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Incest पापी परिवार

Nevil singh

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"अगर तुम सच में ऐसा चाहते हो कि मैं तुम्हारा लंड चुसू तो उसके लिए तुम्हे अपनी फ्रेंची उतारने में मेरी मदद करनी होगी" निकुंज को उस रंगीन सपने से बाहर ला कर नीमा बोली. उसका आशय समझते ही खुद ब खुद निकुंज की गान्ड हवा में ऊपर उठ जाती है और क्षण मात्र का समय व्यर्थ किए बगैर नीमा के अनुभवी हाथ फ्रेंची को उसके शरीर से अलग कर देते हैं.


"उफफफफ्फ़" निकुंज की टाँगो के मध्य में बैठी नीमा के सुंदर नयन और उसका मूँह, दोनो हैरत से फॅट पड़ते हैं जब वह उसके विशाल एवं तने लौडे को ठीक उसके पेट से चिपका पाती है. लंड की अत्यंत गोरी सतह पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती नीली नसों के तनाव से वह बुरी तरह झटके खा रहा था और नीमा के आंकलन के मुताबिक उसकी मोटाई, स्वयं उसके हाथ की कलाई बराबर जान पड़ रही थी.


नीमा के चेहरे पर उभरे विचित्र भाव को देख कर निकुंज मंन ही मंन अपने लंड की विशेषता पर गर्व करता है. सग़ी मा कम्मो द्वारा तारीफ़ में मिले वे शब्द "इसकी लंबाई बहुत अच्छी है निकुंज, काफ़ी कम मर्दो के पास इतना विकराल लिंग होता है" उसके कानो में रस घोलने लगते हैं.


"मैं कितना लकी हूँ जो मुझे आप जैसी ब्यूटिफुल एंड सेक्सी औरत का प्यार मिल रहा है" निकुंज की आवाज़ नीमा को गहरी नींद से वापस वर्तमान में खीच लाती है. खुशामद तो महज एक बहाना था, उसे तो अपनी आंटी को उनका लक्ष्य याद दिलाना था.


"निकुंज !! वाकाई तुम बहुत बेशरम लड़के हो और जाने क्यों मैं भी तुम्हारे साथ इस बेशर्मी की हिस्सेदार बनने जा रही हूँ" नीमा ने नखरीले अंदाज़ में कहा और कहने के उपरांत ही वह उस कठोर लंड को अपनी छोटी सी दाईं मुट्ठी में समाने का असफल प्रयास करती है.


"ओह्ह्ह यस आंटी !! मैने पहले भी कहा था, आप के हाथ का स्पर्श कितना मजेदार है" निकुंज आनंद स्वरूप सोफे पर उच्छल पड़ता है. वहीं नीमा की हालत भी कुच्छ कम खराब नही है, अत्यधिक कामोत्तजना मैं उसकी चूत कामरस से भीग कर उसकी गुलाबी कॅप्री में काँप रही थी.


"बदतमीज़ कहीं का" ताना मारती नीमा उसका लंड सहलाना शुरू कर देती है. लंड की अति-मुलायम चमडी पर उसका कोमल हाथ बड़ी आसानी से फिसल रहा था और उसकी अखंड गर्माहट से वह अचंभित होने लगी थी. जल्द ही लंड अपनी संपूर्ण विशालता को प्राप्त कर जाता है.
sunder
 

Nevil singh

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निकुंज बड़े गौर से अपनी आंटी के सुंदर चेहरे को देखने में मग्न है. नीमा अनेको प्रकार के मूँह बनाकर अपना हाथ उसके विकराल लंड पर जितनी तेज़ी से वह कर सकती थी, ऊपर-नीचे कर रही थी. सहसा दोनो की आँखें मिल जाती हैं, निकुंज फॉरन शरारत भरी मुस्कान बिखेर देता है और नीमा के गाल शर्म से लाल हो उठते हैं.


"लगता है काफ़ी गहरी दोस्ती हो गयी है आप दोनो में" निकुंज का इशारा अपने खड़े लंड की ओर था और यह बात वह ठीक अपनी आंटी की आँखों में झाँक कर कहता है, जिसे सुनकर नीमा भी खुद को मुस्कुराने से नही रोक पाती. अब उनके दरमियाँ काफ़ी खुला पन आ चुका था.


"तुमने ही मुझे ऐसा करने पर मजबूर किया है निकुंज" नीमा ने अपनी उंगलियाँ उस झटके खा रहे लंड की गोलाई पर कठोरता से कसते हुए कहा और अपनी कलाई उसकी जड़ तक ले गयी. फिर कुच्छ लम्हो के लिए वह अत्यंत कामुकता से उस फूले हुए सुपाडे को निहारती है, जो तरल चिपचिपे पदार्थ से भीगा हुआ था. उत्तेजना के ज्वर से सुपाडे की रंगत हल्के बेन्गनि रंग की हो गयी थी और वह किसी छोटे आलू-बुखारे समान नज़र आ रहा था.


