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Romance फख्त इक ख्वाहिश

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भगवान शिव का दिन था तो दिमाग में उबेश्वर शिव मंदिर घूमने लगा. फैसला किया अब से हरेक सोमवार पैदल-पैदल नंगे पैर भगवान के दरबार में अपनी हाजिरी जरूर लगा करेगी, शायद ऐसा करने से रोज़दा का क्रच भी जल्द छूट जाए.



………………



51 थाल के बाद सभी को चाय ऑफर‌ की गई. कश्मीरी में इसे कहवा बोलते, क्यूंकि टी-लीव्स के बजाय इसे बनाया जाता था केसर-कहवा की पत्तियों से. खुशबू तो उसकी ठीक थी लेकिन खारे और कसैले स्वाद ने मेरा चेहरा उतार दिया. मेहमानों के गूंजते ठहाकों के बीच इरीन ने बताया, यह एक टर्किश रस्म थी जिसे रोजे़न के सम्मान में मुझे पूरा खत्म कर करना है.


" शाबाश रोजे़न! पहले गालियां और अब ये जहर! बता तो दो, किस गुनाह का बदला‌ ले रही हो? "


मुंह सडा़ते हुए मैने रोज़दा को सुनाने लगा लेकिन उसके जवाब में कुछ तो और ही छुपा हुआ था, " साॅरी, काश मैं तुम्हारी हैल्प कर पाती लेकिन तुम्हें जानना ही कहां होता है. इसलिए प्यार करते हो तो प्रूव करो "


" मतलब? "


" मतलब, यह तो बस शुरूआत है. असली मजा़ तो तब आएगा जब तुम्हें सांड से लड़ना पडे़गा "


" व्ह्ट द फ.. तुम लोग इंसान हो या ढोंग करते हो इंसान होने का?? क्या तुम्हारे डैड ने भी... फाइन, कोई इश्यू नही. अब सांड तो क्या मैं ओटोमन आर्मी से भी लड़ने के लिए तैयार हूं. देखना ये होगा कि तुम खुद को कैसे बचाओगी बुल-फाइटर से "


पहले मुझे लगा कि वो सीरियस है लेकिन फिर याद आया उंट/घोडो़ं पर चलने वाले पश्चिमी एशिया में बुल-फाइटिंग का चलन कभी रहा ही नहीं. दूसरे, अगर ऐसा होता तो मैड़म के शादीशुदा अंकल्स, डैड और बाकी के रिलेटिव्स में से एटलीस्ट कोई एक तो अपाहिज होता.


" छी... सच में बहुत कमीने हो तुम "


" और तुम होली-काउ.. " मैड़म अब थोडा़ चिढ़ने लगी तो मैं उसे और ज्यादा परेशान करने लगा.


" कुत्ते.... "


" बस यहां तक ठीक है... गधे-घोडे़ तक पहुंचोगी तो मुश्किल हो जाएगी "


इसके बाद वो मुझसे चाय के मग को छीनने की कोशिश करने लगी, लेकिन तब तक मैं उसे खत्म कर चुका था. हारकर मैडम ने अपना मोबाइल साइदा को पकडा़ दिया और इस तरह हमारे इस सीक्रेट कान्वर्सेशन का दि-एंड हो गया.


रिंग सेरेमनी से पहले एक रस्म और हुई, निसान बोह़कासी. जो एक तरह से हमारे यहां की गोद-भराई के जैसी थी. जिसमें हमें रोज़दा के लिए चाॅकलेट्स, मिठाइयां, ड्रैसिज और रोजमर्रा की जरूरतों का हर वो सामान एक बास्केट में देना होता था. उसके बाद नंबर आता था औपचारिक सगाई(निसान) का. देखा जाए तो फर्क सिर्फ बोल-चाल और पहनावे का था मगर रस्मो-रिवाज़ों का मकसद एक.


छोटी सी दो रिंग्स ने हम दोनों और हमारे परिवारों को एक कर सुख-दुख का साथी बना दिया, जिसकी आधिकारिक अंतिम मुहर हमारे पुरोहितों ने लगानी थी शादी के समारोह में अपने-अपने ईश्वर‌ की मौजूदगी को साक्षी/गवाह मानकर.


