Lucky-the-racer
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Gunjan jhel legi dono ka sarm nhi aayegi uskoगुंज़न बाहर रामलाल के पास आती है
गुंज़न -पापा आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है मैं तबतक आपका सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी।
रामलाल - नहीं नहीं बेटी।। मैं गेस्ट रूम में रह लूंगा। तुम अब तक अकेली सोती थी न तो तुम्हे परेशानी होगी।
गुंज़न - नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे। हाँ मैं रोज़ अकेली अपने कमरे में। लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताऊँगी
गुंज़न ने आगे बढ़ कर अपने पापा को हग कर लिया, रामलाल भी अपनी बेटी के छूते हुये अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टीका दिए और कस के लिपट गये। धर्मवीर वहाँ खड़ा सब देखता रहा बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे की गुंज़न की बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे और रामलाल अपनी बेटी के जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मजा ले रहे थे।
बाप-बेटी के इस वर्ताव से धर्मवीर को कोई प्रॉब्लम नहीं था, बल्कि धर्मवीर को जाने क्यों गुंज़न और उसके पापा को साथ-साथ देख मजा आ रहा था। धर्मवीर जाने क्यों गुंज़न को
उसके पापा के साथ चुदते हुए देखना चाहता था।
रामलाल - अच्छा बेटी चलो मैं फ्रेश हो कर आता हू।
गुंज़न - जी पापा मैं आपके सामान को टेबल और कपबोर्ड में लगा देती हू।
रामलाल - ओके बेटी
गुंज़न रामलाल का सूटकेस खोलने लगी।।
गुंज़न - बाबूजी इधर आईए न जरा मदद करेंगे मेरी सूटकेस खोलने में?
धर्मवीर - हाँ बहु ये लो खुल गया।।
गुंज़न - मैं ये सब सामान कपबोर्ड में लगा देती हूँ अरे ये साइड में क्या आवाज़ कर रहा है देखिये तो।।
धर्मवीर - बहु ये तो कोई मैगज़ीन है।। रुको निकालता हूं
धर्मवीर ने जब मैगज़ीन बाहर निकाला तो वो एक पोर्न मैगज़ीन थी।। जिसके कवर पेज पे एक लड़की लंड चूस रही थी धर्मवीर ने गुंज़न को दिखाया।
धर्मवीर - ये देखो बहु, तुम्हारा पापा ने सूटकेस में ये मैगज़ीन छुपा के रखी है।।
गुंज़न - ओह माय गोड़। पापा ये सब?
धर्मवीर - क्यों नहि।। और ये देखो बहु ये इन्सेस्ट मैगज़ीन है। ये ऊपर लिखा है डॉटर लव्स टू सक।। मतलब बेटी को लंड चुसना पसंद है।। आखिर तुम्हारे पापा ऐसे मैंगज़ीन क्यों पढेंगे वो भी बाप - बेटी के सेक्स रिश्ते के बारे में।
गुंज़न ने मैगज़ीन धर्मवीर से ले लिए और आश्चर्य से देखने लगी।। जब उसने मैगज़ीन अंदर खोला तो हैरान रह गई।। अंदर कई मॉडल के फोटो पे दाग लगे थे।
गुंज़न - बाबूजी।। ये मैगज़ीन पे हर लड़की के फोटो पे दाग कैसे।। जैसे कुछ गिरा हो।
धर्मवीर - बहु ये मुट्ठ के दाग है।। तुम्हारे पापा ये सब तस्वीर देख कर मूठ मारते होंगे और हर मॉडल के ऊपर अपना मुट्ठ गिराया है।।
गुंज़न - (२ पन्ने और पलटते हुए। ) आआह्ह्।। ये गिला चिपचिपा सा।।।
धर्मवीर - क्या हुआ बहु?
गुंज़न - बाबूजी ये देखिये न एक फोटो पे ये गिला गिला है।। चिपचिपा सा।।
धर्मवीर - ये तो मुट्ठ ही है बहु, वो भी ताजा।।
गुंज़न - इसका मतलब क्या पापा ने अभी इस फोटो पे मुट्ठ मारे हैं?
