अगले दिन रूबी की नींद जल्दी खुल गई। उसने देखा वर्षा घोड़े बेच कर सो रही है। वर्षा के संतुष्ट भोले चेहरे को देखकर रूबी को बहुत अच्छा लगा। उसका एक बार को मन किया की वो उसे उठा कर चूम ले पर फिर रात की याद आते ही उसने सोचा की वो उसे थोड़ी देर सो लेने दे। हाथ मुँह धोकर रूबी किचन की तरफ चल पड़ी। उसने सोचा की आज वही चाय बना लेती है। रूबी ने रात वाली लोअर और टी शर्ट पहनी हुई थी पर उसने उसके अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था। उसे इस समय कोई डर नहीं था क्योंकि अनुराग भी शायद सो ही रहा था। उसने सोचा पहले चाय बना लेगी फिर सबको उठाएगी।
किचेन में चाय चढ़ाकर जैसे ही उसने उसमे दूध डालने के लिए फ्रिज खोला उसके सीने में एक अजीब सी हलचल हुई। उसे रात का सीन याद आ गया कैसे वर्षा अपने पापा को एक बच्चे की तरह दूध पीला रही थी। रात का वाक्य याद करते ही उसके निप्पल एकदम से एरेक्ट हो गए। उसे लगा जैसे उनमे से दूध की धार बाह निकलेगी। उसे ना जाने क्या सुझा उसने फ्रिज बंद कर दिया और चाय के पतीले के पास पहुँच कर अपने टी शर्ट को गर्दन तक उठा दिया और एक स्तन को नाइटी से बाहर निकाल लिया। अब वो चाय में खुद के स्तन से निकला दूध डाइरेक्ट डालने लगी। उसे खुद अपने हाथों से दूध निकालने में तकलीफ हो रही थी। उसके ससुराल में उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ती थी। बच्चा होने के बाद जब से उसके स्तनो से दूध निकलना शुरू हुआ था , उसके वहां चाय में उसका दूध ही पड़ता था। उसे दुहने का काम उसकी सास या फिर उसके पति करते थे। खैर वहां की बातें फिर कभी। रूबी के स्तनों से काफी दूध निकलता था। पूरा दूध डालने के बाद उसने अपने टी शर्ट को वापस निचे कर लिया। चाय खौल ही रही थी की बहार उसे कदमों की आहट सुनाई दी। उसने पलट कर देखा तो अनुराग थे।
रूबी - गुड मॉर्निंग पापा
अनुराग - गुड मॉर्निंग। तुम जल्दी उठ गई। वर्षा कहाँ है ?
रूबी - दी तो घोड़े बेचकर ऐसे सो रही है जैसे रातभर की जगी हो। चाय बनाकर उसे जगाती हूँ।
अनुराग ने डाइनिंग टेबल पर बैठ कर रूबी की तरफ गौर से देखा। पैंटी न पहनने से उसकी गांड हर मूवमेंट पर मस्त तरीके से लहरा रही थी जैसे गुंथे हुए मायदे से भरी थैली को कोई हिला रहा हो। उसकी आँखें तो तब चुंधियाँ गईं जब रूबी चाय लेकर आने लगी। अंदर ब्रा नहीं पहनने से उसके स्तन भी हिल रहे थे। उसके निप्पल पूरी तरह से एरेक्ट थे। दूध निकालने की वजह से ना सिर्फ वो एरेक्ट थे बल्कि दूध की कुछ बूंदें लगने की वजह से उस जगह पर टी शर्ट गिला भी हो गया था। रूबी को ऐसे देखते ही अनुराग के लंड में हलचल होने लगी। उसकी नजरों और चेहरे का भाव देख कर रूबी को अनुराग की हालत का एहसास हो गया था। वो उसे थोड़ा तरसाना चाहती थी। टेबल पर चाय रखने के बाद भी वो कुछ देर तक टेबल के सहारे झुकी रही जिससे अनुराग न सिर्फ हिलते मुम्मे देखे बल्कि उसके घाटियों के भी दर्शन कर सके। कुछ देर वैसे रहने के बाद रूबी बोली - दीदी को उठाकर आती हूँ।
उसने कमरे में जाकर पहले तो अपने अंडर गारमेंट्स पहने फिर अपना टी शर्ट चेंज कर लिया।
उसके बाद उसने वर्षा को उठाया - दीदी उठो, कब तक सोयोगी। चाय भी रेडी है।
वर्षा - ओह्हो। काफी देर हो गई क्या ?