डेनिज ने हमें उनका लोकनृत्य भी सिखाया. इसमें एक लाइन में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर, दो कदम पीछे, और फिर चार कदम आगे आकर अपने सीधे पैर की हील को जोर से जमीन पर पटखना होता था, अपने पंजाबी भांगडा़ के धमाल की तरह. इसमें अपनी शुरुआत थोडी़ धीमी हुई लेकिन स्टेप्स और म्यूजिक बीट्स को समझने पर हमारी तरफ के लोग उनके डुबकी-डांस में, अब उन्हीं को चुनौती देने लगे. अहसास हो रहा था उस बेहतर kinship का जो अपने यहां के रिश्तों में अब बहुत कम दिखने को मिलती, लेकिन मैं बहुत खुश था रोज़दा के इस नोमैडिक कबीले का हिस्सा बनकर क्यूंकि सदियों पहले अपनी शुरुआत भी खानाबदोशों की तरह ही हुई थी.


अगली सुबह मेरे यज्ञोपवीत होने के बाद राजौरिया अंकल, डैड और गणेश बाकी सभी मेहमानों को घुमाने डल और गुलमर्ग ले‌ गये. माॅम-आंटी के अलावा घर पर सिर्फ करण-शिवानी और मैं थे. सामान ज्यादा होने और बर्फ-बारी पड़ने से ज्यादातर मेहमानों को अब by road जाना था. लिहाजा, डाइरेक्शन मिली सबके लौटने से पहले रौशन अंकल को साथ(लोकल रिफरेंस के लिए) लेकर हमें पठानकोट तक बस/टैक्सीज का इंतजाम करना है, लेकिन करण सर की कुछ और ही प्लानिंग थी.



" आज तुझे डैड (राजौरिया अंकल) को बताना है कि तूने कभी शिवानी से प्यार नहीं किया " घर से बाहर निकलने पर करण ने पुश‌ किया और अपने साथ अब रौशन अंकल नहीं थे.


" कम-ऑन यार.. शिवानी क्या ठीक हुई तो अब तू उसकी तरह बिहेव करने लगा? तेरा पेन समझ सकता हूॅं मेरे भाई लेकिन अंकल उस तरह नहीं सोचते ", मैंने उसे बताया अंकल मुझे इतनी आसानी से कभी disown नहीं करेंगे क्यूंकि एक अलग तलह का बांड डेवलप हो चुका था हमारे बीच, " इसलिए सब्र रख, शिवानी अब सही रास्ते पर है, तुझसे तो उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं रही, अप्रीशिएट तो करते हैं तुझे और ईवन तेरी माॅम के हार्ड-वर्क को, बस अपनी बेटी से ही अदावत रही उन्हें. जो वक्त साथ ही कम होगी "


" जलन होती है अब तुझसे, और अच्छा भी लगता है कि पहले जैसे dumb-ass नहीं रहा "


करण की बात में गधे का जिक्र होने पर मुझे कल रात रोज़दा और मेरे बीच हुआ टैक्स्ट एक्सचेंज याद आ गया, काॅल करने पर पता लगा वो लोग डल से अभी गुलमर्ग के लिए निकले हैं और दोपहर तक वापस आएंगे. बस का इंतजाम करने पर मुझे एक आइडिया आया, जिससे हमें मौका मिल सकता था शिवानी के लिए अंकल को मनाने का, मगर उसके लिए कुछ फेरबदल करनी पड़ती जो अपना इवेंट-प्लानर बडे आराम से कर लेता.


" माॅम-डैड की जगह मैं, तू और अंकल रुक जाते हैं ना यहां?? दो रिफिल्स में अंकल डार्लिंग हो जाते हैं, फिर कर लेना तू उनसे बात "


" यह मजाक नहीं है समर " करण फिर से उखड़ने लगा.


