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Horror प्रायश्चित (Completed)

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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304
भाग ~ 2​
~~~~~~~~~~~~~~
कमला मर चुकी थी। उसके जिस्म की सारी दर्द पीड़ा दूर हो चुकी थी । लेकिन राजन के जिस्म में जो आग लगी हुई थी, उस आग में वो बुरी तरह से जल रहा था। उसके सीने से मांस नुचे होने के कारण उसका बदन भी लहूलुहान था। कुछ देर तक तो उसको कुछ भी समझ में न आया, कि वो क्या करें। लेकिन थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से शराब की एक बोतल निकाली और अपने घाव को शराब से तरबतर कर दिया और बाकी बची शराब को गटागट पी गया। उसकी आंखें लाल हो गई और कमला जो एक लाश में तब्दील हो चुकी थी, शराब के नशे में उस लाश के संग भी उसने रेप कर डाला। फिर उस पुरानी हवेली के चौकीदार राम सिंह के पास गया, जो अब तक शराब के नशे में मदहोश था।

राजन ने चौकीदार राम सिंह के भी कपड़े उतारे और उसे घसीटते हुए कमला की लाश के ऊपर ले जाकर पटक दिया और अपनी गाड़ी से अपने दोस्त डॉक्टर रोमेश यहां जा पहुंचा।

डॉक्टर रोमेश ने राजन के सीने को लहूलुहान देख कर कहा, "उफ..! इतनी बेरहमी से तुम्हारी छाती को किसने नोचा..?"

"मेरी गर्लफ्रेंड ने यार..! मुझे तो इन लड़कियों का चक्कर समझ में ही नहीं आता, कि जब किसी को प्यार करती है ये, तो अपना तन समर्पित करने में उन्हें एतराज क्यों..? देखो, कितनी बुरी तरह नोच खाया है. !"


"सच कहा तूने। पर यह लड़की तो बहुत ही ज़ालिम और निर्दयी मालूम देती है..! इस तरह की लड़कियों से तो दूर रहना ही अच्छा..!"

"सही बात..! और इसीलिए आज मैंने हमेशा के लिए उससे किनारा कर लिया और अब कभी नहीं उससे मिलूंगा..! क्योंकि जब शादी से पहले ही उसने मेरा यह हाल किया, तो शादी के बाद क्या करती..?"

"बिल्कुल ठीक किया तूने।" राजन के सीने पर पट्टी बांधते हुए डॉक्टर रोमेश ने कहा।

"वैसे उस लड़की का नाम क्या है..? कहां रहती है वो..? और करती क्या है..?"

"नाम न ले उस लड़की का। बेरहम..धोखेबाज..बदचलन..!"

"गुस्सा न हो यार..! मैंने तो इसलिए पूछा तुझसे, कि ऐसी कोई लड़की अगर मुझे मिलती, तो नशे का ऐसा इंजेक्शन देता उसे, कि वो खुद ही बाहों में आ जाती..! और पहले अपना तन समर्पित करती और बाद में मुँहमाँगा धन भी..!"

"ओह..! फिर तो बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे..! अगर पहले मुझे मालुम होता, कि कोई ऐसा इंजेक्शन भी तेरे पास है, तो उसको लेकर पहले तेरे पास ही मैं आता। और इससे मुझ पर कोई फर्क भी नही पड़ने वाला था.! क्योंकि तू भी मेरा दोस्त है। इसलिए मेरी हर चीज पर थोड़ा बहुत तो तेरा भी अधिकार बनता ही है..! बाकी मेरी बात का मतलब तो तू समझ ही गया होगा..!"

"बिल्कुल समझ गया। और बहुत अच्छा लगा तेरी इस बात को सुनकर..!" डॉक्टर ने खुश होकर कहा।

"थैंक्स डॉक्टर। एंड आई प्रॉमिस, कि इस बार जिस लड़की को पटाऊँगा, अगर जरा भी उसने ना नुकुर की, तो सबसे पहले उसको तेरे पास ही लेकर आऊंगा।..!"

"थैंक्स राजन। मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार करूंगा।" डॉक्टर ने कहा।

"श्योर..!" राजन ने कहा, "लेकिन फिलहाल तो मुझे घर जाने की जरा जल्दी है, क्योंकि आज मम्मी पापा सुल्तानपुर गए हैं और मेरी बहन राधा घर पर अकेली है।" ये कहकर और डॉक्टर से इज़ाज़त लेकर वो अपने घर आ गया।
* * * /* * /* * *
उधर चौकीदार राम सिंह जब होश में आया, तो खुद को एक लड़की की लाश के ऊपर देख कर उसके होश उड़ गए..! उसके कुछ समझ में ना आया, कि यह सब कब हुआ और कैसे हुआ..!

उसने 100 नंबर पर फोन करना चाहा तभी उसने सोचा कि अगर वह पुलिस को फोन करता है, तो कहीं खुद न फंस जाए, क्योंकि जब पुलिस उससे पूछेगी वारदात के बारे में, तो वो क्या जवाब देगा..? कहीं ऐसा न हो, कि पुलिस उस पर ही शक करें और उसे जेल में बंद कर दे..!

उसने चारों ओर देखा , हर तरफ सन्नाटा था। तब उसने उस लड़की की लाश को घसीटते हुए वहीं पास में एक पुराने कुएं तक ले गया और उस लाश को उस कुएं में ढकेल दिया। सदियों पुराने उस कुएं में न पानी था न कोई उधर आता जाता था। इतना काम करके वो वापस आ गया और एक बोतल और चढ़ा कर फिर से टुन्न हो गया..!