धर्मवीर - हाँ बहु और कौन करेंगा।। ये तुम्हारे पापा का ही मुट्ठ है।।
गुंज़न - आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?
धर्मवीर - मुझे आदमी के सेक्सुअल जरुरत मालूम है ये मुट्ठ ही है, यकीन न आये तो चाट के देख लो नमकीन सा टेस्ट होगा
गुंज़न - छी: बाबूजी।। अगर आप सही कह रहे होंगे तो क्या मैं अपने पापा का मुट्ठ चाटूँगी ??
धर्मवीर - अरे बहु कोई बात नही।। तुमने मेरा भी तो मुट्ठ पिया है कितनी बार।। चाट के देख लो।।
गुंज़न- (मुट्ठ को स्मेल करती हुई।। चाट लूँ सच्ची? )
धर्मवीर - हाँ बहु।।
धर्मवीरके हाँ कहते ही गुंज़न जीभ लगा कर मुट्ठ चाटने लगी।
गुंज़न - ओह बाबूजी आप सच कह रहे हैं ये तो मुट्ठ का ही टेस्ट है।।
धर्मवीर - और चाट लो बहु।।
गुंज़न आँखे बंद कर मस्ती में अपने पापा का मूठ चाट गई
धर्मवीर - ओह बहु।। लगता है तुम्हे अपने पापा के लंड का मुट्ठ बहुत पसंद आया।।
गुंज़न - छी: बाबूजी आप भी न।। मैं तो बस कन्फर्म करने के लिए चाटी।।
धर्मवीर - काश तुम समधी जी का लंड चाटती तो वो तेरे मुह में ही अपना मुठ छोड़ देते।।
गुंज़न - ओह बाबूजी ये आप क्या कह रहे है।। मैं अपने पापा का लंड चूसूंगी।।
धर्मवीर - कोई बात नहीं बहु।। सेक्स के जरुरत में रिश्ता नहीं देखा जाता। और तुम्हारी उभरी हुई निप्पल बता रही है की तुम ये सोच कर बहुत एक्साईटेड हो गई हो।।
गुंज़न - बाबूजी।। चुप रहिये आप भी न।।
धर्मवीर - मेरा यकीन करो बहु।। अगर समधी जी के पास तुम्हारी फोटो होती तो वो अबतक दूसरे लड़कियों पे अपना मुट्ठ बर्बाद नहीं करते।। बल्कि सारा दिन तुम्हारी फोटो पे ही मुट्ठ मारा करते।।
गुंज़न - बस करिये न बाबूजी।
धर्मवीर - बहु इससे पहले की समधी जी देखें मैगज़ीन वापस रख दो।
गुंज़न - ओके बाबूजी।।
गुंज़न ने मैगज़ीन वापस रख दिया और फिर कमरे से बाहर
किचन में चलि गई। रामलाल भी बाथरूम से बाहर आये और अपने कपडे चेंज कर डाइनिंग हॉल में चले गए।
दोपहर 2 बजे रामलाल और धर्मवीर हॉल मे बैठ कर बात कर रहे थे और गुंज़न किचन में काम कर रही थी तभी धर्मवीर किचन में पहुच कर गुंज़न को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। धर्मवीर का खड़ा लंड गुंज़न के मादक गांड में दबने लगा।
गुंज़न - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।
धर्मवीर ने गुंज़न की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को गुंज़न के नाभि में डाल दिया। गुंज़न सिसकारी मारने लगी धर्मवीर ने अपना एक हाथ आगे कर
गुंज़न की साड़ी को ऊपर उठा दिया,ओर अपनी ऊँगली गुंज़न की चुत में घुसा दिया। गुंज़न एकदम से चौंक गई।धर्मवीर लगतार गुंज़न के चुत में ऊँगली पेलता रहा। अब तक गुंज़न की बुर से पानी छुटने लगा था ।
धर्मवीर ने अपने राइट हैंड से अपना लंड बाहर निकाल के
गुंज़न के गांड से सटा दिया। धर्मवीर पगलों की तरह गुंज़न को चोदना चाहता था, धर्मवीर को न जाने क्या हो गया धर्मवीर रामलाल का बिना ख्याल किये किचन में ही गुंज़न के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। गुंज़न की दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। धर्मवीर गुंज़न को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, गुंज़न की साँस तेज़ चल रही थी। धर्मवीर अपने दोनों हथेलियों में गुंज़न की भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।
गुंज़न के मुह से टीस उठने लगी, वो भी उत्तेजित होकर अपना सब्र खो रही थी। वो अपने होठ धर्मवीर के मुह के अंदर ड़ालते हुए अपने हाथों से धर्मवीर के हाथ पकड़ बूब्स को जोर-जोर से रगड रही थी। लेकिन गुंज़न को इस बात का ख्याल था की कहीं पापा ये सब देख न ले।
गुंज़न - बाबूजी।। पापा देख लेंगे प्लीज छोड़ दिजिये
गुंज़न - ले बहु पहले मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले।
धर्मवीर ने गुंज़न का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया
गुंज़न - बाबूजी यहाँ किचन में?
