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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

Hkgg

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गुंज़न बाहर रामलाल के पास आती है

गुंज़न -पापा आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है मैं तबतक आपका सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी।

रामलाल - नहीं नहीं बेटी।। मैं गेस्ट रूम में रह लूंगा। तुम अब तक अकेली सोती थी न तो तुम्हे परेशानी होगी।

गुंज़न - नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे। हाँ मैं रोज़ अकेली अपने कमरे में। लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताऊँगी

गुंज़न ने आगे बढ़ कर अपने पापा को हग कर लिया, रामलाल भी अपनी बेटी के छूते हुये अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टीका दिए और कस के लिपट गये। धर्मवीर वहाँ खड़ा सब देखता रहा बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे की गुंज़न की बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे और रामलाल अपनी बेटी के जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मजा ले रहे थे।

बाप-बेटी के इस वर्ताव से धर्मवीर को कोई प्रॉब्लम नहीं था, बल्कि धर्मवीर को जाने क्यों गुंज़न और उसके पापा को साथ-साथ देख मजा आ रहा था। धर्मवीर जाने क्यों गुंज़न को
उसके पापा के साथ चुदते हुए देखना चाहता था।

रामलाल - अच्छा बेटी चलो मैं फ्रेश हो कर आता हू।

गुंज़न - जी पापा मैं आपके सामान को टेबल और कपबोर्ड में लगा देती हू।

रामलाल - ओके बेटी

गुंज़न रामलाल का सूटकेस खोलने लगी।।

गुंज़न - बाबूजी इधर आईए न जरा मदद करेंगे मेरी सूटकेस खोलने में?

धर्मवीर - हाँ बहु ये लो खुल गया।।

गुंज़न - मैं ये सब सामान कपबोर्ड में लगा देती हूँ अरे ये साइड में क्या आवाज़ कर रहा है देखिये तो।।

धर्मवीर - बहु ये तो कोई मैगज़ीन है।। रुको निकालता हूं

धर्मवीर ने जब मैगज़ीन बाहर निकाला तो वो एक पोर्न मैगज़ीन थी।। जिसके कवर पेज पे एक लड़की लंड चूस रही थी धर्मवीर ने गुंज़न को दिखाया।

धर्मवीर - ये देखो बहु, तुम्हारा पापा ने सूटकेस में ये मैगज़ीन छुपा के रखी है।।

गुंज़न - ओह माय गोड़। पापा ये सब?

धर्मवीर - क्यों नहि।। और ये देखो बहु ये इन्सेस्ट मैगज़ीन है। ये ऊपर लिखा है डॉटर लव्स टू सक।। मतलब बेटी को लंड चुसना पसंद है।। आखिर तुम्हारे पापा ऐसे मैंगज़ीन क्यों पढेंगे वो भी बाप - बेटी के सेक्स रिश्ते के बारे में।

गुंज़न ने मैगज़ीन धर्मवीर से ले लिए और आश्चर्य से देखने लगी।। जब उसने मैगज़ीन अंदर खोला तो हैरान रह गई।। अंदर कई मॉडल के फोटो पे दाग लगे थे।

गुंज़न - बाबूजी।। ये मैगज़ीन पे हर लड़की के फोटो पे दाग कैसे।। जैसे कुछ गिरा हो।

धर्मवीर - बहु ये मुट्ठ के दाग है।। तुम्हारे पापा ये सब तस्वीर देख कर मूठ मारते होंगे और हर मॉडल के ऊपर अपना मुट्ठ गिराया है।।

गुंज़न - (२ पन्ने और पलटते हुए। ) आआह्ह्।। ये गिला चिपचिपा सा।।।

धर्मवीर - क्या हुआ बहु?

गुंज़न - बाबूजी ये देखिये न एक फोटो पे ये गिला गिला है।। चिपचिपा सा।।

धर्मवीर - ये तो मुट्ठ ही है बहु, वो भी ताजा।।

गुंज़न - इसका मतलब क्या पापा ने अभी इस फोटो पे मुट्ठ मारे हैं?

धर्मवीर - हाँ बहु और कौन करेंगा।। ये तुम्हारे पापा का ही मुट्ठ है।।

गुंज़न - आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?

धर्मवीर - मुझे आदमी के सेक्सुअल जरुरत मालूम है ये मुट्ठ ही है, यकीन न आये तो चाट के देख लो नमकीन सा टेस्ट होगा

गुंज़न - छी: बाबूजी।। अगर आप सही कह रहे होंगे तो क्या मैं अपने पापा का मुट्ठ चाटूँगी ??

धर्मवीर - अरे बहु कोई बात नही।। तुमने मेरा भी तो मुट्ठ पिया है कितनी बार।। चाट के देख लो।।

गुंज़न- (मुट्ठ को स्मेल करती हुई।। चाट लूँ सच्ची? )

धर्मवीर - हाँ बहु।।

धर्मवीरके हाँ कहते ही गुंज़न जीभ लगा कर मुट्ठ चाटने लगी।

गुंज़न - ओह बाबूजी आप सच कह रहे हैं ये तो मुट्ठ का ही टेस्ट है।।

धर्मवीर - और चाट लो बहु।।

गुंज़न आँखे बंद कर मस्ती में अपने पापा का मूठ चाट गई

धर्मवीर - ओह बहु।। लगता है तुम्हे अपने पापा के लंड का मुट्ठ बहुत पसंद आया।।

गुंज़न - छी: बाबूजी आप भी न।। मैं तो बस कन्फर्म करने के लिए चाटी।।

धर्मवीर - काश तुम समधी जी का लंड चाटती तो वो तेरे मुह में ही अपना मुठ छोड़ देते।।

गुंज़न - ओह बाबूजी ये आप क्या कह रहे है।। मैं अपने पापा का लंड चूसूंगी।।

धर्मवीर - कोई बात नहीं बहु।। सेक्स के जरुरत में रिश्ता नहीं देखा जाता। और तुम्हारी उभरी हुई निप्पल बता रही है की तुम ये सोच कर बहुत एक्साईटेड हो गई हो।।

गुंज़न - बाबूजी।। चुप रहिये आप भी न।।

धर्मवीर - मेरा यकीन करो बहु।। अगर समधी जी के पास तुम्हारी फोटो होती तो वो अबतक दूसरे लड़कियों पे अपना मुट्ठ बर्बाद नहीं करते।। बल्कि सारा दिन तुम्हारी फोटो पे ही मुट्ठ मारा करते।।

गुंज़न - बस करिये न बाबूजी।

धर्मवीर - बहु इससे पहले की समधी जी देखें मैगज़ीन वापस रख दो।

गुंज़न - ओके बाबूजी।।

गुंज़न ने मैगज़ीन वापस रख दिया और फिर कमरे से बाहर
किचन में चलि गई। रामलाल भी बाथरूम से बाहर आये और अपने कपडे चेंज कर डाइनिंग हॉल में चले गए।


दोपहर 2 बजे रामलाल और धर्मवीर हॉल मे बैठ कर बात कर रहे थे और गुंज़न किचन में काम कर रही थी तभी धर्मवीर किचन में पहुच कर गुंज़न को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। धर्मवीर का खड़ा लंड गुंज़न के मादक गांड में दबने लगा।

गुंज़न - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।

धर्मवीर ने गुंज़न की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को गुंज़न के नाभि में डाल दिया। गुंज़न सिसकारी मारने लगी धर्मवीर ने अपना एक हाथ आगे कर
गुंज़न की साड़ी को ऊपर उठा दिया,ओर अपनी ऊँगली गुंज़न की चुत में घुसा दिया। गुंज़न एकदम से चौंक गई।धर्मवीर लगतार गुंज़न के चुत में ऊँगली पेलता रहा। अब तक गुंज़न की बुर से पानी छुटने लगा था ।

धर्मवीर ने अपने राइट हैंड से अपना लंड बाहर निकाल के
गुंज़न के गांड से सटा दिया। धर्मवीर पगलों की तरह गुंज़न को चोदना चाहता था, धर्मवीर को न जाने क्या हो गया धर्मवीर रामलाल का बिना ख्याल किये किचन में ही गुंज़न के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। गुंज़न की दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। धर्मवीर गुंज़न को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, गुंज़न की साँस तेज़ चल रही थी। धर्मवीर अपने दोनों हथेलियों में गुंज़न की भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।

गुंज़न के मुह से टीस उठने लगी, वो भी उत्तेजित होकर अपना सब्र खो रही थी। वो अपने होठ धर्मवीर के मुह के अंदर ड़ालते हुए अपने हाथों से धर्मवीर के हाथ पकड़ बूब्स को जोर-जोर से रगड रही थी। लेकिन गुंज़न को इस बात का ख्याल था की कहीं पापा ये सब देख न ले।

गुंज़न - बाबूजी।। पापा देख लेंगे प्लीज छोड़ दिजिये

गुंज़न - ले बहु पहले मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले।

धर्मवीर ने गुंज़न का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया

गुंज़न - बाबूजी यहाँ किचन में?

धर्मवीर - क्या हुआ बहु जब तुम सुबह मेरा लंड चूस सकती हो तो यहाँ क्यों नहीं? चलो मेरा लंड सहलाओ और अपने मुह में ले कर चुसो

गुंज़न - ठीक है बाबूजी लेकिन जल्दी निकालिये अपना माल।

गुंज़न धर्मवीर का लंड पकड़ के मुट्ठ मारने लगी और
धर्मवीर अपने हाथ से उसके गरम निप्पल को दबाने लगा।
गुंज़न भी मस्ती में अपनी आँख बंद किये तेज़ी से मुट्ठ मारने लगी।।

गुंज़न - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।

धर्मवीर- बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ

गुंज़न - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ।

ये कहते हुए गुंज़न नीचे बैठ गई और धर्मवीर के लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया

धर्मवीर रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और गुंज़न ठीक वहीँ पे नीचे बैठी धर्मवीर का लंड चूस रही थी। गुंज़न जोर-जोर से धर्मवीर का लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, धर्मवीर का लंड गुंज़न के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। गुंज़न जब-जब धर्मवीर का लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में गुंज़न मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। रामलाल को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।

रामलाल- अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?

