• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पापी परिवार

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
"कम से कम झूठ बोलना तो सीख लो निकुंज !! मैने तो यह सोच कर बेडरूम का गेट अंदर से लॉक नही किया था कि तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त के बेटे हो मगर तुमने तो मेरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी निकुंज. अब मैं कम्मो को कैसे अपना मूँह दिखा सकूँगी" ड्रामा क्वीन नीमा सिसकी और अपनी दोनो अध-नंगी टाँगो को सोफे के ऊपर रख, घुटनो पर अपना सर झुका कर बैठ जाती है. उसकी नी'स तो आपस में जुड़ी हुई हैं मगर तलवे एक-दूसरे से काफ़ी दूर.


नीमा आंटी की यह नयी पोज़िशन देख, गान्ड फटने के बावजूद निकुंज को अपने लौडे में अविश्वसनीय कठोरता महसूस होती है. छोटी कच्छि नुमा गुलाबी कॅप्री उसकी आंटी के विशाल वा फैले हुए चूतडो की गहरी दरार में घुस कर, लगभग गायब सी हो गयी थी.


"आंटी को मनाना पड़ेगा, वरना बात मोम को पता चल जाएगी और फिर" निकुंज भविश्य के कयास लगाने लगता है "ग़लती क़ुबूल करने मैं ही भलाई है, हो सकता है आंटी मुझे माफ़ कर दें और फिर मैने जान-बुझ कर तो कुच्छ किया नही. वे भी तो इसमे बराबर की हिस्से-दार हैं" ऐसा सोच कर फॉरन निकुंज अपने सोफे से उठ खड़ा हुआ और नीमा के सोफे के ठीक सामने पहुच कर, नीचे फर्श पर बैठ जाता है.


"आइ'आम सॉरी आंटी" वह लो वाय्स में बोला मगर नीमा कोई जवाब नही देती "आंटी !! सुनिए तो सही" उसने दोबारा कहा. फर्श पर बैठे होने के कारण उसका चेहरा आंटी के नग्न सम्तुल्य चूतडो के बेहद करीब था.


एक तरफ निकुंज उसे आवाज़ देता जाता है और दूसरी तरफ रोम-रहित उसकी लंबी मांसल टाँगो का बारीकी से मुआयना भी करता है. द्रश्य की मनमोहकता इतनी प्रबल थी कि उसके काँपते होंठ बरबस आंटी के अविस्मरणीय चूतडो के पाट का रसीला चुंबन लेने को तरस रहे थे.


"आंटी" वह तड़प कर बोला "हां मैने बेडरूम के अंदर झाँका !! मगर आप ही ने तो कहा था, मैं फ्लॅट देख सकता हूँ" शब्दो से सच बयान करने के पश्चात वह अपना हाथ नीमा के झुके दाहिने कंधे पर रख देता है.


"मत छुओ मुझे और मत कहो आंटी" नीमा ने कंधा उचकाया, जैसे वह बहुत क्रोध में हो "मैने फ्लॅट देखने को ज़रूर कहा था लेकिन तुम तो मुझे कपड़े बदलते हुए देखने लगे और अब बेशर्मी से बता भी रहे हो कि तुमने मुझे नेकेड देखा" वह अपना सर घुटनो से उपर उठा कर बोलती है और उसका नाटकीय चेहरा बेहद उदास था.


"आप को रूम का गेट लॉक करना चाहिए था आंटी वरना मुझे कैसे पता चलता, अंदर आप किन हलातो में हो" निकुंज लगातार दलीलें पेश करता जा रहा था मगर नीमा तो जैसे कुच्छ भी सुनने को तैयार नही थी.


"मुझे कामिनी को तुम्हारी जाहिल करतूत बतानी है" वह गर्जि "मैं अभी उसे कॉल करती हूँ" घबराकर निकुंज फॉरन उसके निच्छले नंगे धड़ से बुरी तरह लिपट जाता है.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
सोफे से उठने की झुटि चेष्टा करती नीमा के प्रयास को पूर्ण रूप से विफल करते हुए निकुंज की मजबूत व वृहद बाहें, उसकी सुडोल जाँघो को अपनी जाकड़ में कस चुकी थी और उसकी पत्थर समान छाति आंटी के घुटनो से चिपक जाती है.


निकुंज की यह हरक़त देख एक पल को नीमा भी सकते में आ गयी मगर ज्यों ही उसे अहसास हुआ "जीत का पलड़ा तो मेरी तरफ है" बहरूपी छवि की उस्ताद वह शातिर नारी अपने यौवन से भरपूर अध-नंगे बदन में अविश्वसनीय कामुक लचक लाने लगती है.


