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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

malikarman

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सोनू ने जब गुंज़न को उन कपड़ो में देखा तो वो दखता ही रह गया। उसका लंड अपना फ़न उठाने लगा। घर पर धर्मवीर और रामलाल के होने के कारण वो कुछ कर नही सकता था।

कुछ देर बाद सब ने खाना खाया खाने के बाद गुंज़न अपने
रूम में जाकर आराम करने लगती हैं धर्मवीर और रामलाल आपस में गाप सपा करने लगते है

धर्मवीर- क्यो रामलाल जी अब बात बन जायेगी आपकी।
दखा गुंज़न आप के सामने किस तरह खुल कर लंड चुत की
बात कर रही थी।

रामलाल - हा संमधी जी बात तो कर रही थी गुंज़न पर मुझे डर लगता है कही गुंज़न बुरा ना मान जाये।

धर्मवीर- नही रामलाल जी मुझे तो नही लगता बहु बुरा मानेगी। मे तो कहता हूं कि आज रात को ही आप अपनी बेटी की बुर मे अपना बीज बोदो।

रामलाल - नही धर्मवीर जी मुझे तो बहुत डर लग रहा है।

धर्मवीर - तो ठीक है रामलाल जी चलो मेरे साथ तुम्हरे डर दूर कर के लाता हूँ।

फिर धर्मवीर सोनू को आवाज लगकर बोलता है सोनू बेटा
हम बहार घूमने जाते है बहु से बोल देना हमारा रात का खाना मत बनाना। ये बोल कर धर्मवीर और रामलाल बहार निकाल जाते हैं।

उन के बहार जाते ही सोनू गुंज़न के कमरे मे जाता है। क्योकि आज गुंज़न को देख सोनू का पहले ही बुरा हाल था। गुंज़न आखे बंद कर लेट हुई थी

सोनू ने जोर से गुंज़न को बाहों में जकड़ते हुए टूटी हुई आवाज में कहा- “भाभी चलो ना मेरे साथ, इसका इलाज तो करो ना लंड की तरफ़ इशारे करते हुए।

गुंज़न भी सुबह से धर्मवीर और रामलाल की वाजे से गरम हो गई थी इसलिए गुंज़न मुश्कुराकर सोनू होंठों पर अपने हाथ रखकर 'ओहह' कहती है,और धीरे से फुसफुसाते हुए सोनू से कहा- “अच्छा तुम चलो, मैं पीछे आती हूँ.."

सोनू अपने कमरे में गया और गुंज़न का इंतेजार करने लगा।
गुंज़न पहले टायलेट गई और टायलेट से सीधे सोनू के कमरे में गई। सोनू सिर्फ एक अंडरवेर में बेड पर लेटा इंतेजार कर रहा था। गुंज़न ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा- “तुम बहुत बुरे हो, मैं इतनी अच्छी नींद में सोई हुई थी, सिर्फ यह सब करने के लिए मुझको जगाया। बहुत बदमाश हो गए हो तुम आजकल।

सोनू अपने अंडरवेर के ऊपर हाथ फेरते हुए कहता है- “बात को समझो ना भाभी,

उसका लण्ड एकदम जमके कडक खडा हो गया और खशी से सोनू खड़ा होकर गुंज़न को अपना लण्ड दिखाया तो गुंज़न अपनी उंगलियों से हौले-हौले अपने कंधे पर से नाइटी के स्ट्रैप्स को नीचे सरकाने लगी, और बेड पर खड़ी हो गई और नाइटी को नीचे गिरने दिया, अब वो सिर्फ अपनी पैंटी में खड़ी थी सोनू के सामने। और सोनू अपनी भाभी की मस्त-मस्त, गोल-गोल चूचियों को देखते हुए अपने लण्ड पर हाथ चलाने लगा, गुंज़न की कमर, उसका पेट, उसकी हर कटाव सब मस्त थे। सोनू की नजरें चारों तरफ उसके जिश्म पर नाच रही थीं और वो लगातार मूठ मारते जा रहा था।

मूठ मारते-मारते सोनू गुंज़न के करीब गया और गुंज़न को बेड पर घुटनों के बल लाकर अपने लण्ड को उसके मुंह के पास किया तो धीरे से गुंज़न ने उसको अपने मुँह में लिया, ऊपरी हिस्से पर जीभ चलाई और मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर चूसना रोक कर गुंज़न ने लण्ड की पूरे लंबाई पर अपनी जीभ फेरी, चाटा, और नीचे सोनू के बाल्स पर जीभ फेरा।


