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Incest पापी परिवार

Nevil singh

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"क्यों !! सपने में क्या अपनी चूत चुदवा रही थी जो तेरी नींद खराब हो गयी" हंस कर स्नेहा ने भी चुटकी ली.




"अरे अपनी किस्मत में लंड कहाँ !! तू जानती तो है मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही" निम्मी ने उदासी भरे लफ़ज़ो में कहा जब कि अपने पिता के विशाल लंड से थूकने के बाद अब तक उसकी चूत के भीतर मीठा-मीठा दर्द बना हुआ था.


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"हां पता है मुझे !! अशोक भी अब तेरी लाइफ में नही है" स्नेहा ने दुख जताया.


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"उस गान्डू का तो नाम ही मत ले !! बीसी ने पहले शिवानी को धोखा दिया और फिर मुझे भी उल्लू बना रहा था" निम्मी भड़कते हुए बोलती है "चल छोड़ !! ये बता आंटी और छोटू कैसे हैं ?" उसने बात को बदल कर पुछा.


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"सब मज़े में हैं !! अच्छा सुन, कल रात मैने निकुंज भैया को देखा" जिस मक़सद से स्नेहा ने निम्मी को वहाँ मिलने बुलाया था आख़िर-कार वह उससे जानकारी हासिल करने की कोशिश में जुट जाती है.


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निम्मी :- "कल रात में !! कितने बजे की बात है और तूने उन्हें कहाँ देखा ?"


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"वो क्या है !! कल रात 10 बजे के लगभग मैने निकुंज भैया को हमारी मल्टी की मेन रोड के सामने से गुज़रते देखा. मैं उस वक़्त रोड पर ही टेहल रही थी" स्नेहा बेहद नॉर्मल टोन में बोली.


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निम्मी :- "10 बजे !! फिर तो ज़रूर तुझे कोई ग़लत फहमी हुई है. उस वक़्त तो हम तीनो भाई-बहेन साथ में डिन्नर कर रहे थे"


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"तुझे पक्का यकीन है कि उस समय निकुंज भैया घर पर ही मौजूद थे ?" स्नेहा ने दोबारा पुछा.


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"अब क्या स्टंप पेपर पर लिख कर दूं !! भैया की ऑफीस टाइमिंग है 11:00 से 7:00 और उसके बाद अगर बहुत अर्जेंट हुआ तभी घर से बाहर निकलते हैं वरना नही" निम्मी ने अपने भाई की दिनचर्या से स्नेहा को रूबरू करवाया.


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"ओह्ह्ह !! फिर तो सच में मुझे ग़लत फ़ेमही हो गयी होगी" स्नेहा का मन तो नही माना लेकिन ज़्यादा पुच्छ-ताच्छ स्वयं उसका ही का नुकसान कर सकती थी "तो फिर और कौन हो सकता जिसने रात भर मा के साथ चुदाई की" वह सोचने पर मजबूर हो उठी और सबसे बड़ी बात कि उसे अपनी मा के इस छिनाल्पन पर क्रोध आना चाहिए था जब की स्नेहा अपने जिस्म में अजीब सा रोमांच भरता महसूस कर रही थी.


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"अब जब यहाँ तक आ ही गये हैं तो क्यों ना इन्स्टिट्यूट का माहॉल भी देख लिया जाए ?" निम्मी ने अपनी अक्तिवा से नीचे उतर कर कहा.


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"हां क्यों नही" अपनी सोच को वहीं विराम देने के पश्चात मायूस स्नेहा उसके साथ चल पड़ती है.


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अपनी बहेन के घर से बाहर जाते ही विक्की ने अपनी मम्मी को अपनी मजबूत बाहों में दबोच लिया.


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"छोड़ विक्की !! मेरा मन नही है" नीमा झुंझला कर कहती है.


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"मगर मेरा तो है ना मम्मी" बोल कर विक्की अपना लोवर अपनी अंडरवेर समेट एक ही झटके में उतार कर दूर फेंक देता है और अपना सोया लंड बल-पूर्वक अपनी मम्मी के कोमल हाथ की मुट्ठी में पड़कवाने का प्रयत्न करता है.
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Nevil singh

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"विक्की मान जा !! मैने कहा ना अभी मेरा मूड नही है" नीमा के अत्यधिक विरोध जताने के बावजूद विक्की ने उसके हाथ की मुठ्ठी को अपने शुषुप्त लंड की गोलाई पर कस लिया और फॉरन अपना लंड मुठियाना आरंभ कर देता है.


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"उफफफ्फ़ दो दिन हो गये हैं मम्मी !! अब और मुझसे सहेन नही हो पाएगा" उसने आह भरी और साथ ही अपने दूसरे हाथ से अपनी मा की दाईं चुचि कठोरता से मसल्ने लगा.


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"तू समझता क्यों नही, छोड़ मुझे !! वरना मैं थप्पड़ मार दूँगी" नीमा ने चिल्ला कर कहा. जहाँ कल तक वह मा अपने बेटे के सुंदर लंड की एक झलक पाने के लिए अपनी लार टपकाती फिरती थी वहीं अभी उसे मानसिक कष्ट हो रहा था. शायद स्नेहा की हृदय-विदारक हरक़त से नीमा बुरी तरह टूट चुकी थी.


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"मगर क्यों ?" विक्की ने थप्पड़ वाली बात सुनते ही अपनी गति-विधियों को तुरंत रोक कर पुछा "जब आप का मन होता है तब क्या मैं आप को मना करता हूँ ?" वह खीज़ा.


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"म .. मेरा मतलब है !! देख ना घर कितना गंदा पड़ा है, मैं सॉफ-सफाई कर लूँ फिर तू जो चाहेगा मैं करूँगी" नीमा की ज़ुबान लड़खड़ाने लगी जब उसने अपने पुत्र का चेहरा क्रोध-वश लाल होते देखा.