धर्मवीर - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था

रामलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।

धर्मवीर - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है

रामलाल - गुंज़न बेटी आज फ्रूट्स क्यों?

गुंज़न - (गुंज़न अपना मुह धर्मवीर के लंड से हटाते हुये बोली।) पापा वो आप बहुत सारे फल ले आए।इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।

रामलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।

गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को हाथ में पकड़ नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?

रामलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।

गुंज़न - केला पापा केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?

रामलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।

गुंज़न - (गुंज़नधर्मवीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?

रामलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?

गुंज़न - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।

रामलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।


गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।

रामलाल - हाँ अब खा जाओ।।

गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को कस कर पकड़ कर) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?

रामलाल - हाँ बेटी ले लो।

गुंज़न- उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो (धर्मवीर लंड को मुह में ले कर चूसने लगी)

रामलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये

गुंज़न - (धर्मवीर लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है। में इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।

गुंज़न को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख धर्मवीर के लंड का सारा पानी गुंज़न के मुँह में निकल गया। गुंज़न जोर से लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।गुंज़न का मुह धर्मवीर के वीर्य से इतना भर गया।

कुछ देर बाद सोनू भी स्कूल से आ जाता हैं। वो घर पर सब मिलकर खाना खाते हैं

रात को 9 बजे सब खाना खाने के बाद आपस में बात कर रहे थे

गुंज़न - पापा अब सो जाइये चलिये आप थक गए होंगे।

रामलाल - हाँ बेटा ठीक है, कमरे में तो बहुत गर्मी है और तुम ये ब्लैक गाउन पहन के लेटोगी?

गुंज़न - हाँ पापा मैं तो रात को अक्सर ये पहन के सोती हूँ।

रामलाल - बेटी तुम झूठ क्यों बोल रही हो? मैं समझ सकता हूँ तुम अकेली सोती थी तो इस गर्मी में कैसे सोती होगी। तुम जो इतना स्वेट कर रही हो इसी से मुझे पता चलता है की तुम्हे इसकी आदत नही

गुंज़न - ओके पापा, आपने ठीक पहचाना।

रामलाल - तो फिर गुंज़न बेटा लाइट्स ऑफ करो और नाईट गाउन उतार कर सो जाओ।

रामलाल आज अपनी बेटी को बिना नाइटी के अपने पास चाहते थे, और गुंज़न भी बिना लाइट्स बुझाये उनके सामने अपनी नाइटी उतार खड़ी हो गई।

गुंज़न बेशरमी से अपने पापा के सामने अपनी गदराई जवानी दिखाते हुए खड़ी थी। उसकी जाँघे बहुत गोरी दिख रही थी वो अपनी पेंटी में दोनों तरफ से अँगूठा डाले खड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पापा के एक इशारे पे अपनी पेंटी उतार देगी। गुंज़न ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप जला कर अपने पापा को हग करके सो गई।

क़रीब १ घंटे बाद रामलाल ने अपने लंड को लेटे लेटे पजामे के ऊपर से ही रगड रहे है। गुंज़न की पीठ खुली थी जिसे देख कर रामलाल अपना लंड बाहर निकाल जोर जोर से मुट्ठ मारने लगा।वो बार बार गुंज़न के तरफ ध्यान दे रहा था की कहीं गुंज़न जग न जाए।फिर रामलाल ने धीरे धीरे गुंज़न की ब्रा खोल दिया था और उसने गुंज़न की पेंटी भी सरका दिए और तेज़ी से लंड की स्कीन ऊपर नीछे करने लगे। उनकी साँसे तेज़ होती जा रही थी और साथ-साथ हिम्मत भी। गुंज़न के तरफ से कोई हलचल न देख कर वो अपना लंड मुट्ठी में लिए गुंज़न के चेहरे के काफी क़रीब आ गए और फिर उसका सारा वीर्य गुंज़न के चेहरे पे गिर गया।

सुबह 6 बजे गुंज़न जब उठी तो उसे अपने चहेरे पर कुछ चिप चिप सा लगा। उसने सोचा राल लगी है मुह पर। और वो उठकर अपने कम में लग गई।

कुछ देर बाद रामलाल और धर्मवीर भी उठकर बहार आ गये।

धर्मवीर - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी

रामलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।

रामलाल बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा गुंज़न तुम जाकर चाय बना लो । गुंज़न चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।गुंज़न जाकर चाय बनाने लगी तभी रामलाल ने कहा इस घर में चल क्या रहा है धर्मवीर जी।

धर्मवीर - क्या में समझा नही समधी जी।

रामलाल - कल जब मे मैच के दोरान पासब् करके लौट राह थ तो गुंज़न के कमरे में खिड़की से देखा तो आप गुंज़न के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही रामलाल के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया । धर्मवीर सोचने लगा कि गुंज़न को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया हैधर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा

धर्मवीर - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा घर कभी कभी ही आ पाता है बेचारी गुंज़न घर पर अकेली ही रहती है इसी कारण ना ही तो वो अभी तक माँ बन पाई है और अगर अकेले पन मे अगर वो बहरा कही और मर्द तलासने लगती तो घर की सारी इजत उतर जाती। इसलिय हमे चोचा की बहु को हम ही मा क्यू ना बना दु।

रामलाल ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए रामलाल ने खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

रामलाल - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था।

धर्मवीर - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि गुंज़न तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

रामलाल - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - रामलाल जी गुंज़न की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

रामलाल अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह गुंज़न धर्मवीर का पूरा लंड खा गई थी।

रामलाल - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है। में तो बोलता हु की एक बार आप भी गुंज़न की चुत को अपने माल
से भर दो फिर तो वो पक्का माँ बन जायेगी

धर्मवीर - तो बताइए समधी जी कैसा लगा मेरा प्लान।

रामलाल - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन मुझे डर गुंज़न का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा छोटा हो लेकिन पूरे दो इंच मोटा है।
 
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Nidhi11111

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गुंज़न बाहर रामलाल के पास आती है

गुंज़न -पापा आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है मैं तबतक आपका सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी।

रामलाल - नहीं नहीं बेटी।। मैं गेस्ट रूम में रह लूंगा। तुम अब तक अकेली सोती थी न तो तुम्हे परेशानी होगी।

गुंज़न - नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे। हाँ मैं रोज़ अकेली अपने कमरे में। लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताऊँगी

गुंज़न ने आगे बढ़ कर अपने पापा को हग कर लिया, रामलाल भी अपनी बेटी के छूते हुये अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टीका दिए और कस के लिपट गये। धर्मवीर वहाँ खड़ा सब देखता रहा बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे की गुंज़न की बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे और रामलाल अपनी बेटी के जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मजा ले रहे थे।

बाप-बेटी के इस वर्ताव से धर्मवीर को कोई प्रॉब्लम नहीं था, बल्कि धर्मवीर को जाने क्यों गुंज़न और उसके पापा को साथ-साथ देख मजा आ रहा था। धर्मवीर जाने क्यों गुंज़न को
उसके पापा के साथ चुदते हुए देखना चाहता था।

रामलाल - अच्छा बेटी चलो मैं फ्रेश हो कर आता हू।

गुंज़न - जी पापा मैं आपके सामान को टेबल और कपबोर्ड में लगा देती हू।

रामलाल - ओके बेटी

गुंज़न रामलाल का सूटकेस खोलने लगी।।

गुंज़न - बाबूजी इधर आईए न जरा मदद करेंगे मेरी सूटकेस खोलने में?

धर्मवीर - हाँ बहु ये लो खुल गया।।

गुंज़न - मैं ये सब सामान कपबोर्ड में लगा देती हूँ अरे ये साइड में क्या आवाज़ कर रहा है देखिये तो।।

धर्मवीर - बहु ये तो कोई मैगज़ीन है।। रुको निकालता हूं

धर्मवीर ने जब मैगज़ीन बाहर निकाला तो वो एक पोर्न मैगज़ीन थी।। जिसके कवर पेज पे एक लड़की लंड चूस रही थी धर्मवीर ने गुंज़न को दिखाया।

धर्मवीर - ये देखो बहु, तुम्हारा पापा ने सूटकेस में ये मैगज़ीन छुपा के रखी है।।

गुंज़न - ओह माय गोड़। पापा ये सब?

धर्मवीर - क्यों नहि।। और ये देखो बहु ये इन्सेस्ट मैगज़ीन है। ये ऊपर लिखा है डॉटर लव्स टू सक।। मतलब बेटी को लंड चुसना पसंद है।। आखिर तुम्हारे पापा ऐसे मैंगज़ीन क्यों पढेंगे वो भी बाप - बेटी के सेक्स रिश्ते के बारे में।

गुंज़न ने मैगज़ीन धर्मवीर से ले लिए और आश्चर्य से देखने लगी।। जब उसने मैगज़ीन अंदर खोला तो हैरान रह गई।। अंदर कई मॉडल के फोटो पे दाग लगे थे।

गुंज़न - बाबूजी।। ये मैगज़ीन पे हर लड़की के फोटो पे दाग कैसे।। जैसे कुछ गिरा हो।

धर्मवीर - बहु ये मुट्ठ के दाग है।। तुम्हारे पापा ये सब तस्वीर देख कर मूठ मारते होंगे और हर मॉडल के ऊपर अपना मुट्ठ गिराया है।।

गुंज़न - (२ पन्ने और पलटते हुए। ) आआह्ह्।। ये गिला चिपचिपा सा।।।

धर्मवीर - क्या हुआ बहु?

