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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Motaland2468

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शाम को सबके जाने के बाद वर्षा, रूबी और अनुराग ड्राइंग रूम में बैठे थे। प्रैम में रूबी क बच्चा लेटा हुआ था। कुछ देर बाद उसने रोना शुरू कर दिया।
रूबी बोल पड़ी - ओह्ह , लगता है बाबू भूखा है। सुबह से इसे बोतल से ही दूध दिया है।
वर्षा - ओह्ह , बात चीत में बच्चों पर ध्यान ही नहीं गया। पीला दे उसे।
दोनों बहने अनुराग के मौजूदगी में ये बात कर रही थी। ये कोई बड़ी बात भी नहीं थी। पर अनुराग के लिए ये उत्तेजित करने वाली बात थी। सुबह से वो भी भूखा था। और उसे पता नहीं था कितने दिनों तक और भूखा रहना पड़ेगा।
रूबी उठी और बच्चे को उठाकर कमरे की ओर चल पड़ी। उसके पीछे पीछे वर्षा का बेटा भी चला गया।
उनके जाते ही अनुराग ने बच्चे सा मुँह बनाया और वर्षा को बोला - भूख तो मुझे भी लगी है।
वर्षा - चुप ही रहिये। अब तो आपको भूखा ही रहना पड़ेगा।
तभी कमरे से वर्षा का बेटा भागते हुए आया और बोला - मम्मा , मुझे भी भूख लगी है। दुद्धू दो न।
वर्षा - लीजिये , ये भी भूखे हैं।
उसका बेटा वहीँ उसके दुप्पट्टे को खींचने लगता है। पर वर्षा उठ कर बोली - चलो।
अनुराग - कहाँ जा रही हो ?
वर्षा - आप भूल गए घर में अब कोई और भी है।
अनुराग मन मसोस कर रह गया। वर्षा अंदर कमरे में चली गई जहाँ रूबी अपने बेटे को दूध पीला रही थी। उसने अपना कुरता एक साइड से उठा रखा था और बच्चे को दूध पीला रही थी।
वर्षा को देखते ही रूबी बोली - इन्हे भी पीना था।
वर्षा - हाँ। बड़े हो गए हैं पर इन्हे भी पीना है।
रूबी - बड़ों को पीने में ज्यादा मजा आता है।
वर्षा चौंक कर बोली - क्या मतलब ?
रूबी - अरे दीदी , इसके पापा को भी ~~~ कह कर रूबी चुप हो गई।
वर्षा हँसते हुए - ओह्ह। तभी तेरे इतने बड़े हो गए हैं। रितेश जी अब काफी कुछ मिस करेंगे।
रूबी - हाँ यार , मेरे कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए हैं। हर दम दूध भरा रहता है। बहुत दिक्कत होती है। संभाले नहीं संभाले जाते।
वर्षा - हाँ , दूध से भरे होने पर दिक्कत तो होती है। मुझे तो ब्रा पहनने में भी उलझन होने लगती है।
रूबी - मैं ब्रा ना पह्नु तो लगता है गिर जायेंगे। तुम संभल लेती हो बड़ी बात है। वैसे सुबह तुम्हे देख कर लगा की सिर्फ ब्रा ही नहीं पैंटी पहनने में भी दिक्कत होती है।
वर्षा - ओह्ह वो । यार रात को थोड़ा फ्री होने का मन करता है। सुबह उठकर अब कौन पहने।
रूबी ने आँख दिखाते हुए कहा - तभी पापा के सामने भी वैसे ही रह लेती हो।
वर्षा - अरे यार , पापा हैं। उन्होंने हमें हर हाल में देखा है। भूलो मत। इतना मत सोचो।
रूबी - हम्म।
वर्षा - तू घर में ऐसे रहती है ? अगर रितेश भी डिमांडिंग हैं तो तेरा टाइम तो पहनने उतरने में ही निकल जाता होगा।
रूबी - ही ही ही ही । दिक्कत तो है। कमरे में तो अक्सर टॉपलेस ही रहना पड़ता है। तुम भी तो अपने यहाँ वैसे ही रहती होगी।
वर्षा दुखी होते हुए - कहाँ। तेरे जीजा को कोई शौक ही नहीं है। किसी तरह ये बच्चा गोद में दे दिया है। बस।
रूबी - हाँ कुछ कुछ तो नैना भी कह रही थी। सब ठीक है न ?
