश आदमी था पूरे गांव में उसकी कोई भी इज्जत नहीं थी सब लोग उसे बदमाश के ही तौर पर जानते थे,, सूरज को समझते देर नहीं लगी थी कि कल्लू के ही सोहबत में उसके पिताजी का यह हाल हो रहा है,,, लेकिन जानता था कि ऐसे हालात में सीधे-सीधे अपने पिताजी के पास पहुंच जाना उसके लिए भी अच्छा नहीं था क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी इस समय घर परिवार सब कुछ शराब के नशे में भूल भी चुके हैं और छोड़ भी चुके हैं अगर ऐसा ना होता तो वह घर पर जरूर आते इसलिए सूरज जानता था कि जो भी कदम उठाना होगा सोच समझ कर उठाना होगा,,,।




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कुछ देर तक सूरज वहीं पर खड़ा हुआ देखना चाहता था उसके पिताजी और कल्लू क्या करते हैं,,,, तभी उसके पिताजी की आवाज सूरज के कानों में पड़ी,,,।


कललु यहीं बैठकर पी लेते हैं,,,(ऐसा बोलते हुए सूरज के पिताजी,,, वहीं पास में पड़े बड़े से पत्थर पर बैठ नहीं जा रहे थे कि उन्हें रोकते हुए कल्लु बोला,,,)

अरे नहीं यहां पर पीने से सारा मजा की गिरा हो जाएगा वहीं पर चलकर पीते हैं जहां रोज पीते हैं,,, शराब के शबाब होगी तो और भी ज्यादा मजा आएगा,,,,।


क्या बात कर रहा है यार कमला भी आएगी क्या,,,?(भोला एकदम उत्साहित होता हुआ बोला,,,, और अपने पिताजी के मुंह से कमला शब्द सुनकर सूरज की भी आंखें चौड़ी होने लगी उसे भी लगने लगा कि जैसा वह सोच रहा था वैसा ही चक्कर चल रहा है भोला की बात सुनकर कल्लु बोला,,,,)



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आएगी जरूर आएगी और आज तो वह मछली बनाकर लाएगी आज तो मजा ही आ जाएगा इसलिए कह रहा हूं यहां पर मत पी चलकर वहीं पीते हैं अपने अड्डे पर,,,,।

तो चल देर किस बात की है कमला का नाम सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,।(ऐसा कहते हुए भोला पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने लगा यह देखकर सूरज को पूरा यकीन हो गया की औरत के चक्कर में और शराब की लत में है उसके पिताजी का यह हाल हुआ है,,,,,,, भोला की बात सुनकर कल्लु भी वहसी हंसी हंसते हुए बोला,,,)

तेरा तो खड़ा हो जाता है मेरा तो पहले से ही खड़ा है,,,, चलो जल्दी कर बिल्कुल भी देर मत कर यहां पर पहले से ही देर हो चुकी है,,,।

हां हां जल्दी चल मुझसे तो रहा नहीं जा रहा है,,,।



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सप्ताह में चार पांच बार लेता है फिर भी तेरा मन नहीं भरता,,।(हंसते हुए भोले के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,, कल्लू की बात सुनकर सूरज हैरान रह गया,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पूरे गांव में उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं उससे ज्यादा खूबसूरत बदन किसी का भी नहीं है फिर भी अपनी औरत को छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़ा हुआ है कितना बेवकूफ है यह,,,,,, इसे ही कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर रोज-रोज मिलता था इसलिए यह हाल है वरना ऐसा कौन सा मर्द नहीं होगा जो उसकी मां को चोदना नहीं चाहता होगा,,, ऐसा अपने मन में सोचकर वह अपने आप से ही बोला कितना बेवकूफ है बाबूजी न जाने किसके चक्कर में अप्सरा जैसी औरत की फिक्र नहीं करता,,,, सूरज के मन में अपने पिताजी के लिए अब थोड़ी नाराजगी महसूस होने लगी थी अभी तक वह अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था लेकिन आज अपनी कानों से जो कुछ सुना था उसे सुनकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,,।





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और वह भी इसलिए की,, अब तक वह अपनी पिताजी को सीधा-साधा इंसान ही समझता था जो मेहनत करके जीवन गुजर बसर कर रहे थे,,, उसे क्या मालूम था कि इस तरह से उसके कई औरतों के साथ जिस्मानी तालुका थे जिसमें मुखिया की बीवी मुख्य थी और उसे दिन भी वह अपने पिताजी को ढूंढते हुए खेतों में पहुंच गया था लेकिन नादानी की वजह से समझ नहीं पाया था कि खेत के अंदर उसके पिताजी और मुखिया की बीवी आपस में कौन सा गुल खिला रहे हैं,,, इसलिए तो आज अपने पिताजी का नया रूप देखकर वह हैरान था,,, घर से दूर रहने का कारण अभी तक सूरज को यही समझ में आता था कि वह शायद शराब की लत में ऐसा करते हैं,,, किसी और औरत के चक्कर की शंका तो केवल उसके मन में ऐसे ही थी लेकिन आज उसे पूरा विश्वास हो गया था कि शराब के साथ-साथ शबाब का भी चक्कर है,,,,।

कल्लु और उसके पिताजी दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर हाथ में शराब की शीशी लिए हुए हंसते हुए आगे की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पिताजी की संगत ऐसे बदमाश इंसान से हो जाएगी,,, देखते ही देखते दोनों अंधेरे में आगे बढ़ते चले जा रहे थे और पीछे-पीछे सूरज वह देखना चाहता था कि यह कमला है कौन रहती कहां है आज वह इसका पता लगाना चाहता था और वह भी देखना चाहता था कि कमला ने आखिरकार ऐसी कौन सी बात है जो उसकी मां में नहीं है ऐसी कौन सी खूबसूरत बला धरती पर उतर आई है जिसके चलते उसके पिताजी रूपवती बीवी को छोड़ दिए हैं,,,।




