• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पापी परिवार

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
पापी परिवार--24

काफी देर तक सुस्ताने के बाद जीत ने तन्वी के बालो को सेहलाना शुरू कर दिया ..पोज़िशन के हिसाब से जीत उसके ऊपर लेटा हुआ था और तन्वी का चेहरा ठीक जीत के अपोजिट था
" सॉरी बेटू ..तुझे तकलीफ देने के बाद मैं बहुत शर्मिंदा हूँ "
जीत ने अपना फेस उसके फेस की तरफ घुमाया और उसके गालो को चूमने लगा ..पसीने से लथपथ नंगा बदन ..जीत उसके शरीर से उठति मादक खुश्बू से आनंदित था ..तन्वी शांत लेटी रही ..उसने कोई जवाब नहीं दिया
" जानता हूँ तू नाराज़ है ..पर मैं क्या करूं ..एक तरफ बाप होने के नज़रिये से सोचता हूँ तो दिल धिक्कारता है ..कहता है ' मैं पापी हूँ ..अपनी औलाद को भोगने कि लालसा से सड़ - सड़ कर मरूंगा' ..दूसरी तरफ दिमाग कहता है ' औरत सिर्फ भोगने की वस्तु होती है ..फिर चाहे बेटी हो या बीवी ' ..अब तू ही बता मैं क्या करूं ..हमने 5 साल पहले जो गलत कदम उठाया था ..इसके बोझ तले मैं दबता ही जा रहा हूँ ..तेरी मा ऊपर से देखती होगी तो मुझे कोसती होती ..' कैसा नीच इंसान है ..बाप -बेटी के पवित्र रिश्ते को दागदार किये जा रहा है "
जीत का गला भर आया ..उसे दुख तो मेहसूस हो रहा था लेकिन जो पापी रिश्ता एक बाप - बेटी कि मर्यादाओ को लाँघ चुका था उसके हाथो बेबस था ..आज पूरे 5 सालो बाद उसने तन्वी के बदन का ऐसा भोग किया था ..तन्वी अभी भी बिल्कुल शांत लेटी रही ..जीत का दिल उस शांत वातावरण मे बिलख रहा था ..रो रहा था ..कभी कभी ऐसे पल आते हैं जब आप हालात के हाथो मजबूर हो जाते हैं ..और दिल की ना सुनते हुए दिमाग की बात मानते हैं ..यही हाल इस वक़्त जीत का था
" तू सुन रही है ना ..मुझे माफ कर दे "
जीत ने उसके ऊपर से उठते हुये कहा ..तन्वी की पीठ पर उसका पापी वीर्य फैला हुआ था जो काफी हद्द तक अब जीत के पेट से चुपड़ गया
वो उठा और बेड के स्टॅंड पर टिक कर बैठ गया
" डॅड...... "
तन्वी हिली नहीं बस अपने होंठो को हिला कर अपने प्रेमी को आवाज़ दी ..उसकी पीठ साँसें लेने से काफी ऊपर - नीचे हो रही थी और चूतड़ो का उभार ..गांड़ कि दरार रूपी लकीर मानो ऐसी जैसे किसी खरबूजे को चीरा लगाने का अंदाज़े बयाँ कर रही हो
" ह्म्म्म्म्म्म....... "
जीत ने भर्राये गले से जवाब दिया ..तन्वी ने अपना चेहरा उठा कर देखा तो जीत को गुमसुम पाया ..वो सरक कर उसकी टांगे मोड़ने लगी फिर उन्हे फैला कर ..टांगो की जड़ के ऊपर अपना चेहरा रख कर लेट गयी ..बैठा लंड वीर्य से सराबोर था ..थुलथुल सुपाड़े से बाहर को निकालते चिपचिपे पदार्थ से तन्वी का राइट गाल गीला होने लगा
" क्यों कोसते हो खुद को ..यहाँ एक तरफा प्यार थोड़े ही है ..मैं भी तो आप को अपना सब कुछ मानती हूँ ..चाहे डॅड कह लो या लवर ..आप मेरे लिये सब से बढ़ कर हो ..क्या ये काम है कि पूरे 5 सालो से आपके सामने नंगी रहने के बाद भी आज तक आप ने मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की ..हर वक़्त मेरे फ्यूचर का सोच कर अपनी इक्षाओ को मारा है ..डॅड आप के जैसे पिता की कामना मैं हर जनम मे करूँगी ..आइ लव यू "
तन्वी ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथ लपेट ते हुये कहा ..वो दुखी तो नहीं थी पर वक़्त की नज़ाकत ने उसे रोने पर मजबूर कर दिया था ..जीत के हाथ काफी देर तक इसी पेशो- पेश मे बंधे रहे कि वो तन्वी को छुएं या नहीं
" डोंट वरी डॅड ..मैने आज बहुत एंजाय किया ..आप के साथ तो मुझे दर्द भी मीठा एहसास करवाता है "
तन्वी ने उसके पेट पर लगा वीर्य चाट ते हुये कहा ..झाँटो से थोड़ा ऊपर और नाभि के थोड़े नीचे वीर्य की अधिक मात्रा थी ..वो अपनी जीभ से किलोल करती हुई उसकी नाभि के पास पहुच गयी ..गोल गड्ढा ..उसने देर नहीं की और होंठो के बीच नेवेल फसाते हुये उसे चूसना शुरू कर दिया
" उम्मम्मम्म.... डॅड आप का नेवेल बड़ा टेस्टी है मैने आज तक कभी इसे किस ही नहीं किया ..लेकिन..... "
बोल कर तन्वी ने अपनी जीभ नेवेल मे प्रवेश करा दी और गोल - गोल घुमाते हुये होंठो से खुद के सलाइवा को गले से नीचे उतारने लगी
जीत का सोया लंड अभी भी तन्वी के मुलायम गाल के नीचे दबा था ..बेटी की हरक़त से उसे सेडक्षन तो फील हुआ लेकिन उसके लंड ने कोई हरक़त नहीं की ..शायद थोड़ी देर पेहले खुद को धिक्कारने की बात से उसने अपने पर कंट्रोल कर लिया था
" लेकिन..... "
जीत ने अपना चेहरा नीचे झुका कर देखा तो तन्वी बड़ी तन्मयता के साथ उसकी नाभि से अठखेलियाँ कर रही थी ..जीभ की नोक से थप - थपाना और जब थूक से नेवेल भर जाये तो खुद के सलाइवा को कामुक अंदाज़ मे चूस लेना
" डॅड बाकी सब ठीक है लेकिन आप का ये है ना ..हे हे हे हे "
तन्वी ने अपने गाल को लंड पर रगड़ते हुये कहा ..फिर थोड़ा चेहरा खिसका कर उसका सूपाडा सूंघने लगी ..मदहोशी ..कामुक वातावरण् कभी कभी अपने चरम पर होता है ..आज सारे बंधन तोड़ने को तन्वी मचल रही थी लेकिन जीत के मन मे उथल पुथल मची रही
" आप का ये जब सोता हुआ देखती हूँ तो बड़ा अच्छा लगता है ..लेकिन जब ये शैतान बड़ा होने लगता है तब तो मेरी जान लेने पर उतारू हो जाता है "
तन्वी ने अपनी आँखें जीत की आँखों से जोड़ते हुये कहा .. ' बड़ा ' शब्द बोलते वक़्त उसकी आँखें बखूबी उसकी बात का साथ दे रही थी ..कातिल नयनो का पूर्ण विकसित हो जाना जीत के दिल पर हमेशा से केहर ढाता आया था ..तन्वी उसे एक पिता की नज़र से ना देखते हुये प्रेमी की नज़र से देखती थी ..पर जीत का प्रेम उसके लिये बेटी से प्रेमिका मे तब्दील होना पाप समान था ..जिसे शुरू करने मे पेहला गुनेहगार वो खुद था
टकटकी लगाये वो तन्वी की कजरारी आँखों मे देखता रहा ..' कितनी निश्छल है मेरी बेटी की आँखें ' ..शायद यही बात वो उनमे ढूंढ रहा था ..हमेसा जुबान आप के दिल की हालत बयाँ कर दे संभव नहीं ..असली जज़्बात तो आँखों से बयाँ होते हैं
" डॅड एक बात कहू ..बहुत दिनो से मेरे मन मे उठ रही है "
तन्वी ने अपनी बॉडी उल्टी कर ली जिससे उसका पूरा फेस जीत की टांगो की जड़ के सेंटर मी आ गया ..फिर अपने हाथो से उसने जड़ को जोड़ना शुरू किया..सिकुड़े लंड की नरम खाल उसके रसीले होंठो का चुंबन मेहसूस करने लगी और जीत कसमसा कर आहें भरने पर मजबूर हो गया ..एक अंगडाई लेने के बाद जीत के अंडकोष उबल कर लावा अर्जित करने लगे और उसके लचीले पुरुषांग मे कठोर पन आने लगा
" डॅड हम शादी कर लें "
अचानक से तन्वी ने अपनी बात कहते हुये होंठो के बीच उसका नरम सूपाडा फसा लिया और हल्के हल्के अपनी नोकदार जीभ की चुभन टोपे के छेद पर देने लगी ..इस कारण लंड के साथ जीत की बॉडी मे भी हलचल हुई ..खुद ब खुद जीत की टांगो ने कठोरता के साथ तन्वी का चेहरा जकड लिया और उसकी उंगलियाँ अपनी बेटी के रेशमी बालो पर थिरकने लगी
" ह्म्म्मम्म्म्म शादी....... "
जीत सीत्कार कर बोला ..हालाकी विषय अत्यंत गंभीर था लेकिन तन्वी ने अपनी हरकतो से उस विषय को साधारण रूप दे दिया ..इस वक़्त वो लंड को अपने होंठो मे भीच कर ऐसे सुड़क रही थी जैसे कुल्फी की ऊपरी सतह से मिठास चूस रही हो
" अब बस कर तन्वी ..मैं बेहद थक चुका हूँ "
khubsurat
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
आखिर कार जीत का स्टॅमिना जवाब दे गया ..उसने लंड मे होते तनाव के हाथो अपनी हार कुबूल कर ली ..उमर के 40वे पड़ाव मे आ कर आज उसे पेहली बार एहसास हुआ कि उसके अंदर छुपा मर्द अब बूढ़ा होने लगा है ..एक वक़्त था जब उसके स्खलन की कोई सीमा नहीं थी और आज सिर्फ 3 - 4 बार झाड़ने के बाद ही उसे थकान का इल्म होने लगा ..खड़े होते लंड के अग्रिम भाग पर तन्वी की जीब उसे बड़ी कष्टकारी लगने लगी लेकिन तन्वी ने उसकी बात को ना मानते हुये अपना काम जारी रखा
हालाकी अभी लंड चुसाई की रफ़्तार ना के बराबर थी ..लेकिन जीत के बदन पर उस स्लो मोशन का असर स्लो पॉजिसन की तरह होने लगा
" मान जा तन्वी मुझे दर्द होने लगा है "
जीत ने अपनी चिपकी टांगो की जड़ चौड़ा कर कहा ..तन्वी का सर अब आज़ाद था ..जीत की कप कपाती आवाज़ सुन वो रुक तो गयी पर सूपाडा होंठो से बाहर नहीं जाने दिया
करवट लेटे हुये तन्वी ने जीत के चेहरे को देखा ..इस समय दोनो की आँखें एक दूसरे का हाल बयाँ कर रही थी
[ यहाँ एक बात ज़रूर कहूंगा ..अगर आप खून के रिश्तो मे संसर्ग स्थापित करने मे सफल हो जाते हैं ..तो ये कुछ ऐसे पल होते हैं जिनके आगे दुनिया का हर सुख फीका जान पड़ता है ..जीत और तन्वी की बात करें तो इन पलो मे सबसे खास हैं ..अपनी बेटी को नगन देखना ..जिस वीर्य से वो इस संसार मे आई आज वही वीर्य पी कर उसे अमृत का स्वाद आता है ..जीत का अपनी बेटी की योनि चाटना ..उसकी छातियाँ चूसना ..आज ये मिलन बढ़ कर तन्वी की गांड़ का सुराख खोल चुका था ..यहाँ शर्मो हया खतम हो कर वासना मे परिवर्तित हो जाना चाहिये पर वासना तब होती जब जीत तन्वी के कुंवारे पन का खुल कर उपभोग करता ..आज तक उसने कभी अपने लंड को तन्वी के निच्चले धड़ से टच नहीं होने दिया था ..शायद यही वो प्यार था जो अब तक तन्वी दुनिया की नज़र मे सावित्री थी ]
" मुझसे शादी करेगी "
जीत ने उसके माथे पर हाथ फेर कर कहा ..तन्वी एक टक उसकी आँखों मे देख रही थी और अपने डॅड का लंड ज्यों का त्यों उसके मूँह के अंदर फसा था ..बिना किसी हलचल के उसने अपनी पलकें झपकाना छोड़ दिया ..जीत ने आज पेहली बार उसके अंदर ऐसा बदलाव मेहसूस किया ..जो सपने मे भी संभव नहीं आज वो हक़ीक़त मे हो रहा था ..एक बाप का लंड ..जिसे देखना तक बेटी के लिये अपराध समान है ..अभी तन्वी सुन्दर मुखड़े ..रसीले लाल होंठो के अंदर अपनी जगह बनाये हुये था
जीत ने देखा तन्वी की आँखों की किनोर छ्लकने वाली है ..उनमे हल्का पानी उभर आया था ..इस वक़्त दोनो शांत थे और तन्वी तो जैसे जिंदा लाश बनी लेटी थी
आखिर कार वो पल आ गया जब तन्वी की आँखों से मोती झड़ने शुरू हो गये ..जीत चाह कर भी बेबस था ..ना तो उसके हाथो ने तन्वी की गीली पलकें पोंछी ना ही अपने लंड को उसके मूँह से बाहर खीच पाया ..उसके हाथो मे जान ही नहीं बची थी ..एक - एक पल युगो समान बीतने लगा ..बस दोनो एक दूसरे की आँखों मे खोये थे ..तन्वी की आँखों से बहता पानी जीत की जांघो पर मेहसूस होते ही वो सिहर उठा और इसके पेहले उसके लब खुलते तन्वी ने अपने लब खोल दिये ..लंड उसके होंठो की गिरफ्त से आज़ाद हो गया
" डॅड ..प्लीज़ मुझे किसी ऐसी जगह ले चलो जहां मैं आप के अलावा किसी और को नहीं जानू "