गुंज़न - बाबूजी ये देखिये न एक फोटो पे ये गिला गिला है।। चिपचिपा सा।।

धर्मवीर - ये तो मुट्ठ ही है बहु, वो भी ताजा।।

गुंज़न - इसका मतलब क्या पापा ने अभी इस फोटो पे मुट्ठ मारे हैं?

धर्मवीर - हाँ बहु और कौन करेंगा।। ये तुम्हारे पापा का ही मुट्ठ है।।

गुंज़न - आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?

धर्मवीर - मुझे आदमी के सेक्सुअल जरुरत मालूम है ये मुट्ठ ही है, यकीन न आये तो चाट के देख लो नमकीन सा टेस्ट होगा

गुंज़न - छी: बाबूजी।। अगर आप सही कह रहे होंगे तो क्या मैं अपने पापा का मुट्ठ चाटूँगी ??

धर्मवीर - अरे बहु कोई बात नही।। तुमने मेरा भी तो मुट्ठ पिया है कितनी बार।। चाट के देख लो।।

गुंज़न- (मुट्ठ को स्मेल करती हुई।। चाट लूँ सच्ची? )

धर्मवीर - हाँ बहु।।

धर्मवीरके हाँ कहते ही गुंज़न जीभ लगा कर मुट्ठ चाटने लगी।

गुंज़न - ओह बाबूजी आप सच कह रहे हैं ये तो मुट्ठ का ही टेस्ट है।।

धर्मवीर - और चाट लो बहु।।

गुंज़न आँखे बंद कर मस्ती में अपने पापा का मूठ चाट गई

धर्मवीर - ओह बहु।। लगता है तुम्हे अपने पापा के लंड का मुट्ठ बहुत पसंद आया।।

गुंज़न - छी: बाबूजी आप भी न।। मैं तो बस कन्फर्म करने के लिए चाटी।।

धर्मवीर - काश तुम समधी जी का लंड चाटती तो वो तेरे मुह में ही अपना मुठ छोड़ देते।।

गुंज़न - ओह बाबूजी ये आप क्या कह रहे है।। मैं अपने पापा का लंड चूसूंगी।।

धर्मवीर - कोई बात नहीं बहु।। सेक्स के जरुरत में रिश्ता नहीं देखा जाता। और तुम्हारी उभरी हुई निप्पल बता रही है की तुम ये सोच कर बहुत एक्साईटेड हो गई हो।।

गुंज़न - बाबूजी।। चुप रहिये आप भी न।।

धर्मवीर - मेरा यकीन करो बहु।। अगर समधी जी के पास तुम्हारी फोटो होती तो वो अबतक दूसरे लड़कियों पे अपना मुट्ठ बर्बाद नहीं करते।। बल्कि सारा दिन तुम्हारी फोटो पे ही मुट्ठ मारा करते।।

गुंज़न - बस करिये न बाबूजी।

धर्मवीर - बहु इससे पहले की समधी जी देखें मैगज़ीन वापस रख दो।

गुंज़न - ओके बाबूजी।।

गुंज़न ने मैगज़ीन वापस रख दिया और फिर कमरे से बाहर
किचन में चलि गई। रामलाल भी बाथरूम से बाहर आये और अपने कपडे चेंज कर डाइनिंग हॉल में चले गए।


दोपहर 2 बजे रामलाल और धर्मवीर हॉल मे बैठ कर बात कर रहे थे और गुंज़न किचन में काम कर रही थी तभी धर्मवीर किचन में पहुच कर गुंज़न को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। धर्मवीर का खड़ा लंड गुंज़न के मादक गांड में दबने लगा।

गुंज़न - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।

धर्मवीर ने गुंज़न की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को गुंज़न के नाभि में डाल दिया। गुंज़न सिसकारी मारने लगी धर्मवीर ने अपना एक हाथ आगे कर
गुंज़न की साड़ी को ऊपर उठा दिया,ओर अपनी ऊँगली गुंज़न की चुत में घुसा दिया। गुंज़न एकदम से चौंक गई।धर्मवीर लगतार गुंज़न के चुत में ऊँगली पेलता रहा। अब तक गुंज़न की बुर से पानी छुटने लगा था ।

धर्मवीर ने अपने राइट हैंड से अपना लंड बाहर निकाल के
गुंज़न के गांड से सटा दिया। धर्मवीर पगलों की तरह गुंज़न को चोदना चाहता था, धर्मवीर को न जाने क्या हो गया धर्मवीर रामलाल का बिना ख्याल किये किचन में ही गुंज़न के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। गुंज़न की दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। धर्मवीर गुंज़न को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, गुंज़न की साँस तेज़ चल रही थी। धर्मवीर अपने दोनों हथेलियों में गुंज़न की भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।

गुंज़न के मुह से टीस उठने लगी, वो भी उत्तेजित होकर अपना सब्र खो रही थी। वो अपने होठ धर्मवीर के मुह के अंदर ड़ालते हुए अपने हाथों से धर्मवीर के हाथ पकड़ बूब्स को जोर-जोर से रगड रही थी। लेकिन गुंज़न को इस बात का ख्याल था की कहीं पापा ये सब देख न ले।

गुंज़न - बाबूजी।। पापा देख लेंगे प्लीज छोड़ दिजिये

गुंज़न - ले बहु पहले मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले।

धर्मवीर ने गुंज़न का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया

गुंज़न - बाबूजी यहाँ किचन में?

धर्मवीर - क्या हुआ बहु जब तुम सुबह मेरा लंड चूस सकती हो तो यहाँ क्यों नहीं? चलो मेरा लंड सहलाओ और अपने मुह में ले कर चुसो

गुंज़न - ठीक है बाबूजी लेकिन जल्दी निकालिये अपना माल।

गुंज़न धर्मवीर का लंड पकड़ के मुट्ठ मारने लगी और
धर्मवीर अपने हाथ से उसके गरम निप्पल को दबाने लगा।
गुंज़न भी मस्ती में अपनी आँख बंद किये तेज़ी से मुट्ठ मारने लगी।।

गुंज़न - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।

धर्मवीर- बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ

गुंज़न - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ।

ये कहते हुए गुंज़न नीचे बैठ गई और धर्मवीर के लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया

धर्मवीर रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और गुंज़न ठीक वहीँ पे नीचे बैठी धर्मवीर का लंड चूस रही थी। गुंज़न जोर-जोर से धर्मवीर का लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, धर्मवीर का लंड गुंज़न के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। गुंज़न जब-जब धर्मवीर का लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में गुंज़न मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। रामलाल को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।

रामलाल- अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?

धर्मवीर - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था

रामलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।

धर्मवीर - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है

रामलाल - गुंज़न बेटी आज फ्रूट्स क्यों?

गुंज़न - (गुंज़न अपना मुह धर्मवीर के लंड से हटाते हुये बोली।) पापा वो आप बहुत सारे फल ले आए।इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।

रामलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।

गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को हाथ में पकड़ नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?

रामलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।

गुंज़न - केला पापा केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?

रामलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।

गुंज़न - (गुंज़नधर्मवीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?

रामलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?

गुंज़न - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।

रामलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।


गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।

रामलाल - हाँ अब खा जाओ।।

गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को कस कर पकड़ कर) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?

रामलाल - हाँ बेटी ले लो।

गुंज़न- उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो (धर्मवीर लंड को मुह में ले कर चूसने लगी)

रामलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये

गुंज़न - (धर्मवीर लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है। में इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।

गुंज़न को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख धर्मवीर के लंड का सारा पानी गुंज़न के मुँह में निकल गया। गुंज़न जोर से लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।गुंज़न का मुह धर्मवीर के वीर्य से इतना भर गया।

कुछ देर बाद सोनू भी स्कूल से आ जाता हैं। वो घर पर सब मिलकर खाना खाते हैं

रात को 9 बजे सब खाना खाने के बाद आपस में बात कर रहे थे

गुंज़न - पापा अब सो जाइये चलिये आप थक गए होंगे।

रामलाल - हाँ बेटा ठीक है, कमरे में तो बहुत गर्मी है और तुम ये ब्लैक गाउन पहन के लेटोगी?