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"सफाई की मा की चूत !! मुझे कुच्छ नही सुनना, बस फटाफट अपने कपड़े उतारो" अपनी टी-शर्ट उतारने के उपरांत विक्की पूरी तरह नंगा हो गया.


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"मैं तुझे मना थोड़ी ना कर रही हूँ" अपने बेटे के स्वाभाव में अचानक आए परिवर्तन को महसूस कर नीमा सिहर जाती है "चल नाराज़ ना हो, अभी मैं तेरा लंड चूस कर तुझे झाड़वा देती हूँ. बाद में तू जो कहेगा मैं करने को तैयार रहूंगी" वह फर्श पर अपने घुटनो के बल बैठती हुई बोली.


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"तो फिर ठीक है !! आज रात मैं आप की गान्ड मारूँगा" कह कर विक्की के होंठो पर कुटिल मुस्कान छा गयी.


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"क्या !! नही-नही मैं अपनी गान्ड नही मरवाउन्गि" नीमा ने घबरा कर कहा. विक्की की बातें और तीव्रता से बढ़ती जा रही उसकी माँगे, सब उसकी मा के होश उड़ाने को काफ़ी थी.


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"अब अपने वादे से मूकरो मत मम्मी !! वरना मुझे ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी" विक्की अपनी मा पर दबाव बनाते हुए बोला.


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"त .. तेरी हिम्मत कैसे हुई जो तू अपनी मा से इस लॅंग्वेज में बात कर रहा है" नीमा भी थर्रा उठती है.


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"क्यों ना करूँ !! जब आप का मन होता है, अपनी मर्ज़ी से मेरे साथ सब कुच्छ कर लेती हो और आज मेरा मन है तो मना कर रही हो. मुझे आज रात आप की गान्ड मारनी है, मतलब मारनी है" कह कर विक्की अपने पाव पटकते हुए नंगा ही अपने कमरे की ओर प्रस्थान करने लगा और नीमा टुकूर-टुकूर अपनी हैरत भरी निगाहों से उसे जाता देख रही थी.
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Nevil singh

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पापी परिवार--65



"धम्म्म" एक ज़ोरदार आवाज़ सुन नीमा की आँखें पनिया गयी. उसके बेटे ने अपने कमरे के भीतर पहुँच कर कमरे के दरवाज़ा को बल-पूर्वक धकेलते हुए अपनी मा पर अपना अंतिम क्रोध जो ज़ाहिर किया था.

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कुच्छ क्षण फर्श पर उकड़ू बैठे रहने के बाद नीमा वापस खड़े होने का प्रयत्न करती है, उसके घुटने उसके मार्मिक दिल की तरह ही टूट जाने की गवाही दे रहे थे, तत-पश्चात अपने झुक चुके भावुक चेहरे के साथ अपने निष्प्राण पैरो को ज़मीन पर घसीट-ती वह अत्यंत दुखी मा भी अपने बेडरूम में प्रवेश कर गयी.

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लगभग तीन घंटे बीत चुकने के उपरांत नीमा की आँख खुली, उस वक़्त उसे अपना जिस्म बेहद गरम और गहेन पीड़ा से बहाल जान पड़ता है. जैसे तैसे घिसट-घिसट कर वह अपने बाथरूम के अंदर पहुँच पाई और वॉशबेसिन के ऊपर स्थापित काँच में अपने मायूस चेहरे का अक्स देखते ही उसकी हिचकियाँ बँधने लगती है "कभी सोचा ना था कि मेरा लाड़ला बेटा इस तरह अपनी मा के खिलाफ बग़ावत करने पर उतारू होगा और मेरी बेटी भी बेशर्मी की सारी सीमायें लाँघने को तैयार हो जाएगी" वह हौले से बुदबुदाई.

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"ग़लती सिर्फ़ मेरी है वरना क्या मज़ाल जो विक्की और स्नेहा मुझ पर यूँ हावी हो पाते" सोचते हुए नीमा ने कुच्छ गहरी साँसे ली "माना इन हलातो की ज़िम्मेदार मैं खुद हूँ मगर इसका हल भी अब मुझे ही ढूँढना पड़ेगा और इससे पहले कि मेरे बच्चे मुझे कठ-पुतली की तरह नचाना शुरू कर दें मुझे अपने बचाव का कोई ना कोई रास्ता खोज लेना चाहिए" वह वॉशबेसिन के सामने से हट कर शवर के नीचे खड़ी हो गयी और बिना अपने कपड़े उतारे ही शवर का टॅप ऑन कर देती है.

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"वो वक़्त बीत चुका जब बच्चे अपने माता-पिता के कदमो में अपना शीश नवाने को हमेशा तैयार रहते थे और आज का समय ठीक इसके विपरीत हो चला है. विक्की और स्नेहा, दोनो अब डाँटने या पीटने लायक नही रहे. अगर मुझे उन्हें कंट्रोल में लेना है तो बस प्यार ही इसका एक मात्र उपाय है" ठंडे पानी की बूँदें लगातार उसके भभक्ते जिस्म को तर करती रही और राहत के अलावा अपने आप नीमा के मश्तिश्क में दर्ज़नो विचार भी पनपने लगते हैं.

