• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पापी परिवार

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
" चल ज़्यादा टाइम नही है ..जल्दी से चेंज कर ले ..फिर मैं तेरी ड्रेसिंग कर देता हूँ "

निकुंज ने उसकी नम आँखों मे देख कर कहा ..इस वक़्त निक्की की सुर्ख आँखें बेहद खूबसूरत हो गयी थी ..आँसुओं की तरलता के कण आँखों मे अभी भी शेष थे

" मैं कर लूँगी आप जाओ ..वरना फिर से बात बढ़ जाएगी "

निक्की ने अपनी खुली पलकों को जोड़ कर कहा ..अपनी गंदी सोच के ग़लत साबित होने के बाद उसका मन खुद से घ्रणा करने लगा था

" अच्छा मैं चला जाउन्गा तो लोवर कैसे चेंज करेगी "

निकुंज के सवाल पर निक्की ने अपनी आँखें वापस खोल दी और अचरज भरी निगाहों से अपने भाई का चेहरा देखने लगी

" बस कर लूँगी ..आप जाओ ना "

निक्की ने जवाब दिया लेकिन अपने जावब से वो खुद भी संतुष्ट नही हो पाई

" तो पहले तू नाटक कर रही थी ना ? "

एक और सवाल करते हुए निकुंज के चेहरे पर हल्का गुस्सा आ गया ..जिसे देख कर निक्की बुरी तरह काँप उठी ..घबराहट मे उसने निकुंज के बदन से अलग होना चाहा लेकिन नाकाम रही और इसके बाद तो जैसे उसका चेहरा शरम से झुकता चला गया

" रोना मत और जवाब दे ..इसके बाद हम किसी से कुछ नही पूछेन्गे ..बात यहीं ख़तम हो जाएगी "

निकुंज ने उसके झुके चेहरे हाथी से थाम कर पूछा ..वो जानता था इस सवाल से बात बढ़नी ही है लेकिन खुद की नज़रों मे उसे वापस भी तो उठना था

" बोल बेटा मैं इसके बाद तुझसे और कोई सवाल नही करूँगा ..प्रॉमिस "

इस बार निकुंज ने थोड़ा प्यार से समझाया तो निक्की को सुकून आया ..अब जब बात का एंड हो ही रहा है तो क्यों ना अपने दिल की बात भी बोल दी जाए ..ऐसा सोच कर उसने सच बोलने का फ़ैसला कर लिया

" भाई ..इस टाइम मेरी ग़लती है क्यों कि मेरे दिमाग़ मे आप के लिए नेगेटिव थिंकिंग आ गयी थी ..लेकिन इससे पहले जो भी हुआ ..आइ स्वेर मैने कुछ नही किया ..सब नॅचुरल हुआ था "

इतना बोल कर निक्की शांत हो गयी ..निकुंज से आँख मिलाना तो दूर भय वश उसका हलक सूखता जा रहा था ..निकुंज उसे इस बात के लिए कभी माफ़ नही करेगा ये सोच कर वो मन ही मन सुबकने लगी

अगले ही पल निकुंज ने उसके दोनो हाथ पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिए और घुटनो के बल फ्लोर पर बैठ गया

" देख ले मेरी आँखें बंद हैं ..मन मे कोई पाप नही "

इसके बाद निकुंज के हाथ बहेन की फ्रोक की अंदर चले गये ..उसकी कमर पर उंगलियाँ ले जा कर निकुंज धीरे - धीरे लोवर को नीचे खीचने लगा

" ब ..भाई !!!!! "

निक्की ने देखा उसके भाई का चेहरा ऊँचाई पर लगे बल्ब को देख रहा है लेकिन आँखें बंद थी

वहीं इस नज़ारे से निक्की शरम और ग्लानि के चलते ज़मीन मे धसती जा रही थी

" कितना प्रेम करते हैं भाई मुझसे और मैं बेशरम सिवाए नफ़रत के उन्हे कुछ नही दे पाई "

खुद को धिक्कार्ते हुए निक्की वापस रोने लगी ..लेकिन चुप - चाप ..ताकि उसके भाई का दिल अब और ना दुखे

" मेरे शोल्डर पकड़ ले ..और एक एक कर अपनी टांगे उठा "

निकुंज सेम सिचुयेशन मे बैठे हुए बोला ..उसका कहा मान कर निक्की ने लोवर को अपनी टाँगो से बाहर निकाल दिया

इसके बाद कुछ देर तक दोनो एक दूसरे से कुछ नही बोले ..पूरे बाथ - रूम मे सिवाए उनकी तेज़ धड़कनो के कोई और आवाज़ नही सुनाई दे रही थी ..लेकिन अगले ही पल निक्की को महसूस हुआ जैसे उसके भाई का हाथ वापस फ्रोक के अंदर जाने लगा हो ..सहम कर उसने अपनी टाँगो को जोड़ लिया और हड़बड़ाहट मे पीछे हटना चाहा ..लेकिन इससे पहले वो कोई कदम उठा पाती निकुंज की उंगलियों की पकड़ पैंटी की एलास्टिक पर कस चुकी थी

देर ना करते हुए निकुंज ने पैंटी को झटके से नीचे खेच दिया और निक्की के मूँह से मादक भरी सिसकारी छूट गयी

" ये ले हो गया ..अब मैं बाहर जा रहा हूँ ..थोड़ा सफाई कर ले ..बाद मे मुझे आवाज़ दे देना "

हलाकी निकुंज के कानो मे निक्की की सिसकी सुनाई पड़ी थी लेकिन जान कर उसने कोई रिक्षन नही दिया

इतना सब होने के बाद निकुंज फ्लोर से उठा और बिना उसकी तरफ देखे तेज़ कदमो से बाहर चला गया ..वहीं निक्की अपलक आँखों से ज़मीन पर पड़ी अपनी गीली पैंटी देखने मे खो गयी ..
beshkimti
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
पापी परिवार--29

निकुंज के बाथ - रूम से बाहर जाते ही निक्की ..वापस पॉट पर बैठ गयी ..थोड़ी देर पहले एक भाई ने भरी जवानी मे अपनी बहेन का निच्छला धड़ नेकेड किया था ..अपने हाथो से ..लेकिन सिर्फ़ प्रेम वश ..उसमे हवस का लेश मात्र अंश नही था

" शरम आनी चाहिए निक्की तुझे ..एक तेरा भाई है जो तुझ पर अपनी जान लुटाता है और एक तू है जो उस पर इतने गंदे आरोप लगा दिए "

निक्की ने अपना सर नीचे झुका लिया ..वाकाई आज वो बेहद शर्मिंदा थी ..बिना ग़लती के भाई को बदनाम करना उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था ..बस अब ग़लती सिर्फ़ एक ही तरीके के सुधारी जा सकती थी और वो तरीका निक्की ने अपने मन मे इज़ाद कर लिया

" जो हुआ सो हुआ ..अब भाई को मनाना मेरी ज़िम्मेदारी ..कैसे भी ..कुछ भी करना पड़े ..मैं उन्हे मना लूँगी "

मन मे संकल्प ले कर उसने पॉट पाइप पकड़ लिया ..वॉटर प्रेशर चेक करने के बाद फ्रोक का फ्रंट हिस्सा उठा कर जल्दी से अपनी चूत पर पानी की फूहार मारने लगी

" सब तेरी ही ग़लती है ..ना तू मज़े करती ना मैं भाई की नज़रों मे गिरती "

अपनी रस भीगी योनि को कोसते हुए निक्की ने उसे पानी से नहला दिया ..फिर अपनी उंगलियों से आस पास उगे बालो को रगड़ कर धोने लगी

कुछ ही पल बीत पाए होंगे ..ना जाने क्यों इस रगड़ान से उसे एक अलग ही आनंद की प्राप्ति हुई ..वक़्त दर वक़्त उसकी उंगलियों का घर्षण तेज़ होता गया और अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए वो मदहोशी के आलम को महसूस करने लगी

" ह्म्‍म्म्मममम....... भाई आज से मैं आप को शिकायत का कोई मौका नही दूँगी "