नीमा की चंचल आँखों में कयि इक्षाएँ जन्म ले चुकी थी और फिर वह काम-लूलोप, अनियंत्रित नारी अपने सर को नीचे की ओर लाती है और अपने होंठ उसके सुपाडे से चिपका देती है.


"उफ़फ्फ़" निकुंज तड़प उठता और उसकी आह के साथ ही नीमा ने अपनी लंबी जीभ बाहर निकालते हुए, अत्यधिक सिहरन से काँप रहे लौडे के सुपाडे पर उसे गोल-गोल घुमाने लगी. मर्दाने अंग की मादक सुगंध से नीमा के गुदा द्वार में कपकपि दौड़ गयी थी.


"बहुत, बहुत, बहुत मज़ा आ रहा है आंटी" निकुंज ने अपनी टी-शर्ट को उतार कर दूर उछाल्ते हुए कहा और फिर अपने दोनो हाथो से नीमा के खुले बालो का जूड़ा बना कर, उसके सर को अपने कंट्रोल में ले लेता है.


अपने शर्मनाक कार्य की इतनी मनमोहक प्रतिक्रिया से अभिभूत नीमा की जिह्वा बड़े उत्साह से, लंड की पूरी लंबाई को चाट रही थी और जल्द ही सुपाडे से लेकर टट्टो तक वह उसे अपनी थूक और लार से नहला देती है.


"क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है निकुंज ?" लंड हिलाने की रफ़्तार को कायम रखते हुए नीमा ने पुछा. यही तो स्त्री गुण की प्रथम विशेषता है कि सब कुच्छ आँखों के सामने घटित होता देख कर भी उन्हे अपनी प्रशन्शा सुनने की तीव्र लालसा होती है "क्या तुम चाहोगे कि अब मैं तुम्हारे लंड को अपने मूँह के अंदर कर लूँ ?" वह अश्लीलता-पूर्वक प्रश्न करती है.


"हां हां आंटी !! मैं तो कब से यही चाहता हूँ" निकुंज उसके घने बालो से खेलते हुए चहका, उसके उन्माद की सीमा का तो कोई अंत ही ना था "मुझे बहुत खुशी होगी" वह धैर्य खोता जा रहा था.
jaadui
 

Nevil singh

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नीमा ने अपनी कजरारी आँखों का जुड़ाव उसकी आँखों से जोड़ा और तत-पश्चात अपने होंठो को फाड़ते हुए स्वयं की थूक और कामरस के लेप से मिश्रित सुपाडा उन होंठो के भीतर प्रवेश करवा लिया. नीमा का दूसरा हाथ निकुंज के बड़े-बड़े टट्टो और उसकी काली घुंघराली झाटों को लगातार सहला भी रहा था.


इंच-इंच नीचे की ओर फिसलते नीमा के कोमल होंठ, सुड़कते हुए उस विकराल लंड को अपने छोटे से मूँह के अंदर समाने का प्रयत्न कर रहे थे. उसने कोशिश की, कि उसके दाँत लंड की मोटाई के आड़े आ कर उसकी मुलायम त्वचा पर रगड़ ना खाएँ और कुच्छ ही क्षण बाद उसे अपना मूँह उस अकडे लौडे से पूरा भरता हुआ महसूस होता है.


अपने सगे पुत्र विक्की का समूर्ण लंड अपने मूँह में समा लेने वाली उसकी पापिन मा नीमा, अभी अपनी दोस्त के बेटे का एक-चौथाई लंड भी बड़ी कठिनाई से अपने मूँह में निगल पाई थी "जाने कम्मो ने इसे कैसे चूसा होगा, वह भी अपनी पहली बार में" नीमा हैरत में भर कर सोचती है.


"ओह्ह्ह्ह आंटी !! चूसो, ज़ोर से चूसो और अंदर लो" निकुंज बुदबुदाता है और नीमा का सर शक्ति-पूर्वक अपने हाथो में जकड लेता है. उसकी इस हरक़त से कमोज्जित वह औरत उसके फड़फड़ा रहे विशाल लंड को बेहद कड़ाई से चूसना आरंभ कर देती है. अपनी खुली आँखो के सम्मोहन से वह निकुंज को अधिक और अधिक आनंद का एहसास करवा रही थी.


"स्लूरप्प्प स्लूरप्प्प" अपने होंठो के बल-स्वरूप नीमा अपना मूँह बड़ी तेज़ी से लंड पर पटक रही थी और जब वह उतनी ही रफ़्तार से वापस अपना मूँह ऊपर लाती तो उसके मूँह से संतुष्टि-पूरक सुड़कने की कामुक आवाज़ें भी उँची हो कर कमरे में गूंजने लगती.


"उफफफ्फ़ !! मैं .. मैं पागल हो जाउन्गा" अकल्पनीय सुख की प्राप्ति होने से निकुंज की आवाज़ में कंपन आने लगा "बस इसी तरह चूसो !! रुकना .. रुकना नही आंटी. आप बहुत अच्छे से लंड चूस्ति हो" वह चीख उठता है.