" कोशिश तो कर सकते हैं. जानता है, एक आयरिश कहावत है. What Whiskey will not cur... "


" एक जवाब देगा? इससे तुझे क्या मिलेगा?? " बात खत्म होने‌ से पहले करण ने मुझे टोका.


" मोक्ष... मुक्ति. बहुत बुरा लगता है जब लोग नीयत पर उंगली उठाते हैं. देख, शिवानी डिजर्व नहीं करती अंकल की नाराज़गी और मैं लोगों की यह घटिया सोच. मुझे छूटना है इससे, लेकिन कोर्डियली, अंकल को बिना ऑफेंड किये, आफ्टरऑल बाप से बढ़कर हैं यार वो मेरे लिए "


" खामखां बेसब्र हो रहा हूॅं मैं.... लीव इट. जैसे प्लान किया था वैसे ही चलते हैं. अब ये दो दिन सब तुझे सम्हालना है, एक की शाम को तो टाइमली पहुंच जाएंगे हम. कोई इश्यू हो तो अनूप या बहना (अवनी, समर की सिस्टर) को काॅल कर लेना. बाकी, बेफिक्र रह, हो जाएगा सब अच्छे से "


क्यूं कर रहा था करण इतना, यह तो समझ से परे था मेरी, लेकिन इतना यकीन जरूर था इसके पीछे सेल्फिश मोटिव तो बिल्कुल नहीं है उसके. कद-काठी, चेहरा, इज्जत, हैशियत, हर लिहाज से सत्रह गुना बेहतर था वो मुझसे, वाबजूद इसके उसकी अप्रौच बडे़ भाई की तरह थी. बहुत दिल करता था उससे यह सवाल करने का लेकिन बड़प्पन और लगाव देखकर अगले ही पल मेरी हिम्मत पस्त‌ हो जाती.


दोपहर बाद मेहमानों को विदा कर, शिवानी और टैडी को लेकर वो चला गया. अब घर पर राजौरिया अंकल, मिलिंद भाई-भाभी, उनकी माॅम और बच्चों को मिलाकर हम सात लोग रह गये. सब गुम थे पिछले चार दिनों की महकती यादों और खयालों में क्यूंकि इस दिन का ख्वाब सबने देखा तो जरूर था लेकिन इसके पूरा होने‌ की उम्मीद शायद ही किसी को थी. दो वक्त मिलने पर आंटी ने मुझे दीपक करने के लिए बोला और भाभी के संग डिनर की तैयारी में लग गई.


" मिलिंद के डेल्ही वाले अपार्टमेंट को, तेरे यहां के किसी पाॅलिटीशियन का रिश्तेदार, अदालती आदेश के वाबजूद खाली नहीं कर रहा "


राजौरिया अंकल ने जब यह बताया तो मैं भाई के चेहरे की तरफ देखने लगा. कोर्ट आर्डर आने में कम से कम छह महीने या एक साल तो लगे होंगे, और वो आज भी मुझे इसके बारे में बताने से झिझ़क रहे थे. भाभी से टेनेंट की डिटेल्स, अपार्टमेंट का एड्रैस और कोर्ट आर्डर की काॅपी लेकर मैंने गणेश को मेल कर उन्हें यकीन गणेश की काबिलियत का यकीं दिलाया क्यूंकि उसे इस तरह के केस निबटाने की बडी़ खुजली होती.


खाना खाने के बाद हम ऐसे ही बातें करते रहे. मैडम ने गुरुग्राम लैंड होने‌ पर बताया कि शादी/निकाह होने तक वो पूर्णत: शुद्ध वीगन डाइट पर रहेगी और उसके बाद भी उसकी पूरी कोशिश होगी वेगेन डाइट फौलो करने की. हालांकि, उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं थी लेकिन फिर उसने याद दिलाया, प्यार के पागलपन में अपनी फितरत भी तो उसके Clan का हिस्सा बनने की थी.


