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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

veerpal

I don't have dirty mind but have sexy imagination.
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Ye story hume kuchh pasand nahi aayi. Shalu ko keval Sonu ki banana chahiye tha. Gunjan ko bhale ghar me sab chode. Gunjan ko bahar ka mard nahi ghar ka thhik hai. Par Shalu ko keval Sonu ne hi chodna chahiye tha. Shalu keval Sonu ki hi jindagi bhar premika bankar rahe aur kisi ki nahi honi chahiye thi. Bhale Sonu kisi aur se shadi kare.
अरे भाई आपकी इच्छा पूरी नहीं हो पाएगी क्योंकि स्टोरी कॉपी की हुई है और अब इसमें कोई चेंज nhi aa sakta
 
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prasha_tam

Well-Known Member
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अगले दिन शाम 6 बज रहे है.

ड्राइंग रूम में हंसी-मज़ाक का माहोल है. ठहाकों से कमरा गूँज रहा है. सोफे पर गुंज़न शालु के साथ बैठी हिया और ठीक सामने सोनू लेटा हुआ है.शालु मौका देख कर अपनी स्कर्ट ऊपर कर टाँगे हलकी सी खोल देती तो उसकी गोरी गोर जांघे और बुर पर कसी हुई पैन्टी देख कर सोनू की हालत खराब हो जाती. सोनू टांगो के बीच कुशन को दबाये लेटा हुआ है. शालु की बालोंवाली फूली बूर पर कसी हुई पैन्टी को घूरते हुए वो ख्याली पुलाव पका रहा है. कभी वो अपने आप को शालु की जांघो के बीच बैठे उसकी बूर चुसता हुआ देखता है तो कभी उसकी फैली हुई जांघो के बीच अपना लंड ठूँसते. अपने ख्यालों में वो कई बार शालु की बूर में झड़ चूका है. इन्हीं हंसी मजाक, ठहाकों और सपनों के बीच धर्मवीर बाहर से टहलता हुआ वहाँ आता है

धर्मवीर शालु की आँखों में देखता है जैसे कुछ बात कर रहा हो और फिर घूम कर छत की सीढ़ियों की तरफ चल देता है.
गुंज़न बाप-बेटी के इशारे खूब समझती है. वो शालु की तरफ देखती है गुंज़न समझ जाती है की आगे क्या होने वाला है और वो चुप रहना ही ठीक समझती है. शालु उठ के धीरे धीरे छत पर जाने लगती है. छत पर पहुँचते ही शालु की नज़र पापा पर पड़ती है जो हाथ पीछे बांधे हुए टहल रहे है. शालु मुसकुराते हुए धीरे धीरे पापा के पास से गुजरती है तो पापा उसकी कलाई पकड़ लेते है.

धर्मवीर- कहाँ जा रही है मेरी बिटिया रानी?

शालु- (शर्माते हुए) कहीं नहीं पापा...बस ऐसे ही छत पर ठंडी हवा खाने आई थी...

धर्मवीर शालु को धीरे से अपने पास खींचते है और अपना हाथ उसकी टॉप के निचे से उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए घुमाने लगते है. धर्मवीर छत पर नज़र दौडाते है. एक कोने में उन्हें लकड़ी का छोटा सा टेबल दिखाई देता है. वो शालु का हाथ पकड़ के टेबल के पास जाते है और बैठ जाते है

शालु मुस्कुराते हुए अपनी चौड़ी चुतड पापा की गोदी में रख देती है. उसकी पीठ पापा की सक्त छाती पर चिपक जाती है, दोनों टाँगे पापा की टांगो के बीच है.

धर्मवीर धीरे से शालु की बड़ी-बड़ी चुचियों के निचले हिस्से पर हाथ फेरने लगते है.

धर्मवीर मेरी शालु ने आजकल ब्रा पहनना बंद कर दिया है...है ना?

शालु- आह....!! हाँ पापा....! बहुत गर्मी होती है, और मेरी कुछ ब्रा छोटी हो गई है और कुछ ज्यादा ही बड़ी है. इसलिए मैं आजकल ब्रा नहीं पहनती...

शालु की बात सुन कर धर्मवीर उसके बड़े-बड़े दूधों को पंजों में भर कर धीरे से दबा देते है ठीक वैसे ही जैसे कोई ग्वाला गाय के थानों को दूध निकालने से पहले दबाता है.

धर्मवीर- बहुत गर्मी भर गई है मेरी शालु के बदन में. लगता है किसी दिन पापा को सारी गर्मी निकालनी पड़ेगी.

शालु- (धर्मवीरकी इस हरकत से सिसिया जाती है) स्स्सीईईईइ....!! पापा....!!


बाप-बेटी की रासलीला अपने जोरो पर थी. दोनों उस अपूर्व आनंद में खोये हुए थे की तभी धर्मवीर को सामने वाली छत पर कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ आते हुए दिखाई देते सामने लोगों को छत पर देख वो झट से अपनी टॉप और स्कर्ट ठीक करती है. खड़ी हो कर अपने बालों को ठीक करते हुए वो छत के बीचों-बीच आ जाती है. धर्मवीर भी धीरे से अपनी धोती ठीक कर, लंड को किसी तरह से छुपाते हुए वहां से उठ कर शालु से थोड़ी दुरी पर खड़े हो जाते है. पायल एक बार पास वाली छत पर आये लोगों को देख कर मन में गालियाँ देती है और नीचे जाने लगती हैं निचे आकर शालु गुंज़न के पास जा कर बैठ जाती है. शालु के दूसरी तरफ सोनू बैठा हुआ है.

गुंज़न और शालु इशारों में बातें करने लगते है और बाबूजी भी निचे आ जाते है.

धर्मवीर -चलो भाई...अब मैं भी तुम लोगों के साथ थोड़ी गैप-शप कर लूँ....

धर्मवीर जैसे ही सोनू के पास बैठने को होते है, घर की बिजली चली जाती है. घर में गुप्प अँधेरा छा जाता है.

गुंज़न- धत्त..!! इसे भी अभी ही जानी थी...

सभी चुप-चाप बैठ जाते है. कमरें में गुप्प अँधेरा है तभी सोनू का पैर गलती से शालु के पैर पर लग जाता है. शालु धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर दे मारती है.

सोनू -..पाप दीदी मुझे पैर मार रही है.

धर्मवीर- फिर शुरू हो गया तुम दोनों का? कम से कम अँधेरे में तो शांत रहो.

शालु- नहीं पाप..पहले इसने पैर मारा था...

धर्मवीर- जो करना है करो, लड़ो-मरो ...बस मेरा दिमाग मत खाओ तुम दोनों...

शालु धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर घुमाने लगती है.
शालु की इस हरकत से सोनू भी चुप-चाप हो जाता है.
शालु अपने पैर को धीरे-धीरे सोनू के पैर पर रगड़ते हुए ऊपर ले जाने लगती है और उसकी जांघो के पास सहलाने लगती है. सोनू की पतलून टाइट होने लगती है. सामने पापा ह पास में उसकी बहन की ये हरकत, उसके अन्दर डर और उत्त्साह की मिलीजुली अनुभूति जगती है. शालु अब अपना पैर सोनू की जांघो के बीच उसके खड़े लंड पर रख देती है. सोनू किसी तरह अपने मुहँ से शालु का नाम निकलने से रोकता है. धीरे-धीरे अपने पैरों से सोनू के लंड पर दबाव डालते हुए शालु लंड की कसावट को महसूस करती है.

गुंज़न ये सब देख तो नहीं पा रही लेकिन दोनों के बहुत करीब होने की वजह से समझ जरूर रही है. कुछ क्षण गौर से देखने के बाद गुंज़न सारा माजरा समझ जाती है. वो धीरे से शालु के कान में फुसफुसाती है.

गुंज़न- (शालु के कान में फुसफुसाते हुए) येही मौका है...चख ले अपने भाई का केला....


गुंज़न की इस बात ने तो मानो आग में घी का काम कर दिया था. वो धीरे से निचे उतर कर सोनू के पैरों के बीच जा कर बैठ जाती है. उसके हाथ सोनू के शॉर्ट्स को ऊपर से पकड़ लेते है. सोनू समझ जाता है की ये कोई और नहीं उसकी अपनी दीदी है. वो चुप-चाप सोफे पर सर रख के आँखे बंद कर लेता है और अपनी कमर ऊपर उठा देता है. शालु एक झटके से सोनू की शॉर्ट्स खींच के घुटनों तक उतार देती है. सोनू का लंड झटके के साथ ऊपर उठता हुआ उसके पेट से जा टकराता है और लंड से कुछ चिप-छिपे पानी की बूंदे शालु के चेहरे पर पड़ जाती है. शालु सोनू के लंड को हाथ से पकड़ कर आगे लाती है और चमड़ी को पूरी निचे कर देती है. अपनी नाक लंड पर ले जा कर वो पहले उसके मोटे टोपे को सूंघती है. तेज़ गंध से शालु मदहोश हो जाती है. अब सोनू के लंड के टोपे पर जीभ घुमाने लगती है. सोनू तो मानो जन्नत की सैर ही करने लगता है. जो सपना वह हमेशा देखा करता था आज वो सच हो गया था. उसकी अपनी दीदी उसके लंड से प्यार कर रही थी. शालु सोनू के लंड पर अपने ओठों को रखती है और धीरे-धीरे उसके ओंठ लंड के टोपे पर फिसलते हुए उसे मुहँ के अन्दर लेने लगते है. अपनी आदत से मजबूर सोनू शालु का नाम लेने लगता है....

