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Horror प्रायश्चित (Completed)

sandy4441

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भाग ~8
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राजन ने सोनी को कमला समझकर उस पर प्राण घातक प्रहार किया था और थोड़ी ही देर में उसके प्राण पखेरू उड़ गए थे..! /

सोनी पर प्रहार करते समय उसने उसे कमला कहकर पुकारा था। और मरने के बाद उसकी रूह सीधे कमला से मिली। सोनी ने उससे पूछा "तू यहां कैसे..?"

कमला ने कहा, मेरे साथ राजन ने धोखा किया। वो कल मुझे पुरानी हवेली के खंडहर ले गया था। वो मेरी इज्जत लेना चाहता था। मेरे जिस्म से खेलना चाहता था। और जब मैंने प्रतिरोध किया तो उसने मेरी जान ले ली..!"

लेकिन उसने तो मुझे ये बताया, कि वो तुझसे नफरत करता है..! और तेरे कारण ही वो परेशान है। यहां तक कि मेरी जान भी अगर उसने ली, तो उसका कारण भी तू ही थी, क्योंकि उसने कमला समझकर मुझ पर वार किया था।

"हां, क्योंकि उस समय मैंने तेरे चेहरे पर अपना चेहरा लगा लिया था..! मैं उसे डराना चाहती थी क्योंकि, मुझे अपने खून का उससे उससे बदला लेना है..!"

"मतलब राजन बेकसूर था! और यह सही बात है, कि उसने मुझ पर नहीं बल्कि तुझ पर वार किया था..! मेरी जान राजन ने नहीं बल्कि तूने ली है..!"

"नहीं सोनी। मैंने तेरी जान नहीं ली। मुझे क्या मालुम था, कि वह मुझ पर दोबारा प्रहार कर देगा..! क्योंकि मैं तो मर चुकी थी..! क्या कोई किसी मरे हुए इंसान को दोबारा मार सकता है...?"

"मैं ये सब नहीं जानती..! मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं, कि मेरी मौत का कारण सिर्फ तू है। मैं आज पूरी तरह से उसे अपना बनाना चाहती थी और उसके साथ खुलकर प्यार करना चाहती थी लेकिन मोहब्बत के इतने खूबसूरत लमहों में तूने मेरी जान ले ली..! अगर एक बार मैं अपने राजन के साथ जिस्मानी रिश्ता बना लेती, तो मेरा ये जीवन धन्य हो जाता.! अब मेरी आत्मा न जाने कब तक भटकेगी राजन का प्यार पाने के लिए, उससे ज़िस्म का रिश्ता कायम करने के लिए..!"

"ओह, सॉरी यार..! मगर इस बात को भी जरा तू सोच, कि जिस राजन ने धोखे से मेरी जान ले ली, क्या ऐसे इंसान से तू मोहब्बत कर सकती है..? यार तू सोच भी कैसे सकती है ऐसे इंसान से जिस्मानी रिश्ता बनाने की..? क्या किसी के सपनों का राजकुमार कोई खूनी भी हो सकता है..?"

"हां, हो सकता है..! क्योंकि तू मेरी मोहब्बत की ज़लती थी और तूने मेरे राजन के दिलो-दिमाग पर अपना कब्जा जमा लिया था। तू नहीं चाहती थी कि वो मेरा हो..! सच तो यह है कि अगर तू मेरे रास्ते से न हटती, तो मैं खुद एक दिन तेरा खून कर देती..!"

"उफ्फ..! कैसी बुद्धि है तेरी..! अब तो मैं पछता रही हूँ, कि क्यूं मैंने राजन को चाहा..? वो तेरे लिए ही सही था..! ये कुदरत का खेल भी निराला होता है। जो हरकत उसने मेरे साथ थी, उसकी वही हरकत मेरी मौत का कारण बना..! जबकि यही हरकत अगर वो तेरे साथ करता तो तुझे जन्नत का सुख नसीब होता..! शायद इसी को कहते हैं इंसान की किस्मत..! अगर अच्छी हो तो मौज और बुरी हो तो मौत..!"
" मैं इन बातों को नहीं जानती। मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं, कि मेरी मौत का कारण तू है और मैं तुझे कभी माफ नहीं करूंगी..!"

"लेकिन मैं तो तेरे राजन को तड़पाना चाहती हूं और उसका खून पीना चाहती हूं। फिर तेरे संग रंगरेलियां मनाते में कैसे देख सकती थी उसे..?"

"मतलब तूने अपने प्रतिशोध के लिए मेरी खुशी छीन ली..! मेरी प्यास अधूरी रह गई..! दो प्यार करने वाले जब प्यार कर रहे हो, उस वक्त उनको अलग करना कितना बड़ा पाप है, क्या यह बात तुझे नहीं मालूम..?"

"अरे यार, कम से कम इस बात को तो सोच, कि वो एक खूनी है और पुलिस से भागा हुआ है..! और ऐसे इंसान के साथ तू संबंध कैसे जोड़ सकती है..? अगर मैं उसको माफ भी कर दूं, तब भी कानून उसको माफ नहीं करेगा और उसको मौत की सजा मिलेगी..! और क्या तू सोचती है
कि तेरे मां बाप एक खूनी से तेरी शादी करने को राजी होंगे..? इतनी सी बात तुझे समझ में क्यों नहीं आती..?"

"हां, मुझे तेरी बात समझ में नहीं आती। क्योंकि प्यार में कभी कभी इंसान पागल ही होता है। और मैं भी उसके प्यार में पागल थी, और अब भी हूं..! तुझे क्या मालुम, कि आज मैं अपने घर में बिल्कुल अकेली थी और राजन मेरे साथ था और उसको अपना बनाने का बेहतरीन मौका था मेरे पास..!"

"तू तो पागल है और मुझे भी तू पागल कर देगी.."

"सिर्फ एक बार मैं उसको अपना बना लेती। उसके बाद भले ही मुझको उसे छोड़ना पड़ता, मुझे अफसोस न होता। लेकिन अपने इस अतृप्त प्यार के कारण मेरी आत्मा को कभी सुकून नहीं मिलेगा और मैं हमेशा भटकती रहूंगी..!"

"तो ठीक है। मैं कुछ समय के लिए तेरे को ज़िंदा कर देती हूं, क्योंकि तेरा शरीर अभी सही सलामत है। मेरे पास इतनी ताकत है, कि मैं राजन के आसपास के लोगों को भी अपने कंट्रोल में कर सकती हैं। और इसीलिए राजन को भयभीत करने के लिए कुछ समय के लिए मैंने तेरे चेहरे पर अपना मुखौटा लगा लिया था..! और इसी बीच उसने तुझ पर हमला बोल दिया। सोनी, मैं उसको माफ़ नहीं कर सकती और मैं उसे तड़पा तड़पा कर मारूँगी। लेकिन तेरी खुशी के लिए एक दिन के लिए मैं उसे तुझको सौंप रही हूं। अब तू जा अपने शरीर में और जिस तरह भी तेरी आत्मा को संतुष्टि मिले, वही कर। लेकिन सिर्फ सुबह तक का ही तेरे पास समय होगा होगा और उसके बाद राजन सिर्फ मेरा होगा। और हां मरने से पूर्व तुझे इस बात का सबूत देना होगा, कि तेरी हत्या राजन ने ही की है। अगर तुझे मेरी यह शर्त मंजूर है तो मैं अभी तेरी आत्मा को वापस तेरे शरीर में भेज देती हूं..! बोल क्या फैसला है तेरा..?

"मुझे मंजूर है। अपनी मौत से पूर्व मैं अपने राजन के साथ सुहागरात मनाना चाहती हूँ, बस यही मेरी आखिरी ख्वाहिश है। फिर मैं तृप्त हो जाऊंगी और मेरी आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी..!"

"Ok, गुड बाय। अब से ठीक एक मिनट बाद तेरी आत्मा तेरे जिस्म में होगी..!" ये कह कर कमला की सूक्ष्म देह अंतरिक्ष मे विलीन हो गई..!
lovely update.
 