रूबी - हां। घोड़े बेच कर सो रही हो। और हाँ बाहर आने से पहले कपडे सही कर लेना।
वर्षा - कपड़ों में क्या कमी है ?
रूबी - अंदर कुछ भी नहीं पहना है और तुम्हारी नाइटी से सब दिख रहा है।
वर्षा- पागल है क्या ? घर में ही तो हैं ? और घर में मेरे तेरे अलावा सिर्फ पापा ही तो हैं।
रूबी - पापा हैं न और माँ नहीं।
वर्षा - तेरा दिमाग ख़राब है। माँ होती तो हम और फ्री रहते।
रूबी - वही तो, पर अब माँ नहीं हैं तो मैं नहीं चाहती की पापा हमें देख कर ~~
वर्षा - तुम पागल हो।
रूबी - मैं जा रही हूँ। तुम्हे जो भी समझना है समझो। पर घर में कायदे से रहो।
रूबी बाहर चली गई। उसके बदले कपड़ों को देख कर अनुराग थोड़ा डर सा गया कि कहीं रूबी अनुराग के अंदर कि हवस को पहचान तो नहीं गई। कुछ देर बाद वर्षा एक सलवार कुर्ते में आई। उसे देख कर अनुराग और भी सहम गया। वो समझ गया कि रूबी न जरूर कुछ कहा है। तीनो ने चुप चाप चाय पी। उसके बाद अनुराग अपने कमरे में चला गया।
तीनो के बीच दिन भर शांति रही। अनुराग तो अपने कमरे में ही कैद रहा। सिर्फ नाश्ते , चाय के वक़्त आया। कुछ देर बच्चों के साथ खेलने के लिए। वर्षा ने भी रूबी से कुछ ख़ास बात नहीं की।
शाम तक ऐसी ख़ामोशी देख कर रूबी को अकुताहट होने लगी। उसका पैसा उल्टा पड़ गया था। वो परेशान तो करना चाहती थी पर इतना नहीं। रात को अनुराग ने खाने से मना कर दिया और वर्षा ने भी भूख ना होने का बहाना कर दिया। रूबी को अब बुरा लगने लगा था। खैर उसने किसी तरह से रात का खाना खाया और कमरे में गई तो देखा वर्षा सो रही थी।
उसने धीरे से कहा - दी , सो गई क्या ?
वर्षा कुछ नहीं बोली। रूबी ने दोबारा पुछा - सो गई क्या ?
वर्षा खीज कर बोली - अब सोने के लिए भी तेरी परमिशन लेनी होगी क्या ?
रूबी - दी तुम तो नाराज हो गई। मैं तो बस इतना कह रही थी की पापा के सामने ठीक से रहना चाहिए।
वर्षा को अब गुस्सा आ गया - अच्छा , पापा जानवर हैं ? पापा हम पर हमला कर देंगे आगे हमारा थोड़ा बदन दिख गया तो ? भूल गई जवानी चढ़ते ही उनके लिए क्या सोचती थी ? तू तो सबसे ज्यादा बेताब थी उनसे डाइरेक्ट चुदने के लिए। तू और नैना कैसी कैसी बातें करते थे भूल गई ? उस समय कैसे कपड़ों में रहते थे ? शार्ट स्कर्ट में उनके गोद में बैठ जाती थी। जबरजस्ती गले लगती थी। सब भूल गई और अब दादी अम्मा बनी है।
रूबी - तब की बात और थी दीदी। अब हम शादी शुदा हैं ? और पापा के साथ माँ थी। उनमे कितना संयम था। अब वो अकेले हैं , बहक गए तो ?
वर्षा - तू तो अपनी शादी से खुश है। तेरा पति बहुत प्यार करता है। पर तब भी उसकी भूखी नजतेन मुझे और बुआ को देख रही थी। तुझे क्या लगता है मुझे समझ नहीं आता। और जहाँ तक रही पापा की , तो उनके कभी अकेलेपन का सोचा है ?
रूबी - नैना है न ?