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आगे आगे कल्लु और भोला बढ़ रहे थे और पीछे पीछे सूरज,,,, लेकिन सूरज इस पास से हैरान था कि वह दोनों बस्ती की तरफ नहीं बल्कि खेत से होकर किसी और ही जगह पर जा रहे थे सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें क्योंकि काफी अंधेरा था अभी तक तो उसे डर नहीं लग रहा था लेकिन अब थोड़ा-थोड़ा डर उसके मन में बैठने लगा था क्योंकि वह अपने गांव से काफी दूर आ गया था,,,,, वह अपने आगे पीछे चारों तरफ नजर घूमा ले रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि उन दोनों को बिल्कुल भी शक ना हो कि कोई उनका पीछा कर रहा है,,, आखिरकार देखते ही देखते वह दोनों एक खंडहर जैसे गोदाम के पास आकर खड़े हो गए और सूरज की उनसे तकरीबन 10 15 मीटर की दूरी पर अपने आप को झाड़ियां में छुपाए हुए खड़ा होकर उन दोनों को देखने लगा इस जगह पर सूरज पहली बार आया था इसलिए उसे थोड़ा सा घबराहट हो रही थी और वह भी इसलिए की रात का समय था अगर दिन का समय होता तो वह बिल्कुल भी डरने वाला नहीं था,,,,
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सूरज के बाप का गायब होने का कारण कमला है शराब और शबाब के कारण सूरज का पिताजी घर से गायब है औरत का चक्कर तो पहले से ही था मुखिया की बीवी के लिए वह पहले भी गायब रहता था
 
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सूरज उन दोनों से 10 15 मीटर की दूरी पर झाड़ियों के बीच अपने आप को छुपाए खड़ा था,, और उसके पिताजी और कल्लू दोनों एक खंडहर जैसे गोदाम के सामने खड़े होकर उस गोदाम को ही देख रहे थे,,, यह जगह यह गोदाम सूरज के लिए बिल्कुल नया था इस जगह पर वह कभी आया नहीं था गांव से काफी दूर वह आ चुका था चारों तरफ रात का सन्नाटा छाया हुआ था उसे जगह पर उन तीनों के सिवा इस समय और कोई नहीं था रह रहा कर कुत्तों की आवाज आ रही थी और झींगुर का शोर कुछ ज्यादा ही डरावना लग रहा था,,,, अगर कोई और समय होता तो शायद सूरज इस जगह पर कभी नहीं आता लेकिन बात थी अपने पिताजी के बारे में पता लगाने की इसलिए सूरज बिल्कुल भी परवाह किए बिना ही इस जगह पर आ चुका था और यहां पर आने के बाद ही उसे कोई कमला नाम की औरत के बारे में पता चला था जिसके चक्कर में उसके पिताजी घर पर आना छोड़ दिए थे,,,।



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मामला पूरी तरह से शराब और शबाब का था,,, यही दो चीजों में तो इंसान अपने आप को पूरी तरह से सबसे अलग कर लेता है अपने परिवार से अलग हो जाता है एक नशा और दूसरा जवानी का नशा यह दोनों नशा इंसान को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं,,, जवानी का नशा ऐसा है कि घर में खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी इंसान बाहर मुंह करने से बिल्कुल भी बात नहीं आता और यही सूरज के पिताजी के साथ हो रहा था गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत और गदराए जिस्म की मालकिन थी भोला की बीवी लेकिन फिर भी किसी बाजारु कमला नाम की औरत के पीछे अपने घर के रास्ते को पूरी तरह से बिगाड़ने पर आतुर हो चुका था,,भोला ,, बीवी रात भर अकेले बिस्तर पर करोड़ बदलती थी और पति दूसरी औरतों के साथ मजा लुटता था,,, सूरज को आप अपने पिताजी की सच्चाई के बारे में पता चल गया था कि जहां पर एक तरफ उसे अपने पिता जी के लिए गुस्सा आ रहा था वहीं दूसरी तरफ उसकी ईस हरकत की वजह से वह मन ही मन खुश भी हो रहा था,, क्योंकि वह जानता था कि ऐसे में वह अपनी मां के साथ संभोग सुख प्राप्त कर सकता है औरतों की प्यास उनकी चाहत के बारे में उसे बहुत ज्यादा ज्ञान होने लगा था और वह जानता था कि अगर यह सब इसी तरह से चला रहा तो जिंदगी वह अपनी मां की जमकर चुदाई कर पाएगा,,,।





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यार लगता है अभी तक कमला आई नहीं,,,,(शराब की बोतल को हाथ में लिए हुए कल्लू बोला,,,,)

यार यह कमला बहुत तड़पाती है,,,, यहां लंड का बुरा हाल हुआ जा रहा है और यह मादरचोद पता नहीं कहां गांड मरवा रही है,,,,(पजामे के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए सूरज के पिताजी बोले और उनके मुंह से इस तरह की गाली सुनकर सूरज हक्का-बक्का रह गया क्योंकि उसने आज तक घर में कभी अपने पिताजी के मुंह से गाली नहीं सुना था,, हां कभी कबार साला भोसड़ी वाला इस तरह की गाली सुन चुका था लेकिन,, इस तरह की गंदी गाली पहली बार सुन रहा था,,,, उसकी बात सुनकर कल्लु बोला,,,)


आ जाएगी दोस्त सबर कर सबर का फल मीठा होता है एक बार आ जाएगी तो देखना तेरे लंड पर कूद कुद कर बुर चुदवाएगी,,,,।


अरे यार तो चाहिए एक बार साली की बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,, आज बहुत चोदने का मन कर रहा है,,,।

तेरा मन तो रोज करता है,,,, याद है ना पिछली बार क्या हुआ था नशे की हालत में तू मेरी बीवी पर ही टूट पड़ा था वह तो अच्छा हुआ कि मैं आ गया वरना तु उस दिन तो मेरी बीवी को ही चोद देता,,,,।
(कल्लु की बात सुनकर सूरज एकदम हैरान रह गया,,, उसे समझ में आने लगा था कि उसके पिताजी कितने गंदे इंसान हैं लेकिन उनसे भी ज्यादा गंदा इंसान है कल्लू जो कि अपनी बीवी के बारे में इस तरह की बातें बोल रहा है और यही सूरज अपने मन में सोच रहा था कि यह कैसा आदमी है जो ऐसे इंसान के साथ घूम रहा है जो उसकी बीवी के साथ जबरदस्ती कर रहा था,,,, सूरज के लिए यह बात अचंभित कर देने वाली थी और कोई और सुनता तो शायद उसे भी यह बात कुछ अजीब ही लगती की भला ऐसा इंसान ऐसे दोस्त के साथ कैसे घूम सकता है जो अपने ही दोस्त की बीवी पर गंदी नजर रखता हो,,,, लेकिन सूरज इस बात को नहीं जानता था कि जिस तरह का जिक्र है उसने यहां पर छेड़ दिया था इसमें उसकी चालाकी छिपी हुई थी वह जानबूझकर अपनी बीवी का जिक्र यहां पर छेद था,,,,। इसके पीछे उसकी बहुत लंबी सोच थी,,,।



