पापी परिवार--31
" सुनो बहू से मिलने जा रहे हैं ..कुछ साथ ले कर जाना चाहिए ..अगर रिश्ता तय हो गया तो मूँह दिखाई भी तो देनी पड़ेगी "
कार मे बैठे ही कम्मो ने कहा ..दीप ने बिना कुछ कहे गियर डाला और दोनो मेन रोड पर निकल आए
" कहाँ आप निम्मी की बात पर नाराज़ हो गये ..बच्ची है ..देखना एक बार बहू घर मे आ जाएगी फिर सब सम्हल जाएगा ..वैसे भी तनवी विदेश रही है ..इस हिसाब से तो दोनो की बहुत पटरी खाएगी "
कम्मो ने दीप की नाराज़गी दूर करने की कोशिश की ..लेकिन अब भी वो शांत बैठा कुछ सोच रहा था ..काफ़ी देर बाद उसने अपना मूँह खोला
" क्या ले कर जाना चाहिए ..कोई कपड़े या ज्यूयलरी ? "
आख़िर - कार दीप ने कार को एक शॉपिंग माल की पार्किंग मे रोक कर कहा
" मेरे ख़याल से तो एक अंगूठी ले लेते हैं और उसके साथ साड़ी भी ठीक रहेगी "
कम्मो ने अपनी पसंद ज़ाहिर की
" यही सोच कर मैं सोनी की दुकान पर आया हूँ ..साड़ी भी माल मे मिल जाएगी "
कार से उतर का दोनो माल लिफ्ट मे एंटर हो गये और कुछ ही पलो मे वो ज्यूयेलर सोनी की शॉप के सामने थे
" और सोनी जी कैसे हो ? "
शॉप के अंदर आते ही डीप ने अपने मित्रा का हाल - चाल पूछा
" अरे दीप बाबू ..आहो भाग्य हमारे ..आइए भाभी जी ..अंदर आइए "
सोनी काउंटर से बाहर निकल आया ..दीप से गले मिलने के बाद उसने कम्मो को भी स्वागत किया
" कैसे हैं भाई साब ? "
कम्मो ने जवाब मे कहा
" मैं तो एक दम ठीक हूँ ..आप लोगो को याद करते हुए वक़्त काट रहा है ..लेकिन दीप बाबू तो जैसे अपने मित्र को भूल ही गये ..आज कल इनके दर्शन बेहद दुर्लभ हो गये हैं "
सोनी ने दोनो मिया - बीवी को सोफे पर बिठाया और उनके चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करवाने लगा
" कुछ नही सोनी जी ..मैं बिज़्नेस मे बिज़ी हूँ और मेडम घर सँभालने मे ..याद तो मुझे सब है लेकिन इधर कम ही आना हो पता है "
दीप ने झूठी स्माइल दे कर कहा ..इस वक़्त कुछ भी तो उसके मन मुताबिक़ नही हो रहा था
" तो बताइए आज कैसे आना हुआ और भाभी जी आप को कर्धनि पसंद आई कि नही ? "
इधर - उधर की बातों से निपट कर सोनी सीधा मुद्दे पर आ गया
" कर्ध्नी ? "
एक साथ दोनो चौंक पड़े ..दीप कम्मो के चेहरे को देखने लगा और कम्मो दीप के
" हां बेटा निकुंज आया था 3 - 4 दिन पहले ..होने वाली बहू भी साथ थी ..जाते वक़्त आप के लिए एक कर्ध्नी पॅक करवाई ..लेकिन मुझे लगता है अब तक गिफ्ट दिया नही उसने "
सोनी को भी आश्चर्य हुआ ..बात 3 - 4 दिन पुरानी हो चली थी ..फिर भाभी क्यों गिफ्ट से अंजान हैं ..लेकिन यहाँ उसने ये बात छुपा ली कि निकुंज ने बहू के लिए भी सेम आइटम लिया था
" अच्छा !!!!! चलो कोई बात नही ..मा - बेटे के बीच का प्यार है ..हो सकता है सर्प्राइज़ कुछ दिन रुक कर देना चाहता हो "