matlab rajan kamina uska dost ramesh maha kamina .. lagta hai dono hi gande nale ki paidaish hai... radha Akeli hai se matlab... :D kahi yeh kamina insects lober toh nahi :lol: kya pata ho bhi sakta hai.. akhir ek lash ki rape kar de toh, rishte kya mayne rakhta hai is harami ke liye.. :D
ab intezaar hai toh bas kamla The bhootni ki lautne ki...
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill swati :yourock: :yourock:
 
Last edited:

Rahul

Kingkong
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badhiya update chaukidaar ne lash ko thikane laga diya dekhte aage kya hota hai ab
 

VIKRANT

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प्रायश्चित


इस कहानी के सभी पात्र एवम घटना काल्पनिक हैं,
ये एक लघु कहानी है जो कुछ अपडेट के बाद ही समाप्त हो जाएगी,
:congrats: For starting a new story thread. :applause: :applause: :applause:
 

VIKRANT

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प्रायश्चित
【प्रथम भाग】

"यह क्या कर रहे हो राजन..? और कहां ले आए हो तुम मुझे..? इस निर्जन स्थान पर मुझे बहुत डर लग रहा है..!" कमला ने राजन की निगाह में वासना की लकीरों को देखते हुए कहा।

राजन बोला, " तुम्हें इतिहास से प्रेम है, लेकिन हमारे भारत के इतिहास में प्रेम के बहुत सारे अनोखे किस्से हैं। लेकिन प्रेम के किस्से मशहूर तभी होते हैं जब वे अधूरे हो, उनमें दर्द हो, कुछ अनोखापन हो, कोई सनक हो या अतृप्त प्रेम हो।"

" मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है तुम्हारी बात, कि तुम क्या कहना चाहते हो..?" कमला ने कहा।

"कमला, हम इस ऐतिहासिक अत्यंत पुरानी वीरान हवेली के चारो ओर दूर दूर तक फैली इन बड़ी बड़ी झाड़ियों के बीच इस निर्जन स्थान में अपनी सुहागरात का रिहर्सल करेंगे और अपने इस बेहद हसीन पलों का एक बेहतरीन वीडियो भी बनाएंगे। शादी तो ज़ब होगी तब होगी, पर मोहब्बत का असली आनन्द हमेशा शादी से पहले ही मिलता है, शादी के बाद नहीं..! और इसीलिये मैं तुम्हें यहां लाया हूँ मॉय डियर..!"

"क्या बक रहे हो तुम..? और यह कैसी गंदी बातें बोल रहे हो..? मुझे
ऐतिहासिक इमारतों से लगाव है। सुनसान जगहों से प्रेम है। वीरानियां मुझे अच्छी लगती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम इस वीरान स्थान में मेरे अकेलेपन का फायदा उठाओ। तुम ऐसा नहीं कर सकते। हम एक दूसरे को प्यार करते हैं और हमें अपनी मर्यादा कि सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।"

"कमला मुकम्मल प्यार तभी होता है, जब दो जिस्म एक हो जाते हैं। देखो कमला। यहां दूर दूर तक मेरे और तुम्हारे सिवा और कोई नहीं है..! और मौसम भी आज कितना हसीन है। रात्रि का पहला प्रहर..! चारो ओर सन्नाटा .! पंछी अपने घरों में लौटने को हैं। और इस हवेली का गार्ड मुर्गे और शराब की दावत उड़ा कर मदहोशी के आलम में है। इसलिए ये व्यर्थ की बातें छोड़ो और शर्म हया की दीवारों को तोड़कर मेरी बाहों में आओ और मेरे जिस्म में लगी आग को बुझा दो। हमारे प्यार को अमर बना दो।"

" तुम शायद पागल हो गए हो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम क्या कह रहे हो.? और तुम्हें यह भी नहीं मालुम, कि इसका अंजाम क्या होगा..? इसलिए होश में आओ राजन और हमारे इस मुकम्मल प्यार का अपमान ना करो।"

"पागल मैं नहीं बल्कि पागल तू हो गई है। तुझे मालूम भी है कि मुकम्मल प्यार किसे कहते हैं..? मुकम्मल प्यार उसे कहते हैं, जब दो जिस्म एक हो जाते हैं। दो जाने एक हो जाती हैं। और दो दिलों की धड़कनें एक दूजे में समा जाती हैं..!" ये कहते हुए राजन ने कमला को अपनी बाहों में भर लिया और उसके रसीले होठों को चूसने लगा।

"नहीं राजन नहीं..! तुम ऐसा कैसे कर सकते हो..? तुम मुझे प्यार करते हो और मैं भी तुम्हें प्यार करती करती हूं। लेकिन प्यार की भी एक मर्यादा होती है, एक सीमा होती है, लक्ष्मण रेखा होती है। इस रेखा को पार न करो राजन..!"

