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Incest पापी परिवार

Nevil singh

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नीचे बुत बन कर खड़ी दोनो सहेलियाँ एक-दूसरे को ऐसे घूर रही थी जैसे उन्होने कोई भूत देख लिया हो. शिवानी की मूक अवस्था निम्मी को अंदर ही अंदर बुरी तरह कचोट देती है. सवालिया अंदाज़ से कुच्छ पुच्छने के लिए वह अपना मूँह खोल पाती इससे पूर्व ही उसके कानो में अपनी मा के लफ्ज़ गूँज उठे.



"तू खड़ी क्यों है बहू ?" कम्मो मुस्कुराते हुवे बोली और शिवानी के करीब आ कर उसे अपने सीने से चिपका लेती है. आख़िर उस मा के निष्प्राण बेटे से शादी करने का फ़ैसला कर शिवानी ने उनके पूरे परिवार पर बहुत बड़ा उपकार किया था, एक औरत होने के नाते कम्मो उसका बलिदान कैसे भूल सकती थी. उस वक़्त शिवानी के सुंदर मुखड़े को निहारने में उसे नैसर्गिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही थी.


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"चरण-स्पर्श मम्मी जी" अत्यंत तुरंत शिवानी ने अपने दुपट्टे को पल्लू में परिवर्तित किया और अपना नंगा सर ढँकने के पश्चात अपनी दोस्त की मा के पैर छु कर आशीर्वाद मांगती है. वह स्वयं अपनी सग़ी मा से कोसो दूर थी और तभी कम्मो के अपने-पन के सुखद मीठे एहसास में फॉरन उसने खुद को डुबो दिया, जिसकी लहरें उसके जिस्म में काफ़ी समय से हिलोरें खा रही थी.


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"यह मेरी दोस्त है और आप बहू-बहू की रट लगाए जा रही हो. कहीं आप पागल तो नही हो गयी मोम ?" प्रत्यक्ष-रूप से ऐसा मिलाप देख निम्मी भड़क उठी और अपनी मा को घूरते हुवे कहा. इस अप्रत्याशित सदमे को झेल पाना शायद उसके बस में नही था. वैसे जो कुच्छ रहा था शिवानी के मुताबिक निम्मी को उसकी कोई भनक नही थी मगर अपनी दोस्त का बढ़ता क्रोध देख वह सहम सी जाती है.


"तू !! तूने तो मेरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ा दी. आग लगाने को तुझे मेरा ही घर मिला था" निम्मी का अगला शिकार शिवानी बनी.


"इसी वक़्त चली जा वरना ..." अपनी दोस्त को थप्पड़ मारने के उद्देश्य से उसने अपना हाथ ऊपर उठाया मगर सीढ़ियों से नीचे उतरते अपने पिता पर नज़र पढ़ते ही वह थम गयी.


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"निम्मी !! अपनी बड़ी भाभी से इस लहजे में बात करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई ?" दीप गरजा. अपनी बेटी के असाधारण स्वाभाव से वह भली-भाँति परिचित था और अपने बेडरूम के दरवाज़े की ओट में छुप कर खड़ा बस इसी बात का इंतज़ार कर रहा था कि आदत-अनुसार कब निम्मी अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करे और स्वयं उसे बीच-बचाव में आना पड़े. पहले अपनी बीवी और फिर प्रेयसी शिवानी को बेज़्ज़त होते देख दीप खुद पर काबू नही रख पाया और ना चाहते हुवे भी वह अपने प्राणो से प्यारी बेटी पर चिल्ला देता है.


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"बड़ी बहू" शिवानी के लिए दीप का संबोधन सुन निम्मी थोड़ा सकपकाई. उसकी मा के बाद उसके पिता ने भी उसी कथन का प्रयोग किया था. 'बड़ी' शब्द पर विशेष गौर करने के उपरांत निम्मी का ध्यान शीघ्र ही अपने बड़े भाई रघु की तरफ खिंच गया. दर्ज़नो रहस्यमयी प्रश्नो के उत्तर की इक्शुक वह लाख प्रयत्न के बावजूद विचार करने लायक स्थिति में खुद को ढाल नही पाती और एक अंतिम निगाह आस-पास मौजूद तीनो प्राणियों के मौन चेहरों पर डाल अपने कमरे की ओर प्रस्थान करने लगी.
atulniye
 

Nevil singh

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"नामिता" संपूर्ण घटना-करम के मध्ये-नज़र प्रथम बार शिवानी ने हस्तक्षेप किया, उसने रुवान्से स्वर में अपनी दोस्त को पुकारा मगर आवेश से तिलमिलाती निम्मी उसकी आवाज़ पर ज़रा भी गौर नही फरमाती और सीढ़ियाँ लाँघते हुवे अपने कमरे के भीतर घुस जाती है.


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"तू फिकर ना कर बहू !! इस नये रिश्ते को स्वीकारने में उसे समय लगेगा. तू निम्मी की दोस्त होगी, हमें मालूम नही था" विह्वल कम्मो ने प्रेम-स्वरूप अपनी पुत्र-वधू को दुलार किया. दीप, शिवानी और यक़ीनन वक़्त की माँग भी यही थी, दोनो के नाटकीय चेहरे खिलने को आतुर थे. तत-पश्चात उन्होने मिल कर कम्मो को बेवकूफ़ बनाना आरंभ कर दिया.


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"सुनिए जी !! आप जल्द ही किसी अच्छे पंडित से शुभ मुहूरत निकलवाइए, साप्ताह के अंदर हम अपने दोनो बेटो की शादी कर देंगे" कम्मो ने रज़ामंदी ज़ाहिर की.