तनवी ने अपनी पल्को को आराम दे कर कहा और इस वक़्त जीत की पलकें झपकना बंद हो गयी ..सीन ही कुछ ऐसा था

तनवी की चिन का लास्ट पॉइंट खड़े लंड की जड़ पर टच था और ऊपर सुपाड़ा उसकी माँग के पार निकल गया ..जीत के मूँह से करारी आह निकल गयी ..इतनी विकराल वस्तु तनवी कितने प्यार से अपने मूँह मे छुपा लेती है ..कितना दर्द होता होगा उसे ..' जब हम अपने मूँह मे पूरी उंगली एंटर नही कर पाते तो लंड लेने की औकात ही क्या है ' ..फिर तनवी हर ओरल पर पूरा विकसित लंड कैसे गले के नीचे उतारती होगी ..जीत के सारे सवाल यहाँ आ कर ख़तम हो गये ' यही तो वो प्यार है जो हर दर्द का एहसाह शून्य मे बदल देता है '

उसने तनवी को बाहो से पकड़ कर ऊपर उठने मे मदद की और अपनी छाति से चिपका कर सुबकने लगा

" मैं तो खुद चाहता हूँ तू मुझसे दूर ना जाए ..लेकिन समाज के हाथो मजबूर हूँ ..क्या जवाब दूँगा जब लोग हज़ारो सवाल करेंगे ..क्यों एक बेटी अपने पिता के घर से विदा नही लेना चाहती ..क्या उस बेटी मे कोई कमी है ..या पिता की नीयत मे खोट ..बोल तनवी उस वक़्त क्या जवाब दूँगा मैं ? "

जीत ने उसकी पीठ सहलाते हुए पूछा ..हर बाप की तरह उसे भी अपनी बेटी की फिकर थी ..बस कोई अपने जज़्बात कह कर बयान कर देता है तो किसी मे बोलने की हिम्मत नही होती

" डॅड हमारे पास काफ़ी पैसा है ..क्यों ना किसी ऐसी जगह चले जहाँ आप और मैं शादी कर के खुश रह सकें ..दुनिया की कोई ताक़त हमे अलग ना कर पाए ..फिर कौन करेगा सवाल ? "
bahut khubsurat.
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
तनवी की बात पूरी होने पर जीत की नज़र सामने दीवार की तरफ उठ गयी ..गौर से उसने दीवार पर लगी तस्वीर को देखा और अपना एक हाथ तनवी की पीठ से हटा कर उसी दिशा मे उठा दिया

" तनवी वो करेगी सवाल "

जीत की आवाज़ स्थिर थी ..तनवी ने अपना चेहरा मोड़ कर उसके हाथ के इशारे पर ध्यान दिया ..तस्वीर उसकी मा की थी ..कुछ ना कहते हुए भी जीत आज बहुत गहरी बात कह गया ..अब तनवी के पास कोई और सवाल पूछ्ने को नही बचा

" सब को अपने गुनाह ऊपर कुबूलने पड़ते हैं ..हम दोनो दोषी हैं ..अब इससे ज़्यादा मैं कुछ नही कहूँगा "

जीत ने उसका फेस अपनी तरफ घुमाया ..उसके माथे का चुंबन लिया और तभी घर के मेन डोर पर दस्तक हुई

" लगता है डेलिवरी आ गयी है ..मैं पे कर के आता हूँ "

जीत ने तनवी को अपने बदन से अलग करते हुए कहा ..हल्की सी टाँग मुड़ने पर तनवी की चीख निकल गयी और अनायास ही उसका हाथ अपने चूतड़ो की दरार के अंदर चला गया ..ये वो दर्द था जो अभी थोड़ी देर पहले उसने आस फक्किंग के दौरान झेला था ..उंगली से गान्ड का छेद टच करते ही वो घबरा गयी ..छेद इतना खुल चुका था कि उसकी एक उंगली आराम से अंदर घुस जाती

