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"उफफफ्फ़ !! मान जाओ निकुंज" नीमा ने गुदगुदाते हुए कहा तो बदले में निकुंज उसे छेड़ने के उद्देश्य से वह छिद्र अपने कड़क होंठो की मदद से चूसने लगता है.
"आईईईई" एक बार फिर नीमा के जिस्म में कपकपि दौड़ गयी और वह निकुंज से रहम की मिन्नतें करने पर मजबूर हो जाती है.
"बस आंटी !! थोड़ी देर और. आप का आस होल तो कमाल का है." निकुंज रोमांच में भर कर कहता है. यकीन से परे की क्यों वह उस गंदे छेद को इतना आनंदतीरेक हो कर चाट रहा है वह खुद हैरान था. अजीब सी गंध, कसैला सा स्वाद और साथ ही उसकी गतिविधियों के प्रभाव से थिरकते उसकी आंटी के सुडोल चूतड़, कमरे में गूँजती उनकी दर्ज़नो सिसकियाँ. सब कुच्छ उसके बढ़ते कौतूहल के मुख्य विषय बनते जा रहे थे.
"ब.. बेटा !! मत सता अपनी आंटी को, मैं .. प.. पागल हो जाउन्गि" नीमा सोफे की दोनो पुष्ट को अपने हाथो में जाकड़ कर कहती है. उसकी चूत जो कुछ लम्हे पहले ही शांत हुई थी दोबारा कामरस से लबालब भर चुकी थी "झाड़ जाउन्गि निकुंज !! अब छोड़ .. छोड़ अपनी आंटी को. पेल दे अपना विशाल लंड मेरी चूत में" वह चीख कर उससे विनती करती है.
"ठीक है !! मगर अगली बार मैं आप की बिल्कुल नही सुनूँगा. जो मेरा मन चाहेगा, आप को भी वही करना होगा" नीमा से प्रण लेने हेतु निकुंज बोला "हां मेरे लाल !! जैसा तू कहेगा, तेरी आंटी वही करेगी. बस अब बुझा दे मेरी चूत की सारी अगन" अत्यंत सिहरन से काँपते नीमा के लफ्ज़ सुन कर निकुंज के चेहरे पर मुस्कान च्छा गयी, उसकी आंटी उसके इशारों पर नाचने जो लगी थी.
निकुंज अपना विकराल लंड जो तन कर उसके पेट से चिपका हुआ था, अपने दाहिने हाथ से पकड़ कर नीमा की चूत के गीले मुख पर उसका फूला सुपाडा रगड़ने लगता है और नीमा फॉरन उसके सुपाडे को राह दिखाने के उद्देश्य से अपनी टाँगो की जड़ को थोड़ा और चौड़ाती है, उसकी इस इस्थिति में उसकी चूत की सूजी फाँकें स्पष्ट-रूप से निकुंज की आँखों के सामने आ जाती हैं और वह उन फांकों के मध्य अपना सुपाडा पूरी तरह स्थापित कर लेता है.
"ओह्ह्ह निकुंज" नीमा ने अपने निचले होंठ को अपने दांतो के बीच भर लिया जब निकुंज के लंड का मोटा सुपाडा उसकी कोमल चूत के चीरे को फैलाते हुए उसके अंदर प्रवेश करता है. दोनो के जिस्म एक साथ झुलस उठते हैं, अनुमान लगाना कठिन है कि किसका बदन ज़्यादा तप रहा था.
"ह्म्म्म" नीमा सोफे की पुष्ट को अपने दोनो हाथो की मजबूती से पकड़ अपना होंठ चबती है. तत-पश्चात निकुंज भी अपनी कमर को झटके देना आरंभ कर देता है और धीरे धीरे उसका विशाल लंड चूत के अति-संकीर्ण चिपके मार्ग पर फिसल कर उसकी गहराई को नापने लगता है. चूत की कसी परतें तो जैसे स्वयं उसके लंड को जाकड़ रही थी और पिछे की ओर ज़ोर लगाती नीमा भी अपनी दोस्त के बेटे की मदद करते हुए अपनी तड़पति चूत लगातार उसके विशाल लंड पर धकेलने का प्रयत्न करती है.
"निकुंज तुम .. तुम बहुत अच्छे से कर रहे हो बेटे" नीमा की फूली सांसो के मद्देनज़र उसके अल्फ़ाज़ रुक रुक कर उसके गले से बाहर आते हैं "सच कहती हूँ, मेरी खुश-नसीबी है जो मुझे तुम्हारे विशाल लंड से चुदने का मौका मिला और मेरी तरह हर वह स्त्री यही कहेगी जो भविश्य में तुम्हारे मूसल को झेलेगी !! चोदो निकुंज .. फाड़ डालो अपनी आंटी की चूत को" उसका व्यभिचारपण अब खुल कर निकुंज से सामने आ चुका था.