"बेटी !! तू एक बार रघु को देख लेती तो हमें निश्चिंतता हो जाती, मैं नही चाहती भविश्य में तुझे अपने फ़ैसले पर अफ़सोस हो. पिच्छले चार सालो से वह कोमा में है, ऐसे इंसान के साथ पूरी ज़िंदगी बसर करना कोई हसी-खेल नही" वह अपने अश्रुओं को पोन्छ्ते हुवे बोली.


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"हां बहू !! तेरी सास ठीक कह रही है" अपनी पत्नी के समर्थन में दीप ने कहा. माना शिवानी की देख-रेख उसके लाचार बेटे का भावी जीवन सुधार सकती थी मगर यह कतयि न्याय-संगत नही होता. वजह सिर्फ़ शारीरिक तृप्ति की नही थी, तंन के साथ मन का मेल भी अति-आवश्यक था.


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"मुझे सब मंज़ूर है पिता जी !! आप दोनो की छत्र-छाया, आशीर्वाद और प्यार मुझे कभी कमज़ोर नही पड़ने देगा. मैं शादी के बाद उनको देखना ज़्यादा पसंद करूँगी" अपने होने वाले सास-ससुर पर अटूट आस्था जताते हुवे शिवानी बोली. इतने आगे बढ़ने के उपरांत उसे पीछे हट जाना गवारा नही था, ख़ास कर दीप के विश्वास के कारण वह नाम मात्र को विचलित नही हुवी थी.


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"मैं मीठा लाती हूँ" कम्मो स-हर्ष उसके माथे का चुंबन ले लेती है. वर्तमान के इस कलयुगी संसार में शिवानी जैसी सू-संस्कृत व दयावान बहू का ढूँढे से भी मिलना बहुत कठिन है, फिर कम्मो की अभिलाषा तो चिराग जलाए बिना ही पूरी हो गयी थी.


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कुच्छ देर के ज़रूरी और निर्णायक वार्तालाप के उपरांत दोनो पति-पत्नी अपनी बहू को उसके हॉस्टिल छोड़ने निकल पड़ते हैं. हलाकी वे उसे घर में ही रोक लेना चाहते थे मगर शिवानी की ज़िद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. वैसे आज की रात बहुत लंबी होने वाली थी, जहाँ दीप अपनी पुत्री को मनाने के लिए बेहद उत्साहित था वहीं कम्मो भी अपने पुत्र की नाराज़गी दूर करने को मचल रही थी.
aadarsh
 

Nevil singh

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पापी परिवार--67



"मत कर विक्की !! मुझे चैन से खाना बना लेने दे" नीमा ने झुंझला कर कहा. वह किचन के भीतर डिन्नर की तैयारी करने आई थी और तभी उसका पुत्र वहाँ आ कर उसके साथ छेड़-खानी करने लगता है.

"कितना काम करोगी मम्मी !! कभी-कभार मज़े भी कर लिया करो" अपने हाथ की मुट्ठी में अपनी मा की साड़ी का पल्लू पकड़े विक्की उसे अपनी ओर खींचने का प्रयत्न करते हुवे बोला.

दूसरी तरफ नीमा भी अपनी साड़ी को उतरने से बचाने हेतु पुरज़ोर प्रयास-रत थी. "मेरी साड़ी छोड़ दे !! मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ" अपने निर्लज्ज बेटे की पहुँच से दूर भागने के लिए नीमा बहुत छट-पटाई, मिन्नतें की मगर विक्की अपनी मा की बात मानने से पूरी तरह इनकार कर देता था.

"इसे उतार दो !! वैसे भी बहुत गर्मी है" कह कर उसने साड़ी को ज़ोर का झटका दिया.

नीमा भी अपने दोनो हाथो से अपनी साड़ी थामे खड़ी थी, नतीजन वह बिना किसी अवरुद्धि के अपने पुत्र की बाहों में खिंची चाली आती है. उसने फॉरन विक्की को घूर कर देखा मगर उस पर चिल्ला ना सकी. "स्नेहा आ गयी तो बवाल मच जाएगा !! बक्श दे मुझे कमीने" नीमा ने अपने बेटे के हाथ को रोकने की कोशिश की जो अब उसके गुदाज़ पेट से नीचे सरकते हुवे उसकी साड़ी को पेटिकोट से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था.

"एक काम करो मम्मी !! आज नंगी हो कर खाना बनाओ, बहुत सुंदर लगोगी" उसने अश्लीलता-पूर्वक कहा और अपना हाथ अपनी मा के पेटिकोट के भीतर घुसाने के उपरांत साड़ी को तीव्रता से बाहर खींच लेता है.

"हाए !! नालयक, यह क्या कह रहा है तू" नीमा के गाल शरम से लाल हो उठे.

वह अपने पुत्र के क़ब्ज़े में आ गयी थी और शीघ्र ही विक्की ने आगे झुक कर अपने होंठ अपनी मा के होंठो पर रख दिए, साथ ही अपने दूसरे हाथ को उसकी पतली कमर से नीचे फिसलाते हुवे उसके सुडोल चूतडो के दोनो पाट भी बारी-बारी से भींचना शुरू कर देता है.

"परे हट नीच" चुंबन तोड़ने की गर्ज से नीमा ने अपने दोनो हाथ अपने पुत्र के सीने पर रख कर उसे पिछे धकेला, इस चक्कर में उसकी साड़ी उसकी हाथ से छूट गयी और खुली होने की वजह से उसके पैरों में जा गिरी. अब वह मात्रा ब्लाउस और पेटिकोट पहने खड़ी थी और यह कामुक नज़ारा देख उसका बेटा दोबारा उसे पकड़ कर अपने साथ सटा लेता है.


