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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Ek number

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अगली सुबह वर्षा किचन में नाश्ता बना रही थी और अनुराग उसके बच्चे के साथ ड्राइंग रूम में टीवी देखते हुए खेल रहा रहा था। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा ने आवाज लगाते हुए कहा - पापा देखिये लगता है बुआ आ गईं।
अनुराग उठकर दरवाजे पर पहुंचा। खोलते ही देखा सामने रूबी और उसका पति रितेश खड़ा था। अनुराग को देखते ही दोनों ने झुक कर उसके पैर छुए। अनुराग को खुश होना चाहिए था पर वो शॉक में था। पर उसने खुद को संभाला और आषीर्वाद देने के बाद बगल में प्रैम में लेते बच्चे को उठाता हुआ बोला - आखिर तुम लोगों को मेरी याद आ ही गई। मेरे नाती को मेरे पास लेकर आई तो सही ।
रितेश - पापा , आना तो था। कुछ दिन बाद का प्लान था। पर इसने कल जिद्द लगा ली की आज आएगी।
रूबी - आप सबकी बहुत याद आ रही थी। मन नहीं माना तो जबरजस्ती लेकर आ गई और आप कह रहे हैं याद नहीं आती।
अंदर से वर्षा ने आवाज दी - पापा कौन है ?
रूबी ने उसे चुप रहने का इशारा किया और धीरे से जाकर वर्षा के पीछे से उसके आँख पर हाथ रख दिया।
वर्षा- बुआ , ये बुढ़ापे में कौन सा नया खेल चालु किया है ?
रूबी ने उसके कान में धीरे से कहा - बुआ के साथ कौन कौन सा खेल खेल रही हो दीदी ?
वर्षा चौंकाते हुए बोली - अरे तुम।
वो पलट गई और दोनों बहने गले लग गईं। भावनाओ का ज्वार फूटा और दोनों वहीँ रोने लगीं। काफी दोनों बाद इस तरह से मिल रही थी।
उन दोनों को वहीँ रोते देख अनुराग के आँख में भी आंसू आ गए। पर खुद को सँभालते हुए उसने कहा - अरे भाई , ऐसे मिलने पर कौन रोता है ?
वर्षा - पापा ये ख़ुशी के आंसू हैं। इतने दिनों बाद इस पगली से मिल रही हूँ।
वर्षा और रूबी बाहर आ गई। वर्षा को देख कर रितेश उसके पैर छूने के लिए झुका तो वर्षा पीछे हट गई। बोली - अरे ये क्या कर रहे हैं। आप बैठिये। उसे लगा रितेश उसे अजीब नजरों से देख रहा है। देखता भी क्यों नहीं। वर्षा ने एक स्लीवलेस नाइटी पहन रखी थी और अंदर कुछ भी नहीं था। वर्षा को ये एहसास हुआ तो उसने कहा - आप लोग बैठिये मैं आती हूं।
रूबी - बैठो न कहाँ जा रही हो ?
वर्षा ने इशारे से अपने कपडे की तरफ दिखाया और अपने कमरे में चली गई। अनुराग रूबी के बच्चे के साथ खेल रहा था। रितेश वर्षा के अंदर जाते ही निराश हो गया। रूबी ने अपनी केहुनी से उसके बगल में मारते हुए कहा - क्या हुआ जनाब , उम्म्मेदों पर पानी फिर गया ?
