सुबह के 7बज रहे है.आज सोनू जल्दी ही स्कूल चला जाता हैं शालु बिस्तर में अंगडाई लेते हुए ऑंखें खोलती है. कल सोनू के साथ हुई चुदाई ने उसके बदन में एक अजीब सी मस्ती भर दी थी. अपने ही परिवार के दो मोटे-मोटे लंड को याद कर शालु मुस्कुरा देती है. ये मुस्कराहट लंड से ज्यादा उन रिश्तों की वजह से थी जो शालु और दोनों लंड के मालिकों के बीच था. एक बाप तो दूसरा भाई. बिस्तर से उतर कर शालु आईने के सामने खड़ी हो जाती है और अपनी स्कर्ट उठा के अपनी बूर को धीरे-धीरे सहलाने लगती है. बूर के गुलाबी ओंठों को अपनी दो उँगलियों से खोलते हुए शालु बाथरूम जाती है और फिर धीरे-धीरे रसोई की तरफ बढ़ने लगती है.
रसोई में गुंज़न हमेशा की तरह अपना काम कर रही है.शालु उसको देखती है तो पीछे से लिपट जाती है.
शालु- ह्म्म्म...!! भाभी...
गुंज़न- अरे शालु.. उठा गई तू? और सुबह सुबह तू भाभी के पीठ पर अपनी भरी-भरी चुचिया क्यूँ दबा रही है?
शालु - उम्म..भाभी...!! जी कर रहा है ऐसे ही आपकी पीठ पर फिर से सो जाऊ...
गुंज़न- पीठ पर क्यूँ सोएगी? जा...अपने पापा के पास जा और उनके निचे टाँगे खोल के सोजा...
शालु- भाभी....!!कहीं पापा जोश में आ गए तो?
गुंज़न - तेरी बूर अच्छे से पेली जाएगी और क्या?
शालु - धत भाभी...आप भी ना...
तभी वहां धर्मवीर टहलते हुए पहुँच जाते है...
धर्मवीर - अरे भाई क्या बाते हो रही है भाभी और ननद में?
गुंज़न- कुछ नहीं बाबूजी..
धर्मवीर शालु के पास जाते है. सके बड़े-बड़े दूध पर नज़र डालते हुए पाया से बालों में हाथ घुमाते हुए कहते है.
धर्मवीर - तुझे तो कही नहीं जाना है ना आज?
शालु- (शर्माते हुए) नहीं पापा...मैं तो घर पर ही हूँ....
शालु को देख कर धर्मवीर मुस्कुरा देते है. फिर गुंज़न को देख कर धीरे से इशारा करते हुए कहते है.
धर्मवीर- अरे बहु....जरा छत से मेरा टॉवेल ले आना तो.
लगे हाथ नहा भी लूँगा.
गुंज़न -जी बाबूजी....
गुंज़न मुस्कुराते हुए छत की सीढ़ियों की तरफ बढ़ जाती है. उसके जाते ही धर्मवीर शालु के चूतड़ों को दबोच के उसे अपने बदन से चिपका लेते है.
धर्मवीर- आह... मेरी गुडिया रानी...अब कहाँ जाएगी अपने पापा से बच के...
शालु- (हँसते हुए) उम्म्म...!! पापा...छोड़िये ना....
धर्मवीर(धोती पर से अपना लंड शालु की पैन्टी पर दबाते हुए) ऐसी जवान बेटी को कौनसा बाप छोड़ता है ...बोल ना? देगी अपनी बूर पापा को?
शालु- (शर्माते हुए) आप बड़े गंदे हो पापा....
धर्मवीर- इसमें गन्दा क्या है बेटी? बेटी अपने पापा से बूर नहीं खुलवाएगी तो फिर शादी के बाद पहली ही रात में पति का कैसे लेगी? बोल ?
शालु (शर्माते हुए) आपका बहुत मोटा है पापा. आप मेरी बूर खोलोगे थोड़ी ना...आप तो मेरी बूर पूरी फैला दोगे.....
शालु की बात सुन के धर्मवीर उसकी के दोनों चुचियों को दबोच लेते है.
धर्मवीर- पापा अपनी बिटिया रानी को पटक-पटक के चोदेंगे तो बूर तो फैलेगी ही ना....बोल ना
शालु...चुदवायेगी ना अपने पापा से?
शालु नखरे करते हुए पापा से दूर हो जाती है और सामने खड़े हो कर एक ऊँगली दाँतों के बीच दबाते हुए कहती है.
शालु- नहीं पापा...आपको मेरी बूर नहीं मिलेगी....
शालु की बात सुन कर धर्मवीर धोती से अपना लंड बाहर निकाल लेते है और उसकी चमड़ी पूरी पीछे खींच कर मोटा टोपा शालु को दिखाते हुए कहते है.
धर्मवीर- देख शालु...कैसे तड़प रहा है पापा का अपनी बेटी की बूर के लिए...देगी ना अपने पापा को?
शालु धर्मवीर के लंड को आँखे फाड़-फाड़ के देखने लगती है. उसके ओंठ अपने आप ही दांतों के निचे आ जाते है. फिर पापा को देख कर वो मुस्कुराते हुए मस्ती में कहती है.
शालु - नहीं दूंगी...नहीं दूंगी...नहीं दूंगी.....!!!
तभी गुंज़न अपनी चौड़ी चुतड मटकाते हुए वहां पहुँच जाती है.
गुंज़न- क्या नहीं देगी मेरी ननद रानी?
धर्मवीर गुंज़न को मुड़ के देखते है. धर्मवीर के चेहरे पर वैसे ही भाव है जैसे किसी भिखारी के चेहरे पर भीख मांगते वक़्त होते है.
धर्मवीर- देखो ना बहु...कैसे जिद कर रही है. मैं यहाँ अपना लंड खड़ा किये हूँ और ये बोल रही है की बूर नहीं दूंगी...
गुंज़न चलते हुए धर्मवीर के पास आती है. 9 इंच का मोटा लंड देख कर गुंज़न के मुहँ और बूर, दोनों में पानी आ जाता है. वो शालु के पास जाती है और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगती है.
गुंज़न- क्यूँ रे शालु? अपने पापा को कोई बेटी ऐसे परेशान करती है क्या?
शालु- क्या करूँ भाभी? इतना मोटा लंड है पापा का...मेरी बूर पूरी फ़ैल गई तो?
गुंज़न- धत पगली..!! बूर क्या सिर्फ पेशाब करने के लिए होती है? बूर का तो काम ही है मोटे-मोटे लंड लेना और फ़ैल जाना....और बेटियां सबसे पहला लंड अपने पापा का ही तो लेती है. ठीक कहा ना बाबूजी?
धर्मवीर- हाँ..हाँ.. बहु...बिलकुल ठीक कहा तुमने. बाप जिस लंड से बेटी को पैदा करता है, बड़ी हो कर वो बेटी उसी लंड से तो अपनी बूर खुलवाती है....
गुंज़न -और नहीं तो क्या? और इसे देखो...कैसे नखरे कर रही है.आप नहाने जाइये बाबूजी...इसे मैं समझाती हूँ....
धर्मवीर टॉवेल ले कर धीरे-धीरे बाथरूम में
चला जाता है. धर्मवीर के जाते ही गुंज़न शालु से कहती है.
गुंज़न- क्यूँ री? इतने नखरे क्यूँ कर रही थी?
शालु-(हँसते हुए) भाभी आपको पापा का चेहरा देखना था...जब मैंने मना किया तो कितना छोटा सा हो गया था....
गुंज़न- हाँ ...तुने छोटा मुहँ तो देख लिया लेकिन उनका बड़ा लंड नहीं देखा क्या? अगर मैं ना आती तो बाबूजी तुझे पटक के तेरी बूर फाड़ ही देते....और मेरी शालु रानी उच्छल-उच्छल के पापा का लंड अपनी बूर में ले रही
होती
शालु- (खुश हो कर) सच भाभी?
गुंज़न- हाँ मेरी बन्नो...!! अच्छा अब सुन. मेरे पास कुछ शोर्ट बिना बाहं की नाईटी है जो मैंने अपने हनीमून के वक़्त खरीदी थी. बाबूजी नाहा के आयेंगे तो तू उसे पहन के बाबूजी के पास चली जाना...