निक्की ने अपनी आँखों को बुरी तरह भीच लिया ..इस समय उसके दिमाग़ मे खुमारी के साथ अपने भाई का दुखी चेहरा घूम रहा था

" ऊऊऊऊओंम्म्म !!!!! "

झाँते घिस - घिस कर उसने पूरा एरिया लाल कर लिया पर जाने क्यों संतुष्टि के भाव अब तक उसके फेस पर नही आ पाए थे ..ऐसा क्या जादू किया था उस वक़्त निकुंज ने जो उसके मज़े की सीमा ख़तम हो गयी थी ..वो अधीर हो उठी ..बेचैनी मे उसका एक हाथ अपने आप बूब्स पर पहुच गया और सब कुछ भूल कर तेज़ी से बारी - बारी उन्हे मसल्ने लगी

" भाई !!!!! आप ने क्या किया था ..करो ना मैं पागल हो जाउन्गा "

उंगली चूत की फांकों से सटा कर उसने कुछ गहरी साँसें ली और पूरी ताक़त से फिंगर को चूत की गहराई मे उतार लिया

" फ़चह !!!!! उम्म्म्मम.....हां भाई ने भी यही किया था "

छटपाटाते हुए उसके चेहरे पर दर्द और कामुकता के मिक्स भाव तैरने लगे ..तेज़ी से उंगली अंदर बाहर करते हुए उसने अपनी टाँगो को पूरी तरह से एक्सपोज़ कर लिया और ' भाई - भाई ' की रट लगाते हुए आहें भरने लगी

" आईईईईईई !!!!! "

कुंवारे भग्नासे पर बाहरी उंगलियाँ रगड़ खा जाती और इससे निक्की का बदन अकड़ जाता ..उसने तुरंत अपना दूसरा हाथ बूब्स से हटाया और दाने को खीचते हुए झड़ने के बेहद नज़दीक पहुच गयी

" उफफफफफ्फ़ !!!!! हां ..हां यहीं पर सबसे ज़्यादा दर्द होता है "

क्लिट पर दो उंगलियों की मसलन को निक्की सह नही पाई और इस बार उसकी चीख से पूरा - बाथ रूम हिल गया

बाहर खड़े निकुंज के कानो मे बहेन की चीख सुनाई दी और वो घबरा कर ..दौड़ता हुआ बाथ - रूम के अंदर आ गया
anmol
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
अंदर के हालत देख कर उसे झटका लगा और खुद बा खुद उसके कदम अपनी बहेन से मात्र 5 फीट दूरी पर जम से गये

" भाई लव मी .. मुझे छोड़ कर मत जाओ "

अंजानी मदहोशी मे निक्की ने अपने भाई को देखा ..एक पल को भी उसे ये नही लगा कि वो कुछ ग़लत कर रही है ..वरण उसके हाथ की स्पीड दोगुनी हो गयी ..रूठे प्रेमी का दीदार वापस पा कर वो धन्य हो गयी थी ..उसकी आँखों मे तरावट आने लगी

" ब ..भाई मत रोको "

सिर्फ़ इतने शब्द उसकी थर्राइ ज़ुबान का साथ दे पाए और उसकी पीठ पीछे बनी दीवार को धक्का दे कर गिराने की ललकार देने लगी ..चेष्टा करने लगी

वहीं निकुंज की नज़रें अब बहेन के चेहरे से हट कर उसकी टाँगो की जड़ पर चिपक गयी थी ..ना चाहते हुए भी कुछ सेक. के लिए उसने अपनी आँखों को कुँवारी योनि से मिलाया ..बालो से भरी चूत की फांकों को चीर कर निक्की की उंगली लगातार अंदर - बाहर हो रही थी

" निक्की होश मे आ "

निकुंज आगे बढ़ने को हुआ ..निक्की की आँखों मे लाल शोले दाहक रहे थे ..इस वक़्त उसकी बहेन को किसी अचूक नशे ने अपने आगोश मे क़ैद कर रखा था

ना मैं अपनी गर्दन हिला कर निक्की ने एक आख़िरी बार अपने भाई के चेहरे को देखा और इसके बाद उसका सर ऊपर हवा मे उठ गया ..टाँगो मे कंपन होते ही वो पॉट से नीचे फिसलने लगी

निकुंज को अपनी जगह से तुरंत हिलना पड़ा ..बेचारा करता भी क्या ..आगे बढ़ कर उसने निक्की के सर को थामा और अपने पेट से चिपका लिया

" आइ लव युवूयूयुयूवयू !!!!! "

चिल्लाते वक़्त निक्की की जीभ बाहर निकल आई और चूत से रस की फूहार बहने लगी ..बदन मे हुई ऐंठन के साथ निक्की की गर्दन भी अकड़ गयी

निकुंज देख रहा था ..कितना प्यार है बहेन को अपने भाई से ..लेकिन ये कैसा प्यार हुआ ..वासना भरा

" नादान लड़की ..ये क्या किया तूने "

निकुंज उसे दिलासा देने लगा ..कैसी दिलासा ..ये तो अगन की वो अग्रिम चिंगारी थी जो आगे चल कर हर रिश्ते की मर्यादा को जला कर खाक कर देगी

केयी झटके ले कर निक्की बेसूध हो गयी ..दिन मे दो बार के ऑर्गॅज़म का अनियंत्रित बहाव ..थकान ..चोट

नतीजा निकुंज के सामने था ..निक्की का बदन जब तक पूरी तरह से ढीला नही पड़ गया निकुंज ने उसका सर अपने हाथो मे थामे रखा

" बेटा !!!!! "

उसने निक्की के गाल पर थपकी दी ..बंद पलकों को खोल कर निक्की नींद से बाहर आई ..ऐसी नींद जहाँ सो कर हर सुख फीका होगा

मदहोशी के एहसास को पा कर वो मस्त हो गयी थी ..तनिक भी ग्लानि नही थी उसका सगा भाई उसे अध नंगी हालत मे देख रहा है ..भाई कहाँ वो तो अब प्रेमी है ..निक्की का पहला प्यार ..अब बस इस रूठे यार को उसे मनाना है ..फिर चाहे कुछ भी करना पड़े ..ये उसने तय कर लिया था ....

क्रमशः............................................
bemol
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
पापी परिवार--30

कुछ अन्छुये एहसास जिनसे आज तक निक्की का पाला नही पड़ा था ..मर्द के नाम पर उसने सिर्फ़ अपने भाइयों और डॅड दीप को जाना ..जिसमे निकुंज तो उसके लिए सब से बढ़ कर है और इसी वजह से अब फीलिंग्स भी बदलने लगी थी

निक्की ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर निकुंज के फेस को देखा ..भाई के हाथो की उंगलियों का प्यार भरा स्पर्श अपने रेशमी बालों पर महसूस कर वो खुश हो गयी ..लेकिन इन सब के बीच निकुंज बेहद शांत था ..बस उसकी आँखों की पुतलियाँ अपनी बहेन के मासूम चेहरे मे खोई थी ..वही चेहरा जो अभी कुछ देर पहले काम से भरा था

" भाई मुझे माफ़ कर दोगे ना ..छोड़ के तो नही जाओगे "

निक्की ने उसे नींद से जागते हुए पूछा

" निक्की ये तूने ठीक नही किया ..बेटा ये सिर्फ़ और सिर्फ़ पाप है "

निकुंज ने उसके सवाल से हट कर जवाब दिया ..वो बिल्कुल खुश नही था

" भाई मुझे नही पता कैसा पाप ..बस इतना जानती हूँ अगर आप ने माफी नही दी ..तो मैं खुद को मिटा लूँगी ..मुझे किसी और से कोई मतलब नही "

निक्की ने विद्रोह करने जैसी बात कही

" मैं तेरा प्यार नही ..भाई हूँ ..मत कर ऐसी बातें "

निकुंज ने उसे समझाया

" भाई हो तो क्या हुआ ..क्या आज से पहले आप ने कभी मुझसे प्यार नही किया ..बस वही प्यार तो मैं दोबारा पाना चाहती हूँ "

