Nevil singh
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khubsuratपापी परिवार--24
काफी देर तक सुस्ताने के बाद जीत ने तन्वी के बालो को सेहलाना शुरू कर दिया ..पोज़िशन के हिसाब से जीत उसके ऊपर लेटा हुआ था और तन्वी का चेहरा ठीक जीत के अपोजिट था
" सॉरी बेटू ..तुझे तकलीफ देने के बाद मैं बहुत शर्मिंदा हूँ "
जीत ने अपना फेस उसके फेस की तरफ घुमाया और उसके गालो को चूमने लगा ..पसीने से लथपथ नंगा बदन ..जीत उसके शरीर से उठति मादक खुश्बू से आनंदित था ..तन्वी शांत लेटी रही ..उसने कोई जवाब नहीं दिया
" जानता हूँ तू नाराज़ है ..पर मैं क्या करूं ..एक तरफ बाप होने के नज़रिये से सोचता हूँ तो दिल धिक्कारता है ..कहता है ' मैं पापी हूँ ..अपनी औलाद को भोगने कि लालसा से सड़ - सड़ कर मरूंगा' ..दूसरी तरफ दिमाग कहता है ' औरत सिर्फ भोगने की वस्तु होती है ..फिर चाहे बेटी हो या बीवी ' ..अब तू ही बता मैं क्या करूं ..हमने 5 साल पहले जो गलत कदम उठाया था ..इसके बोझ तले मैं दबता ही जा रहा हूँ ..तेरी मा ऊपर से देखती होगी तो मुझे कोसती होती ..' कैसा नीच इंसान है ..बाप -बेटी के पवित्र रिश्ते को दागदार किये जा रहा है "
जीत का गला भर आया ..उसे दुख तो मेहसूस हो रहा था लेकिन जो पापी रिश्ता एक बाप - बेटी कि मर्यादाओ को लाँघ चुका था उसके हाथो बेबस था ..आज पूरे 5 सालो बाद उसने तन्वी के बदन का ऐसा भोग किया था ..तन्वी अभी भी बिल्कुल शांत लेटी रही ..जीत का दिल उस शांत वातावरण मे बिलख रहा था ..रो रहा था ..कभी कभी ऐसे पल आते हैं जब आप हालात के हाथो मजबूर हो जाते हैं ..और दिल की ना सुनते हुए दिमाग की बात मानते हैं ..यही हाल इस वक़्त जीत का था
" तू सुन रही है ना ..मुझे माफ कर दे "
जीत ने उसके ऊपर से उठते हुये कहा ..तन्वी की पीठ पर उसका पापी वीर्य फैला हुआ था जो काफी हद्द तक अब जीत के पेट से चुपड़ गया
वो उठा और बेड के स्टॅंड पर टिक कर बैठ गया
" डॅड...... "
तन्वी हिली नहीं बस अपने होंठो को हिला कर अपने प्रेमी को आवाज़ दी ..उसकी पीठ साँसें लेने से काफी ऊपर - नीचे हो रही थी और चूतड़ो का उभार ..गांड़ कि दरार रूपी लकीर मानो ऐसी जैसे किसी खरबूजे को चीरा लगाने का अंदाज़े बयाँ कर रही हो
" ह्म्म्म्म्म्म....... "
जीत ने भर्राये गले से जवाब दिया ..तन्वी ने अपना चेहरा उठा कर देखा तो जीत को गुमसुम पाया ..वो सरक कर उसकी टांगे मोड़ने लगी फिर उन्हे फैला कर ..टांगो की जड़ के ऊपर अपना चेहरा रख कर लेट गयी ..बैठा लंड वीर्य से सराबोर था ..थुलथुल सुपाड़े से बाहर को निकालते चिपचिपे पदार्थ से तन्वी का राइट गाल गीला होने लगा
" क्यों कोसते हो खुद को ..यहाँ एक तरफा प्यार थोड़े ही है ..मैं भी तो आप को अपना सब कुछ मानती हूँ ..चाहे डॅड कह लो या लवर ..आप मेरे लिये सब से बढ़ कर हो ..क्या ये काम है कि पूरे 5 सालो से आपके सामने नंगी रहने के बाद भी आज तक आप ने मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की ..हर वक़्त मेरे फ्यूचर का सोच कर अपनी इक्षाओ को मारा है ..डॅड आप के जैसे पिता की कामना मैं हर जनम मे करूँगी ..आइ लव यू "
तन्वी ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथ लपेट ते हुये कहा ..वो दुखी तो नहीं थी पर वक़्त की नज़ाकत ने उसे रोने पर मजबूर कर दिया था ..जीत के हाथ काफी देर तक इसी पेशो- पेश मे बंधे रहे कि वो तन्वी को छुएं या नहीं
" डोंट वरी डॅड ..मैने आज बहुत एंजाय किया ..आप के साथ तो मुझे दर्द भी मीठा एहसास करवाता है "
