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भाग ~ 2
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कमला मर चुकी थी। उसके जिस्म की सारी दर्द पीड़ा दूर हो चुकी थी । लेकिन राजन के जिस्म में जो आग लगी हुई थी, उस आग में वो बुरी तरह से जल रहा था। उसके सीने से मांस नुचे होने के कारण उसका बदन भी लहूलुहान था। कुछ देर तक तो उसको कुछ भी समझ में न आया, कि वो क्या करें। लेकिन थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से शराब की एक बोतल निकाली और अपने घाव को शराब से तरबतर कर दिया और बाकी बची शराब को गटागट पी गया। उसकी आंखें लाल हो गई और कमला जो एक लाश में तब्दील हो चुकी थी, शराब के नशे में उस लाश के संग भी उसने रेप कर डाला। फिर उस पुरानी हवेली के चौकीदार राम सिंह के पास गया, जो अब तक शराब के नशे में मदहोश था।~~~~~~~~~~~~~~
राजन ने चौकीदार राम सिंह के भी कपड़े उतारे और उसे घसीटते हुए कमला की लाश के ऊपर ले जाकर पटक दिया और अपनी गाड़ी से अपने दोस्त डॉक्टर रोमेश यहां जा पहुंचा।
डॉक्टर रोमेश ने राजन के सीने को लहूलुहान देख कर कहा, "उफ..! इतनी बेरहमी से तुम्हारी छाती को किसने नोचा..?"
"मेरी गर्लफ्रेंड ने यार..! मुझे तो इन लड़कियों का चक्कर समझ में ही नहीं आता, कि जब किसी को प्यार करती है ये, तो अपना तन समर्पित करने में उन्हें एतराज क्यों..? देखो, कितनी बुरी तरह नोच खाया है. !"
"सच कहा तूने। पर यह लड़की तो बहुत ही ज़ालिम और निर्दयी मालूम देती है..! इस तरह की लड़कियों से तो दूर रहना ही अच्छा..!"
"सही बात..! और इसीलिए आज मैंने हमेशा के लिए उससे किनारा कर लिया और अब कभी नहीं उससे मिलूंगा..! क्योंकि जब शादी से पहले ही उसने मेरा यह हाल किया, तो शादी के बाद क्या करती..?"
"बिल्कुल ठीक किया तूने।" राजन के सीने पर पट्टी बांधते हुए डॉक्टर रोमेश ने कहा।
"वैसे उस लड़की का नाम क्या है..? कहां रहती है वो..? और करती क्या है..?"
"नाम न ले उस लड़की का। बेरहम..धोखेबाज..बदचलन..!"
"गुस्सा न हो यार..! मैंने तो इसलिए पूछा तुझसे, कि ऐसी कोई लड़की अगर मुझे मिलती, तो नशे का ऐसा इंजेक्शन देता उसे, कि वो खुद ही बाहों में आ जाती..! और पहले अपना तन समर्पित करती और बाद में मुँहमाँगा धन भी..!"
"ओह..! फिर तो बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे..! अगर पहले मुझे मालुम होता, कि कोई ऐसा इंजेक्शन भी तेरे पास है, तो उसको लेकर पहले तेरे पास ही मैं आता। और इससे मुझ पर कोई फर्क भी नही पड़ने वाला था.! क्योंकि तू भी मेरा दोस्त है। इसलिए मेरी हर चीज पर थोड़ा बहुत तो तेरा भी अधिकार बनता ही है..! बाकी मेरी बात का मतलब तो तू समझ ही गया होगा..!"
"बिल्कुल समझ गया। और बहुत अच्छा लगा तेरी इस बात को सुनकर..!" डॉक्टर ने खुश होकर कहा।
"थैंक्स डॉक्टर। एंड आई प्रॉमिस, कि इस बार जिस लड़की को पटाऊँगा, अगर जरा भी उसने ना नुकुर की, तो सबसे पहले उसको तेरे पास ही लेकर आऊंगा।..!"
"थैंक्स राजन। मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार करूंगा।" डॉक्टर ने कहा।
"श्योर..!" राजन ने कहा, "लेकिन फिलहाल तो मुझे घर जाने की जरा जल्दी है, क्योंकि आज मम्मी पापा सुल्तानपुर गए हैं और मेरी बहन राधा घर पर अकेली है।" ये कहकर और डॉक्टर से इज़ाज़त लेकर वो अपने घर आ गया।
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उधर चौकीदार राम सिंह जब होश में आया, तो खुद को एक लड़की की लाश के ऊपर देख कर उसके होश उड़ गए..! उसके कुछ समझ में ना आया, कि यह सब कब हुआ और कैसे हुआ..!
उसने 100 नंबर पर फोन करना चाहा तभी उसने सोचा कि अगर वह पुलिस को फोन करता है, तो कहीं खुद न फंस जाए, क्योंकि जब पुलिस उससे पूछेगी वारदात के बारे में, तो वो क्या जवाब देगा..? कहीं ऐसा न हो, कि पुलिस उस पर ही शक करें और उसे जेल में बंद कर दे..!
उसने चारों ओर देखा , हर तरफ सन्नाटा था। तब उसने उस लड़की की लाश को घसीटते हुए वहीं पास में एक पुराने कुएं तक ले गया और उस लाश को उस कुएं में ढकेल दिया। सदियों पुराने उस कुएं में न पानी था न कोई उधर आता जाता था। इतना काम करके वो वापस आ गया और एक बोतल और चढ़ा कर फिर से टुन्न हो गया..!
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