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sandy4441

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भाग-10

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राजन बहुत डरा हुआ था उसके कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। और सोनी घायल अवस्था में भी राजन के प्यार को पाने को व्याकुल थी और उससे बुरी तरह चिपकी हुई थी। शराब के नशे में मदहोश उसने एक एक कर राजन की शर्ट के सारे बटन खोल दिए। फिर भी जब उसकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न हुई तब उसने शराब की बोतल उसके मुंह में लगा दी। राजन परेशान तो था ही। उसने गटागट शराब की पूरी बोतल खाली कर दी और नशे में अपना होशो हवास खो बैठा। उसने सोनी को अपने बाजू में उठाया और उसे बेड पर लेटा दिया। और अपनी पत्नी का दर्जा देते हुए उसकी इच्छानुसार उसके साथ सुहागरात मनाया।

फिर जैसे तैसे ये मनहूस काली रात बीत गई। सुबह चार बजे के करीब राजन को नींद आ गई। सोनी अभी भी उसकी बाहों में थी.. मदहोश..! और उसके बदन पर इस वक़्त कोई कपड़ा भी ना था..!

सुबह 6:00 बजे के करीब सोनी के मम्मी पापा घर आए और सोनी को इस हाल में देखकर घबरा गए। वो राजन की बाहों में औंधे मुंह लेटी थी..! सोनी की मम्मी ने राजन को खींचकर बाहर किया और बेटी को दो थप्पड़ मारे..! लेकिन तभी उसे एहसास हुआ.. जैसे उसने अपनी बेटी को नहीं बल्कि उसकी लाश को थप्पड़ मारा है..! क्योंकि उसका थप्पड़ पड़ते ही बेटी पर बेजान होकर जमीन पर लुढ़क गई।

उधर राजन ने जब यह देखा कि सोनी मर चुकी है, तो इसके पहले की कोई कुछ समझ पाता, वो बिजली की फुर्ती से वहां से निकल भागा..! और बिना पीछे मुड़े, बिना पीछे देखे...वो भागता रहा..भागता रहा.. और तभी दूर धीमी गति से एक मालगाड़ी उसे जाती दिखी..! वो और तेज़ भागा और फुर्ती से उस चलती हुई मालगाड़ी के एक डिब्बे में चढ़ गया। डिब्बे में बिल्कुल अंधेरा था। इस समय बुरी तरह वो हांफ रहा था। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और वही फ्लैट हो गया..!

सोनी के बापू ने कुछ दूरी तक उसका पीछा भी किया, लेकिन उसको पकड़ न सके। फिर जैसे ही वो वापस आये, मुकुट दूसरे कमरे से चिल्लाया, "मां देखो कितना सारा खून है यहां..!"

यह सुनते ही सोनी के मम्मी पापा भागे भागे उस कमरे में गए, तो देखा कि पूरे कमरे का फर्श खून से रंगा हुआ था..! उन्होंने फौरन पुलिस को सूचना दी।

इसी बीच सोनी के पापा को मेज़ पर रखा एक कागज मिला। कागज में लिखा था~


" मेरी हत्या राजन ने की है। उसने मेरे सिर पर हथौड़े से प्रहार कर मुझे मारा है। कमला की हत्या भी उसने ही की है। मैं राजन को प्यार करती थी, और इसलिए आज रात मैंने उसके साथ सुहागरात मनाया। लेकिन अब इस खूनी राजन से मेरा कोई रिश्ता नहीं है। अब उसे सजा मिलेगी। एक नहीं दो दो सजा..! एक सजा इस देश का कानून देगा उसे और दूसरी सजा उसे कमला देवी..!

मुझे माफ कर देना पापा मम्मी। और मुकुट, तुम अच्छे से पढ़ाई लिखाई करना। और जब तक कुछ बन न जाना, इस प्यार के लफड़े में कभी न पड़ना..!
आपकी लाडली सोनी।


इस पत्र को पढ़कर सोनी के पापा हैरान रह गए। कुछ अजीब सी पहेली थी। इतनी बुरी तरह से घायल अवस्था में सोनी ने यह पत्र कैसे लिखा..? और वो भी इतनी खूबसूरत हैंड राइटिंग में..! और ऐसी अवस्था में वो राजन के साथ सुहागरात कैसे बना सकती है..? और अगर वह घायल थी, जिंदा थी, तो फिर डॉक्टर को उसने फोन क्यों नहीं किया ..? पुलिस को क्यों नहीं फोन किया..? और मेरे को क्यों नहीं फोन किया..? और इसका क्या मतलब है, एक सजा उसे देश का कानून देगा और दूसरी सजा उसे कमला देगी..? और उसे कैसे मालूम हुआ कि राजा ने कमला की हत्या की है..? और अगर उसे यह मालुम था, कि राजन ने ही कमला की हत्या की है, तो उस हत्यारे के साथ सुहागरात मनाना..? यह कैसी पहेली है..? हर प्रश्न अपने आप में बड़ा रहस्यमय था..! तभी पुलिस आ गई। और अपने स्तर से उसने केस की छानबीन करना शुरू कर दिया।
it's literally kamla ka hamla another great update mam.
 
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sandy4441

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भाग ~14
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थका हारा राजन मालगाड़ी के डिब्बे में कब सो गया, उसे पता ही न लगा। उसकी आंख जब खुली तो वो एक खूबसूरत लड़की की बाहों में था। उस लड़की को अपने से दूर करते हुए उसने उस लड़की से पूछा-" अब तू कौन है और तू यहां कैसे आई..?"

"यही सवाल मैं भी तेरे से पूछ सकती हूँ, कि तू कौन है और तू यहां कैसे आया..?"

" मैं राजन हूं। मैंने एक लड़की का खून कर दिया और भागते भागते जब मुझे यह मालगाड़ी दिखी, तो मैं इसमें चढ़ गया। और मैं इतना थका था, कि मुझे यहां आते ही नींद आ गई। मगर तू यहां कब आई, और कैसे आई और क्यों आई..?" राजन ने कहा।

" तू खूनी है और मैं एक चोरनी हूं। मैंने एक लड़के के पर्स पर हाथ साफ कर दिया। उसने मुझे दौड़ा लिया और मैं भी तेरी तरह भाग रही थी और भागते भागते जब मुझे यह मालगाड़ी दिखी तो, मैं इस पर चढ़ गई और वह लड़का कुछ ना कर सका मेरा..!"

लेकिन मैं बहुत अमीर बाप का बेटा हूं। और मेरे पास बहुत पैसा है मैं पकड़ा भी गया तो छूट जाऊंगा..!

"हाहाहाहा, घर से और पुलिस से भागा भागा फिर रहा है और बोल रहा है कि तू पैसे वाला है..? अरे तेरा पैसा किस काम आएगा और कब काम आएगा.? जरा बोल तो कि इस वक्त तेरे पास कितने पैसे हैं, जबकि मेरे पास चार हज़ार हैं। फिर मैं अगर पकड़ी भी गई तो, तो हज़ार या दो हजार देकर छूट जाउंगी। और अगर सजा भी हुई तो सिर्फ साल-दो साल की होगी..! जबकि तू अगर पकड़ा गया, तो सीधे फांसी पर लटकेगा। "

"तू बुद्धू है। तुझे इस देश का कानून नहीं पता। अभी मेरी उम्र पूरी अट्ठारह नहीं हुई है। इसलिए अगर पकड़ा भी गया, तो मैं सुधार गृह चला जाऊंगा और वहां भी ऐश से रहूंगा और छह महीने बाद ही छूट जाऊंगा।"

"अरे हाँ यार, इस बात पर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया कि मेरी उम्र भी अभी अट्ठारह पूरी नहीं हुई है। मैं भी अभी सत्रह साल की ही हूं । इसलिए मुझको भी छह महीने या एक साल की ही सजा होगी..! मैंने तो सोचा था, कि मैं अगर पकड़ी गई, तो लंबे से जाऊंगी, लेकिन अच्छा हुआ जो तूने मेरे को बता दिया, कि नाबालिगों को लंबी सजा नहीं होती..! वैसे तूने उस लड़की का मर्डर क्यों किया..?"

"मेरी बुद्धि मारी गई थी। दरअसल मैं उस लड़की के साथ मस्ती करना चाहता था, लेकिन वो गुस्से में आ गई। और तब मेरे को भी उस पर गुस्सा आ गया और मैंने उसे खत्म कर दिया।"

"सिर्फ एक लड़की की चाहत में तूने उसका खून कर दिया..? बहुत बड़ा बेवकूफ है तू..! अरे बुद्धू, अगर मस्ती ही करना हो , तो उस लड़की से मस्ती किया कर, जिसे इस मस्ती के खेल में मजा आता हो..! और अगर किसी ऐसी लड़की से प्यार करेगा , जिसे इस खेल में मजा ना आता हो, तो गलत तो होगा..! अरे पागल, तू किसी ऐसी लड़की को क्यों फ़ांसता है जिसे इस तरह की बातें पसंद ना हो. ! अब मारा मारा फिर रहा है न..? या नहीं ..?? जबकि अगर तेरा चुनाव सही होता, तो वो लड़की भी तेरा साथ देती और इस तरह तुझे मारा मारा ना फिरना पड़ता।"

"कहा न, कि मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी, जो मैं ऐसी लड़की के पीछे पड़ा..! शायद यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी..! पर अब क्या हो सकता है? अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है ! और इस समय पुलिस भी मेरे पीछे पड़ी हुई है..!"