तन्वी ने उसके पेट पर लगा वीर्य चाट ते हुये कहा ..झाँटो से थोड़ा ऊपर और नाभि के थोड़े नीचे वीर्य की अधिक मात्रा थी ..वो अपनी जीभ से किलोल करती हुई उसकी नाभि के पास पहुच गयी ..गोल गड्ढा ..उसने देर नहीं की और होंठो के बीच नेवेल फसाते हुये उसे चूसना शुरू कर दिया
" उम्मम्मम्म.... डॅड आप का नेवेल बड़ा टेस्टी है मैने आज तक कभी इसे किस ही नहीं किया ..लेकिन..... "
बोल कर तन्वी ने अपनी जीभ नेवेल मे प्रवेश करा दी और गोल - गोल घुमाते हुये होंठो से खुद के सलाइवा को गले से नीचे उतारने लगी
जीत का सोया लंड अभी भी तन्वी के मुलायम गाल के नीचे दबा था ..बेटी की हरक़त से उसे सेडक्षन तो फील हुआ लेकिन उसके लंड ने कोई हरक़त नहीं की ..शायद थोड़ी देर पेहले खुद को धिक्कारने की बात से उसने अपने पर कंट्रोल कर लिया था
" लेकिन..... "
जीत ने अपना चेहरा नीचे झुका कर देखा तो तन्वी बड़ी तन्मयता के साथ उसकी नाभि से अठखेलियाँ कर रही थी ..जीभ की नोक से थप - थपाना और जब थूक से नेवेल भर जाये तो खुद के सलाइवा को कामुक अंदाज़ मे चूस लेना
" डॅड बाकी सब ठीक है लेकिन आप का ये है ना ..हे हे हे हे "
तन्वी ने अपने गाल को लंड पर रगड़ते हुये कहा ..फिर थोड़ा चेहरा खिसका कर उसका सूपाडा सूंघने लगी ..मदहोशी ..कामुक वातावरण् कभी कभी अपने चरम पर होता है ..आज सारे बंधन तोड़ने को तन्वी मचल रही थी लेकिन जीत के मन मे उथल पुथल मची रही
" आप का ये जब सोता हुआ देखती हूँ तो बड़ा अच्छा लगता है ..लेकिन जब ये शैतान बड़ा होने लगता है तब तो मेरी जान लेने पर उतारू हो जाता है "
तन्वी ने अपनी आँखें जीत की आँखों से जोड़ते हुये कहा .. ' बड़ा ' शब्द बोलते वक़्त उसकी आँखें बखूबी उसकी बात का साथ दे रही थी ..कातिल नयनो का पूर्ण विकसित हो जाना जीत के दिल पर हमेशा से केहर ढाता आया था ..तन्वी उसे एक पिता की नज़र से ना देखते हुये प्रेमी की नज़र से देखती थी ..पर जीत का प्रेम उसके लिये बेटी से प्रेमिका मे तब्दील होना पाप समान था ..जिसे शुरू करने मे पेहला गुनेहगार वो खुद था
टकटकी लगाये वो तन्वी की कजरारी आँखों मे देखता रहा ..' कितनी निश्छल है मेरी बेटी की आँखें ' ..शायद यही बात वो उनमे ढूंढ रहा था ..हमेसा जुबान आप के दिल की हालत बयाँ कर दे संभव नहीं ..असली जज़्बात तो आँखों से बयाँ होते हैं
" डॅड एक बात कहू ..बहुत दिनो से मेरे मन मे उठ रही है "
तन्वी ने अपनी बॉडी उल्टी कर ली जिससे उसका पूरा फेस जीत की टांगो की जड़ के सेंटर मी आ गया ..फिर अपने हाथो से उसने जड़ को जोड़ना शुरू किया..सिकुड़े लंड की नरम खाल उसके रसीले होंठो का चुंबन मेहसूस करने लगी और जीत कसमसा कर आहें भरने पर मजबूर हो गया ..एक अंगडाई लेने के बाद जीत के अंडकोष उबल कर लावा अर्जित करने लगे और उसके लचीले पुरुषांग मे कठोर पन आने लगा
" डॅड हम शादी कर लें "
अचानक से तन्वी ने अपनी बात कहते हुये होंठो के बीच उसका नरम सूपाडा फसा लिया और हल्के हल्के अपनी नोकदार जीभ की चुभन टोपे के छेद पर देने लगी ..इस कारण लंड के साथ जीत की बॉडी मे भी हलचल हुई ..खुद ब खुद जीत की टांगो ने कठोरता के साथ तन्वी का चेहरा जकड लिया और उसकी उंगलियाँ अपनी बेटी के रेशमी बालो पर थिरकने लगी
" ह्म्म्मम्म्म्म शादी....... "
जीत सीत्कार कर बोला ..हालाकी विषय अत्यंत गंभीर था लेकिन तन्वी ने अपनी हरकतो से उस विषय को साधारण रूप दे दिया ..इस वक़्त वो लंड को अपने होंठो मे भीच कर ऐसे सुड़क रही थी जैसे कुल्फी की ऊपरी सतह से मिठास चूस रही हो
" अब बस कर तन्वी ..मैं बेहद थक चुका हूँ "