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"यदि दोबारा मैं विक्की को अपने काबू में कर पाती हूँ तो स्नेहा के ऊपर भी लगाम कसना मेरे लिए मुश्क़िल नही रहेगा और विक्की कैसे मेरी मुट्ठी में आएगा यह मुझे बहुत अच्छे से मालूम है" उसका मुरझाया चेहरा फॉरन खिल उठता है और खुद ब खुद उसके हाथ उसके गीले वस्र्तो को अति-तीव्रता से उतारना आरंभ कर देते हैं.
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Nevil singh

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नीमा ने कुशलता-पूर्वक अपने नंगे बदन को निखारने का प्रयत्न किया. खास कर अपने गुप्ताँग, जिनके ज़रिए वह रमणीय मा अपने रूठे पुत्र को पुनः मनाने की अभिलाषी थी. नहाने के उपरांत उसने अपने सबसे पसंदीदा अंडरगार्मेंट्स पहने, लो कट स्लीवेलेस्स ब्लाउस और उसके साथ मॅचिंग पेटिकोट जिसे उसने अपनी गहरी नाभि के चार अंगुल नीचे बाँधा था. महरूण रंग की सिल्क की सारी जहाँ उसके छर्हरे गोरे जिस्म पर बेहद फॅब रही थी वहीं आँखों में काजल व होंठो पर सुगंधित ग्लॉस लगा लेने के पश्चात उसकी खूबसूरती में बहुत तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ था. अंत-तह अपने गीले रेशमी बाल सुलझाए बिना ही नीमा अपने शयन-कक्ष से बाहर निकल आती है.

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"इन्हें भी साथ ले जाती हूँ" हॉल में आते ही उसकी निगाहें फर्श पर बिखरे पड़े विक्की के कपड़ो से उलझ जाती है और उन्हें समेटने के बाद उसने अपने कदमो को अपने पुत्र के कमरे की दिशा में चलायमान कर दिया. दरवाज़ा सिर्फ़ अटका हुआ था जो उस अत्यधिक सुंदर मा के कोमल हाथ के स्पर्श मात्र से खुल गया और कमरे के अंदर का दृश्य देख नीमा को अपना अनुमानित लक्ष्य बेहद तुच्छ जान पड़ता है.

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वर्तमान के चलचित्रो में जिस तरह हर दुखी अभिनेत्री ओन्धे मूँह बिस्तर पर लेटी अपना गम हल्का करती नज़र आती है ठीक उसी मुद्रा में इस वक़्त विक्की सो रहा था.

"मूर्ख बालक !! नाराज़गी में ही सही मगर कपड़े ना पहेन कर तूने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है" सोच कर नीमा ने उसकी चिपकी टाँगो को सावधानी-पूर्वक फैलाया और तुरंत उनके बीच पसरने लगी "अब आएगा मज़ा" अपना चेहरा नीचे झुकाने के उपरांत ही वह चंचल मा बिना किसी घृणा के अपनी लंबी जीभ से अपने पुत्र की नंगी गान्ड के मध्य का संपूर्ण कटाव चाटना शुरू कर देती है.

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गहेन निद्रा में होने के बावजूद फॉरन विक्की का निष्प्राण जिस्म थरथरा उठा, कंपन से भरपूर कोई गीली व खुरदूरी वस्तु उसे अपने टट्टो के अंतिम छोर से ले कर अपने गान्ड के अति-संवेदनशील च्छेद तक बेहद तीवरा गति से रेंगती महसूस हो रही थी. स्वयं नीमा को अपने घिनोने क्रिया-कलाप की तत्परता पर अचंभा हुवा मगर अपने पुत्र के गुदा-द्वार की मर्दानी सुगंध एवं उसका कसिला स्वाद उस मा के कौतूहल को अत्यधिक प्राघाड़ता से रोमांचकारी स्थिति में परिवर्तित करने लगा था.

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"उफफफ्फ़" लगातार अपनी गान्ड के नाज़ुक छेद पर होते असहनीय प्रहारो से अभिभूत कब तक विक्की नींद के आगोश में समाए रह पाता. उसने हड़बड़ा कर अपनी बंद आँखें खोल दी और साथ ही वह करवट लेने का प्रयत्न करता है.

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"मैं हूँ विक्की !! तू चुप-चाप लेटे रह" नीमा ने उसकी गान्ड के दोनो पाट बल-पूर्वक अपने कोमल हाथो के पंजो में भींचते हुए कहा और जिसके प्रभाव से चाह कर भी विक्की करवट नही ले पाता.


"मम्मी !! यह .. यह आप क्या कर रही हो ?" विक्की ने अपनी गर्दन पिछे मोड़ कर पुछा और अपनी मा के सेक्सी हुलिए पर नज़र पड़ते ही उसकी आँखों की सारी खुमारी पल भर में रफूचक्कर हो जाती है.
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Nevil singh

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"जब तुझे अपनी मा की गान्ड पसंद है तो मुझे भी अपने बेटे की गान्ड से बहुत प्यार है" नीमा ने अपने कोमल गालो को परस्पर विक्की की मुलायम गान्ड की ऊपरी सतह पर रगड़ते हुए कहा और तत-पश्चात अपने गीले बालो की लंबी लट अपनी प्रथम उंगली में लपेटने के उपरांत अपनी उसी उंगली से अपने पुत्र का गुदा-द्वार खुजाने लगती है.


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"ओह्ह्ह !! म .. म .. मत करो" अपनी मा की यह अजीबो-ग़रीब हरक़त देख विक्की के कानो से धुंवा निकल गया और बिन पानी की मछ्ली की भाँति वा बिस्तर पर मचलने लगा.


"आईईई !! छोड़ दो मम्मी" चीखते हुए वह अपना माथा रूई से लबालब भरी तकिया पर पटकना शुरू कर देता है.