"ओह्ह्ह मम्मी !! जब आप के यह मोटे-मोटे मम्मे मेरी छाति में गढ़ते हैं, सच में मुझे जन्नत नज़र आ जाती है" अपनी मा के ऊपर अपना वजन डालते हुवे विक्की बोला. उसका दूसरा हाथ निरंतर नीमा के चूतडो को सहलाए जा रहा था और आमने-सामने से चिपके होने के कारण जल्द ही उसका लंड ऐंठ कर पेटिकोट के ऊपर से ठीक उसकी मा की चूत से टकराने लगता है.
lovely
 

Nevil singh

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"उफफफ्फ़ !! मत कर बेटा" नीमा हौले से फुसफुसाई. उस वक़्त उसे अपनी काम-वासना को जाग्रत नही होने देना था क्यों कि उसकी बेटी कभी भी किचन के अंदर प्रवेश कर सकती थी.


"हे हे हे हे !! तो फिर नंगी हो जाओ ना" बोल कर विक्की हंस पड़ा और नीमा लज्जा से दोहरी हो जाती है.

"बेशरम !! अपनी मा पर रहम खा" कहते हुवे उसने ज़ोर लगाया और अपने पुत्र की गिरफ़्त से आज़ाद हो गयी. छूट कर वह पलट पाई थी कि विक्की ने उसे फिर से दबोच लिया और सामने धकेल कर दीवार से सटा देता है.

"आज नही छोड़ूँगा मम्मी !! आप ने मुझे बहुत तडपाया है" वह शिक़ायती लहज़े में बोला, इस बार वह पिछे से अपनी माँ के साथ चिपका हुआ था और अपनी लंबी जीभ से उसकी गर्दन चाटने लगता है. नीचे अपना विशाल लंड वह प्रबलता से नीमा के मुलायम चूतडो पर दबा रहा था और अपना हाथ घुमा कर अपनी मा की दाईं चूची पकड़ने में भी सफल हो जाता है.


"आहह सीईइ !! सच में नंगी करेगा क्या ?" जानते हुए कि उसका यह संवाद निश्चित तौर पर उसके बेटे की काम-उत्तेजना को भड़का देगा, नीमा ने जबड़े भींच कर नशीले अंदाज़ में पुछा

जिसका जवाब विक्की बल-पूर्वक अपनी मा का निपल उमेठ कर देता है. उसका लंड अकड़ कर पत्थर समान सख़्त हो चुका था और जिसे नीमा बखूबी महसूस भी कर रही थी. अपने पुत्र के खड़े लंड का दबाव अपने चूतडो पर बढ़ते देख उसकी सिसकारियाँ निकलने लगती हैं. "ओह्ह मम्मी !! मैं तो कब से चाहता हूँ कि आप नंगी हो जाओ और यहीं मुझसे अपनी गान्ड मरवा लो लेकिन लगता है मुझे खुद ही आप के कपड़े उतारने होंगे" धीरे से विक्की उसके कान में बुदबुदाया. उत्तेजना-वश वह स्वयं आहें भरने पर मजबूर हो चला था.


"स्नेहा का ख़याल कर बेटे !! वरना तेरे लिए तो तेरी मा कभी भी नंगी होने को तैयार रहती है" नीमा बड़े ही कामुक अंदाज़ में बोली. उसका बेटा ज़बरदस्ती उसके गुप्तांगो को छेड़ रहा था, उनसे खेल रहा था. आख़िर कब तक वह अपने आप पर सैयम रख सकती थी.

"मैने चेक किया था !! दीदी अपने कमरे में सो रही है" आश्वासन दे कर विक्की अपने दूसरे हाथ से अपनी मा का पेटिकोट ऊपर उठाने लगता है. नीमा को उसने दीवार के साथ इस कदर दबा रखा था कि लाख चाहने के बावजूद वह कुच्छ नही कर पा रही थी और उसके गोल मटोल मम्मो के तने चूचक तो मानो दीवार के भीतर छेद करने पर आम्दा हो चुके थे.


"अगर उठ गयी तो ..." उसके आशंका से भरे आधे लफ्ज़ उसके मूँह के भीतर ही दम तोड़ देते है जब विक्की उसके पेटिकोट को उसकी कमर तक चढ़ाने में सफल हो जाता है और


अपनी मा के अत्यंत गोरी रंगत के सुडोल चूतडो पर कसी उसकी काली कच्छि को निहारने लगता है. "जाने इतनी छोटी पैंटी आप कैसे पहेन लेती हो मम्मी !! पूरी की पूरी तो आप की गान्ड की दरार में घुसी हुई है" वह अपनी मा के चूतडो की दरार में अपनी उंगली डाल कर बोला और कच्छि बाहर निकालने की कोशिश करता है


मगर तभी नीमा अपने चूतड़ मटकाने लगी और झुंझलाते हुए विक्की उसकी कच्छि को नीचे ही खींच देता है.

"अब बहुत हुआ !! तूने अपनी मम्मी को नंगा कर अपने दिल की ख्वाहिश पूरी कर ली, अब तो मुझे कपड़े पहेन लेने दे वरना खाना बनाने में देरी हो जाएगी " नीमा की समझ से परे कि वह क्या करे, वह चाह कर भी हिल-डुल नही पा रही थी. कुच्छ देर पहले वह किचन में डिन्नर तैयार करने के उद्देश्य से आई थी और आते ही विक्की ने उसे परेशान करना आरंभ कर दिया था.


स्नेहा घर में मौजूद है यह सोच कर नीमा को थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था और तभी अपने बेटे की अश्लील हरक़तो को सिवाए सहने के वह कुच्छ और नही कर पा रही थी.

"अभी नही" वह बोला और अचानक नीमा को अपने चूतडो पर अपने पुत्र के नंगे लंड के टकराने का एहसास हुआ. उसे पता नही चल पाया कि कब विक्की ने अपना पाजामा उतारा और उसके लंड का मोटा सुपाडा अपनी गान्ड के संवेदनशील छेद पर चुभता महसूस कर वह सिहर उठती है.