दीप ने बीच मे आ कर बात काट दी ..उसे एक शरम सी महसूस हुई ..तनवी के साथ उसके बेटे की इतनी हिम्मत ..कि उनके फॅमिली ज्यूयेलर के पास चला आया ..वहीं सबसे ज़्यादा हैरत मे पड़ी कम्मो ..शॉप पर बैठे होने के बाद भी उसके दिमाग़ मे सिर्फ़ निकुंज ही घूम रहा था
" धात तेरे की ..मैं भी कितना मूरख हूँ ..सर्प्राइज़ गिफ्ट का पूरा मज़ा किरकिरा कर दिया ..खेर एक बात ज़रूर कहूँगा ..निकुंज जैसा बेटा पा कर आप धन्य हो गये दीप बाबू ..पता है भाभी जी क्या कह रहा था वो ...... "
सोनी बोलते - बोलते रुक गया ..कम्मो अधीर हो उठी ..क्यों कि सोनी का संबोधन उसके लिए था
" क्या कह रहा था ? "
हल्की मुस्कुराहट के साथ कम्मो ने पूछा
" कह रहा था ..जब से जॉब स्टार्ट की है आज तक घर के लिए कुछ नही किया ..तभी तो उसने ख़ास आप के लिए कर्ध्नी गिफ्ट करवाई ..ईश्वर ऐसी काबिल औलाद सब को दे "
सोनी ठहरा व्यापारी ..उसे तो हर ग्राहक को मक्खन लगाना था ..दोस्ती ..रिश्तेदारी अपनी जगह और दुकानदारी अपनी जगह
कम्मो की छाती गर्व से फूल गयी ..निकुंज उसे कितना प्यार करता है सोच - सोच कर वो दोहरी होती जा रही थी ..उसने बीते शक़ के लिए खुद को धिक्कारा और अपने बेटे के लिए उसके दिल मे असीम प्रेम उमड़ पड़ा ..हादसा मानते हुए लगे हाथों उसने निकुंज को माफी भी दे दी
दीप को ना तो सोनी की बातों मे इंटेरेस्ट आ रहा था ना ही कम्मो के खुश होने मे ..फिर भी नॉर्मल मुस्कान के साथ उसे सोनी का शुक्रिया अदा करना पड़ा
" चलिए ये तो तय है कि आप आज बहू के लिए गहने खरीदने आए हैं ..तो बताइए शुरूवात कहाँ से की जाए ? "
सोनी सोफे से उठ कर काउंटर के अंदर चला गया ..जैसे ही उसने दराज़ मे अपना हाथ डाला ..दीप की आवाज़ सुन कर रुक गया
" नही आज पूरी शॉपिंग नही करनी ..बस बहू से मिलने जा रहे थे ..इनका विचार हुआ साथ मे अंगूठी या साड़ी ले जाना ठीक रहेगा ..इसलिए आ गये "
पहली बार दीप के मूँह से तनवी के लिए बहू शब्द निकला ..या यूँ कह लीजिए अब वो भी मान गया था कि तनवी को उसके घर मे आने से कोई नही रोक सकता
" छोटू !!!!! वो मिश्रा जी की शॉप पर चला जा और कहना 330 नंबर. के 4 - 5 बढ़िया पीस निकाल दें "
सोनी ने दुकान के नौकर को समझाया और दूसरी दराज़ मे हाथ डाल ..अंगूठियों का बॉक्स निकाल कर काउंटर - टेबल पर रख दिया
" आइए भाभी जी ..पसंद कर लीजिए ..और आप के मन मुताबिक़ 4 - 5 महनगी साड़ी भी यहीं मंगवा दी हैं "
सोनी के कहने पर कम्मो सोफे से उठ कर काउंटर - चेर पर बैठ गयी ..क़ायदे से तो दीप को भी उसके साथ आना चाहिए था ..लेकिन वो किसी सपने मे डूबा वहीं बैठा रहा
" लगता है दीप बाबू थोड़े परेशान हैं "
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