निक्की कतयि मानने को तैयार नही थी कि जो हो रहा है वो सगे भाई - बहेन के बीच नही होना चाहिए ..उसे तो बस इतना पता था कि पुरानी ज़िंदगी से अभी की ज़िंदगी ज़्यादा अच्छी है ..शायद ये कामदेव के काम बान का अचूक आघात था ..सेक्षुयल नीड्स ..तड़प ..सेडूशन को आज पहली बार जाना था उसने ..महसूस किया था कि बहेन होने से पहले वो एक लड़की है

" चल मोम आएँ उससे पहले हमे कमरे मे वापस चले जाना चाहिए ..मुझे ऑफीस के काम से थोड़ा बाहर भी जाना है "

निकुंज उसे पॉट से उठाते हुए बोला ..एक मेच्यूर मॅन होने के नाते वो जान गया अभी निक्की को समझाना उसके बस से बाहर होगा ..जल्दबाज़ी मे उठाया हर कदम ग़लत होता है ..वक़्त लगेगा ..खुमारी ख़तम होते ही निक्की भी होश मे आ जाएगी

" तो भाई मुझे माफ़ किया ना आप ने "

निक्की उसकी मजबूत बाज़ुओ को थाम कर खड़ी हो गयी

" मैं तुझसे नाराज़ हुआ ही कब था ..तू तो मुझे सब से प्यारी है "

निकुंज ने कहा और दोनो बाथ - रूम से बाहर रूम मे आ गये

" तू रिलॅक्स कर मैं ड्रेसिंग बॉक्स ले कर आता हूँ "

निक्की को बेड पर लिटा कर निकुंज हॉल से बॉक्स ले आया ..उसकी केर से निक्की और भी ज़्यादा इंप्रेस होने लगी

निकुंज ने पहले तो लोशन से पूरा वाउंड क्लीन किया ..फिर चोट को पट्टी से वॉर्प करने लगा ..हल्का दर्द महसूस होते ही निक्की ने अपनी दूसरी टाँग मोड़ ली

" ओह भाई !!!!! थोड़ा आराम से "

टाँग मुड़ते ही निक्की की आँखें बंद हो गयी ..हलाकी ऐसा उसने जान कर नही किया था बट फ्रोक लेंग्थ छोटी होने से उसकी चूत एक बार फिर से निकुंज की आँखों के सामने एक्सपोज़ हो गयी

तुरंत निकुंज ने उसका चेहरा देखा ..उसे शक़ हुआ कहीं ये उसकी बहें ने जान - बूझ कर तो नही किया ..लेकिन निक्की का फेस एक्सप्रेशन पेन से भरा देखते ही वो ग़लत साबित हो गया

" बस 2 मिनिट और "

निकुंज ने पट्टी की नाट कसने के बाद अपना हाथ उसकी फ्रोक की तरफ बढ़ाया ..चूत ढकने की गर्ज से जैसे ही उसकी उंगलियाँ फ्रोक को नीचे खीच पाती ..निक्की ने अपनी टाँगो को वापस चिपका लिया और इससे निकुंज का हाथ उसकी टाँगो की जड़ मे फसा रह गया

" हिचह !!!!! "

निक्की उच्छल पड़ी ..हिचकी आने से उसे ठसका लगा और ज़ोरो ख़ासने लगी ..अपनी आँखें खोल कर देखा तो दंग रह गयी ..उसके भाई का हाथ सीधा उसकी चूत से चिपका था

" अच्छा !!!!! स्टार्टिंग खुद करते हो और बाद मे दोष मुझे देते हो ..अब ग़लती किस की है ..बताना ज़रा ? "

निक्की के सवाल से घबरा कर निकुंज ने अपना हाथ चूत से हटाना चाहा लेकिन ठीक इसी पल निक्की ने उसकी कलाई थाम ली

" ये सबूत है ..अब मुझे ब्लेम मत करना ..ऐसा हो गया ..वैसा हो गया "

निक्की मुस्कुराने लगी ..उसके लिए तो जैसे ये सब एक ओपन गेम हो गया था ..जो अक्सर शरीफो के घर बंद कमरो मे खेला जाता है ..यहाँ उमर का कोई दोष नही ..ना ही वो कोई बच्ची थी ..बस जो एहसास उसने आज पाए थे वो दोबारा सिर्फ़ एक प्रेमी द्वारा ही मिल सकते हैं ..ना कि सगे भाई से और यही सोच कर उसने अपने दिमाग़ से रीलेशन को दूर कर दिया ..सेक्स नही उसे प्यार चाहिए, जो निकुंज ने पहले भी उसे भरपूर किया था लेकिन अब निक्की के नज़रिए से हालात बदल गये थे

" सॉरी !!!!! वो ..वो...... "

निकुंज ने ताक़ात लगा कर अपना हाथ पीछे खीचा और तुरंत बेड से नीचे उतर कर रूम से बाहर जाने लगा

" यू नॉटी ..आइ लव यू "

निक्की के शब्द सुन कर निकुंज एक आख़िरी बार उसकी तरफ पलटा ..अभी भी वो सर झुकाए बड़े प्यार से अपनी कुँवारी योनि को देख रही थी

" सब ग़लत हो रहा है "

धीमे स्वर मे निकुंज इतना ही कह पाया और तेज़ी से रूम के बाहर निकल गया

.

.

.

.

.

अकॅडमी से निकल कर निम्मी घर लौटने लगी ..उसके दिमाग़ मे एक बहुत बड़ी बात चल रही थी ..शायद उस बात ने उसे बेहद परेशान भी कर रखा था

" आज काफ़ी इम्पोर्टेंट. डे था ..फाइनल प्रॅक्टिकल ..सब आए लेकिन शिवानी क्यों नही आई ? "

यही सोचते हुए वो अपने घर से आधी दूरी तक आ चुकी थी

" कॉल करती हूँ ..बात छोटी नही ..कोई अपने फ्यूचर से कैसे खेल सकता है ..वैसे शिवानी पढ़ने मे तो बहुत इंटेलिजेंट है ..फिर ऐसी बेवकूफी "

अक्टिवा रोक कर निम्मी ने शिवानी को कॉल किया .. 3 - 4 बार फुल रिंग जाने पर जब उसने कॉल पिक नही किया तो निम्मी ने अक्टिवा उसके हॉस्टिल की तरफ मोड़ ली

हॉस्टिल के काउंटर पर अपनी डीटेल्स देने के बाद वो सीधी शिवानी के रूम की तरफ बढ़ गयी ..हालाकी इस हॉस्टिल मे उसकी अकॅडमी की बहुत सी गर्ल्स रहती हैं पर निम्मी का आज पहली बार यहाँ आना हुआ था

रूम डोर नॉक कर वो उसके ओपन होने का इंतज़ार करने लगी ..काफ़ी टाइम बाद शिवानी ने गेट खोला

निम्मी ने देखा वो गहरी नींद से जस्ट उठ कर आई थी

" तू यहाँ ? "

शिवानी शॉक्ड हो कर बोली ..कैसे बिलीव करती आज उसकी सबसे बड़ी दुश्मन उसके रूम के बाहर खड़ी थी

" अंदर आ जाउ ? "

निम्मी ने स्माइल देते हुए कहा ..उसे भी बड़ा अचंभा हो रहा था ..जाने क्या सोच कर वो हॉस्टिल चली आई थी

" नही बुलाउन्गि तो नही आएगी क्या ? "

एक व्यंग छोड़ती हुए शिवानी पलट कर कमरे के अंदर चली गयी ..उसके पीछे निम्मी के कदम भी अंदर एंटर हो गये

" आ बैठ ..वैसे यहाँ ए/सी की ठंडक नही है ..माफ़ करना ग़रीब हूँ ना "

एक और टोन्ट कसते हुए शिवानी ने कहा

" छोड़ ठीक है ..मैं सिर्फ़ इतना जान ने आई थी ..तू आज इन्स्टिट्यूट क्यों नही आई ? "

निम्मी ने डाइरेक्ट अपने क्वेस्चन पर कॉन्सेंट्रेट किया ..यूँ झगड़ना तो दोनो की रोज़मर्रा की आदत थी

" तुझे इसमे भी दिक्कत है ..खेर मैं पढ़ाई आगे कंटिन्यू नही करना चाहती ..वापस घर चली जाउन्गि "