"तुम्हारा कहना बिल्कुल सही है कमला.! लेकिन हम हमेशा कुछ न कुछ नया करते आए हैं। और इसीलिए आज प्यार की इस लक्ष्मण रेखा को हम दोनों पार करेंगे। आज हमें एक होना है, बिल्कुल नए तरीके से, नए अंदाज में..खुले आसमान के नीचे.. इन जीव जंतु और पशु पक्षियों के सामने जो हमारी इस सुहागरात के गवाह बनेंगे..!"

" नहीं राजन..! यह असंभव है। और गलत भी है। मैं अपनी मम्मी और पापा को क्या जवाब दूंगी। दोस्त रिश्तेदारों और दुनिया से क्या कहूंगी । तुम मेरे प्यार हो राजन। तुम ऐसा नहीं कर सकते..!"

"पागल न बन कमला। मोहब्बत की थ्योरी बहुत पढ़ चुके हैं हम..! लेकिन अब प्रैक्टिकल करना है हमें..! इसलिए व्यर्थ में डर मत और जो हो रहा है, उसे होने दे। और यह तो जानती ही है तू, कि मैं तुझसे बेइंतहा प्यार करता हूं और तुझसे शादी भी करना चाहता हूं, फिर ये दूरी क्यों..? डियर, आज मेरा दिल कर रहा है, कि मैं शादी से पहले ही मोहब्बत का एक प्यारा सा तोहफा तुझको भेंट करूँ।। और एक प्रेमिका अपने प्रेमी के दिए इस तोहफे को भला अस्वीकार कैसे कर सकती है..?" यह कहते हुए राजन ने उसके जिस्म से उसके कपडों को अलग कर दिया।

कमला चींखने को हुई, लेकिन तभी राजन ने उसके मुंह को कस कर दबा दिया और बोला, "देख डियर, अगर तू चीखेगी तो चौकीदार आ जाएगा। और वो भी इस समय शराब के नशे में है। इसलिए वो भी तेरे साथ वही सब कुछ करेगा जो हमने आपस में करना है। लेकिन अगर उसने तेरे जिस्म को हाथ भी लगाया, तो मैं यह बर्दाश्तनही कर पाऊंगा और उसका खून कर दूंगा । इसलिए फैसला अब सिर्फ तेरे हाथ में है, कि तू ये खून खराबा चाहती है, या मेरा मुकम्मल प्यार ..!" यह कहते हुए उसने उसके मुंह से अपना हाथ हटा लिया। और फिर एक भद्दी सी हंसी हंसते हुए बोला, " सो मेरी जान। लेट्स कम एंड कोऑपरेट मी..!"

लेकिन उसकी इतनी गंदी बातों को सुनकर कमला किसी भूखी शेरनी की
भांति उस पर टूट पड़ी और उस पर प्रहार करती हुए उसके सीने में अपने दांत गड़ा दिए, और उसके जिस्म से उसका मांस नोच डाला!

दर्द से बिलबिलाते हुए राजन ने गुस्से में आकर पास में ही रखी एक ईंट उसके सर पर दे मारा, जिसके कारण थोड़ी देर में ही उसका प्राणान्त हो गया..!
Greattt start swati ji. Such a mind blowing update and your writing skill. :applause: :applause: :applause:

Ek taraf kamla thi jo pyar ki paribhasha and uske maan maryada ki baate kiye ja rahi thi apne premi se to dusri taraf rajan tha jo prem ko mukammal karne ki baate kiye ja raha tha. Us par hawas haavi ho chuki thi and usne pyar ko mukammal karne ke liye kamla ke sath jabardasti karni chaahi magar us jabardasti ka anjaam dono ko hi bhogna pada. Kamla ne to kisi chudail ki tarah rajan ke seene ke maans ko hi noch liya magar kamla ko iske liye apni jaan se haath dhona pada. Anyways let's see what happens next. :coffee1:

:celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf:
 

VIKRANT

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भाग ~ 2​
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कमला मर चुकी थी। उसके जिस्म की सारी दर्द पीड़ा दूर हो चुकी थी । लेकिन राजन के जिस्म में जो आग लगी हुई थी, उस आग में वो बुरी तरह से जल रहा था। उसके सीने से मांस नुचे होने के कारण उसका बदन भी लहूलुहान था। कुछ देर तक तो उसको कुछ भी समझ में न आया, कि वो क्या करें। लेकिन थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से शराब की एक बोतल निकाली और अपने घाव को शराब से तरबतर कर दिया और बाकी बची शराब को गटागट पी गया। उसकी आंखें लाल हो गई और कमला जो एक लाश में तब्दील हो चुकी थी, शराब के नशे में उस लाश के संग भी उसने रेप कर डाला। फिर उस पुरानी हवेली के चौकीदार राम सिंह के पास गया, जो अब तक शराब के नशे में मदहोश था।

राजन ने चौकीदार राम सिंह के भी कपड़े उतारे और उसे घसीटते हुए कमला की लाश के ऊपर ले जाकर पटक दिया और अपनी गाड़ी से अपने दोस्त डॉक्टर रोमेश यहां जा पहुंचा।

डॉक्टर रोमेश ने राजन के सीने को लहूलुहान देख कर कहा, "उफ..! इतनी बेरहमी से तुम्हारी छाती को किसने नोचा..?"