निकुंज द्वारा अपनी अश्लील, घ्रानित प्रशन्शा सुन कर नीमा की उंगलियाँ चुटकियों में उसके आकड़े लौडे की जड़ पर कस जाती हैं और फिर वह बड़ी प्रचंडता के साथ उसका सुपाडा चूस्ते हुए, लंड को मुठियाने लगती है. नीमा की पारंगत खुरदूरी जीभ भी अपने अनुभव का बखूबी इस्तेमाल कर रही थी और जो उसके मूँह के अंदर सुपाडे की नज़ाक सतह को बुरी तरह खरॉच रही थी, छील रही थी.



"ह्म्‍म्म !! स्लूरप्प्प .. स्लूरप्प्प !! " नीमा पुरज़ोर शक्ति लगाते हुए उस लंड को चूस रही है, अपने मुख की गति पर वह स्वयं हैरान है, अचंभित है " क्यों उसके मूँह से लंड सुड़कने की मादक आवाज़ें इतनी उँची और तेज़-तेज़ आ रही हैं, क्यों उसके मूँह के अंदर लार बनने की मात्रा में निरंतर वृद्धि होती जा रही है, क्यों वह इतनी तत्परता से लंड चूसने में मगन है. आख़िर क्यों ?" कुच्छ देर सोचने-विचारने के उपरांत उसे निकुंज का पराया होना ही इसका एक मात्रा उत्तर समझ आता है और वह अपने होंठो को और भी ज़यादा सख़्त बनाते हुए उन्हे लंड की अविश्वसनीय मोटाई पर कसने लगती है, तत-पश्चात फॉरन अपना मूँह लंड की जड़ तक पहुचने के असफल प्रयास में जुट जाती है.
behtreen
 

Nevil singh

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"उवाककककक !! " नीमा बुरी तरह चॉक हो गयी मगर उसने अपने मूँह से निकुंज के लंड को छोड़ना नही छोड़ा. वह पूरे आत्मबल से संपूर्ण विकराल लंड को एक ही बार में निगलने की व्यथा कोशिशें लगातार करती रही और उसके चॉक होने का सिलसिला भी ज़ारी रहता है.


"इश्ह्ह्ह आंटी !! रुकिये वरना मैं झाड़ जाउन्गा" निकुंज सिसकता है. अपनी आंटी के लाल गालो को शीघ्रता से फूलता व पिचकता देख वह सहन नही कर पाता और उसके मूँह की गर्मी से पिघलने लगता है. नीमा बड़ी तरलता से लंड को चूस रही थी और उसके होंठो की किनोर से रिस कर गाढ़ा लिसलिसा पदार्थ निकुंज के टट्टो को भिगो रहा था.


"उफफफ्फ़" अचानक निकुंज ने उसके सर को बेहद ताक़त से अपने लंड के ऊपर दबा दिया और नीचे से अपनी गान्ड उच्छालते हुए वह उसका मूँह बेरहमी से चोदने लगता है. जहाँ नीमा की हालत तो पहले से ही खराब थी, वहीं निकुंज के इस अप्रत्याशित हमले से उसकी साँसे पूरी तरह अवरुद्ध हो जाती हैं.


"एम्म एम्म !! उवाककककक !! एम्म" घुटि-घुटि ध्वनियों से नीमा ने निकुंज को अपनी परेशानी से अवगत करवाना चाहा मगर अपने मूँह का बचाव ना कर सकी. लंड का मोटा एवं सूजा सुपाडा उसके कंठ में फस गया था और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. वह बार-बस निकुंज की जाँघ पर अपने नुकीले नाखूनो से चींटी काट-ती रही लेकिन निकुंज पर तो जैसे उसका कोई असर ही नही पड़ता है.


"अहह आंटी" आख़िरकार निकुंज चीखते हुए नीमा की थोड़ी अपने टट्टो से चिपकाने में सफल हो ही जाता है और कुच्छ क्षण तक उस अकल्पनीय आनंद को महसूस करने के बाद, झटके से उसका सर अपने लंड से ऊपर उठा लेता है.


.


.


"ओह .. ओह !! " पीड़ा मुक्त हो कर नीमा ज़ोर-ज़ोर से हाँफ रही है. उसका सर अब भी निकुंज के हाथो में है और वह अपनी आंटी की बंद पलकों से बहते आँसुओ को बड़े गौर से देख रहा था. नीमा के होंठो से लेकर उसकी थोड़ी, स्वयं की थूक और निकुंज के लंड के उत्तेजित सुपाडे द्वारा उगले रस से पूरी भीगी हुई थी.


"आंटी !! आप ठीक तो हो ?" बेवकूफी भरा प्रश्न पुछ्ते हुए निकुंज ने उसे झक-झोरा. चेहरे पर थाप देते हुए वह नीमा को वर्तमान में लाने की कोशिश करता है और कुच्छ लम्हे बाद उसकी आंटी अपनी बंद आँखें खोल लेती हैं.