शालु- मैं अकेले नहीं जाउंगी भाभी...आप भी साथ चलियेगा ना....आप ही तो कहती थी ना की बाबूजी आपकी भी लेना चाहते है. और आप भी तो इतने दिनों से लंड के लिए तरस रही हो ना? प्लीज भाभी...आप भी चलिए ना...
गुंज़न- अच्छा बाबा ठीक है. हम दोनों चलेंगे...अब ठीक?
शालु- (खुश होते हुए) हाँ भाभी....
गुंज़न- अच्छा अब चल...मैं वो शोर्ट नाईटी निकाल लूँ हम दोनों के लिए...
शालु- हाँ भाभी....
गुंज़न शालु के साथ अपने कमरे में चली जाती है और शोर्ट नाईटी के इंतज़ाम में लग जाती है. इधर बाबूजी कुछ देर बाद नाहा के निकलते है. सिर्फ टॉवेल कमर पर लपेटे हुए बाबूजी रसोई में नज़र डालते है तो वहां कोई नहीं है. वो धेरे धीरे अपने कमरे में चले जाते है. कमरे में बैठ कर वो कुछ सोचते है फिर शालु को आवाज़ लगते है.
धर्मवीर - शालु बेटी..!!
तभी दरवाज़े पर शालु नज़रे झुकाए खड़ी हो जाती है.
शालु ने बिना बाहं वाली एक लाल रंग की शोर्ट नाईटी पहनी हुई है जो पारदर्शी है. देखने मैं साफ़ पता चल रहा है की
शालु ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. धर्मवीर शालु को आँखे फाड़े ऊपर से निचे देखने लगते है. पारदर्शी नाईटी में उठे हुए गोल गोल दूध जिसपर हलके से निप्प्लेस भी प्रतीत हो रहे है. शालु के शरीर की वो रेत घड़ी सी बनावट उस पारदर्शी नाईटी में साफ़ दिखाई पड़ रही थी. नाईटी जांघो तक थी और शालु की जांघो के बीच का हिस्सा अन्दर था. लेकिन नाईटी के पारदर्शी होने की वजह से शालु की जांघो के बीच बाल नाईटी में बाहर से भी प्रतीत हो रहे थे. शालु का वो संगेमरमर सा बदन और वो रूप देख कर धर्मवीर के टॉवेल में बड़ा सा उभार आ जाता है.
तभी शालु के कन्धों पर हाथ रखे,गुंज़न उसे धीरे धीरे अन्दर लाने लगती है.धर्मवीर की नज़र गुंज़न पर पड़ती है तो गुंज़न ने भी वैसी ही नाईटी पहनी हुई थी. गुंज़न के भी बड़े बड़े दूध और निप्प्लेस पारदर्शी नाईटी से साफ़ दिखाई दे रहे थे. जांघो के बीच घने बाल भी प्रतीत हो रहे थे. दोनों को इस हाल में देख धर्मवीर के होश उड़ जाते है.
गुंज़न- लीजिये बाबूजी...आ गई आपकी लाड़ली बेटी....
गुंज़न शालु को धर्मवीर के सामने खड़ा कर देती है.शालु अब भी नज़रे झुकाए खड़ी है और धीरे-धीरे मुस्कुरा रही है.
धर्मवीर भी शालु को मुस्कुरा कर देखते है फिर अपने हाथ से उसकी ठोड़ी पकड़ के ऊपर करते हुए कहते है.
धर्मवीर- इधर देख बेटी...बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी
शालु इस कपडे में.
शालु एक बार पापा की आँखों में देखती है फिर ओठों को दाँतों टेल दबाते हुए नज़रे झुका लेती है. गुंज़न धर्मवीर से कहती है.
गुंज़न- बाबूजी ये आपके सामने इतना शर्मा रही है. अभी कुछ देर पहले मुझ से कह रही थी की आज पापा को पूरा मजा दूंगी...
गुंज़न की बात सुन के शालु बड़ी-बड़ी आँखों से भाभी को देखते हुए कहती है....
शालु -धत भाभी...चुप रहिये ना....!!
धर्मवीर- (मुस्कुराते हुए) सच जरा बता तो...कैसे मजा देगी पापा को...
शालु फिर से शर्मा जाती है. गुंज़न उसके पास आती है और कहती है.
गुंज़न - अब शर्र्ती ही रहेगी क्या?. (फिर धर्मवीर को देखते हुए) बाबूजी आप अपना लंड दिखाइए तो इसे. तभी इसकी शर्म दूर होगी...
धर्मवीर अपना टॉवेल आगे से खोल देते है तो उनका 9 इंच का लम्बा मोटा लंड शालु के सामने लहराने लगता है. शालु की नज़र पापा के लंड पर पड़ती है तो उसके बदन में मस्ती चड़ने लगती है. . गुंज़न उसे आँख मार देती है. शालु पापा को देखती है और पापा की नजरो से नज़रे मिलाते हुए एक जोर का झटका दे कर अपने बड़े-बड़े दूध उच्छाल देती है. धर्मवीर की आँखों के सामने शालु के दूध उच्छल जाते है. अपनी बेटी के उच्छालते दूध को देख कर धर्मवीर का लंड भी एक झटका मार देता है. शालु 3-4 बार ऐसे ही झटके दे कर अपने दूध उच्छल देती है और हर बार धर्मवीर का लंड भी झटके खता है. फिर गुंज़न को देखती है तो गुज़न आँखों के इशारे से उसे बेशर्मी दिखाने कहती है. शालु फिर से पापा को देखते हुए अपनी नाईटी ऊपर से खोल कर कमर तक उतार देती है. उसके बड़े-बड़े नंगे दूध धर्मवीर के सामने खुले हुए है. शालु पापा को देखते हुए फिर से झटके देते हुए 3-4 बार अपने दूध उच्छाल देती है. धर्मवीर से अब रहा नहीं जा रहा है. वो शालु से कहता है.
धर्मवीर- बेटी...इधर आ...बैठ अपने पापा की गोद में...
शालु धीरे-धीरे धर्मवीर के पास जाती है. पापा का 9 इंच का लंड खड़े हो कर हिचकोले ले रहा है. शालु पापा के पास जा कर, पीठ उनके तरफ करते हुए, अपनी चौड़ी चूतड़ों को पापा की गोद में रखने जाती है तभी गुंज़न झट से आ कर पीछे से शालु की नाईटी ऊपर कर देती है.
गुंज़न- (पीछे से शालु की नाईटी ऊपर करते हुए) अरे अरे शालु....!! नाईटी निचे कर के बैठेगी अपने पापा की गोद में? बेटी अपने पापा की गोद में हमेशा कपडे उठा कर बैठती है....
शालु गुंज़न को देख कर मुस्कुराते हुए अपनी भरी हुई चुतड धर्मवीर की गोद में जैसे ही रखती है, धर्मवीर का मोटा लंड उसके गांड के छेद पर टकरा कर फिसलता हुए बूर पर आता है और बूर से फिसलता हुआ शालु के नंगे पेट पर रगड़ता हुआ आगे से उसकी नाईटी उठा देता है. गुंज़न देखती है तो बाबूजी का मोटा लंड शालु की बूर पर चिपका हुआ है और लंड का टोपा नाईटी को अपने सर पर लिए उसकी नाभि के पास खड़ा है. शालु की बालोवाली बूर के ओंठ फैलकर पापा के मोटे लंड पर चिपके हुए है. र्मवीर एक बार धीरे से अपनी कमर ऊपर निचे करते है तो लंड शालु के बूर के दाने पर रगड़ खा जाता है. शालु के मुहँ से सिस्कारियां निकलने लगती है.
शालु- सीईईईईईईईई.....!! पापा......!!!
शालु की सिसकारी सुनते ही धर्मवीर अपने दोनों हाथो सेशालु के दोनों दूध दबोच लेते है और मसलने लगते है. शालु मस्ती में अपना सर पीछे कर के पापा के कन्धों पर रख लेती है और आँखे बंद किये सिस्कारिया लेने लगती है. धर्मवीर भी धीरे-धीरे अपना लंड शालु के बूर के दाने पर रगड़ने लगते है.धर्मवीर को अपनी बेटी के बूर पर लंड रगड़ते हुए देख गुंज़न भी एक हाथ से अपनी बूर रगड़ने लगती है.