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क्योंकि कल्लु की नजर पहले से ही भोला की बीवी पर थी अच्छी तरह से जानता था कि भोला की बीवी गांव की सबसे खूबसूरत औरत है वह पहले से ही उसके साथ चुदाई का सुख भोगना चाहता था लेकिन जानता था कि वह ऐसे हाथ आने वाली नहीं है और जब वह नदी में उसे संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में नहाते हुए देखा था उसकी नंगी गांड और बड़ी-बड़ी चूची को अपनी आंखों से देखकर उसकी आंखों में वासना के डोरी नजर आने लगे थे और वहां इस समय उसके साथ जबरदस्ती करने की सोच रहा था लेकिन सुनैना उसकी एक नहीं चलने की और वह असफल हो गया,,, वह किसी भी हालत में सुनैना के साथ चुदाई का सुख प्राप्त करना चाहता था गांव की सबसे खूबसूरत औरत के साथ चुदाई करके मस्त होना चाहता था और वह जानता था कि सुनैना उसे हाथ भी नहीं लगाने देगी इसीलिए वह चला कि खेल रहा था सुनैना के पति के साथ दोस्ती करके,,,।




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इसीलिए तो वह धीरे-धीरे सुनैना के पति को अपने बस में कर रहा था उसे शराब और शबाब लत धरा रहा था जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब भी हो चुका था इसीलिए वह अपने घर पर ले गया था और जानबूझकर अपनी बीवी को वह,,, उसके सामने अपनी जवानी का जलवा दिखाने के लिए बोला था और उसकी बीवी भी एक नंबर की हरामि थी उसे पैसों से मतलब था,,, और वह भी धीरे-धीरे अपनी जवानी का जलवा सुनैना के पति पर चला रही थी,,, और उस दिन भी ऐसा ही कुछ हुआ था सब कुछ सोची समझी साजिश थी,,शराब पिलाकर वह भोला को अपने घर ले गया था जहां पहुंचने के बाद वह फिर से उसे शराब पिलाया था और जब उसे ज्यादा नशा हो गया था तो घर में ही सोने के लिए बोल दिया था लेकिन जब वह पूरी तरह से अपने होश में नहीं था तब इस समय वह अपनी बीवी को इशारा कर दिया था उसके कमरे में जाने के लिए,,,।




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भोला इन सब बातों से बिल्कुल अनजान था उसे नहीं मालूम था कि गांव का बदमाश कल्लु उसका जीवन बर्बाद कर रहा है,,, अपने पति का इशारा पाकर उसकी बीवी कमरे में पहुंच गई और भोला के सामने ही अपने कपड़े उतार कर कपड़े बदलने का नाटक करने लगी लेकिन अपनी आंखों के सामने जब एक खूबसूरत औरत को कपड़े उतार कर नंगी होता हुआ देखा तो भोला से रहा नहीं गया और वह अपनी जगह से उठकर तुरंत उसे अपनी बाहों में भर लिया और खटिया पर पटक दिया,,, लेकिन इससे ज्यादा भोला कुछ कर पाता उससे पहले ही उसका पति कल्लु कमरे में आ गया और उसे रोक लिया,,, वह अपनी बीवी का उपयोग करके उसकी बीवी को अपने बिस्तर पर लाना चाहता था और उसे पूरा यकीन था कि एक न एक दिन ऐसा जरूर होगा इसीलिए तो आज वह जानबूझकर अपनी बीवी का जिक्र छेड़ दिया था और उसकी बात सुनकर भोला बोला,,,।



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यार उसे दिन ज्यादा नशा हो गया था इसलिए कुछ समझ में नहीं आया और वैसे भी तेरी बीवी मेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी,,,।

उसे नहीं मालूम था कि कमरे में तू है वह तो उसी का कमरा था और वह सोने के लिए गई थी और अपने कपड़े बदल रही थी उसे क्या मालूम था कि तो कमरे में पहले से मौजूद है और इसमें मेरी गलती थी मैंने उसे बताया नहीं था कि आज तु घर पर ही सोएगा,,, लेकिन एक बात है सही में मैं उसे दिन समय पर नहीं वहां मौजूद होता तो उसे दिन तो तू मेरी बीवी की चुदाई कर दिया होता ,,,।



यार तू नहीं समझ सकता मेरी जगह कोई और होता तो वह भी वही कर देता जैसा मैं करना चाह रहा था तो नहीं जानता तेरी बीवी कितनी खूबसूरत है कपड़े उतारने के बाद उसका नंगा बदन देखकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया क्या करता एक तो सर आपका नशा और ऊपर से तेरी बीवी की जवानी का नशा मैं तो पागल हो गया था,,,।

क्या सच में मेरी बीवी तुझे इतनी अच्छी लगी,,,!(कुटील मुस्कान अपने चेहरे पर लाकर कल्लू बोला ,,)


सच में मुझे बहुत अच्छी लगी तेरी बीवी,,,, मेरी जगह कोई भी होगा तो उसे भी तेरी बीवी अच्छी लगेगी,,, क्या तुझे नहीं अच्छी लगती तू तो जब चाहे तब अपनी बीवी की ले सकता है कितनी खूबसूरत है तेरी बीवी,,,।





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चल रहने दे तुझे ऐसा लगता है वह कहावत तो तूने सुनी होगी घर की मुर्गी दाल बराबर,,,।

मतलब मैं कुछ समझा नहीं,,,!(आश्चर्य जताते हुए भोला बोला,,,)

मेरा मतलब है कि जिसे रोज खाने को मुर्गी मिली तो उसके लिए तो मुर्गी भी दाल बराबर हो जाती है मेरा मतलब है कि रोज-रोज बीवी की लेने के बाद बीवी भी सुंदर नहीं लगती सच कहूं तो मुझे तो तेरी बीवी बहुत खूबसूरत लगती है,,,।(अपने मन की बात कल्लु भोला के सामने बोल गया था,,, और इस बात को सुनकर सूरज के चेहरे पर क्रोध के भाव नजर आने लगे थे उसे समझ में आ गया था कि उसकी नजर उसकी मां पर है और वह देखना चाहता था कि उसकी बात सुनकर उसके पिताजी कैसा व्यवहार करते हैं लेकिन उसके आश्चर्य के बीच उसके पिताजी एकदम शांत बने रहे जैसे कुछ हुआ ही नहीं है ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्हें कुछ सुनाई ही नहीं दिया हो,,,, वह उसकी ही तरह बेशर्म होते हुए बोले,,,)





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तो इसमें क्या हुआ दोस्त मैं तेरी बीवी की ले लूंगा और तू मेरी बीवी की ले लेना,,,।
(इतना सुनकर तो जैसे कल को मुंह मांगी मुराद मिल गई वह एकदम से प्रसन्न होता हुआ बोला,,,)

