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ये एक लघु कहानी थी लेकिन इस कहानी में पोटेंशियल था... ये एक बेहतरीन स्टोरी बनती यदि आपने जल्दीबाजी में खतम नहीं किया होता ।
देवनागरी में लिखना बहुत ही कठीन होता है... ये तो आप जानती ही होंगी क्योंकि लोग स, ष श का मतलब निकालने लगते है और अगर कहीं कुछ ग़लत हुआ तो फिर बहुत कुछ सुनने को मिलता है.... ये इसी फोरम पर मैंने भोगा है ।
लेकिन आप ने क्या लिखा है ! वाह ! वाह !
और क्यों फास्ट फारवर्ड किया स्टोरी का ! इसे तो समय लेकर लिखना चाहिए था ।
अब बात स्टोरी पर.....
अगर मैंने कहानी के शुरुआती दिनों में पढ़ा होता तो रेगुलर रेभो देता मगर स्टोरी समाप्त हो गई है तो एक ही बार में रेभो करता हूं ।
आप के इस कहानी का मेन तीन पहलू है.....
एक ...लड़का वासना और दारू के गिरफ्त में फंस कर एक लड़की की हत्या कर देता है ।
दुसरा..... लड़की की आत्मा उसे परेशान करती है ।
और तीसरा.... लड़का सुधर जाता है ।
ये भले ही हाॅरर स्टोरी हो लेकिन एक्चुअल में ये हाॅरर नहीं बल्कि एक एजुकेशनल स्टोरी है ।
राजन ने जो कुछ किया वो हर लिहाज से गलत था और ऐसे लोगों को सजा ए मौत के सिवाय कुछ नहीं होना चाहिए ।
कमला.... बच्ची ही तो थी... अपने मां बाप की श्रवण कुमार ...ऐसी बच्ची को मार डाला ।
इसके बाद उसने प्रायश्चित किया...... स्वाति जी ! कहां उसने प्रायश्चित किया ? अपने बाप के पैसों पर ! ऐसे प्रायश्चित थोड़ी न होता है !
प्रायश्चित तब सही लगता जब वो अपने बलबूते उन फेमिली के लिए करता जहां उसके चलते दो मौतें हो चुकी थी । अपना खून पसीना बहा देता उस फेमिली के लिए । खास तौर पे कमला के फैमिली के लिए ।
एक पुरानी मूवी है... " दुश्मन" ...मीना कुमारी , राजेश खन्ना और मुमताज की.... बेहतरीन मूवी है ।
इस पिक्चर में राजेश खन्ना ने गलती से मीना कुमारी के हसबैंड का एक्सीडेंट कर दिया और वो मर गया । अदालत ने उसे मीना कुमारी और उसके परिवार के देखभाल की सजा सुनाई... कुछेक सालों के लिए.... फिर राजेश खन्ना का उस परिवार के साथ कैसा व्यवहार होता है और वो किस तरह से सभी का दिल जितता है.... उसने कैसे प्रायश्चित किया ! ये बहुत ही अच्छे तरह से दिखाया गया है ।
राजन को कुछ और करना चाहिए था प्रायश्चित के लिए ।
शराब.... बहुत ही खराब चीज है..... मगर इसमें एक खासियत है.....हर कोई धोखा दे सकता है लेकिन शराब कभी भी धोखा नहीं देता... भले ही कोई एक पेग पिए वो अपना असर दिखा ही देता है ।
( हिंदुस्तान में दारू कम से कम तीस साल के बाद एलाव होना चाहिए.... ये मेरा मानना है ताकि लोग थोड़ा परिपक्व हों )
वैश्यावृत्ति को मैंने हमेशा उन लड़कियों का सोशल वर्क ही माना है....उन लड़कियों की इस पेशे में आने के बहुतों कारण हो सकते हैं , उनके नियत पर भी हम संदेह कर सकते हैं । लेकिन ये लड़कियां तो उन हजारों लड़कियों से अच्छी है जो सती सावित्री बनने का नाटक करती है ।
रानी और भोली..... ये दोनों भले ही गलत धंधों में लिप्त है पर है तो आम इंसान ही....राजन को लेकर कभी संदेह करना.... कभी उसके लिए फिक्रमंद होना.... कभी अपना स्वार्थ देखना .... बिल्कुल परफेक्ट था ।
आप एक बहुत ही अच्छी राइटर हो.... ये तो मैं आप की लेखनी से ही समझ गया।
अभी शायद आप की एग्जाम है..... मेरी शुभकामनाएं आपको ।
आप एग्जाम में अव्वल दर्जे से पास हो और ये होगा ।
मिठाई का डब्बा हमें देना न भुलना ।
और उसके बाद आप के कलम का जादू फिर से देखने की अपेक्षा रहेगी ।
दिल से आपका शुक्रिया SANJU ( V. R. ) जी,
उस समय भी मेरे पास वक़्त कम था और आज भी इसलिए सब कुछ जल्दी जल्दी करना पड़ा,
और हाँ ये तो मैं भी जानती हूं ये एक बेहतरीन कहानी बन सकती थी,
हॉरर थीम पर बेस्ड होने के बाद भी इसमें हॉरर सीन कम ही थे,
और प्रायश्चित करने के नाम पर बस उसका थोड़ा बहुत जो भी कुछ करना हुआ पैसों से मदद etc.
वैश्यावृत्ति या चोरी कोई भी जानकर नही करता उसे परिस्तिथियों से मजबूर होकर ये सब करना पड़ता है,
कुछ लोग अपने पूर्व स्थिति को याद रखते हैं और हमेशा अपने आपको याद दिलाते रहते हैं कि वो ये सब क्यों कर रहे हैं और कुछ लोग ऐसों आराम की जिंदगी पाकर इसमे सब कुछ भूल जाते हैं...
एग्जाम तो वैसे ये मै पहले ही क्लियर कर चुकी हूं
पुनः उसे देने जा रही