इतना कह कर शिवानी को बीती रात याद आने लगी ..जैसा बाप ..बेटी भी तो ठीक उसी के पद चिन्हो पर चल रही है ..मजबूर की मजबूरी का फ़ायदा उठाना

" ये कैसा मज़ाक है ..आइ मीन बाकी सब एक तरफ ..यार तेरा पूरा फ्यूचर स्पायिल हो जाएगा "

निम्मी को शिवानी के वापस जाने की वजह थोड़ी - थोड़ी पता चलने लगी थी ..लेकिन सारी बात वो उसके मूँह से सुनना चाहती थी ..जानती थी एक तरह से इसकी ज़िम्मेदार वो खुद भी है

" तूने बाकी कुछ छोड़ा है मेरे लिए ..यहाँ प्यार के हाथो हारी ..अब पता नही घरवालो को क्या जवाब दूँगी "

बोलते वक़्त शिवानी का गला भर आया ..लेकिन कल रात किए अपने फ़ैसले पर अडिग रही ..कुछ भी हो जाए पर आँसू नही निकलने देगी
atulniye
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
" तू समझती क्यों नही ..सब मेरी ग़लती नही है ..यार मैने भी वही किया जो इस टीनेज मे सबके साथ होता है "

निम्मी ने अपनी बात जारी रखी

" अशोक को मैं भुला चुकी हूँ ..प्लीज़ निम्मी वापस मुझे कमज़ोर मत कर ..मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे अकेला छोड़ दे "

शिवानी बेड से उठ कर सामने बनी खिड़की की तरफ चली गयी ..बाहर उसे मेन रोड का नज़ारा दिखाई दे रहा था ..रफ़्तार के साथ चेहरे बदलते जाते ..लेकिन उन चेहरो मे जो चेहरा उसे देखना हमेशा से पसंद था वो अब शायद ही उसे कभी दिखाई दे पाता

" सुन ..लेट मी एक्सप्लेन ..हां मानती हूँ ग़लती मेरी भी है ..लेकिन तू ही बता ..जब एक लड़का हज़ार बार किसी लड़की को अपने प्यार का इज़हार करेगा ..घंटो उसकी तारीफो के पुल बाँधेगा ..हर वक़्त बेबसी की दलीलें ..यार फिर मैं कैसे पीछे हट जाती ..आइ मीन लाइफ मे 1स्ट टाइम इतना ज़्यादा अट्रॅक्षन झेला था मैने ..मानती हूँ जान बूझ कर मैने तुझे इग्नोर किया ..बट तू समझ यार एक लड़की कब तक अपनी फीलिंग्स छुपा कर रख सकती है "

निम्मी काफ़ी दिनो बाद सच बोली ..अशोक से मिल कर ही उसने जाना था प्यार क्या होता है ..इन्स्टिट्यूट के बाहर अक्सर दोनो घूमने जाते ..पार्टीस ..मौज मस्ती ..रात के 3 - 3 बजे तक फोन पर बातें करना ..शायद यही रीज़न था जो निम्मी ने शिवानी के सच्चे प्यार पर कभी ध्यान नही दिया और फिर बात यहाँ तक बढ़ गयी कि दोनो मे बेट लगने लगी ..कौन जीतेगा

निम्मी काफ़ी फॅशनबल कपड़ो मे अशोक से मिलने जाती ..सुंदर दिखने के लिए उसने हर वो चीज़ की जिससे शिवानी का पत्ता कट हो सके ..लेकिन दिन पर दिन उसे महसूस होने लगा कि उसका प्यार सिर्फ़ पैसो और उसके बदन पर ज़िंदा है

बात करते वक़्त अशोक की नज़रें हमेशा निम्मी के बूब्स और जाते वक़्त उसकी गांद पर जमी रहती ..घड़ी - घड़ी उसके कोमल बदन को छूना .. फिर चाहे हाथ हो ..गाल हो या चुचियाँ ..एक दिन तो हद हो गयी ..अशोक ने उसे अपने दोस्त के फ्लॅट पर बुलाया और कुछ देर तक प्यार भरे सपने दिखाने के बाद अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया

निम्मी इसके लिए बिल्कुल तैयार नही थी ..वो मना कर पाती इससे पहले ही अशोक ने पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ..1स्ट टाइम किसी मर्द का हाथ वहाँ तक पहुचा था ..निम्मी टूटने लगी ..खुमारी मे अपना हाथ उसके हाथ पर दबाते हुए ज़ोरों से आहें भरने लगी ..उसने तय कर लिया कि वो अब नही रुकेगी और जैसे ही दोनो के होंठ जुड़े ..अशोक का फोन बजने लगा

" फक !!!! "

तिलमिला कर उसने नंबर. देखा ..जो उसी दोस्त का था जिसके फ्लॅट पर दोनो अभी बैठे थे

" दो मिनट जान ..मैं अभी आया "

इतना कह कर अशोक ने अपने खड़े लंड को जीन्स के ऊपर से मसला और बात करने के लिए दूसरे कमरे मे चला गया

उसके रूम से बाहर जाते ही निम्मी ने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर ..पैंटी चेक की जो फ्रंट से काफ़ी गीली हो गयी थी

" शिट !!!!! मुझे सूसू आया है शायद "

अंजान निम्मी के कदम बाथ - रूम की तरफ बढ़ गये ..लेकिन दूसरे कमरे के सामने से गुज़रते वक़्त उसने कुछ ऐसी बातें सुन ली जिससे वो तुरंत ही फ्लॅट छोड़ कर अपने घर वापस लौट आई

" अब तुझे क्या हुआ ? "

खिड़की से लौट कर ..निम्मी को ख्वाब मे डूबा देख शिवानी ने पूछा ..उसे बड़ी हैरानी हुई ..निम्मी की आँखों मे गीला पन आ गया था ..हमेशा दूसरो को रुलाने वाली आज खुद रोने वाली है ..शिवानी को झटका लगा

" क ..कुछ नही ..चल आज मैं तुझसे प्रॉमिस करती हूँ ..अब कभी नही लड़ूँगी ..बल्कि एक अच्छी फ्रेंड बन कर रहूंगी "

इतना बोल कर निम्मी वहाँ से जाने लगी ..लेकिन शिवानी ने आगे बढ़ कर उसका रास्ता रोक लिया

" बैठ यहीं ..पहले ये बता तू रो क्यों रही है ? "

उसका हाथ मजबूती से पकड़ कर शिवानी ने वापस उसे बेड पर बिठा लिया

" कोई बात नही है ..मुझे जाने दे "

निम्मी ने अपने आँसुओ को रोकने की भरकस कोशिस की लेकिन वो नही माने ..छलक कर उसके गालो को भिगाना शुरू कर दिया

" कोई तो बात है ..मुझसे मत छुपा ..जब इतने बड़े - बड़े एहसान किए हैं ..तो एक और कर दे "

अनायास ही शिवानी ने उसका लेफ्ट गाल पोंछ दिया ..वो हैरत भरी निगाहों से निम्मी का चेहरा देख रही थी

" अशोक मेरे साथ सिर्फ़ सेक्स करना चाहता था शिवानी ..इसी लिए मैं हमारे लव ट्राइंगल से अलग हो गयी ..चाहती तो तुझे बता देती ..पर शायद तेरा दिल इस बात को नही मानता ..तुझे लगता मेरी कोई नयी चाल है "

सुबक्ते हुए निम्मी ने कहा ..शिवानी को एक और झटका दे कर वो तेज़ी से रोने लगी

" रो मत ..क्या तेरे साथ भी उसने ज़बरदस्ती की ? "

शिवानी ने उसका चेहरा थाम कर कहा

" ह्म्‍म्म्मम !!!!! "

हां मे अपना सर हिला कर निम्मी कंट्रोल नही कर पाई और शिवानी के गले से चिपक गयी ..बड़े दिनो बाद वो रोई थी ..चाहती थी आज उसे संभालने वाला उसे समझे ..वो ऐसी नही जैसी दिखती है ..सिर्फ़ खाल ओढ़ लेने से कोई शेर नही बन जाता ..आन्द्रूनि रूह ही इंसान की सच्चाई का परिचय करवाती है