"मेरी गर्लफ्रेंड ने यार..! मुझे तो इन लड़कियों का चक्कर समझ में ही नहीं आता, कि जब किसी को प्यार करती है ये, तो अपना तन समर्पित करने में उन्हें एतराज क्यों..? देखो, कितनी बुरी तरह नोच खाया है. !"


"सच कहा तूने। पर यह लड़की तो बहुत ही ज़ालिम और निर्दयी मालूम देती है..! इस तरह की लड़कियों से तो दूर रहना ही अच्छा..!"

"सही बात..! और इसीलिए आज मैंने हमेशा के लिए उससे किनारा कर लिया और अब कभी नहीं उससे मिलूंगा..! क्योंकि जब शादी से पहले ही उसने मेरा यह हाल किया, तो शादी के बाद क्या करती..?"

"बिल्कुल ठीक किया तूने।" राजन के सीने पर पट्टी बांधते हुए डॉक्टर रोमेश ने कहा।

"वैसे उस लड़की का नाम क्या है..? कहां रहती है वो..? और करती क्या है..?"

"नाम न ले उस लड़की का। बेरहम..धोखेबाज..बदचलन..!"

"गुस्सा न हो यार..! मैंने तो इसलिए पूछा तुझसे, कि ऐसी कोई लड़की अगर मुझे मिलती, तो नशे का ऐसा इंजेक्शन देता उसे, कि वो खुद ही बाहों में आ जाती..! और पहले अपना तन समर्पित करती और बाद में मुँहमाँगा धन भी..!"

"ओह..! फिर तो बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे..! अगर पहले मुझे मालुम होता, कि कोई ऐसा इंजेक्शन भी तेरे पास है, तो उसको लेकर पहले तेरे पास ही मैं आता। और इससे मुझ पर कोई फर्क भी नही पड़ने वाला था.! क्योंकि तू भी मेरा दोस्त है। इसलिए मेरी हर चीज पर थोड़ा बहुत तो तेरा भी अधिकार बनता ही है..! बाकी मेरी बात का मतलब तो तू समझ ही गया होगा..!"

"बिल्कुल समझ गया। और बहुत अच्छा लगा तेरी इस बात को सुनकर..!" डॉक्टर ने खुश होकर कहा।

"थैंक्स डॉक्टर। एंड आई प्रॉमिस, कि इस बार जिस लड़की को पटाऊँगा, अगर जरा भी उसने ना नुकुर की, तो सबसे पहले उसको तेरे पास ही लेकर आऊंगा।..!"

"थैंक्स राजन। मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार करूंगा।" डॉक्टर ने कहा।

"श्योर..!" राजन ने कहा, "लेकिन फिलहाल तो मुझे घर जाने की जरा जल्दी है, क्योंकि आज मम्मी पापा सुल्तानपुर गए हैं और मेरी बहन राधा घर पर अकेली है।" ये कहकर और डॉक्टर से इज़ाज़त लेकर वो अपने घर आ गया।
* * * /* * /* * *
उधर चौकीदार राम सिंह जब होश में आया, तो खुद को एक लड़की की लाश के ऊपर देख कर उसके होश उड़ गए..! उसके कुछ समझ में ना आया, कि यह सब कब हुआ और कैसे हुआ..!

उसने 100 नंबर पर फोन करना चाहा तभी उसने सोचा कि अगर वह पुलिस को फोन करता है, तो कहीं खुद न फंस जाए, क्योंकि जब पुलिस उससे पूछेगी वारदात के बारे में, तो वो क्या जवाब देगा..? कहीं ऐसा न हो, कि पुलिस उस पर ही शक करें और उसे जेल में बंद कर दे..!

उसने चारों ओर देखा , हर तरफ सन्नाटा था। तब उसने उस लड़की की लाश को घसीटते हुए वहीं पास में एक पुराने कुएं तक ले गया और उस लाश को उस कुएं में ढकेल दिया। सदियों पुराने उस कुएं में न पानी था न कोई उधर आता जाता था। इतना काम करके वो वापस आ गया और एक बोतल और चढ़ा कर फिर से टुन्न हो गया..!
Greattt swati ji. Such a mind blowing update and your writing skill. :applause: :applause: :applause:

Ye to had darje ki neechta ho gai. Gusse me kamla ko jaan se maar hi dala tha rajan ne magar uske baad uski laash ke sath rape karna ye to haiwaniyat thi uski. Itna hi nahi jab uska itne par se bhi man nahi bhara to usne haweli ke chaukidaar ram singh ko bhi ghaseet kar uske upar chadha diya and khud waha se champat ho gaya. Idhar ram singh ko jab hosh aaya to use gyaat hua ki wo kiske upar chadha hua hai. Is drashya se uske hosh udna laajmi hi tha. Bande ko police ka dar sataya to usne kamla ki laash ko kuwe me dhakel diya. Udhar rajan apne doctor dost ke paas pahucha aur apne jakhm ki marham patti karwaai. Dost ko usne khul kar ye nahi bataya ki usne kya kaand kiya tha. Bas yahi kaha ki next time agar usse koi ladki patti hai to wo use bhi maja karayega. :coffee1:

Overall update was superbb and now let's see what happens next. :waiting1:

:celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf: :celebconf:
 

Moon Light

Prime
29,847
28,080
304
भाग~3
~~~~~~~~~~~~~