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उसके एक अंडे को मुँह में ले लिया और चूसा तो सोनू पागल हो गया, उसका जिश्म काँपने लगा। फिर एक हाथ से गुंज़न ने उसका लण्ड पकड़ा और फिर उसके दूसरे अंडे को मुँह में लेकर चूसा, खयाल रखते हुए कि उसको दर्द ना हो। सोनू छत पर देखते हुए मजे का लुत्फ ले रहा था, थोड़ी तड़प के साथ। और साथ-साथ गुंज़न अपने दूसरे हाथ को उसके लण्ड पर चला रही थी।

फिर कुछ देर बाद सोनू ने गुंज़न के सर को हाथों में पकड़ा और लण्ड को उसके मुंह में डाला और हल्के-हल्के
अंदर-बाहर करने लगा। लण्ड चूसते हए गुंज़न गरम होने लगी और उसको अब लण्ड अपनी चूत के अंदर चाहिए था।
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जिस तरह से अपने नर्म हाथों को गुंज़न सोनू के जिश्म पर फेरने लगी थी, जिस तरह से सहलाए जा रही थी सोनू को और जिन्न नजरों से देख रही थी सोनू के चेहरे में, उससे साफ झलक आ रही थी की उसको अब सख्त जरूरत है चुदाई की।सोनू समझ गया कि अब लण्ड को चूत के अंदर पेलने का वक्त आ गया।गुंज़न ने अपनी पैंटी को झट से खींचकर नीचे फेंका और सोनू ने पोजीशन लेते हुए, खुद वो अपने पीठ पर सोयाऔर गुंज़न को अपने ऊपर ले लिया उसने। गुंज़न ने अपने पैरों को दोनों तरफ फैलाया और गुंज़न के पैरों को भी दोनों तरफ किया। फिर गुंज़न ने अपने हाथों से उसके लण्ड को अपने चूत के गीले छेद पर लगाया और गुंज़न खुद उसपर बैठी और लण्ड अपने आप फिसलते हुए उसके अंदर घुसता चला गया, और गुंज़न की सिसकारी कमरे में भर गई
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गुंज़नसोनू के ऊपर बैठी ऊपर-नीचे उठने बैठने लगी, लण्ड को अपने अंदर-बाहर करने के लिए अपने कमर हिलती गई। शुरू में तो धीरे-धीरे किया मगर धीरे-धीरे तेजी पकड़ती गई, उसकी कमर का हिलना और रफ्तार बढ़ती गई, इस कदर कि
गुंज़न पागलों की तरह उछल रही थी सोनू के लण्ड पर। सोनू अपनी भाभी की चूचियों को उस तरह से मचलते, उछलते हुए देखकर लण्ड में और भी रवानी महसूस कर रहा था। लगता था लण्ड अब कभी नहीं मुरझाने वाला है, और जिस तरह से, जिस रफ़्तार से गुंज़न उछलती गई बहुत ही जल्द दोनों को आगंजम एक साथ प्राप्त हुए।

सोनू गुंज़न की चूचियां, गला, मुँह, नाक, कान सब चूमते चाटते गया और गुंज़न भी झुक गई पूरी तरह से सोनू पर और उसको चूमती गई, जहाँ-जहाँ उसका मुंह पड़ता थी सोनू पर। गुंज़न ने अपने थूक से सोनू के चेहरे को भीगो दिया था।

फिर दोनों सोनू के बिस्तर पर तब तक लेटे रहे। जब गुंज़न डोर बैल सुनाई दी तो वो जल्दी से उठकर, नंगी भागती गई अपने कपड़ों को हाथ में लिए अपने रूम में गई। और सोनू ने जाकर डोर खोला।
Shandar update
 

Rinkp219

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Wow Bhai hottest update bro.... waiting more ... foursome ho jaye gunjan k sath
 

Hkgg

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सोनू के दरवाजे खोलते ही धर्मवीर और रामलाल घर के अंदर आते है उन दोनो देखकर ही पता चल रहा था कि उन्होंने दारू पी रखी हैं।अंदर आकर वो दोनों टीवी देखने लग जाते है।

तभी गुंज़न भी अपने कमरे से बहरा आती हैं। और उन दोनों के पास जाती हैं उन पास जाते ही गुंज़न को भी पता चल जाता हैं कि वो दोनों नशे मे है गुंज़न उनसे बोली

गुंज़न - “आप नशे में हो, है ना? मगर शुक्र है आपने और नहीं पी वरना मैं आपसे बात नहीं करती हाँ..."