दूरियां बरदाश्त नहीं होती थी अब हम दोनों से, अधूरा-अधूरा महसूस होता था एक दूसरे के बिना. इस तरह का कनैक्ट तो कभी अपराजिता या शिवानी के दौर में भी नहीं बना था. मिस करता था उसके साथ गुजारे गये पलों को और इंतजार था उस दिन का जब हमेशा के लिए हम परिणय सूत्र में बंधने कर, दो जिस्म एक जान होने वाले थे.


अगले दिन दोपहर तक रोज़दा उदयपुर और डैड आगरा पहुंच गये, क्यूंकि शादी की बाकी की रस्में अब राजौरिया अंकल के घर से होनी थी, इसलिए दादू के घर पर आज यह आखिरी दिन था हमारा. सोने से पहले राजौरिया अंकल सिमी भाभी (मिलिंद भाई की बीवी) की इसलिए तारीफ कर रहे थे, कि सालों भाई से दूर रहने के वाबजूद आज वो फिर से उनके साथ थीं. दरअसल, कसकता था अंकल को शिवानी और मेरा एक नहीं हो पाना, और कभी न कभी, किसी न किसी बहाने उनका यह पीडा़ झलक ही जाती, " करण बेशक एक अच्छा लड़का है समर लेकिन मैं चाह कर भी उसे तेरी जगह नहीं दे सकता. खिलाया है बेटा मैंने तुझे इन हाथों से और... छोड़ ना कलेजा फटता है याद करके....."


नाम लेना भी गवारा नहीं था उन्हें अपनी इकलौती बेटी का.और जब जब मेरी कोशिश उन्हें समझाने की होती, तब उनके दिल में शिवानी के लिए कड़वाहट कई गुना बढ़ जाती. लेकिन आज प्रिपेयर्ड था मैं पूरी तरह से और जब करण की सिंगल माल्ट व्हिस्की के दो रिफिल्स हम दोनों के गले से नीचे उतरे, अंकल मेरे लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हो गये.


" यू नो‌ व्हाट, इतनी नफरत क्यूं करने लगी थी शिवानी? क्यूंकि उससे पहले बेइंतहा प्यार करती वो थी मुझसे. गुनाहगार तो मैं हूॅं अंकल लेकिन आप हैं कि मानते ही नहीं " मैंने याद दिलाया कि उनके इन्हीं हाथों से मेरे साथ-साथ शिवानी की परिवरिश भी हुई थी.


" क्यूं इतनी तरफदारी करता है उसकी और अब किस बात का डर है तुझे?? "


" डर नहीं ख्वाहिश है ये मेरी, सिर्फ एक बार आप एक बाप की तरह अपनी बेटी की साइड लेकर तो देखें "


खिड़कियां बंद कर पर्दों से ढंकते हुऐ मैंने इज़हार किया अंकल को सारी कड़वाहट भुलाकर आगे बढ़ने के लिए, लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उनका बिस्तर लगा कर मैं मिलिंद भाई और उर्मिला आंटी के पास आ गया, जहां सिमी भाभी अपने बच्चे को सहलाते हुए ना जाने किस बात पर धीमे धीमे सुबक रहीं थी. सुबह जल्दी निकलना था तो बिना डिस्टर्ब किऐ सोने आ गया, तो गणेश ने अगले दिन हमारे दिल्ली पंहुचने से पहले मिलिंद भाई के अपार्टमेंट का कब्जा वापस लेने की भूमिका बना दी थी.
 
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खिड़कियां बंद कर पर्दों से ढंकते हुऐ मैंने इज़हार किया अंकल को सारी कड़वाहट भुलाकर आगे बढ़ने के लिए, लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उनका बिस्तर लगा कर मैं मिलिंद भाई और उर्मिला आंटी के पास आ गया, जहां सिमी भाभी अपने बच्चे को सहलाते हुए ना जाने किस बात पर धीमे धीमे सुबक रहीं थी. सुबह जल्दी निकलना था तो बिना डिस्टर्ब किऐ मैं सोने आ गया और अगले दिन हमारे दिल्ली पंहुचने से पहले गणेश ने मिलिंद भाई के अपार्टमेंट का कब्जा वापस लेने की भूमिका बना दी थी.