राजन जब अपने घर पहुंचा उस समय रात के 12:00 बज चुके थे। राधा ने उसे देखते ही पूछा, "इतनी देर कैसे हो गई आज..? और मैं कितनी देर से तुम्हें फोन लगा रही हूं, और तुमने फोन भी नहीं उठाया..! ..क्यों..?"

"त..त..तुम..? तुम यहाँ कैसे आई..? त..त..त...तुमको तो मैंने मार दिया था..! त..त..तुम ज़िंदा कैसे हो..?"

"ये क्या कह रहे हो भइया तुम..? और किसकी बात तुम कर रहे हो ..?और किस को तुमने मार दिया..?"

"वो..वो..कमला..! हां.. हां..वो..मैं कमला की बात कर रहा हूँ..!"

"पर ये कमला कौन है..? मैं तो इस नाम की किसी भी लड़की को नहीं जानती..! ये किस तरह की बहकी बहकी बातें कर रहे हो तुम..?"

"तुम राधा नहीं.. तुम..तुम..कमला हो..??"

यह सुनते ही राधा खिलखिला कर हंस पड़ी फिर बोली, "भइया, तुम्हारी मजाक करने की आदत अब तक नहीं गई..! भला मैं कमला कैसे हो सकती हूं..? कहीं ऐसा तो नहीं, कि तूने मेरा नाम राधा से बदलकर कमला रख दिया..?"

"मैं..मैं..भला ऐसा क्यों करूंगा..?"

"तो फिर बार-बार मुझको कमला क्यों कह रहे हो..?"

"इसलिए कि तू कमला ही है। यह देख शीशे में अपना मुंह..!" सामने मेज़ पर रखा एक शीशा उसे देते हुए राजन ने कहा।

"क्यों..? क्या खराबी है मेरे चेहरे में..? ठीक-ठाक तो हूं..!" राधा ने शीशे में अपना चेहरा देखते हुए कहा।

"इसका मतलब सिर्फ मुझको ही राधा के चेहरे में कमला का चेहरा दिख रहा है..! कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं है..? दारू के नशे का तो असर नहीं है..?" फिर कई बार अपनी आंखें मींच मींच कर उसने देखा, लेकिन हर बार उसको राधा के जिस्म में कमला ही नजर आई।

उसकी बुद्धि कुछ काम नहीं कर रही थी और इस समय बहुत डरा हुआ था वो।

तभी राधा ने उससे कहा, "तुम बैठो, मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लगाती हूं। आज मैंने तुम्हारे पसंद की कटहल की सब्जी बनाई है।"और यह कहकर वो रसोई घर में चली गई।

राजन ने सोचा, "पर यह कैसे मुमकिन है कि मुझे राधा के जिस्म में कमला नजर आ रही है, वो कमला जिसका मैंने खून कर दिया है!"

"आ जाओ डाइनिंग टेबल पर। मैंने खाना लगा दिया है।" राधा ने खाना परोसते हुए कहा।

राजन डाइनिंग टेबल पर गया और रोटी का पहला कौर कटहल की सब्ज़ी के साथ मुंह में रखने वाला ही था, कि उसे कटहल की सब्जी में खून नजर आया और उसके हाथ से रोटी छूट गई। ये देख कर राधा बोली, "क्या हुआ..? खा क्यों नहीं रहे हैं..? कुछ गले में फंस गया क्या..?"

लेकिन राजन ने जब राधा को देखा, तो इस समय बड़ा विभत्स रूप था उसका। उसके जिस्म में उसे कमला का भयानक रूप दिखा।

खून से सना चेहरा, उसके पंजों से नुची हुई उसकी छाती, खून से तर उसकी लाल लाल आंखें और रक्त से सने उसके फटे चिथड़े कपड़े ..!

कमला के इस भयानक रूप को देखते ही उसके मुंह से एक चींख निकली और वो बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गया और तड़पने लगा. !

राजन को जब होश आया, वो अपनी बेड पर था। उस समय सुबह के चार बज चुके थे। अपने मम्मी पापा को सामने देखकर वो हैरान रह गया। उसने अपने मम्मी पापा से कहा, "आप लोग कब आए..?"

"बेटा रात में राधा ने फोन किया, कि तुम्हारी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब है, इस खबर को सुनते ही हम दोनों वापस आ गए। बेटा अब कैसी तबीयत है तुम्हारी..?"

राजन ने देखा, राधा उसके सामने खड़ी थी। उसने बार-बार अपनी आंखें मल कर देखा। राधा ही थी। लेकिन रात में तो राधा के चेहरे पर कमला का चेहरा था। बेहद खौफनाक और डरावना ..! और वो कटहल की सब्जी में खून की तरी..? उसका माथा घूम गया और वो अपना सर पकड़ कर बैठ गया।

"क्या हुआ बेटा..!" पिताजी ने उसे सहारा देते हुए पूछा।

"बहुत तेज मेरा सर घूम रहा है। शायद रात मैंने कोई बहुत ही खौफनाक सपना देखा है। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे क्या हो गया है। कल रात राधा ने जब मुझे खाना दिया, तब सब्जी की तरी में मुझे खून नजर आया और राधा की शक्ल में मैंने एक राक्षसी को देखा और मैं बेहोश हो गया। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कि मुझे क्या हो गया है? और क्यों ऐसा हो रहा है मेरे साथ..?"