वर्षा के आँखों में आंसू आ गए। उसके मुह से सिकियाँ निकलने लगीं।
रूबी - अरे दीदी , ये क्या ? चुप हो जाओ। तुम्हे दुखी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
वर्षा सिसकते हुए बोली - तेरी कोई गलती नहीं है। मेरी किस्मत ही ख़राब है। कोई क्या कर सकता है।
रूबी के बेटा सो चूका था। उसने उसे बिस्तर पैर लेटा दिया। वर्षा का बेटा उसके गोद से उतर गया और भाग कर ड्राइंग रूम में गया और अनुराग से बोला - नानू , मम्मा रो रही है।
अनुराग भाग कर कमरे में गया। उसने वर्षा को रोते देखा तो बोला - क्या हुआ ?
अनुराग को देख कर दोनों चौंक गईं। दोनों के कपडे तितल बितर थे। दोनों ने अपने कपडे ठीक किये।
वर्षा - कुछ नहीं हुआ। आप क्यों आ गए ?
अनुराग - बेटू ने कहा तुम रो रही हो मैं चला आया। क्यों रो रही हो।
रूबी - कुछ नहीं पापा। बस ऐसे ही दीदी के ससुराल की बात चली तो दीदी दुखी हो गई।
अनुराग समझ गया। उसे गुस्सा आए गया - उसके ससुराल की चर्चा क्यों छेड़ी । उन नालायकों की बात मत करना। मेरी फूल सी सुन्दर बेटी की कदर नहीं है उन्हें। हीरा मिला है उन्हें पर समझ नहीं सकते। मैं कुछ ही दिनों में सब फाइनल करने वाला हूँ। मैं अपनी बेटी को ुखी नहीं देख सकता।
अनुराग के इस रूप और इन बातों को सुन रूबी चौंक गई। उसे अंदाजा नहीं था की अनुराग को ये सब पता होगा। उसे ये तो बिलकुल ही उम्मीद नहीं थी की वो वर्षा को लेकर इतना पोजेसिव होंगे। उसे अनुराग के ऊपर बहुत प्यार आया। उसका मन किया वो जाकर लिपट जाए। पर अभी सही वक़्त नहीं थी।
पर इतना सुनकर वर्षा से नहीं रहा गया। वो अनुराग के सीने से लग गई। अनुरागे ने अपने बाँहों में उसे ले लिया। अनुराग का मन उसे चूमने का कर रहा था पर रूबी थी।
रूबी की आँख भी भर आई - सॉरी दीदी। मुझे माफ़ कर दो।
वर्षा ने रूबी को गले लगा लिया और बोली - अरे कुछ नहीं। तू क्यों बोल रही है।
अनुराग - चलो मैं अब सोने जा रहा हूँ। तुम दोनों भी सो जाओ।
अनुराग अपने कमरे में चला गया। उसे आज कोई उम्मीद नहीं थी। वर्षा ने खुद को संभाला और फिर कुछ देर के लिए बैठ गईं। माहौल बदलने के लिए दोनों ने बचपन की बातें शुरू कर दी। कुछ देर बाद दोनों ने कपडे बदल कर नाइटी पहन लिया। अबकी वर्षा ने अपने अंडर गारमेंट्स नहीं उतारे। सोने से पहले वर्षा बोली - मैं पापा को पानी और दूध देकर आती हूँ।
रूबी - मैं दे देती हूँ।
वर्षा - रहने दे। तू कल से दे देना।
रूबी - ठीक है।
वर्षा किचन में गई और एक ग्लास में दूध और एक जग में पानी लिया और अनुराग के कमरे में चल पड़ी।
अनुराग ने वर्षा को देखा तो बोला - तुम ठीक हो न ?
वर्षा - हाँ। आपका दूध और पानी लेकर आई हूँ।
अनुराग ने मुँह बनाते हुए कहा -आज तो बासी दूध पीना पड़ेगा। पता नहीं ये पचेगा भी की नहीं।
वर्षा - अब आपको इसी से काम चलना पड़ेगा। और हाँ और क्या कह रहे थे की मेरे ससुराल वालो से बात करूँगा ?