"छोड़ो मुझे" वह दोबारा चीखी लेकिन मन ही मन नौजवान निकुंज के असीम बल का गुणगान किया. नीमा के लगातार हिलने-डुलने के प्रभाव से निकुंज के हाथ भी निरंतर उसकी गोरी बाल-रहित टाँगो पर फिसलते जा रहे थे.


"आंटी !! सुनिए तो सही" उसने कहा और साथ ही नीमा के मचलते शरीर में स्थिरता लाने हेतु, अपने हाथ के पंजे से उसकी बाईं जाँघ अत्यंत कठोरता से भींच लेता है, जिसमें कुदरत ने ठूंस-ठूंस कर माँस भरा था.


"आह" हल्की पीड़ा और पराए मर्द का ज़्यादती स्पर्श. इस मिले-जुले संगम से ओत्पोत नीमा को महसूस होता है, जैसे निकुंज ने जाँघ की जगह उसकी चूत को अपनी विशाल मुट्ही में कस लिया हो. जाँघ के जिस स्थान पर उस जवान मर्द के हाथ की मजबूत पकड़ थी, वा नीमा की अति-संवेदनशील योनि से महज 5 या 6 अंगुल नीचे होगा.


"मैं कहती हूँ छोड़ो मुझे, वरना अंजाम बुरा होगा" अपनी आंटी की झुटि धमकी को सच मान कर निकुंज ने फॉरन उसे अपनी बाहों की जकड़न से आज़ाद कर दिया मगर असलियत में वह नही चाहती थी निकुंज ऐसा करे और इसके पश्चात ही उसे अपनी ग़लती पर पछतावा होने लगता है.


"मुझे कुच्छ बोलने का मौका तो दीजिए" निकुंज ने अपना सर नीचे झुका कर मिन्नत की "बिल्कुल नही दूँगी !! बच्चू" शरारती मुस्कान बिखेरती नीमा मन ही मन खुद से कहती है और अब आगे उसे क्या करना है, यह प्लान भी उसके कमीने दिमाग़ में सेट चुका था.


"उफ़फ्फ़ !! तुमने तो मुझे नोच लिया" नीमा के नये ड्रामे का आगाज़ हुआ और उसके यह लफ्ज़ कान में सुनाई पड़ते ही निकुंज ने हड़बड़ा कर उसकी ओर देखा.


"ओह्ह्ह !! कहीं जानवर तो नही हो ना तुम ?" नाटकीय अंदाज़ में दर्द के अनेको भाव चेहरे पर इकट्ठे कर, अपनी जाँघ के उस हिस्से को जिसे थोड़ी देर पहले निकुंज के पंजे ने जकड़ा था, सहलाती हुई वह उससे शिक़ायत करती है.


"सॉरी आंटी !! लाइए दिखाइए ज़रा" माफी माँगते हुए निकुंज बोला और इस बार नीमा ने भी कोई विरोध नही जताया, बल्कि खुद अपनी बाईं टाँग आयेज बढ़ा कर उसके हाथो के सुपुर्द कर दी.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
सोफे की उँचाई पर बैठी नीमा की टाँग को सहारा देने के उद्देश्य से, फर्श की नीचाई पर बैठा निकुंज उसकी पिंडली थाम लेता है और इस वजह से उसकी आंटी की चोटिल जाँघ, उसकी आँखों के बेहद करीब आ जाती है. वाकाई जाँघ का वह हिस्सा लाल था जो शायद नीमा की गोरी रंगत और निकुंज की मर्दानी ताक़त का मिक्स नतीजा था.


"देखो ना निकुंज !! कितना रेड हो गया यहाँ" रुआसी आवाज़ में नीमा बोली. अपनी सबसे अच्छी दोस्त के जवान बेटे को, खुद के आध-नंगे यौवन का यूँ दीदार करते देख उसकी काम-उत्तेजना में तेज़ गति से वृद्धि होने लगती है.


"आंटी !! मैं अपनी ग़लती पर बहुत शर्मिंदा हूँ" निकुंज ने अफ़सोस जताया और बिना नीमा की आग्या के, उसकी जाँघ की चोटिल सतह पर अपने दूसरे खाली हाथ की उंगलियों का मुलायम घर्षण देना शुरू कर देता है.


चूँकि नीमा, निकुंज की अपेक्षा ज़्यादा समय से उसे फॅंटसाइज़ कर रही थी तो जल्द ही उसकी आँखें, निकुंज की लंबी उंगलियों की कोमल सहलाहट के एहसास मात्र से बंद होने के कगार पर पहुचने लगती हैं और तत-पश्चात पूर्ण रूप से मूंद जाती हैं.


वहीं निकुंज का ध्यान उसकी आंटी की जाँघ पर से तो कब का हट चुका था. उसकी बाज़ सी दृष्टि अब नीमा की गुलाबी कॅप्री में छुपि, उसकी फूली हुई चूत के उभार पर टिकी थी और कॅप्री के नीचे आंटी ने कच्छि नही पहनी है यह भी वह पहले से ही जानता था.