"फिर तो तुझे किसी बाबा को दिखाना पड़ेगा..! क्योंकि ये भूत-प्रेत का मामला लगता है। मैं आज ही औघड़ बाबा से बात करूंगा।"

"सही कहा पापा आपने।" राधा ने कहा। "कल मेरे को देखकर भी बहकी बहकी बातें कर रहा था और मुझे कमला कहकर बुला रहा था और बार-बार मेरे से कह रहा था कि तुम राधा नहीं हो बल्कि कमला हो। और यह भी कह रहा था, कि मैंने तो तुम्हें मार दिया था। फिर तुम यहां कैसे आई..!"

"फिर तो पक्का पक्का ये भूत प्रेत का ही मामला है। और अब तो औघड़ बाबा ही इसके बारे में कुछ बता पाएंगे । बस ऊपर वाले से यही दुआ है, कि मेरा बेटा जल्दी ठीक हो जाए।"

"पापा, मुझे बहुत तेज नींद आ रही है। और सिर में भी तेज दर्द है। थोड़ी देर सो लूं।"

ठीक है बेटा तू थोड़ी देर आराम कर ले और हम लोग भी बहुत थके हुए हैं। एक-दो घंटे आराम करने के बाद मैं भोले बाबा के यहां जाऊंगा और पूछूंगा, कि ये क्या चक्कर है। क्योंकि भूत प्रेत के मामले में वो बहुत पहुंचे हुए बाबा है..!!
 
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Cyanide

Tasteless
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भाग~3
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राजन जब अपने घर पहुंचा उस समय रात के 12:00 बज चुके थे। राधा ने उसे देखते ही पूछा, "इतनी देर कैसे हो गई आज..? और मैं कितनी देर से तुम्हें फोन लगा रही हूं, और तुमने फोन भी नहीं उठाया..! ..क्यों..?"

"त..त..तुम..? तुम यहाँ कैसे आई..? त..त..त...तुमको तो मैंने मार दिया था..! त..त..तुम ज़िंदा कैसे हो..?"

"ये क्या कह रहे हो भइया तुम..? और किसकी बात तुम कर रहे हो ..?और किस को तुमने मार दिया..?"

"वो..वो..कमला..! हां.. हां..वो..मैं कमला की बात कर रहा हूँ..!"

"पर ये कमला कौन है..? मैं तो इस नाम की किसी भी लड़की को नहीं जानती..! ये किस तरह की बहकी बहकी बातें कर रहे हो तुम..?"

"तुम राधा नहीं.. तुम..तुम..कमला हो..??"

यह सुनते ही राधा खिलखिला कर हंस पड़ी फिर बोली, "भइया, तुम्हारी मजाक करने की आदत अब तक नहीं गई..! भला मैं कमला कैसे हो सकती हूं..? कहीं ऐसा तो नहीं, कि तूने मेरा नाम राधा से बदलकर कमला रख दिया..?"

"मैं..मैं..भला ऐसा क्यों करूंगा..?"

"तो फिर बार-बार मुझको कमला क्यों कह रहे हो..?"

"इसलिए कि तू कमला ही है। यह देख शीशे में अपना मुंह..!" सामने मेज़ पर रखा एक शीशा उसे देते हुए राजन ने कहा।

"क्यों..? क्या खराबी है मेरे चेहरे में..? ठीक-ठाक तो हूं..!" राधा ने शीशे में अपना चेहरा देखते हुए कहा।

"इसका मतलब सिर्फ मुझको ही राधा के चेहरे में कमला का चेहरा दिख रहा है..! कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं है..? दारू के नशे का तो असर नहीं है..?" फिर कई बार अपनी आंखें मींच मींच कर उसने देखा, लेकिन हर बार उसको राधा के जिस्म में कमला ही नजर आई।

उसकी बुद्धि कुछ काम नहीं कर रही थी और इस समय बहुत डरा हुआ था वो।

तभी राधा ने उससे कहा, "तुम बैठो, मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लगाती हूं। आज मैंने तुम्हारे पसंद की कटहल की सब्जी बनाई है।"और यह कहकर वो रसोई घर में चली गई।

राजन ने सोचा, "पर यह कैसे मुमकिन है कि मुझे राधा के जिस्म में कमला नजर आ रही है, वो कमला जिसका मैंने खून कर दिया है!"

"आ जाओ डाइनिंग टेबल पर। मैंने खाना लगा दिया है।" राधा ने खाना परोसते हुए कहा।

राजन डाइनिंग टेबल पर गया और रोटी का पहला कौर कटहल की सब्ज़ी के साथ मुंह में रखने वाला ही था, कि उसे कटहल की सब्जी में खून नजर आया और उसके हाथ से रोटी छूट गई। ये देख कर राधा बोली, "क्या हुआ..? खा क्यों नहीं रहे हैं..? कुछ गले में फंस गया क्या..?"

लेकिन राजन ने जब राधा को देखा, तो इस समय बड़ा विभत्स रूप था उसका। उसके जिस्म में उसे कमला का भयानक रूप दिखा।

खून से सना चेहरा, उसके पंजों से नुची हुई उसकी छाती, खून से तर उसकी लाल लाल आंखें और रक्त से सने उसके फटे चिथड़े कपड़े ..!

कमला के इस भयानक रूप को देखते ही उसके मुंह से एक चींख निकली और वो बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गया और तड़पने लगा. !