" जानती थी ..मेरे साथ भी उसने यही किया था ..लेकिन दर्द मुझसे सहा नही गया और मैने आगे कुछ भी करने से मना कर दिया ..शायद ये वजह भी हो सकती है जो उसने तुझे अपने जाल मे फसाया होगा "

शिवानी ने अपनी बात पूरी की ..इस वक़्त उसे बिल्कुल रोना नही आया ..बल्कि उसका चेहरा काफ़ी सीरीयस हो गया था

" सुन तू घर जा ..अब मैं वापस नही जाउन्गि ..यहीं रह कर जॉब करूँगी बट इन्स्टिट्यूट से कुछ ऐसी यादें जुड़ी है ..जो मैं वापस वहाँ नही जाना चाहती "

शिवानी ने उसे खुद से अलग करते हुए कहा ..निम्मी का पूरा चेहरा उसके आँसुओ से तर था ..अपना दुपट्टा उतार कर शिवानी ने उसका फेस सॉफ किया और गालो पर हल्की सी चपत लगा कर मुकुराने लगी

" बड़ी छुपि रुस्तम निकली तू तो ..ऐसे रोएगी तो तेरा ये महेंगा मेक - अप धूल जाएगा ..फिर बाहर लड़को पर बिजली कैसे गिराएगी ..बोल ? "

निम्मी शर्मा कर नीचे देखने लगी ..कभी कभी ग़लतफहमियो के मिटने के बाद बहुत कुछ ऐसा हो जाता है जिसकी आप कतयि उम्मीद नही कर पाते

" छोड़ ये सब ..मैं आज डॅड से बात करूँगी ..शायद उनकी फर्म मे तुझे जॉब मिल जाए ..हमारा फॅमिली बिज़्नेस तो तुझे पता ही है "

निम्मी ने उसकी हेल्प करने का मन बनाया और बेड से उठने लगी ..शिवानी ने भी इस बार उसे नही रोका ..लेकिन निम्मी के मूँह से उसके डॅड का नाम सुन कर वो सकते मे ज़रूर आ गयी

" रहने दे मैं खुद ट्राइ कर लूँगी ..खेर ये बता जब तू इतनी रोट्लु है तो अब तक शेरनी बनी क्यों घूमती रही "

शिवानी की बात सुन कर निम्मी ने अपने दाँत बाहर निकाल दिए ..वो अब काफ़ी नॉर्मल थी

" अपने जिस्म पर गुमान करना सीख ले ..प्यार - व्यार सब फालतू की बातें हैं मैं जान गयी हूँ ..अरे लड़की चाहे तो बाहरवालो को तो छोड़ घरवालो तक की फाड़ सकती है "

जल्दबाज़ी मे निम्मी के मूँह से ग़लत बात निकल गयी ..शिवानी का मूँह भी हैरत से खुला रह गया

" म ..मेरा मतलब है ..घर मे काम करने वाले नौकर ..ड्राइवर माली वगेरा वगेरा ..चल अब मैं चलती हूँ ..कल सुबह मिलने आउन्गि "

निम्मी अपने घबराए चेहरे को छुपा कर तेज़ी से दौड़ती हुई रूम से बाहर निकल गयी

" घरवाले !!!!! "

जाने क्यों शिवानी के चेहरे पर एक शैतानी भरी मुस्कान तैर गयी

" अशोक तू सद - सड़ कर मरेगा "

रूम का गेट लॉक कर शिवानी कमरे के अंदर चली गयी

.

.

.

.

.

हॉस्टिल से बाहर आने पर निम्मी ने चैन की साँस ली

" गॉड ..अच्छा हुआ ये मेरे घरवालो को नही जानती वरना आज तो गजब हो जाता "

निम्मी अक्टिवा स्टार्ट करने लगी ..आज उसने जो भी बातें शिवानी से शेर की थी इसका मतलब तो यही था कि वो जान कर मर्दो को परेशान करती है

" वैसे मैने कुछ ग़लत भी तो नही कहा ..उस दिन डॅड मेरी पुसी लिक्क कर रहे थे ..यहाँ तक की आस होल भी नही छोड़ा ..अगर मैं खुद पर कंट्रोल नही करती तो ..फक !!!!! "

सोचते ही निम्मी को करेंट लगा ..उसके गालो पर लाली छा गयी

" पॅंट के अंदर कितना बड़ा हो गया था डॅड का "

निम्मी की गाड़ी बहेक ने लगी ..रह - रह कर बीता पूरा सीन उसकी आँखों के सामने घूमने लगा

" क्या सच मे डॅड उस दिन मेरे साथ सेक्स कर लेते ..जबकि मैं तो उनकी सग़ी बेटी हूँ "

निम्मी ने खुद से ऐसा सवाल किया जिसका जवाब उसे पता था

" हां - हां कर लेते ..क्यों कि बेटी होने से पहले मैं एक लड़की हूँ ..उन्होने खुद कहा था "

दाँत निकालते हुए वो घर की पार्किंग मे पहुच गयी

" एक और बार ट्राइ करती हूँ ..काफ़ी दिन हो गये मज़े किए "
adbhut
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
aa
अक्टिवा स्टॅंड पर लगा कर वो घर के अंदर पहुचि तो मोम - डॅड कही बाहर जाने के लिए तैयार खड़े मिले

" ओह ओ !!!!! घूमना हो रहा है "

अपने नॉटी अंदाज़ मे उसने पूछा

" चुप कर पागल ..एक फंक्षन मे जा रहे हैं "

कम्मो ने जवाब देते हुए उसके गाल मसल दिए

" डॅड मैं भी चलु "

हलाकी उसे कहीं नही जाना था फिर भी अड़ंगा देने की गर्ज से उसने पूछा ..दीप कयि दिनो बाद कामो के साथ बाहर जा रहा था ..दोनो बाप बेटी भी काफ़ी अरसे बाद आमने सामने आए थे ..या यूँ कहें उस के दिन उनकी पहली मुलाक़ात थी

दीप ने एक नज़र अपनी छोटी बेटी को देखा और फिर मूँह फेर कर घर से बाहर निकल गया ..निम्मी शॉक्ड रह गयी ..कहाँ अपने सभी बच्चो मे दीप का सबसे ज़्यादा लगाव निम्मी से था और आज कितनी बुरी तरह से उसने उसे नेग्लेक्ट कर दिया

" हुहह !!!!! "

पाव पटकती हुई निम्मी अपने रूम की तरफ चल दी ..कम्मो ने उसे पुकारा ..लेकिन ना तो उसने एक नज़र पलट कर अपनी मा को देखा और ना ही रुकी

" भड़ाआअक्कक !!!!! "

इस ज़ोरदार आवाज़ के साथ उसके कमरे का गेट बंद हो गया

" ये लड़की कभी नही सुधरेगी "

खुद से बातें करती हुई कम्मो भी घर से बाहर निकल गयी .....

.