अचानक उसे नीमा की टाँग में कड़कपन आता महसूस हुआ, लगा जैसे उसका शरीर हल्का सा आकड़ा हो और इसके साथ ही निकुंज के दिल में जो ख़ौफ़ घर किए बैठा था, धीरे-धीरे दम तोड़ने लगता है.


"चान्स लेने में हर्ज़ नही और बच्चे भी बाहर हैं" उसकी सोच का घोड़ा लंबी छलान्ग मारते हुए दौड़ पड़ा और इसके उपरांत वह चोटिल जाँघ के उपचार रूपी नाज़ुक सहलाहट को सख़्त मालिश में तब्दील कर देता है.


नीमा के बंद नयन और चढ़ि साँसे यह स्पष्ट करने को काफ़ी थी कि वा कामुकता के शुरूवाती ज्वर में तपने लगी है और इसी चीज़ का फ़ायदा उठाते हुए जल्द ही निकुंज का हाथ उसकी जाँघ के चोटिल प्रदेश से ऊपर की दिशा की ओर फिसलता हुआ, उसकी अन्द्रूनि जाँघ की पूरी सतह को घेर चुका था.


"उम्म" इकायक नीमा की जीभ उसके लगातार सूखते जा रहे होंठो को गीला करने के उद्देश्य से बाहर निकल आती है और तब तक निकुंज भी अपनी उंगलियों की दस्तक उसकी कॅप्री के अंदर पहुचा देता था.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
"ओह्ह कितना गरम लग रहा है यहाँ" निकुंज का अगला कदम बेहद घातक हुआ जिससे फॉरन नीमा की आँखें खुल जाती हैं.


"निकुंज" वह चिल्ला उठती है.




यह एक ऐसी सिचुयेशन थी जिसको शब्दो में बयान कर पाना बहुत कठिन हो जाता है.


निकुंज का हाथ उसकी नीमा आंटी की कॅप्री के भीतर, उसकी अंगार सी धधकति चूत के काफ़ी करीब है और हैरान नीमा उसके चेहरे को ऐसे देख रही है जैसे उसके सामने कोई भूत बैठा हो.


पूरे अथितिकक्ष में गहेन सन्नाटा परसा हुआ है. सिवाए उन दोनो के दिल की धड़कनो के कहीं से कोई शोर सुनाई नही पड़ रहा था.


"रुक क्यों गये ?" नीमा का अजीबो-ग़रीब सवाल उस शांति को भंग करता है "वह काम पूरा करो ना, जिसकी आशा लेकर तुम यहाँ आए थे" उल्टा चोर कोतवाल को डान्टे वाक़या का बलात्कार करती नीमा ने इस बार भी सारे आरोप निकुंज के मत्थे जड़ दिए.


वहीं निकुंज जो बचाव के लिए तैयार है, अपने मन में भय रूपी राक्षस का पुनः प्रवेश वह वर्जित कर चुका था.


"हर बार ग़लती आप की रही है आंटी" उसने नीमा को चौंकाया "पहले बेडरूम और अब इस बात के लिए भी आप मुझे ही दोष दे रही हो" कह कर वह अपना हाथ उसकी कॅप्री से बाहर खीचता है और अपनी वे उंगलियाँ, जिन पर नीमा की उत्तेजित चूत का गाढ़ा रस लगा हुआ था. सबूत के तौर पर पेश करते हुए उसके चेहरे के समीप ले जाता है.


"यह भी मेरी ग़लती है ना ?" बोलने के उपरांत ही वह अपनी उंगलियाँ, अपने मूँह में डाल, अपनी अधेड़ उमर की आंटी की जवानी का स्वाद चखने लगता है "ह्म्म !! आंटी आप बहुत स्वादिष्ट हो" मुस्कुरा कर निकुंज ने उसे आँख मारी.


अपनी दोस्त के बेटे की यह अश्लील हरक़त नीमा को सिर्फ़ शर्मसार ही नही करती बल्कि उसके तंन की आग को और भी कहीं ज़्यादा भड़का देती है. निकुंज की आँखों के सामने बैठे रहना उससे सहें नही हो पाता और वा सोफे से उठ कर खड़ी हो जाती है.


"बेटा !! यह ग़लत है" वह हौले से फुसफुसाई "क्या ग़लत है आंटी ?" प्रश्न पुछ्ते हुए निकुंज भी फर्श से उठ खड़ा हुआ.


"वही जो तुम सोच रहे हो, ऐसा कुच्छ भी नही है" कह कर नीमा अपने बेडरूम की ओर जाने की चेष्टा करती है मगर फॉरन निकुंज उसे पिछे से कस कर पकड़ लेता है.