गुंज़न- बाबूजी...बहुत गरम है आपकी बेटी. इसके बदन में बहुत गर्मी है....
धर्मवीर,-हाँ बहु...बहुत गर्मी है इसके बदन में... इसकी गर्मी तो आज...(जोर से दूध मसल देते है और लंड बूर के दाने पर रगड़ देते है)...इसके पापा उतरेंगे.....
शालु- सीईईईईइ....पापा...!!!
धर्मवीर- (दूध मसलते हुए अपने लंड को जोर से
शालु की बूर पर रगड़ देते है) पापा...पापा....हाँ...?? जब घर में पापा के सामने बड़े-बड़े दूध उठा कर घुमती थी, तब पापा की याद नहीं आई? आज जब नंगी हो कर पापा के लंड पर बैठी है तो पापा की याद आ रही है? ...क्यूँ ? ...बोल?
शालु- (आँखें बंद और तेज़ साँसे लेते हुए) आह...!! पापा...!! आपके मोटे लंड पर नंगी हो कर बैठना चाहती थी, तभी तो आपके सामने बड़े-बड़े दूध लिए घुमती थी....आह...!!
धर्मवीर- हाय मेरी बिटिया रानी..!! इतना तड़पती थी अपने पापा के लंड के लिए....उफ्फ्फ.
गुंज़न मुस्कुराते हुए शालु के पास आती है और उसका हाथ पकड़ के धीरे से उसे उठाती है. शालु धीरे-धीरे खड़ी होती है तो उसकी बूर पापा के लंड पर रगड़ खाते हुए ऊपर की और जाती है. जैसे हे बूर टोपे से चिपक कर ऊपर होती है तो पापा का एक झटका लेता है और चिप-चिपे पानी की कुछ बूंदे हवा में उड़ जाती है. गुंज़न और शालु धर्मवीर को देख कर मुस्कुराते हुए दोनों धर्मवीर के सामने से जाने लगती है.धर्मवीर निचे बैठे हुए दोनों की आधी नंगी मटकती हुई चुतड देखते है. शालु की गोरी-गोरी चौड़ी, हिलती हुई चुतड देख कर रमेश से रहा नहीं जाता. वो शालु को पीछे से उसकी जांघो के बीच हाथ डाल कर उठा लेते है. शालु की पीठ धर्मवीर की मजबूर छाती पर चिपक जाती है. धर्मवीर शालु को हवा में उठाये हुए उसकी जांघे खोल देते है और सामने दीवार पर टंगे बड़े से आईने की तरफ घूम जाते है. आईने में शालु की बूर के बालों के बीच खुले हुए ओठों से लाल छेद साफ़ दिख रहा है जो थोडा अन्दर जा कर बंद है. बूर के ओंठों से लार बह रही है जो धीरे-धीरे फिसलती हुई शालु की चूतड़ों की तरफ बढ़ रही है. धर्मवीर शालु की कसी हुई बूर देख कर गुंज़न से कहते है.
धर्मवीर- बहु....जरा देखो तो मेरी बिटिया रानी की बूर...कैसी कसी हुई है....
गुंज़न- हा बाबूजी...बहुत मजा देगी. आपका मोटा लंड पूरा कसा हुआ जायेगा अन्दर....
धर्मवीर-जरा अपनी बूर भी तो दिखाओ बहु....देखूं तो कैसी बूर है मेरी बहु की....
धर्मवीर की बात सुन कर गुंज़न मुस्कुराते हुए सामने आती है और बाबूजी के पास खड़ी हो कर अपना एक पैर पास रखी कुर्सी पर रख देती है. कमर आगे करते हुए गुंज़न दोनों हाथों से अपनी बूर के ओंठों को फैला देती है. ओंठ फैलते ही गुंज़न की बूर का लाल छेद दिखने लगता है जो गहरा है. धर्मवीर शालु और गुंज़न की बूर को गौर से देखते है.
धर्मवीर- बहु...तुम्हारी बूर भी बहुत रसीली और चोदने लायक है. मजा आ जायेगा तुम्हारी बूर में लंड दे कर...
गुंज़न- हाँ बाबूजी...आपका ऐसा मोटा तगड़ा लंड ले कर तो किसी भी लड़की के भाग खुल जायेंगे...
धर्मवीर शालु को धीरे से निचे उतार कर बेड लेट देते है और
बेड पर चढ़ कर शालु के ऊपर लेट कर उसके होंठो को चूसने लगा गुंज़न ये सब एक टक देखे जा रही थी धर्मवीर उठ कर घुटनों को बल बैठ गया और गुंज़न को भी खींच कर अपने आप बैठा दिया फिर शालु की नाईटी को उसकी चुचियों से हटा कर उसकी एक चुचि को पूरा का पूरा मूँह में ले लिया और चूसने लगा शालु का बदन झटके खाने लगा धर्मवीर ने दूसरे हाथ से शालु की दूसरी चुचि को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया। शालु अपने आप पर काबू रखने की पूरी कोशिश की पर उसके मूँह से अहह निकल ही गयी अपनी बेटी की मस्ती भरी आवाज़ सुन कर धर्मवीर ज़ोर से शालु के एक निपल को चूस रहा था
धर्मवीर पागलों की तरह शालु की चुचि को चूस रहा था और मसल रहा था धर्मवीर ने शालु की चुचि को मूँह से निकाल दिया शालु की चुचि का निपल एक दम तन गया था और
धर्मवीर के थूक से भीगा हुआ था धर्मवीर ने दूसरी चुचि को मुँह में ले लिया और अपनी ज़ुबान को उसके निपल के चारो तरफ घुमाने लगा और फिर पूरे ज़ोर से उसकी चुचि को चूसना चालू कर दिया
गुंज़न वैसे ही घुटनो के बल बैठी रही धर्मवीर ने अपना एक हाथ गुंज़न के पीछे ले जाकर गुंज़न के नरम चुतड़ों पर रख दिया और धीरे-2 सहलाने लगा गुंज़न की गान्ड उसकी पिंडलयों से सटी हुई थी धर्मवीर ने गान्ड के नीचे हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया गुंज़न ने अपने चुतड़ों को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया धर्मवीर ने हाथ आगे बढ़ा कर धीर -2 अपनी उंगलियों को गुंज़न की गान्ड के दरार में रगड़ने लगा गुंज़न ने अपनी गान्ड को सिकोड लिया पर धर्मवीर अपनी एक उंगली से गुंज़न की गान्ड के छेद को कुरेदने लगा
शालु अपनी आँखें खोली और गुंज़न की तरफ देखा गुंज़न की नंगी पीठ और गान्ड देख शालु पूरी तरह से हिल गयी शालु ने देखा धर्मवीर अपने हाथ से उसकी भाभी की गान्ड की दरार में सहला रहा है शालु ये सब एक टक देखे जा रही थी
धर्मवीर ने झुक कर शालु की एक चुचि को मूँह में लेकर चूसना चालू कर दिया और गुंज़न को आँख मार कर इशारा किया गुंज़न भी तुरंत शालु के ऊपर झुक गयी और उसकी दूसरी चुचि को मूँह में लेकर चूसने लगी अपनी दोनो चुचियों को गुंज़न और धर्मवीर के मूँह में महसूस कर शालु सिसकियाँ भरने लगी दोनो चुचियों को एक साथ चुसवाने में शालु को बहुत मज़ा आ रहा था शालु एक दम मस्त हो चुकी थी
शालु गुंज़न और धर्मवीर के होंठो को अपने चुचियों पर एक साथ महसूस करके कसमसाने लगी शालु की चूत में आग लग चुकी थी धर्मवीर शालु की चुचि को छोड़ कर नीचे का तरफ बढ़ने लगा और शालु ने धर्मवीर के बालों को अपने हाथों से कस के पकड़ लिया धर्मवीर अपनी ज़ुबान को शालु की नाभि के अंदर डाल कर चाटने लगा शालु जल बिन मछली की तरह छटपटाने लगी
शालु-ओह्ह्ह बब्लुउउउउ क्या कर रहीईई हो उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