राजन को जब होश आया, वो अपनी बेड पर था। उस समय सुबह के चार बज चुके थे। अपने मम्मी पापा को सामने देखकर वो हैरान रह गया। उसने अपने मम्मी पापा से कहा, "आप लोग कब आए..?"

"बेटा रात में राधा ने फोन किया, कि तुम्हारी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब है, इस खबर को सुनते ही हम दोनों वापस आ गए। बेटा अब कैसी तबीयत है तुम्हारी..?"

राजन ने देखा, राधा उसके सामने खड़ी थी। उसने बार-बार अपनी आंखें मल कर देखा। राधा ही थी। लेकिन रात में तो राधा के चेहरे पर कमला का चेहरा था। बेहद खौफनाक और डरावना ..! और वो कटहल की सब्जी में खून की तरी..? उसका माथा घूम गया और वो अपना सर पकड़ कर बैठ गया।

"क्या हुआ बेटा..!" पिताजी ने उसे सहारा देते हुए पूछा।

"बहुत तेज मेरा सर घूम रहा है। शायद रात मैंने कोई बहुत ही खौफनाक सपना देखा है। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे क्या हो गया है। कल रात राधा ने जब मुझे खाना दिया, तब सब्जी की तरी में मुझे खून नजर आया और राधा की शक्ल में मैंने एक राक्षसी को देखा और मैं बेहोश हो गया। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कि मुझे क्या हो गया है? और क्यों ऐसा हो रहा है मेरे साथ..?"

"फिर तो तुझे किसी बाबा को दिखाना पड़ेगा..! क्योंकि ये भूत-प्रेत का मामला लगता है। मैं आज ही औघड़ बाबा से बात करूंगा।"

"सही कहा पापा आपने।" राधा ने कहा। "कल मेरे को देखकर भी बहकी बहकी बातें कर रहा था और मुझे कमला कहकर बुला रहा था और बार-बार मेरे से कह रहा था कि तुम राधा नहीं हो बल्कि कमला हो। और यह भी कह रहा था, कि मैंने तो तुम्हें मार दिया था। फिर तुम यहां कैसे आई..!"

"फिर तो पक्का पक्का ये भूत प्रेत का ही मामला है। और अब तो औघड़ बाबा ही इसके बारे में कुछ बता पाएंगे । बस ऊपर वाले से यही दुआ है, कि मेरा बेटा जल्दी ठीक हो जाए।"

"पापा, मुझे बहुत तेज नींद आ रही है। और सिर में भी तेज दर्द है। थोड़ी देर सो लूं।"

ठीक है बेटा तू थोड़ी देर आराम कर ले और हम लोग भी बहुत थके हुए हैं। एक-दो घंटे आराम करने के बाद मैं भोले बाबा के यहां जाऊंगा और पूछूंगा, कि ये क्या चक्कर है। क्योंकि भूत प्रेत के मामले में वो बहुत पहुंचे हुए बाबा है..!!
Khel shuru ho gaya hai aatma ne apna kaam shuru kar diya hai...ab bas ye dekhna hsi kaise maarti hai Kamla ki rooh Rajan ko..aur sirf usko hi yaa baakiyon ko bhi.....
Kathal ka scene mast tha
Jaldi mat maar dena Rajan ko waqt laga ke darra darra ke maarna hai usko....

Great update
 

zopion

Happiness of life : to love & be loved
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भाग~3
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राजन जब अपने घर पहुंचा उस समय रात के 12:00 बज चुके थे। राधा ने उसे देखते ही पूछा, "इतनी देर कैसे हो गई आज..? और मैं कितनी देर से तुम्हें फोन लगा रही हूं, और तुमने फोन भी नहीं उठाया..! ..क्यों..?"

"त..त..तुम..? तुम यहाँ कैसे आई..? त..त..त...तुमको तो मैंने मार दिया था..! त..त..तुम ज़िंदा कैसे हो..?"

"ये क्या कह रहे हो भइया तुम..? और किसकी बात तुम कर रहे हो ..?और किस को तुमने मार दिया..?"

"वो..वो..कमला..! हां.. हां..वो..मैं कमला की बात कर रहा हूँ..!"

"पर ये कमला कौन है..? मैं तो इस नाम की किसी भी लड़की को नहीं जानती..! ये किस तरह की बहकी बहकी बातें कर रहे हो तुम..?"

"तुम राधा नहीं.. तुम..तुम..कमला हो..??"

यह सुनते ही राधा खिलखिला कर हंस पड़ी फिर बोली, "भइया, तुम्हारी मजाक करने की आदत अब तक नहीं गई..! भला मैं कमला कैसे हो सकती हूं..? कहीं ऐसा तो नहीं, कि तूने मेरा नाम राधा से बदलकर कमला रख दिया..?"

"मैं..मैं..भला ऐसा क्यों करूंगा..?"

"तो फिर बार-बार मुझको कमला क्यों कह रहे हो..?"