अनुराग - कुछ नही। उन सैलून को तेरी कोई क़द्र नहीं है। मैं उनको हड़काने वाला हूँ।
वर्षा अनुराग के गले लग गई और बोली - पापा मेरा वहां जाने का मन नहीं है।
अनुराग ने वर्षा को चूम कर कहा - मेरा भेजने का भी मन नहीं है। तू कहे तो तलाक की बात करूँ ?
वर्षा - नैना ? आप मुझे भी रखेंगे ?
अनुराग - नैना ने ही ये कहा है। वो तुझसे बात करेगी।
वर्षा चौंकाते हुए - अच्छा। वो पागल लड़की है।
अनुराग - सुलेखा जैसी है।
वर्षा - हमम। चलिए। इस बारे में बाद में बात करेंगे। आप दूध ले लीजियेगा। मैं चलूँ वार्ना रूबी पता नहीं क्या सोचेगी ?
अनुराग - अरे क्या सोचेगी ? एक बाप बेटी से बात नहीं कर सकता ? क्या मैं उससे बात नहीं कर सकता ?
वर्षा - अच्छा , आप बेटी से बात कर रहे हैं ? आप मेरे बाप नहीं रह गए हैं।
अनुराग चुप हो गया। फिर बोला - रात में आ जाना।
वर्षा - मैं वादा नहीं कर सकती। अगर नींद खुली और रूबी सोइ रही तो आ जाउंगी।
अनुराग - हम्म्म्म
वर्षा अपने कमरे में चली गई।
B
 

Motaland2468

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शाम को सबके जाने के बाद वर्षा, रूबी और अनुराग ड्राइंग रूम में बैठे थे। प्रैम में रूबी क बच्चा लेटा हुआ था। कुछ देर बाद उसने रोना शुरू कर दिया।
रूबी बोल पड़ी - ओह्ह , लगता है बाबू भूखा है। सुबह से इसे बोतल से ही दूध दिया है।
वर्षा - ओह्ह , बात चीत में बच्चों पर ध्यान ही नहीं गया। पीला दे उसे।
दोनों बहने अनुराग के मौजूदगी में ये बात कर रही थी। ये कोई बड़ी बात भी नहीं थी। पर अनुराग के लिए ये उत्तेजित करने वाली बात थी। सुबह से वो भी भूखा था। और उसे पता नहीं था कितने दिनों तक और भूखा रहना पड़ेगा।
रूबी उठी और बच्चे को उठाकर कमरे की ओर चल पड़ी। उसके पीछे पीछे वर्षा का बेटा भी चला गया।
उनके जाते ही अनुराग ने बच्चे सा मुँह बनाया और वर्षा को बोला - भूख तो मुझे भी लगी है।
वर्षा - चुप ही रहिये। अब तो आपको भूखा ही रहना पड़ेगा।
तभी कमरे से वर्षा का बेटा भागते हुए आया और बोला - मम्मा , मुझे भी भूख लगी है। दुद्धू दो न।
वर्षा - लीजिये , ये भी भूखे हैं।
उसका बेटा वहीँ उसके दुप्पट्टे को खींचने लगता है। पर वर्षा उठ कर बोली - चलो।
अनुराग - कहाँ जा रही हो ?
वर्षा - आप भूल गए घर में अब कोई और भी है।
अनुराग मन मसोस कर रह गया। वर्षा अंदर कमरे में चली गई जहाँ रूबी अपने बेटे को दूध पीला रही थी। उसने अपना कुरता एक साइड से उठा रखा था और बच्चे को दूध पीला रही थी।
वर्षा को देखते ही रूबी बोली - इन्हे भी पीना था।
वर्षा - हाँ। बड़े हो गए हैं पर इन्हे भी पीना है।
रूबी - बड़ों को पीने में ज्यादा मजा आता है।
वर्षा चौंक कर बोली - क्या मतलब ?