शालु ने अपने हाथों से धर्मवीर के बालों को पकड़ रखा था अपनी जीभ को शालु के नाभि पर गोल-2 घुमा कर चाट रहा था। शालु की मस्ती का कोई ठिकाना नही था शालु मस्ती में छटपटाने लगी और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी शालु के हाथों की उंगलिया धर्मवीर के बालों में घूमने लगी । शालु अपनी नाभि पर धर्मवीर के होंठो को महसूस करके ऐंठने लगी धर्मवीर थोड़ी देर शालु की नाभि चूसने के बाद नीचे की तरफ आने लगा
शालु एक दम मस्त हो चुकी थी उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी शालु से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था गुंज़न शालु की चुचियों चूस्ते हुए धर्मवीर को देख रही थी
गुंज़न भी गरम होने लगी गुंज़न ने आगे झुक कर अपने हाथों से शालु की चूत की फांकों को फैला दिया गुंज़न अपनी साँसें थामे शालु की चूत को देख रही थी जो उसे अपनी चूत से बिल्कुल अलग नज़र आ रही थी गुंज़न की चूत की फाँकें ज़्यादा बड़ी और लटकी हुई थी
धर्मवीर के सामने शालु की फैली चूत का गुलाबी छेद था जो
शालु के काम रस से एक दम गीला होकर चमक रहा था
धर्मवीर ने झुक कर अपनी ज़ुबान से शालु की चूत के छेद को चाटना चालू कर दिया अपनी चूत के छेद पर धर्मवीर के ज़ुबान पड़ते ही
शालु -अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईई करने लगी उसकी कमर रह-2 कर झटके खानमें पागल हो जाएँगीईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् को नोचने लगी
शालु ने नही सोचा था कि उसे इतना मज़ा आएगा धर्मवीर शालु की चूत के दाने को मूँह में लेकर चूसने लगा रिंकी अपना सर इधर उधर पटकने लगी उसकी कमर हवा में उछलने लगी
धर्मवीर शालु के हाथ को पकड़ गुंज़न की चूत की चूत के छेद पर रख दिया शालु ने अपनी आँखें बंद कर ली धर्मवीर अपने हाथ से शालु के हाथ को पकड़ कर गुंज़न की चूत को मसलने लगा गुंज़न अपनी आवाज़ और सिसकारियों को दबाने के पूरी कोशिश कर रही थी
गुंज़न- नहियीईईई जानंनन्णनिउ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुम सच मेंन्न्न् मुझे पागलल्ल्ल ओह
और धर्मवीर ने शालु की चूत के दाने को अपनी झीभ से चाटना चालू कर दिया शालु का पूरा बदन मस्ती में काँपने लगा शालु के कमर झटके खाने लगी
उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्््ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
शालु की कमर खुद ब खुद ऐसे झटके खाने लगी जैसे वो अपनी छूट को धर्मवीर के होंठो पर रगड़ रही हो उसकी चूत से पानी बह कर धर्मवीर के होंठो तक आने लगा शालु मस्ती भरी आहहें भरने लगी उसने अपने हाथों से गुंज़न की चुत को कस के पकड़ लिया और अपने होंठो को अपने दाँतों में दबा लिया मस्ती में उसकी कमर फिर से उचकाने लगी
धर्मवीर अपनी जीब निकाल शालु की चूत के छेद को अपनी जीभ से चोदने की कोशिश कर रहा था शालु मस्ती में आकर अपनी कमर हिलाने लगी
गुंज़न शालु के ऊपर आ गयी और अपने पैरो को
शालु की कमर के दोनो तरफ करके उसके ऊपर डॉगी स्टाइल में आ गयी गुंज़न ने अपनी चुचि को अपने हाथ में पकड़ कर दबाया चुचि का निपल बाहर की तरफ निकल आया
गुंज़न अपनी चुचि के निपल को शालु के होंठो के पास ले आई शालु आँखे फाडे सब देख रही थी
धर्मवीर - देख क्या रही हो बेटी अब अपनी भाभी को भी मज़ा दो ना
शालु ने हिम्मत जुटा के गुंज़न की चुचि को मूँह में ले लिया और निपल को चूसने लगी
गुंज़न -अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
धर्मवीर पीछे से गुंज़न की चूत की फांकों को फैला कर अपने होंठो को गुंज़न की चूत के छेद पर लगा दिया गुंज़न की कमर भी झटके खाने लगी गुंज़न शालु के गालों को चूमने लगी अब शालु ने गुंज़न की दूसरी चुचि को हाथ में लेकर मसलना चालू कर दिया गुंज़न की तनी हुई मुलायम चुचियों का अहसास बहुत अच्छा लग रहा था गुंज़न भी मस्त हो चुकी थी और अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत को धर्मवीर के होंठो पर रगड़ रही थी
गुंज़न- अह्ह्ह्ह्ह्ह और जोर से चूसो बहुत मज़ा आआआआ अपनी जीभ मेरी चुत में डाल दो
फिर धर्मवीर बेड पर बेट जाता हैं धर्मवीर का 9 इंच लम्बा और 4 मोटा लंड आसमान की तरफ देखता हुआ सीना ताने खड़ा है.
शालु और गुंज़न की नज़र धर्मवीर के लंड पर टिक जाती है.
धर्मवीर शालु को मुस्कुराते हुए देखते है.
धर्मवीर- आज मेरी प्यारी रानी बेटी पापा का गन्ना नहीं चूसेगी?
धर्मवीर की बात सुन कर शालु धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ बढ़ने लगती है. उसकी साँसे तेज़ है और शरीर उत्तेजना से गर्म हो रखा है. धीरे-धीरे चलते हुए वो धर्मवीर की टांगो के बीच पहुँच जाती है. अपने दोनों घुटनों को मोड़ कर को
धर्मवीर की टांगो के बीच बैठ जाती है. उसकी नज़रों के सामने धर्मवीर का मोटा लंड उसे बुला रहा है. शालु जीभ बाहर निकल कर अपना सर आगे करने लगती है. शालु का मुहँ अभी लंड पर कास जायेगा ये सोच कर धर्मवीर आँखे बंद कर लेते है. अपनी जाँघों के बीच वो शालु की साँसे महसूस करते है. तभी शालु ने धर्मवीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे- 2 लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया फिर आँखें बंद करके अपने होंठो और मुँह को खोल कर धर्मवीर के लंड के सुपाडे को मुँह में ले लाया और अपने होंठो को धर्मवीर के लंड के सुपाडे पे कस लिया और धर्मवीर के लंड को चूसने लगी शालु के होंठो का दबाव धर्मवीर के लंड के सुपाडा पर बढ़ता जा रहा था धर्मवीर के लंड का सुपाडा अब शालु के मुँह के अंदर बाहर होने लगा था शालु अपनी जीबे से धर्मवीर के लंड के पेशाब वाले छेद को कुरेदने लगी धर्मवीर भी मस्ती से भर चुका था
शालु ने धर्मवीर के लंड को बाहर निकाला और कुछ पलों के लिए हाथ से हिलाया शालु अपनी नशीली आँखों से धर्मवीर की ओर देख रही थी शालु अपनी जीभ को बाहर निकाला और धर्मवीर के लंड के सुपाडे को चाटने लगी लंड के सुपाडे को चाटते हुए वो धीरे धर्मवीर के लंड के हर हिस्से को चाटती हुई उसके अंडकोष पर आ गयी और शालु पापा के अन्दोकोशों को बड़े प्यार से चाट रही थी. दोनों पर बारी बारी जीभ घुमाते हुए वो ऊपर निचे से ऊपर तक चाट जाती. धर्मवीर शालु की इस हरकत को बड़े गौर से देख रहे थे. तभी शालु ने एक बॉल को चाटते हुए अपने मुहँ में भर लिया और किसी लोलीपोप की तरह चूसने लगी. धर्मवीर के मुहँ से "आह्ह्ह्ह...!!" निकल गई और उनकी आँखे बंद हो गई.