फिर गुंज़न किचन मे जाती है और अपने लिए खाने बनती हैं। तभी धर्मवीर भी किचन मे चला जाता है। और वो गुंज़न को पीछे पकड़ लेता है गुंज़न डर जाती हैं पर तभी धर्मवीर बोलता है।

धर्मवीर - बहु आज तुम बहुत सुन्दर लगा रही हो। बच के
रहना रात को अपने पापा से कही रामलाल जी नशे में अपनी बेटी के उपर ही ना चड जाए।

गुंज़न- हटये बाबूजी कैसी बात कर रहे हैं ऐसे कुछ नही करगे पापा। और जाईये यहा से मुझे काम करने दीजिये चलो मैं
आप के और पापा के लिए दूध ले कर आती हु।

फिर धर्मवीर वापस रामलाल के पास आकर बैठ जाता हैं।
तब तक सोनू भी वहा आकर टीवी देखने लग जाता है कुछ देर बाद गुंज़न उनके लिए दूध लेकर आती हैं और तीनों बैठ कर टीवी देखने लग जाते है करीब 2 घंटे तक टीवी देखने के बाद गुंज़न बोली।

गुंज़न - चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं जाकर सो रही हूं ।

कुछ देर बाद सोनू भी अपने कमरे मे चला जाता हैं धर्मवीर और रामलाल अभी भी वही बैठे हुए थे तभी धर्मवीर बोला

धर्मवीर - जाईये रामलाल जी आपकी बेटी आप का इंतजार कर रही हैं जाईये और आज अपनी बेटी की सारी गर्मी निकाल दीजिये।


रामलाल -ठीक है धर्मवीर जी।


ये बोल कर रामलाल गुंज़न के कमरे की तरफ चल दिया गुंज़न अंदर लेटी हुई थी की उसके कान के बिल्कुल पास तेज चुटकी बजी उसका दिल एकदम से धक्क कर गया ,दरअसल यह तेज चुटकी रामलाल ने चेक करने के लिए बजाई थी की गुंज़न जाग तो नहीं

गुंज़न सोने का नाटक करते हुए जरा भी नहीं हिली और चुपचाप ऐसे ही लेटे रही फिर रामलाल ने गेट को लॉक किया और कमरे की लाइट ऑन करदी ।

गुंज़न की धड़कन तेज हो गई फिर रामलाल घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।अब गुंज़न के चेहरे के बिल्कुल सामने खड़ा था रामलाल। गुंज़न को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी रामलाल ने अपने कुर्त के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।कुर्ता और बनियान को उतार कर उसने फेंक दिया ।

अब तो गुंज़न का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर रामलाल ने अपना पजामा खोला और उतार कर कर फेंक दिया।अब रामलाल उसके सामने केवल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर गुंज़न यह नजारा देख रही थी तभी रामलाल ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर गुंज़न की आंखें फैलने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कुल मीच ली जिससे रामलाल को लगे गुंज़न सो रही है।

गुंज़न ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा गुंज़न को उत्तेजित कर रहा था।

फिर रामलाल घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब
गुंज़न को रामलाल दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि रामलाल बेड पर लेट चुका था ।

गुंज़न को पीछे से कोई अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । गुंज़न के तन बदन में एक झुर्झुरी सी महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे रामलाल का हाथ आगे अपने पेट पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी रामलाल ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर दिया ।गुंज़न का पिछवाड़ा अब रामलाल से बिल्कुल सटा हुआ थातभी रामलाल ने अपना हाथ धीरे से गुंज़न के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।रामलाल ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।रामलाल आराम आराम से गुंज़न की चुचियों को सहलाने लगा।फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और गुंज़न के कूल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फैला कर कर इस तरह से गुंज़न के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब गुंज़न भी गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।

रामलाल ने अब अपने दोनों हाथों से गुंज़न के चूतड़ों को फैलाया लेकिन पतिकोट की वजह से ज्यादा नहीं फैला सका और अपने मुंह को गांड की दरार में घुसाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगा।

गुंज़न की चूत की भीनी भीनी खुशबू लेने के बाद रामलाल ने गुंज़न का कंधा पकड़ कर हल्का सा दबाव देकर उसे सीधा लिटाने की कोशिश करने लगा।गुंज़न ने कोई विरोध नहीं किया अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और सीधी लेट गई । उसने अपनी आंखें मींचे रखी थी