सोनू : श.... (की तभी एक हाथ उसका मुहँ बंद कर देता है. वो हाथ गुंज़न क था

गुंज़न सोनू के मुहँ पर हाथ रख कर सोफे के पीछे उसके सर के पास खड़ी है. सोनू आँखे खोल के गौर से देखता है तो उसे गुंज़न की एक छबी सी दिखाई देती है. वो समझ जाता है की वो भाभी ही है.गुंज़न धीरे-धीरे अपना हाथ उसके मुह पर से हटाती है. सोनू चुप-चाप मुहँ बंद किये गुंज़न को देखने की कोशिश करने लगता है. तभी गुंज़न उसे झुकती हुई दिखाई देती है और इस से पहले की वो कुछ समझ पाता गुंज़न की एक चूची उसके मुहँ में घुस जाती है. सोनू की आँखे बंद हो जाती है. ऊपर उसके मुहँ में भाभी की चूची और नीचे बहन के मुहँ में उसका लंड. सोनू की तो मानो आज लोटरी ही लग जाती है. वो गुंज़न की चूची किसी बच्चे की तरह चूसने लगता है.

निचे शालु पूरे जोश में है. वो सोनू के लंड को मुहँ में भर कर किसी लोलीपोप की तरह चुसे जा रही है. निचे हाथ को लंड पर घुमाते हुए वो चमड़ी निचे कर दे रही है और लंड को चूस रही है. बीच बीच में शालु अपने सर को स्थिर कर के धीरे-धीरे सोनू के लंड पर दबा देती और मुहँ की गहराई तक ले लेती. २-३ बार ऐसा करने के बाद शालु अब लंड को और ज्यादा मुहँ के अन्दर लेने लगी है. सोनू गुंज़न की चूची चूसते हुए कभी-कभी अपनी कमर उठा देता. शालु ने फिर से अपना सर स्थिर किया और उसके लंड को धीरे-धीरे मुहँ की गहराई में लेने लगी. शालु लंड को मुहँ में लेते हुए इतना निचे चली गई की उसका नाक सोनू के लंड की जड़ पर उगे बालों में घुस गई. अब सोनू का 8 इंच का लंड शालु के मुहँ में गले तक जा पहुंचा था. शालु कुछ क्षण वैसे ही लंड गले तक लिए रखती है फिर झटके से अपना सर उठा देती है. उसके मुहँ से लार और लंड का पानी बहने लगता है. अपने ही सगे भाई के लंड के साथ ऐसा कर के शालु को अजीब सा मज़ा आ रहा है
सोनू का तो बुरा हाल हो चूका था. अब वो अपने आप को और रोक नहीं सकता था. वो समझ गया था की उसका लंड अब कभी भी पानी छोड़ सकता है और दीदी के मुहँ में एक बूँद भी गिर गई तो उसकी खैर नहीं. वो अपने हाथ को निचे ले जा कर लंड पकड़ता है और उसे शालु के मुहँ से निकलने की कोशिश करता है. शालु समझ जाती है की सोनू अब झड़ने वाला है और इसलिए लंड निकालने की कोशिश कर रहा है. शालु अपने मुहँ में सोनू का लंड लिए, अन्दर की सारी हवा फेफड़ों में खींच लेती है. मुहँ के अन्दर 'वैक्यूम' बन जाने से सोनू का लंड शालु के मुहँ के अन्दर खीचता चला जाता है. सोनू एक बार फिर लंड निकालने की कोशिश करता है लेकिन लंड तो मानो शालु के मुहँ में फंस सा गया है. हार कर सोनू अपने लंड को जैसे ही ढीला छोड़ता है, उसका लंड शालु के मुहँ में पिचकारियाँ छोड़ने लगता है. लंड से निकलती हर पिचकारी शालु के गले से टकराती हुई अन्दर जाने लगती है.
शालु गटा-गट हर पिचकारी को पीने लगती है. ८-१० पिचकारियाँ शालु के मुहँ में छोड़ने के बाद सोनू का लंड ढीला पड़ जाता है. शालु आखरी बार सोनू के लंड को जोर से चुसती है और बचा हुआ पानी भी पी लेती है. अपने मुहँ को पोंछते हुए धीरे से अपनी जगह पर आ कर बैठ जाती है.
गुंज़न भी धीरे से अपने ब्लाउज के हुक लगाते हुए शालु के साथ बैठ जाती है.

सोनू एक चुसे हुए आम की तरह सोफे पर पड़ा है. शॉर्ट्स के अन्दर उसका लंड खर्राटे भर रहा है. तभी धर्मवीर की आवाज़ आती है कोई रोशनी का इतजम करो


गुंज़न- रुकिए बाबूजी जी...मैं बत्ती का कुछ इंतज़ाम करती हूँ.


गुंज़न किसी तरह टटोलते हुए रसोई में जा कर माचिस जलती है और एक मोमबत्ती जलाकर टेबल पर रख देती है. रूम में थोड़ी रौशनी हो जाती है. मोमबत्ती की रौशनी में सोनू शालु को देखता है. शालु के चेहरे पर चमक है और वो सोनू को देखते हुए धीरे से आँख मार देती है.

धर्मवीर कोई मुझे एक कप चाय पिलाएगा?

गुंज़न उठने लगती है तो शालु कंधे पर हाथ रख के बिठा देती है.

शालु- आप रहने दीजिये भाभी...मैं बना देती हूँ.

गुंज़न शालु को देख कर मुस्कुरा देती है और शालु रसोई में चली जाती है. रसोई में गैस जला कर वो चाय का बर्तन चढ़ा देती है. तभी शालु की नज़र पापा पर पडती है. धर्मवीर शालु को घूरते हुए देख रहे है. उनकी नज़र बार-बार शालु के चौड़े चूतड़ों पर जा कर टिक जा रही है. शालु भी मस्ती में अपनी चुतड उठा कर खड़ी हो जाती है. उसकी उभरी हुई चुतड देख के धर्मवीर से रहा नहीं जाता.

धर्मवीर- अरे बहु...मोमबत्तियाँ कहाँ रखी है? एक मोमबत्ती की रौशनी कम है..

गुंज़न- रसोई में रखी है बाबूजी. रुकिए मैं ला देती हूँ...

गुंज़न- नहीं नहीं बहु...मैं खुद ले लेता हूँ. तुम सोनू के साथ बातें करो...

शालु समझ जाती है की अब पापा उसके पास आने वाले है. वो एक ऊँगली मुहँ में ले कर शर्माते हुए नाख़ून चबाने लगती है. धर्मवीर उठ कर रसोई में आते है. एक नज़र सोनू और गुंज़न पर डाल कर वो शालु की चूतड़ों को स्कर्ट के ऊपर से दबा देते है. शालु चुप-चाप मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है. धर्मवीर मोमबत्ती ढूंढने का नाटक करते हुए शालु की स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसकी चुतड को पंजों में भर कर दबा देता है.
शालु बिना कुछ कहे पापा को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर नज़रे चाय के बर्तन पर जमा देती है. धर्मवीर इस बार शालु के पीछे खड़े हो कर धोती के ऊपर से अपना लंड शालु की चूतड़ों के बीच सटा कर दबा देते है. शालु भी मस्ती में अपनी चुतड पीछे कर के पापा के लंड पर दबाव डाल देती है. धर्मवीर झट से अपना लंड धोती से बहार निकालते है और शालु की स्कर्ट उठा के चूतड़ों के बीच ठेल देते है. पापा का लंड पैन्टी के ऊपर से उसके गांड के छेद से टकरा जाता है. शालु उच्छल जाती है और उसके मुहँ से आवाज़ निकल जाती है...

शालु- आह्ह्हह्ह.....!!!

गुंज़न-(ड्राइंग रूम से) क्या हुआ शालु? चोट लग गई क्या?

गुंज़न इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा देती है. धर्मवीर फिर से खाने की टेबल पर दूसरी मोमबत्ती जलाकर बैठ जाते है. रसोई में शालु पापा के लिए कप में चल डाल देती है. पापा की नज़रे अब भी शालु पर ही है. शालु देखती है की पापा अब भी उसे घुर के देख रहे हैं तो उसके दिमाग में बदमाशी सूझती है. वो पापा को देखते हुए धीरे से अपनी टॉप ऊपर उठा देती है और अपने बड़े-बड़े दूध दोनों हाथों से पकड़ लेती है. शालुको अपने नंगे दूध इस तरह से पकडे देख, धर्मवीर की हालत ख़राब हो जाती है. शालु अपने दोनों दूधों को पकडे चाय के प्याले के ठीक ऊपर ले जाती है और जोर से दबा देती है जैसे वो पापा की चाय में अपना दूध डाल रही हो.शालु की इस हरकत से धर्मवीर धोती में हाथ डाल कर लंड दबा देते है. फिर शालु अपनी टॉप निचे कर, चाय का प्या लिए धर्मवीर के पास आती है.

शालु-पापा आपकी चाय...

धर्मवीर-(शालु को देख, मुस्कुराते हुए चाय की एक चुस्की लेते है) हुम्म्मम्म...!! वाह..!! मज़ा आ गया . ऐसी दुधिया चाय तो मुझे सिर्फ तू ही पिला सकती है. लगता है खुल के दूध डाला है चाय में.

शालु- (मुस्कुराते हुए) घर का ताज़ा-ताज़ा दूध है पापा, मज़ा तो आएगा ही.

दोनों बाप-बेटी एक दुसरे के बदन की आग भड़काने में लग जाते है.

फिर शालु अपने कमरे की तरफ जाती है तो गुंज़न उसके पीछे आ जाती है. शालु चुतड पर एक चपत लगते हुए.