"अभी कुछ नहीं खत्म हुआ है मेरे राजा। बल्कि यूं समझ कि अब से एक नई जिंदगी तेरी शुरू हुई है, जिस जिंदगी में सिर्फ मैं हूं और तू है। इस बात को यूँ समझ, कि तेरा भी इस दुनिया में अब कोई नहीं और मेरा भी इस दुनिया में अब कोई नहीं..! क्योंकि अगर तू अपनी पिछली दुनिया में जाएगा, तो जेल की हवा खाएगा और मैं भी अगर अपनी पिछली दुनिया में जाऊंगी, तो मुझे भी जेल की सजा होगी! ना मेरे घरवाले मेरे को अपनाएंगे और ना तेरे घर वाले तुझको अपनाएंगे और अगर अपना भी लिया, तब भी ये ज़िन्दगी मौत की सजा दे से भी बद्तर होगी, क्योंकि बात बात पर तानें मिलेंगे.! और मोहल्ले वाले भी गलत नजरों से देखेंगे ..! और तब इतनी बुरी जिंदगी हमे जीना पड़ेगा कि दिल चाहेगा कि सुसाइड कर लूं..? इसलिए चल हम दोनों आज से ही एक नई जिंदगी शुरू करते हैं, जहां न कोई रोकने वाला होगा हमें और न टोकने वाला कोई हमे..! सिर्फ पुलिस से हमको बचना होगा..! और बाकी मजे ही मजे.. चौबीसो घण्टे घंटे..! क्यों सही कहा ना मैंने..?"

"हां यार, ये बात तो तेरी सही लग रही है , कि अब घर को भूल जाना ही अच्छा है हम दोनों के लिए ..! और इस नई जिंदगी की शुरुआत में अगर तू भी मेरे साथ होगी, तो बहुत मजा आएगा, क्योंकि एक से भले दो ..!थैंक्स डियर। वैसे तेरा नाम क्या है..?

"कैसी बात कर रहा है यार तू..? मेरा नाम लेकर मुझे पिछली जिंदगी में ले जाना है क्या.? देख , आज से तेरा नाम राजा है और तू अपने पिछले नाम को, और अपनी पिछली जिंदगी को भूल जा। और मेरा नाम जो मर्जी तू रख ले। इस तरह आज से हम दोनों एक नए नाम से जाने जाएंगे और किसी नए शहर में जाकर ऐश करेंगे। मैं जेब काटने में एक्सपर्ट हूं ।
इसलिए बहुत शीघ्र हमारे पास ढेर सारे पैसे होंगे। अभी तक मैं अकेले ही थी, इसलिए थोड़ा डरती थी, लेकिन तेरा सपोर्ट होगा, तो बहुत मजा आएगा..! आज से हम दोनों पति पत्नी बनकर रहेंगे। क्योंकि तब हमारे बारे में न कोई शक करेगा और न कोई ज्यादा सवाल करेगा।

सब हमारे बारे में यही सोचेंगे, कि नई नई शादी है, इसलिए मस्ती कर रहे हैं दोनों..! मतलब हनीमून मना रहे हैं..! और तब उनका सपोर्ट भी हमे मिलेगा । क्योंकि मैंने देखा है, कि यहां प्यार करने वालों को लोग सपोर्ट तो करते हैं बशर्ते उनके आगे पीछे कोई ना हो। लेकिन अगर अपने घर परिवार में रहकर कोई किसी को प्यार करता हूं, तब उन्हें किसी का भी सपोर्ट नहीं मिलता। बल्कि गालियां मिलती है! और बहुत दुख झेलना पड़ता है। बहुत पीड़ा सहनी पड़ती है।"

"हां, यार यह बात भी तेरी सही है..!"

" तो ठीक है। इसी बात पर चल मेरी मांग में सिंदूर लगा दे और मुझे अपनी पत्नी बना ले, जिससे आज से हम एक नई दुनिया की शुरुआत कर सकें जहां कोई हम पर शक न करें। राजा, जिस लड़के का जेब काटकर में भागी थी उसके पर्स में मेरे को चार हज़ार मिले है। इतने रुपए में हम लोगों को शहर में कोई न कोई छोटा-मोटा किराए का घर मिल जाएगा और जब तक यह पैसा खत्म होगा, तब तक मैं किसी और की जेब काट लूंगी। चल अब हाथ मिला ..!"

"यह ले, मिला दिया हाथ..!" राजन ने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया और कहा-अगर मैं राजा हूं तो आज से तेरा नाम रानी है। अब बोल। यह नाम तेरा ठीक है ना..?"

"यार ठीक तो है, लेकिन अगर कहीं हम अपना परिचय राजा और रानी कह कर देंगे, तो लोग हम पर शक करेंगे। इसलिए आज से मेरा नाम रानी कुमारी और तेरा नाम राजस कुमार होगा। बाकी हम दोनों आपस में एक दूसरे को राजा और रानी ही बोलेंगे। ठीक है ना..?"

" हां, ठीक है..!"

तो ठीक है, चल जल्दी से सिंदूर मेरी मांग में भर दे।"

" अरे यार , मगर इसकी क्या जरूरत है..?"

"तू बहुत बड़ा पागल है..! तुझको तो कोई कुछ नहीं कहेगा। मगर मेरी मांग में अगर सिंदूर नहीं देखा, तो मुझको जरूर दस बातें सुनने को मिलेंगी। और इतना ही नहीं, सब मेरे साथ साथ तुझ पर भी शक करेंगे..!वैसे तू डर मत, क्योंकि यह असली सिंदूर नहीं है।"


"ठीक है, यह ले...!" इतना कह कर राजा ने अपनी रानी के मांग में सिंदूर भर दिया। रानी ने कहा-"अब तेरा मुझ पर पूरा अधिकार है और तेरा मुझपर..! अब तू कुछ भी कर मेरे साथ, मैं तेरे को रोकूंगी नहीं, क्योंकि आज से तू ही मेरा बाबू है। मेरा जानी है। मेरा राजा है। और मेरा सब कुछ है।" यह कहते हुए उसने राजा को अपनी बाहों में ले लिया।
very good update swati ji.... ek aur ladki life mein aa gayi hai rajan ki.
 
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sandy4441

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भाग-16
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रानी अगर तू मुझे पहले मिली होती तो आज दो दो हत्याओं का मुझ पर इल्जाम ना होता और तेरे साथ खुशी से मैं अपने जीवन की हर इच्छाओं को पूरी कर सकता था।

झूठ बोल रहा है जानी तू..! जहां तक मेरा तुझसे पहले मिलने का सवाल है, तो उस समय अगर मैं तुझ से मिलती, तो तू मुझे धक्का देकर आगे बढ़ जाता।

लेकिन आज हम दोनों की साथ रहने की मजबूरी है। और इन परिस्थितियों में भी हम दोनों अगर खुश हैं, तो इसलिए क्योंकि इस वक़्त हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत है।

जानू, मिलाप हमेशा बराबर वालों का ही होता है। वर्तमान में हम दोनों अपराधी हैं, और घर से भागे हुए हैं और इसलिए हमारी दोस्ती हुई है। और चूंकि इस दोस्ती में हम दोनों का ही लाभ है, इसीलिए हम दोनों का गठबंधन हुआ है। मैं अच्छी तरह सर ये जानती हूं, कि जिस दिन तेरे को मुझ से लाभ नहीं मिलेगा और मेरी जगह कोई और मस्त लड़की तुझको मिल जाएगी , उसी दिन तू मेरे को छोड़ देगा। लेकिन मेरे को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है जानी, क्योंकि मेरा नेचर भी तेरे नेचर से काफी मिलता जुलता है..! मतलब आज अगर तू है, तो कल कोई और सही..! जैसे तू भी अंदर से यही सोच रहा होगा, कि जब इस समय कोई भी अपना नहीं है तेरे साथ, तो फिलहाल में ही सही..!