"आंटी !! मैं कहाँ कुच्छ सोच रहा हूँ. सोच तो आप रही थी और तभी आप गीली हो गयी" एक हाथ नीमा के उभरे हुए पेट पर और दूसरे को उसके गले में डाल निकुंज उसके के पिच्छवाड़े से किसी जोंक की भाँति चिपक जाता है और साथ ही पाजामे में तना उसका विशाल लॉडा भी अपने आगमन की सूचना नीमा के मांसल चूतडो पर चुभ कर देने लगता है.


"उफ़फ्फ़ निकुंज !! छोड़ो मुझे, बेटा तुम यह ठीक नही कर रहे" नीमा मछली मगर उसकी पकड़ से छूटने का कोई अतिरिक्त प्रयास नही करती है. हलाकी उसके दिल में यह टीस ज़रूर उठी, वह कम्मो को धोखा दे रही है परंतु खुद उसके मुख से ही तो नीमा ने, उसके पुत्र के मर्दाने अंग की महिमा का बखान सुना था.


"ठीक से तो कर रहा हूँ आंटी. क्या आप को महसूस नही हो रहा ?" निकुंज ने अपने लंड का दबाव उसके चूतडो पर बढ़ाते हुए पुछा.


"ओह्ह्ह निकुंज !! तुम मेरी दोस्त के बेटे हो, अपनी आंटी का कुच्छ तो लिहाज करो" एहसास मात्र से नीमा की ज़ुबान लड़खड़ा उठी. गर्दन पर निकुंज की गरम सांसो के असन्ख्य झोंके उसे अति-प्रबलता से उन्मान्द भरी सिसकारियाँ लेने को मजबूर कर रहे थे.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
"अब तक आप का लिहाज ही तो किया है और तभी आप की गीली चूत के इतने करीब पहुचने के बावजूद मैने उसे टच नही किया" निकुंज शरारत से बोला "आप बेडरूम में नंगी खड़ी थी मगर क्या मैने कोई छेड़-छाड़ की ?" यह सवाल पुच्छ तुरंत वह नीमा को अपनी पकड़ से मुक्त कर देता है.


अपनी निर्लज्जता के बारे में सुनने के पश्चात नीमा वहीं गढ़ कर रह जाती है जहाँ वह खड़ी थी. खुला निमंत्रण मिलने के उपरांत भी निकुंज ने अपनी आंटी का कोई ग़लत फ़ायदा नही उठाया था. उसके द्वारा कही गयी दोनो बातें 100% सत्य थी.


"आंटी" नीमा को यूँ शांत खड़ा देख निकुंज ने उसे पुकारा तो वह अपनी गर्दन हल्की सी पिछे घुमा कर, तिर्छि निगाहों से उसके चेहरे की ओर देखती है.


"मैने अपना लोवर उतार दिया है, बहुत परेशानी हो रही थी मुझे" विस्फोट करते हुए निकुंज बोला और फॉरन नीमा के कानो में उसकी दोस्त कम्मो के यह लफ्ज़ गूँज उठे "मेरे बेटे का लंड बहुत बड़ा है"


नीमा का धैर्य जवाब देने लगता है "क्या कम्मो सच कह रही थी ?" सहसा उसके गोल मटोल मम्मो के चुचक बेहद तन कर खड़े हो गये और वह उसी स्थिति में निकुंज की टाँगो की जड़ से अपनी आँखें जोड़ने से, खुद को रोक नही पाती है. निकुंज लाइट ग्रीन पोलो टी-शर्ट और वाइट फ्रेंची पहने उसके ठीक पिछे खड़ा था.


"आहह" नीमा सीत्कार कर उठी "ये .. ये तुमने क्या किया, वापस पहनो अपना लोवर" फ्रॅंची में बने तंबू को घूरते हुए उस सेक्स की प्यासी, अति-उत्तेजित दूसरी मा के शब्दो और उसकी ज़ुबान का कहीं से कहीं तक कोई मेल नही बैठ पा रहा था. वह खुल्लम-खुल्ला लंड की आकृति को ऐसे निहार रही थी जैसे उसके काम-रोग का बस वही एक इलाज हो.


"आप को पसंद आया, जान कर खुशी हुई" बेशरम निकुंज मुस्कुराया "चाहो तो छु कर भी देख सकती हो" नीमा को चकित करते हुए वह उसका दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी फ्रांचिए के फ्रंट उभरे पार्ट पर रख, ताक़त से दबा देता है.