गुंज़न- हाय मेरी ननद रानी...आजकल तो पापा से खूब बातें हो रही है.

शालु- हाँ भाभी...पापा भी बदन में आग ही लगा देते है.

गुंज़न- देख , तू तो जानती है ना की तेरे पापा तुझे नंगी करके खूब पटक-पटक के चुदाई करना चाहते है...

शालु- हाँ भाभी...जानती हूँ...

गुंज़न-तो मेरी प्यारी ननद जी...कुछ करिए...

शालु- आप बताईये ना भाभी..


गुंज़न- सब कुछ मैं ही बताउंगी तो मेरी शालु क्या करेगी? बाबूजी का लंड भी मैं अपनी ही बूर में डलवा लूँ?

शालु- (खुश होते हुए) हाँ भाभी....!! डलवा लो. दोनों ननद-भाभी नंगी हो कर पापा से खूब बूर चुदवाएंगे....

गुंज़न ( शालु के गाल पर धीरे से चपत लगते हुए) मेरी ननद रानी...पापा अपनी बहु-बेटी की एक साथ बूर चोदेंगे तो वो जोश में लंड का पानी हम दोनों की बुरों में गिरा देंगे.

शालु - हम दोनों अपनी बुरों में गिरवा लेंगे ना भाभी... ये भी तो सोचिये की मज़ा कितना आएगा....जरा सोचिये तो....आप और मैं एक साथ बिस्तर पर टाँगे खोले, अपनी फूली हुई बुरों को फैलाये लेटी हैं और बाबूजी बारी-बारी हम दोनों की बूर चोद रहे है.

गुंज़न- अच्छा ठीक है बाबा...हम दोनों बाबूजी का लंड साथ में ले लेंगी....लेकिन पहले तू तो कुछ कर...

शालु- (खुश होते हुए) हाँ भाभी...करती हूँ....

गुंज़न-अच्छा अब मैं चलती हूँ...सोनू अभी सो रहा है.

शालु-ठीक है भाभी....

गुंज़न वहां से चली जाती है. धर्मवीर गुंज़न को जाते हुए देखते है तो वो धीरे से उठ कर शालु के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है.

शालु अपने कमरे में बिस्तर पर टाँगे खोल कर लेती है. उसकी स्कर्ट जांघो तक है और पैन्टी दिख रही है. वो अपने फ़ोन में कुछ देख रही है और फ़ोन की रौशनी से उसका चेहरा चमक रहा है. तभी उसे पापा की आवाज़ आती है.

धर्मवीर- क्या कर रही है मेरी शालु


धर्मवीर की आवाज़ सुन कर शालु खुश हो जाती है. वो मुस्कुराते हुए जवाब देती है.

शालु- कुछ नहीं पापा...बस ऐसे ही लेट कर फ़ोन के साथ वक़्त बिता रही हूँ...

धर्मवीर चलते हुए शालु के पास आते है और उसकी पास बैठ जाते है. अपने हाथों से वो शालु की जाँघों को सहलाने लगते है. धीरे-धीरे धर्मवीर के हाथ शालु की जांघो पर फिसलते हुए जाँघों की जड़ों तक चले जाते है और शालु की पैन्टी को छूने लगते है.

धर्मवीर- शालु...पापा का बड़ा मन करता है....

शालु- क्या मन करता है पापा?

धर्मवीर-येही की अपनी बिटिया को खूब प्यार करें....

शालु- मन तो मेरा भी बहुत करता है की आप मुझे दिन रात प्यार करें पापा....

धर्मवीर- पापा का प्यार बहुत बड़ा है बेटी... और तुझे देख कर तो मेरा प्यार और भी बड़ा हो जाता है...

शालु- सच पापा?

धर्मवीर- हाँ ...(धर्मवीर शालु का हाथ पकड़ कर अपनी धोती में घुसा देते है और मोटा लंड उसके हाथ में दे देते है). देख ....कितना बड़ा है तेरे पापा का प्यार...

शालु बड़ी-बड़ी आँखों से पापा को देखने लगती है और पापा के लंड की मोटाई को हाथों से महसूस करने लगती है. शालु को ऐसा लगता है की किसीने उसके हाथों में लम्बा और मोटा लट्ठ पकड़ा दिया हो. वो सीसीयाते हुए पापा से कहती है.

शालु- सीईईईइ.....पापा..यह तो बहुत लम्बा और मोटा है.....

धर्मवीर -हाँ बेटी...और जब मेरी बिटिया रानी घर में बिना ब्रा के टॉप में अपने बड़े-बड़े दूध उठा के घुमती है तो ये और भी बड़ा हो जाता है....

शालु- सच पापा? आपको मेरा घर में बिना ब्रा की टॉप पहन कर घूमना अच्छा लगता है?

धर्मवीर-बहुत अच्छा लगता है बिटिया. पापा का दिल तो करता है की दौड़ कर अपनी बिटिया रानी की टॉप उठा दूँ और उसके बड़े-बड़े दूध मसल दूँ...

कहते ही शालु की टॉप में एक हाथ दाल देता है और शालु के दूध को मसलने लगता है. पापा की इस हरकत से शालु भी जोश में आ जाती है और लंड को जोर से दबा देती है. पापा का लंड फूल के और भी मोटा हो जाता है.

शालु-पापा आप मेरे दूध मसलते है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है...

धर्मवीर- जानता हूँ . जवान लड़कियों को अपने दूध मसलवाना बहुत पसंद है, ख़ास कर अपने पापा से. बहुत सी लड़कियां घर में चोरी-छिपे अपने पापा से खूब दूध मसलवाती है. पापा से दूध मसलवाने से लड़कियों के दूध जल्दी बड़े हो जाते है.

शालु - सच पापा?

धर्मवीर- हाँ शालु...तुने देखा होगा की बहुत सी लड़कियों के छोटी उम्र में ही बड़े-बड़े दूध हो जाते है. ऐसी लडकियां अपने पापा से ही तो दबवा के अपने दूध बड़े करवाती है.

शालु- (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ पापा...मेरी सहेली की दीदी के भी बहुत बड़े दूध है. मेरी सहेली बोल रही थी की जब उसकी मम्मी घर पर नहीं होती है तो पापा दीदी के रूम में चले जाते है और दरवाज़ा बंद करके घंटो तक रहते है.

धर्मवीर- हाँ ...सही कहा बेटी...तेरी सहेली के पापा अपनी बड़ी बेटी के दूध को घंटो मसलते होंगे...और मुझे तो ये भी लगता है शालु की उसके पापा उसकी दीदी पर चढ़ के भी प्यार करते होंगे....

पापा की इस बात पर शालु शर्मा जाती है. फिर धीरे-धीरे पापा के लंड को सहलाते हुए कहती है.

शालु- पापा क्या सच में बाप अपनी बेटी पर चढ़ के प्यार करता है?

धर्मवीर- (अब शालु की पैन्टी की साइड से अन्दर हाथ दाल कर उसके बूर के बालों से खेलने लगता है) हाँ ...बाप अपनी बेटियों पर चढ़ के खूब प्यार करते है.

शालु- (पूरी मस्ती में) ओह पापा....बहुत गर्मी लग रही है...

धर्मवीर- मेरी बेटी तो पहले से ही बहुत गरम है. गर्मी तो लगेगी ही...

धर्मवीर शालु के माथे, गले और पेट पर बहते पसीने को हाथ से पोंछता है.

धर्मवीर देखो तो..कितना पसीना आ रहा है मेरी बिटिया रानी को...और इतनी गर्मी में भी टॉप पहने हुए है...

शालु- (पापा के लंड को जोर जोर से मुठियाते हुए) तो ऊपर कर दीजिये ना पापा...

धर्मवीर शालु की पैन्टी से हाथ निकाल कर, दोनों हाथों से उसकी टॉप उठा कर दोनों दूध के ऊपर कर देता है. शालु के बड़े-बड़े सक्त दूध पापा की आँखों के सामने आ जाते है.धर्मवीर दोनों दूध को गौर से देखता है दोनों हाथों से पकड़ के आपस में मिला देता है.

धर्मवीर- आह शालु...!! पापा का दूध पीने का बहुत दिल कर रहा है बेटी...

शालु- (पापा के लंड को मुथियते हुए आँखे बंद कर लेती है) ओह पापा...!! तो पी लीजिये ना...

धर्मवीर अपना एक पैर बिस्तर पर रखता है और दुसरे पैर को घुटनों से मोड़ कर शालु पर झुक जाता है. धर्मवीर का लंड शालु के हाथ में है और वो उसे जोर जोर से हिला रही है.
धर्मवीर झुक कर शालु का एक निप्पल मुह में ले लेता है. शालु लंड मुठियाते हुए मचल जाती है. धर्मवीरशालु के निप्पल को मुहँ में भर के चूसने लगता है. शालु का दूसरा था पापा के सर पर आ जाता है और वो उनके बालों को पकड़ लेती है. धर्मवीर निप्पल चूसते हुए बीच बीच में अपना बड़ा मुहँ पूरा खोल कर शालु के दूध को मुहँ में भर लेता है. कुछ देर चूसने के बाद धर्मवीर शालु के दुसरे दूध पर धावा बोल देता है. दुसरे दूध के निप्पल को जोर जोर से चूसने से
शालु सिस्कारियां लेने लगती है. फिर धर्मवीर दोनों दूध को आपस में सटा कर बारी बारी दोनों को चूसने तो कभी मुहँ में भरने लगता है. शालु पूरी मस्ती में अपने होश खो बैठती है.

शालु हाँ पापा.....ऐसे ही...ऐसे ही मेरा दूध पीजिये पापा....