कुछ देर इसी तरह से अंडकोष को चूसने के बाद
शालु धीरे से अपना सर धर्मवीर की जांघो के बीच ले जाती है. इस बार शालु जो करती है वो धर्मवीर ने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था. शालु ने अपनी जीभ धर्मवीर की गांड का छेद पर रख दी थी और धीरे-धीरे जीभ उसके इर्द-गिर्द घुमाने लगी थी. ये देख कर धर्मवीर ह्ह्ह..!!" करते हुए बिस्तर पर अपना सर रख देते है और आँखे बंद किये उस अविश्वसनीय घटना का आनंद लेने लगते है.ये द्रिश्य गुंज़न भी बड़ी ही हैरानी के साथ देख रही थी. गुंज़न को हमेशा से ही अपने आप पर बड़ा गुमान था. वो अपने आप को कामदेवी का रूप समझती थी. इस घर में वो एक संस्कारी बहु होने का किरदार निभा रही रही थी. जैसे ही घर में रिश्ते लंड और बूर के रिश्तों में बदलने लगे, गुंज़न ने फिर से कामदेवी का रूप ले लिया. लेकिन आज शालु जैसी एक खूबसूरत और जवान लड़की को अपने पिता की गुदा को इस तरह से चाटता हुआ देख उसका कामदेवी होने का अहंकार टूट चूका था. आज गुंज़न को अपनी शिष्या पर गर्व महसूस हो रहा था. आज उसने अपने पिता को वो सुख दिया था जो शायद उन्हें किसी कुवांरी बूर को चोद कर भी न मिला था। धर्मवीर की गुदा को चाटते हुए अपनी जीभ अन्दर गुसने की कोशिश करने लगती. कभी वो अपनी जीभ गुदा पर रख कर निचे से ऊपर अन्डकोशो तक चाट जाती. इस परमानंद में डूबा हुआ था
तभी गुंज़न आगे बढ़ती है और धर्मवीर की जांघो पर हाथ रख कर अपने ओठों को लंड के टोपे पर रख देती है. गुंज़न के ओंठ फिसलते हुए धर्मवीर के लंड को आधा मुहँ में भर लेते है. गुंज़न की जीभ मुहँ के अन्दर लंड के टोपे पर घुमने और फिसलने लगती है. धर्मवीर भी अपनी कमर को निचे से उठा के गुंज़न के मुहँ में पूरा लंड भरने की कोशिश करने लगते है. बीच-बीच में गुंज़न अपना सर स्थिर कर देती तो धर्मवीर 3-4 जोदार लंड के झटके गुंज़न के मुहँ में मार देते.शालु अभी भी धर्मवीर के अन्डकोशों को अपनी जीभ से चाट रही थी.
धर्मवीर जब देखते हैं की उनके लंड की नसे पूरी तरह से फूल गई है और अब वो बूर में घुसने के लिए तैयार है तो वो बिस्तर पर बैठ जाते है. शालु के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए वो उसे उठाते है. उसकी नज़रों में नज़रें मिलाते हुए धर्मवीर शालु के कंधो को पकड़ के धीरे-धीरे बिस्तर पर लेटा देते है. शालु की साँसे अब बहुत तेज़ हो गई है. आगे होने वाली घटना को सोच कर ही उसका दिल धड़कने लगा है. गुंज़न भी शालु के सर के पास बैठ जाती है और अपना हाथ उसके सर पर फेरने लगती है. धर्मवीर शालु की टांगो के बीच बैठ जाते है और धीरे-धीरे शालु पर चढ़ते हुए उसके दोनों दूध को हाथों से दबाते चूसने लगते है. शालु मस्ती में अपनी आँखे बंद किये अपने शरीर को धर्मवीर के हवाले कर देती है.
धर्मवीर अपने लंड के टोपे को शालु की गीली बूर पर रगड़ रहे है. धर्मवीर अपनी कमर धीरे से ऊपर की ओर करते है तो लंड बूर पर निचे से ऊपर रगड़ खा जाता है. जब कमर निचे की ओर करते हैं तो लंड ऊपर से निचे की ओर रगड़ खा जाता है. लंड का मोटा टोपा जब भी शालु की चुत पर रगड़ खाता, उसकी चुत काँप सी जाती।
धर्मवीर ने शालु की बूर पर एक नज़र डाली तो उसमे से धीरे-धीरे पानी बह रहा था. बूर किसी डबल रोटी की तरह फूल गई थी और बूर के ओंठ खुल गए थे. धर्मवीर एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपनी कमर को धीरे से निचे करते हुए लंड के टोपे का दबाव शालु की बूर के छेद पर डालते है. अपनी बूर पर टोपे का दबाव महसूस कर शालु आँखे बंद किये सिसकारी ले लेती है. धर्मवीर थोडा और दबाव डालते है तो उनका लंड गीली बूर पर से फिसलता हुआ शालु के पेट पर पहुँच जाता है. रमेश के लंड से थोडा पानी निकल कर शालु की नाभि में जमा हो जाता है. धर्मवीर फिर से अपने लंड को पकड़ कर शालु की बूर के मुहँ पर रखते है. हल्का सा दबाव डालते हुए वो जैसे ही कमर आगे करते है, उनका लंड इस बार बूर पर से फिसलता हुआ निचेशालु की चूतड़ों के बीच घुस जाता है. ये देख कर गुंज़न धर्मवीर से कहती है.
गुंज़न- बाबूजी...शालु की बूर बहुत कसी हुई है. जरा ध्यान से खोलियेगा....
धर्मवीर- हाँ बहु....बहुत कसी हुई बूर है मेरी बेटी की. लंड फिसल जा रहा है.
धर्मवीर इस बार लंड को हाथ से पकड़ते है और शालु की बूर के मुहँ पर रख देते है. हाथ से लंड पकडे हुए धर्मवीर जोर लगाते है तो लंड का टोपा बूर में घुसा जाता है और शालु धर्मवीर की पीठ पर अपने नाख़ून गडाते हुए चिल्ला देती है.
शालु - हाहाहाहाहाहाहाहापापा
........आआआआहहहहहह............धीरे से ..............फट गई मेरी बूर. ...........कितना मोटा है आपका.........बहुत दर्द हो रहा है पापा......बस करो ......रुको जरा.....कितना अंदर तक चला गया है एक ही बार में..आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......!! पापा....!! निकालीये इसे....प्लीज पापा....!!
धर्मवीर शालु को इस तरह से चिल्लाता देख सहम जाते है. वो अपनी कमर पीछे कर लेते है. उर्मिला भी पायल के सर पर हाथ फेरने लगती है.
धर्मवीर- क्या हुआ बेटी? दर्द हो रहा है क्या?
शालु- हाँ पापा...!! बहुत दर्द हो रहा है. आपका लंड बहुत मोटा है.
गुंज़न समझ जाती हैं की शालु ये सब जान बुझ कर कर रही हैं।ताकि धर्मवीर को पता ना चले की शालु पहले भी चुदी हुई हैं और गुंज़न प्यार से शालु के गालों पर हाथ फेरने लगते है.
धर्मवीर- मेरी प्यारी गुडिया रानी. थोडा तो दर्द होगा ना बेटी. कोई बात नहीं...अब पापा धीरे से डालेंगे...अपनी बिटिया को जरा सा भी दर्द नहीं होने देंगे.
धर्मवीर फिर से लंड को पकड़ कर शालु की बूर के मुगन पर रखते है और धीरे से ठेलते चले जाते है और कुछ ही क्षण में उनका पूरा लंड जड़ तक शालु के बूर में समां जाता है.धर्मवीर शालु को कस कर पकडे हुए है. पापा का पूरा का पूरा लंड
शालु की बूर में जड़ तक धंसा जाता है.धर्मवीर अपनी कमर को पीछे करते है तो उनका लंड बूर से बाहर आ जाता है. फिर वो लंड को शालु की बूर पर रख कर एक जोर का धक्का लगाते है तो लंड एक झटके में शालु की बूर में फिर से पूरा धंस जाता है. धर्मवीर के बड़े-बड़े गोटे जैसे ही शालु की चूतड़ों से टकराते है तो सारा कमरा 'ठप्प' की जोरदार आवाज़ से गूंज उठता है. 'ठप्प' की आवाज़ इतनी तेज़ होती है की पास खड़ी गुंज़न डर के उच्चल सी जाती है.
शालु - आह्ह्हह्ह....पापाजी..!! बहुत मोटा है आपका....
धर्मवीर- तुम्हारी बूर भी कमाल की है . कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....
शालु - (कसमसाते हुए) आह्ह्हह्ह...!! और अन्दर डालिए
पापाजी....उई माँ.....!!
धर्मवीर- उफ़ ....!! मेरा बस चले तो मैं लंड के साथ-साथ अपनी दोनों गोटियाँ भी अन्दर डाल दूँ ....पर फिलहाल मेरे लंड से ही काम चला लो।
धर्मवीर का लंड शालु की बूर में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है.