धर्मवीर - क्या हुआ बहु जब तुम सुबह मेरा लंड चूस सकती हो तो यहाँ क्यों नहीं? चलो मेरा लंड सहलाओ और अपने मुह में ले कर चुसो
गुंज़न - ठीक है बाबूजी लेकिन जल्दी निकालिये अपना माल।
गुंज़न धर्मवीर का लंड पकड़ के मुट्ठ मारने लगी और
धर्मवीर अपने हाथ से उसके गरम निप्पल को दबाने लगा।
गुंज़न भी मस्ती में अपनी आँख बंद किये तेज़ी से मुट्ठ मारने लगी।।
गुंज़न - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।
धर्मवीर- बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ
गुंज़न - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ।
ये कहते हुए गुंज़न नीचे बैठ गई और धर्मवीर के लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया
धर्मवीर रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और गुंज़न ठीक वहीँ पे नीचे बैठी धर्मवीर का लंड चूस रही थी। गुंज़न जोर-जोर से धर्मवीर का लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, धर्मवीर का लंड गुंज़न के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। गुंज़न जब-जब धर्मवीर का लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में गुंज़न मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। रामलाल को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।
रामलाल- अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?
धर्मवीर - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था
रामलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।
धर्मवीर - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है
रामलाल - गुंज़न बेटी आज फ्रूट्स क्यों?
गुंज़न - (गुंज़न अपना मुह धर्मवीर के लंड से हटाते हुये बोली।) पापा वो आप बहुत सारे फल ले आए।इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।
रामलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।
गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को हाथ में पकड़ नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?
रामलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।
गुंज़न - केला पापा केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?
रामलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।
गुंज़न - (गुंज़नधर्मवीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?
रामलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?
गुंज़न - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।
रामलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।
गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।
रामलाल - हाँ अब खा जाओ।।
गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को कस कर पकड़ कर) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?
रामलाल - हाँ बेटी ले लो।
गुंज़न- उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो (धर्मवीर लंड को मुह में ले कर चूसने लगी)
रामलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये
गुंज़न - (धर्मवीर लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है। में इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।
गुंज़न को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख धर्मवीर के लंड का सारा पानी गुंज़न के मुँह में निकल गया। गुंज़न जोर से लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।गुंज़न का मुह धर्मवीर के वीर्य से इतना भर गया।
कुछ देर बाद सोनू भी स्कूल से आ जाता हैं। वो घर पर सब मिलकर खाना खाते हैं
रात को 9 बजे सब खाना खाने के बाद आपस में बात कर रहे थे
गुंज़न - पापा अब सो जाइये चलिये आप थक गए होंगे।
रामलाल - हाँ बेटा ठीक है, कमरे में तो बहुत गर्मी है और तुम ये ब्लैक गाउन पहन के लेटोगी?