रूबी - अरे दीदी , इसके पापा को भी ~~~ कह कर रूबी चुप हो गई।
वर्षा हँसते हुए - ओह्ह। तभी तेरे इतने बड़े हो गए हैं। रितेश जी अब काफी कुछ मिस करेंगे।
रूबी - हाँ यार , मेरे कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए हैं। हर दम दूध भरा रहता है। बहुत दिक्कत होती है। संभाले नहीं संभाले जाते।
वर्षा - हाँ , दूध से भरे होने पर दिक्कत तो होती है। मुझे तो ब्रा पहनने में भी उलझन होने लगती है।
रूबी - मैं ब्रा ना पह्नु तो लगता है गिर जायेंगे। तुम संभल लेती हो बड़ी बात है। वैसे सुबह तुम्हे देख कर लगा की सिर्फ ब्रा ही नहीं पैंटी पहनने में भी दिक्कत होती है।
वर्षा - ओह्ह वो । यार रात को थोड़ा फ्री होने का मन करता है। सुबह उठकर अब कौन पहने।
रूबी ने आँख दिखाते हुए कहा - तभी पापा के सामने भी वैसे ही रह लेती हो।
वर्षा - अरे यार , पापा हैं। उन्होंने हमें हर हाल में देखा है। भूलो मत। इतना मत सोचो।
रूबी - हम्म।
वर्षा - तू घर में ऐसे रहती है ? अगर रितेश भी डिमांडिंग हैं तो तेरा टाइम तो पहनने उतरने में ही निकल जाता होगा।
रूबी - ही ही ही ही । दिक्कत तो है। कमरे में तो अक्सर टॉपलेस ही रहना पड़ता है। तुम भी तो अपने यहाँ वैसे ही रहती होगी।
वर्षा दुखी होते हुए - कहाँ। तेरे जीजा को कोई शौक ही नहीं है। किसी तरह ये बच्चा गोद में दे दिया है। बस।
रूबी - हाँ कुछ कुछ तो नैना भी कह रही थी। सब ठीक है न ?
वर्षा के आँखों में आंसू आ गए। उसके मुह से सिकियाँ निकलने लगीं।
रूबी - अरे दीदी , ये क्या ? चुप हो जाओ। तुम्हे दुखी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
वर्षा सिसकते हुए बोली - तेरी कोई गलती नहीं है। मेरी किस्मत ही ख़राब है। कोई क्या कर सकता है।
रूबी के बेटा सो चूका था। उसने उसे बिस्तर पैर लेटा दिया। वर्षा का बेटा उसके गोद से उतर गया और भाग कर ड्राइंग रूम में गया और अनुराग से बोला - नानू , मम्मा रो रही है।
अनुराग भाग कर कमरे में गया। उसने वर्षा को रोते देखा तो बोला - क्या हुआ ?
अनुराग को देख कर दोनों चौंक गईं। दोनों के कपडे तितल बितर थे। दोनों ने अपने कपडे ठीक किये।
वर्षा - कुछ नहीं हुआ। आप क्यों आ गए ?
अनुराग - बेटू ने कहा तुम रो रही हो मैं चला आया। क्यों रो रही हो।
रूबी - कुछ नहीं पापा। बस ऐसे ही दीदी के ससुराल की बात चली तो दीदी दुखी हो गई।
अनुराग समझ गया। उसे गुस्सा आए गया - उसके ससुराल की चर्चा क्यों छेड़ी । उन नालायकों की बात मत करना। मेरी फूल सी सुन्दर बेटी की कदर नहीं है उन्हें। हीरा मिला है उन्हें पर समझ नहीं सकते। मैं कुछ ही दिनों में सब फाइनल करने वाला हूँ। मैं अपनी बेटी को ुखी नहीं देख सकता।
अनुराग के इस रूप और इन बातों को सुन रूबी चौंक गई। उसे अंदाजा नहीं था की अनुराग को ये सब पता होगा। उसे ये तो बिलकुल ही उम्मीद नहीं थी की वो वर्षा को लेकर इतना पोजेसिव होंगे। उसे अनुराग के ऊपर बहुत प्यार आया। उसका मन किया वो जाकर लिपट जाए। पर अभी सही वक़्त नहीं थी।
पर इतना सुनकर वर्षा से नहीं रहा गया। वो अनुराग के सीने से लग गई। अनुरागे ने अपने बाँहों में उसे ले लिया। अनुराग का मन उसे चूमने का कर रहा था पर रूबी थी।
रूबी की आँख भी भर आई - सॉरी दीदी। मुझे माफ़ कर दो।
वर्षा ने रूबी को गले लगा लिया और बोली - अरे कुछ नहीं। तू क्यों बोल रही है।
अनुराग - चलो मैं अब सोने जा रहा हूँ। तुम दोनों भी सो जाओ।
अनुराग अपने कमरे में चला गया। उसे आज कोई उम्मीद नहीं थी। वर्षा ने खुद को संभाला और फिर कुछ देर के लिए बैठ गईं। माहौल बदलने के लिए दोनों ने बचपन की बातें शुरू कर दी। कुछ देर बाद दोनों ने कपडे बदल कर नाइटी पहन लिया। अबकी वर्षा ने अपने अंडर गारमेंट्स नहीं उतारे। सोने से पहले वर्षा बोली - मैं पापा को पानी और दूध देकर आती हूँ।
रूबी - मैं दे देती हूँ।
वर्षा - रहने दे। तू कल से दे देना।
रूबी - ठीक है।
वर्षा किचन में गई और एक ग्लास में दूध और एक जग में पानी लिया और अनुराग के कमरे में चल पड़ी।
अनुराग ने वर्षा को देखा तो बोला - तुम ठीक हो न ?
