"आप बहुत समझदार हो आंटी" बस इतना सा जवाब दे कर वह अपनी जीभ को नीमा की चूत की लकीर के ऊपरी हिस्से पर फेरने लगा. वह जानता था कि हर स्त्री का भज्नासा उसके चरम का केन्द्र-बिंदु होता है, इसके पश्चात ही वह किसी अनुभवी व्यक्ति की तरह उसके सूजे व मोटे भंगूर को अपनी जीभ से बड़ी कोमलता के साथ चाटने लगता है, उसे अविलंब छेड़ने लगता है और फॉरन सोफे पर नंगी बैठी उसकी आंटी अपने ह्रष्ट-पुष्ट चूतड़ हवा में उच्छालते हुए अपनी चूत उसके मूँह पर रगड़ने लगती है, अपनी चूत से उसका मूँह चोदने लगती है.
"तुम .. ओह्ह्ह हां .. तुम भी बहुत समझदार हो निकुंज !! मेरे बेटे समान हो, खेलो मेरे भंगूर से, खा जाओ उसे .. खा जाओ बेटे" निकुंज की जीभ का तरल स्पर्श, उसकी त्रिकन अपने अति-संवेदनशील भज्नासे पर झेलना नीमा के बस के बाहर हो गया और वह चिल्लाने लगती है. निकुंज को अपनी आंटी की आहों से कहीं ज़्यादा आनंद उनकी अश्लील बातें सुन कर आ रहा था, जिस में वे कथन तो ख़ासे पसंद आते जिस में माँ शब्द का जिकर होता.
"ज़रूर आंटी" चूत को चूम कर निकुंज ने कहा और फॉरन उसकी चुसाई बेहद प्रचंडता से करने लगता है. उसकी गीली जीभ से तर नीमा का मोटा एवं सूजा भंगूर चमक रहा था और निकुंज उसे अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने में अपना संपूर्ण बल झोंक देता है, साथ ही चूत की चिपकी अती-संकीर्ण परतों के भीतर उसकी दोनो उंगलियाँ भी तेज़ी से अंदर बाहर होती जा रही थी.
"उफफफ्फ़ निकुंज !! बेटा .. मैं .. मैं झड़ने वाली हूँ, रुकना नही" नीमा के जिस्म में कपकपि दौड़ने लगी, चूत की गहराई में ऐन्ठन बढ़ने के प्रभाव से कामरस बहने की मात्रा में अचानक वृद्धि हो गयी और जिसका एक भी कतरा निकुंज व्यर्थ नही जाने दे रहा था. अपने एक हाथ से निकुंज का सर थामे व दूसरे से अपनी दाईं चूची की गुंडी मसलती हुई नीमा जल्द ही सोफे पर पसर जाती है.
"आहह निकुंज !! मैं गयी .. चूसो मुझे मेरे बेटे .. मेरे लाल चूस डालो" नीमा की गान्ड का छेद सिकुड गया, उसकी दोनो टांगे निकुंज की कमर से लिपट गयी और वह तेज़ी से झड़ने लगती है. उसके जिस्म में झटके लग रहे थे, अजीब सी खलबली मच गयी थी.
स्खलन-स्वरूप नीमा की चूत की फूली फांको से बाहर आती गाढ़े सुगंधित रस की लंबी-लंबी फुहारे सीधे निकुंज अपने कड़क होंठो के ज़रिए, सुड़ाक कर अपने गले से नीचे उतारता रहा. रस के स्वादिष्ट ज़ायके की प्रशन्शा तो वह पहले ही अपनी आंटी से कर चुका था और वह तब तक उसे तत्परता से चूस्ता है, चाट-ता है, जब तक चूत का बहाव पूरी तरह से रुक नही गया. अंत-तह निकुंज फर्श से उठ कर खड़ा हो जाता है.
सोफे पर अध-लेटी पड़ी नीमा की आँखों में अखंड सनुष्ति की खुशी झलक रही थी, शायद इससे बढ़िया और लंबा स्खलन आख़िरी बार अपने बीते जीवन में उसने तब मेशसूस किया था जब वह अपने पति से बिच्छाद रही थी. विदेश जाने से पूर्व का वह पूरा साप्ताह वे दोनो नंगे ही रहे थे और उस दौरान उन्होने जी भर कर अनगीनती चुदाई की थी.