यह हुई ना बात मेरे राजा इसे कहते हैं दोस्ती सच में जिस दिन ऐसा हुआ ना तुझे शराब से नहला दूंगा और साथ में अपनी बीवी भी तुझे हमेशा के लिए दे दूंगा जब चाहे मन तु उसे चोद सकता है,,,। अपने वादे पर कायम रहना मेरे दोस्त,,,,।


बिल्कुल मेरे यार तेरे लिए तो जान हाजिर है लेकिन इसमें जो मेरी जान ले रही है कमला अभी तक आई क्यो नहीं,,,, अभी तक,,, बोतल का ढक्कन भी बंद है और मेरी रानी कमला की बुर का उद्घाटन भी नहीं हुआ है,,,।


आ जाएगी सब्र कर वह अभी सबसे नजरे बचा कर आती है और सबसे अच्छी बात यह है कि हम दोनों के लिए खाना भी लेकर आती है,,,, इसमें उसे थोड़े बहुत पैसे मिल जाते हैं और मजा भी मिल जाता है और हम लोगों की तो मजा ही मजा है,,,।

(सूरज उन दोनों की बेशर्मी भरी बातें सुन रहा था उसे सबसे ज्यादा गुस्सा तो अपनी मां का जिक्र होने पर आ रहा था और इस बात से उसे और ज्यादा क्रोध आ रहा था कि उसके पिताजी बिल्कुल भी गुस्से में नहीं थे बल्कि उसकी बात सुनकर एकदम शांत थे अपने पिताजी का रवैया देखकर सूरज इतना तो समझ गया था कि उसके पिताजी से ही उसकी मां की इज्जत खतरे में है वह किसी भी दिन उसकी मां को कल्लु के हवाले करदेंगे,,, सूरज का मन तो कर रहा था इसी समय अपने पिताजी के साथ-साथ कल्लु का भी मुंह तोड़ दे,,,, क्योंकि उसी ने उसके पिताजी को इतना गंदा इंसान बनाया था वरना उसके पिताजी सीधे-साधे इंसान थे,,,, सूरज अपने मन में ही क्रोधित हुआ जा रहा था उसका तो बहुत कुछ करने का मन कर रहा था लेकिन फिर भी वह एकदम शांत पता क्योंकि वह जानता था कि इस तरह से बीच में कुद पडना अच्छा नहीं है,,,,,,।




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उसके पिताजी और वह बदमाश बड़े बेसब्री से कमला के आने का इंतजार कर रहा था,,, एक तरफ जहां उन दोनों की बातों को सुनकर सूरज को गुस्सा आ रहा तुम्हारी दूसरी तरफ दोनों की बातों से उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर भी उठ रही थी,,, और वह भी बड़ी बेचैनी से कमला के आने का इंतजार कर रहा था,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था गोदाम के बाहर भी अंधेरा ही था,,,, लेकिन फिर भी सूरज को सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि वह दोनों के बेहद करीब ही था तभी उसके पिताजी बोले,,,।

चल गोदाम में चलकर इंतजार करते हैं,,,, और शराब पीना शुरू करते हैं,,,,,,।

हां तु ठीक कह रहा है उसके आते आते नशा भी होने लगेगा,,,,,,,,,।


ला बोतल मुझे दे और तू दरवाजा खोल,,,,,,(इतना कहकर भोला अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और कल मुस्कुराता हुआ अपने हाथ में लाए हुए दो बोतल को भोला को थमा दिया,,,, और खुद दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ गया गोदाम काफी बड़ा नजर आ रहा था और उसका दरवाजा भी काफी बड़ा था ऐसा लग रहा था कि अनाज का गोदाम है,,,, सूरज अपने मन में उसको धाम के बारे में सोच रहा था उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे उसे गोदाम को लेकर की यह गोदाम है किसका किसी आम इंसान का तो हो नहीं सकता इतना बड़ा गोदाम किसी रईस का ही है,,,,.

सूरज का अपने मन में इतना सोचा था कि कल आगे बड़ा और दरवाजे पर लगा ताला खोलने के लिए अपनी धोती में टटोलने लगा,,, और जल्द ही धोती में भरी हुई चाबी उसके हाथ में लग गई और उसे चाबी को धोती में से खोलकर उसे चाबी को अपने होठों से लगाकर उसे पर चुंबन करते हुए ताले के पास पहुंच गया और उसे खोलते हुए बोला,,,।

जय हो राजा साहब की,,,,, उनकी बदौलत ही हम यहां पर अैयाशी करते हैं,,,, और यह अनाज का गोदाम उनकी अय्याशी का अड्डा ही है जब उनका मन होता है तब वह यहां पर आते हैं और मुझे नहीं नहीं औरतें लाने के लिए बोलते हैं और उसके बदले में ढेर सारे पैसे भी देते हैं एक तरह से मैं राजा साहब का एकदम खास हूं तभी तो उन्होंने भेजी जाए कितने बड़े गोदाम की चाबी और उसकी रखवाली करने के लिए मुझे जिम्मेदारी दे दीए है,,,।(ताला खोलने हुए कल्लू बोला,,, और उसकी बात सूरज एकदम ध्यान से सुन रहा था वह समझ गया था कि किसी राजा साहब की ही गोदाम है,,,,, और धीरे-धीरे बड़े से दरवाजे को कल खोलने लगा पर देखते ही देखते दरवाजे को दोनों तरफ से खोल दिया,,,, गोदाम का दरवाजा खुलते ही भोला बोला,,,,)


यार तेरे राजा साहब तो सही में दिलदार हैं,,,, अब तो तुझे पैसे की कमी नहीं होती होगी,,,।

बिल्कुल भी नहीं जब मांगो तब पैसा मिल जाता है तभी तो तुझे इतना ऐश करा रहा हूं,,,,।

तब तो तु मुझे भी मिलाना अपने राजा साहब से,,,।

बिल्कुल तुझे तो मिलना ही पड़ेगा तू तो मेरा खास है,,,। चल अब अंदर चल कर बैठते हैं,,,,।

(उसका इतना कहना था कि सूरज के पिताजी भी उसके पीछे-पीछे गोदाम में प्रवेश करने लगे,, और देखते ही देखते दोनों गोदाम में प्रवेश कर चुके थे,,,, सूरज को बड़ी बेसब्री से इंतजार था अब कमला को देखने का,,,,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी और वह बदमाश कल गोदाम में प्रवेश कर चुके थे दरवाजा अभी भी खुला था जिसे वह दोनों कमला के आने के लिए ही खोल रखे थे,,,,,, और सूरज जानता था कि कमला के आते ही वजह से ही गोदाम में प्रवेश करेगी गोदाम का दरवाजा भी बंद हो जाएगा और वह कुछ देख नहीं पाएगा और इसलिए वह अपने मन में सोच रहा था कि उसके आने से पहले उसे भी गोदाम के अंदर चले जाना चाहिए ताकि वह सब कुछ देख सके,,, इसलिए वह चोरी चुपके धीरे-धीरे आगे बढ़ा और देखते ही देखते वह भी गोदाम के दरवाजे तक पहुंच गया वह चोरी से अंदर की तरफ देखा तो गोदाम काफी बड़ा था और अंदर जगह-जगह पर घास का ढेर पड़ा हुआ था कुछ अनाज की बोरियां भी थी और ढेर सारा कबाड़ भी था,,,।