लेकिन मेरे लिए ये अच्छी बात है। क्योंकि हम दोनों जब भी अलग होंगे, आराम से अलग होंगे..! रो-धो कर नहीं.. बल्कि खुशी-खुशी.... हंसते मुस्कुराते..अलग होंगे..! और अलग होने के बाद भी हमारी ये दोस्ती कायम रहेगी, इस उम्मीद के साथ..कि क्या पता फिर कभी हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत पड़ जाए..!

गजब की लड़की है तू यार। और तेरी बातें वास्तव में बड़ी निराली है ।

यार देख हम दोनों आपस में समझौता से एक हुए हैं। और यह नकली सिंदूर सिर्फ अपने बचाव के लिए है। क्योंकि अगर मेरी मांग में सिंदूर नहीं होगा, तो लोग हम दोनों को घर से भागा हुआ समझ लेंगे और फिर बहुत गंदे तरीके से वो हमारे से पेश आएंगे। और शादी का सर्टिफिकेट तो यहां कोई नहीं मांगता, लेकिन ये लाल रंग का सिंदूर फिलहाल हम दोनों के लिए सुरक्षा कवच है।

ओके एग्री, क्योंकि एक बात बड़ी अच्छी है तुझमें डियर, कि तू बहुत ही साफ दिल की लड़की है और इसलिए मस्त है। लेकिन इस समय एक बात मेरे को बड़ी परेशान कर रही है। हम लोगों ने शादी तो कर ली, चाहे झूठ मुठ वाली ही सही और हनीमून भी मना लेंगे, मगर कुछ दावत भी होनी चाहिए या नहीं..? इस समय भूख से मरा जा रहा हूं मैं..! और शायद तेरे को भी भूख लग रही होगी..! इसलिए पहले हम दोनों को कुछ खाने-पीने के बारे में सोचना चाहिए ..! और हम दोनों जहां बैठे हैं न, वहां तो कुछ भी मिलने वाला नहीं..! क्योंकि अगर ये गाड़ी कहीं खड़ी भी होगी न, तो किसी प्लेटफार्म से बहुत दूर.. जंगल में..!

मेरे पास कुछ भुजे चने हैं डियर..! और ये चने हमेशा मेरे पास रहते हैं । इसी को खा ले।

-अरे यार, यह भी कोई खाने की चीज है..? कुछ मस्त माल नहीं है क्या..?

-मस्त माल में तो मैं ही हूं खाने के लिए। तो मैं चना खा लेती हूँ और तू मुझको खा ले।..! ok..

बहुत मजाकिया है तू। ला चना दे। क्योंकि जब कुछ भी नहीं है, तो कुछ तो खाना ही पड़ेगा। पर जिंदगी में इतना गरीब पहले कभी नहीं हुआ मैं, कि चना खाकर रहना पड़े मुझे।

शुक्रिया अदा कर ऊपर वाले का, कि कम से कम खाने को चने तो है तेरे पास, वरना कितने गरीब तो ऐसे हैं यहां, जिनको पानी पीकर ही गुजारना पड़ता है अपना पूरा दिन. ! रानी ने खुशी-खुशी चना खाते हुए कहा।

राजन ने भी जैसे तैसे चने खाकर अपने पेट की भूख शांत की और उसके तुरंत बाद जिस्म की भूख उसे सताने लगी..!

लेकिन आज अपने जिस्म की भूख शांत करने के लिए उसके पास रानी थी, जिसने बिना किसी प्रतिरोध के अपने जिस्म को उसके आगे खुशी खुशी समर्पित कर दिया था।

रानी के बगल में लेट कर उसने रानी के टॉप का एक बटन खोला। और दूसरा, तीसरा बटन खोलने में रानी ने खुद उसकी हेल्प की और उसके गले लग लग गई।

घर से भागे हुए दो जवान जिस्म, जिन्हें ना कोई रोकने वाला था और ना कोई टोकने वाला.. और वो भी इस वीरान जंगल में एक मालगाड़ी के डिब्बे में अकेले..। ऐसे में प्यार तो उनमें होना ही था।

ट्रेन अपनी पूरी गति से भागती जा रही। अगर कहीं रुकती भी, तो उनके डिब्बे के सामने जंगल ही होता। तभी रानी की नजर दूर से दिख रहे प्लेटफार्म पर लगे एक बोर्ड पर पड़ी, जिस पर जबलपुर लिखा था।

उसने राजा से कहा-" यार जबलपुर में मेरी एक दोस्त है। अगर ट्रेन धीमी होती है, तो यहां उतर लेते हैं। यहां पहाड़ों में न कोई तुझे पहचानेगा और न मुझे। और पुलिस भी यहां हम दोनों को ढूंढने नहीं आएगी । इसलिए एक-दो दिन हम यही रह लेते हैं। फिर यहां से मुंबई का रास्ता तय किया जाएगा और वहां मैं बार-डांसर बन जाऊंगी खूब कमाऊंगी, और तू मेरे सारे पैसे का हिसाब किताब रखना। वहां हम दोनों की बहुत मस्त जिंदगी होगी..!

-ok डियर।

इत्तेफाक से ट्रेन की गति काफी धीमी हो गई और आउटर पर ट्रेन रुक गई। राजन और रानी दोनों ट्रेन के डिब्बे से उतरे और रानी राजन के साथ भागती दौड़ती सड़क पर आ गई और एक टेंपो पकड़ कर भेड़ाघाट के पहाड़ी इलाके में पहुंच गई। वहीं एक झुग्गी में उसकी दोस्त भोली अपनी मां और भाई के साथ रहती थी। भोली जिस्मफरोशी का धंधा करती थी और इस धंधे से अच्छे से उसके घर का खर्चा चल जाता था। भाई अभी छोटा और नासमझ था।

रात के करीब 11:00 बजे अचानक अपनी दोस्त रानी को एक लड़के के साथ देख कर भोली को बड़ा आश्चर्य हुआ और वो बोली-"अरे यार, इतनी रात में अचानक आ गई! कम से कम फोन तो किया होता।"

"तुझे तो मालूम है यार अपने धंधे के बारे में, कि कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं चलता। कल एक लड़के की जेब साफ की थी। उसकी पर्स में चार हज़ार मिले। लेकिन उसने मुझे दौड़ा दिया। मैं भागकर एक चलती हुई मालगाड़ी के डिब्बे में घुस गई। उसी डिब्बे में मेरी राजा से मुलाकात हुई और हम दोनों ने झूठ-मुठ वाली शादी कर ली। फिर जब गाड़ी जबलपुर स्टेशन के आगे रुकी, तो मेरे को तेरी याद आई और हम दोनों उतरकर टेंपो से यहां आ गए।"

"गजब यार बिल्कुल फिल्मों जैसी स्टोरी है तुम दोनों की। चल तेरे लिए कुछ खाने की व्यवस्था करती हो फिर तुम दोनों आराम से अपनी सुहागरात मनाना।"

"अरे यार मैंने कहा ना कि झूठ मुठ वाली शादी की है हम दोनों ने..!"

"ओके यार, कोई बात नहीं। तुम दोनों झूठ मुठ की सुहागरात ही मना लेना..! अब तो ठीक है ना..?

ओके डिअर .!"- रानी ने कहा और भोले के साथ उसकी कुटिया में चली गई। वहां भोली ने उनके लिए चाय बनाया। रोटी सब्जी पहले से ही बनी रहती थी। राजा और रानी दोनों ने भरपेट भोजन किया और साथ में सब सो गए।

हाँ, सोने से पहले राजा और रानी को उसने एक अलग से खटिया ज़रूर दे दिया, ये कहकर कि -"हम लोग छोटे आदमी हैं बाबू, इसलिए एक ही कमरे में रहते हैं। मगर तुम दोनों चिंता न करना। ये चद्दर ओढ़ लेना और मजे में सुहागरात मनाना..!"

"तुमने इतना हमारे लिए किया, यही बहुत बड़ी बात है। तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया..!" राजन ने कहा और चद्दर तान कर रानी के साथ सो गया।


इस समय रात के 12:00 बजने वाले थे..!
very nice update. another turn in story.
 
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भाग -18
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राजन को पूरी रात कमला ने बहुत बुरी तरह तड़पाया था। किसी जिंदा इंसान के जिस्म को नोच नोच कर खाना और उसका खून पीना..! कितना विभत्स और दर्दनाक है, यह वही जान सकता है, जिसने इस दर्द को झेला हो.! लेकिन यह कैसा करिश्मा है कि रात भर जिस बदन को किसी जानवर की तरह से नोचा गया हो, जगह-जगह मांस के लोथड़े बाहर आ गए हो, सुबह होते ही घाव का एक निशान भी नहीं..!