अपनी बेटी की जवानी को इस तरह एक पेटीकोट ब्लाउज में फंसी हुई देखकर रामलाल का लंड करंट पकड़ने लगा ।
गुंज़न के चूचे उस ब्लाउज से आजाद होने की गुहार लगा रहे थे ।

तभी अचानक रामलाल का फोन पर वाइब्रेशन शुरू हो गया।
रामलाल ने देखा कि उसके फोन पर धर्मवीर का कॉल आ रहा है।

रामलाल फोन उठाते हुए बोला- कैसे फोन किया समधी जी।

दूसरी तरफ से धर्मवीर कुछ बोला जो कि गुंज़न को सुनाई नहीं दे रहा थ

तभी रामलाल ने फोन पर कहा - हां समधी जी जैसा आपने बताया था गुंज़न का जिस्म बिल्कुल वैसा ही है।

धरवीर-

रामलाल - मेरे सामने बेड पर पड़ी है ।

धर्मवीर

रामलाल- आज तो उसकी चूत को पी जाऊंगा मैं। इस घोड़ी को चुदाई का असली रूप दिखा दूंगा आप चिंता ना करें।

धर्मवीर -

रामलाल - नहीं अभी तो नींद में है लेकिन कुत्तिया की जब नींद खुलेगी तब तक इस की चूत में लंड जा चुका होगा ।

ऐसा कहकर रामलाल ने फोन रख दिया।

गुंज़न को यकीन नहीं हो रहा था कितनी बेशर्मी भरी बातें उसका बाप अपनी बेटी के बारे में कर रहा है। अपने बाप और ससुर के बीच हुई इस वार्तालाप का गहरा असर उसकी वासना पर हुआ।फिर धीरे से रामलाल गुंज़न के चेहरे की तरफ अपना चेहरा लाया और उसके कान के पास अपने होठों को रखकर बहुत ही धीरे से बोलने लगा गुंज़न के कान में बोल रहा था कि आज तो इस बैड पर मेरे लंड पर नाचेगी तू

गुंज़न की हालत आप समझ सकते हो दोस्तो जो सब सुनते हुए भी नींद का नाटक करते हुए अनसुना कर रही थी ।

रामलाल में फिर बोलना अपने ससुर के साथ मजा करती हो ना रानी?आज तेरी वह हालत करूंगा कि तुझे देख कर कर एक रंडी भी शर्मा जाएगी और वैसे मैं जानता हूं ,मैं उसी दिन समझ गया था जिस दिन तू धर्मवीर के लोड़े पर उछल उछल रही थी कि तू कितनी कितनी चुदक्कड़ कुतिया है ।अपना ये कुतियापना दिखाना आज ।रात भर मैं तेरी चूत कूटने वाला हूं गुंज़न । आज पूरी रात मैं तेरे ऊपर चढ़ा रहूंगा और तू अपने बाप को अपनी टांगे फैला कर अपने ऊपर चढ़ाएगी । तेरी तो चूत में लौड़ा घुसा चूत में लौड़ा घुसा कर फिर तेरी गांड में अपनी उंगली घुसाउंगा ।तुझे ऐसा चोदूंगा एक दम एक्सपर्ट रंडी बन जाएगी और रंडी तो तू है ही साली , बहन की लौड़ी, छिनाल कुतिया ।तेरी चूत का आज वह बढ़ता बनाऊंगा बनाऊंगा कि इस चुदाई की तो गुलाम हो जाएगी फिर तुझे हर वक्त लौड़ा ही दिखेगा गुंज़न के शर्म से चेहरा लाल पड़ गया लेकिन उसने अपनी आंखें फिर भी बंद ही रखना उचित समझा।

रामलाल की बात सुन गुंज़न समझ गई थी की उसके ससुर ने उसके पापा को सब कुछ बता दिया है।

रामलाल ने फिर बोलना शुरू किया- आज देखता हूं कितनी गर्मी है तुझ में। तुझे देख कर ही मेरा लंड अपना सर उठाने लगता है और आज तेरी चूत ने भी मेरे लंड की सुन ही ली ।
आज तो इस भोसड़े को बड़े इत्मीनान से फाड़कर तेरे अंदर अपना बीज डालूंगा।