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"अरे रुक तो सही !! जब तूने कहा है कि आज रात तू मेरी गान्ड मारेगा तो क्या मुझे हक़ नही कि मैं भी अपने बेटे की गान्ड से कुच्छ देर खेल सकूँ" नीमा ज़ोर से हँसी "सोचा था ग्लॉस लगाने के बाद तेरे होंठ चुसुन्गि मगर नही, अब मेरा मन तेरी गान्ड का सुराख चाटने को कर रहा है" बोल कर वह मा निर्लज्जता से अपना ढेर सारा थूक अपने पुत्र की गान्ड की खुली दरार में उडेल देती है और इससे पहले कि उसका थूक नीचे बह कर बेडशीट को गीला कर पाता, नीमा ने बिजली की गति से अपनी जीभ ओन्धे लेटे विक्की के फड़कते टट्टो पर अड़ा दी और शक्ति-पूर्वक सुड़कते हुए अपने थूक के साथ उसके टट्टो को भी अपने मूँह के भीतर खींच लेने का प्रयत्न करती है.


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यह तो सर्व-विदित है चाहे मर्द हो या औरत, शरीर के सभी अंग एक तरफ मगर गुदा-द्वार की स्पंदानशीलता उन सभी अंगो से बिल्कुल भिन्न एवं अविश्वसनीय उन्माद से परिपूर्ण होती है और साथ ही उस छिद्र पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मिलने वाली हल्की सी छुवन, छोटी सी थिरकन भी प्राण-घातक व ना झेल पाने योग्य मालूम पड़ती है. विक्की बुरी तरह कराह रहा था मगर उसकी मा उसे सम्हलने का कोई मौका नही दे रही थी और कुच्छ लम्हे तक बेटे के टट्टो को चूसने के पश्चात नीमा ने अपना सारा ध्यान दोबारा विक्की की गान्ड के छेद पर केंद्रित करने का मन बनाया.


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"ओह्ह्ह मम्मी .. मम्मी प्लीज़ छोड़ दो !! वरना दर्द के मारे मेरा लंड फट जाएगा" विक्की की ज़ुबान उसके जिस्म की तरह ही लहराने लगी, वाकयि उसका लंड किसी मजबूत पत्थर समान बेहद कड़क हो चुका था.


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"अभी कहाँ से !! अभी तो तेरी गान्ड भी फटेगी और तुझे उसके फटने की आवाज़ भी सुनाई नही देगी" नीमा ने मन ही मन सोचा और अपनी तिकोनी जीभ में कठोरता ला कर वह अपने पुत्र की गान्ड के छिद्र को तीव्रता से चोदने भिड़ जाती है. विक्की ने लाख अपनी गान्ड सिकोडी, अपने हाथ-पाव फटकारे, अपने जबड़े भींचे, रहम की भीख माँगी मगर अपनी मा के कार्य में ज़रा भी बाधा उत्पन्न नही कर सका और ज्यों ही नीमा के होंठो ने उसके छेद को प्रचंडता से चूसना शुरू किया, सिहरन से काँपते हुए बिना किसी छुवन के खुद ब खुद विक्की के लंड से वीर्य की असीम फुहारें छूटने लगती हैं.


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"अहह" अकसर पॉर्न मूवीस में देखने मिलता है कि मर्द के स्खलित होने से पूर्व उनकी पार्ट्नर उनके गुदा-द्वार में अपनी उंगली ठूंस देती हैं ताकि वे भारी गर्जना और प्रबलता से झडे हैं और वीर्य निकलने की मात्रा में भी वृद्धि हो सके. फिर नीमा तो अपने बेटे की गान्ड का छेद अत्यंत कठोरता से चूस रही थी और उसकी करारी आह सुनने के उपरांत भी उसने विक्की पर कोई ढील नही बरती.
atiutam
 

Nevil singh

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"उफफफ्फ़ मम्मी !! आइ'म सॉरी. अब मुझे छोड़ दो" विक्की ने रुआंसी आवाज़ में कहा जब कि संतुष्टि-पूर्वक झाड़ने के बाद उसकी सारी पीड़ा बिल्कुल समाप्त हो चली थी.


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"मेरी एक शर्त है" नीमा ने उसके आग्रह को स्वीकारा मगर अपने हाथो की मजबूत पकड़ से उसे आज़ाद नही होने दिया.


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"मुझे आप की सारी शर्तें मंजूर हैं लेकिन आज रात मैं किसी भी सूरत में आप की गान्ड मारने से नही चुकुंगा" वह अपने दाँत फाड़ कर बोला.


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"बेशरम" ज्यों ही नीमा ने उसकी गान्ड पर थप्पड़ मारने के उद्देश्य से अपना हाथ हटाया फॉरन उसका पुत्र अपनी शक्ति एकत्रित कर करवट लेने में सफल हो जाता है और अंत-तह नीमा को उसके कंधो की मदद से ऊपर खींचने के उपरांत विक्की ने अपनी मा को अपने नंगे बदन के नीचे दबा लिया.


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"अब बोलो मम्मी !! क्या अब भी आप की कोई ख्वाइश अधूरी है ?" उसने नीमा की कजरारी आँखों में झाँक कर पुछा.


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"छ्हि !! विक्की छोड़ मुझे, देख ना तेरा वीर्य मेरे पेट पर चिपक रहा है" नीमा कसमसाते हुए कहती है.


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"मेरी गान्ड का छेद तो कितने मज़े ले कर चाट रही थी और अब छि. मम्मी !! आप बहुत बड़ी नौटंकी-बाज़ हो" विक्की मुस्कुराया.


"अच्छा ये बताओ !! इतना सज-संवर कर अपने बेटे के कमरे में क्यों आई थी ?" सवाल करने के बाद वह अपनी लंबी जीभ अपनी मा के बाएँ कान के अंदर ठेल देता है.


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"म .. मैं तो तुझे जगाने आई थी" नीमा अपनी कामुक सांसो को दबाने का प्रयास करते हुए बोली. विक्की उसके कान के भीतरी हिस्से में अपनी जीभ घुमा रहा था.