"तुम .. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?" होश समहालते ही नीमा क्रोध में भर कर निकुंज को डाँट-ती है "मैने पहले भी कहा था कि तुम एक घटिया और बेशरम किसम के लड़के हो" बोल कर वह उसके चेहरे को घूर्ने लगी.


हलाकी ग़लती निकुंज की थी और नही भी थी. नीमा जिस कामुक अंदाज़ में उसका लंड चूस रही थी, किसी भी मर्द का खुद पर से सैयम खो देना लाज़मी था मगर निकुंज को उस पर अपना बल प्रयोग नही करना चाहिए था क्यों कि वह तो स्वयं ही अपने पूरे जतन से निकुंज को सुख के शिखर पर पहुचने के भरकर प्रयास में जुटी रही थी.
bemishaal
 

Nevil singh

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"पूरे जानवर हो तुम" निकुंज का शर्मसार चेहरा देखते हुए उसने कहा "मगर .. मगर मुझे पसंद आए" यह विस्फोट करने के उपरांत ही नीमा खिलखिला कर उसकी गोद में बैठ जाती है.


"पल में तोला पल में माशा" सच-मच स्त्री के मन को कोई नही पढ़ सकता और उसमें भी मर्द ज़ात तो कभी नही. निकुंज जब से नीमा से मिला था तब से लेकर अब तक वह उसके दर्ज़नो रूप देख चुका था.


"क्यों बच्चू !! कहाँ खो गये ?" निकुंज को विश्वास दिलाते हुए की थोड़ी देर पहले उसने जो कुच्छ सुना वा 100% सत्य है, नीमा मुस्कुराइ "आंटी !! मैं क्या जवाब दूँ, मुझे कुच्छ समझ नही आ रहा" निकुंज अपने सर के बाल खुजाते हुए कहता है.


"तुम्हे कुच्छ कहने की ज़रूरत नही, जो कहना था तुम्हारे इस दानव ने कह दिया" वह अपने चूतडो को निकुंज के खड़े लंड पर रगड़ते हुए बोलती है.


"ऐसा क्या कह दिया इस दानव ने आप से ?" कह कर निकुंज हँसने लगता है. आज की सुबह इतनी रंगीन होगी, उसने कतयि ऐसी कल्पना नही की थी.


"उसने मुझसे कहा कि मैं उसे अपनी शरण में ले लूँ. तो शुरूवात मैने कर दी, अंत कैसे होगा यह दानव खुद जाने" कह कर नीमा चुप हो गयी. उसका इशारा स्पष्ट था कि अब वह चुदाई की तलबगार हो चुकी है. अपनी तरफ से पहले करते हुए उसने निकुंज के लंड को चूस कर, उसे इस लायक बना दिया है कि अब वह उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा कर कामसूत्र के अंतिम अध्याय को पूरा कर सके.


"आंटी !! मेरा लंड चूसने में आप को मज़ा आया ना ?" निकुंज ने उसकी आँखों में झाँकते हुए पुछा.


"उफ़फ्फ़ निकुंज !! अब और कुच्छ नही. बस जल्दी से मेरी चूत की आग को बुझा दो, जो खुद तुम ने लगाई है" इतना कह कह नीमा उसकी नंगी छाति से लिपट जाती है.
gajab
 

Nevil singh

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अत्यधिक हन्फायि से नीमा की चूचियाँ अपना आकार तेज़ी से बदल रही हैं. अपनी सबसे अच्छी दोस्त के जवान नंगे बेटे की गोद में किसी गुड़िया की तरह बैठी वा, उसे खुद को चोदने की मिन्नत करने के उपरांत बेहद लज्जा का अनुभव कर रही है.


मात्र कुच्छ क्षण बाद ही उसे महसूस होता है निकुंज के दोनो हाथो की उंगलियाँ उसकी कमर पर, उसके टॉप के अंतिम छोर को पकड़ चुकी हैं और उसने टॉप नीमा के सर की दिशा में उठाना शुरू कर दिया है. खुद ब खुद नीमा के हाथ इस नीच कार्य में निकुंज के हाथो का साथ देने लगते हैं और गदराए बदन की मालकिन वह कामुक नारी अपने ऊपरी धड़ से पूरी तरह नंगी हो जाती है.


"वाउ आंटी !! कितनी .. कितनी बड़ी चूचियाँ हैं आप की" निकुंज के मूँह से शब्द फूटे "और बेहद कड़क भी" वह फॉरन अपने हाथ के कठोर पंजे से नीमा के दाहिने मम्मे को शक्ति-पूर्वक दबा कर कहता है.


"उम्म्म निकुंज !! सब कुच्छ तुम्हारे लिए है बेटे" वह काँपते हुए बोली. एक स्त्री को अपनी चूचियों पर जितना गुमान होता है उतना ही नीमा को भी था. अपने बाएँ मुममे का चुचक स्वयं उमेठ कर वह उसकी अत्यधिक कडकता का एहसास कर रही थी.