गुंज़न - हाँ पापा मैं तो रात को अक्सर ये पहन के सोती हूँ।

रामलाल - बेटी तुम झूठ क्यों बोल रही हो? मैं समझ सकता हूँ तुम अकेली सोती थी तो इस गर्मी में कैसे सोती होगी। तुम जो इतना स्वेट कर रही हो इसी से मुझे पता चलता है की तुम्हे इसकी आदत नही

गुंज़न - ओके पापा, आपने ठीक पहचाना।

रामलाल - तो फिर गुंज़न बेटा लाइट्स ऑफ करो और नाईट गाउन उतार कर सो जाओ।

रामलाल आज अपनी बेटी को बिना नाइटी के अपने पास चाहते थे, और गुंज़न भी बिना लाइट्स बुझाये उनके सामने अपनी नाइटी उतार खड़ी हो गई।

गुंज़न बेशरमी से अपने पापा के सामने अपनी गदराई जवानी दिखाते हुए खड़ी थी। उसकी जाँघे बहुत गोरी दिख रही थी वो अपनी पेंटी में दोनों तरफ से अँगूठा डाले खड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पापा के एक इशारे पे अपनी पेंटी उतार देगी। गुंज़न ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप जला कर अपने पापा को हग करके सो गई।

क़रीब १ घंटे बाद रामलाल ने अपने लंड को लेटे लेटे पजामे के ऊपर से ही रगड रहे है। गुंज़न की पीठ खुली थी जिसे देख कर रामलाल अपना लंड बाहर निकाल जोर जोर से मुट्ठ मारने लगा।वो बार बार गुंज़न के तरफ ध्यान दे रहा था की कहीं गुंज़न जग न जाए।फिर रामलाल ने धीरे धीरे गुंज़न की ब्रा खोल दिया था और उसने गुंज़न की पेंटी भी सरका दिए और तेज़ी से लंड की स्कीन ऊपर नीछे करने लगे। उनकी साँसे तेज़ होती जा रही थी और साथ-साथ हिम्मत भी। गुंज़न के तरफ से कोई हलचल न देख कर वो अपना लंड मुट्ठी में लिए गुंज़न के चेहरे के काफी क़रीब आ गए और फिर उसका सारा वीर्य गुंज़न के चेहरे पे गिर गया।

सुबह 6 बजे गुंज़न जब उठी तो उसे अपने चहेरे पर कुछ चिप चिप सा लगा। उसने सोचा राल लगी है मुह पर। और वो उठकर अपने कम में लग गई।

कुछ देर बाद रामलाल और धर्मवीर भी उठकर बहार आ गये।

धर्मवीर - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी

रामलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।

रामलाल बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा गुंज़न तुम जाकर चाय बना लो । गुंज़न चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।गुंज़न जाकर चाय बनाने लगी तभी रामलाल ने कहा इस घर में चल क्या रहा है धर्मवीर जी।

धर्मवीर - क्या में समझा नही समधी जी।

रामलाल - कल जब मे मैच के दोरान पासब् करके लौट राह थ तो गुंज़न के कमरे में खिड़की से देखा तो आप गुंज़न के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही रामलाल के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया । धर्मवीर सोचने लगा कि गुंज़न को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया हैधर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा

धर्मवीर - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा घर कभी कभी ही आ पाता है बेचारी गुंज़न घर पर अकेली ही रहती है इसी कारण ना ही तो वो अभी तक माँ बन पाई है और अगर अकेले पन मे अगर वो बहरा कही और मर्द तलासने लगती तो घर की सारी इजत उतर जाती। इसलिय हमे चोचा की बहु को हम ही मा क्यू ना बना दु।

रामलाल ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए रामलाल ने खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

रामलाल - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था।

धर्मवीर - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि गुंज़न तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

रामलाल - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - रामलाल जी गुंज़न की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

रामलाल अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह गुंज़न धर्मवीर का पूरा लंड खा गई थी।

रामलाल - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है। में तो बोलता हु की एक बार आप भी गुंज़न की चुत को अपने माल
से भर दो फिर तो वो पक्का माँ बन जायेगी

धर्मवीर - तो बताइए समधी जी कैसा लगा मेरा प्लान।

रामलाल - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन मुझे डर गुंज़न का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा छोटा हो लेकिन पूरे दो इंच मोटा है।
Gunjan jhel legi dono ka sarm nhi aayegi usko
 

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धर्मवीर - लगता है रामलाल जी आप आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे है एक बात पुछु । आपका दिल क्या कह रहा है ।

रामलाल- मेरा तो मन कर रहा है कि गुंज़न को यहीं पटक कर चोद दूं बिना कोई रहम किये ।

धर्मवीर - गुंज़न पर रहम करना तो मूर्खता होगी समधीजी । ये तो हार्डकोर रंडी है

रामलाल - ये सब होगा कैसे धर्मवीर जी।

धर्मवीर - ये सब आप मुझे पर छोड़ दो आपकी बेटी खुद आप के नीचे आ जयेगी।

तभी गुंज़न चाय लेकर वाह आ जाती हैं।

गुंज़न - लो पापाजी आप की चाय।

धर्मवीर और रामलाल आपस में बात करते हुए चाय पीने लगते है सोनू भी उठ कर अपने स्कूल में जाने क लिया तेयार हो जाता है और गुंज़न नास्ता बनाने लगती हैं फिर सब नास्ता खाते हैं और नास्ता करने के बाद सोनू स्कूल मे चला जाता है
धर्मवीर और रामलाल अभी भी आपस में बात कर रहे होते है
कुछ देर बाद गुंज़न नहाने चली जाती है

धर्मवीर रामलाल से कहैता है।

धर्मवीर - रामलाल जी मे जाकर आप का कुछ काम बनवाता हु।

रामलाल - केसा काम धर्मवीर जी।

धर्मवीर - आपकी बेटी और आपका काम रामलाल जी।

ये बोल कर धर्मवीर जब रूम में गया तो गुंज़न अपने रूम मे ड्रेसिंग के सामने ब्रा सलवार में खड़ी थी और टॉवल से पानी सुखा रही थी

धर्मवीर - बहु।। तुम इस तरह से कपडे बदल रही हो, कहीं समधी जी आ गये तो अपनी जवान बेटी का गदराया बदन देख कर वो झड जाएंगे।

गुंज़न - छी: बाबूजी।। आप भी न मेरे और मेरे पापा के बीच कितनी गन्दी बात करते हैं मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं और अपनी बेटी के बारे में ऐसी गन्दी बात सोच भी नहीं सकते।

धर्मवीर - बहु मैं तुम्हे कैसे समझाऊँ तुम्हारे पापा सिर्फ तुमसे प्यार ही नहीं करत, तुम्हे चोदना भी चाहते है।

धर्मवीर - बस चुप करिये बाबूजी। अगर आप ये सब कुछ अपनी फैंटेसी के लिए बोल रहे हैं तो फिर ठीक है। लेकिन मेरे पापा ने मुझे हमेशा प्यार दिया है एक अच्छे पिता की तरह मैं उनकी अच्छी बेटी हू।

धर्मवीर - हाँ प्यारी बेटी जो अपने पापा का लंड रस चाट लेती है।

गुंज़न - प्लीज बाबूजी ऐसा मत कहिये वो मेरे पापा है। कृपया करके ऐसी बात मत करिये नहीं तो मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊंगी।

धर्मवीर- लेकिन तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती हो तुम मर्दो को नहीं जानती उनका लंड अपनी बहु बेटी या बेहेन के लिए भी खड़ा हो सकता है।

गुंज़न - मैं नहीं मानती, क्या सबूत है आपके पास?

धर्मवीर - सबूत? ठीक है बहु अगर ये बात है तो जैसा मैं कहूं वैसा तुम करो तो तुम्हारे पापा का तुम्हे चोदने की लालसा का साफ़ पता चल जाएग। बोलो चैलेंज ?

गुंज़न - हाँ चैलेंज, मैं जीतूँगी मुझे पता है। मुझे अपने पापा पे पूरा विश्वास है।

धर्मवीर - लेकिन कहीं तुम हार गई तो?

गुंज़न - तो फिर आप जो चाहेंगे मैं वो करुँगी।

धर्मवीर - अच्छा अगर मैं ये कहूं के तुम ये सलवार मेरे सामने उतार दो तो?

गुंज़न - मैं उतार दूंग़ी।।

धर्मवीर - तो उतारो।।

गुंज़न - अभी?

धर्मवीर - हाँ

गुंज़न - ठीक है

गुंज़न ने एक झटके में अपनी सलवार कसी हुई मांसल जांघो से सरकाती हुई नीचे कर दी ।

धर्मवीर - वाह बहु ये हुई न बात। अपनी ब्रा और पेंटी भी उतारो।
गुंज़न ने बेशरमी से अपनी ब्रा उतार दिया।।

धर्मवीर - आआआआह्ह्ह्ह बहु नंगी हो जा।। मुझे अपनी चूचि और चुत दिखाओ बहु।। आआह्ह्ह्ह

गुंज़न- बाबूजी आप तो शर्त जितने से पहले ही जीत का मजा लेने लगे। मैं आपको जितने नहीं दूँगी, और आपको अपनी चुत भी नहीं दिखाउंगी।

धर्मवीर - ठीक है बहु जैसा तुम कहो, लेकिन कमसे कम ये तो बताओ और क्या-क्या कर सकती हो मेरे लिए

गुंज़न - आपकी हर फेंटेसी को पूरा करुँगी।।

धर्मवीर - हर फैन्टेसी पूरा करोगी बहु? सोच लो।

गुंज़न - मैंने सोच लिया मैं आपकी हर फैन्टेसी पूरा करुँगी, आप जिससे भी कहेंगे उससे चुद जाऊँगी।

धर्मवीर - किसी से भी? कही भी?