पहले तो सूरज को इन सब के सिवा उसके पिताजी और कल्लु नजर नहीं आ रहे थे,,, सूरज चारों तरफ नजर घुमा कर देख रहा था तभी दोनों के हंसने की आवाज आई और सूरज कोने की तरफ देखने लगा तो वहां पर ढेर सारी घांस बिछी हुई थी,,, ढेर सारी घास को देखकर सूरज समझ गया कि इसी घास पर दोनों अय्याशी करते हैं,,, और मौका देखकर वह भी जल्दी से गोदाम में प्रवेश कर गया और एक जगह पर जाकर चुप किया जहां पर उन दोनों की नजर नहीं पहुंच सकती थी अंदर लालटेन चली हुई थी और चारों तरफ अंधेरा था लेकिन जहां लालटेन जली हुई थी वहीं पर दोनों बैठकर शराब पी रहे थे और वहां पर काफी रोशनी थी जिसे सूरज को भी वहां देखने में आसानी हो रही थी और जिस जगह पर वहां छिपा हुआ था वहां पर काफी अंधेरा था जहां पर किसी के भी द्वारा देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी,,,,।

देखते ही देखते दोनों शराब की बोतल खाली करने लगे लेकिन अभी तक कमल का अता-पता नहीं था इसलिए शराब के नशे में सूरज के पिताजी बोले,,,।

यार कल्लु कहीं कमला किसी दूसरे को तो अपनी बुर नहीं दे रही है,,,।

यार मुझे भी अब चिंता हो रही है काफी देर हो गई है कमला मादरचोद आई नहीं,,,,(कल्लु भी शराब को एक साथ में गटकते हुए बोला,,, दोनों की बातों को सुनकर सूरज को भी चिंता होने लगी की कही सही में कमला आज की रात नहीं आई तो उसकी मेहनत पानी में फिर जाएगी,,, इसलिए उसे भी चिंता होने लगी लेकिन तभी दूर से पायल की छन-छन की आवाज आने लगी,,,,,,, जिसे सुनकर सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा उसे एहसास होने लगा था कि कमला आ रही है,,,, लेकिन दोनों इतनी शराब में मस्त हो चुके थे कि उन्हें किसी भी तरह की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी इसलिए वह लोग आपस में बड़बड़ा रहे थे लेकिन तभी दरवाजे पर कमल पहुंच चुकी थी और उसको देखते ही सूरज का भी मुंह खुला का खुला रह गया था,,,,।)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है कल्लू ने जब से सुनैना को नदी में नहाते देखा है तब से वह उसको चोदने की फिराक में था इसलिए उसने भोला को अपने जाल में फंसाया और वह कामयाब भी हो गया उसने अपनी बीवी को भोला से चूदवाने के लिए साथ ही सुनैना को चोदने की हामी भरवा ली है भोला से ।लगता है कमला शानदार है जब ही सूरज का मुंह खुला का खुला रह गया
 
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सूरज के तन-बदन में आग लग रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से उसे अपने ही बाप की तहकीकात करनी पड़ेगी लेकिन अब तक उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था वह बिल्कुल अलग था धीरे-धीरे करके उसकी आंखों के सामने उसके पिताजी की सच्चाई उजागर होती चली जा रही थी वरना वह अपने मन में अपने पिताजी के प्रति कभी गलत भावना नहीं लाया था वह यही जानता था कि उसके पिताजी एक अच्छे इंसान है संस्कारी और परिवार की देखरेख करने वाले लेकिन धीरे-धीरे उसकी यह सोच उसकी यह धारणा बदलती जा रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि यह सब कल्लू की संगत का ही नतीजा है,,, वरना उसके पिताजी ऐसे कभी नहीं थे। सूरज भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी और वह कल्लू किसी औरत के इंतजार में शराब गट गटा रहे थे,,,,।




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अब तो सूरज भी देखना चाहता था उसे औरत को जिसके लिए उसके पिताजी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर महीनो से मुंह मार रहे थे,,, रात पूरी तरह से छा चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था और वैसे भी यह जगह बस्ती से काफी दूरी पर थी,, इसलिए किसी भी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बस रह रहकर कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी,, गोदाम का दरवाजा खुला हुआ था,, जितनी बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार उसके पिताजी और वह कल्लू कर रहे थे,, सबसे ज्यादा बेसब्री से उसे कमला नाम की औरत का इंतजार सूरज कर रहा था सूरज देखना चाहता था कि आखिरकार वह औरत देखने में है कैसी जिसके चलते एक हंसता खेलता घर बिखरने के कगार पर आ गया है,,,।




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कुछ ही देर में तीनों की बेसब्री खत्म होने को आ गई थी क्योंकि दूर से ही पायल की आवाज आ रही थी जो की धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थी पायल की आवाज को सुनकर सूरज पूरी तरह से अपनी नजरों को गोदाम के दरवाजे पर टिकाए बैठा था,,,, सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पायल की आवाज एकदम करीब आते जा रही थी और देखते ही देखते,, कमला एकदम गोदाम के दरवाजे पर पहुंच गई,, उसे पर नजर पड़ते ही सूरज उसे देखता ही रह गया,,, उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, और वह मुस्कुराते हुए गोदाम के अंदर प्रवेश कर गई,,, गोदाम के दरवाजे पर जैसे ही सूरज की नजर उसे पर पड़ी थी,,, सूरज पल भर के लिए सब कुछ भूल गया था,,, पल भर के लिए उसकी नजर उसके खूबसूरत चेहरे से हट ही नहीं रही थी,,।