धर्मवीर ने एका एक गुंज़न को आगे करके शालु के ऊपर झुका दिया और गुंज़न की एक टाँग उठा कर शालु के ऊपर से दूसरी तरफ रख दी अब गुंज़न शालु के ऊपर डॉगी स्टाइल में आ गयी थी नीचे शालु लेटी हुई थी गुंज़न उसके ऊपर दोनो तरफ पैर करके घुटनों के बल झुकी हुई थी
धर्मवीर ने बिना कुछ बोले शालु की चूत से लंड निकाल लिया और थोड़ा सा ऊपर होकर गुंज़न की चूत पर अपने लंड के सुपाडे रगड़ने लगा शालु आँखे बंद किए हुए थी उसे ये तो पता था कि गुंज़न अब उसके ऊपर है पर उसे पता नही था कि धर्मवीर क्या कर रहा है गुंज़न अपनी चूत पर धर्मवीर के लंड रगड़ने से गरम होने लगी थी
धर्मवीर ने एक ही झटके में गुंज़न की चूत में अपना पूरा का पूरा लंड पेल दिया था और गुंज़न की कमर पकड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करके चोदे जा रहा था शालु ने देखा गुंज़न की 36 साइज़ की चुचियाँ आगे पीछे उसके चहरे के ऊपर 1 इंच के दूरी पर हिल रही थी नीचे धर्मवीर की जांघे गुंज़न के चुतड़ों पर चोट कर रही थी शालु अपनी भाभी को ऐसी हालत में देख कर गरम होने लगी थी उसने अपनी जिंदगी में कल्पना भी नही की थी वो ऐसे अपनी भाभी को इतने करीब से चुदते हुए देखे गी धर्मवीर अपने दोनो हाथों को गुंज़न के कंधों पर रख कर शालु के ऊपर झुकाने लगा गुंज़न की चुचियाँ शालु की चुचियों पर रगड़ खाने लगी शालु के तने हुए निपल्स गुंज़न के निपल्स से बार-2 रगड़ खा रहे थे
धर्मवीर- देखो गुंज़न शालु बेटी कैसे तुम्हारी चुचियों से चिपकी हुई है इसे अपनी बाहों में भर कर प्यार करो
शालु बिना कुछ बोले अपने आँखें बंद किए लेटी रही
गुंज़न की ऐसी घमासान चुदाई देख कर शालु चने लगी की कहीं भाभी को तकलीफ तो नहीं हो रही है? पापा जिस तरह से अपने गधे जैसे मोटे लंड को भाभी की बूर में पेल रहे है, कहीं भाभी को दर्द तो नहीं हो रहा है? तभी गुंज़न की आवाज़ ने उसके सारे सवालों के जवाब दे दिए....
गुंज़न- आह्ह्ह्ह.....!! बाबूजी...और जोर से चोदीये मेरी बूर....!! आपको देख कर बहुत पानी छोड़ती थी ये कामिनी....अच्छे से सबक सिखाइए इसे...आह...!!
गुंज़न द्वारा बाबूजी को दी गई इस ललकार ने तो मानो
शालु को दिन में तारे ही दिखा दिए. "इतने मोटे तगड़े लंड को बूर में ले कर भाभी मजा ले रही है? दर्द का तो नामोनिशान भी नहीं है भाभी के चेहरे पर.
धर्मवीर- हाँ बहु...आज तेरी बूर को अच्छे से सबक सिखाऊंगा. बहुत खुजली होती है ना इसे? आज इसकी सारी खुलजी मिटा दूंगा.
गुंज़न- हाँ बाबूजी...आह..!! सारी खुलजी मिटा दीजिये इसकी....
धर्मवीर गुंज़न की बूर में सटा-सटा लंड पेलता हुआ....
धर्मवीर- तुम्हे याद है बहु...जब हम पहली बार तुम्हे देखने तुम्हारे घर आये थे..?
गुंज़न- आह्ह्ह..!! हाँ बाबूजी याद है....आपने उस दिन गेरुयें रंग का कुरता और धोती पहनी हुई थी....अहह...!!
धर्मवीर- हाँ बहु....!! जब तुम्हे पहली बार देखा था तब ही सोच लिया था की यही मेरे घर की बहु बनेगी...और जब तुम मुझे चाय देने के लिए झुकी थी और मैंने तुम्हारे बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई देख ली थी तब मेरा इरादा और भी पक्का हो गया था.
गुंज़न- याद है मुझे बाबूजी...आप कैसे मेरी गहराई में घूरे जा रहे थे और मैं शर्म से पानी-पानी हो गई थी. आपकी धोती में वो हलचल देख कर ही मैं समझ गई थी की ससुराल में पति का सुख मिले ना मिले, ससुर का सुख एक दिन जरूर मिलेगा....आह्ह्ह्ह...!!
धर्मवीर- हाँ बहु...उस दिन घर आने के बाद मैंने तुम्हारी याद में अपना लंड बहुत मुठीआया था...
गुंज़न- ओह बाबूजी....सच कहूँ तो उस रात मैंने भी आपको याद कर अपनी बूर में मोटा बैगन खूब चलाया था....
धर्मवीर ने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर शालु की चूत के भगनासे (क्लिट ) को अपनी उंगलियों से मसलना चालू कर दिया शालु के बदन में मानो जैसे करेंट दौड़ गया हो
शालु - ओाहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नहियीईईईईईई मात्त्ततत्त कारूव
धर्मवीर- चुप साली अब क्यों नखरे कर रही है चल अब अपनी भाभी को अपनी बाहों में लेकर उसकी चुचियों को चूसना चालू कर अब शालु भी पूरी गरम हो चुकी थी ना चाहते हुए भी उसने गुंज़न को अपनी बाहों में भर लिए
धर्मवीर ने गुंज़न की चूत से लंड निकाला गुंज़न की चूत के पानी की कुछ बूंदे शालु की चूत के ऊपर गिरने लगी धर्मवीर ने अब नीचे होकर अपने लंड को शालु की चूत पर टिका दिया और उसकी टाँगों को घुटनो से पकड़ कर अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दिया लंड शालु की चूत के अंदर चला गयााा
धर्मवीर धना धन शॉट लगा कर शालु की चूत को चोदने लगा शालु मस्ती से भर चुकी थी धर्मवीर ने एक हाथ की एक उंगली को गुंज़न की चूत में घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा गुंज़न शालु के साथ चिपकी हुई थी दोनो की साँसें एक दम तेज से चल रही थी गुंज़न ओर आगे बढ़ कर अपनी अपनी बुर शालु के मुंह के ऊपर ले गयी, शालु समझ गयी ओर अपना मुंह उसकी नरम ओर गरम चूत पर रख दिया ओर चाटने लगी..
गुंज़न ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी, .म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
वो अपनी चूत शालु के मुह पर तेजी से दबा रही थी...
गुंज़न- चाट कुतिया....मेरी चूत से सारा पानी ...आआआआआआअह्ह्ह.....भेन चोद ....हरामजादी....चूस मेरी चूत को....आआआआआह्ह्ह्ह...
शालु ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया ओर चूसने लगी,पीछे से धर्मवीर भी आगे बढ़ कर गुंज़न की गांड चाटने लगा।गुंज़न तो मानो पागल ही हो गयी..
ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह अह अह अह अह अह अह अह .......वो बदबदाये जा रही थी ओर चुसवाती जा रही थी.