" दर्द हो रहा है ना ..थोड़ा रुक मैं सब ठीक कर दूँगा ..अभी रिलॅक्स कर और अपना ध्यान उधर से हटाने की कोशिश कर "

तनवी के फेस एक्सप्रेशन से जीत उसके पेन को समझ गया ..वो जानता था कि चुदाई के तुरंत बाद तो दर्द महसूस नही होता ..लेकिन जब खुमारी पूरी तरह से छ्ट जाती है तो दर्द झिलाए नही झिलता ..आस फक करने के बाद ना तो तनवी ने अंदर भरा वीर्य सॉफ किया था ना कि कोई ख़ास बॉडी मूव्मेंट ..शायद वीर्य सूखने से छेद की स्किन टाइट हो गयी थी जो पेन होने मेन रीज़न भी था

" ओके "

तनवी ने अपना बदन ढीला छोड़ कर कहा और जीत वॉर्डरोब से पैसे निकाल कर रूम से बाहर जाने लगा

" डॅड टवल तो लपेट लो "

इसी उधेड़ बुन मे जीत को अहसास ही नही रहा था कि वो नंगा ही डेलिवरी लेने जा रहा था ..तनवी अपने मूँह पर हाथ रख कर हसणे लगी जिससे जीत के चेहरे पर भी स्माइल आ गयी ..लंड अभी भी काफ़ी कठोर अवस्था मे था ..हॅंगर से टवल उतार कर उसने निचला धड़ च्छुपाया लेकिन लंड का उबार च्छूपना असंभव जान पड़ा

" कोई बात नही अब रात मे इंसान की ऐसी हालत नही होगी तो कब होगी "

जीत ने तनवी को आँख मारी और मेन गेट की तरफ बढ़ गया

गेट खोल कर देखा तो एक नौजवान हाथ मे पार्सल लिए खड़ा था

" गुड ईव्निंग सर ..युवर कॉंटिनेंटल ऑर्डर ईज़ रेडी "

जीत के इस तरह काली टवल लपेटे होने से उसे झटका तो लगा लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई ख़ास भाव नही आने दिए

" हाउ मच ? "

जीत ने हाथ मे पकड़े पैसे दिखा कर पूछा

डी. बॉय :- " 2750/- सर "

जीत ने उसे 1000 के 3 नोट दिए तो वो चेंज वापस देने के लिए अपनी पॉकेट टटोलने लगा

" इट्स ओके &; कीप ते चेंज "

जीत ने उसे अच्छी ख़ासी टिप दे दी ..या यू कहिए उसे जल्दी थी तनवी के पास वापस जाने की

" थॅंक यू सर ..हॅव आ सेक्सी नाइट "

लड़के ने इतना बोला और तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरने लगा ..वहीं उसके ग्रीट से जीत का मूँह खुला रह गया

" शायद इसी बात की इतनी टिप लेते हैं ..सेक्सी नाइट
jabardast
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
जीत के चेहरे पर स्माइल आ गयी और मेन डोर लॉक कर उसने पार्सल हॉल की टेबल पर रख दिया

" तनवी डिन्नर करेगी या पहले शवर लेना है ? "

जीत ने हॉल से तनवी को आवाज़ दी

" शवर ठीक रहेगा डॅड ..बट मुझे ले के तो जाओ ..मैं चल नही पाउन्गि "

तनवी की आवाज़ मे दर्द था जिसे सुन कर जीत बेडरूम मे आ गया

" ओके ले चलता हूँ "

हाथ मे उस नाज़ुक कली को उठाने मे आज जीत को पसीने आ गये

" ह्म्‍म्म्मम....... तू अब बहुत भारी हो गयी है "

जैसे - तैसे ताक़त लगा कर जीत ने उसे अपनी गोद मे उठाया और बाथ रूम की तरफ जाने लगा

" अच्छा !!!!!!!!! अभी जो मेरी आस फक की तब तो कुछ नही बोला ..उस वक़्त तो मैं आप के ऊपर बैठी थी "

तनवी ने अपनी बाहें जीत के गले मे डाल कर कहा साथ ही वो अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी बियर्ड चाटने लगी

" उस वक़्त मैं जोश मे था ..लेकिन अब नही "

जीत बाथ - रूम के अंदर आ कर बोला

" झुटे !!!!!!! ..वो तो टवल के अंदर दिख रहा है मुझे कितना जोश अभी बाकी है "

तनवी ने शरारत भरे अंदाज़ मे उसका टवल खीच दिया और खिल खिला कर हसणे लगी

" शैतानी मत कर और आराम से खड़ी हो जा ..मैं टब मे हल्का गरम पानी भरता हूँ "

जीत ने उसे गोद से उतार कर दीवार के सहारे खड़ा कर दिया साथ ही उसका हाथ टॅप पर रखा ..ताकि वो गिरने से बची रहे

कुछ देर बाद तनवी की टाँगो मे बेहद दर्द होना शुरू हो गया और वो अपने चूतड़ो को बाहर की तरफ निकाल कर खड़ी होने लगी ..हल्का झुकने पर गान्ड की दरार खुल गयी और ऐसे खड़े होने मे उसे पहले से ज़्यादा रिलॅक्स महसूस हुआ

" डॅड बी क्विक ..मुझसे अब और खड़ा नही रहा जाएगा ..आप ने सच मच मेरी गांद फाड़ दी है "

तनवी ने चीखते हुए कहा ..चाहे ये उसका नया नाटक हो या सच मे उठ ता दर्द

जीत तुरंत उसके पास आया और फ्लोर पर घुटनो के बल बैठ कर उसके आस चीक'स चूमने लगा ..ऐसा करने की वजह तनवी का ध्यान कुछ पल के लिए दर्द से हटाना था और वो गिर ना पड़े इसलिए जीत ने उसे अपने हाथो से थाम भी रखा था

" तेरे चूतड़ो पर तो मैं फिदा हो गया तनवी ..मन कर रहा है इन्हे कच्चा चबा जाउ "

मज़ाक शुरू करते हुए जीत उसके चूतड़ो पर जीभ से गुदगुदी करने लगा लगा ..टब फुल होने मे अभी वक़्त था

" औचह !!!!!!!!! .......अच्छा जी तो आप आदम खोर भी हैं ? "

तनवी चूतड़ो को और भी ज़्यादा बाहर निकालते हुई बोली

" तू भी कम नही है ..मुझसे पूछ मेरा क्या हाल होता है ..एक बार लंड चूसना चालू कर दे तो तब तक नही छोड़ती जब तक उसे पूरी तरह से निच्चोड़ कर ना रख दे ..कभी - कभी तो लगता है लंड अगली बार खड़ा ही नही हो पाएगा ..अब बोल असली आदम खोर मैं हू या तू ? "

जीत ने चूतड़ो पर चपत लगा कर कहा ..सच ही तो कहा था उसने ..तनवी एक बार उसके लंड से चिपक गयी तो मज़ाल है जीत उसे रोक पाए ..झाड़ा - झाड़ा कर उसके प्राण लेने पर उतारू हो जाती है

" तो मैं क्या करूँ ..कोई और ऑप्षन तो आप ने छोड़ा नही सकिंग के अलावा ..तभी अपने मूँह से इतना प्यार करती हूँ ..डॅड मैं ये तो नही जानती कि आप उस वक़्त कैसा फील करते होंगे बट मुझे आप का लंड चूसने मे बड़ा मज़ा आता है "

तनवी अपना चेहरा दीवार की तरफ मोड़ कर बोली ..ब्लो जॉब देते वक़्त तो मज़ा आता है लेकिन बोलते वक़्त शरमाहट और शायद यही वो फील है जो इन्सेस्ट सेक्स को एक अलग चर्म देता है

" हे हे हे हे ..अब तो मेरे पास दो ऑप्षन हो गये "

जीत ने अपनी मिड्ल फिंगर गान्ड के छेद से टिका कर कहा तो तनवी उच्छल पड़ी ..एका एक उसने अपने आस चीक बंद कर लिए और स्ट्रेट खड़ी होने लगी

" नो वे डॅड ..लंड चुसवाने मे सुखी रहना हो तो बोलो क्यों कि अब मैं आप की कोई और बात नही मान ने वाली "

तनवी ने चेहरा तो पीछे नही घुमाया बस अपनी उंगली दिखा कर जीत को डराने का नाटक करने लगी

" चल जैसी तेरी मर्ज़ी ..लेकिन अगर कल से गान्ड मे खुजली होने लगे तो फिर मत कहना कि मैं तैयार हूँ "
jakhash.
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
जीत एक्सपीरियेन्स्ड मॅन था ..जानता था कि एक बार चूत या गांद की दमदार चुदाई हो जाने के बात औरत खुद मचलने लगी है अगली थुकायी के लिए ..फिर तनवी कैसे से बच पाती

" नही कहूँगी ..प्रॉमिस ..देखो टब कब से फुल हो गया ..और आप बेवजह मुझे खड़े रखे हुए हैं "

तनवी के कहने पर जीत का ध्यान टब पर गया जिसमे से पानी बह कर फ्लोर गीला कर रहा था

" सॉरी सॉरी ..वो तुझे बातों मे लगाने के च्चकर मे ..मैं खुद भी खो गया था "

जीत ने खड़े हो कर कहा और तनवी को सहारा दे कर तब के नज़दीक आ गया

" अब क्या विचार है ..नहलाओगे क्या मुझे ? "

सवालिया तरीके से तनवी ने पूछा

" हां नहलाउन्गा और तेरी गांद के छेद की सिकाई भी करूँगा ..ताकि पेन ख़तम हो जाए "

जीत बाथ टब मे लेट ते हुए बोला ..साथ ही तनवी भी 69 की पोज़िशन बना कर टब मे उतर गयी ....