"इन्हे चूसो निकुंज !! जैसे बचपन में तुमने अपनी मा के चूसे होंगे, ठीक वैसे ही अभी जवानी में अपनी आंटी के चूसो" कमोत्त्ज्जित नीमा हाहाकार कर उठी. उसके चुतडो के नीचे खड़ा निकुंज का विशाल लंड उसे झटका खाता महसूस होता है. यक़ीनन अपनी सग़ी मा के ज़िक्र से वह उत्साहित हुआ था.


"आंटी !! आप अपने हाथो से पकड़ कर चुस्वाओगि तो ज़रूर चूसूंगा" ऐसा कह कर निकुंज अपना चेहरा नीमा के मन के बेहद समीप ले जाता है और उसकी इस शर्मनाक, घटिया इक्षा का सम्मान करती नीमा, उसके खुले होंठो के भीतर अपना बायां चुचक ठूंस देती है.


"आहान .. आहान !! सब कुच्छ इतनी आसानी से थोड़ी मिल जाता है" बेशरमी से वह निकुंज को छेड़ती है. कभी अपने गोल मटोल, गद्देदार मम्मो को स्वयं के हाथों में कामुकता-पूर्वक गूँध कर तो कभी अपने तने चुचको को उसके मूँह से बाहर खीच, उसे ललचा कर. कभी-कभी तो वह अपनी पतली बलखाई कमर को इतनी तेज़ गति से हिलाती है कि उसके विशाल मम्मे पल भर में निकुंज के गालो पर दर्ज़नो थप्पड़ जड़ उठते हैं.
kadak
 

Nevil singh

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अपनी आंटी की इस मनमोहक अदा का निकुंज पूरी तरह से फॅन हो चला था और वह भी प्रयास करता है कि जब-जब उसके कड़क होंठ नीमा के तने चुचक को बल-पूर्वक सुड़ाक कर चूसें या जब-जब वे मम्मे उसके कठोर हाथो के पंजो से दबें. उसकी आंटी की मादक सिसकारी पूरे कमरे में गूँजनी चाहिए.


"उफफफ्फ़ जानवर कहीं के !! देखो तुमने इनकी क्या हालत कर दी है" जब काफ़ी देर तक उनके दरमियाँ माममे चुस्वाई का खेल चलता रहा तब नीमा ने ही पहल करते हुए उस खेल को समाप्त किया. उसके स्तन निकुंज द्वारा संतुष्टि-पूर्वक भींचे, गूँधे, खीचे व चूसे जाने से सुर्ख लाल रंग की रंगत में बदल चुके थे. ऐसा नही था कि वह उस खेल से ऊब गयी हो, नीमा से अपनी चढ़ि साँसें समहाली नही जा रही थी और अपनी धड़कनो की धड़कती ध्वनि को वह अपने दिल से कहीं ज़यादा अपनी कमोज्जित चूत के भीतर सुन पा रही थी.


"क्या करूँ आंटी !! आप के कातिल हुस्न ने मुझ जैसे नाचीज़ को आप का दीवाना बना दिया है" यह कहते हुए निकुंज अपने हाथ की उंगलियों को नीमा की पिंक कॅप्री के बटन पर रख देता है "अब मैं इस दीवानगी को गहराई तक महसूस करना चाहता हूँ" और ज़ोर लगाते हुए वह कॅप्री का बटन खोलने में सफल भी हो जाता है.


"निकुंज !! हम दोनो एक-दूसरे के दीवाने हैं" कह कर नीमा ने उसके होंठो का एक रसीला चुंबन लिया और उसकी गोद से उतर कर फर्श पर खड़ी हो जाती है "बेटा अपनी आँखें खुली रखना वरना बाद में कहो कि तुम्हारी आंटी ने तुम्हारा दिल ठीक से नही बहलाया" बड़े ही कामुक अंदाज़ में ऐसा बोल कर नीमा पलट गयी और अपने गुदाज़ चुतडो पर कसी स्ट्रिचबल कॅप्री की स्ट्रीप में अपने दोनो हाथो के अंगूठे फसा लेती है.


"आंटी !! आप के न्यूड बदन का दीदार करने को तो हमेशा मेरी आँखें खुली ही रहेंगी" निकुंज का अश्लील कथन इशारा करता है कि अब वह अपनी आंटी को बिल्कुल नंगी देखना चाहता है और निर्लज्ज नीमा उसकी घिनोनी इक्षा को मान कर अपनी कॅप्री, अपने चिकने चुतडो से नीचे की ओर सरकाने लगती है.


"उफफफ्फ़" निकुंज की साँसे थम गयी, आखें फॅट पड़ी और उसके चेहरे पर खून उतर आता है जब वह नीमा के अत्यधिक गोरे, सुडोल व ह्रष्ट-पुष्ट चुतडो को वस्त्र-विहीन देखता है. अपनी कॅप्री को पूर्ण-रूप से अपनी लंबी टाँगो से बाहर निकाल देने के उद्देश्य से वह काफ़ी हद्द तक आगे को झुकी खड़ी थी.