धर्मवीर के मोटे लंड से शालु के बूर के ओंठ पूरे फ़ैल चुके थे. बूर के फैले हुए ओंठों ने धर्मवीर के लंड को गोलाई में जकड़ा हुआ था. धर्मवीर का मोटा लंड जब भी शालु की बूर में जाता, सफ़ेद झाग के साथ कुछ छोटे-छोटे बुल बुले बूर के चारो तरफ फले हुए थे धर्मवीर का लंड शालु की चूत में पूरा अंदर बाहर होने लगा और सीधा जाकर शालु की बच्चेदानी से टकराने लगीा
तभी एक बार फिर धर्मवीर ने गुंज़न को पकड़ पीछे किया और चोदने लगा। शालु भी गुंज़न के नीचे से निकल कर अपनी चुत गुंज़न के मुह पर अपनी चुत रगड़ने लगी और शालु ने गुंज़न का हाथ पकड़ कर अपनी चुचि पर रख दिया और अपने हाथ से गुंज़न का हाथ अपनी चुचि पर दबाने लगी शालु को भी इस खेल में अब मज़ा आने लगा था गुंज़न भी धीरे-2 शालु की चुचि को मसल रही थी और चुत को चूस रही थी शालु एक दम गरम हो चुकी थी उसके गाल उतेजना के मारे लाल हो चुके थी आँखें वासना के कारण बंद हो गयी मस्ती इस कदर चढ़ चुकी थी कि वो अपने होंठो को दाँतों में भींच कर काटने लगी और अपनी गान्ड को पीछे की तरफ फेंक-2 कर धर्मवीर का लंड चूत में लेकर चुदवा रही थी
शालु से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने
धर्मवीर को धक्का दिया और उछल कर उनके ऊपर बैठ गयी, धर्मवीर का फड़कता हुआ लंड शालु की चूत के नीचे था शालु ने अपने पापा के दोनों हाथों में अपनी उंगलियाँ फंसाई और अपनी गांड और अपना सर नीचे झुका दिया, उसके होंठ अपने पापा के होंठो से जुड़े और चूत उनके लंड से, पीछे से
गुंज़न ने धर्मवीर का लंड पकड़ा और शालु की चूत में फसा दिया और उसे नीचे की तरफ दबा दिया..शालु की कसिली चूत में उसके पापा का लंड उतरता चला गया.उसने थोडा ऊपर होकर लम्बी सिसकारी निकाली...और अपने चुचे को धर्मवीर के मुंह में ठूस दिया...
शालु- .......मेरे राजा......चोदो ऐसे ही तेज तेज चोदो........ हहह............माँ............ कस कस के पेलो लन्ड बाबू.........कितना मजा है चुदाई करने में............अब रुकना मत पापा, पिता जी, मेरे बाबू.......पेलो अपनी सगी बेटी को.........और गहराई तक घुसाओ बाबू...........हाँ ऐसे ही.........
धर्मवीर- ...मेरी बेटी.............क्या बूर है तेरी..............हाय.............. कितना मजा है तेरी बूर में...................सच में अपनी सगी बेटी को चोदने में बहुत मजा है..........इतना मजा आजतक कभी नही आया......आ म्म्म्मम्म्म्म्म्म्
अब धर्मवीर का पूरा लंड उनकी बेटी की चूत के अन्दर था, शालु ने उछलना शुरू किया और धर्मवीर का लंड अपनी चूत में अन्दर बाहर करने लगी. गुंज़न पीछे बैठी बड़े गौर से इस चुदाई को देख रही थी, धर्मवीर ने हाथ आगे करके अपनी उंगलियाँ गुंज़न की चूत में डाल दी, औरगुंज़न पीछे से शालु की चूत ओर धर्मवीर का लंड एक साथ चाटने लगी
शालु अपने पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी....
शालु - आआआअह्ह्ह चोदो मुझे पापा...अपने प्यारे लंड से ....फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से....चोदो न....जोर से....आआआह्ह्ह बेटी चोद सुनता नहीं क्या तेज मार...भोंसडी के ....कुत्ते...बेटिचोद....चोद जल्दी जल्दी....आआआआआह्ह ......डाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......और तेज और तेज और तेज.......आआआअह्ह्ह हाँ ऐसे ही.....भेन्चोद....चोद...
धर्मवीर- तुम्हारी बूर भी कमाल की है कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....
शालु- .मेरे बाबू......चोदो अपने लंड से अपनी बेटी की बूर..........ओओ. कैसे आपका मोटा सा लंड मेरी बूर में जा रहा है.........कितना मजा है चुदाई करने में................मुझे उछाल उछाल के चोदो न
पापा जी, म.पेलो अपनी सगी बेटी को.....और गहराई तक डालो बाबू...........हाँ ऐसे ही......कैसे गच्च गच्च की आवाज आ रही है चुदाई की..........हाय बाबू और अन्दर डालिए
गुंज़न से शालु की चुत की तारीफ धर्मवीर के मुह से सुनी ने गयाी और उसने धर्मवीर का लंड शालु की चुत से निकाल कर रंडी की तरह बहुत तेज़ी से लंड को चूस लगी और लंड के सुपाडे को अपनी जीब से चाट रही थी धर्मवीर भी गुंज़न के सर को दोनो हाथों में पकड़ लिया और तेज़ी से गुंज़न के मुँह को चोदने लगा गुंज़न ने कुछ देर बाद अपना मुँह वहाँ से हटा लिया …धर्मवीर को कुछ समझ नही आ रहा था वो अपने लंड को हाथ में थामे लेटा हुआ था…फिर गुंज़न ने थूक निकल कर धर्मवीर के लंड पर डाल कर अपने हाथ से लंड पर मलने लगी
धर्मवीर -ये क्या कर रही हो बहु तुम्हारी चूत तो वैसे भी इतना पानी छोड़ती हैं थूक की तो ज़रूरत ही नही
गुंज़न - (काँपती आवाज़ में) पानी चूत छोड़ती है ना गान्ड तो नही
धर्मवीर - क्या
गुंज़न की बात सुन धर्मवीर का लंड तन कर झटके खा रहा था गुंज़न अपने दोनो पैरों को धर्मवीर की कमर के दोनो तरफ करके घुटनों के बल नीचे बैठ गयी…और धर्मवीर के लंड को हाथ में पकड़ कर अपनी गान्ड के छेद पर लगा दिया और गुंज़न धीरे -2 अपनी गान्ड के छेद को धर्मवीर के लंड के सुपाडे के ऊपर दबाने लगी लंड का पूरा सुपाडा अंदर घुस गया धर्मवीर ने अपने लंड को धीरे-2 गुंज़न की गान्ड के छेद के अंदर बाहर करना चालू कर दिया गुंज़न की गान्ड का छेद बहुत टाइट था धर्मवीर को भी लंड को अंदर बाहर करने में दिक्कत हो रही थी गुंज़न भी धीरे -2 अपनी कमर हिलाने लगी हर बार रेणु अपनी गान्ड के छेद को और ज़्यादा धर्मवीर के लंड पर दबा कर अंदर ले लेती लंड पूरा जड तक गुंज़न की गान्ड में घुस गया गुंज़न धर्मवीर का लंड अपनी गान्ड हिला ने लगी
गुंज़न - बाबूजी अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो मेरी गान्ड को इस कदर चोदो कि फॅट जाए मुझ पर ज़रा भी तरस ना करना आज से में ही तुम्हारी पत्नी रंडी और रखेल सब कुछ हूँ
गुंज़न की बात सुन धर्मवीर गुंज़न की दोनों टांगों को पकड़ कर मोड़ देते है सीने पर लगा देते है धर्मवीर का लंड गुंज़न की गांड में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है.शालु इस द्रिश्य को बड़े ध्यान से देख रही है.
धर्मवीर पागलों की तरह गुंज़न की गांड चोदने लगता है. एक हाथ से गुंज़न के पैर उठा के हुए धर्मवीर अपने मोटे लंड को सटा-सट गुंज़न की गांड में ठूंसे जा रहा था.
धर्मवीर- ..कुतिया कहीं की...साली रंडी..."
गुंज़न- हाँ मैं रंडी हूँ...तेरी रंडी हूँ मैं आज से...चोद मुझे...घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे...अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी बहु को
गुंज़न धर्मवीर का लंड अपनी गांड में पेलवाते हुए हुए शालु को देखती है तो धीरे से एक ऊँगली में थूक लगा कर उसकी चूतड़ों के बीच घुसा देती है जो शालु के छेद में हलकी सी घुस जाती है. शालु के मुहँ से , "उई माँ भाभी...!!", निकल जाता है. आगे धर्मवीर उसकी बूर में जीभ ठूँस रहे है और निचे से भाभी चुतड के छेद में ऊँगली. इस नए अनुभव से शालु तन बदन में आग लग जाती है.
शालु - उई माँ....सीईई....!!
गुंज़न-हुआ रानी? शादी हो कर ससुराल जाएगी तो वहां भी ऐसे ही 'डबल ड्यूटी' करनी पड़ेगी....