"ओह्ह आंटी !! आप के हाथ का स्पर्श कितना मजेदार है " अति-आनंद की वजह से निकुंज काँप उठा और नीमा की चूत में सिरहन दौड़ जाती है. दोनो के झुलसे बदन की जायज़ माँग अपना सर ऊपर उठा चुकी थी.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
नीमा अपना हाथ निकुंज के लंड से हटाने के भरकस प्रयास में जुटी हुई है मगर निकुंज उसे ऐसा करने नही देता "बेटा !! यह ग़लत है, मैं कामिनी को धोखा नही दे सकती" वह बोली मगर निकुंज ने उसके कथन को अनसुना कर, अपना दूसरा हाथ फॉरन उसके गाल पर फेरना शुरू कर दिया.


"धोखे वाली तो कोई बात है ही नही आंटी" उसने प्यार से नीमा की सुर्ख लाल आँखों में झाँका "हम कुच्छ ग़लत नही कर रहे, बस आप के कोमल हाथ की सहलाहट से मेरे लंड को राहत मिल जाएगी. प्लीज़ मना मत कीजिए" लंड शब्द का स्पष्ट उच्चारण निकुंज बिना किसी अतिरिक्त झेप के कर बैठता है और जिसे सुनकर नीमा की लज्जातरुण पलकें दोबारा बंद होने के कगार पर पहुचने लगती हैं.


"यह संभव नही निकुंज !! मानो मेरी बात, मैं दो जवान बच्चो की मा हूँ" नीमा की सोच दो भागो में बँट चुकी थी. एक तरफ वह अपने उत्तेजित बंदन की ज़रूरत को नज़र-अंदाज़ नही कर पा रही थी और दूसरी तरफ मान मर्यादा, संकोच, बदनामी, स्त्री धर्म उसे प्रेरित कर रहा था कि वह अपने बहेकते कदम अत्यंत-तुरंत पिछे खीच ले.


इसका मुख्य कारण था निकुंज का पराया होना. अपने पुत्र विक्की के साथ अनाचार स्थापित करने में सफल होने वाली नारी नीमा ने सारे प्रयोग स्वयं किए थे. विक्की तो मात्र उसके हाथो की कठपुतली था और जो पाप उनके दरमियाँ पिच्छले एक वर्ष से लगातार चल रहा है, वह भी घर की चार-दीवारी के भीतर तक ही सीमित था.


"फिकर ना करिए आंटी !! मैं हद पार नही करूँगा" वह आश्वासन देता है और नीमा के हाथ पर दबाव डाल अपना कड़क लॉडा पंप करने लगा. हैरत से नीमा का मूँह खुल गया, उसे महसूस हुआ जैसे उसने कोई ट्यूब-लाइट बराबर मोटी वास्तु पकड़ ली हो, आज पहली बार वह लंड की अद्भुत सख़्त-ता से परिचित हो रही थी.


"निकुंज !! मुझे शर्म आ रही है बेटा" वह अपने गाल और गर्दन पर रेंगती निकुंज की उंगलियों की गुदगुदाहट से त्रस्त हो कर बोली.


"तो क्यों ना इस शर्म को मिटा दिया जाए" निकुंज तो जैसे मन बना चुका था की आज वह नीमा को चोद कर ही वहाँ से जाएगा. उसने फॉरन फ्रॅंची के कोने से अपने लंड का सूजा सुपाडा बाहर निकाल दिया "आंटी !! अब आप दोनो आपस में दोस्ती कर सकते हो" नीमा के हाथ को अपने नंगे लंड पर फेरते हुए वह बोला.


"मुझे .. मुझे नही करनी कोई दोस्ती-वोस्ती" अचानक हुए हमले से नीमा की आवाज़ में कंपन आ जाता है. लंड की गर्माहट का कोई अंत ना था.


"उफ़फ्फ़ !! तुम समझते क्यों नही" वह अपना पहला हाथ छुड़ाने के उद्देश्य से अपना दूसरा हाथ तेज़ गति से लंड की दिशा में नीचे की ओर लाती है और तभी निकुंज भी अपना दूसरा हाथ जो नीमा की गर्दन पर था, धमकी स्वरूप अपनी आंटी के दाहिने माममे को पकड़ने के लिए उसकी गर्दन से नीचे खिसकाने लगता है.


"बहसरम !! हाथ हटाओ अपना" क्रोध-वश नीमा के शब्द फूटे "मैने तो कुच्छ नही प्कड़ा, लंड तो आप के हाथ में है आंटी" चतुर निकुंज ने शरारत से कहा और नीमा अपने ही कथन पर शर्मसार हो गयी.