अचानक उसी स्थिति में नीमा ने अपनी गर्दन पिछे मोड़ कर निकुंज के चेहरे को देखा जो अपलक उसके नंगे पिच्छवाड़े को निहार रहा था. फॉरन नीमा को उसकी हालत पर हँसी आ गयी और वह ज़ोर-ज़ोर से अपनी गोल मटोल गान्ड हिलाने लगती है.


"फॅट-फॅट !! फॅट-फॅट" नीमा के गद्देदार चूतड़ के दोनो पाट जब तीव्र गति से आपस में टकराए तब हाथो से बजने वाली ताली की उँची आवाज़ को भी मात कर देते हैं और उस मधुर संगीत की थाप को सुन कर निकुंज का विशाल लंड बिना कुच्छ किए, अकारण ही झड़ने लगता है


"आहह आंटी" उसके लंड के फूले सुपाडे से बाहर निकलती वीर्य की लंबी-लंबी बौच्चरें नीमा के चूतड़ भिगो देती हैं.
gajab
 

Nevil singh

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जवान निकुंज के गाढ़े, लिसलिसे व गरम वीर्य को अपने चुतडो पर गिरता महसूस कर नीमा का दिल खुशी से झूम उठता है. हलाकी अपनी मांसल गान्ड के दोनो पाट तेज़ी से हिलाते हुए, उन्हें आपस में टकराते वक़्त नीमा की आँखें बड़े गौर से निकुंज के काँपते बदन पर होते आघात देख रही थी और उसकी वह बेचैन हालत देखते ही नीमा को पूर्वानुमान हो जाता है कि उसकी इस कामुक हरक़त ने निकुंज का सैयम पूरी तरह तोड़ दिया है. अंत में हुआ भी ठीक वही. वह अनायास ही झाड़ जाता है.

वहीं निकुंज हतप्रभ, निराश, और बेहद अचंभित हुआ. उसकी आशा के विरुद्ध उसका इस तरह झाड़ जाना, उसके चेहरे को गंभीर कर देता है. एक मर्द होने के नाते उसका मन कुंठा से भर उठता है कि वह अपने काम-कौशल में पूर्ण-रूप से विफल साबित हो गया.

झड़ने के उपरांत उसका शर्मसार चेहरा देख नीमा अपना अधूरा कार्य, अपनी कॅप्री को अपनी एडियों से बाहर निकाल कर उसे दूर फेंक देती है "कोई ना मेरे शेर !! कभी-कभी ऐसा हो जाता है" सांत्वना देती वह फॉरन निकुंज की ओर पलट जाती है.

"पता नही आंटी !! यह कैसे हो गया" निकुंज हौले से फुसफुसाया. उसकी हताशा इतनी तीव्र व गहरी होती है कि नीमा की बाल-रहित, अत्यंत गोरी, स्पन्दन्शील चूत देखने का कोई उत्साह उसके चेहरे पर ना आ सका था.

"मैने कहा ना फिकर मत करो !! देखो तुम्हारी आंटी की चूत की हालत भी कुच्छ कम खराब नही. अक्सर आती-उत्तेजनावश मनुष्य खुद पर काबू नही रख पाता और यह एक दम नॉर्मल है बेटा" नीमा ने उसके करीब आते हुए कहा और सोफे की पुष्ट पर अपनी बाईं टाँग को स्थापित कर, उसे अपनी मलाईदार कामपति चूत का अद्वतीय दर्शन करवाती है.
madhosh
 

Nevil singh

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"तुम चाहो तो अपनी उंगलियों से इसकी परतें अलग-थल्ग कर अंदाज़ा लगा सकते हो कि क्यों तुम्हारी आंटी इतना तड़प रही है ?" निर्लज्ज भाव से ऐसा बोल कर वह स्वयं निकुंज का हाथ ऊपर उठाते हुए अपनी धधकति चूत के अंगार रूपी मुहाने पर रख देती है "उफ़फ्फ़ निकुंज !! इसकी असहनीय पीड़ा से अब तुम्हारी आंटी भी मुक्त होना चाहती है" नीमा ने अपना सर नीचे झुका कर निकुंज की आँखों में झाँकते हुए कहा.

जवान मर्दों की मुख्य विशेषता होती है कि उनका मन भले ही कितना भी बोझिल क्यों ना हो जाए मगर उनके लंड पर उसका कोई अतिरिक्त प्रभाव नही पड़ता और यह कल्मा सीधा करते हुए निकुंज के लंड में दोबारा हलचल होनी शुरू हो गयी. उसका हाथ नीमा की अत्यधिक फूली, पाव रोटी समान चूत पर रेंगने जो लगा था.