धर्मवीर- ये क्या कह रही हो गुंज़न ? मेरी प्यारी बिटिया ससुराल में 'डबल ड्यूटी' करेगी? तुमने मेरी शालु को ऐसी-वैसी समझ रखा है? ये तो ससुराल में 'चौकड़ी ड्यूटी' करेगी, 'चौकड़ी'...!!
और धर्मवीर अपनी जीभ शालु की बूर में जोर से घुमा देते है. गुंज़न और पापा की बात से शालु पूरे जोश में आ जाती है. अपनी कमर को धीरे-धीरे गोल गोल घुमाते हुए शालु कहती है..
शालु- हाँ पापा...!! मैं 'चौकड़ी ड्यूटी' करुँगी ससुराल में.....आह्ह्ह...!!
गुंज़न- कैसे करेगी मेरी बन्नो 'चौकड़ी ड्यूटी' जरा वो भी तो बता...
शालु- (मस्ती में) एक आगे, एक पीछे...आह...!! और दो मेरे मुहँ पर...आह्ह्ह्हह्ह....!!
अपनी बेटी के मुहँ से ऐसी बात सुन कर धर्मवीर को जोश आ जाता है. वो एक बार अच्छे से शालु की बूर को चाट लेते है फिर गुंज़न को उठ कर उनसे चिपक जाने का इशारा करते है. शालु भी वो इशारा समझ जाती है और एक तरफ खड़ी हो जाती है. गुंज़न अपने दोनों पैरों से धर्मवीर की कमर को कास लेती है और अपनी दोनों बाहें उनके गले में डाल देती है.
धर्मवीर वैसे ही गुंज़न को जकड़े हुए बिस्तर पर खड़े हो जाते है. धर्मवीर का लंड अब भी गुंज़न की गांड में धंसा हुआ है और गुंज़न उनसे लिपटी हुई है. अपने कमर को हिलाते हुए धर्मवीर गुंज़न को गोद में उठाये उसकी की बूर की चुदाई करते हुए पास की खिड़की तक जाते है. खुली हुई खिड़की से बाहार देखते हुए धर्मवीर है
धर्मवीर - बहु...जरा बाहर देखो तो...कोई हट्टा-कट्ठा मर्द दिख रहा है?
गुंज़न बाबूजी का इशारा समझ जाती है. वो सर घुमा के खिड़की से बाहर देखने लगती है. सड़क के उस पार उसे ३-४ हट्टे-कट्ठे मर्द दिखाई देते है जो एक छोटी सी दूकान पर चाय की चुस्की ले रहे है. गुंज़न एक बार अच्छे से उन मर्दों को देखती है फिर सर धर्मवीर की तरफ घुमा के अपने ओंठ काट लेती है. धर्मवीर गुंज़न का इशारा समझ जाते है और अपने लंड गांड से निकाल कर एक जोर के झटके से गुंज़न की चुत में ठेलते हुए बाबूजी कहते है.
धर्मवीर- आह्ह्ह...!! तो मेरी बहु को ३-४ मोटे लंड चाहिए वो भी एक साथ...बहुत गरम है मेरी बहुरानी...
धर्मवीर गुंज़न वैसे ही गोद में उठाये कमरे में चलते हुए चोदने लगते है. गुंज़न भी अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेटे हुए और बाहों को उनके गले में डाले लंड पर उच्छल रही है. शालु ये नज़ारा आँखे फाड़-फाड़ के देख रही है. भाभी की वो 'डबल ड्यूटी', पापा की वो 'चौकड़ी ड्यूटी' और 3-4 मर्दों से चुदवाने वाली बात ने शालु की बूर में आग लगा थी.
शालु- मुझे आपका लंड अपनी चूत में चाहिये पापा …जल्दी से पेल दो मेरी चूत में!”
धर्मवीर ने भी शालु की बात मानते हुए गुंज़न को नीचे उतार के शालु को अपनी गोद में ले लिया और शालु की चुत मे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. पहले धीरे धीरे फिर रफ़्तार बढ़ा दी. शालु भी धर्मवीर धक्कों का जवाब अपनी चूत से देने लगी. फिर धर्मवीर किसी वहशी की तरह उसकी चूत मारने लगा. लंड को पूरा बाहर तक खींच कर फिर पूरी ताकत से उसकी चूत में पेलने लगा.शालु धर्मवीर हर धक्के का जवाब वो पूरे लय ताल से अपनी कमर उचका उचका के देने लगी.चुदाई की फच फच की मधुर आवाजें और शालु के मुंह से निकलती संतुष्टिपूर्ण किलकारियाँ
शालु …“पापा जी… अच्छे से कुचल डालो इस चूत को आज!”“
धर्मवीर - हां बेटा, ये लो… और लो… अदिति मेरी जाऽऽऽन!”
शालु- आःह पापा जी…मस्त हो आप. फाड़ डालो मेरी चूत को… ये मुझे बहुत सताती है बहुत ही परेशान करती रहती है. आज इसकी अच्छे से खबर लो आप!
पापा मैं गयी...........आपकी बेटी झड़ रही है मैं गयी और तेज तेज चोदो पापा..........कस कस के पेलो मेरी
चुत....कितना अच्छा है आपका लंड......
धर्मवीर का लंड तड़बतोड़ शालु की बूर चोदे जा रहा था,
शालु सीत्कारते हुए जोर जोर हाय हाय करते हुए अपने पापा से लिपटी झड़ने लगी, धर्मवीर को अपनी बेटी की बूर के अंदर हो रही हलचल साफ महसूस होने लगी, कैसे नीलम की बूर की अंदरूनी दीवारें बार बार सिकुड़ और फैल रही थी, काफी देर तक शालु बदहवास सी सीत्कारते हुए धर्मवीर से लिपटी झड़ती रही।धर्मवीर तेज तेज धक्के लगते हुए शालु की बूर चोदे जा रहा था, वह बड़े प्यार से चोदते हुए अपनी बेटी को दुलारने लगा, इतना मजा आजतक जीवन में शालु को कभी नही आया था,
शालु ने राहत की साँस ली….और धर्मवीर के उपर से उतर गई और धर्मवीर तेज़ी से गुंज़न को डॉगी स्टाइल में कर दिया और अपने लंड और गुंज़न की चुत के छेद ठूस देता है
धर्मवीर अपनी कमर को पीछे करते हुए लंड गुंज़न की चुत से बाहर निकाल लेते है और फिर से अपनी कमर को झटका देते हुए लंड को फिर से चुत में ठूँस देते है.
धर्मवीर- जल्द ही खुशखबरी दो बहु....ओह......!!
धर्मवीर की इस बात पर शालु झट से बोल पड़ती है...
शालु -पापा..!! आप ही भर दीजिये ना भाभी की गोद...राकेश भैया तो कुछ कर ही नहीं पाए.
शालु की बात सुन कर धर्मवीर -बोलो बहु...!! अपने बाबूजी का बच्चा पेट में लोगी? माँ बनोगी अपने ससुर के बच्चे की?
गुंज़न - (बाबूजी को देखते हुए, तेज़ साँसों से) हाँ बाबूजी...!! मेरी कोंख मैं अपना बच्चा दे दीजिये. बना दीजिये मुझे अपने बच्चे की माँ....
गुंज़न की बात सुनते ही धर्मवीर जोश में आ जाते है. गुंज़न की जाँघों को पकड़ कर वो उसकी बूर में लंड ठूँस कर उसकी जम कर चुदाई करने लगते है. लगातार धक्को ने गुंज़न की चूत के ज्वाला मुखी को जगा दिया और उसमे से काम रस का लावा बाहर आने लगा और गुंज़न की कमर ने 4-5 बार झटके खाए और वो झड गयी एक मिनट से भी कम समय में 15-20 धाके मारने के बाद धर्मवीर भी अपनी कमर कस कर गुंज़न की गांड के बीच दबा देते है. उनके लंड से गाड़ा सफ़ेद पानी किसी बाढ़ की तरह गुंज़न की बच्चेदानी में बहने लगता है.कुछ पानी चुत से निकल रहा था जिसे गुंज़न अपने हाथों से उठा कर चाट जाती हैं
तभी धर्मवीर को घर का गेट खुलने की आवाज़ आती है और वो धीरे-धीरे बाहर की जाने लगते है