"वैसे पुच्छना तो नही चाहता मगर पुच्छे बिना रहा भी नही जाता" निकुंज ने नीमा का ध्यान अपनी ओर केंद्रित किया "ना तो आप ने कॅप्री के अंदर कच्छि पहनी है और ना ही टॉप के भीतर ब्रा. क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूँ?" निकुंज द्वारा अश्लील बातों का सिलसिला ज़ारी रहा.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
"मेरे मर्ज़ी, मेरा घर. मैं चाहे नंगी घूमू, तुम्हे क्या आपत्ति है ?" नीमा चिल्लाई. वह क्या कह रही है, जैसे उसे इसकी कोई प्रवाह ही नही थी.


"आंटी !! कितना झूठ बोलोगि, मान क्यों नही लेती कि आप मुझसे चुदने के लिए तड़प रही हो" निकुंज हंसा "मेरी और आप की मंज़िल एक ही है, आप इसे स्वीकार कर लो" इतना कह कर निकुंज ने बलपूर्वक नीमा की ठोडि को पकड़ा और अपना चेहरा उसके सुंदर एवं प्रभाव-शाली मुखड़े के बेहद समीप ले जाता है.


निकुंज की मंशा समझ खुद ब खुद नीमा की जीभ उसके सूखे होंठो को तर करती है और इसके पश्चात ही निकुंज अपने काँपते होंठो का मिलन चन्द लम्हे के लिए उसके गीले होंठो से करवा कर वापस उन्हे पिछे खीच लेता है.


"उम्म्म" नीमा ने मस्ती में भर कर अंगड़ाई ली, उसके चंचल नयन अब पूर्ण-रूप से बंद हैं और इसके नतीजन कब वह अपनी मन-मर्ज़ी से निकुंज का लंड हिलाने लगती है, उसे पता भी चलता.


निकुंज दोबारा अपने होंठ आगे बढ़ा कर उसके होंठो को कोमलता से चूस्ता है और कुच्छ सेकेंड्स के उपरांत फॉरन पिछे हटा लेता है. इस विचित्र क्रिया का दर्ज़नो बार उपयोग कर उसे अपनी आंटी की अधीरता की परीक्षा लेने में बहुत आनंद मिल रहा था.


"मैं आप के यह खूबसूरत होंठ अपने लंड पर महसूस करना चाहता हू" अपनी लालसा का ज़िक्र करते हुए उसने अगला चुंबन नीमा के बाएँ कान के ठीक नीचे किया और जिसके प्रभाव से तत्काल नीमा की बंद पलकें खुल गयी "बोलो ना आंटी !! मेरा लंड चुसोगी ?" पुनः उसने स्पष्ट रूप से पुछा.


नीमा गहेन कामुकता के शिखर पर पहुच चुकी थी, उसकी सकुचाती चूत से अनियंत्रित रस रिस कर, उसकी गुलाबी कॅप्री को भिगो रहा था. उसके दिल की धड़कन तेज़ी से बहुत तेज़ होती जा रही थीं और अखंड बेचैनी से उसका बदन तप रहा था.


अत्यंत निराशा, क्रोध और काम तीनो का मिश्रण एक साथ वह सह नही पाती "उफ़फ्फ़ निकुंज !! मुझे सब मंज़ूर है. मैं चुसुन्गि, ज़रूर चुसुन्गि" नीमा रुआसी हो कर निकुंज के चौड़े सीने से लिपट जाती है.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
पापी परिवार--60




मानसिक एवं शारीरिक समर्पण कर चुकी नीमा, निकुंज की मजबूत छाति में अपना शर्म से सराबोर लाल मुखड़ा छुपाये ज़ोर-ज़ोर से हाँफ रही थी. उसके गोल मटोल मम्मो का आकार निरंतर उसकी फूलती सांसो के उतार चढ़ाव से घट-ता बढ़ता जा रहा था और उसके टॉप के अंदर ब्रा का कोई आधार मौजूद ना होने से उसके तने चुचको के भेदन की असहनीय वेदना से निकुंज के लंड में अकल्पनीय विकरलता आने लगी थी.


"आंटी !! कब से मेरा लंड आप के कोमल होंठो के अंदर प्रवेश करने की राह देख रहा था" निकुंज उसकी ठोड्डी को अपने हाथ की प्रथम उंगली से ऊपर उठाते हुए, अपने चेहरे के सम्तुल्य ला कर कहता है "उसे आप के मूँह से एक बेहतरीन चुसाई की उम्मीद है" वह उसकी कजरारी आँखों में झाँक कर बोला.


"निकुंज !! तुम बेहद घटिया और गंदे किसम के लड़के हो" नीमा ने उसकी छाति में मुक्का जड़ा "अपनी मा की उमर की औरत से ऐसी अश्लील बातें करने में तुम्हे शरम आनी चाहिए" वह जान-बूझ कर अपने कथन में मा शब्द का उच्चारण करती है और झूठे क्रोध का नाटक करती हुई, लजा भी जाती है.