जीत ने अपना सर टब की ऊपरी सतह पर टिका रखा था और हाथो से चूतड़ो की दरार खोल कर हल्के गरम पानी के छिंट छेद पर मारने लगा

" आईईईईईईई !!!!!! डॅड ....... दुख़्ता है "

तनवी सिसक कर बोली ..पर जीत ने उसकी बात को अनसुना कर अपनी उंगली से छेद के ऊपरी भाग की मालिश करने लगा ..भीषण चुदाई से छेद पर सूजन आ गयी थी और वो पहले से ज़्यादा खुल चुका था ..राउंड शेप मे अपनी उंगली से मसाज करते टाइम जीत तनवी की सेवा मे खो सा गया था और थोड़ी देर की घिसाई के बाद शूखा वीर्य लिसलिसे पदार्थ मे तब्दील होने लगा

" टेन्षन लेने की कोई बात नही अब सब ठीक है "

जीत ने इतना कह कर अपने मूँह मे गरम पानी भरा और एक पिचकारी सी छ्चोड़ते हुए छेद की सफाई करने मे जुट गया ..लेकिन तनवी लगातार अपने चूतड़ो को मटकाए जा रही थी जिस वजह जीत की उंगली कयि बार छेद के अंदर ठोकर देने लगती

" डॅड ..नाउ आइ'म रिलॅक्स्ड ..अब डिन्नर कर लेते हैं "

तनवी से कंट्रोल करना मुश्क़िल होने लगा तो उसने झूट बोल कर टब से बाहर निकलना चाहा लेकिन जीत ने अपने हाथो की पकड़ उसके मुलायम चूतड़ो पर कस दी और अपना चेहरा दरार मे फिट कर लिया

गंदगी निकल जाने से छेद की खूबसूरती बढ़ गयी थी ..जीत ने अपनी नाक छेद से लगा कर उसे सूँघा तो पानी के अंदर उसके लंड ने हरकत मे आना शुरू कर दिया

" एक बात कहूँ तनवी ? "

जीत ने देखा छेद वापस सिकुड़ने लगा है ..सुगंध की खुमारी मे मदहोश हो कर जीत ने अपने होंठ आगे बढ़ा कर छेद पर डीप किस लेने शुरू कर दिए

" डॅड !!!!!!!!! .......कहिए "

तरराय आवाज़ मे तनवी ने जवाब दिया ..वो अब मस्त थी

" निकुंज तुझे पसंद तो है ना ? "

बोलने के तुरंत बाद जीत फिर से छेद चूमने लगा ..तनवी के पेन ख़तम होने का पता उसकी बहती चूत देख कर चल गया

" ज ..जी पता नही "

तनवी ने अपने निपल मरोडते हुए कहा ..उसकी आवाज़ मे होता कंम्पण सूचक था कि वो अब गरम होने लगी थी

" फिर भी तूने कुछ तो सोच कर शादी का फ़ैसला किया होगा "

जीत ने चूत से टपकती बूँद को अपनी खुरदूरी जीभ से चाट ते हुए कहा ..बाद मे कयि बार नीचे से ऊपर जीभ घुमाते हुए वो पूरी दरार चाटने भिड़ गया

" इसी शहेर मे रहूंगी ..आप के पास ..और फिर दीप अंकल आप के दोस्त भी तो हैं "

तनवी ने जीत का लंड टटोल कर देखा जो पानी के काफ़ी अंदर था ..वो सकिंग तो नही कर सकती थी पर अपना हाथ पानी मे डाल कर लंड हिलाने लगी

" और कोई ख़ास वजह तो नही है ना "

अब जीत पूरी तत्परता और तेज़ी के साथ छेद पर अपनी जीब के नुकीले वार करने लगा ..चूत के दाने को अपनी उंगलियों से भीच कर वो तनवी को आह भरने पर मजबूर कर देता ..वहीं पानी के अंदर तनवी का हाथ काफ़ी स्पीड से लंड मुठिया रहा था ..कुछ ही पॅलो मे जीत तनवी के हाथो हार गया और लंड से वीर्य की पिचकारी छूटने लगी ..स्पर्म के रेशे पानी मे तैर कर ऊपर आ गये ..फिर तनवी भी ज़्यादा देर एग्ज़ाइट्मेंट सहेन नही कर पाई और जीत की जीभ चूत पर पड़ते ही उसका 3र्ड ऑर्गॅज़म हो गया ..जीत झड़ती चूत पर होंठ लगा कर रस खीचने लगा और दोनो हंपियाँ लेते हुए सुस्त पड़ गये

" नही डॅड ऐसी कोई ख़ास वजह नही "

तनवी अब रिलॅक्स हो कर पेन से बाहर आ गयी थी और टब से निकल कर दोनो ने थोड़ी देर शवर का मज़ा लिया ..फिर डिन्नर कर के एक दूसरे की बाहों मे ही सो गये....
jaandaar
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
पापी परिवार--26

" चेंज मैं खुद कर लूँगी "

निक्की ने अपना चेहरा झुका कर कहा ..ऑर्गॅज़म के बाद उसकी पैंटी लोवर पूरी तरह से गीले थे और यहाँ उसे कम्मो से ख़तरा हो जाता

" पागल तू अपनी नी मोड़ नही सकती ..चेंज क्या खाक करेगी "

उस वक़्त शायद निकुंज के जहेन से ऑर्गॅज़म वाली बात चली गयी ..तभी उसे निक्की का इशारा समझ नही आया

" भाई मैं कर लूँगी आप जाओ ..लेकिन गेट बाहर से लॉक कर देना मैं तो उठ नही पाउन्गि "

निक्की ने उसे फिर से समझाया

" निक्की मैं कह रहा हूँ ना मोम से चेंज करवा लेना ..तेरे घुटने मे दर्द होगा बेटा "

थोड़ी नाराज़गी और थोड़े प्यार ने निक्की को मजबूर कर दिया कि वो असलियत से अपने भाई को रूबरू करवाए ..इस वक़्त उसका अनुमान सही बैठा कि निकुंज बीती बात भूल चुका है

" भाई मेरे यहाँ ..आप जाओ मैं कर लूँगी "

बेहद धीमी आवाज़ मे उसने शरमाते हुए उंगली का इशारा अपनी टाँगो की जड़ पर किया ..निकुंज के लिए तो ये किसी आटम बॉम्ब फटने जैसा था और उसने तुरंत अपनी नज़रे बहेन की टाँगो की जड़ से दूर कर ली

" ओके ..मैं जा रहा हूँ ..टेक केअर !!!!! "

अभी निकुंज दो कदम डोर भी नही जा पाया कि निक्की ने उसे वापस रोकने के लिए आवाज़ दी

" भाई वॉर्डरोब से मेरे नये कपड़े तो निकाल दो और एक शीट भी दे देना ..कवर करके चेंज कर लूँगी "

निक्की की बात सुन कर निकुंज ने वॉर्डरोब खोला और एक - एक कर सारे रॅक्स चेक करने लगा

" तेरे पास कोई कॅप्री नही है क्या ? "

बिना मुड़े निकुंज ने पूछा

निक्की :- " नही है ..कल दो लोवर लिए थे आप दूसरा वाला दे दो "

" कपड़ा रब होने से चोट ठीक होने मे डबल टाइम लगेगा ..तू रुक मैं अभी आया "

इतना बोल कर निकुंज दौड़ता हुआ रूम से बाहर निकल गया

बाहर आ कर उसी तेज़ी से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए वो अपनी छोटी बहेन निम्मी के कमरे मे एंटर हुआ और उसके वॉर्डरोब से एक लाइट ब्लू फ्रोक ( अटॅच्ड टॉप ) उठा कर वापस निक्की के कमरे मे लौट आया

" ले ये ठीक रहेगा ..अब मैं चलता हूँ "

फ्रोक बेड पर फैंकते हुए निकुंज वापस जाने लगा

" भाई ये तो बहुत छोटी है ..आइ मीन मैं नही पहेन सकती इसे "

जल्दबाज़ी मे निकुंज ने फ्रोक चेक नही की थी और जैसे ही निक्की के कहने पर वो उसकी तरफ मुड़ा ..उसकी आँखें चौंधिया गयी ..फ्रोक वाकाई निम्मी के मतलब की ही थी

" म ..मैने इसकी लेंग्थ चेक नही की ..खेर तू पहेन ले ..रिलॅक्स ही तो करना है ..ओ हां !!!!! शीट भी देता हूँ "

टेबल पर रखी चादर उसने निक्की को थमा दी

" और अंदर पहेन्ने के लिए...... "

बोलते वक़्त निक्की की आधी बात उसके गले से बाहर नही निकल पाई ..उसका इशारा पैंटी से था

" कहाँ है ? "

निकुंज को तो झटके पर झटके लग रहे थे ..फिर भी उसने खुद को नॉर्मल बनाए रखते हुए पूछा