"हां .. हां निकुंज !! तुम बहुत अच्छे से कर रहे हो. बेटा अब तुम भी पक्की दोस्ती कर लो अपनी आंटी की चूत से" नीमा सिहरन से भर उठती है. उसकी टाँगो में होते अकल्पनीय कंपन से उसकी चूत की गहराई में छुप कर बैठा, उसका कामरस फॉरन पिघल कर निकुंज के हाथ की उंगलियों को भिगोने लगता है.

"बिल्कुल आंटी !! जन्मो-जन्मो का साथ निभाने वाली दोस्ती करूँगा अपनी आंटी की सुंदर चूत से" यह कहते हुए वह सोफे से उठ गया और बड़े प्यार से नीमा को अपनी जगह बिठा कर उसकी लंबी टाँगो के दरमियाँ पसरने लगता है. अपने मजबूत हाथो के विशाल पंजो के बल प्रयोग से वह नीमा के, स्वयं के वीर्य से तार चूतडो के दोनो पाट भींचता है और उन्हे खीचते हुए अपने मूँह के बेहद समीप ले आता है.

"बेटा निकुंज !! अब तुम क्या करने वाले हो ?" सब कुच्छ जानते हुए भी शरारत वश नीमा उसे छेड़ती है "मैं अपनी मा की सबसे अच्छी दोस्त, मेरी नीमा आंटी की चूत को चाटने वाला हूँ" निकुंज भी नहले पर दहला मार कर कहता है और जिसे सुनते ही नीमा स्तब्ध रह गयी मगर खुद को मुस्कुराने से रोक ना सकी.

इसके पश्चात वह नीमा की आँखों में देख, उसकी मांसल व कोमल दोनो जाँघो को बारी-बारी से चूमता है और हौले-हौले ऊपर की दिशा में बढ़ते हुए अपने शुरूवाती मुलायम होंठ उसकी चूत की नर्म फांको के बीचो-बीच चिपका देता है.

"अह्ह्ह्ह निकुंज" एहसास मात्र से नीमा की सिसकारी छूट गयी और स्वतः ही उसके हाथ निकुंज के सर को जाकड़ कर शक्ति-पूर्वक उसे अपनी चूत के मुख पर दबा देते हैं.

कुच्छ समय पूर्व निकुंज ने अत्यधिक उन्माद से अभिभूत हो कर नीमा के सर को अपने विशाल लंड पर दबाया था और ठीक वही गतिविधि अभी नीमा की रही. लिखने का तात्पर्य बस इतना है कि "काम" से बड़ा रोग इस दुनिया मैं कोई नही और इसका उपचार तो स्वयं कुदरत को भी नही मालूम.

निकुंज के होंठ खुलते हैं और उसकी लंबी जीभ बाहर निकाल कर चूत की सूजी फांको से निरंतर बह रही गाढ़ी मलाई को शीघ्रता से चाटना शुरू कर देती है. नीमा के जिस्म की खुश्बू की तरह ही उसके कामरस की सुगंध भी निकुंज को मंत्रमुग्ध करने में सफल रही थी.

"आंटी !! आप की चूत के रस से तो सेंट बन सकता है, बहुत बिकेगा मार्केट में" कह कर वह हँसने लगता है और नीमा फॉरन झेप जाती है. इसके बाद निकुंज की जीभ चूत की कोमल फांको को चीरते हुए, उसके अन्द्रूनि संकुचित मार्ग में प्रवेश करने का प्रयत्न करती है मगर ज़्यादा अंदर नही जा पाती तो वा अपनी दो उंगलियाँ सीधी कर, बल-पूर्वक चूत के भीतर गहराई तक ठूंस देता है.

"उफफफ्फ़" नीमा का संपूर्ण जिस्म थर्रा उठता है.

नीमा को यूँ सीत्कार करते सुन निकुंज अपनी उंगलियाँ "V" की आकृति में ढाल कर उसकी चूत का चिपका चीरा, काफ़ी हद तक फैला देता है और इसके उपरांत ही उसे चूत के भीतर की बेहद गुलाबी सतह स्पष्ट रूप से नज़र आने लगी. नीमा की लगातार हमपाई से उसने चूत की अन्द्रूनि दीवारों में भयानक कंपन होता महसूस किया. निकुंज के मुलायम होंठ इस मनभावन द्रश्य से कड़क हो उठते हैं और वह अपने होंठो की कठोरता से फॉरन चूत के अंदर छुपा कामरस रूपी खजाना, बल-पूर्वक सडॅक कर उसे अपने मूँह में भरने लगता है.
beautiful
 

Nevil singh

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"आईईईईई !! चूस बेटा. पूरा चूस डाल अपनी आंटी को" हाहाकार करती नीमा ज़ोर से चीखती है. निकुंज की इस प्राणघातक क्रिया ने उसके रोंगटे खड़े कर दिए थे और वह मदहोशी में अपने नुकीले दांतो से अपने कोमल होंठ काटने लगी थी, उन्हें चबाने लगी थी.