वर्षा - हाँ। आपका दूध और पानी लेकर आई हूँ।
अनुराग ने मुँह बनाते हुए कहा -आज तो बासी दूध पीना पड़ेगा। पता नहीं ये पचेगा भी की नहीं।
वर्षा - अब आपको इसी से काम चलना पड़ेगा। और हाँ और क्या कह रहे थे की मेरे ससुराल वालो से बात करूँगा ?
अनुराग - कुछ नही। उन सैलून को तेरी कोई क़द्र नहीं है। मैं उनको हड़काने वाला हूँ।
वर्षा अनुराग के गले लग गई और बोली - पापा मेरा वहां जाने का मन नहीं है।
अनुराग ने वर्षा को चूम कर कहा - मेरा भेजने का भी मन नहीं है। तू कहे तो तलाक की बात करूँ ?
वर्षा - नैना ? आप मुझे भी रखेंगे ?
अनुराग - नैना ने ही ये कहा है। वो तुझसे बात करेगी।
वर्षा चौंकाते हुए - अच्छा। वो पागल लड़की है।
अनुराग - सुलेखा जैसी है।
वर्षा - हमम। चलिए। इस बारे में बाद में बात करेंगे। आप दूध ले लीजियेगा। मैं चलूँ वार्ना रूबी पता नहीं क्या सोचेगी ?
अनुराग - अरे क्या सोचेगी ? एक बाप बेटी से बात नहीं कर सकता ? क्या मैं उससे बात नहीं कर सकता ?
वर्षा - अच्छा , आप बेटी से बात कर रहे हैं ? आप मेरे बाप नहीं रह गए हैं।
अनुराग चुप हो गया। फिर बोला - रात में आ जाना।
वर्षा - मैं वादा नहीं कर सकती। अगर नींद खुली और रूबी सोइ रही तो आ जाउंगी।
अनुराग - हम्म्म्म
वर्षा अपने कमरे में चली गई।
Bhai varsha ko Lata ke ghar bhej do or Rubi or papa ko aage badne do
 

Ek number

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शाम को सबके जाने के बाद वर्षा, रूबी और अनुराग ड्राइंग रूम में बैठे थे। प्रैम में रूबी क बच्चा लेटा हुआ था। कुछ देर बाद उसने रोना शुरू कर दिया।
रूबी बोल पड़ी - ओह्ह , लगता है बाबू भूखा है। सुबह से इसे बोतल से ही दूध दिया है।
वर्षा - ओह्ह , बात चीत में बच्चों पर ध्यान ही नहीं गया। पीला दे उसे।
दोनों बहने अनुराग के मौजूदगी में ये बात कर रही थी। ये कोई बड़ी बात भी नहीं थी। पर अनुराग के लिए ये उत्तेजित करने वाली बात थी। सुबह से वो भी भूखा था। और उसे पता नहीं था कितने दिनों तक और भूखा रहना पड़ेगा।
रूबी उठी और बच्चे को उठाकर कमरे की ओर चल पड़ी। उसके पीछे पीछे वर्षा का बेटा भी चला गया।
उनके जाते ही अनुराग ने बच्चे सा मुँह बनाया और वर्षा को बोला - भूख तो मुझे भी लगी है।
वर्षा - चुप ही रहिये। अब तो आपको भूखा ही रहना पड़ेगा।
तभी कमरे से वर्षा का बेटा भागते हुए आया और बोला - मम्मा , मुझे भी भूख लगी है। दुद्धू दो न।
वर्षा - लीजिये , ये भी भूखे हैं।
उसका बेटा वहीँ उसके दुप्पट्टे को खींचने लगता है। पर वर्षा उठ कर बोली - चलो।
अनुराग - कहाँ जा रही हो ?