क्रमशः..........................
aaschryajanak
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
पापी परिवार--31

" सुनो बहू से मिलने जा रहे हैं ..कुछ साथ ले कर जाना चाहिए ..अगर रिश्ता तय हो गया तो मूँह दिखाई भी तो देनी पड़ेगी "

कार मे बैठे ही कम्मो ने कहा ..दीप ने बिना कुछ कहे गियर डाला और दोनो मेन रोड पर निकल आए

" कहाँ आप निम्मी की बात पर नाराज़ हो गये ..बच्ची है ..देखना एक बार बहू घर मे आ जाएगी फिर सब सम्हल जाएगा ..वैसे भी तनवी विदेश रही है ..इस हिसाब से तो दोनो की बहुत पटरी खाएगी "

कम्मो ने दीप की नाराज़गी दूर करने की कोशिश की ..लेकिन अब भी वो शांत बैठा कुछ सोच रहा था ..काफ़ी देर बाद उसने अपना मूँह खोला

" क्या ले कर जाना चाहिए ..कोई कपड़े या ज्यूयलरी ? "

आख़िर - कार दीप ने कार को एक शॉपिंग माल की पार्किंग मे रोक कर कहा

" मेरे ख़याल से तो एक अंगूठी ले लेते हैं और उसके साथ साड़ी भी ठीक रहेगी "

कम्मो ने अपनी पसंद ज़ाहिर की

" यही सोच कर मैं सोनी की दुकान पर आया हूँ ..साड़ी भी माल मे मिल जाएगी "

कार से उतर का दोनो माल लिफ्ट मे एंटर हो गये और कुछ ही पलो मे वो ज्यूयेलर सोनी की शॉप के सामने थे

" और सोनी जी कैसे हो ? "

शॉप के अंदर आते ही डीप ने अपने मित्रा का हाल - चाल पूछा

" अरे दीप बाबू ..आहो भाग्य हमारे ..आइए भाभी जी ..अंदर आइए "

सोनी काउंटर से बाहर निकल आया ..दीप से गले मिलने के बाद उसने कम्मो को भी स्वागत किया

" कैसे हैं भाई साब ? "

कम्मो ने जवाब मे कहा

" मैं तो एक दम ठीक हूँ ..आप लोगो को याद करते हुए वक़्त काट रहा है ..लेकिन दीप बाबू तो जैसे अपने मित्र को भूल ही गये ..आज कल इनके दर्शन बेहद दुर्लभ हो गये हैं "

सोनी ने दोनो मिया - बीवी को सोफे पर बिठाया और उनके चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करवाने लगा

" कुछ नही सोनी जी ..मैं बिज़्नेस मे बिज़ी हूँ और मेडम घर सँभालने मे ..याद तो मुझे सब है लेकिन इधर कम ही आना हो पता है "

दीप ने झूठी स्माइल दे कर कहा ..इस वक़्त कुछ भी तो उसके मन मुताबिक़ नही हो रहा था

" तो बताइए आज कैसे आना हुआ और भाभी जी आप को कर्धनि पसंद आई कि नही ? "

इधर - उधर की बातों से निपट कर सोनी सीधा मुद्दे पर आ गया

" कर्ध्नी ? "

एक साथ दोनो चौंक पड़े ..दीप कम्मो के चेहरे को देखने लगा और कम्मो दीप के

" हां बेटा निकुंज आया था 3 - 4 दिन पहले ..होने वाली बहू भी साथ थी ..जाते वक़्त आप के लिए एक कर्ध्नी पॅक करवाई ..लेकिन मुझे लगता है अब तक गिफ्ट दिया नही उसने "

सोनी को भी आश्चर्य हुआ ..बात 3 - 4 दिन पुरानी हो चली थी ..फिर भाभी क्यों गिफ्ट से अंजान हैं ..लेकिन यहाँ उसने ये बात छुपा ली कि निकुंज ने बहू के लिए भी सेम आइटम लिया था

" अच्छा !!!!! चलो कोई बात नही ..मा - बेटे के बीच का प्यार है ..हो सकता है सर्प्राइज़ कुछ दिन रुक कर देना चाहता हो "

दीप ने बीच मे आ कर बात काट दी ..उसे एक शरम सी महसूस हुई ..तनवी के साथ उसके बेटे की इतनी हिम्मत ..कि उनके फॅमिली ज्यूयेलर के पास चला आया ..वहीं सबसे ज़्यादा हैरत मे पड़ी कम्मो ..शॉप पर बैठे होने के बाद भी उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ निकुंज ही घूम रहा था

" धात तेरे की ..मैं भी कितना मूरख हूँ ..सर्प्राइज़ गिफ्ट का पूरा मज़ा किरकिरा कर दिया ..खेर एक बात ज़रूर कहूँगा ..निकुंज जैसा बेटा पा कर आप धन्य हो गये दीप बाबू ..पता है भाभी जी क्या कह रहा था वो ...... "

सोनी बोलते - बोलते रुक गया ..कम्मो अधीर हो उठी ..क्यों कि सोनी का संबोधन उसके लिए था

" क्या कह रहा था ? "

हल्की मुस्कुराहट के साथ कम्मो ने पूछा

" कह रहा था ..जब से जॉब स्टार्ट की है आज तक घर के लिए कुछ नही किया ..तभी तो उसने ख़ास आप के लिए कर्ध्नी गिफ्ट करवाई ..ईश्वर ऐसी काबिल औलाद सब को दे "

सोनी ठहरा व्यापारी ..उसे तो हर ग्राहक को मक्खन लगाना था ..दोस्ती ..रिश्तेदारी अपनी जगह और दुकानदारी अपनी जगह

कम्मो की छाती गर्व से फूल गयी ..निकुंज उसे कितना प्यार करता है सोच - सोच कर वो दोहरी होती जा रही थी ..उसने बीते शक़ के लिए खुद को धिक्कारा और अपने बेटे के लिए उसके दिल मे असीम प्रेम उमड़ पड़ा ..हादसा मानते हुए लगे हाथों उसने निकुंज को माफी भी दे दी

दीप को ना तो सोनी की बातों मे इंटेरेस्ट आ रहा था ना ही कम्मो के खुश होने मे ..फिर भी नॉर्मल मुस्कान के साथ उसे सोनी का शुक्रिया अदा करना पड़ा

" चलिए ये तो तय है कि आप आज बहू के लिए गहने खरीदने आए हैं ..तो बताइए शुरूवात कहाँ से की जाए ? "

सोनी सोफे से उठ कर काउंटर के अंदर चला गया ..जैसे ही उसने दराज़ मे अपना हाथ डाला ..दीप की आवाज़ सुन कर रुक गया

" नही आज पूरी शॉपिंग नही करनी ..बस बहू से मिलने जा रहे थे ..इनका विचार हुआ साथ मे अंगूठी या साड़ी ले जाना ठीक रहेगा ..इसलिए आ गये "

पहली बार दीप के मूँह से तनवी के लिए बहू शब्द निकला ..या यूँ कह लीजिए अब वो भी मान गया था कि तनवी को उसके घर मे आने से कोई नही रोक सकता

" छोटू !!!!! वो मिश्रा जी की शॉप पर चला जा और कहना 330 नंबर. के 4 - 5 बढ़िया पीस निकाल दें "

सोनी ने दुकान के नौकर को समझाया और दूसरी दराज़ मे हाथ डाल ..अंगूठियों का बॉक्स निकाल कर काउंटर - टेबल पर रख दिया

" आइए भाभी जी ..पसंद कर लीजिए ..और आप के मन मुताबिक़ 4 - 5 महनगी साड़ी भी यहीं मंगवा दी हैं "

सोनी के कहने पर कम्मो सोफे से उठ कर काउंटर - चेर पर बैठ गयी ..क़ायदे से तो दीप को भी उसके साथ आना चाहिए था ..लेकिन वो किसी सपने मे डूबा वहीं बैठा रहा

" लगता है दीप बाबू थोड़े परेशान हैं "
Hindi
avismarniye
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
दीप की मनोदशा सोनी एक पल मे ताड़ गया ..हलाकी उसकी बात सिर्फ़ कम्मो के कानो मे पड़ी ..लेकिन उसने कुछ ना कहते हुए जल्दी - जल्दी अंगूठियों को देखना शुरू कर दिया ..जानती थी दीप का मूड तो घर से निकलने के पहले ही खराब हो गया था और तब तक नौकर भी साड़ी का बंच ले कर वापस लौट आया

ब्लू साड़ी पसंद करने के बाद कम्मो ने रिंग भी लगभग सेम मॅचिंग की चूज़ कर ली

" देखिए ये कैसी रहेगी ? "

दीप की तंद्रा तोड़ते हुए उसने दोनो आइटम उसे दिखाए और फिर ज़्यादा ना रुकते हुए दोनो शॉप के बाहर निकलने लगे

" आते रहिएगा "

सोनी ने स - सम्मान उन्हे विदा किया और पति - पत्नी माल से वापस मेन रोड पर आ गये

" फोन कर दो भाई साब को ..एक दम से किसी के घर जाना ठीक नही लगता "

कम्मो के कहने पर दीप ने जीत को कॉल किया और 20 मिनट. से बंगले पर पहुचने की सूचना दे दी

.

.

.

.

.