वर्षा - कहाँ है नैना ? क्या बुआ नैना और पापा के लिए मान जाएँगी ? तुझे पता है उनको मनाने के लिए कैसे कैसे जतन करने पड़ रहे हैं ? पर तू नहीं समझेगी। बढ़िया जिंदगी है न तेरी। तुझे तो ये भी नहीं ध्यान होगा इतने दिनों तक कैसे पापा का ख्याल मैंने रखा है। आज आई है , तेरा पति बोलेगा फिर चली जाएगी उससे चुदने को।
इतना सब एक सांस में बोलते बोलते वर्षा सुबकने लगी। उसे लगा कितनी अकेली है वो।
उसने सुबकते हुए कहा - सोच रही हूँ अब वापस अपने ससुराल में ही चली जॉन। बहन की पाबंदियां और तानों से बढ़िया वहां के लोग हैं।
रूबी को नहीं लगा था की बात इतनी बढ़ जाएगी। उसने जाकर वर्षा को गले लगा लिया और बोली - आई एम् सॉरी। तुम्हारा दिल दुखाने का कोई इरादा नहीं था। मुझे माफ़ कर दो।
वर्षा - रहने दे। जब किस्मत खोटी हो तो कोई क्या ही कर सकता है।
रूबी - प्लीज चुप हो जाओ। वार्ना कल की तरह फिर पापा फिर आ जायेंगे। और परेशान होंगे। वैसे भी उन्होंने खाना नहीं खाया है। वो भी गुमसुम पड़े हैं।
वर्षा - तुझे किसी के दुखी होने से क्या फरक पड़ता है।
रूबी - अब मान भी जाओ दीदी। माफ़ कर दो। तुम्हारा जैसे मन करे वैसे रहो। जो चाहे वो करो। मैं नहीं रोकूंगी। प्लीज।
रूबी ने कान पकड़ लिए और उठक बैठक करने लगी। उसे वैसा करते देख वर्षा मुश्कुरा उठी।
उसे हँसता देख रूबी बोली - ये हुई ना बात। अब भूख लगी हो तो खाना खा लो। बचा रखा है मैंने।
वर्षा - जाने दे।
रूबी - ठीक है। अब काम से काम आराम के कपडे तो पहन लो। पूरा सूट पहन कर सोवोगी क्या ?
वर्षा कुछ नहीं बोली। रूबी - मैं तो चेंज करुँगी भाई। ऐसे नहीं सो सकती।
रूबी अपने वार्डरोब की तरफ गई। उसने एक हलकी सी नाइटी निकाल ली। फिर उसने पहले अपने टी- शर्ट को उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार फेंका। ऐसा करते समय उसकी पीठ वर्षा की तरफ थी। उसके बाद पेंट की एलास्टिक की तरफ हाथ लगा कर जैसे ही वो पेंट उतरने लगी वर्षा बोली - अरे बेशरम , बाथरूम में जाकर चेंज कर ले। अभी तो बुर्के जैसी हालात बना रही थी और अब सीधे नंगी हो रही है।
रूबी पलट कर बोली - अभी तो पुरानी बातें याद दिला रही थी। भूल गई हम एक दुसरे के सामने नंगे रह लिया करते थे।
वर्षा - मैं नहीं भूली। तू भूल गई है। वार्ना हम तो बहुत कुछ कर लिया करते थे।
रूबी वैसे ही टॉपलेस अवस्था में उसके पास चलते हुए आई और बोली - कहो तो फिर से करें। तुम्हारी प्यास बुझा दूँ क्या ?
वर्षा ने उसे चांटा दिखाते हुए कहा - भाग यहाँ से वरना मारूंगी।
रूबी - ने अपनी नाइटी उठाई और ऊपर से पहन लिया फिर पेंट उतरने लगी। बोली - अब ठीक है न।
वर्षा कुछ नहीं बोली। रूबी - तुम भी बदल लो। वैसे पापा ने कुछ नहीं खाया है। पूछ लो अगर कुछ खाएं तो । मुझसे तो पता नहीं क्यों खफा हैं। लगता है जैसे मैंने उनकी कोई प्यारी चीज छीन ली हो।
वर्षा - चीनी तो है। सबकी , आजादी और खुल के रहने की मर्जी।
रूबी - माफ़ कर दो बाबा। चाहो तो नंगे जाकर पूसजह लो , क्या पता खा लें।
वर्षा - चुप बेशरम।
वर्षा उठी। रूबी कुछ शांत तो हुई थी पर उसका भरोसा नहीं था। उसने सलवार कुर्ते में ही किचन से जाकर दूध लिया और अनुराग के पास जा पहुंची।
वर्षा - पापा , आप दूध ले लीजिये। खाना भी नहीं खाया है आपने।
वर्षा को देख कर अनुराग के आँखों में आंसू आ गए। अनुराग बोले - रूबी कहाँ है ?
वर्षा - कमरे में है। उसे मैंने बहुत सुनाया है।
अनुराग ने कहा - क्या मतलब ?