रामलाल खुद अपने घुटनों के बल हो गया और धीरे-धीरे
गुंज़न की पटीकोट को ऊपर उठाने लगा धीरे-धीरे गुंज़न की टाँगें नजर आने लगीं। रामलाल को जैसे कोई जल्दी नहीं था, वो सब कुछ बिल्कुल आराम से धीरे-धीरे कर रहा था।गुंज़न की साँसें फूल रही थी।फिर रामलाल ने झुक कर गुंज़न के पैरों को चूमना शुरू किया गुंज़न का दिल धक-धक करने लगा। उसके पैरों को उसका बाप चाट रहा था।रामलाल पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भरकर चूसता है . रामलाल काम की देवी गुंज़न के बदन के हर हिस्से को चूमना चाहता
था उसकी गोरी टांगों को चूमता चाटते चाटते रामलाल घुटनों तक आया और धीरे-धीरे गुंज़न के घुटनों के नीचे से अपनी जीभ फेरना शुरू किया और धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता गया, गुंज़न की खूबसूरत सफेद और गुलाबी रंग की जांघों को निहारते हए और जीभ फेरते हए। उसके जांघों से उसकी पैंटी तक का सफर चाटते हुए तय करने में काफी वक्त लगाया रामलाल ने। जबकि गुंज़न अपनी आँखों को बंद किये, तड़पते हुए अपने पापा की छुवन को महसूस किए जा रही थी।

बाप तो लग रहा था एक भूखा शेर है जिसको बरसों बाद खाने के लिए गोश्त मिल गया है। जब वो गुंज़न की पैंटी तक पहुँचा, तो पैंटी को ही चूसने लगा, जो भीग गई थी और बाप ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी के रस को चूसना और पीना शुरू किया, और अपने लार और थूक से पैंटी को और भी भिगो दिया उसने। फिर अपने दाँतों से रामलाल ने अपनी बेटी की पैंटी को उतारना शुरू किया।पेंटी उतरने के बाद रामलाल ने गुंज़न की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह लगाया। जैसे ही रामलाल की नाक गुंज़न की चूत से टच हुई गुंज़न के मुंह से सिसकारी निकलते निकलते बची ।

उधर रामलाल को भी अपनी नाक पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ रामलाल ने अपने हाथ की उंगली को उसकी चूत पर फेरना शुरू किया तो उसकी उंगली पर लसलसा सा पानी आ गया।

रामलाल का माथा ठनका। रामलाल ने मन ही मन कहा यह क्या? मतलब गुंज़न जाग रही है, मतलब गुंज़न की चूत पानी छोड़ रही है।और ऐसा सोचते हुए कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर फैल गयी फिर रामलाल ने इस बात का फायदा उठाते हुए उसकी चूत को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू किया।
यह सबगुंज़न के लिए बर्दाश्त से बाहर था लेकिन फिर भी वह अपनी आंखें मींचकर लेटी रही ।गुंज़न की मोटी मोटी जांघो में सोमनाथ का चेहरा बहुत ही छोटा सा दिख रहा था । उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच फूली हुई चूत पर मुह लगाना रामलाल को जन्नत की सैर करा रहा था।

गुंज़न की तड़प बढ़ गई जब उसके पापा ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से अलग किया और जीभ को चूत के छेद के अंदर घुसेड़ा, उसका रस चाटने के लिए। फिर उसके रस को चूसते हुए उसकी गुलाबी चूत के दाने को चूसने लगा, जो गुंज़न से बर्दाश्त नहीं हआ और उसके हाथों ने रामलाल के हाथों को मुट्ठी में भर कसके खींचकर अपने जिश्म के ऊपर चढ़ा लिया और गुंज़न ने अपने मुँह को बाप के मुँह से लगाया, होंठों से होंठ मिल गये और गुंज़न ने अपनी जीभ बाप के मुँह में डाला और दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुस गई और पूरे 5 मिनट तक वैसे ही रहे।

गुंज़न के जिश्म में उत्तेजना की आग भड़क चकी थी।
रामलाल सब देख रहा था और उसको पता चल रहा था कि गुंज़न गरम हो गई है।

रामलाल गुंज़न के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों मम्मों को धीरे धीरे मसलने लगा.साथ ही उसकी गर्दन, कान, चेहरे आदि पर किस भी करता जा रहा था.फिर उसने धीरे-धीरे गुंज़न की ब्लाउज़ को उतारा कर उसने गुंज़न की दोनों चूचियों को अपने मजबूत हाथ में थामा उसके होठों को चूमता हुआ नीचे को खिसकने लगता है. उसकी गर्दन चूमता हूँ और गुंज़न की दोनों चुचियों के बीच में किस करने लगा.