"इसलिए कि तू कमला ही है। यह देख शीशे में अपना मुंह..!" सामने मेज़ पर रखा एक शीशा उसे देते हुए राजन ने कहा।

"क्यों..? क्या खराबी है मेरे चेहरे में..? ठीक-ठाक तो हूं..!" राधा ने शीशे में अपना चेहरा देखते हुए कहा।

"इसका मतलब सिर्फ मुझको ही राधा के चेहरे में कमला का चेहरा दिख रहा है..! कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं है..? दारू के नशे का तो असर नहीं है..?" फिर कई बार अपनी आंखें मींच मींच कर उसने देखा, लेकिन हर बार उसको राधा के जिस्म में कमला ही नजर आई।

उसकी बुद्धि कुछ काम नहीं कर रही थी और इस समय बहुत डरा हुआ था वो।

तभी राधा ने उससे कहा, "तुम बैठो, मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लगाती हूं। आज मैंने तुम्हारे पसंद की कटहल की सब्जी बनाई है।"और यह कहकर वो रसोई घर में चली गई।

राजन ने सोचा, "पर यह कैसे मुमकिन है कि मुझे राधा के जिस्म में कमला नजर आ रही है, वो कमला जिसका मैंने खून कर दिया है!"

"आ जाओ डाइनिंग टेबल पर। मैंने खाना लगा दिया है।" राधा ने खाना परोसते हुए कहा।

राजन डाइनिंग टेबल पर गया और रोटी का पहला कौर कटहल की सब्ज़ी के साथ मुंह में रखने वाला ही था, कि उसे कटहल की सब्जी में खून नजर आया और उसके हाथ से रोटी छूट गई। ये देख कर राधा बोली, "क्या हुआ..? खा क्यों नहीं रहे हैं..? कुछ गले में फंस गया क्या..?"

लेकिन राजन ने जब राधा को देखा, तो इस समय बड़ा विभत्स रूप था उसका। उसके जिस्म में उसे कमला का भयानक रूप दिखा।

खून से सना चेहरा, उसके पंजों से नुची हुई उसकी छाती, खून से तर उसकी लाल लाल आंखें और रक्त से सने उसके फटे चिथड़े कपड़े ..!

कमला के इस भयानक रूप को देखते ही उसके मुंह से एक चींख निकली और वो बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गया और तड़पने लगा. !

राजन को जब होश आया, वो अपनी बेड पर था। उस समय सुबह के चार बज चुके थे। अपने मम्मी पापा को सामने देखकर वो हैरान रह गया। उसने अपने मम्मी पापा से कहा, "आप लोग कब आए..?"

"बेटा रात में राधा ने फोन किया, कि तुम्हारी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब है, इस खबर को सुनते ही हम दोनों वापस आ गए। बेटा अब कैसी तबीयत है तुम्हारी..?"

राजन ने देखा, राधा उसके सामने खड़ी थी। उसने बार-बार अपनी आंखें मल कर देखा। राधा ही थी। लेकिन रात में तो राधा के चेहरे पर कमला का चेहरा था। बेहद खौफनाक और डरावना ..! और वो कटहल की सब्जी में खून की तरी..? उसका माथा घूम गया और वो अपना सर पकड़ कर बैठ गया।

"क्या हुआ बेटा..!" पिताजी ने उसे सहारा देते हुए पूछा।

"बहुत तेज मेरा सर घूम रहा है। शायद रात मैंने कोई बहुत ही खौफनाक सपना देखा है। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे क्या हो गया है। कल रात राधा ने जब मुझे खाना दिया, तब सब्जी की तरी में मुझे खून नजर आया और राधा की शक्ल में मैंने एक राक्षसी को देखा और मैं बेहोश हो गया। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कि मुझे क्या हो गया है? और क्यों ऐसा हो रहा है मेरे साथ..?"

"फिर तो तुझे किसी बाबा को दिखाना पड़ेगा..! क्योंकि ये भूत-प्रेत का मामला लगता है। मैं आज ही औघड़ बाबा से बात करूंगा।"

"सही कहा पापा आपने।" राधा ने कहा। "कल मेरे को देखकर भी बहकी बहकी बातें कर रहा था और मुझे कमला कहकर बुला रहा था और बार-बार मेरे से कह रहा था कि तुम राधा नहीं हो बल्कि कमला हो। और यह भी कह रहा था, कि मैंने तो तुम्हें मार दिया था। फिर तुम यहां कैसे आई..!"

"फिर तो पक्का पक्का ये भूत प्रेत का ही मामला है। और अब तो औघड़ बाबा ही इसके बारे में कुछ बता पाएंगे । बस ऊपर वाले से यही दुआ है, कि मेरा बेटा जल्दी ठीक हो जाए।"

"पापा, मुझे बहुत तेज नींद आ रही है। और सिर में भी तेज दर्द है। थोड़ी देर सो लूं।"

ठीक है बेटा तू थोड़ी देर आराम कर ले और हम लोग भी बहुत थके हुए हैं। एक-दो घंटे आराम करने के बाद मैं भोले बाबा के यहां जाऊंगा और पूछूंगा, कि ये क्या चक्कर है। क्योंकि भूत प्रेत के मामले में वो बहुत पहुंचे हुए बाबा है..!!
:scared: 😨
so horror dastan ki suruat ho gayi hai
Rajan ko raat me radha me kamla dikh rahi hai aur sabji me khoon :nervous:ab rajan to giyo :lol:
dekhte hain ye baba kaha tak pahuncha hua hai delhi,chennai ya mumbai :hehe:
waiting for next one :waiting1:
 
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