वर्षा - पहले आप दूध लो।
अनुराग ने उसके स्तनों की तरफ देखा तो वर्षा बोली - ग्लास से।
अनुराग ने उसके हाथ से दूध ले लिया। जब तक अनुराग दूध पीता रहा , वर्षा ने उसे सारी बात बता दी।
दूध ख़त्म हुआ तो अनुराग ने गिलास देते हुए कहा - अजीब जिद्दी लड़की है। डर लगता है उससे।
वर्षा - हम्म। पर आप पिता हो हमारे , बेफिक्र रहो। वैसे आपकी ये जूनियर सुलेखा सब ठीक कर देगी।
वर्षा फिर अपने कमरे में चली आई। वहां रूबी अपने बच्चे को गोद में लेकर दूध पीला रही थी। वर्षा का बीटा अब तक टीवी देख रहा था वो वहीँ सो गया था। वर्षा उसे भी लेकर आई थी और उसने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। उसके बाद उसने अलमारी से एक नाइटी निकाली और बाथरूम की तरफ चल पड़ी।
रूबी - वह भाई , मेरा पूरा शो देख लिया और खुद चल पड़ी अंदर।
वर्षा कुछ नहीं बोली और अंदर चली गई। लौटी तो वो अपने पुराने रात वाले ड्रेस में थी। एक हलकी लगभग ट्रांसपेरेंट नाइटी।
उसे देख रूबी ने फिर कहा - अब इसे तो सुबह बाहर निकलने से पहले जरूर चेंज कर लेना।
वर्षा - तू फिर से शुरू हो गई
रूबी - यार , अब पापा के सामने एकदम नंगे तो नहीं जा सकते हैं ना। कुछ तो डेसेन्सी रखनी पड़ेगी।
वर्षा - सुबह की सुबह देखेंगे।
रूबी - तुम्हे भूख नहीं लगी है। तुम भी दूध पी लेती।
वर्षा - पीला दे।
रूबी - सच में ?
वर्षा - भूल गई जब तुम्हारे स्तन बड़े होने लगे तो खेलते खेलते हम एक दुसरे के स्तन चूसते थे । और तू कहती थी इनमे दूध आएगा तो मजा आएगा।
रूबी - हम्म।
वर्षा - वादा किया था तुमने - दूध आने पर पिलाओगी। मुझे ही नहीं नैना और तृप्ति को भी।
रूबी - वादा तो तुमने भी किया था। तुमने नैना को पिलाया है क्या ?
वर्षा - नहीं।
रूबी - तुम्हे सच में पीना है ?
वर्षा - नहीं मजाक कर रही थी।
रूबी - पीना हो तो बताओ। बाबू तो सो गया है। मेरे दूध भरे हुए हैं। और बेटू भी सो गया है। तुम्हारे घड़े भी तो भरे हुए होंगे।
वर्षा - तू पागल हो गई है सो जा। कहकर उसने रूबी की तरफ पीठ किया और सो गई।
रूबी ने अपने बच्चे को एक तरफ सुला दिया और वर्षा के बगल में लेट कर उसके कानों में धीरे से बोली - पीना है तो बोलो। रितेश कहते हैं बहुत मीठा है।
ये सुनकर वर्षा से रहा नहीं गया और पलट कर उसने रूबी को चूम लिया। दोनों बहने एक दुसरे से लिपट गईं। दोनों एक दुसरे के जीभ को कभी चाट रही थीं तो कभी चूस रही थी। बारी बारी से वो एक दुसरे के मुँह में अपने जीभ डालती।
कुछ देर बाद वर्षा को लगा की कुछ ज्यादा जल्दी हो रहा है । उसे रूबी पर भरोसा नहीं था। उसने रूबी से अलग होते हुए कहा - सो जाओ।
रूबी - क्या ? क्या हुआ ? अचानक ?
वर्षा - रहने दो। तुम भूल गई की हम शादी शुदा हैं।
रूबी - यार तुम फिर से वही बात लेकर बैठ गई। कितनी बार माफ़ी मांगू ?
वर्षा - ऐसा कुछ नहीं है। हमें सच में सीमायें नहीं तोड़नी चाहिए।
ऐसा कहकर वर्षा पलट कर सो गई। रूबी के अंदर जो आग लगी थी उस पर तो पानी फिर गया। खैर दोष भी उसका ही था। सब उसका किया धरा था।
दोनों बहने सो गईं। दोनों बहनो के बीच की सीमायें फिर थोड़ी कम हुई थी। पर अनुराग के तड़प का अंदाजा कोई नहीं लगा पा रहा था , सिवाय नैना के। नैना ने कल अनुराग से अकेले मिलने का सोचा। रात ने अनुराग को वर्षा से अलग कर दिया था पर अगली सुबह नैना और अनुराग को कुछ नजदीक ले आने वाली थी।