रितेश - चुप रहो।
दोनों मिया बीवी मुश्कुराने लगे।
कुछ देर में वर्षा एक अच्छे से सलवार सूट में बाहर आई। वो तुरंत किचन में गई और नाश्ते के इंतजाम में लग गई। अनुराग रितेश से उसके काम धंधे के बारे में बात करने लगा। रूबी वर्षा और अपने बच्चे के साथ खेलने लगी। वर्षा का बच्चा उनसे ज्यादा घुला मिला नहीं था तो उसे उससे दोस्ती करनी थी। कुछ देर बाद वर्षा ने रूबी को आवाज देकर बुलाया - रूबी , नाश्ता ले जा।
रूबी उसके पास पहुँच कर बोली - क्या दी। आते ही काम पर लगा दिया।
वर्षा - अच्छा रहने दे मैं लेकर आती हूँ।
रूबी - अरे मैं तो मजाक कर रही थी।
रूबी ट्रे में चाय नाश्ता लेकर पहुंची। वो जैसे ही ट्रे रखने को झुकी तो उसके सूट से सुकि घाटियां दिखने लगी। अनुराग की नजर वाहन गई तो कमर के निचे कुछ हलचल होने लगी। पर तुरंत उसने खुद को संभाल लिया। किचन से इधर की तरफ देखती वर्षा के होठो पर मुस्कान आ गई। उसने मन ही मन कहा - पापा अब तो सिर्फ देख कर ही काम चलाना पड़ेगा। मेरा भी और रूबी का भी।
रूबी ने फिर आवाज दिया - आप भी आओ न दीदी।
वर्षा भी आ गई। सब बातों में मसगूल हो गए। पर दो जोड़ी नजरे दो जोड़ी दूध भरे स्तनों को ताड़ने में लगे थे। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा उठते हुए बोली - लगता है बुआ आ गईं।
रूबी - आप बैठो मैं खोलती हूँ। रूबी उठ कर गई तो सच में बुआ थी पर अकेले नहीं थी साथ में शेखर भी था।
रूबी को देखते ही दोनों चौंक गए। पर खुद को सँभालते हुए लता ने उसे गले लगा लिया।
लता - तू कब आई ?
रूबी - अभी कुछ देर हुए।
फिर वो शेखरका पैर छूने ले लिए झुकी । उसके झुकने से शेखर की नजर उसके हाहाकारी स्तनों पर पड़ी। उसके कमर के निचे भी हलचल होने लगी। उसकी हालत देख लता ने उसे कहीं मारते हुए कहा - आशीर्वाद तो दीजिये लड़की को।
शेखर - हाँ हाँ। खुश रहो। बहुत दिनों बाद देखा है।
शेखर आशा लेकर आया था की आज उसे आखिर में वर्षा का दूध और चूत दोनों मिल जाएगा पर यहाँ मिला तो कुछ नहीं पर एक और दूध वाली ने उसे तड़पाने को आ गई है।
दोनों अंदर आये। रितेश ने दोनों के पैर छुए।
लता - बहुत दिनों बाद दामाद जी नजर आये हैं।
रूबी - अभी हॉस्पिटल में भी तो मिली थी।
लता - हॉस्पिटल में मिलना भी कोई मिलना होता है। अब एक आध हफ्ते खातिर करेंगे तब मन भरेगा।
रूबी - इनका मन तो आपके खातिर से कभी नहीं भरेगा। क्यों रितेश ?
रितेश हकलाता हुआ बोला - हम्म , पर मज़बूरी है। मुझे शाम को निकलना पड़ेगा। रूबी ने अचानक प्लान बना लिया तो मैं छुट्टी नहीं ले पाया। बड़ी मुश्किल से एक दिन की मिली है। मैं फिर बाद में आराम से एक हफ्ते के बाद आऊंगा।
लता दुखी होते हुए बोली - ये तो गलत बात है। वर्षा , रूबी , रोको इन्हे।
वर्षा - हां। रुक जाइये न रितेश जी।
रितेश उसकी तरफ देख कर बोला - आज नहीं पर अगली बार आप दोनों से अच्छी खातिर कराऊंगा।
रूबी - बड़े हैं दोनों। खातिर करनी पड़ेगी।
रितेश - हाँ हाँ।
सब हंसने लगे। रूबी की बातें सिर्फ लता और वर्षा को ही नहीं अनुराग को भी अजीब लग रही थी। पर अभी कुछ भी कहने सोचने के हालत में नहीं थे। पर शेखर की हालत बहुत ख़राब थी। रूबी को देख कर वो पागल हो रहा था। रूबी के स्तन वर्षा से भी बड़े थे। बल्कि लता से भी। उसका बदन बहुत भरा हुआ था। पूरा मांसल शरीर था । नई माँ बनी थी , एक्स्ट्रा चर्बी उतरी नहीं थी। पर शेखर को उसी में तो मजा आता था। पैट अफ़सोस ये नयनसुख भी उसके नसीब में ज्यादा नहीं था। रूबी ने आकर सबका खेल बिगाड़ दिया था।
वर्षा किचन में उन सबके लिए नाश्ता लाने चली गई। तभी दरवाजे पर फिर से घंटी बजी।
अनुराग - अब कौन आया है ?