शालु को ऐसे मस्ती में आता हुआ देख कर धर्मवीर का जोश दुगना हो जाता है. वो उसके दूध को दबा-दबे के पीने लगता है और एक हाथ से अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे कर देता है. तभी धर्मवीर शालु के निप्पल को हलके से दांतों से काट लेता है तो शालु उच्छल कर धर्मवीर लिपट जाती है. धर्मवीर शालु को उठा के अपने सीने से लगा लेता है तो शालु अपनी दोनों टाँगे उसकी कमर में लपेट देती है. अपने हाथो को पापा के गले में लपेट कर शालु सीने से चिपक जाती है. धर्मवीर का लंड पायल की पैन्टी के ऊपर से उसकी बूर पर रगड़ खाने लगता है. वो शालु के बूर की गर्मी अपने लंड पर महसूस कर रहा है. शालु के बड़े बड़े दूध धर्मवीर के सीना पर चिपके हुए है. धर्मवीर हाथों से अपने कुरते को ऊपर कर लेता है तो
शालु के नंगे दूध उसकी नंगी छाती पर दब जाते है. बेटी के बड़े और मुलायम दूध के स्पर्श से ही धर्मवीर का लंड झटके खाते हुए शालु की बूर पर टकराने लगता है.

धर्मवीर- अच्छा लगा रहा है बेटी?

शालु- (मदहोशी के साथ) हाँ पापा...बहुत अच्छा लग रहा है.

धर्मवीर- जरा अपने दूध पापा के सीने पर रगडो बेटा...

शालु अपने सीने को ऊपर निचे करते हुए बड़े-बड़े दूध को पापा की छाती पर रगड़ने लगती है. धर्मवीर का जोश अब और बढ़ जाता है. वो एक ऊँगली मुहँ में लेता है और पीछे से
शालु की पैन्टी में दाल कर उसके गांड के छेद पर घुसाने लगता है. शालु उच्छल कर पापा से फिर से चिपक जाती है.
धर्मवीर ऊँगली निचे ले जा कर उसकी गीली बूर पर ४-५ बार रगड़ता है और फिर उसके गांड के छेद में घुसाने लगता है. बूर के रस से भीगी ऊँगली शालु के छेद में घुस जाती है. धर्मवीर थोडा और जोर लगता है तो ऊँगली आधी अन्दर घुस जाती है. अपनी गांड में पापा की ऊँगली को महसूस कर के
शालु मस्ती में आ जाती है. बूर से तो वो कई बार खेल चुकी थी लेकिन गांड के छेद में आज पहली बार कोई ऊँगली गई थी. शालु को अपने सीने से लगाये और गांड में ऊँगली डाले,
धर्मवीर कमरें में धेरे-धीरे टहलने लगते है. टहलते हुए वो कभी अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर कर देते तो कभी लंड को
शालु की बूर पर रगड़ देते. शालु तो अपना होश पहले ही खो बैठी थी. धर्मवीर अब मौका देख कर अपने लंड को पैन्टी के साइड से अन्दर डाल के शालु की बूर पर रखता है और धीरे-धीरे टोपे को उसकी बूर पर रगड़ने लगता है. हर बार लंड रगड़ने पर शालु किसी बच्चे की तरह उच्छल जाती. तभी एक तेज़ रौशनी से सारा कमरा जगमगा उठता है. घर की बिजली आ चुकी थी. दोनों बाप-बेटी मिलन के बहुत करीब थे पर किस्मत को कुछ और मंजूर था.

कमरे की लाइट जलते ही शालु आँखे खोलती है तो कमरे का दरवाज़ा खुला है. वो झट से पापा की गोद से उतर जाती है और अपनी टॉप निचे कर लेती है.
धर्मवीर भी अपने कुरते और धोती को ठीक करता है. शालु अपने बाल ठीक करते हुए पापा को देखती है. पापा की आँखों में वो उसके लिए प्यार और हवस दोनों देख रही है. आज पापा के साथ जो कुछ ही हुआ उसने शालु की बूर की आग को कहीं ज्यादा भड़का दिया था. कुछ ही क्षण में दोनों होश में आते ही और एक दुसरे को देख मुस्कुराने लगते है.

धर्मवीर -मजा आया मेरी बिटिया रानी को?

शालु- (नखरे दिखाते हुए) छी पापा...!! अपनी बेटी के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

धर्मवीर- तो किसके साथ करता है?

शालु -(मुहँ बना के नखरे के साथ) क्यूँ? घर में सिर्फ मैं ही एक जवान हूँ क्या? भाभी भी तो है. और भाभी के दूध तो मुझसे भी बड़े है.

शालु की बात सुन कर रमेश का लंड फिर से झटके लेने लगता है. वो मुस्कुराते हुए शालु की ठोढ़ी की उठाते हुए कहता है.

धर्मवीर तो मेरी बिटिया अपनी भाभी को भी छत पर ले आये. मैंने कब मन किया है. घर की बहु-बेटी का ख्याल रखना तो मेरा फ़र्ज़ है ना...?

शालु- (खुश हो कर) सच पापा? अगली बार भाभी को भी ले आऊ छत पर?

धर्मवीर- हाँ ...ले आना बहु को भी.

शालु ख़ुशी से पापा से चिपक जाती है. धर्मवीर उसकी पीठ पर हाथ रख के दबा देते है और अपनी छाती पर उसके दूध का एक बार फिर से मजा ले लेते है. शालु पापा को देख के मुस्कुराती है है दौड़ कर बाहर चली जाती है. धर्मवीर मन ही मन अपने लंड के लिए घर में दो जवान बुरों का इंतज़ाम होता देख खुश हो जाता है और गाना गुनगुनाते हुए जाने लगते है.
Bhaut Bhadiya
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दोपहर के २:३० बजे रहे है. सभी लोग खाना खा चुके है.

धर्मवीर का भी आज शालु और गुंज़न ने बुरा हाल कर दिया था. पेट में खाना और शरीर में थकावट लिए, वो भी अपने कमरे में जा कर अराम करने लगते है. सोनू भी खाना खा कर अपने रूम जाकर सो जाता हैं. ड्राइंग रूम में शालु और गुंज़न बीते बातें कर रहे है. आज बाबूजी के साथ हुए वाख्य का दोनों भरपूर मजा ले रही है.

गुंज़न- (हँसते हुए) पर कुछ भी कह शालु....मजा बहुत आया..

शालु- (हँसते हुए) हाँ भाभी...आज तो पापा की हालत ही खराब हो गई थी.

गुंज़न -और तुने जो बाबूजी का लंड अपने दूध में दबा कर चूसा था...बापरे...!! उनकी ती हालत खराब हो गई थी...

शालु- हाँ भाभी...मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था. मेरा तो दिल कर रहा था की उनका लंड पूरा मुहँ में भर लूँ. पर इतना मोटा ले नहीं पा रही थी.

गुंज़न- धीरे धीरे लेना सीख जाएगी....

शालु- और भाभी...!! पापा के लंड के पानी से अपनी मांग भरवा के कैसा लग रहा है...

गुंज़न- हाय शालु...!! बार बार क्यूँ याद दिला रही है..मैं अभी बाबूजी के पास साड़ी उतार के चली जाउंगी...

शालु- (हँसते हुए) तो जाइये ना भाभी...किसने रोका है आपको...?

गुंज़न -(हँसते हुए) चुप कर बदमाश...!! अच्छा शालु सुन...अभी जाके सोनू को उठा ..

शालु -जाती हुँ

शालु जैसे ही सोनू को उठाने गयी.....जब दो तीन बार आवाज़ लगाने से वो नही उठा तो उसने उसकी चादर पकड़ के खीच दी...आज फिर उसने वही ग़लती गलती कर दी
क्यों कि चादर के अंदर सोनू अपनी चड्डी उतार के सोया था...और उसका 8 लंबा और 3मोटा लंड एक दम तन तना कर खड़ा था

शालु की तो हलक मे साँस ही अटक गयी...वो अपने मूह के अंदर थूक निगले जा रही थी...वो यहाँ क्या करने आई थी सब भूल कर बस सोनू के भयंकर गोरे लंड को आँखे फाड़ कर देखे जा रही थी....

शालु --बाप रे...कितना बड़ा लंड है सोनू का.... अगर मेरी चूत मे घुस गया ग़लती से तो पूरी बित्ते भर की फैला देगा एक ही बार मे चोद चोद कर...पूरा भोसड़ा बन जाएगी मेरी चूत....एक बार छु के देखती हू...जब तक ये सांड़ सो रहा है...

शालु ने हाथो से सोनू के लंड को पकड़ लेती है....और लंड की चमड़ी को उपर नीचे करने लगी...शालु पूरी तरह से गरम होकर चुदासी हो चुकी थी.....

शालु अपना रिश्ता नाता सब भूल कर चूत की गर्मी के वशी भूत हो चुकी थी....लंड की चमड़ी उपर नीचे करते हुए जब उसके हाथ दर्द करने लगे तो उसने डरते हुए लंड का टोपा अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी....

शालु को लंड चूसना इतना अच्छा लगा कि वो उसमे ही खो गयी...और आँखे बंद कर के चुस्ती गयी....उसका ध्यान तब जाके भंग हुआ जब किसी ने उसकी दोनो चुचियो को कस के मसल दिया.

अपने दूध इतनी ज़ोर से मीसे जाने के कारण शालु की सिसकारी निकल गयी और उसका लंड चूसना भी बंद हो गया...उसने पलट के देखा तो उसकी हालत खराब होने लगी....क्यो कि उसके दूध ज़ोर से दबाने वाला और कोई नही बल्कि उसका अपना सगा छोटा भाई सोनू ही था....