"उफ़फ्फ़ आंटी !! जल्दी मेरा लंड चूस कर मुझे इस भयानक दर्द से निजात दिलवाए" नीमा जो चाहती थी वही हुआ. खुद की मा का जीकर सुनते ही निकुंज के टट्टो में अचानक से अविश्वसनीय उबाल आ जाता है और उसके लंड का मोटा सुपाडा अत्यधिक फूल कर, गाढ़ा रस उगलने लगता है.


लंड की संपूर्ण विशालता को देखने के लिए तो नीमा भी कब से तड़प रही थी. अपनी चूत में मचती कुलबुलाहट के और अधिक आघात से पाना अब उसके बस में नही था. उसने एक अंतिम नज़र निकुंज के धैर्य खोते चेहरे पर डाली और इसके पश्चाताप ही वह उसके लंड पर स्वेक्षा से अपने हाथ का एकाधिकार कर लेती है.


"आह" दोनो कराह कर उठे. फॉरन नीमा ने निकुंज के भारी-भरकम शरीर को उसके लंड की पकड़ से खीचना शुरू किया और जिस सोफे पर वह पूर्व में बैठा हुआ था, बड़े कामुक अंदाज़ में धकेल कर उसे नीचे गिरा देती है.


"निकुंज" वह उसकी टाँगो के बीचो-बीच अपने घुटनो पर बैठ कर बोली "बेटा !! मैं तुम्हारी मा कामिनी की सबसे अच्छी दोस्त हूँ और क्या यह जानते हुए भी तुम अपना लंड, अपनी नीमा आंटी से चुसवाना चाहोगे ?" विस्फोटक प्रश्न पुछ्ते हुए वह अपने दोनो हाथो की उंगलियाँ निकुंज की फ्रेंची उतारने के उद्देश्य से उसकी एलास्टिक के इर्द-गिर्द फसा देती है.


नीमा का विध्वंशक सवाल और लंड शब्द के स्पष्ट उच्चारण को सुन कर फॉरन निकुंज अतीत की एक सुनहरी याद में खो जाता है. कुच्छ ऐसा ही द्रश्य उसकी आँखों के सामने नृत्य करने लगता है, जब उसकी सग़ी मा उसके सोए लंड को खड़ा करने के उपचार हेतु, उसे अपने मूँह में लेकर चूसने को विवश हो गयी थी.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
"अगर तुम सच में ऐसा चाहते हो कि मैं तुम्हारा लंड चुसू तो उसके लिए तुम्हे अपनी फ्रेंची उतारने में मेरी मदद करनी होगी" निकुंज को उस रंगीन सपने से बाहर ला कर नीमा बोली. उसका आशय समझते ही खुद ब खुद निकुंज की गान्ड हवा में ऊपर उठ जाती है और क्षण मात्र का समय व्यर्थ किए बगैर नीमा के अनुभवी हाथ फ्रेंची को उसके शरीर से अलग कर देते हैं.


"उफफफफ्फ़" निकुंज की टाँगो के मध्य में बैठी नीमा के सुंदर नयन और उसका मूँह, दोनो हैरत से फॅट पड़ते हैं जब वह उसके विशाल एवं तने लौडे को ठीक उसके पेट से चिपका पाती है. लंड की अत्यंत गोरी सतह पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती नीली नसों के तनाव से वह बुरी तरह झटके खा रहा था और नीमा के आंकलन के मुताबिक उसकी मोटाई, स्वयं उसके हाथ की कलाई बराबर जान पड़ रही थी.


नीमा के चेहरे पर उभरे विचित्र भाव को देख कर निकुंज मंन ही मंन अपने लंड की विशेषता पर गर्व करता है. सग़ी मा कम्मो द्वारा तारीफ़ में मिले वे शब्द "इसकी लंबाई बहुत अच्छी है निकुंज, काफ़ी कम मर्दो के पास इतना विकराल लिंग होता है" उसके कानो में रस घोलने लगते हैं.


"मैं कितना लकी हूँ जो मुझे आप जैसी ब्यूटिफुल एंड सेक्सी औरत का प्यार मिल रहा है" निकुंज की आवाज़ नीमा को गहरी नींद से वापस वर्तमान में खीच लाती है. खुशामद तो महज एक बहाना था, उसे तो अपनी आंटी को उनका लक्ष्य याद दिलाना था.


"निकुंज !! वाकाई तुम बहुत बेशरम लड़के हो और जाने क्यों मैं भी तुम्हारे साथ इस बेशर्मी की हिस्सेदार बनने जा रही हूँ" नीमा ने नखरीले अंदाज़ में कहा और कहने के उपरांत ही वह उस कठोर लंड को अपनी छोटी सी दाईं मुट्ठी में समाने का असफल प्रयास करती है.