"बहुत देर हो गयी विक्की !! अभी मुझे खाना भी बनाना है" उत्तेजना-स्वरूप पिघलने से पूर्व वह अपने पुत्र की बाहो से आज़ाद हो जाना चाहती थी क्यों कि स्नेहा के घर लौटने का वक़्त भी करीबन हो चुका था.




"मैं भूखा रह लूँगा मम्मी !! आप पहले मेरे सवाल का जवाब दो" वह नीमा के कान से अपनी जीभ बाहर निकाल कर बोला और उसके एवज़ में अपने हाथ की उंगलियों को अपनी मा की बलखाई पतली कमर पर घुमाते हुए वहाँ छोटी-छोटी च्युंटीयाँ काटने लगा.


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"औच विक्की !! बेटा मुझे दर्द हो रहा है" गुदगुदी को पीड़ा का झूठा नाम देने के बावजूद नीमा बिस्तर पर उच्छलने लगती है मगर अपनी मुस्कुराहट अपने पुत्र की आँखों से छुपा नही पाती. एक लंबे अरसे से विक्की अपनी मा को सफलता-पूर्वक चोदता चला आ रहा था और साथ ही उसे बखूबी पता था कि नीमा के जिस्म के वे कौन से हिस्से हैं जिनकी छुवन मात्र से वह अत्यंत उत्तेजित हो जाया करती थी. नतीजन शीघ्र ही वह अपना अंगूठा अपनी मा की गोल व गहरी नाभि के भीतर ठेल देता है.
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Nevil singh

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"अब नखरे ना करो मम्मी !! वरना आप जानती हो, मुझे आप का मूँह खुलवाने के और भी कयि रास्ते मालूम हैं" विक्की ने अपने अंगूठे के नाख़ून को नीमा नाभि की अन्द्रूनि सतह पर घिस्ते हुए कहा.


"आप की नेवेल बहुत चिकनी है" वह अपनी मा का बायां हाथ ऊपर की दिशा में उठाते हुए बोलता है.


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"न .. नही विक्की !! वहाँ कुच्छ ना करना बेटे. हां मैं तुझे मनाने आई थी" अपने पुत्र की मंशा समझते ही नीमा ने सारा सच चुटकियों में स्वीकार कर लिया और फॉरन अपनी बेवकूफी पर झुंझलाई.


"उफफफ्फ़ !! क्यों मैने स्लीवेलेस्स ब्लाउस पहेना, अब विक्की ज़रूर मेरी कांख चाटेगा" सोचने भर से उसकी चूत कुलबुला जाती है.


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"हे हे हे हे बहुत चतुर हो मम्मी !! सुबह तो बड़ी ऐंठ से कह रही थी, गान्ड नही मर्वाओगि और अब खुद ही अपने बेटे को मनाने आ गयी" उसने अपनी मा की पसीने से लथपथ कांख को सूंघ कर कहा.


"ह्म्‍म्म !! मैं मदहोश हो जाता हूँ आप के जिस्म की खुश्बू से" शरारत भरी मुस्कान बिखेरने के उपरांत ही विक्की उसकी कांख पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है.


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"ओह्ह्ह्ह !! क .. क्या करता है विक्की, मत कर" नीमा सिहरन से काँपते हुए बोली, उसका संपूर्ण कथन भी उसके भर्राये गले से बाहर नही निकल पाता.


"स्नेहा आ जाएगी बेटा" उसकी आँखें बंद होने की कगार पर पहुँच गयी.


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"मेरी नमकीन मम्मी !! तो फिर वादा करो, आज रात मुझे अपनी गान्ड चोदने डोगी" विक्की ने अपनी जीभ की मचलाहट को विराम दे कर कहा.


"वरना आप अच्छे से जानती हो !! आप का बेटा कितना बड़ा कमीना बन चुका है" वह अपने अंगूठे को बल-पूर्वक नीमा की गहरी नाभि के भीतर पेल देता है ताकि अपनी मा का रहा-सहा विरोध भी समाप्त कर सके.


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"अहह मान जा बेटे" विक्की की निरंतर बढ़ती जा रही कामुक हरक़तें और उसके अश्लील संवादों के प्रभाव से नीमा के गोल मटोल मम्मो का उसके बेहद तंग ब्लाउस में क़ैद रह पाना ना-मुमकिन हो गया.


"मगर ..मगर मुझे दर्द हुआ तो ?" स्वतः ही उसके लब थरथरा उठते हैं.


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"यह हुई ना बात !! दर्द की चिंता मत करो मम्मी. मैं बहुत आराम से करूँगा और फिर देखना, चूत से कहीं ज़्यादा मज़ा आप को अपनी गान्ड मरवाने में आएगा" अत्यंत खुशी से अभिभूत विक्की ने फॉरन अपनी मा के होंठ चूम लिए.
bahut achchhi
 

Nevil singh

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"तू कहता है तो मान जाती हूँ लेकिन मुझे ज़रा सा भी दर्द महसूस हुवा, उसी वक़्त तू अपना लंड बाहर निकाल लेगा" नीमा उसे चेताति है.


"मोटाई देखी इसकी, मेरी गान्ड का छेद फाड़ देगा तेरा लॉडा" साथ ही अपनी कजरारी आँखों को बड़ा करते हुए उसने शंका भी ज़ाहिर की.


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"फिकर क्यों करती हो मम्मी !! मैं हूँ ना" आश्वासन देने के पश्चात विक्की ने अपनी मा के विशाल स्तनो के बीच की घाटी में अपना चेहरा छुपा लिया.


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"स्नेहा सो जाए तब मेरे कमरे में आ जाना" कहने के उपरांत नीमा भी अपने पुत्र की नंगी पीठ सहलाना शुरू कर देती है.