" बाथ रूम मे "

निकुंज बोझल कदमो से बाथ - रूम मे चला गया ..हॅंगर पर उसकी बहेन की 2 पॅंटीस सूख रही थी

" बस बहुत हुआ अब मैं इससे दूरियाँ बना लूँगा ..मुझे कुछ नही जानना ..क्यों कब कैसे क्या हुआ ..ये सब पाप है ..जान कर किया जाने वाला पाप "

निकुंज का मन अशांत तो था ही ..जाने क्यों अब उसके दिल मे टीस भी उठने लगी थी ..जो पिच्छले 20 - 22 सालो मे नही हुआ ..इन दो दिनो मे उसने कितना कुछ देख लिया था ..एक सीमा होती है ऐसे रिश्तो मे और उस सीमा को लाँघ कर सिर्फ़ वासना पूरी की जा सकती है वरण प्रेम के

निकुंज ने ऐसा सोच कर हॅंगर से एक सूखी पैंटी उतार ली ..इस वक़्त उसे ये भी ग्यान नही था कि पैंटी का रंग कौन सा है ..शायद पापी दिमाग़ पर उसके दिल का क़ब्ज़ा होने लगा था

" ये ले "

कोमल पैंटी को मरोड़ कर अपनी कठोर हथेली मे भीचते हुए निकुंज कमरे मे दाखिल हुआ ..झुका चेहरा ग्लानि भाव से विह्वल ..निक्की की हालत भी कुछ ठीक नही थी ..चादर से अपना ऊपरी जिस्म ढकते हुए फ्रोक उसने शीट के अंदर कर ली थी

" ये ले बेटा हल्दी वाला दूध "

अचानक से कम्मो ने कमरे मे प्रवेश किया ..जिससे दोनो भाई - बेहन और भी ज़्यादा घबरा गये ..भला हो निकुंज ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी को हथेली मे काफ़ी हद्द तक छुपा रखा था वरना आज तो अच्छा ख़ास कलेश हो जाता ..वहीं निक्की की चादर से फ्रोक का अंश मात्र भी कम्मो को दिखाई नही पड़ा

" निकुंज ड्र. को फोन किया तूने ? "

कम्मो ने निक्की के सिराहने बैठते हुए पूछा ..इस वक़्त उसकी निगाहें अपनी बेटी के होश उड़े सफेद चेहरे पर जमी थी ..हलाकी कम्मो की नज़रो ( देखने ) मे उस वक़्त कोई शक़ नही था लेकिन निक्की तो जैसे मरने की हालत मे आ गयी थी

" नो मोम मैं सही हूँ ..आंटिबयाटिक यूज़ कर लूँगी ..चोट ज़्यादा नही लगी ..क्यों भाई ठीक कहा ना मैने ? "

निक्की ने बात निकुंज पर माढ़ते हुए कहा ..जिससे कम्मो का चेहरा निकुंज की तरफ मुड़ने लगा

" ह ..हां मोम ..ये सही कह रही है ..चोट ज़्यादा नही ..मैं आज ऑफीस नही जाउन्गा बस थोड़ी फाइल्स कंप्लीट करनी है ..अपने रूम मे हूँ ..कोई बात हो तो आवाज़ दे दीजिएगा "

हड़बड़ी मे निकुंज ने सारी बात कही और अपने शॉर्ट्स मे हाथ डाल कर पैंटी को पॉकेट मे छोड़ दिया

" ओके ..तेरे डॅड भी आने वाले होंगे ..ब्रेकफास्ट बना देती हूँ ..निक्की ये दूध पीले फिर निकुंज से पट्टी बँधवा लेना "

इतना कह कर कम्मो ने दूध वाला ग्लास निक्की के हाथ मे दे दिया और दोनो मा - बेटे कमरे से बाहर निकल गये ....

शिवानी को हॉस्टिल ड्रॉप करने के बाद दीप वापस अपने ऑफीस लौट आया ..रात भर से सोया नही था तो बेड पर गिरते ही उसे नींद ने अपने आगोश मे खीच लिया

लगभग 2 घंटे बाद पूरा गेस्ट रूम उसकी चीख से गूँज उठा ..शायद उसने कोई भयानक सपना देखा होगा

" नही - नही ये पासिबल नही ..मेरी दोनो बेटियाँ और मेरी बीवी इस तरह नंगी हो कर मुझे नही रिझा सकती ..आईईईईईईई ..निम्मी बाहर निकाल मेरा लंड अपने मूँह से "

सपने से बाहर निकल कर दीप अपने बाल नोचने लगा ..उसके पूरे चेहरे पर पसीना और वो बुरी तरह काँप रहा था
jordaar
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
[ सपना क्या था ये जान लेते हैं :-

एक रात दीप नशे मे घर लौटा तो घर की तीनो औरतें बड़े मादक अंदाज़ मे उसे घूर्ने लगी ..ये देख कर वो तेज़ी से अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ा ..जल्दी से पहने हुए कपड़े उतारे और जैसे ही न्यू बॉक्सर उठाया ..गेट खोल कर तीनो अप्सराएँ उसका ध्यान भंग करने के लिए रूम मे आ धमकी

कम्मो ट्रॅन्स्परेंट नाइटी मे ..निक्की ने बेहद शॉर्ट स्कर्ट आंड ब्लू थ्रेड ब्रा पहेन रखा था और ऐजुल निम्मी सिर्फ़ पैंटी मे आई थी

" बेटा तुम्हारे डॅड तक गये होंगे ..इनकी थकान उतारने मे मदद करो "

कम्मो का इशारा होते ही दीप की दोनो बेटियाँ बाज़ की तरह उस पर झपट पड़ी ..उसे बेड पर गिरा कर निक्की ने मजबूती से उसके हाथ को थाम लिया और निम्मी ने टाँगो का रुख़ करते हुए उसकी ब्रीफ नीचे खीच दी

" शब्बाश !!!!!!! ..ऐसे ही ..लगी रहो "

कम्मो दूर खड़ी तालियाँ बजाने लगी ..दीप ने कुछ देर तो अपने हाथ - पैर फटकारे लेकिन नशे मे डूबे होने की वहज से जल्दी ही सुस्त पड़ गया

" दी देख डॅड का लंड कितना बड़ा है ..इसे खड़ा कर दू ? "

निम्मी ने मूरजाए लंड को अपने हाथ की मुट्ठी मे दबोच कर कहा ..उसकी आँखों मे चमक थी और बड़ी नॉटी स्माइल दे कर हस रही थी ..ऐज नेचर उसने झिझकना तो कभी सीखा ही नही था

" पर ये खड़ा कैसे होगा निम्मी ? "

निक्की ने भोलेपन से अपनी छोटी बहेन निम्मी से पूछा ..यहाँ सपने मे भी दीप अपनी बड़ी बेटी का वही रूप देख रहा था जो हक़ीक़त मे है ..शरमाया ..भोला ..मासूम सा चेहरा ..अदाएँ भी बुझी - बुझी सी

" दी इसे चूस कर खड़ा करूँगी ..मोम चूस लू ना ? "

निम्मी ने अपनी आधी बात निक्की की तरफ और आधी कम्मो की तरफ देख कर कही ..जैसे अपनी मोम से लंड चूसने की इजाज़त माँग रही हो

" हां निम्मी ये आज मेरी दोनो बेटियों के लिए है ..जी भर के चूसो ..मज़े करो "

इतना कह कर कम्मो ने अपनी ट्रॅन्स्परेंट नाइटी उतार फेकि ..नाइटी के अंदर वो न्यूड थी और फिर अपने मोटे - मोटे गोल चूतड़ो को मतकाते हुए वो भी बेड पर आ कर बैठ गयी

" निक्की तू अपनी पैंटी उतार कर डॅड के मूँह पर बैठ जा और निम्मी तू इनका लंड चूसना शुरू कर ..आज मैं अपनी दोनो बेटियों को फूल से कली बनाउन्गि "

कम्मो ने निक्की को बेड पर खड़ा करते हुए कहा ..अपनी उंगलियों से पहले तो उसने वर्जिन चूत को थोड़ी देर सहलाया फिर झटके से पैंटी नीचे खीच दी

" मोम मुझे शरम आ रही है "

निक्की ने थोड़ा पीछे हट कर स्कर्ट नीचे खिसकाई और एक टक अपनी मा को देखने लगी ..इस वक़्त वो लाज से पानी - पानी थी ..खुद दीप भी निक्की के फेस पर शरमाहट के भाव देख रहा था

" अपने डॅड से कैसा शरमाना बेटी ..चल अब बैठ जा इनके मूँह पर ..चटवा दे अपनी कुँवारी चूत की फाँकें "

कम्मो निक्की का हाथ पकड़ कर उसे दीप के पास खीच लाई और उसकी दोनो टांगे अपने पति के चेहरे के आजू - बाजू से निकालते हुए निक्की को उसके मूँह पर बिठाने लगी ..डीप फटी आँखों से अपनी बड़ी बेटी के चूतड़ो को फैलते हुए देख रहा था ..धीरे - धीरे निक्की के घुटने मुड़ने लगे और उसकी कुँवारी चूत का फुलाव दीप के लिए क्लियर हो गया

" चल निम्मी डाल ले अपने डॅड का लंड मूँह मे और चूस जा इसका सारा अमृत "

कम्मो बड़ी बेसबर हो कर बोली ..यहाँ बड़ी बेटी के योवन ने दीप के कुशक होंठो को छुआ और दूसरी तरफ छोटी बेटी ने सुपाडे पर अपनी गीली खुरदूरी जीभ की रगड़ दे दी ..मस्ती मे दीप पागल सा हो गया और उसकी चीख से इस बुरे सपने का अंत ]

.