गुंज़न- हाँ किसी से भी और कहीं भी। यहाँ तक की आपके सामने एक रास्ते के भिखारी से भी चुदवा लूंग़ी।

धर्मवीर - और क्या-क्या कर सकती हो? बोलती जाओ

गुंज़न - मैं आपसे सारी रात चुदुँगी।आप के वीर्य या पेशाब पी लुंगी।आपके वीर्य या पेशाब से नहा लूँगी।आपसे कही भी चुदा लुंगी।किचेन में खाना बनाते हुए खाते हुए ,नहाते हुए,पेशाब करते हुए,लैट्रिन करते हुए हर समय आप से चुदवाऊँगी।

धर्मवीर-और क्या करेगी मेरी रंडी।

गुंज़न-नाश्ता करते समय ब्रेड पर मख्खन की जगह आपके लण्ड से निकला वीर्य लगाकर खा लुंगी।किसी भी खुली जगह में आपसे चुदवा लुंगी।खेत में जंगल में पार्क में या छत पर कही भी दिन में आपसे चुदवा लुंगी।

धर्मवीर - नहीं मुझे मेरी फैन्टेसी को पूरा करो, कुछ ऐसा जिसे सुनकर या देखकर सारे मरदों के लंड का पानी निकल जाए

गुंज़न-मैं आपसे अपनी गांड मरवा लूँगी आप जैसे चाहो मेरी गांड में अपना मोटा लण्ड पेल देना चाहे मैं कितना भी चीखूँ या चिल्लाऊँ।

धर्मवीर -और बोल साली रंडी-मेरे लिए क्या क्या करेगी।

गुंज़न - ठीक है मैं अपने पति के सामने आपसे चुद सकती हू।चौबीस घंटे तक आपकी सेक्स स्लेव बन जाऊँगी।

धर्मवीर -आहः।।। बहु।।।।। और बोलो।।।

गुंज़न- मैं भरी बस में किस्सी भी स्ट्रेंजर का लंड मुह में ले के चूसूंगी। मोहल्ले के सारे लड़कों को मुट्ठ मारने पे मजबूर कर दूँगी। जरुरत पड़ी तो ४ लड़को से एक साथ चुदुँगी और उन सब का मुट्ठ पी जाऊँगी। सिनेमा हॉल में आपका लण्ड चूसकर उसका सारा मुठ पि जाऊँगी।

धर्मवीर - ठीक है, सबसे पहले तुम्हे घर में कम कपडे पहन के घूमना होगा। ज्यादा से ज्यादा अपना जिस्म तुम्हे अपने पापा को दिखाना होगा। अगर वो सच में सिर्फ तुम्हे बेटी की तरह चाहते हैं तो वो इग्नोर करेंगे। क्या तुम्हारे पास तुम्हारी कोई अधनंगी या नंगी तस्वीर है? जो शायद कभी मेरे बेटे ने खिची हो?

गुंज़न - (थोडा सोचने के बाद।।) हाँ कुछ फोटोग्राफ्स हैं वैसे। लेकिन उनका आप क्या करेंगे?

धर्मवीर - मैं नहीं तुम्हारे पापा, उनको किसी बहाने से तुम्हारी कुछ प्राइवेट तस्वीर दिखानी होगी।

गुंज़न - लेकिन बाबूजी ऐसा सब करने से उन्हें पता चला की ये मैंने जान बूझ कर किया है, तो कहीं बाप-बेटी का पवित्र रिश्ता खराब न हो जाए।

धर्मवीर - मैं जानता हूँ बहु, इसलिए मैंने तुम्हे उनके पास जाने के लिए नहीं कहा। हम कुछ ऐसा करेंगे जिससे उन्हें लगे की ये सब अनजाने में हो रहा है।

गुंज़न - ठीक है बाबूजी।। अभी पापा सो रहे हैं क्या मैं कुछ फोटोग्राफ लॉऊ?

धर्मवीर - हाँ बहु ले ऑऊ, हम फोटोग्राफ्स को रूम में ऐसी जगह रख देंगे जहाँ उनकी नज़र पडे। और बहु, जैसा मैंने कहा। तुम्हे उन्हें सेडयुस करना है, कभी अपनी नाभि दिखा कर कभी चूचियां तो कभी अपनी जाँघो को दिखा कर।

गुंज़न - ठीक है बाबू जी

गुंज़न अपने बैडरूम से कुछ फोटोग्राफ्स लेती आयी जिनमे से कुछ होश उड़ाने वाले थे।

गुंज़न ने अपने सारे फोटोग्राफ्स धर्मवीर दे दिए, धर्मवीर एक-एक कर उसकी फोटो देखने लगा। गुंज़न के फोटो बहुत ही उत्तेजित करने वाले थे। किसी फोटो में गुंज़न साड़ी में अपनी मक्खन जैसी मुलायम नाभि दिखाती हुई दीख रही थी तो कहीं सिर्फ ब्रा पेंटी में। और कहीं कहीं तो अपने हस्बैंड के साथ मस्ती करती हुई दिखी।

धर्मवीर - ओह बहु, तुम्हारी ये फोटो को देख कर तो मुरदे के भी लंड से पानी निकल जाए।

गुंज़न - शरमाती हुई। बाबूजी आप भी न।

धर्मवीर - अब देखना बहु समधी जी तुम्हारे इन फोटो को देख कर कैसे अपना कण्ट्रोल खोते हैं

गुंज़न - बाबूजी, कुछ फोटोग्राफ तो देखे जा सकते हैं लेकिन ये सब फोटो जब पापा देखेंगे तो मैं उनसे नज़रें कैसे मिला पाऊँगी

धर्मवीर - तुम उसकी चिंता मत करो।हम दोनों मिल कर इसका कुछ हल निकाल लेंगे।

गुंज़न - मुझे तो डर लग रहा है बाबूजी, मुझे पता है पापा ऐसे नहीं हैं लेकिन कहीं ये सब करके मैं उनकी नज़र में गन्दी बेटी न बन जाऊं।

धर्मवीर - बहु, तुम ऐसा सब मत सोचो। मैं जानता हूँ मुझे क्या करना है बस तुम्हे उनके सामने कुछ सेक्सी कपडे पहनने पडेंगे। तुम्हे उन्हें अपना गदराया बदन दिखा कर रिझाना होगा।

गुंज़न - ठीक है बाबूजी मैं कुछ सेक्सी कपडे पहनती हू। जो
राकेश मेरे लिए लाये थे।

गुंज़न बाथरूम में चेंज कर के आयी, और जब धर्मवीरने उसे देखा तो वो उस नाईट गाउन में किसी रंडी से कम नहीं लग रही थी।गुंज़न के नाईट गाउन इतने पतले थे के उसके बदन से चिपक गए थे। नाईट गाउन चिपकने से उसके कुल्हे बहुत बड़े नज़र आ रहे थे। ऊपर ब्रा न होने की वजह से गुंज़न की चूचियां आधी बाहर की ओर निकली थी। उसकी निप्पल के साइड का डार्क स्किन भी नज़र आ रहा था।

धर्मवीर - बहुत सेक्सी लग रही हो बहु।

तभी रामलाल रूम में आ जाते हैं अपनी बेटी को इस तरह से उन्होंने कभी नहीं देखा था उनकी सेक्सी बेटी अपनी आधी चूचियां लटकाये और मांसल गोरी जांघो को खोले उनके सामने बैठी थी। उनके मुह से कुछ नहीं निकला वो बेड के पास आ गये। गुंज़न ने अपना पोजीशन चेंज किया और झुकते हुए रामलाल के क़रीब आ गई। झुकने से उसकी चूचि इस बार पूरी बाहर निकल गई थी, बेड पे जब वो झुकि तो उसकी नंगी चूचिया बेड को छु रही थी। गुंज़न अपनी गाउन के सरकने से जानबूझ कर अन्जान बनी हुई थी।

गुंज़न - आपको नींद तो ठीक से आयी न पापा?

रामलाल - हाँ बेटी ठीक से सोया मैं तो रात में, मुझे तो कुछ भी पता नहीं चला कब सुबह हो गई। और जब मैं सुबह उठा तो काफी अच्छा महसूस कर रहा था।

रामलाल - अरे धर्मवीर जी आप क्यों मुस्कुरा रहे हैँ।

धर्मवीर - कुछ नहीं मैं सोच रहा था की आपकी बेटी ने कल रात आपकी खूब सेवा की तभी आपको अच्छे से नींद आई।

धर्मवीर ने मौका देखकर गुंज़न की एक फोटोग्राफ को पै से पुश कर रामलाल के पास पंहुचा दिया।

रामलाल - नीचे ये फर्श पे क्या गिरा है बेटी?

गुंज़न - कहाँ मुझे तो कुछ नज़र नहीं आ रहा।

रामलाल - रुको मैं उठाता हूं, कहीं मेरे पॉकेट से कुछ गिरा तो नहीं

रामलाल ने फोटो उठा कर पलटा और फोटो में अपनी बेटी को देख कर चौंक गये। फोटो में गुंज़न अपने पैरों में मेहंदी लगवा रही थी। उसने एक छोटी सी पेंटी पहनी थी जिसमें उसकी पूरी टाँग और जाँघें बिलकुल नंगी थी

रामलाल - बेटी ये तो तुम्हारी फोटो है

गुंज़न - मेरी फोटो? दिखाइये।

रामलाल - ये देखो बेटी,

गुंज़न - अरे हाँ ये तो मैं हू।।।

रामलाल - ये कहाँ की फोटो है बहु?

गुंज़न - पापा वो मेरी दोस्त है न शालीनी, उसकी शादी की है। हम सबलोग मेहंदी लगवा रहे थे। देखिये न इसमे मैं कितनी मोटी लग रही हू।

रामलाल - नहीं बेटी तुम मोटी तो बिलकुल नहीं ही, वो तो बस फोटोग्राफर के फोटो खीचने के वजह से।।

गुंज़न- फोटोग्राफर की वजह से क्या पापा?

रामलाल - फोटो नीचे से ली गई है न तो इसलिए तुम्हारी जाँघें मोटी लग रही है।

गुंज़न- नहीं पापा, मेरी जाँघ सच में बहुत मोटी है न। देखिये न फोटो में और मेरी अभी के जाँघो में आपको कोई अंतर दीखता है। मुझे तो मेरी जाँघें और मोटी लगती है।

रामलाल - बेटि, तुम्हारी जाँघे अच्छी है। मोटी जाँघ तो अच्छी लगती हैं।

गुंज़न - सच में पापा आपको मेरी मोटी जाँघ अच्छी लगती है?