अपनी यौवन से भरपूर आंटी की चूत को अपने होंठो के दरमियाँ ताक़त से भींचने के साथ ही निकुंज अपनी दोनो उंगलियों से उसकी सन्कीर्न परतें अत्यंत बेरहमी से चोदना शुरू कर देता है. वह अपनी लंबी लपलपाटी जीभ को नीमा के गीले ओर सुंगंधित छेद में पूरी गहराई तक ठेल रहा था और जो छेद के भीतर उमड़ते गाढ़े रस को खीचते हुए बाहर ला कर, उसके होंठो के सुपुर्द कर रही थी.

"उन्न्ह उन्न्ह" नीमा की आँखें नातियाने लगती हैं. वह पूर्व से ही बहुत ज़्यादा कामोउत्तेजित थी और अभी उसकी दोस्त का बेटा निकुंज मात्र अपनी जीभ और होंठो के इस्तेमाल से ही उसकी संकुचित चूत को और भी ज़्यादा कुलबुला रहा था. तो जब उसका विशाल लंड उसकी चूत में घुसेगा तब नीमा की क्या हालत होगी. वह यह सोच-सोच कर सिहर्ती जा रही थी.

निकुंज ने कहीं सुना था. एक निश्चित उम्र के पार निकलने के उपरांत भारतीय नारी अपनी चूत पर उगने वाले बालो की सफाई करना छोड़ देती है. या तो अपनी अधेड़ उम्र का ख़याल कर वह इसे उचित नही समझती या फिर अपनी काम-इक्षाओं के घटने की वहज से उसका ध्यान इस ओर नही जा पाता.

"मगर नीमा आंटी की चूत इस वक़्त बिल्कुल चिकनी है. ऐसा क्यों ?" चूत चाटने में व्यस्त निकुंज का मन इस बात पर भी विचार कर रहा था "उनके पति तो बरसो से विदेश में रह रहे हैं. लौट कर आते होंगे तो भी दोनो मिया-बीवियों के बीच संतुष्टि-पूर्वक चुदाई का होना संभव नही हो पाता होगा. फिर क्यों आंटी अपनी झान्टे बना कर रखती हैं. इन का कहीं और लफडा तो नही चल रहा. मों कह भी रही थी कि नीमा नॉर्मल नही है और मैं उसके जैसी नही बन सकती" निकुंज की सोच के घोड़े किसी भी नतीजे पर नही पहुच पाते हैं "मोम से ही पुछुन्गा और इसी बहाने उनके साथ वक़्त बिताने का मौका भी मिल जाएगा" ऐसा ख़याल मन में आते ही वह वापस चूत चूसने पर अपना ध्यान केंद्रित कर देता है.

"आंटी !! इतनी कोमल चूत तो मैने आज तक नही चूसी" तारीफ़ करने के बाद निकुंज उस गुलाबी चूत के ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर, दाएँ-बाएँ लगभग हर जगह अपनी खुरदूरी जीभ को तेज़ी से रगड़ता है "चाट-ते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मक्खन की टिकिया पर मैं अपनी जीभ घुमा रहा हूँ" वह चूत की फांको के ऊपर उभर आए भंगूर को हसरत भरी निगाहों से देख कर कहता है.

"ओह्ह्ह बेटा !! चूत तो हर औरत की एक-समान ही होती है बस रंग का अंतर उन्हे एक दूसरे से अलग करता है" निकुंज द्वारा मिली अपनी चूत की प्रशन्शा से नीमा गदगद हो उठी.

"निकुंज !! मैने तुम्हे बचपन से ले कर तुम्हारी जवानी तक बढ़ता देखा है. तुम्हे कभी पराया नही समझा, बेनाम रिश्ते की एक डोर हमारे बीच बँधी थी लेकिन आज हम दोनो वे सारी मर्यादें लाँघ कर बिल्कुल नंगे हैं, अभी तुम मेरी चूत चाट रहे हो, मैने भी कुच्छ देर पहले तुम्हारा लंड चूसा था. यह बात हमेशा याद रखना कि जिन रिश्तो के तुम सबसे ज़्यादा क्लोज़ होगे, उनके संग ऐसे पल बिताने से ज़्यादा मज़ा तुम्हे कहीं और नही मिल पाएगा. उसने जुड़ी हर चीज़, हर बात तुम्हे पसंद आएगी, अत्यधिक रोमांच महसूस होगा और शायद यही वह वजह है कि तुम्हारी आंटी की चूत तुम्हे अब तक की सबसे अच्छी चूत लगी" इतना कह कर नीमा चुप हो जाती है, उसके कथन में जो ग़ूढ रहस्य छुपा था वह निकुंज कयि दिनो से महसूस कर रहा था और उसे फॉरन समझ आ जाता है कि क्यों वह अपनी सग़ी मा और बहेन के बारे में सोच कर हर पल उत्तेजित बना रहता है मगर वह नीमा पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देता और सब कुच्छ भूल कर पुनः अपनी मंज़िल की ओर प्रस्थान कर लेता है.
parsanshniye
 
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