.

.

.

.

" ये संभव नही ..हे भगवान मैं क्या करू ..बस दिन रात मुझे यही क्यों सूझता रहता है ..मेरी दोनो बेटी इतनी बड़ी छिनाल बनने वाली हैं ..फक !!!!!! ..कहीं ये शिवानी का श्राप तो नही"

दीप का लंड पॅंट मे फुल हिलोरे ले रहा था ..अपनी नज़र खड़े लौडे पर डाल कर दीप हैरान रह गया

" क्या सच मे ऐसा होगा ..नही - नही मैं ऐसा हरगिज़ नही होने दूँगा ..बेटीचोद का आरोप कभी नही लग सकता मुझ पर ..निम्मी के बारे मे कहना ज़रा मुश्क़िल है लेकिन निक्की ..बिल्कुल नही ..हरामजादि तनवी ..तेरी तो मैं मा चोद दूँगा ..तेरे रंग मे रंग कर ज़रूर ऐसा हो जाएगा ..पर मैं करूँ भी तो क्या ? "

बौखलाया दीप सोचने लगा कि होटेल मे कैसे तनवी और निकुंज हस - हस कर बातें कर रहे थे ..इससे ये तो तय था कि दोनो ने एक - दूसरे को पसंद कर लिया है पर दीप के दिमाग़ मे इतनी बात नही आ पा रही थी कि उस छिनाल को अपने घर मे आने से कैसे रोका जाए

" कोई और लड़की ढूँढनी पड़ेगी मुझे ..तनवी का जादू अपने बेटे के जहेन से मिटाना होगा ..लेकिन इतनी जल्दी कोई रिश्ता मिलेगा ..पता नही "

दीप ख़यालो की दुनिया मे खोने लगा ..आज तक उसने अपने बिज़्नेस के ज़रिए जीतने भी नये और स्ट्रॉंग रीलेशन'स बनाए थे ..एक एक कर हर चेहरा उसकी नज़रो के सामने आता लेकिन जिस चीज़ की उसे तलाश थी वो पूरी होना उसे असंभव सा जान पड़ा

आख़िर कार पिच्छले वक़्त से हट कर उसके जहेन मे बीती रात का ख़याल आया

" शिवानी !!!!!! "

तुरंत ही दीप ने अपना मोबाइल उठाया और बिहारी को कॉल करने लगा

" मादरचोद दल्ले फोन उठा "

2 - 3 बार फुल रिंग जाने पर जब कॉल पिक नही हुआ तो दीप के मूँह से गाली निकलना शुरू हो गयी

" एक लास्ट बार ट्राइ करता हूँ ..काश लड़की से ही उसका नंबर ले लिया होता "

उसने एक बार फिर से कॉल किया और इस बार बिहारी ने फोन उठा लिया

" हां सरकार कहिए ? "

बिहारी इस वक़्त नींद मे था और ये बात दीप के कान समझ गये

" मेरे ऑफीस आजा फटाफट ..कुछ ज़रूरी काम है "

दीप ने अपने बात ज़ारी रखते हुए कहा

" इस वक़्त !!!!! ..फोन पर ही बता दीजिए सरकार "

बिहारी ने जवाब दिया

" नही !!!!! ..काम मिलने के बाद ही पूरा होगा ..मैं तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ ..30 मीं मे आ जा "

दीप चाहता तो फोन पर ही उससे शिवानी का नंबर. माँग लेता लेकिन थोड़ा अजीब लगता और इससे लड़की की ज़्यादा बदनामी हो सकती थी

" जी बंदा अभी हाज़िर होता है "

इतना सुन कर दीप ने कॉल कट कर दिया और बेड पर लेट कर अपने मन मे उठते तर्क - वितर्क पर विचार शुरू कर दिए
dhanshu
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
" तनवी और शिवानी !!!!!! "

बड़ा अजीब संयोग कहा जाएगा की दोनो लड़कियाँ डीप के जहें मे अपनी च्चप छ्चोड़ चुकी थी ..मात्रा मॅन से नही अपितु उनके तंन से ..उनके त्रिया चरित्रा से भी

पहली मुलाक़ात मे ही डीप ने तनवी को बेहद बोल्ड या यूँ कहें ' बिना मजबूरी की वैश्या ' जाना ...किस तरह दोनो उसके बचपन के दोस्त जीत के ओपन कॅबिन मे आमने - सामने आए थे ..हलाकी शुरूवाती दौर चुंबन या ऊपरी शारीरिक च्छेद छ्छाद से स्टार्ट होना चाहिए लेकिन तनवी का ऐसा साहसिक कदम ( जो लड़कियों मे अक्सर डीप को पसंद आता है ) देख कर डीप हैरत वा सकते मे आ गया था ..पहली ही मुलाQअत मे जिस तरह तनवी ने उसे ब्लोवजोब का सुख दिया उसके एहसास से डीप के जहें मे सिर्फ़ एक ही ख़याल आया था ' वो दिन डोर नही जब ये लड़की बिस्तर पर मेरे नीचे होगी '

मॅन मे काई तरह की लालसाएँ लिए डीप तनवी को पाने के खातिर बैचाईन हो उठा और इसी पशोपेश के बीच जानम लिया निम्मी के सोचे - समझे नाटक ने

उसी दिन विचलित डीप ने घर लौट कर अपनी छोटी बेटी के दर्द का निवारण उसकी कुँवारी योनि और मांसल सिकुदे गुदा द्वार को चाट कर करना चाहा ..सग़ी बेटी के जिसम मे उसे रूह तो निम्मी की नज़र आई लेकिन बदन तनवी का ..अगर निम्मी वक़्त रहते खुद पर काबू नही करती तो उस दिन डीप आवश्या उससे यों संबंद स्थापित कर लेता

वहीं दूसरी तरफ डीप ने शिवानी के बारे मे सोचा ..तनवी की च्चव के आयेज तो ये लड़की आधी भी नही थी ..अपने खोए प्यार को पाने की लालसा के वशीभूत, एक रात की रंडी बन कर डीप के पास आई थी

अगर सच माने तो इस वक़्त डीप के अंतर्मन मे शिवानी के लिए अथाह प्रेम बरस रहा था ..ग्लानि भाव के साथ

.
damdaar
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
पापी परिवार--28

दीप के मन मे एक नयी लालसा ने जनम लिया ..अपनी टांगे फैलाते हुए वो कम्मो के बदन पर लेटने लगा और इसके तुरंत बाद ही उसने अपनी हथेलियो से उसकी दोनो चूचियाँ थाम ली ..उनका कॅडॅक्पन देखते ही बनता था ..नाज़ुक बलखाती कमर के ऊपर सजे भारी भरकम स्तन किसी नौपुन्सक का भी मन परिवर्तित करने को काफ़ी थे ..और जिग्यासावस उसने दोनो चूचियों को मसलना शुरू कर दिया

हल्की - हल्की मरोड़ पा कर कम्मो तलबगार होने लगी ..उसके ढीले शरीर पर नयी हलचल का संचार हुआ ..नीचे दीप का लंड अपनी मोटाई लिए चूत के संकीरान और बुरी तरह से चिपके अन्द्रुनि मार्ग पर और आगे जाने का रास्ता खोजने के प्रयास मे लगा हुआ था

" अब चाहो तो शुरू कर सकते हैं "

दीप ने देखा कम्मो अपने निचले होंठ को बेरहमी से दांतो मे भीच रही थी ..उसकी नाक के नथुये फूल कर तेज़ी से साँसे अंदर बाहर कर रहे थे ..दीप की बात का जवाब उसकी हरक़तों ने दे दिया और तभी वो प्रचंडता से उसकी योनि रोन्दने लगा

" उंह !!!! "

कम्मो की आवाज़ दब कर रह गयी ..दीप की खुरदूरी जीभ उसकी थोड़ी चाट ती हुई होंठो पर घूमने लगी ..कम्मो की हालत अब बिन पानी की मछली से ज़्यादा दूर नही बची ..तड़प महसूस कर उसने अपने हाथो से दीप का चेहरा थाम लिया और बेतहासा उसके मुख को चूमने लगी

" हां ..मैं प्यासी हूँ ..सदेव मन इस अवस्था का अभिलाषी रहा है ..मजबूरी वश हम अलग हुए ..नष्ट होना चाहती हूँ आप की मजबूत बाहों मे ..जी भर कर मेरा दुलार करो ..मैं आप के अंदर समा जाना चाहती हूँ "

कम्मो के मूँह से शब्दो का कारवाँ निकलने लगा ..निश्चित ही वो इस रोमांच को सह नही पा रही थी ..हर धक्का उसकी सांकरी योनि को चीरते हुए उसके गर्भाशय को भेदने लगा