"अच्छा-अच्छा ठीक है !! मैं पूरे कपड़े उतार लूँ इसके बाद तू जो चाहे वो करना" नीमा ने अंतिम प्रयास करते हुए कहा. वह अपने पुत्र की गिरफ़्त से खुद को छुड़ा तो नही सकती थी मगर उसे बहला-फुसला कर वहाँ से भागने का प्रयत्न ज़रूर करना चाहती थी.


"नही मम्मी !! आप की गान्ड का उद्घाटन अभी और इसी वक़्त होगा" कहने के उपरांत ही विक्की ने अपनी माँ की कमर पर हल्का सा दबाव डाल दिया और काँपते हुए नीमा फॉरन अपना गुदा-द्वार सिकोड लेती है, उसकी किस्मत अच्छी थी जो वह बिल्कुल सीधी खड़ी थी वरना इस थोड़े से दबाव में भी विक्की के लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी गान्ड के कुंवारे छेद के भीतर घुस गया होता.
jordaar
 

Nevil singh

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"तू समझ क्यों नही रहा बेटे !! मैं सह नही पाउन्गि, मैने रात की इजाज़त तो दी है ना तुझे" नीमा रुन्वासी हो कर बोली. उसे मालूम था पहली बार गान्ड मरवाने में बहुत दर्द होता है और अगर वह चीख-पुकार मचाती तो यक़ीनन स्नेहा किचन के अंदर चली आती. वह पूरे दिन से इसी विषय पर विचार कर रही थी कि कहीं अपनी बेटी के समकक्ष उसका भांडा ना फूट जाए.



"डरो मत मम्मी !! कुच्छ नही होगा, बस अपनी गान्ड को ढीला छोड़ दो और झुक कर खड़ी हो जाओ" विक्की बोला और ना चाहते हुए भी अधूरे मन से नीमा को अपने पुत्र की अश्लील माँग स्वीकारनी पड़ी.


"माँ !! कुच्छ जलने की बू आ रही है" किचन के दरवाज़े के करीब से आती स्नेहा की आवाज़ सुन नीमा का संपूर्ण जिस्म काँप उठा और पकड़े जाने के भय से खुद ब खुद उसकी लज्जापूर्ण पलकें बंद हो जाती हैं, भले विक्की उसके साथ ज़बरदस्ती करता नज़र आ रहा था मगर उसकी बेटी तो अपनी मा को ही ज़िम्मेदार समझती.


"माँ !! कहाँ ध्यान है आप का, रोटी जल कर काली हो गयी" अपनी माँ को उसके कंधे से झकझोरते हुए स्नेहा बोली और गॅस की आँच धीमी कर दी. लगभग चौंकते हुए नीमा की पलकें खुलती हैं, सर्व-प्रथम उसने अपने कपड़ो की स्थिति का जायज़ा लिया जो उसके बदन पर मौजूद थे और विक्की भी उसे नज़र नही आता. "ह .. हां !! वो मैं रोटी पलटना भूल गयी थी" उसने लड़खड़ाते स्वर में कहा. वह पसीने से तर थी और उसे अपने ऊपर बेहद क्रोध आ रहा था. मात्र एक मन-घड़ंत सपने की वजह से आज उसकी जान निकलते-निकलते बची थी.


"हटो !! मैं बनाती हूँ" बोल कर स्नेहा ने बेलन नीमा के हाथ से छीन लिया. उसकी माँ के बदले हालात उसे हैरत में डाले हुए थे और सही मायने में अब तक नीमा की चेतना पूरी तरह से वापस नही लौट पाई थी.


"मैं बना लूँगी स्नेहा !! तू क्यों परेशान होती है" नीमा ने कहा मगर उसकी बेटी ने उसे आराम करने की सलाह दे कर किचन से विदा कर दिया.



बाहर हॉल में आते ही नीमा की नज़र अपने बेटे पर पड़ी, वह सोफे पर बैठा टीवी पर मूवी देख रहा था. नीमा को हॉल में रुकना गवारा नही होता और वह अपने बेडरूम की ओर जाने लगती है.


"अरे मम्मी !! कहाँ जा रही हो आप, देखो ना कितनी शानदार मूवी चल रही है" विक्की ने उसे आवाज़ दी.


हलाकि नीमा उसकी बात पर ध्यान नही देना चाहती थी मगर जाने क्यों उसके बढ़ते कदम थम गये. "मेरी तबीयत कुच्छ ठीक नही बेटे !! थोड़ी देर रिलॅक्स करूँगी" उसने बिना पलटे जवाब दिया और दोबारा चलना शुरू कर देती है.


"आप की तबीयत खुश हो जाएगी मम्मी !! इधर आओ ना" बेशर्मो की तरह उसके बेटे ने स्पष्ट-रूप से अपनी माँ को दाना डाला.


"नही !! मुझे सोना है" विक्की की बात से घबरा कर नीमा की निगाहें फॉरन किचन के दरवाज़े से चिपक जाती हैं. स्नेहा का ख़ौफ़ उसके दिल ओ दिमाग़ पर इस कदर घर चुका था कि अब कोई भी रिस्क लेना उसके लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता था.


"मैं भी साथ चलता हूँ मम्मी !! मुझे भी नींद आ रही है" बोल कर वह टीवी को स्विच ऑफ करने लगता है.


"तू कहता है तो देख लेती हूँ" अचानक नीमा के लफ्ज़ फूटे. कमरे के अंदर उसका बेटा उसे ज़रूर परेशान करता और तभी वह उसके सम्तुल्य रखे सोफे पर बैठने को विवश हो गयी थी.


"खाना दीदी बना रही है क्या ?" जान-बूझ कर विक्की ने यह सवाल पुछा और साथ ही अपना हाथ अपने शॉर्ट्स के अंदर घुसा लेता है.
majedaar
 

Nevil singh

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तुरंत नीमा का चेहरा अपने बेटे की हरक़त देख सफेद पड़ने लगा. "ह .. हाँ" उसने थूक निगलते हुवे उत्तर दिया.