सोनू भी एक टक अपनी दीदी की आँखो मे झाँक रहा था लेकिन उसने अपनी बड़ी बहन के दूध पर से अपने हाथ नही हटाए....उल्टा एक बार फिर से कस कर उन्हे मसल दिया....

शालु --आआआहह.....उउउइ..माआ....ये क्या कर रहा है...आआआअ....मैं तेरी दीदी हूँ ना......मत कर..आआआअ...... ज़ोर से मत मसल दर्द होता है.....छोड़ मुझे....सांड़ कही का

सोनू : दीदी...बहुत प्यार करता हूँ आपसे....जब भी आपको देखता हूँ और ये ख्याल आता है की आप मेरी दीदी हो, मेरी सगी बहन तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है. दिल करता है की अपना लंड मैं आपक बूर में ठूँस दूँ दीदी......

शालु : (आहें भरते हुए) ओह सोनू.....(और शालु अपने गुलाबी रसीले ओंठ सोनू के ओठों पर रख देती है)

सोनू अपनी दीदी के रसीले ओठों का स्पर्श पाते ही उतीजित हो जाता है और शालु के ओठों को चूसने लगता है. शालु भी पूरी मस्ती में सोनू के ओठों को चूसने लगती है. देखने में ऐसा लग रहा है की दोनों के दुसरे के ओठों को अपने मुहँ में भर लेना चाहते हो. दोनों की जीभ आपस में घुत्थम-घुत्थी हो रही है. सोनू का चेहरा पकडे शालु अपनी जीभ उसके मुहँ में डाल देती है तो सोनू उसे पागलों की तरह चूसने लगता है. कुछ देर दोनों भाई-बहन इसी तरह अपनी जीभ से एक दुसरे के मुहँ से खेलते है फिर अलग हो कर एक दुसरे की आँखों में देखने लगता है.

शालु - सोनू...तू हमेशा अपनी दीदी की जवानी देख कर परेशान रहता था ना?

सोनू : हाँ दीदी....

शालु- (अपनी टॉप निचे से उठा के नंगा पेट दिखाते हुए) तो ले..आज अच्छे से देख ले अपनी दीदी की जवानी....

सोनू कुछ क्षण वैसे ही शालु के सपाट नंगे पेट और गहरी नाभि को घूरता है और फिर अचानक से अपना चेहरा
शालु के पेट पर झुका देता है...

सोनू - ओह....मेरी दीदी.........!! (सोनू की जीभ सीधे शालु की गहरी नाभि में घुस जाती है)

सोनू शालु के पेट को पागलो की तरह चाते जा रहा है. वो कभी अपनी जीभ नाभि में घुसा के चाट लेता तो कभी उसके आसपास जीभ घुमाते हुए चाटने लगता. शालु इसका पूरा मजा ले रही है. कुछ देर बाद शालु सोनू से कहती है...

शालु- सोनू...अपनी दीदी की नंगी जवानी देखेगा?

सोनू- हाँ...हाँ दीदी...देखूंगा....

शालु अपने दोनों हाथो को ऊपर उठा देती है और सोनू से कहती है...

शालु तो देख ले सोनू...उतार दे मेरी टॉप और देख ले अपनी दीदी की नंगी जवानी....

सोनू- शालु के होंठो को चूम कर उसके दूध को दबाता हुआ, दीदी मुझे तुम्हे अभी नंगी करना होता तो मैं कब का कर चुका होता, पर मैं तुम्हारे इस खूबसूरत हुस्न को बहुत धीरे-धीरे पीना चाहता हू, बोलो पिलाओगी ना

शालु -आह हाँ पिलाउन्गि सोनू , हाँ पिलाउन्गि

सोनू कुछ देर वैसे ही टॉप पर उठे हुए शालु के दूध को देखता है फिर एक झटके से शालु की टॉप ऊपर से खींच कर उतार देता है. ब्रा मे क़ैद उनकी बड़ी बड़ी चुचिया उच्छल कर सोनू के सामने आ गयी….जो उस ब्रा मे समा नही रही थी सोनू ब्रा के उपर से ही उन पर हाथ रख के फेरने लगा…..

शालु—ब्रा भी उतार दे.....और अच्छे से देख ले अपनी दीदी की चुचि.... जिनको देखने के लिए तू मरा जा रहा था....

सोनू—तुम्हे कैसे मालूम.... ?


शालु —मैं सब जानती हूँ....जब मैं झाड़ू लगाती हूँ...तब कैसे आँखे फाड़ कर रोज इनको देखता है जैसे पूरा निचोड़ लेगा....

सोनू —मैं तो सच मे आपकी चुचि कब से निचोड़ना चाहता था....आपको पूरी नंगी देखने को तड़प रहा था...

शालु —तो ब्रा उतार के निचोड़ ले आज मेरी चुचियो को

अब सोनू के सामने सोनू आधी नंगी खड़ी है. दोनों हाथ ऊपर है. बड़े गोल गोल दूध और निचे चिकना मुलायम पेट और गहरी नाभि. सोनू तो बस ये नज़ारा हमेशा अपने सपनो में ही देखा करता था. आज वो सपना हकीकत बन के उसके सामने था. सोनू शालु के बदन को किसी भूके भेड़िये की तरह देख रहा था. अचानक से वो शालु के दोनों दूध के बीच अपना मुहँ घुसा देता है.

सोनू-ओह दीदी....उम्म्म्मम्म्म्म.......!!

शालु भी मस्ती में एक हाथ से अपने बालों को पीछे करते हुए आँखे बंद कर लेती है. सोनू शालु के दोनो दूध अपनी मुट्ठी मे दबोच लिए और उन्हे बेरहमी से मसल्ने लगा....

शालु —आआहह....हाअ.....ऐसे ही खूब ज़ोर ज़ोर से मीस मेरे दूध...... मेरी हमेशा से ख्वाहिश थी कि तू मुझे खूब बेरहमी से चोदे....खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे दूध दबाए...आआआ...आआ....मसल और दबा ...भाई...अपनी दीदी के दूध....

सोनू —दीदी....बहुत मस्त दूध है तेरे....

शालु —तेरे दबाने के लिए हैं भाई...तेरी दीदी के ये बड़े दूध....रोज दबाएगा ना मेरे दूध भाई

सोनू—हाँ...दीदी....पूरा दिन दबाउन्गा...

शालु -आआआअहह......दर्द...हो...रहा....है.....आआआहहा

सोनू —ठीक थोड़ा धीरे धीरे दबाता हूँ अब....

शालु —नही....आआआ...मेरे भाई....मुझे दर्द मे ही मज़ा आता है.... मुझे ऐसे ही पूरी बेरहमी से मसल डाल ....खूब बेदर्दी से मेरी बुर को फाड़ना आज....और ज़ोर...से....दबा...भाई....हाँ....ऐसे ही..उूउउइई माआ...मर....गयी....आआअहह उफ़ सोनू.....ओह...!!

सोनू शालु के बड़े-बड़े दूध के बीच अपना मुहँ घुसा के चाटे जा रहा था. कभी दायें दूध को चाटता तो कभी बायें. फिर वो दोनों दूध को हाथो में लिए गौर से दखता हैउसके मोटे-मोटे कसे रसीले आमो को अपने हाथो से कस-कस कर मसल्ते हुए उसकी चुचि के निप्पल को अपने मूह मे भर कर दबा-दबा कर चूसने लगता ह. शालु पूरी मस्ती में सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए अपना दूध चुसवाने लगती है. सोनू अब शालु के नंगे बदन से खेलने लगा था. दूध चूसते हुए वो शालु की पसीने और बालों वाली बगलों को सूंघ लेता और जीभ से चाट लेता. शालु के दोनों दूध के बीच मुहँ घुसा के रगड़ देता. कभी शालु के नंगे बाद से आँखे बंद किये लिपट जाता और उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगता. सोनू ई हालत ऐसी थी मानो किसी भिकारी को खज़ाना मिला गया हो.
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सोनू शालु को बेड पर लेटा देता है और शालु उल्टी होकर लेट जाती है शालु आधी नंगी उलटी हो कर बिस्तर पर लेटी हुई है. सोनू पास बैठे हुए अपनी जीभ शालु की कमर पर रख कर निचे से ऊपर जीभ रगड़ते हुए कंधो तक चाट रहा है. जीभ लगा कर कमर से चाटते हुए ऊपर कंधो तक जाता और फिर से कमर के पास आ कर ऊपर तक चाटने लगता. देखने में ऐसा लग रहा है की कोई लम्बी चौड़ी आईस -क्रीम बिस्तर पर पड़ी है जिसे सोनू अपनी जीभ से निचे से ऊपर ता चाट रहा है. सोनू को ऐसा करते हुए देख शालु कहती है.

शालु- आह सोनू...मेरा बदन पसीने से भरा है...क्यूँ चाट रहा है ऐसे?

सोनू-आह दीदी...मत रोकिये मुझे आज...आज मैं आपका सारा बदन ऐसे ही चाट लूँगा...हर जगह....एक भी अंग नहीं बचेगा मेरी जीभ से...आह...दीदी....