घनी झान्टो की छिलन लंड की खाल पर होने से दीप को एक अलग तरह के आनंद का आभास हो रहा था ..बिना रुके उसने अपनी रफ़्तार शीघ्रता से बढ़ा ली ..हर झटके पर वो उसकी चूचियों को कठोरता से अपने हाथो मे कसता जाता ..जैसे किसी ऑटो का ' भोंपु ' बजा रहा हो

" ओह !!!! मैं आने मे हूँ "

अपने स्खलन के सीमाछेत्र को पार करते हुए कम्मो का बदन अकड़ने लगा ..धनुषकार होती हुई वो दीप से लिपट गयी ..अपने नुकीले निप्पलो को दीप की छाती पर इस तरह धसाया कि दीप की आह से पूरा कमरा गूँज उठा ..हलाकी इस वक़्त निम्मी के घर पर ना होने से उन्हे कोई चिंता नही थी ..लेकिन इस तरह से दोनो आपस मे कभी गुथे भी तो नही थे

" ह्म्‍म्म्ममम !!!!!!! "

मार्मिक सीत्कार भरते हुए कम्मो ने अपनी टांगे दीप के कूल्हों पर लपेट ली और इस नश्वर संसार की दोज़ख़् बाहरी ज़िंदगी से स्वर्ग के सुदूर भ्रमण पर निकल गयी ..आनंद और काम के सागर मे गहरे गोते लगाने लगी

दीप भी इस अदुतीय मिलन का साक्षी बनने वाला था ..वीर्यपात के काफ़ी नज़दीक ..हैरत भरी नज़रों से उसने अपने जहेन मे झाँका ..आज तो बरसो बाद वो इतनी जल्दी झड़ने को मजबूर हुआ था

" कैसे !!!!! "

अंतर मन ने उसे इसका उत्तर दिया ' आज से पत्नी विमुख होना छोड़ दे ..कितनी प्यासी है तेरी स्त्री ..हर सुख जो पराई औरतो को सौंपता आया है ..आज से नयी शुरूवात कर ..माफी ज़रूर मिलेगी ..पश्चाताप की अग्नि मे जलने की कोशिश तो कर '

दीप के मन मे उठी बातो का नजीता रहा ..उसके अंडकोष झुलस गये ..लावा लंड से बाहर निकलने की हठ करने लगा ..रुकना उसके बस से बाहर हो गया और अगले ही पल अपने वीर्य से बरसो बाद उसने कम्मो का गर्भाशय पूरी तरह से सींच दिया

ज़ोरदार आलिंगन लेते हुए दोनो एक दूसरे मे खुद को समाने लगे और रज से वीर्य का मिलन चूत से बह कर बिस्तर पर बिछि चादर को भिगोने लगा ....

.

.

.जब कम्मो और दीप के कमरे मे तूफान आना शुरू हुआ तभी निक्की ने अपने गंदे कपड़े बदलने की शुरूवात की

हलाकी अभी वो कमरे मे अकेली है ..दरवाज़ा भी पूरा खुला हुआ पर निकुंज अपने कमरे मे जा चुका था ..ये जान कर उसने एक नज़र निम्मी की फ्रोक पर डाली

" पता नही भाई क्या सोच कर इसे लाए हैं ..कैसे पहनु ..कुछ समझ नही आ रहा "

इतनी शॉर्ट लेंग्थ ड्रेस उसने आज तक नही पहनी थी ..अजीब से पशोपेश मे फस्स कर वो कुछ देर यही सोचती हुई लेटी रही

रह - रह कर उसे वो वक़्त याद आता जब निकुंज की गोद मे उसका ऑर्गॅज़म हुआ था ..कितना सुखद पल था ..इतनी खुमारी की कल्पना तो उसने बीती पूरी लाइफ मे नही की थी और ना ही खुद कभी ऐसी छेड़ - छाड़ को अंजाम दिया था ( मास्टरबेट )

" सच मे कितना अजीब लग रहा था ..जब मैं झटके ले रही थी ..वो तो भाई ने बचा लिया वरना मोम के सामने मेरी बड़ी बेज़्जती होती ..भाई बहुत अच्छे हैं मेरा कितना ख़याल रखते हैं ..पर ये मुझे दो दिनो से क्या होता जा रहा है ..वहाँ दर्द भी बना रहता है ..कुछ तो गड़बड़ है "

सोचते हुए एक बार फिर से उसने फ्रोक पर नज़र डाली और मन बना लिया उसे पहेन्ने का

" गेट तो ओपन है "

निक्की ने उठने की कोशिश की ..मगर घुटने का घाव सूख जाने से उसे दर्द का एहसास हुआ और उसने लेटे रहना ही उचित समझा

" जल्दी से पहेन लेती हूँ "

शीट के अंदर हाथ डाल कर उसने अपने टॉप को उतारा ..पहली बार यूँ ओपन मे कपड़े चेंज करना उसे बेहद शर्मनाक लगा ..लेकिन उसके पास कोई दूसरा ऑप्षन भी तो नही था

टॉप साइड मे रख कर वो ब्रा उतारने लगी

" इससे शोल्डर पर दर्द हो रहा है "

हाथ स्ट्रेच करने मे उसे तक़लीफ़ तो हुई पर जल्दी ही वो इसमे कामयाब हो गयी ..ब्रा अपने जिस्म से अलग करते वक़्त उसकी नज़र वापस खुले दरवाज़े पर चली गयी ..ऐसा लगा जैसे कोई उसे कपड़े बदलते हुए देख रहा हो ..घबरा कर निक्की ने तुरंत ही अपनी उपर न्यूड बॉडी शीट से कवर कर ली

" भाई !!!!! "

जाने क्यों पहला शब्द उसकी ज़ुबान पर निकुंज के लिए आया

" नही भाई नही ..वो ऐसी हरक़त कभी नही करेंगे ..मैं बहेन हूँ उनकी कोई गर्ल फ्रेंड थोड़ी हूँ "

खुद को डाँट लगाते हुए वो फ्रोक को अपने सर से नीचे की तरफ खीचने लगी ..शॉर्ट होने के साथ ही ड्रेस बेहद टाइट भी था

" जाने कैसे निम्मी ऐसी ड्रेसस पहेन लेती है ..मैं तो शरम से ही मर जाउ "

ब्रा उसके बूब्स फ्रोक मे अपना आकार ले चुकी थी ..कपड़ा सॉफ्ट और महीन होने की वजह से निपल्स का उभार भी सॉफ दिख रहा था

जाने क्यों उसे फिर से महसूस हुआ कि दरवाज़े के पीछे कोई तो खड़ा है

" भाई !!!!! "

हलाकी निकुंज तो अपने कमरे मे ही था लेकिन डर ..संकोच और घबराहट मे निक्की को यही लगा जैसे कोई बार - बार उसके कमरे मे झाक रहा हो ..सच कहें तो उसकी सोच ही उसे ऐसा एहसास करवा रही थी

" कहीं सच मे तो भाई नही "
bemishaal
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
जब इंसान पॉज़िटिव थिंकिंग के साथ नेगेटिव पहलुओ पर भी गौर फरमाता है तो उसकी सोच दोहरी हो जाती है

2 दिन से लगातार भाई और बहेन के बीच ऐसा कुछ हो रहा था जो सॉफ लफ़ज़ो मे पाप की शुरूवात थी

" सबसे पहले भाई के लंड की चोट उसकी कुँवारी योनि पर लगना ..इसके बाद माल मे पड़ी पैंटी के बारे मे सवाल जवाब और आज तो उसने अपने अंगूठे से निक्की को झड़ने पर मजबूर किया था ..उसे क्या ज़रूरत थी अपने हाथ को बहेन की चूत पर लगाने की "

" कहीं भाई जान कर तो मेरे साथ ये सब नही कर रहे "

नेगेटिव थॉट्स दिमाग़ मे आते ही निक्की शॉक्ड हो कर रह गयी

" अगर ये सच है तो वो जान बूझ कर मेरे लिए इतनी छोटी फ्रोक लाए होंगे ताकि मुझे ऐसे गेट अप मे देख सकें "

अचानक से उसकी आँखों मे नमी आने लगी ..विश्वास बना कर घात करना कितना आसान होता है ..उसे दुख हुआ अपने भाई की इस ओछि मानसिकता पर ..उसकी घ्रनित हरक़तों पर

" अभी सॉफ हो जाएगा और अगर यही सच है तो मैं उन्हे कभी माफ़ नही करूँगी "

जाने उसे क्या सूझा ..अपने भाई को परखने के लिए उसने कुछ ऐसे बोल्ड स्टेप्स लेने का मन बनाया जिससे ये पता चल जाए कि वो सच मे ऐसा कर रहा है या सिर्फ़ निक्की की ग़लत फहमी है

मोबाइल उठा कर उसने निकुंज को कॉल किया

" भाई ड्रेसिंग कर दो "

कॉल कट करते ही उसे ध्यान आया कि उसने लोवर तो उतारा ही नही

" भाई से उतर्वाउन्गि ..पता तो चले उनकी गंदी सोच का एंड पॉइंट क्या है "

चादर उसने अपनी बॉडी से अलग कर दी ..इस वक़्त फ्रोक उसके पेट तक चढ़ि हुई थी ..बाकी लोवर की स्टार्टिंग तक का पूरा हिस्सा नेकेड था