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"निकिता !! आज से इंटर-कॉलेज फुटबॉल लीग चॅंपियन्षिप स्टार्ट हो रही है. क्या तू चल रही है ग्राउंड में ?" क्लासमेट पूजा की आवाज़ सुन निक्की की तंद्रा टूटी.


"पूरी क्लास वही हैं" वह आगे बोली.


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"तू चल !! मैं थोड़ी देर से आती हूँ" कह कर निक्की वापस अपनी सोच में डूब जाती है. आज उसका भाई निकुंज अकेला ही वॉक पर निकल गया था.


"पर क्यों ?" दर्ज़नो बार वह खुद से यही प्रश्न पुच्छ चुकी थी मगर अब तक उसे संतुष्टि-जनक उत्तर नही मिल पाया था.


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"क्या मोम को मुझ पर किसी प्रकार का कोई शक़ है ?" बीती शाम की चाइ वाला किस्सा ज्यों का त्यों उसके मश्तिश्क में बवाल मचा रहा था. उसकी मा के वे साधारण सवाल, जिनके मामूली से जवाब देने मात्र में निक्की की हालत पस्त हो गयी थी.


"अगर भाई ने बीच-बचाव नही किया होता तो यक़ीनन मैं रो देती. कितना डर गयी थी मैं" लंबी साँस छोड़ते हुए उसने अपना सूख चुका थूक निगला और फॉरन जाना, उसकी घबराहट के अंश बरकरार थे.


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"हुह !! भाई ने कहा, घर पर हमें एक-दूसरे से दूर रहना होगा. चलो कोई ना, मुझे आस थी कि घर से बाहर तो हम साथ होंगे मगर वहाँ भी मोम ने अपनी टाँग अड़ा दी. अब से वे भी रोज़ाना हमारी चौकीदारी करने पार्क जाया करेंगी" निक्की की पलकें भीगने लगी और इससे पहले कि वा फूट-फूट कर रोना शुरू कर देती, उसने अपना बॅग समेटा और तीव्रता से अपनी क्लास से बाहर दौड़ जाती है.





कॉलेज की छुट्टी होने में काफ़ी समय शेष था मगर तीव्रता से चलायमान निक्की के बोझिल कदम नही रुके. अत्यधिक गोरी रंगत के उसके मुलायम व चिकने गालो पर बहते आँसुओ का कोई पारवार ना था जो गहेन उदासी, अधीरता, क्रोध एवं कुंठा के मिले जुले संगम के नतीजन इस वक़्त सुर्ख लाग रंग धारण कर चुके थे. निश्चित अंतराल से वह अपने सूती दुपट्टे को बरबस अपनी भीगी पॅल्को और पनियाई नाक पर रगड़ लेती ताकि अगाल-बगल से गुज़रते हर चेहरे से अपनी आंतरिक पीड़ा छुपा सके. चलते हुए वह क्या बुदबुदा रही थी, स्वयं उससे अंजान थी.


"पहले प्यार का खुमार और पिया मिलन की आस" तंन से कहीं ज़्यादा अपने मन की प्यास से तड़पति उस कुँवारी युवती को देख शायद कुच्छ ऐसा ही प्रतीत हो रहा था. कॉलेज पार्किंग में खड़ी अपनी अक्तिवा पर सवार हो कर शीघ्र ही निक्की कॅंपस से बाहर आने लगती है.


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"क्या भाई के ऑफीस जाना ठीक होगा ?" उसने विचार किया.


"नही-नही वहाँ नही, तो फिर कहाँ ?" असमंजस की स्थिति में फसि निक्की का धैर्य अब पूर्ण-रूप से टूटने की कगार पर पहुँच गया था और कब उसकी अक्तिवा उसके घर की दहलीज़ को पार कर जाती है उसे पता भी नही चलता.


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"भाई तो घर पर हैं" बाहर मौजूद निकुंज की कार पर नज़र पड़ते ही निक्की के चेहरे पर सुबह से छाए मायूसी के बे-मौसम घने बादल फॉरन छाँट कर शीत ऋतु की ठंडी ल़हेर से ओत-प्रोत अतुलनीय आनंद में परिवर्तित हो गये और हमेशा की तरह हॉल से सीधे अपने कमरे की ओर प्रस्थान कर जाने वाली वह अत्यंत शर्मीली युवती बिना किसी अतिरिक्त भय के अपनी आदत में परिवर्तन करने पर मजबूर हो उठती है.
achchhi
 

Nevil singh

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"आ गयी बेटा !! चल हाथ-मूँह धो ले, मैं खाना लगाती हूँ" श्रष्टी के निर्माण-उपरांत कुद्रत द्वारा जो सबसे अनमोल तोहफे मानव जाती ने प्राप्त किए हैं उनमें प्रेम नामक भाव को सर्व-सम्मति से सर्वोपरि करार दिया गया है. प्रेम के विभिन्न रूपों का वर्णन तो कतयि संभव नही परंतु तरुण अवस्था में जिस तरह यह भाव हमारे साथ अठखेलियाँ करता है शायद ही कोई प्राणी इससे अछुता रहा हो. अपने संपूर्ण जीवन में निक्की ने कभी इतना सोच-विचार नही किया होगा जितना वह वर्तमान में करने पर विवश थी और यही मुख्य वजह रही जो अपनी मा की आवाज़ सुन उसके कदम वहीं ठहर कर रह जाते हैं जहाँ से वह निकुंज के कमरे के भीतर पहुँचने के लिए चलना शुरू करने वाली थी.


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"ज .. जी मोम" वह हौले से फुसफुसाई और अपनी मा की आँखों में झाँके बगैर अपने कमरे में एंटर हो गयी.