"तब ठीक है" कह कर विक्की ने अपने लंड को आज़ादी बख़्श दी.


कुच्छ वक़्त पूर्व की कामुकता के अंश नीमा के जिस्म में अब तक मौजूद थे, उसकी कच्छि सूखना तो दूर अपने बेटे के सिकुडे लंड को वास्तविकता में देख दोबारा भीगने लगी. निराशा, भय और उत्तेजना तीनो के मिले जुले संगम के तेहेत वह बेचैन हो उठती है, उसकी शारीरिक प्यास निरंतर बढ़ रही थी मगर बुझाने की हिम्मत जुटा पाने में बिल्कुल असमर्थ थी.


"मम्मी !! कैसी लग रही है मूवी ?" निर्लज्जता से अपना लंड मुठियाते हुवे विक्की ने पुछा.


"ह्म्‍म्म !! टीवी ऑफ ही कर दे, बहुत बोरिंग है" नीमा जवाब में बोली, उसके कथन का इशारा सॉफ था कि उसका पुत्र अपना लंड शॉर्ट्स के अंदर वापस क़ैद कर ले.


"नही भाई बंद मत कर !! मैं बस पाँच मिनिट में आई" स्नेहा ने किचन से चिल्ला कर कहा और उसकी आवाज़ सुन नीमा सोफे पर उच्छल पड़ी मगर विक्की के चेहरे पर ज़रा भी शिकन नही आती.


"पाँच मिनिट" जैसे-जैसे वक़्त बीतने लगा नीमा की हालत पतली होती गयी, उसने दर्ज़नो प्रयत्न किए लेकिन अपने ढीठ पुत्र को मना ना सकी.


"भाई !! ज़्यादा तो नही निकली ना ?" आख़िर-कार स्नेहा हॉल में आ पहुँची और थर-थर काँपते हुवे नीमा फॉरन अपनी साड़ी के पल्लू से अपना चेहरा ढँक लेती है.


"क्या हुआ मम्मी ?" विक्की और स्नेहा ने एक-साथ पुछा और दोनो बच्चो की सम्मिलित ध्वनि उनकी मा को तुरंत वर्तमान में खींच लाती है. साड़ी का पल्लू अपने चेहरे से हटाने के उपरांत नीमा ने पाया कि इस बार भी वह उसी पुराने सपने की शिकार हुई थी, ना ही विक्की ने शॉर्ट्स पहेन रखा था और ना ही हॉल की टीवी ऑन थी.


"तुम दोनो मुझे घेरे क्यों खड़े हो !! अभी-अभी किचन से बाहर आई हूँ, क्या पसीना भी ना पोंच्छू ?" सवाल कर वह पल्लू को वापस अपने चेहरे पर रगड़ने लगी. अगर वह हैरानी-पूर्वक उन्हें देखती या उस बुरे सपने के तेहेत अन्य कोई भी ऐसा संदिग्ध कार्य जो वहाँ उसकी वास्तविक मनोदशा ज़ाहिर करता, तब शायद उसे दिक्कत का सामना करना पड़ सकता था.


"नही माँ !! मुझे लगा आप को कुच्छ हो गया, देखो ना आप कितनी ज़ोर से हांफ रही हो" स्नेहा ने चिंता जताई.


"मुझे भी दीदी" विक्की अपनी बहेन का समर्थन करता है


और नीमा ने अपनी बिगड़ी हालात को नकार कर फॉरन उन्हें अपने सीने से चिपका लिया. "मैं बिल्कुल ठीक हूँ !! तुम दोनो बे-वजह परेशान मत हो" वह मुस्कुरा कर बोली और तभी उसे अपने दाएँ मम्मे के ऊपर अपने बेटे के हाथ का दबाव महसूस हुआ. नीमा ने तिर्छि निगाहों से विक्की को घूरा तो वह अंजान बनने का नाटक करने लगता है.
mohak
 

Nevil singh

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"चलो ना मम्मी !! खाना खाते हैं" कह कर स्नेहा किचन की दिशा में मूड गयी और मौका मिलते ही बदला लेने के उद्देश्य से नीमा ने अपने पुत्र के हाथ का पूरा-पूरा का पंजा अपने ब्लाउस के भीतर ठूंस लिया. "ओह्ह्ह हां !! अब दबा ताक़त से, पहले मज़ा नही आया था" वह बुदबुदाई मगर विक्की अपनी मा की घिनोनी हसरत स्वीकारने की हिम्मत नही जुटा पाता,



किचन के दरवाज़े से उसकी बहेन उसे हॉल के अंदर झाँकति नज़र आ रही थी. "मम्मी !! रात को करेंगे, जब दीदी सो जाएगी" वह लो वाय्स में बोला और अपना हाथ अपनी मा के तंग ब्लाउस से बाहर खींच लेता है. वाकयि नीमा का सोचा-समझा प्लान शत-प्रतिशत कामयाब हुवा था, वह समझ गयी कि जैसे वह स्वयं इन हलातो में घबरा जाती है उसका बेटा तो उससे भी कहीं ज़्यादा गान्ड-फॅट निकला था.


"अच्छा ठीक है" अनमने मंन से नीमा ने कहा और सोफे से उठ कर हॉल की डाइनिंग के समीप आ पहुचि. अल्प समय में डिन्नर निपटा कर वे तीनो और अपने-अपने कमरो के भीतर प्रवेश कर गये.



आधी रात को विक्की चोरों की भाँति अपनी माँ के बेडरूम के भीतर घुसा, कमरे की बंद बत्ती जलाने के उपरांत उसे नीमा अपने बिस्तर पर लेटी हुवी दिखाई पड़ी. ट्यूब लाइट ऑन होने के बावजूद भी नीमा ने कोई हलचल नही की और चुप-चाप अपनी आँखें मून्दे लेटी रहती है. दर-असल अपनी गान्ड का कुँवारा पन नष्ट होने के चक्कर में उसे नींद नही आती मगर सोने का नाटक करना उसके लिए अति-आवश्यक था. अपने पुत्र के निरंतर चलायमान कदमो की आहट पहचानने का प्रयत्न करते हुवे वह उसे अपने बेहद करीब आता महसूस करती है.