"आईईईई" एक बार फिर नीमा के जिस्म में कपकपि दौड़ गयी और वह निकुंज से रहम की मिन्नतें करने पर मजबूर हो जाती है.
"बस आंटी !! थोड़ी देर और. आप का आस होल तो कमाल का है." निकुंज रोमांच में भर कर कहता है. यकीन से परे की क्यों वह उस गंदे छेद को इतना आनंदतीरेक हो कर चाट रहा है वह खुद हैरान था. अजीब सी गंध, कसैला सा स्वाद और साथ ही उसकी गतिविधियों के प्रभाव से थिरकते उसकी आंटी के सुडोल चूतड़, कमरे में गूँजती उनकी दर्ज़नो सिसकियाँ. सब कुच्छ उसके बढ़ते कौतूहल के मुख्य विषय बनते जा रहे थे.
"ब.. बेटा !! मत सता अपनी आंटी को, मैं .. प.. पागल हो जाउन्गि" नीमा सोफे की दोनो पुष्ट को अपने हाथो में जाकड़ कर कहती है. उसकी चूत जो कुछ लम्हे पहले ही शांत हुई थी दोबारा कामरस से लबालब भर चुकी थी "झाड़ जाउन्गि निकुंज !! अब छोड़ .. छोड़ अपनी आंटी को. पेल दे अपना विशाल लंड मेरी चूत में" वह चीख कर उससे विनती करती है.
"ठीक है !! मगर अगली बार मैं आप की बिल्कुल नही सुनूँगा. जो मेरा मन चाहेगा, आप को भी वही करना होगा" नीमा से प्रण लेने हेतु निकुंज बोला "हां मेरे लाल !! जैसा तू कहेगा, तेरी आंटी वही करेगी. बस अब बुझा दे मेरी चूत की सारी अगन" अत्यंत सिहरन से काँपते नीमा के लफ्ज़ सुन कर निकुंज के चेहरे पर मुस्कान च्छा गयी, उसकी आंटी उसके इशारों पर नाचने जो लगी थी.
निकुंज अपना विकराल लंड जो तन कर उसके पेट से चिपका हुआ था, अपने दाहिने हाथ से पकड़ कर नीमा की चूत के गीले मुख पर उसका फूला सुपाडा रगड़ने लगता है और नीमा फॉरन उसके सुपाडे को राह दिखाने के उद्देश्य से अपनी टाँगो की जड़ को थोड़ा और चौड़ाती है, उसकी इस इस्थिति में उसकी चूत की सूजी फाँकें स्पष्ट-रूप से निकुंज की आँखों के सामने आ जाती हैं और वह उन फांकों के मध्य अपना सुपाडा पूरी तरह स्थापित कर लेता है.
"ओह्ह्ह निकुंज" नीमा ने अपने निचले होंठ को अपने दांतो के बीच भर लिया जब निकुंज के लंड का मोटा सुपाडा उसकी कोमल चूत के चीरे को फैलाते हुए उसके अंदर प्रवेश करता है. दोनो के जिस्म एक साथ झुलस उठते हैं, अनुमान लगाना कठिन है कि किसका बदन ज़्यादा तप रहा था.
"ह्म्म्म" नीमा सोफे की पुष्ट को अपने दोनो हाथो की मजबूती से पकड़ अपना होंठ चबती है. तत-पश्चात निकुंज भी अपनी कमर को झटके देना आरंभ कर देता है और धीरे धीरे उसका विशाल लंड चूत के अति-संकीर्ण चिपके मार्ग पर फिसल कर उसकी गहराई को नापने लगता है. चूत की कसी परतें तो जैसे स्वयं उसके लंड को जाकड़ रही थी और पिछे की ओर ज़ोर लगाती नीमा भी अपनी दोस्त के बेटे की मदद करते हुए अपनी तड़पति चूत लगातार उसके विशाल लंड पर धकेलने का प्रयत्न करती है.
"निकुंज तुम .. तुम बहुत अच्छे से कर रहे हो बेटे" नीमा की फूली सांसो के मद्देनज़र उसके अल्फ़ाज़ रुक रुक कर उसके गले से बाहर आते हैं "सच कहती हूँ, मेरी खुश-नसीबी है जो मुझे तुम्हारे विशाल लंड से चुदने का मौका मिला और मेरी तरह हर वह स्त्री यही कहेगी जो भविश्य में तुम्हारे मूसल को झेलेगी !! चोदो निकुंज .. फाड़ डालो अपनी आंटी की चूत को" उसका व्यभिचारपण अब खुल कर निकुंज से सामने आ चुका था.