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सूरज की नजर उसके खूबसूरत चेहरे से होते हुए उसकी दोनों चूचियों पर गई जो की ब्लाउज में कसी होने के कारण उसका आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल-गोल नजर आ रहा था,,, दरवाजे पर लालटेन की रोशनी पहुंच रही थी इसलिए सूरज सब कुछ साफ-साफ देख लिया था उसकी मदहोश कर देने वाली चूचियों को देखकर खूबसूरत के मुंह में पानी आने लगा था और वह जैसे-जैसे आगे बढ़कर उन दोनों के सामने जाकर खड़ी हुई तो ऐसे में सूरज की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी जो कि कई हुई साड़ी में गजब का कहर ढा रही थी,,,, कुछ पल के लिए सूरज अपने जीवन में आने वाली सारी औरतों को भूल चुका था इस समय उसकी आंखों के सामने केवल सबसे खूबसूरत और जवानी से भरी हुई कमला ही थी,,,, उसके हाथ में एक छोटी सी पोटली थी और उसे पोटली को देख कर सूरज समझ गया था कि उसमें बनी हुई मछली है,,,।




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कमला को देखते ही सूरज के पिताजी बोले,,।

कहां रह गई थी कमल तेरे इंतजार में कितनी बार लंड खड़ा होकर के ढीला पड़ गया,,,(शराब की बोतल को मुंह से लगाए हुए सूरज के पिताजी बोले और उसकी बात सुनकर कल्लू बोला,,)

बात तो तू सही कह रहा है यार लेकिन अब आ तो गई है ना,,,, अब इसका नाश करेंगे,,,(हाथ मिली हुई बोतल को नीचे रखते हुए कल्लू बोला,,)

आप क्या करूं दो बच्चों को खाना बना कर खिला कर सुलाना पड़ता है अब उन्हें इस तरह से छोड़कर तो नहीं आ सकती ना,,,,(नीचे जमीन पर बैठते हुए कमला बोली)



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चल कोई बात नहीं रानी तू आ गई यही बहुत है एक तो पेट में चूहा भी दौड़ रहे थे और टांगों के बीच का मुन्ना भी भूख से चिल्ला रहा था,,,(कमल के गलो पर हथेली से सहलाते हुए सूरज के पिताजी बोले,,,)

अब मैं आ गई हूं ना दोनों की भूख मिटा दूंगी,,,(कपड़े की पोटली को खोलते हुए कमला बोली,,, और कल पीछे दीवाल का सहारा लेकर एकदम आराम से बैठते हुए बोला,,,)

कमला मेरी जान बगल के गांव में तू रहती है चाहते तो तेरे गांव में आकर तेरे घर में घुसकर तेरी चुदाई करते,,, लेकिन मैं अच्छी तरह से जानता हूं इसमें तेरी बदनामी है गांव में तो बदनाम हो जाएगी गांव वालों को क्या फर्क पड़ता है और वैसे भी मेरे होते हुए तुझे,, तेरे पति की कमी कभी भी महसूस नहीं होने दिया हूं तेरा खर्चा मैं ही उठाता हूं,,, और जब से भोला मिला है तब से यह भी तेरा खर्चा उठाता है,, मुझे मालूम है कि बिना पति के जीवन गुजारना कितना मुश्किल हो जाता है,,,। भला हो राजा साहब का क्यों उनके चलते हम तीनों का काम चल रहा है,,, वैसे एक बात बता,,, राजा साहब के वहां जाती है कि नहीं,,,।




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राजा साहब लगता है कि तुम्हें एक दिन की भी छुट्टी देंगे रोज बुलाते हैं रोज लेते हैं,,,।
(कमल की बात सुनकर एकदम से हंसते हुए भोला बोला,,,,)

तुम्हारा राजा साहब एकदम रंगीन मिजाज का है वैसे तो मेरी मुलाकात अभी तक हुई नहीं है लेकिन राजा साहब से मिलने का मेरा भी मन करता है मैं भी तो देखूं राजा साहब दिखने में कैसा है,,, जो इतने रंगीन मिजाज का है कि,, अययास करने के लिए,, मेरे दोस्त को इतना बड़ा गोदाम भेंट में दे दिया है,,,।

सच कह रहा है भोला तू,,,, यह गोदान राजा साहब के ऐश के लिए ही है,,, लेकिन कुछ दिनों से यहां पर उनका आना हो नहीं रहा है लगता है की मालकिन मायके गई है और वह अपने कोठी पर ही बुलाकर चुदाई का कार्यक्रम निपटा रहे हैं क्यों कमला सहीकह रहा हूं ना,,,।




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बिल्कुल सही कह रहे हो,,,, रोज जाना पड़ता है सुबह को शाम को राजा साहब के लिए तो अब मैं किसी दवा की तरह हो गई हूं जो दोनों समय लेना जरूरी होता है,,,(अपने हाथों से मछली और रोटी परोसते हुए कमला बोली,,,

उन लोगों की बातचीत सुनकर सूरज इतना तो समझ ही गया था कि कमला का पति नहीं था और उसे गुजर बसर करने के लिए इस तरह का काम करना पड़ रहा है मजबूरी में ही सही वह किसी भी तरह से अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है और यह देखकर पल भर के लिए उसे अपनी मां का ख्याल आ गया सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर वाकई में उसके पिताजी घर पर कभी ना आए तो कहीं उसकी मां का भी हाल ऐसा ना हो जाए वह भी मजबूरी में किसी दूसरे के आगे अपनी टांगें ना खोल दे,,, अपने मन में ऐसा ख्याल आते ही अपने मन में उठ रही शंका को खुद ही दूर करते हुए अपने आप से ही बोला,,,।




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नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता उसके होते हुए तो ऐसा कभी नहीं हो सकता घर को चलाने के लिए उसकी मां को कभी भी ऐसा काम नहीं करना पड़ेगा,,,, और अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह फिर से अपनी आंखों को कमला और कमला के इर्द गिर्द टिका दिया,,,, तीनों बातें करते हुए मछली और रोटी का आनंद ले रहे थे यह नजारा देखकर के सूरज को भी भूख का एहसास होने लगा क्योंकि वह बिना कुछ खाए अपने पिताजी के पीछे-पीछे यहां तक आ गया था इसलिए उन तीनों को खाना खाते देखकर उसे भी भूख लगने लगी थी तीनों खाना खा रहे थे और एक दूसरे से मजाक मस्ती भी कर रहे थे सूरज अपने पिताजी की हरकत को देख रहा था जो की निवाला मुंह में डालकर बार-बार अपने हाथ से कमल की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही दबा दे रहा था,,,, और यही हरकत कल्लू भी कर रहा था,,, वह दोनों इतने जोर से चूची दबाते की कमला के मुंह से रह रहकर दर्द भरी शिसकारी फूट पड़ती,,,,।