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"उफ़फ्फ़ !! क्या पता उस पागल ने अब तक कपड़े पहने भी होंगे या नही" कम्मो स्वयं घबराई हुई थी और कहीं निक्की अपने भाई को नंगा ना देख ले, अपनी पुत्री को फ्रेश होने का आदेश देने के पश्चात तुरंत ही वह भय-भीत मा अपने बेटे के शयन-कक्ष के अंदर प्रवेश करती है. अपने बलिष्ठ जिस्म पर मात्र टवल लेपेटे निकुंज उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा अपने गीले बाल संवारता नज़र आता है.


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"बेटा !! वो .. वो निक्की कॉलेज से लौट आई" बोलते वक़्त कम्मो के लफ्ज़ लड़खड़ा उठे. एक मा के लिए यह बेहद लज्जा से परिपूर्ण स्थिति थी जो अब उसे अपने पुत्र की नग्नता को वापस ढँकने का उपदेश देना पड़ रहा था जब कि कुच्छ वक़्त पूर्व उसी मा ने स्वयं अपनी मर्ज़ी से अपने बेटे को नंगा होने पर बाध्य किया था.


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"फिकर मत करो मोम !! मुझे पता है" अपनी मा के चेहरे की हवाइयाँ उड़ी देख निकुंज को फॉरन शरारत सूझी.


"क्या आप वॉर्डरोब से मेरी फ्रेश फ्रेंची निकाल दोगि ?" कह कर वह अपनी टवल खोलने लगता है.


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"न .. नही निकुंज !! टवल मत उतारना" कम्मो की घिघी बंद गयी. लगभग दौते हुए वह वॉर्डरोब के समीप पहुँची और चन्द लम्हो में अपने पुत्र की अंडरवेर खोज निकालती है.


"ले जल्दी पहेन ...." उसके आधे शब्दो ने मानो उसके मूँह के भीतर ही दम तोड़ दिया जब वह अपने पुत्र की टवल को नीचे फर्श पर गिरा पाती है.


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"अपने हाथो से पहना दो ना मोम" मुस्कुरा कर निकुंज ने अपनी बेशर्म इक्षा जताई. एक बार फिर वह अपनी मा के समक्ष पूर्ण-रूप से नंगा हो गया था.


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"त .. तू खुद पहेन ले बेटे !! मैं बाहर जा रही हूँ" हाथ में पकड़ी फ्रेंची निकुंज के सुपुर्द करने के उद्देश्य से कम्मो अपना हाथ उसके नज़दीक ला कर बोली. वह प्रयत्न करती है कि उसकी आँखें उसके पुत्र के लंड की ओर ना देखें मगर काम-वासना की शिकार वह अत्यधिक कमज़ोर मा चाह कर भी खुद पर सैयम नही रख पाती और अगले ही क्षण अपनी ललचाई निगाहों से अपने बेटे का सिकुडा लंड घूर्ने लगती है.


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"तो फिर ठीक है जाओ" निकुंज ने क्रोधित होने का नाटक किया ताकि उसकी मा को उसकी याचना भरी माँग ज़बरदस्ती में बदलती प्रतीत हो सके. कम्मो की तो हमेशा से यही अभिलाषा रही थी कि उसका पुत्र सारे नीच करम स्वयं अपनी पहेल के उपरांत जबरन अपनी मा से करवाया करे.


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"चल पहेन !! मैं पहनाती हूँ" कह कर वह मा फॉरन अपने घुटनो के बल फर्श पर नीचे बैठ गयी. तत-पश्चात निकुंज अपने हाथो को सपोर्ट के लिए अपनी मा के कंधो पर रख लेता है और कम्मो भी उसकी दोनो टाँगो को बारी-बारी से पकड़ते हुए फ्रेंची ऊपर की ओर चढ़ाने लगती है. उसकी आँखें एक-टक निकुंज के लटके हुए लंड को निहार रही थी और अचानक ही वह उत्तेजना-पूर्वक अपना चेहरा अपने पुत्र की टाँगो की जड़ से बुरी तरह चिपका देती है.


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"सीईइ ह" निकुंज सीत्कार उठा, उसकी मा बे-तहाशा उसके लंड की संपूर्ण लंबाई को चूमे जा रही थी. अति-शीघ्र ही कम्मो ने अपने बेटे का मुरझाया सुपाड़ा अपने मूँह के भीतर समा लिया और कुच्छ पल उसे बेहद कठोरता से चूसने के उपरांत वह हौले-हौले उस पर अपनी खुरदूरी जीभ रगड़ने लगती है.


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"अब फटा-फॅट हॉल में आ जा. मैं खाना परोस रही हूँ" कम्मो की आवाज़ सुन निकुंज की तंद्रा टूटी. वह चौंक पड़ता है, जो कुछ भी उसने महसूस किया मात्र उसके मन की फालतू उपज थी. लंड को चूसना तो दूर उसकी मा ने उसे छुआ तक नही था.


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"हां !! आता हूँ" अपने बालो को खुजाते हुए निकुंज अपनी कमीनी सोच पर मुस्कुराने लगता है. हलाकी इतना अनुमान उसे अवश्य हो चुका था कि उसकी मा उसके नंगे जिस्म से कही ज़्यादा उसके विशाल लंड पर मोहित है.
bahut badhiya
 

Nevil singh

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"निक्की !! कॉलेज से इतनी जल्दी कैसे लौट आई ?" डाइनिंग टेबल पर बैठते ही निकुंज ने अपनी बहेन से पुछा मगर पुछ्ते वक़्त उसने अपनी आँखें अपनी मा के खूबसूरत चेहरे पर जमा रखी थी.


"क्यों मोम !! पापा भी टाइम से पहले आ गये ना ?" वह दोबारा सवाल करता है और उसकी बात सुन जहाँ कम्मो अपनी कजरारी आँखों को बड़ा करते हुए इशारो में उसे चुप रहने का संकेत करती है वहीं अपने कोमल होंठो को खिलने से नही रोक पाती.