वर्षा - आप भूल गए घर में अब कोई और भी है।
अनुराग मन मसोस कर रह गया। वर्षा अंदर कमरे में चली गई जहाँ रूबी अपने बेटे को दूध पीला रही थी। उसने अपना कुरता एक साइड से उठा रखा था और बच्चे को दूध पीला रही थी।
वर्षा को देखते ही रूबी बोली - इन्हे भी पीना था।
वर्षा - हाँ। बड़े हो गए हैं पर इन्हे भी पीना है।
रूबी - बड़ों को पीने में ज्यादा मजा आता है।
वर्षा चौंक कर बोली - क्या मतलब ?
रूबी - अरे दीदी , इसके पापा को भी ~~~ कह कर रूबी चुप हो गई।
वर्षा हँसते हुए - ओह्ह। तभी तेरे इतने बड़े हो गए हैं। रितेश जी अब काफी कुछ मिस करेंगे।
रूबी - हाँ यार , मेरे कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए हैं। हर दम दूध भरा रहता है। बहुत दिक्कत होती है। संभाले नहीं संभाले जाते।
वर्षा - हाँ , दूध से भरे होने पर दिक्कत तो होती है। मुझे तो ब्रा पहनने में भी उलझन होने लगती है।
रूबी - मैं ब्रा ना पह्नु तो लगता है गिर जायेंगे। तुम संभल लेती हो बड़ी बात है। वैसे सुबह तुम्हे देख कर लगा की सिर्फ ब्रा ही नहीं पैंटी पहनने में भी दिक्कत होती है।
वर्षा - ओह्ह वो । यार रात को थोड़ा फ्री होने का मन करता है। सुबह उठकर अब कौन पहने।
रूबी ने आँख दिखाते हुए कहा - तभी पापा के सामने भी वैसे ही रह लेती हो।
वर्षा - अरे यार , पापा हैं। उन्होंने हमें हर हाल में देखा है। भूलो मत। इतना मत सोचो।
रूबी - हम्म।
वर्षा - तू घर में ऐसे रहती है ? अगर रितेश भी डिमांडिंग हैं तो तेरा टाइम तो पहनने उतरने में ही निकल जाता होगा।
रूबी - ही ही ही ही । दिक्कत तो है। कमरे में तो अक्सर टॉपलेस ही रहना पड़ता है। तुम भी तो अपने यहाँ वैसे ही रहती होगी।
वर्षा दुखी होते हुए - कहाँ। तेरे जीजा को कोई शौक ही नहीं है। किसी तरह ये बच्चा गोद में दे दिया है। बस।
रूबी - हाँ कुछ कुछ तो नैना भी कह रही थी। सब ठीक है न ?
वर्षा के आँखों में आंसू आ गए। उसके मुह से सिकियाँ निकलने लगीं।
रूबी - अरे दीदी , ये क्या ? चुप हो जाओ। तुम्हे दुखी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
वर्षा सिसकते हुए बोली - तेरी कोई गलती नहीं है। मेरी किस्मत ही ख़राब है। कोई क्या कर सकता है।
रूबी के बेटा सो चूका था। उसने उसे बिस्तर पैर लेटा दिया। वर्षा का बेटा उसके गोद से उतर गया और भाग कर ड्राइंग रूम में गया और अनुराग से बोला - नानू , मम्मा रो रही है।
अनुराग भाग कर कमरे में गया। उसने वर्षा को रोते देखा तो बोला - क्या हुआ ?
अनुराग को देख कर दोनों चौंक गईं। दोनों के कपडे तितल बितर थे। दोनों ने अपने कपडे ठीक किये।
वर्षा - कुछ नहीं हुआ। आप क्यों आ गए ?