"मम्मी" विक्की ने उसे आवाज़ दी लेकिन नीमा को नही उठना था सो नही उठी और अगले ही पल उसे अपने कमीने बेटे के शुरूवाती हमले का सामना करना पड़ गया. अपनी औकात पर आते हुवे विक्की अपना हाथ सीधे अपनी माँ के सुडोल चूतडो पर रख कर उसे झक-झोर देता है. "मम्मी उठो" वह हौले से फुसफुसाया. उसके हाथ का एहसास पा कर नीमा के चूतड़ सिकुड़ने लगे, संपूर्ण बदन उसके छुने मात्र से थिरक उठा था. खुद के जाग जाने की भनक कहीं उसके बेटे को ना हो जाए, नतीजन वह नींद में ही बड-बाड़ाने का नाटक कर उल्टी हो गयी मगर यह उसकी भूल का प्रथम चरण साबित हुवा,



अपनी मा के मांसल चूतडो की कसावट के आकर्षण ने विक्की को मस्ती से भर दिया था. "मुझे बुला कर खुद चैन से सो रही हो" झुंझलाने के उपरांत वह अपनी माँ के चूतडो से चिपक कर उसके बिस्तर पर बैठ गया. हलाकी उस वक़्त नीमा का मूँह दूसरी तरफ था लेकिन वह दावे से कह सकती थी कि उसका निर्लज्ज बेटा उसके जिस्म की कामुक बनावट का ही लुफ्त उठा रहा होगा. "मम्मी !! उठो ना" इस बार विक्की की आवाज़ में क्रोध शामिल था. उसने नीमा की छोटी सी नाइटी से नीचे उसकी नंगी पिंडलियों पर अपना हाथ रख कर उसे हिलाया, फिर अपना वही हाथ सरकाते हुए अपनी मा के घुटनो तक ले जाता है. अब उसका हाथ नीचे और नाइटी ऊपर थी.



"ह्म्‍म्म" अत्यंत घबराहट के वशीभूत नीमा से सहेन कर पाना मुश्क़िल होने लगा तो वह अपनी बाईं टाँग घुटने से मोड़ कर उसे अपने पेट से चिपका लेती है, इसके साथ ही उसकी नाइटी भी ऊपर सर्की और उसकी पूरी बाईं जाँघ नंगी हो गयी. आँखें खोले बिना ही ए/सी की ठंडी हवा अपनी कच्छि के भीतर घुसती महसूस कर खुद ब खुद नीमा को अपनी साँसे भारी होती प्रतीत होने लगती है.


"मम्मी उठो !! वरना बहुत पछ्ताओगि" कहते हुवे विक्की ने नाइटी को नीमा की कमर पर पलटा दिया और फॉरन उत्तेजना के ज्वर में दोनो माँ-बेटे तपना शुरू हो जाते हैं. जहाँ माँ की चूत में अचानक बुलबुले उठने लगे वहीं उसके पुत्र का लंड तन कर लोहे की रोड समान कड़क हो गया था. "तो आप नही उठोगी" एक अंतिम चेतावनी दे कर विक्की ने अपनी माँ की नींद को मापने का प्रयास किया और जब वो अनुमान नही लगा पाया कि नीमा वाकाई सो रही है या सिर्फ़ सोने का नाटक कर रही है, वह अपनी मा की चूत के मुहाने पर सटी कच्छि को साइड में खिसका कर अपनी उंगलियों से उसकी चूत के खुले होंठ मरोड़ने लगता है. "हाए मम्मी !! आप की चूत तो गीली हो गयी. दिल करता है चूस-चूस कर अपने मूँह से इसका सारा रस निचोड़ लूँ मगर नही, आज तो मैं तबीयत से अपनी माँ की गान्ड मारूँगा" वह नीमा के गद्देदार चूतड़ पर थप्पड़ मार कर बोला. उसकी माँ के प्राण तो जैसे उसके हलक़ में ही अटके रह जाते हैं,
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Nevil singh

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बेटे की अश्लीलता से भरी बातें और छेड़-खानी के हाथो विवश होते हुए नीमा फॉरन अपने नाटक को वहीं समाप्त कर देने पर विचार करने लगती है. "देखो क्या फॅशन आया !! कितनी बड़ी गान्ड और कितनी छोटी सी पैंटी. पिछे से देख कर हर कोई सोचेगा, मेरी मम्मी तो पैंटी ही नही पहनती होगी" विक्की ज़ोर से हंसा और अपनी उंगलियाँ अपनी माँ की चूत के भभक्ते मुख से हटा कर उसकी कच्छि को उसके गुदाज़ चूतडो की तरफ से नीचे खींचना शुरू कर देता है. शर्मसार नीमा अभी भी उलझन में फसि थी कि अपनी आँखें खोले या चुप-चाप लेटी रहे.


"वाउ यह हुई ना बात !! मेरी मा की कुँवारी चूत तो मुझे नसीब नही हुई लेकिन गान्ड के छेद पर मेरा पूरा हक़ है" वह कच्छि को नीमा के घुटनो तक उतारने में सफल होने के उपरांत बोला और आनन-फानन में खुद भी वस्त्र विहीन हो गया. "मम्मी !! अगले दो-चार दिन आप खुल कर हॅग सकोगी क्यों कि मेरा सूखा लंड आप की गान्ड फाड़ देगा" उसने अपने विशाल लंड का फूला सुपाडा अपनी माँ के चूतडो की दरार के भीतर रगड़ते हुए कहा और भविश्य के नतीजों के फल-स्वरूप तुरंत नीमा का संपूर्ण जिस्म कप्कपाने लगा. ज्यों ही उसने अपने बेटे के नोकदार सुपाडे की असहनीय घिसन अपने संवेदनशील गुदा-द्वार पर बढ़ती महसूस की, अपना हाथ पिछे ले जा कर फॉरन वह विक्की का लंड थाम लेती है.