रामलाल - हाँ बेटी।।। मुझे बहुत अच्छी लगती है। क्यों धर्मवीर जी आप देखिये इस फोटो को

रामलाल ने फोटो धर्मवीर की तरफ बढाते हुए कहा।

धर्मवीर हैरान था की वोलोग आपस में इतना खुल गए हैं की बहु के जांघों के बारे में बातें कर रहे हैं

धर्मवीर - हाँ बहु तुम्हारी जाँघ बहुत अच्छी है।

गुंज़न- (खुश होती हुई।।) थैंक यू बाबूजी

काफी देर तक वो तीनो रूम में बातें करते रहे। गुंज़न ने सुबह जल्द ही नाश्ता बना दिया था तो गुंज़न फिर से रसोई मे खाने बनाने चली जाती है और रामलाल और धर्मवीर जाकर टीवी देखने लगते हैं कुछ देर बाद गुंज़न खाना बना कर वापस आ जाती हैं

रामलाल हाथ में टीवी रिमोट लिए बैठा था और बगल मे रामलाल टीवी पे अपना पसंदीदा प्रोग्राम देख रहे थे।

तभी गुंज़न गुंज़न सोफे पे धर्मवीर और रामलाल के बीच चढ़ गयी, और अपने पापा से बोली

गुंज़न - पापा, क्या देख रहे हैं टीवी में? सीरियल लगाईये न प्लिज।

रामलाल - बेटी सीरियल में क्या है? वो तो तुम दूबारा देख सकती हो लेकिन ये टीवी पे ये लाइव शो मैं नहीं देख पाउँगा

गुंज़न पापा के बिलकुल पास गई, उसने टीवी रिमोट लेने के कोशिश की तो रामलाल ने नहीं दिया और उसे र्मवीर की तरह फेंक दिया। धर्मवीर रिमोट ले पाता इस से पहले गुंज़न ने अपना हाथ आगे बढा कर रिमोट ले लिया।

रामलाल - बेटी दो न प्लिज।

गुंज़न - नहीं दूंगी (कहते हुए गुंज़न ने चैनल चेंज कर दिया)

रामलाल गुंज़न के हाथ पकड़ कर रिमोट छिनने लगे।गुंज़न ने रिमोट बिस्तर पे अपनी पीठ के नीचे छिपा लिया। रामलाल रिमोट लेने के बहाने अपनी बेटी के आधे शरीर पे चढ़ गए थे।

रामलाल - धर्मवीर जी पकड़िये न बेटी को, रिमोट लेकर भाग जायेगी

रामलाल की यह बात सुनकर धर्मवीर ने गुंज़न के दोनों हाथ ऊपर कर कस कर पकड़ लिये। हाथ ऊपर करने से बहु के चूनरी हट गई थी और उसकी दोनों चूचि और बड़ी और मुलायम दिख रही थी। रामलाल का भी ध्यान बिलकुल अपनी बेटी के नरम-नरम चूचि पे था। रिमोट लेने के बहाने रामलाल गुंज़न के पेट और साइड से नंगी कमर को छू कर आनन्द उठाए। कई बार तो वो गुंज़न के नाभि का नज़ारा भी ले लिए । गुंज़न भी जान बूझ कर अपने पापा को चकमा देति रही और इसी बहाने रामलाल अपनी बेटी को ऊपर से नीचे तक कई जगहों पे मसल चुके थे।

गुंज़न - पापा, बाबूजी, ये गलत है आप दोनों लोग एक साथ मुझे पकड़ कर मुझसे जबरदस्ती रिमोट ले रहे है।

धर्मवीर - कुछ गलत नहीं है

कहते हुए धर्मवीर ने गुंज़न के पीठ के नीचे से रिमोट लेने के कोशिश की लेकिन गुंज़न उसके इरादे को जान चुकी थी धर्मवीर ने गुंज़न को आँखों से इशारा किया ताकि वो अपने पापा को और रिझाये।

गुंज़न ने रिमोट निकाल कर अपने दोनों जांघो के बीच में कस के दबा लिया। रामलाल रिमोट को पकड़ना चाहते थे लेकिन इस चक्कर में उनका हाथ गुंज़न के दोनों जाँघो के बीच फ़ांस गया।गुंज़न ने अंदर पैन्टी भी नहीं पहनी थी। वो बिना कोई ऐतराज़ दिखाते हुए अपने पापा का हाथ को जांघो के बीच दबाती रही। रामलाल का हाथ का स्पर्श गुंज़न के गरम बुर से हो रहा था। रामलाल भी उत्तेजित हो कर अपने हाथ को बाहर न निकाल कर रिमोट ढूंढने के बहाने अपनी बेटी के गरम चुत को रगडते हुए बोले

रामलाल - धर्मवीर जी, क्या हमदोनो इतने बूढ़े हैं के हमलोगों में ताकत नहीं रही, मैं अपनी बेटी से जीत नहीं पा रहा हूँ।

धर्मवीर - समधी जी आपकी नज़र कमजोर है बहु ने रिमोट अपने नीचे दबा लिया है। सरोज को उठा कर निकाल लीजिये।

रामलाल - जी मुझे मालूम है, लेकिन एसके कुल्हे इतने बड़े हैं के मैं इन्हे उठा नहीं पा रहा हूँ।

गुंज़न ने भी अपनी तरफ से झुठा ऐतराज़ करते हुये कहा

गुंज़न - पापा आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं वो भी बाबूजी के सामने ।

रामलाल - नहीं बेटि, इसमे मजाक उड़ाने वाली कौन सी बात हो गई। तुम्हे तो अपनी ख़ूबसूरती पे नाज़ होना चहिये

गुंज़न - कैसा नाज़ पापा, आपने अभी-अभी मुझे मोटी कहा।

समधि जी - बेटी मोटी कब कहा मैंने? मैंने तो सिर्फ इतना कहा के मैं तुम्हे उठा नहीं पा रहा क्योंकि तुम्हारे कुल्हे बड़े और भारी है।जहां तक मेरा मानना है तुम तगड़ी और टिकने वाली चीज हो ।

गुंज़न यह सुनकर शरमा गयी ।

गुंज़न - टिकने वाली चीज हो मतलब मैं समझी नही पापा जी

धर्मवीर- अरे बेटा समधी जी का ये मतलब है कि तुम हार मानने वाली नही हो किसी काम से ।तुम मे तो घोडी जैसी ताकत है

गुंज़न - ओह अच्छा पापाजी , हारना तो आपकी बेटि ने सीखा ही नही है ।

रामलाल गुंज़न की जांघों पर हाथ फेरते हुए बोला

रामलाल -सही कहा धर्मवीर जी हमारी बेटी हार मानने वाली घोड़ी नही है ।

धर्मवीर- समधीजी घोड़ी वही अच्छी होती है जो कभी हारे ना।

गुंज़न - पापाजी ऐसी घोडी के लिए घुड़सवार भी दमदार होना चाहिए ।

रामलाल - घुड़सवार की तुम चिंता ना करो बेटी घुड़सवार तो ऐसे ही कि घोडी के मुह से हिनहिनाने की आवाज तक ना निकले ।

धर्मवीर - बस बहु उमर का तकाजा है। तुम नहीं जानती अपने जमाने में जब हमलोग कॉलेज जाया करते थे उस वक़्त थिएटर में हर आने वाली लड़की के लचकती कमर और मटकते कूल्हों पे हम लड़के सीटियाँ बजाय करते थे।

गुंज़न- सच में बाबूजी, आप लोग भी उस जमाने में बदमाशी करते थे? हम लड़कियों को तो कभी पता हे नहीं चल पता के लड़को को क्या अच्छा लगता है।

रामलाल - बेटी वो तो उम्र ही ऐसी होती है, तुम्हे नहीं पता चलता लेकिन मैं तो समझ सकता हूँ न। इसलिए तो मैं तुम्हे अपने साथ बाजार ले जाने में झिझकता था याद है बेटी।

गुंज़न - हाँ आप मुझे मना करते थे लेकिन मैं फिर भी आपके साथ जिद्द करके आ जाती थी। लेकिन आप मुझे क्यों मना करते थे पापा?

गुंज़न - बेटी तुम बाजार में ध्यान नहीं देती थी, मैं देता था। जब भी तुम अपनी ब्लू कलर वाली टाइट जीन्स पहन के बाजार में चलति, तो तुम्हारे पीछे कॉलेज के लड़के जवान, बूढ़े सभी तुम्हारी बड़े-बड़े कूल्हों को देखा करते थे। और वो जीन्स भी तो टाइट थी जो तुम्हारी मांसल जाँघ और तुम्हारे निचले हिस्से को और भी उभार देती थी।

गुंज़न - ओह पापा मैं तो कभी ऐसा सोचा ही नही मुझे नहीं पता था की लोग ऐसे अट्रॅक्ट होते हैं लड़कियों के इस भाग के लिये। मेरे जीन्स पहनने पे ये हाल था तो मैं शॉर्ट्स पहनती तो क्या होता।।

रामलाल - है है ।। क्यों समधी जी आप बताइये क्या होता? आखिर शादी के बाद यहाँ इस मोहल्ले में क्या होता है वो तो आप ही बता सकते हैं क्यों?