रूबी - देखती हूँ
दरवाजा खोलते ही रूबी एकदम ख़ुशी से चीख पड़ी। सामने नैना खड़ी थी। दोनों ने एक दुसरे को गले लगाया।
नैना धीरे से - मानी नहीं। आ गई खेल बिगाड़ने।
रूबी - मैं सबको समय देना चाहती हूँ। जल्दीबाजी में कोई कदम ना उठे। सोच समझ कर सबकी मर्जी होनी चाहिए।
नैना - तू बड़ी चोर है। पापा की हालत देखी।
रूबी - हाँ , उनके सामने से तो थाली खींच ली है मैंने।
नैना - बच के रहना। ठरकी के सामने अब दो दो थाली है।
रूबी - थाली या थन।
दोनों हंसने लगी। लता बोली - वहीँ मिलकर विदा करेगी या अंदर आने देगी।
रूबी - उसी का घर है बुआ। उसे कौन रोक सकता है। मालकिन हैं मैडम।
रूबी बम फोड़े जा रही थी। सब समझ कर भी अनजान बने हुए थे। उसके मन की बात कोई नहीं जानता था। कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहता था क्योंकि रूबी के गुस्से से सब वाकिफ थे।
पूरा दिन हंसी ठहाके में गूंजा। बड़े दिनों बाद परिवार इकठ्ठा हुआ था। अनुराग मन ही मन सुलेखा को याद कर रहा था।
तभी लता बोल पड़ी - काश अवी और तृप्ति भी होते।
नैना - हाँ। मजा आ जाता।
रूबी - भाई ने कहा तो है आएगा। कोशिश कर रहा है लम्बी छुट्टी मिले तो आये।
अनुराग - हाँ मुझसे भी कह रहा था। पर कब आएगा पता नहीं।
सबको उदास होते देख नैना ने कहा - कोई बात नहीं। बाकी तो हैं। और चलिए उसको भी वीडियो कॉल पर ले लेते हैं।
अनुराग - अरे वो सब सो रहे होंगे।
नैना - नहीं। सुबह मेरी बात हुई थी। कुछ वर्क प्रेशर है। आजकल पूरी रात लगे रहते हैं।
उसने फ़ोन घुमा दिया। उसने सही कहा था। अवि और तृप्ति जगे हुए थे। फिर से ठहाको और मजाक का दौर चल पड़ा। इस मस्ती में कब दिन निकल गया पता ही नहीं चला। आखिर शाम को रितेश भी निकल गया। उसके कुछ देर बाद लता , शेखर और नैना भी। घर में रह गए सिर्फ तीन जन। रात अभी शुरू हुई थी। ये देखना दिलचस्प होगा अब आगे क्या होगा।
Fantastic update
 

tharkiman

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शाम को सबके जाने के बाद वर्षा, रूबी और अनुराग ड्राइंग रूम में बैठे थे। प्रैम में रूबी क बच्चा लेटा हुआ था। कुछ देर बाद उसने रोना शुरू कर दिया।
रूबी बोल पड़ी - ओह्ह , लगता है बाबू भूखा है। सुबह से इसे बोतल से ही दूध दिया है।
वर्षा - ओह्ह , बात चीत में बच्चों पर ध्यान ही नहीं गया। पीला दे उसे।
दोनों बहने अनुराग के मौजूदगी में ये बात कर रही थी। ये कोई बड़ी बात भी नहीं थी। पर अनुराग के लिए ये उत्तेजित करने वाली बात थी। सुबह से वो भी भूखा था। और उसे पता नहीं था कितने दिनों तक और भूखा रहना पड़ेगा।
रूबी उठी और बच्चे को उठाकर कमरे की ओर चल पड़ी। उसके पीछे पीछे वर्षा का बेटा भी चला गया।
उनके जाते ही अनुराग ने बच्चे सा मुँह बनाया और वर्षा को बोला - भूख तो मुझे भी लगी है।
वर्षा - चुप ही रहिये। अब तो आपको भूखा ही रहना पड़ेगा।
तभी कमरे से वर्षा का बेटा भागते हुए आया और बोला - मम्मा , मुझे भी भूख लगी है। दुद्धू दो न।
वर्षा - लीजिये , ये भी भूखे हैं।
उसका बेटा वहीँ उसके दुप्पट्टे को खींचने लगता है। पर वर्षा उठ कर बोली - चलो।
अनुराग - कहाँ जा रही हो ?