गुंज़न - हाँ पापा मैं तो रात को अक्सर ये पहन के सोती हूँ।
रामलाल - बेटी तुम झूठ क्यों बोल रही हो? मैं समझ सकता हूँ तुम अकेली सोती थी तो इस गर्मी में कैसे सोती होगी। तुम जो इतना स्वेट कर रही हो इसी से मुझे पता चलता है की तुम्हे इसकी आदत नही
गुंज़न - ओके पापा, आपने ठीक पहचाना।
रामलाल - तो फिर गुंज़न बेटा लाइट्स ऑफ करो और नाईट गाउन उतार कर सो जाओ।
रामलाल आज अपनी बेटी को बिना नाइटी के अपने पास चाहते थे, और गुंज़न भी बिना लाइट्स बुझाये उनके सामने अपनी नाइटी उतार खड़ी हो गई।
गुंज़न बेशरमी से अपने पापा के सामने अपनी गदराई जवानी दिखाते हुए खड़ी थी। उसकी जाँघे बहुत गोरी दिख रही थी वो अपनी पेंटी में दोनों तरफ से अँगूठा डाले खड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पापा के एक इशारे पे अपनी पेंटी उतार देगी। गुंज़न ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप जला कर अपने पापा को हग करके सो गई।
क़रीब १ घंटे बाद रामलाल ने अपने लंड को लेटे लेटे पजामे के ऊपर से ही रगड रहे है। गुंज़न की पीठ खुली थी जिसे देख कर रामलाल अपना लंड बाहर निकाल जोर जोर से मुट्ठ मारने लगा।वो बार बार गुंज़न के तरफ ध्यान दे रहा था की कहीं गुंज़न जग न जाए।फिर रामलाल ने धीरे धीरे गुंज़न की ब्रा खोल दिया था और उसने गुंज़न की पेंटी भी सरका दिए और तेज़ी से लंड की स्कीन ऊपर नीछे करने लगे। उनकी साँसे तेज़ होती जा रही थी और साथ-साथ हिम्मत भी। गुंज़न के तरफ से कोई हलचल न देख कर वो अपना लंड मुट्ठी में लिए गुंज़न के चेहरे के काफी क़रीब आ गए और फिर उसका सारा वीर्य गुंज़न के चेहरे पे गिर गया।
सुबह 6 बजे गुंज़न जब उठी तो उसे अपने चहेरे पर कुछ चिप चिप सा लगा। उसने सोचा राल लगी है मुह पर। और वो उठकर अपने कम में लग गई।
कुछ देर बाद रामलाल और धर्मवीर भी उठकर बहार आ गये।
धर्मवीर - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी
रामलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।
रामलाल बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा गुंज़न तुम जाकर चाय बना लो । गुंज़न चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।गुंज़न जाकर चाय बनाने लगी तभी रामलाल ने कहा इस घर में चल क्या रहा है धर्मवीर जी।
धर्मवीर - क्या में समझा नही समधी जी।
रामलाल - कल जब मे मैच के दोरान पासब् करके लौट राह थ तो गुंज़न के कमरे में खिड़की से देखा तो आप गुंज़न के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।
धरवीर ने जैसे ही रामलाल के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया । धर्मवीर सोचने लगा कि गुंज़न को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया हैधर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा
धर्मवीर - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा घर कभी कभी ही आ पाता है बेचारी गुंज़न घर पर अकेली ही रहती है इसी कारण ना ही तो वो अभी तक माँ बन पाई है और अगर अकेले पन मे अगर वो बहरा कही और मर्द तलासने लगती तो घर की सारी इजत उतर जाती। इसलिय हमे चोचा की बहु को हम ही मा क्यू ना बना दु।
रामलाल ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए रामलाल ने खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।
रामलाल - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।
धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था।
धर्मवीर - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि गुंज़न तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।
रामलाल - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।
धर्मवीर - रामलाल जी गुंज़न की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।
रामलाल अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह गुंज़न धर्मवीर का पूरा लंड खा गई थी।
रामलाल - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।
धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है। में तो बोलता हु की एक बार आप भी गुंज़न की चुत को अपने माल
से भर दो फिर तो वो पक्का माँ बन जायेगी
धर्मवीर - तो बताइए समधी जी कैसा लगा मेरा प्लान।
रामलाल - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन मुझे डर गुंज़न का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा छोटा हो लेकिन पूरे दो इंच मोटा है।