"ओह्ह्ह यस आंटी !! मैने पहले भी कहा था, आप के हाथ का स्पर्श कितना मजेदार है" निकुंज आनंद स्वरूप सोफे पर उच्छल पड़ता है. वहीं नीमा की हालत भी कुच्छ कम खराब नही है, अत्यधिक कामोत्तजना मैं उसकी चूत कामरस से भीग कर उसकी गुलाबी कॅप्री में काँप रही थी.


"बदतमीज़ कहीं का" ताना मारती नीमा उसका लंड सहलाना शुरू कर देती है. लंड की अति-मुलायम चमडी पर उसका कोमल हाथ बड़ी आसानी से फिसल रहा था और उसकी अखंड गर्माहट से वह अचंभित होने लगी थी. जल्द ही लंड अपनी संपूर्ण विशालता को प्राप्त कर जाता है.
 

Lodon Ka Raja

Leaving for Few Months BYE BYE TAKE CARE
6,186
48,561
219
निकुंज बड़े गौर से अपनी आंटी के सुंदर चेहरे को देखने में मग्न है. नीमा अनेको प्रकार के मूँह बनाकर अपना हाथ उसके विकराल लंड पर जितनी तेज़ी से वह कर सकती थी, ऊपर-नीचे कर रही थी. सहसा दोनो की आँखें मिल जाती हैं, निकुंज फॉरन शरारत भरी मुस्कान बिखेर देता है और नीमा के गाल शर्म से लाल हो उठते हैं.


"लगता है काफ़ी गहरी दोस्ती हो गयी है आप दोनो में" निकुंज का इशारा अपने खड़े लंड की ओर था और यह बात वह ठीक अपनी आंटी की आँखों में झाँक कर कहता है, जिसे सुनकर नीमा भी खुद को मुस्कुराने से नही रोक पाती. अब उनके दरमियाँ काफ़ी खुला पन आ चुका था.


"तुमने ही मुझे ऐसा करने पर मजबूर किया है निकुंज" नीमा ने अपनी उंगलियाँ उस झटके खा रहे लंड की गोलाई पर कठोरता से कसते हुए कहा और अपनी कलाई उसकी जड़ तक ले गयी. फिर कुच्छ लम्हो के लिए वह अत्यंत कामुकता से उस फूले हुए सुपाडे को निहारती है, जो तरल चिपचिपे पदार्थ से भीगा हुआ था. उत्तेजना के ज्वर से सुपाडे की रंगत हल्के बेन्गनि रंग की हो गयी थी और वह किसी छोटे आलू-बुखारे समान नज़र आ रहा था.


नीमा की चंचल आँखों में कयि इक्षाएँ जन्म ले चुकी थी और फिर वह काम-लूलोप, अनियंत्रित नारी अपने सर को नीचे की ओर लाती है और अपने होंठ उसके सुपाडे से चिपका देती है.


"उफ़फ्फ़" निकुंज तड़प उठता और उसकी आह के साथ ही नीमा ने अपनी लंबी जीभ बाहर निकालते हुए, अत्यधिक सिहरन से काँप रहे लौडे के सुपाडे पर उसे गोल-गोल घुमाने लगी. मर्दाने अंग की मादक सुगंध से नीमा के गुदा द्वार में कपकपि दौड़ गयी थी.


"बहुत, बहुत, बहुत मज़ा आ रहा है आंटी" निकुंज ने अपनी टी-शर्ट को उतार कर दूर उछाल्ते हुए कहा और फिर अपने दोनो हाथो से नीमा के खुले बालो का जूड़ा बना कर, उसके सर को अपने कंट्रोल में ले लेता है.


अपने शर्मनाक कार्य की इतनी मनमोहक प्रतिक्रिया से अभिभूत नीमा की जिह्वा बड़े उत्साह से, लंड की पूरी लंबाई को चाट रही थी और जल्द ही सुपाडे से लेकर टट्टो तक वह उसे अपनी थूक और लार से नहला देती है.


"क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है निकुंज ?" लंड हिलाने की रफ़्तार को कायम रखते हुए नीमा ने पुछा. यही तो स्त्री गुण की प्रथम विशेषता है कि सब कुच्छ आँखों के सामने घटित होता देख कर भी उन्हे अपनी प्रशन्शा सुनने की तीव्र लालसा होती है "क्या तुम चाहोगे कि अब मैं तुम्हारे लंड को अपने मूँह के अंदर कर लूँ ?" वह अश्लीलता-पूर्वक प्रश्न करती है.


"हां हां आंटी !! मैं तो कब से यही चाहता हूँ" निकुंज उसके घने बालो से खेलते हुए चहका, उसके उन्माद की सीमा का तो कोई अंत ही ना था "मुझे बहुत खुशी होगी" वह धैर्य खोता जा रहा था.
 
Top