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Incest : पुर्व पवन : (incest, romance, fantasy)

कहानी आपको केसी लग रही है।।


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Sanju@

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भाग 59

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पवन अपने खेत की कुटिया में बैठे एकान्त में सोच में डूबा था। उसके तन मन में बस उसकी कुसुम बसी हुई है। वह चाह कर भी अपनी पत्नी बीबी अपने दिल की रानी कुसुम को भुला नहीं पा रहा है। वह किस तरह से कुसुम को अपने बारे में बतायेगा? क्या कुसुम उसका यकीन करेगी? कुसुम कैसे यकीन कर सकती है? कुसुम अभी उसकी माँ है। इसी कुसुम ने उसे जनम दिया है। उसे पाला पोसा है। अगर वह कुसुम को अतीत में जाने के बारे में बताने लगे, कुसुम पवन को पागल समझ बैठेगी। नहीं! पवन किसी भी हाल में कुसुम को अतीत में जाने के बारे में नहीं बता सकता। कुछ और सोचना पड़ेगा!


पवन उठकर खेत के उस गड्डे के पास जाता है, जहाँ उसने सिक्कों को छुपा रखा था। अपनी जमींदारी को बेहतर बनाने के लिए उसे अब काफी सारे पैसे की जरुरत है। हवेली की मरम्मत में कुछ पैसों की दरकार है। मुनिबजी ने कहा है, वह शहर से पवन के लिए बेहतरीन सामान लाकर देंगे।

पवन ने जब गडडा खोदा, देखा उस गड्डे में ऊपर तक सोने के सिक्के भरे हुए हैं। पवन ने अंतर्मन से पूछा, राजकुमार! यह क्या बात है? हम ने इतना सारा सिक्का निकाला, फिर भी इसमें सिक्के भरे पडे हैं?"

"वह इस लिए पवन! क्यौंकि भेडिया का दिल अभी भी उस गड्डे में मौजूद है। जब तक इस गड्डे में उसका दिल मौजूद रहेगा, सोने के यह सिक्के हमेशा बनता रहेगा।" पवन खुशी और हयरानी में गड्डे में सिक्के निकालने लगा।

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पवन छप्पर पे बैठा सुस्ताने लगा। अभी उसने काफी सिक्के निकाल लिये है। लग भग आधे से ज्यादा। क्यौंकि उसे यकीन हो गया। सिक्का फिर से भर जाएगा। कुटिया के अन्दर तीन तीन बोरियों में सिक्कों का अंबार लग गया।


"कैसे हो पवन!" कुटिया के बाहर से आई आवाज पे पवन ने सिर उठाकर देखा तो वहां आलोक खडा था। पवन ने अंदेखा करते हुए दोबारा अपना सिर जमीन पे रख दिया। जैसे उसे कोई परवा नहीं है।


"क्या हुआ? तुम मुझ से नाराज हो?" आलोक उसके पास आकर बैठ गया।


"तुम पर नहीं आलोक! अपनी किस्मत पर।" पवन की नजरें ऊपर की तरफ देखने लगी।


"तुम्हारी किस्मत बेहद अनोखी है पवन कुमार! नहीं तो सोचो जरा! तुम्हारे कुछ ना चाहते हुए भी तुम अब जमींदार बन गए हो।"


"इससे क्या फर्क पडता है आलोक! मैं ने वह खोया है, जिसे पाने के लिए एक मर्द अपनी जवानी तक इन्तज़ार करता है। एक औरत मेरे सामने चल फिर रही है, और वह मेरी बीबी है, लेकिन मैं,,,,मैं पति होने के बावजूद उसे अपना नहीं सकता। इस दर्द के आगे सारे सुख बेकार है।"


"मैं समझ सकता हूँ पवन, तुम इस वक्त काफी दुख में हो। मेरे समझाने पर भी तुम स्म्झोगे नहीं। लेकिन समय तुम्हें सब कुछ समझा देगा। खैर, यह लो तुम्हारा समययान। मैं ने इसे ठीक कर दिया है। अब अगर तुम चाहो तो फिर से आतीत में जा सकते हो। लेकिन मेरी बात याद रखना पवन, यह समययान मैं ने तुम्हें मिलेनियम स्टोन ढूंढ़ने के लिए दिया है। और एक बात, तुम जिस काल में एक बार जा चुके हो, दोबारा उसी काल में मत जाना। और अगर कभी जाने की जरुरत पडे भी तो ज्यादा देर वहां मत ठहरना। इससे तुम्हारे जीवन पे खतरा आ जाएगा।" आलोक के हाथ में टाईम मशीन देखकर पवन खुशी से उछल पड़ा। वह बैठकर समययान को लेता है।


"मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा आलोक।"


"उसकी जरुरत नहीं है। तुम मेरा यह काम कर दो। फिर अपनी जिंदगी में खुशी खुशी रहना। और हाँ, तुम अतीत में जाने के बारे में जरा सोचना। क्यौंकि यही तुम्हारा असली समय है। यही तुम्हारी जिंदगी है। यहां तुम जमींदार हो। लेकिन अतीत में तुम एक साधारण लडके। अब यह सोचना तुम्हारा काम है। मैं चलता हूँ।" आलोक खडा हो गया।


"क्या मैं दोबारा उसी समय पर जा सकता हूँ, जहाँ से मैं आया था?" पवन ने पीछे से आलोक को पूछा।


"खुद सोच लो पवन! तुम्हें जाना चाहिए या नहीं? अपनी माँ से मतलब अपनी कुसुम से पूछ लो, उसका पति कब कब उसके पास गया था। तुम्हें उन्हीं लम्हें पर जाना चाहिए। जरा सोचो पवन, तुम जितना अतीत में जाओगे, उस हिसाब से तुम्हारा वर्तमान भी बदलता रहेगा।" आलोक यह कहकर जाने लगा। वह बाहर आया और एक पोर्टल में चला गया।

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Fantastic update 👍
 
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