"नही नही ऐसे मत घुसा !! रुक मैं तेरा लंड चूस कर उसे चिकना किए देती हूँ" नीमा विनती के स्वर में बोली और बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी.


"हे हे हे हे !! मुझे मालूम था मम्मी, आप सिर्फ़ मुझे चूतिया बना रही हो. अगर आप सच में सो रही होती तो आप की यह प्यारी सी चूत यूँ बह नही रही होती" खिलखिला कर विक्की अपनी माँ की कामुक आँखों में झाँकते हुवे उसकी चूत का सूजा भंगूर अपने अंगूठे व प्रथम उंगली के बीच पकड़ कर बे-रहमी से उसे मसल्ने लगता है.



"आहह सीईइ छ्छो .. छोड़ दे नलायक !! बहुत बिगड़ गया है तू, क्या कोई बेटा अपनी माँ के साथ इतनी बे-दरदी से पेश आता है ?" उसने शिक़ायती लहजे में तुनक कर पुछा और अपने पुत्र का हाथ अपनी काम-रस से भीगी चूत के ऊपर से हटाने के प्रयास में जुट गयी. अपने कोमल भज्नासे के निरंतर उमेठे जाने के प्रभाव से उसका पूरा जिस्म थर-थरा उठा था.


"आप की कातिल जवानी मुझे मजबूर कर देती है मम्मी" विक्की ने अपना हमला ज़ारी रखा और अपने दूसरे हाथ से अपनी माँ के घुटनो में फसि उसकी कच्छि को नीचे खींच कर उसकी चिकनी टाँगो से बाहर निकाल देता है.


"हाए बेशरम !! जब तेरा मन हुआ हर बार तूने अपनी माँ को ज़बरदस्ती नंगी किया. चल अब बिस्तर पर खड़े हो जा, मुझे भी तेरा लंड चूसना है" मर्यादाओं की दुहाई देती नीमा खुद निर्लज्जता से अपने बेटे के समकक्ष अपनी अश्लीलता का प्रदर्शन करती है और विक्की के बिस्तर पर खड़े होने के उपरांत ही उस चंचल माँ ने उसके विशाल लंड के सुपाडे को अपनी खुरदूरी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.


"ओह्ह्ह मम्मी !! आप का कोई मुक़ाबला नही. चाटो, अपने बेटे के खड़े लंड की पूरी लंबाई को चाटो ना" सित्कार्ते हुए विक्की ने अपना लंड थाम लिया और वीर्य से लबालब भरे अपने टट्टो से ले कर फड़-फडा रहे अपने लंड की संपूर्ण चमडी को अपनी माँ की गीली जीभ पर घिसने लगता है. नीमा का सर मजबूती से पकड़े उसका बेटा अपने मन-मुताबिक अपनी माँ से अपना लंड चटवाने में सफल हो गया था.


"छिन्न .. छर्ररर" अचानक बेडरूम का दरवाज़ा खुला और स्नेहा अपनी माँ के कमरे के भीतर प्रवेश करती है मगर नीमा के चेहरे पर तो जैसे नाम मात्र की फिकर नही झलकी, वह बिना किसी अतिरिक्त झीजक के अपनी बेटी की आँखों में झाँकते हुए अपने बेटे के लंड का फूला सुपाडा बार-बस अपने कोमल होंठो से सटा कर चूमने लगी.
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Nevil singh

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"अब और कितना डराएगी !! हां मैने अपने सगे बेटे से अपनी चूत चुदवाइ है और कुच्छ देर बाद अपनी गान्ड भी मरवाउन्गि. मैं मेरे बेटे की रंडी हूँ, उखाड़ ले जो तुझसे उखाड़ते बने" क्रोध से भरपूर नीमा के शब्द उसके बीते बुरे सपनो के परिचायक थे. कष्ट-प्रद जिन हलातो का सामना उसे करना पड़ा था, पूर्ण-रूप से स्नेहा को ज़िम्मेदार मान कर वह अपना गम हल्का कर रही थी, उस पर अपनी भडास निकाल रही थी. "वहाँ दरवाज़े पर क्यों खड़ी है !! अंदर आ और हिम्मत है तो रोक कर दिखा मुझे" वह दोबारा गर्जि और तभी स्नेहा के कदम उसे रफ़्तार पकड़ते नज़र आए जैसे उसने अपनी मा की चुनौती को स्वीकार कर लिया हो. शंका-स्वरूप नीमा ने फॉरन अपने निचले होंठ को अपने नुकीले दांतो को मध्य चबा कर देखा और दर्द महसूस करते ही समझ गयी कि इस बार कुदरत ने उसे नही बख्शा, उसकी बेटी हक़ीक़त में उसके कमरे भीतर मौजूद है.



"ह्म्‍म्म !! लो आ गयी मगर आप तो खुद ही रुक गयी माँ, मुझे रोकने की ज़रूरत ही नही पड़ी" वह नीमा के संपूर्ण जिस्म को घूरते हुए बोली. बिस्तर के नरम गद्दे पर धन्से उसकी माँ के नंगे, मांसल चूतडो का घुमावदार कटाव बेहद प्रभावशाली था. नाइटी की हद्द तो जैसे उसकी माँ के गुदाज़ पेट के ऊपर सिमट कर समाप्त हो गयी थी. आल्ति-पालती की मुद्रा में बैठे होने की वजह से उसकी कामरस से लबालब भरी चूत के अत्यंत सूजे होंठ स्नेहा को उसकी माँ के बदन से कहीं ज़्यादा काप्कपाते नज़र आते हैं, जिनकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली छवि से स्त्री होने के बावजूद वह अछूती नही रह पाती और क्षण मात्र में ही स्वयं की कुवारि चूत के भीतर एक अजीब सी सनसनाहट महसूस करती है.