वहीं जीत के घर हालात आज भी सेम थे ..किचन मे खड़ी तनवी शाम की कॉफी बना रही थी और हॉल के सोफे पर बैठा जीत ईव्निंग कॉफी का इंतज़ार कर रहा था

फोन पर बात होने के बाद जीत फॉरन हरक़त मे आया और दौड़ कर किचन मे पहुच गया

" डॅड आप को बिल्कुल भी सबर नही ..फिर आ गये ..अभी तो इसे बिठाया था "

दोनो बिल्कुल नंगे थे ..तनवी ने उसके बैठे लंड पर अपने हाथ से चपत लगा कर कहा

" नही ..वो दीप का कॉल आया है ..20 मिनट. से घर आ जाएगा "

जीत ने उसे किचन के अंदर आने की वजह बताई

" तो क्या हुआ ..आज ससुर जी के साथ भी थोड़ी मस्ती कर लूँगी "

तनवी मुस्कुरा कर बोली ..जहाँ एक तरफ जीत थोड़ा घबराया सा था ..वहीं उसकी बेटी के चेहरे पर इस बात से शिकन तक नही आई

" मज़ाक छोड़ तनवी ..भाभी भी उसके साथ हैं ..शायद दोनो शादी की बात फाइनल करने आ रहे हैं "

तनवी का हाथ अपने लंड से अलग कर जीत कपड़े पहनने की गरज से बाहर जाने लगा और अगले ही पल तनवी ने उसे रोक लिया

" डॅड टेन्षन मत लो ..ये रिश्ता हो कर रहेगा ..फिर चाहे किसी को प्राब्लम हो या ना हो ..अभी वक़्त है उन्हे आने मे ..कॉफी पी कर रेडी हो जाएँगे "

बरनर ऑफ करते हुए तनवी ने दो कप कॉफी से भर लिए और जीत के साथ हॉल मे आ गयी

" डॅड क्या पहनु ..वेस्टर्न या ट्रडीशनल ? "

कॉफी की चुस्की ले कर तनवी ने पूछा ..उसे इस तरह रिलॅक्स देख जीत हैरानी से भर गया

" साड़ी पहेन ना तो तुझे आती नही ..जल्दी से कॉफी ख़तम कर और एक सिंपल सा सलवार कमीज़ पहेन ले "

अभी भी जीत के मुरझाए चेहरे पर तनवी को काफ़ी टेन्षन दिखाई दे रही थी ..उससे रहा नही गया और वो सोफे पर सरक्ति हुई बिल्कुल जीत से सॅट कर बैठ गयी

" डॅड एक बात कहूँ ..दीप अंकल मुझे अपने घर की बहू नही बनाना चाहते और बनाएँगे भी क्यों ..मेरा चरित्र जो उनके सामने आ गया है ..लेकिन मैं हार नही मान ने वाली ..मेरी पहचान जान ने से पहले तो उनका रोम - रोम तड़प रहा था मुझे पाने के लिए ..यहाँ तक कि उन्होने एक बाप से उसकी बेटी को सेक्स के लिए राज़ी करने को बोला दिया ..लेकिन जैसे ही उनकी आँखों ने मेरी तस्वीर देखी होगी ..उनका मन बदल गया ..डॅड अगर वो मुझे बहू के रूप मे स्वीकार करना चाहते होते तो अब तक आप को हां कर दिया होता ..इस तरह बात को नही टालते "

तनवी एक साँस मे अपनी बात कह कर चुप हो गयी ..फिर कॉफी का लोंग सीप ले कर उसने वापस बोलना शुरू किया

" डॅड मैने उनकी आँखों मे एक अलग किस्म का वहशिपन देखा ..जो अक्सर सेक्स के प्रति ज़्यादा रुझान रखने वालो मे पाया जाता है ..जाने क्यों मन नही मानता कि उनकी बेटियाँ अब तक कुँवारी बची होंगी या नही ..नज़रों का क्या है ..जब खराब हो जाएँ तो रीलेशन'स की कोई वॅल्यू नही रह जाती ..आप टेन्षन मत लो ..निकुंज मेरी मुट्ठी मे क़ैद है ..अगर चाहु तो दो मिनट. मे अंकल को भी अपने बस मे कर सकती हूँ ..लेकिन नही ..उन्होने मेरे साथ आपकी बचपन की दोस्ती पर भी उंगली उठाई है ..अगर तडपा - तडपा कर इसका बदला नही लिया तो मेरा नाम तनवी नही ..इल्ज़ाम देने से पहले इंसान को अपने गिरेबान मे झाँक कर देखना चाहिए कि आप खुद कितने पानी मे है "

इतना कह कर उसने खाली कप उठा लिए और किचन की तरफ जाने लगी

" बेटा इन सब बातों से तेरा हस्ता - खेलता फ्यूचर बर्बाद हो जाएगा ..ज़रूरी नही तेरी शादी उसी घर मे हो ..याद रख बदला हमेशा दो तरफ़ा वार करता है ..जिससे लिया जाए वो तो नष्ट होता ही है साथ ही लेने वाला भी उसकी चपेट से नही बच पाता ..एक बाप होने के नाते तो मैं यही सलाह दूँगा कि बीती बातें भूल जा और सब किस्मत पर छोड़ दे ..बदले की भावना रखने से केवल दुख हासिल होता है "

जीत बेड रूम की तरफ बढ़ते हुए बोला ..आज उसे अपनी बेटी का नया रूप देखने को मिला ..हमेशा खुश रहने वाली लड़की की आँखों मे उसने शोले उबलते देखे ..जाने आगे क्या होना है ..लेकिन उसके दिल से तो अपनी बेटी के सुखी जीवन के लिए दुआ ही निकली ..बाप है बद्दुआ तो दे नही सकता

.
sukhkari
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
अगले 5 मिनट मे जीत रेडी हुआ और बेहद ढीला - ढाला सफेद कुर्ता पाजामा पहेन कर वापस हॉल मे लौट आया

" तैयार होज़ा तनवी वो लोग आते ही होंगे "

बेटी को सोच मे डूबा देख उसने उसे समझाया ..जाने क्यों अब उसकी चिंता ने डर का रूप ले लिया था

" डॅड एक लास्ट बात कहनी है ..दीप अंकल के सामने घबराना मत ..एक दम नॉर्मल रहना ..जैसे आप को कुछ मालूम ही ना हो ..बाकी सब मुझ पर छोड़ दो ..आज वो यहाँ से रिश्ता क़ुबूल कर के ही वापस जाएँगे "

तनवी ने सोफे से उठ कर कहा ..जीत के सामने पहुच कर उसके होंठो को चूमा और बेड - रूम की तरफ बढ़ गयी

.

.

.

.

ठीक 10 मिनट बाद घर का मेन डोर नॉक हुआ ..जीत ने एक नज़र बेड रूम की तरफ देखा और सब कुछ सही जान कर गेट खोलने के लिए आगे बढ़ गया

" आओ आओ ..नमस्ते भाभी "

दीप से गले मिलने के बाद उसने कम्मो को भी ग्रीट किया और तीनो घर के अंदर आ गये

" इतने दिनो से कहाँ था भाई ..ना कोई खोज ..ना खबर "

फेस पर नॉर्मल एक्सप्रेशन लाते हुए जीत ने पूछा ..हलाकी अभी उसके दिल की धड़कने काफ़ी रफ़्तार से दौड़ रही थी ..लेकिन बेटी के रिश्ते के खातिर उसने खुद पर कंट्रोल बनाए रखा

" कुछ नही ..बस थोड़ा अफीशियल कामो मे बिज़ी था "

जवाब मे दीप ने उसे घूर कर देखा ..रिश्ते से ना - खुश आज उसे अपने बचपन का दोस्त भी दुश्मन बराबर लग रहा था

" भाभी आप को पहचान पाना बेहेद मुश्क़िल है "

जीत ने दीप की फीलिंग ताड़ कर अपना ध्यान कम्मो की तरफ मोड़ने की कोशिश की ..तनवी का कहा एक - एक शब्द सच साबित हुआ था

" कहाँ !!!!! वैसी ही तो हूँ ..हां बुढ़ापा ज़रूर आ गया है "