शालु भी समझ जाती है की आज उसका सारा बदन, एक एक अंग, सोनू की जीभ के पानी से नहा जायेगा. एक एक कर के सोनू शालु की पीठ, बगल, हाथ, जांघे, पैर, गर्दन, मुहँ सब चाट लेता है. शालु सर घुमा के सोनू से कहती है

शालु- सोनू अपने हाथ से मेरी स्कर्ट और पैन्टी उतार के मुझे पूरी नंगी कर ले

सोनू - आह दीदी...मेरी प्यारी दीदी...(कहता हुआ शालु की स्कर्ट और पैन्टी एक साथ उसके पेरो से खीच कर उतार देता है)

सोनू के सामने शालु की चौड़ी चुतड मादर जात नंगी पड़ी है.
जिसे याद करके सोनू ने न जाने कितनी ही बार लंड से फौवारे उडाये थे. आज उसी चुतड को ऐसे खुला देख सोनू के मुहँ में पानी आ जाता है. वो एक बार शालु की आँखों में देखता है और फिर शालु के मस्ताने चुतडो को फैला कर उसकी गुदा को अपने हाथो से सहलाता हुआ उसकी जाँघो उसकी मोटी गान्ड पर अपने हाथ फेरते हुए बड़े प्यार अपना मुहँ चूतड़ों के बीच में घुसा देता है

सोनू शालु की चूतड़ों के बीच मुहँ डाले पहले तो अच्छे से सुन्घ्ता है फिर शालु के गांड के छेद को चूसने लगता है. अपनी जीभ छेद में लगा कर वो धीरे से अन्दर ठेलता है तो जीभ का उपरी हिस्सा अन्दर चले जाता है.

शालु -उफ़ सोनू...!!

सोनू अब अपनी जीभ को शालु के गांड के छेद में अन्दर बाहर कर रहा है. जीभ का उपरी हिस्सा फिसलता हुआ अन्दर जाता है और फिर बाहर आ जाता है. बीच बीच में सोनू शालु की चूतड़ों के निचे जीभ रख कर ऊपर तक चाट लेता है. शालु को ऐसा मज़ा ज़िन्दगी में पहली बार मिल रहा था और वो भी अपने सगे छोटे भाई से. वो तो मानो किसी और ही दुनिया की सैर कर रही थी. शालु पेट के बल नंगी लेती है और पीछे से सोनू उसकी गांड चाट रहा है. कुछ देर बाद सोनू अपने होश खो कर झट से अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार कर शालु के ऊपर नंगा लेट जाता है. उसका लंड का टोपा
शालु की गांड के छेद पर अटक जाता है. वो पायल पर लेट कर उसकी गर्दन चूमने लगता है और तभी उसकी कमर एक झटका लेती है और सोनू के लंड का टोपा थूक से भरे शालु की गांड के छेद में हल्का सा घुस जाता है. शालु दर्द से चिल्ला उठती है...

शालु- हाय रे बहनचोद.....ये क्या कर रहा है?

सोनू शालु के मुहँ से पहली बार ऐसी गाली सुन कर डर जाता है और उठ कर बैठ जाता है. शालु क बार अपनी गांड पर हाथ रख कर अपने दर्द को कम करने की कोशिश करती है.
शालु का वो दर्द भरा चेहरा देख कर सोनू और भी ज्यादा डर जाता है. कुछ ही देर में शालु का दर्द कम होता हिया तो वो सोनू को देख कर कहती है.

शालु- ऐसे कोई भाई अपनी बहन की गांड में लंड देता है क्या?

सोनू : (डरता हुआ) अ..अ...आई एम सॉरी दीदी....अब नहीं करूँगा...

शालु- (मुस्कुराते हुए) मैंने कब कहा की दोबारा मत करना? मैं तो ये कह रही हूँ की ऐसे अचानक मत कर देना...दर्द होता है...

शालु अब सीधा हो कर लेट जाती है...


सोनू जब अपनी दीदी की फूली हुई चूत घनी घनी झान्टो से ढाकी हुयी थी....

सोनू —दीदी…अपने छोटे भाई को…अपनी बुर दिखाओ ना…

शालु—तेरे सामने ही तो है...देख ना...

सोनू —तुम अपने हाथो से फैला के दिखाओ….

शालु —ठीक है…ये..ले मेरे भाई…देख ले अच्छे से अपनी दीदी की बुर को….

शालु ने अपने दोनो हाथो से अपनी बुर की दोनो फांको को फैला फैला कर बुर दिखाने लगी...बुर की दोनो फांके आपस मे चिपकी हुई थी...बुर के अंदर लाल लाल दिखाई दे रहा था...पूरी गीली हो चुकी थी

सोनू —ये इतनी गीली क्यो है दीदी..

शालु —क्यो कि तेरी दीदी की बुर बहुत चुदासी है मेरे भाई...इसीलिए गीली हो गयी है


सोनू गीली चूत को देखता है तो बिना रुके उस पर अपना मूह रख देता है और अपने मूह से उसकी फूली हुई गदराई चूत को दबाते हुए चूमने लगता है सोनू चूत की फांको को फैलाकर अपनी जीभ को उसकी रसीली बुर मे रख कर अपने मूह मे भर लेता है और शालु जल बिन मछली की तरह तड़पने लगती हैसोनू शालु की दोनो जाँघो को खूब फैलाकर उसकी रसीली चूत को चाटना शुरू कर देता है और शाल सोनू के सर के बालो को नोचने लगती है और उसके मूह से आह सोनू आह सोनू मैं मर जाउन्गि प्लीज़ न आह आह ओह न आह आह कर के पागलो की तरह तड़प्ते हुए चूत चटवाने का मज़ा लेने लगती है,और गहरी-गहरी साँसे लेती हु
सोनू उसकी फूली हुई रस से भीगी चूत की दरार मे रख कर उसकी फूली हुई फांको को अलग-अलग करके सहलाने लगता है, शालु आह आह करती हू कस कर पकड़ लेती है,
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सोनू पागलो की तरह अपनी प्यारी दीदी की चूत को कस-कस कर चाटने लगता है उसका मूह अपनी दीदी की चूत से निकलते रसीले रस से भीग जाता है, शालु सोनू सर अपनी चूत मे और तेज़ी से दबाने लगती है, शालु को बहुत मज़ा आने लगता है और वह अपनी चूत को उठा -उठा कर अपने भाई के मूह मे मारने लगती है,सोनू उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाट -चाट कर लाल कर देता है सोनू पागलो की तरह अपनी प्यारी दीदी की चूत को कस-कस कर चाटने लगता है उसका मूह अपनी दीदी की चूत से निकलते रसीले रस से भीग जाता है, शालु सोनू का सर अपनी चूत मे और तेज़ी से दबाने लगती है, शालु को बहुत मज़ा आने लगता है और वह अपनी चूत को उठा -उठा कर अपने भाई के मूह मे मारने लगती है, सोनू उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाट चाट कर लाल कर देता है औ शालु का पूरा बदन अपने भाई की मस्त चूत चटाई से एक दम अकड़ जाता है और उसकी चूत ढेर सारा पानी छोड़ते हुए झाड़ जाती है और अपनी आँखे बंद किए हुए गहरी-गहरी साँसे लेती रहती है सोनू अपना मूह पोछते हुए अपनी दीदी की तरफ जब देखता है तो उसकी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फेल जाती है और वह अपनी दीदी का कामुक हुस्न देखने लगता है,

शालु- अब अपनी दीदी को ऐसे क्या देख रहा है? दीदी का खुला हुआ मुहँ और उसके गुलाबी ओंठ नहीं दिख रहे है क्या? इसमें क्या अब कोई पराया मर्द लंड डालेगा? बोलो ना मेरे ..."भैया" ?

शालु के मुहँ से "भैया" सुन कर सोनू का लंड झटके के साथ खड़ा हो जाता है.

सोनू- ओह दीदी...मेरी प्यारी दीदी.... (बोलता हुआ शालु के मुहँ पर कमर लाते हुए लंड मुहँ में डाल देता है)

अपने दोनों हाथों को सोनू बिस्तर पर रख कर, एक पैर
शालु के सर के पास और दूसरा लम्बा किये हुए शालु की कमर के पास रख कर सोनू अपनी कमर निचे कर लंड उसके मुहँ में दे रहा है. शालु सोनू के लंड को अपने मुह में खींचते हुए चूस रही है. कभी सोनू अपनी कमर जोर से हिला देता तो कभी धीरे. सोनू बूर जैसा मजा शालु के मुहँ में पा रहा था.
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उसकी कमर कभी राजधानी की रफ़्तार पकड़ लेती तो कभी पेसेंजेर की. बीच में जैसे ही सोनू ना अपना लंड शालु के मुहँ से निकाला तो शालु ने धीरे से कह दिया, "ओह मेरे भैया". इस बात पर सोनू ने अपना लंड जोर से शालु के मुहँ में जड़ तक ठूँस दिया और उसके मुहँ से "ओह मेरी बहना" निकल गया. अब इस खेल में दोनों भाई-बहन को मजा आने लगा था. सोनू अपना लंड शालु के मुहँ से बाहर निकालता तो शालु "ओह मेरे भैया" कह देती और जब सोनू उसके मुहँ में लंड वापस जड़ तक ठूँस देता तो वो "ओह मेरी बहना" कह देता. ६-७ बार दोनों इस "भैया" और "बहना" के खेल को खेलते है तभी सोनू जैसे ही "ओह मेरी बहना" कह कर लंड ठूंसता है, शालु दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ लेती है.सोनू अब अपने आप को रोक नहीं पाटा और लंड से मोटी सफ़ेद पिचकारिया उसके मुहँ में छोड़ने लगता है. शालु की साँसे रुक रही है है पर ये सफ़ेद गाढ़ा पानी उसके अपने सगे भाई का था जिसकी वो एक बूँद भी बर्बाद नहीं होने दे सकती थी. सोनू की कमर पकड़े शालु उसके लंड की एक एक बूँद अपने मुहँ में झडवा लेती है. कुछ देर बाद सोनू अपना लंड बाहर निकालता है तो टोपे पर एक बूँद मानो गिरने को तरस रही है. शालु उस बूँद को गौर से देखती है और अपने एक हाथ से लंड पकडती है और दुसरे हाथ से उसके अन्डकोशों को धीरे से दबा देती है. वो बूँद टोपे पर से फिसलती हुई सीधे शालु के मुहँ में आ गिरती है जिसे वो प्यार से गटक लेती है.
 