……………



दिल्ली से आगरा पहुंचने के दो घंटों के अंदर ही मेरी हालत गधे जैसी हो गई. जिसकी वजह थी बिन बुलाए आए कुछ अनचाहे ' वैरी अमेरिकन ' मेहमान और आग बरसाने वाली गर्मी के बीच छोटे-छोटे मामलों पर माॅम-डैड और अंकल-आंटी से होने वाली तकरार. एकदम से पराए लगने लगे थे वो मुझे अब. यह जानते हुए भी कि मैं उनसे नाराज हूं, कोई फर्क या असर नहीं था उन पर इसका. हारकर मैंने अपने आप को किताबों में मशगूल कर लिया. बीच-बीच में रोजदा और गणेश से फोन पर बातें होती रहती लेकिन घर में चल रहे ज्यादातर किर्याकलापों से खुद को मैंने महदूद ही रखा.


यह सिलसिला तो यूं ही चलता रहा लेकिन मेरी नाराजगी खत्म हुई करण के यहां पहुंचने, और शिवानी के अपने पुराने अवतार में आने पर. वैसे, बहुत कम मौके मिले थे मुझे उसे अप्रीशिएट करने के लेकिन आपसी मतभेदों के वाबजूद कुछ मुद्दों पर उस की राय और सोच मुझसे मेल खाती. बहरहाल, फिर से भरोसा करने लगा था मैं उसपर और अंकल-आंटी को मेरी यही बात खटकती.


मेंहदी वाली रात मैं बुखार और बदन-दर्द से तड़प रहा था मगर इसकी खबर सिर्फ कुछ लोगों को थी. कनिश्रण की रिवाज से पहले रोज़दा की ड्रैस और गहने लेकर करण-शिवानी उदयपुर निकल गये, मेरे जैसे अब उनका भी मन नहीं लग रहा था यहां. बेबस था मैं अंकल और डैड की जिद के आगे लेकिन तय कर लिया शादी के बाद की जिंदगी में सिर्फ खुद की ख्वाहिशों के लिए जीना है.


ये दो दिन बडे़ आराम से निकल गये, और बारात लेकर उदयपुर पहुंचने से पहले ही अंकल और डैड दोनों को उनकी गलती का अहसास हो गया. मगर बहुत देर हो चुकी थी अब क्यूंकि इन दो दिनों की नाराज़गी ने सैकडों मील दूर धकेल दिया था मुझे. और परसों सुबह यहां से विदा होने पर हमारे बीच का यह दायरा और ज्यादा बढ़ने वाला था.


इसी कश्मकश के बीच करण ने बताया रोज़दा और उसके डैड की हालत भी मुझसे जुदा नहीं थी. श्रीनगर से यहां आने के बाद से कोई उन्हें हर रोज धमकी दे रहा था रोज़दा की ड्रग्स रिपोर्ट्स लीक करने के लिए, और इससे बचने के लिए उसकी एकमात्र डिमांड थी करोड़ रुपये भरा बैग. झा और सिवाच सर इस पर पहले से लगे हुए थे लेकिन वो क्लू-लैस थे मुझ पर हुए हमले वाले केस की तरह. अल्टीमेट टारगेट मैं था, क्यूंकि रोजेन पर लगा इल्जाम मुझे कठघरे में खडा़ करता. खैर, मेरी नजरें फोन स्क्रीन पर थी और मैड़म पहुंच से दूर, हर कर ईश्वर के भरोसे छोड़ मैं अपने दोस्तो के संग घुल गया.


शादी के लिए सबके ठहरने का इंतजाम लेक-साइड एक पांच सितारा होटेल में किया गया था, जो रोज़दा के घर से नजदीक ही पड़ता. फर्ज के प्रति उसूल और वफादारी की नौकरी करने के लिए सिवाच सर का प्रवचन चालू था, उनकी असेसमेंट पर तो पूरा यकीन था लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि इतना बडा़ दुश्मन मेरा बना कैसे, और अगर बना भी तो फिर बचा कैसे रह गया. डिटेनीज को छोड़ने का बोलकर मैंने रोज़दा को थोडी देर के लिए हिलटाॅप (उबेश्वर) चलने के लिए रिक्वेश्ट किया.