धर्मवीर - हाँ समधी जी मैंने भी कई बार कोशिश की बहु को बोलने की लेकिन बोल नहीं पाया। यहाँ भी आस पास के लड़के बहु के हिप्स को बहुत घूरते है।

रामलाल - इस समस्या का कोई समाधान भी तो नहीं है। मेरी बेटी कर भी क्या सकती है, वो अपने बड़े-बड़े हिप्स को छुप्पा भी तो नहीं सकति। किस्सी भी कपडे में ये उभर कर दिखने लगते हैं

धर्मवीर - तुम्हे याद है बहु, वो हमारे पडोसी? शमशेर जी?

गुंज़न - हाँ शमशेर अंकल मुझे पता है हमारे पडोसी। क्या हुआ?

धर्मवीर - मुझे पहले पता नहीं चला, लेकिन वो जब बार बार घर पे आने लगे तो मुझे शक़ हुआ और फिर मैंने शमशेर को कई बार पकड़ लिया। फिर उन्हें मैंने यहाँ से भगा दिया।

रामलाल - ये कब की बात है? क्या मैं मिला हूँ शमशेर से?

धर्मवीर - नहीं आप नहीं जानते उनको, मेरी उम्र के है। पड़ोस में रहते हैं आज़कल कहीं बाहर गए है।

रामलाल -अच्छा, क्या किया उन्होंने?

धर्मवीर - वो बहु को बहुत ही गन्दी नज़र से देखते थे, वो बहु के कई फोटोग्राफ्स भी क्लिक किये थे। उन्हें मैंने कई बार घिनौनी हरकत करते देखा जो मैं बहु के सामने आपसे बता नहीं सकता।

गुंज़न - कैसी हरकत बाबूजी, बताइये मुझे। बात मेरे बारे में है तो मुझे पता होना चहिये।

धर्मवीर - नहीं बहु मैं नहीं बता सकता

रामलाल - कोई बात नहीं समधी जी मेरी बेटी कोई बच्ची नहीं है। अब ये शादीशुदा है आप बे-झिझक खुलकर बताइये


धर्मवीर- समधी जि, मैंने एक दिन रात में उनके कमरे में सिगरेट लेने गया तो देखा की बिस्तर पे बहु की कुछ पर्सनल फोटग्राफ्स है। जिनमे से कुछ फोटो में बहु नंगी भी थी।

गुंज़न - (चौंकते हुए) क्या मेरी पर्सनल फोटो? तो क्या शमशेर अंकल ने मेरी प्राइवेट फोटोज मेरे कमरे से चुरायीं थी?

रामलाल - (ग़ुस्से में आकर बोले) लेकिन बेटी, तुम्हारी नंगी फोटो उस बहनचोद शमशेर को कैसे मिली?

अपने पापा को गुस्से में गाली देता देख गुंज़न घबरा गई थी।

गुंज़न- (घबराती हुई) पापा वो कुछ फोटोज थे जो मेरे पति ने खिची थे वही उनके हाथ लग गई होंगी। लेकिन मैंने अभी कल ही देखा, सारी फोटोज मेरे पास है। और शमशेर अंकल बहुत अच्छे थे हो सकता है की वो शायद अनजाने में देख लिए होंगे और फिर वापस रख दी होगी

धर्मवीर - बहु सिर्फ इतनी बात नहीं है

गुंज़न- तो फिर कैसी बात थे बाबूजी बताइये।

धर्मवीर - बहु मैंने शमशेर को तुम्हारी फोटो पे मूठ मारते हुए देखा था

रामलाल - क्या? ये आप क्या कह रहे हैं समधी जी?

गुंज़न - मुट्ठ मारना मेरी फोटो देख कर? मैं समझी नही।

गुंज़न जानबूझ कर अपने पापा के सामने अन्जान बनने की कोशिश कर रही थी

गुंज़न - मुझे बताइये पापा मुट्ठ मारने का क्या मतलब होता है?

रामलाल - बेटी, मुट्ठ मारना मतलब वो बहनचोद शमशेर तुम्हारी नंगी फोटो देख कर अपना लंड रगड रहा था और तुम्हारी नंगी फोटो पे अपने लंड का सफ़ेद पानी गिराया। इसको बोलते हैं मुट्ठ मारना

रामलाल का अपनी बेटी के सामने लंड शब्द का यूज करना काफी शॉकिंग था।

गुंज़न - छी: पापा ये आप क्या कह रहे हैं शमशेर अंकल ऐसा नहीं कर सकते।


रामलाल- लेकिन बेटी तुम्हे ऐसी फोटो सब नहीं रखनी चहिये। दिखाओ मुझे मैं बताता हूँ के कौन सी फोटो तुम रख सकती हो और कौन नही।

गुंज़न - जी पापा लेकिन कुछ फोटो उसमे बहुत गन्दी हैं आपको दिखाने में मुझे शर्म आएगी

रामलाल - जब शमशेर तुम्हारी फोटो देख सकता है तो मैं क्यों नही। वैसे भी तुम मेरी बेटी हो तुम्हे मैंने बचपन से देखा है।

गुंज़न - ठीक है मै लाती हूँ।

गुंज़न फोटो निकाल कर लाई और अपने पापा को दिखाने लगी

रामलाल - ये सलवार और ब्रा वाली फोटो किसने खीची।

गुंज़न - ये वाली तो राकेश ने खींची है? वो मैं एक नयी ब्रा लाई थी तो देखना चाहती थी की मेरी ब्रा पीछे से कैसी लगती है

रामलाल -अच्छा।।एक बात है, ब्रा से अच्छी तो तुम्हारी हिप्स लग रही है इस फोटो में

गुंज़न - पापा आप बदमाश हो

रामलाल - है है है सच में, क्यों समधी जी सच है की नहीं ?

धर्मवीर - तुम तो हमेशा अच्छी लगती हो बेटी, और इस फोटो में तुम्हारी नाभि तो बहुत उत्तेजक दिख रही है। ऐसी फोटो देख कर शमशेर की हालत ख़राब हो जाती होगी।

गुंज़न - मुझे नहीं पता की शमशेर अंकल को मेरी नाभि देख कर उत्तेजना होती होगी।

दूसरी फोटो काफी हैरान कर देने वाली थी जिसमे गुंज़न ने ब्लाउज नहीं पहना था और केवल साड़ी लपेटे खड़ी थी।



रामलाल - बेटी क्या ये भी??? तुम्हारे पति ने खींची।

गुंज़न - पापा वो गलती से हो गया, मेरी ब्लाउज ढीली थी और हुक भी बंद नहीं थे जब मैं झुक कर साड़ी ठीक करने लगी तभी मेरी ब्लाउज पूरी नीचे सरक गई। मैंने झट्ट से आंचल से अपना फ्रंट कवर कर लिया। लेकिन तब तक राकेश जी के हाथ से गलती से कैमरा का बटन दब गया और ये फोटो खींच गई।

रामलाल - बेटी इसमे तुम्हारे फ्रंट नज़र आ रहे है।कहीं पहले क्लिक हो जाता तो तुम पूरी नंगी दिख जाती इस फोटो में।

रामलाल अब धीरे धीरे खुल गए थे और गुंज़न को टीज करने लगे थे। गुंज़न भी इन सब बातों का मजा ले रही थी।

रामलाल ने आगे के दो फोटो देखा तो एकदम से चौंक गये, वो अपनी आँखे बड़ी किये हुये देख रहे थे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था की ये उनकी बेटी है ।

ये वो फोटो थी जिसमें गुंज़न अपने हस्बैंड राकेश का लंड चूस रही थी। और राकेश के लंड का फव्वारा अपने मुह पे ले रही थी।

गुंज़न - ओह पापा आप गंदे हो छी:। आपको ये नहीं देखना चाहिए थी।।

रामलाल - लेकिन बेटी, एक बात कहुं।

गुंज़न - (शर्माते हुए) हाँ पापा बोलिये।

रामलाल - तुम इस पिक्चर में जिस तरह राकेश का लंड चूस रही हो, और उसके लंड के पानी को अपने मुह में ले रही हो। ऐसी तो प्रोस्टीच्यूट(रंडी) भी नहीं करती।

गुंज़न - ओह पापा प्लीज हटा दिजिये इस फोटो को।

रामलाल - क्यों बेटी, चूसते वक़्त तुम्हे शर्म नहीं आ रही थी अभी फोटो देख कर आ रही है।

गुंज़न - पापा, उस वक़्त की बात अलग थी अभी आपके सामने देखने में शर्म आ रही है।

रामलाल - ओह बेटी, तुम्हारी ऐसी फोटो देख कर तो वो बहनचोद शमशेर रोज मुट्ठ मरता होगा।

गुंज़न - पापा फिर गाली दिए आप? और वो भी गलत है ।

गुंज़न - हाँ वो मुझे देख कर मुट्ठ मारते थे, और मैं उनको अंकल बुलाती थी तो फिर आपकी गाली गलत हुई ना

रामलाल - है है ह।। हाँ बेटी वो बहनचोद नहीं बेटीचोद था जो अपनी बेटी सामान लड़की को देख कर मुट्ठ मारता था ।

धर्मवीर - समधी जी, ये गाली भी तो गलत ही हुई

रामलाल- क्यों ?

धर्मवीर - क्योंकि गुंज़न शमशेर की बेटी नहीं है, वो तो आपकी बेटी है शमशेर की जगह आप होते तो।।। गाली सही होती

रामलाल - (मुस्कुराते हुए) समधी जी आप बहुत बदमाश हो गए है, क्यों बेटी जब ससुर इतना बदमाश है तो बेटा तो तुम्हे बहुत परेशान करता होगा?

गुंज़न - पापा आप भी न कैसी बात कर रहे हैं?

रामलाल - हाँ बेटी बताओ, जिस तरह से तुम दामाद जी का लन्ड चूस रही हो उसे देख कर तो यही लगता है की तुम उसका लंड रोज चुसती होगी है न?