राजन ने जिस दिन कमला का कत्ल किया था, उस दिन से ही वह लगातार उसे परेशान कर रही थी। यहां तक कि उसे अपना घर परिवार सब कुछ छोड़ना पड़ा था! उसके खिलाफ पुलिस में एफ आई आर रिपोर्ट भी दर्ज हो चुकी थी और पुलिस उसे तलाश रही थी..! और उसी के कारण सोनी का भी उसको कत्ल करना पड़। ऐसो आराम की जिंदगी जीने वाला राजन अब दर-दर भटक रहा था।

इसी बीच उसकी रानी से मुलाकात हुई। उसे ऐसा लगा कि शायद अब उसकी जिंदगी में कुछ खुशियों के पल आने को है, लेकिन कमला की आत्मा ने यहां भी उसे पटक दिया। और अब तो उसकी जिंदगी नरक से भी बद्तर बन गई, क्योंकि जिस तरह कल उसने उसके जिस्म को नोच नोच कर तड़पाया, जिंदा उसके जिस्म में अपने दांत गड़ा कर उसका रक्त पिया, उसकी कल्पना करना भी खौफनाक है..!

रानी ने अत्यंत पीड़ा में देखकर उससे पूछा-"क्या हुआ जानू..? कहां पर दर्द हो रहा है..?"

"उफ्फ..! क्या बताऊं..? शायद तू भरोसा न करें..! क्योंकि मुझे कमला की आत्मा तड़पा रही है..! कल रात भर उसने मेरे जिस्म को नोचा खसोटा..! मेरा रक्त भी पिया उसने..! क्या बताऊं कितनी भयंकर पीड़ा से गुजरा हूं मैं..! असहनीय.. अकल्पनीय ...अविश्वसनीय..."

" तू चिंता ना कर। मैं कुछ करती हूं। किसी ओझा से बात करती हूं..!" रानी ने कहा।

" तू कुछ भी कर रानी..! पर मुझे इस दर्द और पीड़ा से बचा। मैं तेरा यह अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा..।" राजन ने कहा।

भोली की नींद खुली, तो बिस्तर में अलसाये अलसाये ही उसने राजन और रानी की बातें सुनी और भाग कर रानी के पास आकर बोली-" क्या बात है रानी..? किसको दर्द हो रहा है..? और किसको ओझा को दिखाना है..? मेरे को बता, मैं यहां बहुत से ओझाओं को जानती हूं जो हर तरह का इलाज और झाड़फूंक करते हैं।"

'"यार भोली, मेरा दोस्त राजन बहुत तकलीफ में है! इसने एक लड़की की जान ले ली थी, और अब उसकी आत्मा इसको परेशान कर रही है ..!"

"यह तो बहुत बुरा हुआ रानी, क्योंकि हमारे ओझा कहते हैं कि ओझाईगिरी भी अच्छे लोगों के साथ चलती है, बुरे लोगों पर ज्यादा काम नहीं करती। अगर गलती से तुम्हारे राजन ने उसको मार दिया है, फिर तो शायद बात बन जाएगी लेकिन अगर जानबूझकर उसे मारा है, बिना किसी गलती के उसे मारा है, तब बात नहीं बनेगी..!"

राजन ने कहा,-"भोली मेरी गलती थी! मुझे उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था! मुझे उसके साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहिए था! मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई! अब मैं क्या करूं..? अब मुझे पछतावा है, कि मैंने गलत किया। लेकिन इतनी कठोर सजा मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूं..! क्या करूं, प्लीज़ भोली मेरी मदद कर..!"

"ठीक है। तुम दोनों ब्रश कर लो। मैं अभी तुम दोनों के लिए चाय और पकौड़ी बनाती हूं। उसके बाद मैं अपने ओझा से मिलने जाऊंगी और पूछूंगी कि कमला की आत्मा तुझे छोड़ने का क्या लेगी..? वैसे एक सच यह भी है दोस्त, कि इन आत्माओं को भी किसी को तकलीफ देने में मजा नहीं आता, क्योंकि इससे उनका बदला तो पूरा होता है, लेकिन परलोक में उन्हें भी बहुत कष्ट होता है और उनकी प्रेत योनि की अवधि बढ़ जाती है। और कभी कभी तो सदियों तक उन्हें भटकना पड़ता है इस प्रेत योनि में..! इसलिए मुक्ति वह भी पाना चाहती हैं इस प्रेत योनि से । और ओझा लोगों का यही काम होता है कि इन अतृप्त आत्माओं की कामनाओं को पूरी कर उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति दिलाएं..!" ये कहकर रानी उनके लिए चाय पकौड़ी बनाने की तैयारी में जुट गई।

"ओके डियर, तुम आराम करो। तब तक मैं भी मुंह हाथ धोकर और फ्रेश होकर भोली की मदद करती हूं।"

"Ok." राजन ने कहा और औंधे मुंह लेट गया।

कोई आधे घंटे में ही भोली ने फटाफट चाय पकौड़ी तैयार कर दी और रानी ने भी उसकी मदद की।

भोली ने चाय पकौड़ी राजन को देते हुए कहा-"यह लो और खा लो। थोड़ी ताकत आएगी। वैसे इतना खूबसूरत जिस्म है तुम्हारा, कि कोई भी लड़की तेरे पर मर सकती है। कितना मासूम है यार तू दिखने में..! फिर तुझसे इतना बड़ा गुनाह कैसे हो गया..? और ऐसी क्या बात हो गई, कि तूने एक लड़की की जान ले ली..?"

"क्या बताऊं भोली..! वह लड़की भी बहुत खूबसूरत थी और मेरा उस पर दिल आ गया था। मैं उसको पुरानी हवेली घुमाने ले गया था। उसे खंडहरों मैं जाना अच्छा लगता था। हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे। उस समय मेरा थोड़ा मूड बन गया और मैंने उससे प्यार करना चाहा। पर जब उसने मेरी बात नहीं मानी, तब मैंने उससे जबरदस्ती की! और यही मुझसे गलती हुई, क्योंकि उसने मेरा सहयोग नहीं किया और गुस्से में आकर मैंने उसकी जान ले ली। लेकिन अब पछता रहा हूं। मुझे नहीं मालूम था, कि आत्माएं भी होती है , और आत्माएं बदला भी लेती है आत्माएं तड़पाती भी है और आत्माएं इंसान का खून भी पीती है..! मैं इन्हें सिर्फ कपोल कल्पित बातें समझता था..! लेकिन अब मुझे इन बातों में सच्चाई दिखती है..! अब मुझे मालुम हो गया है, कि आत्माओं का भी अस्तित्व होता है। वो भी अपना बदला ले सकती हैं। वो भी इंसान का सुख चैन नींद सब छीन सकती हैं और वो भी इंसान को तड़पा सकती हैं और उनकी जान भी ले सकती हैं..! भोली, अगर मुझे मालूम होता, तो मैं कभी ऐसा करने का साहस ना करता। मैं कभी उसे जान से ना मारता। मैं कभी इतना इतना बड़ा पाप ना करता..!"


"चल ठीक है। जो हुआ सो हुआ। तुमने अपनी बात सच्ची सच्ची कह दी। यह जानकर अच्छा लगा। अगर तू इस बात को छुपाता, या अपनी गलती ना बता कर उसकी गलती बताता, तो तेरा काम और मुश्किल हो जाता। लेकिन जब इंसान को अपनी गलती का एहसास होता है और दिल से इंसान माफी मांगता है इन आत्माओं से, तो कभी-कभी अच्छी आत्माएं उसे माफ कर देती हैं। और तब इंसान अपनी शेष जिंदगी अच्छे से अपने परिवार के संग बिता पाता है। और यही एक तरीका है इन आत्माओं से मुक्ति पाने का। कि इनके आगे खुद को सरेंडर कर देना क्योंकि अपने आप को सरेंडर कर देने पर अधिकतर आत्माएं इंसान को माफ कर देती है और उन्हें अपने बंधन से मुक्त कर देती हैं..!" भोली की इन बातों को सुनकर राजन को बहुत आत्मिक तसल्ली हुई और उसने दिल से भोली का शुक्रिया अदा किया।
another good update. keep going.
 