" एक शर्त पर... कुछ देर के लिए क्या आप हमें अकेला छोड़ोगे प्लीज़? " मुझसे मुखातिब होने के बाद रोज़दा ने कमरे में मौजूद अपनी बहन साइदा और करण-शिवानी से अर्ज किया.


उनके जाने‌ के‌ बाद हम दोनों ऐसे गले लगे जैसे सदियों से बिछडे़ हों. हम दोनों की उंगलियां और लिप्स इक दूसरे के तन और मन को टटोल कर शायद यह जाहिर कर रहीं थी कि ये इंतजार की घडि़यां अब हमेशा के लिए खत्म होने वाली हैं. धड़कनें शांत करने‌ के लिए उसे अपनी बाजुओं से रिहा कर गोद में बिठा लिया. यैलो कलर के‌ क्राॅप टाॅप और ऑपन श्रग में उजले रंग का उसका मिडरिफ एरिया कहर ढा़ रहा था, और सेम कलर प्लाजो में‌ ढ़की उसकी गुदाज जांघों का अहसास इस आग में घी डालने का काम कर बहकने पर मजबूर कर रहा था मुझे.


" तो क्या है वो शर्त?? " रोज़दा की महकती गरदन को चूमते हुए मैंने उससे पूछा, लेकिन‌ उसके जवाब ने एक ही झटके में मेरे दिमाग से इश्क‌ का भूत उतार मेरी आंखों को नम और मुझे शर्मसार कर दिया.


" माफ कर दो ना डैड को? देखो, मुझे नहीं पता तुम्हारे साथ पिट्सबर्ग में क्या हुआ लेकिन तुम्हारे अंकल को उन्होंने ये दिखाने के लिए इन्वाइट‌ किया है कि तुम आज भी अपने कजिंन्स से हर लिहाज से बेहतर हो. दूसरे, मैं नहीं चाहती तुम उनसे नाराज रहो और हमारी शादी के मौके पर तो हरगिज नहीं "


इस तरह से तो मैंने सोचा ही नहीं था.‌ आज पहली बार फक्र के साथ अहसास हुआ कि इस तरह के मामलों में रोज़दा की समझ मुझसे ज्यादा परिपक्व है. परिवार का ख्याल रखते हुए, सबको‌ साथ लेकर चलने वाली अपनी जीवन संगिनी की नीयत को देख कर मुझे फिर से अपनी किस्मत पर रश्क होने लगा.


" हम्म्म्मम... मुझे अंदाजा है कि तुम्हें मेरी वजह से टारगेट किया जा रहा है? देखो, मुझे‌ तो इसकी आदत है लेकिन क्या तुम इस प्रैशर को झेल सकती हो? " माॅम-डैड के लिए अपनी नाराज़गी को बाहर निकाल कर मैं रोजे़न को बताने लगा


" वैल, पुलिस को अपना स्टेटमेंट देने के बाद मैंने लोकल चैनल के लिए एक इंटरव्यू दिया था, जो शायद अब तक एयर हो चुका होगा. कमजोरी नहीं बनूंगी मैं तुम्हारी और यह भी हो सकता है कोई मेरा अपना ही मेरा दुश्मन बना बैठा हो? इसलिए आइम प्रपेयर्ड समर... और छोड़ देना ना यह नौकरी वैसे भी दादू‌ ने करोड़पति तो बना दिया है अब तुम्हें "


उसके जज्बे को सलाम कर मैं बेफिक्र हो गया, और वैसे भी मंदिर जाने‌ के नाम से दो बडी परेशानियां चुटकियों में खत्म हो गई थी मेरी. इतना तो तब था जब भगवान और उसकी मौजूदगी में उतना यकीन नहीं था, लेकिन धीरे ही सही इससे रूबरू जरूर होने लगा. खैर, अपने‌ घर वालों और शुभचिंतकों के साथ हैल्दी आर्ग्यूमेंट के बाद हमें ईश दर्शन की इजाजत तो मिली, लेकिन उबेश्वर के बजाय नजदीक के लेकफ्रंट साइड बने एक मंदिर में.