तभी गुंज़न ने खुद ही अपनी ब्रा में से एक मिल्की व्हाईट चुची को बाहर निकाल दिया और रामलाल के बालों को पकड़कर उसका मुँह अपने चुचे से सटा दिया.उसके इस करतब से
रामलाल को गुंज़न की जवानी की आग समझ में आ गई.
फिर चूचियों एक-एक करके चूसने लगा।रामलाल गुंज़न के निप्पलों को भी मुंह में लेकर चूसा रहा था जबकि गुंज़न लगातार अपने जिश्म को रगड़ती जा रही थी और कसमसा रही थी सिसकारियों के साथ।

गुंज़न - आ पापा आराम से।
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गुंज़न अपनी चूची को उठाके रामलाल के मुंह मे देने लगी।
रामलालउसकी चुचियों को पूरा आनंद से चूस रहा था।

गुंज़न- आआआ......... आआहह...... ई .....चूस.....पापा..। ऊफ़्फ़फ़फ़...... आआहह.... खूब चूसो। बहुततत..... अच्छा लग रहा है।

रामलाल ने उसके आनंद को बनाये रखा, और खूब चूसा।
गुंज़न के बुर से पानी लगातार बह रहा था।रामलाल ने उसकी दोनों चुचियों को खूब चूसा।

तभी गुंज़न उठ बैठी और बिना पूछे या कहे उसने अपने पापा के लण्ड को हाथ से पकड़ा तो पिता तड़प उठा जैसे उसको एक दर्द हआ हो, जिस समय उसकी बेटी का हाथ ने उसके लण्ड को थामा। वो एक खुशी भरा दर्द था।

गुंज़न को शायद पता था कि उसकी माँ ने कभी लण्ड नहीं चूसा था, अपने जिंदगी में। तो वो अपने पिता को यह खुशी भरपूर देना चाहती थी। उसने धीरे से पहले अपने पापा के लण्ड को हाथ से सहलाया और फिर धीरे-धीरे आराम से लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपने जीभ चलाया। जिससे बाप की तड़प की इंतेहा नहीं रही, उसका जिश्म काँप उठा और अपनी बेटी के सर को दोनों हाथों में थामकर आहें भरते हुए अपने लण्ड को बेटी के मुँह में घुसता देखने लगा।

गुंज़न ने लण्ड के ऊपर अपनी जीभ फेरा और उसको लण्ड के छेद पर गोल-गोल घुमाया, और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। गुंज़न सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा।
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गुंज़न ने लंड को अपने सिने से लगा लिया वो अपनी दोनों चुचियो के बिच उसे घिसने लगी वो उसे अपने चेहरे पर मलते हुए प्यार करने लगी रमलाल का जितना बड़ा लंड था उतने ही बड़े उसके गोटे भी थे


गुंज़न ने रामलाल के अन्डो को जोर से पकड़ कर दबा दिया, गुंज़न ने एक हाथ से लंड को ऊपर किया और रामलाल के गोटो को प्यार करते हुए मुह में लेने लगी वो रामलाल के गोटो की चमड़ी को अपने दांतों से खिंच खिंच कर रामलाल को जोश दिला रही थी,

गुंज़न ने रामलाल के लण्ड को पूरा थूक से नहला दिया। उसका थूक रामलाल के लण्ड से धागों की तरह लटका हुआ था। वो पूरा मन लगाके लण्ड को चाट रही थी।कभी लण्ड के सुपाडे को जीभ से रगड़ती, और चूसने लगती। लण्ड के छेद को जीभ से छेड़ती। फिर लण्ड पर थूककर अपने हाथों से मलती।गुंज़न सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा। उसको इतना मजा आया कि बस एक पल में झड़ने को आ गया

फिर थरथर काँपते हुए जिश्म से रामलाल गुर्राया- “बेटी, मैं झड़ने वाला हूँ उफफ्फ़... क्या कयामत है? क्या कर दिया तुमने मुझे? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ मेरे साथ की इतनी जल्दी झड़ जाऊँ... आअघ्गगघह..” उसको लण्ड को बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला।

उसके वीर्य की पहली धार प्रेशर से सीधा गुंज़न के गले के अंदर गई,। गुंज़न अपने पापा के लण्ड को लगातार चूसने लगी। उसके झड़ने के बाद, बाप के जिश्म में जैसे करेंट दौड़ रहा था, वो झटके खाने लगा था। वो अपने पंजे पर खड़ा हो गया जब उसके वीर्य के अंतिम कतरे गुंज़न के गले के अंदर ही गिरे, बाप को इतनी खुशी मिली कि उसको लगा कि जिंदगी में आज उसने पहली बार सेक्स किया है।
 
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