वर्षा - आप भूल गए घर में अब कोई और भी है।
अनुराग मन मसोस कर रह गया। वर्षा अंदर कमरे में चली गई जहाँ रूबी अपने बेटे को दूध पीला रही थी। उसने अपना कुरता एक साइड से उठा रखा था और बच्चे को दूध पीला रही थी।
वर्षा को देखते ही रूबी बोली - इन्हे भी पीना था।
वर्षा - हाँ। बड़े हो गए हैं पर इन्हे भी पीना है।
रूबी - बड़ों को पीने में ज्यादा मजा आता है।
वर्षा चौंक कर बोली - क्या मतलब ?
रूबी - अरे दीदी , इसके पापा को भी ~~~ कह कर रूबी चुप हो गई।
वर्षा हँसते हुए - ओह्ह। तभी तेरे इतने बड़े हो गए हैं। रितेश जी अब काफी कुछ मिस करेंगे।
रूबी - हाँ यार , मेरे कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए हैं। हर दम दूध भरा रहता है। बहुत दिक्कत होती है। संभाले नहीं संभाले जाते।
वर्षा - हाँ , दूध से भरे होने पर दिक्कत तो होती है। मुझे तो ब्रा पहनने में भी उलझन होने लगती है।
रूबी - मैं ब्रा ना पह्नु तो लगता है गिर जायेंगे। तुम संभल लेती हो बड़ी बात है। वैसे सुबह तुम्हे देख कर लगा की सिर्फ ब्रा ही नहीं पैंटी पहनने में भी दिक्कत होती है।
वर्षा - ओह्ह वो । यार रात को थोड़ा फ्री होने का मन करता है। सुबह उठकर अब कौन पहने।
रूबी ने आँख दिखाते हुए कहा - तभी पापा के सामने भी वैसे ही रह लेती हो।
वर्षा - अरे यार , पापा हैं। उन्होंने हमें हर हाल में देखा है। भूलो मत। इतना मत सोचो।
रूबी - हम्म।
वर्षा - तू घर में ऐसे रहती है ? अगर रितेश भी डिमांडिंग हैं तो तेरा टाइम तो पहनने उतरने में ही निकल जाता होगा।
रूबी - ही ही ही ही । दिक्कत तो है। कमरे में तो अक्सर टॉपलेस ही रहना पड़ता है। तुम भी तो अपने यहाँ वैसे ही रहती होगी।
वर्षा दुखी होते हुए - कहाँ। तेरे जीजा को कोई शौक ही नहीं है। किसी तरह ये बच्चा गोद में दे दिया है। बस।
रूबी - हाँ कुछ कुछ तो नैना भी कह रही थी। सब ठीक है न ?
वर्षा के आँखों में आंसू आ गए। उसके मुह से सिकियाँ निकलने लगीं।
रूबी - अरे दीदी , ये क्या ? चुप हो जाओ। तुम्हे दुखी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
वर्षा सिसकते हुए बोली - तेरी कोई गलती नहीं है। मेरी किस्मत ही ख़राब है। कोई क्या कर सकता है।
रूबी के बेटा सो चूका था। उसने उसे बिस्तर पैर लेटा दिया। वर्षा का बेटा उसके गोद से उतर गया और भाग कर ड्राइंग रूम में गया और अनुराग से बोला - नानू , मम्मा रो रही है।
अनुराग भाग कर कमरे में गया। उसने वर्षा को रोते देखा तो बोला - क्या हुआ ?
अनुराग को देख कर दोनों चौंक गईं। दोनों के कपडे तितल बितर थे। दोनों ने अपने कपडे ठीक किये।
वर्षा - कुछ नहीं हुआ। आप क्यों आ गए ?