" प्रामिश किया था इस शहर को कभी अपने से दूर नहीं होने दूंगी मगर लगता है माॅम की तरह यहां के लोग मुझे भी पसंद नहीं कर.."


" कम-ऑन रोज़दा... ये शहर किसी की जागीर नहीं, बंद करो निगेटिव सोचना और याद रखो इस शहर ने मिलाया भी तो है हमें " मैडम को बीच में रोक, वहां बेंच पर बैठने में उसकी मदद कर मैं उसे समझाने लगा.


मैंने उसे बताया हमारे इतने रिसोर्सफुल होने के वाबजूद किसी का उसे टार्गेट करने का सीधा मतलब मेरी ताकत को चेलैंज करना, जो अगली फोन-काॅल के बाद सही साबित हो गई. साइबर वालों की हैल्प से गणेश ने उस लड़के को पकड लिया, जिसके नेटवर्क से नूतन ने रोज़ेन की हाउस-मेड के व्हास्एप पर आज धमकी वाले काल्स किये गये, और इसको साबित करने के लिए लड़के का इकबालिया बयान और एक सीसीटीवी फुटेज था.


मामला सिर्फ यहीं खत्म नहीं हुआ, नूतन से हुई पूछताछ में उसने जो एक नाम कुबूला, वो कोई और नहीं सिवाच सर के भरोसेमंद मंत्री का ओएसडी निकला. मिस्टर ऑज़ ने अब अपनी कंप्लेंट वापस ले ली जिसका मैंने तो विरोध नहीं किया, लेकिन इससे डीआईजी प्रशांत झा और सिवाच सर के सींग आपस में जरूर उलझ गये.



होटल में मेरे दोस्त, डीजे डेनिज के फ्लोर पर डांस कर रहे थे और मैं अपने कमरे में सोने‌ की नाकाम कोशिशों के बीच दुआ मांग रहा था, रोजाना की इस घिसी पिटी भाग-दौड़ की जिंदगी से निबटकर पुरशुकून वैवाहिक जिंदगी जीने की. बहुत बेसब्र होने लगा था मैं रोज़दा‌ की बांहों में समाने या उसकी गिरफ्त में रहने के लिए, मगर आज की रात अपनी मैड़म भी दुश्मन बनी हुई थी मेरी.


कल तमाम रात मुझे जागना था इसलिए वो नहीं चाहती थी मेरी आज की रात पिछली कुछ रातों जैसे गुजरे. वैसे भी कल के बाद तो हमें हमेशा के लिए साथ रहना था तो बस एक झपकी की ही तो दूरी थी. ऐसे ही सोचते सोचते चार रिफिल्स के बाद मेरे दिमाग सुन्न हो गया और उसके बाद नींद पूरी हुई तो सुबह के नौ बज रहे थे और बाथरूम के अंदर पानी गिरने के साथ आवाज आ रही थी मिलिंद भाई के गुनगुनाने‌ की.


दोनों फोन स्क्रीन पर नोटिफिकेशंस की भरमार थी, मगर उन सबमें जो एक चीज काॅमन थी, वह थी लोकल न्यूज चैनल को दिए रोज़दा के इंटरव्यू का एक हिस्सा, जिसमें मैडम ने पब्लिक‌ से एक इमोशनल अपील की थी उसकी निजी जिंदगी में की गई गलतियों के लिए मुझे कुसूरवार ना ठहराने‌ की. वीडियो अनइडिटेड होने से टूटे-फूटे स्वर में मैडम का वास्तविक रुख और मनोदशा सबके सामने थी, जिससे इस ब्लैकमेलिंग स्कैंडल पर अधिकतर लोगों की संवेदनाएं हमारे साथ हो गई.