थोड़ी देर मे निकुंज उसके कमरे मे आ गया ..सुबह पहने हुए कपड़े उसने भी चेंज नही किए थे

" भाई घुटना मोड़ने मे दिक्कत हो रही है ..लोवर उतारने मे हेल्प करो ना "

निक्की फुल कॉन्फिडेन्स से बोली ..बिना किसी झिझक के उसने फ्रोक को थोड़ा और ऊपर उठा लिया ..जिससे लगभग उसका पूरा पेट ही विज़िबल हो गया था

" शरम करूँगी तो बाद मे मुझे ही हर्ट होगा "

निक्की कुछ इसी तरह का सोच कर बैठी थी ..एक अजीब तरह की बोल्ड फीलिंग आ चुकी थी उसके अंदर और शायद ये अपने भाई की तरफ से भरोसा टूटने का कारण था

" भाई जल्दी करो मुझे सूसू भी जाना है ..सुबह से नही किया "

निकुंज बिल्कुल उसके पास खड़ा था ..अपना सर झुकाए ..उससे कुछ बोलते नही बन रहा था ..निक्की के मूँह से निकला एक - एक शब्द उसके दिल पर जैसे छुरिया घोप रहा था ..लाहुलुहान कर रहा था

" भाई कहाँ खो गये ? "

उसने निकुंज की तंद्रा नष्ट की ' ज़रूर अपने मन के शैतानी घोड़े चला रहे होंगे '

" मैं मोम को बुला देता हूँ ..वो तुझे चेंज करवा देंगी "

बेहद धीमे स्वर मे निकुंज ने कहा ..हद से आगे तो दोनो बढ़ ही चुके थे ..अब वो और नीचे नही गिरना चाहता था

" भाई !!!!! मोम को क्या जवाब दूँगी ..अंदर पूरा वेट है ..मुझे सूसू भी आ रहा है ..क्या वो मुझे उठा कर बाथ - रूम ले जा पाएँगी "

एक साँस मे निक्की ने अपनी पूरी बात कह डाली ..उसे पक्का यकीन था अब निकुंज ना नही कह पाएगा ..अगर भाई के मन मे ज़रा भी खोट हुआ तो ज़रूर कोई ऐसी - वैसी हरक़त करेंगे और जिससे मुझे यक़ीन हो जाएगा कि वो ग़लत हैं

सबसे पहले निकुंज ने अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र डाली ..निक्की के फेस एक्सप्रेशन कुछ ऐसे थे जैसे वाकाई दर्द से बिलख रही हो

चादर से उसकी बॉडी कवर करते हुए निकुंज बेड पर बैठने लगा

" भाई डोर ओपन है ..बाथ - रूम मे ले चलो मैं सूसू भी कर लूँगी "

निक्की ने शीट को वापस खुद से अलग कर दिया ..फ्रोक ज्यों की त्यों उसके मुलायम पेट से चिपकी थी ..बूब्स का उभार बाहर को तानते हुए उसने एक ज़ोरदार अंगड़ाई ली जिससे निकुंज को पसीने आ गये

कोई चारा ना देख कर उसने निक्की को अपनी गोद मे उठाया और बाथ - रूम के अंदर ले जाने लगा ..निक्की के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी ..कुछ ही देर मे दूध का दूध और पानी का पानी जो होने वाला था

" जब फिनिश हो जाए तब आवाज़ दे देना "

पॉट पर बिठाने के बाद निकुंज बाथ - रूम से बाहर आ गया ..उसका अंतर्मंन जोरों से चीख रहा था ' ये ग़लत है ..मत जा उसके करीब ..तू भटक जाएगा ..पाप का भागीदार मत बन '

" बस ये लास्ट बार है ..मैं फ़ैसला कर चुका हूँ ..उससे दूरियाँ बन लूँगा "

अंतर्मंन के साथ बात करते हुए निकुंज का गला भारी हो गया ..जबकि कोई शब्द तो उसके हलक से बाहर निकले ही नही थे ..शायद बीती बातों का एक मात्र दोषी उसने खुद को करार दे दिया था

वहीं बाथ - रूम के अंदर बैठी निक्की एक बार तो चौंक गयी ..निकुंज चाहता तो अंदर रुक सकता था

" कहीं मैं खुद तो ग़लत नही ? "

पिशाब से निपट कर उसने खुद से सवाल किया

" हो सकता है वो तेरी पहल का इंतज़ार कर रहा हो ..कुछ ऐसा कर जिससे आज सारी सच्चाई खुल कर सामने आ जाए और अगर दोनो ग़लत नही हुए तो पिच्छली हर ग़लत फहमी का अंत भी तो हो जाएगा ..वैसे भी निकुंज जैसा भाई तुझे माँगे नही मिलने वाला "

अपने सवाल का खुद ही जवाब दे कर निक्की खुश हो गयी ..निकुंज जितना प्यारा तो उसकी लाइफ मे और कोई था ही नही

लोवर को पैंटी समेत अपनी थाइ तक उतारे रखे हुए उसने निकुंज को आवाज़ दी

" भाई हो गया "

अगले पल क्या होगा ..उसका विश्वास पूरी तरह से टूटेगा या वो खुद अपने भाई की नज़रों मे गिर जाएगी ..इन सब से बातों से बेख़बर वो निकुंज के अंदर आने का इंतज़ार करने लगी

कुछ देर बाद निकुंज बाथ - रूम मे एंटर हुआ और आते ही साथ निक्की ने एक नयी बात छेड़ दी

" भाई घुटना मोड़ने से दर्द हो रहा है ..बाकी का लोवर आप उतार दो "

उसने बड़े भोले पन से कहा ..कहाँ 24 घंटे शरमाने वाली लड़की ..जिसने कभी अपने दुपट्टे तक का दामन ना छोड़ा हो ..आज अपने भाई को निमंत्रण दे रही थी ..बहेन को नग्न करने के लिए

उसकी बात सुन कर निकुंज सकते मे आ गया ..पॉट पर बैठी उसकी बहेन आधी न्यूड थी ..फ्रोक को पेट पर पकड़े हुए और नीचे उसका लोवर पैंटी के साथ जाँघो तक उतरा हुआ था

" बहेन मेरा और इम्तेहान मत ले "

इतना कह कर निकुंज ने अपनी आँखें बंद कर ली और ज़मीन पर बैठ कर ज़ोरो से रोने लगा ..अपना चेहरा हाथों मे छुपा कर ..खुद को कोसते हुए वो बिलख रहा था

" मुझे कुछ नही जानना तूने क्यों किया ..क्या हुआ ..बस मेरी ग़लती के लिए मुझे माफ़ कर दे "

निकुंज ने भर्राए गले से कहा ..उसे खुद पर शरम आ रही थी

वहीं हैरानी मे निक्की का चेहरा फीका पड़ गया ..बदन मे बहते खून का पूरा संचार जैसे रुक सा गया हो ..अपलक आँखों से वो अपने भाई का रोना देखने लगी ..ऐसा इस लिए क्यों कि वो ग़लत साबित हुई थी

" मैल भाई के अंदर नही मेरे अंदर है "

आँखों मे नमी आते ही निक्की पॉट से खड़ी हो गयी ..लोवर ऊपर चढ़ाते हुए उनसे फ्रोक को नीचे गिरा दिया और लंगड़ा कर निकुंज के पास जाने को चल दी

" आईईईईई !!!!! "

जल्दबाज़ी मे वो दो कदम भी ठीक से नही चल पाई होगी और घुटना मुड़ने से उसकी चीख निकल गयी ..निकुंज ने तुरंत अपने हाथ चेहरे से हटाए और फ्लोर पर सरकते हुए अपनी बहेन को वापस गिरने से रोक लिया

" पागल हो गयी है ..एक लगाउन्गा तो सही हो जाएगी "

जाने निकुंज के मूँह से ये बात कैसे निकली और तेज़ी से खड़े हो कर उसने निक्की को अपने सीने से चिपका लिया

" भाई !!!!! "

रुआसी निक्की को जैसे ही भाई के मजबूत कंधो का सहारा मिला उसके आँसू छलक उठे और अपने हाथो के पुरज़ोर से वो निकुंज को अपने अंदर समेटने लगी

" माफी मुझे माँगनी चाहिए भाई ..आपकी कोई ग़लती नही "

फफक कर रोती निक्की के शब्दो ने निकुंज पर अगला कहेर ढाया ..लेकिन वो खुद को भूल कर उसकी पीठ को सहलाते हुए ..उसे चुप करवाने की कोशिश मे जुटा रहा

" कोई नही ..ग़लती हमारी नही ..हमारी सोच की है ..चल चुप हो जा ..तुझे पता है ना मुझसे तेरे आँसू बर्दास्त नही होते ..सब ठीक हो जाएगा "

निकुंज की समझाइश पर निक्की चुप होने लगी पर उसका सुबकना कम नही हुआ ..अभी भी उसकी बॉडी का भार उसके भाई ने झेल रखा था ..चेस्ट मे पिंच होते निपल्स निकुंज को महसूस तो हो रहे थे लेकिन इस वक़्त उसके जहेन मे सिर्फ़ अपनी बहेन के कहे शब्दो की उथल - पुथल मची थी ' बीती ग़लतियों की ज़िम्मेदार वो खुद है '
behtreen
 
Top