अनुराग - बेटू ने कहा तुम रो रही हो मैं चला आया। क्यों रो रही हो।
रूबी - कुछ नहीं पापा। बस ऐसे ही दीदी के ससुराल की बात चली तो दीदी दुखी हो गई।
अनुराग समझ गया। उसे गुस्सा आए गया - उसके ससुराल की चर्चा क्यों छेड़ी । उन नालायकों की बात मत करना। मेरी फूल सी सुन्दर बेटी की कदर नहीं है उन्हें। हीरा मिला है उन्हें पर समझ नहीं सकते। मैं कुछ ही दिनों में सब फाइनल करने वाला हूँ। मैं अपनी बेटी को ुखी नहीं देख सकता।
अनुराग के इस रूप और इन बातों को सुन रूबी चौंक गई। उसे अंदाजा नहीं था की अनुराग को ये सब पता होगा। उसे ये तो बिलकुल ही उम्मीद नहीं थी की वो वर्षा को लेकर इतना पोजेसिव होंगे। उसे अनुराग के ऊपर बहुत प्यार आया। उसका मन किया वो जाकर लिपट जाए। पर अभी सही वक़्त नहीं थी।
पर इतना सुनकर वर्षा से नहीं रहा गया। वो अनुराग के सीने से लग गई। अनुरागे ने अपने बाँहों में उसे ले लिया। अनुराग का मन उसे चूमने का कर रहा था पर रूबी थी।
रूबी की आँख भी भर आई - सॉरी दीदी। मुझे माफ़ कर दो।
वर्षा ने रूबी को गले लगा लिया और बोली - अरे कुछ नहीं। तू क्यों बोल रही है।
अनुराग - चलो मैं अब सोने जा रहा हूँ। तुम दोनों भी सो जाओ।
अनुराग अपने कमरे में चला गया। उसे आज कोई उम्मीद नहीं थी। वर्षा ने खुद को संभाला और फिर कुछ देर के लिए बैठ गईं। माहौल बदलने के लिए दोनों ने बचपन की बातें शुरू कर दी। कुछ देर बाद दोनों ने कपडे बदल कर नाइटी पहन लिया। अबकी वर्षा ने अपने अंडर गारमेंट्स नहीं उतारे। सोने से पहले वर्षा बोली - मैं पापा को पानी और दूध देकर आती हूँ।
रूबी - मैं दे देती हूँ।
वर्षा - रहने दे। तू कल से दे देना।
रूबी - ठीक है।
वर्षा किचन में गई और एक ग्लास में दूध और एक जग में पानी लिया और अनुराग के कमरे में चल पड़ी।
अनुराग ने वर्षा को देखा तो बोला - तुम ठीक हो न ?
वर्षा - हाँ। आपका दूध और पानी लेकर आई हूँ।
अनुराग ने मुँह बनाते हुए कहा -आज तो बासी दूध पीना पड़ेगा। पता नहीं ये पचेगा भी की नहीं।
वर्षा - अब आपको इसी से काम चलना पड़ेगा। और हाँ और क्या कह रहे थे की मेरे ससुराल वालो से बात करूँगा ?
अनुराग - कुछ नही। उन सैलून को तेरी कोई क़द्र नहीं है। मैं उनको हड़काने वाला हूँ।
वर्षा अनुराग के गले लग गई और बोली - पापा मेरा वहां जाने का मन नहीं है।
अनुराग ने वर्षा को चूम कर कहा - मेरा भेजने का भी मन नहीं है। तू कहे तो तलाक की बात करूँ ?
वर्षा - नैना ? आप मुझे भी रखेंगे ?
अनुराग - नैना ने ही ये कहा है। वो तुझसे बात करेगी।
वर्षा चौंकाते हुए - अच्छा। वो पागल लड़की है।
अनुराग - सुलेखा जैसी है।
वर्षा - हमम। चलिए। इस बारे में बाद में बात करेंगे। आप दूध ले लीजियेगा। मैं चलूँ वार्ना रूबी पता नहीं क्या सोचेगी ?
अनुराग - अरे क्या सोचेगी ? एक बाप बेटी से बात नहीं कर सकता ? क्या मैं उससे बात नहीं कर सकता ?
वर्षा - अच्छा , आप बेटी से बात कर रहे हैं ? आप मेरे बाप नहीं रह गए हैं।
अनुराग चुप हो गया। फिर बोला - रात में आ जाना।
वर्षा - मैं वादा नहीं कर सकती। अगर नींद खुली और रूबी सोइ रही तो आ जाउंगी।
अनुराग - हम्म्म्म
वर्षा अपने कमरे में चली गई।
 
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