कम्मो ने स्माइल दे कर कहा ..आज 25 सालो बाद वो जीत को वापस देख रही थी ..ढूंडली यादों का पीछा करते हुए उसने बीते वक़्त से आज के जीत का मिलान किया ..जिसमे चेंजस ना के बराबर दिखाई दिए

" नही भाभी !!!!! मुझे लगता है आप क़ी जगह ये बूढ़ा होने लगा है "

जीत की बात पर तीनो हँसने लगे ..लेकिन यहाँ दीप की हसी बनावटी थी

" बहू कहाँ है ? "

कम्मो की नज़र ने पूरे घर का मुआएना किया ..सामने की दीवार पर उसकी आँखें जीत की मृत पत्नी ( रश्मि ) की तस्वीर पर आ कर रुक गयी और वो सोफे से उठ कर उस तस्वीर के नज़दीक जाने लगी

" रश्मि ..तनवी की मा "

जीत ने कम्मो को तस्वीर की तरफ जाते देख कहा

" इन्होने बताया था ..सुन कर बेहद दुख हुआ "

कुछ देर तस्वीर को निहार कर कम्मो ने तनवी का चेहरा इमॅजिन किया ..हलाकी दीप के सेल मे उसकी रीसेंट फोटो वो देख चुकी थी फिर भी खुद को तारीफ़ करने से नही रोक पाई

इसी बीच बेड - रूम का गेट खुला और पिंक सलवार कमीज़ पहेने तनवी हॉल मे आने लगी ..बेहद धीमी चाल ..सर पर दुपट्टा ..लाइट मेक - अप ..ज़रूरत के हिसाब की ज्यूयलरी ..कुल मिला कर पहली ही नज़र मे उसने कम्मो का दिल जीत लिया

ट्रडीशनल बिहेवियर दिखाते हुए जीत सोफे से उठ कर खड़ा गया ..कम्मो भी उनके करीब पहुच गयी

" प्रणाम अंकल जी "

पास आते ही तनवी ने दीप के पैर छुये ..बाकी लोगो की मौजूदगी मे उसे भी आशीर्वाद स्वरूप तनवी के बालो पर अपना हाथ फेरना पड़ा

इसके तुरंत बाद तनवी कम्मो के आगे झुकी ..लेकिन उसने तनवी को अपने सीने से चिपका लिया

" भाई साब बहू की ज़रूरत का समान पॅक करवा दीजिए ..हम इसे आज ही अपने साथ ले जाएँगे ..क्यों जी ठीक कहा ना मैने ? "

कम्मो ने तनवी का माथा चूम कर कहा ..अपने बेटे के लिए इतनी सुंदर और शुशील पत्नी पा कर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही था

" हां हां क्यों नही ..भाई जीत तेरी भाभी को इसी लिए यहाँ लाया था ..बड़ी ज़िद कर रखी थी ..बहू से मिलना है ..बहू से मिलना है ..अब जब होम मिनिस्टर ने तनवी को पसंद कर लिया है ..तो मेरी तरफ से भी हां हुई "

दीप सोफे से उठ कर जीत के गले मिला और अपने हाथ मे पकड़ा गिफ्ट पार्सल उसने कम्मो को थमा दिया

" ये लो बेटी हमारी तरफ से मूँह दिखाई ..अब घर के बड़े बुज़ुर्ग तो यहाँ हैं नही ..तो सब हमारा ही फ़र्ज़ बनता है "

कम्मो ने पॅकेट तनवी के हाथो मे दे कर कहा ..जीत की चिंता पूरी तरह से ख़तम हो गयी और उसकी आँखें रश्मि की तस्वीर को देखने लगी ..शायद पत्नी से किया वादा अब जल्द ही पूरा होने वाला था

" बेटी तनवी ..मूँह मीठा कर्वाओ सब का "

जीत के कहने पर तनवी सक्रिय हो गयी और कुछ ही पलो बाद वहाँ खुशी का जश्न मनाया जाने लगा

" यार कम से कम अपना घर तो दिखा दे "

खा - पी कर दीप ने जीत से कहा ..जीत ने फॉरन तनवी के चेहरे को देखा तो उसकी बेटी ने इशारे से उसे कुछ समझाया

" भाई अब तो अपनी बहू से ही अपनी सेवा करवा ..क्यों भाभी ? "

इशारा समझते ही जीत ने कम्मो से पूछा

" हां हां क्यों नही ..जाइए आप घर देखिए जब तक हम शादी की तैयारियों का सोचते हैं ..भाई साब जल्दी ही किसी अच्छे पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवाना चाहिए ..मुझसे तो बिल्कुल सबर नही होगा "

हॉल मे एक और ठहाका गूंजा लेकिन जब तक दीप तनवी के साथ घर देखने मे व्यस्त हो गया ..ये तो मात्र एक बहाना था ..दीप खुद चाहता था कि अकेले मे कुछ देर तनवी के साथ बातें कर सके

" वाउ !!!!! गार्डेन भी है ..इसे तो मैं ज़रूर देखूँगा "

हॉल मे वापस लौट कर दीप ने कहा ..अब एकांत मे जाने के लिए यही आख़िरी ऑप्षन बचा था

" तो देख ले ना ..तेरा ही तो घर है "

कम्मो के सामने जीत की अनुमति मिलते ही दोनो गार्डेन की तरफ चल पड़े ..किसी भी प्रकार के शक़ से बचने के लिए जीत और कम्मो की अनुमति लेना ज़रूरी था

" अंकल आप मुझे यहाँ क्यों लाए हैं ? "

गार्डेन मे पहुचते ही तनवी ने कहा ..टॉपिक स्टार्टिंग मे उसे यही क्वेस्चन करना उचित लगा

" इतनी भोली मत बन तनवी ..मैं तो कतयि तुझे बहू स्वीकार नही करूँगा ..बस अपनी बीवी और बेटे के कारण मुझे झुकना पड़ा वरना तू कभी मेरे घर की चौखट नही चढ़ पाती "

दीप ने अपने अंदर भरी भडास बाहर निकालते हुए कहा

" उस वक़्त कहाँ थी आप की बातें जब मुझसे अपना लंड चुस्वा रहे थे ..बड़ा प्यार आ रहा था उस टाइम तो ..याद हैं खुद के शब्द .. ' अब लंच कब कर्वाओगि ' "

तनवी ने भी ईट का जवाब पत्थर से दिया
sukhad
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,003
173
दीप :- " उस वक़्त मुझे कहाँ पता था कि तुम जीत की बेटी हो "

तनवी :- " पता चल भी जाता तो भी मेरे साथ सेक्स करते ..अंकल ये जिस्मानी भूक है ..इसे जितना रोको उतनी ही बढ़ती है "

दीप :- " तुझे शायद मुझसे ज़्यादा पता है "

" ज़रूरी नही जानकारी होने से मैं रंडी बन गयी ..आज भी वर्जिन हूँ ..चाहें तो सामने बने स्टोर रूम मे चेक कर सकते हैं "

तनवी की इस जवाब से दीप निरुत्तर हो गया ..अपलक कुछ देर तक उसकी आँखों मे देखता रहा

" तनवी मैं बाहर की लाइफ कैसी भी जीता हूँ लेकिन मेरे घर मे ऐसा माहॉल नही ..मेरी दो बेटियाँ हैं ..निकुंज से छोटी ..बस डर इतना सा है ..कहीं...... "

इसके आगे दीप के शब्द नही निकले ..एक तरह से उसने अपना सच तनवी पर ज़ाहिर कर दिया

" फिकर ना करें ..कुछ ग़लत नही होगा ..घर मे जैसे सब रहते हैं मैं भी रहूंगी ..अब वापस चलिए हम काफ़ी देर से यहाँ हैं "

तनवी ने उसका हाथ अपने दोनो हाथो के बीच रखते हुए कहा ..जैसे उसे इस बात का विश्वास दिला रही हो

" देखता हूँ कब तक सब सही रहता है "

शंकित मन से दीप घर की तरफ लौटने लगा और वहीं तनवी के चेहरे पर विजयी मुस्कान तैर गयी ....
Hindi
chitchor
 
Top