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अपने पिताजी और कल्लू की हरकत को देखकर सूरज का लंड खड़ा होने लगा था,,, उसके पिताजी अपने हरकत को जारी रखते हुए मछली और रोटी का आनंद लेते हुए उसके कंधे से साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिए थे और उसकी छाती एकदम से उजागर हो गई थी वह जिस तरह से बैठी हुई थी सूरज को उसके एक तरफ का भाग दिख रहा था और साड़ी का पल्लू हटते हैं लालटेन की पीली रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूची एकदम से पके हुए पपाया की तरह ब्लाउज में कसी हुई नजर आने लगी जो कि एकदम नुकीली लग रही थी,,,। और वह बेझिझक खाने का आनंद ले रही थी उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई मर्द उसके साथ क्या कर रहा है,,, और ऐसा तभी हो सकता है जब एक औरत किसी मर्द को बड़ी अच्छी तरह से जानती हो और उसके साथ इस तरह की हरकत बार-बार कर चुकी हो इसीलिए तो उसकी आंखों में शर्म नजर नहीं आ रही थी वह एकदम बेशरम बनी हुई थी,,,।




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भोला की हरकत को देखकर कल्लू बोला,,,।

तुझसे बिल्कुल भी सबर नहींहोता,,,अरे पहले आराम से खाना तो खा ले उसके बाद जी भर कर कमला की चुदाई करेंगे,,, क्यों कमला रानी सही कह रहा हूं ना,,,।

बिल्कुल सही कह रहे हो,,, भोला तो राजा साहब से भी एक कदम आगे है,,, राजा साहब तुम एकदम आराम से आनंद लेते हुए चुदाई का मजा लेते हैं,, लेकिन तुम्हारे मित्र हैं कि इधसे तो बर्दाश्त ही नहीं होता,,, इनका बस चले तो खाते-खाते चुदाई करें,,,,(निवाला मुंह में डालते हुए कमला बोली)

सही कह रही हो कमला रानी मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता,,, तुम क्या जानो कितनी बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं,,, देखो तो सही मेरी हालत,,( बैठे-बैठे ही अपने पजामे में से अपने खड़े लंड को बाहर निकालते हुए,,,) इस पर तो तरस खाओ मेरा बस चले तो तुम्हें इस पर बिठाकर तुम्हें अपने हाथों से खाना खिलाउं,,,,।
(हाथ में निवाला लिए हुए कमला सूरज के पिताजी के लंड की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली ,)




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हाय दइया तुम्हारे में तो सच में सबर नाम की कोई चीज नहीं है,,,, तुम कहते हो तो,,,(इतना कहने के साथ ही मुस्कुरा कर अपनी जगह से हल्के से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उठाई और सीधा जाकर बिना साड़ी उठाए हुए अपनी भारी भरकम गांड को सूरज के पिताजी के लंड पर रख दी और बैठ गई,,, यह देखकर कल्लू मुस्कुराते हुए बोला,,)

यह हुई ना बात,,, सच में जब से भोला मेरा मित्र बना है तब से हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करते हैं,,, अब तो आदत सी बन गई है अकेले तुझे चोदने में मजा ही नहीं आता,,,,।





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अब मुझे भी अकेले मजा नहीं आता जब तक तुम दोनों साथ में नहीं होते हो तब तक मेरी बुर की खुजली मिटती नहीं है,,,(इतना सुनकर भोला अपने हाथ से निवाला बनाया और कमला को खिलाने लगा और कमल भी अपना मुंह खोलकर उसके हाथ से खाना खाने लगी,,, सूरज यह सब अपनी आंखों से देख रहा था उस कमला की बेशर्मी देख कर तो उसके भी पसीने छूट गए थे,,, वह कमला की बेशर्मी को देखता ही रह गया था,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और जिस तरह से कमला ने हरकत की थी उसे बारे में तो उसने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी सोच के विपरीत कमला ने पूरी तरह से बेशर्मी भरी हरकत की थी जिसे साफ तरह से जाहिर हो रहा था कि वह कितनी बड़ी बेशर्म औरत थी एकदम रंडी,,,।




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लेकिन उसकी हरकत को देखकर सूरज का लंड भी एकदम ताव में आ गया था,,, सूरज समझ गया था कि यह कितनी बेशर्म औरत है और ऐसे माहौल में चुदवाते समय वह एकदम रंडी बन जाती है तभी तो मर्द पूरी तरह से उसे पाने के लिए पागल हो जाता है जैसा कि उसके पिताजी,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर सूरज को मन ही मां अपने पिताजी से नफरत हो रही थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी उसकी मां के साथ कभी भी इस तरह का बर्ताव नहीं किए होंगे भले ही चार दिवारी के अंदर लेकिन इस तरह की हरकत कभी भी उसकी मां नहीं कर सकती,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां इतनी बेशर्म नहीं बन सकती तभी तो उसके पिताजी इस तरह का सुख ढूंढने के लिए बाहर घूम रहे हैं,,,।




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सूरज अभी तक तीन औरतों के संपर्क में आ चुका था मुखिया की बीवी उसकी लड़की और सोनू की चाची और सोनू की चाची के साथ अभी तक उसका शारीरिक मिलन नहीं हुआ था लेकिन दो औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था मुखिया की बीवी भी पूरी तरह से बेशर्म थी लेकिन कमल की बेशर्मी को देखकर मुखिया की बीवी की बेशर्मी फीकी लगने लगी थी वह तो चार दिवारी के अंदर किसी गैर मर्द की आंखों के सामने इस तरह की हरकत करने को कभी भी तैयार नहीं होती भले ही मुखिया की बीवी चुडक्कड़ थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं की थी,,,, और मुखिया की लड़की के साथ भी उसका दैहीक संबंध बन चुका था लेकिन उसकी शुरुआत का दौर था इसलिए उसकी बेशर्मी इस कदर अभी बड़ी नहीं थी जो कुछ भी करना होता था सूरज को ही करना पड़ता था,,।





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लेकिन अभी का नजारा देखकर सूरज समझ गया था कि मर्द को तभी मजा आता है जब एक औरत पूरी तरह से रंडी बनकर मजा देती है। वह भी तो अपनी संपर्क में आई औरतों के साथ यही चाहता था और उन्हें खुलकर मजा भी देता था इसीलिए उसके पिताजी एक रंडी का सुख भोगने के लिए ही अपना घर परिवार छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़े हैं और वह औरत भी तो उन्हें वही सुख दे रही थी जैसा कि उन्हें चाहिए था वैसे हालत में एक मर्द घर छोड़कर बाहर सुखना ढूंढे तो और क्या करें,,, सूरज अपने मन इस तरह का ख्याल आ रहा था और इस बारे में बड़ा गौर भी कर रहा था इसलिए कुछ पल के लिए उसे अपने पिताजी की हरकत नाजायज नहीं लग रही थी क्योंकि जिस तरह से कमला बेशरम बनकर उसके खड़े लंड पर बैठकर खाना खा रही थी वाकई में यह है बेशर्मी की सारी हदों को पार कर चुकी थी और इस नजारे को देखकर किसी का भी लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो जाए,,,।