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सोनू शालु को अपना हाथ पकड़ा कर बेड से उतार कर खड़ा कर देता है और उसको पीछे से पकड़ कर धीरे-धीरे ड्रेसिंग
टेबल के मिरर के सामने ले जाता है और फिर शालु के गले मे चूमता हुआ उसके पीछे से चिपक जाता है और उसका मोटा
लंड शालु की चूत और गान्ड के बीच फसा रहता है शालु की चूत बिल्कुल गीली हो जाती है और सोनू शालु को शी मे
देखता हुआ उसके गालो को चूमता रहता है और उसके मोटे-मोटे गदराए रसीले ठोस दूध को मसल्ने लगता है और
शालु अपनी आँखे बंद करके सोनू के लंड को अपनी गान्ड मे महसूस करती रहती है,

शालु सामने मिरर मे अपने नंगे बदन से सोनू को चिपका हुआ देख कर शर्मा जाती है और मुस्कुरा कर अपनी आँखे बंद कर लेती है,


सोनू - दीदी खोलो ना अपनी आँखे प्लीज़


शालु- सोनू एक तो तूने मुझे पूरी नंगी कर दिया है और उपर से शीशे के सामने खड़ा कर रखा है मुझे शर्म आती है,


सोनू - दीदी कितना शरमाओगी और शालु के दूध को कस कर दबाते हुए दीदी अब तो तुम्हे रोज ही मेरे साथ नंगी होकर
सोना है,


शालु अपने दूध पर पड़ते सोनू के सख़्त हाथो से फिर से खूब गरम हो चुकी थी


सोनू - शालु के रसीले होंठो को छूता हुआ दीदी सोओगी ना रोज मेरे साथ पूरी नंगी होकर

शालु —मैं तुझे नंगी अच्छी लगती हूँ....

सोनू—मत पूछ दीदी....तुम्हारा नंगा जिस्म मुझे कितना पसंद है....

शालु —सच मे---

सोनू —हाँ….

शालु -बता नही सकती मुझे कितना मज़ा आता है….तेरे सामने नंगी होने मे मेरे भाई....मैं तो चाहती हूँ कि तू मुझे रोज अपने हाथो से कयि बार नंगी करे.....मैं बार बार कपने पहनु और तू जब भी थोड़ा सा भी मौका मिले तो मुझे पकड़ के नंगी कर दे...

सोनू- सच कह रही हो दीदी....

शालु —हाँ...मेरे भाई....मेरा बहुत मन करता है तेरे हाथो से नंगी होने का....बोल अब से तू मुझे करेगा ना रोज नंगी....रोज मुझे कम से कम 10-15 बार नंगी करेगा ना...

सोनू—हाँ...दीदी...मैं तुम्हे...दिन भर नंगी करूँगा......और फिर अपना लंड हर बार तुम्हारी बुर् मे घुसेड दूँगा.... मुझे घुसेड़ने दोगि ना दीदी...अपनी बुर मे...

शालु —हाँ..राज....रोज घुसेड़ना अपना लंड.....खूब चोदना मेरी बुर....मैं तो कब से तुझे अपनी बुर देना चाहती थी....

सोनू —अब से रोज पेलुँगा तेरी बुर दीदी....

शालु—हाँ भाई....रोज खूब पेलना अपना लंड...अपनी दीदी की बुर मे घुसेड घुसेड कर.....बार बार घुसेड़ना....थोड़ा सा भी मौका मिलने पर घुसेड देना अपना लंड मेरी बुर मे....बोल रोज हर दो दो घंटे मे लंड घुसाएगा ना अपनी दीदी की बुर के छेद मे...

सोनू —हाँ..दीदी...रोज पेल पेल के तेरी बुर को भोसड़ा बना दूँगा

शालु—आआअहह...भाई...कोई आ...जाएगा...जल्दी से अब....मेरी बुर का भी उद्घाटन कर दे.....देख तेरे लंड से फटने के लिए तड़प रही है....

और सोनू को बेतहाशा चूमने लगती है और सोनू उसको अपनी गोद मे उठा लेता है और शालु उसे अपनी दोनो टाँगो को उसकी कमर मे लपेट कर चिपक जाती है, शालु सोनू के उपर अपनी दोनो टाँगो को उसकी कमर से लपेटे हुए पूरी नंगी होकर चढ़ि हुई थी और सोनू अपनी दीदी की मोटी गान्ड को थामे अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद मे फसाए उसके रसीले होंठो को चूम रहा था
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सोनू- दीदी मैं आज तुमको चोदुन्गा, तुम मुझसे चुदवाओगि ना,


शालु- सोनू के गले लग कर उससे चिपकती हुई, हाँ, तेरी जो इच्छा हो वो कर अपनी दीदी के साथ, तू बहुत अच्छा है सोनू मैं तुझसे बहुत प्यार करती हू और सोनू के होंठो को अपनी जीभ से चाटते हुए अपनी जीभ सोनू को पीने के लिए देती है और सोनू अपनी दीदी की रसीली जीभ को अपने मूह मे भर कर पीने लगता है, कुछ देर बाद सोनू शालु को नीचे उतार देता है और अपना लंड अपनी दीदी के हाथ मे पकड़ा देता है और शालु सोनू से चिपक कर उसके मोटे लंड को सहलाने लगती है, सोनू अपनी दीदी के मोटे-मोटे चुतडो को अपने हाथो मे भर-भर कर दबोचने लगता है और अपनी एक उंगली को धीरे से शालु की कसी हुई गान्ड के छेद मे डाल देता है और शालु सीसियाते हुए उसके अंडको को अपने हाथो मे भर कर दबाती है, दोनो भाई बहन एक दूसरे के लंड और गान्ड से खेलते रहते है और शालु कामुक चेहरे से अपने होंठो को अपने दांतो से दबाते हुए सोनू को अपनी नशीली आँखो से देखती हुई उसके अंडको को सहलाते हुए दूसरे हाथ से सोनू के लंड की खाल को पीछे करके उसके सुपाडे को सहलाती है कभी अपनी मुट्ठी में भर लेती है,

सोनू - दीदी कैसा लग रहा है

शालु- बहुत अच्छा,

सोनू - दीदी मेरा लंड कैसा लग रहा है तुमको

शालु- बहुत अच्छा है, बहुत मोटा है

सोनू शालु की गान्ड और चूत मे अपना हाथ भरता हुआ दीदी तुम्हारी मोटी गान्ड कितनी खूबसूरत है और शालु की गान्ड के मोटे-मोटे पाटो को विपरीत दिशा मे फैला-फैला कर ड्रेसिंग टेबल के शीशे मे देख रहा था और शालु उसके पूरे लंड को दबोच रही थी, तभी ना जाने शालु को क्या होता है और वह एक दम से बैठ कर सोनू के लंड को अपने मूह मे भर कर उसे पागलो की तरह चूमने लगती है और उसके आंड्को को अपने हाथ से दबोचते हुए उसके लंड को पीने लगती है
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सोनू का लंड चूसने के बाद शालु हाफने लगती है और सोनू शालु को पकड़ कर कस कर उसकी चूत को अपने हाथो से पकड़ लेता है और शालु कराहने लगती है, सोनू शालु को पकड़ कर उसको बेड पर लेट देता है और चुत के छेद को कस-कस कर चाटने लगता है और उसकी चूत को चाट-चाट कर लाल कर देता है, कुछ देर बाद ही शालु सोनू की जीभ को अपनी चूत के छेद मे बर्दास्त नही कर पाती है और आह आह करती हुई अपनी जांघे पूरी खोल देती है

और सोनू शालु की दोनो जाँघो के बीच आकर अपने मोटे लंड को शालु की चुत के गुलाबी रस से भीगे हुए छेद के मुहाने पर टिका दिया…..और बोला दीदी…मैं इस छेद को अपने लंड से चोद चोद कर और बड़ा कर दूँगा…..

शालु —कर देना भाई….जितना बड़ा करना हो उतना बड़ा कर दे अपनी बहन की बुर के चोदने वाले छेद को…..अब जल्दी से मुझे चोद डाल मेरे भाई….

सोनू- तेल लगा लूँ क्या थोड़ा……

शालु—नही रे....तेल लगाने से आसानी से घुसेगा.....ज़्यादा दर्द नही होगा बुर फटने का......मुझे खूब दर्द चाहिए....तू ऐसे ही सूखा सूखा घुसेड दे ......और पूरी बुर को अच्छे से फाड़ डाल की तेरी बहन की बुर चिथड़ा हो जाए.....

सोनू ने एक ज़ोर का झटका दिया लेकिन लंड फिसल कर नीचे चला गया....दो तीन बार डालने पर भी नही घुसा बहुत टाइट चूत थी शालु की.....

शालु —रुक ऐसे नही घुसेगा ......वैसे भी तेरा गधे का लंड है... आदमी का थोड़े ही है जो इतना जल्दी घुस जाएगा......मैं बुर की फांके फैलाती
हूँ....तू पूरी ताक़त से धक्का लगा के घुसेड दे....

सोनू—ठीक है...