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sandy4441

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भाग ~ 21
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खाना बन जाने के बाद सबसे पहले भोली ने अपनी मम्मी और गोलू के लिए खाना निकाल कर उनको अलग से दे दिया और गोलू से कहा की मम्मी को जो कुछ भी चाहिए, उन्हें दे देना।

उसके बाद बाहर पत्थर की एक बड़ी चट्टान पर राजन, रानी और खुद के लिए भोजन तीन थाल में परोस कर ले आई और बोली-" जो मजा मेरे को यहां चट्टान पर बैठकर खुले में भोजन करने में आता है वो मजा झुग्गी के अंदर भोजन करने में बिल्कुल नहीं आता। यहां पर भोजन करने में प्रकृति का मजा भी मिलता है और ऐसा लगता है, जैसे हम लोग पिकनिक मना रहे हो..!"

"सही कहा तूने..! मुझे भी घर के अंदर भोजन करने में बहुत घुटन होती है। शहर में बंद कमरों में भोजन करने की हम सबकी आदत बन गई है लेकिन जब कभी इस तरह खुले में भोजन करने का मौका मिलता है, तब पता लगता है कि वास्तव में प्राकृतिक जीवन ही सर्वोत्तम जीवन होता है।" रानी ने कहा।

"मेरे गोलू को खाने में कटहल की सब्जी और मेरी मम्मी को करेला बहुत पसंद है। इसीलिए जब भी कोई मेहमान हमारे घर आता है तो मैं करेला की कलौंजी और कटहल की सब्जी जरूर बनाती हूं।" रानी ने भोजन में करेले की कलौंजी और कटहल की सब्ज़ी बनाने का राज़ बताते हुए कहा।

"करेले की कलौंजी तो मुझे भी बहुत पसंद है। लेेकिन तुमने गोलू को यहां क्यों नहीं बुलाया खाने पर..? मम्मी तो ठीक है, कि वो अंदर खा लेंगी, लेकिन गोलू को तो हमारे साथ ही खाना चाहिए..!" रानी ने कहा।

"वो इसलिए यार, कि मम्मी को कब किस चीज की जरूरत पड़ जाए, तो गोलू उनको लाकर दे देगा, क्योंकि वो कितनी भी भूखी हो, पर उनको कुछ मांगने की आदत नहीं है। उनको एक बार में जो दे दो, बस उतना खाकर संतोष कर लेती है।'

"और दूसरी बात यह है दोस्त, कि गोलू को मेरे साथ भोजन करना पसंद नहीं है। और इसका कारण यह है उसको मेरे धंधे से चिढ़ है। मैं उससे कहती हूं कि जिस दिन तू घर का खर्चा चलाने लगेगा, मैं अपना धंधा बंद कर दूंगी। लेकिन निठल्ला ना पढ़ने लिखने कहीं जाता है, और ना कोई धंधा पानी करता है। ये माना कि अभी छोटा है, ** साल उम्र है उसकी, फिर भी उसकी उम्र के बहुत से लड़के काम करते हैं और पैसा कमाते हैं। लेकिन वो रोज सुबह निकल जाता है अपने दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमता टहलता रहता है, और बस खाने के समय चला आता है..! खुद तो तमाम बुरी आदतें पाल रखी है , और मेरे को उल्टा सीधा बकता है।" रानी ने गुस्सा होकर कहा।

"ये तो गलत है यार..! जबकि मेरी नजर में तेरा ये काम बहुत ही महान है, क्योंकि तू बहुत से कामी पुरुषों को अपना जिस्म सौंप कर उन्हें मासूम लड़कियों का बलात्कार करने से रोकती है और इस प्रकार बहुत सी मासूम लड़कियों की जान बचाने का पुनीत काम करती है। यू आर सो ग्रेट मॉय डियर एंड आई एम प्राउड ऑफ यू..!"रानी ने कहा।

"थैंक्स यार! तू एकमात्र मेरी ऐसी दोस्त है, जो मेरे इस काम की तारीफ करती है। मेरे सामने भी और मेरे पीठ के पीछे भी, जबकि यहां अधिकतर ऐसे लोग हैं जो सामने तो मजा लेते हैं और मेरी तारीफ भी करते हैं लेकिन पीठ पीछे गंदी गंदी गालियां देते हैं..! लेकिन कोई बात नहीं, मेरे को इन सब की आदत पड़ गई है..! पर जब गोलू मेरे को बुरा बोलता है और गंदी गालियां देता है तब बहुत गुस्सा आता है। वह कहता है कि मेरे कारण उसके दोस्त उसकी हंसी उड़ाते हैं और उसकी बेइज्जती करते हैं। पर जब मैं उससे कहती हूं कि तू ऐसे गंदे दोस्तों का साथ छोड़ क्यों नहीं देता क्यों नहीं कहीं पढ़ने जाता या क्यों नहीं कोई काम नही करता तब कुछ नहीं बोलता और भाग जाता है..!"

" तेरे गोलू को मैं समझाउंगी। और वह मेरी बात जरूर मानेगा"

" थैंक्स दीदी! अगर तू मेरे गोलू को समझा दे तो तेरी बहुत कृपा होगी मुझ पर और तेरा ये एहसान में कभी ना भूलूंगी। क्योंकि मैं बहुत खुश हूं अपने काम धंधे से, लेकिन सिर्फ गोलू का सोच कर कभी-कभी मुझे अपने से नफरत भी होने लगती है। अगर यह गोलू मेरी बात मान ले और सूखी रोटी भी अगर हम दोनों को लाकर दे तो हम मां बेटी खुशी खुशी खा लेंगे और मैं अपने इस धंधे को हमेशा के लिए छोड़ दूंगी। और अगर खुद कोई काम धंधा न करे, तो कम से कम मेरे धंधे की बेकद्री ना करें.!"

" तू चिंता ना कर। मैं तुमसे पक्का वादा करती हूं कि मैं तुम दोनों के बीच की कड़वाहट ज़रूर दूर कर दूंगी। अब चल खाना शुरू कर । भूख भयंकर रूप से बढ़ गई है। पेट में कई चूहे उधम मचाने लगे हैं..!"

"Ok, राजन लेट्स स्टार्ट..! हाउ मॉय भोजन इज बर्निंग..! आई स्पीक इंग्लिश टू..!"

"बहुत मस्त इंग्लिश है आपकी! वैसे खाना वास्तव में बहुत ही बेहतरीन बना है..! मखानी दाल.. करेले की कलौंजी ..और कटहल की सब्जी.. चावल ..और मुलायम मुलायम रोटी और साथ में दही बड़े भी..! वाह..! ऐसा लग रहा है जैसे सदियों बाद इतना बढ़िया खाना खाने को मिला है..!" राजन ने भोजन की तारीफ करते हुए कहा।

"बढ़िया तो होगा ही भोजन, क्योंकि मेरी भोली ने बहुत ही मन से खाना बनाया है । और जब कोई मन से खाना बनाता है, तो उसका स्वाद डबल हो जाता है, यह बात तो अपने शास्त्रों में भी लिखी है।" रानी ने कहा।

"मेरा भोजन तुम दोनों को पसंद आया, बहुत-बहुत धन्यवाद। कभी कभी तो मौका मिलता है बढ़िया भोजन बनाने का क्योंकि जब तक घर में कोई मेहमान ना आए, कोई दोस्त ना आए, या कोई रिश्तेदार ना आए , कुछ बढ़िया बनाने का मन ही नहीं करता। और जब कोई आता है तब उसी बहाने से मैं भी बढ़िया बढ़िया भोजन खाती हूं!" भोली ने भी लजीज भोजन का मजा लेते हुए कहा।

भोजन के उपरांत उन तीनों ने थोड़ी देर तक चहल कदमी की। मौसम बहुत मस्त था। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। बादल थे । और धूप बिल्कुल नहीं थी। महीना अगस्त का था। रानी और भोली अभी थोड़ी दूर ही गई थी, कि उन्होंने देखा की राजन पीछे एक बड़ी चट्टान पर सो रहा है।

भोली ने कहा-" यार लगता है काफी दर्द है राजन को और वो बता नहीं रहा है, इसीलिए चट्टान पर लेट गया!"

" हां यार, मगर क्या किया जाए..! अगर इंसान किसी के साथ गलत करता है, तो भगवान कितनी बुरी सजा देता है उसे, इसका जीता जागता उदाहरण राजन है। और बाकी अब दोस्ती हो गई, तो हो गई । और वैसे भी कोई अच्छा मिले या बुरा यह, अब ये तो अपनी किस्मत है..!