इस नजारे को देख कर देखने वाले की हालत तो खराब हो ही जाएगी लेकिन जो यह पल महसूस कर रहा होगा जो यह सुख भोग रहा होगा उसकी क्या दशा होती होगी यह सोचकर ही सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज बड़ी गौर से उसे नजारे को देख रहा था कमला उसके पिताजी की गोद में बैठी हुई थी और खड़े लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसके पिताजी बड़ी-भारी से निवाला अपने मुंह में डालते थे और फिर निवाला उसके मुंह में डालते थे,,, इस समय वह मादकता भरा सुख भोग रहे थे,,, पेट की भूख के साथ-साथ अपने तन की भी भूख मिटाने में लगे हुए थे जिसमें पूरा सहयोग कमला दे रही थी,,,। पल भर के लिए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वह होता तो कितना मजा आता अब तक तो उसका लंड साड़ी फाड़ कर उसकी बुर में घुस गया होता,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,,।


बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा मैं इस तरह से कभी भी मछली रोटी खाने का सुख नहीं प्राप्त की थी जिस तरह का सुखी समय मुझे मिल रहा है,,, तुम्हारा लंड बहुत चुभ रहा है,,, मेरे राजा,,,( भोला के लंड पर बैठकर कसमसाते हुए कमला बोली,,,,,, सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था की कमला उसके पिताजी के लंड की चुभन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी,,,। लेकिन फिर भी उसका पूरा आनंद ले रही थी,,, और कमला की हरकत को देखकर उसकी कसमसाहट को देखकर सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर ऐसी औरत बिस्तर पर हो तो सच में मजा आ जाए,,, कमला को आनंदित होता हुआ देखकर सूरज के पिताजी,, ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोले,,,,)

तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है,,,।

यह सब तुम्हारी हाथों का करामात है तुमने ही दबा दबा कर इसे ज्यादा बड़ा कर दिया है,,,,(कमला मुस्कुराते हुए बोली और उसे मुस्कुराता हुआ देख कर कल्लू बोला,,,)

सही कह रही हो कमला रानी यह मेरे दोस्त के हाथों का जादू है उसकी करामात है जो तुम्हारी चूची को सही आकार दिया है तुमसे प्यार करने लगा है मेरा दोस्त वरना इतनी बड़ी चूची तो इसकी बीवी की भी नहीं है,,, हमारी भाभी के भी तुमसे छोटी ही चूची होगी तो अंदाजा लगा लो कि मेरा दोस्त तुमसे कितना प्यार करता है क्योंकि यह प्यार का ही नतीजा है जो इतना आकार उसका बढ़ चुका है,,,,(कल्लू भोले के नशे और उसकी मदहोशी का पूरा फायदा उठाते हुए बीच में उसकी बीवी का जिक्र कर रहा था वह देखना चाहता था कि इस हालत में वह अपनी बीवी के बारे में इस तरह की बातों को सुन सकता है कि नहीं और यह सुनकर सूरज को भी गुस्सा आ रहा था कि एक बदमाश उसकी मां के बारे में इस तरह की बातें कर रहा है,,, उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए भोला बोला,,,)

तू सही कह रहा है कल्लू ,, मेरी कमला रानी से मेरी बीवी की तुलना हुई नहीं सकती मेरी बीवी तो इसके पैर के बराबर भी नहीं है,,, तभी तो मैं पूरा सुख मेरी कमला रानी को देताहूं,,, क्यों मेरी जान मेरे साथ मजा तो आता है ना,,,(उसके गालों पर चुंबन करते हुए भोला बोला,,, तो मुस्कुराते हुए कमला बोली,,)

तुम दोनों के साथ मजा नहीं आता तो मैं यहां पर नहीं आती,,,, पति के जाने के बाद कल्लू और फिर तुम ही तो हो जिसके सहारे में,, जी रही हूं पेट की आज के साथ-साथ तन की भी आग को बुझाना बहुत जरूरी होता है,,, तुम दोनों का लंड से मेरी बुर में जाता है तो मैं सब कुछ भूल जाती हूं,,,,।

चिंता मत करो रानी आज सुबह तक तुम्हारी ऐसी चुदाई करेंगे कि लंगड़ा कर अपने घर जाओगी,,,(भोला फिर से जोर से उसकी चूची दबाते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर कमला बोली,,)

नहीं नहीं मेरे राजा इतनी बेरहमी से मेरी चुदाई मत करना कि सुबह सबको पता चल जाए की रात भर चुदवा कर आई है।(सूरज के पिताजी के हाथ से निवाला अपने मुंह में लेकर खाते हुए बोली).

सूरज सब बातों को सुन रहा था उसकी भी हालत खराब हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसके पिताजी ने कमला की चूचियों की तारीफ किए थे उस तारीफ को सुनकर सूरज को गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत पूरे गांव में कोई नहीं थी और उसके जैसे बदन की बनावट भी किसी दूसरी औरत की नहीं थी भले ही कुछ पल के लिए सूरज कमल को देखकर मंत्र मुग्ध हो गया था,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास था कि उसकी मां की जवानी के आगे कमल की जवानी पूरी तरह से फीकी थी भले ही कमला पूरी तरह से मजा देती हो लेकिन उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत नहीं थी,,,, इसलिए अपने पिताजी के मुंह से किसी और औरत की खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था,,,,।

इस बात को वह अच्छी तरह से मानता था की जिस तरह से बिस्तर पर खुलकर कमला मजा देती है,, लेकिन उसकी मां शर्म के मारे और अपने संस्कारों के वजह से खुलकर एक रंडी की तरह अपने पति को सुख ना देती हो लेकिन खूबसूरती के मामले में वह कमला से एक कदम आगे ही थी,,,,,,,, सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था देखते ही देखते तीनों खाना खा चुके थे और अब चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला था,,,,, इससे पहले वह केवल अपनी मां की ही चुदाई देखा था अपने घर में,, वह उसके जीवन की पहली चुदाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देखा था और वह भी अपनी मां की,, जोकि उसके पिताजी से ही चुदवा रही थी,,,, आज भी उसके पिताजी ही थे लेकिन उसके साथ उसकी मां नहीं थी बल्कि एक दूसरी औरत थी कमला,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है कमला के चक्कर में भोला ने अपने घर को छोड़ दिया है कमला को देखकर तो सूरज की भी हालत खराब हो गई है
 
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