"क्या हुआ विक्की !! माँ रुक क्यों गयी ?" उसने बिस्तर पर खड़े अपने नंगे भाई से पुच्छा जो सिवाए मूक्दर्शक बने रहने के और कर भी क्या सकता था. "अभी कुच्छ देर पहले तो किसी रंडी की तरह तेरे लंड का सुपाडा चूम रही थीं. अब क्या हुआ, कहीं इन्हें शरम तो नही आ गयी ?" अपने छोटे भाई का जवाब ना मिलने के उपरांत स्नेहा अश्लीलतापूर्वक बोली.


उसकी इस हृदयभेदी तोचना से क्षुब्ध नीमा के हाथ ने अपने आप उसके बेटे के तने लंड को छोड़ दिया और बिस्तर पर जा गिरा, मानो लकवे का शिकार हो गया हो. "बस कर स्नेहा !! मुझे और जलील मत कर बेटी" रुन्वासि नीमा किस्मत के आगे हथियार डाल देती है. प्रत्यक्षरूप से स्नेहा को वह इतनी दुखद प्रतीत हुई जितनी पूर्व में कभी नज़र नही आई थी. वह वाकयि निष्क्रिय थी, उसकी विह्वल आँखो से उत्तेजना की उमंग, जोश और उत्साह की सारी चमक फीकी पड़ चुकी थी. अपनी बेटी के आगमन पर वह बिल्कुल निर्जीव हो गयी थी जैसे उसके पंख पखेरू उड़ चुके हों. स्नेहा को उसके लिए अफ़सोस हुआ मगर नियती के फ़ैसले को टालना कहाँ संभव था. अपनी मा के निष्प्राण, उदासीन चेहरे को देख वह उसे अन्य कोई टीस देने की क्षमता खो देती है.



"मुझे आप से कोई शिक़ायत नही माँ !! हां थोड़ी नाराज़ ज़रूर हूँ क्यों कि आप इस नलायक को मुझसे ज़्यादा प्यार करती हो" बोल कर स्नेहा अपनी माँ को चौंकाते हुए उसके सीने से चिपक जाती है और एकायक बदले उसके स्वाभाव के मद्देनज़र नीमा पहले से कहीं अधिक घबरा गयी. उसके लिए विश्वास कर पाना बेहद कठिन था कि जहाँ उसकी बेटी को उसके ऊपर चिल्लाना चाहिए, बुरी से बुरी गालियों से नवाज़ना चाहिए वहीं इसके ठीक विपरीत वह अपनी माँ के पापी करम को नज़रअंदाज़ कर उसे दुलार रही थी



"क .. क्या !! क्या कहा तूने .. कि तुझे अपनी माँ से कोई शिक़ायत नही म .. मगर मैं तो तेरे छोटे भाई के साथ ...." लड़खड़ाती आवाज़ में नीमा ने कहा, हलाकी हल्की सी राहत की साँस का अनुभव उसे अवश्य हुवा मगर इतना भी नही कि अपना शर्मसार कथन स्पष्ट लहजे में पूरा कर पाती.


"हां माँ !! आप ने ठीक सुना" आलिंगन तोड़ स्नेहा मुस्कुरा कर बोली "मुझे काफ़ी पहले मालूम चल गया था कि आप विक्की से अपनी चूत चुदवाती हो" उसने बिना किसी झेंप के कहा, उसके वहाँ आने का मक़सद ही यही था कि अपनी माँ को रंगे हाथो पकड़ सके और अपने इस प्रयास में उसने अविश्वसनीय सफलता भी अर्जित की थी.



"तू .. तुझे पता था स्नेहा ?" पुछ्ते वक़्त नीमा का चेहरा लजा गया, अपनी बेटी की अश्लील भाषा के प्रयोग से उसे बहुत हैरानी हुई और फॉरन अपनी अधनंगी अवस्था छुपाने हेतु वह अपनी नाइटी को अपने पेट से नीचे खींच कर अपनी चूत धाँकने का प्रयत्न करती है मगर इसके लिए उसे अपने चूतडो को बिस्तर से ऊपर उठाना आवश्यक था जो वह नही कर पाई, बस नाइटी का महीन कपड़ा पकड़ कर अपना हाथ अपनी चूत के मुहाने पर रखने भर से उसे संतोष करना पड़ा, उसकी संपूर्ण चिकनी टांगे और चूतडो का निचला हिस्सा अब भी नंगा था.


"बोला तो सही !! आप दोनो को कयि बार चुदाई करते देख चुकी हूँ. शुरुआत में बड़ा अजीब लगा, गुस्सा भी बहुत आया मगर इंटरनेट पर इन्सेस्ट से रिलेटेड दर्ज़नो वेबसाइट्स देख कर यकीन हो गया कि कुच्छ परिवारो में ऐसा होता है, जहाँ खूनी रिश्ते छुप्छुप कर आपस में संभोग किया करते हैं" किसी विद्वान की भाँति स्नेहा बोली "पर माँ !! इन्सेस्ट ब्लॉग्स पढ़ने के बाद जाने मुझे क्या हो गया है, सारे बदन में दर्द उठने लगा है, नींद नही आती, हर वक़्त दिल बेचैनि से भरा रहता है और मेरी चूत तो काफ़ी दिनो से पानी छोड़ रही है, एक पल को भी सूखी नही रह पाती" उसने अंजान बनने का नाटक किया और पाजामे के ऊपर से अपनी कुँवारी चूत को मसल कर दिखाती है ताकि नीमा उसके ढोंग की असलियत पहचान ना सके.
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