थोड़ी नाराज़गी थी, क्यूंकि मेरी तरह मैडम की लाइफ भी अब प्रशासनिक द्वेष से राजनैतिक रस्साकसी का हिस्सा बन गई वो भी शादी के एन मौके पर. तो दूसरी तरफ हिम्मत भी बढ़ गई थी, वो इसलिए कि मेरी होने वाली बीवी बुज़दिल और मानसिक तौर पर कमजोर तो बिल्कुल नहीं थी.



 
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kamdev99008

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Hi
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Bahut pehle jaldbazi m USC m iss kahaani ka short version post kiya tha maine, jise baad m kaafi logon appriciate kar aage badhaane ke liye bola aur fir aap sabhi ke sahyog ke baad maine start kiya n time constraints ki wajah se beech m bahut baar delay hua jis se aap is kahaani se bore ho kar door gaye.

kyunki yeh fault mera rha, jo main pehle maanta tha n abhi bhi admit karta hoon LEKIN last teen weeks se main yahan regular hoon nd aage bhi apni ek aur incomplete kahaani (agar aap chahe to) ko bhi poora karna hai. isliye aap sabhi se पुन: nivedan hai ki pehle ki tarah is thread par apne presence, opinion aur critism submit kar encourage karen. cuz agle 8-10 months main bilkul free hoon n wish is dauran yeh productive kaam kar, is forum n aap logon ko wo wapas de saku jo kabhi maine yahaan se liya.

ummid h hamesha ki tarah pichli galatiyan maaf kar aap mera sath doge 🙏


Yours Truly
Kaake



Bhai me kuchh samay se online nahi aa pa raha niji kaaran se aur baki jyadatar serious writers and critics election me busy hain...
Nirash naa ho.... Hamesha aapke sath hain
 
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Hi

Bhai me kuchh samay se online nahi aa pa raha niji kaaran se aur baki jyadatar serious writers and critics election me busy hain...
Nirash naa ho.... Hamesha aapke sath hain

niji kaaran ko :respekt:

n saath rehne k liye :thanks: baaki aap ke sath gine chune log hi they to sach m खलती है सबकी कमी. कभी वक्त मिले तो रिव्यू देना, बेसब्री से इंतजार रहेगा मुझे उसका🙏
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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समर की जिंदगी 180° टर्न हुई है, रोजदा ने अपनी परिपक्वता दिखा कर उसकी अभी और आने वाली कई समस्याओं को सुलझा दिया है।

बढ़िया जा रहा है सब कुछ, ब्लैकमेलर भी पकड़ में आया, और लोगो की सहानभूति भी मिल रही है अब।

उम्मीद है आगे सब अच्छा होगा।
 
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समर की जिंदगी 180° टर्न हुई है, रोजदा ने अपनी परिपक्वता दिखा कर उसकी अभी और आने वाली कई समस्याओं को सुलझा दिया है।

बढ़िया जा रहा है सब कुछ, ब्लैकमेलर भी पकड़ में आया, और लोगो की सहानभूति भी मिल रही है अब।

उम्मीद है आगे सब अच्छा होगा।

seriously riky🤔

pareshaaniyan ab shuru hongi iski fir nikaalne aayegi apraajita. baaki plz help karte rehna aur koi sequence add karaana h to suggest karo cuz dil to bachcha h ji

n itne busy schedule se time nikalne k liye thanks bhai :hug:
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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seriously riky🤔

pareshaaniyan ab shuru hongi iski fir nikaalne aayegi apraajita. baaki plz help karte rehna aur koi sequence add karaana h to suggest karo cuz dil to bachcha h ji

n itne busy schedule se time nikalne k liye thanks bhai :hug:
काम खत्म, पैसा हजम

अब बाय बाय लाउंज।
बस अपने थ्रेड पर दिखूंगा, या कोई नया बनाया तो उस पर
 
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काम खत्म, पैसा हजम

अब बाय बाय लाउंज।
बस अपने थ्रेड पर दिखूंगा, या कोई नया बनाया तो उस पर
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naya kya plaan h?
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अभी ऐसा कोई प्लान नही
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naya kya plaan h?
 
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