फिर सोचने वाली बात यह भी तो है डियर, कि मेरा धंधा जेब कटी का, और तेरा धंधा जिस्म बेचने का, तो हम लोगों को कोई शरीफ आदमी क्यो मिलेगा..! जो मिलेगा हम लोगों को, वह अपनी कैटेगरी का ही तो मिलेगा। और अपना तो यह भी उसूल है डियर, कि जो मिले, उसी से काम चला लो। और अगर कोई ज्यादा गलत है, तो उसे छोड़ने की बजाए ठोंक पीट कर उसे अपने मन मुताबिक बना लो।

"यार, तेरी तो बात सही है! लेकिन एक बात है डियर, कि अगर किसी खून करने वाले इंसान को हम सही रस्ते पर ले आते हैं, यह भी एक बहुत बड़ा काम होगा हमारे लिए ।इसलिए मैं तो यह सोच रही हूं, कि इस पर हम दोनों मिलकर प्रैक्टिकल करें। अगर सुधर गया तो ठीक वरना यही किसी पहाड़ी से धक्का देकर इसका जीवन ही समाप्त कर देंगे।

क्योंकि एक खूनी अगर हम दोनों की कोशिशों के बावजूद नहीं सुधरता, तो ऐसे इंसान को मौत की सजा देना ही सही है।
Superb update...yaha to rajan ko marne ki planning bhi ho rahi hai. let see kya hota ahi.
 
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sandy4441

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भाग - 23
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आज राजन बहुत खुश था । रानी और भोली दोनों लड़कियां उस पर फिदा थी। और आज तो दोनों ने खुलकर उसे 'किस' किया था, उसे प्यार किया था और उसके बदन की तारीफ की थी। दोनों लड़कियों के प्यार में अपनी पुरानी जिंदगी को वो भूल चुका था। अपने पापा मम्मी को भी.. अपनी बहन को भी और अपने पुराने दोस्तों को भी..!

अब तो उसकी पूरी जिंदगी सिर्फ रानी और भोली में सिमट कर रह गई थी। और इन दोनों का साथ बहुत सुकून देने वाला था। पुरानी वैभवशाली ज़िन्दगी का कोई आकर्षण नहीं था। और इन पत्थरों में उसे काफी सुकून मिल रहा था..!

यहां प्यार भी उसे मिल रहा था, पका पकाया भोजन भी मिल रहा था.. इसके अलावा अब और कोई चाहत भी नहीं थी उसकी..! वो तो इंसान अपनी जरूरतें बढ़ा लेता है, और इसलिए जिंदगी में बहुत सी तकलीफें उठाता है। लेकिन अगर इंसान अपनी जिंदगी में अपनी जरूरतों को सीमित कर ले, तो उसकी आधी से ज्यादा तकलीफ दूर हो जाती है।

हम शहर के लोग सोचते हैं गांव में रहने वाले बहुत तकलीफ में रहते होंगे. ! उनके पास मोबाइल नहीं.. उनके गांव में बिजली नहीं ..खाने को बढ़िया-बढ़िया भोजन नहीं ..और पहनने को तड़क-भड़क वाले कपड़े नहीं..! लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। गांव में किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है, तो उसे स्मार्टफोन न होने का कोई गम नही है..! क्योंकि उसे उसकी आदत नहीं है। हाँ, आप ज़रूर हो सकते हैं दुखी क्योंकि आप स्मार्टफोन चलाते हैं।

इसी प्रकार कोई भी चीज, जिसकी आदत बना ली है आपने वह चीज आपको नहीं मिलती, तो आपको दुख होता है। तकलीफ होती है। अगर आप रोज कार से घूमते हैं और आप कार से घूमने की अपनी आदत बना ली है, तो कार के ना होने पर आपको तकलीफ होगी लेकिन। लेकिन जो लोग साइकिल पर चलते हैं, उनको साइकिल पर ही चलने की आदत है, इसलिए अगर साइकिल ना मिले तो उनको तकलीफ होगी। तो जितनी तकलीफ एक साइकिल चलाने वाले को साइकिल न मिलने पर होगी उतनी ही तकलीफ आपको कार के न मिलने पर होगी..!

मतलब तकलीफ दोनों की बराबर है लेकिन एक को तकलीफ साइकिल कि ना होने की है, जबकि दूसरे की तकलीफ कार के ना होने पर है। ठीक इसी प्रकार अगर गांव में एक बच्चा लकड़ी की फंटी से क्रिकेट खेलता ह, तो उसको जितनी तकलीफ उस लकड़ी की फंटी के छीन लिए जाने से होगी उतनी ही तकलीफ शहर के बच्चे से उसका मोबाइल छीन लिए जाने से होगी।

इसी प्रकार गांव के बच्चे को जितनी तकलीफ रोटी के ना मिलने से होगी, शहर के बच्चे को उतनी ही तकलीफ पिज्जा और बर्गर के ना मिलने से होगी..! इस तरह के बहुत से उदाहरण आपको मिल जाएंगे। और इससे यह सिद्ध हो जाएगा की तकलीफ ज्यादा कीमती सामान के ना होने से नहीं होती है बल्कि अपनी जरूरत का सामान ना मिलने पर होती है चाहे वह सामान रुपए दो रुपये का ही क्यों ना हो..!

मतलब यह हुआ, कि खुशी की परिभाषा यह है कि जिस चीज की आप आदत बना ले, बस वह चीज आपको मिलती रहे तो आप खुश रहेंगे और वह चीज ना मिलेगी तो आपको तकलीफ होगी। और इसीलिए कहा गया है, कि थोड़े में गुजारा करना सीख लो। क्योंकि अगर थोड़े में गुजारा करना सीख जाओगे तो उसी में तुमको खुशी मिलेगी और उतनी ही खुशी मिलेगी कितनी खुशी की किसी लाखों और करोड़ों कमाने और खर्च करने वाले को मिलती है..!

कुछ ऐसी ही बातें सोच रहा था राजन, कि तब तक भोली और रानी ने पकौड़ी चाय लाकर उसके सामने रख दी और उससे कहा-" आज हम दोनों ने फैसला किया है कि हम दोनों तुम्हारे आगे बगल सोएंगे और फिर देखेंगे कि कमला तुम्हें कैसे सताती है अगर वो ज्यादा परेशान करेगी तो हम दोनों मिलकर तुम्हें बचाएंगे..! राजन ने चाय पकौड़े खाते हुए कहा -"तुम लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया। जितना ख्याल तुम दोनों मेरा करती हो, इतना ख्याल तो मेरा आज तक किसी ने नहीं किया। मेरे मम्मी पापा ने भी नहीं। मेरी बहन ने भी नहीं। और मेरी दोस्त ने भी नहीं। क्योंकि मेरी सबसे अच्छी दोस्त कमला ही थी। अगर उसने भी मुझे उसी तरह प्यार किया होता, जिस तरह तुम दोनों मेरे से प्यार करती हो तो आज इतनी दर्द और इतनी तकलीफ में मैं ना होता।"

"जो बीत गया सो बीत गया..! अब उस बात को भूल जा..! क्योंकि अब तो हम दोनों का दिल तुझ पर आ गया है। इसलिए हम दोनों का फैसला है कि अब हम दोनों ही तुझे प्यार करेंगे । वैसे तुझे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है न, अगर हम दोनों एक साथ तुझे प्यार करें ..?

"अरे यार, दिल से प्यार करने वाली कोई एक लड़की तो मिलती नहीं और दो दो लड़कियां अगर प्यार करने वाली मिले, तो इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है..?"

" थैंक्स डियर..!" भोली और रानी दोनों ने उसे किस करते हुए कहा।

नाश्ता पानी के बाद कुछ देर और उनमें आपस में बातें हुई और फिर शाम के खाने में भोली ने कढ़ी भात बनाया। कढ़ी राजन को भी बहुत अच्छी लगती थी। लेकिन भोली ने न जाने किस तरह कढ़ी बनाया था, कि उसका स्वाद निराला ही था। बहुत मजा आया उसे कड़ी भात खाने में।

और भोजन कर चुकने के बाद भोली और रानी दोनों उसके आजू बाजू एक ही बिस्तर में सो गई..!