शालु ने अपनी बुर की फांको को दोनो हाथो से खूब फैला दिया.....सोनू ने एक बार फिर से बुर के छेद पर लंड टीकाया और पूरी ताक़त से धक्का मार दिया......लंड बुर को चीरता हुआ तीन इंच अंदर घुस गया.... शालु की चीख निकल गयी
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शालु अपनी आँखे उल्टाए हुए अकड़ गई थी और उसकी जाँघो की नसें पूरी तरह खिंच चुकी थी और उसका पेट अंदर की ओर घुस गया था और शालु पूरी कमान की तरह तन चुकी थी, शालु की आँखो से आँसू की धारा बह चली थी और
सोनू शालु की जाँघो को सहलाता हुआ धीरे-धीरे अपने आधे घुसे लंड को वही के वही आगे पीछे कर रहा था,
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सोनू—लंड निकाल लूँ बाहर...दीदी

शालु—नही....बिल्कुल नही....तू अंदर घुसेड़ता जा और बुर फाड़ता जा बस.....तुझे मेरी कसम है जो तूने बुर को फाडे बिना लंड बाहर निकाला तो......मैं कितना भी दर्द से ताडपू तू बुर फाड़ने से मत रुकना....बस फाड़ता जा.....फाड़ता जा...मेरे भाई....और घुसेड...

सोनू ने भी अब रहम की ओर सोचना छोड़ कर लगातार दो तीन तगड़े धक्के जड़ दिए बुर मे.....लंड बुर को ककड़ी की तरह फाड़ते हुए शालु की बच्चेदानी से जा टकराया
सोनू अपनी दीदी के दूध को अपने हाथो मे पकड़ कर हल्के-हल्के मसलना शुरू किया और सोनू उसके दर्द की परवाह किए बिना उसके मोटे-मोटे दूध को बेरहमी से दबाता हुआ उसकी चूत मे अपने लंड को धीरे-धीरे बाहर निकाल कर फिर से अंदर तक भर देता था,शालु अपनी आँखे बंद किए हुए आहह आहह आहह आह्ह्ह्ह कर के सीस्या रही थी,
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सोनू लंड के गहरे धक्के अपनी दीदी की कसी हुई चूत मे अंदर तक मारने लगा, धीरे -धीरे सोनू चोदने की रफ़्तार बढ़ाने लगा और सोनू के होंठ चूमते हुए उसके दूध को मसल्ने लगा, उसका मोटा लंड अपनी दीदी की चूत मे बहुत ही कसा हुआ घुस रहा था और शालु को उसका हर झटका भारी पड़ रहा था और वह उसके हर झटके के साथ ओह ओह आह आह करके कराहती थी, लगभग 10 मिनिट तक सोनू जब अपनी दीदी की चूत का मर्दन उसके दूध दबाता हुआ करता रहा तब कहीं जाकर शालु की चूत मे कुछ चिकनाहट आई और शालु की आँखे नॉर्मल होती गई और उसकी पकड़ अब सोनू की पीठ पर बनने लगी और उसका हाथ अब सोनू को अपनी और खिचने लगा,
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सोनू के लंड के हर झटके के साथ अब शालु हवा मे उड़ने लगी और सोनू शालु को अपनी बाँहो मे कसते हुए उसे चूमने लगी, सोनू लंड अब अपनी दीदी की चूत मे कुछ चिकनाहट के साथ फिसलने लगा और शालु आह आह ओह सोनू तू कितना अच्छा है और शालु भी धीरे-धीरे अपनी गान्ड को उपर उठा -उठा कर सोन का साथ दने लगी अपनी दीदी के नंगे बदन से चिपका हुआ उसकी चूत को तेज-तेज धक्को से चोदने लगा, दोनो की रफ़्तार अब अपनी गति पकड़ने लगी और शालु के चेहरे पर अब एक गहरा सुकून दिखाई देने लगा, शालु को चोद्ते हुए उसके गालो को चूम कर,

सोनू - दीदी अब कैसा लग रहा हैहै

शालु —आआहह… ……आअहह…..हाँ…भाई….ऐसे…ही….और…ज़ोर…से……पेल मेरी बुर को…..मेरी चुचि भी खूब ज़ोर ज़ोर से मीस्ता जा भाई…….. मेरे दूध मे काट दे……मेरे निपल भी अपने दांतो से काट भाई..हाँ…ऐसे ही भाई…..

सोनू —बहुत मस्त बुर है दीदी…तुम्हारी….अब तो…रोज पेलुँगा……पेलने दोगि ना रोज दीदी अपनी बुर....

शालु —आआअहह….आआहह…..हाँ…भाई……रोज मुझे…ऐसे ही पूरी नंगी कर के पेलना….

सोनू —सच मे दीदी…..

शालु—हाँ मेरे भाई….…

सोनू —आहह दीदी.....बहुत मज़ा है तेरी बुर मे....

शालु —आअहह......और चोद भाई...अपनी बहन को और चोद.........ये बुर अब तेरी है..भाई...जब मन करे चोद लेना मेरी बुर.......
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सोनू अपनी दीदी को चूमते हुए चोदने लगा कुछ देर बाद
सोनू ने डॉली को बेड पर झुका कर उसकी चूत को पीछे से मारना चालू कर दिया इस पोज़िशन मे उसका लंड उसकी दीदी की चूत मे काफ़ी कसा हुआ घुस रहा था और
शालु का दर्द कुछ समय के लिए बढ़ गया, जब सोनू तेज-तेज अपनी दीदी की चूत मारने लगा तो शालु फिर से जन्नत की सेर करने लगी और अपनी मोटी गान्ड को सोनू के हर झटके के बाद विपरीत दिशा मे मारने लगी
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लगभग 20 मिनिट तक सोनू शालु को पीछे से चोद्ता रहा और फिर जब शालु से बर्दास्त नही हुआ तो वह चित लेट गई और सोनू उसकी गान्ड पर बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत मे मारने लगा जिससे शालु को बहुत दर्द होने लगा और सोनू का लंड अपनी दीदी की चूत मे पीछे से खूब कसा हुआ घुसने लगा
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शालु- आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आहियीईईईईईईईईईई
सोनू ऐसे मत कर प्लीज़ फटी जा रही है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह,

सोनू शालु की गान्ड के छेद को फैला-फैला कर देखता हुआ उसकी चूत को मार रहा था, शालु की चूत पूरी लाल हो चुकी थी और उसकी चूत की फांके सूज गई थी, कुछ देर बाद सोनू ने शालु के मोटे चुतडो के नीचे एक तकिया लगा कर उसकी दोनो जाँघो को फैला कर उसकी चूत पर चढ़ कर अपना लंड एक झटके मे पेल दिया और शालु ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओ ओह सन्नी मर गई आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और
सोनू अपनी दीदी की मोटी जाँघो को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर खूब कस-कस कर अपनी बहन की चूत मारने लगा, और शालु खूब ज़ोर -ज़ोर से अपने चुतडो को उछालती हुई हे स आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है
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सोनू अपनी दीदी की गान्ड के छेद को फैला-फैला कर देखता हुआ उसकी चूत को मार रहा था, शालु की चूत पूरी लाल हो चुकी थी शालु खूब ज़ोर -ज़ोर से अपने चुतडो को उछालती और सोनू शालु को खूब कस-कस कर चोदने लगा,

लगभग ऐसे ही 20 मिनिट तक उन दोनो की पलंग तोड़ चुदाई चलती रही.....

तभी सोनू —दीदी मेरा अब होने वाला है...निकालु बाहर

शालु—नही अंदर ही गिरा दे अपना बीज.....कर दे मुझे ग्याभिन....मैं संभाल लूँगी सब.....मज़ा आ गया भाई....तू मुझे ऐसे ही रोज 5-6 बार चोद डाला कर...

सोनू —ज़रूर दीदी....

शालु—मुझे खूब गंदा गंदा बोला कर दिन भर....मुझसे खूब गंदी गंदी बाते किया कर बुर चोदने की....

सोनू—आपको गंदी बाते पसंद हैं...

शालु—बहुत....तेरे मूह से गंदी गंदी बाते सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है भाई....

सोनू—और क्या पसंद है आपको....

शालु—मुझे दीदी मत बोला कर...

सोनू —तो क्या बोलू आपको...

शालु—मुझे ना...तू....बुर या फिर बुर चोदि कह के बुलाया कर

सोनू —मुझे आपकी गान्ड भी बहुत पसंद है दीदी

शालु—कल मार लेना अपनी दीदी की गान्ड भी.

सोनू —ठीक है मेरी बुर चोदि बहन…..ये ले…

शालु —आआहहाअ....गिरा दे...अंदर..ही भाई......कर दे गर्भिन.....अपनी बुर चोदि बहन को

सोनू—मैं आया...ये ले....बुर्चोदि.........

और फिर सोनू अपने लंड के धक्को की बरसात कर दी और
शालु की चूत मे अपने भाई के मोटे लंड के धक्के सतसट पड़ने लगे और शालु एक दम से अकड़ गई और सोनू स कस कर चिपक गई और उसका पानी छूटने लगा और सोनू 8-10गहरे धक्के अपनी दीदी की चूत मे मारे और फिर अपनी बहन की चूत से अपने लंड को चिपका कर अपने लंड को चूत की जड़ तक की गहराई मे लेजा कर रुक-रुक कर अपनी पिचकारी अपनी बहन की चूत मे मारने लगा और दोनो के लंड और चूत एक दूसरे से कस कर चिपक गये और दोनो गहरी-गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे का मूह चूमते हुए झाड़ गये झड़ने के बाद सोनू शालु के उपर ही लेट गया
 
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