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"काम से फ्री हो गये होंगे" कम्मो ने कहा. निकुंज और निक्की आमने-सामने और कम्मो अपनी बेटी के बगल में बैठी थी.


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"भाई !! आज हमारे कॉलेज में फुटबॉल चॅंपियन्षिप का इनॉग्रेषन था तो मैं वापस लौट आई" बिना सर ऊपर उठाए निक्की ने नॉर्मल टोन में जवाब दिया और अपनी प्लेट में मौजूद राजमा-चावल चुग्ने लगती है.


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"कितने दिनो तक चलेगी यह चॅंपियन्षिप ?" अपनी प्यारी बहेन के चेहरे पर छाई गहेन उदासी निकुंज प्रत्यक्ष रूप से देख रहा था. जिस तरह वह अपना सर नीचे झुकाए अपनी प्लेट में चम्मच घुमा रही थी, उसके भाई पर उसका दुख ज़ाहिर होने के लिए उतना काफ़ी था.


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"10 दिन" वह फुसफुसाई और अगले ही पल अपनी कुर्सी समेत फर्श पर गिर पड़ी.


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"निक्की" निकुंज के साथ उसकी मा की चीख से पूरा हॉल गूँज उठता है. वह फॉरन अपनी बहेन के समीप पहुच गया जिसका सर उसकी मा ने अपनी गोद में सँभाल रखा था.





"क्या हुआ निक्की !! बेटा कैसे गिर गयी ?" रुआंसे स्वर में कम्मो ने उसका गाल थप-थपा कर पुछा. वह खुद नही समझ पाई आख़िर कैसे उसकी बेटी अचानक अपनी कुर्सी समेत नीचे गिर सकती है.


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"निकुंज !! लगता है इसे चक्कर आ गये" कम्मो ने चिंता जाताई और निकुंज अपनी मा का आशय समझ तुरंत निक्की को अपनी गोद में उठा लेता है.


"कमरे में चल !! मैं ग्लूकोस ले कर आती हूँ" कम्मो सीढ़िया चढ़ते हुए बोली और निकुंज अपनी बहेन के कमरे की ओर चल पड़ा.


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"भाई !! मैं ठीक हूँ" कह कर निक्की की आँखों से आँसू बह निकले, जिन्हें देख निकुंज को अपनी करनी पर अफ़सोस होने लगा.


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"माफ़ कर दे निक्की !! मैने तो मज़ाक में तेरे पाँव पर अपना पाँव रखा था. मुझे थोड़ी ना पता था कि तू घबरा कर नीचे ही गिर जाएगी" निकुंज भर्राये गले से बस इतना ही कह सका, उसकी आँखें भी नम हो गयी थी. निक्की को उसके बिस्तर पर लिटने के उपरांत वह खुद उसके बगल में बैठ गया.


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"भाई !! मोम नाराज़ होंगी, आप इधर मत बैठो" वह सुबक्ते हुए बोली और अपनी बहेन की बात सुन निकुंज हैरत भरी निगाहों से उसका चेहरा घूर्ने लगा.


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"तू मोम से इतना डरती क्यों है !! क्या तुझे अपने भाई पर भरोसा नही ?" अपनी बहेन के आँसू पोन्छ्ते हुए उसने पुछा. निक्की के लिए तो वह हर हद से गुज़रने को तैयार था, फिर चाहे उसके माता-पिता ही क्यों ना उसके दुश्मन बन जाते. निक्की अपने ही घर में चैन से नही जी पाए ऐसा निकुंज को कतयि मज़ूर नही था.


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"आप के ऊपर तो अपनी जान से ज़्यादा भरोसा है भाई मगर ...." कमरे के दरवाज़े पर अपनी मा की आकृति देख निक्की ने अपना कथन अधूरा ही छोड़ दिया और बल-पूर्वक अपनी पलकें भींच लेती है. अपनी बहेन की यह हृदय-विदारक हरक़त व उसकी बुरी दशा निकुंज सह नही पाता और कम्मो के कमरे में प्रवेश करने के उपरांत बिना किसी जीझक के अपने होंठ अपनी बहेन के होंठो से जोड़ देता है.




निक्की के कुर्सी समेत फर्श पर गिर पड़ने से अत्यंत व्याकुल कम्मो तीव्रता से कमरे में प्रवेश करती है, बगैर किसी अव्रुद्धि के वह काफ़ी भीतर तक घुस आई थी मगर ज्यों ही उसकी नम आँखें अपने सगे पुत्र वा पुत्री के दरमियाँ पनपे चुंबन से टकराई, उस पहले से दुखी मा के पाँव वहीं जाम कर रह जाते हैं, जहाँ तक वह पहुँच पाई थी.


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अपनी मा के सामने ही अपने होंठ, अपनी बहेन के होंठो से जोड़ देने वाले अपने भाई निकुंज की हिम्मत से अभिभूत निक्की का संपूर्ण जिस्म काँप उठता है, उसे निकुंज पर बेहद भरोसा था वरना डर के मारे यक़ीनन वह चीख देती. रोमांच से भरपूर कि उसके प्यारे भाई के होंठ उसके होंठो से चिपके हुए हैं, अब वह सच में बेहोशी की कगार पर पहुचने लगी थी.


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अपनी मा की उपस्थिति को जानने के उपरांत भी निकुंज बिल्कुल भयभीत नही हुआ और अनुमान-स्वरूप कि कम्मो के बढ़ते कदम स्वयं उसी की अविश्वसनीय हरक़त देख थम गये हैं, वह फॉरन अपना दाहिना हाथ अपनी बहेन की दाईं चूची पर रखते हुए दोबारा अपनी मा को अचंभित कर देता
badhiya
 
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