अनुराग - बेटू ने कहा तुम रो रही हो मैं चला आया। क्यों रो रही हो।
रूबी - कुछ नहीं पापा। बस ऐसे ही दीदी के ससुराल की बात चली तो दीदी दुखी हो गई।
अनुराग समझ गया। उसे गुस्सा आए गया - उसके ससुराल की चर्चा क्यों छेड़ी । उन नालायकों की बात मत करना। मेरी फूल सी सुन्दर बेटी की कदर नहीं है उन्हें। हीरा मिला है उन्हें पर समझ नहीं सकते। मैं कुछ ही दिनों में सब फाइनल करने वाला हूँ। मैं अपनी बेटी को ुखी नहीं देख सकता।
अनुराग के इस रूप और इन बातों को सुन रूबी चौंक गई। उसे अंदाजा नहीं था की अनुराग को ये सब पता होगा। उसे ये तो बिलकुल ही उम्मीद नहीं थी की वो वर्षा को लेकर इतना पोजेसिव होंगे। उसे अनुराग के ऊपर बहुत प्यार आया। उसका मन किया वो जाकर लिपट जाए। पर अभी सही वक़्त नहीं थी।
पर इतना सुनकर वर्षा से नहीं रहा गया। वो अनुराग के सीने से लग गई। अनुरागे ने अपने बाँहों में उसे ले लिया। अनुराग का मन उसे चूमने का कर रहा था पर रूबी थी।
रूबी की आँख भी भर आई - सॉरी दीदी। मुझे माफ़ कर दो।
वर्षा ने रूबी को गले लगा लिया और बोली - अरे कुछ नहीं। तू क्यों बोल रही है।
अनुराग - चलो मैं अब सोने जा रहा हूँ। तुम दोनों भी सो जाओ।
अनुराग अपने कमरे में चला गया। उसे आज कोई उम्मीद नहीं थी। वर्षा ने खुद को संभाला और फिर कुछ देर के लिए बैठ गईं। माहौल बदलने के लिए दोनों ने बचपन की बातें शुरू कर दी। कुछ देर बाद दोनों ने कपडे बदल कर नाइटी पहन लिया। अबकी वर्षा ने अपने अंडर गारमेंट्स नहीं उतारे। सोने से पहले वर्षा बोली - मैं पापा को पानी और दूध देकर आती हूँ।
रूबी - मैं दे देती हूँ।
वर्षा - रहने दे। तू कल से दे देना।
रूबी - ठीक है।
वर्षा किचन में गई और एक ग्लास में दूध और एक जग में पानी लिया और अनुराग के कमरे में चल पड़ी।
अनुराग ने वर्षा को देखा तो बोला - तुम ठीक हो न ?
वर्षा - हाँ। आपका दूध और पानी लेकर आई हूँ।
अनुराग ने मुँह बनाते हुए कहा -आज तो बासी दूध पीना पड़ेगा। पता नहीं ये पचेगा भी की नहीं।
वर्षा - अब आपको इसी से काम चलना पड़ेगा। और हाँ और क्या कह रहे थे की मेरे ससुराल वालो से बात करूँगा ?
अनुराग - कुछ नही। उन सैलून को तेरी कोई क़द्र नहीं है। मैं उनको हड़काने वाला हूँ।
वर्षा अनुराग के गले लग गई और बोली - पापा मेरा वहां जाने का मन नहीं है।
अनुराग ने वर्षा को चूम कर कहा - मेरा भेजने का भी मन नहीं है। तू कहे तो तलाक की बात करूँ ?
वर्षा - नैना ? आप मुझे भी रखेंगे ?
अनुराग - नैना ने ही ये कहा है। वो तुझसे बात करेगी।
वर्षा चौंकाते हुए - अच्छा। वो पागल लड़की है।
अनुराग - सुलेखा जैसी है।
वर्षा - हमम। चलिए। इस बारे में बाद में बात करेंगे। आप दूध ले लीजियेगा। मैं चलूँ वार्ना रूबी पता नहीं क्या सोचेगी ?
अनुराग - अरे क्या सोचेगी ? एक बाप बेटी से बात नहीं कर सकता ? क्या मैं उससे बात नहीं कर सकता ?
वर्षा - अच्छा , आप बेटी से बात कर रहे हैं ? आप मेरे बाप नहीं रह गए हैं।
अनुराग चुप हो गया। फिर बोला - रात में आ जाना।
वर्षा - मैं वादा नहीं कर सकती। अगर नींद खुली और रूबी सोइ रही तो आ जाउंगी।
अनुराग - हम्म्म्म
वर्षा अपने कमरे में चली गई।
Shandaar update
 

mastmast123

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सुन्दर अति सुन्दर,,,,, seduction रहे, अभी सिर्फ, चोदा चोदी नहीं, तभी मज़ा आएगा,,,,
 
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