इस समय वह दोनों राजन यह बदन से छेड़खानी कर रही थी! भोली का भाई उन दोनों की शरारतों को देख रहा था, लेकिन वो ये सब देखने का आदी था, इसलिए उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी।

भोली और रानी, इन दोनों ने राजन को अपनी जवानी का मज़ा लेने के लिए अपना खिलौना बना रखा था और राजन को भी इस अनैतिक संबंधों मैं मजा आने लगा था। अब यही उसकी जिंदगी थी। रानी और भोली उसके आजू बाजू लेटी थी.. उसके साथ छेड़खानी कर रही थी ..और मजे ले रही थी ..तभी घड़ी में रात के 12 बजने का संकेत दिया।

एक तरफ रानी और दूसरी ओर भोली... यह दोनों जितना प्यार से उसके उसके लबों को चुम रही थी, कि अचानक वह दोनों निर्दयी हो गई। अब पहले जिस काम में उसे मजा आ रहा था, अब उसी काम में उस को तकलीफ होने लगी। क्योंकि इन दोनों का प्यार हिंसक होता जा रहा था। और वो दोनों उसके बदन को बड़ी निर्दयता से नोचने लगी।

फिर रानी ने उसके सीने में अपना दांत गड़ा दिया, और बोली- कितना टेस्टी है यार तेरा खून..! वह चिल्लाने को था कि फिर अचानक कल रात की ही तरह उसकी जुबान बंद हो गई। रानी के खून पीने के बाद दूसरी ओर से भोली ने भी उसके सीने में अपने दांत गड़ा दिए और उसका खून मजे मजे से पीने लगी और बोली-"तेरा गरम गरम खून बहुत टेस्टी है मेरे राजा..!"

हां यार भोली, कितना मस्त है अपना राजन। सो लवली ..! तूने इसका मांस टेस्ट किया या नहीं..? मैंने कल इसके सीने का मांस नोच कर खाया था बहुत टेस्टी था।"

"रियली..?" भोली ने पूछा..!

"हाँ, रियली बहुत टेस्टी था। मैं तेरे से झूठ क्यों बोलूंगी ..?"

"ओके डियर..! फिर तो मैं भी टेस्ट करती हूं..!" और यह कहते हुए भोली ने अपने अपने दांत उसके सीने में गड़ा दिए उसका मांस नोच कर खाने लगी और रानी से बोली-"रियली यार..! ये तो बहुत टेस्टी है..!" और राजन दर्द से चिल्ला रहा था, तड़प रहा था, मुझे उसके गले से आवाज निकल पा रही थी और ना वह उनसे अपने आप को छुड़ा पा रहा था, क्योंकि उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी, कि उनसे छूटने की उसकी हर कोशिश बेकार हो रही थी.. और दर्द से तड़पते तड़पते अंततः वह बेहोश हो गया..!
jaisi karni waisi bharni...rajan ko jabardasti karne se kya hota hai ab pata chalega.
 
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sandy4441

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भाग ~25
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ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद जो कमला की आत्मा से तुझे मुक्ति मिल गई..! लेकिन आज से कभी भी तू किसी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेगा। अच्छे से रहेगा वरना वह कमला की आत्मा फिर से तुझ को सताना शुरू कर देगी..!

ना ..ना.. मुझे कुछ भी गड़बड़ नहीं करना है और वैसे भी जब तक तुम तो सुंदरियों का साथ है मेरा मुझे कहीं जाने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि अब तो तुम दोनों के साथ में ही मुझको जन्नत कि खुशी नजर आती है। और तुम दोनों की इच्छा के विरूद्ध मैं कोई काम नहीं करूंगा, यह मेरा वादा है।

"ओके।" चल अब घर चलते हैं..!

राजन, रानी और भोली तीनों ने रूद्र बाबा को नमन किया और भोली जब रूद्र बाबा को ₹101 देने को हुई तो बाबा ने सिर्फ ₹1 लिए और कहा-" तुझसे में कोई रुपए नहीं ले सकता लेकिन यह ₹1 इसलिए ले रहा हूं, क्योंकि बिना दक्षिणा के यज्ञ फलीभूत नहीं होता। मगर तू कभी-कभी आती ज़रूर रहना।"

" जरूर आती रहूंगी गुरुजी..!" भोली ने कहा।

और फिर राजन और रानी के साथ बाहर आते ही उनसे बोली-यार मैं अपना मोबाइल अंदर ही भूल गई तुम दोनों धीरे धीरे चलो मैं अभी आती हूं।"

"Ok" रानी ने कहा। और भोली वापस गुरुजी के पास आ गई।

"क्यों..? क्या हुआ..?" गुरुजी ने भोली को वापस आकर देख पूछा।

" गुरु जी एक बात पूछनी थी। आप तो गुरु जी हैं पर आप इतने ज्ञानी हैं और महान है कि आपने राजन को कमला की आत्मा से मुक्ति दिला दी। और उससे यह वादा लिया कि वह कोई भी गलत काम आज से नहीं करेगा मतलब किसी के जिस्म से नहीं खेलेगा। तो गुरुजी अगर मैं राजन के साथ मस्ती करना चाहूं तो क्या या अनुचित होगा..? और दूसरा प्रश्न कि आप भी तो मेरे जिस्म का भोग कर चुके हैं। तो क्या यह पाप कर्म नहीं है..?"

" कोई संत महात्मा या कोई आम इंसान हो। मैं और लोगों की विद्या के बारे में नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि काम इच्छा से हर इंसान पीड़ित होता है और अगर उसकी इच्छा पूर्ति ना हो तो उसमें भी दोष उत्पन्न हो जाता है। मेरी विद्या उस दिन समाप्त हो जाएगी जिस दिन मैं किसी के साथ जबरदस्ती करूंगा। मैंने अगर तेरे जिस्म को भोगा है, तो इसमें तेरी मर्जी भी शामिल थी। और तू अपने जिस्म को बेचने का धंधा करती है। और मैंने तेरे जिस्म की पूरी कीमत तुझे दी है। इसलिए मैंने कोई पाप नहीं किया है बल्कि तेरी मदद की है और तुझे तेरी कीमत से ज्यादा रुपए दिए हैं और जब तुम मेरे पास से खुश होकर गई तुम उस पर पाप कैसे लगेगा क्योंकि मैंने तुझको खुशी दी है,तेरी भी इच्छा की पूर्ति की है, और तेरे धंधे में तेरी मदद भी की है।"

इसका मतलब यह हुआ गुरुजी कि अगर मैं स्वेच्छा से राजन के साथ भोग करती हूं, तो यह पाप नहीं है। अगर दिल साफ है और कोई जबरदस्ती नहीं है दोनों की मर्जी शामिल है तो इसमें कोई पाप नहीं है। क्योंकि पुराने समय में भी इस तरह के खेल होते थे बल्कि गुरु की इच्छा पर लड़कियां खुद अपने आपको उनके समक्ष समर्पित कर देती थी, तो अपनी इच्छा से तुम लोग का आपस में मिलना जुलना और आपस में संबंध बनाना गलत कैसे हो सकता है। और कमला की आत्मा ने भी यही कहा है कि किसी की इच्छा के विरुद्ध राजन उसके साथ कोई गलत काम नहीं करेगा और अगर किसी की इच्छा क्योंकि तुम गलत काम करेगा तो उसको सजा जरूर मिलेगी और उसे मुक्ति तभी मिलेगी जब किसी मरते हुए इंसान की वो जान बचाए और हर इंसान को खुश रखने का प्रयास करें मतलब उसे इस बात का ध्यान हमेशा रखना पड़ेगा कि उसके कारण किसी की भी आत्मा को किसी के भी दिल को दुख ना पहुंचे।"

तो गुरु जी अगर किसी लड़की की इच्छा हो राजन के साथ मौज मस्ती करने की तब उस स्थिति में राजन को पाप तो नहीं लगेगा..?"

सामाजिक नियमों के अंतर्गत ये पाप है। मगर वेश्याओं को भी पापी नहीं माना गया है क्योंकि वह पुरुषों की कामेच्छा की पूर्ति कर उन्हें गलत लोगों से संबंध बनाने से रोकती है। इसलिए किसी लड़की की इच्छा होने पर अगर राजन उसके साथ कुछ गलत भी करता है तो उसका यह पाप क्षम्य है। मगर सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना भी उसे जरूरी है. !

"जी, प्रणाम गुरुजी। फिर कभी फुर्सत में आपकी सेवा में हाज़िर होऊंगी। क्योंकि मेरा तो धंधा ही यही है..!"

"तेरा स्वागत है। तुम जब चाहे यहां आ सकती है..!"


"जी गुरुजी। मेरा तो तन मन धन सब आपको समर्पित है।" यह कहकर रानी गुरु जी के आश्रम से वापस हो ली और रास्ते मे रानी और राजन से मिल कर उनके साथ अपने घर आ गई..!
shandar update swati ji.
 
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