गुंज़न- हाँ चुसती थी हर रोज बिना चुसवाए वो मुझे कोई काम नहीं करने देते थे। गले तक अपना मोटा सा लंड डाल देते थे और मैं 15 मिनट तक उनका लण्ड चुसती रहती थी। इतना बड़ा लंड मैंने कभी नहीं देखा।

रामलाल -हा हा, आखिर बेटा किसका है। तुम्हारे ससुर जी इतने हट्टे कट्टे है। दमाद जी का वो भी तो उनही पे गया होगा। और जब बेटा का इतना बड़ा है तो सुसुर का तो और भी मोटा और मस्त होगा। और समधी जी का मुट्ठ भी राकेश से ज्यादा निकलता होगा। है न समधी जी? इस फोटो में अगर राकेश की जगह तुम्हारे ससुर जी होते तो तुम्हारा पूरा मुह इनके मुट्ठ से भरा होता।

गुंज़न - प्लीज पापा, ससुर जी आपको टीज किये तो आप अब उनको टीज कर रहे है। मगर कमसे कम मुझे लेकर टीज मत करिये। कोई और लड़की भी तो हो सकती है

धर्मवीर - हाँ समधी जी ये क्या बात हुई? आप मेरी बात का बदला ले रहे है।

रामलाल - अच्छा , अब नहीं बोलता मैं कुछ

तभी डोर बैल बाजी तो रामलाल ने बाकी के बचे फोटो अपनी
जेब मे रख लिया। गुंज़न ने जाकर डोर खोला तो सोनू आया था।
 

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सोनू ने जब गुंज़न को उन कपड़ो में देखा तो वो दखता ही रह गया। उसका लंड अपना फ़न उठाने लगा। घर पर धर्मवीर और रामलाल के होने के कारण वो कुछ कर नही सकता था।

कुछ देर बाद सब ने खाना खाया खाने के बाद गुंज़न अपने
रूम में जाकर आराम करने लगती हैं धर्मवीर और रामलाल आपस में गाप सपा करने लगते है

धर्मवीर- क्यो रामलाल जी अब बात बन जायेगी आपकी।
दखा गुंज़न आप के सामने किस तरह खुल कर लंड चुत की
बात कर रही थी।

रामलाल - हा संमधी जी बात तो कर रही थी गुंज़न पर मुझे डर लगता है कही गुंज़न बुरा ना मान जाये।

धर्मवीर- नही रामलाल जी मुझे तो नही लगता बहु बुरा मानेगी। मे तो कहता हूं कि आज रात को ही आप अपनी बेटी की बुर मे अपना बीज बोदो।

रामलाल - नही धर्मवीर जी मुझे तो बहुत डर लग रहा है।

धर्मवीर - तो ठीक है रामलाल जी चलो मेरे साथ तुम्हरे डर दूर कर के लाता हूँ।

फिर धर्मवीर सोनू को आवाज लगकर बोलता है सोनू बेटा
हम बहार घूमने जाते है बहु से बोल देना हमारा रात का खाना मत बनाना। ये बोल कर धर्मवीर और रामलाल बहार निकाल जाते हैं।

उन के बहार जाते ही सोनू गुंज़न के कमरे मे जाता है। क्योकि आज गुंज़न को देख सोनू का पहले ही बुरा हाल था। गुंज़न आखे बंद कर लेट हुई थी

सोनू ने जोर से गुंज़न को बाहों में जकड़ते हुए टूटी हुई आवाज में कहा- “भाभी चलो ना मेरे साथ, इसका इलाज तो करो ना लंड की तरफ़ इशारे करते हुए।

गुंज़न भी सुबह से धर्मवीर और रामलाल की वाजे से गरम हो गई थी इसलिए गुंज़न मुश्कुराकर सोनू होंठों पर अपने हाथ रखकर 'ओहह' कहती है,और धीरे से फुसफुसाते हुए सोनू से कहा- “अच्छा तुम चलो, मैं पीछे आती हूँ.."

सोनू अपने कमरे में गया और गुंज़न का इंतेजार करने लगा।
गुंज़न पहले टायलेट गई और टायलेट से सीधे सोनू के कमरे में गई। सोनू सिर्फ एक अंडरवेर में बेड पर लेटा इंतेजार कर रहा था। गुंज़न ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा- “तुम बहुत बुरे हो, मैं इतनी अच्छी नींद में सोई हुई थी, सिर्फ यह सब करने के लिए मुझको जगाया। बहुत बदमाश हो गए हो तुम आजकल।

सोनू अपने अंडरवेर के ऊपर हाथ फेरते हुए कहता है- “बात को समझो ना भाभी,

उसका लण्ड एकदम जमके कडक खडा हो गया और खशी से सोनू खड़ा होकर गुंज़न को अपना लण्ड दिखाया तो गुंज़न अपनी उंगलियों से हौले-हौले अपने कंधे पर से नाइटी के स्ट्रैप्स को नीचे सरकाने लगी, और बेड पर खड़ी हो गई और नाइटी को नीचे गिरने दिया, अब वो सिर्फ अपनी पैंटी में खड़ी थी सोनू के सामने। और सोनू अपनी भाभी की मस्त-मस्त, गोल-गोल चूचियों को देखते हुए अपने लण्ड पर हाथ चलाने लगा, गुंज़न की कमर, उसका पेट, उसकी हर कटाव सब मस्त थे। सोनू की नजरें चारों तरफ उसके जिश्म पर नाच रही थीं और वो लगातार मूठ मारते जा रहा था।

मूठ मारते-मारते सोनू गुंज़न के करीब गया और गुंज़न को बेड पर घुटनों के बल लाकर अपने लण्ड को उसके मुंह के पास किया तो धीरे से गुंज़न ने उसको अपने मुँह में लिया, ऊपरी हिस्से पर जीभ चलाई और मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर चूसना रोक कर गुंज़न ने लण्ड की पूरे लंबाई पर अपनी जीभ फेरी, चाटा, और नीचे सोनू के बाल्स पर जीभ फेरा।


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उसके एक अंडे को मुँह में ले लिया और चूसा तो सोनू पागल हो गया, उसका जिश्म काँपने लगा। फिर एक हाथ से गुंज़न ने उसका लण्ड पकड़ा और फिर उसके दूसरे अंडे को मुँह में लेकर चूसा, खयाल रखते हुए कि उसको दर्द ना हो। सोनू छत पर देखते हुए मजे का लुत्फ ले रहा था, थोड़ी तड़प के साथ। और साथ-साथ गुंज़न अपने दूसरे हाथ को उसके लण्ड पर चला रही थी।

फिर कुछ देर बाद सोनू ने गुंज़न के सर को हाथों में पकड़ा और लण्ड को उसके मुंह में डाला और हल्के-हल्के
अंदर-बाहर करने लगा। लण्ड चूसते हए गुंज़न गरम होने लगी और उसको अब लण्ड अपनी चूत के अंदर चाहिए था।
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जिस तरह से अपने नर्म हाथों को गुंज़न सोनू के जिश्म पर फेरने लगी थी, जिस तरह से सहलाए जा रही थी सोनू को और जिन्न नजरों से देख रही थी सोनू के चेहरे में, उससे साफ झलक आ रही थी की उसको अब सख्त जरूरत है चुदाई की।सोनू समझ गया कि अब लण्ड को चूत के अंदर पेलने का वक्त आ गया।गुंज़न ने अपनी पैंटी को झट से खींचकर नीचे फेंका और सोनू ने पोजीशन लेते हुए, खुद वो अपने पीठ पर सोयाऔर गुंज़न को अपने ऊपर ले लिया उसने। गुंज़न ने अपने पैरों को दोनों तरफ फैलाया और गुंज़न के पैरों को भी दोनों तरफ किया। फिर गुंज़न ने अपने हाथों से उसके लण्ड को अपने चूत के गीले छेद पर लगाया और गुंज़न खुद उसपर बैठी और लण्ड अपने आप फिसलते हुए उसके अंदर घुसता चला गया, और गुंज़न की सिसकारी कमरे में भर गई
veronica-rodriguez-in-evil-squirters-2-002

गुंज़नसोनू के ऊपर बैठी ऊपर-नीचे उठने बैठने लगी, लण्ड को अपने अंदर-बाहर करने के लिए अपने कमर हिलती गई। शुरू में तो धीरे-धीरे किया मगर धीरे-धीरे तेजी पकड़ती गई, उसकी कमर का हिलना और रफ्तार बढ़ती गई, इस कदर कि
गुंज़न पागलों की तरह उछल रही थी सोनू के लण्ड पर। सोनू अपनी भाभी की चूचियों को उस तरह से मचलते, उछलते हुए देखकर लण्ड में और भी रवानी महसूस कर रहा था। लगता था लण्ड अब कभी नहीं मुरझाने वाला है, और जिस तरह से, जिस रफ़्तार से गुंज़न उछलती गई बहुत ही जल्द दोनों को आगंजम एक साथ प्राप्त हुए।

सोनू गुंज़न की चूचियां, गला, मुँह, नाक, कान सब चूमते चाटते गया और गुंज़न भी झुक गई पूरी तरह से सोनू पर और उसको चूमती गई, जहाँ-जहाँ उसका मुंह पड़ता थी सोनू पर। गुंज़न ने अपने थूक से सोनू के चेहरे को भीगो दिया था।

फिर दोनों सोनू के बिस्तर पर तब तक लेटे रहे। जब गुंज़न डोर बैल सुनाई दी तो वो जल्दी से उठकर, नंगी भागती गई अपने कपड़ों को हाथ में लिए अपने रूम में गई। और सोनू ने जाकर डोर खोला।
 
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